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Incest एक हसीन गलती..?

Chutphar

Mahesh Kumar
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बहुत ही बढ़िया कहानी है आपकी।।।

हल्की पसीने और सुमन दीदी के बदन की सौँधी सौँधी सी महक।

बाहर आसमान से बारीश और अंदर सुमन दीदी के जिस्म की बारिश माहौल को कामुक बना रही थी।
और हथियार अंदर जाने पर
सुमन दीदी की जोरदार चीख इतनी जो जोरदार बारिश में दबकर रह गई।
क्या कहावत कही है आपने "अनाड़ी से चुदवाना मतलब चूत का सत्यानाश करवाना

वाह मज़ा आ गया।
लेकिन आपने कहानी इतनी जल्दी समाप्त कर दी
ये जानकर मज़ा नहीं आया।
जहाँ तक मेरा मानना है कहानी जिस कारण बनती है और कैसे व किस तरह बनती उसी का वर्णन होना चाहिये बाकी की बकवास बाजी कहानी को बोर बना देती है।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
379
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बहुत ही बढ़िया कहानी है आपकी।।।

हल्की पसीने और सुमन दीदी के बदन की सौँधी सौँधी सी महक।

बाहर आसमान से बारीश और अंदर सुमन दीदी के जिस्म की बारिश माहौल को कामुक बना रही थी।
और हथियार अंदर जाने पर
सुमन दीदी की जोरदार चीख इतनी जो जोरदार बारिश में दबकर रह गई।
क्या कहावत कही है आपने "अनाड़ी से चुदवाना मतलब चूत का सत्यानाश करवाना

वाह मज़ा आ गया।
लेकिन आपने कहानी इतनी जल्दी समाप्त कर दी
ये जानकर मज़ा नहीं आया।
वैसे तारिफ के लिये शुक्रिया..
 
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बहुत ही बढ़िया कहानी थी । परंतु इस कहानी को इतनी जल्दी समाप्त करने कि बजाय आगे बढ़ाना चाहिए था
 

Napster

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बहुत ही बेहतरीन और कामुक,गरमागरम, और धमाकेदार अंत किया है भाई कहानी का :adore:
मजा आ गया :applause:
 

Siraj Patel

The name is enough
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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 
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andyking302

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जैसा की‌ आप‌ने पढा बिजली ना होने‌ के‌ कारण मैने अन्धेरे का‌ फायदा उठाकर अपनी भाभी को पकङ‌ लिया था मगर जैसे ही मैने‌ उनकी चुँचियो को हाथ लगाया मुझे उनकी चुँचियाँ कुछ छोटी व मेरी भाभी के मुकाबले काफी कसी हुई सी महसूस हुई..

तभी मेरे दिमाग मे‌ये सवाल कौँध गया की‌ कही ये सुमन दीदी‌ तो नही..? क्योंकि आज मुझे भाभी का व्यवहार भी कुछ अजीब ही लग रहा था, पहले जब कभी मैं भाभी को चुमता था तो वो हमेशा मेरा साथ देती थी मगर आज वो साथ देने की बजाय कसमसा रही थी और काफी घबरा भी रही थी।

मेरे दिमाग अब ये बात आते ही मैं बुरी तरह घबरा गया...! मेरा हाथ अब जहाँ था वहीं के वहीं रूक गया तो मेरे होठो ने भी उनके होठो को चुशना बन्द कर दिया....

मेरी भाभी की व सुमन दीदी की लम्बाई एक समान ही थी और उस दिन दोनों ने ही सलवार सूट पहन रखा था इसलिये अन्धेरे में मैं पहचान नहीं सका कि ये मेरी भाभी है या सुमन दीदी...?

चलो मैंने तो गलती से सुमन दीदी को पकड़ लिया था।
पर सुमन दीदी....?
सुमन दीदी भी तो कुछ बोल नहीं रही थी। मेरा तो ठीक है पर वो तो बोल सकती थी..?

पर शायद सुमन दीदी इस वजह से शर्मा रही थी की, अगर वो कुछ कहेगी तो मैं ये, जान जाऊँगा की उसे मेरे और मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में पता है और उस दिन उन्होने मुझे व भाभी को देख लिया था...

वैसे भी सुमन दीदी बहुत डरपोक तो थी ही, उपर से मैने उन्हे कुछ बोलने का मौका भी तो‌ कहाँ दिया था.? जब से उन्हे पकङा था तब से ही मै उनके होठो को चुशे ही जा रहा था...?

सुमन दीदी अभी भी वैसे ही मेरी बाँहो मे कसमसा सी रही थी। मुझे पता तो चल गया था की ये पायल भाभी नही बल्कि सुमन दीदी है मगर फिर मै अब कोई फैसला नही कर पा रहा था की सुमन दीदी को छोड़ दूँ या फिर पकड़े रहूँ?

क्योंकी इतना सब करने के बाद मैं अब अगर उनको छोड़ देता हुँ तो वो भी समझ जायेगी की मैंने उन्हे क्यों छोड़ दिया, और नही छोङु तो करु क्या..? सुमन दीदी के जैसी ही स्थिति में अब मै भी फँस गय था...?

इस असमंजस की स्थिति के बीच, पता नही क्यो ये जानकर की, ये मेरी भाभी नही बल्की सुमन दीदी है और डर व शरम के कारण वो कुछ बोल नहीं रही, तो बहुत ही रोमाँचित सा भी लग रहा था।

मेरे दिमाग में अब एक साथ अनेक विचारों का भूचाल सा मच रहा था और रह रह कर सुमन दीदी के प्रति मेरी वासना सी भी जोर मारने‌ लगी थी।

दरअसल मैं अब सोच रहा था कि अगर सुमन दीदी डर व शरम की वजह से कुछ बोल नहीं रही है तो क्यों ना मैं अब इसी बात का फायदा ही उठा लूँ...?

अब सुमन दीदी को पकङे पकङे मै कुछ देर तो ऐसे ही खङा रहा, फिर आखिरकार वासना मेरे विचारों पर भारी पड़ गयी और अपने आप ही मेरे हाथों की पकड़ सुमन दीदी के चुँची पर फिर से कसती चली गई।

सुमन दीदी के होंठों को भी मैने अब फिर से चुशना शुरु कर दिया था मगर पहले के चुशने मे और अब मे थोङा अन्तर था। अबकी बार मै उनको थोङे प्यार से चुश रहा था जिसका सुमन दीदी विरोध तो नहीं कर रही थी मगर अब भी वैसे ही कसमसाये जा रही थी।

मै अब आगे कुछ करता की तभी बाहर से किसी की आहट सी सुनाई दी, शायद ये मेरी भाभी थी। मुझसे छुङाने के लिये सुमन दीदी तो जैसे अब छटपटा ही पङी।

मैं भी नहीं चाहता था की सुमन दीदी को या मेरी भाभी को कुछ पता चले इसलिये सुमन दीदी को छोड़कर मै अब उनसे अलग हो गया। और सुमन दीदी भी मुझसे छुटते ही जल्दी से ड्राईंगरूम से बाहर निकल गई।

अब सुमन दीदी तो चली गयी मगर मेरे अन्दर हवस का एक तूफान सा छोङ गयी जिसे उस रात मैंने दो बार मुठ मारकर शाँत किया तब जाके कही मुझे नींद आ सकी।
जबरदस्त
 

andyking302

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सुमन दीदी की चुत पर मेरा अब पूरा अधिकार हो गया था इसलिये मैंने भी धीरे धीरे चुत को सहलाते हुए उसका मुआयना सा करना शुरु कर दिया जिसका सुमन दीदी ने भी अब इतना विरोध नहीं किया..

बिल्कुल छोटी सी ही चुत थी सुमन दीदी की। जिस पर मुझे बिल्कुल छोटे छोटे और नर्म मुलायम से बाल महसूस हो रहे थे। शायद सुमन दीदी ने उन्हें हफ्ते दस दिन पहले ही साफ किया था इसलिये बाल ज्यादा बङे नही थे।

सुमन दीदी की चुत वैसे तो छोटी सी ही थी मगर काफी फ़ूली लग रही हुई थी। चुत के फुलाव के‌ कारण उसकी फाँके थोङा खुली हुई थी... उनकी चुत के उभार व चुत की लाईन से ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मिट्टी की ढेरी को बीचों बीच उंगली से रेखा खींचकर दो बराबर भागो मे बाँट रखा हो।

मै अब कुछ देर ऐसे ही सुमन दीदी की चुत का मुवाईना सा करता रहा फिर अपनी बीच की उँगली से धीरे धीरे चुत की दरार को सहलाना शुरू कर दिया...जिससे उनकी चुत की नमी अब बढती चली गयी और अपने आप ही सुमन दीदी की जाँघो के बीच का दायरा भी बढ़ गया...

मेरी उंगली चुत की दोनों फाँको के बीच चुत के उपरी भाग से लेकर नीचे उसके प्रवेशद्वार तक चल रही थी और ऐसा करते हुए जब भी मेरी उंगली उनकी चुत के अनारदाने को छूती....

सुमन दीदी का पूरा बदन ऐसे झटका सा खाता जैसे उन्हें कोई करेंट लगा हो, और ना चाहते हुए भी उसके मुँह से दबी जुबान में एक हल्की कराह सी फ़ूट पड़ती।

सुमन दीदी अब कसमसा तो रही थी मगर मेरे हाथ को अपनी चुत से हटाने का प्रयास बिल्कुल‌ भी नहीं कर रही थी। उसे भी अब मजा आ रहा था इसलिये मेरे हाथ को वो वैसे ही पकङे पकङे बस हल्का हल्का सिसक सी रही थी।

शायद वो अब कुछ ही देर में वो अपनी ज़िंदगी में पहली बार कामरस छोड़ने के मुकाम तक पहुँच जा पहुँची थी। मैं भी तो यही चाह रहा था की ऐसे ही उनकी चुत का पहला पानी निकाल दूँ जिससे उसे भी इस खेल का कम‌से कम थोड़ा बहुत स्वाद तो मिले..!

मैंने उनकी चुत पर अपने हाथ के साथ साथ अब उनके होठो पर अपने होंठों का दबाव भी बढ़ा दिया, बल्कि अब मैं उनके होठो को अपने दांतों से हौले हौले काटने ही लगा था जिससे तेज-तेज सांसों के साथ सुमन दीदी के मुँह से ना चाहते हुवे भी हल्की हल्की सिसकारियाँ भी निकलना शुरु हो गयी..

अब चंद ही लम्हे गुजरे होँगे की सुमन दीदी के बदन का तापमान एकदम से बढ़ गया। साँसे भी जोरो से फुल गयी तो उनका बदन भी झटके से खाने लगा...

मैं समझ गया की सुमन दीदी की चुत बस अब अपना पानी छोड़ने ही वाली है इसलिये मैने उनके शरीर को अब अपने शरीर के भार से दबा लिया और उनकी चुत को कस कस के भीँचना और मसलना शुरु कर दिया..

सुमन दीदी‌ भी अब एक बार तो जोरो से कसमसाई फिर उनका पुरा बदन अकङता चला गया... अब इसी के साथ उनकी चुत ने भी रह रह कर मेरे हाथ पर ही छोटी छोटी पिचकारीँया सी मारते हुवे कामरश उगलना शुरु कर दिया जिससे मेरा हाथ के साथ साथ उनकी पेंटी तक भीगती चली गयी...
जबरदस्त
 

andyking302

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अपना सारा कामरस मेरे चेहरे पर उगलने के बाद सुमन दीदी अब अपने पैरो को समेटकर दीवार के सहारे खङी हो गयी थी। मगर लगातार दो बार यौवन रस खाली होने से उनके दोनों जांघें रिक्त सी हो गयी थी जिससे उसके पैर अब थरथरा गये..

सुमन दीदी बड़ी जोर से हांफती हुई दीवार के सहारे खड़ी रहने का प्रयास कर रही थी मगर उनके पैरो की कंपकपी थम ही नहीं रही थी। हो सकता है उन्होने अपनी उँगली या किसी अन्य माध्यम से ऐसा कुछ किया भी हो..?

मगर अपनी जबान‌ से इस तरह आज ज़िंदगी में पहली बार किसी ने उन्हे स्खलित करवाया था। उन्हे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था की सेक्स की पराकाष्ठा (चरम सीमा) क्या होती है।
जबरदस्त
 

andyking302

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सुमन दीदी को शायद अब मजा आने लगा था क्योंकि उनकी सांसें अब फिर से गर्म व गहरी होने लगी थी। उनके जो हाथ अभी तक मेरी कमर को पकड़े हुए थे वो भी अब मेरी पीठ पर आ गये थे और धीरे धीरे मेरी पीठ पर रेंगने से लगे थे।

सुमन दीदी को देख मैंने भी अब अपने धक्कों की गति को थोड़ा सा बढ़ा दिया जिससे उनके मुँह से अब हल्की हल्की कराहे सी फ़ूटना शुरु हो गयी और नीचे से उनके नितम्बो ने भी हल्की हल्की झुम्बीस सी करनी शुरु कर दी...

सुमन दीदी अब पुरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी क्योंकि पहली बार, अब पहली बार वो मेरी जीभ को भी हल्का हल्का अपने होंठों के बीच दबाने लगी थी।

मैंने भी अब अपनी जीभ को थोड़ा जोर से उनके मुँह में दबा दिया जिससे सुमन दीदी पहले तो हल्का सा कसमसाई मगर फिर धीरे से उसने भी अपने दाँतो को खोल दिया..

अब मै तो था ही इस‌ मौके की फिराक मर, मैने भी अपनी पुरी जुबान उने मुँह मे उतार दिया जिसे सुमन दीदी ने भी अब कभी कभी हल्का हल्का सा चूसना शुरु कर दिया...

सुमन दी ने अपनी टांगो को भी अब उपर उठाकर मेरे पैरों पर रख लिया था और मेरे साथ साथ ही वो भी अपनी कमर को धीरे धीरे हिलाने लगी‌ थी। अब सुमन दीदी‌ को‌ मजा‌ लेते देख मैने भी धीरे धीरे अपने धक्कों की गति के साथ साथ उनका माप बढ़ा दिया..

मेरा आधे से ज्यादा लण्ड सुमन दीदी की चुत में तो था मगर अभी भी एक चौथाई बाहर था इसलिये प्रत्येक धक्के के साथ मै अब धीरे धीरे उसे भी अन्दर घुसाने लगा...

अब हर बार मेरा लण्ड पूरा बाहर आता और पूरे वेग से अन्दर प्रविष्ट होता। और हर प्रहार में पिछली बार के मुकाबले अब ज़्यादा अन्दर जा रहा था जिससे मेरे हर एक धक्के के साथ सुमन दीदी भी अब उऊऊ… हूहूहूहू… उऊऊ… हूहूहूहूहू… करने लगी...

वैसे तो इतनी देर में मेरा लण्ड सुमन दीदी की चुत में पूर्णतया घर कर गया होता पर सुमन दीदी की नयी नवेली चुत बहुत अधिक तंग थी जो की मेरे लण्ड को कुछ ज्यादा ही घर्षण प्रदान कर रही थी, मगर इस घर्षण से उस समय मुझे जो मजा मिल रहा था उस आनन्द की कोई सीमा नहीं थी।

सुमन दीदी भी अब खुलकर मेरा साथ दे रही थी। क्योंकि उन्होने अपनी टांगों से मेरी दोनो जाँघो को घेरकर मेरे धक्को की ताल से ताल मिला ली थी और मुँह से अद्भुत आवाजें निकालकर मेरा जोश बढाये जा थी।

सुमन दी के मुँह को मैंने अपनी जीभ व होंठों से बन्द कर रखा था मगर फिर भी वो "उहऊऊ… उहऊऊ… उहऊऊ… उहूऊ…" करके जोर से कुहक सी रही थी और उनकी इस कुहक से वो पूरा कमरा अब गुँज सा रहा था।

सुमन दीदी की सांसें भी काफी तेज हो गई थी तो उन्होने मेरे होंठों व जीभ को भी अब जोरो से चुसना चाटना शुरु कर दिया था। अब सुमन दीदी का साथ पाकर मैंने भी अपना पौरुष दिखाने की सोची और अपने धक्को की गति को और भी तेज कर दिया..

मैने अब अपनी पुरी तेजी व ताकत से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे जिससे मेरे साथ साथ अब सुमन दीदी ने भी तेजी से अपने कूल्हे उचकाने शुरु कर दिये, एक निश्चित लय और ताल के साथ हम दोनों ही ये धक्कमपेल कर रहे थे जैसे हम दोनों में कोई होड़ सी मच गयी हो...

बाहर बारिश से मौसम सर्द हो गया था मगर फिर भी हम दोनों के शरीर पसीने से भीग गये थे। हमारी सांसें भी अब फ़ूल आई थी मगर फिर भी हम दोनो मे से कोई भी हार मानने को जैसे तैयार नही था...

सुमन दीदी का तो मैने पहले भी दो बार रसखलित करवा दिया था इसलिये उसकी मंजिल अभी दुर थी मगर मेरा आत्म नियंत्रण अब अपनी सीमा के समीप पहुँच रहा था।

मैने अपने आप को बहुत देर से संभाला हुआ था मगर अपने स्खलन के पहले मैं अब सुमन दीदी को चरमोत्कर्ष तक पहुँचाना चाह रहा था इसलिये तेजी से धक्के लगाते हुवे मैंने अब अपने दोनों हाथों से उसके संवेदनशील अंगों को भी रगड़ना मसलना शुरु कर दिया...

मैं अपने दोनों हाथ सुमन दीदी के कुल्हो पर ले आया और उन्हें कूल्हों के नीचे से घुसाकर सुमन दीदी को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया। अब तेजी से धक्के लगाते हुए मैं सुमन दीदी के कूल्हों को भी मसल रहा था, साथ ही नीचे से उनके गुदा द्वार को भी उंगलियों से सहलाने लगा।

अब तो सुमन दीदी जैसे पागल ही हो गयी। क्योंकि मेरे साथ जोरों से अपने कूल्हे उचकाते हुवे वो अब मेरी जीभ व होंठों को नोचने काटने लगी... और फिर कुछ ही देर बाद अचानक उनका पुरा बदन थरथरा गया...

वो अब बड़ी ही जोर जोर से.....
"इईई…श्श्श… अआआ… ह्हहाहाँ…
इईईई… श्शश्श…अआआ… ह्हहाहाँहा....
इईईई… श्शशश… अअआआ… ह्हहाहाँहा...."
की किलकारियां सी मारते हुवे बेल की तरह मुझसे लिपटती चली गयी और उनकी चुत से एक धारा सी फूटी जो की मेरे लण्ड को नहलाती चली गयी...

अब कुछ देर ऐसे ही सुमन दीदी मुझसे लिपटे लिपटे अपनी चुतरस से मेरे लण्ड को प्यार की सेक देती रही। फिर जब उनका सार प्रेमरश खत्म हो गया तो धम्म से बिस्तर पर ऐसे गिर गयी जैसे की वो मूर्छित हो गयी हो।

%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%

सुमन दीदी का ये कामोन्माद देख कर अब मेरा नियंत्रण भी टूट गया और तीन चार संपूर्ण वार के साथ ही मैंने भी मोक्ष की प्राप्ति कर ही ली। मैने एक "आह्ह्.." के साथ अब अपनी सारी कामनाएं सुमन दीदी की चुत में ही उड़ेल दी और फिर थक कर खुद भी उनके उपर ही गिर गया।

काफी देर तक हम दोनों अब ऐसे ही पड़े रहे फिर धीरे धीरे सुमन दीदी में हल्की सी चेतना आई, उन्होने दोनों हाथों से धकेल कर पहले तो मुझे अपने ऊपर से नीचे गिराया फिर उठ कर बिस्तर पर बैठ गयी।

मैं समझ गया की सुमन दी को अब क्या चाहिये..? अन्धेरे में कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर फिर भी धीरे धीरे हाथों की सहायता से मैं अलमारी तक पहुंचा और टॉर्च निकाल कर जला ली।

टॉर्च की रोशनी होते ही सुमन दीदी जल्दी से अपने हाथ पैर समेट कर बैठ गई मगर फिर भी उनकी हालत स्पष्ट नजर आ रही थी, उसकी दोनों जांघें खून से लथपथ थी तो बिस्तर पर भी काफी खून गिरा हुआ था।

खैर टॉर्च की सहायता से मैंने अब सुमन दीदी के कपड़े तलाश कर उन्हे दे दिये। अब कपङे मिलने पर भी सुमन दीदी ने उन्हा पहना नही। वो उन्हे पहने की बजाय वही लेकर बैठ गयी...

मैंने अब उनसे पूछा तो, उन्होने कुछ बताया तो नहीं मगर मेरे हाथ से उस टॉर्च को छिनकर उसे बन्द करके रख दिया.. टाॅर्च के बन्द होते ही सुमन दीदी ने अब जल्दी से अपने कपङे पहने और चुपचाप बाहर चली गयी।

शायद वो नंगी थी इसलिये शरमा रही थी। खैर सुमन दीदी जाने‌ के बाद मैने भी अपने‌‌ कपङे पहने और सो गया।

अब इसके बाद तो सुमन दीदी जब तक हमारे घर में रही तब तक मैंने काफी बार उनसे सम्बन्ध बनाये।पहले तो एक दो बार उन्होने मना किया मगर फिर बाद मे तो वो खुद ही मौका पाकर मेरे पास आ जाती। इसमे मेरी भाभी ने हमारा बहुत साथ दिया।


मेरा व सुमन का रिश्ता इतना गहरा हो गया था की सुमन दीदी जब वापस गाँव जाने लगी तो जोर से रो पड़ी, हालत तो मेरी भी कुछ ऐसी ही थी मगर…?

समाप्त !!
जबरदस्त
 

Siraj Patel

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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