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इस अध्भुत कहानी के इस मोड़ पर मैं इस संशय में हूँ के कहानी को किधर ले जाया जाए ?


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deeppreeti

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परिचय

आप सब से एक महिला की कहानी किसी न किसी फोरम में पढ़ी होगी जिसमे कैसे एक महिला जिसको बच्चा नहीं है एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं,

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे एक महिला बच्चे की आस लिए एक गुरूजी के आश्रम पहुंची और वहां पहले दो -तीन दिन उसे क्या अनुभव हुए पर कहानी मुझे अधूरी लगी ..मुझे ये कहानी इस फोरम पर नजर नहीं आयी ..इसलिए जिन्होने ना पढ़ी हो उनके लिए इस फोरम पर डाल रहा हूँ



GIF1

मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और मह यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है

अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है .


वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


1. इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .

2. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .

Note : dated 1-1-2021

जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी।


बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था।

अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
Note dated 8-1-2024


इससे पहले कहानी में , कुछ रिश्तेदारों, दूकानदार और एक फिल्म निर्देशक द्वारा एक महिला के साथ हुए अजीब अनुभवो के बारे में बताया गया है , कहानी के 270 भाग से आप एक डॉक्टर के साथ हुए एक महिला के अजीब अनुभवो के बारे में पढ़ेंगे . जीवन में हर कार्य क्षेत्र में हर तरह के लोग मिलते हैं हर व्यक्ति एक जैसा नही होता. डॉक्टर भी इसमें कोई अपवाद नहीं है अधिकतर डॉक्टर या वैध या हकिम इत्यादि अच्छे होते हैं, जिनपर हम पूरा भरोसा करते हैं, अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं ...
वास्तव में ऐसा नहीं है की सब लोग ऐसे ही होते हैं ।

सभी को धन्यवाद,


कहानी का शीर्षक होगा


औलाद की चाह



INDEX

परिचय

CHAPTER-1 औलाद की चाह

CHAPTER 2 पहला दिन

आश्रम में आगमन - साक्षात्कार
दीक्षा


CHAPTER 3 दूसरा दिन

जड़ी बूटी से उपचार
माइंड कण्ट्रोल
स्नान
दरजी की दूकान
मेला
मेले से वापसी


CHAPTER 4 तीसरा दिन
मुलाकात
दर्शन
नौका विहार
पुरानी यादें ( Flashback)

CHAPTER 5- चौथा दिन
सुबह सुबह
Medical चेकअप
मालिश
पति के मामा
बिमारी के निदान की खोज

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

CHAPTER 6 पांचवा दिन - परिधान - दरजी

CHAPTER 6 फिर पुरानी यादें

CHAPTER 7 पांचवी रात परिकर्मा

CHAPTER 8 - पांचवी रात लिंग पूजा

CHAPTER 9 -
पांचवी रात योनि पूजा

CHAPTER 10 - महा यज्ञ

CHAPTER 11 बिमारी का इलाज

CHAPTER 12 समापन



INDEX

औलाद की चाह 001परिचय- एक महिला की कहानी है जिसको औलाद नहीं है.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 002गुरुजी से मुलाकात.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 003पहला दिन - आश्रम में आगमन - साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 004दीक्षा से पहले स्नान.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 004Aदीक्षा से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 005आश्रम में आगमन पर साक्षात्कार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 006आश्रम के पहले दिन दीक्षा.Mind Control
औलाद की चाह 007दीक्षा भाग 2.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 008दीक्षा भाग 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 009दीक्षा भाग 4.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 010जड़ी बूटी से उपचार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 011जड़ी बूटी से उपचार.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 012माइंड कण्ट्रोल.Mind Control
औलाद की चाह 013माइंड कण्ट्रोल, स्नान. दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 014दरजी की दूकान.Mind Control
औलाद की चाह 015टेलर की दूकान में सामने आया सांपो का जोड़ा.Erotic Horror
औलाद की चाह 016सांपो को दूध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 017मेले में धक्का मुक्की.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 018मेले में टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 019मेले में लाइव शो.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 020मेले से वापसी में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 021मेले से औटो में वापसीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 022गुरुजी से फिर मुलाकातNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 023लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 024लाइन में धक्कामुक्कीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 025नदी के किनारे.Mind Control
औलाद की चाह 026ब्रा का झंडा लगा कर नौका विहार.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 027अपराध बोध.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 028पुरानी यादें-Flashback.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 029पुरानी यादें-Flashback 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 030पुरानी यादें-Flashback 3.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 031चौथा दिन सुबह सुबह.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 032Medical Checkup.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 033मेडिकल चेकअप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 034मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 035मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 036मालिश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 037ममिया ससुर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 038बिमारी के निदान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 039बिमारी के निदान 2.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 040कुंवारी लड़की.First Time
औलाद की चाह 041कुंवारी लड़की, माध्यम.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 042कुंवारी लड़की, मादक बदन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 043दिल की धड़कनें .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 044कुंवारी लड़की का आकर्षण.First Time
औलाद की चाह 045कुंवारी लड़की कमीना नौकर.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 046फ्लैशबैक–कमीना नौकर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 047कुंवारी लड़की की कामेच्छायें.First Time
औलाद की चाह 048कुंवारी लड़की द्वारा लिंगा पूजा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 049कुंवारी लड़की- दोष अन्वेषण और निवारण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 050कुंवारी लड़की -दोष निवारण.Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 051कुंवारी लड़की का कौमार्य .NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 052कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग.First Time
औलाद की चाह 053ठरकी लंगड़ा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 054उपचार की प्रक्रिया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 055परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 056परिधानNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 057परिधान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 058टेलर का माप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 059लेडीज टेलर-टेलरिंग क्लास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 060लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 061लेडीज टेलर-नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 062लेडीज टेलर की बदमाशी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 063बेहोशी का नाटक और इलाज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 064बेहोशी का इलाज़-दुर्गंध वाली चीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 065हर शादीशुदा औरत इसकी गंध पहचानती है, होश आया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 066टॉयलेट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 067स्कर्ट की नाप.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 068मिनी स्कर्ट.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 069मिनी स्कर्ट एक्सपोजरNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 070मिनी स्कर्ट पहन खड़े होना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 071मिनी स्कर्ट पहन बैठनाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 072मिनी स्कर्ट पहन झुकना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 073मिनी स्कर्ट में ऐड़ियों पर बैठना.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 074फोन सेक्स.Erotic Couplings
औलाद की चाह 075अंतर्वस्त्र-पैंटी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 076पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 077ड्रेस डॉक्टर पैंटी की समस्या.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 078परिक्षण निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 079आपत्तिजनक निरक्षण.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 080कुछ पल विश्राम.How To
औलाद की चाह 081योनि पूजा के बारे में ज्ञान.How To
औलाद की चाह 082योनि मुद्रा.How To
औलाद की चाह 083योनि पूजा.How To
औलाद की चाह 084स्ट्रैप के बिना वाली ब्रा की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 085परिधान की आजमाईश.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 086एक्स्ट्रा कवर की आजमाईश.How To
औलाद की चाह 087इलाज के आखिरी पड़ाव की शुरुआत.How To
औलाद की चाह 088महिला ने स्नान करवाया.How To
औलाद की चाह 089आखिरी पड़ाव से पहले स्नान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 090शरीर पर टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 091योनि पूजा का संकल्प.How To
औलाद की चाह 092योनि पूजा आरंभ.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 093योनि पूजा का आरम्भ में मन्त्र दान.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 094योनि पूजा का आरम्भ में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 095योनि पूजा का आरम्भ में माइक्रोमिनी में आश्रम की परिक्रमा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 096काँटा लगा.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 097काँटा लगा-आपात काले मर्यादा ना असते.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 098गोद में सफर.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 099परिक्रमा समापन.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 100चंद्रमा आराधना-टैग.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 101उर्वर प्राथना सेक्स देवी बना दीजिये।NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 102चंद्र की रौशनी में स्ट्रिपटीज़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 103चंद्रमा आराधना दुग्ध स्नान की तयारी.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 104समुद्र के किनारेIncest/Taboo
औलाद की चाह 105समुद्र के किनारे तेज लहरIncest/Taboo
औलाद की चाह 106समुद्र के किनारे अविश्वसनीय दृश्यNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 107एहसास.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 108भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 109भाभी का मेनोपॉजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 110भाबी का मेनोपॉज.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 111भाबी का मेनोपॉज- भीड़ में छेड़छाड़.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 112भाबी का मेनोपॉज - कठिन परिस्थिति.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 113बहन के बेटे के साथ अनुभव.Incest/Taboo
औलाद की चाह 114रजोनिवृति के दौरान गर्म एहसास.Incest/Taboo
औलाद की चाह 115रजोनिवृति के समय स्तनों से स्राव.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 116जवान लड़के का आकर्षणIncest/Taboo
औलाद की चाह 117आज गर्मी असहनीय हैNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 118हाय गर्मीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 119गर्मी का इलाजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 120तिलचट्टा कहाँ गया.NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 121तिलचट्टा कहाँ गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 122तिलचट्टे की खोजNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 123नहलाने की तयारीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 124नहलाने की कहानीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 125निपल्स-आमों जितने बड़े नहीं हो सकते!How To
औलाद की चाह 126निप्पल कैसे बड़े होते हैं.How To
औलाद की चाह 127सफाई अभियान.Incest/Taboo
औलाद की चाह 128तेज खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 129सोनिआ भाभी की रजोनिवृति-खुजलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 130सोनिआ भाभी की रजोनिवृति- मलहमNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 131स्तनों की मालिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 132युवा लड़के के लंड की पहली चुसाई.How To
औलाद की चाह 133युवा लड़के ने की गांड की मालिश .How To
औलाद की चाह 134विशेष स्पर्श.How To
औलाद की चाह 135नंदू का पहला चुदाई अनुभवIncest/Taboo
औलाद की चाह 136नंदू ने की अधिकार करने की कोशिशIncest/Taboo
औलाद की चाह 137नंदू चला गयाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 138भाभी भतीजे के साथExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 139कोई देख रहा है!Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 140निर्जन समुद्र तटExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 141निर्जन सागर किनारे समुद्र की लहरेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 142फ्लैशबैक- समुद्र की लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 143समुद्र की तेज और बड़ी लहरे !Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 144फ्लैशबैक- सागर किनारे गर्म नज़ारेExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 145सोनिआ भाभी रितेश के साथMature
औलाद की चाह 146इलाजExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 147सागर किनारे चलो जश्न मनाएंExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 148सागर किनारे गंदे फर्श पर मत बैठोNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 149सागर किनारे- थोड़ा दूध चाहिएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 150स्तनों से दूधNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 151त्रिकोणीय गर्म नजाराExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 152अब रिक्शाचालक की बारीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 153सागर किनारे डबल चुदाईExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 154पैंटी कहाँ गयीExhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 155तयारी दुग्ध स्नान की ( फ़्लैश बैक से वापसी )Mind Control
औलाद की चाह 156टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 157दूध सरोवर स्नान टैग का स्थानंतरण ( कामुक)Mind Control
औलाद की चाह 158दूध सरोवर स्नानMind Control
औलाद की चाह 159दूध सरोवर में कामुक आलिंगनMind Control
औलाद की चाह 160चंद्रमा आराधना नियंत्रण करोMind Control
औलाद की चाह 161चंद्रमा आराधना - बादल आ गएNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 162चंद्रमा आराधना - गीले कपड़ों से छुटकाराNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 163चंद्रमा आराधना, योनि पूजा, लिंग पूजाNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 164बेडरूमHow To
औलाद की चाह 165प्रेम युक्तियों- दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक माहौलHow To
औलाद की चाह 166प्रेम युक्तियाँ-दिलचस्प संभोग के लिए आवश्यक -फोरप्ले, रंगीलेHow To
औलाद की चाह 167प्रेम युक्तियाँ- कामसूत्र -संभोग -फोरप्ले, रंग का प्रभावHow To
औलाद की चाह 168प्रेम युक्तियाँ- झांटो के बालHow To
औलाद की चाह 169योनि पूजा के लिए आसनHow To
औलाद की चाह 170योनि पूजा - टांगो पर बादाम और जजूबा के तेल का लेपनHow To
औलाद की चाह 171योनि पूजा- श्रृंगार और लिंग की स्थापनाHow To
औलाद की चाह 172योनि पूजा- लिंग पू जाHow To
औलाद की चाह 173योनि पूजा आँखों पर पट्टी का कारणHow To
औलाद की चाह 174योनि पूजा- अलग तरीके से दूसरी सुहागरात की शुरुआतHow To
औलाद की चाह 175योनि पूजा- दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 176योनि पूजा - दूसरी सुहागरात-आलिंगनHow To
औलाद की चाह 177दूसरी सुहागरात - चुम्बन Group Sex
औलाद की चाह 178 दूसरी सुहागरात- मंत्र दान -चुम्बन आलिंगन चुम्बन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 179 यौनि पूजा शुरू-श्रद्धा और प्रणाम, स्वर्ग के द्वार Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 180 यौनि पूजा योनि मालिश योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 181 योनि पूजा मंत्र दान और कमल Group Sex
औलाद की चाह 182 योनि पूजा मंत्र दान-मेरे स्तनो और नितम्बो का मर्दन Group Sex
औलाद की चाह 183 योनि पूजा मंत्र दान- आप लिंग महाराज को प्रसन्न करेंगी Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 184 पूर्णतया अश्लील , सचमुच बहुत उत्तेजक, गर्म और अनूठा अनुभव Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 185 योनि पूजा पूर्णतया उत्तेजक अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 186 उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव Group Sex
औलाद की चाह 187 उत्तेजक गैंगबैंग का कारण Group Sex
औलाद की चाह 188 लिंग पूजा Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 189 योनि पूजा में लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 190 योनि पूजा लिंग पूजा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 191 लिंग पूजा- लिंगा महाराज को समर्पण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 192 लिंग पूजा- लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 193 साक्षात मूसल लिंग पूजा लिंग जागरण क्रिया NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 194योनी पूजा में परिवर्तन का चरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 195 योनि पूजा- जादुई उंगलीNonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 196योनि पूजा अपडेट-27 स्तनपान NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 197 7.28 पांचवी रात योनि पूजा मलाई खिलाएं और भोग लगाएं NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 198 7.29 -पांचवी रात योनि पूजा योनी मालिश NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 199 7.30 योनि पूजा, जी-स्पॉट, डबल फोल्ड मालिश का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 200 7.31 योनि पूजा, सुडोल, बड़े, गोल, घने और मांसल स्त NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 201 7.32 योनि पूजा, स्तनों नितम्बो और योनि से खिलवाड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 202 7. 33 योनि पूजा, योनि सुगम जांच NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 203 7.34 योनि पूजा, योनि सुगम, गर्भाशय में मौजूद NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 204 7.35 योनि सुगम-गुरूजी का सेक्स ट्रीटमेंट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 205 7.36 योनि सुगम- गुरूजी के सेक्स ट्रीटमेंट का प्रभाव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 206 7.37 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों को आपसी बातचीत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 207 7.38 योनि सुगम- गुरूजी के चारो शिष्यों के पुराने अनुभव NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 208 7.39 योनि सुगम- बहका हुआ मन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 209 7.40 बहका हुआ मन -सपना या हकीकत Mind Control
औलाद की चाह 210 7.41 योनि पूजा, स्पष्टीकरण NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 211 7.42 योनि पूजा चार दिशाओ को योनि जन दर्शन Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 212 7.43 योनि पूजा नितम्बो पर थप्पड़ NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 213 7.44 नितम्बो पर लाल निशान का धब्बा NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 214 7.45 नितम्ब पर लाल निशान के उपाए Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 215 7.46 बदन के हिस्से को लाल करने की ज़रूरत NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 216 7.47 आश्रम का आंगन - योनि जन दर्शब Exhibitionist & Voyeur
औलाद की चाह 217 7.48 योनि पूजा अपडेट-योनि जन दर्शन NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 218 7.49 योनि पूजा अपडेट योनी पूजा के बाद विचलित मन, आराम! NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 219 CHAPTER 8- 8.1 छठा दिन मामा-जी मिलने आये Incest/Taboo
औलाद की चाह 220 8.2 मामा-जी कार में अजनबियों को लिफ्ट NonConsent/Reluctance
औलाद की चाह 221 8. 3 मामा-जी की कार में सफर NonConsent/Reluctance

https://xforum.live/threads/औलाद-की-चाह.38456/page-8
 
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deeppreeti

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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-18


उत्तेजक गैंगबैंग का कारण


मैं: गुरु जी… कृपया मुझ पर दया करें….

मैं इतना बेताब थी कि अब मैं वस्तुतः चुदाई के लिए भीख माँग रही थी !

हालाँकि गुरूजी ने पहले ही
मेरी आँखो से पट्टी हटा देने की आज्ञा राजकमल को दे दी थी परन्तु उस समय वो चारो भी इतने उत्तेजित थे की मेरे उस मात्रा दान सत्र के आखिरी भाग में वो मेरी आँखों से पट्टी हटाना ही भूल गए थे .

गुरूजी : राजकमल, अब रश्मि की आँखें खोल दो आप इसे खोलना भूल गए थे ।

मैंने महसूस किया कि हाथों का एक जोड़ा मेरी आंखों के ऊपर से मेरे कपड़े की पट्टी खोल रहा है। एक पल के लिए तो सब कुछ धुंधला सा लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, मुझे सब कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगा। जैसे ही मेरी आँखें गुरु-जी के प्रत्येक शिष्य से मिलीं, मेरी पलकें स्वतः ही झुक गईं। मैं उनमें से किसी को भी अभी एक हफ्ते पहले नहीं जानती थी और आज उन सभी ने मुझे चूमा और मेरे अंतरंग शरीर के सबसे अंतरंग अंगों को सहलाया, और मैंने भी उनके अन्तरंगज अंग को महसूस किया और उत्तेजित हो कर सहलाया था जिसे केवल एक महिला ही अपने पति को साझा कर सकती है।

गुरुजी : रश्मि ! बेटी आमतौर पर सेक्स के दौरान पार्टनर अपने साथी के एक या दो हिस्सों को छूते हैं और अधिकतर यही सोचते हैं कि सेक्स योनि और लिंग में ही होता है। लेकिन रश्मि अब आपने खुद अनुभव किया है की सेक्स केवल उन सेक्स ऑर्गन्स से परे है। लिंग और योनि मूल रूप से पुनर्जनन अंग हैं। सेक्स की शुरुआत या अनुभव एक स्पर्श, या देखने या सोचने से भी हो सकती है। तो अब आप जानती हैं कि शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को छूने से आप यौन आवेश महसूस कर सकती हैं। और यही इस मल्टी पार्टनर मंत्र दान का पूरा उद्देश्य था।



गुरुजी:- रश्मि ! ये बातें सुनने में काफी सरल लग सकती हैं, लेकिन वास्तव में यह आपको और अधिक प्रेम के द्वार खोलने में मदद करती हैं। प्यार बिस्तर में या जब आप प्यार करने का इरादा रखते हैं तो प्यार बेशर्मी की मांग करता है। अगर आप बोल्ड और क्रिएटिव हैं तो आपके पति अपने आप आपसे चिपके रहेंगे। उन्हें आपमें हमेशा कुछ नयापन मिलेगा और जब मैं इन तकनीकों की चर्चा करता हूं, और अब तो आप खुद भी जान गयी होंगे कि एक बार जब आपके पति को यह प्यार महसूस होगा, तो वह आपके लिए यौन रूप से अधिक खुले रहेंगे और आपके साथ अधिक बार और बार बार प्यार करना चाहेंगे। मुझे पूरा विश्वास है रश्मि! अब सेक्स के बारे में आपकी काफी भ्रांतिया दूर गयी होंगी ।




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मैं उनकी व्याख्याओं से मंत्रमुग्ध हो गयी थी . मुझे उनके समझाने का तरीका पसंद आया और निश्चित रूप से और मैं और जानने के लिए उत्सुक हो रही थी लेकिन उस समय मैं इतनी उत्तेजित थी कि अब मुझे सेक्स पर व्याख्यान के बजाय वास्तविक सेक्स चाहिए था।

लेकिन मैं अभी जिस सत्र से गजरी थी और जैसा कि मैं सब कुछ जोर से और स्पष्ट रूप से देख पा रही थी की मैं लगभग नग्न थी और गुरूजी के चराई शिष्य जो की मुझसे कुछ गज डियर खड़े थे वो भी नग्न थे और उनके लिंग खड़े हुए मेरे और चिह्नित थे और उन्हें देख मुझे बहुत शर्म आ रही थी!

गुरु-जी : रश्मि क्या आप इस बीच मंत्र को दोहरा पायी ?

स्वाभाविक सवाल, मैंने सोचा!

मैं: अह्ह्ह . हाँ... हाँ गुरु जी मैंने पूरा प्रयास किया ।

गुरु जी : बहुत बढ़िया ! यह बहुत महत्वपूर्ण है। और सच्चो अगर ये सत्र आपने अपनी पति के साथ किया होता तो वो इस समय आप उसके साथ बिस्तर पर होतीं, और वो ऐसे ऐसे हालात में आपके चुत ड्रिल कर रहा होता ! हा हा हा..

क्षण भर में मेरे अंदर जो ग्लानि और शर्म के भाव उतपन्न हुए उन्होंने यौन इच्छा को मेरी तर्कसंगत इंद्रियों ने दबा दिया, हालांकि यह बहुत ही अल्पकालिक था। संक्षेप में मैंने अपने घर, अपने परिवार, अपने पति, अपने पड़ोस की छवियों की कल्पना की - मेरी आंखों के सामने उन सबके चित्र आये और मैंने अपनी पलकों को कुछ झपका। अपने ससुर को परदे में चाय पिलाते हुए, अपनी सास के साथ पूजा करते हुए, पड़ोसी के घर जाते समय शालीनता से ढके हुए कपड़े, पति राजेश का प्यार…। सब कुछ जैसे मेरी आंखों ने घूम गया ।

और, जब मैंने अपने आप को यहां पूजा-घर में देखा तो मैंने अपने आप को उस आश्चर्यजनक अंतर्विरोध को महसूस करते हुए मुझे खुद पर भरोसा ही नहीं हुआ की मैं वो सब कर पायी जो मैंने अभी कुछ देर पहले किया था . जिससे मैं गुजरी हूँ ! मैं लगभग नग्न अवस्था में पाँच पुरुषों के सामने खड़ी हूँ - बिना पैंटी के और , चोली-रहित और मुझे टटोलते हुए, चूमा गया , और उन सभी द्वारा मुझे जोर से सहलाया गया और उन्होंने मेरे गुपतनगो के साथ खिलवाड़ किया था और अपने नग्न गुप्तांग को मेरे बदन पर जोर से बार बार रगड़ा था ! और इसन चारो ने मेरे लगभग नग्न शरीर का एक इंच भी अनदेखा और अनछुआ नहीं छोड़ा था । मैंने इसकी अनुमति कैसे दे दी थी ये मुझे भी नहीं समझ आ रहा था ? क्या मैं अपने नियंत्रण को खो चुकी थी ?




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मेरे शुरुआती बहुत मजबूत विचारों के बावजूद मैं धीरे-धीरे अपनी उत्तेजित शारीरिक स्थिति में मेरी उत्तेजना मेरे संयम के विचारो पर हावी हो गयी । मेरे भीतर की यौन इच्छा (मेरे लिए अज्ञात मेरी नशे की हालत के कारण,) धीरे-धीरे मेरे सभी सकारात्मक विचारों पर हावी हो रही थी।

गुरु जी : जय लिंग महाराज! बहुत बढ़िया रश्मि! आपने यहाँ आयी सभी महिलाओं से इस मंत्र दान सत्र में अधिक सहयोग किया इस कारण आप सभी से तालियों की गड़गड़ाहट की पात्र हैं! इसके साथ ही गुरु जी के चारों शिष्यों ने ताली बजाकर मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया।

मैं मानो गुरु-जी की तेज गड़गड़ाहट और तालियों की की आवाज से जाग गयी ।

गुरु जी : बेटी, शरमाओ मत। इस योनि पूजा से गुजरने वाली हर महिला को इससे गुजरना पड़ता है। मैंने बहुत सी विवाहित महिलाओं को मंत्र दान के दौरान उत्साह में अपने अंतिम कपड़े खुद ही निकालते हुए देखा है। वास्तव में, एक युवा गृहिणी होने के नाते, आपने उनसे बहुत बेहतर किया है!

मैं अभी भी गुरु-जी सहित वहाँ मौजूद किसी भी पुरुष से नज़रें नहीं मिला पा रही थी।


गुरु जी : बेटी! अब तांत्रिक लिंग और फिर तांत्रिक योनि पूजा करने पर तुम जल्द ही संतान प्राप्त कर लोगी. चलो पूजा प्रारम्भ करते है , जय लिंग महाराज ... ॐ ….!


आगे योनि पूजा में लिंग पूजा की कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-18


उत्तेजक गैंगबैंग का कारण


मैं: गुरु जी… कृपया मुझ पर दया करें….

मैं इतना बेताब थी कि अब मैं वस्तुतः चुदाई के लिए भीख माँग रही थी !

हालाँकि गुरूजी ने पहले ही
मेरी आँखो से पट्टी हटा देने की आज्ञा राजकमल को दे दी थी परन्तु उस समय वो चारो भी इतने उत्तेजित थे की मेरे उस मात्रा दान सत्र के आखिरी भाग में वो मेरी आँखों से पट्टी हटाना ही भूल गए थे .

गुरूजी : राजकमल, अब रश्मि की आँखें खोल दो आप इसे खोलना भूल गए थे ।

मैंने महसूस किया कि हाथों का एक जोड़ा मेरी आंखों के ऊपर से मेरे कपड़े की पट्टी खोल रहा है। एक पल के लिए तो सब कुछ धुंधला सा लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, मुझे सब कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगा। जैसे ही मेरी आँखें गुरु-जी के प्रत्येक शिष्य से मिलीं, मेरी पलकें स्वतः ही झुक गईं। मैं उनमें से किसी को भी अभी एक हफ्ते पहले नहीं जानती थी और आज उन सभी ने मुझे चूमा और मेरे अंतरंग शरीर के सबसे अंतरंग अंगों को सहलाया, और मैंने भी उनके अन्तरंगज अंग को महसूस किया और उत्तेजित हो कर सहलाया था जिसे केवल एक महिला ही अपने पति को साझा कर सकती है।

गुरुजी : रश्मि ! बेटी आमतौर पर सेक्स के दौरान पार्टनर अपने साथी के एक या दो हिस्सों को छूते हैं और अधिकतर यही सोचते हैं कि सेक्स योनि और लिंग में ही होता है। लेकिन रश्मि अब आपने खुद अनुभव किया है की सेक्स केवल उन सेक्स ऑर्गन्स से परे है। लिंग और योनि मूल रूप से पुनर्जनन अंग हैं। सेक्स की शुरुआत या अनुभव एक स्पर्श, या देखने या सोचने से भी हो सकती है। तो अब आप जानती हैं कि शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को छूने से आप यौन आवेश महसूस कर सकती हैं। और यही इस मल्टी पार्टनर मंत्र दान का पूरा उद्देश्य था।



गुरुजी:- रश्मि ! ये बातें सुनने में काफी सरल लग सकती हैं, लेकिन वास्तव में यह आपको और अधिक प्रेम के द्वार खोलने में मदद करती हैं। प्यार बिस्तर में या जब आप प्यार करने का इरादा रखते हैं तो प्यार बेशर्मी की मांग करता है। अगर आप बोल्ड और क्रिएटिव हैं तो आपके पति अपने आप आपसे चिपके रहेंगे। उन्हें आपमें हमेशा कुछ नयापन मिलेगा और जब मैं इन तकनीकों की चर्चा करता हूं, और अब तो आप खुद भी जान गयी होंगे कि एक बार जब आपके पति को यह प्यार महसूस होगा, तो वह आपके लिए यौन रूप से अधिक खुले रहेंगे और आपके साथ अधिक बार और बार बार प्यार करना चाहेंगे। मुझे पूरा विश्वास है रश्मि! अब सेक्स के बारे में आपकी काफी भ्रांतिया दूर गयी होंगी ।



मैं उनकी व्याख्याओं से मंत्रमुग्ध हो गयी थी . मुझे उनके समझाने का तरीका पसंद आया और निश्चित रूप से और मैं और जानने के लिए उत्सुक हो रही थी लेकिन उस समय मैं इतनी उत्तेजित थी कि अब मुझे सेक्स पर व्याख्यान के बजाय वास्तविक सेक्स चाहिए था।

लेकिन मैं अभी जिस सत्र से गजरी थी और जैसा कि मैं सब कुछ जोर से और स्पष्ट रूप से देख पा रही थी की मैं लगभग नग्न थी और गुरूजी के चराई शिष्य जो की मुझसे कुछ गज डियर खड़े थे वो भी नग्न थे और उनके लिंग खड़े हुए मेरे और चिह्नित थे और उन्हें देख मुझे बहुत शर्म आ रही थी!

गुरु-जी : रश्मि क्या आप इस बीच मंत्र को दोहरा पायी ?

स्वाभाविक सवाल, मैंने सोचा!

मैं: अह्ह्ह . हाँ... हाँ गुरु जी मैंने पूरा प्रयास किया ।

गुरु जी : बहुत बढ़िया ! यह बहुत महत्वपूर्ण है। और सच्चो अगर ये सत्र आपने अपनी पति के साथ किया होता तो वो इस समय आप उसके साथ बिस्तर पर होतीं, और वो ऐसे ऐसे हालात में आपके चुत ड्रिल कर रहा होता ! हा हा हा..

क्षण भर में मेरे अंदर जो ग्लानि और शर्म के भाव उतपन्न हुए उन्होंने यौन इच्छा को मेरी तर्कसंगत इंद्रियों ने दबा दिया, हालांकि यह बहुत ही अल्पकालिक था। संक्षेप में मैंने अपने घर, अपने परिवार, अपने पति, अपने पड़ोस की छवियों की कल्पना की - मेरी आंखों के सामने उन सबके चित्र आये और मैंने अपनी पलकों को कुछ झपका। अपने ससुर को परदे में चाय पिलाते हुए, अपनी सास के साथ पूजा करते हुए, पड़ोसी के घर जाते समय शालीनता से ढके हुए कपड़े, पति राजेश का प्यार…। सब कुछ जैसे मेरी आंखों ने घूम गया ।

और, जब मैंने अपने आप को यहां पूजा-घर में देखा तो मैंने अपने आप को उस आश्चर्यजनक अंतर्विरोध को महसूस करते हुए मुझे खुद पर भरोसा ही नहीं हुआ की मैं वो सब कर पायी जो मैंने अभी कुछ देर पहले किया था . जिससे मैं गुजरी हूँ ! मैं लगभग नग्न अवस्था में पाँच पुरुषों के सामने खड़ी हूँ - बिना पैंटी के और , चोली-रहित और मुझे टटोलते हुए, चूमा गया , और उन सभी द्वारा मुझे जोर से सहलाया गया और उन्होंने मेरे गुपतनगो के साथ खिलवाड़ किया था और अपने नग्न गुप्तांग को मेरे बदन पर जोर से बार बार रगड़ा था ! और इसन चारो ने मेरे लगभग नग्न शरीर का एक इंच भी अनदेखा और अनछुआ नहीं छोड़ा था । मैंने इसकी अनुमति कैसे दे दी थी ये मुझे भी नहीं समझ आ रहा था ? क्या मैं अपने नियंत्रण को खो चुकी थी ?

मेरे शुरुआती बहुत मजबूत विचारों के बावजूद मैं धीरे-धीरे अपनी उत्तेजित शारीरिक स्थिति में मेरी उत्तेजना मेरे संयम के विचारो पर हावी हो गयी । मेरे भीतर की यौन इच्छा (मेरे लिए अज्ञात मेरी नशे की हालत के कारण,) धीरे-धीरे मेरे सभी सकारात्मक विचारों पर हावी हो रही थी।

गुरु जी : जय लिंग महाराज! बहुत बढ़िया रश्मि! आपने यहाँ आयी सभी महिलाओं से इस मंत्र दान सत्र में अधिक सहयोग किया इस कारण आप सभी से तालियों की गड़गड़ाहट की पात्र हैं! इसके साथ ही गुरु जी के चारों शिष्यों ने ताली बजाकर मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया।

मैं मानो गुरु-जी की तेज गड़गड़ाहट और तालियों की की आवाज से जाग गयी ।

गुरु जी : बेटी, शरमाओ मत। इस योनि पूजा से गुजरने वाली हर महिला को इससे गुजरना पड़ता है। मैंने बहुत सी विवाहित महिलाओं को मंत्र दान के दौरान उत्साह में अपने अंतिम कपड़े खुद ही निकालते हुए देखा है। वास्तव में, एक युवा गृहिणी होने के नाते, आपने उनसे बहुत बेहतर किया है!

मैं अभी भी गुरु-जी सहित वहाँ मौजूद किसी भी पुरुष से नज़रें नहीं मिला पा रही थी।


गुरु जी : बेटी! अब तांत्रिक लिंग और फिर तांत्रिक योनि पूजा करने पर तुम जल्द ही संतान प्राप्त कर लोगी. चलो पूजा प्रारम्भ करते है , जय लिंग महाराज ... ॐ ….!


आगे योनि पूजा में लिंग पूजा की कहानी जारी रहेगी

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Fantastic story i will read it today 😊
 

deeppreeti

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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-19

लिंग पूजा-1


गुरु जी : बेटी! अब तांत्रिक लिंग और फिर तांत्रिक योनि पूजा करने पर तुम जल्द ही संतान प्राप्त कर लोगी। चलो पूजा प्रारम्भ करते है , जय लिंग महाराज ..। ॐ ….!

उसके बाद यज्ञ के लिए सब तैयारी पहले से ही थी । कमरे के बीच में अग्नि कुंड में आग जला रही थी। उसके पीछे लिंग की स्थपना की गयी थी और उसके पीछे लिंग महाराज का चित्र रखा हुआ था। यज्ञ के लिए बहुत सी सामग्री वहाँ पर बड़े करीने से रखी हुई थी। मैंने मन ही मन उस सारे अरेंजमेंट की तारीफ की।

गुरु-जी: बेटी, लिंग महाराज को स्थापित किया गया है । ये लिंग देव जिनकी स्थपना की गयी थी वो लिंग की की प्रतिकृति थी और यह एक पुरुष लिंग की तरह दिखने वाली थी और बहुत अजीब लग रही थी! यह शायद मोम से बना था और इसका रंग को त्वचा के रंग से मिलता-जुलता देखकर मैं चौंक गयी थी और वास्तव में इसकी लंबाई के चारों ओर नसें थीं और इसलिए लिंग की तरह लग रहा था! बिलकुल नकली डिलडो के तरह लग रहा था ! और इसके ऊपर भी कुछ था, जो भी चमड़ी जैसा ही था!

गुरु-जी: बेटी, पूरी योनि पूजा लिंग महाराज को ही संतुष्ट करने के लिए होती है। इसलिए अपनी सारी प्रार्थनाएं और कर्म उसके प्रति समर्पित कर दें। यदि आप उसे संतुष्ट कर सकते हैं, तो वह निश्चित रूप से आपकी बहुत आपका मन चाहा वरदान आपको उपहार में देगा। जय लिंग महाराज! जय हो!



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हम सभी ने "जय लिंग महाराज!" और मैंने अपने मन में लिंग महाराज से प्रार्थना की "मैं आपको संतुष्ट करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगी और मैं सिवाय एक बच्चे के कभी कुछ नहीं चाहती , । कृप्या…"


फिर गुरुजी ने यज्ञ शुरू कर दिया। उस समय रात के 9 बजे थे। यज्ञ के लिए चंदन की अगरबत्तियाँ जलाई गयी थीं। गुरुजी अग्नि कुंड के सामने बैठे थे , समीर उनके बाएं तरफ और मैं दायीं तरफ बैठी थी। गुरुजी के ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने से कमरे का माहौल बदल गया।

लेकिन मुझे लगा चारो शिष्य मुझे ही घूर रहे थे और मैं पसीना पसीना हो गयी थी और मेरा ध्यान अपने पसीने पर ज़्यादा था।

गुरुजी – रश्मि । सभी धार्मिक कार्यो को पति पत्नी को एक साथ करना चाहिए इसलिए अब इस पूजा में उदय तुम्हारा पति का पार्ट ऐडा करेगा । उदय! इस थाली को पकड़ो और रश्मि तुम इसे अग्निदेव को हवन कुंड में अर्पित करो कुमार तुम रश्मि को पीछे से पकड़ो और जो मंत्र मैं बताऊंगा , उसे रश्मि के कान में धीमे से बोलो। रश्मि तुम्हे पता है तांत्रिक पूजा में माध्यम का कितना महत्व है इसलिए तुम यहाँ पर माध्यम हो और रश्मि माध्यम के रूप में तुम्हें उस मंत्र को ज़ोर से अग्निदेव के समक्ष बोलना है। ठीक है ?

“जी गुरुजी.”



PUJA1

गुरुजी – रश्मि तुम मंत्र को ज़ोर से अग्निदेव के समक्ष बोलोगी और मैं उसे लिंगा महाराज के समक्ष दोहराऊंगा। तुम दोनों आँखें बंद कर लो। जय लिंगा महाराज.

मैंने आँखें बंद कर ली और अपने कंधे पर उदय की गरम साँसें महसूस की। वो मेरे कान में मंत्र बोलने लगा और मैंने ज़ोर से उस मंत्र का जाप कर दिया और फिर गुरुजी ने और ज़ोर से उसे दोहरा दिया। शुरू में कुछ देर तक ऐसे चलता रहा फिर मुझे लगा की मेरे कान में मंत्र बोलते वक़्त उदय मेरे और नज़दीक़ आ रहा है। मुझे उसके घुटने अपनी जांघों को छूते हुए महसूस किए फिर उसका लंड मेरे नग्न नितंबों को छूने लगा क्योंकि उस समय मैं वहां बिलकुल नग्न थी । मैंने थोड़ा आगे खिसकने की कोशिश की लेकिन आगे अग्निकुण्ड था। धीरे धीरे मैंने साफ तौर पर महसूस किया की वो मेरे सुडौल नितंबों पर अपने लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था। काहिर उदय मुझे पसंद था और उसकी हरकत मुझे बुरी भी नहीं लगी और मुझे अच्छा लगा रहा था।

फिर उदय अपना खड़ा लंड मेरे नितंबों में चुभो रहा था लेकिन अपने लक्ष के और ध्यान राखंते हुए मैं चुप ही रही और यज्ञ में ध्यान लगाने की कोशिश करती रही फिर उदय मंत्र पढ़ते समय मेरे कान को अपने होठों से चूमने लगा। और मैं कामोत्तेजित होने लगी और उसका कड़ा लंड मेरी मुलायम गांड में लगातार चुभ रहा था और उसके होंठ मेरे कान को छू रहे थे। स्वाभाविक रूप से मेरे बदन की गर्मी बढ़ने लगी। कुछ मिनट बाद मंत्र पढ़ने का काम पूरा हो गया। और मुझे कुमार साहब के घर जो पूजा हुई थी जिसमे गुरूजी ने उसका ध्यान आया जब कुमार जिनकी बेटी काजल के लिए की गयी पूजा के दौरान मेरे साथ छेड़ छाड़ की थी।

गुरुजी – शाबाश रश्मि। तुमने अच्छे से किया। अब ये थाली मुझे दे दो। ये कटोरा पकड़ लो और इसमें से बहुत धीरे धीरे तेल अग्नि में चढ़ाओ। उदय तुम भी इसके साथ ही कटोरा पकड़ लो। मैं गुरुजी से कटोरा लेने झुकी और डे मेरे ऊपर झुका हुआ था और वो असंतुलित हो गया ।



PUJA2
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गुरुजी – रश्मि, उसे पकड़ो.

गुरुजी एकदम से चिल्लाए। मुझे अपनी ग़लती का एहसास हुआ और मैं तुरंत पीछे मुड़ने को हुई। लेकिन मैं पूरी तरह पीछे मुड़ कर उसे पकड़ पाती उससे पहले ही उदय मेरी पीठ में गिर गया। उदय मेरे जवान बदन के ऊपर झुक गया और उसका चेहरा मेरी गर्दन के पास आ गिरा। गिरने से बचने के लिए उसने मुझे पीछे से आलिंगन कर लिया। और अब सहारे के लिए मेरी कमर पकड़े हुए चिपक कर खड़ा हो गया है मेरी पीठ के ऊपर उसकी जीभ और होंठ मुझे महसूस हुए और उसकी नाक मेरी गर्दन के निचले हिस्से पर छू रही थी। जब सहारे के लिए उसने दाए हाथ मेरे कमर में डाल कर मेरे स्तन को पकड़ लिया और उसके बाएं हाथ ने मुझे पीछे से आलिंगन करके मेरी जांघ को पकड़ लिया.और मैंने अपनी चूत पर उसके हाथ का दबाव महसूस किया और उसने पीछे से मेरी नंगी पीठ को उसने अपनी जीभ से चाट लिया.

गुरूजी : उदय ठीक से खड़े हो जाओ और और रश्मि तुम याद रखो पूजा के इस भाग में उदय ही तुम्हारे पति का पार्ट कर रहा है और इसका बुरा मत मानो पति पत्नी में तो ऐसी छोटी छोटी शरारते तो चलती रहती है मुझे उदय से कोई दिक्कत नहीं थी और थोड़ी देर पहल मंत्र दान के दौरान जो कुछ मेरे साथ हुआ था उसके सामने ये कुछ भी नहीं था । लेकिन इस लगातार हो रही छेद चाँद से मैं उत्तेजित हो रही थी ।

गुरुजी – उदय तुम ठीक हो ?

उदय – जी गुरुजी..

गुरुजी – चलो कोई बात नहीं। रश्मि, मैं मंत्र पढूंगा और तुम तेल चढ़ाना। रश्मि को संतान की प्राप्ति के लिए हम पहले अग्निदेव की पूजा करेंगे और फिर लिंगा महाराज की.



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हमने हामी भर दी और उदय फिर से मेरे नज़दीक़ आ गया और मेरे पीछे से कटोरा पकड़ लिया। इस बार उसके पूरे बदन का भार मेरे ऊपर पड़ रहा था और उसकी अंगुलियां मेरी अंगुलियों को छू रही थीं उसका लिंग मेरे नितम्बो पर था । गुरुजी ने ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने शुरू किए और मैं यज्ञ की अग्नि में घी चढ़ाने लगी। । मुझे साफ महसूस हो रहा था की अब उदय बिना किसी रुकावट और डर के के पीछे से मेरे पूरे बदन को महसूस कर रहा है। मेरे सुडौल नितंबों पर वो हल्के से धक्के भी लगा रहा था। उस की इन हरकतों से मैं कामोत्तेजित होने लगी थी.

जब मैं अग्निकुण्ड में घी डालने लगी तो उसमे तेज लपटें उठने लगी इसलिए मुझे थोड़ा सा पीछे को खिसकना पड़ा। इससे उदय के और भी मज़े आ गये और वो मेरी अपना सख़्त लंड चुभाने लगा। उसने मेरे पीछे से कटोरा पकड़ा हुआ था तो उसकी कोहनियां मुझे साइड्स से दबा रही थी, एक तरह से उसने मुझे पीछे से आलिंगन करके मेरे स्तनों के दबाते हुए कटोरा पकड़ा हुआ था और उसका सारा वज़न मुझ पर पड़ रहा था। गुरुजी मंत्र पढ़ते रहे और मैं बहुत धीरे से अग्नि में तेल डालती रही। तेल चढ़ाने का ये काम लंबा खिंच रहा था.

मौका देखकर उदय ने कटोरे में अपनी अंगुलियों को मेरी अंगुलियों को कस लिया और उसने अपने कूल्हे हिला कर अपना लंड मेरे गनद की दरार में दबा दिया और साथ में अपने दुसरे हाथ से मेरे स्तनों और निप्पलों को मसलने लगा और अब उसके मर्दाने टच से मुझे कामानंद मिल रहा था। मैंने गुरुजी को देखा पर वो आँख बंद कर मंत्र पढ़ रहे थे और संजीव एक कोने में भोग बना रहा था और राजकमल कुछ और सामन त्यार कर रहा था और निर्मल पूजा की थाली सजा रहा था और इस तरह किसी का ध्यान हम पर नहीं था। तभी वो मेरे कान में फुसफुसाया……

उदय – रश्मि , मैं कटोरे से एक हाथ हटा रहा हूँ। मुझे खुजली लग रही है.

मैं समझ गयी उसे कहाँ पर खुजली लग रही है। उसने अपना दांया हाथ कटोरे से हटा लिया और मेरा बायां हाथ लेकर पाने लंड पर ले गया और अपने लंड को मेरे हाथ से खुज़लाने लगा। मुझे ये बात जानने के लिए पीछे मुड़ के देखने की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकी मेरा हाथ मुझे अपने नितंबों और उसके लंड के बीच महसूस हो रहा था। वो बेशरम मेरे हाथ से अपने लंड पर खुज़ला रहा था इस बीच जब मैं मजे लेकर उसका लंड खुज़लाने लगी तो वो अपना हाथ कटोरे पर वापस नहीं लाया और अपने हाथ को मेरे बड़े नितंबों पर फिराने लगा.

उसने मेरे सुडौल नितंबों को अपने हाथ में पकड़कर दबाया तो मेरे निपल तनकर कड़क हो गये। मेरी चूचियां तन गयीं। मैंने एक हाथ से तेल का कटोरा पकड़ा हुआ था , मैंने पीछे मूड कर गुस्से से उसे घूरा तो उसने तुरंत अपना हाथ मेरे नितंबों से हटा लिया और फिर से कटोरा पकड़ लिया। उसके एक दो मिनट बाद तेल चढ़ाने का वो काम खत्म हो गया। यज्ञ की अग्नि के साथ साथ उदय की मेरे बदन से छेड़छाड़ से अब मुझे बहुत पसीना आने लगा था.

गुरुजी – अग्निदेव की पूजा पूरी हो चुकी है। अब हम लिंगा महाराज की पूजा करेंगे। जय लिंगा महाराज.

उदय और मैंने भी जय लिंगा महाराज बोला। गुरुजी मंत्र पढ़ते हुए विभिन्न प्रकार की यज्ञ सामग्री को अग्निकुण्ड में चढ़ाने लगे। करीब 5 मिनट तक ऐसा चलता रहा। संजीव अभी भी भोग को तैयार करने में व्यस्त था.

गुरुजी – रश्मि, मैंअब तुम्हे लिंगा महाराज की पूजा करनी होगी। और इसमें अब तुम्हारा माध्यम होगा राजकमल

मैं : जी मुझे मालूम हैं मैंने आपके साथ कुमार के घर में माध्यम के रूप में लिंगा महाराज की पूजा की थी .

गुरुजी – रश्मि अब तुम माध्यम के रूप में तुम राजकमल को साथ लेकर फर्श पर लेटकर लिंगा महाराज को प्रणाम करोगी। राजकमल तुम्हे मंत्र देगा , तुम्हारी नाभि और घुटने फर्श को छूने चाहिए। फिर तुम वो मन्त्र तुम मुझे देना । फिर गुरुजी ने गंगा जल से मेरे हाथ धुलाए और मुझे वो जगह बताई जहाँ पर मुझे प्रणाम करना था। मैं वहाँ पर गयी और घुटनों के बल बैठ गयी। फिर मैं पेट के बल फर्श पर लेट गयी.

गुरुजी – प्रणाम के लिए अपने हाथ सर के आगे लंबे करो। तुम्हारी नाभि फर्श को छू रही है या नहीं ? मैं देखता हूँ.

गुरुजी ने मुझे कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया और मेरे पेट पर नाभि के पास अपनी एक अंगुली डालकर देखने लगे की मेरी नाभि फर्श को छू रही है या नहीं ? मैंने अपने नितंबों को थोड़ा सा ऊपर को उठाया ताकि गुरुजी मेरे पेट के नीचे अंगुली से चेक कर सकें। उनकी अंगुली मेरी नाभि पर लगी तो मुझे गुदगुदी होने लगी लेकिन मैंने जैसे तैसे अपने को काबू में रखा.


LING1

गुरुजी – हाँ, ठीक है.

ऐसा कहते हुए उन्होने मेरे पेट के नीचे से अंगुली निकाल ली और मेरे नितंबों पर थपथपा दिया। मैंने उनका इशारा समझकर अपने नितंब नीचे कर लिए। मैंने दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में सर के आगे लंबे किए हुए थे। उन मर्दों के सामने मुझे ऐसे उल्टे लेटना भद्दा लग रहा था। फिर मैंने राजकमल आगे आ गया था .

गुरुजी – रश्मि अब तुम पूजा को लिंगा महाराज तक ले जाओगी.

“कैसे गुरुजी ?”

गुरुजी – रश्मि , मैंने तुम्हें बताया तो था। राजकमल तुम्हे माध्यम बनाएगा और फिर तुम्हे पूजा करनी है.

गुरुजी – राजकमल तुम रश्मि की पीठ पर लेट जाओ और इस किताब में से रश्मि के कान में मंत्र पढ़ो.

रश्मि, ये यज्ञ का नियम है और माध्यम को इसे ऐसे ही करना होता है.

राजकमल – जी गुरुजी.

“लेकिन गुरुजी, एक अंजान आदमी को इस तरह………….”

गुरुजी – रश्मि , जैसा मैं कह रहा हूँ वैसा ही करो। उसे अनजान नहीं अपने पति समझो !



LP1

गुरुजी तेज आवाज़ में आदेश देते हुए बोले। एकदम से उनके बोलने का अंदाज़ बदल गया था। अब कुछ और बोलने का साहस मुझमें नहीं था और मैंने चुपचाप जो हो रहा था उसे होने दिया.

गुरुजी –राजकमल जल्दी करो ? समय बर्बाद मत करो। अभी हमे लिंग पूजा और फिर योनी पूजा भी करनी है समय कम है राजकमल शीघ्रता करो .

मुझे अपनी पीठ पर राजकमल चढते हुए महसूस हुआ। अब एक बार फिर मैं शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। मैं सोचने लगी अगर मेरे पति ये दृश्य देख लेते तो ज़रूर बेहोश हो जाते। मैंने साफ तौर पर महसूस किया की राजकमल अपने लंड को मेरी गांड की दरार में फिट करने के लिए एडजस्ट कर रहा है। फिर मैंने उसके हाथ अपने कंधों को पकड़ते हुए महसूस किए , उसके पूरे बदन का भार मेरे ऊपर था। एक जवान शादीशुदा गदरायी हुई औरत के ऊपर ऐसे लेटने में उसे बहुत मज़ा आ रहा होगा.

गुरुजी – जय लिंगा महाराज। राजकमल अब शुरू करो। रश्मि तुम ध्यान से मंत्र सुनो और ज़ोर से लिंगा महाराज के सामने बोलना.

मैंने देखा गुरुजी ने अपनी आँखें बंद कर ली। अब कुमार ने मेरे कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया। लेकिन मैं ध्यान नहीं लगा पा रही थी। कौन औरत ध्यान लगा पाएगी जब ऐसी नग्न हालत में ऐसे उसके ऊपर कोई आदमी नग्न लेटा हो। मेरे ऊपर लेटने से राजकमल के मज़े हो गये , उसने तुरंत मेरी उस हालत का फायदा उठाना शुरू कर दिया। अब वो मेरे मुलायम नितंबों पर ज़्यादा ज़ोर डाल रहा था और अपने लंड को मेरी गांड की दरार में दबा रहा था। शुक्र था की उसका लंड दरार में ज़्यादा अंदर नहीं जा पा रहा था.

मेरे कान में मंत्र पढ़ते हुए उसकी आवाज़ काँप रही थी क्यूंकी वो धीरे से मेरी गांड पर धक्के लगा रहा था जैसे की मुझे चोद रहा हो। मुझे ज़ोर से मंत्र दोहराने पड़ रहे थे इसलिए मैंने अपनी आवाज़ को काबू में रखने की कोशिश की। गुरुजी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और संजीव हमारी तरफ पीठ करके भोग तैयार कर रहा था और उदय लिंग पूजा के लिए सामग्री व्यवस्थित कर रहा था और निर्मल पूजा की थाली सजा रहा था और इस तरह किसी का ध्यान हम पर नहीं था। इसलिए राजकमल पूरे मजे ले रहा था । उसका लंड मेरे नितम्बो और गांड पर महसूस हो रहा था.उसकी धक्के लगाने की उसकी स्पीड बढ़ने लगी थी और उसके लंड का कड़कपन भी.

अब मंत्र पढ़ने के बीच में गैप के दौरान राजकमल मेरे कान और गालों पर अपनी जीभ और होंठ लगा रहा था। मैं जानती थी की मुझे उसे ये सब नहीं करने देना चाहिए लेकिन जिस तरह से गुरुजी ने थोड़ी देर पहले तेज आवाज़ में बोला था, उससे अनुष्ठान में बाधा डालने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। अब मैं गहरी साँसें ले रही थी और राजकमल भी हाँफने लगा था।


आगे योनि पूजा में लिंग पूजा की कहानी जारी रहेगी

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दीपक कुमार
 
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औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-20


लिंग पूजा-2


मैंने उसके घुटने अपनी जांघों को छूते हुए महसूस किए फिर उसका लंड मेरे नितंबों को छूने लगा। मैंने राजकमल ने थोड़ा आगे खिसकने की कोशिश की लेकिन आगे अग्निकुण्ड था। धीरे-धीरे मैंने साफ़ तौर पर महसूस किया की वह मेरे सुडौल नितंबों पर अपने लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था।

मैं सोच रही थी की अब क्या करूँ? क्या मैं इसको एक थप्पड़ मार दूं और सबक सीखा दूं? लेकिन मैं वहाँ यज्ञ के दौरान कोई बखेड़ा खड़ा करना नहीं चाहती थी। इसलिए मैं चुप रही और यज्ञ में ध्यान लगाने की कोशिश करने लगी। लेकिन वह कमीना इतने में ही नहीं रुका। अब मंत्र पढ़ते समय वह मेरे कान को अपने होठों से छूने लगा। मुझे अनकंफर्टबल फील होने लगा और मैं कामोत्तेजित होने लगी क्यूंकी उसका कड़ा लंड मेरी मुलायम गांड में लगातार चुभ रहा था और उसके होंठ मेरे कान को छू रहे थे। स्वाभाविक रूप से मेरे बदन की गर्मी बढ़ने लगी।

खुशकिस्मती से कुछ मिनट बाद मंत्र पढ़ने का काम पूरा हो गया। मैंने राहत की साँस ली।

गुरुजी--माध्यम के रूप में तुम अब संजीव को साथ लेकर फ़र्श पर लेटकर लिंगा महाराज को प्रणाम करोगी। तुम्हारी नाभि और घुटने फ़र्श को छूने चाहिए।

मैंने हामी भर दी जबकि मुझे अभी भी ठीक से बात समझ नहीं आई थी। गुरुजी ने गंगा जल से मेरे हाथ धुलाए और मुझे वह जगह बताई जहाँ पर मुझे प्रणाम करना था। मैं वहाँ पर गयी और घुटनों के बल बैठ गयी। फिर मैं पेट के बल फ़र्श पर लेट गयी।




mudra3
गुरुजी--प्रणाम के लिए अपने हाथ सर के आगे लंबे करो। तुम्हारी नाभि फ़र्श को छू रही है? मैं देखता हूँ।

गुरुजी ने मुझे कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया और मेरे पेट के बीच में अपनी एक अंगुली डालकर देखने लगे की मेरी नाभि फ़र्श को छू रही है या नहीं? मैंने अपने नितंबों को थोड़ा-सा ऊपर को उठाया ताकि गुरुजी मेरे पेट के नीचे अंगुली से चेक कर सकें। उनकी अंगुली मेरी नाभि पर लगी तो मुझे गुदगुदी होने लगी लेकिन मैंने जैसे तैसे अपने को काबू में रखा।

गुरुजी--हाँ, ठीक है।

ऐसा कहते हुए उन्होने मेरे पेट के नीचे से अंगुली निकाल ली और मेरे नितंबों पर थपथपा दिया। मैंने उनका इशारा समझकर अपने नितंब नीचे कर लिए। मैंने दोनों हाथ प्रणाम की मुद्रा में सर के आगे लंबे किए हुए थे। उन मर्दों के सामने नंगी हालत में मुझे ऐसे उल्टे लेटना भद्दा लग रहा था। फिर मैंने देखा गुरुजी ने संजीव को मेरे पास आने के लिए इशारा किया था ।

गुरुजी- संजीव अब तुम रश्मि को पूजा को लिंगा महाराज तक ले जाओ।

"मैंने पुछा कैसे गुरुजी?"

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इसमें मुझे करना क्या है? मैंने देखा गुरुजी ने संजीव को मेरे पास बैठने का इशारा किया था ।

गुरुजी--रश्मि, मैंने तुम्हें बताया तो था। तुम्हें अब संजीव को साथ लेकर पूजा करनी है।

गुरुजी को दुबारा बताना पड़ा इसलिए वह थोड़े चिड़चिड़ा से गये थे लेकिन मैं उलझन में थी की करना क्या है? साथ लेकर मतलब?

गुरुजी--संजीव तुम रश्मि की पीठ पर लेट जाओ और इस किताब में से रश्मि के कान में मंत्र पढ़ो।

संजीव --जी गुरुजी।

हे भगवान! अब तो मुझे कुछ न कुछ कहना ही था। गुरुजी इस आदमी को मेरी पीठ में लेटने को कह रहे थे। ये ऐसा ही था जैसे मैं बेड पर उल्टी लेटी हूँ और मेरे पति मेरे ऊपर लेटकर मुझसे मज़ा ले रहे हों।

"गुरुजी, लेकिन ये!"

गुरुजी--रश्मि, ये यज्ञ का नियम है और माध्यम को इसे ऐसे ही करना होता है।

"लेकिन गुरुजी, इस तरह!"





LINGP1
गुरुजी--रश्मि, भूलो मत इस समय तुम संजीव को अपने पति के रूप में समझो और जैसा मैं कह रहा हूँ वैसा ही करो।

गुरुजी तेज आवाज़ में आदेश देते हुए बोले। एकदम से उनके बोलने का अंदाज़ बदल गया था। अब कुछ और बोलने का साहस मुझमें नहीं था और मैंने चुपचाप जो हो रहा था उसे होने दिया।

गुरुजी- संजीव तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो? समय बर्बाद मत करो। यज्ञ के लिए शुभ समय मध्यरात्रि ही है।

मुझे अपनी पीठ पर संजीव चढते हुए महसूस हुआ। मैं बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। गुरुजी ने उसको मेरे जवान बदन के ऊपर ठीक से लेटने में मदद की। कितनी शरम की बात थी वो। मैं सोचने लगी अगर मेरे पति ये दृश्य देख लेते तो ज़रूर बेहोश हो जाते। मैंने साफ़ तौर पर महसूस किया की संजीव अपने लंड को मेरी गांड की दरार में फिट करने के लिए एडजस्ट कर रहा है। फिर मैंने उसके हाथ अपने कंधों को पकड़ते हुए महसूस किए, उसके पूरे बदन का भार मेरे ऊपर था। एक जवान मोठे नितम्ब वाली शादीशुदा औरत के ऊपर ऐसे लेटने में उसे बहुत मज़ा आ रहा होगा।

गुरुजी--जय लिंगा महाराज। संजीव अब शुरू करो। रश्मि तुम ध्यान से मंत्र सुनो और ज़ोर से लिंगा महाराज के सामने बोलना।

मैंने देखा गुरुजी ने अपनी आँखें बंद कर ली। अब संजीव ने मेरे कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया। लेकिन मैं ध्यान नहीं लगा पा रही थी। कौन औरत ध्यान लगा पाएगी जब ऐसे उसके ऊपर कोई आदमी लेटा हो। मेरे ऊपर लेटने से संजीव के तो मज़े हो गये, उसने तुरंत मेरी उस हालत का फायदा उठाना शुरू कर दिया। अब वह मेरे मुलायम नितंबों पर ज़्यादा ज़ोर डाल रहा था और अपने लंड को मेरी गांड की दरार में दबा रहा था। शुक्र यही था की वो खुल कर मुझे छोड़ नहीं रहा था जिससे उसका लंड दरार में ज़्यादा अंदर नहीं जा पा रहा था।



LP03

मेरे कान में मंत्र पढ़ते हुए उसकी आवाज़ काँप रही थी क्यूंकी वह धीरे से मेरी गांड पर हलके धक्के लगा रहा था जैसे कि मुझे चोद रहा हो। मुझे ज़ोर से मंत्र दोहराने पड़ रहे थे इसलिए मैंने अपनी आवाज़ को काबू में रखने की कोशिश की। गुरुजी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और बाको लोग हमारी तरफ़ पीठ करके अभिषेक और भोग तैयार कर रहे थे इसलिए संजीव की मौज हो गयी थी । धीरे धीरे धक्के लगाने की उसकी स्पीड बढ़ने लगी थी और उसके लंड का कड़कपन भी।

अब मंत्र पढ़ने के बीच में गैप के दौरान संजीव मेरे कान और गालों पर अपनी जीभ और होंठ लगा रहा था। मैं जानती थी की मुझे उसे ये सब नहीं करने देना चाहिए लेकिन जिस तरह से गुरुजी ने थोड़ी देर पहले तेज आवाज़ में बोला था, उससे अनुष्ठान में बाधा डालने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। अब मैं गहरी साँसें ले रही थी और संजीव तो हाँफने लगा था। इस उमर में इतना आनंद उसके लिए काफ़ी था। तभी उसने कुछ ऐसा किया की मेरे दिल की धड़कनें रुक गयीं।

मैं अपनी बाँहें सर के आगे किए हुए प्रणाम की मुद्रा में लेटी हुई थी। मेरी चूचियाँ फ़र्श में दबी हुई थी। संजीव मेरे ऊपर लेटा हुआ था और उसने एक हाथ में किताब और दूसरे हाथ से मेरा कंधा पकड़ा हुआ था। संजीव ने देखा की गुरुजी की आँखें बंद हैं। अब उसने किताब फ़र्श में रख दी और अपने हाथ मेरे कंधे से हटाकर मेरे अगल बगल फ़र्श में रख दिए। अब उसके बदन का कुछ भार उसके हाथों पर पड़ने लगा, इससे मुझे थोड़ी राहत हुई क्यूंकी पहले उसका पूरा भार मेरे ऊपर पड़ रहा था। लेकिन ये राहत कुछ ही पल टिकी। कुछ ही पल बाद उसने अपने हाथों को अंदर की तरफ़ खिसकाया और मेरी चूचियों को छुआ।

शरम, गुस्से और कामोत्तेजना से मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। अब संजीव मेरे बदन से छेड़छाड़ कर रहा था और अब तक मैं भी कामोत्तेजित हो चुकी थी इसलिए उसके इस दुस्साहस का मैंने विरोध नहीं किया और मंत्र पढ़ने में व्यस्त होने का दिखावा किया। पहले तो वह हल्के से मेरी चूचियों को छू रहा था लेकिन जब उसने देखा की मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिया और ज़ोर से मंत्र पढ़ने में व्यस्त हूँ तो उसकी हिम्मत बढ़ गयी।

उसके बदन के भार से वैसे ही मेरी चूचियाँ फ़र्श में दबी हुई थी अब उसने दोनों हाथों से उन्हें दबाना शुरू किया। कहीं ना कहीं मेरे मन के किसी कोने में मैं भी यही चाहती थी क्यूंकी अब मैं भी कामोत्तेजना महसूस कर रही थी। उसने मेरे बदन के ऊपरी हिस्से में अपने वज़न को अपने हाथों पर डालकर मेरे ऊपर भार थोड़ा कम किया मैंने जैसे ही राहत के लिए अपना बदन थोड़ा ढीला किया उसने दोनों हाथों से साइड्स से मेरी बड़ी चूचियाँ दबोच लीं और उनकी सुडौलता और गोलाई का अंदाज़ा करने लगा।

उस समय मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा पति राजेश मेरे ऊपर लेटा हुआ है और मेरी जवान चूचियों को निचोड़ रहा है। घर पर राजेश अक्सर मेरे साथ ऐसा करता था और मुझे भी उसके ऐसे प्यार करने में बड़ा मज़ा आता था। राजेश दोनों हाथों को मेरे बदन के नीचे घुसा लेता था और फिर मेरी चूचियों को दोनों हथेलियों में दबोच लेता था और मेरे निपल्स को तब तक मरोड़ते रहता था जब तक की मैं नीचे से पूरी गीली ना हो जाऊँ।

शुक्र था कि संजीव ने उतनी हिम्मत नहीं दिखाई शायद इसलिए क्यूंकी मैं किसी दूसरे की पत्नी थी। लेकिन साइड्स से मेरी चूचियों को दबाकर उसने अपने तो पूरे मज़े ले ही लिए। अब तो उत्तेजना से मेरी आवाज़ भी काँपने लगी थी और मुझे ख़ुद ही नहीं मालूम था कि मैं क्या जाप कर रही हूँ।

गुरुजी--जय लिंगा महाराज।

गुरुजी जैसे नींद से जागे हों और संजीव ने जल्दी से मेरी चूचियों से हाथ हटा लिए। उसकी गरम साँसें मेरी गर्दन, कंधे और कान में महसूस हो रही थी और मुझे और ज़्यादा कामोत्तेजित कर दे रही थीं। तभी मुझे एहसास हुआ की अब मंत्र पढ़ने का कार्य पूरा हो चुका है।

गुरुजी-- संजीव ऐसे ही लेटे रहो और रश्मि तुम जो चाहती हो उसे एक लाइन में मेरे कान में बोलो। और वो अपना कान मेरे पास ले आये ।



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मैं --गुरुजी मैं बस ये चाहती हूँ की मुझे मेरी संतान प्राप्त हो ।

गुरुजी--ठीक है। संजीव रश्मि के कान में इसे पाँच बार बोलो और रश्मि तुम लिंगा महाराज के सामने दोहरा देना। तुम्हारे बाद मैं भी तुम्हारे लिए प्रार्थना करूँगा और फिर मेरे बाद तुम बोलना। आया समझ में?





मैंने और संजीव ने सहमति में सर हिला दिया।

गुरुजी--सब आँखें बंद कर लो और प्रार्थना करो।

ऐसा बोलकर गुरुजी ने आँखें बंद कर ली और फिर मैंने भी अपनी आँखें बंद कर ली।

संजीव--लिंगा महाराज, रश्मि को संतान प्रदान करे ।

संजीव जो मेरे पति राजेश की जगह था उसने मेरे कान में ऐसा फुसफुसा के कह दिया। उसने ये बात कहते हुए अपने होंठ मेरे कान और गर्दन से छुआ दिए और मेरे सुडौल नितंबों को अपने बदन से दबा दिया। उसकी इस हरकत से लग रहा था की वो मुझसे कुछ और भी चाहता था। मैं समझ रही थी की उसको अब और क्या चाहिए , उसको मेरी चूचियाँ चाहिए थी। मैं तब तक बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने अपनी बाँहों को थोड़ा अंदर को खींचा और कोहनी के बल थोड़ा सा उठी ताकि संजीव मेरी चूचियों को पकड़ सके। मैंने लिंगा से प्रार्थना को ज़ोर से बोल रही थी और गुरुजी उस प्रार्थना के साथ कुछ मंत्र पढ़ रहे थे।

मेरी आँखें बंद थी और तभी संजीव ने दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ दबा दी। वो गहरी साँसें ले रहा था और पीछे से ऐसे धक्के लगा रहा था जैसे मुझे चोद रहा हो। मेरी उभरी हुई गांड में लगते हर धक्के से मेरी योनि गीली होती जा रही थी। मैंने ख्याल किया जब हम दोनों चुप होते थे और गुरुजी मंत्र पढ़ रहे होते थे उस समय संजीव के हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे होते थे। मैं भी उसकी इस छेड़छाड़ का जवाब देने लगी थी और धीरे से अपने नितंबों को हिलाकर उसके लंड को महसूस कर रही थी।

जल्दी ही पाँच बार प्रार्थना पूरी हो गयी । मैं सोच रही थी की अब क्या होने वाला है?

गुरुजी -- जय लिंगा महाराज!

संजीव ने मेरी गांड को चोदना बंद कर दिया और मेरे ऊपर चुपचाप लेटे रहा। मुझे अपनी गांड में उसका लंड साफ महसूस हो रहा था और अब तो मेरा मन हो रहा था की की अब मेरी चुदाई हो जाए क्योंकि उसका लंड मेरी गांड की दरार या योनि में अंदर नहीं जा पा रहा था और इससे मुझे पूरा मज़ा नहीं मिल पा रहा था।


गुरुजी -- जय लिंगा महाराज!


गुरूजी : बेटी आपको याद रखना चाहिए कि यह एक पवित्र अनुष्ठान है। इसे किसी भी 'सांसारिक' इच्छाओं के साथ भ्रमित नहीं होना है।"

"मैं समझती हूँ गुरुजी।

गुरूजी ने आंखें बंद करके मुझे भी आंखें बंद करके बैठ जाने को कहा। मैं आंखें बंद करके चटाई पर बैठ गयी । यज्ञ के लिए बहुत-सी सामग्री वहाँ पर बड़े करीने से रखी हुई थी।

तभी गुरूजी ने मेरे ऊपर पुष्प से कुछ जल फेंका और मंत्र बोलै .



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गुरूजी : अब रश्मि अब तुम इस अभिमंत्रित जल के प्रभाव से पवित्र हो गयी हो फिर तुम लिंगा महाराज का ध्यान करो और अब आँखे खोलो अब निर्मल अगले भाग में तुम्हारा पति होगा अब निर्मल तुम्हे सामग्री देता रहेगा और तुम वैसे ही कर्ति रहना जैसा मैं कहूंगा और अब आदरपूर्वक लिंगा को सफेद कपड़े के एक नए टुकड़े से ढकी हुई चौकी (एक लकड़ी का मंच) पर रखें। और तेल का दीपक जलाएं। मैंने लिंग का जो प्रतिरूप वहां रखा था उसे उस चौकी पर रख दिया .

इस बीच उस बौने निर्मल ने अपनी कोह्नो से मेरे स्तन दबाने शुरू कर दिए क्योंकि वो मेरे साथ सट कर बैठा हुआ था .


गुरूजी : रश्मि अब पद्य - भगवान लिंगा पर जल चढ़ाएं।

निर्मल ने जल का लौटा मेरा हाथ में दे दिया और मेरा हाथ पकड़ लिया और मैंने लिंगा पर जल चढ़ा दिया

गुरूजी : रश्मि अब अर्घ्य - भगवान को जल अर्पित करें।

निर्मल ने जल का लौटा मेरा हाथ में दे दिया और मेरा हाथ पकड़ लिया और मैंने लिंगा पर जल अर्पित कर दिया.


गुरूजी : रश्मि अब आचमन करो - अपनी दाहिनी हथेली पर उदरनी के साथ थोड़ा पानी डालें और इसे पिएं। फिर अपना हाथ धो लें।

निर्मल ने मेरी दाहिनी हथेली पर उदरनी के साथ थोड़ा पानी डाला और इसे पिया । फिर अपना हाथ धो लिया ।

गुरूजी : रश्मि इस सामग्री में दूध में चावल मिले हुए हैं जो लोग भगवान् लिंगा को चावल अर्पित करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। और इसके साथ ही कामनाओं की पूर्ति होने के साथ घर की सुख समृद्धि भी बनी रहेगी। ज्योतिष में चन्द्रमा का उर्वरता का देवता माना जाता है और दूध के साथ कच्चे चावल मिलाकर लिंग पर चढ़ाने से चन्द्रमा भी प्रसन्न होते हैं । साथ में दूध में काले तिल मिलाकर लिंगा महाराज को चढ़ाने से आपकी सभी परेशानियां दूर होंगी तथा आपका परिवार और आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाएगा। इसमें साथ ही में चीनीभी मिली हुई है दूध और चीनी के मिश्रण को चन्द्रमा का कारक माना जाता है इसलिए लिंगा पर ये मिश्रण चढ़ाने से चंद्रमा भी मजबूत होता है जिससे पापों से मुक्ति मिलती है। लिंगा को दही से अभिषेक करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। दही से रुद्राभिषेक करने से भवन-वाहन की भी प्राप्ति होती है। लिंगा का शहद से अभिषेक करने से धन वृद्धि होती है। इसके साथ ही शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां भी नष्ट हो जाती हैं। शादीशुदा जीवन में लिंगा का इत्र से अभिषेक करें। ऐसा करने से आपके अपने पति के साथ संबंध मधुर बनेंगे।और लिंगा पर गन्ने के रस से अभिषेक करने पर अपार लक्ष्मी मिलती है और दूध लिंगा महाराज को शीतलता प्रदान करता है


गुरूजी : रश्मि अब लिंगा को स्नान करवाओ - लिंग देवता पर थोड़ा जल छिड़कें और इस विशेष दूध पंचामृत से अभिषेक करो और कपडे से साफ़ करो ।

निर्मल ने मुझे अभिषेक का बर्तन दिया ओर मैंने अभिषेक करने के लिए विशेष सामग्री को लिया जो कच्चे दूध, गंगाजल, शहद, दही, घी चावल , टिल से बनी हुई थी और फिर धीरे से लिंगा के प्रतिरूप को ताजे कपड़े के टुकड़े से पोंछ लिया।

गुरूजी : रश्मि अब वस्त्र लिंग देवता को सफेद कपड़े का एक ताजा टुकड़ा या एक कलावा चढ़ाएं। निर्मल ने मुझे कलावा दिया जिसे मैंने लिंग पर कलाव चढ़ाया



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गुरूजी : रश्मि अब गंधा: - चंदन का पेस्ट या प्राकृतिक इत्र चढ़ाएं

इसी तरह निर्मल मुझे सामग्री देता रहा और मैंने लिंग पर चंदन की पेस्ट लगा दी और उस पर पुष्पा - धतूरे के फूल, बेल पत्र आदि चढ़ाने के बाद धूप - अगरबत्ती चढ़ायी और तेल का दीपक अर्पित किया और लिंगा को भगवान को भोग अर्पित किया जिसमे इसमें फल और मिठाई शामिल थी उसके बाद तंबूलम भी चढ़ाया जिसमें पान, सुपारी, एक भूरा नारियल, दक्षिणा, केला और/या कुछ फल शामिल थे और फिर प्रदक्षिणा या परिक्रमा की और पुष्पांजलि कर - फूल चढ़ाए और प्रणाम किया . इस बीच वो बदमाश चुपके से मेरे स्तन दबाता रहा

गुरुजी--जय लिंगा महाराज।


गुरूजी : रश्मि अब तुमने जैसे लिंगा के प्रतिरूप की पूजा की है उसी तरह तुमने अब साक्षात् लिंग की पूजा करनी है और ये बोलकर गुरूजी खड़े हो गए और मैंने देखा गुरूजी ने अपनी लुंगी हटाते हुए और गुलाबी टिप के साथ उनके मूसल लिंग को पूरी तरह से सीधा देखकर हैरान रह गयी । फिर गुरूजी इसे और अधिक सीधा बनाने के लिए मुझे देखते हुए इसे कई बार स्ट्रोक किया।

कहानी जारी रहेगी

आगे योनि पूजा में लिंग पूजा की कहानी जारी रहेगी

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CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-21


लिंग पूजा-3

गुरुजी- रश्मि, एक बात कहना चाहता हूँ। तुम्हारा बदन बहुत मादक है। तुम्हारा पति बहुत ही खुसकिस्मत इंसान है। शादीशुदा औरतों को तुम्हारे बदन से जलन होती होगी।

मैं मुस्कुराइ और मंत्रमुग्ध हो गुरु जी के लिंग को देखती रही ।

गुरुजी--रश्मि तुम पहले के जैसे प्रणाम की मुद्रा में लेट जाओl

मैं घुटने के बल बैठ गयी और जब मैं पेट के बल उल्टी लेट जाउ तो मर्दों के सामने मेरी पीठ और नितम्ब नंगे थे । फिर पेट के बल लेट कर मैने प्रणाम की मुद्रा में अपनी दोनों बाँहे सर के आगे कर ली। मेरे फ़र्श में लेटते समय वो बौना निर्मल मेरे पास ही खड़ा था ।

गुरुजी--अब निर्मल तुम भी माध्यम यानि रश्मि के उपर लेट जाओl

मैने फिर से अपने उपर निर्मल के बदन का भार और उसका खड़ा लंड मेरे मुलायम नितंबों में महसूस किया। मुझे याद आया कि मेरे बेडरूम में मेरे पति लूँगी में ऐसे ही मेरे उपर लेटते थे और मैं सिर्फ़ नाइटी पहने रहती थी और अंदर से कुछ नही। मैने अपने उपर काबू रखने की कोशिश की और लिंगा महाराज के उपर ध्यान लगाने की कोशिश की पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ।



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गुरुजी--संजीव ये कटोरा लो और निर्मल के पास रख दो।

मैने देखा संजीव एक छोटा-सा कटोरा लेकर आया और मेरे सर के पास रख दिया। उसमे कुछ सफेद दूध जैसा था और एक चम्मच भी था ।

गुरुजी-- निर्मल तुम रश्मि के लिए पूरे ध्यान से प्रार्थना करो और उसको रश्मि के कान में बोलो। फिर एक चम्मच यज्ञ रस रश्मि को पिलाओ. ठीक है?

कुमार--जी गुरुजी!

गुरुजी--रश्मि इस बार पहले से थोड़ा अलग करना है।

"क्या गुरुजी?"

मैने लेटे-लेटे ही गुरुजी की तरफ़ सर घुमाया और देखा कि उनकी आँखे पहाड़ की तरह उपर को उठे मेरे नितंबों पर हैं और वो अपने मूसल लंड को धीरे धीरे सहला रहे हैं । जैसे ही हमारी नज़रें मिली गुरुजी ने मेरी गान्ड से अपनी नज़रें हटा ली।

गुरुजी-- रश्मि निर्मल के रस पिलाने के बाद तुम अपने मन में लिंगा महाराज को प्रार्थना दोहराओगी और फिर पलट जाओगी। ऐसा 6 बार करना है। 3 बार उपर की तरफ़ और 3 बार नीचे की तरफ। ठीक है?

गुरुजी की बात समझने में मुझे कुछ समय लगा और तभी संजीव ने बेहद खुली भाषा में मुझे समझाया कि अब मुझे कितनी बेशर्मी दिखानी होगी।

समीर--मेडम, बड़ी सीधी-सी बात है। गुरुजी के कहने का मतलब है कि अभी तुम उल्टी लेटी हो। निर्मल को पहली प्रार्थना इसी पोज़िशन में करनी है। फिर आप सीधी पीठ के बल लेट जाओगी जैसे कि हम बेड पर लेटते हैं। निर्मल को दूसरी प्रार्थना उस पोज़िशन में करनी होगी। ऐसे ही कुल 6 बार प्रार्थना करनी होगी। बस इतना ही। ज़य लिंगा महाराज।

गुरुजी--ज़य लिंगा महाराज। रश्मि मैं जानता हूँ कि एक औरत के लिए ऐसा करना थोडा अभद्र लग सकता है, लेकिन यज्ञ के नियम तो नियम है। मैं इसे बदल नहीं सकता।

गुरुजी की अग्या मानने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था। लेकिन उस दृश्य की कल्पना करके मेरे कान लाल हो गये। दूसरी प्रार्थना के लिए मुझे सीधा लेटना होगा और वो बदमाश बौना निर्मल मेरे उपर लेटेगा। पहले भी वह मेरे उपर लेटा था लेकिन तब कम से कम ये तो था कि मेरा मुँह फ़र्श की तरफ़ था। लेकिन अब तो ये ऐसा होगा जैसे कि मैं बेड में सीधी लेटी हूँ और मेरे पति मेरे उपर लेट कर मुझे आलिंगन कर रहे हो और उपर से चार आदमी भी मुझे इस बेशरम हरकत को करते हुए देख रहे होंगे। मेरी नज़रें झुक गयी और मैने प्रणाम की मुद्रा में हाथ आगे करते हुए सर नीचे झुका लिया।



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गुरुजी--ठीक है। निर्मल अब तुम पहली प्रार्थना शुरू करो। सभी लोग ध्यान लगाओ. जय लिंगा महाराज।

निर्मल ने मेरे कान में प्रार्थना कहनी शुरू की। उसका खड़ा लंड मुझे अपने नितंबों में चुभ रहा था। मैंने नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था तो उसका लिंग ज़्यादा अच्छी तरह से महसूस हो रहा था। शायद ऐसा ही निर्मल को भी लग रहा होगा। धीरे-धीरे वह मेरे नितंबों पर ज़्यादा दबाव डालने लगा और हल्के से धक्के लगाने लगा। मैं सोच रही थी की ये इस अवस्था में भी प्रार्थना कैसे कर पा रहा है।

प्रार्थना कहने के बाद अब निर्मल ने कटोरे में से एक चम्मच यज्ञ रस मुझे पिलाया। मेरी पीठ में उसकी हरकतों से मेरे होंठ खुले हुए ही थे। निर्मल ने जो रस मुझे पिलाया उस रस का स्वाद अच्छा था। उसके बाद मैंने आँखें बंद की और प्रार्थना को लिंगा महाराज का ध्यान करते हुए मन ही मन दोहरा दिया।

संजीव --मैडम, अब निर्मल उतरेगा तो आप सीधी हो कर पीठ के बल लेट जाना।


फिर निर्मल मेरी पीठ से उतर गया l

अब मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। मुझे सीधा लेटकर ऊपर की तरफ़ मुँह करना था। जब मैं पलटी तो मुझे समझ आ रहा था कि इस हाल में मैं बहुत मादक दिख रही हूँ। मैंने ख़्याल किया की अब संजीव , निर्मल , उदय और राजकमल चारो मेरे जवान बदन को ललचाई नज़रों से देख रहे थे। मैंने नज़रें उठाई तो देखा की गुरुजी भी मुस्कुराते हुए मुझे ही देख रहे थे।

गुरुजी-- निर्मल अब तुम दूसरी प्रार्थना करोगे। रश्मि, माध्यम के रूप में तुम निर्मल को पूरी तरह से अपने बदन के ऊपर चढ़ाओगी। विधान ये है कि माध्यम को भक्त के दिल की धड़कनें सुनाई देनी चाहिएl

इन तीन मर्दों के सामने ऐसे लेटे हुए मुझे इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी की क्या बताऊँ। मैंने गुरुजी की बात में सर हिलाकर हामी भर दी। निर्मल मेरे ऊपर चढ़ने को बेताब था और जैसे ही वह मेरे ऊपर चढ़ने लगा मैंने शरम से आँखें बंद कर लीं। मुझे बहुत निरादर और शर्म महसूस हो रही थी । औरत होने की स्वाभाविक शरम से मैंने अपनी छाती के ऊपर बाँहें आड़ी करके रखी हुई थीं।

संजीव --मैडम, प्लीज़ अपने हाथ प्रणाम की मुद्रा में सर के आगे लंबे करो।

"वैसे करने में मुझे अनकंफर्टेबल फील हो रहा है।"

मैंने कह तो दिया लेकिन बाद में मुझे लगा की मैंने बेकार ही कहा क्यूंकी गुरुजी ने अपने शब्दों से मुझे और भी ह्युमिलियेट कर दिया।

समीर--लेकिन मैडम...।



bum-cock

गुरुजी--रश्मि, हम सबको मालूम है कि अगर एक मर्द तुम्हारे बदन के ऊपर चढ़ेगा तो तुम अनकंफर्टेबल फील करोगी। लेकिन हर कार्य का एक उद्देश्य होता है। अगर तुम अपनी छाती के ऊपर बाँहें रखोगी तो तुम निर्मल के दिल की धड़कनें कैसे महसूस करोगी? अगर तुम्हारी छाती उसकी छाती से नहीं मिलेगी तो एक माध्यम के रूप में उसकी प्रार्थना के आवेग को कैसे महसूस करोगी?

वो थोड़ा रुके. पूजा घर के उस कमरे में एकदम चुप्पी छा गयी थी। वह तीनो मर्द मेरी उठती गिरती चूचियों के ऊपर रखी हुई मेरी बाँहों को देख रहे थे।

गुरुजी--अगर ये तंत्र यज्ञ होता और तुम माध्यम के रूप में होती तो मैं तुम्हारे कपड़े उतरवा लेता क्यूंकी उसका यही नियम है।

उन मर्दों के सामने ये सब सुनते हुए मैं बहुत अपमानित महसूस कर रही थी और अपने को कोस रही थी की मैंने चुपचाप हाथ आगे को क्यूँ नहीं कर दिए. ये सब तो नहीं सुनना पड़ता। अब और ज़्यादा समय बर्बाद ना करते हुए मैंने अपने हाथ सर के आगे प्रणाम की मुद्रा में कर दिए. अब बाँहें ऐसे लंबी करने से मेरी चूचियाँ ऊपर को उठकर तन गयीं और भी ज़्यादा आकर्षक लगने लगीं।

जल्दी ही निर्मल मेरे ऊपर चढ़ गया और मैंने शरम से अपने जबड़े भींच लिए. मेरे बेडरूम में जब मैं ऐसे लेटी रहती थी और मेरे पति मेरे ऊपर चढ़ते थे तो पहले वह मेरी गर्दन को चूमते थे, फिर कंधे पर और फिर मेरे होठों का चुंबन लेते थे। उनका एक हाथ मेरी नाइटी या ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूचियों पर रहता था और मेरे निपल्स को मरोड़ता था। उसके बाद वह मेरी नाइटी या पेटीकोट जो भी मैंने पहना हो, उसको ऊपर करके मेरी गोरी टाँगों और जाँघों को नंगी कर देते थे, चाहे उनका मन संभोग करने का नहीं हो और सिर्फ़ थोड़ा बहुत प्यार करने का हो तब भी। अभी निर्मल मेरे ऊपर चढ़ने से मुझे अपने पति के साथ बिताए ऐसे ही लम्हों की याद आ गयी।

मेरी बाँहें सर के पीछे लंबी थीं इसलिए निर्मल के लिए कोई रोक टोक नहीं थी और उसने मेरे बदन के ऊपर अपने को एडजस्ट करते समय मेरी दायीं चूची को अपनी कोहनी से दो बार दबा दिया और यहाँ तक की अपनी टाँग एडजस्ट करने के बहाने ऊपर से मेरी चूत को भी छू दिया। उसने अपने को मेरे ऊपर ऐसे एडजस्ट कर लिया जैसे चुदाई का परफेक्ट पोज़ हो । कमरे में चार मर्द और भी थे जो हम दोनों को देख रहे थे और मैं उनकी आँखों के सामने ऐसे लेटी हुई बहुत अपमानित महसूस कर रही थी।

अब निर्मल ने मेरे कान में प्रार्थना कहनी शुरू की और इसी बहाने मेरे कान को चूम और चाट लिया। वैसे तो मैंने शरम से अपनी आँखें बंद कर रखी थी लेकिन मैं समझ रही थी की संजीव जो मेरे इतना पास बैठा हुआ था उसने इस बौने की बेशर्म हरकतें ज़रूर देख ली होंगी।

अब निर्मल ने मुझे चम्मच से यज्ञ रस पिलाया और पिलाते समय उसने अपना दायाँ हाथ मेरी बायीं चूची के ऊपर टिकाया हुआ था और वह अपनी बाँह से मेरे निप्पल को दबा रहा था। निर्मल ने फिर से रस पिलाने में उसकी मदद की और फिर मैंने लिंगा महाराज को उसकी प्रार्थना दोहरा दी। मैं ही जानती थी की मैंने लिंगा महाराज से क्या कहा क्यूंकी प्रार्थना के नाम पर वह बौना खुलेआम मेरे बदन से जो छेड़छाड़ कर रहा था उससे मैं फिर से कामोत्तेजित होने लगी थी।

ऐसे करके कुल 6 बार प्रार्थना हुई और हर बार मुझे ऊपर नीचे को पलटना पड़ा और निर्मल आगे से और पीछे से मेरे ऊपर चढ़ते रहा। अंत में ना सिर्फ़ मैं पसीने से लथपथ हो गयी बल्कि मुझे बहुत तेज ओर्गास्म भी आ गया। बाद-बाद में तो निर्मल कुछ ज़्यादा ही कस के आलिंगन करने लगा था और एक बार तो उसने मेरे नरम होठों से अपने मोटे होंठ भी रगड़ दिए और चुंबन लेने की कोशिश की। लेकिन मैंने अपना चेहरा हटाकर उसे चुंबन नहीं लेने दिया। वह मेरे ऊपर धक्के भी लगाने लगा था और मेरे पूरे बदन को उसने अच्छी तरह से फील कर लिया और मेरे बदन पर निर्मल को चढ़ाते उतारते समय संजीव ने मेरे निचले बदन पर जी भरके हाथ फिरा लिए. निर्मल की मदद के बहाने उसने कम से कम दो या तीन बार मेरे नितंबों को पकड़ा और मेरी जाँघों पर और मेरे स्तनों पर तो ना जाने कितनी बार अपना हाथ फिराया।

मैंने पैंटी नहीं पहनी थी तो तेज ओर्गास्म आने के बाद मेरी चूत का रस मेरी जांघों के अंदरूनी हिस्से में बहने लगा और वो आसान और मेरी टाँगे गीली हो गयी । प्रार्थना पूरी होने के बाद गुरुजी और संजीव ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और आख़िरकार निर्मल मेरे बदन से उतर गया।



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समीर--गुरुजी कमरा बहुत गरम हो गया है। हम सब को पसीना आ रहा है। थोड़ा विराम कर लेते हैं गुरुजीl

गुरुजी--हाँ थोड़ा विराम ले सकते हैं लेकिन मध्यरात्रि तक ही शुभ समय है तब तक यज्ञ पूरा हो जाना चाहिएl

तब तक मैं फ़र्श से उठ के बैठ गयी थी

"गुरुजी, एक बार बाथरूम जाना चाहती हूँ।"

गुरुजी--ज़रूर जाओ रश्मि। लेकिन 5 मिनट में आ जाना। अब अनुष्ठान में लिंगपूजा की बारी है।

मैं बाथरूम गयी और मुँह धोया। फिर अपनी चूत जांघों और टांगो को भी धो लिया, जो मेरे चूतरस से चिपचिपी हो रखी थी ।

गुरुजी--अब हम यज्ञ के आख़िरी पड़ाव पर हैं और रश्मि बेटी को इसे पूरा करना है।

मैं -जी गुरुजीl

गुरुजी--संजीव, रश्मि को भोग दो। नियम ये है कि रश्मि के यज्ञ में बैठने से पहले भोग गृहण करना होगा।

संजीव --जी गुरुजीl

गुरुजी- संजीव अब तुम चारो की जर्रोरत नहीं है , तुम अब थोड़ी देर आराम कर सकते हो!

गुरुजी ने आगे पूजा के बारे में बताना शुरू कर दिया।

गुरुजी--रश्मि बेटी, अब हम लिंगा महाराज की पूजा करेंगे। इस पूजा के लिए माध्यम की ज़रूरत पड़ती है। अब तुम्हारे लिए माध्यम मैं बनूंगा। ठीक है?

मैं --जी गुरुजीl

गुरुजी- रश्मी, तुम्हारा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ पूजा में होना चाहिए. तुम्हें ध्यान नहीं भटकाना है। इसलिए सिर्फ़ पूजा पर ध्यान लगाना। जय लिंगा महाराज।

मैं सर हिलाकर हामी भरी और खड़ी हो गयी। अब क्या करना है उसे मालूम नहीं था। गुरुजी ने मुझे कुछ समझाया और इशारा किया। गुरूजी मुझे वहाँ पर ले गए जहाँ पर मैं माध्यम के रूप में फ़र्श पर लेटी थी और वो खुद फ़र्श में पीठ के बल लेट गए । और मैं उनके ऊपर पेट के बल लेट गयी मेरे छाती उनकी छाती पर चिपक गयी और उनका बड़ा मूसल लंड उनकी धोती के अंदर मेरे योनि से टकरा रहा था और अब मेरे नितंब ऊपर को उठे हुए बहुत आकर्षक लग रहे थे। गुरूजी मुझे पूजा के लिए फूल लेले हो कहा तो मुझे अपने ऊपर बहुत लज्जा आयी और मेरे चेहरा शरम से लाल हो गया । गुरूजी में मुझे प्रणाम की मुद्रा में हाथ आगे को करने को कहा।

गुरुजी--रश्मि अब मैं तुम्हारे कान में पाँच बार मंत्र बोलूँगा और तुम उसे ज़ोर से लिंगा महाराज के सामने बोल देना। उसके बाद तुम मुझे अपनी इच्छा बताओगी और मैं उसे लिंगा महाराज को बोल दूँगा। ठीक है?

मैं -जी गुरुजीl

अब गुरुजी ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और मैं उनक ऊपर लेट गयी । गुरुजी का लंबा चौड़ा शरीर था, उनके शरीर से पूरी तरह समा गयी। मैं सोचने लगी की माध्यम के रूप में मैं फ़र्श में लेटी थी और निर्मल ने मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे मज़े लिए थे। लेकिन अब अलग ही हो रहा था। गुरुजी फ़र्श पर लेते हुए थे और मैं उनके ऊपर थी मेरे मन में आया की गुरुजी से पूछूं की ऐसा क्यूँ? पर पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुईl

गुरुजी-- रश्मि बेटी तुम्हें अजीब लगेगा, पर यज्ञ का यही नियम है। मैं अपना वज़न तुम पर नहीं डालूँगा। तुम बस पूजा में ध्यान लगाओl

आगे योनि पूजा में लिंग पूजा की कहानी जारी रहेगी

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दीपक कुमार
 
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