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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-20

दर्द में मिर्गी जैसे दौरे में मेरे स्तनों पर उनका हाथ

मामा-जी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई क्योंकि वह ऐंठन के दौर में थे और अपने सिर को इधर-उधर हिलाते हुए अपने हाथों से बिस्तर की चादर को खरोंच रहे थे। जब मैंने उसे करीब से देखा तो मुझे लगा कि जिस तरह से वह बिस्तर को खरोंच रहे थे उससे लगा की वह अपने हाथों में कुछ पकड़ना चाहते थे। मैं इतनी जल्दी में थी कि तकिया उठाकर उसकी बाईं हथेली के नीचे रख दिया। मैं निश्चित रूप से ग़लत नहीं थी, लेकिन मैं उस तरह से हैरान था जिस तरह से मामा-जी ने अपनी हथेली में तकिया दबाना शुरू किया। जिस तरह से उनकी उंगलियाँ तकिए के नरम रुई को पकड़ रही थीं, जिस तरह से उनकी हथेली तकिए पर दब रही थी और दबाने का उनका तरीक़ा बहुत ही अभद्र था! यह स्पष्ट रूप से ऐसा लग रहा था जैसे मामा-जी किसी महिला के स्तन दबा रहे हों!

मामा-जी: आआहहहहह!

अचानक मामा-जी एकदम स्थिर हो गए और उनकी आवाज़ से मुझे ऐसा लगा जैसे उनके गले में कुछ अटक गया हो!

मैं: मामा-जी! मामा-जी! क्या हुआ? क्या आप ठीक हैं?

मामा-जी पत्थर की तरह अकड़ गए थे! उनकी आँखें स्थिर थीं और वे एक भी मांसपेशी नहीं हिला रहे थे! स्वाभाविक रूप से मामा-जी को अचानक स्थिर अवस्था में देखकर मैं बहुत घबरा गयी थी!

मैं: मामा-जी! मामा-जी! क्या हुआ? कृपया बोलें! मामा-जी!

मामा-जी को मेरी पुकार पर कोई प्रतिक्रिया न देते देख मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं। मैं अपनी बेचैनी में लगभग उलझन में थी। मैंने मामा-जी के कंधों को पकड़ा और उन्हें जवाब देने के लिए झटके से हिलाना शुरू कर दिया। मामा-जी को अवाक और बेजान अवस्था में देखकर अब मुझे बहुत पसीना आ रहा था।

मैं: मामा-जी! मामा-जी!

मैंने उनकी नाक की जाँच की कि कहीं और नाक से खून तो नहीं बह रहा, लेकिन सौभाग्य से कोई खून नहीं बह रहा था। मैंने मदद के लिए इधर-उधर देखा और बगल की मेज पर पानी का गिलास देखा। मैंने तुरंत उसके चेहरे पर थोड़ा पानी छिड़का और चमत्कार हो गया!

मामा-जी: आ-आ-आ-आह!

जैसे ही मैंने उसकी तरफ़ से कुछ प्रतिक्रिया देखि और सुनी, मैंने अपने गीले हाथ से उसके चेहरे को धीरे-धीरे रगड़ना शुरू कर दिया और उसकी छाती को भी रगड़ना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि मामा-जी अपने होश में आ रहे हैं, लेकिन यह प्रगति बहुत धीमी थी। मैं उनके मुंह से केवल कुछ धीमी बड़बड़ाहट सुन सकटी थी, लेकिन उनका शरीर अकड़ा हुआ था और स्थिर बना हुआ था। मैंने उनके दाहिने हाथ को अपने हाथों में लिया और हथेली को रगड़ना शुरू कर दिया और फिर उनके बाएँ हाथ के लिए भी यही दोहराया। सौभाग्य से उनके हाथ गर्म थे और कमोबेश सामान्य महसूस हो रहे थे।

मामा-जी: ओ-ओ-ओ-ओ-ह-ह-ह-ह-ह!

मामा-जी अब वास्तव में अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे थे और मैंने उनके पैरों में भी हल्की हरकत देखी। मैंने यह भी देखा कि जैसे ही मैंने उनकी हथेलियों को रगड़ना शुरू किया, उनका नग्न लिंग हवा में झूलने लगा था। लेकिन हालाँकि मामा-जी स्पष्ट रूप से अपने होश में आ रहे थे, दुर्भाग्य से वे उस ऐंठन से पूरी तरह से उबर नहीं पाए जो वे अनुभव कर रहे थे और वास्तव में उनका पूरा शरीर झटके खाने लगा और फिर से उसी तरह से प्रतिक्रिया करने लगा जहाँ से उन्होंने छोड़ा था।

मैं: आउच! इईईईईईईईईईईईईईईई!

मैंने ऐसे प्रतिक्रिया की जैसे मुझे बिजली का झटका लगा हो! मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा और मामा-जी का व्यवहार मेरे लिए बिल्कुल अप्रत्याशित था! हालाँकि वे अपने होश में आ गए, लेकिन दुर्भाग्य से वे एक बार फिर अपनी गंभीर ऐंठन की स्थिति में वापस आ गए और अपनी दयनीय समझौता करने वाली स्थिति के लिए मैं ख़ुद को ही दोषी ठहरा सकती हूँ!

जब मैं उन्हें होश में लाने के लिए उनकी हथेलियों को रगड़ रही थी, तो मैंने उनके दाहिने हाथ को अपने पैरों पर रगड़ने के एक सत्र को पूरा करने के बाद अपने पैरों पर रखा था और उनकी बाईं हथेली को संभालने में व्यस्त थी। तभी वे होश में आए लेकिन अपनी ऐंठन की स्थिति में चले गए। स्वाभाविक रूप से मैं कुछ पल के लिए कुछ उलझन में थी और मैंने उनका हाथ छोड़ दिया क्योंकि मैंने उनके शरीर में गंभीर झटके महसूस किए। मामा-जी ने मुझे बहुत ही विस्मयकारी अवस्था में छोड़ दिया, मेरे हाथ हवा में थे और उनका बायाँ हाथ (जिसे मैंने अभी-अभी रगड़ा था) मेरे स्तनों पर था और उनका दायाँ हाथ मेरी नंगी जाँघों पर था! मामा-जी के काँपने पर मुझे ठीक से प्रतिक्रिया करने का समय भी नहीं मिला और उन्होंने मेरे स्तनों और जाँघों को पकड़ लिया! इस बार ये मिर्गी के दौरे जैसा दर्द का दौर था जिसमे शरीर ऐंठ रहा था और मैंने ऐसा मिर्गी का दौरा एक बार किसी को बजाजार में पड़ते हुए देखा था।

स्वाभाविक रूप से मैंने तुरंत पीछे हटना शुरू कर दिया, लेकिन उनकी पकड़ बहुत मज़बूत थी। उनका बायाँ हाथ जो सीधे मेरे ब्लाउज से ढके स्तनों पर पड़ा था, तुरंत मेरे दाहिने स्तन को पकड़ लिया और उनकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं लगभग चिल्ला उठी! मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरे मांसल स्तन पर गहराई से दबाव डाल रही थीं और उनका हाथ इतना कठोर और लचीला था कि मैं अपने हाथों से उसे हटा भी नहीं पा रही थी। मैं सचमुच हैरान रह गई जब मामा-जी की हथेली ने मेरे पूरे दाहिने स्तन को जकड़ लिया।

मैं: इईईई। आह... आप क्या कर रहे हैं? ओउउउउउच! मामा-जी!

मैं बहुत ही अजीब तरीके से संघर्ष कर रही थी क्योंकि साथ ही मामा-जी ने अपने दूसरे हाथ से मेरी नंगी जांघ को सहलाना और दबाना शुरू कर दिया था। चूँकि मैंने सिर्फ़ पैंटी पहनी हुई थी और कमर के नीचे कुछ भी नहीं था, इसलिए यह प्रभाव मेरे लिए और भी कामुक और रोमांचक था। जैसे ही मैंने बूढ़े आदमी से दूर जाने की कोशिश की, मुझे एहसास हुआ कि उसने मेरे स्तन को इतनी कसकर पकड़ रखा था कि जब मैं पीछे हटने की कोशिश कर रही थी तो यह वास्तव में मुझे बहुत दर्द दे रहा था।

मेरे स्तनों की घनी और दृढ़ उपस्थिति ने वास्तव में मामा-जी की पकड़ को पूर्णता प्रदान करने में मदद की!

मैं: मामा-जी! मामा-जी! कृपया मुझे छोड़ दो... आह्ह...!

मैं स्पष्ट रूप से संघर्ष कर रही थी और उससे छुटकारा पाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि मामा-जी अपने होश में नहीं थे। वह मानो किसी जादू में डूबे हुए थे! उनका पूरा शरीर अकड़ गया और उनकी आँखें एकदम स्थिर थीं। जब मैंने उन्हें ध्यान से देखा तो मैंने पाया कि मामा-जी मेरी तरफ़ नहीं देख रहे थे, बल्कि वास्तव में वह दीवार पर मेरे पीछे की चीज़ों को देख रहे थे। उनका दृश्य वास्तव में बहुत अस्पष्ट था और मैं उनकी खाली नज़र से घबरा गयी।

मैं: मामा-जी! मामा-जी! क्या आप... स्स्स्स...... क्या आप मुझे सुन सकते हैं मामा-जी? आउच! स्स्स्स्स्स.....!.

मैं ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी क्योंकि मामा-जी का बायाँ हाथ मेरे पूरे स्तन को सामने से मजबूती से "पकड़े" रहा था! हालाँकि मैं उनके खाली और भावहीन रूप को देखकर कुछ हद तक घबरा रही थी, लेकिन मेरे निजी अंगों पर लगातार स्पर्श मुझे बेहद उत्तेजित कर रहा था। जैसे-जैसे मामा-जी अपने ऐंठन में होते जा रहे थे, वे मेरे दाहिने स्तन को अपनी बाईं हथेली में थामे हुए थे और उनके दाहिने हाथ की उंगलियाँ मेरी नंगी गर्म जाँघों को पकड़ रही थीं! मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरी खुली जाँघों की कसी हुई मांसपेशियों पर जम रही थीं, जबकि मामा-जी ऐंठन का अनुभव कर रहे थे। मैं जल्दी ही अपना संतुलन खो रही थी और बहुत तेज़ी से साँस लेने लगी थी। दिन के उजाले में मेरे स्तनों और जाँघों पर एक साथ हो रही छेड़छाड़ मुझे पूरी तरह से शर्मिंदा और उत्तेजित कर रही थी!

मैं: मामा-जी! आह्ह्ह्ह। उह्ह्ह। उईईईईई।

मैं ख़ुद को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी और बेशर्मी से हल्की कराहें निकाल रही थी। मैंने देखा कि मामा-जी भी थोड़ा भारी साँस ले रहे थे, जो स्वाभाविक भी था, 28 वर्षीय विवाहित गृहिणी के सुडोल बड़े स्तनों और नग्न चिकनी जांघों को सहलाने का मौका मिलना एक स्वागत योग्य निमंत्रण से भी अधिक था। हालाँकि शुरू में मैं असीम रूप से घबरा गई थी और सिकुड़ गई थी, लेकिन यह महसूस करते हुए कि मामा-जी ऐंठन के दौर से गुज़र रहे थे, मैंने इस छेड़छाड़ को खुले दिमाग़ से लेना शुरू कर दिया। अगर मेरे पास एक आइना होता तो मैं देख सकती थी कि मेरा चेहरा अभी भी शर्म से बहुत लाल था क्योंकि मामा-जी ने मेरे ब्लाउज से ढके दाहिने स्तन पर अपनी उंगलियाँ नीचे और छोड़ना जारी रखा। उनका दूसरा हाथ मेरी पैंटी के बहुत करीब जा चुका था क्योंकि उनकी उंगलियाँ मेरी खुली हुई जांघों पर अंदर की तरफ़ और भी ज़्यादा झुक रही थीं।

मैं: मामा-जी! आह्ह्ह्ह। प्लीज़ रुकें...... उईईईईई।

मैं धीरे से कराहती रही, लेकिन महसूस किया कि मामा-जी को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं। मैं समझ सकती थी कि यह महज़ संयोग था कि उसके हाथ मेरे संवेदनशील अंगों पर पड़े, अन्यथा यह ऐंठन कोई नई बात नहीं थी और मैंने उन्हें अभी कुछ मिनट पहले भी ऐसा अनुभव करते देखा था, जब वह वास्तव में अपनी उंगलियों को बिस्तर के कवर पर मजबूती से दबा रहे थे। हालाँकि शुरू में मैं वास्तव में शर्मिंदा महसूस कर रही थी और इस बूढ़े आदमी द्वारा अचानक छेड़छाड़ से चौंक गई थी, लेकिन समय के साथ मैं वास्तव में इस छेड़छाड़ का आनंद ले रही थी और एक कामुक दौर में प्रवेश कर रही थी! शुरू में स्वाभाविक शर्म के कारण, मेरी पलकें नीचे थीं, लेकिन अब मुझमें थोड़ा आत्मविश्वास वापस आ गया था और यह पहचानते हुए कि मामा-जी उनकी हरकतों से पूरी तरह अनजान थे, मैं साहसी हो गई।

मैंने चारों ओर देखा (हालाँकि उस समय घर में कोई नहीं था और मैं यह अच्छी तरह से जानती थी) और इस मुठभेड़ से अधिक मज़ा लेने के लिए जल्दी से अपनी मुद्रा को समायोजित किया। मैंने मामा-जी के चेहरे को देखा और उनकी आँखों में अभी भी "खाली" नज़र थी और उनका शरीर कुछ हद तक कठोर बना हुआ था, लेकिन मेरे आश्चर्य से मैंने देखा कि उनका काला लिंग अपनी पूरी महिमा में लंबा खड़ा था और पूरी तरह से तना हुआ था जो उनकी उत्तेजना को दर्शाता था। मैं फिर से थोड़ा भ्रमित हुई; क्या मामा-जी को पता था कि वे क्या कर रहे हैं? क्या वे होश में मेरे स्तन को सहला रहे थे? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? उनका लंड इस स्थिति में कड़ा कैसे रह सकता है? उनकी आँखें इतनी खाली लग रही थीं! और मैंने ख़ुद देखा कि पिछले आधे घंटे में दो बार उन्हें हर्निया के दर्द के दौरान यह गंभीर ऐंठन महसूस हुई! इसलिए मैंने निष्कर्ष निकाला और मुझे यक़ीन हो गया कि यह उनके हर्निया के दर्द से सम्बंधित ऐंठन थी और कुछ नहीं!

जब मैंने अपने मन में मामा-जी की अश्लील हरकत को प्रमाणित किया, तो मैं ख़ुद भी और अधिक निकालने के लिए उत्सुक थी। मैं तुरंत मामा-जी के और करीब बैठ गई और अपने स्तनों को उनके हाथ की ओर धकेल दिया। हालाँकि मैं चाहती थी कि उनके दोनों हाथ मेरे बड़े-बड़े उभरे हुए स्तनों पर हों, लेकिन उनका पूरा शरीर इतना कठोर था कि मैं अपनी इच्छानुसार चीजों को निर्देशित नहीं कर सकती थी। मामा-जी अब तक मेरे गर्म नग्न अंगों को सहला रहे थे, लेकिन अब जब मैंने अपने श्रोणि क्षेत्र को उनकी ओर और आगे बढ़ाया, तो उनका हाथ लगभग मेरी पैंटी पर फिसल गया!

जारी रहेगी

 
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aamirhydkhan

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great update.. waiting for next
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-21

दर्द के दौरे में मेरे स्तन मसलते हुए हाथ, कामुक उत्तेजना के कुछ पल
मैंने चारों ओर देखा (हालाँकि उस समय घर में कोई नहीं था और मैं यह अच्छी तरह से जानती थी) और इस मुठभेड़ से अधिक मज़ा लेने के लिए जल्दी से अपनी मुद्रा को समायोजित किया। मैंने मामा-जी के चेहरे को देखा और उनकी आँखों में अभी भी "खाली" नज़र थी और उनका शरीर कुछ हद तक कठोर बना हुआ था, लेकिन मेरे आश्चर्य से मैंने देखा कि उनका काला लिंग अपनी पूरी महिमा में लंबा खड़ा था और पूरी तरह से तना हुआ था जो उनकी उत्तेजना को दर्शाता था। मैं फिर से थोड़ा भ्रमित हुई; क्या मामा-जी को पता था कि वे क्या कर रहे हैं? क्या वे होश में मेरे स्तन को सहला रहे थे? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? उनका लंड इस स्थिति में कड़ा कैसे रह सकता है? उनकी आँखें इतनी खाली लग रही थीं! और मैंने ख़ुद देखा कि पिछले आधे घंटे में दो बार उन्हें हर्निया के दर्द के दौरान यह गंभीर ऐंठन महसूस हुई! इसलिए मैंने निष्कर्ष निकाला और मुझे यक़ीन हो गया कि यह उनके हर्निया के दर्द से सम्बंधित ऐंठन थी और कुछ नहीं!

जब मैंने अपने मन में मामा-जी की अश्लील हरकत को प्रमाणित किया, तो मैं ख़ुद भी और अधिक निकालने के लिए उत्सुक थी। मैं तुरंत मामा-जी के और करीब बैठ गई और अपने स्तनों को उनके हाथ की ओर धकेल दिया। हालाँकि मैं चाहती थी कि उनके दोनों हाथ मेरे बड़े-बड़े उभरे हुए स्तनों पर हों, लेकिन उनका पूरा शरीर इतना कठोर था कि मैं अपनी इच्छानुसार चीजों को निर्देशित नहीं कर सकती थी। मामा-जी अब तक मेरे गर्म नग्न अंगों को सहला रहे थे, लेकिन अब जब मैंने अपने श्रोणि क्षेत्र को उनकी ओर और आगे बढ़ाया, तो उनका हाथ लगभग मेरी पैंटी पर फिसल गया!

मैं: ओईईईई......... आह्ह ... और... आह्ह्ह्ह... स्स्स्स्स्स्स्स...!

जैसे ही उनकी उँगलियाँ मेरी पैंटी को छूती हैं, मानो मेरे शरीर में बिजली का झटका लगा हो और मेरे कामुक दिमाग़ ने मुझे और भी साहसिक कामुक कार्य करने के लिए मजबूर कर दिया! मैं मामा-जी के खड़े लंड को पकड़ने से ख़ुद को रोक नहीं पाई और उसे सहलाने लगी। जैसे ही मैंने ऐसा किया, मैं महसूस कर सकती थी कि मामा-जी की मेरी दृढ़ छाती पर पकड़ में तुरंत बदलाव आया था; यह पकड़ने की बजाय कपिंग की तरह था। स्वाभाविक रूप से मैं भारी साँस ले रही थी और मेरे ब्लाउज के ऊपर स्तन का मांस अधिक दिखाई दे रहा था। मैं बेहद सेक्सी और बहुत ही अभद्र दिख रही थी, मेरे मक्खन के रंग का मांस मेरे तंग ब्लाउज के ऊपर से निकल रहा था और मामा-जी ने मेरे एक स्तन को सुरक्षित रूप से पकड़ रखा था। मेरे हाथ में एक खड़े पुरुष लिंग का एहसास मेरे लिए और भी बुरा हो गया। हालाँकि मामा-जी का लिंग रस्सी से बंधा हुआ था, लेकिन खड़ा और तना हुआ एहसास मुझे पूरी तरह से उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त था!

मैं: उईईईई...। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। और। आह्ह्ह्ह्ह। स्स्स्स्स्स्स्स्स......!

मैं इस छेड़छाड़ से इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैं अपनी योनि और स्तनों को सहलाने के लिए बेताब हो गयी थी! मैंने ख़ुद ही अपने तंग स्तन को उनके हाथ में और अधिक दबाना शुरू कर दिया और मामा-जी के लिए यह एहसास बहुत बढ़िया रहा होगा क्योंकि मैंने पाया कि वे अपनी उंगलियों को फैलाकर अपने पंजे का आकार बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे कि मेरे पूरे स्तन क्षेत्र को पूरी तरह से अपने हाथ से ढक सकें!

मैं ख़ुद को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी और बुरी तरह से फिसल रही थी।

यह जानते हुए कि मामा-जी इस बात से पूरी तरह अनजान थे कि वे क्या कर रहे थे, मैंने इससे अधिकतम मज़ा निकालने की कोशिश की और यह भी सोचे बिना कि अगर मामा-जी को होश आ गया तो क्या होगा, मैं चाहती थी कि उनका हाथ मेरे ब्लाउज के अंदर हो! दुर्भाग्य से उनका हाथ इतना सख्त था कि दोनों हाथों से कोशिश करने के बावजूद मैं उसे अपने ब्लाउज के अंदर ठीक से नहीं डाल पा रही थी! स्वाभाविक रूप से मैं थोड़ी निराश थी लेकिन उस समय मेरी यौन प्रवृत्ति ऐसी थी, मैंने अपने नंगे स्तन मांस पर उनके हाथ को महसूस करने के लिए बस अपने ब्लाउज के बटन खोलने का फ़ैसला किया!

मैं: अगर मैं ऐसा करती भी हूँ तो क्या नुक़सान है? किसी को पता नहीं चलेगा! मामा जी को तो वैसे भी कुछ पता नहीं है, लेकिन... लेकिन क्या होगा अगर वह सामान्य हो जाएँ और मुझे इस हालत में देखें?

मैं अपने आप में बहस कर रही थी और "संतुष्टि" पाने के लिए तुरंत जवाब पा रही थी!

मैं: मैं कह सकती हूँ कि मामा जी आपने अपने ऐंठन के दौरान मेरे ब्लाउज को इतना कस कर पकड़ा था कि मुझे उसे खोलना पड़ा वरना वह फट जाता। अगर मैं उनके सामने अपनी पैंटी में रह सकती थी और वह इससे खुश थे, तो सिर्फ़ ब्रा में क्यों नहीं?

मैंने उसके बाद एक भी सेकंड बर्बाद नहीं किया और जल्दी से अपनी उंगलियाँ अपने ब्लाउज पर काम करने लगी। यह वाकई एक मुश्किल काम था क्योंकि मामा जी मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे स्तन को बहुत मजबूती से पकड़ रहे थे।

मैं: चलो! आह्ह... अपना हाथ ढीला करो... तुम बूढ़े मूर्ख... आह्ह...!

मैं किसी तरह अपनी उंगलियाँ उनकी मज़बूत पकड़ में घुसाने में कामयाब रही और आखिरकार अपने ब्लाउज के सारे हुक खोलने में कामयाब हो गई। मैं पहले से ही बहुत उत्तेजित थी और अब मेरे बड़े स्तनों के और अधिक उजागर होने से मुझे आसानी से महसूस हो रहा था कि रस की बूँदें मेरी चूत से होकर मेरी पैंटी में टपक रही हैं!

मैं: भगवान का शुक्र है! मामा-जी अपने असली होश में नहीं थे... वरना यह बहुत शर्मनाक होता!

मैंने मामा-जी के हाथ को अपने परिपक्व स्तनों पर और अधिक निर्देशित किया और मेरी ब्रा के अंदर उनकी गर्म उंगलियों का स्पर्श मेरी हालत को दयनीय बना रहा था। मैं उत्तेजना में लगभग फुफकार रही थी और अपने आप मेरी जांघें अलग हो रही थीं। मैंने एक बार मामा-जी की आँखों में देखा और वे अभी भी स्वप्निल थीं और किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रही थीं और मुझे लगभग यक़ीन हो गया था कि उन्हें उस ऐंठन का अनुभव करना जारी था।

मैं इतनी उत्तेजित और उत्तेजित थी और पुरुष के दुलार की लालसा कर रही थी कि मेरे होश उड़ गए! मैं यह पहचानने में असमर्थ थी कि मामा-जी उस मंत्रमुग्ध अवस्था से कब बाहर आए और सामान्य अवस्था में आए! मैंने बस उजागर करना जारी रखा और शालीनता की सभी सीमाओं को पार कर दिया और उदारतापूर्वक उन्हें मेरे 28 वर्षीय पूर्ण विकसित शरीर को दुलारने और छेड़छाड़ करने की अनुमति दी। मामा-जी भी मेरे पूर्ण अविश्वास के लिए बस दिखावा करना जारी रखते थे जैसे कि उन्हें अभी भी ऐंठन का अनुभव हो रहा था और खुलेआम मुझे दुलारते थे!

मैं: आह्ह ...!

स्वाभाविक रूप से यह एहसास बेहद संतुष्टिदायक था क्योंकि मैंने महसूस किया कि मामा-जी की उंगलियाँ मेरी ब्रा के ऊपर और अंदर मेरे स्तन के मांस को महसूस करने लगी हैं। जैसे ही उनकी गर्म उंगलियाँ मिलीं, मैंने तुरंत अपना आसन मामा-जी की ओर कर लिया और अब वस्तुतः मामा-जी का दूसरा हाथ मेरे शहद के बर्तन के ठीक ऊपर था! उनकी ऐंठन ने उनकी उंगलियों को मेरी पैंटी के कपड़े को निचोड़ने पर मजबूर कर दिया, यह एहसास बस... बस कमाल का था!

मैं: आह्ह ... उह्ह्हहहफ़्फ़्फ़्फ़ उफ्फफ्फ्फ़!

मैं मामा-जी की उंगलियों को मेरी चूत के ऊपर मेरी पैंटी के कपड़े के ऊपर मेरे घुंघराले बालों के घने गुच्छे को महसूस कर सकती थी! मेरे बड़े स्तन मेरी ब्रा के कप के खिलाफ ज़ोर से दबा रहे थे और मैं स्वाभाविक रूप से असहज महसूस कर रही थी। मैं अपने खुले ब्लाउज के सामने और उजागर ब्रा के साथ अपने कामुक शरीर के नीचे केवल एक पैंटी कवर के साथ भयानक रूप से सेक्सी लग रही थी।

मैं: आह्ह... उईईईईई!

मैंने बस अपनी आँखें बंद कर लीं और इन पलों का आनंद लेना शुरू कर दिया। मामा-जी की गर्म उंगलियाँ मेरे आधे-नंगे स्तनों और मेरी पैंटी से ढके चूत क्षेत्र को छूते हुए मुझे अत्यधिक कामुक सुख दे रही थीं।

मैं: आह्ह ... ओह्ह्ह्ह!

बस उसी क्षण मुझे अचानक लगा कि मामा-जी मेरे कानों के पास साँस ले रहे थे! लेकिन... लेकिन मेरे हिसाब से उनका चेहरा ऊपर की तरफ़ था और वे दीवार को खाली आँखों से देख रहे थे! वे इतने पास कैसे साँस ले सकते थे? साथ ही मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरी ब्रा के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं और मेरे नग्न स्तनों को और अधिक महसूस करने की कोशिश कर रही थीं! लेकिन... लेकिन इस दौरान उनकी उंगलियाँ केवल एक बहुत ही प्रतिबंधात्मक हरकत कर रही थीं जो उनके गंभीर ऐंठन की विशेषता थी! साथ ही, मेरी कमर के नीचे मैंने महसूस किया कि मामा-जी की उंगलियाँ मेरी पैंटी के ऊपर मेरी दरार के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं! उनके दृष्टिकोण में एक बहुत ही निश्चित परिवर्तन लग रहा था!

मुझे अपनी आँखें खोलनी पड़ीं! मैं अवाक रह गई! मामा-जी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे और उनकी आँखों ने सब कुछ कह दिया! मैं तुरंत ही समझ गया कि मामा जी को होश आ गया है और मुझे इस तरह की बेहद खराब स्थिति में देखकर शायद उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत मिली होगी। उनका चेहरा मेरे होठों के पास था। मैं उनकी सांसों को बहुत स्पष्ट रूप से सुन सकता था। उनके होंठ खुले हुए थे और उनकी आँखों में वह "परिचित" पुरुष की कामुक लालसा झलक रही थी!

जारी रहेगी
 

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-22

कामुक उत्तेजना के कुछ पल और मामा जी ने चौंका दिया
मैंने बस अपनी आँखें बंद कर लीं और पलों का आनंद लेना शुरू कर दिया। मामा-जी की गर्म उंगलियाँ मेरे आधे-नंगे स्तनों और मेरी पैंटी से ढके चूत क्षेत्र को छूते हुए मुझे अत्यधिक कामुक सुख दे रही थीं।

बस उसी क्षण मुझे अचानक लगा कि मामा-जी मेरे कानों के पास साँस ले रहे थे! लेकिन... लेकिन उनका चेहरा ऊपर था और वे दीवार को खाली आँखों से देख रहे थे! वे इतने पास कैसे साँस ले सकते थे? साथ ही मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरी ब्रा के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं और मेरे नग्न स्तनों को और अधिक महसूस करने की कोशिश कर रही थीं! लेकिन... लेकिन इस दौरान उनकी उंगलियाँ केवल एक बहुत ही प्रतिबंधात्मक हरकत कर रही थीं जो उनके गंभीर ऐंठन की विशेषता थी! साथ ही, मेरी कमर के नीचे मैंने महसूस किया कि मामा-जी की उंगलियाँ मेरी पैंटी के ऊपर मेरी दरार के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं! उनके दृष्टिकोण में एक बहुत ही निश्चित परिवर्तन लग रहा था!

मुझे अपनी आँखें खोलनी पड़ीं! मैं अवाक रह गई! मामा-जी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे और उनकी आँखों ने सब कुछ कह दिया! मैं तुरंत समझ गई कि मामा जी को होश आ गया है और मुझे इस तरह की बेहद खराब स्थिति में देखकर शायद उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत मिली होगी। उनका चेहरा मेरे होठों के पास था। मैं उनकी सांसों को बहुत स्पष्ट रूप से सुन सकती थी। उनके होंठ खुले हुए थे और उनकी आँखों में वह "परिचित" लालसा झलक रही थी!

मामा जी: रश्मि! मुझे ख़ुशी है कि तुम्हें आखिरकार मेरी ज़रूरत, मेरी पुकार का एहसास हुआ! जब तुमने अपना ब्लाउज खोला तो मुझे पता चल गया कि तुम मुझे चाहती हो... और मैं तुम्हें निराश नहीं करूँगा, मेरी जान!

मैं अवाक रह गई मुझे लगा की जैसे मैं अपने ही जाल में फंस गई हूँ! वह मुझे मेरे नाम से पुकार रहे थे, जो उन्होंने इतने लंबे समय तक कभी नहीं किया! इससे प [हले वे मुझे बहुरानी, या बेटी या बहु कह कर ही पुकार रहे थे पर अब, एरा नाम ये ले रहे थे और वह भी तब जब मैं ऐसी कामुक स्थिति में थी । मैं बोल नहीं पाई क्योंकि मैंने महसूस किया कि मामा जी का दाहिना हाथ मेरी पीठ की ओर बढ़ रहा था और मेरे मज़बूत स्तनों को खुलेआम सहला रहा था और दबा रहा था। वह मुझे गले लगाने ही वाले थे! मैं बस दंग रह गई। मुझे बहुत शर्म आ रही थी और मैं चुप रही। मामा जी को सब पता था (हे भगवान!) और वह पूरा दिखावा कर रहे थे, जिससे मुझे और आगे बढ़ने का मन हुआ!

मामा जी: रश्मि मैंने इसके लिए एक अनुकूल परिस्थिति बनाने की पूरी और भरपूर कोशिश की... मेरा विश्वास करो... मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा था... लेकिन हमारा रिश्ता हमारे बीच एक दीवार की तरह खड़ा था... मुझे ख़ुशी है कि आखिरकार तुमने मेरी छिपी हुई विनती का जवाब दिया... आओ, मेरे करीब आओ रश्मि!

यह कहते हुए उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरे चारों ओर लपेट लिया और अपना बायाँ हाथ मेरी पैंटी से हटाकर मुझे बेहतर तरीके से गले लगाने लगे। जब वे मुझे मेरे नाम से पुकार रहे थे तो मैं उम्मीद से ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी क्योंकि "बेटी" और "बहुरानी" शब्द बार-बार मुझे उनके साथ अपने रिश्ते की याद दिला देते थे। यह वास्तव में एक मानसिक बाधा थी और मामा जी ने एक अनुभवी की तरह इसका पूरा ख़्याल रखा की वे अब "बेटी" और "बहुरानी" शब्द का इस्तेमाल बिलकुल न करे!

मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि मैं अच्छी तरह से समझ सकती थी कि उन्होंने मेरा विश्वास जीतने के लिए हर्निया प्रकरण का नाटक किया था और जब उन्होंने देखा कि जाल पूरी तरह से बिछा हुआ है और मैं इसमें फस गयी हुईं तो उन्होंने अब मुझे जकड़ लिया और मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकती थी क्योंकि मैं ख़ुद इतनी रोमांचित थी कि मैंने और अधिक यौन सुख प्राप्त करने के लिए अपना ब्लाउज खोल दिया। मैं बिल्कुल सुन्न महसूस कर रही थी और अकड़ भी रही थी।

मामा जी बहुत ही होशियार थे और उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए यह अपेक्षित भी था और उन्होंने मुझे इस मुद्दे पर दोबारा सोचने का बिल्कुल भी मौका नहीं दिया और जल्दी से मुझे अपना आसन बदलने पर मजबूर कर दिया। पहले तो वे बिस्तर के अंदर थे और मैं किनारे पर थी और अब उन्होंने जल्दी से मुझे बिस्तर के अंदर खींच लिया और काफ़ी अधिकारपूर्ण रवैया अपनाया। मामा जी: रश्मि, मेरी प्यारी, तुम जैसी थी वैसी ही रहो, अपनी आँखें बंद करो और रिलैक्स करो, किसी भी चीज़ के बारे में मत सोचो और मुझे यहाँ से आगे बढ़ने दो।

तुम मेरी हर्निया के दौरान हमेशा मेरी मदद करती रही हो... (वे धीरे से मुस्कुराए) और अब मुझे तुम्हारा बदला चुकाने दो... और (उन्होंने फुसफुसाते हुए स्वर में कहा) मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपनी प्यारी रश्मि को बिलकुल निराश नहीं करूँगा!

मैं: मामा जी... (मैं केवल यही बड़बड़ा सकती थी) मामा जी ने जल्दी से अपनी मध्यमा उंगली मेरे होठों पर रखी और मुझे चुप रहने का निर्देश दिया।

मामा जी: उहू! मामा जी नहीं! बस मुझे अर्जुन कहो... बस अर्जुन! (मामा जी का नाम) अब वह मेरे चेहरे पर झुक रहे थे और फिर फुसफुसाते हुए कहा "अर्जुन... मुझे सिर्फ़ अर्जुन कहो" !

मैं अपने मामा जी को उनके नाम से कैसे बुला सकती थी?

मामा जी: रश्मि, मैंने तुमसे कहा था कि हमारे रिश्ते के बारे में मत सोचो... वर्तमान के बारे में सोचो... मुझे एक बार बुलाओ... मैं तुम्हारे होठों से सुनना चाहता हूँ... अर्जुन! "

हालाँकि मुझे थोड़ा मज़ा आया, लेकिन मुझे उनकी आज्ञा का पालन करना था।

मैं: अर्जुन!

मामा जी: ओह! रश्मि... तुमने मेरा दिन बना दिया! इतने सालों बाद मेरा नाम इतना सेक्सी लग रहा था! यह तुम्हारे होठों का करिश्मा है डार्लिंग!

मैं बेहद उत्साहित थी। रस की बूँदें मेरी पैंटी के अंदर तक गीली हो रही थीं और मेरे निप्पल अभी भी मेरी ब्रा के अंदर सख्त और तने हुए थे। मेरी मानसिक स्थिति मेरे नग्न शरीर की तरह लग रही थी और मैं मामा जी के आगे झुक गई।

मामा जी: आह! प्यारे! तुम्हारे स्तन बहुत भरे हुए हैं रश्मि! वे आपकी ब्रा में बहुत अच्छे लगते हैं... और आप केवल इस पैंटी में बहुत आकर्षक लग रही हैं! आह! वाकई बहुत बढ़िया!

स्वाभाविक रूप से ऐसी खुली और सीधी टिप्पणियों को सुनकर मैं थोड़ा पीछे हट गई और अपने पैरों को लगभग पूरी तरह से मोड़ लिया ताकि मामा-जी को मेरी पैंटी से ढकी हुई चूत का सीधा नज़ारा न मिले। मामा-जी ने जल्दी से मेरी हरकत में बाधा डाली और मुझे बिस्तर से खींचना शुरू कर दिया।

मैं: इई। तुम क्या कर रहे हो? इईईईईईईई। नहीं।

मामा-जी: चलो रश्मि! मेरे सामने खड़ी हो जाओ... मुझे तुम्हारी खूबसूरती की सराहना करने दो!

वह काफ़ी मज़बूत थे और उन्होंने मुझे बिस्तर से खींचकर फ़र्श पर खड़ा कर दिया, मेरे ब्लाउज के सारे हुक खुले हुए थे और मेरे शरीर का निचला हिस्सा पूरी तरह से खुला हुआ था, सिवाय मेरी छोटी-सी पैंटी के जो लगभग कुछ भी नहीं ढक रही थी!

मामा-जी: हाँ... बढ़िया! तुम बहुत अच्छी लग रही हो रश्मि! बहुत बढ़िया!

मामा जी ने मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया और मेरे करीब खड़ा हो हए। मामा-जी मेरी आँखों में गहराई से देख रहे थे और स्वाभाविक रूप से मैं उनकी आँखों में सीधे नहीं देख पा रही थी और मुझे कहीं और देखना पड़ा। मैं घबरा रही थी, लेकिन साथ ही साथ बहुत उत्तेजित और उत्साहित भी थी। मैं निश्चित रूप से थका हुआ महसूस कर रही थी, लेकिन अगले ही पल अपनी यौन उत्तेजना के कारण ऊर्जावान हो रही थी!

मैं: मामा... उफ़... मेरा मतलब है अर्जुन... मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि तुम... तुम इतने लंबे समय से ऐसे दिखावा कर रहे थे!

मामा-जी (मुस्कुराते हुए) ... बस तुम्हें पाने के लिए रश्मि... बस तुम्हें पाने के लिए मेरी रानी! और तुम जानती हो... इंतज़ार का फ़ल हमेशा मीठा ही होता है!

मैं: (मैंने आह भरी और फ़र्श की तरफ़ देखा) तुम बहुत शरारती हो...

मामा-जी: और तुम क्या हो मेरी जान? तुमने अपनी साड़ी, अपना पेटीकोट, अपना ब्लाउज मेरे सामने खोल दिया... एह? अगर मैं थोड़ा और इंतज़ार करता तो तुम चली जाती...

मैं: लेकिन... लेकिन... तुमने ही ये सब करवाया है... तुमने ही मुझे इसके लिए मजबूर किया... तुम... तुम बूढ़े लोमड़ (मुस्कुराते हुए) !

यह कहते हुए मैंने मज़ाक में मामा-जी की छाती पर मारा और उन्होंने मेरी नाक को अपनी दो उंगलियों से पकड़ कर मज़ाक में हिलाया।

मामा-जी: मुझे बूढ़ा मत कहो मेरी जान! मैं बूढ़ा दिख सकता हूँ, लेकिन मैं आज भी बहुत मज़बूत हूँ।

मैं: सच में! लेकिन तुमने कभी शादी नहीं की मामा... मेरा मतलब है कि तुमने कभी शादी नहीं की अर्जुन।

मामा-जी: तो क्या? शादी बेकार है, मैं आज़ाद हूँ... एक पक्षी की तरह आज़ाद... तुम्हारी जानकारी के लिए रश्मि, मेरे पास हर रात एक औरत का शरीर होता है।

मैं: लेकिन कैसे?

मामा-जी: मैं तुम्हें बता सकता हूँ... क्योंकि तुम-तुम मुझे बहुत प्यारी हो!

मामा-जी मेरे बहुत करीब आए, मेरे कंधे पर हाथ रखा, मेरे मज़बूत स्तन उनकी छाती पर दबा रहे थे और मुझे गले लगा लिया।

मामा-जी (फुसफुसाते हुए स्वर में) रश्मि मैं अपनी नौकरानी को चोदता हूँ। उसके पास असली हॉर्सपॉवर है, तुम्हें पता है... वह घर पर अपने पति को संतुष्ट करती है और यहाँ मुझे!

मामा-जी के घर में जो मैंने पहले पाया था, उससे यह उम्मीद ही थी; केवल पुष्टि नहीं हुई थी और अब मैंने स्वयं उनके मुँह से यह सुना।

मैं: क्या वह रात में यहाँ रहती है?

जारी रहेगी

 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-22

दर्द के नाटक का पटाक्षेप

उसी क्षण मुझे अचानक लगा कि मामा-जी मेरे कानों के पास साँस ले रहे थे! लेकिन... लेकिन मेरे हिसाब से उनका चेहरा ऊपर की तरफ़ था और वे दीवार को खाली आँखों से देख रहे थे! वे इतने पास कैसे साँस ले सकते थे? साथ ही मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरी ब्रा के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं और मेरे नग्न स्तनों को और अधिक महसूस करने की कोशिश कर रही थीं! लेकिन... लेकिन इस दौरान उनकी उंगलियाँ केवल एक बहुत ही प्रतिबंधात्मक हरकत कर रही थीं जो उनके गंभीर ऐंठन की विशेषता थी! साथ ही, मेरी कमर के नीचे मैंने महसूस किया कि मामा-जी की उंगलियाँ मेरी पैंटी के ऊपर मेरी दरार के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं! उनके दृष्टिकोण में एक बहुत ही निश्चित परिवर्तन लग रहा था!

मुझे अपनी आँखें खोलनी पड़ीं! मैं अवाक रह गई! मामा-जी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे और उनकी आँखों ने सब कुछ कह दिया! मैं तुरंत ही समझ गया कि मामा जी को होश आ गया है और मुझे इस तरह की बेहद खराब स्थिति में देखकर शायद उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत मिली होगी। उनका चेहरा मेरे होठों के पास था। मैं उनकी सांसों को बहुत स्पष्ट रूप से सुन सकता था। उनके होंठ खुले हुए थे और उनकी आँखों में वह "परिचित" पुरुष की कामुक लालसा झलक रही थी!

मामा-जी: रश्मि! मुझे ख़ुशी है कि तुम्हें आखिरकार मेरी पुकार का एहसास हुआ! जब तुमने अपना ब्लाउज खोला तो मुझे पता चल गया था कि तुम भी मुझे चाहती हो... और मैं तुम्हें निराश नहीं करूँगा, मेरी जान!

मैं अवाक रह गई, मानो मैं अपने ही जाल में फँस गई हूँ! मामाजी अब मुझे मेरे नाम से पुकार रहे थे, जो उन्होंने इतने लंबे समय तक कभी नहीं किया! मैं बोल नहीं पाई क्योंकि मैंने महसूस किया कि मामा-जी का दाहिना हाथ मेरी पीठ की ओर बढ़ रहा था और मेरे मज़बूत स्तनों को खुलेआम सहला रहा था और दबा रहा था। वह मुझे गले लगाने ही वाले थे! मैं बस अचंभित थी। मुझे बहुत शर्म आ रही थी और मैं चुप रही। मामा-जी हमेशा से ही जागरूक थे (हे भगवान!) और नाटक कर दर्द और बेहोशी का दिखावा कर रहे थे, जिससे मुझे और आगे बढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ा!

मामा-जी: मैंने इसके लिए अनुकूल स्थिति बनाने की पूरी कोशिश की रश्मि... मेरा विश्वास करो... मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा था ... लेकिन हमारा रिश्ता हमारे बीच एक दीवार की तरह खड़ा था... मुझे ख़ुशी है कि आखिरकार तुमने मेरी छिपी हुई विनती का जवाब दिया... आओ, मेरे करीब आओ रश्मि!

यह कहते हुए उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरे चारों ओर लपेट लिया और अपना बायाँ हाथ मेरी पैंटी से हटाकर मुझे और बेहतर तरीके से गले लगाने लगे। जब वे मुझे मेरे नाम से पुकार रहे थे, तो मैं और भी उत्तेजित हो रही थी, क्योंकि पहले बार-बार "बेटी" और "बहूरानी" शब्द मुझे उनके साथ अपने रिश्ते की याद दिला रहे थे। यह वास्तव में एक मानसिक बाधा थी और मामा-जी ने एक अनुभवी की तरह अब इन शब्दों का इस्तेमाल ना करने का विशेष ख़्याल रखा!

मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं था, क्योंकि मैं अच्छी तरह से समझ सकती थी कि उन्होंने मेरा विश्वास जीतने के लिए हर्निया प्रकरण का नाटक किया था और जब उन्होंने देखा कि जाल पूरी तरह से सेट हो चुका है, तो उन्होंने मुझे पकड़ लिया और मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकती थी, क्योंकि मैं ख़ुद इतनी रोमांचित और उत्तेजित थी कि मैंने और अधिक यौन सुख प्राप्त करने के लिए अपना ब्लाउज खोल दिया। मैं बिल्कुल सुन्न हो गई थी और अकड़ भी गई थी।

मामा-जी बहुत, बहुत चतुर थे और उनकी बढ़ती उम्र और अनुभव को देखते हुए यह अपेक्षित भी था और उन्होंने मुझे इस मुद्दे पर फिर से सोचने का बिलकुल भी मौका भी नहीं दीया और जल्दी से मुझे अपना आसन बदलने के लिए मजबूर किया। पहले तो वह बिस्तर के अंदर थे और मैं किनारे पर थी और अब उसने मुझे जल्दी से बिस्तर के अंदर खींच लिया और काफ़ी अधिकारपूर्ण तरीके से पेश आ रहे थे।

मामा जी: रश्मि, मेरी प्यारी, तुम जैसी थी वैसी ही रहो, अपनी आँखें बंद करो और रिलैक्स करो, किसी भी चीज़ के बारे में मत सोचो और मुझे यहाँ से आगे बढ़ने दो। तुम मेरी हर्निया के दौरान मेरी मदद करती रही हो... (वह धीरे से मुस्कुराये) और अब मुझे तुम्हारा बदला चुकाने दो... और (उसने फुसफुसाते हुए स्वर में कहा) मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपनी प्यारी को निराश नहीं करूँगा!

मैं: मामा जी... (मैं सिर्फ़ यही बड़बड़ा सकती थी) ।

मामा जी ने जल्दी से अपनी बीच वाली उँगली मेरे होठों पर रखी और मुझे चुप रहने को कहा।

मामा जी: उहू! मामा जी नहीं! बस मुझे अर्जुन कहो... बस अर्जुन! वह अब मेरे चेहरे पर झुक रहे थे और उसने फिर से फुसफुसाये "अर्जुन... मुझे बस अर्जुन कहो" !

लेकिन मैं मामा जी को उनके नाम से कैसे पुकार सकती थी?

मामा जी: रश्मि, मैंने तुमसे कहा था कि हमारे रिश्ते के बारे में मत सोचो... वर्तमान के बारे में सोचो... मुझे एक बार बुलाओ ... मैं तुम्हारे होठों से सुनना चाहता हूँ... अर्जुन! "

हालाँकि मुझे थोड़ा मज़ा आया, लेकिन मुझे उनकी आज्ञा का पालन करना था और ये ज़रूरी था ।

मैं: अर्जुन!

मामा जी: ओह! रश्मि... तुमने मेरा दिन बना दिया! इतने सालों बाद मेरा नाम इतना सेक्सी लग रहा था! यह तुम्हारे होठों का करिश्मा है डार्लिंग!

मैं बेहद उत्साहित थी। रस की बूँदें मेरी पैंटी के अंदर तक गीली हो रही थीं और मेरे निप्पल अभी भी मेरी ब्रा के अंदर सख्त और तने हुए थे। मेरी मानसिक स्थिति मेरे नग्न शरीर की तरह लग रही थी और मैं मामा जी इच्छा के आगे झुक गई।

मामा जी: आह! बहुत प्यारी! तुम्हारे स्तन बहुत भरे हुए हैं रश्मि! वे तुम्हारी ब्रा में बहुत अच्छे लग रहे हैं... और तुम सिर्फ़ इस पैंटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो! आह! वाकई बहुत बढ़िया!

स्वाभाविक रूप से ऐसी खुली और सीधी टिप्पणियों को सुनकर मैं थोड़ा पीछे हट गई और अपने पैरों को लगभग पूरी तरह से मोड़ लिया ताकि मामा-जी को मेरी पैंटी से ढकी हुई चूत का सीधा नज़ारा न मिले। मामा-जी ने जल्दी से मेरी हरकत में बाधा डाली और मुझे बिस्तर से खींचना शुरू कर दिया।

मैं: इई। तुम क्या कर रहे हो? इईईईईईईई। नहीं।

मामा-जी: चलो रश्मि! मेरे सामने खड़ी हो जाओ... मुझे तुम्हारी खूबसूरती की सराहना करने दो!

वह काफ़ी मज़बूत था और उसने मुझे बिस्तर से खींच लिया और मुझे फ़र्श पर खड़ा कर दिया, मेरे ब्लाउज के सभी हुक खुले हुए थे और मेरे शरीर का निचला आधा हिस्सा पूरी तरह से खुला था, सिवाय मेरी छोटी-सी पैंटी के जो लगभग कुछ भी नहीं ढक रही थी!

मामा-जी: हाँ... बढ़िया! तुम बहुत अच्छी लग रही हो रश्मि! शानदार!

अर्जुन ने मुझे अपनी बाहों से पकड़ लिया और मेरे करीब खड़ा हो गया। अर्जुन मामा-जी मेरी आँखों में गहराई से देख रहे थे और स्वाभाविक रूप से मैं उनकी आँखों में इतनी सीधे नहीं देख पा रही थी और मुझे कहीं और देखना पड़ा। मैं घबरा रही थी, लेकिन साथ ही बेहद उत्तेजित भी थी। मैं निश्चित रूप से कई बार थका हुआ महसूस कर रही थी, लेकिन अगले ही पल अपनी यौन उत्तेजना के कारण ऊर्जा से भर गयी!

मैं: मामा... उफ़... मेरा मतलब है अर्जुन... मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि तुम... तुम इतने लंबे समय से ये दिखावा कर रहे थे!

मामा-जी (मुस्कुराते हुए) ... सिर्फ़ तुम्हें पाने के लिए रश्मि... सिर्फ़ तुम्हें पाने के लिए मेरी रानी! और तुम जानती हो... इंतज़ार का फ़ल हमेशा मीठा ही होता है!

मैं: (मैंने आह भरी और फ़र्श की ओर देखा) तुम बहुत शरारती हो...

मामा-जी: और तुम क्या हो मेरी जान? तुमने मेरे सामने अपनी साड़ी, अपना पेटीकोट, अपना ब्लाउज़ खोल दिया... एह? अगर मैं थोड़ा और इंतज़ार करता तो तुम मुझे छोड़ कर चली जाती... और ऐसा मौका मुझे पता नहीं फिर कब मिलता?

मैं: लेकिन... लेकिन... तुमने ही यह सब करवाया है... तुमने ही मुझे इसके लिए मजबूर किया... तुम... तुम बूढ़े लोमड़ (मुस्कुराते हुए) !

यह कहते हुए मैंने मज़ाक में मामा जी की छाती पर मुक्का मारा और उन्होंने मेरी नाक को अपनी दो उंगलियों से पकड़ लिया और मज़ाक में हिलाया।

मामा जी: मुझे बूढ़ा मत कहो मेरी डार्लिंग! मैं बूढ़ा दिख सकता हूँ, लेकिन मैं आज भी बहुत मज़बूत हूँ...

मैं: सच में! साठ साल का बूढ़ा नहीं साठ साल का जवान (एक मशहूर विज्ञापन की टैग लाइन) ! लेकिन तुमने कभी शादी नहीं की मामा... मेरा मतलब है कि तुमने कभी शादी नहीं की अर्जुन।

मामा जी: तो क्या हुआ? शादी बेकार है, लेकिन मैं आज़ाद हूँ... एक पक्षी की तरह आज़ाद... तुम्हारी जानकारी के लिए रश्मि, मेरे पास हर रात एक औरत का शरीर होता है।

मैं: हैं? लेकिन कैसे?

मामा जी: मैं तुम्हें बता सकता हूँ... क्योंकि तुम मेरी डार्लिंग हो!

मामा जी मेरे बहुत करीब आए, मेरे कंधे पर हाथ रखे, मेरे मज़बूत स्तन उनकी छाती पर दबा रहे थे और मुझे गले लगा लिया।

मामा जी (फुसफुसाते हुए स्वर में) रश्मि मैं अपनी नौकरानी को चोदता हूँ। उसके पास असली हॉर्सपावर है, तुम्हें पता है... वह घर पर अपने पति को संतुष्ट करती है और मुझे यहाँ!

मामा जी के घर में जो मैंने पहले पाया था, उसके साथ यह अपेक्षित ही था; केवल पुष्टि नहीं थी और अब मुझे उनके श्रीमुँह से यह पता चला।

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी के राज

अपडेट-23

अनुभवी के साथ का मज़ा

मामा जी: रश्मि मैं आज़ाद हूँ... एक पक्षी की तरह आज़ाद... आपकी जानकारी के लिए रश्मि, मेरे पास हर रात एक औरत का शरीर होता है।

मैं: लेकिन कैसे?

मामा जी: मैं तुम्हें बता सकता हूँ... क्योंकि तुम बहुत प्यारी हो!

मामा जी मेरे बहुत करीब आए, मेरे कंधे पर हाथ रखा, मेरे मज़बूत स्तन उनकी छाती पर दबा रहे थे और मुझे गले लगा लिया।

मामा जी (फुसफुसाते हुए स्वर में) मैं अपनी नौकरानी रश्मि को चोदता हूँ। उसके पास असली हॉर्सपॉवर है, तुम्हें पता है... वह घर पर अपने पति को संतुष्ट करती है और यहाँ मुझे!

मामा जी के घर में जो मैंने पहले पाया था, उससे यह उम्मीद ही थी; केवल पुष्टि नहीं हुई थी और अब मुझे घोड़े के मुँह से यह पता चला।

मैं: क्या वह रात में यहाँ रहती है?

मामा जी: हाँ, कभी-कभी... अपने पति को झूटी कहानी सुना कर ... लेकिन ज्यादातर बार मैं उसके साथ दोपहर के समय सेक्स करता हूँ। लेकिन चलो हम उस पर समय बर्बाद नहीं करते... रश्मि, जब तुम मेरी बाहों में हो तो उसके बारे में बात करना पाप होगा!

मामाजी ने ख़ुद को थोड़ा दूर किया और मेरे आधे नग्न शरीर को घूरना शुरू कर दिया। मैं वस्तुतः टू-पीस में थी और मेरा ब्लाउज मेरी पीठ के लिए एक विशेष अर्ध आवरण के रूप में काम कर रहा था! मामाजी मेरी ब्रा से ढके दूध के जगो को घूर रहे थे और मैंने शर्म से नीचे देखा, मैं यह देखकर चौंक गई कि मेरी ब्रा के कप के माध्यम से मेरे बड़े उभरे हुए निप्पल स्पष्ट रूप से देखे जा सकते थे। मैंने जल्दी से उस दृश्य को मामाजी से छिपाने की कोशिश की और बहुत शरमा गई।

मामाजी: ओ! रश्मि! मुझे लगता है कि तुम मेरी बाहों में नग्न होने पर भी शरमाती रहोगी! हा-हा हा...

यह कहते हुए उन्होंने खुलेआम मेरे बड़े कोमल स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। उन्होंने मेरे खड़े होने की मुद्रा में मेरे स्तनों को आगे से दबाना और निचोड़ना शुरू कर दिया!

मैं: आआआ... ईईई... तुम क्या कर रहे हो? कृपया रुको!

मामा-जी बहुत तेज थे और मेरे स्तनों को कस कर दबाते हुए उन्होंने मेरे ब्लाउज को मेरे शरीर से पूरी तरह से अलग कर दिया और मैं उनके सामने सिर्फ़ अपने पारदर्शी अंडरवियर में खड़ी होने के लिए मजबूर हो गई। वे एक पल के लिए खड़े रहे और मेरी परिपक्व शारीरिक सुंदरता को निहारते रहे, मेरे घने, गोल स्तनों, लगभग पूर्ण पेट और बहुत सुडौल और मांसल पैरों की सराहना करते रहे।

मामा-जी ने फिर से आगे बढ़कर मेरे जुड़वां स्तनों को अपने हाथों में लिया और अपना चेहरा उनकी कोमलता की ओर झुकाया। मैं खिलखिला उठी और इधर-उधर हिलने लगी, लेकिन मामा-जी ने मुझे मेरे कूल्हों से पकड़ते हुए अपना चेहरा मेरी क्लीवेज पर दबाना जारी रखा। जैसे ही उन्होंने मेरी गांड पकड़ी और मैंने उनकी उंगलियों को अपनी नंगी गांड के गालों पर महसूस किया, मुझे एहसास हुआ कि मेरी पैंटी इतनी ऊपर उठ गई थी कि मेरा पूरा नितंब क्षेत्र लगभग नंगा था! मामा-जी ने मेरी गांड के गालों को थपथपाया और अपने दोनों हाथों से मेरी भारी गांड को हिलाया और अपनी नाक को मेरी क्लीवेज के अंदर गहराई तक दबाया।

मैं बेशर्मी से चीखने और कराहने लगी क्योंकि मैं उसकी अश्लील हरकतों का आनंद ले रही थी। विशेषज्ञता और कोमलता के साथ, मामा-जी ने मेरी ब्रा उतार दी और मुझे पूरी तरह से टॉपलेस कर दिया!

मामा-जी: वाह! क्या नज़ारा है! तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो रश्मि! बहुत अच्छे और भरे हुए स्तन! अहा!

मुझे नहीं पता था कि मामा-जी ने कितनी देर तक मेरे गर्म नग्न स्तनों को चूमा, चबाया, चूसा और सहलाया, क्योंकि कमरे में समय रुका हुआ लग रहा था! मैं पूरी तरह से कामुक गर्मी में उबल रही थी क्योंकि बूढ़ा आदमी मेरा पूरी तरह से भोग करके ख़ुद को खुश कर रहा था।

काफी देर तक मेरे नग्न स्तनों को सहलाने और मेरे गोल सुपारे जैसे निप्पलों को दबाने के बाद, मामा-जी का ध्यान उन पर कम हो गया। फिर उन्होंने दोनों हाथों से मेरी चिकनी मज़बूत जांघों को सहलाना शुरू कर दिया और उनके चेहरे से पता चल रहा था कि उन्हें यह काम ज़रूर पसंद आ रहा है। अब उन्होंने अपने लंड पर लगी पट्टी हटा दी और अपने उत्तेजित अंग को "आज़ाद" कर दिया। मामा-जी स्वाभाविक रूप से बहुत उत्तेजित थे और अब मुझे चोदने के लिए काफ़ी बेताब थे। मैं भी उस समय तक पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी ताकि उसे संतुष्ट कर सकूँ।

तभी मामा-जी ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मैं लगभग बिस्तर पर पीठ के बल गिर गई। एक सेकंड भी बर्बाद किए बिना उन्होंने मुझे जबरदस्ती बिस्तर पर लिटा दिया और मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में बिस्तर पर लेटी हुई बेहद सेक्सी लग रही थी।

मैं: आउच!

मामा-जी: क्या हुआ बेबी?

मैं: कुछ नहीं! (मैंने आह भरी)

मामा-जी ने तुरंत मेरी पिंडलियों की मालिश करना शुरू कर दिया और फिर अपना ध्यान मेरी प्यारी नंगी जाँघों पर केंद्रित किया। उन्होंने शुरू में मुझे बहुत धीमी और कामुक मालिश दी, लेकिन अपने हाथों को मेरी ऊपरी जाँघों की ओर और ऊपर की ओर खिसकाते रहे! मेरी दूधिया सफ़ेद जाँघें उनकी मालिश के कारण गुलाबी हो रही थीं और मैं वाकई दुनिया के सबसे ऊपर महसूस कर रही थी!

मैं: काश मुझे हर बार इस तरह की धीमी और प्रभावी मालिश मिलती... आह्ह्ह्ह... उईईई...

मेरी पैंटी स्वाभाविक रूप से मेरे रस से काफ़ी गीली हो गई थी और यह मामा-जी को साफ़ दिखाई दे रही थी।

मामा-जी: उह्ह! तुम्हारी चूत से पानी बह रहा है मेरी प्यारी! हो-हो हो...

मैं अपनी गीली योनि से भारी मात्रा में रस स्रावित कर रही थी और उस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था और मेरी पैंटी शायद दयनीय दिख रही होगी; मैं मन ही मन मुस्कुराई। मामा-जी ने अगले ही पल मेरी साँस रोक दी और जबरन मेरी पैंटी को मेरी कमर से खींचना शुरू कर दिया।

मैं: (मैंने चिल्लाया) नहीं... ईईई...... कृपया ऐसा मत करो...

मामा-जी एक कुशल खिलाड़ी थे और एक जोरदार झटके से उन्होंने मेरी पैंटी को मेरी कमर और नितंबों से नीचे सरका दिया और मैं बिल्कुल नंगी हो गई! मेरी पैंटी मेरी मांसल जांघों पर उलझी रही क्योंकि मेरी बालों वाली चूत मामा-जी के सामने पूरी तरह से खुली हुई थी!

मामा-जी: वाह! क्या चूत है यार! रश्मि, तुम एक शाही आइटम बनने की हकदार हो!

उह! शानदार लुक और... और इतने सारे बाल... आह! मुझे वह पसंद है डार्लिंग... मुझे वह पसंद है...जानेमन!

मामा-जी ने कुछ देर तक मेरी नंगी चूत को धीरे से मसला जिससे मैं बीच-बीच में मचल उठती रही और फिर उनकी उंगलियाँ चालाकी से मेरे जघन क्षेत्र को रगड़ने लगीं जिससे मैं बहुत ज़ोर से कराहने लगी और पूरी तरह से उत्तेजित होकर ऐंठने लगी! मामा-जी मेरी योनि के होंठों को अलग करने में सक्षम थे और उन्होंने मेरी फूली हुई भगशेफ को उसके छिपे हुए भाग से बाहर निकाला!

मैं: उउउउउउउउउउउउउउउउह्हहहहहह!

मामा-जी मेरी लगातार फूलती हुई भगशेफ को रगड़ रहे थे और स्वाभाविक रूप से उससे बहुत मज़ा ले रहे थे। मैं धीरे-धीरे अपने चरम की ओर बढ़ते हुए बहुत ही बेशर्मी से कराह रही थी। मैंने महसूस किया कि उनकी उंगलियाँ अंदर घुस रही थीं, सबसे गीले क्षेत्र की तलाश कर रही थीं, मामा-जी मेरी भगशेफ को चरमोत्कर्ष के करीब पहुँचा रहे थे। इस दौरान मामा-जी ने अपने खाली हाथ से एक-एक करके मेरे नग्न स्तनों को दबाना सुनिश्चित किया। जाहिर है कि इससे पूरा मामला मेरे लिए और भी ज़्यादा "गर्म" हो गया। मैं लगभग महसूस कर सकती थी कि मेरे पूरे जघन क्षेत्र में रक्त दौड़ रहा था जो इसे नरक से भी ज़्यादा गर्म बना रहा था!

मैं: आआआआआआआआआआआआआह! उउउउउउहहहहहहहहहह!

मामा-जी की उंगलियाँ अब मेरी योनि में अंदर-बाहर हो रही थीं और जितना मैं सोच सकती थी उससे कहीं ज़्यादा अंदर तक पहुँच रही थीं! यह वास्तव में एक शानदार अनुभव था! वह अपनी उंगलियाँ पीछे खींचते रहे और फिर वापस अंदर घुस गए और एक बेहतरीन सेक्सी लय बनाई! मेरी योनि पर उनकी उंगलियों के हर धक्के, रगड़, धक्का और तीर के साथ, मेरा कामुक शरीर कांप उठा, हिल गया और मेरे ख़ुद के नियंत्रण के बिना उन्हें जवाब दिया। मैं अपने चरम पर पहुँच गई थी और मैं एक सेकंड भी और इंतज़ार नहीं कर सकती थी! मैं जबरदस्त उत्तेजना में चीखी और काँप उठी। मामा-जी मुझे एक हिलते हुए, विस्फोटक, ऐंठन वाले और लगभग दिमाग़ उड़ा देने वाले संभोग तक पहुँचाने में सक्षम थे!

मैं: आआआआआआआआआआआआह! उउउउउउहहहहहहहहहह!

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी उंगलियाँ मामा-जी के बालों के चारों ओर लपेट लीं और अपने नाखूनों को उनके सिर में गहराई तक गड़ा दिया, अपने कूल्हों को उनके चेहरे पर फेंका, लेकिन उन्हें पीछे की ओर झटका दिया और उन्हें बिस्तर के कुशन में धकेल दिया और फिर से ऊपर की ओर! मेरी कराहें अविश्वसनीय परमानंद की पशुवत चीखों में बदल गई थीं!

मैं: उउ ... आह्ह... आआआआआआआआआआआआह! उउउउउउहहहहहहहहहह!

यह एक लंबा और गहरा संभोग था जो मैंने अनुभव किया। ऐसा लग रहा था कि यह बहुत समय से लंबित था और अब उस भारी रस प्रवाह के साथ, मैं अपनी चूत में किसी भी चीज़ से ज़्यादा एक लिंग की इच्छा रखती थी! मैं बहुत ज़ोर से हांफ रही थी और बहुत गर्म महसूस कर रही थी, हालाँकि पूरी तरह से नग्न, मामा-जी के शरीर के नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी। मैं सच कहूँ तो मामा-जी का लंड अपने अंदर लेने के लिए अब काफ़ी उन्मत्त हो रही थी। मैं एक सेकंड भी इंतज़ार नहीं कर सकती थी!

मैं: मामा-जी... आप किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं! आह्ह... मैं इंतज़ार नहीं कर सकती... उह्ह...

मामा-जी: हाँ मेरी सेक्स रानी! मुझे पता है! तुम मेरा लंड लेने के लिए तैयार हो!

मामा-जी ने मुझे बिल्कुल वही समय दिया जिसकी मुझे ज़रूरत थी ताकि मैं चीजों को आग लगा सकूँ! मेरा संभोग धीरे-धीरे कम हो रहा था और मेरी साँसें काफ़ी सामान्य गति पर पहुँच रही थीं और मामा-जी शायद उस समय का इंतज़ार कर रहे थे। इस पूरे समय वह मेरे कामुक नग्न शरीर को ध्यान से देख रहे थे; उसकी नज़रें मेरे सपाट पेट पर घूम रही थीं, मेरी जुड़वां चोटियाँ मेरी हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं, अभी भी बहुत ज़्यादा तनी हुई और सख्त थीं जिन्हें कोई भी मर्द दबाने और सहलाने के लिए मर जाएगा। मेरा पूरा शरीर मानो चमक रहा था क्योंकि मेरा रक्त संचार बहुत तेज़ी से बढ़ गया था और बिस्तर पर नंगी लेटी हुई मैं मानो किसी सेक्स देवी का आदर्श चित्रण कर रही थी!

जारी रहेगी

 
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