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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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Sumit1990

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Excellent very hot good update...... Please continue aur last me aur GIF add karo please
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-34

योनि सुगम- गर्भाशय में मौजूद फाइब्रॉएड



मैंने महसूस किया कि गुरूजी का लंड मेरी योनि में लम्बा और मोटा हो रहा था और साथ-साथ उसके अंदर सख्त होता जा रहा था। मैंने अपने दोनों नितम्बो को थोड़ा-सा फैलाया और बहुत धीमे से आह करते हुए कराहने लगी।

गुरु जी ने कर्कश स्वर में कहा और जल्दी से मेरी नंगी जांघों को फैला दिया और मेरे दोनों घुटनों को मेरे दोनों कंधों पर छूने के लिए ऊपर धकेल दिया। मैं अच्छी तरह से महसूस कर सकता था कि मैं चुदाई के लिए तैनात हो रहा था और ईमानदारी से कहूँ तो मुझे इसकी सख्त जरूरत थी। मेरा पूरा शरीर किसी चीज की तरह दर्द कर रहा था। गुरु जी ने मेरे नितम्बों के नीचे एक तकिया रख दिया और मेरी बालों वाली चुत को ऊपर धकेल दिया। मैंने इधर-उधर देखा कि चार जोड़ी प्यासी आँखें मेरी फैली हुई चूत को देख रही थीं। मैं गद्दे पर लेटा हुआ बिल्कुल भद्दा और सस्ता लग रहा होगा, लेकिन फिर भी उन पुरुषों के लिए इतना रोमांचक!


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गुरु-जी ने एक सेकंड भी बर्बाद नहीं किया और अपने विशाल धड़कते हुए लंड को मेरी योनि के द्वार पर रख दिया और लंड को मेरे छेद में धकेलना शुरू कर दिया। मैं अपनी चूत में उस बड़े, मोटे, पोषित लंड को पाने के लिए इतना उत्साहित था कि मैंने गुरु जी को उनके गाल पर चूम लिया।

मैं:-आआआआ हा, आआआआजा, आईसीईई!


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मैं परमानंद में चिल्लायी क्योंकि उन्होंने धीरे-धीरे अपने खड़े राक्षसी लंड को मेरी योनि में धकेल दिया था। यह पहली बार था जब मैं अपने पति के अलावा किसी और पुरुष से चुदाई कर रही थी! यह एक "पाप" था जिसे मैं जानती थी, लेकिन न तो मेरा दिमाग और न ही मेरा शरीर उस पर बहस करने की स्थिति में था। उस विशाल लिंग के अधिक से अधिक को समायोजित करने के लिए मैंने उत्सुकता से और कराहते हुए अपने कूल्हों को उठा लिया।

गुरजी ने कराह को अनसुना करते हुए एक छोटा-सा धक्का लगाया तो अब मैं ज़ोर से चिल्लाई। फिर गुरूजी मेरे ऊपर झुके और मेरे लिप्स पर किस करते हुए मेरे मुँह को बंद किया और जैसे उन्होंने शुरू किया था, एक छोटा धक्का दिया और उसके बाद तेज धक्के के साथ अपने लंड के सिर को उसकी योनी में पूरा धकेल दिया और फिर थोड़ा पीछे हटकर उसे और भी आगे उस अविश्वसनीय रूप से तंग, गर्म छेद में घुसा दिया और मैं एक कुंवारी की तरह रो और कराह रही थी, झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर कर रही थी उससे गुरूजी को लगा कि अब मैं इसे ज्यादा देर तक नहीं झेल पाउंगी।

गुरूजी-ओह! बहुत टाइट है!



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दूसरे धक्के ने लंडमुंड को धीरे से थोडा पीछे और फिर अन्दर की ओर बढ़ाया लेकिन चूत बहुत टाइट थी और गुरूजी का मोटा मूसल लंड आराम से अंदर जा नहीं रहा था। फिर गुरूजी ने एक कस कर जोर लगाया मैं कराहने लगी

मैं:-दर्द के मारे मैं मर जाउंगी। गुरूजी हा, आआआआजा, आईसीईई,। आआआआ! और ज़ोर से मत करो बहुत दर्द हो रहा है, उउउईईईई! माँ, आहहहाँ!

गुरूजी ने मेरे ओंठो को अपने ओंठो में दबाया और पूरी ताकत के एक धका लगा दिया "ओह गुरूजी" मेरे मुह से निकला। मेरे स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी और गुरूजी का गर्र्म, आकार में बड़ा लिंग मेरी योनि में घुस गया। लिंग अन्दर और अन्दर चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ अन्दर तक चला गया था। गुरूजी का बड़ा लिंग अब योनि के उस क्षेत्र में हगस गया था जाह्न कभी मेरे पति का लिंग नहीं जा पाया था लेकिंन अभी भी लिंग योनि में पूरा नहीं गया था । गुरूजी ने नीचे देखा की उनका लिंग अभी भी थोड़ा-सा बाहर था।

मैं:-उह्ह्ह गुरूजी आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई हो रहा है!


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गुरूजी का लंड जब योनी में गहराई से फिसल गया तो मैं दर्द में चीख उठी क्योंकि बड़े लिंग के अंदर जाने से मेरे शरीर में तेज दर्द हुआ। जब योनि की चुदाई ऐसे मूसल लंड से की जाए तो वह वास्तव में एक असामान्य लड़की ही होगी जिसकी योनि की भीतरी मांपेशियों बड़े लंड के प्रवेश के कारण कसकर फैल न जाए। गुरूजी के बड़े और चौड़े सिर वाला लंड मेरी योनि की कोमल दीवारों में गहरा गया। यहाँ तक की अब मैं गुरूजी के लिंग को अपनी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी। लिंग मेरी की चिपकी हुई योनि की मांसपेशियों को बल पूर्वक अलग कर आगे आ गया था।



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गुरूजी-रश्मि! अब मेरा लिंग आपके गर्भाशय में मौजूद फाइब्रॉएड के पास पहुँच गया है। अन्दर अवरोध महसूस होने लगा है। इस फाइब्रॉएड की वजह से ही अप्पको गर्भ धरण करने में परेशानी हो रही है । ये योनि की मांसपेशियो का वह भाग है यो अनियमित तौर पर विकसित हुआ है और जो मुझे आपकी श्रोणि परीक्षा के दौरान महसूस हुए थे और गर्भाशय से पहले दिखाई दिए हैं। वे गर्भाशय की मांसपेशियों से ही बने होते हैं। वे गैर-कैंसर वाले और बेहद सामान्य हैं। अब इनके निदान का समय आ गया है। आपको थोड़ा दर्द होगा ।

गुरूजी एक बार फिर मैं पीछे हुए और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया। मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया उठा और फिर से धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर एक इंच और अंदर चला गया था। अगली बार के धक्के में मैंने थोडा दवाब बढ़ा दिया। मेरी साँसे जल्दी-जल्दी आ रही थीं।

गुरूजी ने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लंड को बाहर खींचा और एक धका और लगाया लंड फिर पूरा अंदर समां गया।और उस अवरोध को ध्वस्त करते हुए गर्भशय के द्वार से टकराया ...जिससे मेरे शरीर में बहुत तेज दर्द हुआ जैसे योनि को लंड ने फाड़ डाला हो । ये उस दर्द से बहुत अधिक था जो मुझे अपने पति के साथ सुहागरात में मेरी कौमार्य की झिली फटने पर हुआ था ।

जैसे-जैसे गुरूज का लंड मेरी योनि में आगे गया था मैं दर्द अनुभव करते हुए गुरूजी के लंड को महसूस कर रही थी। गुरूजी के मूसल लंड का हर उभार, हर हलचल मेरी योनि और मेरे दिमाग में दर्ज हो गई। मेरी योनि गुरजी के लंड के प्रति अत्यधिक सचेत हो गई और एक पल में ऐसा लगा कि मेरा पूरा शरीर एक अति संवेदनशील योनी में बदल गया है कि वह पूरी तरह से गुरूजी के मूसल बड़े और मोठे लंड से भर गयी।


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मैं: गुरूजी प्लीज निकालो इसे! बहुत दर्द हो रहा है, मैं दर्द से मर जाऊँगी। प्लीज निकालो इसे!

मेरी आँखों से आंसू निकल आये। पहले मजा आया फिर मजा दर्द में बदला । दर्द जो पीड़ा में बदला और उसके साथ यौन उत्तेजना के बड़े और तेज झटके आए। लिंग को मैंने अपनी योनी रस ने भिगो दिया था और गुरूजी ने मुझे लिप किस करना शुरू कर दिया और काफी देर तक लिप किस करते रहे ।

मेरे मुँह से दर्द भरी परन्तु उत्तेजनापूर्ण आवाजें निकलने लगीं। फिरमैं दर्द के मारे कराहने लगी आहहहहह! गुरूजी बहुत दर्द हो रहा है और दर्द से छटपटाने लगी। गुरूजी ने मुझे धीरे-धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया ।

गुरूजी:-रश्मि घबराओ मत कुछ नहीं हुआ है थोड़ा देर में सब ठीक हो जाएगा। ओह! बहुत टाइट है


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मैं-प्लीज! गुरूजी अगर मेरा इलाज हो गया है तो इसे बाहर निकाल लीजिए। मैं मर जाऊँगी, बड़ा दर्द हो रहा हैl" और ऊऊऊll आईईईll की आवाजें निकालने लगी। उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! गुरूजी बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज इसे बाहर निकल लो। बस एक बार बाहर निकाल लीजिये। मुझे लग रहा है मेरी फट गयी है और ये आपका लंड अंदर और बड़ा होता जा रहा है, प्लीज गुरूजी इसे निकालो। आह! ओह्ह्ह! प्लीज बहुत दर्द हो रहा है। मैं दर्द से मर जाऊँगी, प्लीज! निकालो इसे!

मेरी आँखों से आँखों से आंसू की धरा बाह निकली। मैं चटपटा रही थी सर इधर उधर पटक रही थी । हाथ से गुरूजी को धक्का मार अलग करने का प्रयास कर रही थी । लेकिन गुरूजी बड़े और मजबूत बदन के मालिक थे मैं बस छटपटा कर रह गयी और उनसे फिर बिनती की ।

मैं:-प्लीज! गुरूजी इसे बाहर निकाल ले।

गुरूजी मेरे उन आंसूओं को पी गए मुझे चूमा और पुचकारा।

गुरूजी:-बेटी अभी निकाल लूँगा तो तुम्हारा इलाज पूरा नहीं होगा! मन्त्र जाप करो और बस थोड़ा-सा बर्दाश्त कर लो।

मेरी चूत बहुत टाइट थी और फिर योनि की मांसपेशिया फैली और गुरूजी के विशाल मुसल लंड के आसपास कस गयी। मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर अपने आप को थोड़ा पीछे खींचने की कोशिश की तो गुरूजी ने मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और इस बार लण्ड पूरा अंदर समां गया और उनके अंडकोष मेरी योनि के ओंठो से टकरा गया । हुरुजी का मुँह मेरे मुँह पर था और वह मुझे किश करते हुए कुछ देर के लिए मेरे ऊपर ही पड़े रहे।


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मैं रोटी जा रही थी और चुंबन तोड़ कर कलपते हुए बोली गुरूजी आपने तो और अंदर घुसा डाला। मुझे बहुत दर्द हो है। अच्छा पूरा नहीं तो थोड़ा-सा बाहर निकाल लो और रोने और कुलबुलाने लगी तो गुरूजी अब दया करते थोड़ा-सा लंड पीछे खींच लिया। गुरूजी के इतना करते ही मुझे बहुत आराम मिला और मैंने रोना बंद कर दिया पर अब हलके-हलके से कराह रही थी।

गुरूजी ने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और फिर अंदर धकेला। मेरी योनी पहले से ही रस से भीगी हुई और चिकनी थी, लंड का उभरा हुए सिर थोड़ा अंदर फिसल गया। खिंचाव की अनुभूति ने मुझे दर्द और आनंद के आश्चर्यजनक भाव से रुला दिया। गुरूजी का लंड चूत में और फिसल गया और मार्ग की बाधा बने हुए मांसपेशी के टूटने से बने घाव से टकरा गया। इस झटके से वह मांस का टुकड़ा जो गरबाहाश्य में वीर्य के शुक्राणुओं के मार्ग मरे बाधा बन रहा था पूरी तरह से ध्वस्त हो गया और छिन्न भिन्न हो गया ।

दर्द का एक और दौर उठा और मैं दर्द से तड़प गयी । दर्द से दोहरी हो गयी ।

मैं- आह्हः माँ! आह्हः गुरूजी आह! मर गयी!

मैं जोर से चीखने और चिल्लाने लगी और छटपटाने लगी थी। अब गुरजी ने मेरी चीखों की परवाह किए बिना एक के बाद एक तीन ज़ोर से धक्के मारे जिससे मुझे लगा मेरी चूत के गुरूजी ने चीथड़े कर डाले थे। जोर से माँ-माँ कहकर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी और चीखने लगी थी ।

मैं:-माँ माँ-माँ मुझे गुरूजी ने मार डाला, आह्हः आआईईईईई रे, प्लीज़ गुरूजी मुझ पर रहम करो, में मर जाउंगी, मैं गयी आईईईई।

गुरूजी:-बस रश्मि अब हो गया । थोड़ा धीरज रखो! अच्छा में 2 मिनट में बाहर खींच लूँगा और अब और नहीं फाड़ूँगा ।

गुरूजी अब स्थिर होकर धीरे से मेरे स्तन सहलाने लगे और मुझे चूमने लगे ।

काफी देर तक गुरूजी मुझे लिप किस करते रहे इस बीच मेरे स्तनों को सहला और मसल रहे थे कुछ देर में मेरी चीखे कराहो में बदली और चीखना चिलाना बंद हो गया था ... मैं अब गुरूजी का पूरा साथ दे रही थी ।

जैसे ही गुरुजी ने लंड घुसाया था और अब लंड धीरे-धीरे मेरी चुत में अंदर सरकने लगा था, उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा मेरे नंगे हिलते हुए स्तनों पर आ गया और उनका चेहरा ठीक मेरे ऊपर आ गया था। इनके होंठ धीरे-धीरे मेरे ऊपर आ गए और मेरे कानों में "जय लिंग महाराज" फुसफुसाते हुए उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया। उसके गर्म मोटे होठों ने मेरे होठों को अपने वश में कर लिया और वह मेरे भरे हुए होठों से शहद चूसने लग गए।


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यह वास्तव में अलग था! पूरा एहसास-मेरे शरीर पर गुरूजी का हावी होना, उनका शांत और रचित संभोग, उनके मोटे गर्म होंठ, उनके मजबूत कंधे, उनके मजबूत पैर और निश्चित रूप से उनका राक्षसी लंड। यह एहसास इतना "पूर्ण" था, जिसकी वास्तव में हर महिला इच्छा करती है!

गुरुजी शुरुआत में धीरे-धीरे सहला रहे थे जबकि उन्होंने मेरे होठों को चूमना जारी रखा और उनका पूरा शरीर उनके दाहिने हाथ पर संतुलित था क्योंकि उनकी बाईं भुजा मेरे दृढ़ स्तनों को दबाने और निचोड़ने लगी। कोई बड़ी हड़बड़ी नहीं थी (मेरे पति के विपरीत) और जिससे यह आनंद बहुत लंबे समय तक बना रहे!

लंड और चूत दोनों चुतरस से एक दम चिकने हो चुके थे फिर गुरूजी ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किये किया तो पहले तो मैं चिल्लाई, लेकिन फिर कराहने लगी।

आह! आआ आआआआ, ...हाईईईईई, म्म्म्मम और फिर गुरूजी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब मैं पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है। अब वह इतनी मस्ती में थी कि पूरा का पूरा शब्द भी नहीं बोल पा रही थी।

मैं: आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! ाऔररररर करूऊओ! ऑरररर करो तेज ...।


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अब गुरूजी अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाते जा रहे थे और मैं अब ऐसे ही मौन कर रही और कराह रही थी।

मैं:-गुरूउ जी आआ... आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आज फाड़ जी है आपने और फाड़ दो, आज कुछ भी हो जाए लेकिन चोदो, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहह हाँ!

अब गुरुजी ने तेज धक्के लगाने शुरू किए और मैं ज़ोर से सिसकारियाँ लेती रही और दर्द होने पर चिल्ला भी रही थी। गुरूजी ने नीचे सफ़ेद आसन की चादर पर बह कर आयी खून की कुछ बूंदे देखी जो की इस बात का सबूत थी की अब उस मानसपेशियो को बाधा गुरु जी के मूसल लिंग ने दूर कर दी थी। अब गुरुजी मेरे चिल्लाने पर ध्यान ना देकर अपने मोटे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा मेरी चूत के अंदर घुसाने में लगे थे। मैं दर्द महसूस कर सकती थी। कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हो गया और सिसकारियाँ बढ़ गयीं, लग रहा था कि अब मैं भी चुदाई का मज़ा लेने लगी थी ।

गुरुजी गद्दे पर बिछी मेरी पूरी तरह खिली हुई जवानी को गहरी लंबी-लंबी हरकतों से मजे ले रहे थे। मैं मानो उसके शरीर के नीचे पिघल रही थी। मैं बहुत स्पष्ट रूप से और बेशर्मी से अपने कूल्हों को जोर से दबा रही थी ताकि उनका पूरा मोटा मांस वाला मुसल लिंग मेरी योनी के अंदर जाए। ईमानदारी से कहूँ तो मुझे अपनी चुत के अंदर बहुत "भरी हुई" अनुभूति हो रही थी। गुरुजी के मोटे खड़े लंड को समायोजित करने के लिए मेरी योनि की दीवारें अधिकतम तक फैली हुई थीं। मैं वास्तव में स्वेच्छा से अपने नितंबों को ऊपर उठा रही थी और लिंग की नसों ने मेरी योनि की खींची हुई मांसपेशियों को आराम देना लगभग असंभव बना दिया था और मैं महसूस कर सकती थी कि उनका लंड मेरी गीली चुत के अंदर घुस रहा है! योनि की भीतरी दीवारों और मांसपेशियों ने गुरूजी के लंड को कसकर जकड़ लिया था ।

गुरु जी: कैसा लग रहा है रश्मि? आपको इसका अब पूरी तरह से आनंद लेना चाहिए और यह न सोचें कि आप अपने पति को किसी भी तरह से धोखा दे रही हैं।

मैं: उम्म्म। ग्रेट फीलिंग ग्रेट गुरुजी ...!

गुरु जी: बस मजा लीजिए... जय लिंग महाराज! जय लिंग महाराज !


जारी रहेगी जय लिंग महाराज !
 
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Sumit1990

सपनों का देवता
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Bhut bhut garam aur lund khada update diya hai agle update ki bhut jayda intzaar hai
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-35


योनि सुगम- गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट



मैं कामोत्तेजना से सिसक रही थी। मुझे अपने पति के साथ पहली रात याद आई और उस रात को मुझे भी ऐसा ही दर्द, आँसू, कामोत्तेजना और कामानंद का अनुभव हुआ था जैसा अभी हो रहा था। लेकिन सच कहूँ तो मेरे पति का लंड 6 इंच था और गुरुजी के मूसल से उसकी कोई तुलना नहीं थी।

रश्मि-ओओओहहहह...गुरूजी ...आआ आहहहह...अम्मममा! फीलिंग ग्रेट गुरुजी!

गुरूजी नीचे पहुंचे और लंड से मेरी योनि को सहलाने लगा। गुरूजी ने योनि में लंडमुंड घुसाया तो मैं ना कराहने लगी , गुरूजी ने लंड एक दो बार अंदर हिलाया और घुमाया मैं अब गुरूजी से चुदाई के ख्यालात से अविश्वसनीय रूप से उत्साहित और उत्तेजित थी और कभी भी इससे पहले इतनी गीली नहीं हुई थी।




J3
मेरे अपर लेट कर गुरूजी ने धक्का मारा और उनका खड़ा लन्ड मेरी योनि की फांकों से जा टकराया। मैंने गुरूजी को अपने आगोश में भर लिया।

मेरे नंगे बदन को बाहों में भरने पर मिलने वाले मजे से गुरूजी मदहोश हो गए औअर जैसे ही उनका लंड मेरी योनि में अंदर जाकर मेरे गर्भशय के द्वार को र छुआ गुरु जी मुझे चूमते हुए कान के पास धीरे से बोला.

"हाय... रश्मि ...तेरी... चूततत्तत"

मैं उनके मुँह से हाय और चूत शब्द सुनकर वासना से भर गई, अपनी कसी-कसी चूचीयों को गुरूजी की नग्न छाती पर स्वयं ही दबाते हुए उनसे लिपट गयी।

यह कहकर गुरूजी मेरे गुदाज मखमली बदन पर ऐसे छा गए मानो किसी शेर ने हिरणी को दबोच लिया हो। गुरूजी का मुसल बड़ा और कड़ा काला लंड मेरी चिकनी मोटी-मोटी जांघों पर, चूत पर, नाभि पर इधर उधर रगड़ खाने लगा, मैंने अपनी जांघे उठायी और गुरूजी की कमर पर लपेट दी, ऐसा करते ही योनि के ओंठ फैल गए और गुरूजी के लंड का मोटा सुपाड़ा योनि की फांकों में अच्छे से दस्तक देने लगा, गुरु जी ने मेरी जाँघों को और भी दूर धकेल दिया जिससे मेरे पैर मेरे सिर के ऊपर आ गए! गुरु जी तेजी और ताकत से अपना लंड मेरी तंग चुत में घुसाते रहे। मैं गद्दे पर अपने नितम्ब ऊपर-नीचे कर रही थी था क्योंकि मेरी चुत को उसका जोरदार झटके लग रहे थे। मुझे स्वाभाविक रूप से बहुत पसीना आ रहा था क्योंकि गुरु जी ने अपना लंड मेरी बालों वाली योनी में उत्साह से पंप करना जारी रखा।

गुरु जी: रश्मि, क्या बात है तेरी प्यारी योनि! इतना तंग! वाह! मजा आ रहा है!



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मैंने गुरूजी के होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन ले लिया और उनके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके गाल पर किस कर दिया.

अब हम दोनों गुरूजी और बेटी नहीं बल्कि प्रेमी और प्रेमिका थे जो सम्भोग का मजा ले रहे थे । मुझे मालूम था गुरूजी के मूसल लंड से चुदवाने का मौका मुझे बार बार नहीं मिलने वाला है इसलिए मैं पूरा मजा लेना चाहती थी और गुरूजी को भी मालूम था ऐसी तंग योनि बार बार नहीं मिलने वाली इसलिए वो भी चुदाई का पूरा मजा लेना चाहते थे।

मैं गुरूजी के मोटे सुपाड़े को तेज-तेज अपनी रसीली चूत की फांकों में डुबकी लगाते हुए महसूस कर एक बार फिर लजा गयी, गुरूजी ने मस्ती में मेरे कानों को चूम लिया, मैंने सिसकते हुए अपने होंठ आगे किये तो गुरूजी मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों में भरकर चूमने लगे।

मैं अब खुल कर मजे ले रही थी, सब दर्द खत्म हो गया था और मचलते हुए गुरूजी के सर को पकड़ कर उन्हें और अपने होंठों पर दबाने लगी फिर धीरे से मुंह खोल दिया । गुरूजी ने एक बार मेरी आंखों में देखा तो मैं मुस्कुराकर लजा गयी।

गुरूजी _ रश्मि-बेटी... लजा गयी...अरे बेटी शर्म मत करो ... मुँह खोलो और अपने गुरूजी को अपनी जीभ का रस पिलाओ।



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यज्ञ की अग्नि की रोशनी में मेरा का गोरा-गोरा अति उत्तेजित चेहरा दमक रहा था, शर्म और वासना की लाली मेरे चेहरे को और भी आकर्षित और कामुक बना रही थी।

मैंने गुरूजी की-की आंखों में वासना भरी अदा से देखते हुए अपने होंठ खोल दिये और अपनी जीभ को हल्का-सा बाहर निकाल दिया।

गुरूजी मेरी इस अदा पर कायल हो मारे उत्तेजना के एक झटका अपने लंड से मेरी योनि में मारते हुए मेरी जीभ को अपने मुंह में भर लिया, मैं उनके मुंह में ही "ऊऊऊऊ ईईईईईई ईई... अममम्म्ममा" कहते हुए चिहुंक उठी।




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गुरूजी मेरी जीभ को कुल्फी की तरह धीरे-धीरे नीचे से ऊपर की ओर अपने मुंह में भर-भर कर चूसने लगे साथ कि साथ वह अपने लंड को मेरी योनि जो अब बहुत गीली हो गयी थी उसमे डुबो-डुबो कर रगड़ने लग गए और अपने हाथो से मेरे स्तन दबा रहे थे, मेरा बदन गुरूजी बाबू के इस खेल की तिहरी मार से अति उत्तेजना में रह रहकर कंपकपा जा रहा था जिसको गुरूजी बखूबी महसूस कर रहे थे, मैं अब गुरूजी के सर को पकड़कर खुद मुंह खोले अपनी जीभ उनके मुंह में जितना अंदर हो सके डालने लगी, गुरूजी की जीभ को कुल्फी की तरह पूरा मुंह में भर भरकर नीचे से ऊपर की ओर चूसती रही, बीच-बीच में गुरूजी मेरी जीभ चूसते और अमीन उनकी जीभ चूस कर जवाब देने लगी । नीचे मेरी योनि का बुरा हाल होता जा रहा था और लंड लगातार चूत की फांकों के अंदर ठोकर मार रहा था और उनके बड़े अब्दे अंडकोष मेरे दाने को मसल रहे थे, गुरूजी में बहुत संयम था और वह बहुत अनुबह्वी थे, वह जानते थे कि स्त्री को कैसे भोगा जाता है।


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उनके धक्को से मेरा शरीर और मेरी गांड, मेरे नितम्ब ऊपर-नीचे हो रहे थे मैं जोर-जोर से कराह रही थी और जब भी गुरूजी बीच में मेरे ओंठो को छोड़ते थे तो मैं अपने होठों को जोर से काट रही थी। मैं निश्चित रूप से अपने चरमोत्कर्ष के एक और निर्वहन के जा आरही थी ये देख गुरु जी अब अपना लंड पूरी ताकत और जोर से मेरी चुत में पटकने लगे।

मैं: ऊउउउउउउउइइइइ...

जीभ चूसते-चूसते काफी देर हो गयी, दोनों सारी दुनियाँ भूल कर एक दूसरे में डूबे हुए थे, मंने हाँफते हुए गुरूजी के मुँह से अपनी जीभ निकाली और अच्छे से सांस भरने के लिए अपने चेहरे को कभी दाएँ तो कभी बाएँ करने लगी, गुरूजी मेरे कान के आस पास चूमने लगा, मेरा बदन फिर सनसना गया, साँसे धौकनी की भांति चलने लगी।

मैं एक बार फिर अपने गुरुजी से कस के लिपट गयी। मैंने गुरूजी के होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन ले लिया और उनके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके गाल पर किस कर दिया.





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मैं-आआआआ हहहहहह...गुरूजी। मैंने सिसकते हुए बड़ी अदा से हल्की-सी अंगड़ाई लेकर अपने बदन को धनुषाकार में ऊपर को उठाते हुए अब खुली हवा में आजाद अपनी दोनों चूचियों को और भी ऊपर की ओर तान दिया, मोटी-मोटी गोरी-गोरी 36 की साइज की दोनों चूचीयाँ गोल-गोल फुले हुए गुब्बारे की तरह तनकर ऊपर की ओर उठ गयीं। उत्तेजना में दोनों चूचीयाँ फूलकर और भी बड़ी हो गयी थी, दोनों रसीले गुलाबी निप्पल तनकर कब से खड़े थे और हो गए थे, यज्ञ की आग की रोशनी में मेरी 36 साइज की मोटी-मोटी छलकती दोनों चूचियों को देखकर गुरूजी मंत्रमुग्ध-सा हो गए, ऐसा नहीं था कि वह मेरे स्तन पहली बार देख रहे थे पर हर बार मेरी मदमस्त चूचीयाँ जो सबका मन मोह लेती थी, वह गुरूजी को भी ललचा रही थी और बिना एक पल गवाएँ वह मेरी चूचीयों पर टूट पड़े, मैं जोर से सिसक उठी।

मैं " आह गुरूजी ...पीजिये न...दबाइये... हाँ ऐसे ही गुरूजी ...ऐसे ही...ऊ ऊ-ऊ ईईई... हाय दैय्या... ऊऊईईईईई माँ... धीरे गुरूजी ...थोड़ा धीरे-धीरे मसलिये...ऊऊफ़्फ़फ़फ़फ़...आह गुरूजी (गुरूजी ने नीचे मारे उत्तेजना के लंड मेरी की चूत में कस के रगड़ कर पेल दिया...ऊऊफ़्फ़फ़फ़फ़ गुरूजी ...धीरे धीरे ठोकर मारिये ...आआआह हहहह...गुरूजी ...अब पीजिये. मैंने बायीं चूची को गुरूजी के मुंह में डालते हुए कहा ...अअअआआआआआहहहहहहहहह...गुरूजी की गरम-गरम जीभ अपने निप्पल पर महसूस कर मैं पागल होती जा रही थी, मेरा वासनामय शरीर गुदगुदी और उत्तेजना से रह रहकर थिरक-सा जा रहा था, पूरे बदन में सनसनाहट और कंपन दौड़ रही थी, हर बार एक नया एहसास मुझे कायल कर दे रहा था।



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गुरु-जी ने अपने लंड को मेरी योनि में और भी तेज और गहराई से पटक दिया और मैं उनके लंड के अपनी योनि के अंदर पूरा महसूस कर रही थी। जाहिर तौर पर पहले मेरे मन में एक शंका थी कि क्या मैं गुरु जी के राक्षसी लण्ड को अपनी चुत में पूरी तरह से ले पाऊँगी लेकिन अब मैं हैरान और बहुत खुश थी कि थोड़े से शुरूआती दर्द के बाद और फ़िब्रोइड को ध्वस्त करने के बाद मैं बिना किसी कठिनाई के उसे पूरी तरह से अपनी चूत में ले रही थी!

अब मैंने अपनी बाहों और जाँघों को उनके चारों ओर कस कर लपेट लिया और मैंने अपनी योनि को ऊपर की ओर गुरु जी के लिंग पर जोर से और दबाव के साथ उछलना शुरू कर दिया। मुझे पता था कि मैं इसे और अधिक नहीं रोक सकताी क्योंकि मैं बहुत अधिक पानी छोड़ रही थी। मेरे पूरे शरीर में झटका लगा क्योंकि मेरी योनि की मांसपेशियाँ गुरु जी के लिंग को जकड़ रही थीं और मेरा चरम सुख चरम पर था। और मैं कराह रही थी ।

में: ऊऊउ .........। मममम माआ ...उउउउउ ... आआ आआज़ ...ऊऊऊओईईईईई ii...

गुरूजी बेसुध होकर मेरी चूचीयों को दबा-दबा कर पिये जा रहे थे कभी रुककर सहलाने लगते, कभी निप्पल को चूसने लगते, कभी मुँह में भरकर तेज-तेज पीने लगते, कभी निप्पल को दोनों होंठों के बीच दबा कर चूसते, कभी जीभ से पूरी चूची को चाटने लगे और गुरूजी के थूक से मेरी गोरी-गोरी चूचीयाँ उस रोशनी में और भी चमकने लगी। गुरूजी के सख्त हाँथ मेरी कोमल नरम गुदाज चूचियों को रगड़-रगड़ कर मसल रहे थे, जब गुरूजी कस के चूची को दबाते और फिर निप्पलों को गुरूजी जीभ से चाट रहे थे मैं गुरूजी की मस्ती देख वासना में कराह उठती।

मैं गुरूजी से अपनी चूचीयाँ मसलवा रही थी। मैं सनसना कर कभी आंखें बंद कर लेती, कभी गुरूजी को चूची पीते हुए देखने लगती, लगातार मेरा एक नरम-नरम हाँथ अपने के सिर को प्यार से सहला रहा था और दूसरा हाथ उनकी पीठ पर था, रह-रह कर मैं गुरूजी का सर अपनी दोनों चूचियों के बीच दबा भी देती, कस के खुद ही अपनी चूचियों को गुरूजी के मुंह में भरकर कराह उठती " ...आह...!



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फिर कराहते हुए मैंने अपना दाहिना हाँथ नीचे ले जाकर मैंने गुरूजी का दहकता काला मूसल लंड जो मेरी गीली योनि की फांकों में रगड़-रगड़ कर हलचल मचा रहा था, पकड़ लिया और उनके अंडकोषों को पकड़ कर सहला दिया, गुरूजी के मूसल लंड को पकड़कर मेरे चेहरे पर फिर शर्म की लालिमा तैर गयी, गुरूजी का लंड पहले से भी विकराल रूप ले चुका है, काफी देर से उत्तेजना में होने की वजह से मोटी-मोटी नसे खून के वेग से उभरकर खुरदरा अहसाह कर रही थी, लंड को हाँथ में लेते ही मेरी आह भरी सिसकी निकल गयी।

मेरे नरम-नरम हाँथ का अहसाह अपने लंड पर पाकर गुरूजी की आंखें मस्ती में बंद हो गयी, मैंने लंड और अंडकोषों पर बड़े प्यार से हाँथ फेरा, एक-एक हिस्से को हल्का दबा-दबा कर सहलाया, गुरूजी के दोनों मोठे-मोठे अण्डकोषो पर काले-काले बाल भी थे उन्हें अपनी हथेली में लेकर कुछ देर तक बड़े प्यार से सहलाया, गुरूजी का लंड मेरे नरम-नरम हाथों की छुवन पाकर बार-बार उछलने लगा।

गुरूजी मस्ती में चूची पीना छोड़कर रश्मि की आंखों में बड़े प्यार से देखने लगे । मैं धीरे-धीरे लंड को सहलाती रही और दोनों के होंठ मस्ती में मिल गए, गुरुजी ने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर को उठा लिया ताकि मुुझे हाँथ चलाने में दिक्कत न हो और मैं लंड को अच्छे से महसूस कर सहला सकूँ। मैं गुरूजी के बड़े चौड़े लंड को कभी हथेली में भरती, कभी उसकी पूरी लंबाई पर हाँथ फेरती, कभी लंड के जोड़ पर घने घुंघराले बालों में उंगलियाँ चलती, कभी हाँथ नीचे की तरफ कर उनके बड़े अंडकोषों को सहलाती, मारे उत्तेजना के लंड सख्त होकर लोहा बन गया था, बार-बार मस्ती में ठुनक रहा था, उछल रहा था, गुरूजी ने मेरे होंठों और गालों को चूमना जारी रखा।

लंडमुंड पर खून लगा था जो इस बात का सबूत था की योनि के नदर का वरोध अब छिन्न भिन्न्न हो चूका है .

मैं गुरूजी के लंड को सहलाये जा रही थी और गुरूजी भी अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी गर्म और गीली योनि को हथेली में भर लिया, मैं सिसक उठी " आआआह हाय... आह गुरूजी ...आआआह ...चोदिये न मुझे...अच्छे से...चोद दीजिये ...अब बर्दाश्त नहीं होता मुझसे...मजा लीजिये न मेरी इस तंग योनि का और दूसरे ही पल मैंने अपनी जांघों को अच्छे से खोलते हुए अपनी मदमस्त गोरी-गोरी प्यारी-सी मखमली चूत गुरूजी के सामने परोस दी और मैंने गुरूजी के मूसल लिंग को एक दो बार योनि के ओंठो और दाने पर रगड़ा फिर बड़ी मादकता से शर्माते हुए लजाते हुए अपनी तर्जनी और मध्यमा दो उंगली से अपनी चूत की फांकों को खोलकर उसका गुलाबी छेद जो चाशनी से भरा था उस पर लिंग लगा कर अपनी गांड ऊपर उठा दी और लंड अंदर ले लिया ।

गुरूजी से मेरा ये आग्रह सुना और साथ में लंड के सुपाड़ी पर योनि का कसाव अनुभव किया ।

गुरूजी े अब रहा नहीं गया उन्होंने आगे झुक कर मेरे ओंठो को अपने ओंठो में भर लिया चूसते हुए अपनी कमर नीचे को दबा दी, मैं अब हाय-हाय करने लगी " आआआआआआआ हहहहहहहह बाबू ...हाय मेरी चूत...धीरे धीरे गुरूजी ...नही तो मैं झड़ जाउंगी ...आआआह माँ... ...प्यार से ...आआआह ...आआआह...ऊऊईईईईई... ओ-ओ ओ ओ-ओ हहहहहह अम्मा...धीरे धीरे मेरे राजा मेरे प्यारे गुरूजी ...हाय मेरी चूत (अपने एक हाथ से मैं अपनी योनि को पागलों की तरह सहलाये जा रही थी और मस्ती में सिसकते हुए बड़बड़ाये जा रही थी) , आआआह गुरूजी आपकी गरम-गरम जीभ...आह बस गुरूजी मैं झड़ जाउंगी...आह बस...मुझे आपके लंड से झड़ना है गुरूजी ...ऊऊईईईईई माँ ...गुरूजी ।

तो गुरूजी ने लंड बाहर निकाल लिया तो मैं तड़प उठी और बोली ।

मैं:-अब करिये न गुरूजी ।

गुरूजी मुझे छेड़ते हुए बोले ।

गुरूजी: क्या करूँ रश्मि?

मैं:-और क्या गुरूजी ... अब चोदिये मुझे मैं शर्माते हुए बोली और आँखे बंद कर चेहरा उनकी छाती में छुपा लिया ।

अब गुरूजी पूरी तरह बेकाबू हो गए और बोले-हाय री रंडी ...रश्मि बेटी! ...कैसे डालूं...धीरे धीरे या एक ही बार मे?


(ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरा चेहरा अपने छाती से अलग किया और ओंठो को चूम लिया, मैंने बड़े प्यार से कहा ।

मैं :-एक ही बार में गुरूजी ...एक ही बार में!




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गुरूजी-एक ही बार में सीधे बच्चेदानी तक ?

मैं कराहते हुए- हाँ गुरूजी ...हाँ एक ही बार में सीधे बच्चेदानी तक!

गुरूजी ने मुझे चूमा और बोले

गुरूजी:-रश्मि! तो फिर लंड को पकड़ कर सीध में लगा दो और एक हाथ से अपनी चूत की फांक को खोल कर रखो "

मैंने गुरूजी के होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन ले लिया और उनके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके गाल पर किस कर दिया.


ऐसा कहते हुए दोनों ने पोजीशन ली और गुरूजी मेरे ऊपर झुक गए, कमर को जरूरत भर के हिसाब से उठा लिया।

गुरूजी ने मुझे चूमा और मैंने भी मारे उत्तेजना के गुरूजी को ताबड़तोड़ कई बार चूम लिया और जल्दी से दोनों जांघों को अच्छे से फैलाकर कराहते हुए अपने हाँथ नीचे ले जाकर एक हाँथ से गुरूजी के दहकते कड़े बड़े सख्त और मूसल लंड को पकड़कर एक बार फिर अच्छे से सहलाया, चमड़ी को और अच्छे से खोलकर पीछे किया और जल्दी से अपना हाँथ अपने मुंह तक लायी और ढेर सारा थूक लेकर गरम-गरम थूक काले फंफनाते लंड पर लगा दिया, फिर मैंने लंड को ठीक चूत के छेद पर लगाया और दूसरे हाथ से अपनी चूत की फांकों को चीरकर खोल दिया।

गुरूजी ने मेरे होंठों को चूमते हुए पहले तो पांच छः बार लंड कोचूत की दरार में रगड़ा, फिर चिकने सुपाड़े को चूत के गुलाबी छेद के मुहाने पर कई बार छुआया जिससे दोनों मस्त हो गए, मैं बस सिसकती जा रही थी, एकाएक लंड को छेद पर लगाकर गुरूजी ने तेज धक्का मारा और लंड चूत की फांकों को फैलाता हुआ संकरी रसीले छेद को चीरता हुआ पॉर्रा का पूरा चूत की गहराई में उतर गया और उनके अंडकोष योनि के ओंठो से टकराये और ठप्प की आवाज आयी ।

में:-आआआ आआआआआ हहहहहह... गुरूजी!

मैं मस्ती में कराह उठी, लंड सीधा बच्चेदानी से जा टकराया, मैंने दोनों हाथों से गुरूजी के नितम्बो को अपनी योनि पर दबा दिया और हल्के दर्द में कराह उठी, पूरा कमरा मेरी कामुक सीत्कार और फिर ठप्प की आवाजों से गूंज उठा, दर्द बहुत तीखा तो नहीं था पर हल्का-हल्का हो रहा था, योनि बहुत चिकनी हो गयी थी तो दर्द से कहीं ज्यादा मीठेपन का अहसाह था, मीठे दर्द से मेरा बदन एक बार फिर धनुष की भांति ऐंठ गया, गुरूजी का मोटा लंड अपने बच्चेदानी तक महसूस कर मैं कँपकँपा गयी, लंड के ऊपर की मोटी-मोटी उभरी नशें अपनी चूत की अंदरूनी दीवार की मांसपेशियों पर बखूबी महसूस हो रही थी।



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मैं धीरे-धीरे कराह रही थी और कस के अपने गुरूजी से लिपटी हुई थी, गुरूजी भी मेरी योनि के की नरम-नरम एहसास में अपना मूसल जैसा लन्ड जड़ तक घुसा कर उसकी माँसपेशियो की नरमी, नमी, चिकनाहट गर्माहट और कसाव को अच्छे से महसूस कर रहे थे, मेरी योनि के मांसपेशिया अब गुरूजी के लंड की मोटायी और लम्बाई के हिसाब से समायोजित हो रही थी और लंड के चारो और कस गयी थी। मैंने कराहते हुए अपने पैर गुरूजी की कमर पर कैंची की तरह आपस में लपेट कर कस लिए और उन्हें चूमते हुए सहलाने लगी। मेरी चूत में संकुचन हो रहा था चूत लंड को अपने अंदर जितना हो सके आत्मसात कर रही थी, गुरूजी का लंड मेरी योनि की गहराइयों में घुसकर उसकी अंदरूनी दीवारों की गर्माहट को महसूस कर, अंदर ही बार-बार ठुनक कर हल्का-हल्का उछल रहा था जिसे मैं बखूबी महसूस कर उत्तेजना से सनसना जा रही थी।

चूत अंदर से बहुत गर्म हो चुकी थी जिससे लंड की अच्छे से सिकाई भी हो रही थी, गुरूजी ने दोनों हाँथ नीचे ले जाकर मेरी गोल गुदाज मोटी-मोटी गांड को हथेली में भरा और सहलाया और फिर निचोड़ा और हल्का-सा ऊपर की ओर उठाते हुए एक बार फिर कस के लंड को और भी ज्यादा चूत में ठूंस दिया।

मैं मस्ती में फिर कराह उठी "

मैं; उफ़! बस गुरूजी ...आआआआ हहहह... अम्मा...बस कितना अंदर डालोगे ।अब जगह नहीं है...पूरा बच्चेदानी तक चला गया है गुरूजी ...ऊऊईईईईई माँ... हाय मेरी चूत अपने फाड़ डाली है ...कितना मोटा है आपका...कितना लम्बा है... बिकुल मूसल है ...आआआह...बस करो...ऊऊईईईईई । मैं गहरी और बहुत, बहुत जोर से कराह उठी क्योंकि मेरी योनि ने पूरी ताकत से अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया।

गुरूजी ने गच्च से एक बार फिर लंड हल्का-सा बाहर निकाल कर रसीली चूत में जड़ तक पेल दिया)

गुरूजी-आआआह बेटी... मेरी रानी... रश्मि रानी क्या शानदार और कसी हुई चूत है तेरी । ...कितनी गहरी है...कितनी टाइट है । ।बहुत मजा आ गया...आआआह

मैं सिसकते हुए-

मैं:-मजा आया गुरूजी को ...अपनी रंडी की चुदाई कर उसकी टाइट योनि में लंड डालकर मजा आया आपको।

गुरूजी -आआआह हाँ बेटी ...बहुत



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मैं:-आपको मजा आया तो एक बार फिर निकाल कर तेजी से डालिये!

मैंने मस्ती में कहा.

गुरूजी ने झट से पक की आवाज के साथ योनि में घुसा हुआ लंड बाहर निकाल लिया और अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा कर पोजीशन ली, मैं चिहुंक गयी, लंड पूरा चूत रस की चाशनी से सना हुआ था, मैंने मदहोशी से एक बार फिर गुरूजी के दहकते हुए मूसल लंड को थामा, लंड अबकी बार ज्यादा गर्म था, जैसे ही मैंने एक हाँथ से लंड को पकड़ा और दूसरे हाँथ से अपनी चूत की फांकों को खोलकर रसीले गुलाबी छेद को खोला गुरूजी ने एक बार फिर कस के एक ही बार में पूरा लंड चूत की गहराई में उतार दिया, पर इस बार मैंने भी अपनी गांड नद उठा कर गुरूजी के धक्के में उनका साथ दिया

और हम दोनों इस बार मीठे-मीठे मजे से भरे रसीले दर्द के अहसास से सीत्कार उठे एक बार फिर मेरा बदन मस्ती में ऐंठ गया, गुरूजी ने-ने एक ही बार में मेरी योनि में अपना लंड जड़ तक घुसेड़ दिया और तुरंत ही तेज-तेज तीन चार बार थोड़ा-थोड़ा बाहर निकाल कर गच्च-गच्च धक्के मारे, मैं मदहोश हो गयी और तेजी से सिसकते हुए गुरूजी से उत्तेजना में बोली-" आआआह गुरूजी ...अब रुकिए मत...तेज तेज चोदिये...चोदिये गुरूजी और तेज और कस के।

फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो उनका लंड मेरी चूत की जड़ में समा गया। मैं तेज चीख के साथ बहुत, बहुत जोर से कराह उठी क्योंकि मेरी योनि ने पूरी ताकत से अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया। मेरे नाखून गुरु जी की पीठ में गहरे धँस गए और मेरी जाँघें उनके धड़ के चारों ओर और अधिक कस गईं। मेरा कामोन्माद एक मिनट से अधिक समय तक चला और मैं पूरे समय कराहती रही। और अंत में मैं थक कर बेदम हो कर गिर पड़ी ।

गुरु जी: बेटी, अब मेरी बारी है तुम्हारा घड़ा भरने की।

गुरु जी अब अपने मजबूत और विशाल मर्दानगी के साथ मेरे स्त्रीत्व को पूरी तरह से चख रहे थे छोड़ रहे थे और मजे ले रहे थे और मेरी योनि की मांसपेशियों ने उनके लंड को पकड़ लिया और वीर्य निकालने के लिए लंड पर दबाब बनाने लगी। गुरु जी का लयबद्ध प्रहार मेरे बड़े-बड़े स्तनों को लगातार झकझोर रहे थे और मुझे निश्चित रूप से ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ। गुरु जी वास्तव में एक विशेष पुरुष थे क्योंकि मुझे पूरा यकीन था कि कोई भी सामान्य पुरुष मेरी चुस्त चूत ने में इतनी देर तक अपना लंड घुसाने और चुदाई करने के बाद भी अपना वीर्य रोक नहीं सकता था, लेकिन गुरु जी असाधारण थे। एक बार जब हम दोनों पूरी तरह से चार्ज हो जाते हैं तो मेरा पति मेरी चूत में 2-3 मिनट से ज्यादा कभी नहीं टिक पाया था, मेरे पति के विपरीत, गुरु-जी ने मेरी चूत के नादर की बाधा को दूर करने के बाद इस सुंदर सेक्स के अनुभव को लगभग 20 मिनट तक खींच लिया था और फिर भी वे मुझे और स्खलित करने के लिए तैयार थे! वह अभी भी अपने खड़े मूसल से मेरी फिसलन भरी योनि को उसी गति से चौद रहे थे जिस गति से उन्होंने शुरू किया था, फिर भी एक बार भी स्खलित नहीं हुए थे!




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लेकिन अंत में गुरु-जी ने अपने खुद के संभोग का नुभव करने का निर्णय किया और-और उन्होंने अपने लंड को मेरी योनि में जोर से धक्का मार दिया जिससे मुझे सातवें आसमान का एहसास हुआ। मैं उत्साह में चिल्ला रही थी । मुझे लगा कि उनके वीर्य के स्खलन से मेरी चुत भर रही है। मेरे पति के विपरीत, उनके वीर्य का उतरना भी अनोखा था क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया थी ।

मेरे पति अपने वीर्य को मेरे छेद में डालने के बाद और फिर खर्राटे लेना शुरू कर देते हैं! और गुरु जी का वीर्य मेरी योनि से टकरा रहा था। दीवारें पर धार के प्रहर का वेग मुझे किसी भी चीज़ की तरह ही मदहोश कर रहा था। मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मैंने अपनी बाँहों को कस कर गुरु जी के चारों ओर लपेट लिया और उन्हें गले से लगा लिया।

गुरु जी: (मेरे कानों में फुसफुसाते हुए) : बेटी, क्या तुम अब खुश हो?

मैं: उम्म्म्म्म्म्म्म्म्...।

मैं और कुछ प्रतिक्रिया नहीं कर सकी।



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गुरु जी: मेरे बीज तुम्हें गर्भवती करने में मदद करेंगे रश्मि। चिंता मत करो!

संतोष और थकान से मेरी आंखें बंद हो गईं।

गुरु-जी: रश्मि, तुम बहुत अच्छी हो। शादी केइतने साल के बाद भी तुम्हारी योनि बहुत चुस्त हैं और-और तुम बहुत सेक्सी हो। आपके पति पूरे दिन कुत्ते की तरह आपके आसपास घूमते होंगे। आपके पास क्या शानदार योनि है! आह! एक अंतराल के बाद मैं बहुत ज्यादा संतुष्ट हूँ। इसने मेरे लंड को वैक्यूम क्लीनर की तरह चूस लिया। हा-हा हा...

आँखे बंद करके उनकी बातें सुन कर मैं मुस्कुरायी। मुझे बहुत राहत महसूस हो रही थी क्योंकि मैं अपने भीतर अशांति चरणामृत से दवा के प्रभाव के कारण महसूस कर रही थी।

मैं अभी भी गुरु जी द्वारा की गई जबरदस्त चुदाई के प्रभावों का आनंद ले रही थी और सोच रहा था कि मैं आखिरी बार कब था जब मैं संभोग के बाद संतुष्ट हुई थी? मेरे वैवाहिक जीवन में मुश्किल से ही ऐसे दिन थे जब मैंने सेक्स करने से इतनी "लंबी" उत्तेजना और रोमांच निकाला हो। मुझे वह सुख देने के लिए मैंने मन ही मन गुरु जी को धन्यवाद दिया। मैं अभी भी अपनी नशे की स्थिति से पूरी तरह से उबर नहीं पायी थी और गुरु जी और उनके चार शिष्यों के सामने सफेद गद्दे पर बिल्कुल नग्न अवस्था में आँखें बंद करके लेटी हुई थी।

गुरु जी: बेटी, क्या यह पहली बार तुम्हारे पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति से चुद रही थी?

मैं: जी गुरु-जी।

गुरु-जी: ठीक है... जिसका मतलब है कि आप धार्मिक रूप से सामाजिक मानदंडों से चिपकी रहती हो। बेटी मैं तुमहे बताना चाहता हूँ । योनी पूजा के लिए यहाँ आने वाली अधिकांश विवाहित महिलाओं ने मुझे बताया कि उन्होंने अपने पति के अलावा एक या दो बार किसी अन्य पुरुष के साथ मैथुन किया था। लेकिन बेटी, उनके बारे में कोई गलत धारणा मत रखो क्योंकि वास्तव में उनमें से ज्यादातर ने ऐसा इसलिए तब किया कि जब वे पूरी तरह से निराश थीं क्योंकि शादी के 5-7 साल बाद भी बच्चा नहीं हो पाया था।

मैं: हम्म... ठीक है... समझ में आता है।

मैं जवाब दे रही थी ।



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गुरु-जी ने अपनी आँखें बंद कर लीं। गुरुजी की मजबूत भुजाओं में गद्दे पर इस तरह लेटना कितना अच्छा लग रहा था।

गुरु जी: और अपने विशाल अनुभव से मैंने देखा है कि पराये पुरुषो के साथ मैथू न आखिकतार उन मामलों में काम करता है जहाँ पति के शुक्राणु कमजोर होते हैं और ज्यादातर गतिहीन होते हैं। यह उन मामलों में काम करता है जहाँ एक परिपक्व 35 वर्षीय महिला को उसके उपजाऊ अवधि के भीतर एक युवा पुरुष द्वारा चुदाई मिलती है और इसके विपरीत मामले में भी। लेकिन मामले में गर्भाशय का मार्ग अवरुद्ध था और मुझे पूरा यकीन है कि जिस तरह से आपने सभी पूजा और उपचार किए हैं, आपको निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।

मैं: मुझे अवश्य... गुरु-जी...अगर मुझे लाभ नहीं मिला तो मैं मर जाऊंगी ।

गुरु जी: बेटी मैं जानता हूँ और चूँकि तुमने आश्रम में इतना अच्छा व्यवहार और प्रतिबद्धता से सब पूजा ा और उपचार किया कि मैं तुमसे बहुत खुश हूँ ... और मैं तुम्हारा उपहार सुनिश्चित करूँगा ... मेरा मतलब है गर्भावस्था।

मैंने अपनी आँखें खोलीं, मुस्कुरायी और अपना आभार व्यक्त करने के लिए सिर हिलाया। गुरु जी भी बदले में मुझे देखकर मुस्कुराए और फिर धीरे से अपना चेहरा मेरे ऊपर ले आए और मेरे होठों को चूम लिया। इस समय तक मेरे होठों ने नर लार का इतना अधिक स्वाद चख लिया था कि मैं लगभग भूल ही गयी थी कि मेरी लार का स्वाद कैसा होता है! मेरे होठों में जो रस बचा था, गुरुजी के मोटे होठों ने उसे चूस लिया, हालाँकि इतने कम समय में इतने सारे पुरुषों के साथ अब मुझ में कोई हिचक बाकी नहीं थी!



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गुरुजी: तुम जानती हो बेटी, महायज्ञ के लिए मेरे पास आने वाली अधिकांश महिलाएँ घर वापस आने के बाद गर्भवती हो गईं और निश्चित रूप से आप कोई अपवाद नहीं होंगी। हाँ, मुझे बाद में कुछ अन्य चीजों की जांच करने की जरूरत है और मुझे लगता है कि आप इसे बुरा नहीं मानेंगी।

मैं: बिल्कुल नहीं गुरु-जी।

गुरु जी: ठीक है। अब जबकि मंत्र दान, पूजा, योनि मालिश और योनि सुगम पूर्ण हो चुके हैं और संतोषजनक परिणाम के साथ, हम जन दर्शन के साथ समापन करेंगे। थोड़ा आराम कर लो फिर हम वह करेंगे। जय लिंग महाराज!

मैंने गुरूजी के होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन ले लिया और उनके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके गाल पर किस कर दिया.


मैं :-थैंक यू गुरूजी ! जय लिंग महाराज!


जारी रहेगी जय लिंग महाराज !
 
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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-36

योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव


गुरु जी मेरे माथे को चूमते हुए गद्दे से उतरे, जबकि मैं उनके शिष्यों के सामने चमकीले पीले प्रकाश में गद्दे पर बिलकुल नग्न लेटी हुई थी।

गुरुजी: संजीव उसे दवा दे दो और बेटी तुम आराम करो मैं पांच मिनट में वापस आऊंगा।

संजीव ने मुझे एक प्याला थमा दिया जिसमें उसने हरे रंग की दवाई डाल दी थी।

तरल पदार्थ का स्वाद बहुत अच्छा था और जैसे ही यह मेरे गले में उतरा इसने मुझे एक शांत प्रभाव के साथ-साथ एक बहुत ही संतोषजनक एहसास दिया। चूंकि मैं अभी भी उस चरणामृत में मिश्रित दवा के प्रभाव से 100% बाहर नहीं आयी थी और साथ ही साथ वह बहुत ही प्रभावशाली चुदाई जो मैंने अभी-अभी गुरु जी के साथ की थी, मैंने अपनी आँखें बंद करना और गद्दे पर थोड़ी देर आराम करना पसंद किया।

मेरे दिमाग में यही विचार घूम रहे थे की कहाँ मेरे शर्मीले स्वाभाव की वजह से लेडी डॉक्टर्स के सामने कपड़े उतारने में भी मुझे शरम आती थी. लेडी डॉक्टर चेक करने के लिए जब मेरी चूचियों, निपल या चूत को छूती थी तो मैं एकदम से गीली हो जाती थी. और मुझे बहुत शरम आती थी. और अब मैं पांच पुरुषो के सामने नंगी थी , उनमे प्रत्येक के साथ लगभग सम्भोग कर चुकी थी . और उन्होंने मेरे हर अंग से साथ खिलवाड़ किया था और मेरा शायद ही कोई अंग ऐसा था जिसे चूमा और चूसा नहीं गया था .



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फिर मेरे दिमाग में यही विचार आये की मुझे इससे पहले संभोग किये हुए कितने दिन हो गए, मन बहुत करता है, पर क्या करूँ, जब मेरा पति अनिल मुझे चोदता है तो कितना मजा आता है ... और अगर मैं गर्भवती हो गयी तो फिर तो काफी दिन बिना चुदाई के ही रहना होगा । आह, ओह अरे गुरूजी का वह वो मूसल लिंग.. वाह ! उसको देखने से छूने से ...पकड़ने से ...सहलाने से कितना कामुक लग रहा था ...ओह गुरूजी के लिंग की महक... ऐसा लिंग देखना बहुत किस्मत की बात है और फिर उससे चुदना। वाह! क्या एहसास था जब वह लिंग मेरे अंदर गया था। ...कितना अच्छा लगता था जब उनका लिंग मेरी योनि में समाता था... (ऐसे सोचते ही मेरी योनि में संकुचन हुआ और मैंने अपनी जांघे थोड़ा भींच ली) वाह! लिंगा महाराज! वाह !

मेरे दिमाग और बंद आँखों के सामने गुरूजी का महा लिंग की छवि घूम रही थी । ओह उनके लिंग की-की चमड़ी खोलकर उसके अग्र भाग के छेद को चूमना कितना उत्तेजक था, उत्तेजना में फुले हुए उसके चिकने अग्र भाग को मुंह में लेकर चूसने में कितना आनंद आया था, गुरूजी के पूरे लिंग को धीरे-धीरे सहलाना, चाटना, उसे अपने होंठों से प्यार कर-कर के योनि के लिए तैयार करना ।कितना आनंदमय और उत्तेजक था।

काश मेरे पति का लिंग गुरूजी के लिंग जैसा होता ।काश मेरे जीवन में सदैव के लिए गुरूजी का लिंग होता, काश वह मुझे बाहों में भरकर रात भर प्यार करते, बार-बार करते, हर रात करते । काश मेरी योनि को वह बार छूते ...सहलाते ...चूमते ... उफ़ उनकी वह जादुई उंगलिया । मेरे जीवन में मेरा पति नेल हालाँकि मुझे बहुत प्यार करता था और हम दोनों ने शादी के बाद लगातार कई दिन सिर्फ चुदाई ही की थी । । लेकिन फिर धीर धीरे सबकी तरह हमारा सम्भोग पहले हर रात में हुआ, फिर एक दिन छोड़ कर । फिर सप्ताहंत के दिनों में, फिर कभी-कभी । महीने में दो तीन बार । फिर सिर्फ बच्चे पाने के लिए सेक्स सिमित रह गया ... अब अनिल और मेरे संबंधों में भी खटास आने लगी थी. अनिल के साथ सेक्स करने में भी अब कोई मज़ा नही रह गया था , ऐसा लगता था जैसे बच्चा प्राप्त करने के लिए हम ज़बरदस्ती ये काम कर रहे हों. सेक्स का आनंद उठाने की बजाय यही चिंता लगी रहती थी की अबकी बार मुझे गर्भ ठहरेगा या नही.




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क्यों और कब मेरा सेक्स जीवन इतना नीरस हो गया है? मेरा क्या दोष है? ...क्यों मैं धीरे-धीरे इस सुख से वंचित होती गयी ।

गुरूजी कहते हैं लिंग और योनि का कोई रिश्ता नहीं होता...तो क्या...तो क्या...मैं किसी भी पुरुष से सम्भोग कर लू? ...उफ्फ्फ... नहीं मैं एक परिवार की बहु हूँ मैं ऐसा नहीं कर सकती! ओह! गुरूजी का ...लिं...ग...ग...ग।गगगग... मेरे पति का लिंग! ओह! इतना बढ़िया और लम्बा सम्भोग गुरूजी के मुसल लंग के साथ मेरा मन कर रहा था अब मैं बार-बार वही सुख प्राप्त करूँ ।

मैं न चाहते हुए भी आज जो कुछ भी मैंने किया उसके बारे में सोचने के लिए विवश हो गयी थी आज जीवन में पहली बार व्यभिचार के सागर में मैं उत्तर गयी थी । मेरा बदन कांप गया, एक तो सामने यज्ञ कुंड में अग्नि धधक रही थी वातावरण वैसे ही गरम हो चुका था और मेरे अंदर की कामाग्नि अभी भी सुलग रही थी । अब गुरूजी के साथ सम्भोग के बाद वह कैसे थमेगी ये मेरी समझ से बाहर था । क्या ये पाप था?

मेरे दिमाग में कुछ शब्द गूंजने लगे मानो गुरूजी कह रहे हो ।

जय लिंगा महाराज!

गुरूजी-रश्मि बेटी! पाप और पुण्य दोनों का अस्तित्व है पुत्री, पाप है तभी पुण्य है और पुण्य है तभी पाप भी है, जिस तरह रात्रि है तभी सवेरे का अस्तित्व है और फिर पुनः सवेरे के बाद सांझ है फिर रात्रि। पूरी सृष्टि, स्त्री और पुरुष की रचना लिंग देव और योनि माँ ने ही की है, बुद्धि और विवेक भी उसी ने दिया है और वासना और अनैतिक सोच भी एक सीमा के बाद पनपना भी उसी की माया है, माया भी तो लिंगा महाराज! की ही बनाई हुई है। अब हमी को देख लो जन मानस की भलाई के लिए ही सही आखिर इस रास्ते से हमे भी तो गुजरना ही है न, लिंग देव और माँ के आगे इंसान बेबस हो जाता है, कभी फ़र्ज़ के हांथों कभी वचन के हांथों कभी नियम और कर्तव्य के हांथों और कभी वासना के हांथों, आखिर इंद्रियाँ भी कोई चीज़ है बेटी! इंद्रियाँ भी लिंग देव के द्वारा ही बनाई हुई हैं, नियम भी उन्ही के बनाये हुए हैं और उनके उपाए भी उन्होंने ही बनाये हैं । ध्यान से सोचो तो सब लिंगा महाराज! की बनाई हुई माया है बस, रचा सब लिंगा महाराज! ने ही है और इंसान सोचता है कि मैंने किया है।

मैं पसीने-पसीने हो गयी, बार-बार आँख बंद करके फिर से उस अनैतिक संभोग की कल्पना करती जिससे मेरा बदन बार-बार सनसना जाता, बेचैन होकर मैं कभी इधर उधर देखने लगी, एकाध बार तो मैंने चुपके से अपनी दायीं चूची को खुद ही मसल लिया, और जांघों को मैं रह-रह कर सिकोड़ रही थी, कभी मैं गुरूजी के चुंबन के बारे में सोच कर, तो कभी उनके शिष्यों ने मेरे साथ जो मन्त्र दान में मेरे अंगो का मर्दन किया था वह सोच का लजा जाती और मैंने शर्माकर आँख बंद कर ली, रह-रह कर चुदाई की कल्पना से मेरा मन सिहर उठता, (इस हालत में सांसों की धौकनी बन जाना लाज़मी था)

बस गुरूजी के साथ सम्भोग की मैंने कल्पना की, मेरी कल्पना में गुरूजी ने बड़े प्यार से मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, लेटते ही मेरी नज़र गुरूजी के काले फंफनाते हुए बड़े कठोर और मूसल लंड पर गयी और उस कमरे में उस आसान पर आँखे बंद कर धीरे-धीरे लेटती गयी और मुझे लगा जैसे-जैसे मैं लेटती गयी गुरूजी प्यार से मुझे चूमते हुए मुझ पर चढ़ गए, "आह गुरूजी और ओह बेटी" की सिसकी के साथ दोनों लिपट गए और गुरूजी का कठोर लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ चूत में घुसता चला गया। गुरूजी का लन्ड मेरी प्यासी गीली और तंग चूत में घुस गया। एक प्यासी चूत फिर से मुसल लन्ड से भर गई। आखिर मेरी योनि खुलकर रिसने लगी और मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गयी।




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ओओओहहहह... गुरूजी ...आआ आहहहह...अम्मममा

जारी रहेगी जय लिंग महाराज !
 
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Sumit1990

सपनों का देवता
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Bhut bhut bhetreen aur lajawab update agle update ka besabri se intazaar hai
 

Sumit1990

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Bro guru ko behreham dikhoo chudai me..... Taki Rashmi ki teeno chedo ka bhosra ban sake ....
 
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