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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-26

तीन मर्दो के साथ ब्रा पेंटी के विकल्पो का मुआयना

प्यारेमोहन: मैडम, अब मैं आपको कुछ खास ब्रा दिखाता हूँ। मुझे यकीन है कि आपने इस प्रकार के अधोवस्त्र (ब्रा पैंटी) पहले नहीं देखी होंगी।

वास्तव में मेरे पास इस प्रक्रिया से गुजरने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। एक प्रतिक्रिया स्वरूप, मैंने अपना पल्लू अपने भारी स्तनों पर फैलाया और अपनी बड़ी साड़ी से ढकी हुई गांड को कामुकता से हिलाया।

प्यारेमोहन: मैडम, पहले ये देखो। इसे डेमी ब्रा कहा जाता है। कहते हुए उसने हमारे सामने ब्रा खोल दी और मुझे दे दी।

मामा जी और अंकल दोनों ब्रा को विस्तार से देखने के लिए लगभग मेरे हाथ पर झुक गये।

मामा जी: इसमें ऐसी क्या खास बात है?

प्यारेमोहन: ये, यहाँ बीच में कट देखिए साहब... दोनों कपों के बीच... यह अधिक गहरा है जिससे यह ऑर्रररर ... को बढ़ाएगा... मेरा मतलब है कि आप जानते हैं... क्लीवेज (स्तनों की बीच की दरार) । दरअसल देखने पर आपको ज्यादा फर्क नहीं लगेगा, लेकिन जब मैडम इसे पहनेंगी तो उन्हें खास कट का एहसास हो जाएगा।

मामा जी और राधेश्याम अंकल: (कोरस में) हम्म।

मैं ब्रा को हाथ में पकड़ कर बेशर्मी से अंकल और मामा जी से घिरी खड़ी थी।

प्यारेमोहन: अगली एयर ब्रा है। इस पर भी एक नजर डालिये!

कहते हुए उसने एक ताज़ा पैकेट से दूसरी ब्रा निकाली।

मैंने स्पष्टीकरण के लिए दुकानदार की ओर देखा और वह हमेशा की तरह तैयार था!

प्यारेमोहन: मैडम, यह ररर है... असल में यह आपके लिए नहीं है, लेकिन फिर भी देख लीजिए। वास्तव में यहाँ देखें (उसने ब्रा के कप के अंदर की ओर इशारा किया) इसमें फुलर, प्राकृतिक आकार के लिए हवा से भरे पैड हैं। ही-ही ...!

मैं यह देखकर सचमुच आश्चर्यचकित रह गयी। मैंने गद्देदार ब्रा के बारे में सुना था, लेकिन यह पहली बार था जब मैंने ऐसे ब्रा देखि! मैंने देखा कि छोटे एयर बैग इस तरह से बनाए गए थे कि वे ब्रा के कप को भर देते थे और जाहिर तौर पर जब कोई लड़की इसे पहनती थी, तो ब्रा के भीतर उसके स्तनों पर दबाव डालने वाले एयर बैग के कारण उसके स्तन बहुत भरे हुए और बड़े दिखते थे।

मामा जी: जरूर बहूरानी को इसकी जरूरत नहीं होगी! हा-हा हा...!

स्वाभाविक रूप से मैं अपने बजुर्ग रिश्तेदार के अपने बारे में (मेरे स्तनों के अकार के बारे में) इस प्रकार की टिप्पणी से बहुत क्रोधित हुई। वास्तव में, जैसे ही मामा जी ने मेरी आँखों की ओर देखा, मेरे पूरे शरीर में रोंगटे खड़े होने लगे।

प्यारेमोहन: मैडम, आपके पास तो पहले से ही ... मतलब आपको तो सब कुछ प्राप्त है! ही-ही ही ...!

जैसे ही मैंने अपना चेहरा उन दूकानदार की ओर किया, वह अगले आइटम पर जाने से पहले अपनी गंदी आँखों से मेरी पूरी साड़ी से ढकी हुई फिगर को ऐसे देख रहा था मानो मुझे चाट रहा था।

प्यारेमोहन: मैडम, आप ये बेहद रंग-बिरंगी पैंटी भी चेक कर सकती हैं (यह कहते हुए उसने एक ढेर ऊपर खींच लिया) । वे सभी कपास से बनी हैं और इसने बहुत अच्छी इलास्टिक और लोच है। इनका कट भी आकर्षक हैं।

पलक झपकते ही दुकानदार ने पेंटी के ढेर से फीता खोल दिया और पैंटीयो को काउंटर टेबल पर फैला दिया। इतने विविध और चमकीले रंगों वाली पैंटी देखकर मैं चौंक गयी! केवल रंग ही नहीं, मैंने देखा कि इन पैंटी के कट भी बहुत ऊंचे और गहरे थे, जिससे किनारों पर व्यावहारिक रूप से कोई कवरेज नहीं रह गया था।

प्यारेमोहन: मुझे यकीन है मैडम आपने पैंटी में इतने जीवंत रंग नहीं देखे होंगे। यह एक खास स्टॉक है जो पिछले महीने ही आया है और यहाँ की महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय है।

आकर्षक रंग मुझे सबसे अधिक परेशान कर रहे थे और मेरे सामने इतनी सारी पैंटी फैली होने से मैं पूरी तरह से पानी-पानी करने वाली शर्म महसूस कर रही थी और सबसे शर्मनाक बात ये थी की मामा-जी और अंकल इस महिला अंडरगारमेंट को बेशर्मी से खंगाल रहे थे!

प्यारेमोहन: मैडम, आप हमेशा फीके रंग ही खरीदती होंगी...? ... वास्तव में तथ्य यह है कि स्थानीय निर्माताओं ने कभी भी ऐसे रोमांचक रंगों में उद्यम नहीं किया! महोदया, भले ही आप मनपसंद रंग ढूंढ़ने और चुनने में-में समय बिताते हैं, फिर भी साधारणतया आप निश्चित रूप से एक सफेद, या हल्का लाल, या एक मैरून, या एक नीला, या अधिकतम गहरे हरे रंग की पैंटी खरीदती होंगी । क्या मैं ग़लत हूँ मैडम?

मैं शर्म से मर रही थी जिस तरह से ये दुकानदार महिलाओं के राज खोल रहा था और वह भी मामा जी और अंकल के सामने। मुझे बड़ी बेशर्मी से सिर हिलाने पर मजबूर होना पड़ा और एक तरह से दुकानदार को कन्फर्म कर दिया कि मैं ऐसे फीके रंगों की ही पैंटी पहनती हूँ!

मामाजी: क्यों बहुरानी? आप हमारी तरह बूढ़ी नहीं हैं! आप अभी जवान हो! (मेरे उभरे हुए स्तनों पर नज़र डालते हुए) आप इतने फीके रंग क्यों पहनती हो?

मैं ऐसे अजीब सवाल से इतना चकित हो गयी कि प्रतिक्रिया देना भी भूल गयी! मामा जी मेरी पैंटी के रंग पर टिप्पणी कर रहे थे और मुझे और अधिक चमकीले रंग पहनने का सुझाव दे रहे थे!

राधेश्याम अंकल: लेकिन अर्जुन, अगर बहूरानी गहरे-गहरे रंग पसंद करती है, तो आप उसकी पसंद को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?

मामा जी: नहीं, नहीं, मेरा ये मतलब कभी नहीं था। मैं बस इतना कहना चाहता था कि वह युवा है और उसे जो भी पहनना चाहिए उसमें चमकीले रंग पहनने चाहिए... चाहे वह उसकी साड़ी हो या उसका पैन... मेरा मतलब है अंडरगारमेंट्स।

प्यारेमोहन: लेकिन सर, मैडम को ऐसी पैंटी कहाँ मिलेगी? मेरा मतलब इस तरह के रंगों से है... (उसने एक फ्लोरोसेंट हरे रंग की पैंटी उठाई और उसे हवा में लहराया।)

मैं लगभग तंग आ चुकी थी और इतना चिढ़ गयी थी कि मैंने कहीं और देखा। लेकिन... लेकिन पूरा काउंटर टेबल उन रंगीन पैंटी से भरा हुआ था! यह सचमुच बहुत अधिक शर्मिंदगी का कारण था!

प्यारेमोहन: साहब, विविधता देखिए... फ्लोरोसेंट लाल, हरा, नारंगी... चमकीला पीला, चमकदार काला, चांदी, इंडिगो नीला... पूरी तरह से विशिष्ट!

मामाजी: बहूरानी, तुम चुप क्यों हो? कुछ कहो?

मैं: (लाल चेहरे के साथ, गहरी सांस लेते हुए) हा... हाँ। मैंने... मेरा मतलब है कि ऐसे रंग कभी नहीं देखे, लेकिन... लेकिन ये रंग आंखों के लिए कष्टदायक होते हैं। (मैंने विनम्र बनने की कोशिश की।)

मामा-जी: दर्दनाक! नहीं-नहीं। वे बहुत आकर्षक हैं। प्यारे साहब, मेरी बहूरानी के लिए इनमें से एक दर्जन पैक कर दो!

मैं" क्या?

स्वाभाविक रूप से मैं बहुत जोर से चिल्लायी।

मामा जी: अरे बेटी, एक दर्जन ले लोगी तो साल भर पहन सकती हो... हा-हा हा...!

राधेश्याम अंकल: हा-हा हा... यह एक शानदार सुझाव है अर्जुन! मैं सहमत हूँ और किसी भी स्थिति में कपड़े के ये छोटे टुकड़े कितने समय तक टिके रहेंगे? बहूरानी एक दर्जन ले लो... एक दर्जन ले ही लो।

अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं "ग्राहकों" के सामने खड़ी एक "रंडी" की तरह हूँ जो लगातार मुझे मौखिक रूप से कामुक गालियाँ दे रहे थे! यह तथ्य कि मैं एक गृहिणी थी और एक सभ्य रूढ़िवादी परिवार से आती थी, जाहिरा तौर पर इस बहुत लंबी कामुक बातचीत में खो गई थी!

मैं: नहीं, नहीं। मैं ... मेरा मतलब है अधिक से अधिक एक-दो ही लूंगी।

प्यारेमोहन: ठीक है, ठीक है मैडम। आप बाद में इस मुद्दे पर इनसे बहस कर लीजियेगा । पहले मुझे अपना काम पूरा करने दो। ही-ही ही ...!

काउंटर टेबल से उस देर को हटाते हुए मोटा दुकानदार तुरंत अपने अगले सामान के साथ तैयार था! मैंने खुद को फिर से व्यवस्थित करने की भी कोशिश की, हालांकि मैं पहले से ही मानसिक रूप से काफी थकी हुयी महसूस कर रही थी।

प्यारेमोहन: मैडम, अब मैं आपको वह आइटम दिखाऊंगा, जिसकी पिछले 3 महीनों में सबसे ज्यादा बिक्री हुई थी। (उसने एक ढेर निकाला और उसे काउंटर टेबल पर फैला दिया)

मामाजी: हे! क्या बात है?

प्यारेमोहन: साहब, यह लेडीज हॉट पैंट है! कहकर उसने एक पीस निकाल लिया।

प्यारेमोहन: मैडम, जरा ये बात देखिए. यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए है जिनका फिगर भारी है।

मामा जी: क्यों? किसी भी महिला के लिए इसे पहनना बिल्कुल ठीक लगता है!

प्यारेमोहन: नहीं, नहीं साहब, मेरे कहने का मतलब यह था कि कई ग्राहक मुझसे शिकायत करते हैं कि उनकी पैंटी का पीछे का कवरेज बहुत छोटा है या उनकी पैंटी ऊपर चढ़ जाती है या अंदर खिसक जाती है... आप जानते हैं... आप समझ सकते हैं... और आमतौर पर ऐसा होता है जिन महिलाओं की गांड भारी होती है। महोदया? आप भी ऐसी ही समस्या का सामना कर रहे होंगी?

चूंकि यह विषय चर्चा के लिए बहुत व्यक्तिगत था, इसके अलावा, मैं उस समय किसी भी ऐसे प्रश्न के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी। मैंने देखा कि मामा जी और मामा दोनों उत्सुकता से मेरी ओर देख रहे थे कि मैं क्या उत्तर देती हूँ।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-27


मैडम आप मुझे अपना साइज बताओ.

प्यारेमोहन: साहब, कई ग्राहक मुझसे शिकायत करते हैं कि उनकी पैंटी का पीछे का कवरेज बहुत छोटा है या उनकी पैंटी ऊपर चढ़ जाती है या अंदर खिसक जाती है... आप जानते हैं... आप समझ सकते हैं... और आमतौर पर ऐसा होता है जिन महिलाओं की गांड भारी होती है। महोदया? आप भी ऐसी ही समस्या का सामना कर रहे होंगी?

चूंकि यह विषय चर्चा के लिए बहुत व्यक्तिगत था, इसके अलावा, मैं उस समय किसी भी ऐसे प्रश्न के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी। मैंने देखा कि मामा जी और मामा दोनों उत्सुकता से मेरी ओर देख रहे थे कि मैं क्या उत्तर देती हूँ।

मैं: हाँ... सॉरी ... मेरा मतलब है... बिलकुल नहीं... मेरा मतलब है नहीं।

प्यारेमोहन: ठीक है, मैडम हो सकता है कि आपको इसका सामना न करना पड़ा हो , लेकिन कई ग्राहक कहते हैं कि जब वे लंबे समय तक चलते हैं तो उनकी पैंटी उनके निचले हिस्से के ऊपर चढ़ जाती है या पैंटी कमर के अंदर तक कट जाती है, आदि-आदि। मैडम, यह आइटम वास्तव में ऐसी कई शिकायतों का ध्यान रखती है।

मामा जी: कैसे?

ये मामा जी मेरे लिए हालात को और भी बदतर बना रहे थे क्योंकि वह हर पहलू की अधिक से अधिक ऐसे जांच कर रहे थे! जैसी वह ही इनके हल निकालने वाले हैं।

प्यारेमोहन: जैसा कि मैंने कहा, यह हॉट पैंट बहुत सुरक्षित है और यह गांड पर कसकर बैठती है और पैंटी की तरह ऊपर नहीं चढ़ती या एक तरफ नहीं जाती। इसके अलावा, पिछला कवरेज भरा हुआ है और जाहिर तौर पर पैंटी से कहीं अधिक है, जो मेरे अधिकांश ग्राहकों की एक आम मांग है।

जिस तरह से यह दुकानदार महिलाओं के रहस्य बता रहा था! उससे मैं बार-बार इस पर और अधिक हैरान हो रही थी।

मामा जी: ठीक है! अब मैं समझ गया!

प्यारेमोहन: मैडम, आपकी क्या राय है? आख़िरकार आप ये निर्णय करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं! ही-ही ...!

मैं: अरे... अच्छा... अच्छा लग रहा है लेकिन...!

प्यारेमोहन: मैडम, मुझे यकीन है, जब आप इसे पहनेंगी तो आपको भी अच्छा लगेगा। मैं: ओ... ठीक है, लेकिन मुझे लगता है...!

प्यारेमोहन: मैडम, सोचो मत, बस ले लो! यह आपकी पैंटी का एक शानदार विकल्प है, मैं गारंटी देता हूँ।

मामा जी ने फिर हस्तक्षेप किया!

मामा जी: प्यारेमोहन साहब, चूँकि आप कह रहे हैं कि यह पैंटी का एक विकल्प है, मुझे लगता है कि बहूरानी को आपको सहमति देने से पहले एक बार इसे आज़माना होगा। क्या मैं सही कह रहा हूँ बहुरानी?

इससे पहले कि मैं अपनी बात रख पाता, दुकानदार फिर से जवाब देने के लिए तैयार था!

प्यारेमोहन: लेकिन साहब, हम अधोवस्त्र और अंडरगारमेंट्स में परीक्षण की अनुमति नहीं देते हैं। यदि यह स्थानीय निर्मित उत्पाद होता, तो एक परीक्षण (उन्होंने कंधे उचकाए) ठीक था। लेकिन... लेकिन एक बार जब मैं अपने व्यापारी से ये आयातित स्टॉक खरीद लेता हूँ, तो मेरे पास एक भी टुकड़ा वापस करने का कोई प्रावधान नहीं होता है। इसलिए यदि परीक्षण के दौरान किसी भी संयोग से कोई वस्तु खराब हो जाती है या कुचल जाती है... तो यह मेरे लिए सीधा नुक्सान है।

मामा जी: ठीक है... लेकिन क्या होगा अगर कोई वस्तु ख़राब हो या...!

प्यारेमोहन: ऐसा तो आज तक कभी नहीं हुआ! दरअसल ये वस्तुएँ निर्माण के दौरान कड़ी गुणवत्ता जांच की जाती हैं। इसलिए... !

मामा जी: मैं देख रहा हूँ।

आख़िरकार ऐसा लगा कि मुझे इस अपमानजनक अनुभव से बाहर निकलने का रास्ता मिल गया और मैंने तुरंत उस रास्ते को पकड़ने की कोशिश की।

मैं: लेकिन मैं ट्रायल से पहले इनमें से कोई भी आइटम कैसे खरीद सकती हूँ... वास्तव में। मैंने ऐसी चीज़ें पहले कभी नहीं पहनी थीं!

प्यारेमोहन: लेकिन मैडम, कोई भी दुकान इन वस्तुओं पर ट्रायल की अनुमति नहीं देगी। क्या आप मेरी बात समझ नहीं रहे हैं?

मैं: हाँ। लेकिन आपको मेरे नजरिये से भी देखना होगा!

मामा जी: मुझे लगता है बहूरानी सही कह रही है। चूँकि ये आयातित वस्तुएँ हैं, तो जाहिर है कि उसने पहले कभी ऐसी चीज़ें नहीं पहनी हैं और अगर वह इसे खरीदती है और उसे असुविधाजनक लगता है, तो उसे क्या करना चाहिए?

प्यारेमोहन: लेकिन हमारी नीति वह नहीं है साहब। आप कोई भी सामान खरीदने से पहले अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें, खासकर इस सेक्शन से, लेकिन एक बार सामान बिकने के बाद वापस नहीं किया जा सकता।

मामाजी: प्यारेमोहन साहब! समझिये!

राधेश्याम अंकल: अरे साहब! बहूरानी तो यहाँ रहती ही नहीं, दूर रहती है, तो कम से कम उस बिंदु पर तो आपको इस मामले पर विचार करना चाहिए!

ईमानदारी से कहूँ तो मैंने कभी यह उम्मीद नहीं की थी कि मामा जी और चाचा इस मसले के लिए दुकानदार से इतनी विनती करेंगे और यह मेरा दुर्भाग्य था कि दोनों "बुद्धों" के कुछ और समझाने के प्रयासों के बाद अंत में दुकानदार सहमत हो गया!

प्यारेमोहन: ठीक है मैडम, मैं अपनी दुकान की पॉलिसी के बाहर चलता हूँ... लेकिन केवल चार ... और (झेंपते हुए) आपको मेरे आयातित स्टॉक पर परीक्षण लेने की अनुमति देता हूँ ... लेकिन फिर से... सिर्फ आपके लिए और कृपया बिल्कुल रहें सावधान रहें कि उन्हें कुचलें नहीं।

"तुम्हें मुझ पर इतना दयालु होने के लिए किसने कहा?" , मैंने मन में कहा, लेकिन कम से कम यह सोचकर खुश हो गयी कि ये मौखिक शर्मिंदगी मेरे लिए समाप्त हो गई थी।

मैं: (प्यार से मुस्कुराते हुए) आप बहुत अच्छे हैं!

मैंने खुद और बिल्कुल सामान्य रहने की कोशिश की।

प्यारेमोहन-मैडम आप मुझे अपना साइज बताओ... तो मैं आपको उसमें से ये 3 और 5 पीस वाली नाइटी दे दूंगा।

मैं: सी... मेरा मतलब है...आकार..

मैं: .क्या?

मैं बुरी तरह लड़खड़ायी और मानो और अधिक शर्मिंदगी महसूस हुई।

प्यारेमोहन-मैडम, आपकी ब्रा का साइज़... तभी तो मैं प्रॉपर लॉट से सामान दे पाऊंगा।

मामा जी और अंकल दोनों मुझे देख रहे थे और मेरा मन कर रहा था कि मैं उनके सामने अपने स्तन का आकार बताने के बजाय फर्श के अंदर घुस जाऊँ!

मामा जी: अरे भाई आप खुद अंदाजा लगा लो।

प्यारे मोहन: साहब अंदाजा लगाने के चक्कर में गलती हुई तो मेरे कुछ पीस खराब हो जाएंगे। इसलिए बेहतर होगा अगर आप आपने से बता दे। नहीं तो ये पहना कर चेक करना रहने देते हैं ।

मैं इस मुसीबत से बाहर निकलने का अवसर खोना नहीं चाहती थी इसलिए जल्दी से बोली ...!

मैं: तीस... सॉरी ... (मैंने अपनी जीभ से अपने होंठ गीले कर लिये।)

प्यारेमोहन: 30! आप मजाक कर रही होंगी मैडम। वे बहुत बड़े दिखते हैं! (इस बार सीधे मेरे गोल स्तनों पर आँख मारते हुए कहा।)

मुझे दुकानदार का यह बेहद आपत्तिजनक इशारा सहना पड़ा। मैंने किसी तरह खुद पर काबू पाया! मैं: 30 नहीं, मुझे पूरा करने दो! 34!

प्यारेमोहन: ओके... (उसने फिर से सीधे मेरे भरे हुए स्तनों को देखा और मुझे उस पर से अपनी नजर हटानी पड़ी) मैं आपके लिए 34 साइज़ लाता हूँ। मैडम। बस मुझे कुछ समय दीजिए.

बड़े आश्चर्य से मैंने देखा कि अब मामाजी और चाचाजी बहुत अधीर हो रहे थे! मुझे नहीं पता था कि उन्होंने ऐसा व्यवहार क्यों किया! क्या वे बोर हो रहे थे? लेकिन अभी कुछ समय पहले मैंने देखा कि मामाजी महिलाओं के अंतःवस्त्रों के रहस्यों को जानने के लिए बहुत उत्सुक थे! मैं समझ नहीं पा रही थी कि वे अचानक इतने बेचैन क्यों हो रहे थे!

प्यारेमोहन: यहाँ मैडम। मेरे पास आपके लिए सब कुछ है। यहाँ पहला है जो मैंने आपको दिखाया... वह कढ़ाई वाला और यह बेबीडॉल है और यहाँ 3-पीस और 5-पीस नाइटी सेट हैं। ठीक है मैडम?

यह कहते हुए उसने मुझे सारे सेट दे दिए और मुझे ट्रायल रूम दिखाया, जो उस छोटे से कमरे के ठीक बगल में था।

प्यारेमोहन: हमारे पास दो ट्रेल रूम हैं मैडम। एक बाहर दालान में और यह वाला। हालाँकि यह तुलनात्मक रूप से छोटा दिखाई देता है, लेकिन बेहतर लुक के लिए इसमें तीन तरफ दर्पण हैं मैडम। मुझे आशा है कि आपको इसका उपयोग करने में कोई समस्या नहीं होगी।

मैं: ठीक है धन्यवाद।

मैंने जल्दी से ड्रेस उठाई और ट्रायल रूम में जाने के लिए दरवाजा खोला।

मैंने अपने पीछे का दरवाज़ा बंद करते हुए खुद से कहा...।

मैं: ओह! उफ़! बुरी फसी आज मैं! ओह! जान में जान आई!


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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-28


कपड़ो की दूकान में अधोवस्त्रो का ट्रायल, स्ट्रिप शो


प्यारेमोहन: यहाँ मैडम। मेरे पास आपके लिए सब कुछ है, यहाँ । वह कढ़ाई वाला और यह बेबीडॉल है और यहाँ 3-पीस और 5-पीस नाइटी सेट हैं। ठीक है मैडम आप इन्हे आजमा कर देख ले?

यह कहते हुए उसने मुझे सारे सेट दे दिए और मुझे ट्रायल रूम दिखाया, जो उस छोटे से कमरे के ठीक बगल में था।

प्यारेमोहन: हमारे पास दो ट्राइयल रूम हैं मैडम। एक बाहर दालान में और यह वाला। हालाँकि यह तुलनात्मक रूप से छोटा दिखाई देता है, लेकिन बेहतर लुक के लिए इसमें तीन तरफ दर्पण हैं मैडम। मुझे आशा है कि आपको इसका उपयोग करने में कोई समस्या नहीं होगी।

मैं: ठीक है! धन्यवाद।

मैंने जल्दी से ड्रेस उठाई और ट्रायल रूम में जाने के लिए दरवाजा खोला।

मैंने अपने पीछे का दरवाज़ा बंद करते हुए खुद से कहा।

मैं: ओह! उफ़! बुरी फसी आज मैं! जान में जान आई!

मैंने कुछ देर तक अपनी आँखें बंद रखीं और गहरी आह भरी। फिर जैसे ही मैंने अपनी आँखें खोलीं और चारों ओर देखा तो मैंने पाया कि ट्रायल रूम एक बहुत ढके हुए रास्ते से बेहतर नहीं था। वह ट्रायल काश सभी तरफ से बंद क्षेत्र का आयताकार दिखने वाला फैला हुआ रास्ते का हिस्सा था। दोनों दीवारों पर और दरवाजे के पीछे पूर्ण दीवार दर्पण थे।

मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि सबसे दूर की दीवार, जिस पर दर्पण नहीं था, को गहरे काले रंग से रंगा गया था और ईमानदारी से कहूँ तो मुझे किसी भी दुकान में उस रंग से रंगी हुई कोई लकड़ी की दीवार याद नहीं आई! मैंने ट्रायल के लिए लाये हुए वस्त्रो को खराब होने से बचाने ले लिए ट्रायल रूम में लगे हूको पर टांग दिया ।

रोशनी भी थोड़ी अजीब थी क्योंकि मेरे सिर पर लगा बल्ब केवल दरवाजे के पास के क्षेत्र को ही ठीक से रोशन कर रहा था और सबसे दूर का कोना कुछ हद तक कम रोशनी वाला था।


मैं इस बात से अनभिज्ञ था कि जैसे ही मैंने ट्रायल रूम में प्रवेश किया, मामा-जी और चाचा के साथ दुकानदार तेजी से इस कमरे के पीछे की ओर चले गए और खुद को उस "काली" दीवार के पीछे खड़ा कर लिया। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उस दीवार पर झाँकने के लिए जालीदार छेद बने होंगे! दीवार की काली सतह, मोटा जाल और सबसे दूर के कोने पर अनुचित रोशनी के कारण मेरे लिए उसका पता लगाना लगभग असंभव हो गया।

मेरी मासूमियत और अज्ञानता का पूरी तरह से तीन अवसरवादी बुजुर्ग पुरुषों ने फायदा उठाया और उन्होंने चुपचाप एक विवाहित 30 वर्षीय महिला का कपडे उतारने बदलने और पहने के दौरान स्ट्रिप शो का आनंद लिया!

उस ट्रायल रूम में अकेले होने के कारण मैं खुलेआम अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत खुजलाने लगी-मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था कि मुझे देखा जा रहा है! आराम महसूस करने के लिए मैंने एक बार अपने हाथों से अपने स्तनों को भी दबाया। मैंने अपनी साड़ी से ढकी हुई गांड को दीवार पर कसकर दबाया और अपनी गर्मी बाहर निकालने के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं!

कुछ हद तक बेहतर महसूस करते हुए, मैंने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। मैंने अपना पल्लू खोला और अपनी साड़ी खोलने लगी। फिर मैंने अपने ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिया और उसे अपनी आस्तीन से बाहर निकालते हुए अपने पेटीकोट को खोलने के लिए अपने हाथों को अपनी कमर तक ले गई।


मैंने अपना पेटीकोट फर्श पर गिरा दिया और उससे बाहर निकल गई। यह बहुत अच्छा लगा। मैं केवल ब्रा और पैंटी में थी। मेरे पूरे शरीर से गर्मी निकल रही थी और मैंने सामान्य महसूस करने के लिए कुछ गहरी साँसें लीं।

मैं उस अत्यधिक रोमांच से पूरी तरह अनजान थी जो मामा जी, अंकल और दुकानदार ने ट्रायल रूम में मेरे मासूम स्ट्रिप शो को देखते हुए महसूस कर रहे थे। मैंने खुद को दर्पण में देखा और देखा कि मेरी पैंटी का पिछला भाग ऊपर उठ गया है और मेरे गोल नितंबों का मांस उजागर हो रहा है, मैंने जल्दी से अपने हाथों से अपनी पैंटी के पिछले हिस्से को अपने चौड़े नितंबों पर फैला दिया।

मैंने देखा कि मेरी पैंटी का अगला हिस्सा मेरे योनि रस से लगभग पूरी तरह गीला हो गया था और मैं उस तरह खड़ी होकर बहुत ही अश्लील लग रही थी! मैंने अपने दाहिने हाथ से अपनी पैंटी के सामने वाले हिस्से की जाँच की कि वह कितनी गीली थी और वास्तव में वह बहुत गीली थी। मैं अपनी गीली योनि के अंदर अपनी उंगली डालने से खुद को रोक नहीं पाई!

दुकानदार, अंकल और मामा जी मुझे सिर्फ अंडरगारमेंट्स में इस तरह एक्सपोज़ होते हुए, छिपकर मुझे देख कर उनकी दावत हो गयी थी। शायद इसीलिए कुछ देर पहले मामाजी और चाचाजी बहुत अधीर हो रहे थे! अब सोचती हूँ तो मुझे समझ आ रहा है कि उन्होंने ऐसा व्यवहार क्यों किया था! और वह मेरे स्ट्रिप शो और यदि संभव हुआ तो मुझे नग्न जल्दी से जल्दी देखने के लिए इतने बेचैन हो रहे थे! और वह बेचैन हो रहे थे इससे मुझे लगता है शायद वह पहले भी किसी महिला या लड़की के साथ ऐसा कर चुके थे या दूकानदार ने उन्हें कोई इशारा किया था कि वह ऐसा कर सकते हैं या ये उनका पूर्वनियोजित षड्यंत्र था ।

इसके अलावा, जो "कार्य" मैं कर रही थी वे विशेष रूप से स्त्रैण थे और एक महिला केवल अकेले होने पर ही ऐसा करेगी। मामा जी, अंकल और मिस्टर प्यारेमोहन ने शायद ही इससे पहले अपने जीवन में ऐसा हॉट शो देखा था जिसमें मेरे जैसी कामुक महिला केवल अंडरगारमेंट्स पहने हुए अपनी योनि के अंदर एक उंगली डालकर पैंटी के कमरबंद को आगे की ओर खींच रही थी!

उस उँगलियों के बाद थोड़ा और सहज महसूस करते हुए, मैंने पोशाकें आज़माना शुरू करने का फैसला किया। सबसे पहले मैंने दीवार के हुक से बेबीडॉल निकाली और उसे पहना और यह देखकर कि वह मेरे फिगर को कितना कवरेज दे रही थी, खुद ही हंसने लगी।



मेरे बड़े स्तन उस मिनी ड्रेस से बाहर निकल रहे थे और यह मुश्किल से मेरी ऊपरी जांघों तक पहुँच रही थी जिससे मेरी पूरी चिकनी टाँगें पूरी तरह से नग्न हुई थीं। मैं यह देखने के लिए अपने पीछे देखने लगी कि वह मेरा पिछवाड़ा और मेरे नितम्बो और गांड को कितना ढक रही थी और यह देखकर हैरान रह गई कि उसने केवल मेरे गोल नितंबों को ही ढका था!

"किसी भी हाल में मैं इसे राजेश के सामने भी नहीं पहन सकती!" , मैंने खुद से कहा।

वे किसी महिला के लिए ऐसी पोशाक कैसे डिज़ाइन कर सकते हैं? मैं स्वाभाविक रूप से चिढ़ गई थी और तुरंत उस मिनी नाइटड्रेस से बाहर निकल गई, हालांकि मैं पहले से ही खुद को इतनी सेक्सी पोशाक पहने हुए देखकर जोर-जोर से सांस ले रही थी।

इसके बाद मैंने कढ़ाई का डिज़ाइनवाले पोशाक को आज़माया और यह वास्तव में बहुत सुंदर थी। मैंने चलकर शीशे में खुद को अच्छी तरह से देखा और उस पोशाक से काफी संतुष्ट हुई और उसे खरीदने का फैसला किया। मैंने फिर से अपने कपड़े उतारे और अगला प्रयास करने से पहले केवल अपनी अंडरवियर (ब्रा पेंटी) में खड़ी रही।

बेशक इस समय उन तीनो ठरकी बुढो की इस स्ट्रिप शो में "आँखों की दावत" चल रही थी जिसके बारे में मैं पूरी तरह से अनजान थी। ये लगभग पक्का है कि तीनों मर्द मेरी चिकनी जवानी को अपनी आँखों से चाट रहे होंगे और संभवतः उत्तेजना में अपने खड़े लंड को सहला रहे होंगे।

अब मेरे पास आजमाने के लिए 3-पीस और 5-पीस नाइटी बची थीं। मैंने पहले 5-पीस नाइटी आज़माने का फैसला किया। उसके लिए मुझे अपनी ब्रा और पैंटी खोलनी पड़ी क्योंकि उस सेट के साथ एक जोड़ी अंडरगार्मेंट्स भी थे।

हालाँकि शुरू में मुझे थोड़ा शर्म महसूस हो रही थी, लेकिन चूँकि मैं ट्रायल रूम में काफी सुरक्षित महसूस कर थी, इसलिए मैंने उसे आज़माने के लिए अपने अंडरगारमेंट्स उतारने का फैसला किया। दरअसल मेरे अंडरगारमेंट्स खुलने का एक बड़ा कारण मेरी आधी गीली पैंटी भी थी।

मैंने जल्दी से अपनी पैंटी को घुटनों से नीचे फर्श पर खींच लिया और अपनी ब्रा भी खोल दी और मेरे गोल दृढ 34 साइज के स्तन ग्रुत्वकर्षण को धत्ता बता कर तन कर खड़े थे । मेरे स्तन मेरे विवाह के बाद भी बिलकुल ढलके नहीं थे । मैंने अपने आपको एक दो बार दर्पण में देखा और मुझे शर्म भी आयी और अपने आप पर गर्व भी हुआ ।

जब मैं ट्रेल रूम की दीवारों के भीतर पूरी तरह नग्न खड़ी थी तो मेरे पूरे शरीर में कंपकंपी की लहर दौड़ गई।

एक विवाहित महिला को रोशनी के नीचे इस प्रकार कपड़े उतारते हुए देखना मामा जी, अंकल और दुकानदार के लिए यह एक अविश्वसनीय दृश्य रहा होगा जो छिप कर मेरी ओर देख रहे थे! मैंने 5-पीस नाइटी में से पैंटी और ब्रा पहन ली। पैंटी बहुत टाइट थी-मुझे इसे अपनी कमर तक खींचने में काफी कठिनाई हो रही थी।

मैंने पहले ब्रा न पहनकर गलती की और जब भी मैं अपनी पैंटी को अपनी जांघों तक खींचने की कोशिश करती, मेरे पूरे स्तन बहुत अजीब तरह से हिलते और उछलते थे। आख़िरकार मैं पैंटी पहनने में सक्षम हो गई, लेकिन यह बहुत छोटी थी और मेरे पूर्ण आकार गोल नितम्बो के आधे को भी नहीं ढक रही थी।

ब्रा में कप भी छोटे थे और परिणामस्वरूप जब मैंने अपनी ब्रा का हुक अपनी पीठ पर लगाया तो मेरे स्तन बहुत कामुक रूप से उभरे। सबसे अहम बात यह थी कि कपड़ा पर्याप्त मोटा नहीं था और बहुत टाइट थी । जैसे ही मैंने खुद को दर्पण में देखा, मेरे सूजे हुए निपल्स की रूपरेखा उस ब्रा के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी!

मैं उस सामग्री से पूरी तरह असंतुष्ट थी जो सीधे ब्रा के माध्यम से मेरे निपल के निशान को दिखाने में सक्षम थी। मैंने कैपरी पैंट और टॉप पहनने का विचार छोड़ दिया और जल्दी से ओवरलैप पहन लिया जैसे कि कोई मुझे देख रहा हो! मैं इस पांच पीस की नाइटी से बहुत ज्यादा खुश नहीं थी ।

आखिरी प्रयास था 3-पीस नाइटी को आजमाने का। मैंने जल्दी से इस नई ब्रा और पैंटी से बाहर निकलकर अपनी पुरानी ब्रा पहन ली। मैंने पैंटी न पहनने का फैसला किया क्योंकि वह अभी भी सामने से काफी गीली थी।

मैंने स्कर्ट और टॉप पहना। स्कर्ट सभ्य थी और मेरे घुटनों तक मुझे ढक रही थी, लेकिन टॉप बहुत छोटा था और उसकी नेकलाइन भी बहुत गहरी थी, जिससे मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी गहरी पूरी दरार दिख रही थी; हालाँकि, ऊपरी चोगा या गाउन बेहद आरामदायक था और इसमें एक अच्छा मखमली स्पर्श था और यह कहने की ज़रूरत नहीं थी कि इसने मेरे पूरे शरीर को बहुत शालीनता से ढँक दिया था!

असल में मैं उस गीली पेंटी को पहनने में कुछ अनिच्छुक महसूस कर रही थी और मुझे वास्तव में अपनी गीली योनि को पोंछने की ज़रूरत थी क्योंकि यह अभी भी मेरी योनि के तरल पदार्थ की बूंदों को छोड़ रही थी। लेकिन चूंकि मेरे पास रूमाल नहीं था तो मैं असमंजस में थी कि इसे कैसे करूं।

तभी अचानक मेरे दिमाग में एक विचार आया-क्यों न इन नई ड्रेसों में से एक का उपयोग अपनी चूत को पोंछने के लिए किया जाए? जाहिर है कि दुकानदार मेरी चुनी हुई ड्रेसेज को फाइनल करने में व्यस्त होगा और निश्चित रूप से इन पर कोई ध्यान नहीं देगा।

मैंने जल्दी से अपना गाउन उतार दिया और अपनी स्कर्ट को अपनी कमर से उतारकर फर्श पर गिरा दिया और चूँकि मैं पहले से ही पैंटी के बिना थी, इसलिए मैंने उस ड्रेस से अपनी योनि को पोंछना शुरू कर दिया। मैंने अपनी खुली हुई चूत को शीशे में देखा और उसे पोंछ लिया, बिना यह जाने कि तीन वयस्क पुरुष मुझे यह बेहद निजी और अश्लील हरकत करते हुए देख रहे थे।

मैंने अपने घने चूत के बाल भी पोंछे, जो मेरे रस से कुछ चिपचिपे हो गए थे। मैंने कुछ और डिस्चार्ज पाने के लिए अपनी उंगली को अपनी योनि में गहराई तक डाला और इस कार्य को पूरा करने के बाद मुझे बहुत आराम महसूस हुआ। मेरी साँसें भी सामान्य हो गई थीं और मेरे निपल्स मेरी ब्रा के अंदर आराम से बाहर आने लगे थे।

हालाँकि मैंने अपनी चूत को पोंछ लिया था, फिर भी मेरी पैंटी गीली थी और मैंने उसे रगड़ने के लिए 3-पीस नाइटी की स्कर्ट का इस्तेमाल किया। जाहिर तौर पर मैं उस पर स्कर्ट रगड़ कर उसे सूखा नहीं कर पा रही थी, लेकिन सूखे कपड़े से नमी कम से कम कुछ हद तक सोख ली गई थी।

अब मैं अपनी असली पोशाक साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज में तैयार हो गयी। दर्पण देखकर और अपने दोनों हाथों का उपयोग करके, मैंने अपने भारी स्तनों को अपनी ब्रा और ब्लाउज के अंदर ठीक से सेट कर लिया और बहुत सहज महसूस किया।


जारी रहेगी
 
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macssm

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Nice update
Bahurani ko firse Kab aashram mein guruji ka sahavas milega??
Or unkempt shishyoka bhi
 

deeppreeti

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औलाद की चाह

247

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-30


शरारत रँगे हाथो पकड़ी गयी



ट्रायल रूम में मेरी योनि के तरल पदार्थ की बूंदों को छोड़ रही थी। लेकिन चूंकि मेरे पास रूमाल नहीं था तो मैं असमंजस में थी कि इसे कैसे साफ़ करूं।

तभी अचानक मेरे दिमाग में एक विचार आया-क्यों न इन नई ड्रेसों में से एक का उपयोग अपनी चूत को पोंछने के लिए किया जाए? जाहिर है कि दुकानदार मेरी चुनी हुई ड्रेसेज को फाइनल करने में व्यस्त होगा और निश्चित रूप से इन पर कोई ध्यान नहीं देगा।

मैंने जल्दी से अपना गाउन उतार दिया और अपनी स्कर्ट को अपनी कमर से उतारकर फर्श पर गिरा दिया और चूँकि मैं पहले से ही पैंटी के बिना थी, इसलिए मैंने उस ड्रेस से अपनी योनि को पोंछना शुरू कर दिया। मैंने अपनी खुली हुई चूत को शीशे में देखा और उसे पोंछ लिया, बिना यह जाने कि तीन वयस्क पुरुष मुझे यह बेहद निजी और अश्लील हरकत करते हुए देख रहे थे।

मैंने अपने घने चूत के बाल भी पोंछे, जो मेरे रस से कुछ चिपचिपे हो गए थे। मैंने कुछ और डिस्चार्ज पाने के लिए अपनी उंगली को अपनी योनि में गहराई तक डाला और इस कार्य को पूरा करने के बाद मुझे बहुत आराम महसूस हुआ। मेरी साँसें भी सामान्य हो गई थीं और मेरे निपल्स मेरी ब्रा के अंदर आराम से बाहर आने लगे थे।

हालाँकि मैंने अपनी चूत को पोंछ लिया था, फिर भी मेरी पैंटी गीली थी और मैंने उसे रगड़ने के लिए 3-पीस नाइटी की स्कर्ट का इस्तेमाल किया। जाहिर तौर पर मैं उस पर स्कर्ट रगड़ कर उसे सूखा नहीं कर पा रही थी, लेकिन सूखे कपड़े से नमी कम से कम कुछ हद तक सोख ली गई थी।

अब मैं अपनी असली पोशाक साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज में तैयार हो गयी। दर्पण देखकर और अपने दोनों हाथों का उपयोग करके, मैंने अपने भारी स्तनों को अपनी ब्रा और ब्लाउज के अंदर ठीक से सेट कर लिया और बहुत सहज महसूस किया।


उन चारों जो मैंने आज़माईं उनमे से मैंने केवल कढ़ाई वाली नाइटी खरीदने का फैसला किया। मैंने दरवाजे की कुंडी खोली और ट्रायल रूम के बाहर किसी को मौजूद न देखकर बहुत आश्चर्यचकित हुयी हालांकि जल्द ही मिस्टर प्यारेमोहन लगभग दौड़ते हुए मेरे पास आए! वह स्पष्ट रूप से हांफ रहा था।

प्यारेमोहन: ओह! महोदया, आपने बड़ी जल्दी इन पोशाकों को ट्राई कर लिया । में मैं आपके मामाजी और चाचा को दालान में टहलने के लिए ले गया था।

कुछ ही देर में मैंने मामा जी और चाचा को सामने आते देखा और वह दोनों के अत्यंत आश्चर्यचकित, प्रभावित् और चकित लग रहे थे और उनके हाथ उनके लंड पर थे । ये क्या हो रहा था? मैं थोड़ा हैरान थी पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ।

मैं: क्या आप ठीक हैं मामा जी?

मामा जी: हाँ... हाँ... ठीक है! बस हमने थोड़ी सैर की...चलो...ही ही!

मैं: ओह्ह्ह! ।

मैं निश्चित रूप से उनके जवाब से आश्वस्त नहीं थी ।

प्यारेमोहन: तो मैडम, क्या आप ये सब लेने की सोच रही हैं?

मैं: बिलकुल नहीं! मैं केवल इसे ही लूंगी ।

कहते हुए मैंने कढ़ाईदार नाइटी दुकानदार की ओर बढ़ा दी।

प्यारेमोहन: केवल एक! क्यों? क्या इनकी फिटिंग ठीक नहीं थी?

मैं: नहीं, नहीं। वे सभी ठीक थे, लेकिन मुझे केवल यही पसंद आयी।

राधेश्याम अंकल: तुम्हें यकीन है बहुरानी? tum 3-पीस या 5-पीस नाइटी नहीं लोगी?

मैं: नहीं, धन्यवाद अंकल। (इस बार जोर देकर) इसे ही लेंगे अंकल।

प्यारेमोहन: ठीक है! जैसी आपकी इच्छा मैडम।

मामाजी: ठीक है! बहूरानी! तुमने राधे के कुछ पैसे बचा लिए ... हा-हा हा...!

मामा जी ने माहौल को हल्का करने की कोशिश की, लेकिन मैंने देखा कि उनका दाहिना हाथ अभी भी उनकी पतलून के ऊपर से उनके लंड को सहला रहा था! जैसे ही मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा, मुझे मामा जी की पैंट में एक भयानक उभार नज़र आया और निश्चित रूप से वहाँ कुछ गड़बड़ थी।

दुकानदार भी अलग नहीं था! वह भी अपने लंड को भी सहला रहा था और वह भी बिल्कुल खुलेआम-उसे इस बात की बिलकुल भी परवाह नहीं थी कि उसके सामने एक वयस्क महिला ग्राहक खड़ी है! हालाँकि मुझे किसी षडयंत्र की गंध आ रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से मैं इस बारे में कुछ भी पता नहीं लगा सकी कि जब मैं ट्रायल रूम में थी तो वास्तव में वहाँ क्या हुआ था।

अक्ल का जब मेरे साथ टॉयलेट में शीघ्रपतन हुआ था तो वे भी उस समय बिल्कुल वैसे ही थके हुए लग रहे थे, जिससे भी मुझे कुछ अंदाजा लगाना चाहिए था पर शायद शॉपिंग करते समय मेरी जासूसी वाली नाक बंद हो गयी थी!

प्यारेमोहन: तो, यह अंतिम है मैडम-तीन साड़ियाँ और एक नाइटी। ठीक है?

मैं: बिलकुल सही।

प्यारेमोहन: साहब, आप दोनों नीचे बैठ कर आराम कर सकते हैं। मैडम, आप बस अपने ब्लाउज के माप के लिए एक सेकंड रुकें।

मामा जी: ठीक है। बहूरानी, जब तुम्हारा काम हो जाए तो नीचे आ जाना।

मैं: ठीक है मामा जी।

मामा जी और अंकल मुड़े और सीढ़ी की ओर चले गए, जबकि दुकानदार शायद दर्जी के पास गया। कुछ ही पालो बाद अचानक मैंने सुना कि दुकानदार मुझे अंदर से बुला रहा है और आवाज काफी सख्त थी, जिससे मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हो गयी। मैं जल्दी से दोबारा कमरे में गयी, लेकिन वह दुकानदार उस समय ट्रायल रूम में था!

प्यारेमोहन: मैडम, यहाँ! मेरे पास आओ?

मैं ट्रायल रूम की तरफ गयी ।

प्यारेमोहन: मैडम, देखिए इसीलिए मैं ट्रायल के इस विचार पर आपत्ति जता रहा था!

मेरा दिल बेचैनी से धड़कने लगा। उसका क्या मतलब था? मैंने देखा कि वह मेरी पहनी हुई पोशाकों की जाँच कर रहा था। मुझे लगा मैं अवश्य पकड़ी जाऊँगी! पता नहीं कितनी शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी! क्या उसे उन नई पोशाकों से पोंछने की मेरी शरारती हरकत का पता चल गया था? क्या मेरी शरारत पकड़ी गयी थी । उफ्फ्फ! रब्बा बे!

प्यारेमोहन: मैडम, ये दाग निश्चित रूप से तब नहीं थे जब मैंने आपके लिए कपड़े खोले थे?

मैं: मैं... मैं... मेरा मतलब है मुझे कैसे पता चलेगा? (मैंने यथासंभव शांत रहने की कोशिश की।)

मिस्टर प्यारेमोहन बेबीडॉल नाइटी पर लगे दागों को बहुत बारीकी से जाँच रहे थे। वह यह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि यह क्या है और इस प्रक्रिया में उसने कुत्ते की तरह इसे सूंघना शुरू कर दिया! कितनी शर्म की बात है! दुकानदार वास्तव में उस कपड़े पर मेरे योनि रस को सूँघ रहा था।

प्यारेमोहन: उहू! महोदया! निश्चित रूप से ये ताज़ा हैं... मुझे इस पैंटी पर भी वही दाग दिख रहा है! यह आप... मेरा मतलब है... आपने ही तो इन्हे अभी-अभी आज़माया है मैडम!

उसने एक बार सीधे मेरी साड़ी से ढकी हुई योनि को देखा और फिर मेरी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा, जाहिर तौर पर यह बताने की कोशिश की कि ये दाग मेरी चूत के रस के हैं और कुछ नहीं! स्वाभाविक रूप से मुझे विरोध करना पड़ा, लेकिन मुझे अंदर से बहुत अजीब महसूस हो रहा था।

मैं: नहीं, नहीं। यह कैसे हो सकता? मुझे देखने दो!

दुकानदार ने मुझे पैंटी दी (5-पीस नाइटी सेट का एक हिस्सा) जिसे मैंने अभी-अभी पहना था। उफ्फ्फ्फ़! मैं स्वयं उस पैंटी का निरीक्षण कर रही थी और उस पर मेरी योनि का रस स्पष्ट रूप से लगा हुआ था।

प्यारेमोहन: मैडम, मुझे यह कहते हुए खेद है... लेकिन ये आपकी हैं... मेरा मतलब है सॉरी! ... आपको शायद पूरी तरह से पता नहीं था कि आप गीली थीं...!

मैं: अरे... क्या? मेरा मतलब है...!

मेरे चेहरे पर शर्मिंदगी छाने लगी-आख़िरकार वह एक दुकानदार ही था और मेरे लिए बिल्कुल अजनबी था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसके सामने खड़ा एक मूर्ख स्त्री पैंटी का निरीक्षण करने पर रंगे हाथों पकड़ी गयी हो!

प्यारेमोहन: मैडम, मैं बिल्कुल स्पष्ट बता दूं। आपने देखा कि मुझे आजमाने वाले मसले पर पहले से ही में आपत्ति थी, लेकिन आपने और आपके रिश्तेदारों ने जोर दिया और इसलिए मैं इसके लिए इस शर्त के साथ सहमत हो गया की ये वस्त्र खर्रब नहीं होने चाहिए। अब मैं इन प्रयुक्त उत्पादों को नहीं बेच सकता। मेरा मतलब है... आपको... आपको इन्हे खरीदना होगा।

उन्होंने आखिरी कुछ शब्द बहुत ही सावधानी से और फौलादी ठंडी आवाज में बोले। मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था और मेरे हाथ और पैर पहले से ही बर्फ के टुकड़े की तरह ठंडे हो गए थे!

प्यारेमोहन: मैडम, आपको इस 5-पीस सेट के साथ यह बेबीडॉल नाइटी भी ले जाना होगा ... इस 3-पीस नाइटी की स्कर्ट पर भी वही दाग हैं... निशान कितने ताज़ा हैं! (उसने फिर सूँघा) अब ये तीनों सेट भी तो आपको लेने ही पड़ेंगे मैडम।

मैं इतना घबरा गयी कि मुझे दुकानदार से बात करने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी। सबसे पहली और महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि मेरे पास पैसे भी नहीं थे। अगर मुझे इन्हें खरीदना होता तो मुझे या तो मामा जी या फिर राधेश्याम अंकल की मदद लेनी पड़ती और फिर, निःसंदेह मुझे उन पुरुषों के सामने यह स्वीकार करना होगा कि जब मैं ये पोशाकें पहन रही थी तो मेरी चूत के रस ने कपड़े को खराब कर दिया।

उफ़! मैं उन्हें यह कैसे बता सकती थी! इस्स्स्स्सश! कितनी शर्म की बात है!

इसके अलावा, मुझे पूरा यकीन था कि यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा-मैंने मामा जी में जो जिज्ञासा देखी थी-वह निश्चित रूप से मुझसे पूरी तरह से सवाल करेंगे कि स्कर्ट और बेबीडॉल नाइटी पर ये दाग कैसे लगे, भले ही उन्हें पेंटी पर लगे दाग की बात पर यकीन हो जाए।

मुझे तभी एहसास हुआ कि मामा जी को जवाब देना मेरे लिए बहुत बोझिल और शर्मनाक अनुभव होगा; इसलिए तुरंत मैंने उसे ये नाइटड्रेस खरीदने के लिए उन्हें सूचित करने का विचार छोड़ दिया।

लेकिन... फिर विकल्प क्या था?

मुझे इस समस्या का कोई सुहल नहीं सूझ रहा था! घभराहट से मेरे दिमाग शून्य हो गया था । पसीने की बूँदें पहले से ही मेरे माथे पर चमक रही थीं और मेरी हथेलियों से भी पसीना आना शुरू हो गया था। मेरे होंठ हमेशा की तरह सूखे हुए थे, लेकिन इस बार पूरी तरह से घबराहट के कारण मैं पसीना-पसीना हो रही थी।

प्यारेमोहन: मैडम, क्या मैं उन सबको पैक कर दूं और उनको बता दूं...!

मैं: नहीं, नहीं। आपको उन्हें सूचित करने की आवश्यकता नहीं है।

प्यारेमोहन: फिर आप अलग से पैसे देंगी मैडम?

मैं: अरे... मेरा मतलब है...!

प्यारेमोहन: यही ठीक होगा होगा...

... बेबी डॉल 450 / -है, 3-पीस 650 / -है और 5-पीस 900 / -है... उम्म... कुल मिलाकर 2000 / -मैडम।

मैं क्या? दो हजार!

प्यारेमोहन: चलिए मैडम! आख़िरकार ये सीधे विदेशों से आने वाली आयातित वस्तुएँ हैं!

मैं: लेकिन... लेकिन वह... वह बहुत महंगा है!

प्यारेमोहन: लेकिन मैडम आपको इन्हें लेना होगा... मैं इन "दागदार" वस्तुओं को अपने स्टॉक में नहीं रख सकता!

मैंने देखा कि इस आदमी को सच बताने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

मैं: प्यारेमोहन साहब, मेरा मतलब है... गलती... असल में मेरे पास पैसे नहीं हैं और... और ऐसा नहीं है कि मैं बाद में भुगतान कर सकता हूँ क्योंकि मैं यहाँ नहीं रहती हूँ। कृपया मेरे मामले पर आप सहानिभूतिपूर्वक विचार करें!

प्यारेमोहन: मैडम मैं रुपये के मामले में कैसे विचार कर सकता हूँ। 2000? हाँ, अगर यह 100-200 रुपये होता तो मैं निश्चित रूप से विचार करता क्योंकि आख़िरकार आप मेरे ग्राहक हैं, लेकिन 2000 / -... मैं किसी भी तरह से विचार नहीं कर सकता मैडम!

मैं सचमुच मुश्किल की स्थिति में थी और बहुत असहाय महसूस कर रही थी मैंने फिर से अनुरोध किया।

मैं: प्लीज़ प्यारेमोहन साहब! मैं तुम्हारी बहन जैसी हूँ। क्या आप बिलकुल कुछ नहीं कर सकते...?

प्यारेमोहन: मैडम, यहाँ भावनात्मक खेल नहीं चलेगा! मैं एक व्यवसायी हूँ। मैं इन्हें बेच नहीं सकता। (फिर से उसने मुझे दाग दिखाने के लिए पैंटी उठाई) या तो आपको या आपके रिश्तेदार को भुगतान करना ही होगा।

मैं: लेकिन मेरे पास कुछ भी नहीं है और मैं उन्हें बता नहीं सकती । कृपया मेरी स्थिति को समझने का प्रयास करें। मैं... मैं एक काम कर सकती हूँ मैं घर वापस आते ही आपको मनीआर्डर कर दूँगी।

प्यारेमोहन: नहीं मैडम ऐसी कोई कहानी नहीं चलेगी। आपको यहाँ भुगतान करना होगा। मेरा समय बर्बाद मत कीजिये। (इस बार उनकी आवाज़ बहुत सख्त थी।)

मैंने कुछ देर तक उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि वह अपनी बात पर अड़ा रहा और आखिरकार मैंने आत्मसमर्पण कर दिया।

प्यारेमोहन: मैडम, देखिए, यह कोई रेस्तरां नहीं है कि अगर आप बिल नहीं दे सकते, तो क्रॉकरी की सफाई और धुलाई कर सकते हैं और मुझे भुगतान कर सकते हैं। मुझे अपने 2000 / -रुपये की प्रतिपूर्ति चाहिए। नगद!

स्थिति निराशाजनक अंत की ओर जा रही थी और किसी दुकानदार से मेरी मदद करने की याचना करना मेरे लिए और भी अजीब था और इसलिए मैं इससे बाहर निकलना चाहती थी।

मैं: मैंने तुम्हें पहले ही बताया था... मेरा मतलब है कि मेरे पास कुछ भी नहीं है। फिर... मेरा मतलब है कि अगर मैं कुछ और सकूँ तो मुझे बताओ. यदि मैं आप का कोई काम कर सकूँ जिससे इस धन की क्षतिपूर्ति हो जाये तो वह मुझे बताईये।

प्यारेमोहन: कौन-सा काम? ओह्ह ओह्ह्ह? वह सोच रहा था ।

मैं: मुझे सीधे बताओ कि उस 2000 / -का हर्जाना देने के लिए आप मुझसे क्या करवाना चाहते हो। मैं कभी भी किसी भी दुकान में इतनी अजीब स्थिति में नहीं रही!

प्यारेमोहन: मैडम देखिए यह मेरी समस्या नहीं है और मैं यह नहीं सुनना चाहता कि आपने अन्य दुकानों में क्या किया है। (वह स्पष्ट रूप से मेरे प्रति असभ्य हो रहा था।) आपने इन्हें खराब कर दिया है और आपको भुगतान करना होगा।

मैं: ठीक है, ठीक है। बताओ आप मुझसे अब क्या करवाना चाहते हो?


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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-31

बुरी फसी. पैसे कैसे अदा किये जाए

प्यारेमोहन: कौन-सा काम? ओह्ह ओह्ह्ह? वह सोच रहा था ।

मैं: मुझे सीधे बताओ कि उस 2000 / -का हर्जाना देने के लिए आप मुझसे क्या करवाना चाहते हो। मैं कभी भी किसी भी दुकान में इतनी अजीब स्थिति में नहीं रही!

प्यारेमोहन: मैडम देखिए यह मेरी समस्या नहीं है और मैं यह नहीं सुनना चाहता कि आपने अन्य दुकानों में क्या किया है। (वह स्पष्ट रूप से मेरे प्रति असभ्य हो रहा था) आपने इन्हें खराब कर दिया है और आपको भुगतान करना होगा।

मैं: ठीक है, ठीक है। बताओ ना तुम मुझसे क्या अब करवाना चाहते हो?

मैं सीधे दुकानदार से उगलवाना चाहरही थी की वह अब मुझसे क्या चाहता है।

प्यारेमोहन: उम्म... मुझे सोचने दो... ठीक है! हाँ! है... एक रास्ता है... लेकिन...शायद आप वह नहीं कर पाएंगी । ...उम्म्म्म! क्या आप यह कर सकती हैं?

मैं: (मेरा चेहरा मानो आशा की किरण देखकर चमक उठा) क्या? ज़रूर! मैं कर सकती हूँ! मुझे बताओ!

प्यारेमोहन: देखिए मैडम, मैं आपको स्पष्ट रूप से बता रहा हूँ... हमने केबल टीवी पर अपने उत्पादों के लिए कुछ विज्ञापनों की योजना बनाई थी और एक मॉडल तय की थी । उसमें अभिनय करने के लिए 5000 / -रु देने का सोचा था । अब... यदि आप ऐसा कर सकते हैं, तो मैं निश्चित रूप से 2500 / -बचा लूंगा... दरअसल मैंने उसे दो विज्ञापनों के लिए बुक किया है। लेकिन... ...उम्म...

बिना किसी विवरण और सोच विचार के मैंने प्रस्ताव को लपक कर स्वीकार कर लिया क्योंकि वह रु। 2000 / की बात मेरे दिमाग पर जोरों से घूम रही थी।

मैं: अरे...कोई बात नहीं प्यारेमोहन साहब। मैं यह करूंगी।

प्यारेमोहन: वह तो ठीक है, लेकिन...1

स्वाभाविक रूप से मैं अधीर हो रही थी।

मैं: साहब अब क्या समस्या है?

प्यारेमोहन: मैडम, देखिए दो दिक्कतें हैं। चूँकि इसकी योजना अगले सप्ताह के लिए बनाई गई थी, मेरे पास अभी पुरुष मॉडल नहीं है और... उम्म...!

मैं: और क्या?

प्यारेमोहन: ठीक है मैडम, निर्देशक है...मेरा मतलब है कि वह बहुत गुस्सैल और असभ्य है ... ।तो... ।अरे...मैं सोच रहा था कि क्या आप...मेरा मतलब है कि क्या आप उसे बर्दाश्त कर पाएंगी या ...!

मैं: हाल के दिनों में मैं कई अजीब चीजें बर्दाश्त कर रही हूँ, जिन्हें बर्दाश्त करने के बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था! तो, बेहतर होगा कि आप उस पर न सोचें।

प्यारेमोहन: (मुस्कुराते हुए) ठीक है, ठीक है। अरे... फिर मैडम मुझे लगता है कि आपको समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि आपके मामा-जी और चाचा इंतजार कर रहे होंगे।

मैं: हमे जल्दी करनी होगी। हम अभी भी उन नाइटीज़ के साथ बैठे हुए हैं!

प्यारेमोहन: ओह! ज़रूर मैडम! मुझे बस एक मिनट का समय दें ताकि मैं निर्देशक को शूटिंग की व्यवस्था करने के लिए सूचित कर सकूं।

मैं: ठीक है।

श्री प्यारेमोहन एक पल में गायब हो गए और वास्तव में कुछ मिनटों के भीतर वापस भी आ गए।

प्यारेमोहन: मैडम, मैंने बहुत मेहनत से मिस्टर मंगेश को मना लिया है। वह निर्देशक हैं। जैसा कि मैंने आपको बताया था, वह काफी गुस्सैल स्वभाव का है और सभ्य भाषा नहीं बोलता है। तो कृपया...!

मैं: ठीक है, ठीक है।

उस समय मैं ईमानदारी से किसी अन्य पहलू के बारे में सोचने के बजाय मैं इसे जल्दी से खत्म करने की इच्छुक थी।

प्यारेमोहन: साथ आओ! और बस यह कहना याद रखें कि आपने पहले अभिनय किया है, अन्यथा श्रीमान मंगेश तुरंत सामान पैक कर लेगा।

मैंने सिर हिलाया और दुकानदार के पीछे चलने लगी। जैसे ही मैं गलियारे से होकर उसके पीछे गई, मैंने जल्दी से अपना पल्लू एक बार फिर से ठीक से लपेट लिया क्योंकि मैं एक अनजान पुरुष के सामने जा रही थी। हम शौचालय के पीछे गलियारे के अंत तक पहुँचे जहाँ एक कमरा था जिसका दरवाज़ा खुला था।

प्यारेमोहन: आइये मैडम। श्री मंगेश, वह वही हैं जिनके बारे में मैं बात कर रहा था।

कमरा काफी बड़ा था, लेकिन मिस्टर मंगेश बिल्कुल भी प्रभावशाली नहीं लग रहे थे-बहुत पतले, मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति, जिनके चेहरे पर उभरी हुई खुरदरी दाढ़ी थी, जिन्होंने लाल टी-शर्ट और घुटनों तक ढकी तीन चौथाई पैंट पहनी हुई थी।

श्री मंगेश ने कुछ क्षणों के लिए सीधे मेरी ओर देखा और मुझे उनके सामने खड़ा होना बहुत अजीब लगा, जैसे उन्होंने मेरे फिगर का निरीक्षण किया हो-बहुत खुले तौर पर।

श्री मंगेश: हम्म... आपका नाम क्या है?

मैं: रश ...मेरा मतलब है रश्मी।

श्री मंगेश: उम्र?

मैंने पहले कभी ऐसी अजीब स्थिति का सामना नहीं किया था (कम से कम वयस्क होने पर) जब कोई बिल्कुल अजनबी मुझसे दूसरे ही सवाल के तौर पर मेरी उम्र पूछ रहा हो!

मैं: बीस... मेरा मतलब है। 28!

श्री मंगेश: और आपके आँकड़े क्या हैं? (उसने मुझसे साड़ी से ढके मेरे तने हुए स्तनों को देखते हुए पूछा)

मैं: अरे... क्या?

पहली बार में मैं इस सवाल की नहीं समझ पायी।

मिस्टर मंगेश: मिस्टर प्यारेमोहन किस तरह की अभिनेत्री हैं?

उसकी आवाज़ ठंडी और सख्त थी और साफ़ झलक रहा था कि वह मेरी लड़खड़ाहट से चिढ़ गया था।

प्यारेमोहन: अरे, वह काफी दूर तक चली है... उसे सांस लेने के लिए कुछ समय दो! महोदया, उसे अपनी फिगर के महत्त्वपूर्ण आँकड़े बताओ? मेरे पास उसके स्तन का आकार है... 34 है।

मेरे कान तुरंत गर्म होने लगे और मुझे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि मेरा गला सूख रहा था! मैंने स्वाभाविक स्त्रियोचित लज्जावश अपनी पलकें झुका लीं।

श्री मंगेश: ओह्ह आओ! तुम्हारा नाम क्या है ओ! रश्मी!

मैं: बीस... मेरा मतलब है ... त्रुटि... 28 और-और 36. मेरा मतलब है 34-28-36. (यह बताने में मुझे अपना सारा दिमाग इकट्ठा करना पड़ा ।)

श्री मंगेश: हम्म, आप काफी भरी हुई लग रही हैं! अब सुनो मुझे इस विज्ञापन के लिए एक युवा मॉडल की आवश्यकता थी।

लेकिनप्यारेमोहन जी ने अनुरोध किया है, इसलिए मैं आपके साथ ये काम करूँगा। आपने और कहाँ अभिनय किया है?

मैं: उम्म... ड्रम में मेरा मतलब नाटकों में है।

श्री मंगेश: नाटक! मतलब सिर्फ मंच पर?

प्यारेमोहन: नहीं, नहीं। उन्होंने कुछ छोटे विज्ञापनों में भी काम किया। वह इस प्रकार के काम से काफी परिचित हैं। उसे बताओ मैडम। उसे बताओ।

दुकानदार मेरे अनाड़ीपन को छुपाने की पूरी कोशिश कर रहा था।

मैं: हाँ, हाँ। मैंने 2-3 विज्ञापनों में ग़लती से काम किया।

श्री मंगेश: कौन-सा उत्पाद?

मैं हैरान हो गया और श्री प्यारेमोहन की ओर एकटक देखने लगा जो फिर से मुझे "बचाने" के लिए तैयार थे!

प्यारेमोहन: साबुन... साबुन आप जानते हैं और...

श्री मंगेश: और?

प्यारेमोहन: और... उम्म... अंडरगारमेंट्स अंडरगारमेंट्स!

विरोध करने के लिए मेरे होंठ अपने आप खुल गए, लेकिन स्थिति की मांग के अनुसार मुझे खुद पर नियंत्रण रखना पड़ा। वह शैतान दुकानदार! क्या वह इसके अलावा और कुछ नहीं कह सकता था! उफ़! अंडरगारमेंट्स! हाय दईया!

श्री मंगेश: (अब मेरी आँखों में देखते हुए) ठीक है यह जानना अच्छा लगा। आपको साबुन के विज्ञापन में क्या करना था?

यह प्रश्न वास्तव में मेरे लिए ही था और मुझे कुछ उत्तर देना था।

मैं: मैं... मैंने उसमें अभिनय किया... मेरा मतलब है कि मैंने अपने शरीर पर साबुन लगाया।

मैं सचमुच इस आदमी को जवाब देते हुए बहुत घबरा रही थी। उनकी आवाज़ स्टील जैसी ठंडी थी और मेरे जैसी गृहिणी के लिए सवाल भी सीधे थे!

श्री मंगेश: हम्म। हम्म। पूरा शरीर या केवल आपके हाथ और कंधे?

मैंने एक बार अपने होंठ चाटे क्योंकि अब मुझे एहसास हो गया था कि मैं घिर रही हूँ। मेरा चेहरा पूरा लाल हो गया था और शरीर बहुत अकड़ गया था।

मैं: हा... हा... मेरा मतलब केवल हाथ और शू... शो... कंधे हैं।

श्री मंगेश: शावर स्नान नहीं?

मैं: (मैं टीवी पर देखे गए साबुन के विज्ञापनों को याद करने और अपने उत्तर बनाने की कोशिश कर रही थी। ) हाँ, हाँ... शॉवर वहाँ था।

श्री मंगेश: ठीक है, तो आपने शॉवर के नीचे खड़े होकर साबुन लगाया और उन्होंने इस दृश्य का फिल्मीकरण डिब्बाबंद कर दिया? सही?

मैं: हाँ, हाँ। (मैंने बातचीत ख़त्म करने की कोशिश करते हुए बिना ज़्यादा सोचे जवाब दिया। )

श्री मंगेश: यह अच्छा है, क्योंकि आपके यहाँ भी ऐसी ही स्थिति है! वैसे, क्या आप जानती हैं कि आपको यहाँ क्या करना है?

प्यारेमोहन: हाँ, हाँ, मैडम को पता है, लेकिन वास्तव में मुझे उसके बारे में विस्तार से बताने का समय नहीं मिला।

श्री मंगेश: हुंह! प्यारेमोहन जी, आप हमेशा बहुत व्यस्त रहते हैं! वैसे भी, मैं तुम्हें ब्रीफ कर दूंगा रश्मी।

देखिए, जैसा कि आप जानते हैं कि यह एक चड्डी-बनियान विज्ञापन है, प्रस्तुति मसालेदार होनी चाहिए। हमें पुरुष ग्राहकों में इस परिणीता स्टोर ब्रांड को खरीदने के लिए आकर्षित करना होगा और इसके लिए विज्ञापन को आकर्षक तरीके से डिजाइन और प्रस्तुत करना होगा, आप समझ रही हैं!

मैं पहले से ही सुन रहा था कि यह एक पुरुष चड्डी-बनियान का विज्ञापन था। मैंने अपने भाग्य को धन्यवाद दिया और मन ही मन मुस्कुराया कि यह एक महिला अंडरगारमेंट का विज्ञापन नहीं था!

प्यारेमोहन: यदि आप इसे थोड़ा जल्दी कर सकते हैं... तो उसे...!

मिस्टर मंगेश: (दुकानदार की तरफ बहुत ज़ोर से देखते हुए) तो फिर किसी और को काम पर रख लो और मुझे छोड़ दो! साला! कहाँ कहा से चले आते हैं! मेरी अपनी गति है ।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-32


उत्पादों की विक्री बढ़ने के लिए एक्टिंग

श्री मंगेश: ओह्ह आओ! तुम्हारा नाम क्या है ओ! रश्मी! तुम्हरी उम्र और आपके आँकड़े क्या हैं? (उसने मुझसे साड़ी से ढके मेरे तने हुए स्तनों को देखते हुए पूछा)

मेरे कान तुरंत गर्म होने लगे और मुझे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि मेरा गला सूख रहा था! मैंने स्वाभाविक स्त्रियोचित लज्जावश अपनी पलकें झुका लीं।

मैं: बीस... मेरा मतलब है .. त्रुटि... 28 और और 36। मेरा मतलब है 34-28-36। ( यह बताने में मुझे अपना सारा दिमाग इकट्ठा करना पड़ा.)

मंगेश : देखिए, जैसा कि आप जानते हैं कि यह एक चड्डी-बनियान विज्ञापन है, प्रस्तुति मसालेदार होनी चाहिए। हमें पुरुष ग्राहकों में इस परिणीता स्टोर ब्रांड को खरीदने के लिए आकर्षित करना होगा और इसके लिए विज्ञापन को आकर्षक तरीके से डिजाइन और प्रस्तुत करना होगा, आप समझ रही हैं!

मैंने जैसे ही ये सुना की यह एक पुरुष चड्डी-बनियान का विज्ञापन था। मैंने अपने भाग्य को धन्यवाद दिया और मन ही मन मुस्कुरायी कि यह एक महिला अंडरगारमेंट का विज्ञापन नहीं था!

प्यारेमोहन: यदि आप इसे थोड़ा जल्दी कर सकते हैं... तो उसे...!

मिस्टर मंगेश : (दुकानदार की तरफ बहुत ज़ोर से देखते हुए) तो फिर किसी और को काम पर रख लो और मुझे छोड़ दो! साला! कहाँ कहा से चले आते हैं! मेरी अपनी गति है और आप दोनों को उसका पालन करना होगा! मुझे उम्मीद है ये आपको स्पष्ट समझ आ गया है ?

मैंने दुकानदार को बचाने की कोशिश की, जो वास्तव में कह रहा था कि केवल मेरे लिए अपनी गति बढ़ाओ, क्योंकि वो जानता था कि मामा-जी और चाचा नीचे इंतजार कर रहे थे। और डॉ भी था की वो कहि ऊपर ना लौट आएं !

मैं: ठीक है, ठीक है.सर आप कृपया नाराज न हों...!

श्री मंगेश: हम्म.. हां, जैसा कि मैं कह रहा था, मैं एक " दुष्कर्म के प्रयास के फिल्मीकरण" के सीक्वेंस की योजना बना रहा हूं जहां आप नायिका हैं और आपको परेशान किया जा रहा है। नायक आता है और तुम्हें बचाता है। हीरो को चड्ढी और बनियान पहनाया जाएगा, जो हीरो-शिप का प्रतीक होगा और इस ब्रांड के लिए विज्ञापन करेगा। स्पष्ट?

मैंने सिर हिलाया, लेकिन सोच रही थी कि निर्देशक का वास्तव में "दुष्कर्म का प्रयास का फिल्मीकरण " से क्या मतलब है, हालांकि जब उन्होंने "उत्पीड़िन " शब्द का इस्तेमाल किया तो मैं कुछ हद तक आश्वस्त हुई मैंने सोचा कि मैं सवाल पूछने और डांट खाने की हिमाकत नहीं करूंगी और इस प्रकरण से जल्द से जल्द छुटकारा पाने के लिए मैंने निर्देशक के निर्देशों का पालन करने का फैसला किया।

मिस्टर मंगेश: तुम ये पहनो और जल्दी से तैयार हो जाओ

कहते हुए उसने मिस्टर प्यारेमोहन को एक लुंगी दी और फिर मेरी ओर घूम गया।

श्री मंगेश: रश्मी, मैं तुम्हें दृश्य के बारे में विस्तार से बताता हूँ - तुम एक गृहिणी हो और वह एक नौकर है। ठीक है?

वह! मिस्टर प्यारेमोहन ! इतने मोटे फिगर वाला नौकर? यह सुनकर मैं अपनी मुस्कुराहट पर काबू नहीं रख सकी ।

श्री मंगेश: मैंने उसे नौकर के रूप में चुना क्योंकि उसका शरीर उन अधिकांश लोगों को प्रसन्न करेगा हैं।

मैं: सच. (मैं अभी भी मुस्कुरा रही थी)
श्री मंगेश: आप उस शौचालय में स्नान कर रहे होंगी (उन्होंने संलग्न स्नानघर की ओर इशारा किया) और आपका नौकर पेशाब करने वाले टॉम की तरह व्यवहार करेगा। ठीक है?

मैंने सिर हिलाया, हालाँकि स्वाभाविक रूप से मैं "स्नान" के बारे में आशंकित हो रही थी ।

श्री मंगेश: वह स्वाभाविक रूप से आपको देखकर उत्तेजित हो जाता है और अंततः शौचालय के अंदर घुसकर आप पर हमला करता है। ठीक है? आप इस कमरे में भाग आना और उस सोफे पर आपके और प्यारेमोहन जी के बीच कुछ हलचल होगी। ठीक है? फिर नायक दृश्य में प्रवेश करता है और इस बुरे आदमी से लड़ता है और सुखद अंत के साथ आपको बचाता है। बस इतना ही? स्पष्ट?

मैं: हाँ... हाँ, लेकिन हीरो कौन है?

श्री मंगेश: (शर्मीली मुस्कान के साथ) मैं बिल्कुल!

मैं क्या?

श्री मंगेश: इससे हास्यप्रद हिस्सा बनेगा ना... वह इतना मोटा है और मैं इतना पतला हूं... उस हास्यपूर्ण कोण के अलावा, यह संदेश भी दिया जाएगा कि मेरे जैसा कमजोर आदमी भी अगर वह इस ब्रांड की चड्ढी और बनियान पहनता है तो ही-मैन बन जाता है ।

मैं: हम्म...!

मैंने अपने मन में इस निर्देशक के पूरे विचार की सराहना की, हालाँकि मैं इस बात को लेकर बेहद घबरायी हुई थी कि मुझे वास्तव मेंअभिनय में क्या करना होगा है।

श्री मंगेश: ये रही आपकी पोशाक रश्मी! (उसने मुझे एक सफेद पेटीकोट और एक सफेद ब्लाउज दिया)।

प्यारेमोहन: मैडम आप शौचालय में कपड़े बदल सकती हैं


मैं: नहीं सा...मेरा मतलब है साड़ी नहीं?

श्री मंगेश: चलो! क्या आप अभिनय में नयी हैं? आप नहाते समय साड़ी कैसे पहन सकती हैं?

मैंने और कोई बहस नहीं की और जल्दी से शौचालय के अंदर चला गयी , लेकिन जैसे ही मैंने शौचालय का दरवाज़ा बंद किया, अब कई सवाल मुझे परेशान करने लगे।

- यह ब्लाउज देखने में इतना पारदर्शी है और रंग में भी सफेद, भीगने पर इसका क्या होगा?

- क्या होगा जब मिस्टर प्यारेमोहन शौचालय में घुस जायेंगे? वह मेरे साथ क्या करने की कोशिश करेगा?

- निर्देशक का मतलब सोफे पर होने वाली किस "हलचल" से था? फिर मैंने उन २००० रुपए की बारे में सोचा जो मुझे प्यारे मोहन जी को अदा करने थे

फिर इन सब पर बहुत अधिक चिंता करने के बजाय, मैंने सोचा कि मुझे बहुत सतर्क रहना होगा कि मैं शूटिंग के दौरान अनावश्यक रूप से उजागर न होऊं या बहुत अधिक छूने और पकड़ने की अनुमति न दूं।

अपनी शूटिंग पोशाक पहनने के बाद, मैं शौचालय से बाहर निकली । मैं केवल सफ़ेद ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुई थी। कोई साड़ी नहीं. हालाँकि मुझे झिझक महसूस हो रही थी, लेकिन शुक्र है कि ब्लाउज मेरे स्तनों को पर्याप्त रूप से ढक रहा था, हालांकि स्वाभाविक रूप से मेरे स्तन उभरे हुए थे, जो पुरुषों के ध्यान को अशोभनीय रूप से आकर्षित कर रहे थे।

श्री मंगेश: बाह! तुम बिल्कुल सही लग रही हो रश्मि!


निर्देशक मेरे उभरे हुए पूर्ण विकसित स्तनों को देख रहा था, जो साड़ी से ढके न होने पर काफी आकर्षक लग रहे थे।

मिस्टर मंगेश: प्यारेमोहन जी आपकी नज़र अच्छी है, हे हे हे! शादी के बाद भी उनका फिगर बहुत अच्छा है।

प्यारेमोहन: धन्यवाद मंगेश जी!

श्री मंगेश: रश्मी, मुझे आशा है कि तुमने अपने इनर पहने होंगे...!

यहां तक कि एक अंधा आदमी भी देख सकता था कि मैंने ब्रा पहनी हुई है, उस सफेद ब्लाउज की पारदर्शिता इतनी थी और जाहिर तौर पर मैंने पैंटी पहनी हुई थी!

मैंने बस सिर हिलाया.

मिस्टर मंगेश: और आपके पेटीकोट के नीचे?

मैं: हाँ जाहिर है! जी !

मैं स्पष्ट रूप से बेहद बेशर्म लग रही थी, बिलकुल किसी सी ग्रेड फिल्म की अभिनेत्री या मॉडल की तरह !

श्री मंगेश: ठीक है. मैं आप दोनों को यह स्पष्ट कर दूं कि जब आप अभिनय करें तो मैं आपके चेहरे पर बिल्कुल स्वाभाविक भाव चाहता हूं। इसलिए बाकी सारी बातें भूल जाइए और सिर्फ शूट पर ध्यान दीजिए।' ठीक है?

निर्देशक मूवी कैमरा के साथ तैयार था! श्री प्यारेमोहन केवल लुंगी पहने हुए भयानक लग रहे थे। उसकी नंगी छाती और पेट कितना अजीब लग रहा था!

श्री मंगेश: रश्मी, मैं खुद को बाथरूम में रखूंगा। आप शॉवर खोलेंगे और उसके नीचे खड़े होंगे। ठीक है?

मैंने सिर हिलाया और उसके पीछे बाथरूम में चला गयी । मैं शॉवर के नीचे खड़ी थी और निर्देशक अपने कैमरे के साथ मेरे बहुत करीब था । श्री प्यारेमोहन ने दरवाज़ा बंद कर दिया और शौचालय के बाहर ही रहे। स्वाभाविक रूप से मैं इस छोटे से शौचालय में इस अनजान पुरुष के साथ काफी तंग महसूस कर रही थी।

मिस्टर मंगेश: रश्मी कठोर मत बनो! आराम करें... कल्पना करें कि आप अकेली हैं - जैसे कि आप अपने घर के शौचालय में हैं। मेरी उपस्थिति को आप नजरअंदाज करें....!

मैंने रिलैक्स करने की कोशिश की, लेकिन जाहिर तौर पर असफल रही ।

श्री मंगेश: मैं आपको बताता हूं कि शॉवर खोलने के बाद आपको क्या करना है। आप पहले अपना चेहरा धोना शुरू करें, फिर अपने हाथ धोएं और फिर अपने स्तनों पर आएं। ठीक है रश्मी?

मैं: ओ ठीक है!

श्री मंगेश: शॉवर खोलो।

मैंने शॉवर चालू कर दिया और पानी मेरे शरीर पर गिरने लगा. शुक्र है कि पानी का बहाव बहुत तेज़ नहीं था, लेकिन पानी की ठंडक ने मुझे कांपने पर मजबूर कर दिया और लगभग मेरी नाक पर कैमरा लिए खड़े एक आदमी के साथ भीगना मुझे बहुत अजीब लगा! मैंने सबसे पहले अपना चेहरा पोंछना शुरू किया।

श्री मंगेश: इसे धीरे से करो ताकि मैं तुम्हारे चेहरे का अच्छी तरह से अवलोकन कर सकूं।

हालाँकि मैंने अपना चेहरा धो लिया था, लेकिन मैं अच्छी तरह महसूस कर सकती थी कि पानी मेरे हाथों और कोहनियों से होते हुए मेरे स्तनों पर बह रहा था और मेरी ब्लाउज और ब्रा को भिगो रहा था।

श्री मंगेश: बढ़िया....अब अपने हाथ धीरे-धीरे!

मैंने उनके निर्देश का पालन किया और अब जैसे ही मैंने हाथ बढ़ाया तो पानी सीधे मेरे स्तनों पर गिर रहा था और मैं अब पूरी तरह से गीली हो रही थी। जैसे ही मैं नीचे देख रही थी, मैं देख सकती थी कि मेरी सफेद ब्रेसियर ब्लाउज के माध्यम से बहुत उभर रही थी और मैंने तुरंत अपनी कोहनी मोड़कर खुद को ढकने की कोशिश की।

मिस्टर मंगेश: ठीक है रश्मी, अब अपने दोनों हाथों से धीरे-धीरे अपने स्तनों को मसलो।


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-33


एक्टिंग-नहाने के दृश्य का फिल्मांकन

श्री मंगेश: मैं आपको बताता हूँ कि शॉवर खोलने के बाद आपको क्या करना है। आप पहले अपना चेहरा धोना शुरू करें, फिर अपने हाथ धोएँ और फिर अपने स्तनों पर आएँ। ठीक है रश्मी?

श्री मंगेश: अब शॉवर खोलो। रश्मि!

मैंने शॉवर चालू कर दिया और पानी मेरे शरीर पर गिरने लगा। शुक्र है कि पानी का बहाव बहुत तेज़ नहीं था, लेकिन पानी की ठंडक ने मुझे कांपने पर मजबूर कर दिया और लगभग मेरी नाक पर कैमरा लिए खड़े एक आदमी के साथ भीगना मुझे बहुत अजीब लगा! मैंने सबसे पहले अपना चेहरा पोंछना शुरू किया।

श्री मंगेश: इसे धीरे से करो ताकि मैं तुम्हारे चेहरे का अच्छी तरह से अवलोकन कर सकूं।

हालाँकि मैंने अपना चेहरा धो लिया था, लेकिन मैं अच्छी तरह महसूस कर सकती थी कि पानी मेरे हाथों और कोहनियों से होते हुए मेरे स्तनों पर बह रहा था और मेरी ब्लाउज और ब्रा को भिगो रहा था।

श्री मंगेश: बढ़िया...अब अपने हाथ धीरे-धीरे!

मैंने उनके निर्देश का पालन किया और अब जैसे ही मैंने हाथ बढ़ाया तो पानी सीधे मेरे स्तनों पर गिर रहा था और मैं अब पूरी तरह से गीली हो रही थी। जैसे ही मैं नीचे देख रही थी, मैं देख सकती थी कि मेरी सफेद ब्रेसियर ब्लाउज के माध्यम से बहुत उभर रही थी और मैंने तुरंत अपनी कोहनी मोड़कर खुद को ढकने की कोशिश की।

मिस्टर मंगेश: ठीक है रश्मी, अब अपने दोनों हाथों से धीरे-धीरे अपने स्तनों को मसलो।

जैसे ही मैं अपने हाथ अपने बड़े गोल कठोर स्तनों पर ले गई, मेरा चेहरा शर्मिंदगी से लाल हो रहा था। मैंने अपने स्तनों को मसलना शुरू कर दिया इस बीच शॉवर का पानी मुझे भिगोता रहा। मेरा क्लीवेज अब निर्देशक को साफ़ दिखाई दे रहा था, क्योंकि मेरा ब्लाउज गीला होने के कारण भारी हो कर थोड़ा नीचे खिसक गया था।

भगवान का शुक्र है! वह कैमरे की ओर देख रहा था तो मैं उसकी आँखें नहीं देख पायी अन्यथा यह मेरे लिए बहुत-बहुत शर्मनाक होता।

मिस्टर मंगेश: रश्मी, अब एक काम करो... सिर्फ चीजों को गर्म दिखाने के लिए... अपने स्तनों को धीरे से दबाओ... !

सच कहूँ तो यह क्रिया करते हुए मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी। मैंने अपनी दोनों हथेलियाँ अपने शंक्वाकार स्तनों के ठीक ऊपर रखीं और उन्हें निचोड़ना शुरू कर दिया!

मिस्टर मंगेश: नहीं, नहीं...ऐसी बात नहीं! इसे नीचे से करो... मेरा मतलब है कि नीचे से अपने स्तनों को पकड़ो और फिर दबाओ... बिल्कुल वैसे ही जैसे एक पुरुष करता है, क्या तुम समझ रही हो की कैसे करना है?

नहाने का अभिनय करते समय मैंने सिर हिलाया। मैं अपनी हथेलियों को अपने स्तनों के नीचे ले गयी और फिर मेरे स्तनों के मांस को पकड़ लिया और मेरी बड़े स्तनों की गेंदों को निचोड़ना शुरू कर दिया। मैं तुरंत महसूस किया की ये करते ही मेरे निपल्स बहुत सख्त हो गए हैं और जैसे ही उन्हें मेरी उंगलियों का अहसास हुआ, वे एक सजग प्रहरी के समान खड़े हो गए। जाहिर तौर पर शॉवर मुझे इस बेशर्म और साहसिक कार्य को आसानी से करने में मदद कर रहा था! मेरे होंठ खुलने लगे और मैं पूरी क्रिया को पूरा करने के लिए धीरे-धीरे अपने कूल्हों को हिला रही थी।

श्री मंगेश: अच्छा रश्मी... अब थोड़ा और बदलाव... चूंकि आप साबुन का उपयोग नहीं कर रही हैं... बस सफाई के लिए अपने स्तनों को निचोड़ें और छोड़ दें... मुझे पता है कि यह प्रक्रिया नहीं है लेकिन आपको इसे बनाने की आवश्यकता है नौकर भी आकर्षित हो! तो... आप अपने स्तनों को ... निचोड़ें और छोड़ें... निचोड़ें और छोड़ें...!

सच कहूँ तो मेरे शरीर पर यह लगातार बहता पानी चमत्कार कर रहा था! मैं बहुत तेजी से उत्तेजित हो रही थी और इस निचोड़ने से धीरे-धीरे मेरा बदन भी उत्तेजित हो रहा था! मैंने निर्देशक की बात मानकर अपने दोनों स्तन अपनी फैली हुई हथेलियों से पकड़ रखे थे और पूरी तरह मसलने के बाद उन्हें छोड़ रही थी। मेरे अंदर पहले से ही खून उबलने लगा था और मैं आँखें बंद करके नहाने का आनंद लेने लगी थी।

इस समय तक, मैं लगभग पूरी तरह भीग चुकी थी और पानी मेरे पेटीकोट के अंदर भी पर्याप्त मात्रा में समा चुका था, जिससे मेरी गांड और जांघें भी पूरी तरह गीली हो गई थीं।

श्री मंगेश: वाह! आपके चेहरे के भाव बहुत अच्छे हैं! बहुत बढ़िया रश्मी! अब अगली हरकत ... आप अपनी उंगली को अपनी नाभि पर घुमाएँ। आप जानते हैं, यह आपके झाँकने वाले नौकर के लिए बस वार्मअप है! हा-हा हा...!

अपनी आँखें बंद करके, मैंने अपने हाथों को अपने स्तनों से अपनी नाभि क्षेत्र पर ले गयी। मैंने अपने दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली से अपनी नाभि को सहलाना शुरू कर दिया। यह कुछ और क्षणों तक चलता रहा और चूँकि मुझे निर्देशक से आगे कोई निर्देश नहीं मिला, इसलिए मैंने अपनी आँखें खोल दीं। वह मुझे और इस दृष्ट को फिल्माने में व्यस्त था और जैसे ही मैंने अपने शरीर को नीचे देखा तो मैंने देखा कि मेरा पेटीकोट मेरी सुगठित जांघों से बहुत अभद्रता से चिपक रहा था और मेरी जांघों का आकार और आकार स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा था और स्वाभाविक रूप से मैंने अपने खाली हाथ से अपने पेटीकोट को समायोजित करने की कोशिश की।

श्री मंगेश: अरे! ये आप क्या कर रहे हो? (मैंने तुरंत अपना हाथ अपने पेटीकोट से हटा लिया) तुम कैमरे पर हो रश्मी... जैसा मैं कहता हूँ अपनी स्थिति बनाए रखो और कुछ भी अतिरिक्त मत करो।

मैंने सिर हिलाया और चिंताजनक रूप से अपने गीले पेटीकोट के माध्यम से अपनी सुगठित जांघों को उजागर करने के लिए मजबूर हो गई।

मिस्टर मंगेश: रश्मी, ध्यान रखो तुम्हारा नौकर तुम्हें देख रहा है। तो आपको उसे उत्तेजित करने के लिए कुछ सेक्सी करना चाहिए... हो सकता है... आप बस थोड़ा-सा झुकें और अपनी जाँघों को अपने पेटीकोट के ऊपर से रगड़ें।

मेरे गीले ब्लाउज और पेटीकोट के मेरी त्वचा से चिपके होने के कारण, मुझे लगा कि मैं पर्याप्त रूप से प्रदर्शित हो रही हूँ। मेरा सफेद ब्लाउज पूरी तरह से भीग जाने के कारण व्यावहारिक रूप से अस्तित्वहीन था और अंदर मेरी चोली की सही स्थिति पूरी तरह से दिखाई दे रही थी। मेरे कठोर निप्पल अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे थे। क्या मुझे और अधिक करने की आवश्यकता थी?

स्पष्ट रूप से मुझमें निर्देशक से सवाल करने की हिम्मत नहीं थी और इसलिए मैं थोड़ा झुकी और दोनों हाथों से अपनी जाँघों को रगड़ने लगी और इस प्रक्रिया में मेरे गीले ब्लाउज के ऊपर मेरी क्लीवेज बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी और मेरे उभरे हुए स्तनों के ऊपरी हिस्से भी उजागर हो गए।

मिस्टर मंगेश: थोड़ा और झुको रश्मी... कैमरा पूरा व्यू नहीं ले पा रहा है।

मुझे और झुकना पड़ा-अब व्यावहारिक रूप से मेरे गहरे क्लीवेज का कुछ इंच निर्देशक को दिखाई दे रहा था और जैसे ही मैंने क्षण भर के लिए अपने स्तनों को नीचे देखा, मेरे मांसल गीले दूध के टैंक उस मुद्रा में आश्चर्यजनक रूप से उजागर हो रहे थे। मैंने शर्म से अपने दाँत भींच लिए और निर्देशक के "कट" कहने का इंतज़ार करने लगी।

मिस्टर मंगेश: ठीक है... ठीक है! कट!

मेरा शरीर तुरंत सीधा हो गया।

श्री मंगेश: बहुत बढ़िया काम रश्मी!

मैं मूर्खतापूर्वक मुस्कुरायी और मैं तुरंत शॉवर से बाहर आ गयी और शावर बंद कर दिया लेकिन चूंकि मैं काफी देर तक शॉवर के नीचे खड़ी थी थी, इसलिए मेरी त्वचा लगभग भीग चुकी थी। मेरे चेहरे, गले और पूरे शरीर से पानी बह रहा था।

श्री मंगेश: रश्मी, अब हम अगले दृश्य की तरफ आगे बढ़ेंगे, जिसके बाद आपका नौकर अंदर आएगा। ठीक है?

मेंने सिर हिलाया।

जैसे ही श्री मंगेश ने कैमरे के व्यूफ़ाइंडर से अपनी आँखें बाहर निकालीं, मैंने देखा कि उनकी आँखें मेरे रसीले शरीर के उभारों पर घूम रही थीं-यह वास्तव में उसके लिए एक भव्य दृश्य था-मेरे जैसी एक कामुक महिला उनके दो फीट की दूरी पर पूरी तरह से भीगी हुई वस्त्रो में वस्तुता नग्न-केवल ब्रा पेंटी (पहने हुए सफेद ब्लाउज और पेटीकोट भीगने के कारण बदन से चिपक कर नगण्य हो गए थे।) पहनी हुई अवस्था में खड़ी थी।

श्री मंगेश: रश्मि अब! प्यारेमोहन जी, मेरा मतलब है कि नौकर, आपको गले लगाने की कोशिश करेगा और आपको ऐसा व्यवहार करना होगा जैसे कि आप भागने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि आप दोनों कुछ समय के लिए शॉवर के नीचे रहें ताकि संघर्ष कर सकें। दृश्य थोड़ा लुभावना लग्न चाहिए। क्या मैंने स्पष्ट कर दिया है?

मेंने सिर हिलाया। हालाँकि मेरी त्वचा गीली और ठंडी थी, मेरा अंदरूनी हिस्सा इस शॉवर के पानी और हाल ही में किए गए आत्म-स्तन निचोड़ से उत्पन्न कामुक अग्नि से जल रहा था!

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी, क्या आप तैयार हैं?

प्यारेमोहन: हाँ, हाँ!

श्री मंगेश: ठीक है। चलो रश्मी तुम्हारे नहाने का आखिरी सीन करते हैं। मैं तुम्हारे पिछले हिस्से को कैमरे में कैद करना चाहता हूँ। तो बस धीरे-धीरे मुझसे दूर हो जाओ इसतरह से ताकि तुम्हारी पीठ कैमरे की ओर हो। ठीक है?

श्री मंगेश: अब शॉवर खोलो। रश्मि!

मैंने शॉवर चालू कर दिया और पानी गिरने लगा !

मैंने फिर गहरी साँस लेते हुए सिर हिलाया। मैं अपनी पैंटी के अंदर परिचित खुजली महसूस कर सकती थी! मैं फिर से शॉवर के नीचे गयी और पानी मेरे शरीर पर गिरने लगा। मैं नफ़ीर से भीगने लगी और निर्देशक ने चिल्लाकर इशारा किया कि कैमरा चल रहा है। मैं धीरे से शॉवर के नीचे घूमी जिससे मेरी पीठ मिस्टर मंगेश की तरफ हो गई और मैं अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी उभरी हुई गांड को मसलने लगी।

श्री मंगेश: अपने हाथों को अपनी गांड के गोले पर रखें... प्रत्येक पर एक... हां-ए-एस... ऐसे ही... धीरे-धीरे... तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है यार! जारी रखो!

मैंने अपशब्दों को नजरअंदाज कर दिया क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि वह भी मेरा फिल्मांकन करने के लिए काफी उत्साहित था। मैंने अपनी हथेलियों को अपने नितंबों पर गोलाकार गति में घुमाया और स्पष्ट रूप से महसूस किया की मेरी पैंटी मेरे गीले पेटीकोट के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

क्या डायरेक्टर को मेरी पैंटी दिख रही थी? हाय दईया! जैसे ही मैंने अपनी गांड को अपने हाथों से दबाया, मुझे अपनी पैंटी की रूपरेखा स्पष्ट रूप से पता चल गई! हे भगवान!

श्री मंगेश: अच्छा! अब अपनी गांड को थोड़ा हिलाओ और बारबार हिलाओ रश्मी! दरअसल यह आपके नौकर के अंदर प्रवेश के लिए क्लाइमेक्स का काम करेगा। जब प्यारेमोहन जी प्रवेश करते हैं तो आपको जोर से और बहुत स्वाभाविक रूप से चिल्लाना चाहिए... ठीक है?

डायरेक्टर के निर्देशानुसार मैं अपनी भारी गांड को बड़ी बेशर्मी से हिलाने और मटकाने लगी। यह सोच कर कि मैं यह सब एक पुरुष के सामने कर रही थी, पूरी शर्म और घबराहट से अपने आप मेरी आँखें बंद हो गईं! मेरे जैसी विकसित महिला को अपने सामने अपनी बड़ी कसी हुई गांड हिलाते हुए देखना निर्देशक के लिए एक अद्भुत दृश्य रहा होगा।


जारी रहेगी
 
Last edited:

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औलाद की चाह

251

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-34


एक्टिंग-नहाते समय छेड़छाड़ के दृश्य का फिल्मांकन


श्री मंगेश: रश्मि अब एक बार इसे फिर से करते हैं शॉवर खोलने के बाद आप पहले अपना चेहरा धोना शुरू करें, फिर अपने हाथ धोएँ और फिर अपने स्तनों पर आएँ। ठीक है रश्मी?

श्री मंगेश: अब शॉवर खोलो। रश्मि! एक्शन!

मैंने शॉवर चालू कर दिया और पानी मेरे शरीर पर गिरने लगा। शुक्र है कि पानी का बहाव बहुत तेज़ नहीं था, लेकिन पानी की ठंडक ने मुझे कांपने पर मजबूर कर दिया और लगभग मेरी नाक पर कैमरा लिए खड़े एक आदमी के साथ भीगना मुझे बहुत अजीब लगा! मैंने सबसे पहले अपना चेहरा पोंछना शुरू किया।

श्री मंगेश: इसे धीरे से करो ताकि मैं तुम्हारे चेहरे का अच्छी तरह से क्लोज़अप शॉट ले सकूं।

हालाँकि मैंने अपना चेहरा धो लिया था, लेकिन मैं अच्छी तरह महसूस कर सकती थी कि पानी मेरे हाथों और कोहनियों से होते हुए मेरे स्तनों पर बह रहा था और मेरी ब्लाउज और ब्रा को भिगो रहा था। मैंने अब धीरे-धीरे अपना चेहरा धोना शुरू किया फिर अपने बाजू और हाथ धोने के बाद और फिर अपने स्तनों को ले आयी।

श्री मंगेश: बढ़िया...अब अपने हाथ धीरे-धीरे चलाओ!

मैंने उनके निर्देश का पालन किया और अब जैसे ही मैंने हाथ बढ़ाया तो पानी सीधे मेरे स्तनों पर गिर रहा था और मैं अब पूरी तरह से गीली हो रही थी। जैसे ही मैं नीचे देख रही थी, मैं देख सकती थी कि मेरी सफेद ब्रेसियर ब्लाउज के माध्यम से बहुत उभर रही थी और मैंने तुरंत अपनी कोहनी मोड़कर खुद को ढकने की कोशिश की।

मिस्टर मंगेश: ठीक है रश्मी, अब अपने दोनों हाथों से धीरे-धीरे अपने स्तनों को मसलो।

मैंने सिर हिलाया।

मिस्टर मंगेश: एक्शन! (इसके साथ वह कमरे पर शूट करता रहा!)

जैसे ही मैं अपने हाथ अपने बड़े गोल कठोर स्तनों पर ले गई, मेरा चेहरा पहले से ही शर्मिंदगी से लाल हो रहा था। मैंने धीरे-धीरे फिर से अपने स्तनों को मसलना शुरू कर दिया इस बीच शॉवर का पानी मुझे भिगोता रहा। स्पष्ट तौर पर मेरा क्लीवेज अब निर्देशक को साफ़ दिखाई दे रहा था, क्योंकि मेरा ब्लाउज गीला होने के कारण भारी हो कर थोड़ा नीचे खिसक गया था। निश्चित तौर पर यह मेरे लिए बहुत-बहुत शर्मनाक था पर मेरे पास इन हालात में कोई विकल्प नहीं था ।

मिस्टर मंगेश: रश्मी, अब एक चीजों को गर्म दिखाने के लिए... अपने स्तनों को धीरे से दबाओ... !

मैंने सिर हिलाया।

मिस्टर मंगेश: एक्शन!

सच कहूँ तो यह क्रिया करते हुए मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी। मैंने अपनी दोनों हथेलियाँ अपने शंक्वाकार स्तनों के ठीक ऊपर रखीं और उन्हें निचोड़ना शुरू कर दिया!

मिस्टर मंगेश: नहीं, नहीं...कट कट ।ऐसी बात नहीं! जैसे मैंने पहले कह था इसे नीचे से करो... मेरा मतलब है कि नीचे से अपने स्तनों को पकड़ो और फिर दबाओ... बिल्कुल वैसे ही जैसे एक पुरुष करता है, क्या तुम समझ रही हो की कैसे करना है?

नहाने का अभिनय करते समय मैंने सिर हिलाया।

मिस्टर मंगेश: एक्शन!

मैं अपनी हथेलियों को अपने स्तनों के नीचे ले गयी और फिर मेरे स्तनों के मांस को पकड़ लिया और मेरी बड़े स्तनों की गेंदों को निचोड़ना शुरू कर दिया। मैं तुरंत महसूस किया की ये करते ही मेरे निपल्स बहुत सख्त हो गए हैं और जैसे ही उन्हें मेरी उंगलियों का अहसास हुआ, वे एक सजग प्रहरी के समान खड़े हो गए। जाहिर तौर पर शॉवर मुझे इस बेशर्म और साहसिक कार्य को आसानी से करने में मदद कर रहा था! मेरे होंठ खुलने लगे और मैं पूरी क्रिया को पूरा करने के लिए धीरे-धीरे अपने कूल्हों को हिला रही थी।

श्री मंगेश: अच्छा रश्मी... अब थोड़ा और बदलाव... चूंकि हम यहाँ साबुन का उपयोग नहीं कर रहे हैं... सफाई के लिए आप बस अपने स्तनों को निचोड़ें और छोड़ दें... मुझे पता है कि यह प्रक्रिया नहीं है ...

लेकिन आपको इसे बनाने की आवश्यकता है नौकर भी आकर्षित हो! तो... आप अपने स्तनों को ... निचोड़ें और छोड़ें... निचोड़ें और छोड़ें...! अब नौकर कमरे में प्रवेश करेगा और आपको नहाते हुए देखेगा प्यारेमोहन जी अब आपको अंदर आ कर बाथरूम में झांकना है ।

मिस्टर मंगेश: एक्शन!

सच कहूँ तो मेरे शरीर पर यह लगातार बहता पानी चमत्कार कर रहा था! मैं बहुत तेजी से उत्तेजित हो रही थी और इस निचोड़ने से धीरे-धीरे मेरा बदन भी उत्तेजित हो रहा था! ये जान कर की अब एक और मर्द मुझे इस अवस्था में देखेगा मैं थोड़ी और उत्तेजित हो गयी । मैंने निर्देशक की बात मानकर अपने दोनों स्तन अपनी फैली हुई हथेलियों से पकड़ रखे थे और पूरी तरह मसलने के बाद उन्हें छोड़ रही थी। मेरे अंदर पहले से ही खून उबलने लगा था और मैं आँखें बंद करके नहाने का आनंद लेने लगी थी।

मिस्टर मंगेश: प्यारेमोहन जी त्यार?

प्यारेमोहन जी ने सर हिलाया

मिस्टर मंगेश: प्यारेमोहन जी आईये! एक्शन!

इस समय तक, मैं लगभग पूरी तरह भीग चुकी थी और पानी मेरे पेटीकोट के अंदर भी पर्याप्त मात्रा में समा चुका था, जिससे मेरी गांड और जांघें भी पूरी तरह गीली हो गई थीं।

श्री मंगेश: कट कट! वाह! आपके चेहरे के भाव बहुत अच्छे हैं! बहुत बढ़िया रश्मी! अब अगली हरकत ... आप अपनी उंगली को अपनी नाभि पर घुमाएँ। आप जानते हैं, यह आपके झाँकने वाले नौकर के लिए बस वार्मअप है! हा-हा हा...!

मिस्टर मंगेश: एक्शन!

अपनी आँखें बंद करके, मैंने अपने हाथों को अपने स्तनों से अपनी नाभि क्षेत्र पर ले गयी। मैंने अपने दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली से अपनी नाभि को सहलाना शुरू कर दिया। यह कुछ और क्षणों तक चलता रहा और चूँकि मुझे निर्देशक से आगे कोई निर्देश नहीं मिला, इसलिए मैंने अपनी आँखें खोल दीं। वह मुझे और इस दृष्ट को फिल्माने में व्यस्त था और जैसे ही मैंने अपने शरीर को नीचे देखा तो मैंने देखा कि मेरा पेटीकोट मेरी सुगठित जांघों से बहुत अभद्रता से चिपक रहा था और मेरी जांघों का आकार और आकार स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा था और स्वाभाविक रूप से मैंने अपने खाली हाथ से अपने पेटीकोट को समायोजित करने की कोशिश की।

श्री मंगेश: कट कट! अरे! ये आप क्या कर रहे हो? (मैंने तुरंत अपना हाथ अपने पेटीकोट से हटा लिया) तुम कैमरे पर हो रश्मी... जैसा मैं कहता हूँ अपनी स्थिति बनाए रखो और कुछ भी अतिरिक्त मत करो।

मैंने सिर हिलाया और चिंताजनक रूप से अपने गीले पेटीकोट के माध्यम से अपनी सुगठित जांघों को उजागर करने के लिए मजबूर हो गई।

मिस्टर मंगेश: रश्मी, ध्यान रखो तुम्हारा नौकर तुम्हें देख रहा है। तो आपको उसे उत्तेजित करने के लिए कुछ सेक्सी करना चाहिए... हो सकता है... आप बस थोड़ा-सा झुकें और अपनी जाँघों को अपने पेटीकोट के ऊपर से रगड़ें।

मिस्टर मंगेश: एक्शन!

मेरे गीले ब्लाउज और पेटीकोट के मेरी त्वचा से चिपके होने के कारण, मुझे लगा कि मैं पर्याप्त रूप से प्रदर्शित हो रही हूँ। मेरा सफेद ब्लाउज पूरी तरह से भीग जाने के कारण व्यावहारिक रूप से अस्तित्वहीन था और अंदर मेरी चोली की सही स्थिति पूरी तरह से दिखाई दे रही थी। मेरे कठोर निप्पल अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे थे। क्या मुझे और अधिक करने की आवश्यकता थी?

स्पष्ट रूप से मुझमें निर्देशक से सवाल करने की हिम्मत नहीं थी और इसलिए मैं थोड़ा झुकी और दोनों हाथों से अपनी जाँघों को रगड़ने लगी और इस प्रक्रिया में मेरे गीले ब्लाउज के ऊपर मेरी क्लीवेज बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी और मेरे उभरे हुए स्तनों के ऊपरी हिस्से भी उजागर हो गए।

मिस्टर मंगेश: कट कट! बढ़िया! थोड़ा और झुको रश्मी... कैमरा पूरा व्यू नहीं ले पा रहा है।

मिस्टर मंगेश: एक्शन!

मुझे और झुकना पड़ा-अब व्यावहारिक रूप से मेरे गहरे क्लीवेज का कुछ इंच निर्देशक को दिखाई दे रहा था और जैसे ही मैंने क्षण भर के लिए अपने स्तनों को नीचे देखा, मेरे मांसल गीले दूध के टैंक उस मुद्रा में आश्चर्यजनक रूप से उजागर हो रहे थे। मैंने शर्म से अपने दाँत भींच लिए और निर्देशक के "कट" कहने का इंतज़ार करने लगी।

मिस्टर मंगेश: ठीक है... ठीक है! कट!

मेरा शरीर तुरंत सीधा हो गया।

श्री मंगेश: बहुत बढ़िया काम रश्मी!

मैं मूर्खतापूर्वक मुस्कुरायी और मैं तुरंत शॉवर से बाहर आ गयी और शावर बंद कर दिया लेकिन चूंकि मैं काफी देर तक शॉवर के नीचे खड़ी थी थी, इसलिए मेरी त्वचा लगभग भीग चुकी थी। मेरे चेहरे, गले और पूरे शरीर से पानी बह रहा था।

श्री मंगेश: रश्मी, अब हम अगले दृश्य की तरफ आगे बढ़ेंगे, जिसके बाद आपका नौकर अंदर आएगा। ठीक है?

मेंने सिर हिलाया।

एक कामुक महिला निर्देशक से दो फीट की दूरी पर पूरी तरह से भीगी हुई वस्त्रो में वस्तुता नग्न-केवल ब्रा पेंटी (पहने हुए सफेद ब्लाउज और पेटीकोट भीगने के कारण बदन से चिपक कर नगण्य हो गए थे।) पहनी हुई अवस्था में खड़ी थी।

श्री मंगेश: रश्मि अब! प्यारेमोहन जी, मेरा मतलब है कि नौकर, स्नानघर में घुस कर आपको गले लगाने की कोशिश करेगा और आपको भागने की कोशिश करने का अभिनय करना है, लेकिन इस बीच आप यह सुनिश्चित करें कि आप दोनों कुछ समय के लिए शॉवर के नीचे रहें ताकि संघर्ष कर सकें। दृश्य थोड़ा लुभावना लग्न चाहिए। क्या मैंने स्पष्ट कर दिया है?

मेंने सिर हिलाया। हालाँकि मेरी त्वचा गीली और ठंडी थी, मेरा अंदरूनी हिस्सा इस शॉवर के पानी और हाल ही में किए गए आत्म-स्तन निचोड़ से उत्पन्न कामुक अग्नि से जल रहा था!

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी, क्या आप तैयार हैं?

प्यारेमोहन: हाँ, हाँ!

श्री मंगेश: ठीक है। चलो रश्मी तुम्हारे नहाने का आखिरी सीन करते हैं। मैं तुम्हारे पिछले हिस्से को कैमरे में कैद करना चाहता हूँ। तो बस धीरे-धीरे मुझसे दूर हो जाओ इसतरह से ताकि तुम्हारी पीठ कैमरे की ओर हो। ठीक है?

श्री मंगेश: अब शॉवर खोलो। रश्मि!

मैंने शॉवर चालू कर दिया और पानी गिरने लगा!

मैंने फिर गहरी साँस लेते हुए सिर हिलाया। मैं अपनी पैंटी के अंदर परिचित खुजली महसूस कर सकती थी!

श्री मंगेश: एक्शन!

मैं फिर से शॉवर के नीचे गयी और पानी मेरे शरीर पर गिरने लगा। मैं फिर से भीगने लगी और निर्देशक ने चिल्लाकर इशारा किया कि कैमरा चल रहा है। मैं धीरे से शॉवर के नीचे घूमी जिससे मेरी पीठ मिस्टर मंगेश की तरफ हो गई और मैं अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी उभरी हुई गांड को मसलने लगी।

श्री मंगेश: अपने हाथों को अपनी गांड के गोले पर रखें... प्रत्येक पर एक... हां-ए-एस... ऐसे ही... धीरे-धीरे... तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है यार! जारी रखो!

मैंने अपशब्दों को नजरअंदाज कर दिया क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि वह भी मेरा फिल्मांकन करने के लिए काफी उत्साहित था। मैंने अपनी हथेलियों को अपने नितंबों पर गोलाकार गति में घुमाया और स्पष्ट रूप से महसूस किया की मेरी पैंटी मेरे गीले पेटीकोट के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

क्या डायरेक्टर को मेरी पैंटी दिख रही थी? हाय दईया! जैसे ही मैंने अपनी गांड को अपने हाथों से दबाया, मुझे अपनी पैंटी की रूपरेखा स्पष्ट रूप से पता चल गई! हे भगवान!

श्री मंगेश: अच्छा! अब अपनी गांड को थोड़ा हिलाओ और बारबार हिलाओ रश्मी! दरअसल यह आपके नौकर के अंदर प्रवेश के लिए क्लाइमेक्स का काम करेगा। जब प्यारेमोहन जी प्रवेश करते हैं तो आपको जोर से और बहुत स्वाभाविक रूप से चिल्लाना चाहिए... ठीक है?

डायरेक्टर के निर्देशानुसार मैं अपनी भारी गांड को बड़ी बेशर्मी से हिलाने और मटकाने लगी। यह सोच कर कि मैं यह सब एक पुरुष के सामने कर रही थी, पूरी शर्म और घबराहट से अपने आप मेरी आँखें बंद हो गईं! मेरे जैसी विकसित महिला को अपने सामने अपनी बड़ी कसी हुई गांड हिलाते हुए देखना निर्देशक के लिए एक अद्भुत दृश्य रहा होगा।

ठीक तभी...
तभी मिस्टर प्यारेमोहन बाथरूम में घुस गये! मैं अभी भी डायरेक्टर के निर्देशों के अनुसार अपने भारी नितंबों को हिला रही थी और वह लगभग मुझ पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा! मैं तुरंत चिल्लायी, जो निश्चित रूप से अभिनय के बजाय बहुत सहज था! वह केवल लुंगी पहने हुए था और उसने मेरा दाहिना हाथ पकड़कर मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं उसके शरीर से टकराई और स्वाभाविक रूप से अपनी कोहनियों से अपने स्तनों को उस पर दबने से बचाने की कोशिश की।

श्री मंगेश: कट! कट! (हम तुरंत एक-दूसरे से अलग हो गए)

श्री मंगेश: रश्मी...रश्मि, बहुत बढ़िया! तुम आश्चर्यचकित और भयभीत दिख रही हो-यह सामान्य लग रहा होगा-कोई तुम्हारे बाथरूम में घुस गया है, लेकिन ऐसा लगता है... मैं तुम्हारी आँखों में वह आश्चर्यचकित नज़र चाहता हूँ। आप ऐसा व्यवहार करो हैं मानो आप प्रतिक्रिया करना भूल गयी हों और मूर्ति की तरह खड़ी रहना। बिलकुल स्तंभित! ठीक है? आपका नौकर उसका लाभ उठाएगा और आपको गले लगाएगा। क्या मैंने स्पष्ट कर दिया है?

मैंने श्री प्यारेमोहन के साथ सिर हिलाया, जो फिर से शौचालय के दरवाजे पर वापस चले गए जहाँ से रीटेक होगा। श्री मंगेश ने कैमरे की ओर देखा और कहा "एक्शन" ।

मिस्टर प्यारेमोहन एक बार फिर तेज कदमों से मेरी ओर दाखिल हुए और मैंने खुली आँखों और ज़ोर से चीख के साथ निर्देशक द्वारा बताई गई बातों को व्यक्त करने की कोशिश की। श्री प्यारेमोहन ने मेरा दाहिना हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैंने ऐसा व्यवहार करने की कोशिश की कि मैं बहुत आश्चर्यचकित हो गयी थी और ऐसे उसे आया देख "प्रतिक्रिया करना भूल गयी।" श्री प्यारेमोहन ने उस अवसर का पूरा उपयोग करते हुए मुझे तुरंत अपने ऊपर खींच लिया और सीधे मुझे गले लगा लिया। मेरा पूरा गीला शरीर उसके मोटे अर्धनग्न शरीर पर दब गया।

जैसे ही मुझे श्रीमान प्यारेलाल को छुआ, मेरे शरीर के अंदर पटाखे फूटने लगे। जैसे ही मैंने महसूस किया कि उसकी लंबी भुजाएँ मेरी भीगी हुई पीठ से मेरे साथ आलिंगन कर रही हैं, मेरा खून मेरी वाहिकाओं के अंदर बहने लगा। उसकी गर्म हथेलियाँ मेरे गीले ब्लाउज से ढके मिड्रिफ़ पर बहुत अच्छी लग रही थीं!

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी, अब आप रश्मी को चूमने की कोशिश करो, रश्मि! अब तुम होश में आओ और प्रतिकार करने की कोशिश करो। ठीक है?

जैसे ही निर्देशक ने अपनी बात पूरी की, मुझे लगा कि मिस्टर प्यारेमोहन सीधे मेरे होठों पर चूमने की कोशिश कर रहे हैं! मैं अभिनय करते हुए बोली

मैं: बदमाश! क्या दुस्साहस है!

मैंने उसके गीले होंठों को अपने गालों और नाक पर और एक बार अपने होंठों पर भी महसूस किया! स्वाभाविक रूप से, प्रतिवर्ती क्रिया द्वारा, मैंने एक बहुत ही मजबूत प्रतिकारक झटका दिया और उसके आलिंगन की गिरफ्त से अपने शरीर से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन वह मुझसे कहीं अधिक मजबूत था और उसने मुझे और अधिक कसकर गले लगा लिया।

इस पूरे समय मैं अपनी कोहनियों से अपने बड़े स्तनों को उसकी छाती को छूने से बचा रही थी, लेकिन जिस तरह से वह मेरे होंठों को छूने की कोशिश कर रहा था, मुझे खुद को बचाने के लिए अपने हाथों का इस्तेमाल करना पड़ा। और...

और जैसे ही मैंने उसके चेहरे को मेरे चेहरे को छूने से रोकने के लिए अपने हाथ उठाए, उसने मुझे और भी करीब से गले लगा लिया और मेरे बड़े ठोस स्तन सीधे उसकी छाती पर दब गए। मेरी चीख निकल गई!

मैं: एईईआईएईए!

श्री प्यारेमोहन स्पष्ट रूप से मेरे सुविकसित स्तनों का पूरा अनुभव पाकर बहुत उत्साहित थे और उन्होंने मुझे और अधिक कसकर गले लगा लिया। मैं स्वाभाविक रूप से एक निराशाजनक स्थिति में जा रही थी। मुझे सीधे चूमने में असमर्थ होने के कारण, उसने मेरे गीले गालों को चाटना शुरू कर दिया और सच कहूँ तो मेरे फिसलते गालों पर उसकी गर्म जीभ का अहसास मुझे काफी कमज़ोर करने लगा था।

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी, अब आप रश्मी को शॉवर के नीचे खींचें और फिर वही करें जो स्वाभाविक है... जैसे उसके स्तन और गांड को पकड़ने की कोशिश करें... रश्मी, आप संघर्ष करना जारी रखें लेकिन सुनिश्चित करें कि आप शावर से बाहर न जाएँ। इस शॉट में आपके लिए यही लक्ष्मण-रेखा है। स्पष्ट?

"...वह करें जो स्वाभाविक है..."-इन शब्दों ने मानो श्री प्यारेमोहन के लिए दरवाजे खोल दिए और उन्होंने वास्तव में ऐसा व्यवहार करना शुरू कर दिया जैसे कि वह मेरे साथ छेड़छाड़ करने के मूड में हों! उसने मुझे शॉवर के नीचे खींच लिया और मैं फिर से भीगने लगी और उसने इस गर्म स्थिति का पूरा फायदा उठाया।

उसने मुझे बहुत कसकर गले लगा लिया और जबरदस्ती मेरी कोहनियाँ मेरे स्तनों से हटाकर मुझे अपने शरीर से चिपका लिया। मैं स्वाभाविक रूप से कमजोर हो रही थी क्योंकि मेरे स्तन सीधे उसकी छाती पर दब रहे थे और वह अपनी उंगलियों से मेरी कमर को भी खरोंच रहा था; इसके अलावा, मेरे शरीर पर गिरने वाले शॉवर के पानी ने मेरे लिए पूरी स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया।

श्री मंगेश: बहुत बढ़िया प्यारेमोहन जी! जारी रखो!

इस आदमी को किसी प्रोत्साहन की कोई ज़रूरत नहीं थी और वह अब कमोबेश मेरे पति की तरह मुझे गले लगा रहा था! मेरे बड़े स्तन उसकी छाती पर पूरी तरह से दब रहे थे और उसका थुलथुल पेट मेरे पेट क्षेत्र को धक्का दे रहा था। उसके हाथों ने मेरे शरीर के हर हिस्से को मापना शुरू कर दिया था और मुझे लगा कि उसकी हथेलियाँ मेरी कद्दू जैसी गांड पर टिकी हुई हैं। मैं मुश्किल से आज़ाद होने के लिए संघर्ष कर पा रही थी क्योंकि वह लगातार अपने होंठ मेरे चेहरे के बहुत करीब रख रहा था और बीच-बीच में अपने होंठो से मेरे गालों, नाक, ठुड्डी और मेरे होठों को भी छू रहा था! मिस्टर प्यारेमोहन ने मेरी गांड को बहुत कसकर पकड़ लिया, जिससे मेरी साँसें अटक गयीं! और जैसे ही मैंने अपने होंठ खोले, उस आदमी ने, एक बाज की तरह, मेरे कोमल होंठों पर आक्रमण कर दिया।

मैं: आआआआआ!

हालाँकि मैंने तुरंत अपने होंठ हटा दिए, लेकिन वह कुछ सेकंड के लिए मेरे निचले होंठों को चूसने में सफल रहा। जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह बहुत बुरी तरह से मुस्कुरा रहा था मानो कहना चाह रहा हो "तुम कब तक मेरी बात टालोगी?"

श्री प्यारेमोहन मेरी गांड बहुत अलग तरीके से दबा रहे थे, जैसा कि हाल के दिनों में आश्रम में रहते हुए मेरी गांड के साथ ऐसा ही कई बार किया गया था। यह आदमी मेरी गांड के मांस को बहुत मजबूती से पकड़ रहा था और काफी देर तक अपनी हथेलियों के नीचे से मांस को नहीं छोड़ रहा था! जिस तरह से वह मेरे नितंबों के मांस पर अपनी पकड़ बढ़ा रहा था, उससे वास्तव में मेरी सांसें लगभग थम-सी रही थीं। उसकी उँगलियाँ मेरे गीले पेटीकोट और पैंटी को भेदते हुए मेरे स्पंजी गुदाज़ गालों में गहराई तक घुस गईं। निश्चित रूप से मैं यह शॉट देते हुए बेहद उत्साहित था।

श्री मंगेश: कट! अच्छा काम प्यारेमोहन जी और रश्मी... मैंने क्लोज़अप में ... रश्मी की गांड के अच्छे क्लोज़ अप शॉट लिए हैं! हे हे... ठीक है, आगे मैं केवल आपके चेहरों के कुछ क्लोज़ अप शॉट लूंगा! रश्मी तुम बस प्यारेमोहन जी के होठों से बचते हुए अपना सिर इधर उधर करोगी, जो तुम्हें चूमने की कोशिश कर रहे हैं। मैं इसे बाद में धीमी गति में शूट करूंगा और आपके चेहरे पर शॉवर का पानी गिरने के साथ यह निश्चित रूप से एक शानदार शॉट होगा। स्पष्ट?

मैं अब बहुत जोर-जोर से सांस ले रही थी और मेरा गीला ब्लाउज मेरे स्तनों से काफी नीचे तक सरक गया था और मेरे बदन को बहुत ही अश्लील ढंग से प्रदर्शित कर रहा था। मुझे मिस्टर प्यारेमोहन के सामने उस बेहद सेक्सी पोशाक में खड़ा होना था। इस शॉट के लिए मिस्टर प्यारेमोहन ने अपने हाथों को मेरे नितंबों से ऊपर की ओर ले जाकर मेरी कमर पर पकड़ लिया। जैसे ही उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे पर लाया, मैंने अपना सिर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और वह स्पष्ट रूप से मेरे होंठों को छूने की पूरी कोशिश कर रहा था! मैं उसकी गहरी गर्म साँसों को अपने गीले चेहरे पर महसूस कर सकता था और उसके लगातार सहलाने के कारण मैं सचमुच अब और भी कमजोर होती जा रही थी! यह कुछ सेकंड तक चलता रहा जब तक निर्देशक चिल्लाया, "कट" !

श्री मंगेश: बहुत बढ़िया! ठीक है... अब मैं समझाता हूँ कि आगे क्या करना है। रश्मी, तुम एक जोरदार झटका दोगी और प्यारेमोहन जी, तुम फर्श पर गिर जाओगे। इस प्रक्रिया में आप लड़खड़ाएंगे और आपकी लुंगी खुल जाएगी। तुम जल्दी से इसे ठीक करो और रश्मि तुम इस मौके का लाभ उठा कर बचने के लिए भागो और इस सोफे के पास आकर रुक जाओ. सरल?

श्री प्यारेमोहन और मैंने सिर हिलाया।

शॉट शुरू होते ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा सदमा मेरा इंतज़ार कर रहा था। मैंने एक जोरदार झटका दिया और प्यारेमोहन शौचालय के दरवाज़ा की तरफ ज़ोर से उछला और बाहर भागते समय लड़खड़ा कर फर्श पर गिर पड़े और जैसे ही वह उठे, उनकी लुंगी खुल गई।

मैं: हेइइइइइइइइइ!

मैं अपने विस्मयादिबोधक को नियंत्रित नहीं कर सका क्योंकि मैंने देखा कि श्री प्यारेमोहन अंदर से बिल्कुल नग्न थे-जैसे ही उनकी लुंगी फर्श पर गिरी, वह हमारे सामने बिल्कुल नग्न खड़े थे! सबसे आश्चर्य की बात यह है कि उसने कोई अंडरवियर या कच्छा नहीं पहना हुआ था!

मेरी नज़र जाहिर तौर पर उसके तने हुए लंड और उसके ऊपर घने काले बालों वाली झांटो की ओर आकर्षित हो गयी। श्री प्यारेमोहन का लंड बहुत अजीब तरह से हवा में लटक रहा था और उन्होंने लुंगी के अंदर लपेटने से पहले जल्दी से अपने लंड को एक बार सहलाया! मैंने देखा कि उसका लंड पहले से ही काफी खड़ा था-जाहिर तौर प्यारे मोहन पर भी पर इतनी देर तक मुझे सहलाने का असर था।

श्री मंगेश: अच्छा प्यारेमोहन जी... इससे बहुत अच्छा हास्य उत्पन्न होगा। हा-हा हा... वे विज्ञापन में ऐसी पुरुष नग्नता कैसे दिखा सकते हैं? मैं खुद को पूछने से रोक नहीं सकी । मैं: लेकिन मिस्टर मंगेश... मेरा मतलब है... सॉरी ... आप इसे विज्ञापन में कैसे दिखा सकते हैं?

मिस्टर मंगेश: दिखाओगे क्या?

मैं: मेरा मतलब है... वह ... था... उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था...!

मिस्टर मंगेश: अरे रश्मी, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है या क्या? जाहिर है मैं उस हिस्से को छिपा दूंगी जहाँ उसका लंड खुला नग्न बाहर आ गया था।

मैं: (अभी भी आश्चर्यचकित) ओह!

श्री मंगेश: खैर, फिल्मांकन में तकनिकी प्रगति से मुझे ऐसा करने में मदद मिलेगी! आइए अपने अगले शॉट के साथ आगे बढ़ें। रश्मी, जैसे ही प्यारेमोहन जी आपके पास आते हैं, आप इस सोफे के चारों ओर दौड़ना शुरू कर देंगी और वह आपका पीछा करेंगे। आप चिल्लायेंगी "बचाओ! मदद! मदद!" और तीन राउंड तक दौड़ें और फिर प्यारेमोहन जी आपको पकड़ लेते हैं और सोफे पर धकेल देते हैं। क्या मैं शॉट के बारे में स्पष्ट हूँ?

हम दोनों ने सिर हिलाया। मैं इन दोनों पुरुषों के सामने अपने गीले ब्लाउज पर तौलिया लेकर खड़ी होकर काफी सहज महसूस कर रही थी; मैं कम से कम कुछ हद तक मेरे लगभग नंगा गीला बदन ढका तो रहा! लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं!

जैसे ही निर्देशक ने "एक्शन" कहा, मैंने दौड़ना शुरू कर दिया और मिस्टर प्यारेमोहन दूरी बनाकर मेरे पीछे चल दिए। जैसे ही मैं दौड़ी, मेरे भारी स्तन तौलिये के नीचे बहुत कामुक ढंग से झूलने लगे और मैंने उन्हें अपने हाथों से ढकने की कोशिश की। मैंने लगातार बचाओ और मदद की गुहार लगाते हुए तीन चक्कर पूरे किए और आखिरकार मिस्टर प्यारेमोहन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे जबरदस्ती सोफे पर धकेल दिया। सोफा इतना चौड़ा था कि उसमें मेरा पूरा शरीर समा सकता था और जैसे ही मैं सोफे पर गिरी तो मेरे शरीर के वजन के कारण गहरा कंपन हुआ।

श्री मंगेश: कट! बहुत अच्छा! रश्मी, तुम्हें एक बार सोफे से नीचे उतरना होगा और एक एक्सक्लूसिव शॉट देना होगा। दरअसल जब आप दौड़ रहे हों तो मैं आपके पिछले हिस्से को करीब से कैद करना चाहता हूँ। मैंने देखा कि आप दौड़ते समय बहुत आकर्षक लग रही थी और मैं बस उसे फ्रेम में कैद करना चाहता हूँ। ठीक है?

मुझे नहीं पता था कि क्या कहूँ या कैसे प्रतिक्रिया दूं? क्या मुझे ऐसी टिप्पणी पर गर्व महसूस करना चाहिए?

श्री मंगेश: तो आप गोलाकार तरीके से न जाएँ, बल्कि मेरे द्वारा बताए गए बिंदु से मेरी ओर दौड़ते हुए आएँ और फिर पीछे मुड़कर उसी बिंदु पर वापस दौड़ें इस प्रकार कमरा आपका पिछले भाग ठीक से शूट कर सकेगा। आशा है कि आपको इसमें कोई बड़ी मुश्किल नहीं होगी?

मैं: नहीं...

श्री मंगेश: प्यारेमोहन जी आप को कुछ अंतर् से रश्मि का पीछा करना जारी रखना हैं।

श्री प्यारेमोहन तेजी से हम दोने में अंतर् बनाने के लिए एक दरवाजे की ओर गए, जो दूसरे कमरे की ओर जाता था, जो काफी बड़ा था।


जारी रहेगी
 
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