एसीपी राघवन के निर्देश पर परिवार के सभी सदस्य हॉल में इकट्ठा हो गए थे सिर्फ रजिया और उसकी मां बाहर थे जो कुछ आवश्यक सामग्री लेने हुए पास के ही बाजार गए हुए थे।
घर के बाकी नौकरों तथा अंग रक्षकों को भी लान में एक तरफ इकट्ठा बैठा दिया गया था। पठान कालू और हीरा भी लाल कोठी के लान में बैठे हुए थे। पठान को एसीपी राघवन से कुछ ज्यादा सम्मान की उम्मीद थी परंतु उसमें पठान को भी घर के बाकी मातहतों की श्रेणी में ला दिया था।
वैसे उसने अपने जीवन काल में कई अपराध किए हुए थे और कई पुलिस अफसरों की तफ्तीश का सामना भी किया हुआ था।
देखते ही देखते लगभग 50 पुलिसवाले पूरे लाल कोठी का कोना कोना खंगालने लगे। मूर्ति और राघवन जोरावर के कमरे में थे मूर्ति में गजब का उत्साह दिखाई पड़ रहा था। उसने रजनी के मोबाइल से जो वीडियो क्लिप निकाली थी उसने इस केस की दिशा ही पलट कर रख दी थी।
जोरावर की अलमारियां संभाली गई परंतु उसमें कोई भी आपत्तिजनक सामग्री ना मिली। परंतु रजनी की अलमारी की गहराई दिखने में तो ज्यादा थी परंतु उसके पल्ले खोलने पर उसकी गहराई कुछ कम प्रतीत हो रही थी। रजनी की उस अलमारी में के सारी साड़ियां थी। तभी एसीपी राघवन का ध्यान अलमारी के साइड में गया। अलमारी के दाहिनी तरफ पिछले भाग में लकड़ी की बीट से लगभग 5 फीट ऊंची और 8 इंच चौड़ी एक डिजाइन बनी हुई थी तथा डिजाइन के ऊपर लकड़ी से ही एक सुंदर लड़की का चेहरा बना हुआ था।
जिस कलाकार ने यह आलमारी बनाई थी वह निश्चय ही महान था। उसने सागौन की लकड़ी पर उस लड़की का सुंदर चेहरा गढ़ कर उस अलमारी की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए थे। आंखों की पुतलियां जैसे वो बोल उठने को बेताब थीं। लड़की के होठ गोल मुद्रा में थे जैसे वह फूंक मार रही हो।
एसीपी राघवन की उंगलियां उस दरवाजे को खोलने का मार्ग ढूंढने लगी उसने हर जगह इधर-उधर दबा कर देखा परंतु उसे उस अनजाने दरवाजे को खोलने का कोई मार्ग दिखाई नहीं पड़ रहा था कभी-कभी ऐसीपी राघवन को लगता कि यह उसका भ्रम था वहां कोई दरवाजा नहीं होगा परंतु रजनी के अलमारी की गहराई उसके संशय को बढ़ा रही थी।
एसीपी राघवन ने उस लड़की के चेहरे पर लगी पलकों को छुआ वह हिल रही थीं। नीचे खींचने पर लड़की की आंखें बंद हो रही थी सच कलाकार ने बेहद तन्मयता और लगन से उस लड़की के चेहरे को अंजाम दिया था। पलकों को बंद करने पर अंदर किसी लीवर के हिलने की आवाज आ रही थी एसीपी राघवन को एक पल के लिए लगा जैसे वह बच्चों का कोई खेल खेल रहा था। परंतु उसे उसे उस गुप्त दरवाजे को खोलने का कोई स्रोत नहीं मिल रहा था।
लड़की के चेहरे पर बनी आंखों और होठों के बीच उंगलियां डालकर एसीपी राघवन दरवाजा खोलने की सारी संभावनाओं को तलाशने लगा अंततः उसने उस लड़की की दोनों आंखें बंद की और अपनी तर्जनी उंगली को उसके मुंह में प्रवेश करा दिया उसके हाथ एक गोल सा लीवर लगा जिसे दबाने पर वह दरवाजा खुल गया।
यह आलमारी 4 फुट गहरी और 8 इंच चौड़ी थी जिसमें 4 खाने बने हुए थे। तीन खाने तो 500 की नोटों से भरे हुए थे परंतु चौथे खाने की सामग्री देखकर एसीपी राघवन की आंखें फैल गई...
मूर्ति ने एक-एक करके सारी सामग्री बाहर निकाली. एसीपी राघवन की आंखें उन सब कामुक सामग्रियों को देखकर शर्म से झुक गयीं। कितना चरित्रहीन और काम पिपासु व्यक्ति था जोरावर।
निकाली गई सामग्रियों में कई सारे सेक्स टॉयज और सेक्स के दौरान प्रताड़ना देने वाली चाबुक तथा अन्य कई चीजें थी परंतु जोरावर सिंह के चरित्र हनन के अलावा उन सामग्रियों का उसके कत्ल से कोई सरोकार नहीं दिखाई पड़ रहा था। अब यह बात लगभग स्पष्ट हो रही थी कि जोरावर एक चरित्रहीन और कामपिपासु व्यक्ति था जो निश्चय ही अपनी पत्नी के अलावा अन्य युवतियों से संबंध रखता था और संभव है वह अपने से कम उम्र की लड़कियों को भी जबरदस्ती या रजामंद कर उनके साथ सेक्स करता था।
एसीपी राघवन को यह बात समझ नहीं आ रही थी उसने यह सब कामुक सामग्रियां अपने ही कमरे में क्यों रखी थी क्या वह इसी कमरे में लाकर लड़कियों के साथ अपनी कामवासना शांत करता था क्या परिवार के लोग उसे रोकते नहीं थे या उसके इस कार्य में कोई और भी शामिल था।
नीचे हाल में राजा का पारा गर्म हो रहा था वह काफी देर से सोफे पर बैठा हुआ एसीपी राघवन की नौटंकी देख रहा था मन ही मन उसका खून खोल रहा था परंतु उसने स्वयं को आज के पहले इतना लाचार कभी नहीं महसूस किया था।
तभी मुख्य दरवाजे पर रजिया की मां दिखाई पड़ी जो द्वार पर खड़े पुलिस वाले अंदर आने की प्रार्थना कर रही थी और वह पुलिस वाला उसे रोक रहा था राजा की निगाह उस पर पड़ते हैं उसमें भी दो हाथियों का बल आ गया और वो पुलिस वाले को धक्का मारकर हॉल में प्रवेश कर गई।
रजिया की मां राजा के चरणों में गिर पड़ी और जोर-जोर से रोते हुए बोली मालिक मेरी रजिया को बचा लीजिए।
राजा ने उसे कंधे से पकड़कर उठाया और बड़ी आत्मीयता से पूछा
"क्या हुआ साफ-साफ बताइए"
हम लोग सब्जी बाजार से सब्जी खरीद रहे थे तभी कुछ गुंडे वहां आए और उसे मारुति वैन में बिठा कर ले गए मैंने बहुत कोशिश की परंतु उन्हें रोक नहीं पाई। पूरा शहर नामर्दों से भरा हुआ है वहां कई लोग खड़े थे पर किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की।
हाय मेरी बच्ची….. वह अपनी छाती पीट पीट कर रोने लगी.
राजा का खून खोल गया वह सोफे से उठा और ऊपर मंजिल की तरफ जाने लगा रास्ते में उसे पुलिस वाले ने रोकने की कोशिश की परंतु उसने उसे दाहिने हाथ जोरदार धक्का दिया और खबरदार का इशारा किया पुलिस वाले को भी अपनी औकात पता था उसमें एसीपी राघवन जैसा दम न था ना हो सकता था वह चुपचाप राजा के रास्ते से हट गया राजा तेज कदमों से चलते हुए ऊपर की तरफ गया।
उसे मूर्ति की आवाज सुनाई पड़ी
"जोरावर को उसके किए की सजा मिली होगी सर"
मूर्ति की इस बात ने राजा के क्रोध पर आग में घी का कार्य किया वह मन में क्रोध लिए तेज कदमों से जोरावर सिंह के कमरे की तरफ जाने लगा ठीक उसी समय एसीपी राघवन जोरावर के कमरे से बाहर आ रहा था उसने राजा के क्रोध से तमतमा रहे चेहरे को देखकर थोड़ा सहम गया और बड़े शांति से बोला
"जी कोई दिक्कत हुई है क्या?"
एसीपी राघवन के इस व्यवहार से राजा का क्रोध कुछ हद तक शांत हुआ उसने फिर भी लगभग चीखते हुए कहा..
"आप लोग इधर टाइमपास करने में व्यस्त रहिए उधर रजिया का अपहरण कर लिया गया है। मिस्टर राघवन एक बात ध्यान रखिएगा यदि 24 घंटे के अंदर रजिया नहीं मिली तो यह शहर आप जलता हुआ पाएंगे।"
एसीपी राघवन रजिया के गायब होने से स्वयं हतप्रभ था वह कुछ भी सोच पाने की स्थिति में नहीं था परंतु वह तलाशी अभियान बंद नहीं करना चाहता था उसने अपने फोन से कई लोगों से बातें की और जरूरी दिशानिर्देश दिए।
उसने राजा को भी फोन प्रयोग करने की अनुमति दे दी उसे भी राजा की पहुंच का अंदाजा था और रजिया को ढूंढने में उसका योगदान अहम साबित हो सकता था।
राजा ने पठान और हीरा दोनों को अपने पास बुलाया और जरूरी दिशा निर्देश की एसीपी राघवन यह देख रहा था उसने पठान और पीड़ा को लाल कोठी से बाहर जाने की अनुमति दे दी।
पठान और हीरा खुली जीप में बैठकर सलेमपुर की सड़कों को रौंदकर हुए सब्जी मंडी की तरफ बढ़ चल दोनों के चेहरों पर एक अजब सा वहशपन था। यमराज अपने दूतों को अलर्ट मोड पर आने का निर्देश दे रहे थे सलेमपुर में खून खराबा होने की संभावनाएं बढ़ रही थी।
सब्जी मंडी पहुंचने से ठीक पहले हीरा ने पान ठेले पर गाड़ी रोक दी। पठान हीरा की आदत जानता था। हीरा उतर कर उस्मान वाले से बातें करने लगा और पान वाले के हाथ मशीन की तरह हीरा का पान बनाने में जुट गए।
पठान ने कोई प्रतिक्रिया न दी परंतु देर होने पर वह अपनी व्यग्रता पर काबू न रख पाया और जोर से बोला।
"जल्दी कर।"
हीरा पान को अपने बाएं गाल में दबाकर वापस ड्राइविंग सीट पर आया और बोला
"कल कलुआ बाजार में था"
"वह सरयू सिंह का चमचा"
"हां वही"
"और वह मारुति वैन"
"वह वैन आई थी इसी तरफ से थी परंतु रजिया को लेने के बाद वह लोग दूसरे रास्ते से चले गए वह वैन का नंबर नहीं देख पाया"
पठान सब्जी मंडी की उन दुकानों को जानता था जहां से रजिया और उसकी मां अक्सर सब्जी ले जाया करती थीं। हीरा और पठान ने उन सब्जी वालों से मुलाकात की और उन अनजान व्यक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
पठान रघु का नाम सुनकर आश्चर्यचकित रह गया रघु राजा का खास आदमी था।
उधर एसीपी राघवन ने पूरे सलेमपुर की नाकाबंदी कर दी थी रजिया को अगवा करने वाले गिरोह का सलेमपुर से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन था यह निश्चित था की रजिया को सलेमपुर के अंदर ही कहीं रखा गया था पर कहां और किसने?
पठान और हीरा वापस लाल कोठी आ चुके और भागते हुए राजा के पास पहुंचे….
राजा गुस्से से आगबबूला हो गया
"मादरचोद….. उसकी इतनी हिम्मत"
राजा ने गुस्से से कांपते हाथों से रघु को फोन लगाया...
रघु का फोन स्विच ऑफ था।राजा ने रघु के खास दोस्त को भी फोन लगाया पर उसका भी परिणाम वही था।
राजा के दिमाग में तरह तरह के ख्याल आने लगी कहीं जोरावर भैया की हत्या में रजिया तो शामिल नहीं थी?
कहीं रघु और उसके साथियों ने मिलकर रजिया को इस बात के लिए इस्तेमाल तो नहीं किया?
पर जोरावर भैया की हत्या से रघु का क्या वास्ता?
राजा का दिमाग घूम रहा था परंतु वह किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाने की स्थिति में नहीं था वह अपना सर पकड़ कर सोफे पर बैठ गया पठान और हीरा बिना उसके निर्देश का इंतजार किये वापस आ गए उन्हें पता था उनका एकमात्र कार्य उस हरामखोर रघु को ढूंढना था उनकी जीप एक बार फिर लालकोठी को छोड़कर सलेमपुर शहर में प्रवेश कर रही थी। पठान लगातार अपने लोगों को फोन कर रहा था।
उधर एसीपी राघवन के फोन की घंटी बज उठी...
"सर वह मारुति वैन का पता चल चुका है अपहरणकर्ता उसे महात्मा गांधी स्टेडियम के पास छोड़कर कहीं चले गए हैं और उनका सरगना रघु नाम का एक व्यक्ति है जो राजा भैया के बेहद करीब का व्यक्ति है हम लोग उन्हें खोजने में लगे हुए हैं "
एसीपी राघवन का दिमाग एक बार फिर घूम गया था क्या राजा ने ही रजिया का अपहरण कराया था? क्या जोरावर सिंह की हत्या में रजिया शामिल थी? क्या उसने राजा के कहने पर जोरावर सिंह की हत्या की थी? और अब खुद राजा ने उसका अपहरण करा दिया था. या फिर जोरावर ने रजिया को भी अपनी हवस का शिकार बना लिया था और रजिया ने बदला लेने के लिए जोरावर की हत्या कर दी थी।
सवाल कई थे पर जवाब देने वाला कोई नहीं था एसीपी राघवन को ही वह जवाब ढूंढना था …..
Bahut hi khubsurat update tha bhai,,,,,
Talaashi ke dauraan aalmari se jo cheeze praapt huyi usse jorawar ke kharaab charitra ka pata chalta hai kintu is baat par bhi sandeh hai ki kya sach me jorawar ka charitra aisa tha ya fir koi jaan bujh kar use is tarah se fasa raha hai. Khair ye to baad me hi pata chalega. Rajiya ko agwa kiya gaya hai, raja ko jab is baat ka pata chala to usne fauran hi apne aadmiyo ko uski khoj me laga diya. Pata chala ki rajiya ko agwa karne wala Raghu hai jo ki raja ka hi khaas aadmi hai. Raghu ke dwara rajiya ko agwa kiye jane ki baat se raja gusse me to hai kintu sawaal hai ki uska gussa jaayaz hai ya fir wo dikhawa kar raha hai. Behtareen update bhai...aage ka intzaar rahega,,,,,