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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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And sex with all 4 guru chela
 
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औलाद की चाह

302

CHAPTER 8-छठा दिन


मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-6


मामाजी का पुराना हर्निया का दर्द

मामा-जी अपनी झुकी हुई मुद्रा से थोड़ा ऊपर उठे, यह बहुत स्पष्ट था कि उन्हें बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि मैंने देखा कि उनके चेहरे पर बहुत तेज़ दर्द होने के भाव थे ।
मामा-जी: चिंता मत करो बेटी... आआआआह!

मैं... मामाजी बात मत करो... प्लीज़ बात मत करो! क्या तुम्हें पेट में दर्द हो रहा है?

इश्श्श्... अभी कुछ पल पहले मैं हंस रही थी और अब... मैं अच्छी तरह समझ सकती थी कि वह दर्द को सहने की पूरी कोशिश कर रहे थे ताकि मैं और ज़्यादा चिंतित न हो जाऊँ, लेकिन उनके चेहरे पर पीड़ा साफ़ झलक रही थी। जैसे ही मैं मामा-जी को कमरे के अंदर ले जाने के लिए उनके पास पहुँची, उन्होंने जल्दी से मेरा दाहिना हाथ पकड़ लिया और मैंने अपना बायाँ हाथ उनके चारों ओर लपेट लिया ताकि उन्हें चलते समय ज़रूरी सहारा मिल सके। जैसे ही मैंने ऐसा किया, मैं कुछ पल के लिए अकड़ गई क्योंकि जब मैंने अपना बायाँ हाथ मामा-जी के चारों ओर लपेटा, तो स्वाभाविक रूप से मेरा बायाँ स्तन उनके शरीर के किनारे पर बहुत ज़्यादा दब गया। हालाँकि मैं जानती थी कि मामा जी एक बुजुर्ग व्यक्ति हैं और यह समय वास्तव में उन पर ध्यान देने का नहीं था, बल्कि मुझे उनकी समस्या पर ध्यान देना चाहिए था, फिर भी मुझे एक कामुक अनुभूति हो रही थी!

मैं: यहाँ… मामाजी अब लेट जाओ… हाँ ऐसे … एह… अपनी टाँगें फैलाओ… ठीक है…

मामाजी को बिस्तर पर सीधा लिटाने के लिए मुझे बहुत झुकना पड़ा क्योंकि वो दर्द के कारण से झुके हुए थे और जब मामाजी ने मुझे धन्यवाद दिया तो मैंने देखा कि उनकी नज़रें कुछ देर के लिए मेरे ब्लाउज़ से ढके हुए मांस पर रुक गईं। चूँकि मैं नीचे झुकी हुई थी, इसलिए मेरे स्तनों का बहुत सारा मांस मेरे ब्लाउज़ के गले से बाहर निकल आया और मेरी मक्खन जैसी क्लीवेज उनकी आँखों के सामने थी । चूँकि मैंने कोई साड़ी नहीं पहनी थी, इसलिए खली ब्लॉउस में मेरे लिए अपनी आकर्षक रिसती जवानी को छिपाना बिल्कुल असंभव था।

मैं: मामाजी आपको दर्द कहाँ से हो रहा है? पेट में?

फिर मैं जल्दी से सीधी खड़ी हो गई, लेकिन मेरे स्तन काफी बड़े थे जो मेरे ब्लाउज़ से बहुत उभरे हुए दिखाई दे रहे थे और मैं समझ सकती थी कि इस समय मुझसे बात करने वाले किसी भी व्यक्ति की नज़र हमेशा उन पर ही होगी। मैं मामाजी को ऐसे ही छोड़कर अपनी साड़ी भी नहीं पहन सकती थी; इसलिए मुझे आधे कपड़े पहने हुए ही रहना पड़ा।

मामा-जी: यह… यह… आआआआआआआआआआह… यह मेरा है… उसका… उउउउउउ…

मामा-जी अब जो कर रहे थे, उससे मुझे तुरंत बहुत अजीब लगने लगा। शुरू में जब से उन्होंने अपने पेट को दोनों हाथों से पकड़ा था, मुझे लगा कि उन्हें पेट में दर्द हो रहा है, लेकिन अब बिस्तर पर लेटे मामा-जी दर्द से कराह रहे थे और उनका शरीर झुका हुआ था और मामा-जी वहां पकड़ रहे थे… हे भगवान… मामा-जी अपनी लुंगी के ऊपर दोनों हाथों से उनकी जांघों को पकड़ रहे थे! क्या उन्हें वहाँ दर्द हो रहा था? मुझे आश्चर्य हुआ कि यह किस तरह का दर्द हो सकता है!

मैं: मामा-जी! मामा-जी, क्या “उसका”? आपने क्या कहा? मैं आपको समझ नहीं पाया…

जब मैंने उन्हें देखा तो मैं चौंक गया! मेरी आँखें बाहर निकल आईं जब मैंने देखा कि मामा-जी अपनी लुंगी के ऊपर दोनों हाथों से अपने लिंग को पकड़े हुए थे! मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था! उन्हें वहाँ किस तरह का दर्द हो रहा था? स्वाभाविक रूप से मैं थोड़ा आशंकित थी और थोड़ा झिझक भी रही थी ।

मामा जी: यह… पुराना दर्द है बेटी… उउउउउउउउउउउ… यह मुझे पुराना हर्निया का दर्द है… मुझे कभी-कभी ऐसा होता है… बहुत, बहुत दर्द होता है बहू… रानी… बिलकुल असहनीय… आआआआह्ह्ह्ह…

मैं: हर्निया?!!?

ऐसा नहीं था कि मैंने यह शब्द नहीं सुना था, लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो मुझे ठीक से पता नहीं था कि यह क्या है।

मैं: मैं… मैं समझती हूँ… लेकिन…

मामा जी: बहूरानी , अगर तुम बाहर की होती तो मुझे बहाना बनाकर खुद को बंद दरवाजों के भीतर सीमित रखना पड़ता… यह इतनी निजी समस्या है कि मैं साझा भी नहीं कर सकता… उइ ... मैं इस समस्या के बारे में किसी को नहीं बता सकता नाआआ… उउउउउहह… तुम्हारी सास को इस बारे में पता है…

मैं मामा जी को इस तरह दर्द से तड़पते देख बेचैन हो रही थी; उनका चेहरा बहुत ही दुखी लग रहा था जो भयंकर दर्द को दर्शा रहा था।

मैं: मामा जी, अब क्या करें... बताओ... असली समस्या क्या है, मैं समझ नहीं पा रही हूँ!

मामा जी: बहूरानी, मैं हूँ... मैं हूँ... मैं तुम्हें कैसे बताऊँ... उउउउउहहह! मेरा मतलब है कि जब मुझे हर्निया का दर्द होता है, तो मेरे अंडकोष में बहुत तेज दर्द होता है... ऊऊहहहह!

मैं: अंडकोष? क्या ?

मैं यह सुनकर बस दंग रह गई और चिल्लाने से खुद को नहीं रोक पाई!

मामा जी: आआह! हाँ बेटी... मेरे अंडकोष में बहुत तेज दर्द होता है और मेरे... क्या बताऊँ... किसी को भी यह बताना बहुत शर्मनाक है... उउउउउहहहह... मेरे लंड पर बहुत जलन हो रही है।

मैं अपने होठों को फैलाकर बिल्कुल स्थिर खड़ी रही । मैं मानो वज्रपात से स्तब्ध थी ! मामा-जी की अजीबोगरीब समस्या से मैं पूरी तरह से स्तब्ध थी ।

मामा-जी: उह्ह… उह्ह… बेटी… कृपया मेरी मदद करो… मैं इस दर्द में मर जाऊंगा… यह बिल्कुल असहनीय है। ऊऊऊऊऊह!

वह अपने तीव्र दर्द में बिस्तर पर लगभग बाएं और दाएं लुढ़क रहे थे । उन की लुंगी उन के पैरों से हट गई थी और मामा-जी के बालों वाले पैर घुटनों तक और यहां तक कि उनकी मांसल जांघों का एक हिस्सा भी उजागर हो गया था। इस संकट की घड़ी में भी, मेरी आंखें पुरुष शरीर को उजागर होते हुए देखकर विचलित हो रही थीं।

मैं: (सामान्य दिखने की पूरी कोशिश करते हुए) मामा-जी, मेरा मतलब है… क्या मैं… क्या मैं डॉक्टर को बुलाऊं?

मामा-जी: डॉक्टर? हुह! मैं कई बार गया था… तुम्हें पता है क्या… आआआह्ह… उन्होंने मुझे ऑपरेशन करने के लिए कहा। हुह!

मामा-जी अभी भी अपने दोनों हाथों से अपने लिंग को पकड़े हुए थे और मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि वे अपनी उंगलियों से अपने अंडकोषों को भी सहला रहे थे! बूढ़ा आदमी जाहिर तौर पर दर्द कम करने के लिए ऐसा कर रहा था, लेकिन यह बेहद अभद्र लग रहा था! उसके हाथ उसकी जांघों पर मिलने के कारण उसकी लुंगी उसके बालों वाले पैरों पर इतनी खतरनाक तरीके से चढ़ गई थी कि मैं सच में काफी बेचैन होने लगी थी।

मैं: ऑपरेशन?

मामा-जी: हाँ बेटी... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! डॉक्टरों का कहना है कि मुझे सर्जरी की ज़रूरत है, लेकिन मैं बिलकुल इसके खिलाफ हूँ... उउउउउइ ... मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी गेंदें फट जाएँगी….. हाँ ...

मैं : चलो पंखा तेज़ कर देती हूँ...आपको बहुत पसीना आ रहा है मामा जी...


मामा जी: उफ्फ़... हाँ... आह... शुक्रिया बेटी... जैसे ही मैंने पंखे की गति बढ़ाने के लिए रेगुलेटर घुमाया, मामा जी की लुंगी थोड़ी ऊपर उठने लगी और मैं आसानी से उनके बालों वाली टांगोऔर जांघो के अंदरूनी हिस्से और उनकी जांघों की झलक देख सकती थी ! एक वयस्क व्यक्ति की टांगो को देखकर मेरा दिल अपने आप तेज़ी से धड़कने लगा। मैं आगे बढ़ी और मामा जी की समस्या से कुछ राहत देने के लिए बिस्तर पर बैठ गया। मामा जी बिस्तर पर टेढ़े होकर लेटे हुए थे और उनकी बाहें उनकी जांघों के बीच में इकट्ठी थीं, मैंने सोचा कि शायद उन्हें कुछ आराम मिले।

मैं: मामा जी... इस दर्द के लिए कोई दवा नहीं है? मामा जी (मुझे आश्चर्य हुआ कि मामा जी उस अवस्था में भी थोड़ा मुस्कुरा पा रहे थे):

मामाजी : बेटी, तुम वहाँ कौन सा बाम लगाओगी? (लुंगी से ढके अपने लंड की ओर इशारा करते हुए)

मेरे सवाल की मूर्खता को समझते हुए मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया और गुलाब की तरह लाल हो गया।

मैं: नहीं… मेरा मतलब है… कोई भी गोली…

मामाजी: मैंने कहा था न… आआआआआआआआआआआआआ… डॉक्टरों ने सिर्फ़ सर्जरी की सलाह दी है…

मैं: लेकिन इस तरह आप यह दर्द कब तक सहेंगे?


जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-7

मामाजी की तकलीफ


जैसे ही मैंने पंखे के रेगुलेटर को और तेज़ किया, पंखे की हवा से मामा-जी की लुंगी थोड़ी ऊपर उठने लगी और मैं आसानी से उनके बालों वाले पैरों के अंदरूनी हिस्से और उनकी जांघों की झलक देख सकती थी ! एक वयस्क व्यक्ति की नग्न टाँगे देखकर मेरा दिल अपने आप तेज़ी से धड़कने लगा। मैं आगे बढ़ी और मामा-जी की समस्या से कुछ राहत देने के लिए बिस्तर पर बैठ गयी । जब मामा-जी बिस्तर पर टेढ़े होकर लेटे हुए थे और उनकी बाहें उनकी जांघों के बीच में इकट्ठी हो गई थीं, तो मैंने सोचा कि शायद उन्हें इससे कुछ आराम मिले।

मैं: मामा-जी... क्या इस दर्द के लिए कोई दवा नहीं?

मामा-जी (मुझे आश्चर्य हुआ कि मामा-जी उस अवस्था में भी थोड़ा मुस्कुरा पा रहे थे): मुस्कुराते हुए बेटी, तुम वहाँ कौन सा बाम लगाओगी? (लुंगी से ढके अपने लंड की ओर इशारा करते हुए)

मेरे सवाल की मूर्खता को समझते हुए मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया और गुलाब की तरह लाल हो गया।

मैं: नहीं... मेरा मतलब है... कोई भी गोली... दवा ?

मामा-जी: मैंने कहा था न... आआ ... मामा जी अपने दाहिने हाथ से अपनी लुंगी के ऊपर से अपने लंड को पकड़े हुए थे ।

मामा जी: मैंने कहा था न... आआआआआआआआआआ... डॉक्टरों ने सिर्फ़ सर्जरी की सलाह दी है...

मैं: लेकिन आप इस दर्द को कब तक सहेंगी?

तभी मैंने देखा कि मामा जी अपने बाएं हाथ से बिस्तर की चादर को खरोंच रहे थे - उनकी उंगलियाँ काँपने लगी थीं और मुट्ठी बनाने के लिए नीचे झुक रही थीं! वे बिस्तर की चादर को किसी चीज़ की तरह दबा रहे थे और उनके दर्द में बहुत ज़्यादा दर्द था।

मैं: मामा जी, क्या हो रहा है? मामा जी? मामा जी?

मामा जी को ऐसी दयनीय स्थिति में देखकर मैं और भी ज़्यादा घबरा रही थी। वे दर्द से कराह रहे थे और उनके बाएं हाथ ने बिस्तर की चादर को बहुत कसकर पकड़ रखा था; उनके पूरे शरीर में ऐंठन हो रही थी और वे स्वाभाविक रूप से कुछ देर तक मुझे जवाब देने में असमर्थ थे।

मामा जी: आआह्ह... उफ़्फ़फ़्फ़... हाँ बेटी, ऐसा होता है... मेरे हर्निया के दर्द के साथ-साथ एक ऐंठन सी होती है...और फिर उस समय ऐसा लगता है कि मैं... कि मैं अपने हाथ के सामने जो कुछ भी आता है उसे पकड़ लेता हूँ ताकि कुछ राहत मिल सके...

मामा-जी ने अपने बाएं हाथ की उंगलियाँ फैलाईं क्योंकि ऐंठन खत्म होती दिख रही थी; उनका दाहिना हाथ अभी भी उनकी लुंगी के ऊपर से उनके लंड को पकड़ रहा था। जाहिर है मैं उस दृश्य की अभ्यस्त हो रही थी जिसमें एक बुजुर्ग पुरुष सीधे मेरे सामने अपना लंड पकड़े हुए था!

मामा-जी: आह्ह...जानती हो बहूरानी, मैं सच में चाहता था कि मेरी नौकरानी यहाँ होती... उउउउउउ.... तब मैं तुम्हें तकलीफ़ नहीं देता... उउउउइ ... और आपने मुझे जो हंसी की खुराक दी है, उससे मैं पूरी तरह ठीक हूँ।

मैं: “परेशानी”? आप क्या कह रहे हैं मामा जी?

मामा जी: नहीं नहीं… मुझे इतनी दर्दनाक हालत में देखकर आप बहुत चिंतित लग रहे हैं… आप अभी-अभी उस भयानक एलर्जी से ठीक हुए हैं… ओह्ह ... मेरे हाथ अभी भी उनके माथे को धीरे से मालिश कर रहे थे और उनका सिर मेरी गोद से सिर्फ़ कुछ इंच की दूरी पर था।

उस एंगल से उन्हें मेरे बड़े स्तनों का शानदार सेक्सी नज़ारा मिल रहा होगा जो मेरे ब्लाउज़ के नीचे ऊपर-नीचे हो रहे थे। चूँकि मैंने साड़ी नहीं पहनी थी, इसलिए यह दृश्य मेरे लिए और भी शर्मनाक था। मेरे बड़े आकार के दृढ़ स्तन वाकई बहुत आकर्षक लग रहे थे क्योंकि मामा-जी मुझे लेटे हुए देख रहे थे। अब मेरे पास अपनी कामुकता को छिपाने का कोई तरीका नहीं था और मैं मन ही मन खुद को कोस रही थी कि मैंने मामा-जी को मेरी साड़ी को मज़ाक में खींचने दिया। अगर मैंने वहीं विरोध किया होता, तो ऐसा कभी नहीं हो सकता था। मेरा पूरा पेट भी पूरी तरह से नंगा था और मामा-जी की आँखों के बहुत करीब था। निस्संदेह मैं हर मिनट तनावग्रस्त और अकड़ती जा रही थी।

मैं: मुझे बताओ मामा जी... मैं ऐसा करने की कोशिश करूँगी... उह... जहाँ तक संभव हो सकेगा... मेरा मतलब है कि अगर आपकी नौकरानी ऐसा कर सकती है, तो मैं भी कर पाऊँगी...

मैं : मामा जी... चलो! मैं अब उस भयानक एलर्जी से बिलकुल ठीक हूँ! और आपने जो हंसी की खुराक मुझे दी है लगता है ये उसी से हुआ है ...अब मैं बिलकुल ठीक हूँ।

मामा-जी: दरअसल मैंने अपनी नौकरानी का ज़िक्र इसलिए किया था... अब उसे मेरी समस्याओं से निपटने की आदत हो गई है... उह्ह ... अह्ह्ह्ह …. मुझे महीने में कम से कम एक बार तो हर्निया का ये दर्द होती ही है।

मैं: “परेशानी”? आप क्या कह रहे हैं मामा जी?

मामा जी: नहीं नहीं… मुझे इतनी दर्दनाक हालत में देखकर आप बहुत चिंतित लग रहे हैं… आप अभी-अभी उस भयानक एलर्जी से ठीक हुए हैं… ओह्ह ... मेरे हाथ अभी भी उनके माथे को धीरे से मालिश कर रहे थे

मैं: ओहो मामा जी… इतना मत बोलो… दर्द और बढ़ जाएगा… पर… पर तुम ही बताओ मुझे क्या करना है… मेरा मतलब है कि तुम्हारी नौकरानी क्या करती है… मैं तुम्हें ऐसे नहीं देख सकती…

मामा जी अब बिस्तर पर पूरी तरह से मेरी तरफ मुड़े और मेरी आँखों में देखा। रे हाथ अभी भी उनके माथे को धीरे से मसल रहे थे और उनका सिर मेरी गोद से सिर्फ़ कुछ इंच की दूरी पर था। उस एंगल से
मेरे बड़े आकार के दृढ़ स्तन वास्तव में बहुत आकर्षक लग रहे थे क्योंकि मामा-जी मुझे लेटे हुए देख रहे थे। अब मेरे पास अपनी कामुकता को छिपाने का कोई तरीका नहीं था और मैं अपने मन में मामा-जी को मेरी साड़ी को मज़ाक में खींचने की अनुमति देने के लिए खुद को कोस रही थी। अगर मैंने उसी समय विरोध किया होता, तो ऐसा कभी नहीं हो सकता था। मेरा पूरा पेट क्षेत्र भी पूरी तरह से नंगा था और मामा-जी की आँखों के बहुत करीब था। मैं निस्संदेह मिनट दर मिनट तनावग्रस्त और अकड़ती जा रही थी।

मैं: मुझे बताओ मामा-जी... मैं वैसा करने की कोशिश करूँगी... उफ़... जहाँ तक संभव हो... मेरा मतलब है कि अगर आपकी नौकरानी जो करती है, तो मैं भी कर पाऊँगी...

चूँकि मुझे वास्तव में यकीन नहीं था कि इस "हर्निया " दर्द के लिए उपचारात्मक विकल्प क्या थे, मैं वास्तव में थोड़ा हिचकिचा रही थी, जाहिर है इसलिए क्योंकि दर्द सीधे मामा-जी के जननांगों से संबंधित था!

मामा-जी: धन्यवाद बेटी... आआ ... मुझे पता है कि तुम मेरी मदद कर सकती हो, लेकिन सच कहूँ तो तुम जानते हो कि मैं थोड़ा सा बेचैन महसूस कर रहा था... मदद माँगने में संकोच कर रहा था... ओह्ह्ह...

मामा जी हँसे और मैंने साफ देखा कि उन्होंने अपने लंड को अपनी लुंगी के अंदर बहुत ही कामुक तरीके से सहलाया! लंड को सहलाने/सहलाने का यह खास अंदाज मुझे बहुत, बहुत परिचित लगा! असल में मैंने अपने पति को कई मौकों पर ऐसा करते देखा था जब वह मेरे साथ सेक्स के लिए तैयार होता था या कामुक महसूस करता था। कई बार मैंने देखा था, हालाँकि मैंने उसे नहीं बताया था, कि जब मैं नहाने के बाद बिस्तर पर आने वाली थी, तो मैंने अपने पति को बिस्तर पर बैठकर टीवी देखते हुए और अपने पायजामे के ऊपर से अपने लंड को सहलाते हुए देखा। लेकिन ज्यादातर मौकों पर जब मैंने देखा कि वह एक खास तरीके से अपने लंड को सहला रहा था, तो मुझे कमोबेश यकीन हो गया कि वह सेक्स के लिए तैयार है।

शुरू में मुझे लगा कि मेरे पति शायद मुझे तौलिये से नाइटी में बदलते हुए देखकर तैयार हो गए होंगे, लेकिन चूंकि मैं लगभग हर रोज उस समय नहाती थी और शौचालय से तौलिया लपेट कर आते थी और बेडरूम में आकर नाइटी पहनती थी, इसलिए मेरे पति का लिंग हर रात कड़ा होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं था!

जाहिर है, मेरे पति ने टीवी पर कुछ देखा था, जिससे वे उत्तेजित हो गए, जिसे मैं समझ नहीं पाई,। मैंने इस बारे में ज़्यादा चिंता नहीं की, क्योंकि मैं बहुत खुश थी कि मेरे पति सप्ताहांत के अलावा किसी और दिन सेक्स करने के लिए तैयार थे!

मामा-जी का लंड सहलाना मेरे पति के लंड से इतना मिलता-जुलता था कि उनके लिंग पर उनके हाथ की हरकत देखकर मेरी आँखें बादाम की तरह बड़ी हो गईं। मैं बहुत ज़्यादा शरमा भी गई, लेकिन चूंकि मामा-जी बहुत दर्द में थे, इसलिए उन्होंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया!

मैंने तुरंत अपने मन में मामा-जी के बारे में इस तरह से सोचने के लिए खुद को फटकारा। मैं मामा-जी की हरकत को अपने पति की खुशी से सहलाने से कैसे जोड़ सकती हूँ? मामा-जी मेरी आँखों के सामने बहुत तकलीफ़ में थे! एक पल के लिए मुझे मामा-जी की हरकत के बारे में ऐसा सोचने पर वाकई शर्मिंदगी महसूस हुई।

मैं: मामा-जी!!! यह तो हद है! आप मुझसे झिझकेंगे!! मुझसे?? उम्मीद नहीं थी मामा जी… उम्मीद नहीं थी… उह…

मैं अपना सिर हिला रही थी जब मामा जी ने अपना दाहिना हाथ अपनी जांघों से हटाया और मेरा हाथ थाम लिया। मैं उनकी हथेली से निकलने वाली गर्मी को देखकर चौंक गई! क्या यह उनकी मर्दानगी की गर्मी थी? हे भगवान! उनका बायाँ हाथ लुंगी के नीचे उनके लिंग को सहला रहा था।

मामा जी: बेटी, मुझे माफ़ कर दो… (मुस्कुराए)

क्या मामा जी का दर्द नीचे की तरफ था? क्योंकि मैंने उन्हें दूसरी बार मुस्कुराते हुए देखा और इस बार यह मेरी बांह पकड़कर एक लंबी मुस्कान थी!


जारी रहेगी
 
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304

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-8

मामाजी की तकलीफ का इलाज़-मक्खन

मैंने हर्निया के बारे में कभी इससे पहले कुछ भी देखा या सुना नहीं था और मुझे वास्तव में पता नहीं था कि इस "हर्नियल" दर्द के लिए उपचारात्मक विकल्प क्या थे, इसलिए मैं वास्तव में थोड़ा हिचकिचा रही थी, जाहिर है इसलिए भी क्योंकि दर्द सीधे मामा-जी के जननांगों से सम्बंधित था!

मामा-जी: धन्यवाद बेटी... आआ ... मुझे लगता है और मालम है आप मेरी मदद कर सकती हैं परन्तु सच कहूँ तो मुझे आपसे मदद करने के लिए कहने में थोड़ी शर्म ...थोड़ी झिझक महसूस हो रही है ... ओह्ह्ह्ह ।!

मामा जी खिलखिलाकर हंस पड़े और मैंने साफ़ देखा कि वे अपने लंड को लुंगी के अंदर बहुत ही कामुक तरीके से सहला रहे थे! लंड को सहलाने का यह ख़ास अंदाज़ मुझे बहुत ही जाना-पहचाना लगा! असल में मैंने अपने पति को कई बार ऐसा करते देखा था जब वे मेरे साथ सेक्स के लिए तैयार होते थे या उन्हें उत्तेजना महसूस होती थी। कई बार मैंने देखा था, हालांकि मैंने उन्हें नहीं बताया था कि जब मैं नहाने के बाद बिस्तर पर आने वाली होती थी, तो मैं अपने पति को बिस्तर पर बैठकर टीवी देखते हुए और अपने पायजामे के ऊपर से अपने लंड को सहलाते हुए देखती थी। लेकिन ज्यादातर मौकों पर जब मैंने देखा कि वे अपने लंड को एक ख़ास तरीके से सहला रहे थे, तो मुझे कमोबेश यक़ीन हो गया कि वे सेक्स के लिए तैयार हैं।

शुरू में मुझे लगा कि वह शायद मुझे तौलिया से नाइटी में बदलते हुए देखकर तैयार हो गया है, लेकिन चूँकि मैं लगभग हर रोज़ उसी समय नहाती हूँ और शौचालय से बेडरूम में आकर नाइटी पहनती हूँ, इसलिए मेरे पति का लंड हर रात कड़ा होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं था! जाहिर है कि मेरे पति ने उस समय टीवी पर कुछ देखा था, जिसे मैं समझ नहीं पाई, जिससे वह उत्तेजित हो गया। मैंने इसके बारे में ज़्यादा चिंता नहीं की क्योंकि मैं बहुत खुश थी अगर मेरा पति सप्ताहांत के अलावा किसी और दिन सेक्स करने के लिए तैयार हुआ था!

मामा-जी का लंड सहलाना मेरे पति के लंड से इतना मिलता-जुलता था कि उनके हाथ को अपने लिंग पर हिलते हुए देखकर मेरी आँखें बादाम की तरह बड़ी हो गईं। मैं बहुत ज़्यादा शरमा भी गई, लेकिन चूँकि मामा-जी बहुत दर्द में थे, इसलिए उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया!

मैंने तुरंत अपने मन में मामा-जी के बारे में इस तरह से सोचने के लिए ख़ुद को फटकारा। मामा-जी की हरकत को मैं अपने पति के आनंदमयी स्ट्रोकिंग से कैसे जोड़ सकती थी? मामा-जी मेरी आँखों के सामने बहुत पीड़ा में थे! मामा-जी की हरकत के बारे में ऐसा सोचने पर मुझे एक पल के लिए वाकई शर्मिंदगी महसूस हुई।

मैं: मामा-जी! यह तो हद है! आप मुझसे झिझकेंगे! मुझसे? आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी मामा-जी...बिलकुल उम्मीद नहीं थी...उहू...!

मैं अपना सिर हिला रही थी जब मामा-जी ने अपना दाहिना हाथ अपनी जांघों से हटाया और मेरा हाथ थाम लिया। मैं उनकी हथेली से निकलने वाली गर्मी को देखकर चौंक गई! क्या यह उनकी मर्दानगी की गर्मी थी? हे भगवान! उनका बायाँ हाथ उनकी लुंगी के नीचे उनके लिंग को सहला रहा था।

मामा-जी: बेटी, मुझे माफ़ कर दो... (मुस्कुराए) !

क्या मामा-जी को निचले हिस्से में दर्द हो रहा था? क्योंकि मैंने उन्हें दूसरी बार मुस्कुराते हुए देखा और इस बार यह मेरी बांह पकड़कर एक लंबी मुस्कान थी!

मामा जी: बेटी, चलो मैं पहले ये वाला उपाय आजमाता हूँ...आह...कभी-कभी दर्द कम हो जाता है और सिर्फ़ इसी से ठीक हो जाता है, हालाँकि कभी-कभी उह्ह ...ये दर्द भी कभी-कभी बहुत परेशान करता है आआहहहह इस दर्द को भी आज ही उठना था! अह्ह्ह्ह! ऐसा लग रहा-रहा है कि जैसे मेरी सारी मांसपेशियाँ टूट रही हैं! ओह!

उनकी दर्द बहरी कराहे सुन मैं समझ गयी कि मामा जी का दर्द कम नहीं हुआ है और वे अभी भी तड़प रहे हैं; और उनके चेहरे पर फिर से वही पीड़ा दिख रही थी।

मैं: ठीक है मामा जी... मुझे बताओ क्या करना है... चलो समय बर्बाद नहीं करते।

मामा जी: बेटी, बस फ्रिज से मक्खन की ट्रे ले आओ।

मैं: क्या? मक्खन?

मामा जी: मैं समझाता हूँ... उह्ह्ह्ह्ह... मुझे बहुत दर्द हो रहा है... अगर तुम...प्लीज जल्दी! ।

मैं: ओह... ठीक है मामा जी। मैं अभी लाती हूँ!

मैं जल्दी से फ्रिज के पास गयी और उसमें से मक्खन की ट्रे निकाली। सच कहूँ तो मैं थोड़ा हँसी और मक्खन की ट्रे ले कर आगे बढ़ी। यह मक्खन मामा जी के दर्द को कम करने में क्या कर सकता है? मैं हँसी और कंधे उचका दिए। जब मैं फिर से कमरे में वापस आ रही थी, तो मैंने अपनी साड़ी पहनने के बारे में सोचा। लेकिन जैसे ही मैं ऐसा करने वाली थी।

मामा-जी: बेटी... जल्दी करो... मैं दर्द से मर रहा हूँ... ऊऊ ...!

मैं: सॉरी मामा-जी... ये रहा मक्खन।

मामा-जी (अभी भी बिस्तर पर लेटे हुए थे और उनके हाथ उनके लिंग को पकड़े हुए थे और यह बहुत ही अशोभनीय लग रहा था) : आआआह! धन्यवाद बेटी... दरअसल दर्द... ओह...! मेरा मतलब है कि तुम्हें आश्चर्य हुआ होगा क्योंकि मैंने तुम्हें मक्खन लाने के लिए कहा था... आआआह... मैं भी पहले बहुत हैरान था जब डॉक्टर ने मुझे यह उपाय बताया।

मैं: हाँ... हाँ मामा-जी क्योंकि यह काफ़ी असामान्य है।

मामा-जी: मुझे पता है। मुझे पता है बहुरानी ... लेकिन... लेकिन यह अद्भुत काम करता है, तुम्हें पता है... आआआह... मुझे उम्मीद है कि यह सख्त होगा?

मैं: सख्त? क्या?

मामा-जी: मक्खन?

मैं: हाँ... हाँ... यह बहुत सख्त है... ऐसा लगता है कि यह लंबे समय से रेफ्रिजरेटर में रखा हुआ था!

मामा-जी: बढ़िया! दरअसल तुम जानती हो बेटी, प्रभावी होने के लिए इसे सबसे सख्त अवस्था में होना चाहिए... ।

मैं: ओह! मैं समझ गयी!

स्वाभाविक रूप से मैं अभी भी इसके उपयोग के बारे में उलझन में थी और यह जानने के लिए उत्सुक था कि यह मामा-जी के दर्द को कम करने में कैसे प्रभावी हो सकता है।

मैं: लेकिन... लेकिन इसका उपयोग कैसे करना है मामा-जी?

मामा-जी: आह्ह्ह्ह... यही समस्या वाला हिस्सा है... उसके लिए... मेरा मतलब है कि मैं कैसे कर सकता हूँ।

मैं: प्लीज आप मुझे बताईये क्या समस्या है?

मामा-जी: बहूरानी, मुझे उस मक्खन को अपने! ... अपने दर्द वाले हिस्से पर लगाना है। ।

मैं: क्या?

मामा-जी: हाँ बेटी! डॉक्टर ने यही कहा था और यह मुझ पर कई बार बहुत कारगर साबित हुआ है!

मैं अभी भी अपने सदमे से उबर नहीं पाया था! मक्खन मामा-जी के जननांगों पर लगाया जाना था!

मामा-जी: करना यह है कि बेटी... मक्खन को हर्निया वाले हिस्से पर तब तक लगाना है जब तक कि वह सख्त न हो जाए!

मैं बस हैरान रह गयी क्योंकि यह बिल्कुल स्पष्ट था कि मामा-जी जो कह रहे थे उसे पूरा करने के लिए उन्हें मेरे सामने नग्न होना होगा! उन्हें अपने जननांगों को मेरे सामने उजागर करना होगा!

स्वाभाविक रूप से मेरे होंठ आश्चर्य में खुल गए और मैंने अनजाने में भारी साँस लेना शुरू कर दिया।

मैं: ओह! मैं ससस ...!

लगभग तुरंत ही मेरा चेहरा प्रत्याशित अगले दृश्य की कल्पनाकर लाल दिखाई देने लगा!

मामा-जी: अह्ह्ह्हह ... पर बेटी । मुझे आपके-अपनी बहूरानी के आगे ऐसे अपनी लुंगी निकालने में बहुत अजीब महसूस हो रहा है। ... अअअअअअअ आआआह्ह्ह्ह आहाये मर गया! ......

मामा-जी lमेरी तरफ़ देखा और मुझे बहुत अभद्र महसूस हुआ और ईमानदारी से मुझे नहीं पता था कि क्या जवाब दूं। मेरे होंठ सूख रहे थे और दिल लगभग धड़क रहा था! मेरे ब्लाउज से ढके स्तन और भी सेक्सी लग रहे थे, क्योंकि मैंने मामा-जी के लंड को देखने की प्रत्याशा में उस समय तक काफ़ी तेज़ साँस लेना शुरू कर दिया था!

मामा जी: इश! काश मेरी नौकरानी यहाँ होती। ... मैं तुम्हें बहुत तकलीफ दे रहा हूँ। ... आख़िर तुम मेरी मेहमान हो बहूरानी!

मैं (अपनी पूरी ताकत समेटते हुए) : अरे... नहीं, नहीं... मेरा मतलब है कि यह बिल्कुल ठीक है मामा जी... इसका उद्देश्य आपको इस भयानक दर्द से बाहर निकालना है...!

मुझे नहीं पता था कि मैंने कैसे "ठीक है" कहा और अपने 50+ वर्षीय बुज़ुर्ग पुरुष रिश्तेदार को अपने जननांगों को मेरे सामने खोलने की अनुमति दी!

मामा जी: फिर भी बहूरानी... तुम्हें पता है कि मेरी नौकरानी भी शुरू में मेरी सेवा करने में बहुत अनिच्छुक थी... जो कि स्वाभाविक है, तुम जानती हो... लेकिन मेरी समस्या की विशेषता यह है कि।

मैं (आह भरते हुए) : हम्म...!

मामा जी: लेकिन तुम जानती हो बहूरानी... एक उम्र के बाद आदमी बिल्कुल बच्चे जैसा हो जाता है। ... मैं इन असहाय अवस्थाओं में यह बहुत महसूस कर सकता हूँ।



मैं: बच्चा? हा... ओ हाँ... हम्म... सही है ... सच मामा जी।

हालाँकि मैंने "सच" कहा, लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या मामा जी की "वह" उम्र हो गई है। वे 60 साल के भी नहीं थे और बहुत चुस्त और तंदुरुस्त थे। वे किसी बूढ़े अपंग व्यक्ति की तरह नहीं दिखते थे और उनका नग्न शरीर देखह निश्चित रूप से किसी भी परिपक्व महिला की साँस फूलने लगती।

मामा जी: तुम्हें पता है बहूरानी, मुझे भी कभी-कभी गठिया का दर्द भी होता है और उस दौरान मैं शौचालय तक भी नहीं जा पाता! अगर वह नौकरानी यहाँ नहीं होती, तो मैं बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाता।

मामा-जी की बातों से मुझे यह अच्छी तरह से समझ में आ गया कि उनकी नौकरानी ने उन्हें कई बार नग्न देखा था। मुझे तुरंत ही मामा-जी की दराज और अलमारी में मिले अश्लील सीडी और महिलाओं के कपड़े याद आ गए। अब मैं यह निष्कर्ष निकाल सकती थी कि वे कपड़े उस नौकरानी के हैं? हाँ, मुझे अच्छी तरह से याद है कि मुझे एक आभूषण बॉक्स मिला था और हाँ, कंघी, बिंदी, फेस पाउडर और कुछ झुमके और कंगन। क्या मामा-जी का उस नौकरानी से कोई रिश्ता है? मैं फिर से उलझन में थी!

मैं: मामा-जी, मुझे कहना होगा कि आप भाग्यशाली हैं कि आपको ऐसी मददगार नौकरानी मिली है, खासकर इसलिए क्योंकि आप अकेले रहते हैं। लेकिन... लेकिन अगर आपको रात में इस तरह का दर्द हो तो क्या होगा?

मामा-जी: शुक्र है बेटी, ऐसी परिस्थितियाँ अभी तक कभी नहीं हुई थीं। दरअसल तुम जानती हो कि मेरी नौकरानी का भी अपना परिवार है, इसलिए उसके लिए दिन-रात काम करना मुश्किल है।

जारी रहेगी

 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-9

मामाजी का दर्द और ऐंठन


मैं: मामा जी, आप सच में बहुत भाग्यशाली हैं कि आपको इतनी मददगार नौकरानी मिली है, खास तौर पर इसलिए क्योंकि आप अकेले रहते हैं। लेकिन... लेकिन क्या होगा अगर आपको रात में इस तरह का दर्द हो?

मामा जी: शुक्र है बेटी, ऐसी परिस्थितियाँ कभी नहीं हुई । दरअसल तुम जानती हो कि मेरी नौकरानी का भी अपना घर परिवार है, इसलिए उसके लिए दिन-रात मेरे यहाँ काम करना मुश्किल है।

मामा जी की अलमारी और दराज में मैंने जो देखा, उसे मैं अनदेखा नहीं कर सकती थी , लेकिन साथ ही मैं यह भी नहीं सोच सकती थी कि मामा जी मुझसे झूठ बोल रहे हैं।

मैं: ओ! मैं समझती हूँ मामा जी ।

मामा -जी : आआआआह्ह्ह्ह ……. बेटी … प्लीज माखन ले आऔ नहीं तो ये पिघलना शुरू हो जाएगा और इसका कुछ ख़ास असर नहीं होगा


मैं : जी जी मामा जी ….!

मैंने अपना ध्यान उनकी नौकरानी और अलमारी की जांच ( जो मैंने कुछ देर पहले की थी ) से हटा कर फिर से मामा जी के दर्द के लक्षणों पर केंद्रित करने की कोशिश की, । मैंने मक्खन की ट्रे अपने हाथ में ली। यह 500 ग्राम का पैक था और लगभग इस्तेमाल नहीं किया गया था और फ्रिज से बाहर निकालने पर अभी भी काफी सख्त लग रहा था।

मामा-जी: आह्ह… बेटी, फिर भी पता नहीं क्यों… मुझे अभी भी तुम्हे ये सब कहने में झिझक हो रही है तुम मेरी बेटी की उम्र की हो, अगर मेरी कोई बेटी होती तो तुम्हारी ही उम्र की होती … … (वह अपना सिर हिला रहे थे और अपनी आँखें बंद करके कंधे उचका रहे थे )

स्वाभाविक रूप से मैं भी बहुत हैरान और चिंतित थी मामा-जी की लुंगी पंखे की हवा में उड़ रही थी और उनकी जांघ तक ऊपर उठ गयी थी; उनकी बालों वाली जाँघें आंशिक रूप से नग्न मेरे सामने थीं। हालाँकि उनका लिंग अभी भी लुंगी से पूरी तरह ढका हुआ था, लेकिन वह काफी हद तक साफ़ दिख रहा था, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि वह शायद मामा-जी द्वारा खुद को सहलाने की वजह से लुंगी के नीचे खड़ा था! मैं सोचने लगी "क्या मामा-जी ने अंदर कोई ब्रीफ़ या कच्छा नहीं पहना हुआ है ?"

मामा-जी: मुझे नहीं पता बेटी क्या हो रहा है…! (वह बीच बीच में मुस्कुरा भी रहे थे !) मैं बस ऐसा नहीं कर सकता…

मैं अवाक थी । मुझे उनकी बात सुन समझ नहीं आ रहा था की क्या मुझे उन्हें कपड़े उतारने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए? मैं ईमानदारी से इस अनिश्चित स्थिति में बहुत बेचैन महसूस कर रही थी !

मामा जी: बहुरानी, मैंने अपनी नौकरानी के सामने कितनी ही बार अपने कपड़े उतारे हैं... कभी-कभी इस भयंकर हर्निया के दर्द के कारण... आह..और . कभी-कभी मेरे भयंकर गठिया के दर्द के कारण... यहाँ तक कि एक बार जब मेरा गठिया का दर्द अपने चरम पर था, तो मैंने एक महीने तक एक नर्स भी रखी थी... वो मुझे पेशाब करने में भी मदद करती थी... वो मुझे नहाने में मदद करती थी... लेकिन... लेकिन तुम... तुम नर्स या नौकरानी नहीं हो...!

मैं अब और चुप नहीं रह सकती थी और उस समय मेरे पास मामा जी को कपड़े उतारने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था; जिसका मतलब था प्रभावी रूप से उन्हें अपना नंगा लंड मुझे दिखाने के लिए प्रोत्साहित करना था !

मैं: हाँ... उफ़... लेकिन मामा जी... आपको इस दर्द से राहत मिलनी चाहिए... आप बहुत तकलीफ़ में हैं...!

और तभी अचानक मामा जी दर्द से चिल्ला उठे!

मामा जी: आअह्ह्हहहहह हाय मर गया !


मामा जी: ... ऐसा लग रहा था कि ऐंठन फिर से हो गई थी

जाहिर है मामा-जी को बहुत दर्द हो रहा था और वे बिस्तर पर थोड़े हिंसक हो रहे दर्द से तड़प रहे थे। मैंने देखा कि उन्होंने अपने हाथों को अपनी जांघों से हटा लिया था और दोनों हाथों से बिस्तर को खरोंच रहे थे। उनकी उंगलियाँ बिस्तर की नरम सतह के अंदर धंसी हुई थीं और वहाँ बहुत मजबूती से जमी हुई थीं। उनका पूरा शरीर बिस्तर पर मुड़ा हुआ और झुका हुआ था और मैं मामा-जी को इस दयनीय हालत में देखकर बस वहीं निष्क्रिय प्रतीक्षा कर सकती थी ।

मैं: मामा-जी! मामा-जी!

मैं उनके सिर के ऊपर झुकी और उन्हें शांत करने की कोशिश की। मामा-जी हर मिनट उत्तेजित होते हुए तड़पते हुए दिख रहे थे और अब अपना सिर हवा में उछाल रहे थे।

मामा-जी: ऊऊ ... !

उस ऐंठन में उनका चेहरा विकृत होता हुआ लग रहा था, लेकिन वे खुद को रोकने की कोशिश कर रहे थे और उन्होंने जल्दी से मदद के लिए मुझे पकड़ने की कोशिश की और मेरा बायाँ हाथ पकड़ लिया।

मैं: उउउउ! ऊऊऊउउच!

मामा-जी ने मेरा हाथ पकड़ते ही मैं लगभग तेज़ दर्द से चिल्ला उठी। उनकी उंगलियाँ मेरी त्वचा में धंस गई थीं - उनकी पकड़ बहुत ज़्यादा ज़ोरदार थी! यह बहुत दर्दनाक था क्योंकि उनके नाखून मेरी कोमल त्वचा में गहराई तक चुभ कर काट रहे थे। मेरे पास उनके हाथ को अपनी बाईं बाँह से ज़बरदस्ती हटाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। जैसे ही मैंने ऐसा किया मामा-जी की मेरी बाँह पर पकड़ इतनी मज़बूत और दर्दनाक थी कि मेरी आँखों से लगभग आँसू निकल आए! मामा-जी ने फिर से अपनी उँगलियों से बिस्तर को बहुत कसकर पकड़ लिया।

मैं: उफ़्फ़! कितनी राहत मिली!

मैं अपने भीतर बड़बड़ायी और अपनी बाईं बाँह को देखा और मैं यह देखकर चौंक गई कि मेरी पूरी बाँह लाल हो गई थी और मामा-जी के नाखूनों के निशान मेरी कोमल त्वचा पर बहुत स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।

मामा-जी: उउउउउउउउउउउउउउहहहहहह!

मामा-जी स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे और वे लगातार अपना सिर मेरी गोद में घुमा रहे थे। इस बार ऐंठन बहुत देर तक चली और मामा-जी का पूरा शरीर इतना कंपन कर रहा था कि मुझे भी वैसा ही महसूस हो रहा था। वे वास्तव में उस ऐंठन में अपना सिर ऊपर उठाने की कोशिश कर रहे थे और इस प्रक्रिया में उनका सिर मेरे बड़े और मजबूत स्तनों से टकरा गया!

मैं: मामा-जी... मामा-जी... कृपया धैर्य रखें... मामा-जी!

मेरे अनुरोध स्वाभाविक रूप से अनसुने रह गए क्योंकि वे उस अजीब ऐंठन के प्रभाव में थे और हर पल आक्रामक होते जा रहे थे! मामा-जी ने अब अपना सिर और ऊपर धकेल दिया जिससे मैं वाकई अजीब स्थिति में फंस गई। जब मैं बिस्तर पर बैठी तो मैंने अपना बायाँ पैर मोड़ लिया था ताकि मैं मामा-जी का सिर उस पर रख सकूँ और जाहिर है कि मेरे श्रोणि क्षेत्र के पास एक त्रिभुज बन गया था, लेकिन अभी मामा-जी ने इतनी बेतरतीबी से हरकत करना शुरू किया कि उनका पूरा सिर इस त्रिभुज में फिसल गया! तुरंत ही मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए क्योंकि मुझे लगा कि उनका सिर मेरी योनि पर जा लगा है!


जारी रहेगी

 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-10

मामाजी का दर्द और ऐंठन कम हुई और लिंग

मेरे अनुरोध स्वाभाविक रूप से अनसुने रह गए क्योंकि वे उस अजीब ऐंठन के प्रभाव में थे और हर पल आक्रामक होते जा रहे थे! मामा-जी ने अब अपना सिर और ऊपर धकेल दिया जिससे मैं वाकई अजीब स्थिति में फंस गई। जब मैं बिस्तर पर बैठी तो मैंने अपना बायाँ पैर मोड़ लिया था ताकि मैं मामा-जी का सिर उस पर रख सकूँ और जाहिर है कि मेरे श्रोणि क्षेत्र के पास एक त्रिभुज बन गया था, लेकिन अभी मामा-जी ने इतनी बेतरतीबी से हरकत करना शुरू किया कि उनका पूरा सिर इस त्रिभुज में फिसल गया! तुरंत ही मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए क्योंकि मुझे लगा कि उनका सिर मेरी योनि पर जा लगा है!

मैं: ईईईई... आउच!

इसके अलावा, मैं आसानी से समझ सकती थी कि मामा-जी का सिर इस तरह रखा हुआ था कि उनकी नज़र मेरे दृढ़ शंकु के आकार के स्तनों के ठीक नीचे थी! मुझे बहुत बेचैनी और तनाव महसूस हुआ और मैंने लगभग उनके सिर को अपनी गोद से हटाने की कोशिश की, लेकिन पाया कि उनका सिर बहुत कठोर था! इसके विपरीत, मैंने पाया कि मामा-जी के सिर की हरकत ने गति पकड़ ली और उन्होंने अपना सिर मेरी मोटी बाईं जांघ पर काफ़ी सुरक्षित तरीके से रख दिया और वे मेरे स्तनों को ऊपर की ओर देख रहे थे जिसने मुझे और भी अधिक आत्म-चेतन बना दिया।

हालांकि मैं समझ सकती थी कि मामा-जी उस ऐंठन के प्रभाव में थे और अपने होश में नहीं थे, लेकिन हमारी आपसी मुद्रा और ड्रेस कोड मुझे बेहद शर्मिंदा कर रहे थे। मैंने आह भरी और लगभग धीरे से कराह उठी क्योंकि मैंने महसूस किया कि मामा-जी अपनी ऐंठन में अपना सिर मेरी कोमल जांघ में गहराई से दबा रहे थे। उनके दोनों हाथों की उंगलियाँ अभी भी बिस्तर के कवर पर टिकी हुई थीं और उनकी हथेलियों के नीचे के बिस्तर के क्षेत्र को दबा रही थीं। मेरी नज़र बार-बार मामा-जी की लुंगी पर जा रही थी, जो अब इतनी ऊपर उठ रही थी कि मैं मामा-जी के मोटे मर्दानगी का आकार और आकृति साफ़-साफ़ देख सकती थी।

मैंने अपने मन को नियंत्रित करने की कोशिश की और मामा-जी के चेहरे की ओर देखा, ताकि मैं उनके लगातार हिलते हुए सिर को अपनी जांघ पर नियंत्रित कर सकूँ। लेकिन जैसे ही मैं ऐसा करने वाली थी, मामा-जी ने अचानक अपना सिर थोड़ा ऊपर उठा लिया! मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और वास्तव में मैं पूरी तरह से उनके चेहरे पर झुक रही थी और जैसे ही मामा-जी ने अपना सिर मेरी जांघ से ऊपर उठाया, उनका माथा साफ़ तौर पर मेरे बड़े स्तनों पर उछला और इससे पहले कि मैं जल्दी से पीछे झुक पाती, मामा-जी ने मेरे कठोर मांस को अपने सिर के साथ पर्याप्त रूप से महसूस किया।

मैं: आक्क!

मैं उस अचानक हुई घटना से लगभग बेदम हो गई और मैंने मामा-जी के सिर को काफ़ी ज़ोर से अपने ऊपर से हटा दिया। मेरा दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और मैं साफ़ तौर पर देख सकती थी कि मेरी ब्रा के अंदर मेरे निप्पल बढ़ने लगे थे और मामा-जी के सिर का मेरे स्तनों कप नीचे से धक्का देने का एहसास अभी भी हो रहा था। तभी मामा-जी की ऐंठन का दौर ख़त्म होने लगा।

मामा-जी: ऊऊहहहहह ...!

मामा-जी शांत हो रहे थे और उनका सिर भी जोर-जोर से हिल रहा था। मैंने भी यह देखकर थोड़ा सामान्य साँस ली। मेरे बड़े स्तन लयबद्ध तरीके से ऊपर-नीचे हो रहे थे और मेरे ऊपरी शरीर पर सिर्फ़ ब्लाउज़ होने के कारण, मैं वाकई काफ़ी उत्तेजक दिख रही थी।

मामा-जी: उउउउउउउउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़! बेटी ... मैं इसे अब और नहीं सह सकता ... इस ऐंठन को सहना बहुत... बहुत दर्दनाक है... मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता ... आअह्ह्ह्हह!

मैं: हाँ मामा-जी... मैं... मैंने देखा मामा-जी... मैं वास्तव में आपके लिए दुखी हूँ मामा-जी... !

मामा-जी: आह... हर बार जब मुझे यह ऐंठन होती है तो मेरे... उफ्फ़! में दर्द इतना बढ़ जाता है... मैं क्या कहूँ...!

मैं: मामा-जी, आप मक्खन का उपयोग कर सकते हैं... मेरा मतलब है...!

मामा-जी: ओह! हाँ, हाँ! मैं भी कितना मूर्ख हूँ! मैं इसे लगभग भूल ही गया था!

यह कहते हुए मामा-जी ने शायद थोड़ा आराम महसूस करने के लिए अपने पैरों को और घुटनो को मोड़ लिया और मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि लुंगी बस उनकी कमर से गिर गई! उनके दर्द भरी ऐंठन की इस पूरी प्रक्रिया में लुंगी की गाँठ ढीली हो गई होगी और लुंगी बस उनके पैर के एक तरफ़ गिर गई और उनकी पूरी मर्दानगी उजागर हो गई!

मैं: हाआआह!

मैं चिल्लाना बंद नहीं कर सकी, हालाँकि मैं बहुत धीरे से चिल्लाई थी और मेरी आँखें बस उस गहरे रंग के अर्ध-उत्तेजित मांस पर टिकी हुई थीं! मामा-जी ने सौभाग्य से मेरी आह नहीं सुनी और उनका ध्यान अपने दर्द को दूर करने पर केन्द्रित था।

मामा-जी: क्या मक्खन पिघलना शुरू हो गया है? बेटी, क्या तुम माखन की जाँच करोगी?

मैं: उम्म? हेस... मेरा मतलब है ज़रूर मामा-जी।

मैं जल्दी से मक्खन की ट्रे जाँचने के लिए उठ गयी।

मैं: हाँ, यह थोड़ा पिघलना शुरू हो गया है... मुझे लगता है कि पंखे की वज़ह से ज़्यादा पिघल रहा है।

मामा-जी: ओह! तो समय बर्बाद मत करो बेटी... लाओ, लाओ!

मामा-जी इस तथ्य से बेख़बर लग रहे थे कि उनका पुरुषत्व मेरे सामने उजागर हो गया था। वे बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रहे थे। मैं स्वाभाविक रूप से बहुत कठोर थी और मेरी नज़र बार-बार उनके खुले नग्न लिंग की ओर जा रही थी।

मामा-जी की बढ़ती उम्र को देखते हुए गहरे भूरे रंग का, खतना किया हुआ लिंग काफ़ी "जीवंत" लग रहा था और मैं उसकी गुलाबी चमड़ी की एक झलक भी देख सकती थी! मेरा हाथ अपने आप ही मेरी योनि पर चला गया और मैंने अपनी पेटीकोट और पैंटी के ऊपर से अपनी चूत को धीरे से दबाया ताकि मैं शांत रहूँ।

मामा-जी: इसे मुझे मत दो... इसे बिस्तर पर रखो।!

मामा-जी ने मुझे बीच में टोक दिया क्योंकि मैं उन्हें मक्खन की ट्रे देने ही वाली थी।

मैं: ओ... ठीक है मामा-जी।

मामा-जी: बेटी, उफ़्फ़फ़्फ़...... कृपया इस बूढ़े आदमी के बारे में कुछ और मत सोचो...... बेटी मेरे बारे में कुछ भी अन्यथा मत सोचना! आआआआआह! मैं ऐसी समस्या से पीड़ित हूँ। कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे मेरी साँस निकल जाएगी। मैं असहाय हूँ...!

मैं: ओहो मामा-जी! आप बस चुप रहो... मैं जल्द से जल्द आपका दर्द कम करने की कोशिश करूँगी!

आप मुझे बताये क्या और कैसे करना है!

मामा-जी: हाँ, हाँ... लेकिन... लेकिन इसके लिए मुझे पहले अपनी लुंगी खोलनी होगी बेटी... लेकिन... लेकिन मैं उठ नहीं सकता... उफ्फ़! ये दर्द मुझे बहुत परेशान कर रहा है बेटी...!

मैंने अनुमान लगाया कि चूँकि मामा-जी पीठ के बल लेटे हुए थे और उन्हें बहुत दर्द हो रहा था, इसलिए उन्हें इस बात का ध्यान नहीं रहा होगा कि उनकी लुंगी पहले ही उनकी कमर से आंशिक रूप से उतर चुकी थी और उनका पुरुषत्व पहले से ही मेरे सामने था।

मैं: आप कोई परेशानी मत लें... बस आराम करें मामा-जी... मैं कर रही हूँ... हूँ... मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि उस मक्खन का ठीक से क्या करना है?

जब मैं उनकी लुंगी को उनकी कमर से खोलने के लिए आगे बढ़ी तो मेरी उत्तेजना में मेरा दिल धड़कना बंद हो गया और मैं अपने बुज़ुर्ग रिश्तेदार के नंगे लंड को देखकर दंग रह गया! लगभग काँपते हाथों से, मैंने मामा-जी की कमर से पूरी गाँठ खोली और लुंगी को एक तरफ़ खिसकाया ताकि मेरी आँखों के सामने उनका लंड पूरी तरह से नंगा हो जाए।

मैं: वाह!

यह वास्तव में एक लुभावना दृश्य था! मैं अपनी विस्मयकारी अभिव्यक्ति को रोक नहीं सकी क्योंकि मैं इसकी कसावट और गठीले ढांचे के सम्बंध में पहली नज़र में ही काफ़ी प्रभावित हुई थी! मैंने देखा कि उसके लिंग के आधार पर अधिकांश बाल भूरे रंग के थे और उनकी मर्दानगी काफ़ी उभर कर सामने आ रही थी, जबकि उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष थी! मैं वास्तव में इस उम्र में भी मामा-जी के लंड की लचीली प्रकृति को देखकर काफ़ी हैरान थी! मेरे होंठ स्वाभाविक रूप से सूख गए थे और इस निषिद्ध स्थान को देखकर मेरा दिल धड़क रहा था। मैं बार-बार अपने होंठों को अपनी जीभ से चाट रहा था ताकि वे गीले हो जाएँ और सामान्य रहें।

हालाँकि मैंने अपना ध्यान इस बात से हटाने की पूरी कोशिश की, लेकिन मैं मामा-जी के खुले हुए लंड के बारे में उदासीन नहीं रह सकी। उनका लंड वास्तव में आकर्षक था, बेशक अपने आकार के लिए नहीं, बल्कि अपने व्यास और लोच के लिए। इस उम्र में भी, जैसे ही मैंने उनकी कमर से लुंगी को पूरी तरह हटाया, मैंने ग़ौर से देखा कि मामाजी का नंगा लंड तेज़ी से मज़बूत हो कड़ा और खड़ा हो रहा था और हवा में अपना सिर लटका रहा था!

मामाजी (गहरी और तेज़ साँस लेते हुए; बेशक अब उन्हें इस बात का पूरा अहसास था कि उनके जननांग उनकी "बहुरानी" के सामने खुले हुए थे) : बेटी... मेरा मतलब है... उफ़... मुझे... बहुत अजीब लग रहा है।!

मैं (भौं सिकोड़ते हुए) : ओहो! मामाजी... इस को छोड़िये!

मामाजी: नहीं, नहीं... मुझे लगता है कि तुम बहूरानी मेरी स्थिति को समझने में असमर्थ हो। तुम... तुम लगभग मेरी बेटी की उम्र की हो... और तुम्हारे सामने ऐसा होना... । इश्ह्ह्ह।!

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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-11


मामाजी का लिंग

यह वास्तव में एक लुभावना दृश्य था! मैं अपनी विस्मयकारी अभिव्यक्ति को रोक नहीं सकी क्योंकि मैं इसकी कसावट और गठीले ढांचे के संबंध में पहली नज़र में ही काफी प्रभावित हुयी थी ! मैंने देखा कि उनके लिंग के आधार पर अधिकांश बाल भूरे रंग के थे और उनकी मर्दानगी काफी उभर कर सामने आ रही थी, जबकि उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष थी! मैं वास्तव में इस उम्र में भी मामा-जी के लंड की लचीली प्रकृति को देखकर काफी हैरान थी ! मेरे होंठ स्वाभाविक रूप से सूख गए थे और इस निषिद्ध अंग को देखकर मेरा दिल धड़क रहा था। मैं बार-बार अपने होंठों को अपनी जीभ से चाट रही थी ताकि वे गीले हो जाएँ और सामान्य रहें।

हालाँकि मैंने अपना ध्यान इस बात से हटाने की पूरी कोशिश की, लेकिन मैं मामा-जी के खुले हुए लंड के बारे में उदासीन नहीं रह सकी । उनका लंड वास्तव में आकर्षक था, बेशक अपने आकार के लिए नहीं, साथे में इस उम्र में भी अपने व्यास और लोच के लिए । जैसे ही मैंने उनकी कमर से लुंगी को पूरी तरह हटाया, मैंने गौर से देखा कि मामाजी का नंगा लंड तेज़ी से मज़बूत हो रहा था और हवा में लंड का सिर लटका रहा था!

मामाजी (गहरी और तेज़ साँस लेते हुए; बेशक अब उन्हें इस बात का पूरा अहसास था कि उनके जननांग उनकी “बहूरानी” के सामने खुले हुए थे): बेटी… मेरा मतलब है… उफ़… मुझे… बहुत अजीब लग रहा है….!

मैं (भौं सिकोड़ते हुए): ओहो! मामाजी… इसे छोड़िये !

मामाजी: नहीं, नहीं… मुझे लगता है कि तुम बहूरानी मेरी स्तिथि को समझ नहीं पा रही हो…. तुम… तुम लगभग मेरी बेटी की उम्र की हो… और तुम्हारे सामने इस तरह होना… उफ़ …. इश्ह्ह्ह….!

इस बार मैं मामा जी को शर्म से सिर हिलाते हुए देखकर अपनी हंसी नहीं रोक पाई! जब मामा जी ने ऊपर देखा तो मैंने जल्दी से अपनी आँखें नीची कर लीं, हालाँकि मैं अपने बुजुर्ग रिश्तेदार के बहुत "अनुभवी" लंड को और देखने के लिए उत्सुक थी। वास्तव में यह मेरे जीवन में पहली बार था जब मुझे इतने बुजुर्ग, लगभग 60 वर्षीय व्यक्ति का लंड देखने का सौभाग्य मिला! मेरे जीवन के पिछले 5-6 दिन कई लंड देखने के मामले में ये दिन मेरे लिए वास्तव में जीवन भर की उपलब्धि रहे हैं!

कुछ दिन पहले तक , मैं अपने पति के लंड की पूजा करती थी और उससे प्यार करती थी, जो स्वाभाविक रूप से सभी विवाहित महिलाएँ भी करती हैं, लेकिन जैसा मुझे आश्रम में अनुभव हुआ , उससे इस मामले में मेरे सामने मानो एक नया क्षितिज खुल गया!

मामा जी : मामा जी: आआआआआआआआआआआह! इस दर्द के कारण मैं मुझे एक पल भी आराम नहीं मिल रहा ओर मैं निष्क्रिय नहीं रह सकता… आआआआआआआआआआआह!

मामा जी की लंबी चीख के साथ-साथ उनके हाथ भी उनके खुले नंगे लिंग पर आ गए थे!

मामा जी मेरे सामने अपने अर्ध-उत्तेजित लिंग को पूरी तरह से सहला रहे थे! उन्होंने अपने बाएं हाथ से अपने अंडकोष को भी सहलाया! मेरे पति के विपरीत, उनके अंडकोष काफी बड़े और ढीले थे और सबसे दिलचस्प बात यह थी कि वे लगभग “गंजे” थे! उन पर कोई बाल नहीं उगे थे और बिल्कुल साफ दिख रहे थे! क्या मामा जी ने अपने अंडकोष के बाल काटे/साफ किए थे?

मैं: नहीं, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता! इस उम्र में? असंभव! मैं ये क्या सोच रही हूँ?

मैं बड़बड़ायी और अपने बुजुर्ग रिश्तेदार के बारे में इस तरह से सोचने के लिए खुद को फटकार लगाई।

मामा जी ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और वे मेरे सामने अपने हाथों से अपने लंड को सहलाने का आनंद ले रहे थे! स्वाभाविक रूप से मैं अपने ब्लाउज के अंदर भी कसाव महसूस कर रही थी और खुशी-खुशी महसूस कर सकती थी कि मेरी ब्रा के कप मेरे स्तनों पर और भी ज़्यादा फिट हो रहे हैं। मैं हमेशा की तरह इस परिस्तिथि में अपनी पैंटी से ढकी चूत में खुजली महसूस कर रही थी, और मैं मामा-जी की आकर्षक हरकतों को अपनी आँखों के सामने देख रही थी। जाहिर है मैं थोड़ा असहज महसूस कर रही थी और मुझे ठीक रहने के लिए अपनी भारी गांड हिलानी और हिलाना पड़ रहा था।

मामा-जी: बेटी… अब तुम मक्खन का इस्तेमाल कर सकती हो!

मैं: बु… मक्खन? ओह! हाँ मामा-जी… पर… मेरा मतलब है लेकिन इसका इस्तेमाल कैसे करना है?

मामा-जी: हाँ, हाँ, मैं यही कह रहा हूँ… तुम चाकू से इसका एक क्यूब काट लो… यह चाकू ट्रे में ही होना चाहिए।

मैं (चाकू देखकर): हम्म… यह वहाँ है।

मामा-जी: एक क्यूब काट लो और इसे अपने हाथ में लो और मेरी कमर पर लगाओ…!

मैंने मामा-जी के निर्देशानुसार धीमी आवाज़ में काम किया।

मामा-जी: अब… अब बेटी…!

मामा-जी ने विराम लिया और मैं वाकई बहुत बेचैन हो रही थी क्योंकि मैं अच्छी तरह से अनुमान लगा सकती थी कि मुझे मामा-जी के जननांगों पर वह मक्खन लगाना होगा! मेरा दिल सचमुच धड़क रहा था और मेरी साँसों की गति तेज़ होने के कारण मेरे स्तन और भी आकर्षक लग रहे थे।

मामा-जी: बेटी… तुम उस मक्खन के क्यूब को मेरे… मेरे अंडकोषों पर रगड़ो बहूरानी। दरअसल तुम्हें पता है कि हर्निया का दर्द उन बॉल्स से शुरू होता है… मुझे पता है… मेरा मतलब है… मुझे पता है कि यह तुम्हारे लिए वाकई अजीब है बेटी, लेकिन अरे… इस निराशाजनक स्थिति से राहत पाने का यही एक तरीका मेरे लिए कामयाब रहा है।

मैं: हुउहह!

मेरे होंठ खुल गए और मेरा मुंह विस्मय में खुल गया (हालांकि मैं कुछ ऐसा ही होने की उम्मीद कर रही थी)! मामा-जी की आँखों में देखते ही मेरा चेहरा लाल होने लगा। शर्मिंदगी से मेरे कान भी गर्म हो रहे थे। मैं इन परिस्तिथियप में मामा-जी को “नहीं” भी नहीं कह सकती थी क्योंकि मैंने देखा कि वे दर्द से कराह रहे थे। मुझे इस बेहद अशोभनीय कार्य के लिए सहमति में सिर हिलाना पड़ा!

मैं (बहुत विनम्रता से): ओ.. ठीक है मामा-जी… मैं कोशिश करूँगी…!

मैंने खुद को मामा-जी की कमर के पास रख लिया। मेरी उत्तेजना और बेचैनी में मेरी भारी साँसों के कारण, मेरा ब्लाउज थोड़ा नीचे खिसक गया था और मेरी गोरी-चिट्टी क्लीवेज और मेरे बड़े आकार के स्तनों का उभार उजागर हो रहा था।

मामा-जी: बेटी... बहुत धीरे से प्लीज... पूरा एरिया बहुत दर्द कर रहा है, तुम्हें पता है...!

मैं: हाँ मामा-जी...!

मैंने लगभग काँपते हाथों से एक बड़ा सा मक्खन का टुकड़ा काटा और मामा जी की गेंदों के पास अपने हाथ ले गयी ! जब मैंने उन्हें ध्यान से देखा, तो गेंदें उनके लंड से कम काली दिख रही थीं; वे बिस्तर की सतह को छूते हुए काफी नीचे उतरी हुई थीं और उनकी गेंदों की सतह काफी चिकनी थी क्योंकि उन पर कोई बाल नहीं था। मैंने अपने हाथ में मक्खन को उनकी गेंदों से छुआया। मैंने धीरे-धीरे दबाया और उनकी गेंदों पर उस ठन्डे मक्खन के क्यूब को रगड़ना शुरू कर दिया।

मामा जी: आआ ...!

मामा जी ने राहत भरी आवाज़ में लंबी कराह भरी और धीरे से मेरा बायाँ हाथ पकड़ लिया जिसे मैंने इस काम को करने के लिए बिस्तर पर सहारा देने के लिए बिस्तर पर रखा हुआ था। मैं उस हाथ की पकड़ में कृतज्ञता को साफ़ तौर पर महसूस कर सकता था क्योंकि मैं उनके अंडकोषों पर बहुत धीरे से मक्खन रगड़ रही थी ।

मामा जी: ओह्ह ...! बहुरानी... . कुछ राहत मिली और जान में जान आई !

मैंने अपना सिर घुमाकर उनकी ओर देखा और थोड़ा मुस्कुराई। दूसरी बात जो हो रही थी, वह मेरे लिए थोड़ी चिंताजनक थी क्योंकि मैं देख सकती थी कि जैसे-जैसे मैं उसके अंडकोषों पर सख्त मक्खन रगड़ रही थी, उनका लिंग और भी खड़ा और कड़ा हो रहा था।

मामा-जी: बेटी… दरअसल डॉक्टर ने सलाह दी थी… आह्ह्ह्ह्ह्ह… दरअसल डॉक्टर ने सलाह दी थी कि अंडकोषों को पकड़ो और फिर मक्खन को वहाँ घुमाओ… इससे मुझे और राहत मिलेगी…!

मैं: क्या?

मैं स्वाभाविक रूप से इस तरह के अजीब अनुरोध से बहुत खुश नहीं थी! मैं मामाजी के अंडकोष कैसे पकड़ सकती थी? इसका मतलब वास्तव में मामा-जी के यौन अंग को छूना होगा!

मैं: लेकिन मामा-जी…!

मैं स्पष्ट रूप से हिचकिचा रही थी।

मामा-जी: बेटी, मुझे नहीं लगता कि यह कोई समस्या होगी… तुम पहले से ही वहाँ मक्खन रगड़ रही हो… बस एक हाथ में एक अंडकोष पकड़ो और दूसरे हाथ से मक्खन लगाओ। डॉक्टर ने कहा कि इस क्रिया से ज़्यादा मक्खन तेल अंदर तक जाएगा, जो अंततः इस दर्द को कम करने में मदद करेगा…प्लीज़ बेटी…!

जिस तरह से मामा-जी ने “प्लीज़” कहा, वास्तव में मेरे पास उनका विरोध करने के लिए ज़्यादा गुंजाइश नहीं थी। उन्होंने जो जोड़ा वह और भी विचित्र था!

मामा-जी: आआआह… दरअसल तुम जानती हो बहूरानी मेरी नौकरानी कहती है… हर बार जब वह ऐसा करती है… तो वह कहती है कि मेरे अंडकोषों को पकड़ना उसके काम को आसान बनाता है… वह मेरे नितंबों के नीचे एक तकिया भी दबा देती है ताकि मेरे अंडकोष ऊपर दिखें और वह उन पर काम कर सके… और… और वह ऐसा करने के लिए मेरी टाँगों के बीच बैठ जाती है बेटी…
नहीं तो तुम्हें इसे करने में कठिनाई महसूस होगी…!

मैं: ओ! सच में! हम्म… मैं समझ गयी … मैं… मैं कोशिश कर रही हूँ मामा-जी।

मामा-जी: धन्यवाद बेटी…!

मामा-जी ने जल्दी से अपने पैर अलग किए ताकि उनकी टांगो में एक परफेक्ट वी बन जाए और मुझे उस “वी” में बैठने के लिए आमंत्रित किया। यह दृश्य बहुत ही अश्लील और लुभावना था - मामा-जी के बालों वाले पैर और टाँगे अलग हो गयी , उनकी लुंगी उनकी गांड के नीचे गायब हो गई, उनका काला लिंग काफी ऊंचा खड़ा था, और उनकी रसीली गेंदें सचमुच मक्खन से चिकनी और चमक रही थीं!

मामा-जी: आओ बेटी... यहाँ बैठो... फिर तुम इसे और भी आराम से कर सकती हो।

जारी रहेगी
 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-12


मक्खन से अंडकोष और लिंग मालिश
मामा-जी ने जल्दी से अपने पैर अलग किए ताकि उनकी टांगो के बीच में एक परफेक्ट वी बन जाए और उन्होंने मुझे उस "वी" में बैठने के लिए आमंत्रित किया। यह दृश्य बहुत ही अश्लील और उत्तेजक था-मामा-जी के बालों वाले पैर अलग हो गए, उनकी लुंगी उनके नितंबों के नीचे गायब हो गई, उनका काला लिंग काफ़ी लंबा खड़ा था और उनके रसीले अंडकोष सचमुच मक्खन से चिकने थे और चमक रहे थे!

मामा-जी: आओ बेटी... यहाँ बैठो... फिर तुम इसे और भी आराम से कर सकती हो।

मुझे मामा-जी के निर्देश का पालन करना पड़ा और उनके बिस्तर पर चढ़ना पड़ा और उनके पैरों के बीच में बैठना पड़ा। उस समय मैं बिलकुल असहज, पानी से बाहर मछली की तरह महसूस कर रही थी; मेरे होंठ बिल्कुल सूख गए थे, मेरा दिल मेरे ब्लाउज के अंदर किसी भी तरह से धड़क रहा था और मेरी उंगलियों की नोकें पूरी तरह से घबराहट में ठंडी हो रही थीं।

साथ ही मेरे अंदर कामुक उत्तेजना की भावना भी बढ़ रही थी क्योंकि मैं मामा-जी की गठीले मर्दानगी का अद्भुत नज़ारा देख रही थी। जैसे ही मैं उठी और बिस्तर पर चढ़ी, मेरे पेटीकोट के अंदर मेरी मांसल गांड का उभार बहुत ज़्यादा उभर आया और मैंने देखा कि मामा-जी उस दर्दनाक हालत में भी उसे देख रहे थे! जब मैं मामा-जी के पैरों के बीच बिस्तर पर बैठी और मेरे हाथ में मक्खन था, तो मैं अपने शरीर के दोनों तरफ़ उनकी टांगो को महसूस कर सकती थी। मैं थोड़ी हैरान थी क्योंकि जब मैं ऊपर चढ़ रही थी तो मुझे पूरा यक़ीन था कि उनके पैर बहुत ज़्यादा चौड़े थे! मुझे जल्दी से एहसास हुआ कि जैसे ही मैं उनके पैरों के बीच में ख़ुद को रखने के लिए उठी, मामा-जी ने कोण कम कर दिया होगा और अब मेरे पास व्यावहारिक रूप से उनके पैरों पर बैठने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था!

जाहिर है कि मैं अपनी मलाईदार, चिकनी और नरम जांघों को उनके मज़बूत बालों वाले पैरों पर दबाते हुए इस तरह बैठने में 100% सहज महसूस नहीं कर रही थी।

मैं: मामा जी अगर आप कर पाए ... मेरा मतलब है अगर आप अपनी टाँगें थोड़ी फैला ले ... असल में ऐसे मैं नहीं कर सकती ... मैं ये काम करने के लिए यहाँ ठीक से बैठ नहीं सकती और मेरे ऐसे बैठने से आपकी टाँगे दब जाएंगी इससे आपका दर्द बढ़ सकता है!

मामा जी: आआआह्ह्ह्ह! मुझे पता है बेटी... मैंने टाँगे फैलाने की कोशिश की... लेकिन... उफ्फ़फ्फ़... लेकिन मैं उन्हें और फैला नहीं सकता क्योंकिऔर फैलाने पर मेरी कमर में बहुत दर्द हो रहा है। कृपया अब आप ही कैसे भी एडजस्ट करो बहूरानी...

मैं: ओह! ठीक है, ठीक है मामा जी! मैं कोशिश करती हूँ और इसे संभाल सकती हूँ... मैं संभाल सकती हूँ!

इस स्थिति में मैं कुछ ज़्यादा नहीं कर सकती थी और मुझे मामा-जी की बालों वाली टाँगों पर अपनी मोटी जाँघें टिकाकर ऐसे ही बैठ कर आगे बढ़ना था। चूँकि मेरी टाँगें सिर्फ़ मेरे पेटीकोट से ढकी हुई थीं, इसलिए स्वाभाविक रूप से मेरे शरीर पर उनकी टांगो का अहसास काफ़ी ज़्यादा था और जाहिर है कि मैं विचलित हो रही थी।

इसके अलावा, मैं उनके नंगे खड़े लिंग और उसके गुलाबी सिर, उनके लिंगमुण्ड को कैसे अनदेखा कर सकती थी जो चमड़ी से बाहर झांक रहा था और मुझे आमंत्रित कर रहा था! मैं पूरी स्थिति से मंत्रमुग्ध थी और अपने अंदर विकसित हो रही शारीरिक उत्तेजना और यौन उत्तेजना को आसानी से महसूस कर सकती थी। मैंने अपनी आँखें सांवले रंग के "लिंग महाराज" से हटाईं और मामा-जी की तरफ़ देखा; मुझे तुरंत शरमाना पड़ा और अपनी पलकें नीचे करनी पड़ीं क्योंकि मामा-जी सीधे मेरी तरफ़ देख रहे थे।

मामा-जी: बेटी... अगर तुम शुरू कर इसे... आह! तुम जारी रख सकती हो...! उउउउउउउउहहहहहहहहहहहहह!

मैं: (जल्दी से) : हाँ, हाँ...

मैंने जल्दी से ट्रे से मक्खन का एक टुकड़ा निकाला और धीरे से मामा-जी के लटकते हुए अंडकोषों पर दबाया और रगड़ा।

मामा-जी: प्लीज इन्हें थाम लो बहूरानी...आह्ह्ह्ह्ह। प्लीज।!

मैं: हाँ...हाँ मामा-जी!

जब मैंने अपना बायाँ हाथ आगे करके उनके अंडकोषों को पकड़ा तो मैं अपने दिल की धड़कन सुन सकती थी! मककन लगाने से चिकने अंडकोष, मामा-जी के अंडकोष चमक रहे थे और फिसलन भरे थे और वे उनके लंड के नीचे काफ़ी नीचे लटक रहे थे। जैसे ही मैंने उनके अंडकोषों को छुआ और अपने बाएँ हाथ से उन्हें सहलाना शुरू किया, उनके लटकते हुए लिंग पर मानो बिजली का असर हुआ! तुरंत लिंग सीधा हो गया और मैंने उसमें एक सराहनीय कठोरता देखी। इस बुज़ुर्ग व्यक्ति पर अपने हाथ के प्रभाव को देखकर मैं अपनी एक सूक्ष्म मुस्कान नहीं छिपा सकी।

मामा-जी: आह्ह्ह! आह्ह्ह! कितनी राहत मिली! आआह्ह!

मामा-जी की दर्द से भरी चीखें एक पल में राहत भरी कराहों में बदल गईं! जैसे ही मैंने उनके चेहरे को देखा, उस पर अब तीव्र दर्द के कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे! स्वाभाविक रूप से मैं थोड़ा हैरान थी! मेरे हाथ का काम मामा-जी के लिए बहुत राहत देने वाला था!

मैं: मामा-जी, क्या आप बेहतर महसूस कर रहे हैं?

मामा-जी: हाँ बहूरानी... थोड़ा बेहतर! दरअसल आप जानती हैं कि मैं कितना दर्द महसूस कर रहा था ... उफ्फ़! तो थोड़ी राहत मेरे लिए बहुत बड़ी बात लगती है! आह्ह... बहुत बढ़िया बहूरानी... कृपया इसी तरह जारी रखें!

मैंने सिर हिलाया और इस कामुक काम को जारी रखा, अपने दाहिने हाथ से उनके अंडकोषों पर मक्खन रगड़ते हुए, जबकि मैंने अपने खाली बाएँ हाथ से मामा-जी के अंडकोषों को सीधे महसूस किया! मेरे लिए यह अनुभव वाकई बहुत बढ़िया था! हालाँकि मामा-जी के अंडकोष उनकी बढ़ती उम्र के कारण काफ़ी ढीले हो गए थे, लेकिन उनके अंडकोषों का आकार और उनका भारीपन मुझे वाकई प्रभावित कर गया। मेरे पति के अंडकोष, जो टाइट और थोड़े छोटे थे, के विपरीत, मामा-जी के अंडकोष काफ़ी बड़े थे और मैं काफ़ी ऊर्जावान थी और उन्हें सहलाने के लिए उत्सुक थी!

जैसे-जैसे मैं उन्हें सहलाने का काम करती रही, मुझे अपने ब्लाउज़ के अंदर बहुत कसाव महसूस होने लगा और जाहिर तौर पर मैं बहुत सेक्सी और अभद्र दिख रही थी, मेरे पूरे आकार के रसीले स्तन मेरे टाइट फिटिंग ब्लाउज़ से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे और इसके अलावा मामा-जी लेटे हुए मुझे ही एकटक देख रहे थे। स्वाभाविक रूप से मैं बहुत गहरी साँस ले रही थी और अनजाने में पुरुष यौन अंग के और करीब होने से उत्तेजित थी!

मामा-जी: बेटी... बहुत बढ़िया... तुमने मुझे शुरुआती राहत दी है... मुझे लगता है कि मक्खन थेरेपी काम कर रही है... अब... अब मेरे हाथ में थोड़ा मक्खन दो।

मैं थोड़ी हैरान थी। अब वह क्या कर रहे थे? क्या करने वाले थे? हालाँकि मक्खन एक ढकी हुई ट्रे में था, लेकिन गर्मी के मौसम में, पंखे की तेज़ गति से यह जल्दी ही नरम हो रहा था। मैंने एक मध्यम टुकड़ा निकाला और मामा-जी को दिया और फिर मामा-जी ने आगे जो किया, उससे मेरी साँस लगभग रुक गई!

मामा-जी: धन्यवाद... आह्ह...मेरी समस्या तो तुम्हें पता है बेटी... बेशक इस थेरेपी से जो तुमने अभी की है, उससे, अब मुझे अपने अंडकोषों में दर्द कम महसूस हो रहा है, लेकिन अब, मैं... मेरे... मेरे... में एक साथ हल्का दर्द हो रहा है... ओह्ह...!

मामा-जी को यह स्पष्तः बताने की कोई ज़रूरत नहीं थी कि उन्हें कहाँ दर्द हो रहा है, क्योंकि उन्होंने मुझसे मक्खन लिया और उसे अपने खड़े लिंग पर रगड़ना शुरू कर दिया! उनके लिंग में मेरे लगातार उनके अंडकोषों को सहलाने की वज़ह से काफ़ी गर्मी आ गई होगी और मैं बस खुली आँखों से देख रही थी कि कैसे मक्खन कुछ ही समय में पिघलकर तरल रूप में बदल गया!

मामा-जी: ओह... क्या तुम मुझे थोड़ा और दे सकती हो बेटी? आह्ह... मुझे इसे तब तक लगाना चाहिए जब तक यह थोड़ा सख्त है ...इससे मुझे अधिकतम आर्म जल्दी से मिलेगा!

मैं: हाँ... हाँ, हाँ मामा-जी। सच कहूँ तो मैं एक पुरुष (शायद वह लगभग 60 वर्ष का था) को अपने नग्न खड़े लिंग को इतनी नज़दीक से रगड़ते हुए देखकर बहुत, बहुत उत्तेजित और उत्साहित महसूस कर रही थी! मामा-जी की उत्तेजक करतूत को "भूख से" देखते हुए मेरे होंठ अपने आप खुल गए! मैंने उन्हें ट्रे से थोड़ा और मक्खन दिया और मामा-जी ने तुरंत मक्खन उनके लिंग को सहलाना शुरू कर दिया, इस बार दोनों हाथों से, उनके पूरे लिंग पर मक्खन फैला दिया! मुझे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि इस उम्र में भी वह लगातार लंबे समय तक अपना लिंग उत्तेजित बनाए रखने में सक्षम थे!

जारी रहेगी

 
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CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी का हर्निया का दर्द

अपडेट-13

मक्खन थेरेपी, दर्द और फिर नकसीर

मामा-जी: बेटी... बहुत बढ़िया... तुमने मेरा मतलब मक्खन ने मुझे शुरुआती राहत दी है... मुझे लगता है कि मक्खन थेरेपी काम कर रही है... अब... अब मेरे हाथ में थोड़ा मक्खन दो।

मैं थोड़ा हैरान थी। अब वह क्या करने जा रहे थे? हालाँकि मक्खन एक ढकी हुई ट्रे में था, लेकिन पंखे की तेज़ गति से यह जल्दी ही नरम हो रहा था। मैंने एक मध्यम टुकड़ा खुरच कर मामा-जी को दिया और मामा-जी ने जो किया, उससे मेरी साँस लगभग रुक गई!

मामा-जी: धन्यवाद... आह... समस्या तो तुम जानती हो बेटी... अब जब मुझे अपने अंडकोषों में दर्द कम महसूस हो रहा है, तो मैं... मेरे अंडकोषों और मेरे... में एक साथ हल्का दर्द महसूस कर रहा हूँ... मेरे। ...में ऊऊऊऊहह...!

मामा-जी को यह बताने की कोई ज़रूरत नहीं थी कि उन्हें नया दर्द कहाँ हो रहा है, क्योंकि उन्होंने मुझसे मक्खन लिया और उसे अपने खड़े लिंग पर रगड़ना शुरू कर दिया! मेरे द्वारा लगातार उसके अंडकोषों को सहलाने के कारण उसका लंड काफ़ी गर्म हो गया होगा और मैं बस खुली आँखों से देख रही थी कि कैसे मक्खन कुछ ही समय में पिघलकर तरल रूप में बदल गया!

मामा-जी: ओह... क्या तुम मुझे थोड़ा और मक्खन दे सकती हो बेटी? आह... मुझे इसे तब तक लगाना चाहिए जब तक यह थोड़ा सख्त हो जाए...!

मैं: हाँ... हाँ, हाँ मामा-जी।

सच कहूँ तो मैं एक पुरुष (शायद वह लगभग 60 वर्ष का था) को अपने नग्न खड़े लिंग को इतनी निकटता से रगड़ते हुए देखकर बहुत, बहुत उत्तेजित महसूस कर रही थी! मामा-जी की उत्तेजक करतूत को "भूख से" देखते हुए मेरे होंठ अपने आप खुल गए! मैंने उन्हें ट्रे से थोड़ा और मक्खन दिया और मामा-जी ने तुरंत मक्खन लगा कर अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया, इस बार दोनों हाथों से, मक्खन को उसके पूरे लिंग पर फैला दिया! मुझे यह देखकर काफ़ी आश्चर्य हुआ कि इस उम्र में भी वह लगातार लंबे समय तक अपने लिंग को उत्तेजित बनाए रखने में सक्षम थे!

जब मैंने मामाजी को अपने नंगे तेल से सने लंड को दोनों हाथों से सहलाते हुए ग़ौर से देखा, तो मैंने मामाजी के अंडकोषों को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया और इस छक्के में मैं मक्खन की भूमिका को पूरी तरह से भूल गई। मामाजी के अंडकोष मक्खन से भरपूर होने के कारण अब बहुत फिसलन भरे थे और वे लगभग चमक रहे थे, जिससे चीजें मेरे लिए और भी आकर्षक हो गईं। पूरी अनुभूति बेहद उत्तेजक थी और मुझे एक पल के लिए पछतावा भी हुआ कि मैंने हमारे संभोग के दौरान अपने पति पर यह शरारत क्यों नहीं आजमाई! मैं ख़ुद पर मुस्कुराई और आह भरी और शर्म से अपनी पलकें नीचे कर लीं! जब मैंने नीचे देखा तो मैं यह देखकर चौंक गई कि मैं अपने मक्खन के रंग के क्लीवेज को अपने ब्लाउज के गले पर काफ़ी हद तक उजागर कर रही थी। मुझे भी पसीना आ रहा था, हालांकि थोड़ा-सा पसीना था, छत का पंखा चालू होने के बावजूद!

मैं: उउ ... मैं उन्हें एक बार धीरे से दबाने के प्रलोभन का विरोध नहीं कर सकी।

मामा-जी: उउउउउच! तुम क्या कर रही हो बेटी?

मैं: ओह! मुझे बहुत... माफ़ करना मामा-जी! मेरा ऐसा करने का इरादा नहीं था...!

मामा-जी: यह जगह बहुत दर्द कर रही है बेटी... कृपया सावधान रहो!

मैं: हाँ, हाँ मामा-जी... मैं सावधान रहूँगी।

कुछ ही समय में मैं समझ गयी कि अब मामा-जी का लंड अपने पूरे आकार में आ गया था और उनके शरीर से बाहर नग्न खड़ा था। हालाँकि यह मेरे पति के लंड के आकार से निर्विवाद रूप से छोटा था, मामा-जी का लंड काफ़ी मांसल, मज़बूत और सख्त दिख रहा था। मामा-जी अब बहुत तेज-तेज साँस ले रहे थे क्योंकि मैं उनके मक्खन से लदे अंडकोषों की मालिश करना जारी रखे हुए थी और वे अपने लंड की मालिश ख़ुद कर रहे थे।

ठीक उसी समय, मामा-जी अचानक इतनी ज़ोर से चिल्लाए कि मैं सचमुच चौंक गयी और हिल गयी!

मामा-जी: उउउउउउउउइ ...!

मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी कि उसकी एड़ियाँ मेरी मज़बूत गांड की मांसपेशियों में गहराई तक धंस रही थीं। यह एहसास बहुत ही अजीब और वास्तव में बहुत ही सेक्सी था!

मैं: ओ-उउ-च-हह!

मेरी उंगलियों ने अपने आप ही उनके अंडकोषों की मालिश करना बंद कर दिया और मैंने उन पर अपनी गहरी भौंहें सिकोड़ी।

" मामा-जी? मामा-जी? क्या हुआ?"

मामा-जी दर्द के कारण जवाब देने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन उनके चेहरे से कहानी का पता चल गया। उन्हें बहुत दर्द हो रहा था और उनके पैर अंदर की ओर मुड़े हुए थे और उन्होंने अपने हाथों से अपने सीधे लिंग को बहुत कसकर पकड़ रखा था।

मैं: मामा-जी! मामा-जी!

मैं एक अजीब-सी स्थिति में पहुँच रही थी क्योंकि मामा जी अपने पैरों से मेरी जाँघों और नितंबों को दबा रहे थे। मैं उनके पूरे शरीर को लड़खड़ाते और झुकते हुए देख सकती थी, जिसके परिणामस्वरूप मैं उनके मज़बूत पैरों के बीच फँस रही थी।

मैं: आआआउउउचच!

मामा जी के पैर उनके घुटनों से मुड़े हुए थे और मेरे मांसल गोल नितंबों पर ज़ोर से दबा रहे थे! मैं साफ़ तौर पर महसूस कर सकती थी कि उनकी एड़ियाँ मेरे मज़बूत नितंबों में गहराई तक धँस रही थीं। यह एहसास बहुत ही अनोखा और वाकई बहुत सेक्सी था!

मैं: ओ-उउउ-च-हह!

यह कहते ही मैं जोश में लगभग हांफने लगी। मामा-जी ने अपने पैरों को इस तरह मोड़ लिया था कि उनकी एड़ियाँ सीधे मेरी हिलती हुई गांड पर दबाव डाल रही थीं।

मैं: मामा-जी, क्या हो रहा है? अब दर्द कहाँ है?

जैसे ही मैंने सवाल पूछा, मैं उनके बालों वाली टांगो के चंगुल से निकलने की पूरी कोशिश कर रही थी। स्थिति पल-पल अजीब होती जा रही थी क्योंकि वह अपने पैरों को बहुत ही अभद्र तरीके से मेरी गांड और ऊपरी जांघों पर रगड़ और दबा रहे थे!

मैं: मामा-जी! मामा-जी, कृपया मुझे बताएँ क्या हो रहा है!

मामा-जी की चुप्पी के कारण मैं लगातार चिंतित होती जा रही थी और अचानक मैंने देखा कि मामा-जी ने अपने लिंग से हाथ हटा लिया और अपनी नाक पकड़ ली! स्वाभाविक रूप से मैं इस अचानक हुई घटना से काफ़ी हैरान थी!

मैं: मामा-जी... मामा-जी, आपकी नाक को क्या हुआ? मामा-जी!

मामा-जी ने दर्द से कुछ आहें भरीं और कुछ नहीं कहा, लेकिन अपने पैरों के बीच मेरी मज़बूत गांड की मांसपेशियों को दबाना जारी रखा। स्वाभाविक रूप से मैं काफ़ी उत्तेजित हो रही थी और इसलिए भी क्योंकि मैं लगातार एक परिपक्व नग्न पुरुष लिंग को देख रही थी! चूँकि उनके पैरों की तंग जकड़ में मेरे लिए चीजें लगातार गर्म होती जा रही थीं, इसलिए मुझे बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ा। मामा-जी अब वास्तव में अपनी एड़ी से मेरे गोल गांड के ख़ास हिस्सों को दबा रहे थे और उनके पैर मेरी मोटी ऊपरी जांघों को महसूस करने की कोशिश कर रहे थे।

जैसे ही मैं उसके पैरों के चंगुल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, मैंने देखा कि मामा-जी ने अपने हाथ नाक से थोड़ा हटा लिए और... और... वहाँ था... हे भगवान! ...खून!

मैं: हाय मामा-जी! आपकी नाक से खून बह रहा है!

मामा-जी ने अविश्वास में मेरी ओर देखा और अपनी उंगलियाँ जाँचीं और लाल रंग से पता चला कि उनकी नाक से खून निकल रहा था!

मैं: मामा-जी, अब डॉक्टर को बुला लेना चाहिए! मुझे लगता है कि यह बहुत गंभीर हो रहा है!

मामा-जी ने अपना हाथ उठाया और मुझे इशारा किया कि इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।

मामा-जी (उनकी आवाज़ धीमी थी) : आआआआह! नहीं बेटी! यह अचानक नहीं हुआ बेटी...!

मैं: आएँ! क्या? मतलब...आपको पता था कि ऐसा होगा?

मामा-जी: आह! हाँ... दरअसल अगर हर्निया का दर्द बहुत ज़्यादा है... आह... तब दबाव बढ़ जाता ...है, आप जानते हैं... और... और कभी-कभी नाक से खून भी निकलता है... डॉक्टर ने मुझे पहले ही इस बारे में बता दिया था और वास्तव में ऐसा पहले भी हुआ है! तो... तो, घबराओ मत बहूरानी! घबराओ मत!

मैं: इश! लेकिन मुझे कम से कम इसे पोंछने दो! इश...आप मुझे इसे साफ़ करने दो! यह...!

मामा जी: अरे नहीं नहीं... कोई बात नहीं... मैं ख़ुद ही पोंछ लूँगा बेटी... लेकिन मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है... क्योंकि डॉक्टर ने मुझे एक सावधानी के बारे में चेतावनी दी थी जो मुझे रक्तस्राव के बाद बरतनी चाहिए... नहीं तो... नहीं तो यह मेरे लिए घातक हो सकता है!

जैसे ही वह अपनी बात पूरी कर रहे थे, उन्होंने जल्दी से अपनी कमर थोड़ी ऊपर उठाई और अपनी लुंगी निकाली और इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, उसने अपनी नाक से खून पोंछना शुरू कर दिया। यह मेरे लिए वाकई एक अद्भुत नज़ारा था क्योंकि मेरा बुज़ुर्ग रिश्तेदार अपनी कमर से नीचे तक बिल्कुल नंगा था और उसका लिंग अभी भी ऊपर खड़ा लटक रहा था!

साथ ही, मैं स्वाभाविक रूप से खून देखकर घबरा गयी थी। हालाँकि मामा जी ने उसे पोंछ दिया था, फिर भी उनकी नाक पर दाग रह गए थे।

मैं: मुझे लगता है... मुझे लगता है मामा जी... मुझे डॉक्टर को बुलाना चाहिए!

जारी रहेगी

 
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