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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

310

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-14

मक्खन थेरेपी, फिर नकसीर

मामा-जी: आह! हाँ... दरअसल अगर हर्निया का दर्द बहुत ज़्यादा है... आह... तब दबाव बढ़ जाता ...है, आप जानते हैं... और... और कभी-कभी नाक से खून भी निकलता है... डॉक्टर ने मुझे पहले ही इस बारे में बता दिया था और वास्तव में ऐसा पहले भी हुआ है! तो... तो, घबराओ मत बहूरानी! घबराओ मत!

मैं: इश! लेकिन मुझे कम से कम इसे पोंछने दो! इश...आप मुझे इसे साफ़ करने दो! यह...!

मामा जी: अरे नहीं नहीं... कोई बात नहीं... मैं ख़ुद ही पोंछ लूँगा बेटी... लेकिन मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है... क्योंकि डॉक्टर ने मुझे एक सावधानी के बारे में चेतावनी दी थी जो मुझे रक्तस्राव के बाद बरतनी चाहिए... नहीं तो... नहीं तो यह मेरे लिए घातक हो सकता है!

जैसे ही वह अपनी बात पूरी कर रहे थे, उन्होंने जल्दी से अपनी कमर थोड़ी ऊपर उठाई और अपनी लुंगी निकाली और इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, उसने अपनी नाक से खून पोंछना शुरू कर दिया। यह मेरे लिए वाकई एक अद्भुत नज़ारा था क्योंकि मेरा बुज़ुर्ग रिश्तेदार अपनी कमर से नीचे तक बिल्कुल नंगा था और उसका लिंग अभी भी ऊपर खड़ा लटक रहा था!

साथ ही, मैं स्वाभाविक रूप से खून देखकर घबरा गयी थी। हालाँकि मामा जी ने उसे पोंछ दिया था, फिर भी उनकी नाक पर दाग रह गए थे।

मैं: मुझे लगता है... लेकिन मुझे लगता है मामा जी... मुझे डॉक्टर को बुलाना चाहिए!

मामा जी: ओहो बेटी... घबराओ मत... बोला ना! उह्ह ...!

यकीन मानिए, मैं बहुत ज़्यादा दर्द से मर रहा हूँ... मैं ही जानता हूँ कि मैं इसे कैसे दबा रहा हूँ... आह... और अब अगर मैंने डॉक्टर के कहे अनुसार काम करने में और देरी की, बेटी, तो मैं बहुत गंभीर स्थिति में फँस सकता हूँ... इसलिए सबसे पहले अब तुम मेरी बात सुनो...!

मैं: लेकिन... लेकिन मामा जी... एक डॉक्टर...!

मामा जी: बेटी... कृपया पहले मेरी बात सुनो... आआआआआआह! ब्लीडिंग के बाद मुझे डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ज़रूरी एहतियात बरतनी चाहिए!

इस समय तक मैं ख़ुद को उनके पैरों और टांगो के "वी" से पूरी तरह मुक्त कर चुकी थी और उनके दाहिनी ओर खड़ी हो गई थी।

मैं: तो फिर आप मुझे बताओ.जल्दी से बताओ ...मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मामा जी आप डाक्टर के उस उपाय बताने में देरी क्यों कर रहे हो?

मैं स्वाभाविक रूप से यह जानने के लिए काफ़ी उत्सुक थी कि ऐसे समय में मामा जी को कुछ भी अशुभ होने से बचाने के लिए क्या एहतियात बरतनी चाहिए।

मामा जी: बहूरानी...आह्ह! मुझे चाहिए... मुझे एक टाइट डोरी चाहिए... या शायद एक छोटी-सी रस्सी... ठीक है? समझी? ज़्यादा लंबी नहीं... बस एक छोटी सी... जल्दी से लाओ! जल्दी!

मैं: डोरी? लेकिन... किस लिए?

मामा-जी: बेटी... मेरे लिए हर सेकंड महत्त्वपूर्ण है... डॉक्टर ने ख़ास तौर पर इसके बारे में चेतावनी दी है... इसलिए अगर तुम...जल्दी ...!

मैं: ओह! ठीक है! ठीक है मामा-जी! आप बस आराम करो! मैं इसे तुरंत लाऊँगी ... आप चिंता मत करो! चिंता मत करो!

जैसे ही मैंने अपनी बात पूरी की, मैं बिस्तर से उठ चुकी थी और कमरे में ही डोरी ढूँढ़ने लगी।

मामा-जी: शायद तुम्हें यह बाहर मिल जाए... !

मैं: ठीक है... ठीक है...मैं देखती हूँ ... चिंता मत करो!

मैं जल्दी से कमरे से बाहर निकली और अपने आस-पास एक छोटी-सी रस्सी या डोरी को ढूँढ़ने लगी। मामा-जी की नाक से खून निकलता देख मैं अंदर से बहुत घबरा गयी थी और सच में थोड़ा घबरायी हुयी थी। मैं इतना तनाव में थी कि मैं छोटी डोरी को हर जगह सबसे अव्यवस्थित तरीके से खोज रही थी और स्वाभाविक रूप से मुझे डोरी का एक भी टुकड़ा नहीं मिला। मैंने कमरे और यहाँ तक कि शौचालय में भी रस्सी के टुकड़े को ढूँढ़ा, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। मैं और भी निराश हो रही थी क्योंकि समय बीतता जा रहा था और मुझे पता था कि मामा-जी असहाय पड़े हैं। मैं जल्दी-जल्दी चीज़ें ढूँढ़ रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से मेरी खोज का कोई नतीजा नहीं निकला!

एक समय ऐसा आया जब मुझे यह काम छोड़ना पड़ा क्योंकि इस तरह से ढूँढ़ने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि मैं घर में कहीं भी रस्सी या तार नहीं ढूँढ़ पा रही थी। इसके अलावा, देर होती जा रही थी और मामा-जी उस बीमार हालत में मेरा इंतज़ार कर रहे थे।

मैं: मामा-जी... मैं... मेरा मतलब है कि मैं इसे ढूँढ़ नहीं पा रही थी! क्या आप।कुछ बता सकते है ... मेरा मतलब है कि अगर आपको कोई ऐसी जगह पता हो जहाँ...!

मामा-जी: मैं ऐसा कैसे कह सकता हूँ बेटी? उफ़्फ़फ़्फ़... तुम्हें पूरे घर में रस्सी का एक टुकड़ा भी नहीं मिला? उफ़ ये सब मेरी नौकरानी की सफ़ाई की बदौलत है ... हा हा...!

मामा-जी ज़ोर से हँसे और गहरी साँस ली! मैं ख़ुद को बहुत दोषी महसूस कर रही थी क्योंकि मैं इतनी छोटी-सी चीज़ लाकर उनकी मदद नहीं कर पा रही थी।

मैं: मामा-जी, मेरा विश्वास करो, मैंने हर कोने में खोज की! लेकिन... लेकिन मुझे कुछ नहीं मिला...!

मामा-जी: हे भगवान! मैं क्या करूँ! मैं परिणामों के बारे में सोचकर काँप रहा हूँ!

मैं: मामा-जी... मेरा मतलब है कि अगर आप मुझे बताएँ कि उस डोरी का क्या करेंगे... तो मैं कोई विकल्प सोच सकती हूँ... मेरा मतलब है...!

मामा-जी ने अपना सिर नकारात्मक रूप से हिलाया और मैं उनके चेहरे पर निराशा को महसूस कर सकती थी। उनका चेहरा लटकने लगा और उनकी दर्दनाक स्थिति में वे दयनीय लग रहे थे। मैं ईमानदारी से समझ नहीं पा रही थी कि मैं उस समय क्या करूँ।

मामा-जी: अरे नहीं! डॉक्टर ने कहा था कि अगर आपने हर्निया पर कड़ा नियंत्रण नहीं रखा तो आपकी नाक से लगातार खून बह सकता है... हे भगवान... क्या करें!

मामा-जी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और मैं भी बुरी तरह घबरा रही थी और मेरी उँगलियों और पैरों की उँगलियों के सिरे बहुत ठंडे हो रहे थे और मामा-जी की ज़रूरत की रस्सी का पता न लगा पाने की मेरी नाकामी के लिए मुझे बहुत दोषी महसूस हो रहा था।

अचानक माँ जी की ख़ुशी की चीखें गूंज उठीं!

मामा-जी: ऊऊऊऊऊ! यूरेका! यूरेका!

मैं: मामा-जी! क्या हुआ?

मामा-जी: अरे वहाँ है! ओहो! हमारी आँखों के ठीक सामने... और तुम उसे पूरे घर को ढूँढ़ रही थीं!

मैं: कहाँ? कहाँ मामा-जी?

स्वाभाविक रूप से मेरा चेहरा चमक उठा और मैं ध्यान से फ़र्श पर देख रही थी।

मामा-जी: हुह! मुझे पहले ही पता लग जाना चाहिए था... ओह! बहूरानी... तुम तो ये जानने के लिए बेहतर स्थिति में थीं!


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-15

दर्द बाँधने के लिए डोरी

मामा जी: वो तो है! ओहो! हमारी आँखों के सामने ही… और तुम तो पूरा घर ढूँढ़ रही थी!

मैं: कहाँ? मामा जी कहाँ है ?

स्वाभाविक रूप से मेरा चेहरा चमक उठा और मैं ध्यान से फर्श पर देख रही थी। मैंने इधर उधर देखा .मुझे लगा मां जी फर्श की तरफ इशारा कर र्थे!

मामा जी: हुह! मुझे पहले ही पता चल जाना चाहिए था… ओह! बहूरानी… तुम तो इसे ढूंढ पाने की बेहतर स्थिति में थी!

: लेकिन… लेकिन मामा-जी? यह कहाँ है! मैं इसे क्यों नहीं ढूँढ़ पा रही हूँ?

मामा-जी: अरे! यहीं है !

उन्होंने अपनी आँखों से इशारा किया, लेकिन मैं इसे ढूँढ़ नहीं पा रही थी ! मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने गौर से देखा कि मामा-जी फर्श की ओर इशारा नहीं कर रहे थे! वे सिर्फ़ मेरे शरीर की ओर इशारा कर रहे थे!

: कहाँ? मैं… मुझे नहीं मिल …रही !

मामा-जी: उह्ह्ह्ह्ह… मैं इसे और सहन नहीं कर सकता… हे भगवान! दर्द सीमा से बढ़ रहा है… उउउउउउउउउउउउह! बहुत दर्द हो रहा है !

जब मामा-जी बहुत दर्द में चिल्लाए तो मैंने अपने शरीर की ओर देखा और… और तभी मुझे एहसास हुआ कि मामा-जी ने डोरी कहाँ खोजी है! मैंने अपनी नाभि के नीचे देखा और पाया कि मेरी पेटीकोट की डोरी मेरी कमर से थोड़ी बाहर लटक रही थी!

मैं: ओह! हाँ…!

मामा-जी की खोज से मैं सचमुच हैरान रह गयी! डोरी को खोजते हुए मेरे चेहरे पर खुशी की चमक अचानक कम हो गई क्योंकि मुझे अच्छी तरह से पता था कि यह मेरी पेटीकोट की डोरी को बांधने का काम कर रही थी , लेकिन अगर मैं उसे अपने पेटीकोट से निकाल दूँ, तो मैं पेटीकोट कैसे पहन पाउंगी ? मैं पहले ही अपनी साड़ी उतार चुकी थी और अपने बुजुर्ग रिश्तेदार के सामने अपनी नाभि, कमर और क्लीवेज को उजागर करते हुए काफी अश्लील दिख रही थी। मैं इसे किसी भी तरह से आगे नहीं बढ़ा सकती थी। मेरी स्तिथि बड़ी अजीब थी ।

मामा-जी: उह्ह्ह्ह्ह… … उउउउउउउउउउउउह! बहुत दर्द हो रहा है ।

अचानक मां जी की एक दर्द भरी चीख ने मेरे सोचने के तरीके को बुरी तरह बाधित कर दिया। और मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया।

मामा-जी: उउउउउउउउउउउउउउउउउउ आआआआआआआआआआउउउउउउउउ! ऊऊऊऊऊऊऊऊऊल्लल्ल्लोऊऊऊऊऊऊर्र ... मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता बेटी… मैं इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकता…!

मैं: मामा-जी! मामा-जी!

मामा-जी का पूरा चेहरा भयंकर दर्द से मुड़ता हुआ लग रहा था और यह वास्तव मेंउन्हें ऐसे दर्द में तड़पते हुए देखना भी मेरे लिए बहुत बहुत कष्टदायक था, यहाँ तक कि मैं इसे सिर्फ़ देख भी नहीं पा रही थी । मामा-जी फिर से बिस्तर पर संघर्ष कर रहे थे और उनका पूरा शरीर अंदर की ओर झुका हुआ था, क्योंकि उनका हर्निया का दर्द अपने चरम पर पहुँच रहा था! मामा-जी के हाथ फिर से उनकी कमर पर आ गए और वे लगातार बिस्तर पर आगे-पीछे हिल रहे थे, जिससे एक संकट की स्थिति पैदा हो रही थी।

मामा जी: डोरी… प्लीज… ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ! मैं इसे सहन नहीं कर सकता बेटी… मैं इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता…!

ईमानदारी से कहूँ तो मेरे लिए चुपचाप खड़े रहना और मामा-जी को इस तरह के तीव्र दर्द में तड़पने देना असंभव था। लेकिन जो मामा जी मुझसे चाहते थे वो करना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल था ! मैं और भी ज़्यादा घबरा रही थी और उलझन में थी।

लेकिन क्या उस समय मेरे पास कोई विकल्प था?

मामा जी: बहूरानी… किस बात का इंतज़ार कर रही हो? क्या तुम फिर से खून बहने का इन्तजार कर रही हो? आह्ह ...लगता है इस दर्द से मैं मर ही जाऊँगा . जल्दी करो बेटी! कुछ भी हो सकता है…!

मैं अब और निष्क्रिय नहीं रह सकता था और मुझे सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी थी!

मैं: हाँ… हाँ मामा जी… आप ऐसे अशुभ बाते मत कीजिये ! मैं… दे रही हूँ… बस एक सेकंड…!

मामा-जी: जल्दी करो बेटी... पहले ही बहुत देर हो चुकी है! एक बार और खून बहना एक और नकसीर मेरे लिए बहुत घातक होगी !

मैं: नहीं, नहीं! मामा-जी कृपया ऐसा कोई अपशकुन मत कहो... (उस समय तक मैं अपनी कमर पर पेटीकोट की गाँठ खोलना शुरू कर चुकी थी) मैं आपके लिए डोरी ला रही हूँ... बस एक सेकंड मामा-जी! बस एक सेकंड!

मामा-जी: जल्दी करो बेटी... जल्दी करो!

मेरी फुर्तीली उँगलियों ने मेरे पेटीकोट की गाँठ खोलने का काम तेज़ी से किया और मैंने अपनी कमर से डोरी खींचनी शुरू कर दी। कुछ ही समय में, लंबी डोरी मेरे बाएँ हाथ में थी और स्वाभाविक रूप से मेरी पेटीकोट मेरी कमर से लगभग गिरने ही वाली थी और अगर मैं इतनी जल्दी नहीं की होती और परिकत नहीं पकड़ा होता , तो पेटीकोट गिर जाता और मैं नीचे सिर्फ मेरी पैंटी में रह जाती!

मैं: मामा-जी… यह रही!

हालाँकि मैंने अपनी पेटीकोट की कमर को पकड़ने में बहुत जल्दी की थी, लेकिन डोरी गायब होने के कारण, मेरी कमर पर पेटीकोट का कपड़ा बहुत ढीला था।

मामा-जी: बेटी, मैं इसका क्या करूँ? तुम्हें ही ये बाँधनी होगी… मेरा मतलब है कि मेरा और खून बहने से बचाना होगा।

मैं: लेकिन... लेकिन मामा जी कहाँ और कैसे?

मैं सबसे अजीब स्थिति में खड़ी थी - मेरे दोनों हाथ मेरी कमर पर मेरे बेहद ढीले पेटीकोट को पकड़े हुए थे जबकि मेरे बड़े स्तन मेरे तंग ब्लाउज के अंदर ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैं वास्तव में अपने बुजुर्ग बीमार रिश्तेदार के सामने कामुकता का प्रतीक बन खड़ी थी।

मामा जी: बहूरानी, बस उस चीज़ को वहाँ कसकर बाँध दो (उन्होंने अपनी आँखों से अपने अर्ध-उत्तेजित लिंग की ओर इशारा किया)... कृपया जल्दी करो! मैं हूँ... आह्ह्ह्ह्ह... मुझे अंदर से पहले से ही दबाव महसूस हो रहा है!

मैं: वहाँ?!?

मैं स्पष्ट रूप से ऐसी बात सुनकर काफी हैरान थी!

मामा-जी: हर्निया वाले हिस्से को बाँध कर बंद करना होगा बेटी... और वह भी पहली बार खून बहने के बाद जितनी जल्दी हो सके और... और हमने बहुत समय बर्बाद कर दिया है!

मैं: ओह...मैं समझ गयी...!

मामा-जी: समय बेकार मत करो ... जल्दी करो! जल्दी करो!

मैं: हाँ, हाँ मामा-जी... मैं इसे जितनी जल्दी हो सके इसे पूरा करने की कोशिश करूँगी ।

मामा-जी बिस्तर के बीच में लेटे हुए थे और उनका नंगा लंड अभी भी काफी ऊपर खड़ा था, शायद वे मुझे लगातार इस सेक्सी ड्रेस में देख रहे थे। मैं जल्दी से बिस्तर पर चढ़ गई और मुझे अपने हाथ पेटीकोट से हटाकर उनसे मामा-जी के लिंग को बाँधने के लिए डोरी पकड़नी पड़ी!

मामा-जी: आआआआआआआआआआआआआआआआह! जल्दी करो... बेटी! प्लीज़...!

जैसे ही मैंने मामाजी के हाथ से अपने पेटीकोट की लंबी सफ़ेद डोरी पकड़ी, मुझे एहसास हुआ कि मेरे पेटीकोट का बेहद ढीला कपड़ा अब खतरनाक तरीके से मेरी कमर से नीचे खिसक रहा था और लगभग मेरी जाँघों तक पहुँच गया था और मेरा अंडरगारमेंट ( पेंटी) बुरी तरह से उजागर हो गयी थी ! शर्म से मेरे होंठ खुल गए और मुझे इतनी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैंने नीचे देखने की भी हिम्मत नहीं की। जिस क्षण मैंने मामा-जी के मोटे खड़े लिंग को अपने हाथ से पकड़ा और मेरी हथेली पर एक पुरुष लिंग का सीधा स्पर्श पाकर मेरा पूरा शरीर सचमुच रोमांच से काँपने लगा।

मामा-जी: हाँ, अब इसे डोरी से बाँध दो… कसकर…!

मैंने डोरी को उनके मोटे लिंग के चारों ओर घुमाना शुरू कर दिया। मामा-जी के धड़कते लिंग को छूना वाकई बहुत अच्छा और रोमांचक लगा। इस उम्र में भी, यह काफी जीवंत था और मैंने देखा कि उनके लिंग का गुलाबी बल्ब चमड़ी से झाँक रहा था!

मामा-जी: आह्ह! आह्ह! बहुत बढ़िया बेटी…ऊ ... मामा-जी मानो दर्द भूल गए थे और मेरी हरकत पर धीरे-धीरे कराह रहे थे। जैसे ही मेरी उंगलियाँ उनके नंगे लंड को छूतीं, मैं उनके लिंग में धड़कन महसूस कर सकती थी और उनके पैर भी मेरे स्पर्श का जवाब दे रहे थे! सच कहूँ तो मुझे यह बहुत ही सेक्सी काम करने में मज़ा आया और मामा-जी को भी यह बहुत पसंद आ रहा था जैसा कि उनकी और भी ज़्यादा कराहने से स्पष्ट था।

मामा-जी: उईईईई…. आऊऊऊऊऊऊ…. और कसो बेटी… और कसो…. आह्ह्ह्ह!

जारी रहेगी
 
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मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-15

दर्द बाँधने के लिए डोरी


मामा जी: वो तो है! ओहो! हमारी आँखों के सामने ही… और तुम तो पूरा घर ढूँढ़ रही थी!

मैं: कहाँ? मामा जी कहाँ है ?

स्वाभाविक रूप से मेरा चेहरा चमक उठा और मैं ध्यान से फर्श पर देख रही थी। मैंने इधर उधर देखा .मुझे लगा मां जी फर्श की तरफ इशारा कर र्थे!

मामा जी: हुह! मुझे पहले ही पता चल जाना चाहिए था… ओह! बहूरानी… तुम तो इसे ढूंढ पाने की बेहतर स्थिति में थी!

: लेकिन… लेकिन मामा-जी? यह कहाँ है! मैं इसे क्यों नहीं ढूँढ़ पा रही हूँ?

मामा-जी: अरे! यहीं है !

उन्होंने अपनी आँखों से इशारा किया, लेकिन मैं इसे ढूँढ़ नहीं पा रही थी ! मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने गौर से देखा कि मामा-जी फर्श की ओर इशारा नहीं कर रहे थे! वे सिर्फ़ मेरे शरीर की ओर इशारा कर रहे थे!

: कहाँ? मैं… मुझे नहीं मिल …रही !

मामा-जी: उह्ह्ह्ह्ह… मैं इसे और सहन नहीं कर सकता… हे भगवान! दर्द सीमा से बढ़ रहा है… उउउउउउउउउउउउह! बहुत दर्द हो रहा है !

जब मामा-जी बहुत दर्द में चिल्लाए तो मैंने अपने शरीर की ओर देखा और… और तभी मुझे एहसास हुआ कि मामा-जी ने डोरी कहाँ खोजी है! मैंने अपनी नाभि के नीचे देखा और पाया कि मेरी पेटीकोट की डोरी मेरी कमर से थोड़ी बाहर लटक रही थी!

मैं: ओह! हाँ…!

मामा-जी की खोज से मैं सचमुच हैरान रह गयी! डोरी को खोजते हुए मेरे चेहरे पर खुशी की चमक अचानक कम हो गई क्योंकि मुझे अच्छी तरह से पता था कि यह मेरी पेटीकोट की डोरी को बांधने का काम कर रही थी , लेकिन अगर मैं उसे अपने पेटीकोट से निकाल दूँ, तो मैं पेटीकोट कैसे पहन पाउंगी ? मैं पहले ही अपनी साड़ी उतार चुकी थी और अपने बुजुर्ग रिश्तेदार के सामने अपनी नाभि, कमर और क्लीवेज को उजागर करते हुए काफी अश्लील दिख रही थी। मैं इसे किसी भी तरह से आगे नहीं बढ़ा सकती थी। मेरी स्तिथि बड़ी अजीब थी ।

मामा-जी: उह्ह्ह्ह्ह… … उउउउउउउउउउउउह! बहुत दर्द हो रहा है ।

अचानक मां जी की एक दर्द भरी चीख ने मेरे सोचने के तरीके को बुरी तरह बाधित कर दिया। और मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया।

मामा-जी: उउउउउउउउउउउउउउउउउउ आआआआआआआआआआउउउउउउउउ! ऊऊऊऊऊऊऊऊऊल्लल्ल्लोऊऊऊऊऊऊर्र ... मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता बेटी… मैं इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकता…!

मैं: मामा-जी! मामा-जी!

मामा-जी का पूरा चेहरा भयंकर दर्द से मुड़ता हुआ लग रहा था और यह वास्तव मेंउन्हें ऐसे दर्द में तड़पते हुए देखना भी मेरे लिए बहुत बहुत कष्टदायक था, यहाँ तक कि मैं इसे सिर्फ़ देख भी नहीं पा रही थी । मामा-जी फिर से बिस्तर पर संघर्ष कर रहे थे और उनका पूरा शरीर अंदर की ओर झुका हुआ था, क्योंकि उनका हर्निया का दर्द अपने चरम पर पहुँच रहा था! मामा-जी के हाथ फिर से उनकी कमर पर आ गए और वे लगातार बिस्तर पर आगे-पीछे हिल रहे थे, जिससे एक संकट की स्थिति पैदा हो रही थी।

मामा जी: डोरी… प्लीज… ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ! मैं इसे सहन नहीं कर सकता बेटी… मैं इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता…!

ईमानदारी से कहूँ तो मेरे लिए चुपचाप खड़े रहना और मामा-जी को इस तरह के तीव्र दर्द में तड़पने देना असंभव था। लेकिन जो मामा जी मुझसे चाहते थे वो करना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल था ! मैं और भी ज़्यादा घबरा रही थी और उलझन में थी।

लेकिन क्या उस समय मेरे पास कोई विकल्प था?

मामा जी: बहूरानी… किस बात का इंतज़ार कर रही हो? क्या तुम फिर से खून बहने का इन्तजार कर रही हो? आह्ह ...लगता है इस दर्द से मैं मर ही जाऊँगा . जल्दी करो बेटी! कुछ भी हो सकता है…!

मैं अब और निष्क्रिय नहीं रह सकता था और मुझे सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी थी!

मैं: हाँ… हाँ मामा जी… आप ऐसे अशुभ बाते मत कीजिये ! मैं… दे रही हूँ… बस एक सेकंड…!

मामा-जी: जल्दी करो बेटी... पहले ही बहुत देर हो चुकी है! एक बार और खून बहना एक और नकसीर मेरे लिए बहुत घातक होगी !

मैं: नहीं, नहीं! मामा-जी कृपया ऐसा कोई अपशकुन मत कहो... (उस समय तक मैं अपनी कमर पर पेटीकोट की गाँठ खोलना शुरू कर चुकी थी) मैं आपके लिए डोरी ला रही हूँ... बस एक सेकंड मामा-जी! बस एक सेकंड!

मामा-जी: जल्दी करो बेटी... जल्दी करो!

मेरी फुर्तीली उँगलियों ने मेरे पेटीकोट की गाँठ खोलने का काम तेज़ी से किया और मैंने अपनी कमर से डोरी खींचनी शुरू कर दी। कुछ ही समय में, लंबी डोरी मेरे बाएँ हाथ में थी और स्वाभाविक रूप से मेरी पेटीकोट मेरी कमर से लगभग गिरने ही वाली थी और अगर मैं इतनी जल्दी नहीं की होती और परिकत नहीं पकड़ा होता , तो पेटीकोट गिर जाता और मैं नीचे सिर्फ मेरी पैंटी में रह जाती!

मैं: मामा-जी… यह रही!

हालाँकि मैंने अपनी पेटीकोट की कमर को पकड़ने में बहुत जल्दी की थी, लेकिन डोरी गायब होने के कारण, मेरी कमर पर पेटीकोट का कपड़ा बहुत ढीला था।

मामा-जी: बेटी, मैं इसका क्या करूँ? तुम्हें ही ये बाँधनी होगी… मेरा मतलब है कि मेरा और खून बहने से बचाना होगा।

मैं: लेकिन... लेकिन मामा जी कहाँ और कैसे?

मैं सबसे अजीब स्थिति में खड़ी थी - मेरे दोनों हाथ मेरी कमर पर मेरे बेहद ढीले पेटीकोट को पकड़े हुए थे जबकि मेरे बड़े स्तन मेरे तंग ब्लाउज के अंदर ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैं वास्तव में अपने बुजुर्ग बीमार रिश्तेदार के सामने कामुकता का प्रतीक बन खड़ी थी।

मामा जी: बहूरानी, बस उस चीज़ को वहाँ कसकर बाँध दो (उन्होंने अपनी आँखों से अपने अर्ध-उत्तेजित लिंग की ओर इशारा किया)... कृपया जल्दी करो! मैं हूँ... आह्ह्ह्ह्ह... मुझे अंदर से पहले से ही दबाव महसूस हो रहा है!

मैं: वहाँ?!?

मैं स्पष्ट रूप से ऐसी बात सुनकर काफी हैरान थी!

मामा-जी: हर्निया वाले हिस्से को बाँध कर बंद करना होगा बेटी... और वह भी पहली बार खून बहने के बाद जितनी जल्दी हो सके और... और हमने बहुत समय बर्बाद कर दिया है!

मैं: ओह...मैं समझ गयी...!

मामा-जी: समय बेकार मत करो ... जल्दी करो! जल्दी करो!

मैं: हाँ, हाँ मामा-जी... मैं इसे जितनी जल्दी हो सके इसे पूरा करने की कोशिश करूँगी ।

मामा-जी बिस्तर के बीच में लेटे हुए थे और उनका नंगा लंड अभी भी काफी ऊपर खड़ा था, शायद वे मुझे लगातार इस सेक्सी ड्रेस में देख रहे थे। मैं जल्दी से बिस्तर पर चढ़ गई और मुझे अपने हाथ पेटीकोट से हटाकर उनसे मामा-जी के लिंग को बाँधने के लिए डोरी पकड़नी पड़ी!

मामा-जी: आआआआआआआआआआआआआआआआह! जल्दी करो... बेटी! प्लीज़...!

जैसे ही मैंने मामाजी के हाथ से अपने पेटीकोट की लंबी सफ़ेद डोरी पकड़ी, मुझे एहसास हुआ कि मेरे पेटीकोट का बेहद ढीला कपड़ा अब खतरनाक तरीके से मेरी कमर से नीचे खिसक रहा था और लगभग मेरी जाँघों तक पहुँच गया था और मेरा अंडरगारमेंट ( पेंटी) बुरी तरह से उजागर हो गयी थी ! शर्म से मेरे होंठ खुल गए और मुझे इतनी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैंने नीचे देखने की भी हिम्मत नहीं की। जिस क्षण मैंने मामा-जी के मोटे खड़े लिंग को अपने हाथ से पकड़ा और मेरी हथेली पर एक पुरुष लिंग का सीधा स्पर्श पाकर मेरा पूरा शरीर सचमुच रोमांच से काँपने लगा।

मामा-जी: हाँ, अब इसे डोरी से बाँध दो… कसकर…!

मैंने डोरी को उनके मोटे लिंग के चारों ओर घुमाना शुरू कर दिया। मामा-जी के धड़कते लिंग को छूना वाकई बहुत अच्छा और रोमांचक लगा। इस उम्र में भी, यह काफी जीवंत था और मैंने देखा कि उनके लिंग का गुलाबी बल्ब चमड़ी से झाँक रहा था!

मामा-जी: आह्ह! आह्ह! बहुत बढ़िया बेटी…ऊ ... मामा-जी मानो दर्द भूल गए थे और मेरी हरकत पर धीरे-धीरे कराह रहे थे। जैसे ही मेरी उंगलियाँ उनके नंगे लंड को छूतीं, मैं उनके लिंग में धड़कन महसूस कर सकती थी और उनके पैर भी मेरे स्पर्श का जवाब दे रहे थे! सच कहूँ तो मुझे यह बहुत ही सेक्सी काम करने में मज़ा आया और मामा-जी को भी यह बहुत पसंद आ रहा था जैसा कि उनकी और भी ज़्यादा कराहने से स्पष्ट था।

मामा-जी: उईईईई…. आऊऊऊऊऊऊ…. और कसो बेटी… और कसो…. आह्ह्ह्ह!

जारी रहेगी
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

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डोरी बाँधने में हुआ कमाल

मामा-जी बिस्तर के बीच में लेटे हुए थे और उनका नंगा लंड अभी भी काफी कड़ा था और ऊपर था, शायद इसलिए की वे मुझे लगातार इस सेक्सी ड्रेस में देख रहे थे। मैं जल्दी से बिस्तर पर चढ़ गई और मुझे अपने पेटीकोट की कमर से पकड़कर साथ में उस डोरी को पकड़ना पड़ा जिससे मामा-जी के लिंग को बांधा जा सके!

मामा-जी: आआ ... मामा जी: हाँ, अब इसे डोरी से बाँध दो… कस कर…!

मैंने डोरी को उनके मोटे लिंग के चारों ओर घुमाना शुरू कर दिया। मामा जी के कड़क और धड़कते लिंग को छूना वाकई बहुत अच्छा और रोमांचक लगा। इस उम्र में भी, यह काफी जीवंत था और मैंने देखा कि उनके लिंग का गुलाबी बल्ब चमड़ी से झाँक रहा था!

मामा जी: आह्ह्ह! आह्ह्ह्ह! बहुत बढ़िया बेटी…ऊऊऊऊह्ह! उह्ह्ह्ह!

मामा जी अब अपना दर्द भूल गए थे और मेरे कृत्य पर लगभग धीरे से कराह रहे थे। जैसे ही मेरी उँगलियाँ उनके नग्न लिंग को छूती थीं, मैं उनके लिंग में धड़कन महसूस कर सकती थी और उनके पैर भी मेरे स्पर्श का जवाब दे रहे थे! सच कहूँ तो मुझे यह बहुत ही सेक्सी काम करने में मज़ा आया और मामा जी को भी यह बहुत पसंद आ रहा था जैसा कि उनकी अधिक स्पष्ट कराहों से स्पष्ट था।

मामा जी: उईईई…. आऊऊऊऊऊऊऊ…. और कसो बेटी… और कसो…. आह्ह्ह्ह!

चूँकि मुझे इस सेक्सी काम से बहुत रोमांच मिल रहा था, मैंने उनके लिंग बान्धने की अपनी गति कम कर दी और उनके लंड को धीरे-धीरे बाँध रही थी, यह सुनिश्चित करते हुए कि डोरी उनके खड़े मांस पर बहुत ज़्यादा कस कर न बंध जाए । मैं वास्तव में ऐसा करते हुए बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी और इसलिए भी क्योंकि मैं इस बुज़ुर्ग पुरुष के सामने सेक्सी कपड़ों में थी। मेरी साड़ी उत्तरी हुई थी और मेरे पेटीकोट की डोरी भी निकली हुई थी मेरा पेटीकोट नीचे सरका हुआ था मेरी कमर पूरी नग्न थी मेरे स्तन मेरे ब्लाउज के अंदर दो पके नारियल की तरह ऊपर-नीचे हो रहे थे क्योंकि मैं अपने आप को मामा-जी के अनुभवी लंड को अपनी पूरी हथेली से कई बार सहलाने से रोक नहीं पा रही थी। मैंने नाटक किया जैसे कि मैं जाँच रही हूँ कि डोरी उनके लंड पर कितनी कसी हुई है, लेकिन वास्तव में मैंने उनके खड़े लिंग की पूरी लंबाई और चौड़ाई को महसूस किया और ईमानदारी से कहूँ तो उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उनका लिंग मेरे लिए एक अद्भुत मांस का टुकड़ा था!

मामा-जी: आह्ह्ह्ह…. बहुत राहत मिली…. बेटी… आह्ह्ह… तुम्हारा स्पर्श कितना सुखदायक है… उईईई….. उफ्फ़!

“आपका लंड भी इतना मोटा है और फड़क रहा है मामा जी!”, मैंने मन ही मन जवाब दिया और बाहर से उन्हें देखकर मुस्कुराई कि उन्हें अपने दर्द से राहत मिल रही है। मामा जी का काला लंड उनके सफ़ेद ओवरलैपिंग के साथ कमाल का लग रहा था और मेरा काम लगभग पूरा हो चुका था और जब मैं उनके लंड पर डोरी का आखिरी चक्कर बाँध रही थी, मामा जी ने एक अजीबोगरीब अनुरोध किया!

मामा जी: बेटी, बस एक और बात… क्या तुम जाँच सकती हो कि मेरे लंड मुंड सूखा है या नहीं… क्योंकि डॉक्टर ने बाँधने के बाद सूखापन सुनिश्चित करने के लिए कहा था।

इस असाधारण सेक्सी काम को अंजाम देते हुए मेरा दिल पहले से ही तेज़ी से धड़क रहा था और अब मामा जी चाहते थे कि मैं उनके लिंग के बल्ब की जाँच करके प्रीकम की जाँच करूँ! हे भगवान! यह मेरे जैसी युवा विवाहित महिला के लिए सेक्सी “सोने पे सुहागा” जैसा था!

मैं: ओह ज़रूर मामा जी!

मैंने तुरंत जवाब दिया। मेरा मुँह सूख रहा था और मैं इस अनुरोध को सुनकर निस्संदेह बहुत खुश हो गई! मेरे बड़े गोल स्तन मेरे ब्लाउज के अंदर लयबद्ध तरीके से ऊपर-नीचे हो रहे थे और मुझे अच्छी तरह से पता था कि मैं मामा-जी के सामने बहुत ही अश्लील और सेक्सी दिख रही थी क्योंकि मेरे टाइट ब्लाउज के ऊपर से मेरी मक्खन जैसी क्लीवेज दिख रही थी। मैंने डोरी से लंड पर स्ट्रैपिंग पूरी की और डोरी के ढीले सिरे को उनकी टांगों के बीच छोड़ दिया और उनके मोटे लिंग के सिर की जांच करने लगी। अंदर गुलाबी बल्ब और छोटी सी दरार से उनके प्रीकम को बाहर निकलता देख मेरी आंखें चमक उठीं। मुझे आश्चर्य हुआ कि मामा-जी इतने उत्तेजित अवस्था में कैसे हो सकते हैं जबकि साथ ही उन्हें हर्निया का इतना दर्द भी हो रहा है!

तभी मामाजी कराह उठे , वे दर्द (या उत्तेजना?) में बिस्तर पर कराह रहे थे! और उनकी दर्द कराह सुन उस विचार को एक तरफ रखकर मैंने जल्दी से उनके लिंग के सिर पर ध्यान केंद्रित किया। मैंने एक हाथ से मामा-जी के बिल्कुल खड़े लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से धीरे-धीरे चमड़ी को किनारे से हटाया ताकि गुलाबी बल्ब मुझे साफ दिखाई दे। मेरी उंगलियां तुरंत उनके चिपचिपे प्रीकम से लदी हुई थीं क्योंकि वह काफी रिस रहा था। वह अपना दर्द भूलकर कराह रहे थे , जबकि मैं प्यार से उसके लिंग को एक हाथ में थामे हुए थी और उसके ऊपरी हिस्से को देख रही थी। मैं उस बुजुर्ग व्यक्ति की हालत देखकर मन ही मन मुस्कुराई।

मामा-जी: क्या यह बहुत गीला है?

मैं: हाँ मामा-जी!

मामा-जी: तो… तो…?

मैं: मुझे इसे पोंछने दो…! (मैंने लगभग फुसफुसाते हुए कहा)

मामा-जी: ठीक है बेटी… कोई और रास्ता भी नहीं है…!

मैं खुद को बेहद उत्साहित महसूस कर रही थी क्योंकि मैं लगातार एक उत्तेजित पुरुष लिंग को पकड़े हुए थी और मेरे माथे और खुले स्तन क्षेत्र पर पसीने की बूंदें दिखाई दे रही थीं। स्वाभाविक रूप से मेरी क्लीवेज भी मेरे ब्लाउज के ऊपर से और भी उभर रही थी और मैं उस स्थिति में केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुए बेहद सेक्सी लग रही थी।

मैंने धीरे-धीरे मामा-जी के मोटे लिंग के सिर को महसूस किया और रगड़ा और वे दर्द (या उत्तेजना?) में बिस्तर पर तड़प रहे थे! मैं खुद को उनके खड़े लंड पर रणनीतिक स्थिति में दबाने से नहीं रोक सकी और मामा-जी के लंड से बस प्रीकम निकल रहा था और उनका शरीर स्पष्ट रूप से आनंद में कांप रहा था। उनकी तेज दर्द भरी चीखें गायब हो गई थीं और उनके मुंह से केवल लंबी सुस्त कराहें निकल रही थीं। मैंने अपनी उंगलियों से उनके लिंग के बल्ब को दबाते हुए प्रीकम को निचोड़ना शुरू कर दिया और मामा-जी ने अब बहुत ही बेशर्मी से जोरदार कराहें निकालना शुरू कर दिया!

स्वाभाविक रूप से मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि कुछ क्षण पहले यह आदमी तीव्र हर्निया दर्द से जूझ रहा था और अब वास्तव में इस लिंग को सहलाने का आनंद ले रहा था! जैसे-जैसे मैंने मामा-जी के लिंग के सिर को धीरे-धीरे दबाना जारी रखा और प्रचुर मात्रा में प्रीकम मेरी उंगलियों को ढक गया और मैं विशेष रूप से पुरुष रस की तेज तीखी गंध के कारण बेहद उत्तेजित हो रही थी । अपने आप मेरा चेहरा नीचे की ओर झुक गया – मामा-जी के खड़े लिंग के और करीब – मेरा पूरा शरीर लगभग अंदर की ओर झुक गया ताकि उनके लंबे लिंग के और करीब हो जाऊँ!

मैं इतनी तल्लीन थी कि मुझे इस बात का बिलकुल भी अहसास नहीं था कि जैसे ही मैं काफी नीचे झुकी, मैं अपने भारी स्तनों के मांस को अपने टाइट ब्लाउज के ऊपर से पर्याप्त रूप से उभारते हुए एक शानदार क्लीवेज शो दे रही थी। मामा-जी शायद अपने लेटे हुए आसन से मेरी क्लीवेज और स्तन देख रहे थे क्योंकि मैंने जल्द ही पाया कि उनका हाथ मेरे कंधे को धीरे से छू रहा था। उनकी उंगलियाँ मेरे कंधे पर छूते हुए काफी गर्म थीं। शायद वह मुझे मेरे काम के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे थे। मैं इतना झुक गई थी कि अब वास्तव में मैं उनके नग्न लिंग के कुछ ज़्यादा ही करीब थी और मेरा चेहरा उनके लंड से बस कुछ इंच की दूरी पर था!

मामा-जी: आह्ह्ह्ह… धन्यवाद बेटी… क्या अब यह सूख गया है?

वह कैसे कह सकती थी कि “यह सूखा था” यह देखते हुए कि वह खुद किस तरह से अपना रस बहा रहा था! मैं खुद पर मुस्कुराई और नकारात्मक रूप से सिर हिलाया।

मामा जी: मुझे उस जगह को सुखाना होगा बहूरानी.... यही डॉक्टर का आदेश था....!

मैं: कोशिश कर रही हूँ मामा जी...!

मैंने जल्दी से अपने हाथ से उनके लिंग के ऊपरी हिस्से को रगड़ा जो अब तक उनके चिपचिपे प्रीकम से काफी फिसलन भरा हो गया था और उसे पोंछने के लिए कोई कपड़ा न मिलने के कारण मैंने अपने ब्लाउज पर अपना हाथ पूंछ लिया! मैंने इसे कुछ बार दोहराया, लेकिन मैंने देखा कि मामा जी इस पूरी घटना से इतने रोमांचित थे कि उनके लिंग से लगातार प्रीकम निकल रहा था। स्वाभाविक रूप से मुझे भी इससे कुछ मनोरंजन मिल रहा था क्योंकि मेरे पोंछने के बाद भी उनके लिंग का बल्ब बीच-बीच में गीला हो रहा था!

मामा जी: आह्ह ...अह्ह्ह्हह !

मैं उसकी आनंद भरी कराह से अच्छी तरह समझ सकती थी कि इस बूढ़े आदमी को मेरे लिंग पर हाथ फेरने से आनंद मिल रहा था और यह वास्तव में उसके भयंकर दर्द की स्थिति से निकल चुका था। मैं खुद भी पुरुष रस की तीखी गंध के आगे झुक रही थी। मेरे होंठ खुलने लगे थे और मैं सच में मामा जी के चिपचिपे प्रीकम का स्वाद चखने के लिए तरस रही थी! जाहिर है कि मेरे पास ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि वे मेरे ससुराल के करीबी रिश्तेदार थे और वह भी बहुत बुजुर्ग और सम्मानित व्यक्ति। मैं किसी भी तरह से उनके नंगे लंड को चूसना शुरू नहीं कर सकती थी!

मामा जी: बहूरानी… क्या यह अब सूख गया है?

मैं: मामा जी, ! आप खुद ही मुझे इसे सूखने नहीं दे रहे हैं! (मुस्कुराते हुए) क्या… मैं क्या कर सकती हूँ?

मैंने अपनी आवाज़ में बहुत ही मनोरंजन के साथ एक किशोरी की तरह उत्तर दिया! मामा जी अनुभवी थे और वे मेरी आवाज़ से ही मेरी उत्साहित और उत्तेजित अवस्था को तुरंत समझ सकते थे!

मामा जी: उम्म बहूरानी… मुझे लगा कि तुम बहुत समझदार लड़की हो… अगर मैं इसे सूखने नहीं दे रहा हूँ तो तुम इसे रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं करती!

जारी रहेगी

 
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औलाद की चाह

313

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-17

सूखाने की प्रक्रिया

मैं उसकी आनंद भरी कराह से अच्छी तरह समझ सकती थी कि इस बूढ़े आदमी को मेरे लिंग पर हाथ फेरने से आनंद मिल रहा था और यह वास्तव में उसके भयंकर दर्द की स्थिति से निकल चुका था। मैं ख़ुद भी पुरुष रस की तीखी गंध के आगे झुक रही थी। मेरे होंठ खुलने लगे थे और मैं सच में मामा जी के चिपचिपे प्रीकम का स्वाद चखने के लिए तरस रही थी! जाहिर है कि मेरे पास ऐसा करने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि वे मेरे ससुराल के करीबी रिश्तेदार थे और वह भी बहुत बुज़ुर्ग और सम्मानित व्यक्ति। मैं किसी भी तरह से उनके नंगे लंड को चूसना शुरू नहीं कर सकती थी!

मामा जी: बहूरानी... क्या यह अब सूख गया है?

मैं: मामा जी, ! आप ख़ुद ही मुझे इसे सूखने नहीं दे रहे हैं! (मुस्कुराते हुए) क्या... मैं क्या कर सकती हूँ?

मैंने अपनी आवाज़ में बहुत ही उत्तेजना और हलकी हंसी के साथ एक किशोरी की तरह उत्तर दिया! मामा जी अनुभवी थे और वे मेरी आवाज़ से ही मेरी उत्साहित और उत्तेजित अवस्था को तुरंत समझ सकते थे!

मामा जी: उम्म बहूरानी... मुझे लगा कि तुम बहुत समझदार लड़की हो... अगर मैं इसे सूखने नहीं दे रहा हूँ तो तुम इसे रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं करती!

मुझे लगा की मामा जी की तीव्र पीड़ा अचानक से पूरी तरह से गायब हो गई है!

मैं: हम्म...!

मामा जी: अरे! अगर मेरी नौकरानी ने पिछले महीने मुझे इस तरह की स्थिति से बचा लिया था, तो क्या तुम नहीं बचा सकती हो बहूरानी?

अब मामाजी मुझे मेरा काम ठीक से करने के लिए चुनौती दे रहे थे और जब उन्होंने मेरी तुलना अपनी नौकरानी से की तो मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गई!

मैं: मामा जी... प्लीज आप नौकरानी से मेरी तुलना मत करो...!

मामा जी: बहूरानी, मैं तुलना नहीं कर रही हूँ... मैंने अभी बताया और मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुम मेरे लिए यह सब करने की बुद्धि रखती हो! बहूरानी... तुम सबसे अच्छी हो!

मैं मुस्कुराई और मुख्य काम पर वापस आ गई। मेरे दिमाग़ में एक ही तरीक़ा आ रहा था... जाहिर है कि मामाजी के लिंग से प्रीकम चूस लेना ही मुझे एकमात्र तरीक़ा समझ आया क्योंकि कपडे से लिंग सुख नहीं रहा था।

लेकिन मैं मामा जी से यह कैसे कह सकती थी की मैं उनका लिंग चूस कर सूखा देती हूँ? वे मेरे लिए पिता समान थे और मैं उनका लिंग कैसे चूस सकती थी? हे भगवान! लिंग चूसने के विचार से ही मेरे निप्पल मेरी ब्रा के अंदर बहुत सख्त हो गए थे। नौकरानी ने क्या कुछ अलग किया? या उसने भी यही तरीक़ा अपनाया था? अरे यार! क्या नौकरानी ने खुलेआम मामा जी का लिंग चूसा! नहीं, नहीं, मैं क्या बकवास सोच रही थी! लेकिन क्या कोई और तरीक़ा था?

मामा जी: बेटी, देर हो रही है और तुम्हें पता है कि डॉक्टर ने मुझे देरी के बारे में ख़ास तौर पर चेतावनी दी थी... क्या मैं... क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि मेरी नौकरानी ने क्या किया? क्या तुम कुछ भी सोच पा रही हो?

अब ये कहना ाकि मैं कुछ भी नहीं कर पा रही हूँ मेरे लिए बहुत बड़ी बेइज्जती की बात थी और ये मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर था–मामा जी बार-बार अपनी नौकरानी को हाईलाइट करने की कोशिश कर रहे थे!

मैं: मेरे पास एक ही तरीक़ा है...मामाजी लेकिन... लेकिन मामा जी...!

मामा जी: अगर तुम्हारे पास कोई तरीक़ा है तो बस उसे करो बहूरानी... प्लीज समय बर्बाद मत करो प्रिय!

मैं: मेरा मतलब है... उफ़... मुझे और कुछ नहीं सूझ रहा! लेकिन... लेकिन। यह थोड़ा अजीब है मामा जी... कृपया आप इसे अन्यथा न लें...!

मामा जी: आगे बढ़ो बेटी... और मुझे कुछ भी घातक न होने दो...मुझे बचा लो!

मैं: ओ... ठीक है मामा जी... दरअसल मैंने अपने हाथ से उस जगह को सुखाने की कोशिश की, लेकिन आपका ... मामा जी आपका रस लगातार बह रहा है... तो... तो। मुझे लगता है... इस तरीके से इसे रोका जा सकता है।

मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई और मैंने जल्दी से मामा जी के बंधे हुए लंड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनका लंड अपने मुँह में लेकर उनके प्रीकम का स्वाद चखना शुरू कर दिया! मैं स्वाभाविक रूप से काफ़ी उत्साहित और साथ ही उत्सुक थी कि मैं एक ऐसे पुरुष के साथ इस तरह का सेक्सी काम करूँ जो मेरा पति नहीं था और इसके अलावा यह "मामा जी" थे मेरे पति के मामा या मेरे ममेरे ससुर जिन्हें मैंने हमेशा परिवार में एक सम्मानित व्यक्ति के रूप में देखा था। मेरे लिए अपनी सबसे अजीब कल्पनाओं में भी ऐसा करना तो बहुत दूर की बात थी ही, आज से पहले ऐसा सोचना भी असंभव था!

मामा जी ने तुरंत ही बहुत उत्साहवर्धक शब्दों के साथ मेरी सराहना की।

मामा जी: तुमने बढ़िया किया और सही निशाना साधा बहूरानी! बहुत बढ़िया! आह्ह ...!

मैं: उम्म... (बस अपने होंठों को उनके नग्न लिंग से अलग करते हुए) धन्यवाद मामा जी!

मामा जी: कृपया इसे जल्दी से सुखाओ बेटी... मुझे पता है तुम यह कर सकती हो! आह्ह्ह्ह।

मामा जी ख़ुद को दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर महसूस कर रहे होंगे क्योंकि इस बढ़ती उम्र में उनके लिए किसी महिला से अपना लिंग चुसवाना बिल्कुल असंभव था, खासकर तब, जब उन्होंने जीवन भर अविवाहित रहने का फ़ैसला किया था।

मामा जी: आह्ह ...बहुरानी तुम्हारे होंठ बहुत नरम और गर्म हैं... उउउउउउउउउउउ... यह वास्तव में मुझे उस दर्द से बहुत राहत दे रहा है जिससे मैं पीड़ित था!

मैं: (फिर से अपने होंठों को उसके लंड से अलग करते हुए) मामा-जी.आपको आराम मिला मेरे लिए ये बहुत बड़ी राहत है!

हालाँकि मैंने उनके लंड पर डोरी बाँधी हुई थी, इसलिए मैं उनके लंड को पूरा अपने मुँह में नहीं ले पा रही थी, लेकिन मैं उसके लंड के सिरे को अपने होंठों से धीरे-धीरे चूस रही थी और बीच-बीच में अपनी जीभ बाहर निकालकर उसके लंड के सिरे पर जमा हुए प्रीकम को चाट रही थी। जैसे ही मैं उसके लंड के सिरे को चूसने के लिए नीचे झुकी और अपनी कोहनी उनकी टांग पर टिका दी, मेरे बड़े स्तन नीचे झूलते हुए स्वाभाविक रूप से उसके बालों वाले टांगो को छूने लगे।

स्वाभाविक रूप से मैं शारीरिक रूप से कामुकता से कमज़ोर हो रही थी और इसलिए मेरे दृढ़ स्तनों के उसके शरीर पर छूने की अनुभूति ने मुझे और अधिक कामुक बना दिया। वास्तव में कुछ ही क्षणों में मैं मामा-जी की नंगी बालों वाली जांघों पर उन्हें और अधिक सकारात्मक रूप से दबाने के लिए इच्छुक हो गया।

मेरे बेचारे मामा-जी निश्चित रूप से अपने लिंग को छिपाने में असमर्थ थे जो कठोर और तना हुआ हो रहा था और वह अपने पूरे शरीर को खींच रहे थे, ताकि वे उनके अंदर की अत्यधिक यौन उत्तेजना को कम कर पाए, खासकर इस उम्र में। उनकी "दयनीय" स्थिति को देखते हुए, मैंने उनके सारे वीर्य को बाहर निकालने के लिए एक लंबी, गहरी चुसाई करने का फ़ैसला किया!

मैं: सस्स ...आह्ह्ह्ह!

मैं साँस लेने के लिए हांफने लगी क्योंकि मेरे होंठ उनके नंगे लंड पर ही टिके रहे जिसमे से अभी भी चिपचिपा रस की प्रचुर मात्रा में रिस रहा था! मामा-जी ने एक जोरदार कराह निकाली जिससे पता चला कि उन्हें मेरा चूसना बहुत पसंद आ रहा था! हालाँकि उनके लंड के चारों ओर बंधी डोरी मुझे चुसाई में थोड़ी असहज कर रही थी, लेकिन मैंने इसे न खोलने का फ़ैसला किया क्योंकि यह डॉक्टर का आदेश था। साथ ही मैं मामा-जी के लंड को अपने हाथ में उत्तेजना में बढ़ता और धड़कता हुआ महसूस कर सकती थी और मैं भी बहुत उत्तेजित हो रही थी और अपने ब्लाउज से ढके भारी स्तनों को उनकी नंगी टाँगों पर दबा रही थी।

मामा जी: आह्ह! तुम बहुत बढ़िया काम कर रही हो बहूरानी! मुझे मानना पड़ेगा कि तुमने मेरी नौकरानी को मीलो से हरा दिया है... आआ ...आअह्ह्ह्हह! आराम मिला आह!

मैंने देखा कि मामाजी लेटे हुए इधर-उधर घूम रहे थे और जाहिर तौर पर काफ़ी असहज थे क्योंकि उनका लंड अभी भी मेरे पेटीकोट के डोरी से बंधा हुआ था। मैं महसूस कर सकती थी कि जैसे ही मैंने उनके लंड के सिरे को चूसना शुरू किया, उनके कंधे पर लगी उनकी उंगलियाँ मेरी त्वचा में गहराई तक धंस गई। हालाँकि मैं ख़ुद भी गर्म थी, लेकिन इस बुज़ुर्ग व्यक्ति को आराम मिलते और उसे आनंद मिलते देखकर मेरे मन में ख़ुशी की भावना भी थी। असल अब में मैं और भी शरारती होना चाहती थी और उनकी सहनशीलता का स्तर परखना चाहती थी! मैंने मामाजी के सीधे नंगे लंड को अपने हाथों से और भी कसकर पकड़ लिया और उनके लंड के सिरे को ज़ोर से चूसने लगी। साथ ही मैंने मामाजी को उनके खड़े लंड को बहुत शरारती तरीके से छेड़ना शुरू कर दिया और अपनी पानी से भरी जीभ को उनके गुलाबी लंड के छेद में घुसाने की कोशिश की और अपनी उंगलियों से उनके अग्रभाग की चमड़ी को दोनों तरफ़ खींचने लगी।

मामा-जी: इइ ... तुम तो कमाल का काम कर रही हो बहूरानी...!

मामा जी अब साँस लेने के लिए हांफ रहे थे और अपनी टाँगें हवा में उछाल रहे थे, हालाँकि हिंसक तरीके से नहीं और मेरी अश्लील हरकतों के कारण और इसका मुकाबला करने की कोशिश में मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे कंधे को खरोंच रहे थे। मैं हँसी और अपना काम जारी रखा, लेकिन जल्द ही पाया कि मामा जी अब स्पष्ट रूप से स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे थे। जैसे-जैसे मैं उनके लिंग को चाटना और चूसना जारी रखती गई, मैंने पाया कि मामा जी अपना हाथ मेरे शरीर की ओर बढ़ा रहे थे! जब मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा, तो मैंने पाया कि मेरे बुज़ुर्ग रिश्तेदार ने अपने धड़ को अपनी कमर की ओर और झुका लिया था ताकि वह अपनी पहुँच बढ़ा सके।

मामा जी: आह्ह ...बेटी... तुम मुझे मेरे तीव्र दर्द से इतनी राहत दे रही हो कि तुम्हें पता भी नहीं है तुमने मुझे कितना आराम दिया है ... तुम... तुम तो कमाल का काम कर रही हो बहूरानी...!

जब उसने फुसफुसाते हुए ये शब्द कहे तो मुझे लगा कि उसके दाहिने हाथ की उंगलियाँ मेरे कंधे से अंदर की ओर जा रही हैं। इससे पहले कि मैं कोई एहतियात बरत पाती, मैंने पाया कि उसकी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज़ के कपड़े से नीचे सरकते हुए मेरे नंगे ऊपरी स्तन के क्षेत्र में घुस रही हैं। मैंने तुरंत अपने ऊपरी शरीर को थोड़ा एडजस्ट किया और अपने स्तनों को उसके पैरों पर दबाना बंद कर दिया, लेकिन इस बात का ध्यान रखा कि मैं अपने होंठ उसके लंड से न हटाऊँ, नहीं तो मामा जी नाराज़ हो सकते थे। लेकिन दुर्भाग्य से मेरी ये कोशिश मामा जी की आगे बढ़ती उंगलियाँ के आगे बेअसर साबित हुईं। मामा जी की उंगलिया अब लगभग मेरे स्तनों के उभार और ब्लाउज़ के सामने रेंग रही थीं!

जारी रहेगी

 
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-307

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 91

कामुक चुंबन

फिर मधुरा सुगंधा दोनों नंगी बिस्तर पर लेट गई। दोनों बारी-बारी एक-दूसरे और मेरे बदन को चूमने लगी। पहले सुगंधा मेरे ऊपर आई और मेरी गर्दन और छाती को चूमने लगी। फिर मधुरा के दोनों चूचों को चूसने लगी। उसके मोटे चूचे मेरे मुंह के ऊपर लटकने लगे। मैं भी उसके चूचों को मजे से चूसने लगा।

बहुत मज़ा आ रहा था मुझे। कुछ देर चूचे चुसवाने के बाद मधुरा नीचे गई, सुगंधा की चूत पर अपना मुंह लगा दिया। सुगंधा तो जैसे पागल-सी हो गई। मैंने मधुरा की चूत में अपना यह लगा लिया और मधुरा गांड उठा कर चूत चुसवाने लगी। वह भी मजे से चूत चूसती रही। फिर हम 69 पोजीशन में आए, मैं उनकी चूत और वह मेरा लंड चूसने लगी। मैं दोनों चूत में उंगलियाँ करके चूत चुदाई करने लगा।

आधा घंटा ऐसे ही हमने प्यार किया। इस दौरान में पता नहीं सुगंधा और मधुर्स्वारा कितनी बार झड़ी पर उन्होंने मुझे झड़ने नहीं दिया हर बार जब मैं झड़ने वाला होता तो बे रुक कर दूसरी चुत चूसने लगती । मेरे लंड का बुरा हाल हो चूका था ।

फिर सबसे पहले लैटिन अमरीकी सुंदरी जिसे "काम्या" , मेरे पास आयी जो काम कला में प्रशिक्षित है, उसके स्तन उन्नत, नितम्ब बृहद और वर्ण दूधिया है। काम्य ने पहले मेरे माथे को चूमा फिर गालों को हाथो में लेकर होंठो को चूमने लगी काम्या के मीठे चुम्बन के बाद की बारी आई कामुक नृतकी मिस्र देश से आई गेहुआ रंग की काले केश वाली कामुक गणिका "तिलोत्तमा" जिसे संभोग के चौरासी आसनों में महारत है, उसने मुझे बाहों में भर लिया और कस कर चूमा और युवराज की छाती पर अपने स्तन दबा दिए । "तिलोत्तमा" के बाद सुंदरी उत्तर भारतीय ग़ौर वर्ण सुंदरी "मेनका" भरे बदन की कामुक नृत्यांगना कामुक चाल चलती हुई आयी जिसे उरोज द्वार लिंग मर्दन द्वारा पुरुष लिंग को सखलित कर देने में महरात थी और मेरी छाती चूमते हुए उसने मेरे लिंग को चुम्बन दिया। मेनका के बाद अरब देश से सुनहरी त्वचा चिकना बदन उन्नत उरोज यौन केश युक्त मादक गंध कुंभ योनि की स्वामिनी कु "म्भयोनि" आयी जिसकी कामवासना उच्च है जो अपनी योनि का मुखमैथुन करवाने की कला में सिद्ध हस्त है उसने भी मेरे ओंठ चुम कर अपने स्तन हिला कर दिखाए ।

फिर सभी अपनी गोरी बाहें उठाती हुई मेरे नज़दीक आई और अपनी कमर हिलाते हुए नाचने लगी फिर मेरे हाथ छाती और चेहरा चूमे । फिर रम्भा आई जो उत्तेजक वस्त्र पहने थी और फूलो के आभूषण पहने थी रम्भा हाथो में मदिरा पात्र लेकर आई थी जिसमे विशेष पेय था जिसे टम्भा ने मेरे लिए तयार किया ये पेय कामवासना बढ़ता था इस पेय में मदिरा और सभी गणिकाओं के द्वारा चूत का हस्तमैथुन कर योनि कामरस मिलाया गया था। रम्भा ने मुझे को अपनी बाहों में लिया और उन्हें हाथो से पेय पिलाने लगी घूट-घूट पीते हुए इस बीच मैंने कुछ पेय उर्वशी को भी पिला दिया । मैंने ये विशेष पेय ख़त्म किया।

उसके बाद गणिका उर्वशी मेरे पास आ गयी, फ़्रांस की अति सुंदर ग़ौर वर्णी सुनहरे केश वाली नर्तकी "उर्वशी" , अति कामुक-कामुक नृत्यांगना जो पाश्चात्य नृत्यों में पारंगत और अपने चुंबन के द्वारा पुरुष को परमानद प्रदान करने में पूर्णतया सक्षम थी। हम दोनों ने हाथ मिलाया और फिर उर्वशी मेरे गले लग गयी ।

मैंने कहा की फिर आप सबसे बाद में क्यों आयी और क्या मैं तुम्हे पसंद नहीं हूँ ।

उर्वशी नाम वाली फ़्रांसिसी सुंदरी बोली कुमार ... जबसे तुम्हे रंगालय में देखा है तबसे मेरे तनबदन में आग लगी हुई है । फिर मैंने धीरे से उर्वशी के गालो को किस करते हुए बोलै आप-आप तो बहुत सुन्दर हो सेक्सी हो मैं तो आप को देख कर सोचता था काश मेरी भी आप जैसे कोई गर्ल फ्रेंड हो

तो उर्वशी बोली मैं तुम्हे कैसी लगती हूँ तो मैं बोलै मुझे तुम बिलकुल फ़िल्मी हीरोइन लगती हो ... थोड़ा-सा उर्वशी के बारे में बता दूँ उसका रंग गोरा है रूप अनूप है । लम्बी पतली मोटे गोल बूब्स और गोल गांड तथा पतली कमर बिकुल बाबूगोशे जैसी काया और लम्बी सुराही दार गर्दन । सुन्दर बड़ी-बड़ी काली आँखे और पतली सुन्दर नाक रास दार ओंठ और सब मिला जुला कर साक्षात काम देवी लगती हैं । वह मुस्कराती है तो गालो पर डिंपल पड़ते है और सबसे बड़ी क़यामत है उसके दाए होंठ पर एक कला तिल है जिसमे आदमी देखते-देखते खो जाता है । उस दिन उसने सुनहरी साडी और उससे मिलता पारदर्शी गोल्डन ब्लाउज पहना हुआ था और अपने गांड तक अपने सुनहरे लम्बे बाल खुले छोड़ रखे थे ... गज़ब की सेक्सी लग रही थी । अब उसे देखते हुए मेरा लैंड अकड़ने लगा था । और उर्वशी भी मुझे देखते हुए अपना निचे का होठ दायी और से दांत से दबा रही थी ।

उसके बाद उर्वशी ने मेरी छाती पर अपने स्तन दबा दिए और मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दिया और वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगी मैं चुपचाप अपना जीभ चुसवा रहा था तो बोली" बिलकुल अनाड़ी हो तुम तो ठीक से किस करनी भी नहीं आती चूसो मेरे होंठ" और मैं उसके निचले ओंठ को चूसने लगा थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा ।

फिर वह बोली "अपना मुँह थोड़ा खोलो और किस का मज़ा लो", मैंने अपना मुंह थोड़ा-सा खोला और उर्वशी की जीभ मेरे मुंह में चली गयी।

आगे बेहद उत्तेजक और अत्यंत सुखद अनुभव हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। उर्वशी बोली मेरी जीब को चूसो तो मैं उर्वशी की जीभ चूसने लगा फिर उर्वशी बोली मेरी जीभ से अभी झीब दो और खेलो उर्वशी की जीभ मेरी झीब से खेलने लगी और मैं उर्वशी की झीभ से खेलने लगा जो उर्वशी करती थी मैं भी वही कर उसका जवाब देता था वहजीभ फिराती मैं जीभ फिराता वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसता।

यह सब करते-करते उर्वशी मुझे धीरे-धीरे सरक सरक कर दिवार के पास ले गयी और मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके दूध मेरी छाती में दब गए थे और मुझे दिवार से सटा दिया उर्वशी के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। उर्वशी मुझे बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक वह मेरे लबों को चूमती चुस्ती रही फिर रुक कर सांस लेनी लगी और अपने होंठो को जीब पर फिरते हुए बोली सच मज़ा आ गया जल्दी सीख गए तुम किस करना उर्वशी बोली कैसी लगी किस?

मैंने कहा बहुत मज़ा आया ।

उर्वशी की सारी लिपस्टिक मेरे और उसके मुँह पर फ़ैल गयी थी ... मेरे मुँह और अपने मुँह को उसने एक रुमाल जो वही स्टूल पर रखा था उससे पूंछा और उर्वशी के होंठ फिर मेरे होंठो से जुड़ गए और हम दुबारा किस करने में लग गए हमारे नाक आपस में टकरा रहे थे और कभी सीधे और कभी दाए कभी बायीं और मुँह गुमा-गुमा कर किस कर रही थी उर्वशी की गर्म-गर्म मादक साँस मेरे मुंह पर लगने लगी।मुझे उसके होंठ बहुत नरम थे । उसे मैंने भी कस कर किश किया और जैसे वह किस करती थी वैंसे ही जवाब दिया मेरे हाथ उसकी पीठ पर पहुँच गए ।

उसने ब्रा नहीं पहनी थी और ब्लाउज ऊपर नीचे दो डोरियों से बंधा हुआ था । हम एक दुसरे के ओंठ चूसने लगे और हमारे मुँह खुल गए और मुँह का रस एकदूसरे के मुँह में रस घुलने लगा । उसकी गरम साँसे और ख़ुशबू मुझे मदहोश करने लगी । सच में उर्वशी बहुत सेक्सी थी । तभी उर्वशी ने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी लंड कड़ा हो चूका था । उसने मेरा पूरा लंड हाथ से सहलाया और हाथ फेरने लगी और बोली सच में बहुत बड़ा लंड है कुमार, 7-8 इंच का तो होगा बहुत मज़ा आएगा मेरी गुलाबो को तुमसे चुदने में । आह मैं कामाग्नि में जल रही हूँ ।

उर्वशी बोली कुमार मैं तुम्हे सब सीखा दूँगी तुम्हारा लंड देख कर मुझसे रुका नहीं जा रहा पहले अपनी प्यास बुझा लू अब फटाफैट एक राउंड हो जाए पहले।

मैंने अपने आस पास देखा सभी गणिकाएँ भी गरम हो रही थी और रम्भा कमरे में पड़े सोफे पर बैठ अपना निचला होंठ दायी और से दांतो से काट रही थी और कामिया अपने घागरे में एक हाथ डाल कर चूत को सहला रही थी और विद्युत्प्रभा एक हाथ से अपनी चूत सहला रही थी और दुसरे से अपने मोमे दबा रही थी । सुगनधा और मधुर्स्वारा एक दूसरी को चुम रही थी और मेनका तिलोत्मा एक दूसरी की चूत सहला रही थी मनोहरा और कुम्भयोनि एक दूसरी की चूत चाट रही थी ।

मैंने बिलकुल नंगा था । तबतक उर्वशी नीचे बैठ कर मेरे लंड के सुपडे पर अपनी जीब फेरने लगी । तो मैंने भी डोरिया खींच कर उसकी चोली उतार दी । और एक हाथ से उसके दूध दबाने लगा उसके दूध बिलकुल गोल सुडोल और बिलकुल ढलके हुए नहीं थे ऐसा लगता था दो कटोरे छाती पर चिपके हुए हो और दूसरा हाथ उसकी कमर पर फिराने लगा ... वाह क्या चिकनी कमर थी ।

फिर उर्वशी मेरा पूरा लंड चूसने लगी और चूसने से लैंड बिलकुल कड़ा हो गया अब मेनका आकर मेरे ओंठ चूसने लगी और उर्वशी मेरी छाती पर चूमने लगी । उर्वशी और उतावली हो गयी और अपनी साडी उतार डाली और पेटीकोट और पैंटी भी उतार कर बिलकुल नंगी हो गयी और मुझे जहाँ तहँ चूमने लगी । मैंने भी रम्भा के चुचकों को चूसा और कुम्भयोनि की चूत पर हाथ फेरा तो वह एक दम चिकनी थी कोई बाल का नामोनिशान नहीं ।बोली आज ही साफ़ करि है तुम्हारे लिए चूत पूरी गीली थी । उधर मनोहरा एक हाथ से उर्वशी के चूचक सहलाने लगी और दूसरे हाथ से विद्युत प्रभा की चूत मसलने लगी और विधुत प्रभा मनोहरा को चूमने लगी । मैंने अपनी ऊँगली पर लगा कुम्भयोनि का चुतरस चाट लिया । वाह क्या स्वाद था । मुझे उसका चुतरस अच्छा लगातो मैंने दुबारा ऊँगली उर्वशी की चूत में लगाई तो थोड़ी से अंदर घुसा कर घुमा दी उर्वशी उचक गयी बोलीवाह! जी यह अदा और मेरा हाथ पकड़ कर मेरी उंगलिया चाट गयी ।

फिर उर्वशी मुझे बेड पर लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गयी और मुझे चूमने लगी और मेरा लंड सहलाने लगी, इस प्रहार से मेरा लंड पिचकारियाँ मारता हुआ झड़ गया और मैंने देखा सभी गणिकाएँ और उर्वशी भी हाफति हुई झड़ रही थी।

जारी रहेगी

 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-18

सूखाने की प्रक्रिया और बंधी हुई डोरी

जैसे ही उन्होंने फुसफुसाते हुए ये शब्द कहे, मुझे उनके दाहिने हाथ की उंगलियाँ मेरे कंधे से अंदर की ओर जाती हुई महसूस हुई। इससे पहले कि मैं कोई एहतियात बरत पाती, मैंने पाया कि उनकी उंगलियाँ मेरे ब्लाउज़ के कपड़े से नीचे सरकते हुए मेरे नंगे ऊपरी स्तन क्षेत्र में घुस गई हैं। मैंने तुरंत अपने ऊपरी शरीर को थोड़ा समायोजित किया और अपने स्तनों को उनके पैरों पर दबाना बंद कर दिया, लेकिन यह सुनिश्चित किया कि मैं अपने होंठ उनके लंड से न हटाऊँ, अन्यथा मामा-जी को बुरा लग सकता था। लेकिन दुर्भाग्य से मामा-जी की आगे बढ़ती उँगलियों के लिए यह क्रिया अप्रभावी साबित हुई। वे अब वस्तुतः मेरे स्तनों के उभार और मेरे ब्लाउज़ के सामने रेंग रहे थे!

मैं: उम्मम्मम्मम्मम्मम्मम….. ह्ह्ह्हूफ़्फ़ !

स्वाभाविक रूप से मुझे पुरुष के साथ इस कामुक कृत्य में भाग लेने से गर्मी और उत्तेजना महसूस हो रही थी। अब तक मैं ही उस बूढ़े को छेड़ रही थी, लेकिन अब वह भी उत्तेजित हो मेरी छेड़छाड़ का जवाब दे रहा था। हालाँकि इससे मैं खुद भी बहुत खुश और उत्तेजित थी, लेकिन हमारा “संबंध” मेरे दिमाग में एक दीवार की तरह खड़ा था। आखिरकार वह मेरे पति के “मामा-जी” थे मेरे ससुर सामान रिश्ते - जो कुछ भी मैं उनके साथ कर रही थी, मेरे लिए वह एक बीमार व्यक्ति की सेवा थी। हाँ, मैं इससे कामुक आनंद प्राप्त कर रही थी और मुझे लगता है मामा-जी भी ऐसा ही कर रहे होंगे, मुझे पक्का नहीं पता, लेकिन उनकी समस्या ऐसी थी, की इस परिस्तिथि में यह बिल्कुल अपरिहार्य था क्योंकि उनकी तकलीफ उनके जननांगों से संबंधित थी । लेकिन मुझे मालुम था की अब अगर मैंने इन चीजों को बंद नहीं किया तो मैं वर्जित क्षेत्र में प्रवेश कर सकती हूँ! मामा-जी पहले से ही मेरे ब्लाउज के सामने के यू-कट को छू रहे थे और मेरे गर्म स्तनों के उभार को छू रहे थे और अगर मैं उन्हें अपने स्तनों को पकड़ने की अनुमति देती, तो यह निश्चित रूप से मेरे लिए इस जगह से वापस न आने वाली स्थिति बन जाती, खासकर जब उनका मोटा नंगा लिंग मेरी आँखों के सामने अपना सिर लटकाए था ।

मैं: सस्स ... हम्म....!

तो एक गहरी लंबी चुसाई के साथ मैंने मामा-जी के सारे प्रिकम को चूसने और निचोड़ने की कोशिश की!

मामा-जी: उउउउउउउउइ ...बहु उह्ह्ह !

मैंने हांफते हुए अपने होंठ उनके लिंग के सिर से हटा कर तुरंत बिस्तर की चादर को थोड़ा ऊपर खींचकर उसे लंड से रगड़कर सुखाया। इस बार यह वाकई सूखा लग रहा था! मेरे होंठ मामा-जी के चिपचिपे रस से चमक रहे थे और मैं जो भी सांस लेती या छोड़ती, उसमें उनके लिंग की तीखी गंध घुल रही थी ।

मैं: मामा-जी… यह… अब यह सूखा लग रहा है!

मामा-जी (अभी भी हांफते हुए): ओह… सच में! वाह! हम्म…..मामा जी की आँखें बंद थीं और हांफने के कारण उनकी छाती उनकी टाइट बनियान के नीचे तेज़ी से नीचे जा रही थी। स्वाभाविक रूप से उनके लंड की हालत दयनीय थी और ऐसा लग रहा था कि इतने लंबे समय तक खड़े रहने के बाद वह कभी भी फट जाएगा, वह भी बंधे हुए हालत में! मेरे लंड चूसने से, हालांकि सही मायने में मैंने कभी उनका लंड पूरा नहीं चूसा , क्योंकि मैंने कभी भी उनका पूरा लंड अपने मुँह में नहीं लिया था, लेकिन फिर भी चुसाई ने निस्संदेह उन्हें काफी उत्साहित और बेचैन कर दिया था। हम दोनों ने खुद को फिर से संभालने के लिए कुछ समय लिया और जब मेरी हृदय गति में कुछ कमी आई, तो मैंने मामा जी की तरफ देखा।

मामा जी ने उस समय अपने हाथ अपने लंड पर रखे हुए थे और उसे सहला रहे थे। मैं इस बात को लेकर असमंजस में थी कि आखिर वह अपने लंड को रस्सी से बांधे हुए इस तरह की खुशी और आनंद कैसे महसूस कर रहे थे ! जिस तरह से मेरे बुजुर्ग मां ससुर अपने मोटे लंड को अपनी उंगलियों से सहला रहे थे, उसे देखकर मैं अपनी मुस्कान रोक नहीं पाई। मैंने देखा कि उनकी आंखें बंद थीं और वह सामान्य तरीके से सांस लेने की कोशिश कर रहे थे।

मैं: मामा जी अब आपको कैसा लग रहा है? शायद थोड़ा बेहतर!

मामा जी: हां बहूरानी... आपके होंठ... आपके होंठों में कोई जादू है या क्या? बहुत राहत! आह्ह्ह...!

मैं जाहिर तौर पर इस तरह की बात से शर्मिंदा थी और शर्म से नीचे देखने लगी।

मामा जी: आह्ह... आपके होंठ इतने भरे हुए और गर्म हैं बहूरानी... कितना अच्छा लगा... और... और जिस तरह से आपने चूसा... आआआआआआआआह... ये था बस दिमाग उड़ा देने वाला!

मेरा सिर स्वाभाविक रूप से स्त्रीवत शर्म में अभी भी झुका हुआ था और जब मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा, तो मैंने देखा कि मामा-जी मेरे अर्धनग्न नितंबों को घूर रहे थे! मैं तुरंत सतर्क हो गई और जब मैंने अपनी कमर के चारों ओर देखा, तो मैं वास्तव में यह देखकर चौंक गई कि मेरी ढीली पेटीकोट मेरी कमर से बुरी तरह से नीचे खिसक गई थी और शालीनता की सभी सीमाओं को पार कर गई थी! यह वास्तव में मेरे नितंबों से आधी नीचे थी और मेरी छोटी सी पैंटी इस 60 वर्षीय पुरुष के सामने शर्मनाक तरीके से उजागर हो रही थी!

मामा-जी: ओह! बहूरानी! मैं लगभग भूल ही गया था ! तुम एक बार डोरी की जाँच कर लो... यह ढीली लग रही है... इसे ऐसे बिल्कुल नहीं रहना चाहिए... डोरी को कसकर बाँधा जाना चाहिए... अन्यथा... अन्यथा मेरी नाक से खून बहने लगेगा।

हालाँकि मैंने मामा-जी को यह कहते हुए सुना कि उनके लंड पर बंधी डोरी की जाँच करो, लेकिन मैं स्वाभाविक रूप से अपनी उजागर पैंटी और नितंबों के बारे में थोड़ा अधिक चिंतित थी और मैंने तुरंत अपने पेटीकोट को अपनी कमर तक खींच लिया और अपने बड़े नितंबों को ढक लिया।

मामा-जी: अरे! अरे! बहूरानी! तुम क्या कर रही हो? (उसकी आवाज़ काफ़ी सख्त और आज्ञादेने वाली थी) मैं फिर से नाक से खून बहने के डर से मर रहा हूँ और तुम अपने... लानत है! मुझे खुद जाँचने दो!

मुझे बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था कि मामा-जी मेरे इस व्यवहार से इतनी जल्दी नाराज़ हो सकते हैं और जाहिर तौर पर एक पल के लिए हैरान रह गयी । मामा-जी को अपने लिंग पर लगे धागे को जाँचने के लिए उठने की कोशिश करते देख, मुझे होश आया।

मामा-जी: आह्ह... आह्ह्ह्ह... उह्ह्ह्ह...!

जब वह अपनी लेटी हुई मुद्रा से उठने की कोशिश कर रहे थे तो वह स्पष्ट रूप से दर्द में थे । उनका चेहरा फिर से दर्द से ग्रस्त दिखाई दे रहा था और मैंने तुरंत उन्हें रोकने की कोशिश की।

मैं: मामा-जी... मामा-जी, कृपया लेट जाएँ... आप ऐसा करने की कोशिश मत करो... लेट जाएँ!

मामा जी में स्वाभाविक रूप से उनके तीव्र हर्निया दर्द के कारण बैठने की शक्ति नहीं थी और मैं आसानी से उन्हें पकड़ कर उनके सिर को फिर से बिस्तर पर रख पाई और उन्हें लिटा दिया ।

मैं: यह बेहतर है!

मुझे एहसास हुआ कि मामा जी इस बात से नाराज़ थे कि मैंने डोरी पर ध्यान नहीं दिया और अपने शरीर को ढकने के लिए ज़्यादा उत्सुक थी । मैं समझ सकती थी कि उनकी बीमार हालत के कारण, वे बेचैन हो गए होंगे और जब माइन उन पर से ध्यान हटाया तब मेरे इस कृत्य से चिढ़ गए होंगे। जब मैंने मामा जी की ओर देखा तो मैं उनके चेहरे पर असंतोष देख सकती थी। मैंने अपनी पलकें नीचे कर लीं और अपने विचलन के लिए अपने मन में खुद को कोस रही थी। मैंने अपने मन को समझाने की कोशिश की कि कुछ सेकंड पहले ही मामा जी ने मेरी पूरी पैंटी और मेरा पेटीकोट मेरी गांड से नीचे सरकते हुए देखा था और इस मोड़ पर भी रस्सी के बिना इसे अपनी जगह पर रखना मेरे लिए बिल्कुल असंभव था क्योंकि मैंने इसे ऊपर खींच लिया था!

मैं: सॉरी मामा जी! मैं... मुझे आपके बारे में ज़्यादा सावधान रहना चाहिए था...!

मैं उनके नंगे लिंग पर बंधी डोरी को देख रही थी और मैंने देखा कि अब उनके के लिंग में कुछ ढीलापन आ गया है (आखिरकार!), लेकिन लिंग का सिरा फिर से रस से गीला हो गया था।

मामा-जी: हुह! तुम मेरी हालत से अनजान लग रही हो... क्या तुम नहीं देखती कि मैं कितना तड़प रहा हूँ... तुम्हारे चूसने से ही मुझे थोड़ी राहत मिली है... लेकिन तुम मेरी इस हालत में मुझे छोड़ अभी भी अपनी ड्रेस पर कैसे ध्यान दे रही हो! हुह!

मैं: मामा-जी... मामा-जी... कृपया शांत हो जाओ... मुझे सिर्फ़ तुम्हारी चिंता है! कृपया मेरा विश्वास करो! और... और... अगर मैं अपनी ड्रेस पर ध्यान दे रही होती, तो क्या मैं तुम्हारे सामने ऐसे ही रहती... बिना साड़ी के? तो... यह... मेरा मतलब है...!

मामा-जी: लेकिन तुमने अभी ऐसा किया! मैंने देखा... बहूरानी, मुझे इस अवस्था में मुझ पर थोड़ा ज़्यादा ध्यान देने की उम्मीद थी... अगर मैं इसकी माँग कर रहा हूँ तो क्या मैं गलत हूँ ?

मैं: बिलकुल नहीं मामा-जी! और… और प्लीज ऐसा मत कहो मामा जी… प्लीज… मेरे मन में आपके लिए बहुत-बहुत सम्मान है… मैं… मुझे सच में बहुत खेद है मामा जी… मुझे इस हालत में सिर्फ़ आप पर ही पूरा ध्यान देना चाहिए था। मुझे मेरी गलती के लिए माफ़ कर दीजिये !

मामा जी: हुह! आपको एहसास हो गया…काफी है माफ़ी मांगे की कोई जरूरत नहीं है . खैर, कोई बात नहीं बहूरानी…!

जब मैंने बूढ़े मां ससुर से माफ़ी मांगी, तो मैं साथ-साथ मामा जी के आधे खड़े लंड पर डोरी को कस कर बांध रही थी। जैसे ही मैंने उनके नंगे लंड को फिर से छुआ और महसूस किया, मैं अच्छी तरह से समझ गई कि मामा जी का लंड तेज़ी से मज़बूत और कठोर होता जा रहा था। लंड में आया क्षणिक ढीलापन गायब हो गया था और कुछ ही समय में उनका लिंग अपनी मूल मज़बूत स्तिथि में था और पूरी तरह से सीधा खड़ा हो गया था! मुझे कहना चाहिए कि मुझे यह बहुत अच्छा लगा, बिलकुल वैसा कामुक जैसा कि कोई भी शादीशुदा महिला महसूस करती है जब कड़ा लिंग देखती है और मैंने जल्दी से उनके लंड को अपनी पेटीकोट की डोरी से फिर से कस कर बांध दिया।

मामा जी: आह्ह… थोड़ा ढीला…. उह्ह्ह… यह बेहतर है…. आह्ह्ह्ह…. ठीक है, ठीक है!

मैं: हो गया मामा जी!

मामा जी: छोर ढीला मत छोड़ना बेटी… मेरी गेंदों पर भी पट्टा बांधना सुनिश्चित करो!

मैं: क्या?

मामा जी: हैरान मत हो बहूरानी… हर्निया दरअसल पुरुष अंडकोष को प्रभावित करता है… इसलिए तुम्हें मेरी गेंदों को भी बांधना चाहिए, लेकिन बस इतना ध्यान रखना कि मुझे चोट न लगे। यह क्षेत्र बहुत, बहुत दर्दनाक और कोमल है… आह्ह ...!

अभी जो हुआ उसके बाद अब मैं बिलकुल बहस नहीं करना चाहती थी और मैंने बस उनकी आज्ञा का पालन किया। मैंने मामा जी के लटके हुए अंडकोष को अपनी बाईं हथेली में लिया और उस पर रस्सी का बचा हुआ हिस्सा बांधना शुरू कर दिया। यह वाकई एक शानदार कामुक कृत्य था और यह एहसास इतना अजीब था कि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे शरीर में कामुकता की लहर दौड़ रही हो!

जारी रहेगी
 

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-19

दर्द भरी ऐंठन का एक और दौर

जब मैंने बजुर्ग मामा ससुर से माफ़ी मांगी, तो मैं साथ-साथ मामा जी के आधे खड़े लंड पर डोरी को कस कर बाँध रही थी। जैसे ही मैंने उनके नंगे लंड को फिर से छुआ और महसूस किया, मैं अच्छी तरह से समझ गई कि मामा जी का लंड तेज़ी से मज़बूत और कठोर होता जा रहा था। लंड में आया क्षणिक ढीलापन गायब हो गया था और कुछ ही समय में उनका लिंग अपनी मूल मज़बूत स्थिति में था और पूरी तरह से सीधा खड़ा हो गया था! मुझे कहना चाहिए कि मुझे यह बहुत अच्छा लगा, बिलकुल वैसा कामुक जैसा कि कोई भी शादीशुदा महिला महसूस करती है जब कड़ा लिंग देखती है और मैंने जल्दी से उनके लंड को अपनी पेटीकोट की डोरी से फिर से कस कर बाँध दिया।

मामा जी: आह्ह... थोड़ा ढीला। उह्ह्ह... यह बेहतर है। आह्ह्ह्ह। ठीक है, ठीक है!

मैं: हो गया मामा जी!

मामा जी: छोर ढीला मत छोड़ना बेटी... मेरी गेंदों पर भी पट्टा बाँधना सुनिश्चित करो!

मैं: क्या?

मामा जी: हैरान मत हो बहूरानी... हर्निया दरअसल पुरुष अंडकोष को प्रभावित करता है... इसलिए तुम्हें मेरी गेंदों को भी बाँधना चाहिए, लेकिन बस इतना ध्यान रखना कि मुझे चोट न लगे। यह क्षेत्र बहुत, बहुत दर्दनाक और कोमल है... आह्ह ...!

अभी जो हुआ उसके बाद अब मैं बिलकुल बहस नहीं करना चाहती थी और मैंने बस उनकी आज्ञा का पालन किया। मैंने मामा जी के लटके हुए अंडकोष को अपनी बाईं हथेली में लिया और उस पर रस्सी का बचा हुआ हिस्सा बाँधना शुरू कर दिया। यह वाकई एक शानदार कामुक कृत्य था और यह एहसास इतना अजीब था कि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे शरीर में कामुकता की लहर दौड़ रही हो!

मामा जी: आहूऊऊच्च्चहहहहह!

" ओह! सॉरी मामा-जी... मुझे इसे थोड़ा ढीला करने दो...!

मैं उनकी यह आनंदभरी कराह सुनकर लगभग मुस्कुरा पड़ी, लेकिन किसी तरह अपने होंठों के बीच अपनी मुस्कान छुपाने में कामयाब रही। जब मैंने मामा-जी के अंडकोषों को छुआ और महसूस किया, तो मैं आसानी से समझ गई कि वे काफ़ी बड़े थे (कम से कम मेरे पति के अंडकोषों की तुलना में) और वे उनके लिंग के काफ़ी नीचे तक उतरे हुए थे! जाहिर तौर पर मामा-जी की बढ़ती उम्र के कारण, उनके चारों ओर के बाल भूरे रंग के थे, लेकिन उनके दो अंडकोषों का नरम और ढीला स्पर्श अद्भुत था! उनके अंडकोषों को बाँधना आसान लग रहा था, लेकिन वास्तव में यह एक मुश्किल काम था, लेकिन मैं इसे बिना किसी परेशानी के पूरा करने में कामयाब रही!

मामा जी: आह! अब मैं थोड़ा और आसानी से साँस ले सकता हूँ बेटी, क्योंकि डॉक्टर के नुस्खे का कमोबेश पूरा पालन हो रहा है, हालाँकि एक आखिरी हिस्सा अभी भी बाक़ी है।

मैं: बाकी? क्या मामा जी?

मैं जाहिर तौर पर काफ़ी आशंकित थी और साथ ही साथ इस बात को लेकर भी सचेत थी कि मामा जी को किसी भी तरह से यह महसूस न हो कि मैं उन पर ध्यान नहीं दे रही हूँ। इसी वज़ह से जब मैंने देखा कि मेरी पैंटी का साइड-कट और मेरा नंगा बट मेरी ढीली पेटीकोट के बाहर दिख रहा था, तो मैंने उसे ढकने की कोशिश नहीं की!

मामा जी: डॉक्टर ने कहा है कि रक्त प्रवाह को नियंत्रित करना होगा...आह... और इसके लिए यह स्ट्रैपिंग और इसके अलावा अब आपको मेरी थोड़ी और मदद करनी होगी बेटी... !

मैं : मामा जी, मेरा सौभाग्य की मैं आपकी सेवा कर पाउंगी ... मैं बस यही चाहती हूँ कि आप जल्दी ठीक हो जाएँ। (मेरे दिमाग़ में चेतना के कारण, मैंने लगभग तुरंत जवाब दिया)

मामा जी: धन्यवाद बेटी... हाँ, अगर हम सही समय पर सभी सावधानियाँ बरत सकें तो मुझे उम्मीद है कि दर्द अपने आप कम हो जाएगा जैसा कि पहले भी हुआ था।

मामा जी रुक गए और मेरी आँखों में देखने लगे। मैं बस एक मूर्ख की तरह मुस्कुराई! मुझे इस तरह अपनी पैंटी को आंशिक रूप से इस आदमी के सामने उजागर करके बैठने में बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। चूँकि मामा जी ने मेरे पिछले कृत्य पर सख्त प्रतिक्रिया की थी, इसलिए इस बारी मैं अपनी ढीली पेटीकोट को ऊपर खींचने की हिम्मत नहीं जुटा पाई!

मामा-जी आआह्ह्ह-बेटी तुमने मुझे इतना कस कर बाँधा है... उफ्फ्फफ्फ्फ़...!

मैं: क्या मैं इसे ढीला कर दूँ?

मामा जी: नहीं, नहीं। डॉक्टर ने मेरे लंड और अंडकोष पर कस कर बाँधने को कहा था और तुमने वैसा ही किया है बेटी! बढ़िया काम!

मामा जी के लंड शब्द का इस्तेमाल करते ही मैंने शर्म से अपनी पलकें झुका लीं और शर्म से मुस्कुरा दी।

मामा जी: अब बहूरानी मैं तुम्हें थोड़ी और तकलीफ दूँगा, लेकिन यह करना आसान है।

मैं: आपकी सेवा और तकलीफ? बिलकुल नहीं मामा जी... !

मामा जी: तुम्हें मेरे टांगो पर खड़े होने की ज़रूरत है... बस खड़ी हो जा और ऐसे ही मेरे टांगो पर खड़ी रहो और कुछ मत करो... इससे मेरे पैरों में रक्तचाप कुछ हद तक नियंत्रित हो जाएगा, ... मुझे नहीं पता कि तुमने राजेश (मेरे पति) को कभी इस तरह की टांगो की मालिश की है या नहीं।

मैं: हाँ, हाँ... मैंने उसे एक या दो बार दिया है!

मामा जी: ओह! तो कोई दिक्क्त नहीं होनी चाहिए... उउउउउउउउउउउउउउउ! मुझे तो अभी से अपनी टांगो में दर्द हो रहा है! हे भगवान! आआआआआआआआआआआआआआआआआआआह! यह बहुत तीव्र है... उउउउउउउउउउउउउ!

मामा जी का पूरा शरीर दर्द से मुड़ गया और टेढ़ा हो गया। उनके चेहरे पर बहुत दर्द दिख रहा था जिससे वे अचानक पीड़ित हो गए थे। जाहिर है मैं थोड़ा चौंक गई और मुझे और भी घबराहट होने लगी!

मामा जी: जल्दी करो बहूरानी... समय नहीं है! जल्दी करो!

वे लगभग चिल्ला पड़े और मैं इतनी घबरा गई कि मैं जल्दी से अपनी बैठी हुई स्थिति से खड़ी हो गई और पूरी तरह से भूल गई कि मेरी पेटीकोट मेरी कमर पर बंधी नहीं हुई थी!

मैं: ईईईईई! ऊऊउउच!

नतीजा बिल्कुल वैसा ही था जैसी कि मुझे उम्मीद थी! यह इतना शर्मनाक था कि मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया और मेरे पूरे शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए! जैसे ही मैं बिस्तर पर खड़ी हुई, एक ख़ामोश "वूऊूयश्च" सरसरा कर कपड़ा नीचे गिरने की धीमी सरसराहट और मेरा पेटीकोट मेरी कमर से नीचे खिसक कर मेरे पैरों तक आ गया, जिससे मुझे अपनी गरिमा बचाने का कोई मौका नहीं मिला। मामा-जी की आंखों के सामने मेरा निचला हिस्सा पूरी तरह से उजागर हो गया। बिलकुल नग्न टाँगे और झांघे और मेरी पेंटी । भगवान का शुक्र है कि मैंने अंदर अपनी पैंटी पहनी हुई थी, अन्यथा मुझे ख़ुद को ढकने के लिए कमरे से भागना पड़ता। ...

मेरी हालत अवर्णनीय थी और इस 60 वर्षीय बजुर्ग ससुर समान रिश्तेदार के सामने इस तरह खड़ी होना बहुत दयनीय और शर्मनाक था और वह भी बिस्तर पर! यह बहुत ज़्यादा अजीब था! लेकिन मामा-जी की गंभीर बीमार हालत और पिछली बार जिस तरह से उन्होंने मेरे अपनी पेटिकपट पर ध्यान देने पर जैसी सख्त प्रतिक्रिया की थी, उसे देखते हुए मुझे इस अपमान को पचाना पड़ा।

जब मैंने उनके चेहरे की ओर देखा, तो मैंने पाया कि वे बस मेरी सुडौल नंगी टाँगों को देख रहे थे, जो बिना बालों वाली थीं और दिन के उजाले में चमकदार मक्खन के रंग की दिखाई दे रही थीं। मेरी चिकनी जाँघें वाकई बहुत घनी थीं, बहुत विकसित थीं और खुली हालत में बेहद सेक्सी लग रही थीं। स्वाभाविक रूप से मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी क्योंकि मैं मामा-जी के सामने थी और मेरी पैंटी का केवल त्रिकोणीय कपड़ा मेरी बालों वाली चूत को ढँक रहा था! मैंने नीचे देखने की हिम्मत नहीं की क्योंकि मुझे डर था कि मेरी झाड़ियाँ इतनी घनी थीं कि मेरी चूत के एक या दो बाल मेरी पैंटी से बाहर झाँक रहे होंगे!

मामा-जी: उह्ह ... आह मेरी टाँगे ... बहूरानी, एक सेकंड की बरबादी मुझे मार डालेगी... उह्ह ।

बुजुर्ग मामा ससुर जी को इतनी तकलीफ़ हो रही थी, तो ऐसे में समय बरबाद करने का सवाल ही नहीं था। उनका लिंग और अंडकोष अभी भी रस्सी से कसकर बंधे हुए थे, जो मैंने ही किया था! मैंने जल्दी से उसके दाहिनी टांग पर क़दम रखा और संतुलन बनाते हुए अपना दूसरा पैर भी उसकी टांग पर रख दिया। इस तरह मैं अब मामा-जी की टांगो पर खड़ी थी और लगभग टू-पीस में थी! स्वाभाविक रूप से मेरा ब्लाउज़ और पैंटी मेरे सुडौल शरीर पर बहुत ही अपर्याप्त और कम लग रहे थे। मेरे लिए हालात और भी बदतर थे क्योंकि मामा-जी बिस्तर पर लेटे हुए थे और मुझे बहुत ही अभद्र कोण से देख रहे थे और मैं ऐसे परिस्तिथि में थी की इससे बचने का कोई रास्ता भी नहीं निकाल सकती थी।

मामा-जी मेरी तरफ़ इतनी सीधी नज़र से देख रहे थे कि मुझे शर्मिंदगी में अपनी आँखें बंद करनी पड़ीं और मैं महसूस कर सकती थी कि मामा-जी की आँखें मेरी रेशमी नंगी जाँघों को चाट रही थीं और मेरी पैंटी के अंदर घुसने की कोशिश कर रही थीं! मुझे नहीं पता था कि मैं मामा-जी के लिए कितना रक्तचाप नियंत्रित कर रही थी, लेकिन जिस तरह से मैं सिर्फ़ ब्लाउज़ और पैंटी पहने हुए बिस्तर पर उनके पैरों पर खड़ी थी, वह निश्चित रूप से एक शानदार पोज़ था! और इससे नियंत्रित होने के स्थान पर उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा ही होगा!

मामा-जी: आह! ओह! उईई! आह! उह! आआआह्हीई!

अचानक मामा-जी की ओर से बहुत तेज़ और दर्दनाक चीखें निकलीं और मैं अब अपनी आँखें बंद नहीं रख सकती थी। मैंने देखा कि मामा-जी बिस्तर पर बहुत तड़प रहे थे और दर्द से संघर्ष कर रहे थे, उनका पूरा शरीर फिर से ऐंठ रहा था, उनका धड़ अंदर की ओर झुक रहा था और वे अपने हाथों को बिस्तर के कवर पर हिला रहे थे। मैं एक पल के लिए उलझन में पड़ गई, लेकिन जल्दी ही समझ गई कि मामा-जी को एक बार फिर ऐंठन का दौरा पड़ रहा होगा।

मामा-जी-आआहहहहाऊऊह्ह्ह्ह!

उसका चेहरा दर्द से टेढ़ा हो रहा था और वह अपना सिर बिस्तर पर तेजी से इधर उधर फेंक रहे थे। स्वाभाविक रूप से मैं बहुत चिंतित थी और जल्दी से मामा-जी की देखभाल करने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही मैं उनके पैरों से उतरी, मामा-जी ने अपने पैरों को हवा में फेंकना शुरू कर दिया और मुझे ख़ुद को उनकी लात लगने से बचाना पड़ा! मैं जल्दी से उसके सिर की ओर गयी और वह स्पष्ट रूप से बहुत बेचैन अवस्था में थे। उसके हाथ हिलते हुए बिस्तर की चादर को खरोंच रहे थे और मैं सचमुच उलझन में थी कि वास्तव में मुझे क्या करना चाहिए।

मैं: मामा-जी! मामा-जी! कृपया शांत हो जाओ! कृपया... आपको दर्द कहाँ हो रहा है? कृपया कुछ बताओ!

लेकिन मामा-जी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई क्योंकि वह ऐंठन के दौर में थे और अपने सिर को इधर-उधर हिलाते हुए अपने हाथों से बिस्तर की चादर को खरोंच रहे थे। जब मैंने उसे करीब से देखा तो मुझे लगा कि जिस तरह से वह बिस्तर को खरोंच रहे थे उससे लगा की वह अपने हाथों में कुछ पकड़ना चाहते थे। मैं इतनी जल्दी में थी कि तकिया उठाकर उसकी बाईं हथेली के नीचे रख दिया। मैं निश्चित रूप से ग़लत नहीं थी, लेकिन मैं उस तरह से हैरान था जिस तरह से मामा-जी ने अपनी हथेली में तकिया दबाना शुरू किया। जिस तरह से उनकी उंगलियाँ तकिए के नरम रुई को पकड़ रही थीं, जिस तरह से उनकी हथेली तकिए पर दब रही थी और दबाने का उनका तरीक़ा बहुत ही अभद्र था! यह स्पष्ट रूप से ऐसा लग रहा था जैसे मामा-जी किसी महिला के स्तन दबा रहे हों!

जारी रहेगी

 

deeppreeti

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नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं।

यह नया वर्ष आपको ऐश्वर्य, धन समृद्धि, सौभाग्य प्रदान करे ऐसी कामना करता हूँ।
 

aamirhydkhan

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नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं।


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यह नया साल आपके जीवन में खुशिया, ऐश्वर्य, धन ,समृद्धि, सौभाग्य और आनंद दे, ऐसी कामना हैं ।

आमिर
 
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