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Incest कन्याधन

Premkumar65

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अपडेट ७
(उसी रात बलदेव के घर)
बलदेव नशे में घर आ गया और कामववाली बाई ने जो खाना बनाया था वो खा कर चाट के ज़हले पे मस्त हवा में लुंगी और बनियान पहन कर बैठ गया. अब वो रुद्रप्रताप ने जो बाटे बताई वो सोच ही रहा था. उसे अपना मोबाइल लिया और सतीश को कॉल किया, सतीश ने कॉल उठके सीधा बोल दिया

सतीश: हं ससुर जी बोलिये .. अरे वाह ससुर जी आप तोह सच में कमाल हो अभी अभी रुद्रप्रताप जी का फ़ोन आया था उन्होंने मुझे कल छुट्टी दी है मज़े करने को. कल में दिन भर ऐश करूँगा ससुर जी. और पता है उन्होंने जयश्री को भी १ महीने की छुट्टी दी है. अब जयश्री घर पर है और मुझे पूछ रही थी की कल से ऑफिस नहीं जाना है. क्या यह सच है? पर आपने उनसे क्या बोला उनमें इतना बदलाव कैसे हुआ

बलदेव को यह पता ही नहीं था की रुद्रप्रताप ताबड़तोड़ एक्शन मोड में आया है. यह सुनकर रुद्रप्रताप खुश हुआ.

बलदेव- अरे दामाद जी ... हम हम है समझे बाकि सब पानी कम है... अच्छा सुनो एक काम कर सकते हो काल मुझ से मिल सकते हो? ऐसे भी कल छुट्टी है न तुम्हे!
सतीश- हं हं ससुर जी कैसी बात कर रहे हो आप हुक्म करो में हाज़िर हो जाऊंगा हं पर ज्यादा देर नहीं कृपया कर के...
बलदेव- तोह ठीक है कल मुझे अपने जंगलवाले रोड के खेत में मिलना, मुझे बोहोत काम है कल वह. वही मिलते है हम, ठीक?
सतीश- हं हं जी बिलकुल, में आ जाऊँगा कल दोपहर को (फ़ोन रख दिया)

बलदेव के दिमाग में अब १०० घोड़े दौड़ रहे थे. व्हिस्की की सुरसूरी अभी भी थी. उसने सिगरेट जलाई और मोबाइल हाथ में लेकर फिर से फोटो एल्बम खोल लिया और अपने आप उसकी नज़र जयश्री के फोटोज पर जाने लगी. अब वो जयश्री के फोटोज गौर से देखने लगा तभी... उसका फ़ोन बजता है
और सामने स्क्रीन पे देखा .. वो पहलेबार तोह फ़ोन नहीं आया था उस व्यक्ति का इस से पहले भी उसने फ़ोन किया था पर आज अजिन सी सुरसुरी थी सोच में.
वो फ़ोन किसी और का नहीं बल्कि उसकी राजकुमारी लाड़ली बेटी जयश्री का था. वो भूल गया था की कल ही उसने जयश्री को कॉल लगाई थी तोह जयश्री ने उसी के लिए कॉल किया होगा उसे ऐसा लगा...
उसने फ़ोन उठाया.. जैसे ही फ़ोन उठाया जयश्री की आवाज ने उसके दिलो दिमाग में घर कर लिया. जयश्री भले ही काफी जवान लगती होगी पर उसकी वौइस् में काफी हस्क था ऐसा लगता था की कोई नशेडी की आवाज जैसी थी जो किसी भी आदमी की ठरक जगा सके...

जयश्री- पापा... कैसे है आप.. आपन ने कल कॉल किया था .. वो चोरो आप कैसे हो... अब कहाँ हो ... और अपने खाना खाया के नहीं ...
बलदेव- जयश्री बेटी वो कल ऐसे ही याद आयी तुम्हारी एक हफ्ते से बात नहीं हुई न हमारी ! सॉरी बेटी इस हफ्ते कुछ ज्यादा बिजी था ... और हाँ तुम इतने सवाल क्यों पूछ रही हो ! तेरी माँ गयी तोह अब तूने मेरी खबर रखनी चालू की (मजाक में)
जयश्री- क्या पापा... आप मुझे प्यार नहीं करते! आप ने मुझे याद तक नहीं किया कुछ दिनों में
बलदेव- बेटी तुमने भी तोह कहा अपने पापा को याद किया! सुना है ऑफिस के काम में बोहोत मशगूल हो?
जयश्री- (अपनी जीभ चभाते हुए) जी नहीं पापा बस वो काम बढ़ गया था न. इसलिए आपको कॉल नहीं कर पायी . सॉरी पापा .. माफ़ कर दो.. प्लीज...
बलदेव- अरे बेटी तू सॉरी मत बोल तू तोह मेरी रानी बिटिया है, फ़िक्र मत कर में सब देख लूंगा अब
जयश्री- पापा आपने कल कॉल किया था कुछ काम था क्या?
बलदेव- है काम तो था पर सुनो अब नहीं बताऊंगा वो अब तुमको सतीश समझायेगा कल श्याम को, ठीक है तुम वो करो जो वो बोलता है , इसी में सब की भलाई है बेटी, ठीक है और तुम सोई नहीं अब तक?
जयश्री- नहीं पापा नींद नहीं आ रही. पता नहीं अचानक से बॉस अंकल को क्या हुआ! अचानक से मुझे कहा की मुझे १ महीने की छुट्टी दी है और वो खुद कही जाने वाले है पता नहीं क्या हुआ है उनको. इस बार मुझे नहीं ले जा रहे है बिज़नेस ट्रिप पे..

बलदेव अंदर ही अंदर खुश हो रहा था. उसके सब तीर निशाने पे लग रहे थे.

जयश्री- पापा.. एक बात कहूं.. प्लीज
बलदेव- बोलो बेटी
जयश्री- आप बॉस अंकल को समझाओ न की मुझे ऑफिस आने दे मौज़े घर बैठने में मज़ा नहीं आता
बलदेव- जयश्री बेटी सुन जिंदगी में हर वक़्त काम ही काम नहीं होते. अपनी जिंदगी तोह जी ले . सतीश के साथ घूमने जाया कर. लगे तोह मई करा दूँ टिकट कही की.. देख मई रूद्र को बोल दूंगा पर फ़िलहाल तू दो-तीन दिन आराम कर कही घूम के आजा और सतीश को भी घुमा ले आलसी खरगोश को..

जयश्री सुन रही थी पर थोड़ी उदास थी
बलदेव- क्या हुआ बेटी, बोलती क्यों नहीं ! कुछ तो बोलो बेटी
जयश्री- पापा अब मई कैसे बताऊँ आपको! यहाँ मज़ा नहीं अत जीने में कुछ ... में आपको बता के आपको तकलीफ नहीं देना चाहती ... में हैंडल कर लुंगी पापा .. आप टेंशन ना लो

बलदेव को पता था की जयश्री क्यों रुद्रप्रताप के साथ जाना चाहती है. यही जयश्री की मजबूरी वो हटाना चाहता था.

बलदेव- बेटी सुनो जब तक में हूँ तुम फ़िक्र मत करो में अब संभाल लूंगा ठीक है. अब सौजा
जयश्री- ठीक है पापा ... गुड़ नाईट अपन ख्याल रखना

फ़ोन काटते काटते बलदेव का मन हुआ की फ़ोन पर उसकी एक किस मांग ले पर नहीं बोल पाया आज वो खुद अपनी बेटी को फ़ोन पर किस मांगने की सोच रहा था.

अब बलदेव अंदर गया और उसने एक छोटा पेग बनाया और पि के फिर सो गया.
Dore dalna suru kar diya hai apni beti par Baldev ne.
 
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Premkumar65

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अपडेट ८

(सतीश के घर)
सतीश सुभे आराम से उठा ऐसा उसने सर रविवार को ही फील किया था. आज न ही कोई फ़ोन न ही कोई काम क्यों की रुद्रप्रताप ने उसका काम किसी और को सौंप दिया था. आज उसने प्लान बनाया था की रात में खूब मज़े करेगा, मूवी देखने जायेगा और हो सके तोह कोई लड़की बाजार में मिली तोह उस के एकाद घंटा गुजरे गा. उसको ससुराल भी जाना था. उसका ससुराल सतीश के घर से २० किमी दूर था और वह से जंगल के तरफ के खेतवाला फार्महाउस १० किमी पे था. तोह वो तैयार होने लगा. उसने अपनी खटारा कार निकाली और चल पड़ा. वो खुश था की आज उसके ससुर कुछ बहुत जरुरी बात बतानेवाले होंगे जो उसके फायदे की हो. जाते जाते बिच में दो-तीन अच्छे ढाबे थे वही उसने खाना खा लिया और जंगलेवाले खेत पे पोहोंच गया.

(बलदेव के जंगलवाले खेत के फार्महाउस पे)
बलदेव तब फसल कटाई के काम का खुद सबको समझा के कर करवा ले रहा था. उसे आज तक कोई मैनेजर या उसके लिए उसके छोटे काम देखनेवाले की जरुरत ही नहीं पड़ीं.
बलदेव- अरे दामाद जी आओ.. में आता हूँ तब तक तुम ऊपर फार्महाउस के छत वाले गार्डन पे रुको..
सतीश- जी ससुर जी
सतीश को सासुर जी के ठाँठ बांठ तोह पता थे इसलिए तोह उसने जायदाद की डिमांड की थी. वो चला गया. नौकर ने उसको चाय लाके दी तोह उसने मन कर दिया क्यों की वो अभी खाना खाके आया था. फार्महाउस वाले चाट पर भी बलदेव ने वैसा ही गार्डन बना दिया था जैसा गाओं के खेत वाले फार्महाउस पे था. छतपर बोहोत बड़ी छांव थी इमली के पेड़ की जो बोहोत बड़ा था. चारो तरफ घनी झाडी थी. बलदेव भी अब ऊपर फार्महाउस बंगलो पे आया था.

बलदेव- अरे दामाद जी चाय वे कुछ लिए नहीं तुम... अरे सुभाष (नौकर) दामाद जी को चायवाय पूछे के नहीं!
सतीश- जी नहीं में ठीक हूँ

बलदेव अपना पसीने से भीगा हुआ शर्ट और बनियान निकलते हुए बात करने लगा. निचे सिर्फ पजामा पहना था. सतीश भी देख रह था. बलदेव उसकी पूछताछ करते करते वही छत के किनारे अपने कपडे सूखने को रख रहा था. ऊपर से वो खुला था. उसका कसरती और बलदण्ड शरीर देख कर तोह सतीश सकपका गया. बलदेव का शरीर सतीश से ३ गुना बड़ा होगा. उसके सामने सतीश खुद को किसी लुक्खे खम्बे जैसा लग रहा था. बलदेव की चौड़ा सीना देखा उसने. और उसके सीना बालो से भरा हुआ था. सीने पे आधे बाल सफ़ेद ही थे. उसके पेट पे हलकी सी चर्बी थी पर काफी फिट था. उसका मरदाना मिजाज देख कर सतीश को खुद की शर्म आने लगी. और ऐसा नहीं के बलदेव सिर्फ शरीर से ऐसा था उसका दिमाग भी बोहोत फ़ास्ट था. वो एक साथ १० दिमाग दौड़ा सकता था ये उसकी काबिलियत थी.

बलदेव- आज का क्या प्लान है? सुना है आज तुम्हारी छुट्टी है.
सतीश- जी
बलदेव- चलो बढ़िया है, हमारी बिटिया को भी ले आता यहाँ
सतीश- नहीं वो सुभे ही चली गयी थी बाजार में कुछ लेने के लिए.

बलदेव अब गंभीर होते हुए बैठते हुए बोन लगा.

बलदेव- देखो सतीश मैंने तुम्हरे ऑफर के बारे में कुछ सोचा है पर उसके लिए तुमको मेरा काम करना पड़ेगा
बलदेव- वैसे तुमको कितनी जायदाद चाहिए?
सतीश- जी ऐसा कुछ सोचा नहीं बस आपकी बेटी को संभालना मुश्किल है ससुर जी और मुझे भी तोह मेरी खुद की जिंदगी बनानी है

नौकर बलदेव से- मालिक, आपके लिए क्या बनाऊ खाने में
बलदेव- अ , एक सुखवाला मटन तंदूरी और हाँ बाजरा के रोटी के साथ मटन का पतला वाला सब्जी बस
बलदेव- तुम क्या लोगे दामाद जी , तुम्हारे लिए क्या बनवाना है?
सतीश- जी नहीं ससुर जी, में खाना खाके आया हु
बलदेव मिश्किल हँसते हुए- क्या तुम लोग भी घांस फुस कहते हो दामाद जी इसीलिए तुम ऐसे हो लुक्खे
बलदेव- इसीलिए भी तुम दोनों की जमती नहीं होगी जयश्री को चिकन बोहोत पसंद है और तुमको दही चावल, किसी शेरनी की तरह चिकेन खाती है जयश्री मेरी तुम बकरी की तरह घांसफूस
बलदेव- चलो छोरो मै ये बता रहा था की तुमको जायदाद देने के बारे में सोचा पर उसके लिए तुमको मेरे कुछ काम करने होंगे तभी यह संभव है
सतीश- हं जी बोलिये न
बलदेव- देखो में जयश्री का डाइवोर्स तोह तुमसे नहीं करवा रहा किसी भी हालत में तुमको जो करना है कर लो

बलदेव काफी गंभीर होते हुए और कठोर भाषा में बात करने लगा उसने सिगरेट जलाई.

बलदेव- क्यों की बात अब मेरी इज्जत पे आयी है और मई इसका किसी को फायदा उठाने नहीं दूंगा, जयश्री की वजह से जितनी भी तुमको और मुझे बदनामी सहने पड़ी होगी उसका हिसाब मै खुद जयश्री से लूंगा तुम उसको कुछ भी बोलोगे नहीं और न ही अब से तुम उसे हाथ भी लगाओगे. अब वो जो भी करेगी तुम उसको इग्नोर करोगे और बस मुझे बताते रहोगे जिंदगीभर , बात समझ आयी

सतीश- पर आप भूल गए है की मेरी बीवी भी तुम्हारे जैसी आझाद खयालो वाली है उसके बारे में कुछ सोचा है. वो पक्का यहाँ नहीं तोह वह मुँह मारेगी और फिर बात और बिगड़ जाएगी आपको पता है वो बोहोत उसकी आदत

बलदेव- नहीं मारेगी मुँह ये मेरी गारंटी है. तुम बस अपना काम से काम रखो. बताओ कितनी जायदाद चाहिए तुम्हे इसके बदले?
सतीश- में बस में चाहता हूँ की मेरा एक बंगलो हो और थोड़ी खेती हो बस एक अच्छी गाडी हो

बलदेव सोच विचार कर के

बलदेव- चलो एक काम करते है, बंगलो तो तुम्हारे पास है भले वो छोटा है पर है तोह सही, चलो यहाँ के खेत का एक चक्कर लगा लो और इस खेत से २ बीघा जमींन तुम्हरे नाम कर दूंगा
सतीश- और गाडी
बलदेव- मेरी बात पूरी होने दो सतीश (थोड़ा ग़ुस्से में बोल दिया)

सतीश दब गया. बलदेव ने नौकर को बुलाया

बलदेव नौकर से - अरे सुनो मेरा मोबाइल ले आओ वह टेबल पे रखा होगा

नौकर ले आया ...

बलदेव- बद्री से नंबर मिलाके के मुझे दो

बलदेव- हाँ बद्री कैसे हो दोस्त, अरे सुनो एक काम था, वो मेरी जो नयी वाली एसयूवी है न हौराती कंपनी की उसका ओनरशिप ट्रांसफर करना है

सतीश यह बात सुनते ही पेट में लड्डू फूटने लगे, मनो वो सातवे आसमान पर खुश था

बद्री- जी बलदेव जी कर दूंगा किसके नाम पे करानी है
बलदेव- अरे वो दामाद जी को नयी गाड़ी लेनी थी तोह मैंने कहा क्या करूँगा इतने गाड़ियों का तोह सोचा की दामाद जी को दे दूँ
बद्री- वह बलदेव जी आपके दामाद ने तोह सही किस्मत पायी है १८ लाख की कार हाथोहाथ मिल गयी है बताओ
बलदेव- अरे फिर है किसका दामाद
बद्री- झे बात तोह सही है जी... जी आप फ़िक्र न करो में कर दूंगा काम. मै उसको फ़ोन कर के कागज़ात मंगवा लूंगा

बलदेव फ़ोन रखते हुए स्माइल करने लगा

बलदेव- जाओ दामाद जी अब खुश! अपने कागज़ाद देदो

सतीश- ससुर जी आपका जवाब नहीं .. . आज से आप ही मेरे मालिक है ससुर जी वाह क्या बात है आपकी.. मुझे वो गाडी बोहोत पसंद है आपकी

बलदेव- अरे तुम फ़िक्र मत करो बस मेरी बात मानो जिंदगी भर ऐश करोगे
सतीश- अब तोह में आपका एक अल्फ़ाज़ भी जमीं पर गिरने नहीं दूंगा ससुर जी

बलदेव सोच के हंसने लगा और सोच रहा था कितना बड़ा च्यु_ है मेरा दामाद अभी जायदाद मिली भी नहीं तोह इतना खुश है.

सतीश- पर ससुर जी आप बोल रहे थे मुझे आपका कुछ काम करना होगा! क्या है वो काम

बलदेव- तोह गौर से सुनो, में एक बार ही बोलता हूँ. आज से तुम जयश्री को कभी नहीं डाटोगे. आज से उसे घूमने ले जाओगे जब वो चाहे जहा चाहे. अगर वो तुमको डाटे भी तोह तुम उसको उल्टा जवाब नहीं दोगे. आज से तुम उसको सब कपडा लत्ता लेकर दोगे जाओ वो चाहती है. सबसे जरुरी बात अब आगे से तुमको उसके लिए कभी गहने नहीं खरीदो गे. जो भी गहने है वो में खुद उसे दूंगा. मेरे दिए हुए गहने वो तुम से लेगी. और है गहने देते वक़्त तुम उसे बताओगे की वो गहने उसके पापा याने बलदेव जी ने दिए है. आज से में उसके लिए में जो भी करूँगा तुम उस में मेरा साथ दोगे. अगर उसको में कुछ दूंगा तोह हो सकता है की वो सीधा सीधा न ले क्यों की वो मेरा ख्याल रखती है और मुझे परेशानी में नहीं देख सकती तोह में उसे जो भी दूंगा तुम उसको देते जाना पर उसका क्रेडिट मुझे देना खुद नहीं लेना है. आज से तुम्हरे खाने पिने की जिम्मेदारी मेरी. तुम को जो चाहे वो मांग लेना. में जब कहु तुम उसे यहाँ ले आओगे उसके मायके में अपने गाओ के घर या यहाँ पे. में जितने दिन यहाँ पे उसे रखूँगा तो तुम उसका इंकार नहीं करोगे. जब तक जयश्री यहाँ रहना चाहे तब तक वो अपने मायके रहेगी. तुम्हारे लिए वहा तब तक कामवाली का इंतजाम में करूँगा. अब में उसे अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाने जा रहा हूँ ताकि वो बोर न हो और मेरे धंदे में भी वो हाथ बटा सके. क्यों की कल को जाके ये सब उसका होनेवाला है तोह में चाहता हूँ की अब वो यहाँ के पुरे बिज़नेस और खेत को संभाले. में या जयश्री और रुद्रपताप तीनो में से कोई भी तुम्हे फ़ोन करे तुमको तुरंत फ़ोन उठाना है. एक भी मिस कॉल हुआ तोह अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए. और हं सबसे जरुरी बात आज से जब भी तुम जयश्री के साथ रहोगे तुम को उसके सामने बस मेरी ही तारीफ करनी होगी. तुम बाकि कुछ बकवास नहीं करोगे. अगर तुम यहाँ हमारे साथ कुछ दिन के लिए रहते हो तोह में तुमको दामाद के तौर पर नहीं रखूँगा. दरसल तुम एक स्टैण्डर्ड नौकर बन कर रहोगे. हाला की नोकरो में तुम्हारा रुतबा अलग होगा पर अगर यहाँ रहना है तोह नौकर बन कर ही रहना होगा. रही तुम्हारे रात के ऐयाशी की बात तोह में रूद्रप्रताप से बोल कर तुम्हरे लिए किसी होटल्स में औरतो का इंतजाम करता रहूँगा. बात पूरी दिमाग में डाल लो एक ही बार.

अब सतीश के पसीने छूटने लगे. वो बलदेव को मुँह फाड़ के देख और सुन रहा था. सतीश आश्चर्य से पूछता है. पर वो न भी नहीं बोल सकता क्यों की उसको पता है की उसे जायदाद मिलने के चांस बोहोत है. तोह अभी वो ये सब नकार कर जिंदगीभर के लिए नल्ला रह जायेगा.

सतीश- जी ससुर जी समझ गया पर आप और जयश्री ... मेरा मतलब जयश्री यहाँ रहेगी ... मतलब आप बताएँगे की आप क्या चाहते हो एक्साक्ट्ली

बलदेव ने आजुबाजु देखते हुए जाँच लिया की नौकर आस पास तोह नहीं है!

बलदेव स्माइल देते हुए- कैसे बददिमाग हो! सुनो में चाहता हूँ की अब तुम जयश्री को भूल जाओ.
अब जयश्री मेरी होगी. सिर्फ मेरी.

सतीश के पैरो टेल जमीं खिसक गयी. वो इतना भी नादाँ नहीं था की बलदेव जो बोल रहा है वो न समझे.

सतीश- माफ़ करिये ससुर जी बस एक बार बता दीजिये आप क्या कहना चाहते है

बलदेव- तुम मुझे अब पूरी तरह से जयश्री लौटाओगे. मैंने बेटी कन्यादान में दी थी अब तुमको मुझे वो दान वापिस करना है. समझे. वो बस नाम के लिए तुम्हारी रहेगी पर अब वो मेरी बन कर रहेगी में जानता हूँ तुम क्या सोच रहे हो पर अब मेरे पास कोई और चारा नहीं है. तो बोलो है मंजूर?

सतीश अब बोहोत सवलो के घेरे में था उसे यकीं नहीं हो रहा था की उसे जायदाद के चक्कर में उसकी ही लंका लगनेवाली है. वो सोच में दुब गया. वो जान गया की अब जयश्री के सब कर्ताधर्ता बलदेव ही बनेंगे. पर उसके पास भी कोई चारा न था. वो फिर से उस रुद्रप्रताप की गुलामी की जिंदगी में नहीं जाना चाहता था.

सतीश- जी मुझे मंजूर है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी शुक्रिया. पर ऐसे मंजूरी नहीं.

बलदेव ने मोबाइल का कैमरा ऑन किया और उसे शर्त मंजूरर होने की रिकॉर्डिंग करने लगा.

सतीश दर गया पर उसके पास अब कोई चारा न था

सतीश कैमरा पर बोलने लगा - जी मुझे मेरे ससुर जी की जो भी शर्ते है मुझे मंजूर है. में मेरी पत्नी जयश्री याने उनकी कन्या जयश्री को मेरे ससुर बलदेव जी को वापिस सौंप रहा हूँ. अब मेरा जयश्री पे कोई अधिकार नहीं है. अब से इसी वक़्त से जयश्री पे मेरे ससुर बलदेव जी का पूरा अधिकार रहेगा.

बलदेव अब कैमरा बंद कर देता है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया. आज मेरी तरफ से तुमको एक गिफ्ट.

बलदेव ने रुद्रप्रताप को कॉल किया और सतीश के लिए आज उसके पहचान के होटल में रात को औरत का इंतजाम करने को कहा.

रुद्रप्रताप- बलदेव जी यह के दामाद जी को सर पे क्यों बिठा रहे हो?
बलदेव- सुनो सतीश यही है. मई जैसा कहता हूँ वैसा करो. उस औरत के पैसे मई दूंगा अब ठीक!
रुद्रप्रताप- अरे बलदेव कैसी बात कर रहा है यार. पसिआ तोह में दूंगा उसका तू दोस्त है .तू उसकी फ़िक्र मत कर. पे क्या हुआ कुछ व के वह. तुमने उसको जायदाद दे दी?

बलदेव- में तुमसे बाद में बात करता हूँ दोस्त. अभी रखता हूँ.

बलदेव ने नौकर को बुलाया.

बलदेव नौकर से- सुनो वो किशन फ़ोन लगाओ घर पे वो अपनी नीलीवाली एसयूवी है न उसकी चाभी दामाद जी को देने को बोलो .
बलदेव- चलिए दामाद जी जाईये अपनी गाड़ी ले लीजिये और है ड्राइविंग लाइसेंस है न!
सतीश- जी ससुर जी
बलदेव- बोहोत अच्छे, जाओ और तुम्हारी जो खटारा है उसका क्या करोगे?
सतीश- जी वो में.. उसको कुछ सूज नहीं रहा था...
बलदेव- कोई बात नहीं, अपनी खटारा वह अपने घर पे छोड़ दो मई उसको गेराज में लगा देता हूँ या फिर रुद्रप्रात के यह ट्रांसपोर्ट को लगा देता हूँ, और हं उसका भी पैसा तुम्हे ही मिलेगा, चिंता न करो

सतीश ख़ुशी के मारे उठकर अपने ससुर जी बलदेव के पेर छूता है

बलदेव- जुग जुग जीते रहो

और सतीश वहा से निकल लेता है.
Super planning by Baldev.
 
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अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.

१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव

अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -

'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'

ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया

सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!

सहेली ने पढ़ा.

सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!

तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी

सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)

जयश्री सोच में पड़ गयी.

जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)

सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन

तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए

सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं

जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं

जयश्री- अरे छोड़ो न

और वो कंगन पहनने लगी

सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली

सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी

तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.

मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'

जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.

सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.

जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .

(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.

जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.

बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को

जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.

जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.

जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.

जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.

जयश्री शरमाई.

बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..

अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...

बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है

जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है

जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?

बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.

बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.

जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.

बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .

बलदेव समाज गया.

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!

बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम

बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.

बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया

जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'

जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.

जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है

बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.

बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.

बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.

जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)

बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?

जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.

जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए

बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न

बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.

जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!

२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.

जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट

वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी

जयश्री कंगन पेहेनते हुए

जयश्री- पापा बस एक मिनट

उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी

जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.

बलदेव जानबूजकर

बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो

हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.

जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको

जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी

जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो

बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.

बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे

जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो

जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.

बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!

जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा

बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.

बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!

अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और

जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.

दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.
Wowwow jai shri jaldi papa ke niche ayegi.
 

DeewanaHuaPagal

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(सतीश के घर)
जयश्री और बलदेव की बात होने पर बलदेव ने तुरंत सतीश को फ़ोन लगाया. उसने सतीश को जयश्री को सुबहे जिम को चोर्ने को कहा और ले आने को भी. अब सतीश तोह मन मर्ज़ी ऑफिस जाना चाहता था सो उसकी मुराद पूरी हुई थी.
सतीश ने रात में जयश्री को नींद से उठाया और उसे पकड़ कर अपने बैडरूम ले गया और उसके ऊपर कम्बल डाल कर उसे देखने लगा. जयश्री बलदेव के दिए हुए कंगन पेहेन के ही सो गयी थी. सतीश हॉल में हो सो गया. उसके ससुर जी ने सख्त ताकीद दी थी की सतीश अब जयश्री के नजदीक भी जायेगा.
सतीश सुबहे ६ बजे उठा और जयश्री का जिम किट रेडी किया और ज़ुम्बा के लिए लिए एक दो ड्रेस भी रेडी रखे. जयश्री सुबहे उठी और हाथ मुँह धो कर जिम की तैयारी करने लगी तभी सतीश आया और उसे सब जिम किट तैयार की थी वो देखने लगा.

जयश्री- अरे वह, क्या बात है आज पहेली बार मेरे लिए तैयारी? पर तुम्हे कैसे पता की मै आज से जिम और ज़ुम्बा का प्लान कर रही हूँ?
सतीश- तुम्हरे पापा ग्रेट है, पता है! कल रात उन्होंने मुझे जिम जोइनिंग और ज़ुम्बा क्लास के बारे में सब बताया तुम्हरी मदत करने को कहा.
जयश्री- सच!

जयश्री को विश्वास नहीं हो रहा था की उसके पापा का मैनेजमेंट किनता सटीक है. वो समझ गयी की इसीलिए उसके पापा आज सक्सेसफुल है.

जयश्री- वैसे मुझे तुमने कल क्यों नहीं बताया उस गिफ्ट के बारे में?
सतीश- वो.. वो मुझे समय ही नहीं मिला न! मुझे मूवी जाना था जल्दी. और तुम सोई भी हुए थी. तोह सोचा तुमको क्यों उठाना!
जयश्री- पर गिफ्ट के बार तोह कम से कम बोल सकते थे. मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते पर बोल सकते हो. शादी के डेढ़ साल भी तुमने इस कालेमनिवाले मंगलसूत्र के आलावा कुछ नहीं दिया. कल पापा ने मुझे ये इतने कीमती कंगन दिए. ये होता है प्यार. पर तुम तो.. नी...
सतीश- सॉरी मैडम जी माफ़ी दे दो अब चले जिम?
सतीश- पर सच कहु जयश्री!
जयश्री- (ऐटिटूड वाला मुँह बनाकर) बोलो !
सतीश- पापा हो तोह ससुर जी जैसे वार्ना न हो. कल पता है वो खुद तुम्हारे लिए कंगन लाने गए थे शॉप में.

जयश्री- (संकोच में) पर पता है एक बात मुझे बोहोत अजीब लगी. मैंने कभी पापा को आज तक कभी गेहेनो में इंटरेस्ट लेते हुए नहीं देखा. पर पता नहीं पिछले एक दो दिन में क्या हुआ है. बोहोत बदलाव दिख रहा है पापा में. क्या शायद उनको माँ को खोने का और उनकी तरफ ज्यादा ध्यान न देने का दुःख हुआ है और उसकी कसार मेरे से पूरी कर रहे है माफ़ी के तौर पर.
सतीश- अरे पगली इसलिए नहीं बल्कि तुम उनसे आज कल मिलती ही नहीं, उन्होंने मुझे बताया. उन्होंने कहा की मेरी प्यारी बिटिया रानी अब मुझे भूल गयी है. अगर ऐसे ही चलता रहा तोह एक दिन अपने पापा को भूल जाएगी.
जयश्री- क्या? ऐसा कहा तुमको पापा ने? पर मै तोह उनसे बोहोत प्यार करती हूँ. पर...
सतीश- तोह जा के बोल दो न! की तुम उनसे प्यार करती हो!

पर अब अपने अफेयर को लेकर उसके भी उंगलिया पत्थर के निचे आई थी. वो भी मजबूर थी और ऐसी अफेयर की बाते पापा से कैसे कहे सोच रही थी. वो कुछ न बोली. जयश्री ने अपना किट उठाया और सतीश उसे जिम छोड़ आया. लौटते वक़्त वो जिम में चला गया वह कोई नहीं था. जयश्री जिम में व्यायाम कर रही थी. सतीश ने देखा जिम में उसका रूप मनो तप्त लोहा हो. उसे जयश्री इतनी हॉट स्पाइसी और खूबसूरत तीनो एक साथ इस से पहल कभी नहीं लगी. उसने आज स्पोर्ट्स ब्रा और जंघा तक आनेवाली टाइट जिम शॉर्ट्स पहनी थी हाला के जयश्री को बिना कपडे के वो देख चूका था पर आज उसका रूप १०० गुना निखर गया था. उसके चेहरा मनो किसी कामदेव को सम्भोग के लिए बुला रहा हो ऐसा लाग रहा था. उसका पूरा बदन पसीने से लेथ पथ था. उसके क्लीन शेव देसी काँखे साफ़ दिख रही थी जो पसीने से चमक रही थी. उसके छाती के कड़क कसे हुए बॉल्स स्पोर्ट्स ब्रा में तोह और ही कड़क लग रहे थे. उसकी खुली हुई पतली कड़क कमर तोह क़यामत ढा रही थी. एक देसी बूटीफुल जवान लड़की जिम वियर में कैसी लगेगी यह कभी उसने सोचा न था. वो छत पे जा कर कभी कभी एक्सरसाइज करती थी पर कभी इतनी गौर से सतीश ने नहीं देखा. घर आने के बाद जयश्री के लिए डाइट फ़ूड बना के रखा था वो सतीश ने तैयार किया. जयश्री अभी भी जिम वियर में ही थी.

जयश्री- ये क्या हुआ है तुम दोनों को! तुम और पापा अचानक से इतना बदलाव कैसे. मानना के तुम अच्छा कुकिंग करते हो पर इस से पहले तोह कभी मेरे लिए इतनी शिद्दत से कभी सर्विस या मेरी मदत नहीं की क्या बात है?
सतीश- कुछ नहीं मैडम जी. आप बस मेरी सर्विस का लुत्फ़ उठाईये.

इतने में सतीश की रिंग बजी.

सतीश - हं जी .. हं जी मै आज आता हूँ लेके.. जी क्या क्या डाक्यूमेंट्स लगेंगे जी .. जी .. मै लेके आऊंगा .. हं जी.. (फ़ोन कट हुआ)

जयश्री- ये कोनसे डॉक्यूमेंट की बात कर रहे हो
सतीश- वो कल तुम्हारे पापा ने मुझे अपनी कर मुझे दे दी. उनकी गाडी अपने नाम करने जा रहा हूँ (हँसते हँसते) तेरे पापा सच में दिलदार है
जयश्री- क्या!! यह क्या सुन रही हूँ मई.
सतीश- हं कल ही तोह उन्हों मुझे चाभी दी गाडी की अब वो गाडी मेरी है तुम्हरे पापा ने कहा.. (सतीश गाडी की चाभी निकल कर जयश्री को दिखता हुआ)

जयश्री को अब समझ न आ रहा था ...
जयश्री- सतीश अभी के अभी मुझे पापा से मिलना है
सतीश- अभी पर अभी वो बिजी होंगे.. उन्होंने कहा वो कही जानेवाले है..

जयश्री ने तुरंत बलदेव को फ़ोन किया पर बलदेव फ़ोन ऊपर के हॉल में रख के निचे गार्डन में काम कर रहा था. जयश्री बोहोत बेचैन हुई. वो सोच रही थी. आखिर पापा ऐसे कैसे कर सकते है. ऐसे निकम्मे लुल्ली पुल्ले को अपनी गाडी दे दी! उसकी बेचैनी बोहोत बढ़ गयी. सतीश को पता चला की अब ज्यादा देर घर में रुकना सही नहीं वर्ना जयश्री का ग़ुस्सा उस पर निकलेगा और वो कुछ कर भी नहीं पायेगा. उसने तुरंत जयश्री के लिए नुट्रिशन और डाइट्स के बोतल वह टेबल पे रखे और फटाक से चला गया. अब उसके पास कार थी तोह उसने कार निकली और सार से निकल गया घर से. उसको अपने पापा के कार की सवारी करते देख जयश्री की आंखे मायूसी से लाल हुई उसने वही पे वरण्डः में लटका हुआ बॉक्सिंग का पंच बैग को जोर से मुक्का मारा. जयश्री ज्यादा शर्मीली तोह नहीं थी क्यों की वो होने जज्बाद बहार निकलना जानती थी.

दोपहर तक जयश्री ने पापा को कॉल किया पर कॉल नहीं लगा. एक बार सुभाष ने उठाया पर उसने कहा की बलदेव एक कैनाल का प्लान करे गए है खेत के उस कोने में. मई उनको बोल दूंगा. १२ बजे जब बलदेव खाना खाने आया तोह बलदेव् ने जयश्री के काफी सरे मिस्ड कॉल दिखे. जैसे ही वो मुँह हाथ धोके खाना खाने आया तभी उसके फोन की रिंग बजी. बलदेव ने फ़ोन उठाया.

जयश्री- हेलो पापा... तुम मुझे से प्यार नहीं करते (और थोड़ी सी ग़ुस्सेल रोती हुई सूरत लेकर बात करने लगी)
बलदेव- बेटी.. शांत हो जाओ ... क्या हुआ...
जयश्री- आपने अपनी कार उसको निठल्ले नाकारा .. को दे दी?
बलदेव- बेटी देखो.. मैंने जो कुछ किया है तुम्हारी भलाई के लिए किया है... सुनो..
जयश्री- पापा तुम नहीं जानते उस ने मेरी जिंदगी नरक बनायी है और और अप्पने उसे आपनी... सोचो अपनी गाडी दी है पापा... पहल मुझे उसके हवाले किया सो किया अब आप अपना सब उस लुल्लेपुल्ले निकम्मे नाकारा आदमी को देना चाहते हो.. कल को जाके उसे आप सब जमीन जायदाद घर सब दे दोगे... पापा आप समज़ते क्यों नहीं वो तुमको कच्चा चभा जायेगा...

बलदेव भी कम शतिर नहीं था. उसने जयश्री को अच्छे से पढ़ लिया था.

बलदेव- अब मै कैसे तुमको समझाऊ.. तुम्हारा ग़ुस्सा जायज है पर हम दोनों मजबूर है बेटा.. तुम एक न एक दिन समझोगी...
जयश्री- पापा.. ने.. वो मै कुछ नहीं जानती.. मई उस निठल्ले निकामे को आपको अपना कुछ भी नहीं लूटने दूंगी ... पापा वो आपकी कमाई का है आप क्यों उसे पिद्दी जैसे को इतना मेहरबान है....

बलदेव चुपचाप सुन रहा था.

जयश्री- पापा.. आप बोलते क्यों नहीं..

बलदेव फिर भी चुप रहा...

अब जयश्री के साबरा का बांध टूट गया. थी तोह अपने ही पापा की बेटी. उसको जस-के-तस जवाब चाहिए था बस...

जयश्री- पापा, मुझे अभी आप से मिलना है...
बलदेव- हं हं बेटा सुनो.. तुम कल... (अब जयश्री ने बात काट दी)
जयश्री- नहीं पापा अब नहीं, मै आप से अभी के अभी मिलना चाहती हूँ... मुझे कुछ नहीं पता .. में आपसे कैसे मिलूं... ऑटो ले लूँ? में अभी निकलती हूँ.. मुझे आप से बात करनी है ... अभी के अभी.. में कुछ नहीं जानती..

बलदेव- रुको.. रुको.. मै कुछ इंतजाम करता हूँ.. ओके बेटा.. रुको..

फ़ोन कट होते ही जयश्री वैसे ही वारांडा में लगे बॉक्सिंग बैग को जोर जोर से पंच कर रही थी. थोड़ी देर में सतीश आया. उसने कार गार्डन में लगा के वही से कहाँ...

सतीश- चलो, क्या हुआ जाना नहीं है क्या?
जयश्री- क्या!
सतीश- अरे जाना नहीं है क्या! ससुर जी का फ़ोन आया था. उन्हों एकः की उनको तुम से मिलना है?

अब जयश्री का पारा १०० से उअप्र चार गया अब वो अपने पापा पे ग़ुस्सा और तरस खा रही थी... और सोच रही थी की... यह क्या कर रहे है पापा ... मै जिसकी कंप्लेंट करने जा रही हूँ ...उसी को मुझे ले आने को भेज दिया पापा ने... पर अब उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था.. वो जल्द से जल्द बलदेव से मिलना चाहती थी... और उसने ग़ुस्से में सतीश की तरफ देखते हुई बॉक्सिंग बैग को एक जोरदार पंच मारा... वो उसी हालत में जिम वियर में ही गाडी में बैठ गयी... सतीश अब हक्काबक्का रह गया..

सतीश- तुम ऐसे चलोगी वहा ! वह गांव में लोग होते है... तोह...
जयश्री- तुमसे मै बाद में बात करुँगी..समझे... पहल मुझे अभी के अभी छोड़ के आओ मायके में...

सतीश कुछ न बोला. और घर को लॉक लगाके दोनों चल पड़े...

(जयश्री के मायके में)
सररररर करते सतीश ने स्टाइल में कार घर के गार्डन में रुकवा दी, कार रुकी भी नहीं थी की जयश्री ने अपने साइड का दरवाजा खोल कर तड़क से घर में एंट्री मारी. उसका आवेश और रूप देख कर घर के नौकर भी घबरा गयी और सब निचे आ गए..

जयश्री- सुभाष... पापा कहाँ है?
सुभाष (नौकर)- दीद वो तोह ऊपर है छत वाले हॉल में...

ये सुनते ही जयश्री ऊपर चली गयी.
और जोर से दरवाजा भी हाथ से खोल दिया...

जयश्री- पापा......

बलदेव जो छत के आधे वाले छज्जे से निचे जयश्री और सुभाष की बाते सुन कर सुन कर हॉल में आया था. बलदेव ने अभी भी जयश्री को नहीं देखा था.
पर जैसे ही जयश्री ने दरवाजा खोले कर पापा कहाँ तभी उसकी नजर जयश्री के चेहरे की तरफ और फिर उसके बदन की तरफ गयी. उसका बेहतरीन शेप वाला कड़क बदन देखा. जो जिम वियर में कैद था. उसके बदन के हर पुर्जे साफ़ साफ़ दिख रहे थे. उसकी छाती के दोनों बॉल्स मनो खजुराहो के मूर्ति के वक्षो को भी हरा दे इतने कड़क थे. शादीशुदा होने के बावजूद उसके बॉल में थोड़ा भी लचीलापन नहीं था. उसके पिछवाड़े में भी काफी कसाव था. और फिर उसको वो दिखा जिसके बारे में वो पिछले २-३ दिन से सिर्फ सोच रहा था. उसका जिम शॉर्ट्स इतना टाइट था की उसके टांगो में वो क़यामत देखि जो इस बाप-बेटी के रिश्तो को अलग मोड़ देनेवाली थी. अब होश में आते हुए...

बलदेव- ओह आखिर बेटी आ ही गयी अपने पापा से मिलने! कितना दिन हुए? (मजाकिया मूड में)

जयश्री अब उनको किसी अफ़सोस के नजरो से देख रही थी जैसे बलदेव ने कोई गुनाह किया हो ऐसे...

बलदेव- अरे बैठो तोह.. पहले तुम पूरी तैयार हो के आओ जाओ बाथरूम में बाथ टब में नहालो जाओ...
जयश्री- पापा... आप को इतनी सी भी चिंता नहीं है खुद की और मेरी भी!
बलदेव- शु... रुको...

उसने ऊपर के खिड़किया और दरवाजे सब बंद किये... पर वो जनता था की उसके इजाजत के बिना ऊपर कोई आने की जुर्रत भी नहीं करेगा.
बलदेव- ओके बोलो...

बलदेव अब बार स्टूल पे बैठ के डेस्क को पीठ लगा कर उसकी बात सुन रहा था...जयश्री अब रोतेली सूरत से बलदेव को देखने लगी...

जयश्री- पापा पता है वो गाडी कितने की है
बलदेव- जैसे की मुझे पता ही नहीं! बोलो!
जयश्री- पापा.... ऐसा नहीं ... मेरा मतलब आप ऐसी गाडी सतीश को कैसे दे सकते है ... आपको पता है न मेरी हस्ती खेलती जिंदगी का धब्बा है वो आदमी... आपकी की अपनी बेटी का जीवन बर्बाद करनेवाले को अपनी इतना बड़ा एहसान किया? क्यों पापा... पापा जो तुम्हारा है क्या वो मेरा नहीं? क्या जो मेरा है वो आपका नहीं. आज माँ होती तोह क्या आप यही करते? पापा आप अगर मुझ से प्यार करते है तोह कम से कम एक बार भी नहीं सोचते की आप ने यह क्या कर दिया... उस इंसान की औकात नहीं एक साइकिल की उसको अपने पापा.... उसको आप ने .... मतलब क्या बोलू मै आपको!

बलदेव ने सुना.

बलदेव- बेटी यहाँ आओगी.
जयश्री- अब क्या है बोलो जल्दी! (वो बलदेव के बार स्टूल के पास चली गयी, उसके सामने उसके नजदीक)

बलदेव- देखो बेटी मै यह बाते फ़ोन पर नहीं बता सकता था. काफी मुश्किल सवाल है. तुम अभी उतनी समझदार नहीं हो.
जयश्री- तोह समझाओ मुझे पापा... पर एक बात सुन लो पापा आप उस से गाडी वापस लोगे या मै खुद उस गाडी को आग लगा दूंगी.. पापा.. आप .. मै आपकी बेटी हूँ या वो? ऐसा क्या है की आप उसकी बातो में आ गए..
बलदेव अब पहेली बार जयश्री के सामने से उसे आर्म्स को पकड़ कर बात करने लगा...

बलदेव- देखो बेटी.. तुम सब जानती हो की सतीश से तुम्हारी बनती नहीं. तुम भले ही उसको न चाहो पर वो तुम्हारे साथ रहने को तैयार है. क्यों? पता है? क्यों की हमारे कुछ राज उसके पास है. अगर हमारे कुछ राज उसके पास है तोह वो सब तरफ उस राज के बीज समाज में बो देगा. फिर हम अपने समाज में खत्म हो जायेंगे. तुम जानती हो वो राज क्या है.

जयश्री अब इसी एक ही मुद्दे से हिल गयी. उसके पैरो तले जमीं खसक गयी. उसको पता चल गया की उसके पापा बलदेव उसके हर कांड के बारे में जानते है. अब उसके चेहरे पर गंभीर भाव दिख रहे थे. उसे लगा की वो अपना अधिकार दिखा देगी पर हुआ उसके विपरीत. अब वो चुपचाप अपने पांव के अंगूठे की तरफ देखने लगी जैसे कोई अपने मास्टर के सामने होता है. बलदेव ने उसकी चेहरा ऊपर उठाया. और वो २ सेकंड के लिए मन्त्रमुघ्ध हो गया. ये वही उसकी बेटी है जिस के बारे में वो ३ दिन से सोच रहा था. आज उसके सामने एक देसी गुड़िया की तरह थी. वो अभी पसीने में थी. क्यों की बलदेव ने ऊपरी हॉल में ऐसी नहीं बिठाया था. क्यों की वो मानता था की जितना नेचुरल रहे उतना अच्छ है. पर अब हॉल के दरवाजे खिड़किया बंद होने के बाद वहा की गर्मी बढ़ गयी. बलदेव सिर्फ एक बनियान और नाईट पैंट में था.

बलदेव- मुझे पता है बेटी. पर मै मजबूर हूँ. शायद तुम मेरी विवंचना समझो. मै तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ. तुम एकलौती मेरी जिंदगी का सितारा हो तुम्हे पता है.

पर अब अपने बाप का अपने प्रति प्यार और त्याग देख कर उसे खुद से शर्मिंदगी होने लगी. और वो कुछ न बोल सकीय. वो चुपचाप वही कड़ी थी. वैसे तोह वो कभी किसी को बोलने नहीं देती पर आज वो चुप थी. भले बलदेव बार स्टूल पे बैठा था पर अब वो जयश्री के बिलकुल ऊंचाई पे आया था. तोह उसने जयश्री का चेहरा अपनी और कर लिया. अब जयश्री और उन दोनों में बस कुछ इंच की दूरी थी.

बलदेव- मैंने कसम ली है मै हर हाल में तुमको बचाऊंगा चाहे मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े. में सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी देखना चाहता हु. पर तुम और रूद्र...

बलदेव चुप हो गया. जयश्री अब उदास सी हो गयी और अब रोने के कगार पर थी

जयश्री- पापा... आई एम् सॉरी पापा (अब वो अपना अंग ढीला छोड़ रही थी... शर्म के मारी जमीं को देख रही थी.)
बलदेव- नहीं मेरी जान.. मेरी बेटी... (अब बलदेव फुल गियर में था). माफ़ी तोह मुझे तुमसे मांगनी है ...
मेरी वजह से तुमने चुपचाप वह शादी की जहा मैंने कहा... पता है बेटा.. सब कहते है मुझे की जयश्री जैसी बेटी पाने के लिए १०० जन्म लेने पड़ेंगे .. तुम कतनी प्यारी और समज़दार हो... आज भी तुम अपने पापा पर ग़ुस्सा न करती पर सतीश ने जो तुम्हरे साथ किया है उसको तुम माफ़ नहीं कर सकती इसीलिए तुमको उसका कोई फायदा आँखों में चुभना स्वाभाविक है. देखो बेटा मेरा जो भी है तेरा है...

अब जयश्री अपने पापा सामने पूरी तरह से पसिना पसीना खड़ी थी. दोनों को होश नहीं था.

बलदेव- मैंने रूद्र को समझाया. वो दोस्त है मेरा मान गया. मै तुमको एक मौका देना चाहता हूँ. क्या तुम रुसदृ के साथ खुश हो? अगर ऐसा है तोह मुझे मेरे इज्जत की बलिदानी देनी होगी. इसके लिए मै तैयार हूँ.. पर क्या तुम रूद्र के साथ एक नार्मल और आसान जिंदगी जी सकती हो? अगर तुम्हे लगता है की सब एकदम सही और आसान चलेगा तोह नहीं होता ऐसा. परसो ही कोई सतीश को तुम्हारे अफेयर के बारे में चिढ़ा रहा था. अब परसो सो वही लोग सतीश को ठीक से बात कर रहे है.

जयश्री- नहीं... पापा नहीं .. मुझे माफ़ कर दो पापा ... नहीं .. में आपकी इतनी लाडली होते हुए भी गलत कदम ले ली .. मुझे माफ़ करो पापा.

बलदेव अब उसकी आंखे पोछता हुआ उसके गालो से उसके दो आंसू पोछता हुआ सोच रहा था की उसकी प्यारी बेटी इतनी सुन्दर और हॉट लग रही थी की उसको उसी वक़्त अपनी बेटी से प्यार हो गया. आज तक उसने कई हॉट सेक्सी सुन्दर लड़किया औरते देखि पर अभी वो भगवन की भी कसम खाके कह सकता था की अभी उसकी बेटी से बढ़कर इस दुनिया की कोई भी लड़की इतनी प्यारी हॉट खूबसूरत नहीं होगी. वो बार बार उसके गालो पर आनेवाली लटो को उसके कान के पीछे धीरे कर रहा था. जयश्री की नाक पे एक नथुनी जो छोटी रिंग टाइप के थी वो बोहोत ही बलदेव के सोच में घी का काम कर रही थी. जयश्री अब बिच बिच में बलदेव को आशा की नज़रो से देख रही थी.

बलदेव- मुझे एक बात कहोगी बेटा? मेरी तरफ देख के बोलो.

जैसी ने हाँ में सर हिलाया. वो अभी भी अपने अफेयर के कांड पर थोड़ी सी शर्मिंदा थी क्यों की उसे लग रहा था की उसकी वजह से उसके पापा को बोहोत कुछ झेलना पड़ रहा है.

बलदेव- क्या तुम रूद्र से शादी करोगी!
जयश्री- नहीं पापा.. मुझे माफ़ करो.. मै इतनी खुदगर्ज़ हु की मैंने आपके बारे में कभी नहीं सोचा ...

अब वो फिर से थोड़ी आंसू बहाने लगी..

बलदेव- मुझे साफ़ साफ़ बताओ की तुम रूद्र से शादी करोगी?
जयश्री ने ना में सर हिला कर जवाब दिया.

बलदेव का प्लान सक्सेसफुल हुआ. वो खुश हुआ.

बलदेव- क्या तुम मुझ से प्यार करती हो?
जयश्री- ये कैसा सवाल है पापा...
बलदेव- मुझे बताओ आज ... आज नहीं बोलोगी तोह मै कुछ और समझ लूंगा...
जयश्री- ऑफकोर्स पापा ...

अब दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे ... और अचानक से वो हुआ जो कुछ दिनों से दोनों तरफ आग लगी थी... पता नहीं क्या हुआ दोनों को .. जैसे लगा दोनों बस एक दूसरे की बाते जानने लगे वो भी बिना बोले.. अब बलदेव जयश्री के आर्म्स के साथ साथ एक हाथ उसकी बेटी की कमर पर चला गया.

बलदेव- तो सुनो बेटी ... आयी लव यू बेटी ... आयी लव यू ...

और बलदेव ने जयश्री को को जयश्री ने बलदेव को एक साथ एक ही पल में एक दूसरे को गले लगा लिया. इतना जोर से एक दूसरे को गले लगाया की जैसे सातोजन्म से बिछड़े हो. और अपनी बेटी जयश्री को गले लगते ही पता नहीं बलदेव को क्या हुआ... वैसे तोह उसका अपने भावनापे बोहोत संतुलन है पर अब वो अपनी ही बेटी को आगोश में ले कर ऐसा खो गया जैसे जिस्म को नयी रूह मि गयी हो. जयश्री भी अब बलदेव को कस के गले लगा रही थी. उसकी बहो में बलदेव का बालदण्ड शरीर नहीं समां रहा था. उसे भी बलदेव के बलिष्ट शरीर को अपने बदन पे लपेटने की लालसा हुई. पर बलदेव के दोनों हाथ अब वहां वहां जा रहे थे जहा जहा एक पिता के हाथ अपनी पुत्री के बदन के उस हिस्से पे नहीं जाने चाहिए. अब दोनों एक दूसरे को कस के आगोश में ले कर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. बलदेव जयश्री को गले लगा कर पूरी ज़ोर से अपने शरीर पर दबा रहा था. अब दोनों के शरीर एक दूसरे से चिपके हुई थे. जयश्री की उन्नत कड़क बॉल्स अपने बाप के पेट पर चुभ रहे थे. उसके बॉल्स का स्पर्श पाकर बलदेव के पैंट में तम्बू हुआ. इसी बिच में बलदेव के हाथ उसके पिछवाड़े पे तोह कभी कमर पे जा रहे थे. जयश्री के भी हाथ उसके पापा के ऊपरी पीठ पर तोह कभी बाल में जा रहे थे. अब बलदेव फिर से संतुलन खो गया. उसने जयश्री को गले लगाते हुए ही उसकी गर्दन पर धीरे धीरे अपनी मुचोवाले होंठ घिसने लगा. जयश्री आप होश खो चुकी थी. बलदेव पिछले कई सालो से एक जवान लड़की का स्पर्श भूल गया था. इधर जयश्री भी ५ मैंने से सतीश के निक्कम्मेपन की मारी थी और अब १ हफ्ते से रुद्रप्रताप से कोई मिलना जुलना भी बंद था. यह आग दोनों तरफ लगी थी. पर पहल किसी एक को करनी थी जो बलदेव ने कर दी. लोहा गरम था और बलदेव ने हथोड़ा मार दिया. अब बलदेव अपनी बेटी जयश्री की गर्दन को धीरे धीरे चूमना चालू किया. यह जयश्री का अलग अनुभव था. इस से पहले न ही कभी सतीश ने या रुद्रपताप ने ऐसा किया था. जयश्री मानो अपने पिता की यह कला देख कर मन्त्रमुघ्दा हो गयी. फिर बलदेव ने उसकी गर्दन को किस करते करते सब तरफ चुम रहा था. जयश्री भी अब हलके हलके प्यार भरी हलकी सी आवाजे निकलने लगी. अब वो थोड़ा थोड़ा जयश्री की छाती की तरफ गया अब उसे रहा नहीं जा रहा था. जयश्री का पसीना उसकी वासना में घी का काम कर रहा था. अपनी सुन्दर हॉट बेटी के पसीने का स्मेल आते ही उसकी स्पीड और बढ़ गयी. इधर जयश्री का भी वही हाल था. वो भी अब अपने बाप को खुल कर कस कर गले लगा रही थी. अब बलदेव ने जयश्री के चहरे को पीछे किया तोह जयश्री भी धीरे से उसे देखने लगी. और फिर... बलदेव ने अपनी बेटी जयश्री की चेहरे को निचे से दोनों हाथ की अंजुली में धरते हुए अचानक से जोर जोर से अपनी घनी मुचोवाले होठो से बेटी के पसीने पसीने चेहरे पे चूमने लगा . होंठो को छोड़ कर को अपनी बेटी की चुम्मिया ले रहा था. जयश्री भी आंख बंद कर के उसकी ख़ुशी ले रही थी. उसने जयश्री के गालो को माथे को , गाल को , और खास कर अपनी बेटी की नोज रिंग को भी चूमने लगा जो उसके ऊपर बोहोत ही हॉट लगती थी. आँखों पर सब जगह चूमना चालू हुआ. पुरे हॉल में बाप-बेटी के स्मूचिंग की आवाजे आने लगी.

ठीक उसी वक़्त
(इधर बाहर घर के)

सुभाष- क्या हुआ है भाई ,सतीश क्या चल रहा है. जयश्री दीदी ऐसे क्यों आयी अचानक से वो भी इस हालत में?

सतीश सब जान चूका था. की ससुर जी उसके कुछ न कुहक जुगाड़ जरूर करेंगे.

सतीश- कुछ नहीं रे... बाप-बेटी का चलता रहता है हमेशा .. के दूसरे को चिढ़ाते है फिर मनाते रहते है.

अचानक से बलदेव ने उसको थोड़ा दूर हटाया.

बलदेव- मुझे तुज से बढ़कर कुछ नहीं .. तुम्हारी हर जिम्मेदारी मेरी है बेटी... तुम्हरी शादी के बारे में बाद में सोचूंगा...

जयश्री को पता नहीं क्या हुआ और उसने कह दिया.

जयश्री- नहीं पापा, उसकी कोई जरुरत नहीं. मै खुश हूँ.

जयश्री भी खुश हुई की बलदेव ने उसे माफ़ कर दिया और वो प्यार से बलदेव के सीने पर सर रख कर आंख मिटाये पड़ी रही. तब तक बलदेव के शरीरी का स्मेल उसकी नाक की पंखुडिया से उसके अंदर मोहित कर रही थी. उसके सीने पे जो बाल थे उसका भी स्मेल ले रही थी. यह जयश्री के लिए एकदम नया अनुभव था. उसने आज तक कभी किसी मर्द के सीने का स्मेल नहीं लिया था. रूद्रप्रताप से तोह काफी हलके से सम्बन्ध रहे.

जयश्री अपने पिता के सीने पर सर रख कर प्यार से उसके बल सहलाकर.

जयश्री- पापा, क्या आप फिर भी सतीश को अपनी गाडी दोगे...

बलदेव ने फ़ोन लिया और एक नंबर डायल किया.

बलदेव- अरे बद्री सेठ प्रोग्राम में थोड़ा चेंज है.
बद्री- हं बोलो साहब आप जो हुक्म फरमाए.
बलदेव- सुनो, वो मैंने कल गाडी आतिश के नाम पे करने को बोला था वो कैंसिल करो. और हाँ उस गाड़ी को अब मालिक नहीं. मालकिन की जरुरत है. उस गाड़ी की मालकिन मेरी बेटी जयश्री के नाम करो. मै कागज़ सुभाष के हाथ भिजवा देता हूँ.

जयश्री ये बात सुन कर इतनी खुश हुई की उसने हलके से अपने पापा को वही के वही तभी उसी वक़्त हलके से 'थैंक यू' बोल दिया.

बद्र- हं न साहब मै भी वही सोच रहा था के बलदेव साहब कुछ गलत तोह नहीं कर रे. १८ लाख की गाड़ी है साहब. ऐसे कैसे किसी को दे देंगे! वह पर अब ठीक है. अपनी गाडी अपने पास. जो बेटी का वो तुम्हरा.
बलदेव- और सुनो ये बात ,प्लीज सतीश को मत बताना और किसी को भी नहीं.
बद्री- जी साहब बिलकुल.
बलदेव- धन्यवाद.
बलदेव- अब खुश है ने मेरी लाड़ली बेटी!
जयश्री- बोहोत खुश हु पापा. ओह पापा आयी लव यु ... आयी लव यु.... आयी लव यु.....
बलदेव- लव यु तू बेटा..

आजा पापा के गले तोह लगाओ एक बार. फिर से बलदेव ने जयश्री के बदन को अपने में समां लिया. और सर के ऊपर किश किया.

जयश्री- पर पापा अब आप सतीश को क्या कहोगे..
बलदेव- कहना क्या है! गाड़ी सतीश के पास ही रहेगी पर मालकिन तू होगी मेरी लाडो. तू फ़िक्र मत कर में उसे संभल लूंगा.

बलदेव- यह क्या! मै भी तुज से नारजः हूँ.
जयश्री- क्यों! क्यों पापा.
बलदेव- तुमने मेरे दिए हुए कंगन नहीं पहने है.
जयश्री- ओह पापा सॉरी. में वो जिम गयी थी न सुबहे तोह रह गए.
बलदेव- कोई बात नहीं.. तुम तो रानी बिटिया हो मेरी. कभी भी पहन लो. अब जाओ शरारती लड़की जाओ और नहालो. वैसी ही चली आयी बिना नहाये.
जयश्री- आप भी तोह नहीं नहाये थे.

दोनों हस्ते है . जयश्री वाशरूम में चली जाती है नहाने. बलदेव का टॉवल ही लेती है बाथरूम में नहाने.

बलदेव निचे चला जाता है गार्डन में. और सतीश से कहता है.

बलदेव- एक काम कर सकते है हम?
सतीश- बोलो ससुर जी
बलदेव- देखो सबको मालूम है की तुम्हारी क्या हालत है बेड में. तोह मै चाहत हूँ की गाडी तुम ही रख लो पर उसकी मालकिन जयश्री होगी. बोलो मंजूर?

सतीश सोच रहा था की उसको तोह गाड़ी से मतलब है. और अब मैंने इंकार किया तोह अगली भी जायदाद नहीं देंगे.

सतीश- जी ससुर जी , आप जैसा ठीक समझे.
बलदेव- ये हुए न शेरोवाली बात.
 

Premkumar65

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(सतीश के घर)
जयश्री और बलदेव की बात होने पर बलदेव ने तुरंत सतीश को फ़ोन लगाया. उसने सतीश को जयश्री को सुबहे जिम को चोर्ने को कहा और ले आने को भी. अब सतीश तोह मन मर्ज़ी ऑफिस जाना चाहता था सो उसकी मुराद पूरी हुई थी.
सतीश ने रात में जयश्री को नींद से उठाया और उसे पकड़ कर अपने बैडरूम ले गया और उसके ऊपर कम्बल डाल कर उसे देखने लगा. जयश्री बलदेव के दिए हुए कंगन पेहेन के ही सो गयी थी. सतीश हॉल में हो सो गया. उसके ससुर जी ने सख्त ताकीद दी थी की सतीश अब जयश्री के नजदीक भी जायेगा.
सतीश सुबहे ६ बजे उठा और जयश्री का जिम किट रेडी किया और ज़ुम्बा के लिए लिए एक दो ड्रेस भी रेडी रखे. जयश्री सुबहे उठी और हाथ मुँह धो कर जिम की तैयारी करने लगी तभी सतीश आया और उसे सब जिम किट तैयार की थी वो देखने लगा.

जयश्री- अरे वह, क्या बात है आज पहेली बार मेरे लिए तैयारी? पर तुम्हे कैसे पता की मै आज से जिम और ज़ुम्बा का प्लान कर रही हूँ?
सतीश- तुम्हरे पापा ग्रेट है, पता है! कल रात उन्होंने मुझे जिम जोइनिंग और ज़ुम्बा क्लास के बारे में सब बताया तुम्हरी मदत करने को कहा.
जयश्री- सच!

जयश्री को विश्वास नहीं हो रहा था की उसके पापा का मैनेजमेंट किनता सटीक है. वो समझ गयी की इसीलिए उसके पापा आज सक्सेसफुल है.

जयश्री- वैसे मुझे तुमने कल क्यों नहीं बताया उस गिफ्ट के बारे में?
सतीश- वो.. वो मुझे समय ही नहीं मिला न! मुझे मूवी जाना था जल्दी. और तुम सोई भी हुए थी. तोह सोचा तुमको क्यों उठाना!
जयश्री- पर गिफ्ट के बार तोह कम से कम बोल सकते थे. मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते पर बोल सकते हो. शादी के डेढ़ साल भी तुमने इस कालेमनिवाले मंगलसूत्र के आलावा कुछ नहीं दिया. कल पापा ने मुझे ये इतने कीमती कंगन दिए. ये होता है प्यार. पर तुम तो.. नी...
सतीश- सॉरी मैडम जी माफ़ी दे दो अब चले जिम?
सतीश- पर सच कहु जयश्री!
जयश्री- (ऐटिटूड वाला मुँह बनाकर) बोलो !
सतीश- पापा हो तोह ससुर जी जैसे वार्ना न हो. कल पता है वो खुद तुम्हारे लिए कंगन लाने गए थे शॉप में.

जयश्री- (संकोच में) पर पता है एक बात मुझे बोहोत अजीब लगी. मैंने कभी पापा को आज तक कभी गेहेनो में इंटरेस्ट लेते हुए नहीं देखा. पर पता नहीं पिछले एक दो दिन में क्या हुआ है. बोहोत बदलाव दिख रहा है पापा में. क्या शायद उनको माँ को खोने का और उनकी तरफ ज्यादा ध्यान न देने का दुःख हुआ है और उसकी कसार मेरे से पूरी कर रहे है माफ़ी के तौर पर.
सतीश- अरे पगली इसलिए नहीं बल्कि तुम उनसे आज कल मिलती ही नहीं, उन्होंने मुझे बताया. उन्होंने कहा की मेरी प्यारी बिटिया रानी अब मुझे भूल गयी है. अगर ऐसे ही चलता रहा तोह एक दिन अपने पापा को भूल जाएगी.
जयश्री- क्या? ऐसा कहा तुमको पापा ने? पर मै तोह उनसे बोहोत प्यार करती हूँ. पर...
सतीश- तोह जा के बोल दो न! की तुम उनसे प्यार करती हो!

पर अब अपने अफेयर को लेकर उसके भी उंगलिया पत्थर के निचे आई थी. वो भी मजबूर थी और ऐसी अफेयर की बाते पापा से कैसे कहे सोच रही थी. वो कुछ न बोली. जयश्री ने अपना किट उठाया और सतीश उसे जिम छोड़ आया. लौटते वक़्त वो जिम में चला गया वह कोई नहीं था. जयश्री जिम में व्यायाम कर रही थी. सतीश ने देखा जिम में उसका रूप मनो तप्त लोहा हो. उसे जयश्री इतनी हॉट स्पाइसी और खूबसूरत तीनो एक साथ इस से पहल कभी नहीं लगी. उसने आज स्पोर्ट्स ब्रा और जंघा तक आनेवाली टाइट जिम शॉर्ट्स पहनी थी हाला के जयश्री को बिना कपडे के वो देख चूका था पर आज उसका रूप १०० गुना निखर गया था. उसके चेहरा मनो किसी कामदेव को सम्भोग के लिए बुला रहा हो ऐसा लाग रहा था. उसका पूरा बदन पसीने से लेथ पथ था. उसके क्लीन शेव देसी काँखे साफ़ दिख रही थी जो पसीने से चमक रही थी. उसके छाती के कड़क कसे हुए बॉल्स स्पोर्ट्स ब्रा में तोह और ही कड़क लग रहे थे. उसकी खुली हुई पतली कड़क कमर तोह क़यामत ढा रही थी. एक देसी बूटीफुल जवान लड़की जिम वियर में कैसी लगेगी यह कभी उसने सोचा न था. वो छत पे जा कर कभी कभी एक्सरसाइज करती थी पर कभी इतनी गौर से सतीश ने नहीं देखा. घर आने के बाद जयश्री के लिए डाइट फ़ूड बना के रखा था वो सतीश ने तैयार किया. जयश्री अभी भी जिम वियर में ही थी.

जयश्री- ये क्या हुआ है तुम दोनों को! तुम और पापा अचानक से इतना बदलाव कैसे. मानना के तुम अच्छा कुकिंग करते हो पर इस से पहले तोह कभी मेरे लिए इतनी शिद्दत से कभी सर्विस या मेरी मदत नहीं की क्या बात है?
सतीश- कुछ नहीं मैडम जी. आप बस मेरी सर्विस का लुत्फ़ उठाईये.

इतने में सतीश की रिंग बजी.

सतीश - हं जी .. हं जी मै आज आता हूँ लेके.. जी क्या क्या डाक्यूमेंट्स लगेंगे जी .. जी .. मै लेके आऊंगा .. हं जी.. (फ़ोन कट हुआ)

जयश्री- ये कोनसे डॉक्यूमेंट की बात कर रहे हो
सतीश- वो कल तुम्हारे पापा ने मुझे अपनी कर मुझे दे दी. उनकी गाडी अपने नाम करने जा रहा हूँ (हँसते हँसते) तेरे पापा सच में दिलदार है
जयश्री- क्या!! यह क्या सुन रही हूँ मई.
सतीश- हं कल ही तोह उन्हों मुझे चाभी दी गाडी की अब वो गाडी मेरी है तुम्हरे पापा ने कहा.. (सतीश गाडी की चाभी निकल कर जयश्री को दिखता हुआ)

जयश्री को अब समझ न आ रहा था ...
जयश्री- सतीश अभी के अभी मुझे पापा से मिलना है
सतीश- अभी पर अभी वो बिजी होंगे.. उन्होंने कहा वो कही जानेवाले है..

जयश्री ने तुरंत बलदेव को फ़ोन किया पर बलदेव फ़ोन ऊपर के हॉल में रख के निचे गार्डन में काम कर रहा था. जयश्री बोहोत बेचैन हुई. वो सोच रही थी. आखिर पापा ऐसे कैसे कर सकते है. ऐसे निकम्मे लुल्ली पुल्ले को अपनी गाडी दे दी! उसकी बेचैनी बोहोत बढ़ गयी. सतीश को पता चला की अब ज्यादा देर घर में रुकना सही नहीं वर्ना जयश्री का ग़ुस्सा उस पर निकलेगा और वो कुछ कर भी नहीं पायेगा. उसने तुरंत जयश्री के लिए नुट्रिशन और डाइट्स के बोतल वह टेबल पे रखे और फटाक से चला गया. अब उसके पास कार थी तोह उसने कार निकली और सार से निकल गया घर से. उसको अपने पापा के कार की सवारी करते देख जयश्री की आंखे मायूसी से लाल हुई उसने वही पे वरण्डः में लटका हुआ बॉक्सिंग का पंच बैग को जोर से मुक्का मारा. जयश्री ज्यादा शर्मीली तोह नहीं थी क्यों की वो होने जज्बाद बहार निकलना जानती थी.

दोपहर तक जयश्री ने पापा को कॉल किया पर कॉल नहीं लगा. एक बार सुभाष ने उठाया पर उसने कहा की बलदेव एक कैनाल का प्लान करे गए है खेत के उस कोने में. मई उनको बोल दूंगा. १२ बजे जब बलदेव खाना खाने आया तोह बलदेव् ने जयश्री के काफी सरे मिस्ड कॉल दिखे. जैसे ही वो मुँह हाथ धोके खाना खाने आया तभी उसके फोन की रिंग बजी. बलदेव ने फ़ोन उठाया.

जयश्री- हेलो पापा... तुम मुझे से प्यार नहीं करते (और थोड़ी सी ग़ुस्सेल रोती हुई सूरत लेकर बात करने लगी)
बलदेव- बेटी.. शांत हो जाओ ... क्या हुआ...
जयश्री- आपने अपनी कार उसको निठल्ले नाकारा .. को दे दी?
बलदेव- बेटी देखो.. मैंने जो कुछ किया है तुम्हारी भलाई के लिए किया है... सुनो..
जयश्री- पापा तुम नहीं जानते उस ने मेरी जिंदगी नरक बनायी है और और अप्पने उसे आपनी... सोचो अपनी गाडी दी है पापा... पहल मुझे उसके हवाले किया सो किया अब आप अपना सब उस लुल्लेपुल्ले निकम्मे नाकारा आदमी को देना चाहते हो.. कल को जाके उसे आप सब जमीन जायदाद घर सब दे दोगे... पापा आप समज़ते क्यों नहीं वो तुमको कच्चा चभा जायेगा...

बलदेव भी कम शतिर नहीं था. उसने जयश्री को अच्छे से पढ़ लिया था.

बलदेव- अब मै कैसे तुमको समझाऊ.. तुम्हारा ग़ुस्सा जायज है पर हम दोनों मजबूर है बेटा.. तुम एक न एक दिन समझोगी...
जयश्री- पापा.. ने.. वो मै कुछ नहीं जानती.. मई उस निठल्ले निकामे को आपको अपना कुछ भी नहीं लूटने दूंगी ... पापा वो आपकी कमाई का है आप क्यों उसे पिद्दी जैसे को इतना मेहरबान है....

बलदेव चुपचाप सुन रहा था.

जयश्री- पापा.. आप बोलते क्यों नहीं..

बलदेव फिर भी चुप रहा...

अब जयश्री के साबरा का बांध टूट गया. थी तोह अपने ही पापा की बेटी. उसको जस-के-तस जवाब चाहिए था बस...

जयश्री- पापा, मुझे अभी आप से मिलना है...
बलदेव- हं हं बेटा सुनो.. तुम कल... (अब जयश्री ने बात काट दी)
जयश्री- नहीं पापा अब नहीं, मै आप से अभी के अभी मिलना चाहती हूँ... मुझे कुछ नहीं पता .. में आपसे कैसे मिलूं... ऑटो ले लूँ? में अभी निकलती हूँ.. मुझे आप से बात करनी है ... अभी के अभी.. में कुछ नहीं जानती..

बलदेव- रुको.. रुको.. मै कुछ इंतजाम करता हूँ.. ओके बेटा.. रुको..

फ़ोन कट होते ही जयश्री वैसे ही वारांडा में लगे बॉक्सिंग बैग को जोर जोर से पंच कर रही थी. थोड़ी देर में सतीश आया. उसने कार गार्डन में लगा के वही से कहाँ...

सतीश- चलो, क्या हुआ जाना नहीं है क्या?
जयश्री- क्या!
सतीश- अरे जाना नहीं है क्या! ससुर जी का फ़ोन आया था. उन्हों एकः की उनको तुम से मिलना है?

अब जयश्री का पारा १०० से उअप्र चार गया अब वो अपने पापा पे ग़ुस्सा और तरस खा रही थी... और सोच रही थी की... यह क्या कर रहे है पापा ... मै जिसकी कंप्लेंट करने जा रही हूँ ...उसी को मुझे ले आने को भेज दिया पापा ने... पर अब उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था.. वो जल्द से जल्द बलदेव से मिलना चाहती थी... और उसने ग़ुस्से में सतीश की तरफ देखते हुई बॉक्सिंग बैग को एक जोरदार पंच मारा... वो उसी हालत में जिम वियर में ही गाडी में बैठ गयी... सतीश अब हक्काबक्का रह गया..

सतीश- तुम ऐसे चलोगी वहा ! वह गांव में लोग होते है... तोह...
जयश्री- तुमसे मै बाद में बात करुँगी..समझे... पहल मुझे अभी के अभी छोड़ के आओ मायके में...

सतीश कुछ न बोला. और घर को लॉक लगाके दोनों चल पड़े...

(जयश्री के मायके में)
सररररर करते सतीश ने स्टाइल में कार घर के गार्डन में रुकवा दी, कार रुकी भी नहीं थी की जयश्री ने अपने साइड का दरवाजा खोल कर तड़क से घर में एंट्री मारी. उसका आवेश और रूप देख कर घर के नौकर भी घबरा गयी और सब निचे आ गए..

जयश्री- सुभाष... पापा कहाँ है?
सुभाष (नौकर)- दीद वो तोह ऊपर है छत वाले हॉल में...

ये सुनते ही जयश्री ऊपर चली गयी.
और जोर से दरवाजा भी हाथ से खोल दिया...

जयश्री- पापा......

बलदेव जो छत के आधे वाले छज्जे से निचे जयश्री और सुभाष की बाते सुन कर सुन कर हॉल में आया था. बलदेव ने अभी भी जयश्री को नहीं देखा था.
पर जैसे ही जयश्री ने दरवाजा खोले कर पापा कहाँ तभी उसकी नजर जयश्री के चेहरे की तरफ और फिर उसके बदन की तरफ गयी. उसका बेहतरीन शेप वाला कड़क बदन देखा. जो जिम वियर में कैद था. उसके बदन के हर पुर्जे साफ़ साफ़ दिख रहे थे. उसकी छाती के दोनों बॉल्स मनो खजुराहो के मूर्ति के वक्षो को भी हरा दे इतने कड़क थे. शादीशुदा होने के बावजूद उसके बॉल में थोड़ा भी लचीलापन नहीं था. उसके पिछवाड़े में भी काफी कसाव था. और फिर उसको वो दिखा जिसके बारे में वो पिछले २-३ दिन से सिर्फ सोच रहा था. उसका जिम शॉर्ट्स इतना टाइट था की उसके टांगो में वो क़यामत देखि जो इस बाप-बेटी के रिश्तो को अलग मोड़ देनेवाली थी. अब होश में आते हुए...

बलदेव- ओह आखिर बेटी आ ही गयी अपने पापा से मिलने! कितना दिन हुए? (मजाकिया मूड में)

जयश्री अब उनको किसी अफ़सोस के नजरो से देख रही थी जैसे बलदेव ने कोई गुनाह किया हो ऐसे...

बलदेव- अरे बैठो तोह.. पहले तुम पूरी तैयार हो के आओ जाओ बाथरूम में बाथ टब में नहालो जाओ...
जयश्री- पापा... आप को इतनी सी भी चिंता नहीं है खुद की और मेरी भी!
बलदेव- शु... रुको...

उसने ऊपर के खिड़किया और दरवाजे सब बंद किये... पर वो जनता था की उसके इजाजत के बिना ऊपर कोई आने की जुर्रत भी नहीं करेगा.
बलदेव- ओके बोलो...

बलदेव अब बार स्टूल पे बैठ के डेस्क को पीठ लगा कर उसकी बात सुन रहा था...जयश्री अब रोतेली सूरत से बलदेव को देखने लगी...

जयश्री- पापा पता है वो गाडी कितने की है
बलदेव- जैसे की मुझे पता ही नहीं! बोलो!
जयश्री- पापा.... ऐसा नहीं ... मेरा मतलब आप ऐसी गाडी सतीश को कैसे दे सकते है ... आपको पता है न मेरी हस्ती खेलती जिंदगी का धब्बा है वो आदमी... आपकी की अपनी बेटी का जीवन बर्बाद करनेवाले को अपनी इतना बड़ा एहसान किया? क्यों पापा... पापा जो तुम्हारा है क्या वो मेरा नहीं? क्या जो मेरा है वो आपका नहीं. आज माँ होती तोह क्या आप यही करते? पापा आप अगर मुझ से प्यार करते है तोह कम से कम एक बार भी नहीं सोचते की आप ने यह क्या कर दिया... उस इंसान की औकात नहीं एक साइकिल की उसको अपने पापा.... उसको आप ने .... मतलब क्या बोलू मै आपको!

बलदेव ने सुना.

बलदेव- बेटी यहाँ आओगी.
जयश्री- अब क्या है बोलो जल्दी! (वो बलदेव के बार स्टूल के पास चली गयी, उसके सामने उसके नजदीक)

बलदेव- देखो बेटी मै यह बाते फ़ोन पर नहीं बता सकता था. काफी मुश्किल सवाल है. तुम अभी उतनी समझदार नहीं हो.
जयश्री- तोह समझाओ मुझे पापा... पर एक बात सुन लो पापा आप उस से गाडी वापस लोगे या मै खुद उस गाडी को आग लगा दूंगी.. पापा.. आप .. मै आपकी बेटी हूँ या वो? ऐसा क्या है की आप उसकी बातो में आ गए..
बलदेव अब पहेली बार जयश्री के सामने से उसे आर्म्स को पकड़ कर बात करने लगा...

बलदेव- देखो बेटी.. तुम सब जानती हो की सतीश से तुम्हारी बनती नहीं. तुम भले ही उसको न चाहो पर वो तुम्हारे साथ रहने को तैयार है. क्यों? पता है? क्यों की हमारे कुछ राज उसके पास है. अगर हमारे कुछ राज उसके पास है तोह वो सब तरफ उस राज के बीज समाज में बो देगा. फिर हम अपने समाज में खत्म हो जायेंगे. तुम जानती हो वो राज क्या है.

जयश्री अब इसी एक ही मुद्दे से हिल गयी. उसके पैरो तले जमीं खसक गयी. उसको पता चल गया की उसके पापा बलदेव उसके हर कांड के बारे में जानते है. अब उसके चेहरे पर गंभीर भाव दिख रहे थे. उसे लगा की वो अपना अधिकार दिखा देगी पर हुआ उसके विपरीत. अब वो चुपचाप अपने पांव के अंगूठे की तरफ देखने लगी जैसे कोई अपने मास्टर के सामने होता है. बलदेव ने उसकी चेहरा ऊपर उठाया. और वो २ सेकंड के लिए मन्त्रमुघ्ध हो गया. ये वही उसकी बेटी है जिस के बारे में वो ३ दिन से सोच रहा था. आज उसके सामने एक देसी गुड़िया की तरह थी. वो अभी पसीने में थी. क्यों की बलदेव ने ऊपरी हॉल में ऐसी नहीं बिठाया था. क्यों की वो मानता था की जितना नेचुरल रहे उतना अच्छ है. पर अब हॉल के दरवाजे खिड़किया बंद होने के बाद वहा की गर्मी बढ़ गयी. बलदेव सिर्फ एक बनियान और नाईट पैंट में था.

बलदेव- मुझे पता है बेटी. पर मै मजबूर हूँ. शायद तुम मेरी विवंचना समझो. मै तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ. तुम एकलौती मेरी जिंदगी का सितारा हो तुम्हे पता है.

पर अब अपने बाप का अपने प्रति प्यार और त्याग देख कर उसे खुद से शर्मिंदगी होने लगी. और वो कुछ न बोल सकीय. वो चुपचाप वही कड़ी थी. वैसे तोह वो कभी किसी को बोलने नहीं देती पर आज वो चुप थी. भले बलदेव बार स्टूल पे बैठा था पर अब वो जयश्री के बिलकुल ऊंचाई पे आया था. तोह उसने जयश्री का चेहरा अपनी और कर लिया. अब जयश्री और उन दोनों में बस कुछ इंच की दूरी थी.

बलदेव- मैंने कसम ली है मै हर हाल में तुमको बचाऊंगा चाहे मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े. में सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी देखना चाहता हु. पर तुम और रूद्र...

बलदेव चुप हो गया. जयश्री अब उदास सी हो गयी और अब रोने के कगार पर थी

जयश्री- पापा... आई एम् सॉरी पापा (अब वो अपना अंग ढीला छोड़ रही थी... शर्म के मारी जमीं को देख रही थी.)
बलदेव- नहीं मेरी जान.. मेरी बेटी... (अब बलदेव फुल गियर में था). माफ़ी तोह मुझे तुमसे मांगनी है ...
मेरी वजह से तुमने चुपचाप वह शादी की जहा मैंने कहा... पता है बेटा.. सब कहते है मुझे की जयश्री जैसी बेटी पाने के लिए १०० जन्म लेने पड़ेंगे .. तुम कतनी प्यारी और समज़दार हो... आज भी तुम अपने पापा पर ग़ुस्सा न करती पर सतीश ने जो तुम्हरे साथ किया है उसको तुम माफ़ नहीं कर सकती इसीलिए तुमको उसका कोई फायदा आँखों में चुभना स्वाभाविक है. देखो बेटा मेरा जो भी है तेरा है...

अब जयश्री अपने पापा सामने पूरी तरह से पसिना पसीना खड़ी थी. दोनों को होश नहीं था.

बलदेव- मैंने रूद्र को समझाया. वो दोस्त है मेरा मान गया. मै तुमको एक मौका देना चाहता हूँ. क्या तुम रुसदृ के साथ खुश हो? अगर ऐसा है तोह मुझे मेरे इज्जत की बलिदानी देनी होगी. इसके लिए मै तैयार हूँ.. पर क्या तुम रूद्र के साथ एक नार्मल और आसान जिंदगी जी सकती हो? अगर तुम्हे लगता है की सब एकदम सही और आसान चलेगा तोह नहीं होता ऐसा. परसो ही कोई सतीश को तुम्हारे अफेयर के बारे में चिढ़ा रहा था. अब परसो सो वही लोग सतीश को ठीक से बात कर रहे है.

जयश्री- नहीं... पापा नहीं .. मुझे माफ़ कर दो पापा ... नहीं .. में आपकी इतनी लाडली होते हुए भी गलत कदम ले ली .. मुझे माफ़ करो पापा.

बलदेव अब उसकी आंखे पोछता हुआ उसके गालो से उसके दो आंसू पोछता हुआ सोच रहा था की उसकी प्यारी बेटी इतनी सुन्दर और हॉट लग रही थी की उसको उसी वक़्त अपनी बेटी से प्यार हो गया. आज तक उसने कई हॉट सेक्सी सुन्दर लड़किया औरते देखि पर अभी वो भगवन की भी कसम खाके कह सकता था की अभी उसकी बेटी से बढ़कर इस दुनिया की कोई भी लड़की इतनी प्यारी हॉट खूबसूरत नहीं होगी. वो बार बार उसके गालो पर आनेवाली लटो को उसके कान के पीछे धीरे कर रहा था. जयश्री की नाक पे एक नथुनी जो छोटी रिंग टाइप के थी वो बोहोत ही बलदेव के सोच में घी का काम कर रही थी. जयश्री अब बिच बिच में बलदेव को आशा की नज़रो से देख रही थी.

बलदेव- मुझे एक बात कहोगी बेटा? मेरी तरफ देख के बोलो.

जैसी ने हाँ में सर हिलाया. वो अभी भी अपने अफेयर के कांड पर थोड़ी सी शर्मिंदा थी क्यों की उसे लग रहा था की उसकी वजह से उसके पापा को बोहोत कुछ झेलना पड़ रहा है.

बलदेव- क्या तुम रूद्र से शादी करोगी!
जयश्री- नहीं पापा.. मुझे माफ़ करो.. मै इतनी खुदगर्ज़ हु की मैंने आपके बारे में कभी नहीं सोचा ...

अब वो फिर से थोड़ी आंसू बहाने लगी..

बलदेव- मुझे साफ़ साफ़ बताओ की तुम रूद्र से शादी करोगी?
जयश्री ने ना में सर हिला कर जवाब दिया.

बलदेव का प्लान सक्सेसफुल हुआ. वो खुश हुआ.

बलदेव- क्या तुम मुझ से प्यार करती हो?
जयश्री- ये कैसा सवाल है पापा...
बलदेव- मुझे बताओ आज ... आज नहीं बोलोगी तोह मै कुछ और समझ लूंगा...
जयश्री- ऑफकोर्स पापा ...

अब दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे ... और अचानक से वो हुआ जो कुछ दिनों से दोनों तरफ आग लगी थी... पता नहीं क्या हुआ दोनों को .. जैसे लगा दोनों बस एक दूसरे की बाते जानने लगे वो भी बिना बोले.. अब बलदेव जयश्री के आर्म्स के साथ साथ एक हाथ उसकी बेटी की कमर पर चला गया.

बलदेव- तो सुनो बेटी ... आयी लव यू बेटी ... आयी लव यू ...

और बलदेव ने जयश्री को को जयश्री ने बलदेव को एक साथ एक ही पल में एक दूसरे को गले लगा लिया. इतना जोर से एक दूसरे को गले लगाया की जैसे सातोजन्म से बिछड़े हो. और अपनी बेटी जयश्री को गले लगते ही पता नहीं बलदेव को क्या हुआ... वैसे तोह उसका अपने भावनापे बोहोत संतुलन है पर अब वो अपनी ही बेटी को आगोश में ले कर ऐसा खो गया जैसे जिस्म को नयी रूह मि गयी हो. जयश्री भी अब बलदेव को कस के गले लगा रही थी. उसकी बहो में बलदेव का बालदण्ड शरीर नहीं समां रहा था. उसे भी बलदेव के बलिष्ट शरीर को अपने बदन पे लपेटने की लालसा हुई. पर बलदेव के दोनों हाथ अब वहां वहां जा रहे थे जहा जहा एक पिता के हाथ अपनी पुत्री के बदन के उस हिस्से पे नहीं जाने चाहिए. अब दोनों एक दूसरे को कस के आगोश में ले कर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. बलदेव जयश्री को गले लगा कर पूरी ज़ोर से अपने शरीर पर दबा रहा था. अब दोनों के शरीर एक दूसरे से चिपके हुई थे. जयश्री की उन्नत कड़क बॉल्स अपने बाप के पेट पर चुभ रहे थे. उसके बॉल्स का स्पर्श पाकर बलदेव के पैंट में तम्बू हुआ. इसी बिच में बलदेव के हाथ उसके पिछवाड़े पे तोह कभी कमर पे जा रहे थे. जयश्री के भी हाथ उसके पापा के ऊपरी पीठ पर तोह कभी बाल में जा रहे थे. अब बलदेव फिर से संतुलन खो गया. उसने जयश्री को गले लगाते हुए ही उसकी गर्दन पर धीरे धीरे अपनी मुचोवाले होंठ घिसने लगा. जयश्री आप होश खो चुकी थी. बलदेव पिछले कई सालो से एक जवान लड़की का स्पर्श भूल गया था. इधर जयश्री भी ५ मैंने से सतीश के निक्कम्मेपन की मारी थी और अब १ हफ्ते से रुद्रप्रताप से कोई मिलना जुलना भी बंद था. यह आग दोनों तरफ लगी थी. पर पहल किसी एक को करनी थी जो बलदेव ने कर दी. लोहा गरम था और बलदेव ने हथोड़ा मार दिया. अब बलदेव अपनी बेटी जयश्री की गर्दन को धीरे धीरे चूमना चालू किया. यह जयश्री का अलग अनुभव था. इस से पहले न ही कभी सतीश ने या रुद्रपताप ने ऐसा किया था. जयश्री मानो अपने पिता की यह कला देख कर मन्त्रमुघ्दा हो गयी. फिर बलदेव ने उसकी गर्दन को किस करते करते सब तरफ चुम रहा था. जयश्री भी अब हलके हलके प्यार भरी हलकी सी आवाजे निकलने लगी. अब वो थोड़ा थोड़ा जयश्री की छाती की तरफ गया अब उसे रहा नहीं जा रहा था. जयश्री का पसीना उसकी वासना में घी का काम कर रहा था. अपनी सुन्दर हॉट बेटी के पसीने का स्मेल आते ही उसकी स्पीड और बढ़ गयी. इधर जयश्री का भी वही हाल था. वो भी अब अपने बाप को खुल कर कस कर गले लगा रही थी. अब बलदेव ने जयश्री के चहरे को पीछे किया तोह जयश्री भी धीरे से उसे देखने लगी. और फिर... बलदेव ने अपनी बेटी जयश्री की चेहरे को निचे से दोनों हाथ की अंजुली में धरते हुए अचानक से जोर जोर से अपनी घनी मुचोवाले होठो से बेटी के पसीने पसीने चेहरे पे चूमने लगा . होंठो को छोड़ कर को अपनी बेटी की चुम्मिया ले रहा था. जयश्री भी आंख बंद कर के उसकी ख़ुशी ले रही थी. उसने जयश्री के गालो को माथे को , गाल को , और खास कर अपनी बेटी की नोज रिंग को भी चूमने लगा जो उसके ऊपर बोहोत ही हॉट लगती थी. आँखों पर सब जगह चूमना चालू हुआ. पुरे हॉल में बाप-बेटी के स्मूचिंग की आवाजे आने लगी.

ठीक उसी वक़्त
(इधर बाहर घर के)

सुभाष- क्या हुआ है भाई ,सतीश क्या चल रहा है. जयश्री दीदी ऐसे क्यों आयी अचानक से वो भी इस हालत में?

सतीश सब जान चूका था. की ससुर जी उसके कुछ न कुहक जुगाड़ जरूर करेंगे.

सतीश- कुछ नहीं रे... बाप-बेटी का चलता रहता है हमेशा .. के दूसरे को चिढ़ाते है फिर मनाते रहते है.

अचानक से बलदेव ने उसको थोड़ा दूर हटाया.

बलदेव- मुझे तुज से बढ़कर कुछ नहीं .. तुम्हारी हर जिम्मेदारी मेरी है बेटी... तुम्हरी शादी के बारे में बाद में सोचूंगा...

जयश्री को पता नहीं क्या हुआ और उसने कह दिया.

जयश्री- नहीं पापा, उसकी कोई जरुरत नहीं. मै खुश हूँ.

जयश्री भी खुश हुई की बलदेव ने उसे माफ़ कर दिया और वो प्यार से बलदेव के सीने पर सर रख कर आंख मिटाये पड़ी रही. तब तक बलदेव के शरीरी का स्मेल उसकी नाक की पंखुडिया से उसके अंदर मोहित कर रही थी. उसके सीने पे जो बाल थे उसका भी स्मेल ले रही थी. यह जयश्री के लिए एकदम नया अनुभव था. उसने आज तक कभी किसी मर्द के सीने का स्मेल नहीं लिया था. रूद्रप्रताप से तोह काफी हलके से सम्बन्ध रहे.

जयश्री अपने पिता के सीने पर सर रख कर प्यार से उसके बल सहलाकर.

जयश्री- पापा, क्या आप फिर भी सतीश को अपनी गाडी दोगे...

बलदेव ने फ़ोन लिया और एक नंबर डायल किया.

बलदेव- अरे बद्री सेठ प्रोग्राम में थोड़ा चेंज है.
बद्री- हं बोलो साहब आप जो हुक्म फरमाए.
बलदेव- सुनो, वो मैंने कल गाडी आतिश के नाम पे करने को बोला था वो कैंसिल करो. और हाँ उस गाड़ी को अब मालिक नहीं. मालकिन की जरुरत है. उस गाड़ी की मालकिन मेरी बेटी जयश्री के नाम करो. मै कागज़ सुभाष के हाथ भिजवा देता हूँ.

जयश्री ये बात सुन कर इतनी खुश हुई की उसने हलके से अपने पापा को वही के वही तभी उसी वक़्त हलके से 'थैंक यू' बोल दिया.

बद्र- हं न साहब मै भी वही सोच रहा था के बलदेव साहब कुछ गलत तोह नहीं कर रे. १८ लाख की गाड़ी है साहब. ऐसे कैसे किसी को दे देंगे! वह पर अब ठीक है. अपनी गाडी अपने पास. जो बेटी का वो तुम्हरा.
बलदेव- और सुनो ये बात ,प्लीज सतीश को मत बताना और किसी को भी नहीं.
बद्री- जी साहब बिलकुल.
बलदेव- धन्यवाद.
बलदेव- अब खुश है ने मेरी लाड़ली बेटी!
जयश्री- बोहोत खुश हु पापा. ओह पापा आयी लव यु ... आयी लव यु.... आयी लव यु.....
बलदेव- लव यु तू बेटा..

आजा पापा के गले तोह लगाओ एक बार. फिर से बलदेव ने जयश्री के बदन को अपने में समां लिया. और सर के ऊपर किश किया.

जयश्री- पर पापा अब आप सतीश को क्या कहोगे..
बलदेव- कहना क्या है! गाड़ी सतीश के पास ही रहेगी पर मालकिन तू होगी मेरी लाडो. तू फ़िक्र मत कर में उसे संभल लूंगा.

बलदेव- यह क्या! मै भी तुज से नारजः हूँ.
जयश्री- क्यों! क्यों पापा.
बलदेव- तुमने मेरे दिए हुए कंगन नहीं पहने है.
जयश्री- ओह पापा सॉरी. में वो जिम गयी थी न सुबहे तोह रह गए.
बलदेव- कोई बात नहीं.. तुम तो रानी बिटिया हो मेरी. कभी भी पहन लो. अब जाओ शरारती लड़की जाओ और नहालो. वैसी ही चली आयी बिना नहाये.
जयश्री- आप भी तोह नहीं नहाये थे.

दोनों हस्ते है . जयश्री वाशरूम में चली जाती है नहाने. बलदेव का टॉवल ही लेती है बाथरूम में नहाने.

बलदेव निचे चला जाता है गार्डन में. और सतीश से कहता है.

बलदेव- एक काम कर सकते है हम?
सतीश- बोलो ससुर जी
बलदेव- देखो सबको मालूम है की तुम्हारी क्या हालत है बेड में. तोह मै चाहत हूँ की गाडी तुम ही रख लो पर उसकी मालकिन जयश्री होगी. बोलो मंजूर?

सतीश सोच रहा था की उसको तोह गाड़ी से मतलब है. और अब मैंने इंकार किया तोह अगली भी जायदाद नहीं देंगे.

सतीश- जी ससुर जी , आप जैसा ठीक समझे.
बलदेव- ये हुए न शेरोवाली बात.
Great going. Jaishree aa gai Baldev ki basin me.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अपडेट ११

(सतीश के घर)
जयश्री और बलदेव की बात होने पर बलदेव ने तुरंत सतीश को फ़ोन लगाया. उसने सतीश को जयश्री को सुबहे जिम को चोर्ने को कहा और ले आने को भी. अब सतीश तोह मन मर्ज़ी ऑफिस जाना चाहता था सो उसकी मुराद पूरी हुई थी.
सतीश ने रात में जयश्री को नींद से उठाया और उसे पकड़ कर अपने बैडरूम ले गया और उसके ऊपर कम्बल डाल कर उसे देखने लगा. जयश्री बलदेव के दिए हुए कंगन पेहेन के ही सो गयी थी. सतीश हॉल में हो सो गया. उसके ससुर जी ने सख्त ताकीद दी थी की सतीश अब जयश्री के नजदीक भी जायेगा.
सतीश सुबहे ६ बजे उठा और जयश्री का जिम किट रेडी किया और ज़ुम्बा के लिए लिए एक दो ड्रेस भी रेडी रखे. जयश्री सुबहे उठी और हाथ मुँह धो कर जिम की तैयारी करने लगी तभी सतीश आया और उसे सब जिम किट तैयार की थी वो देखने लगा.

जयश्री- अरे वह, क्या बात है आज पहेली बार मेरे लिए तैयारी? पर तुम्हे कैसे पता की मै आज से जिम और ज़ुम्बा का प्लान कर रही हूँ?
सतीश- तुम्हरे पापा ग्रेट है, पता है! कल रात उन्होंने मुझे जिम जोइनिंग और ज़ुम्बा क्लास के बारे में सब बताया तुम्हरी मदत करने को कहा.
जयश्री- सच!

जयश्री को विश्वास नहीं हो रहा था की उसके पापा का मैनेजमेंट किनता सटीक है. वो समझ गयी की इसीलिए उसके पापा आज सक्सेसफुल है.

जयश्री- वैसे मुझे तुमने कल क्यों नहीं बताया उस गिफ्ट के बारे में?
सतीश- वो.. वो मुझे समय ही नहीं मिला न! मुझे मूवी जाना था जल्दी. और तुम सोई भी हुए थी. तोह सोचा तुमको क्यों उठाना!
जयश्री- पर गिफ्ट के बार तोह कम से कम बोल सकते थे. मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते पर बोल सकते हो. शादी के डेढ़ साल भी तुमने इस कालेमनिवाले मंगलसूत्र के आलावा कुछ नहीं दिया. कल पापा ने मुझे ये इतने कीमती कंगन दिए. ये होता है प्यार. पर तुम तो.. नी...
सतीश- सॉरी मैडम जी माफ़ी दे दो अब चले जिम?
सतीश- पर सच कहु जयश्री!
जयश्री- (ऐटिटूड वाला मुँह बनाकर) बोलो !
सतीश- पापा हो तोह ससुर जी जैसे वार्ना न हो. कल पता है वो खुद तुम्हारे लिए कंगन लाने गए थे शॉप में.

जयश्री- (संकोच में) पर पता है एक बात मुझे बोहोत अजीब लगी. मैंने कभी पापा को आज तक कभी गेहेनो में इंटरेस्ट लेते हुए नहीं देखा. पर पता नहीं पिछले एक दो दिन में क्या हुआ है. बोहोत बदलाव दिख रहा है पापा में. क्या शायद उनको माँ को खोने का और उनकी तरफ ज्यादा ध्यान न देने का दुःख हुआ है और उसकी कसार मेरे से पूरी कर रहे है माफ़ी के तौर पर.
सतीश- अरे पगली इसलिए नहीं बल्कि तुम उनसे आज कल मिलती ही नहीं, उन्होंने मुझे बताया. उन्होंने कहा की मेरी प्यारी बिटिया रानी अब मुझे भूल गयी है. अगर ऐसे ही चलता रहा तोह एक दिन अपने पापा को भूल जाएगी.
जयश्री- क्या? ऐसा कहा तुमको पापा ने? पर मै तोह उनसे बोहोत प्यार करती हूँ. पर...
सतीश- तोह जा के बोल दो न! की तुम उनसे प्यार करती हो!

पर अब अपने अफेयर को लेकर उसके भी उंगलिया पत्थर के निचे आई थी. वो भी मजबूर थी और ऐसी अफेयर की बाते पापा से कैसे कहे सोच रही थी. वो कुछ न बोली. जयश्री ने अपना किट उठाया और सतीश उसे जिम छोड़ आया. लौटते वक़्त वो जिम में चला गया वह कोई नहीं था. जयश्री जिम में व्यायाम कर रही थी. सतीश ने देखा जिम में उसका रूप मनो तप्त लोहा हो. उसे जयश्री इतनी हॉट स्पाइसी और खूबसूरत तीनो एक साथ इस से पहल कभी नहीं लगी. उसने आज स्पोर्ट्स ब्रा और जंघा तक आनेवाली टाइट जिम शॉर्ट्स पहनी थी हाला के जयश्री को बिना कपडे के वो देख चूका था पर आज उसका रूप १०० गुना निखर गया था. उसके चेहरा मनो किसी कामदेव को सम्भोग के लिए बुला रहा हो ऐसा लाग रहा था. उसका पूरा बदन पसीने से लेथ पथ था. उसके क्लीन शेव देसी काँखे साफ़ दिख रही थी जो पसीने से चमक रही थी. उसके छाती के कड़क कसे हुए बॉल्स स्पोर्ट्स ब्रा में तोह और ही कड़क लग रहे थे. उसकी खुली हुई पतली कड़क कमर तोह क़यामत ढा रही थी. एक देसी बूटीफुल जवान लड़की जिम वियर में कैसी लगेगी यह कभी उसने सोचा न था. वो छत पे जा कर कभी कभी एक्सरसाइज करती थी पर कभी इतनी गौर से सतीश ने नहीं देखा. घर आने के बाद जयश्री के लिए डाइट फ़ूड बना के रखा था वो सतीश ने तैयार किया. जयश्री अभी भी जिम वियर में ही थी.

जयश्री- ये क्या हुआ है तुम दोनों को! तुम और पापा अचानक से इतना बदलाव कैसे. मानना के तुम अच्छा कुकिंग करते हो पर इस से पहले तोह कभी मेरे लिए इतनी शिद्दत से कभी सर्विस या मेरी मदत नहीं की क्या बात है?
सतीश- कुछ नहीं मैडम जी. आप बस मेरी सर्विस का लुत्फ़ उठाईये.

इतने में सतीश की रिंग बजी.

सतीश - हं जी .. हं जी मै आज आता हूँ लेके.. जी क्या क्या डाक्यूमेंट्स लगेंगे जी .. जी .. मै लेके आऊंगा .. हं जी.. (फ़ोन कट हुआ)

जयश्री- ये कोनसे डॉक्यूमेंट की बात कर रहे हो
सतीश- वो कल तुम्हारे पापा ने मुझे अपनी कर मुझे दे दी. उनकी गाडी अपने नाम करने जा रहा हूँ (हँसते हँसते) तेरे पापा सच में दिलदार है
जयश्री- क्या!! यह क्या सुन रही हूँ मई.
सतीश- हं कल ही तोह उन्हों मुझे चाभी दी गाडी की अब वो गाडी मेरी है तुम्हरे पापा ने कहा.. (सतीश गाडी की चाभी निकल कर जयश्री को दिखता हुआ)

जयश्री को अब समझ न आ रहा था ...
जयश्री- सतीश अभी के अभी मुझे पापा से मिलना है
सतीश- अभी पर अभी वो बिजी होंगे.. उन्होंने कहा वो कही जानेवाले है..

जयश्री ने तुरंत बलदेव को फ़ोन किया पर बलदेव फ़ोन ऊपर के हॉल में रख के निचे गार्डन में काम कर रहा था. जयश्री बोहोत बेचैन हुई. वो सोच रही थी. आखिर पापा ऐसे कैसे कर सकते है. ऐसे निकम्मे लुल्ली पुल्ले को अपनी गाडी दे दी! उसकी बेचैनी बोहोत बढ़ गयी. सतीश को पता चला की अब ज्यादा देर घर में रुकना सही नहीं वर्ना जयश्री का ग़ुस्सा उस पर निकलेगा और वो कुछ कर भी नहीं पायेगा. उसने तुरंत जयश्री के लिए नुट्रिशन और डाइट्स के बोतल वह टेबल पे रखे और फटाक से चला गया. अब उसके पास कार थी तोह उसने कार निकली और सार से निकल गया घर से. उसको अपने पापा के कार की सवारी करते देख जयश्री की आंखे मायूसी से लाल हुई उसने वही पे वरण्डः में लटका हुआ बॉक्सिंग का पंच बैग को जोर से मुक्का मारा. जयश्री ज्यादा शर्मीली तोह नहीं थी क्यों की वो होने जज्बाद बहार निकलना जानती थी.

दोपहर तक जयश्री ने पापा को कॉल किया पर कॉल नहीं लगा. एक बार सुभाष ने उठाया पर उसने कहा की बलदेव एक कैनाल का प्लान करे गए है खेत के उस कोने में. मई उनको बोल दूंगा. १२ बजे जब बलदेव खाना खाने आया तोह बलदेव् ने जयश्री के काफी सरे मिस्ड कॉल दिखे. जैसे ही वो मुँह हाथ धोके खाना खाने आया तभी उसके फोन की रिंग बजी. बलदेव ने फ़ोन उठाया.

जयश्री- हेलो पापा... तुम मुझे से प्यार नहीं करते (और थोड़ी सी ग़ुस्सेल रोती हुई सूरत लेकर बात करने लगी)
बलदेव- बेटी.. शांत हो जाओ ... क्या हुआ...
जयश्री- आपने अपनी कार उसको निठल्ले नाकारा .. को दे दी?
बलदेव- बेटी देखो.. मैंने जो कुछ किया है तुम्हारी भलाई के लिए किया है... सुनो..
जयश्री- पापा तुम नहीं जानते उस ने मेरी जिंदगी नरक बनायी है और और अप्पने उसे आपनी... सोचो अपनी गाडी दी है पापा... पहल मुझे उसके हवाले किया सो किया अब आप अपना सब उस लुल्लेपुल्ले निकम्मे नाकारा आदमी को देना चाहते हो.. कल को जाके उसे आप सब जमीन जायदाद घर सब दे दोगे... पापा आप समज़ते क्यों नहीं वो तुमको कच्चा चभा जायेगा...

बलदेव भी कम शतिर नहीं था. उसने जयश्री को अच्छे से पढ़ लिया था.

बलदेव- अब मै कैसे तुमको समझाऊ.. तुम्हारा ग़ुस्सा जायज है पर हम दोनों मजबूर है बेटा.. तुम एक न एक दिन समझोगी...
जयश्री- पापा.. ने.. वो मै कुछ नहीं जानती.. मई उस निठल्ले निकामे को आपको अपना कुछ भी नहीं लूटने दूंगी ... पापा वो आपकी कमाई का है आप क्यों उसे पिद्दी जैसे को इतना मेहरबान है....

बलदेव चुपचाप सुन रहा था.

जयश्री- पापा.. आप बोलते क्यों नहीं..

बलदेव फिर भी चुप रहा...

अब जयश्री के साबरा का बांध टूट गया. थी तोह अपने ही पापा की बेटी. उसको जस-के-तस जवाब चाहिए था बस...

जयश्री- पापा, मुझे अभी आप से मिलना है...
बलदेव- हं हं बेटा सुनो.. तुम कल... (अब जयश्री ने बात काट दी)
जयश्री- नहीं पापा अब नहीं, मै आप से अभी के अभी मिलना चाहती हूँ... मुझे कुछ नहीं पता .. में आपसे कैसे मिलूं... ऑटो ले लूँ? में अभी निकलती हूँ.. मुझे आप से बात करनी है ... अभी के अभी.. में कुछ नहीं जानती..

बलदेव- रुको.. रुको.. मै कुछ इंतजाम करता हूँ.. ओके बेटा.. रुको..

फ़ोन कट होते ही जयश्री वैसे ही वारांडा में लगे बॉक्सिंग बैग को जोर जोर से पंच कर रही थी. थोड़ी देर में सतीश आया. उसने कार गार्डन में लगा के वही से कहाँ...

सतीश- चलो, क्या हुआ जाना नहीं है क्या?
जयश्री- क्या!
सतीश- अरे जाना नहीं है क्या! ससुर जी का फ़ोन आया था. उन्हों एकः की उनको तुम से मिलना है?

अब जयश्री का पारा १०० से उअप्र चार गया अब वो अपने पापा पे ग़ुस्सा और तरस खा रही थी... और सोच रही थी की... यह क्या कर रहे है पापा ... मै जिसकी कंप्लेंट करने जा रही हूँ ...उसी को मुझे ले आने को भेज दिया पापा ने... पर अब उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था.. वो जल्द से जल्द बलदेव से मिलना चाहती थी... और उसने ग़ुस्से में सतीश की तरफ देखते हुई बॉक्सिंग बैग को एक जोरदार पंच मारा... वो उसी हालत में जिम वियर में ही गाडी में बैठ गयी... सतीश अब हक्काबक्का रह गया..

सतीश- तुम ऐसे चलोगी वहा ! वह गांव में लोग होते है... तोह...
जयश्री- तुमसे मै बाद में बात करुँगी..समझे... पहल मुझे अभी के अभी छोड़ के आओ मायके में...

सतीश कुछ न बोला. और घर को लॉक लगाके दोनों चल पड़े...

(जयश्री के मायके में)
सररररर करते सतीश ने स्टाइल में कार घर के गार्डन में रुकवा दी, कार रुकी भी नहीं थी की जयश्री ने अपने साइड का दरवाजा खोल कर तड़क से घर में एंट्री मारी. उसका आवेश और रूप देख कर घर के नौकर भी घबरा गयी और सब निचे आ गए..

जयश्री- सुभाष... पापा कहाँ है?
सुभाष (नौकर)- दीद वो तोह ऊपर है छत वाले हॉल में...

ये सुनते ही जयश्री ऊपर चली गयी.
और जोर से दरवाजा भी हाथ से खोल दिया...

जयश्री- पापा......

बलदेव जो छत के आधे वाले छज्जे से निचे जयश्री और सुभाष की बाते सुन कर सुन कर हॉल में आया था. बलदेव ने अभी भी जयश्री को नहीं देखा था.
पर जैसे ही जयश्री ने दरवाजा खोले कर पापा कहाँ तभी उसकी नजर जयश्री के चेहरे की तरफ और फिर उसके बदन की तरफ गयी. उसका बेहतरीन शेप वाला कड़क बदन देखा. जो जिम वियर में कैद था. उसके बदन के हर पुर्जे साफ़ साफ़ दिख रहे थे. उसकी छाती के दोनों बॉल्स मनो खजुराहो के मूर्ति के वक्षो को भी हरा दे इतने कड़क थे. शादीशुदा होने के बावजूद उसके बॉल में थोड़ा भी लचीलापन नहीं था. उसके पिछवाड़े में भी काफी कसाव था. और फिर उसको वो दिखा जिसके बारे में वो पिछले २-३ दिन से सिर्फ सोच रहा था. उसका जिम शॉर्ट्स इतना टाइट था की उसके टांगो में वो क़यामत देखि जो इस बाप-बेटी के रिश्तो को अलग मोड़ देनेवाली थी. अब होश में आते हुए...

बलदेव- ओह आखिर बेटी आ ही गयी अपने पापा से मिलने! कितना दिन हुए? (मजाकिया मूड में)

जयश्री अब उनको किसी अफ़सोस के नजरो से देख रही थी जैसे बलदेव ने कोई गुनाह किया हो ऐसे...

बलदेव- अरे बैठो तोह.. पहले तुम पूरी तैयार हो के आओ जाओ बाथरूम में बाथ टब में नहालो जाओ...
जयश्री- पापा... आप को इतनी सी भी चिंता नहीं है खुद की और मेरी भी!
बलदेव- शु... रुको...

उसने ऊपर के खिड़किया और दरवाजे सब बंद किये... पर वो जनता था की उसके इजाजत के बिना ऊपर कोई आने की जुर्रत भी नहीं करेगा.
बलदेव- ओके बोलो...

बलदेव अब बार स्टूल पे बैठ के डेस्क को पीठ लगा कर उसकी बात सुन रहा था...जयश्री अब रोतेली सूरत से बलदेव को देखने लगी...

जयश्री- पापा पता है वो गाडी कितने की है
बलदेव- जैसे की मुझे पता ही नहीं! बोलो!
जयश्री- पापा.... ऐसा नहीं ... मेरा मतलब आप ऐसी गाडी सतीश को कैसे दे सकते है ... आपको पता है न मेरी हस्ती खेलती जिंदगी का धब्बा है वो आदमी... आपकी की अपनी बेटी का जीवन बर्बाद करनेवाले को अपनी इतना बड़ा एहसान किया? क्यों पापा... पापा जो तुम्हारा है क्या वो मेरा नहीं? क्या जो मेरा है वो आपका नहीं. आज माँ होती तोह क्या आप यही करते? पापा आप अगर मुझ से प्यार करते है तोह कम से कम एक बार भी नहीं सोचते की आप ने यह क्या कर दिया... उस इंसान की औकात नहीं एक साइकिल की उसको अपने पापा.... उसको आप ने .... मतलब क्या बोलू मै आपको!

बलदेव ने सुना.

बलदेव- बेटी यहाँ आओगी.
जयश्री- अब क्या है बोलो जल्दी! (वो बलदेव के बार स्टूल के पास चली गयी, उसके सामने उसके नजदीक)

बलदेव- देखो बेटी मै यह बाते फ़ोन पर नहीं बता सकता था. काफी मुश्किल सवाल है. तुम अभी उतनी समझदार नहीं हो.
जयश्री- तोह समझाओ मुझे पापा... पर एक बात सुन लो पापा आप उस से गाडी वापस लोगे या मै खुद उस गाडी को आग लगा दूंगी.. पापा.. आप .. मै आपकी बेटी हूँ या वो? ऐसा क्या है की आप उसकी बातो में आ गए..
बलदेव अब पहेली बार जयश्री के सामने से उसे आर्म्स को पकड़ कर बात करने लगा...

बलदेव- देखो बेटी.. तुम सब जानती हो की सतीश से तुम्हारी बनती नहीं. तुम भले ही उसको न चाहो पर वो तुम्हारे साथ रहने को तैयार है. क्यों? पता है? क्यों की हमारे कुछ राज उसके पास है. अगर हमारे कुछ राज उसके पास है तोह वो सब तरफ उस राज के बीज समाज में बो देगा. फिर हम अपने समाज में खत्म हो जायेंगे. तुम जानती हो वो राज क्या है.

जयश्री अब इसी एक ही मुद्दे से हिल गयी. उसके पैरो तले जमीं खसक गयी. उसको पता चल गया की उसके पापा बलदेव उसके हर कांड के बारे में जानते है. अब उसके चेहरे पर गंभीर भाव दिख रहे थे. उसे लगा की वो अपना अधिकार दिखा देगी पर हुआ उसके विपरीत. अब वो चुपचाप अपने पांव के अंगूठे की तरफ देखने लगी जैसे कोई अपने मास्टर के सामने होता है. बलदेव ने उसकी चेहरा ऊपर उठाया. और वो २ सेकंड के लिए मन्त्रमुघ्ध हो गया. ये वही उसकी बेटी है जिस के बारे में वो ३ दिन से सोच रहा था. आज उसके सामने एक देसी गुड़िया की तरह थी. वो अभी पसीने में थी. क्यों की बलदेव ने ऊपरी हॉल में ऐसी नहीं बिठाया था. क्यों की वो मानता था की जितना नेचुरल रहे उतना अच्छ है. पर अब हॉल के दरवाजे खिड़किया बंद होने के बाद वहा की गर्मी बढ़ गयी. बलदेव सिर्फ एक बनियान और नाईट पैंट में था.

बलदेव- मुझे पता है बेटी. पर मै मजबूर हूँ. शायद तुम मेरी विवंचना समझो. मै तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ. तुम एकलौती मेरी जिंदगी का सितारा हो तुम्हे पता है.

पर अब अपने बाप का अपने प्रति प्यार और त्याग देख कर उसे खुद से शर्मिंदगी होने लगी. और वो कुछ न बोल सकीय. वो चुपचाप वही कड़ी थी. वैसे तोह वो कभी किसी को बोलने नहीं देती पर आज वो चुप थी. भले बलदेव बार स्टूल पे बैठा था पर अब वो जयश्री के बिलकुल ऊंचाई पे आया था. तोह उसने जयश्री का चेहरा अपनी और कर लिया. अब जयश्री और उन दोनों में बस कुछ इंच की दूरी थी.

बलदेव- मैंने कसम ली है मै हर हाल में तुमको बचाऊंगा चाहे मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े. में सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी देखना चाहता हु. पर तुम और रूद्र...

बलदेव चुप हो गया. जयश्री अब उदास सी हो गयी और अब रोने के कगार पर थी

जयश्री- पापा... आई एम् सॉरी पापा (अब वो अपना अंग ढीला छोड़ रही थी... शर्म के मारी जमीं को देख रही थी.)
बलदेव- नहीं मेरी जान.. मेरी बेटी... (अब बलदेव फुल गियर में था). माफ़ी तोह मुझे तुमसे मांगनी है ...
मेरी वजह से तुमने चुपचाप वह शादी की जहा मैंने कहा... पता है बेटा.. सब कहते है मुझे की जयश्री जैसी बेटी पाने के लिए १०० जन्म लेने पड़ेंगे .. तुम कतनी प्यारी और समज़दार हो... आज भी तुम अपने पापा पर ग़ुस्सा न करती पर सतीश ने जो तुम्हरे साथ किया है उसको तुम माफ़ नहीं कर सकती इसीलिए तुमको उसका कोई फायदा आँखों में चुभना स्वाभाविक है. देखो बेटा मेरा जो भी है तेरा है...

अब जयश्री अपने पापा सामने पूरी तरह से पसिना पसीना खड़ी थी. दोनों को होश नहीं था.

बलदेव- मैंने रूद्र को समझाया. वो दोस्त है मेरा मान गया. मै तुमको एक मौका देना चाहता हूँ. क्या तुम रुसदृ के साथ खुश हो? अगर ऐसा है तोह मुझे मेरे इज्जत की बलिदानी देनी होगी. इसके लिए मै तैयार हूँ.. पर क्या तुम रूद्र के साथ एक नार्मल और आसान जिंदगी जी सकती हो? अगर तुम्हे लगता है की सब एकदम सही और आसान चलेगा तोह नहीं होता ऐसा. परसो ही कोई सतीश को तुम्हारे अफेयर के बारे में चिढ़ा रहा था. अब परसो सो वही लोग सतीश को ठीक से बात कर रहे है.

जयश्री- नहीं... पापा नहीं .. मुझे माफ़ कर दो पापा ... नहीं .. में आपकी इतनी लाडली होते हुए भी गलत कदम ले ली .. मुझे माफ़ करो पापा.

बलदेव अब उसकी आंखे पोछता हुआ उसके गालो से उसके दो आंसू पोछता हुआ सोच रहा था की उसकी प्यारी बेटी इतनी सुन्दर और हॉट लग रही थी की उसको उसी वक़्त अपनी बेटी से प्यार हो गया. आज तक उसने कई हॉट सेक्सी सुन्दर लड़किया औरते देखि पर अभी वो भगवन की भी कसम खाके कह सकता था की अभी उसकी बेटी से बढ़कर इस दुनिया की कोई भी लड़की इतनी प्यारी हॉट खूबसूरत नहीं होगी. वो बार बार उसके गालो पर आनेवाली लटो को उसके कान के पीछे धीरे कर रहा था. जयश्री की नाक पे एक नथुनी जो छोटी रिंग टाइप के थी वो बोहोत ही बलदेव के सोच में घी का काम कर रही थी. जयश्री अब बिच बिच में बलदेव को आशा की नज़रो से देख रही थी.

बलदेव- मुझे एक बात कहोगी बेटा? मेरी तरफ देख के बोलो.

जैसी ने हाँ में सर हिलाया. वो अभी भी अपने अफेयर के कांड पर थोड़ी सी शर्मिंदा थी क्यों की उसे लग रहा था की उसकी वजह से उसके पापा को बोहोत कुछ झेलना पड़ रहा है.

बलदेव- क्या तुम रूद्र से शादी करोगी!
जयश्री- नहीं पापा.. मुझे माफ़ करो.. मै इतनी खुदगर्ज़ हु की मैंने आपके बारे में कभी नहीं सोचा ...

अब वो फिर से थोड़ी आंसू बहाने लगी..

बलदेव- मुझे साफ़ साफ़ बताओ की तुम रूद्र से शादी करोगी?
जयश्री ने ना में सर हिला कर जवाब दिया.

बलदेव का प्लान सक्सेसफुल हुआ. वो खुश हुआ.

बलदेव- क्या तुम मुझ से प्यार करती हो?
जयश्री- ये कैसा सवाल है पापा...
बलदेव- मुझे बताओ आज ... आज नहीं बोलोगी तोह मै कुछ और समझ लूंगा...
जयश्री- ऑफकोर्स पापा ...

अब दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे ... और अचानक से वो हुआ जो कुछ दिनों से दोनों तरफ आग लगी थी... पता नहीं क्या हुआ दोनों को .. जैसे लगा दोनों बस एक दूसरे की बाते जानने लगे वो भी बिना बोले.. अब बलदेव जयश्री के आर्म्स के साथ साथ एक हाथ उसकी बेटी की कमर पर चला गया.

बलदेव- तो सुनो बेटी ... आयी लव यू बेटी ... आयी लव यू ...

और बलदेव ने जयश्री को को जयश्री ने बलदेव को एक साथ एक ही पल में एक दूसरे को गले लगा लिया. इतना जोर से एक दूसरे को गले लगाया की जैसे सातोजन्म से बिछड़े हो. और अपनी बेटी जयश्री को गले लगते ही पता नहीं बलदेव को क्या हुआ... वैसे तोह उसका अपने भावनापे बोहोत संतुलन है पर अब वो अपनी ही बेटी को आगोश में ले कर ऐसा खो गया जैसे जिस्म को नयी रूह मि गयी हो. जयश्री भी अब बलदेव को कस के गले लगा रही थी. उसकी बहो में बलदेव का बालदण्ड शरीर नहीं समां रहा था. उसे भी बलदेव के बलिष्ट शरीर को अपने बदन पे लपेटने की लालसा हुई. पर बलदेव के दोनों हाथ अब वहां वहां जा रहे थे जहा जहा एक पिता के हाथ अपनी पुत्री के बदन के उस हिस्से पे नहीं जाने चाहिए. अब दोनों एक दूसरे को कस के आगोश में ले कर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. बलदेव जयश्री को गले लगा कर पूरी ज़ोर से अपने शरीर पर दबा रहा था. अब दोनों के शरीर एक दूसरे से चिपके हुई थे. जयश्री की उन्नत कड़क बॉल्स अपने बाप के पेट पर चुभ रहे थे. उसके बॉल्स का स्पर्श पाकर बलदेव के पैंट में तम्बू हुआ. इसी बिच में बलदेव के हाथ उसके पिछवाड़े पे तोह कभी कमर पे जा रहे थे. जयश्री के भी हाथ उसके पापा के ऊपरी पीठ पर तोह कभी बाल में जा रहे थे. अब बलदेव फिर से संतुलन खो गया. उसने जयश्री को गले लगाते हुए ही उसकी गर्दन पर धीरे धीरे अपनी मुचोवाले होंठ घिसने लगा. जयश्री आप होश खो चुकी थी. बलदेव पिछले कई सालो से एक जवान लड़की का स्पर्श भूल गया था. इधर जयश्री भी ५ मैंने से सतीश के निक्कम्मेपन की मारी थी और अब १ हफ्ते से रुद्रप्रताप से कोई मिलना जुलना भी बंद था. यह आग दोनों तरफ लगी थी. पर पहल किसी एक को करनी थी जो बलदेव ने कर दी. लोहा गरम था और बलदेव ने हथोड़ा मार दिया. अब बलदेव अपनी बेटी जयश्री की गर्दन को धीरे धीरे चूमना चालू किया. यह जयश्री का अलग अनुभव था. इस से पहले न ही कभी सतीश ने या रुद्रपताप ने ऐसा किया था. जयश्री मानो अपने पिता की यह कला देख कर मन्त्रमुघ्दा हो गयी. फिर बलदेव ने उसकी गर्दन को किस करते करते सब तरफ चुम रहा था. जयश्री भी अब हलके हलके प्यार भरी हलकी सी आवाजे निकलने लगी. अब वो थोड़ा थोड़ा जयश्री की छाती की तरफ गया अब उसे रहा नहीं जा रहा था. जयश्री का पसीना उसकी वासना में घी का काम कर रहा था. अपनी सुन्दर हॉट बेटी के पसीने का स्मेल आते ही उसकी स्पीड और बढ़ गयी. इधर जयश्री का भी वही हाल था. वो भी अब अपने बाप को खुल कर कस कर गले लगा रही थी. अब बलदेव ने जयश्री के चहरे को पीछे किया तोह जयश्री भी धीरे से उसे देखने लगी. और फिर... बलदेव ने अपनी बेटी जयश्री की चेहरे को निचे से दोनों हाथ की अंजुली में धरते हुए अचानक से जोर जोर से अपनी घनी मुचोवाले होठो से बेटी के पसीने पसीने चेहरे पे चूमने लगा . होंठो को छोड़ कर को अपनी बेटी की चुम्मिया ले रहा था. जयश्री भी आंख बंद कर के उसकी ख़ुशी ले रही थी. उसने जयश्री के गालो को माथे को , गाल को , और खास कर अपनी बेटी की नोज रिंग को भी चूमने लगा जो उसके ऊपर बोहोत ही हॉट लगती थी. आँखों पर सब जगह चूमना चालू हुआ. पुरे हॉल में बाप-बेटी के स्मूचिंग की आवाजे आने लगी.

ठीक उसी वक़्त
(इधर बाहर घर के)

सुभाष- क्या हुआ है भाई ,सतीश क्या चल रहा है. जयश्री दीदी ऐसे क्यों आयी अचानक से वो भी इस हालत में?

सतीश सब जान चूका था. की ससुर जी उसके कुछ न कुहक जुगाड़ जरूर करेंगे.

सतीश- कुछ नहीं रे... बाप-बेटी का चलता रहता है हमेशा .. के दूसरे को चिढ़ाते है फिर मनाते रहते है.

अचानक से बलदेव ने उसको थोड़ा दूर हटाया.

बलदेव- मुझे तुज से बढ़कर कुछ नहीं .. तुम्हारी हर जिम्मेदारी मेरी है बेटी... तुम्हरी शादी के बारे में बाद में सोचूंगा...

जयश्री को पता नहीं क्या हुआ और उसने कह दिया.

जयश्री- नहीं पापा, उसकी कोई जरुरत नहीं. मै खुश हूँ.

जयश्री भी खुश हुई की बलदेव ने उसे माफ़ कर दिया और वो प्यार से बलदेव के सीने पर सर रख कर आंख मिटाये पड़ी रही. तब तक बलदेव के शरीरी का स्मेल उसकी नाक की पंखुडिया से उसके अंदर मोहित कर रही थी. उसके सीने पे जो बाल थे उसका भी स्मेल ले रही थी. यह जयश्री के लिए एकदम नया अनुभव था. उसने आज तक कभी किसी मर्द के सीने का स्मेल नहीं लिया था. रूद्रप्रताप से तोह काफी हलके से सम्बन्ध रहे.

जयश्री अपने पिता के सीने पर सर रख कर प्यार से उसके बल सहलाकर.

जयश्री- पापा, क्या आप फिर भी सतीश को अपनी गाडी दोगे...

बलदेव ने फ़ोन लिया और एक नंबर डायल किया.

बलदेव- अरे बद्री सेठ प्रोग्राम में थोड़ा चेंज है.
बद्री- हं बोलो साहब आप जो हुक्म फरमाए.
बलदेव- सुनो, वो मैंने कल गाडी आतिश के नाम पे करने को बोला था वो कैंसिल करो. और हाँ उस गाड़ी को अब मालिक नहीं. मालकिन की जरुरत है. उस गाड़ी की मालकिन मेरी बेटी जयश्री के नाम करो. मै कागज़ सुभाष के हाथ भिजवा देता हूँ.

जयश्री ये बात सुन कर इतनी खुश हुई की उसने हलके से अपने पापा को वही के वही तभी उसी वक़्त हलके से 'थैंक यू' बोल दिया.

बद्र- हं न साहब मै भी वही सोच रहा था के बलदेव साहब कुछ गलत तोह नहीं कर रे. १८ लाख की गाड़ी है साहब. ऐसे कैसे किसी को दे देंगे! वह पर अब ठीक है. अपनी गाडी अपने पास. जो बेटी का वो तुम्हरा.
बलदेव- और सुनो ये बात ,प्लीज सतीश को मत बताना और किसी को भी नहीं.
बद्री- जी साहब बिलकुल.
बलदेव- धन्यवाद.
बलदेव- अब खुश है ने मेरी लाड़ली बेटी!
जयश्री- बोहोत खुश हु पापा. ओह पापा आयी लव यु ... आयी लव यु.... आयी लव यु.....
बलदेव- लव यु तू बेटा..

आजा पापा के गले तोह लगाओ एक बार. फिर से बलदेव ने जयश्री के बदन को अपने में समां लिया. और सर के ऊपर किश किया.

जयश्री- पर पापा अब आप सतीश को क्या कहोगे..
बलदेव- कहना क्या है! गाड़ी सतीश के पास ही रहेगी पर मालकिन तू होगी मेरी लाडो. तू फ़िक्र मत कर में उसे संभल लूंगा.

बलदेव- यह क्या! मै भी तुज से नारजः हूँ.
जयश्री- क्यों! क्यों पापा.
बलदेव- तुमने मेरे दिए हुए कंगन नहीं पहने है.
जयश्री- ओह पापा सॉरी. में वो जिम गयी थी न सुबहे तोह रह गए.
बलदेव- कोई बात नहीं.. तुम तो रानी बिटिया हो मेरी. कभी भी पहन लो. अब जाओ शरारती लड़की जाओ और नहालो. वैसी ही चली आयी बिना नहाये.
जयश्री- आप भी तोह नहीं नहाये थे.

दोनों हस्ते है . जयश्री वाशरूम में चली जाती है नहाने. बलदेव का टॉवल ही लेती है बाथरूम में नहाने.

बलदेव निचे चला जाता है गार्डन में. और सतीश से कहता है.

बलदेव- एक काम कर सकते है हम?
सतीश- बोलो ससुर जी
बलदेव- देखो सबको मालूम है की तुम्हारी क्या हालत है बेड में. तोह मै चाहत हूँ की गाडी तुम ही रख लो पर उसकी मालकिन जयश्री होगी. बोलो मंजूर?

सतीश सोच रहा था की उसको तोह गाड़ी से मतलब है. और अब मैंने इंकार किया तोह अगली भी जायदाद नहीं देंगे.

सतीश- जी ससुर जी , आप जैसा ठीक समझे.
बलदेव- ये हुए न शेरोवाली बात.
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