जैसा की आपने पढा मैने रात को गलती से मेरी भाभी की जगह सुमन दीदी को पकङ लिया था जिसका डर व शरम के कारण उसने भी इतना विरोध नही किया था बस वो मुझसे छुङाने का ही प्रयास करती रही।...
अब अगले दिन सुबह मैं बिना नाश्ता किये ही जल्दी स्कूल चला गया था इसलिये घर में मेरी किसी से भी बात नहीं हुई। मगर दोपहर को जब स्कूल से आया तो मेरे दिल में हल्का सा डर था, कहीं सुमन दीदी ने रात वाली बात किसी को बता ना दी हो?
खैर ऐसा कुछ नहीं हुआ, सब कुछ सामान्य ही रहा और सुमन दीदी का व्यवहार तो ऐसा था जैसे कल रात के बारे में उसे कुछ पता ही नहीं। सुमन दीदी को देख अब मै भी आश्वस्त हो गया..
अब इसी तरह तीन दिन गुजर गये जो वैसे तो बिल्कुल सामान्य ही रहे मगर पता नहीं क्यों सुमन दीदी के प्रति मेरी सोच को अब क्या हो गया की वो मुझे बहुत ही खूबसूरत लगने लगी थी।
सुमन दीदी को गाँव से आये हुए अभी एक हफ्ता ही हुआ था और हफ्ते भर में ही उनका रंग रूप काफी निखर गया था, ऊपर से वो मेरी भाभी के सलवार सूट पहनती थी जो उस पर इतने खिलते थे की उनको देखकर कोई कह ही नहीं सकता यह गाँव की वही सामान्य सी दिखने वाली लड़की है।
बिल्कुल गोल चेहरा, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, पतले और सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बी सुराहीदार गर्दन, हाँ उनकी चुँचियाँ मेरी भाभी के मुकाबले में थोङी छोटी थी मगर उसमें काफी कटाव व कसाव था।
सुमन दीदी का लम्बा कद, बिल्कुल पतली सी कमर और उसके नीचे भरे हुए माँसल गुदाज नितम्ब व जाँघें! किसी फिल्मी अभिनेत्री से कम नहीं थे बस कुछ समय की दरकार थी।
अभी तक मैंने सुमन दीदी को कभी ऐसे नहीं देखा था। पता नही सुमन दीदी सही में इतनी खूबसूरत हो गई थी, या फिर उस रात के बाद मुझे ही ऐसा लगने लगा था।
वैसे सुमन दीदी मेरी कोई सगी बहन नही थी वो तो बस सुमन उनका नाम था और दीदी इसलिये क्योंकि उम्र मे वो मुझसे बङी थी..!
सुमन दीदी के पापा मेरे सगे चाचा तो नही थे मगर उनके और हमारे परिवार के बीच काफी करीबी सम्बन्ध रहे है। इसलिये सुमन दीदी के बारे मे मैने सपने मे भी ऐसा नही सोचा था मगर पता नहीं क्यों मैं अब उनके प्रति आसक्त सा होता जा रहा था और दिल ही दिल में उनको हासिल करने कल्पनाए सी करने लगा था।
मैंने अपने आप को अब समझाने की भी काफी कोशिश की मगर जब मुझसे रहा नहीं गया तो आखिरकार मैंने सुमन दीदी को पाने के लिये एक योजना बना ली। और इसके लिये सबसे पहले मैंने अपनी भाभी को सामिल किया।
वैसे तो मेरी बात सुनकर अब एक बार तो मेरी भाभी भी काफी गुस्सा हो गयी थी। मगर फिर कैसे भी करके आखिरकार मैने उन्हे मना ही लिया और वो मेरा साथ देने को तैयार हो गई....