अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.
१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव
अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -
'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'
ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया
सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!
सहेली ने पढ़ा.
सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!
तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी
सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)
जयश्री सोच में पड़ गयी.
जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)
सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन
तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए
सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं
जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं
जयश्री- अरे छोड़ो न
और वो कंगन पहनने लगी
सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली
सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी
तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.
मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'
जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.
सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.
जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .
(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.
जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.
बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को
जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.
जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.
जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.
जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.
जयश्री शरमाई.
बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..
अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...
बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है
जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है
जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?
बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.
बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.
जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.
बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .
बलदेव समाज गया.
बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!
बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम
बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.
बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया
जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'
जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.
जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है
बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.
बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.
बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.
जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)
बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?
जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.
जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए
बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न
बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.
जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!
२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.
जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट
वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी
जयश्री कंगन पेहेनते हुए
जयश्री- पापा बस एक मिनट
उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी
जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.
बलदेव जानबूजकर
बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो
हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.
जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको
जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी
जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो
बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.
बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे
जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो
जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.
बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!
जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा
बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.
बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!
अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और
जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.
दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.