खंड - 02अ
एक व्यक्ति घूमते हुए उसी अंगूर की खेत के पास पहुँचा जहा तारा को उसके पिता ने मरने के लिए दबा रखा था और एकाएक जमीन पर एक लाश देख कर चौंक पड़ता है। उसे विश्वास हो गया कि यह तारा की लाश है। उस व्यक्ति को रुकते देख लौंडियों(नौकरानियों) ने मशाल को आगे किया और वह व्यक्ति बड़े गौर से उस लाश की तरफ देखने लगा।
वह व्यक्ति समझ गया कि यह तारा की लाश नही है, वह तो एक कमसिन लड़के की लाश थी, जिसकी उम्र दस वर्ष से ज्यादे की न होगी। लाश का सिर न था जिससे पहिचाना जाता कि कौन है, मगर बदन के कपड़े बेशकीमती थे, हाथ में हीरे का जड़ाऊ कड़ा पड़ा हुआ था; उंगलियों में कई अंगूठियाँ भी थीं, गर्दन के नीचे जमीन पर गिरी हुई मोती की एक माला भी मौजूद थी।
और ये सारे सामान देखकर वह व्यक्ति कहता है की :-
व्यक्ति : चाहे इसका सिर शरीर पर मौजूद नही है, मगर गहने और कपड़े की तरफ देखकर मैं कह सकता हूँ कि यह हमारे महाराज के छोटे लड़के सूरज सिंह की लाश है।
एक नौकरानी : यह क्या हुआ ? कुंअर साहब यहाँ कैसे आये और उन्हें किसने मारा?
व्यक्ति : यह तो गजब हो गया है, अब कोईभी किसी तरह से हम लोगों की जान नहीं बचा सकता है। जिस समय महाराज को खबर होगी कि कुंअर साहब की लाश बीरसिंह के बाग में पाई गई तो बेशक मैं खूनी ठहराया जाऊंगा।(जी हा वह व्यक्ति और कोई नही बीरसिंह था पर यह यह क्या कर रहा है क्योंकि यह तो डाकू को पकड़ने गया था तो बस यही कहूंगा की थोड़ा सब्र करे) मेरी बेकसूरी किसी तरह साबित नहीं हो सकेगी और दुश्मनों को भी बात बढ़ाने और दुःख देने का मौका मिल जायेगा। हाय ! अब हमारे साथ हमारे रिश्तेदार लोग को भी फांसी दे दिये जायेंगे। हे ईश्वर । धर्म पथ पर चलने का क्या यही बदला है ! !
यह सब सोचते हुए बीरसिंह इधर उधर देखते हुए तारा को अंगूर के खेत में ढूंढने लगा क्योंकि उसे नौकरानियों से पता चल गया था की तारा उसे फटक तक छोड़कर बंगले में नही लौटी थी उसे आशंका थी की कोई तारा के ऊपर तो जानलेवा हमला करके उसे भी जान से मार तो नही दिया क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले उसके ऊपर भी एक जानलेवा हमला हुआ था…
यह सोचते हुए बीरसिंह कुछ देर हुए अपने साथ हुए घटना को याद में को जाता है…….
थोड़ी देर पहले……..
बीरसिंह तारा से विदा लेकर फाटक से बाहर सड़क पर आ जाता है. इस सड़क के किनारे बड़े - बड़े पेड़ लगे हुए थे, जिनकी दलिया आपस में मिलकर ऊपर की ओर जा रही थी और पूरे सड़क पर अंधेरा पसरा हुआ था.
एक तो अंधेरा ऊपर से आसमान में छाई बादल पूरे सड़क को अंधेरे में घेर रखा था.
मगर बीरसिंह इस सबसे बेखौफ आगे कदम बढ़ाए जा रहा था. जब वह अपने बंगले से काफी दूर आ गया तो अचानक बीरसिंह को अपने पीछे से किसी की आहट आती हुई महसूस होती है जिसे महसूस करने के बाद बीरसिंह रुक जाता है और पीछे मुड़कर देखने लगता है मगर उसे अपने पीछे कुछ दिखाई नहीं देता है और वह एक गहरी सांस छोड़ आगे की तरफ अपना रुख कर लेता है और आगे बढ़ जाता है. पर वह अब चौकन्ना हो गया था क्योंकि उसे कुछ बुरा होने की आशंका हो गया था.
आखिर जब बीरसिंह थोड़ी ही दूर आगे बढ़ा था की उसके बाई तरफ से एक आदमी ने बीरसिंह के गर्दन पर अपनी तलवार से एक जानलेवा वार किया जैसे वह बीरसिंह का एक ही बार में काम तमाम कर देना चाहता हो मगर बीरसिंह भी चौकन्ना था उसने तुरान अपनी गर्दन दाई तरफ करते हुए फुर्ती से अपना तलवार निकाल कर उस हमलावर के सीने में भोंक देता है, और वह व्यक्ति अपने ऊपर हुए इस हमले का प्रतिकार न कर सका और वही ढेर हो गया….
बीरसिंह अपनी तलवार से उस हमलावर के चेहरे पर बंधे मास्क को हटाता है और देखता है की वह व्यक्ति अपने आंखे अचंभे और अपने मुख आश्चर्य से खोले हुए था ऐसा लग रहा था की वह कुछ बोलने वाला था पर उसकी आवाज निकलने से पहले ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए.
तभी बीरसिंह को अपने गले में दर्द सा महसूस हुआ तो उसने अपने गर्दन पर हाथ फेरते हुए देखा की उस हमलावर के तलवार ने बीरसिंह के बचाव के बाद भी एक खरोच दे ही दिया था.
अभी बीरसिंह कुछ समझ पाता की उसके पीछे से म्यान से तलवार निकलने की आवाज आती है और वह तुरंत पीछे मुड़ता है और देखता है की पेड़ो के पीछे से तीन आदमी बाहर निकल रहे है जिनके हाथो में नगी तलवारे थी. अब बीरसिंह को तीन हमलावरों से मुकाबला करना होगा यह सोचकर बीरसिंह उन हमलावरों की तरफ बढ़ता है.
बीरसिंह एक बहादुर इंसान था उसके शरीर में ताकत के साथ साथ चुस्ती और फुर्ती दोनो ही था. तलवार के साथ उसे और भी हथियारों को चलाने की कला मालूम थी. खराब से खराब तलवार भी बीरसिंह के हाथो में आकर खतरनाक हो जाति थी और अपने दुसामानो के छक्के छुड़ा देती थी.
इस समय बीरसिंह के जान लेने के लिए वह तीन आदमी मौजूद थे वह तीनों हमलावर आकर बीरसिंह को तीन और से घेर लेते है…
एक हमलावर :- मधर चोद तूने हमारे एक साथी को मार दिया आज तू जिंदा नही बच पाएगा.
बीरसिंह :- तू अपनी जान की खैर मना. अभी भी मौका है अपनी जान बचा और बता दे की किसने तुम सबको भेजा है यहां.
तीसरा हमलावर :- अकेला है और हम तीन फिर फिर अकड़. यहां हम तेरा काम तमाम करेंगे और वहां तेरी बीवी का काम तमाम होगा.
बीरसिंह तारा के बारे में सुनकर थोड़ा परेशान हो गया क्योंकि अब उसे पता चल गया था की वहां तारा पर भी हमला होने वाला है या फिर हो गया होगा और तारा उन सभी से कैसे निपट रही होगी.
अभी बीरसिंह अपनी सोच में ही गुम था की अचानक उसे कुछ चमकते हुए दिखाई देता है जो और कुछ नही उन हमलावरों में से एक हमलावर की तलवार थी जो बीरसिंह की अपने में गुम देख और मौके का फायदा उठाने के लिए अचानक बीरसिंह पर वार कर दिया था. मगर वीर सिंह भी कोई नौसिखिया नही था उसने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उस हमले से बचाने के लिए अपने शरीर की घुमा देता है जिससे उस हमलावर की तलवार बीरसिंह को छूते हुए निकल जाति है और एक तेज चीखने की आवाज आती है जो और किसी की नही बल्कि उस हमलावर की थी जो मौके का फायदा उठाकर बीरसिंह पर हमला किया था और वह हमलावर का शरीर धरती पर गिरकर कुछ देर छटपटाता है और शांत हो जाता है और उसका सिर उसके धड़ से अलग होकर दूसरे हमलावर के सामने गिर जाता है जिससे बचे हुए दो हमलावर दो कदम पीछे हो जाते है.
बीरसिंह :- अभी तुम कच्चे हो बीरसिंह को मरने के लिए अब भी तुम लोगो के पास समय है अपनी जान बचाने का और मुझे केवल उसका नाम बता दो जिसने तुम लोगो को यह भेजा है. नही तो अपनी मां चुदाने के लिए तैयार हो जाओ.
तीसरा हमलावर :- बेटीचोद तूने हमारे दूसरे साथी को भी मार डाला अब तू जिंदा नही बचेगा. तेरा हम वो हाल करेंगे की तेरी मां भी सोचेगी की इसे मैने ही अपने चूत से पैदा किया है.
और अपनी मां के बारे में ऐसी बाते सुनकर बीरसिंह उससे में आ जाता है और तेजी से उस बोलने वाले हमलावर की तरफ अपनी कोन से सनी तलवार लहराते हुए बढ़ा और एक और खचाक की आवाज आती है और उस गली देने वाले हमलावर को बीरसिंह के हमले के उत्तर में में हमला करने से पहले ही उसके गर्दन उसके शरीर से अलग हो जाति है और उसका सिर आश्चर्य से हुई अपनी आंखो के साथ सड़क पर लुढ़क कर सड़क के किनारे बनी झाड़ियों के पास चला जाता है और तीसरे हमलावर के कुछ करने से पहले ही उसका भी सिर धड़ से अलग था और वह भी प्रलोक सिधार गया…..
अपने हमलावरों पर जीत पाने के बाद बीरसिंह तेजी से अपने बंगले की तरफ बढ़ गया
तभी उसका ध्यान उसके नौकरानियों के आपस में खुसफुसाने की आवाज टूटता है और वह अपने वर्तमान में लौट जाता है…….
तो यहां खंड - 02अ समाप्त होता है और इस खंड को लाइक करना ना भूले और अपनी राय भी कॉमेंट में लिखे…..