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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



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मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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imdelta

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औलाद की चाह

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-15

साडी की दूकान में मेरे बदन के साथ छेड़छाड़

ऐसा नहीं था कि मैंने विरोध करने के बारे में सोचा था, लेकिन मैं असमंजस में थी कि किससे मदद मांगूं, क्योंकि मेरे अपने ही साथी सार्वजनिक स्थान पर मेरे साथ छेड़छाड़ कर रहे थे! इसके अलावा, आपत्ति के तौर पर मैं वास्तव में क्या कहूंगी? मैं ऐसे बुजुर्ग व्यक्ति पर, जो मामा जी का सबसे अच्छा दोस्त भी था, आरोप लगाना शुरू नहीं कर सकती थी ।

दुकानदार की आंखों में मैंने जो सम्मान देखा, उसने भी मुझे यहाँ सीन बनाने से रोक दिया। मैं वास्तव में "असहाय" महसूस कर रही थी और मजबूरी में उन परिस्तिथियों में मुझे इस तरह अपने पीठ पर राधेष्याम अंकल द्वारा टटोलने पर शांत रहना पड़ा।

मैं भली-भांति समझ सकती हूँ कि राधेश्याम अंकल "फ्रस्टू" के एक विशिष्ट उदाहरण थे, जिनसे हम महिलाएँ भीड़ भरी बसों या ट्रेनों में मिलती हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य हमारे शरीर को छूकर विकृत आनंद लेना है। जब मैं मामाजी के आवास पर शौचालय में उनके साथ था, तब भी मैंने उनकी कुछ विकृत चीजों का स्वाद चखा था। सच्चाई ये थी की वह मुझ जैसी कामुक महिला को देखकर पूरी तरह से मोहित हो गया होगा!

मामा जी: ओह! मुझे बैठ कर साड़ियाँ देखने दो। इतनी देर तक ऐसे खड़े रहना दर्दनाक है।

प्यारेमोहन: ज़रूर ज़रूर! एक स्टूल लो। (अब अंकल की ओर देखते हुए) सर, आप भी ऐसा कर सकते हैं...! आप भी स्टूल ले कर बैठ जाएँ! ।

राधेश्याम अंकल: नहीं, नहीं। मैं बिल्कुल ठीक हूँ। आप जानते हैं कि मेरे पैर में समस्या है, इसलिए मेरे लिए खड़ा रहना ही बेहतर है। हा-हा हा...!

प्यारेमोहन: ठीक है, ठीक है। जैसी आपकी इच्छा! मैडम, आगे आप ये गढ़वाली वैरायटी देख लीजिए. यह एक अनोखा प्रिंट है, इसके लिए कोई अन्य रंग संयोजन नहीं है। आइए मैं इसे आपके लिए खोल कर उजागर करूं...!

जैसे ही मामा-जी मेरे पास बैठे, उन्होंने खुद को बग़ल में रखा और संतुलन बनाए रखने के लिए उन्होंने अपनी कोहनी काउंटर टेबल पर रखी जहाँ साड़ियाँ प्रदर्शित थीं, जबकि उन्होंने अपना दूसरा हाथ मेरे स्टूल के पीछे रखा।

मामा जी: बहूरानी, ये मत सोचना कि तुम एक ही साड़ी खरीद पाओगी। आख़िरकार राधेश्याम! इतना 'कंजूस' तो नहीं है। हा-हा हा! मुझे लगता है कि आप वही चुनना जो आपको पसंद आये और फिर अंत में हम तय कर सकते हैं कि क्या-क्या खरीदना है! बहुत सारी या एक । ठीक है?

मैं: ओ... ठीक है मामा जी. मैं लगभग फुसफुसायी)

हालाँकि मैं कुछ हद तक राधेश्याम अंकल की हरकतों से चकित थी, लेकिन मुझे अपने संग्रह में कुछ गुणवत्तापूर्ण साड़ियाँ जोड़ने का अवसर पाकर मैं वास्तव में खुश थी। मैंने राधेश्याम अंकल की हरकतों को उनके बुढ़ापे की हताशा समझकर टालने की पूरी कोशिश की और इसे नजरअंदाज करने की पूरी कोशिश की। मैंने साड़ियों को ब्राउज़ करने पर फिर से ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की।

लेकिन थोड़ी ही देर में मुझे एहसास हुआ कि बैठने की मुद्रा में मेरी गांड स्टूल पर किसी "नई" चीज़ को छू रही थी। मैं बहुत सचेत हो गयी क्योकि मुझे लगा कि यह मामा जी का हाथ था! मैं पीछे मुड़कर निरीक्षण करने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि श्री प्यारेमोहन मेरे ठीक सामने थे। लेकिन अब हर सेकंड के साथ, मुझे एहसास हो रहा था कि धीरे-धीरे और लगातार मामा जी की उंगलियाँ मेरी गांड के मांस को छू रही थीं और दबा रही थीं! मैं स्वाभाविक रूप से सतर्क थी, लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही थी क्योंकि मैं अंकल की हरकतों से पहले ही प्रभावित थी। मामा जी का हाथ मेरे स्टूल के किनारे पर था और वह स्थिर था और निश्चित रूप से उसका कोई गलत इरादा नहीं था। इसलिए मैंने सिर्फ साड़ियों पर ध्यान केंद्रित किया, हालाँकि वास्तव में मामा जी की उंगलियाँ मेरे नितंबों की गोलाई को पर्याप्त रूप से छू रही थीं।

इस बीच में राधेश्याम अंकल ने शालीनता की लगभग सारी हदें पार कर दी थीं, वह अपनी व्यस्त उंगलियों से मेरी पीठ पर मेरी पूरी ब्रा का पता लगा रहे थे। मुझे एक बहुत ही मिश्रित प्रकार की अनुभूति हो रही थी-मैं निश्चित रूप से उत्तेजित हो रही थी, लेकिन दुकानदार से अपनी अभिव्यक्तियाँ छिपाने का मेरा सचेत प्रयास भी था। चूँकि मामा जी मेरे साथ ही साड़ियाँ देख रहे थे इसलिए किसी को मामा की "हरकत" नज़र नहीं आ रही थी! मैंने मन ही मन अपनी सास को ऐसे "गंदे" आदमी के साथ सम्बंध रखने के लिए कोसा!

पूरे समय मैं श्री प्यारेमोहन के सामने अपने होठों पर मुस्कान लटकी रही, जो मेरे ठीक सामने एक के बाद एक साड़ियाँ खोल रहे थे और लगातार बड़बड़ा रहे थे कि साड़ियाँ कितनी अच्छी थीं। अब मैं सार्वजनिक स्थान पर इस तरह से मेरे बदन को टटोलने के बारे में बहुत जागरूक थी, तो मेरे होंठ मेरे दांतों को थोड़ा भींच रहे थे जबकि में साथ-साथ साड़ियों को ब्राउज़ कर रही थी।

अंकल अब अजीब तरह से मेरी ब्रा के हुक के पास अपनी उंगलियों से दबा रहे थे और मुझे सच में चिंता हो रही थी कि अगर किसी तरह ब्रा की हुक खुल गयी तो क्या होगा ...! मैंने क्षण भर के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं और शांत रहने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्य से इस हरकत पर कोई विरोध प्रदर्शित नहीं कर सकी। यह वास्तव में मेरे लिए स्थिति को और भी बदतर बना रहा था। मुझे संभवतः अपनी मुद्रा बदलनी चाहिए थी या कम से कम कुछ ऐसा करना चाहिए था जिससे यह स्पष्ट हो जाए कि मैं इन भद्दी हरकतों को अस्वीकार करती हूँ, लेकिन जब से मैंने चुप रहने का फैसला किया और ऐसा व्यवहार किया जैसे कि मुझे उनके इरादों का एहसास नहीं था, तो अंकल निश्चित रूप से बहुत क्रोधित हो गए थे!

"ओ... हे भगवान! वह क्या कर रहा है?" , मैंने खुद से शिकायत की।

अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि राधेश्याम अंकल मेरे ब्लाउज के नीचे मेरी ब्रा का हुक खोलने की पूरी कोशिश कर रहे थे!

बाप रे! क्या दुस्साहस था!

उसके हाथों की हरकतें स्पष्ट रूप से मेरे लिए परेशानी का संकेत दे रही थीं और वह चतुराई से हुक के दोनों तरफ से सटी हुई मेरी ब्रा की स्ट्रैप को दबा रहा था!

राधेश्याम अंकल: अरे प्यारेमोहन साहब, मुझे लगता है कि बहुरानी पर हल्का हरा रंग ज्यादा अच्छा लगेगा, ये गहरा हरा नहीं।

प्यारेमोहन: ठीक है साहब, मुझे देखने दो कि क्या मुझे वैसा ही रंग मिलता है...!

मैं अंकल की सामान्य स्थिति देखकर आश्चर्यचकित था! वह अच्छी तरह से जानता था कि वह क्या कर रहा है, लेकिन उसने ऐसा व्यवहार किया जैसे...!

मामा जी: बहूरानी, जरा वह साड़ी एक बार और देख लो...!

मैं: कौन-सी कौन-सी? (मुझे सामान्य व्यवहार करना था, कोई दूसरा रास्ता नहीं था!)

मामा जी: वह वाली, वहीं जो कोने पर रखी है ।

मैं: ओ... ठीक है।

श्री प्यारेमोहन साड़ियों का एक ताज़ा गुच्छा खोल रहे थे और इसलिए मुझे वह साड़ी उठानी थी, जिसे मामा जी फिर से देखना चाहते थे, लेकिन वह दूर कोने में थी और मुझे उसे पाने के लिए खुद को स्टूल से थोड़ा उठाना पड़ा।

और...!

और जैसे ही मैंने उस साड़ी को लेने के लिए खुद को आगे बढ़ाया, दो चीजें एक साथ हुईं और मैं बिल्कुल अवाक रह गई! जैसे ही मैंने उस साड़ी के लिए हाथ बढ़ाया, मुझे अपने शरीर को स्टूल से थोड़ा-सा ऊपर उठाना पड़ा और ठीक उसी समय राधेश्याम अंकल, जिनका हाथ काफी समय से मेरी ब्रा के स्ट्रैप पर था, ने अचानक हुक को इस तरह दबा दिया कि यह बस खुल गया!

सच कहूँ तो मुझे ऐसा लगा जैसे इससे मैं शांत हो गयी हूँ! अपने आप मेरे होंठ खुल गए और मेरे मुँह से लगभग चीख निकल गई! मैं एक बोर्ड की तरह कठोर हो गयी थी और मैं मुझ पर जैसे बिजली गिर गयी थी!

अब जब मैंने साड़ी उठा ली थी, तो मैंने अपना नितम्बो को फिर से स्टूल पर रखा और मामा जी का हाथ अपने नीचे पाया! मैं उनकी फैली हुई हथेली पर पूरी तरह बैठ गयी थी।

मैं: आउच!

मामा जी: उउउउउउइइइ... री...! मामा जी तो जैसे दर्द से चिल्ला उठे!

मैं: ओह! क्षमा करें मामा जी!

मैंने तुरंत अपनी गांड सीट से ऊपर उठा ली ताकि मामा जी अपना हाथ हटा सकें, हालाँकि उन्हें कुछ सेकंड के लिए मेरे खूबसूरत चूतड़ों की जकड़न और गोलाई का एहसास हुआ होगा। मुझे तुरंत एहसास हुआ कि मुझे अपनी गतिविधियों के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए था क्योंकि मेरे भारी दूध के कटोरे मेरे ब्लाउज के अंदर बहुत ध्यान से उभरे हुए थे और मिस्टर प्यारेमोहन ठीक मेरे सामने थे!

मामा-जी: उहहुउ... (अपनी उंगलियों का निरीक्षण करते हुए) ओह! बहूरानी, तुम्हारा तो ... इतना बड़ा है... उफ़... तुमने तो मेरी उँगलियाँ तोड़ डालीं!

तुरंत मेरा चेहरा चेरी की तरह लाल हो गया!

मामा जी की टिप्पणी (हालाँकि अधूरी) ने स्पष्ट रूप से मेरी गांड के बारे में संकेत दिया और वह भी इस पूरी तरह से अज्ञात दुकानदार के सामने!

राधेश्याम अंकल: हे हे! ... सबके पास एक ... है, लेकिन बहूरानी के पास बड़ी है! हा-हा हा...!

श्री प्यारेमोहन भी अब हँसी में शामिल हो गए और मुझे उन पुरुषों के बीच बैठे हुए बहुत शर्म महसूस हो रही थी जो मेरी गांड के बड़े आकार पर हँस रहे थे।

मामा जी: असल में मैं कागज का यह छोटा-सा टुकड़ा निकाल रहा था (उन्होंने फर्श की ओर इशारा किया जहाँ मैंने देखा कि कागज का टुकड़ा पड़ा हुआ था) ... दरअसल यह आपके नीचे था... मेरा मतलब उस सीट पर था जहाँ आप बैठी हुई थी। ...

मैं: ओ! मैं देख रही हूँ। अरे मुझे माफ़ कर दो मामा जी।


जारी रहेगी
Ek ke bad ek badiya update
 

macssm

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Best erotic update diya hai..
 

deeppreeti

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-16

बजुर्गो की गांड के माप पर चर्चा

मामा-जी: उहहुउ... (अपनी उंगलियों का निरीक्षण करते हुए) ओह! बहूरानी, तुम्हारा तो ... इतना बड़ा है... उफ़... तुमने तो मेरी उँगलियाँ तोड़ डालीं!

मैं: ओह्ह्ह! सॉरी मामा जी!

मामा जी: ठीक है बहूरानी। (मामा जी अभी भी उंगलियाँ सिकोड़ रहे थे।)

प्यारेमोहन: लेकिन अर्जुन साहब, आप उस गलती से ऐसे कैसे घायल हो गए? आख़िरकार वहाँ बहुरानी का मांस ही तो है और उसके नितम्ब चट्टान की तरह कठोर नहीं होंगे!

दुकानदार (हालाँकि ठीक मेरे सामने खड़ा था) अब मेरे कूल्हों को देखने और उनका आकलन करने की कोशिश कर रहा था!

मामा जी: नहीं, नहीं। यह ठीक है और आपकी जानकारी के लिए प्यारेमोहन साहब, ये सत्य है कि मेरी कोई पत्नी नहीं है, लेकिन मुझे महिला गांड के बारे में कुछ तो जानकारी है!

हा हा हा...!

और हंसी के एक बड़े दौर के साथ उन दोनों ने मामा-जी के बयान का स्वागत किया और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं बिन पानी की मछली की तरह तीन बजुर्गो के बीच फसी हुई थी। मेरे कान लाल हो गए थे और गर्मी छोड़ रहे थे, हालाँकि पहले से ही ब्लाउज के भीतर खुली ब्रा के साथ बैठने से मेरी हालत काफी खराब थी!

मामा जी: प्यारे जी आप सही कह रहे हैं लेकिन इस मामले में मेरा हाथ थोड़ी अजीब स्थिति में था...!

राधेश्याम अंकल: अगर मेरी बहू होती तो शायद तुम्हें चोट नहीं लगती।

श्री प्यारेमोहन: क्यों?

मामा जी: अरे प्यारेमोहन! उसकी बहू मेरी बहूरानी से बहुत पतली है।

उसे तुम्हे तो देखा हैं ना?

श्री प्यारेमोहन: हे! राधेश्याम साहब की बहु ... हाँ, हाँ, याद है! वह S-5 खरीदती और इस्तेमाल करती है। बिलकुल सही! वह मैडम से बहुत ज्यादा पतली है।

मामा जी: वैसे भी, अब मेरा यह हाथ ठीक है (मां जी अभी भी अपनी उंगलियाँ सिकोड़ रहे थे) ।

राधेश्याम अंकल: लेकिन वह "S-5" क्या है जो मेरी बहू खरीदती है?

श्री प्यारेमोहन: हे! वह हमारा दुकान का कोड है।

राधेश्याम अंकल: लेकिन वह क्या है?

मामा जी भी दुकानदार की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे।

श्री प्यारेमोहन: हाँ..., लेकिन हम ग्राहकों के रहस्य दूसरों को नहीं बताते सर!

मामाजी: आइये प्यारेमोहन साहब! हम आपका व्यवसाय खराब नहीं करेंगे!

श्री प्यारेमोहन: हम्म... सच! असल में इसमें कोई गलती नहीं है। S-5 पैंटी का आकार है।

मामा जी और राधेश्याम अंकल दोनों ने दुकानदार की ओर देखकर भौंहें सिकोड़ लीं। जब श्री प्यारेमोहन ने राधेशयाम की पुत्रवधु की इतनी निजी जानकारी उनके साथ साझा की तो मैं भी आश्चर्यचकित रह गयी!

श्री प्यारेमोहन: देखिए अर्जुन साहब, ग्राहक मेरे लिए भगवान की तरह हैं और मैं अपने अधिकांश स्थिर ग्राहकों को इन कोडों के माध्यम से याद रखता हूँ, जाहिर तौर पर हमेशा पैंटी का आकार ही नहीं, लेकिन ब्रा या ब्लाउज का आकार या एक विशिष्ट प्रकार की साड़ी आदि हो सकता है। राधेश्याम साहब की बहू का साइज़ मुझे याद है क्योंकि मेरी दुकान पर आने वाले बहुत कम शादीशुदा ग्राहक S5 साइज़ की पैंटी खरीदते हैं।

इस तरह के स्पष्टीकरण से मेरी जुबान बिल्कुल बंद हो गई थी। मैं श्री प्यारेमोहन की आँखों में भी नहीं देख सकी।

मामा जी: ठीक है, मुझे लगता है कि S का मतलब छोटा है?

मिस्टर प्यारेमोहन: हाँ साहब। यह तुलनात्मक रूप से छोटे नितंबों वाली महिलाओं के लिए है (उन्होंने अपने दोनों हाथों से मामा जी को आकार भी बना कर दिखाया; उनकी हथेलियाँ आकृति बनाने के लिए मुड़ी हुई थीं) ।

राधेश्याम अंकल: उम्म्म लेकिन यह अपनी महिलाओं को याद करने का एक बहुत ही शरारती तरीका है। हा-हा हा...!

मिस्टर प्यारेमोहन: वैसे भी, अर्जुन साहब, आप चाहें तो अपनी उंगलियों पर थोड़ा ठंडा पानी लगा सकते हैं...

तीनो बजुर्ग बड़ी निर्लज्जता से एक महिला जो उनमे से एक की पुत्रवधु थी, के सामने गांड के साइज के बारे में चर्चा कर है रहे थे और मैं उनके बीच फसी हुई, उनकी बाते सुन शर्म से झेंप रहे थी ।

मामाजी: नहीं, नहीं! कोई बात नहीं। आख़िरकार मेरी उंगलियाँ स्टीमरोलर के नीचे तो आईं नहीं है। हा-हा हा...!

मैं पूरी तरह अपमानग्रस्त होकर से काउंटर टेबल की ओर देख रहा था। जब दुकान के खाली हॉल में उन तीनो की हँसी की आवाज़ गूँज रही थी तो मैं पूरी तरह से ख़राब महसूस कर रही थी।

मामा जी: चलो काम पर वापस आते हैं। तो प्यारेमोहन साहब, क्या आप अपने...

प्यारेमोहन: साहब, बस कुछ और साडीया मुझे और दिखानी हैं ताकि मैडम पूरी रेंज में से चुन सकें।

मामा जी: ठीक है, ठीक है।

जैसे ही मैंने विभिन्न साड़ियों को फिर से देखना शुरू किया, मुझे थोड़ा बेहतर महसूस होने लगा, हालाँकि मैं अपने ब्लाउज के अंदर अपनी खुली ब्रा के प्रति सचेत थी। श्री प्यारेमोहन ने एक सुंदर गडवाली वैरायटी की साड़ियों का बंडल खोला, जिसमें अद्भुत रंग संयोजन था, लेकिन जब मैं उस पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, तो मैंने देखा कि दुकानदार उत्साह से मेरे स्तनों को देख रहा था। क्या उसे संकेत मिल गया था कि मेरी ब्रा का हुक खुल गया है? मैंने यथासंभव स्थिर रहने की कोशिश की। मैं अच्छी तरह से जानती थी कि थोड़ी-सी भी हरकत से मेरे स्तन हिलने लगेंगे और एक भारी स्तन वाली महिला होने के नाते मेरे लिए अपने ब्लाउज के भीतर अपने विशाल स्तनों की हरकत को रोकना बेहद मुश्किल होगा।

राधेश्याम अंकल: प्यारेमोहन साहब, हमे ये ज़रूर स्वीकार करना होगा, की आपकी दुकान में इस क्षेत्र में आपका सबसे अच्छा संग्रह है। क्या कहते हो अर्जुन?

मामा जी: बिलकुल राधे, इसीलिए तो हम बहुरानी को यहाँ ही ले कर आए हैं!

प्यारेमोहन: हे-हे हे...!

जब वे बातचीत कर रहे थे तो मुझे एक बार फिर से महसूस हुआ कि राधेश्याम अंकल का हाथ मेरी पीठ पर खेल रहा है। अब जाहिर तौर पर इसका असर मुझ पर अधिक स्पष्ट था क्योंकि चूँकि मेरे स्तनों पर ब्रा का कड़ा आलिंगन नहीं था, इसलिए मेरी पीठ पर अंकल के गर्म स्पर्श से मैं और अधिक उत्तेजित हो रही थी।

हर बार जब उसकी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज की परिधि के बाहर मेरी नंगी त्वचा को छू रही थीं, तो मेरे निपल्स मेरे ब्लाउज के भीतर ऊर्जावान रूप से प्रतिक्रिया दे रहे थे। मैं अपने चेहरे पर मुस्कान लटकाए "सामान्य" दिखने की पूरी कोशिश कर रहा था, लेकिन निस्संदेह मेरे अंदर ही अंदर आग भड़क रही थी। मैं होठों पर ऐसे उत्तेजित होने पर अपना ट्रेडमार्क सूखापन महसूस कर रही थी जिसे मैं हमेशा कामुक भावनाओं के आगमन पर अनुभव करती हूँ और इस निरंतर टटोलने से मुझे चुत में अपनी परिचित खुजली भी होने लगी थी। हालाँकि दुकान कई पंखों से पर्याप्त रूप से हवा आ रही थी, फिर भी मुझे पसीना आने लगा था। बीच-बीच में मैं अपनी साड़ी का पल्लू ठीक कर रही थी और स्टूल पर अपने चूतड़ हिला रही थी ताकि कुछ हद तक शांत रह सकूं!

प्यारेमोहन: यह सबसे आखिरी है तो मैडम, आपने अंतिम चयन के लिए इसे चुना है?

मैं: ये...!

प्यारेमोहन: ठीक है मैडम। तो (साड़ियाँ गिनकर) कुल छह अपनी चुनी हैं। बढ़िया।

मैं: मैं...अरे मैं ये सब नहीं लूंगी ...मेरा मतलब है कि मैं इनमे से चुनूंगी ...!

प्यारेमोहन: हाँ, हाँ मैडम। बिल्कुल ठीक है। आप इनमेसे चुन लीजिये!

राधेश्याम अंकल: बहूरानी, बढ़िया चुनाव है! (आख़िरकार अपना "गंदा" हाथ मेरी पीठ से हटाते हुए) । तुम कम से कम मेरी बहू से बेहतर हो। जब मैं एक बार उनके साथ यहाँ आया था, तो उन्होंने चुनने के लिए लगभग 15 साड़ियाँ चुनीं!

मामा जी: (मुस्कुराते हुए) प्यारेमोहन साहब, क्या आपके साड़ी सेक्शन में इनके अलावा कुछ और भी है, कुछ खास?

प्यारेमोहन: ज़रूर साहब! मुझे बस इस काउंटर को साफ करने दीजिए। मैडम, जब आप हमारे डिज़ाइनर कलेक्शन पर नज़र डालेंगी तो आप सब कुछ लेना चाहेंगी। वह-वह वह...!

श्री प्यारेमोहन ने अब खुली हुई साड़ियों को एक तरफ रख दिया और एक छोटा-सा बंडल निकाला। मैं चुपचाप बैठी थी और सोच रही थी कि मैं अपनी ब्रा का हुक कैसे लगाऊँ। इन मर्दों के सामने ऐसा करना नामुमकिन था। लेकिन जैसे-जैसे मैंने गहराई से सोचा, मुझे एक समाधान मिल गया। कपड़े की दुकान होने के कारण यहाँ ट्रायल रूम होना जरूरी था। मैंने चारों ओर देखा और तुरंत पता चला! मैंने सोचा कि यह आसान होना चाहिए-मैंने सोचा की मैं श्री प्यारेमोहन से कहूंगी कि मैं साड़ियों में से एक को आज़माना चाहूंगी-फिर ट्रायल रूम के अंदर जाऊंगी और अपनी ब्रा बाँधूंगी। मुझे वास्तव में अपने मन में अपनी योजना बना कर मुझे कुछ सहजता महसूस हुई।

प्यारेमोहन: मैडम, ये मुख्य रूप से मुद्रित शिफॉन, जॉर्जेट और क्रेप डिजाइनर संग्रह हैं। ये परफेक्ट पार्टी वियर हैं।

मेरे दिमाग में 'ट्रायल रूम प्लान' होने के कारण मानसिक रूप से कुछ हद तक सहज होने के कारण, मैं इस सेट को देखने के लिए उत्सुक थी, खासकर इसलिए क्योंकि मेरे संग्रह में कोई जॉर्जेट या शिफॉन की साडी नहीं थी। लेकिन जैसे ही श्री प्यारेमोहन ने पहली साड़ी खोली, मुझे तुरंत थोड़ी झिझक महसूस हुई। कारण सरल था-साड़ी बहुत अधिक पारदर्शी थी! ऐसा नहीं था कि मुझे पता नहीं था कि जॉर्जेट और शिफॉन की साड़ियाँ खुली और पतली होती हैं, लेकिन यह कुछ ज़्यादा ही लग रही थी! मैं जाहिर तौर पर अपने ससुराल वालों के सामने ऐसी चीज़ नहीं पहन सकती थी, लेकिन मुझे लगा कि राजेश को यह ज़रूर पसंद आएगी। मैं मन ही मन मुस्कुरायी।

इस बीच श्री प्यारेमोहन ने कुछ और साड़ियों का प्रदर्शन किया और मैं उनके अद्भुत प्रिंटों से बेहद प्रभावित हुई और इन साड़ियों की आकर्षक विशेषताओं के बावजूद मैंने एक साडी लेने का फैसला किया। मुझे पता था कि हमें किसी पार्टी में जाने का मौका मुश्किल से ही मिलता है, जहाँ मैं ऐसा कुछ पहन सकूं, लेकिन ऐसी साडी को मेरे संग्रह में रखने में मुझे कोई हर्ज नजर नहीं आया और जब कोई और भुगतान कर रहा हो तो मुझे ये बहुत अच्छा लगा! मैं फिर मन ही मन मुस्कुरायी।

प्यारेमोहन: मैडम (बहुत खूबसूरत जॉर्जेट की साडी को खोलते हुए) , यह समुद्री हरा रंग आपके रंग से बहुत मेल खाएगा।


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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-17

मैचिंग ब्लाउज और उसकी सिलवाई

मेरे दिमाग में 'ट्रायल रूम प्लान' होने के कारण मानसिक रूप से कुछ हद तक सहज होने के कारण, मैं इस सेट को देखने के लिए उत्सुक थी, खासकर इसलिए क्योंकि मेरे संग्रह में कोई जॉर्जेट या शिफॉन की साडी नहीं थी। लेकिन जैसे ही श्री प्यारेमोहन ने पहली साड़ी खोली, मुझे तुरंत थोड़ी झिझक महसूस हुई। कारण सरल था-साड़ी बहुत अधिक पारदर्शी थी! ऐसा नहीं था कि मुझे पता नहीं था कि जॉर्जेट और शिफॉन की साड़ियाँ खुली और पतली होती हैं, लेकिन यह कुछ ज़्यादा ही लग रही थी! मैं जाहिर तौर पर अपने ससुराल वालों के सामने ऐसी चीज़ नहीं पहन सकती थी, लेकिन मुझे लगा कि राजेश को यह ज़रूर पसंद आएगी। मैं मन ही मन मुस्कुरायी।

इस बीच श्री प्यारेमोहन ने कुछ और साड़ियों का प्रदर्शन किया और मैं उनके अद्भुत प्रिंटों से बेहद प्रभावित हुई और इन साड़ियों की आकर्षक विशेषताओं के बावजूद मैंने एक साडी लेने का फैसला किया। मुझे पता था कि हमें किसी पार्टी में जाने का मौका मुश्किल से ही मिलता है, जहाँ मैं ऐसा कुछ पहन सकूं, लेकिन ऐसी साडी को मेरे संग्रह में रखने में मुझे कोई हर्ज नजर नहीं आया और जब कोई और भुगतान कर रहा हो तो मुझे ये बहुत अच्छा लगा! मैं फिर मन ही मन मुस्कुरायी।

प्यारेमोहन: मैडम (बहुत खूबसूरत जॉर्जेट की साडी को खोलते हुए) , यह समुद्री हरा रंग आपके रंग से बहुत मेल खाएगा।

प्यारेमोहन: मैडम (बहुत खूबसूरत जॉर्जेट खोलते हुए) , यह समुद्री हरा रंग आपके रंग से बहुत मेल खाएगा। कृपया इसे देखिये ...!

मामा जी: वाह! ये वाकई बहुत खूबसूरत है!

प्यारेमोहन: मैडम, जरा इस कपड़े को छूकर देखिए, यह इतना हल्का और चिकना है कि आपको लगेगा ही नहीं कि आपने कुछ पहना है!

मैं: हम्म... (हालाँकि मुझे प्रिंट बहुत पसंद आया, लेकिन इन "ठरकी बजुर्ग" पुरुषों के सामने इस पारदर्शी कपड़े का निरीक्षण करने में मुझे कठिनाई महसूस हो रही थी)

राधेश्याम अंकल: (उंगलियों से साड़ी का निरीक्षण करते हुए) बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया। मैं सिर्फ एक सवाल पूछ रहा हूँ, हालांकि मैं इन चीजों के बारे में बहुत नौसिखिया हूँ... मैंने अपनी बहू से जो कुछ भी सुना है... कई बार जब मैं उसके साथ खरीदारी के लिए जाता हूँ तो मैंने हमेशा देखा कि मेरी बहू मैचिंग ब्लाउज पर बहुत ध्यान देती है और उसके लिए उसे काफी मशककत करनी पड़ती है और चुनाव में काफी समय भी लगता है। तो क्या आप इसके साथ वह भी दे रहे हैं?

मामाजी: बहूरानी, देखो, राधे तुम्हारा आधा काम कर रहा है! हा-हा हा...!

मैं भी इस बुजुर्ग पुरुष का वह विशिष्ट स्त्रीप्रश्न सुनकर मुस्कुराना बंद नहीं कर सकी!

प्यारेमोहन: (मुस्कुराते हुए भी) मैडम आपने भी तो सोचा होगा।

मैं: हाँ... हाँ। उस के बारे में आपका पास क्या है ...?

प्यारेमोहन: मैडम, मैंने आपको जो भी डिज़ाइनर साड़ियाँ दिखाई हैं, उनके मैचिंग ब्लाउज पीस मेरे पास हैं।

उसने अपनी बात पूरी तरह पूरी भी नहीं की थी कि उसने तुरंत एक छोटा-सा बंडल निकाला और तेजी से स्कैन किया और इस समुद्री हरे जोर्गेट के लिए मैचिंग ब्लाउज का टुकड़ा निकाला!

प्यारेमोहन: ये रहा मैडम।

उसने ब्लाउज का टुकड़ा मेरे सामने फैलाया और मैं उसकी पारदर्शिता देखकर हैरान रह गयी! मुझे आश्चर्य हुआ कि एक महिला इतना पतला कपड़ा कैसे पहन सकती है ... क्योंकि इसके माध्यम से सब कुछ दिखाई देगा! श्री प्यारेमोहन ने शायद मेरा मन पढ़ लिया!

प्यारेमोहन: मैडम, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि आप क्यों नाक-भौं सिकोड़ रही हैं, लेकिन चिंता मत कीजिए. महोदया, हम ब्लाउज के टुकड़े के साथ उपयुक्त इनर (=कपड़े को अपारदर्शी बनाने के लिए ब्लाउज के अंदर आंतरिक कपड़ा) प्रदान करते हैं।

चूँकि मेरे विचारों को इस दुकानदार ने रंगे हाथों पकड़ लिया था इसलिए मैं शरमा गई और मुस्कुराते हुए भी नीचे देखने लगी।

मैं: ओ... ठीक है। तो फिर ठीक है।

प्यारेमोहन: असल में इन सभी डिज़ाइनर कलेक्शन ब्लाउज पीस में इनर है, नहीं तो आप इन्हें कैसे पहन सकती हैं मैडम? अन्यथा सब कुछ दिखता रहेगा। वह-वह वह...!

उसने आखिरी टिप्पणी मेरे पके हुए स्तनों को देखकर की थी और मैं उस अश्लील संकेत से पूरी तरह चिढ़ गई थी।

मामा जी: हे भगवान! कितनी सारी बातें सामने आ रही हैं! हमारे समय में मुझे कभी ऐसी भीतरी बात देखने सुनने को नहीं मिली।! क्या आपने ऐसी बाते कभी सुनी हैं राधे?

राधेश्याम अंकल: बिलकुल नहीं! हमारे समय में औरत ब्लाउज और ब्रा पहनती थी, बस इतना ही। कोई भीतरी बाहरी हिस्सा नहीं...हा हा हा...!

प्यारेमोहन: सर-जी, समय बदल गया है। ही-ही ही...आजकल की महिलाएँ नए डिजाइन, नए कॉन्सेप्ट वाले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करती हैं...वैसे मैडम, क्या आपने पहले कभी इनर का इस्तेमाल किया है?

मैं: नहीं...हाँ...अरे मेरा मतलब है नहीं।

मैं बुरी तरह लड़खड़ाने लगी क्योंकि मामा जी और राधेश्याम अंकल की उपस्थिति में इस विषय पर बात करने में मुझे बिल्कुल भी सहजता नहीं महसूस हो रही थी, लेकिन दुकानदार ने मुझे इसमें खींच लिया था।

प्यारेमोहन: हे! अच्छा ऐसा है। तो फिर मैडम, मुझे आपको यह बताना चाहिए कि आपको अपने दर्जी को यह बताना याद रखना चाहिए कि जब वह आपके ब्लाउज के लिए माप ले तो उसमें 2-3 मिलीमीटर जोड़ने के लिए कहें, अन्यथा क्या होगा?

ये दर्जी आम तौर पर माप में कोई बदलाव किए बिना सिर्फ अंदरूनी सिलाई करते हैं। ऐसा मैडम आपको महसूस हो सकता है... मेरा मतलब यहाँ टाइट है (उसने अपनी छाती की ओर इशारा किया) हे-हे हे...!

हंसी इतनी घृणित थी क्योंकि मैं ठीक-ठीक जानता थी कि उसका क्या मतलब था।

प्यारेमोहन: आइए मैं आपको दिखाता हूँ कि यह कैसा दिखेगा... असल में मेरे पास नमूने के तौर पर एक सिला हुआ जॉर्जेट ब्लाउज है... बस एक मिनट के लिए... !

वह नमूना लेने के लिए तेजी से नीचे की ओर झुका और मैं इतने बड़े शरीर के साथ भी उसकी फिटनेस देखकर बहुत प्रभावित हुयी!

प्यारेमोहन: ये रही मैडम।

जैसे ही उन्होंने टेबल पर सैंपल ब्लाउज रखा, मैंने मामा जी को देखा और अंकल लगभग उछल पड़े और तुरंत ब्लाउज के कपड़े का निरीक्षण करने लगे! ब्लाउज काउंटर टेबल पर फैला हुआ था और मामा जी और राधेश्याम अंकल दोनों ने उसका निरीक्षण करने के बहाने अपने हाथ ब्लाउज के कपों पर रखे हुए थे! मुझे उस सेटिंग में बस दुख महसूस हुआ!

प्यारेमोहन: मैडम, देखिए अंदर का हिस्सा कैसा सिल दिया गया है... आस्तीन सामान्य हैं, लेकिन पीछे, किनारे और कपों पर वह चीज़ इस तरह से सिल दी गई है...!

कहते हुए उसने अपनी उंगलियाँ ब्लाउज के कप के अन्दर डालीं और मुझे दिखाया कि ब्लाउज के अन्दर इनर कैसे सिल दिया जाता है और इस बात का ज़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है कि जब वह मुझसे बात कर रहा था तो वह बार-बार मेरे पूर्ण आकार के स्तनों पर नज़र गड़ाए हुए था। मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और ऐसा लगा जैसे दुकानदार अपनी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज के अंदर फंसा रहा हो! मैंने सामान्य रहने की कोशिश की, लेकिन अपनी पैंटी के भीतर एक असाध्य खुजली महसूस हुई और मुझे शांत रहने के लिए अपनी साड़ी के ऊपर से एक बार खुजलाना पड़ा। मामा जी, चाचा और दुकानदार के सामने ऐसा करना बहुत असुविधाजनक था क्योंकि वे सभी मेरे दाहिने हाथ की उंगलियों को देख रहे थे जब मैं अपनी साड़ी के ऊपर से अपने क्रॉच को खरोंच रही थी!

मामाजी: प्यारेमोहन साहब, क्या आप ब्लाउज़ नहीं सिलते? मैंने सोचा कि तुम ही ऐसा कर दो ...!

प्यारेमोहन: अरे हाँ साहब! और मैं वास्तव में मैडम को यही सुझाव देने की योजना बना रहा था।

मैं: क्या?

प्यारेमोहन: मैडम, अगर आप इस जॉर्जेट का मैचिंग ब्लाउज यहीं सिलवाएँ तो सबसे अच्छा रहेगा। हमारे पास सबसे कुशल दर्जी हैं। अर्जुन साहब कह रहे थे कि आपको कुछ और मार्केटिंग करनी है और जब आप घर लौटो तो यहीं से ब्लाउज ले लेना...!

मामा जी: वाह! आपको इतना कम समय लगता है?

प्यारेमोहन: साहब देखिए, हमें बड़े व्यापारी घरानों को आपूर्ति करने की ज़रूरत है और उन जगहों पर बदलाव एक महत्त्वपूर्ण कारक है। मेरे दर्जी बहुत तेज़ और सटीक हैं। मैडम, आपको मेरा प्लान कैसा लगा?

अब मेरे पेट में लगभग तितलियाँ उड़ रही थीं। मैं पहले से ही एक दुकान में दो बुजुर्ग पुरुषों और एक दुकानदार के साथ अपने ब्लाउज के अंदर खुली हुई ब्रा के साथ बैठी थी और अगर मुझे इस स्थिति में अपने ब्लाउज के लिए माप देने की आवश्यकता होगी, तो मैं संशय में थी की मैं निश्चित रूप से शर्म के कारण क्या जवाब दूं! मुझे कुछ करना था और कुछ करना था-तेजी से।

मैं: हाँ... मेरा मतलब है... यह ... जानना वाकई अच्छा है, लेकिन, हमें इस पर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और मैं पहले साड़ी फाइनल कर लेती हूँ।

प्यारेमोहन: ज़रूर मैडम। कोई जल्दी नहीं। मैं बस आपको यह बताना चाहता था कि हमारे पास वह सेवा है, हम ये सेवा भी आपको प्रदान कर सकते हैं बस इतना ही।

राधेश्याम अंकल: तो बहूरानी, क्या तुम यही साड़ी लेने की योजना बना रही हो या तुमने डिज़ाइनर कलेक्शन में से कुछ और चुना है?

मैं: उम्म... हाँ, मैं इसे ले लूंगी।

जैसा कि मैंने कहा था मैंने नोट किया कि अंकल मेरे गले की ओर देख रहे थे! मैंने जल्दी से अपनी पलकें झुका लीं और पाया कि मेरी साड़ी का पल्लू सामने की ओर कुछ खिसक गया है और मेरी पलकों के बीच एक गैप बन गया है।

पल्लू और मेरा शरीर और बूढ़ा हंबग अपनी खड़ी मुद्रा से मेरे ब्लाउज के अंदर झाँक रहा था।

प्यारेमोहन: ठीक है मैडम, मैं इसके लिए ब्लाउज पीस और इनर लाऊंगा और उन्हें एक तरफ रख दूंगा।

मेरी मक्खन के रंग की गहरी दरार के साथ-साथ मेरे ब्लाउज के कप के अंदर दबा हुआ मेरा भारी मांस अंकल को उस कोण से बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था और मैंने तुरंत अपना पल्लू ठीक से लपेट लिया ताकि इस भद्दी तरह से अंकल की ताक झाँक को रोका जा सके! अंकल मेरी इस हरकत पर बुरी तरह से मुस्कुराए, जिससे मैं और भी चिढ़ गई

प्यारेमोहन: मैडम। अब मेरे साथ आओ!

इतना कहकर वह काउंटर से बाहर निकलने ही वाला था कि तुरंत मेरे दिमाग में खतरे की घंटियाँ बजने लगीं, क्योंकि मैं अपनी "हालत" से भलीभांति परिचित थी।

मैं: लेकिन... लेकिन कहाँ?

प्यारेमोहन: वहाँ मैडम। तुम वह दर्पण देखो। वहाँ आप खुद को बेहतर तरीके से देख सकती हैं और साड़ियों पर निर्णय लें।

मैं: मेरा मतलब है... ... क्या हम... बाद में कर सकते हैं...

मैं स्वाभाविक रूप से बहुत अजीब तरह से लड़खड़ा रही थी क्योंकि मैं निश्चित रूप से अपनी आभासी ब्रा-लेस स्थिति के साथ इन पुरुषों के सामने चलने की इस स्थिति से बचना चाहती थी। अब पहले ट्रायल रूम में जाने का कोई रास्ता नहीं था क्योंकि श्री प्यारेमोहन ने पहले ही मुझे दर्पण का दृश्य पेश कर दिया था, जो उस हॉल के ठीक बीच में कुछ ही फीट की दूरी पर था।

एक पल में ही मुझे एहसास हुआ कि अपनी इज्जत बचाने का केवल एक ही रास्ता है।

जैसे ही मैं कहने वाली थी "मैं एक बार शौचालय जाना चाहूंगा" ... अंकल...!

राधेश्याम अंकल: प्यारेमोहन साहब, क्या मैं एक बार टॉयलेट जा सकता हूँ। क्या ऊपर कोई है या मुझे नीचे जाना होगा?

प्यारेमोहन: ऊपर एक है, लेकिन... अरे... मेरा मतलब है...!

राधेश्याम अंकल: तुम क्यों झिझक रहे हो? कोई समस्या?

प्यारेमोहन: नहीं, नहीं। असल में यह एक महिला शौचालय है, लेकिन वैसे भी ऊपर कोई ग्राहक नहीं है, इसलिए आप इसे सुरक्षित रूप से उपयोग कर सकते हैं।

राधेश्याम अंकल: ओहो ठीक है! ठीक है!

मैं केवल अपने होठों को घुमा-घुमा कर अंकल को कोस रहा था कि उन्होंने इस भयावह स्थिति से बचने की जो थोड़ी-सी आशा थी वह भी मुझसे छीन ली।

लेकिन...

भगवान मेरे प्रति इतने निर्दय नहीं थे!

मामा जी: लेकिन राधे तुम्हें मदद के लिए किसी की जरूरत है...!

बिना एक पल की भी देरी किए मैंने उत्सुकता से मामा जी के मुँह से शब्द छीन लिया।

मैं: मामा जी, आप आराम करें! मैं यहीं हूँ ना मैं अंकल को टॉयलेट ले जाऊँगी। कोई समस्या नहीं।

मामा जी: ठीक है. ठीक है और चूँकि आप पहले ही एक बार उसकी सहायता कर चुकी हैं, इसलिए यह बहुत कठिन नहीं होगा। वह ... वह...!

मैं: (अधिक जोश के साथ) बिल्कुल!

राधेश्याम अंकल: बहुत बहुत धन्यवाद बहूरानी. हे हे हे वैसे, शौचालय किस रास्ते पर है प्यारेमोहन साहब?

प्यारेमोहन: इस तरफ, साहब!


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-17

मैचिंग ब्लाउज और उसकी सिलवाई

मेरे दिमाग में 'ट्रायल रूम प्लान' होने के कारण मानसिक रूप से कुछ हद तक सहज होने के कारण, मैं इस सेट को देखने के लिए उत्सुक थी, खासकर इसलिए क्योंकि मेरे संग्रह में कोई जॉर्जेट या शिफॉन की साडी नहीं थी। लेकिन जैसे ही श्री प्यारेमोहन ने पहली साड़ी खोली, मुझे तुरंत थोड़ी झिझक महसूस हुई। कारण सरल था-साड़ी बहुत अधिक पारदर्शी थी! ऐसा नहीं था कि मुझे पता नहीं था कि जॉर्जेट और शिफॉन की साड़ियाँ खुली और पतली होती हैं, लेकिन यह कुछ ज़्यादा ही लग रही थी! मैं जाहिर तौर पर अपने ससुराल वालों के सामने ऐसी चीज़ नहीं पहन सकती थी, लेकिन मुझे लगा कि राजेश को यह ज़रूर पसंद आएगी। मैं मन ही मन मुस्कुरायी।

इस बीच श्री प्यारेमोहन ने कुछ और साड़ियों का प्रदर्शन किया और मैं उनके अद्भुत प्रिंटों से बेहद प्रभावित हुई और इन साड़ियों की आकर्षक विशेषताओं के बावजूद मैंने एक साडी लेने का फैसला किया। मुझे पता था कि हमें किसी पार्टी में जाने का मौका मुश्किल से ही मिलता है, जहाँ मैं ऐसा कुछ पहन सकूं, लेकिन ऐसी साडी को मेरे संग्रह में रखने में मुझे कोई हर्ज नजर नहीं आया और जब कोई और भुगतान कर रहा हो तो मुझे ये बहुत अच्छा लगा! मैं फिर मन ही मन मुस्कुरायी।

प्यारेमोहन: मैडम (बहुत खूबसूरत जॉर्जेट की साडी को खोलते हुए) , यह समुद्री हरा रंग आपके रंग से बहुत मेल खाएगा।

प्यारेमोहन: मैडम (बहुत खूबसूरत जॉर्जेट खोलते हुए) , यह समुद्री हरा रंग आपके रंग से बहुत मेल खाएगा। कृपया इसे देखिये ...!

मामा जी: वाह! ये वाकई बहुत खूबसूरत है!

प्यारेमोहन: मैडम, जरा इस कपड़े को छूकर देखिए, यह इतना हल्का और चिकना है कि आपको लगेगा ही नहीं कि आपने कुछ पहना है!

मैं: हम्म... (हालाँकि मुझे प्रिंट बहुत पसंद आया, लेकिन इन "ठरकी बजुर्ग" पुरुषों के सामने इस पारदर्शी कपड़े का निरीक्षण करने में मुझे कठिनाई महसूस हो रही थी)

राधेश्याम अंकल: (उंगलियों से साड़ी का निरीक्षण करते हुए) बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया। मैं सिर्फ एक सवाल पूछ रहा हूँ, हालांकि मैं इन चीजों के बारे में बहुत नौसिखिया हूँ... मैंने अपनी बहू से जो कुछ भी सुना है... कई बार जब मैं उसके साथ खरीदारी के लिए जाता हूँ तो मैंने हमेशा देखा कि मेरी बहू मैचिंग ब्लाउज पर बहुत ध्यान देती है और उसके लिए उसे काफी मशककत करनी पड़ती है और चुनाव में काफी समय भी लगता है। तो क्या आप इसके साथ वह भी दे रहे हैं?

मामाजी: बहूरानी, देखो, राधे तुम्हारा आधा काम कर रहा है! हा-हा हा...!

मैं भी इस बुजुर्ग पुरुष का वह विशिष्ट स्त्रीप्रश्न सुनकर मुस्कुराना बंद नहीं कर सकी!

प्यारेमोहन: (मुस्कुराते हुए भी) मैडम आपने भी तो सोचा होगा।

मैं: हाँ... हाँ। उस के बारे में आपका पास क्या है ...?

प्यारेमोहन: मैडम, मैंने आपको जो भी डिज़ाइनर साड़ियाँ दिखाई हैं, उनके मैचिंग ब्लाउज पीस मेरे पास हैं।

उसने अपनी बात पूरी तरह पूरी भी नहीं की थी कि उसने तुरंत एक छोटा-सा बंडल निकाला और तेजी से स्कैन किया और इस समुद्री हरे जोर्गेट के लिए मैचिंग ब्लाउज का टुकड़ा निकाला!

प्यारेमोहन: ये रहा मैडम।

उसने ब्लाउज का टुकड़ा मेरे सामने फैलाया और मैं उसकी पारदर्शिता देखकर हैरान रह गयी! मुझे आश्चर्य हुआ कि एक महिला इतना पतला कपड़ा कैसे पहन सकती है ... क्योंकि इसके माध्यम से सब कुछ दिखाई देगा! श्री प्यारेमोहन ने शायद मेरा मन पढ़ लिया!

प्यारेमोहन: मैडम, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि आप क्यों नाक-भौं सिकोड़ रही हैं, लेकिन चिंता मत कीजिए. महोदया, हम ब्लाउज के टुकड़े के साथ उपयुक्त इनर (=कपड़े को अपारदर्शी बनाने के लिए ब्लाउज के अंदर आंतरिक कपड़ा) प्रदान करते हैं।

चूँकि मेरे विचारों को इस दुकानदार ने रंगे हाथों पकड़ लिया था इसलिए मैं शरमा गई और मुस्कुराते हुए भी नीचे देखने लगी।

मैं: ओ... ठीक है। तो फिर ठीक है।

प्यारेमोहन: असल में इन सभी डिज़ाइनर कलेक्शन ब्लाउज पीस में इनर है, नहीं तो आप इन्हें कैसे पहन सकती हैं मैडम? अन्यथा सब कुछ दिखता रहेगा। वह-वह वह...!

उसने आखिरी टिप्पणी मेरे पके हुए स्तनों को देखकर की थी और मैं उस अश्लील संकेत से पूरी तरह चिढ़ गई थी।

मामा जी: हे भगवान! कितनी सारी बातें सामने आ रही हैं! हमारे समय में मुझे कभी ऐसी भीतरी बात देखने सुनने को नहीं मिली।! क्या आपने ऐसी बाते कभी सुनी हैं राधे?

राधेश्याम अंकल: बिलकुल नहीं! हमारे समय में औरत ब्लाउज और ब्रा पहनती थी, बस इतना ही। कोई भीतरी बाहरी हिस्सा नहीं...हा हा हा...!

प्यारेमोहन: सर-जी, समय बदल गया है। ही-ही ही...आजकल की महिलाएँ नए डिजाइन, नए कॉन्सेप्ट वाले कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करती हैं...वैसे मैडम, क्या आपने पहले कभी इनर का इस्तेमाल किया है?

मैं: नहीं...हाँ...अरे मेरा मतलब है नहीं।

मैं बुरी तरह लड़खड़ाने लगी क्योंकि मामा जी और राधेश्याम अंकल की उपस्थिति में इस विषय पर बात करने में मुझे बिल्कुल भी सहजता नहीं महसूस हो रही थी, लेकिन दुकानदार ने मुझे इसमें खींच लिया था।

प्यारेमोहन: हे! अच्छा ऐसा है। तो फिर मैडम, मुझे आपको यह बताना चाहिए कि आपको अपने दर्जी को यह बताना याद रखना चाहिए कि जब वह आपके ब्लाउज के लिए माप ले तो उसमें 2-3 मिलीमीटर जोड़ने के लिए कहें, अन्यथा क्या होगा?

ये दर्जी आम तौर पर माप में कोई बदलाव किए बिना सिर्फ अंदरूनी सिलाई करते हैं। ऐसा मैडम आपको महसूस हो सकता है... मेरा मतलब यहाँ टाइट है (उसने अपनी छाती की ओर इशारा किया) हे-हे हे...!

हंसी इतनी घृणित थी क्योंकि मैं ठीक-ठीक जानता थी कि उसका क्या मतलब था।

प्यारेमोहन: आइए मैं आपको दिखाता हूँ कि यह कैसा दिखेगा... असल में मेरे पास नमूने के तौर पर एक सिला हुआ जॉर्जेट ब्लाउज है... बस एक मिनट के लिए... !

वह नमूना लेने के लिए तेजी से नीचे की ओर झुका और मैं इतने बड़े शरीर के साथ भी उसकी फिटनेस देखकर बहुत प्रभावित हुयी!

प्यारेमोहन: ये रही मैडम।

जैसे ही उन्होंने टेबल पर सैंपल ब्लाउज रखा, मैंने मामा जी को देखा और अंकल लगभग उछल पड़े और तुरंत ब्लाउज के कपड़े का निरीक्षण करने लगे! ब्लाउज काउंटर टेबल पर फैला हुआ था और मामा जी और राधेश्याम अंकल दोनों ने उसका निरीक्षण करने के बहाने अपने हाथ ब्लाउज के कपों पर रखे हुए थे! मुझे उस सेटिंग में बस दुख महसूस हुआ!

प्यारेमोहन: मैडम, देखिए अंदर का हिस्सा कैसा सिल दिया गया है... आस्तीन सामान्य हैं, लेकिन पीछे, किनारे और कपों पर वह चीज़ इस तरह से सिल दी गई है...!

कहते हुए उसने अपनी उंगलियाँ ब्लाउज के कप के अन्दर डालीं और मुझे दिखाया कि ब्लाउज के अन्दर इनर कैसे सिल दिया जाता है और इस बात का ज़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है कि जब वह मुझसे बात कर रहा था तो वह बार-बार मेरे पूर्ण आकार के स्तनों पर नज़र गड़ाए हुए था। मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और ऐसा लगा जैसे दुकानदार अपनी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज के अंदर फंसा रहा हो! मैंने सामान्य रहने की कोशिश की, लेकिन अपनी पैंटी के भीतर एक असाध्य खुजली महसूस हुई और मुझे शांत रहने के लिए अपनी साड़ी के ऊपर से एक बार खुजलाना पड़ा। मामा जी, चाचा और दुकानदार के सामने ऐसा करना बहुत असुविधाजनक था क्योंकि वे सभी मेरे दाहिने हाथ की उंगलियों को देख रहे थे जब मैं अपनी साड़ी के ऊपर से अपने क्रॉच को खरोंच रही थी!

मामाजी: प्यारेमोहन साहब, क्या आप ब्लाउज़ नहीं सिलते? मैंने सोचा कि तुम ही ऐसा कर दो ...!

प्यारेमोहन: अरे हाँ साहब! और मैं वास्तव में मैडम को यही सुझाव देने की योजना बना रहा था।

मैं: क्या?

प्यारेमोहन: मैडम, अगर आप इस जॉर्जेट का मैचिंग ब्लाउज यहीं सिलवाएँ तो सबसे अच्छा रहेगा। हमारे पास सबसे कुशल दर्जी हैं। अर्जुन साहब कह रहे थे कि आपको कुछ और मार्केटिंग करनी है और जब आप घर लौटो तो यहीं से ब्लाउज ले लेना...!

मामा जी: वाह! आपको इतना कम समय लगता है?

प्यारेमोहन: साहब देखिए, हमें बड़े व्यापारी घरानों को आपूर्ति करने की ज़रूरत है और उन जगहों पर बदलाव एक महत्त्वपूर्ण कारक है। मेरे दर्जी बहुत तेज़ और सटीक हैं। मैडम, आपको मेरा प्लान कैसा लगा?

अब मेरे पेट में लगभग तितलियाँ उड़ रही थीं। मैं पहले से ही एक दुकान में दो बुजुर्ग पुरुषों और एक दुकानदार के साथ अपने ब्लाउज के अंदर खुली हुई ब्रा के साथ बैठी थी और अगर मुझे इस स्थिति में अपने ब्लाउज के लिए माप देने की आवश्यकता होगी, तो मैं संशय में थी की मैं निश्चित रूप से शर्म के कारण क्या जवाब दूं! मुझे कुछ करना था और कुछ करना था-तेजी से।

मैं: हाँ... मेरा मतलब है... यह ... जानना वाकई अच्छा है, लेकिन, हमें इस पर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और मैं पहले साड़ी फाइनल कर लेती हूँ।

प्यारेमोहन: ज़रूर मैडम। कोई जल्दी नहीं। मैं बस आपको यह बताना चाहता था कि हमारे पास वह सेवा है, हम ये सेवा भी आपको प्रदान कर सकते हैं बस इतना ही।

राधेश्याम अंकल: तो बहूरानी, क्या तुम यही साड़ी लेने की योजना बना रही हो या तुमने डिज़ाइनर कलेक्शन में से कुछ और चुना है?

मैं: उम्म... हाँ, मैं इसे ले लूंगी।

जैसा कि मैंने कहा था मैंने नोट किया कि अंकल मेरे गले की ओर देख रहे थे! मैंने जल्दी से अपनी पलकें झुका लीं और पाया कि मेरी साड़ी का पल्लू सामने की ओर कुछ खिसक गया है और मेरी पलकों के बीच एक गैप बन गया है।

पल्लू और मेरा शरीर और बूढ़ा हंबग अपनी खड़ी मुद्रा से मेरे ब्लाउज के अंदर झाँक रहा था।

प्यारेमोहन: ठीक है मैडम, मैं इसके लिए ब्लाउज पीस और इनर लाऊंगा और उन्हें एक तरफ रख दूंगा।

मेरी मक्खन के रंग की गहरी दरार के साथ-साथ मेरे ब्लाउज के कप के अंदर दबा हुआ मेरा भारी मांस अंकल को उस कोण से बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था और मैंने तुरंत अपना पल्लू ठीक से लपेट लिया ताकि इस भद्दी तरह से अंकल की ताक झाँक को रोका जा सके! अंकल मेरी इस हरकत पर बुरी तरह से मुस्कुराए, जिससे मैं और भी चिढ़ गई

प्यारेमोहन: मैडम। अब मेरे साथ आओ!

इतना कहकर वह काउंटर से बाहर निकलने ही वाला था कि तुरंत मेरे दिमाग में खतरे की घंटियाँ बजने लगीं, क्योंकि मैं अपनी "हालत" से भलीभांति परिचित थी।

मैं: लेकिन... लेकिन कहाँ?

प्यारेमोहन: वहाँ मैडम। तुम वह दर्पण देखो। वहाँ आप खुद को बेहतर तरीके से देख सकती हैं और साड़ियों पर निर्णय लें।

मैं: मेरा मतलब है... ... क्या हम... बाद में कर सकते हैं...

मैं स्वाभाविक रूप से बहुत अजीब तरह से लड़खड़ा रही थी क्योंकि मैं निश्चित रूप से अपनी आभासी ब्रा-लेस स्थिति के साथ इन पुरुषों के सामने चलने की इस स्थिति से बचना चाहती थी। अब पहले ट्रायल रूम में जाने का कोई रास्ता नहीं था क्योंकि श्री प्यारेमोहन ने पहले ही मुझे दर्पण का दृश्य पेश कर दिया था, जो उस हॉल के ठीक बीच में कुछ ही फीट की दूरी पर था।

एक पल में ही मुझे एहसास हुआ कि अपनी इज्जत बचाने का केवल एक ही रास्ता है।

जैसे ही मैं कहने वाली थी "मैं एक बार शौचालय जाना चाहूंगा" ... अंकल...!

राधेश्याम अंकल: प्यारेमोहन साहब, क्या मैं एक बार टॉयलेट जा सकता हूँ। क्या ऊपर कोई है या मुझे नीचे जाना होगा?

प्यारेमोहन: ऊपर एक है, लेकिन... अरे... मेरा मतलब है...!

राधेश्याम अंकल: तुम क्यों झिझक रहे हो? कोई समस्या?

प्यारेमोहन: नहीं, नहीं। असल में यह एक महिला शौचालय है, लेकिन वैसे भी ऊपर कोई ग्राहक नहीं है, इसलिए आप इसे सुरक्षित रूप से उपयोग कर सकते हैं।

राधेश्याम अंकल: ओहो ठीक है! ठीक है!

मैं केवल अपने होठों को घुमा-घुमा कर अंकल को कोस रहा था कि उन्होंने इस भयावह स्थिति से बचने की जो थोड़ी-सी आशा थी वह भी मुझसे छीन ली।

लेकिन...

भगवान मेरे प्रति इतने निर्दय नहीं थे!

मामा जी: लेकिन राधे तुम्हें मदद के लिए किसी की जरूरत है...!

बिना एक पल की भी देरी किए मैंने उत्सुकता से मामा जी के मुँह से शब्द छीन लिया।

मैं: मामा जी, आप आराम करें! मैं यहीं हूँ ना मैं अंकल को टॉयलेट ले जाऊँगी। कोई समस्या नहीं।

मामा जी: ठीक है. ठीक है और चूँकि आप पहले ही एक बार उसकी सहायता कर चुकी हैं, इसलिए यह बहुत कठिन नहीं होगा। वह ... वह...!

मैं: (अधिक जोश के साथ) बिल्कुल!

राधेश्याम अंकल: बहुत बहुत धन्यवाद बहूरानी. हे हे हे वैसे, शौचालय किस रास्ते पर है प्यारेमोहन साहब?

प्यारेमोहन: इस तरफ, साहब!


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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-18


राधेश्याम अंकल की बदमाशी भरी शरारत

राधेश्याम अंकल: बहुत बहुत धन्यवाद बहूरानी. हे हे हे वैसे, शौचालय किस रास्ते पर है प्यारेमोहन साहब?

प्यारेमोहन: इस तरफ, साहब!


प्यारेमोहन जी ने एक दूर कोने की ओर इशारा किया और मैं आसानी से एक दरवाजे को देख सकती थी जिसपर महिला का चेहरा बना हुआ था। राधेश्याम अंकल अपनी छड़ी के साथ छोटे-छोटे क़दमों से चलने लगे और मैं उनके पीछे-पीछे चलने लगी। उस समय अंकल के साथ चलना उन हालात में मेरे लिए फायदेमन्द था, क्योंकि मुझे भी अपने स्वतंत्र रूप से लटकते स्तनों को झटके खाने से रोकने के लिए "बेबी स्टेप्स" की सख्त जरूरत थी। जब तक मैं बैठी थी तब तक मेरी ब्रा के सिरे किनारों पर टिके हुए थे, लेकिन जैसे-जैसे मैंने चलना शुरू किया, हालांकि बहुत धीरे-धीरे, मुझे एहसास हुआ कि मेरी ब्रा स्ट्रैप के दो खुले सिरे मेरे ब्लाउज के अंदर मेरे शरीर के सामने की ओर अधिक से अधिक फिसलने लगे थे। इसके अलावा मेरे भारी गोल स्तनों के प्राकृतिक वजन के कारण, मेरी ब्रा के कप भी एक साथ मेरे ब्लाउज के अंदर मेरे चिकने गोलाकार स्तनों से बहुत कामुकता से फिसल रहे थे। कुल मिलाकर यह अहसास बेहद अजीब था। उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म!

मेरे सभी प्रयासों के बावजूद जब मैं चलती थी तो मेरे गोल स्तन मेरे पल्लू के नीचे स्पष्ट रूप से उभरे हुए थे और मुझे अच्छी तरह से एहसास हो गया था कि मैं बेहद सेक्सी लग रही थी। दुकानदार शौचालय दिखाने के बहाने अंकल के साथ कुछ कदम चला और अब जब मैं उसके पास से गुजर रही थी तो वह मेरे स्वतंत्र रूप से हिलते हुए स्तनों को घूर रहा था। जिस तरह से वह मुझे घूर रहा था मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी!

राधेश्याम अंकल: बहूरानी, मैं तुम्हें बहुत तकलीफ दे रहा हूँ...!

मैं: इट्स... इट्स ओके अंकल। कृपया मुझे ऐसा मत बोलिये ।

राधेश्याम अंकल: मैं बहुत विकलांग हूँ... मुझे कभी-कभी बहुत निराशा होती है...!

जैसे ही मैं लगभग अंकल के साथ-साथ सीध में चल रही थी, मैंने देखा कि बहुत धीरे-धीरे चलने की मेरी पूरी कोशिशों के बावजूद वह बार-बार मेरे उभरे हुए स्तनों पर नजर रख रहे थे और, मैं बहुत धीरे-धीरे चल रही थी जिससे मेरे "ब्रा-लेस" स्तनों को कम से कम झटका लगे। हम लगभग शौचालय के दरवाजे तक पहुँच चुके थे और अंकल उसमें प्रवेश करने ही वाले थे कि मुझे हस्तक्षेप करना पड़ा।

मैं: अंकल... मेरा मतलब है... अरे... अगर मैं पहले अंदर जाऊँ और शौचालय का उपयोग करूँ तो क्या आपको कोई आपत्ति होगी?

राधेश्याम अंकल: ओहो! तुम भी बहुरानी? वह वो... लेकिन... लेकिन क्या आप अर्जुन के निवास पर नहीं गयी थी?

वह वास्तव में एक शर्मनाक अनावश्यक प्रश्न था और मुझे लगा कि किसी भी वयस्क महिला से ऐसा प्रश्न पूछना बेहद अशोभनीय है, लेकिन चूंकि यह मेरी "ज़रूरत" थी, इसलिए मुझे मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ उत्तर देना पड़ा।

मैं: नहीं अंकल। मैं वहाँ नहीं गयी ।

राधेश्याम अंकल: सही है। ओह्ह याद आया तुम तो तुम मेरे ही साथ थी । वह वो... ठीक है, तुम पहले जाओ और मैं इंतज़ार करूँगा।

मैं: धन्यवाद।

मैं जल्दी से शौचालय के अंदर गयी और दरवाजा बंद करके राहत की सांस ली।

शौचालय मेरे द्वारा दुकानों में देखे गए अन्य शौचालयों की तुलना में बहुत छोटा था और एक समय में दो महिलाओं के बैठने और पेशाब करने के लिए मुश्किल से ही जगह थी। मैंने दीवार की ओर मुंह करके अपनी साड़ी का पल्लू अपने स्तनों से हटा दिया और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मुझे नहीं पता कि जब मैंने अपने ब्लाउज के सभी हुक खोल दिए तो मुझे अत्यधिक उत्तेजना और चिंता क्यों महसूस हुई, शायद इसलिए कि मैं केवल 10 मिमी के दरवाजे के दूरी तरफ पर मैं राधेश्याम अंकल की गहरी सांसों को महसूस कर सकती थी! मैंने अपने निपल्स की जांच करने के लिए थोड़ी देर के लिए अपनी ब्रा उतार दी और मैंने पाया की मेरे चूचक कुछ कठोर होकर पूरी तरह से चार्ज हो गए थे! मैं अपने आप से शरमा गई और जल्दी से अपने खजाने को अपनी ब्रा के अंदर छिपा लिया और क्लिप को जल्दी से बाँध लिया और फिर अपने ब्लाउज के बटन लगा दिए।

हालाँकि शुरू में मेरी मूत्राशय को खाली करने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन शौचालय में आकर मैंने ऐसा करने का फैसला किया। मैंने अपनी साड़ी और पेटीकोट उठाया और अपनी पैंटी को घुटनों तक नीचे खींच लिया और फर्श पर बैठ गई, लेकिन उससे पहले मैंने नल खोलना सुनिश्चित कर लिया ताकि खाली बाल्टी में पानी गिरने की आवाज़ से मेरे पेशाब करने की फुसफुसाहट की आवाज़ कम हो जाए। मुझे पूरा होश था कि अंकल टॉयलेट के दरवाज़े के ठीक बाहर खड़े थे और टॉयलेट में जो कुछ भी हो रहा था उसे आसानी से सुन सकते थे।

मैं: अंकल, आप अभी आ सकते हैं...!

मैंने टॉयलेट का दरवाज़ा खोला और राधेश्याम अंकल को अन्दर आने को कहा। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया क्योंकि मैंने शौचालय के फर्श पर पानी लगा दिया था और मुझे लगा कि जूते पहनकर वह अपना संतुलन खो सकते है।

राधेश्याम अंकल: आश्चर्य की बात है बहूरानी, तुमने बिल्कुल भी देर नहीं लगाई! आप जानती हैं! अगर यहा मेरी पत्नी होती... ओह! उसे शौचालय में काफी समय लग जाता है...यहाँ तक कि साधारण पेशाब करने में भी।

ऐसा "सीधा" बयान सुनकर मैं दंग रह गयी! और बस एक मूर्ख की तरह मैं हल्के से मुस्कुरायी। चाचा ने शौचालय का दरवाज़ा बंद कर दिया और अपनी छड़ी दरवाज़े के हुक पर रख दी।

राधेश्याम अंकल: बहुरानी, कभी-कभी तो... और मैं ये अतिशयोक्ति नहीं कर रहा हूँ, मैं यह सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ कि वह पेशाब करने के लिए पूरे कपड़े उतारती होगी... हुंह! और जब मैंने उससे इस बारे में पूछा, तो उसने बस इतना कहा कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक समय लगता है। अरे! कम से कम कोई तर्कपूर्ण बात और कारण तो बताओ... !

अंकल ने मेरी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा जैसे कि मुझे उनकी पत्नी के लिए तर्क बताना हो कि वह साधारण पेशाब के लिए भी शौचालय में अतिरिक्त समय क्यों लेती है! छी! ये तो बहुत घिनौना! था ।

राधेश्याम अंकल: एक महिला को पुरुष की तुलना में शौचालय में अधिक समय क्यों लगन चाहिए? मैं आश्वस्त नहीं हूँ! ठीक है... यदि आप अपने पैड आदि बदल रहे हैं... तो मैं समझ सकता हूँ, लेकिन सामान्यतः...इतना समय और उसने इसका कोई सुराग या कारण नहीं दिया!

मैं उसकी बातों से चौंक गयी और तुरंत मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया और मैंने फर्श की ओर देखा।

राधेश्याम अंकल: अरे बहुरानी, आप तो शरमाने लगीं! इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है... मैं तो ऐसे ही एक स्वाभाविक बात तुमसे इसका कारण जाना चाहता हूँ!

मैंने सिर हिलाया, लेकिन फिर भी उससे नजरें नहीं मिला सकी। मैंने देखा कि वह पेशाब के लिए अपने लिंग को बाहर निकालने के लिए अपनी पेण्ट की ज़िप खोल रहा था! मेरा दिल "लंड दर्शन" की प्रत्याशा में धड़कने लगा और लगभग तुरंत ही मैंने देखा कि मांस का मोटा टुकड़ा अंकल के अंडरवियर से अपना सिर उठा रहा था। उसने एक हाथ में अपना लिंग पकड़ा और मुझसे सबसे अजीब सवाल पूछा।

राधेश्याम अंकल: बहूरानी, गलती... मुझे पहले ही माफी मांग लेनी चाहिए थी, लेकिन मौका नहीं मिला! आशा है आप मुझे माफ़ कर देंगी ...?

मैं: (मेरी भौंहें ऊपर थी!) माफ़ी?

राधेश्याम अंकल: बहूरानी, मेरा मतलब है... मैं कभी भी तुम्हारी... को सबके सामने उजागर नहीं करना चाहता था... लेकिन वास्तव में...!

मैं चुप थी।

राधेश्याम अंकल: बेटी, तुम मेरे बारे में बहुत गलत सोचती होगी... लेकिन... विश्वास करो, जब से मैंने तुम्हें देखा है मैं बार-बार तुम्हें... तुलसी ही समझ रहा हूँ। एक बार फिर, मैं अपने व्यवहार के लिए क्षमा चाहता हूँ, बहूरानी...!

मैं: (मुस्कुराना पड़ा) ठीक है अंकल।

राधेश्याम अंकल: दरअसल बहुरानी तुम्हारी आकर्षक पीठ देखकर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। यह बिल्कुल तुलसी जैसी ही लग रही थी ... अरे... यह मेरी उन पसंदीदा शरारतों में से एक थी जिसका आपकी सास ने बहुत आनंद लिया, लेकिन... लेकिन जाहिर तौर पर इस तरह सार्वजनिक स्थान पर नहीं...!

मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि मेरी सास अपनी युवावस्था में अपने प्रेमी से अपनी ब्रा का हुक खुलवाती थी और सोचती रही कि इसके बाद क्या हुआ! और इन लोगों ने और क्या-क्या किया होगा ।

राधेश्याम अंकल: मुझे खुशी है बेटी कि तुमने मेरी इस शरारत का ज्यादा बुरा नहीं माना... वैसे, ... मैं कहाँ करूँ... मेरा मतलब है कि मैं पेशाब कहाँ करूँ?

मैं: (मेरे दिमाग में अभी भी वह खास "शरारत" घूम रही है जो कि राधेश्याम अंकल मेरी सास के साथ इसके इलावा और क्या-क्या खेला करते थे) क्या?

राधेश्याम अंकल: मेरा मतलब है बहूरानी न तो मूत्रालय है, न ही शौचालय की व्यवस्था है!

मैं: अंकल, आप महिला शौचालय में मूत्रालय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं! (मैं स्पष्ट रूप से नाराज़ थी)

जारी रहेगी
 
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SONU69@INDORE

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KAAFI SAMAY HO GAYA YAAR KOI HALCHAL NAHI
BAHURANI KI CHUT KA PAANI HI SUKH GAYA HOGA AB TAK
LEKHAK MAHODAY SE UMMID HAIN NIRTARTA BANAYE RAKHE
 

macssm

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Kafi samay baad aapka update aaya hai mast hai
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-19


मूत्र विसर्जन के दौरान राधेश्याम अंकल की बदमाशी

मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि मेरी सास अपनी युवावस्था में अपने प्रेमी से अपनी ब्रा का हुक खुलवाती थी और सोचती रही कि इसके बाद क्या हुआ! और इन लोगों ने और क्या-क्या किया होगा।

राधेश्याम अंकल: मुझे खुशी है बेटी कि तुमने मेरी इस शरारत का ज्यादा बुरा नहीं माना... वैसे, ... मैं कहाँ करूँ... मेरा मतलब है कि मैं पेशाब कहाँ करूँ?

मैं: (मेरे दिमाग में अभी भी वह खास "शरारत" घूम रही है जो कि राधेश्याम अंकल मेरी सास के साथ इसके इलावा और क्या-क्या खेला करते थे) क्या?

राधेश्याम अंकल: मेरा मतलब है बहूरानी न तो मूत्रालय है, न ही शौचालय की व्यवस्था है!

मैं: अंकल, आप महिला शौचालय में मूत्रालय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं! (मैं स्पष्ट रूप से नाराज़ थी)

राधेश्याम अंकल: ओहो! बिल्कुल सच! सॉरी मैं चूक गया... हो ही-ही ... फिर?

मैं: तो फिर...मेरा मतलब है...और क्या? वहाँ करो! (मैंने दीवार की ओर इशारा किया और स्वाभाविक रूप से इस बूढ़े व्यक्ति के व्यवहार से मैं काफी चिढ़ गयी थी।)

राधेश्याम अंकल: वहाँ? लेकिन बहूरानी, वह इलाका...अरे...काफी फिसलन भरा लगता है!

मैं: (मैं अब और भी चिढ़ गयी थी) फिसलन? बिलकुल नहीं! मैंने बस... ... मेरा मतलब है...!

... मुझे स्वाभाविक शर्म के कारण खुद को जांचना पड़ा और बोलते हुए बुरी तरह लड़खड़ा गयी।

लेकिन अभी मैं अपनी बात पूरी ही कर पायी थी लेकिन उस बूढ़ी लोमड़ी ने मुझे गलत रास्ते पर फंसा दिया!

राधेश्याम अंकल: तुम वहाँ बैठीं थी बहूरानी? (दीवार के पास के उस क्षेत्र की ओर इशारा करते हुए जहाँ शौचालय का पानी बाहर निकालने के लिए आउटलेट था।)

यह मेरे लिए बहुत दयनीय स्थिति थी! एक परिपक्व व्यस्क विवाहित महिला होने के नाते मुझे इस बूढ़े आदमी को बताना पड़ा कि मैं इस शौचालय में पेशाब करने के लिए कहाँ बैठी थी! इसके अलावा, यह आदमी मेरे सामने अपने तने हुए लिंग को हाथ में लेकर खड़ा था और स्वाभाविक रूप से हर पल मेरा ध्यान आकर्षित कर रहा था! हालाँकि मैंने पूरी कोशिश की कि मैं उस तरफ न देखूँ, लेकिन...!

मैं: (फर्श की ओर देखते हुए और अपने होंठ काटते हुए) अरे... अंकल... हाँ... मेरा मतलब है...आप कर लो!

राधेश्याम अंकल: मैं वहाँ जोखिम नहीं उठा सकता! बिलकुल नहीं बेटी! जरा उन हल्के हरे धब्बों को देखिए... आप एक "जवान औरत" हैं... आप जा सकती हैं और वहाँ बैठ सकती हैं...!

अंकल ने "जवान औरत" शब्द पर ज़ोर दिया और झट से मेरी सुडौल काया पर नज़र डाली। मैंने उसे फिर से समझाने की कोशिश की।

मैं: क्यों... ... आप इतने घबराये हुए क्यों हो? मैं आपको ठीक से पकड़ लूंगी अंकल... अरे, चिंता मत करो। आप बस कर लो!

राधेश्याम अंकल: उउउउम्म्म ठीक है, अगर आप मुझे आश्वस्त कर रही हैं तो । लेकिन बहूरानी, कृपया बहुत सावधान रहें।

असल में मैं पिछले साल ही बाथरूम में गिर गया था, इसीलिए मैं कुछ अतिरिक्त सावधानी बरत रहा हूँ ।

मैं: ओ! अब मैं समझ गयी कि तुम इतने डरे हुए क्यों हो!

आख़िरकार मेरे होठों पर मुस्कान आ गई! अंकल भी मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे।

राधेश्याम अंकल: ओह! मैं अब और नहीं रोक सकता...!

मैंने उसके हाथ में उसके नग्न लंड को उसकी पतलून की ज़िप से बाहर उठाये हुए देखा और सच कहूँ तो हर बार जब मैं उस मोटे मांस को देखती थी तो उत्तेजित हो जाती थी। एक 30 वर्षीय विवाहित महिला के सामने अपने लिंग को हाथ में लेकर खड़े होने पर उन्हें भी निश्चित तौर पर उत्तेजना महसूस हो रही होगी।

मैं: (साइड से उसका हाथ पकड़ते हुए) आप अपना हर कदम सोच समझकर रखना अंकल।

राधेश्याम अंकल: बहूरानी, पिछली बार जब मैं अपने घर के शौचालय के पानी भरे फर्श में गिर गया था, तब असल में मेरी पत्नी ने भी मुझे ठीक इसी तरह पकड़ रखा था...!

मैं: ओ! (मैं मूर्खतापूर्वक मुस्कुरायी, लेकिन सच्चाई ये है कि मुझे समझ नहीं आया कि वह क्या चाहता है?)

राधेश्याम अंकल: मुझे लगता है बहूरानी अगर तुम मेरी कमर पकड़ लो तो मुझे और सहारा मिलेगा।

मैं: ओ ठीक है।

मैं महसूस कर सकती थी कि यह वास्तव में मुझे एक समझौते की स्थिति में ले जाएगा, लेकिन अब इन हालात में मैं शायद ही कुछ और कर सकती थी। मैं इस शौचालय से जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहती थी और चाहती थी की अंकल के मूत्र विसर्जन की क्रिया जल्द से जल्द पूरी हो, इसलिए मैंने कोई और बात करने की जगह, मैंने अपना दाहिना हाथ बढ़ाया और उसकी कमर के चारों ओर उनकी कमर को घेरा और तुरंत महसूस किया कि उसके शरीर का धड़ मेरे पके हुए स्तनों सहित मेरे शरीर को छू रहा है। मुझे सुखद आश्चर्य हुआ क्योंकि मुझे यह स्पर्श नापसंद नहीं था क्योंकि जब मैंने अंकल को बगल से पकड़ रखा था तो मेरा दाहिना स्तन उनके शरीर पर थोड़ा-सा दब गया था-शायद इसलिए क्योंकि मैं पहले से ही अनजाने में उनके सुपोषित नग्न लंड को अपनी आँखों के सामने झूलता हुआ देखकर उत्तेजित हो गयी थी।

राधेशयाम अंकल: अगर मैं तुम्हें सहारे के लिए पकड़ लूं तो क्या तुम्हें बुरा लगेगा बहूरानी? मुझे पता है कि इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आप ने पहले से ही मुझे पकड़ा हुआ है, लेकिन चूँकि मेरे साथ गिरने की घटना घटी है...!

मैं: ओ... ठीक है अंकल... हो मुझे पकड़ लो। (उसके सीधे स्पर्श की आशंका से मेरी आवाज़ कर्कश हो रही थी। मैं चाहती थी ये मूत्र विसर्जन प्रकरण जल्द से जल्द समाप्त हो ।)

हालाँकि कुछ देर पहले मुझे उसके बात करने का तरीका नापसंद था और मुझे शर्मिंदा होना पड़ रहा था, लेकिन जब मैंने उसकी कमर पकड़ी तो मुझे वैसी नापसंदगी महसूस नहीं हुई! अंकल मेरी उम्र की तुलना में काफी बुजुर्ग थे, लेकिन न जाने क्यों मैं अचानक इस प्रयास से परेशान होने लगी! मैंने महसूस किया कि राधेश्याम अंकल का बायाँ हाथ मेरे पीछे की ओर जा रहा है और मेरे ब्लाउज के नीचे मेरी पीठ के खुले हिस्से में मुझे छू रहा है। (दरअसल बूढ़े चालक अंकल बाहर चालाकी से मुझे पकड़ सहारे लेने के बहाने से मेरे बदन के खुले नग्न भागो को चुने का प्रयास का रहे थे ।)

राधेशयाम अंकल: धन्यवाद बेटी, मुझे लगता है मैं अब बहुत सुरक्षित हूँ।

वो उस दीवार की ओर सामने की ओर 6-7 छोटे कदम चलकर आउटलेट के मुंह तक पहुँच गया और उसने पेशाब करना शुरू कर दिया और मेरे पास उसे देखने के अलावा और कुछ नहीं था। जैसे ही वह मेरी ओर अधिक झुका, मेरा दाहिना स्तन उसके शरीर पर अधिक दब गया। मेरे कसे हुए गोल नारियल जैसे स्तनों का अहसास अंकल के लिए काफी कामुक रहा होगा, (खासकर इस उम्र में) क्योंकि मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी उंगलियाँ मेरे पेटीकोट कमरबंद के ठीक ऊपर मेरी पीठ पर मजबूती से गड़ रही थीं।

राधेश्याम अंकल: अ-आ-आ-आ-ह-ह...!

इस आदमी के साथ शारीरिक निकटता और उसके मोटे नग्न लंड को देखकर मेरे पूरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए और मैं काफी रोमांचित और प्रसन्न महसूस कर रही थी और अचानक, मुझे नहीं पता कि कैसे / क्यों, पिछली रात की यादें मेरे दिमाग में कौंध गईं! जैसे ही मैंने गुरुजी के विशाल लंड के बारे में सोचा, मेरा पूरा शरीर दर्द से भर गया और कामुकता से प्रतिक्रिया करने लगा। गुरुजी की मर्दाना छवि, उनके कसकर आलिंगन, मेरे स्तनों और नितंबों पर उनका ज़ोरदार दबाव और उनके विशाल लंड द्वारा मेरी योनि की चुदाई की यादो के विचार ने मुझे गीला कर दिया!

मैं: आआआअह्हह्हह्हह्हह्ह!

मैं मन ही मन में चिल्लायी और मेरी आंखें स्वचालित रूप से बंद हो गईं और मेरे होंठ आभासी खुशी में थोड़े से खुल गए। मानो प्रतिवर्ती क्रिया से मेरी उंगलियों की पकड़ अंकल की कमर पर मजबूत हो गई और मैंने खुशी में उन्हें लगभग गले लगा लिया। वास्तव में मैं अपने सेक्सी विचारों में पूरी तरह खो गई थी और मानो गुरुजी की मांसल बांहों में तैर रही थी!

मैं कभी नहीं सोच सकी कि मेरी इस हरकत का इस बुजुर्ग व्यक्ति पर, जो उस समय पेशाब कर रहा था, इसका क्या असर हो सकता है और मुझे वास्तव में नहीं पता था कि मैं कितनी देर तक उस सोच में थी, लेकिन जैसे ही मैंने होश संभाला, मुझे तुरंत एहसास हुआ कि मैं राधेश्याम अंकल के चंगुल में थी!

जैसे ही मैंने अपनी आँखें खोलीं...!

-मैंने पाया कि मेरा दाहिना हाथ अंकल की कमर में था और मेरा बायाँ हाथ उनके नग्न अर्ध-खड़े लंड पर था!


-मैंने पाया कि मेरा दाहिना स्तन अंकल के शरीर के बायीं ओर पर्याप्त रूप से दब रहा था!

-मैंने पाया कि उसका बायाँ हाथ मेरी साड़ी से ढकी गांड को बहुत मजबूती से पकड़ रहा था और निचोड़ रहा था, जबकि उसका दूसरा हाथ मेरे हाथ को उसके लंड की लंबाई पर निर्देशित कर रहा था!

-और आखिरी लेकिन महत्त्वपूर्ण बात, मैंने पाया कि उसके मोटे, खुरदरे होंठ मेरे चिकने मांसल गालों को सहला रहे थे!

मैं बस स्तब्ध रह गयी और मुझे यह समझने में समय लगा कि क्या हो रहा है! जैसे ही अंकल ने देखा कि मैंने अपनी आँखें खोल ली हैं, वह अपनी हरकतों में और अधिक आक्रामक हो गए और उन्होंने मुझे अपने लिंग को और अधिक दृढ़ता से पकड़ने के लिए कहा और मैं महसूस कर सकती थी कि उनका लिंग मेरे हाथ के भीतर अपने पूरे आकार में बढ़ रहा है! उसके "कठोर मांस" के स्पर्श और उसे ढकने वाली झटकेदार त्वचा ने मुझे बेहद उत्तेजित कर दिया, हालांकि मैंने खुद को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की।

और इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती, मुझे महसूस हुआ कि अंकल अपने हाथ से मेरी साड़ी के ऊपर से मेरे गोल नितंबों को दबा रहे थे और मालिश कर रहे थे, जिससे जाहिर तौर पर मेरी उत्तेजना बढ़ गई थी। वह मेरे चेहरे पर अपनी नाक रगड़ रहा था और इससे पहले कि मैं हार मानूँ, मुझे एहसास हुआ कि मुझे कुछ करने की ज़रूरत है! मैंने अपनी सारी प्रतिरोध शक्ति इकट्ठी कर ली और मुश्किल से बोल सकी ...

अंकल!

राधेश्याम अंकल: बहुरानी, प्लीज!

जारी रहेगी
 
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