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Incest कन्याधन

Motaland2468

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अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.

१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव

अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -

'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'

ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया

सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!

सहेली ने पढ़ा.

सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!

तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी

सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)

जयश्री सोच में पड़ गयी.

जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)

सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन

तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए

सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं

जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं

जयश्री- अरे छोड़ो न

और वो कंगन पहनने लगी

सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली

सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी

तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.

मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'

जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.

सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.

जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .

(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.

जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.

बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को

जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.

जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.

जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.

जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.

जयश्री शरमाई.

बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..

अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...

बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है

जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है

जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?

बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.

बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.

जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.

बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .

बलदेव समाज गया.

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!

बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम

बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.

बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया

जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'

जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.

जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है

बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.

बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.

बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.

जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)

बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?

जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.

जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए

बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न

बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.

जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!

२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.

जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट

वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी

जयश्री कंगन पेहेनते हुए

जयश्री- पापा बस एक मिनट

उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी

जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.

बलदेव जानबूजकर

बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो

हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.

जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको

जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी

जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो

बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.

बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे

जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो

जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.

बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!

जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा

बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.

बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!

अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और

जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.

दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.
Zabardast update bhai
 

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अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.

१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव

अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -

'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'

ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया

सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!

सहेली ने पढ़ा.

सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!

तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी

सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)

जयश्री सोच में पड़ गयी.

जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)

सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन

तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए

सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं

जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं

जयश्री- अरे छोड़ो न

और वो कंगन पहनने लगी

सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली

सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी

तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.

मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'

जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.

सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.

जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .

(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.

जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.

बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को

जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.

जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.

जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.

जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.

जयश्री शरमाई.

बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..

अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...

बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है

जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है

जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?

बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.

बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.

जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.

बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .

बलदेव समाज गया.

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!

बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम

बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.

बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया

जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'

जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.

जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है

बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.

बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.

बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.

जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)

बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?

जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.

जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए

बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न

बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.

जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!

२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.

जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट

वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी

जयश्री कंगन पेहेनते हुए

जयश्री- पापा बस एक मिनट

उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी

जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.

बलदेव जानबूजकर

बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो

हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.

जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको

जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी

जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो

बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.

बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे

जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो

जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.

बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!

जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा

बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.

बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!

अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और

जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.

दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.
बाकी तो सब ठीक है लेकिन बलदेव चाहे कितना भी बड़ा कमीना हो चाहे अपनी बेटी को चोदना चाहता हो.....और रुद्र उसका कितना भी खास यार हो
उसी रूद्र ने जानते बूझते उसकी बेटी पर ना सिर्फ हाथ डाला बल्कि रखैल बनाये था खुलेआम
तो रुद्र को ऐसे ही छोड़ना बलदेव को सतीश से भी बड़ा चूतिया साबित करता है.....उन सब की नजर में जिन्हें जयश्री और रूद्र की कहानी पता है
क्योंकि लोग सतीश से नहीं बलदेव के नाम से पहचानते हैं जयश्री को.....
 

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अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.

१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव

अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -

'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'

ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया

सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!

सहेली ने पढ़ा.

सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!

तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी

सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)

जयश्री सोच में पड़ गयी.

जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)

सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन

तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए

सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं

जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं

जयश्री- अरे छोड़ो न

और वो कंगन पहनने लगी

सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली

सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी

तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.

मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'

जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.

सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.

जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .

(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.

जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.

बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को

जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.

जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.

जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.

जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.

जयश्री शरमाई.

बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..

अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...

बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है

जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है

जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?

बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.

बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.

जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.

बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .

बलदेव समाज गया.

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!

बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम

बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.

बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया

जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'

जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.

जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है

बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.

बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.

बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.

जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)

बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?

जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.

जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए

बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न

बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.

जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!

२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.

जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट

वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी

जयश्री कंगन पेहेनते हुए

जयश्री- पापा बस एक मिनट

उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी

जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.

बलदेव जानबूजकर

बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो

हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.

जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको

जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी

जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो

बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.

बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे

जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो

जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.

बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!

जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा

बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.

बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!

अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और

जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.

दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.
Shaandar jabardast Mast Romanchak Update 👌 💓 💓 🔥 🔥
 
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अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.

१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव

अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -

'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'

ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया

सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!

सहेली ने पढ़ा.

सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!

तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी

सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)

जयश्री सोच में पड़ गयी.

जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)

सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन

तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए

सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं

जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं

जयश्री- अरे छोड़ो न

और वो कंगन पहनने लगी

सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली

सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी

तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.

मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'

जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.

सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.

जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .

(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.

जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.

बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को

जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.

जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.

जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.

जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.

जयश्री शरमाई.

बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..

अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...

बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है

जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है

जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?

बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.

बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.

जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.

बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .

बलदेव समाज गया.

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!

बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम

बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.

बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया

जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'

जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.

जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है

बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.

बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.

बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.

जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)

बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?

जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.

जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए

बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न

बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.

जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!

२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.

जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट

वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी

जयश्री कंगन पेहेनते हुए

जयश्री- पापा बस एक मिनट

उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी

जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.

बलदेव जानबूजकर

बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो

हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.

जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको

जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी

जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो

बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.

बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे

जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो

जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.

बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!

जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा

बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.

बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!

अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और

जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.

दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.
Shandaar
 

Premkumar65

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अस्वीकरण

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ, स्थान और परिस्थितियाँ लेखक की कल्पना का परिणाम हैं। यदि किसी जीवित व्यक्ति, समुदाय, संस्कृति, या स्थान के साथ समानता होती है, तो यह मात्र संयोग होगा। इस कहानी का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना, किसी धर्म, जाति, परंपरा, या मान्यताओं का अपमान करना नहीं है।

पाठकों से अनुरोध है कि इस कहानी को केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से पढ़ें और इसकी सामग्री को वास्तविकता से न जोड़ें।

उस कहानी के पात्र सभी बालिग हैं। इस कहानी में प्रेम प्रसंग बताए गए हैं। अगर किसी पाठक को यह पसंद नहीं, तो वह इस कहानी को न पढ़े। धन्यवाद।

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अपडेट १

यह कहानी छोटे शहर और गांव दोनों से जुड़ी है। यह कहानी की शुरुआत शहर से होती है और फिर गांव में प्रवेश होती है। तो आइए कहानी को शुरुआत करते हैं।

एक छोटे शहर में सतीश का छोटा बंगला था। यह बंगला उसने अपने माता-पिता की मदद से लिया था, जो अब इस दुनिया में नहीं थे। उस दिन तक—हरकर वह दूसरे शहर से वापस सुबह घर लौटा। उसने बोला नहीं, वजह—क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वह जयश्री को नींद से जगाए। वह अपनी चाबी से घर के अंदर दाखिल हुआ। घर में दाखिल होते ही उसे अजीब सी स्मेल आई। वह सिगरेट की स्मेल थी। उसे अजीब लगा क्योंकि वह सिगरेट नहीं पीता था और न ही जया सिगरेट पीती थी। अपना सामान रखकर हाथ-पैर धोकर वह भी सोना चाहता था। उसने पानी पिया और बैडसाइड के पास के कचरे के डिब्बे में उसकी होटल और ट्रैवल की टिकट्स को डालने गया, तो उसने पहली बार यह दृश्य देखा। उसने देखा कि उसमें एक कंडोम शायद स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का था। वह देख लिया और उसके होश उड़ गए। दूसरे कमरे में सामान रखने के लिए चला गया और देखा कि उसका अटैची का पूरा सामान और कपड़े-लत्ते सब वही कमरे में रखा है। वह चौंक गया और बिना आवाज किए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ा। उसने हल्के से दरवाजा खोला और आगे का दृश्य देखकर उसके जो शक था वही दिखा। अंदर बिस्तर पर उसकी पत्नी जयश्री अपने बॉस रुद्रप्रताप के साथ सो रही थी।

सतीश 27 साल का है।
वह एक बहुत ही डरपोक दुबला-पतला सा शरीर से था, कमजोर भी था। दिखने में गोरा था, बस इतनी ही अच्छी बात थी उसकी। यहां तक कि पसलियां भी दिखती थीं उसकी। उसके माता-पिता अब नहीं थे। उसकी शादी उन्हीं के समाज के एक सम्पन्न परिवार की लड़की जयश्री से हुई थी। उसके माता-पिता शादी के कुछ दिन बाद वह चल बसे। अब वह गुजर जाने के बाद सतीश गांव का घर एवं थोड़ी जमीन बेचकर बाजू के छोटे शहर में जया के साथ रहने लगा। सतीश थोड़ा पढ़ा-लिखा था पर बहुत आलसी स्वभाव का था। उसे मेहनत करना कम और आराम की खानी की आदत लगी थी। अगर मौका मिले तो 2–3 दिन लगातार टीवी देख सकता था। सतीश और जयश्री की शादी हुए दो साल हुआ। पर पिछले कुछ महीनों से शादी में दरारें आने लगीं जिसके कई कारण थे। जब सतीश जॉब के लिए बाहर जाता तो जयश्री घर में अकेले बोर हो जाती। जॉब के कारण उसे कभी-कभी छोटे शहर के बाहर भी जाना पड़ता था। सतीश को जॉब भी सिफारिश से मिली थी। वह सिफारिश उसके ससुर बलदेव ने ही लगवाई थी क्योंकि रुद्रप्रताप बलदेव का बिज़नेस पार्टनर है। एक दिन रुद्रप्रताप ने सतीश को सुझाव दिया कि उसकी पत्नी जयश्री को भी वह काम पर रख सकता है। वैसे जयश्री को काम की ज़रूरत नहीं थी पर उसे घर पर रहने से अच्छा बाहर घूमना, दोस्त बनाना पसंद है। तो जब सतीश ने इस बारे में जयश्री को यह बताया कि क्या वह भी इस कंपनी में कुछ काम करेगी तो जयश्री ने तुरंत हां कर दी।

जयश्री 25 साल की है।
वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। वह एक सुंदर दिखने वाली घरेलू लड़की थी। उसका रंग गेहुँआ था। उसका कद सामान्य था। पर उसका चेहरा और शरीर बहुत आकर्षक था। उसकी छाती अभी भी तनी हुई, तंग और चुस्त गोलाकार थी, जो अभी भी 1 सेंटीमीटर मीटर भी नीचे नहीं झूलती थी। उसकी कमर काफी पतली तो नहीं, पर मनमोहक कमर थी जो उसे सज रही थी। उसका पश्चभाग भी ज्यादा बड़ा नहीं, पर अच्छे खासे कसे हुए और अच्छे आकार का था। उसका स्वभाव बाहर की दुनिया में ज्यादा लगता, वह खूब खुली-खिली माहौल में रही थी। वह भी थोड़ी पढ़ी-लिखी थी पर उसे पढ़ने का शौक बिल्कुल भी नहीं था। इंटर के बाद ग्रेजुएशन में मन लगा और पढ़ाई छोड़ दी। पर जयश्री की एक कमजोरी थी वह थी गहने। उसे सजना-संवरना, महंगे गहने पहनना, बढ़िया ब्रांडेड ड्रेस और साड़ियां पहनना अच्छा लगता था। उसकी खुशी को देखकर बलदेव ने उसे बार-बार नए-नए गहने खरीदकर दिए थे, जितना कि उन्होंने अपनी स्वर्गवासी पत्नी के लिए भी कभी नहीं खरीदे होंगे। उसकी शादी से पहले उसकी मां का देहांत हो गया, जो काफी पहले से बीमारी से ग्रस्त थी। और उसकी शादी उसके पिता बलदेव ने अपने ही खानदान के एक पहचान के घर में सतीश से कर दी। ऐसा नहीं कि जयश्री को और अच्छे रिश्ते नहीं आ सकते थे, पर बलदेव हमेशा से उसकी बेटी के लिए ऐसा रिश्ता चाहते थे जो उनसे कम घराने वाला हो, जो उनकी बात सुन सके और उनकी बेटी को कोई तकलीफ न दे। पर उसकी कई अपेक्षाएं थीं जो सतीश के बस की बात नहीं थी। जयश्री हमेशा से लोगों से मिलजुल कर रहती आई है। रिश्ते, बिरादरी वालों, सगे संबंधियों से उसकी जान-पहचान थी। उसे लगा कि उसका पति एक बहुत कामयाब और इंटरेस्टिंग होगा, पर उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। इन सबके बावजूद जयश्री को यह नहीं पता था कि उसके पिता कितने बड़े हरामी, कमीने और निर्दयी हैं।

बलदेव 50 साल के हैं।
ये जयश्री के पिता है | एक अधेड़ उम्र के विधुर। वह गांव के बहुत बड़े खानदानों में से एक थे। ये बहुत रंगीन मिजाज के हैं, पर बहुत चतुर भी। इनको अपने फायदे की चीजें जल्दी समझ आती थीं। और इनके पिता जी स्वर्गीय शंकरदास गांव के राजनीतिक पृष्ठभूमि से थे और गांव के मुखिया भी रह चुके थे। बलदेव जमींदार भी थे, किसान भी थे और ठेकेदारी भी लेते थे। एक तरह से देखा जाए तो काफी दबदबा था इनका। इनके दो फार्महाउस हैं, एक गांव में खेत में और दूसरा गांव के पास वाले जंगल में भी। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में ही रहते थे। शहर के रास्ते पर इनके दो गैराज भी हैं। इसके अलावा इनके गाड़ियों का भी शौक था। जब भी मार्केट में नई SUVs आतीं, तो वह उस पर दावा मारते। बहुत सालों से इनकी पहचान रुद्रप्रताप से हुई थी। अब रुद्रप्रताप इनके दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी थे। बलदेव एहसासीय थे। शहर में रुद्रप्रताप के होटल में जाकर डस्ट सिगरेट पेयां भी करते थे। जब भी वह पत्नी से नाराज होते, वह शहर जाकर रुद्रप्रताप को होटल का और औरत का इंतजाम करने को बोलते थे। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में रहते थे। उनका वह फार्महाउस चार एकड़ साइज का था। वह खेत के कोने में बनाया था, जहां से पूरी खेती दिख सके और उसके पीछे जंगल का रास्ता बना हुआ था। बहुत आलीशान बनाया था वह फार्महाउस। आधे एरिया में नीचे चार बड़े-बड़े कमरे बनाए थे, जो कि हॉल, किचन और दो बेडरूम के साथ थे। फार्महाउस के पीछे सेट का एक कमरा बनाया था। वह नौकरों और ड्राइवरों के ठहरने के लिए था और उसके ऊपर एक पानी का बड़ा सा टैंक था। फार्महाउस की हर खिड़की से खेत का नजारा दिखता था। बलदेव बहुत ही बलशाली, ठोस शरीर के धनी थे। गांव में ज्यादा समय बिताने के कारण काम की वजह से उनका कसरती शरीर बना था। आज भी वह किसी सांड़ को टक्कर दे सकते हैं। उनका शरीर मानो फौलाद से बना हो ऐसा था। उनका कद 6 फीट का था, पर वह सांवले थे। आधी उम्र के बाद भी वह रत्तीभर भी कमजोर नहीं दिखते। उम्र के चलते पेट पर थोड़ी चर्बी आई थी, पर फिट भी बहुत थे। उनके सीने पर और शरीर पर कई जगह सफेद बाल थे। उनके सिर के बाल भी तकरीबन सफेद हो चुके थे। उनकी तेज़, तनी हुई बड़ी मूंछें भी थीं और वह भी सफेद मूंछें थीं। सिर के ऊपर के बाल कुछ झड़ गए थे, तो आधे गंजे जैसे थे। उनके गाड़ियों का शौक है, तो वह खुद गैराज में पुरानी गाड़ियों को नए जैसा बनाकर देते थे। बहुत बार वह खुद गैराज में बिना अपने ओहदे का विचार किए काम करते थे। उनकी दो कमजोरियां थीं—एक था पैसा और दूसरा थी अच्छी शराब।

रुद्रप्रताप ४८ साल के थे.
रुद्रप्रताप एक कारोबारी थे छोटे शहर में. उनका लोकल ट्रांसपोर्ट का बहोत बड़ा कारोबार था जो मशहूर भी था. ये पहले से ही रंगीन मिजाज के थे और दिलखोल भी थे. उनके इसी स्वभाव के कारण उनकी बलदेव से अच्छी पार्टनरशिप चली और फिर ये दोस्ती में बदल गयी. पर दिमाग से दोनों कमीने थे. रुद्रप्रताप ने जब बलदेव के सिफारिश पे उसके जमाई सतीश को काम पे रख लिया तभी से रुद्रप्रताप के दिमाग में कुरपति कारनामो ने जन्म लिया. जब बलदेव के यहाँ आते तो अक्सर जयश्री को आशीर्वाद के रूप में उसे कुछ न कुछ गिफ्ट लेके आते थे. तभी से जयश्री को रुद्रप्रताप के लिए अलग फील था.
good start. Dono partner mil kar Jayshree ki lenge .
 

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अपडेट २


(सतीश के घर) सतीश को लगा की जयश्री कही बहार ही बॉस रुद्रप्रताप से अफेयर करेगी और उसके बैडरूम तक मामला नहीं आएगा. जयश्री को ज्वाइन किये अब सिर्फ ३ महीना ही हुआ था. पर थोड़ी बोहोत छोटे शहर की ही सही पर उसकी रौनक ढोनक् ने उसकी उम्मीदे बढ़ा दी थी ऑफिस पार्टी में रात रात भर बॉस के साथ रहना पिकनिक पे जाना. अब वो खुल के जीने का सोच रही थी. रुद्रप्रताप एक जहीन किस्म का बिजनेसमैन था. उसने सतीश को बलदेव के सिफारिश की वजह से जॉब तोह दिलवाई पर एक चाल भी चली, के जयश्री भी घर बैठे क्या करेगी तोह यही उसके साथ काम करे! सतिश ने जब जयश्री का जॉब करने के फैसले को राज़ी हुआ तो उसने ये नहीं सोचा था की बात यहाँ तक पोहोच जाएगी. पर अब सतीश फंस चूका था. न ही वो रुद्रप्रताप का विरोध कर सकता था, न ही चुप बैठ सकता था. रुद्रप्रताप उसे अच्छी सैलरी देता था. रुद्रप्रताप ने जानबूजकर सतीश को दूसरे डिपार्टमेंट में अप्पोइंट किया और जयश्री को अपना रेसेप्टिनिस्ट बना दिया ताकि वो उनके नजदीक रहे. जब भी सतीश उस कंपनी के दोस्तों से गुजरता तोह वह के लोग उसे सामने से भाव तो देते थे पर पीठपीछे उसके ऊपर हसते थे क्यों की अब लगभग वहा के कुछ लोगो को पता चल गया था की रुद्रप्रताप का और जयश्री का चक्कर चल रहा है. पर सतीश मजबूर था. सतीश रुद्रप्रताप से बोहोत चिढ़ता था क्योंकी रुद्रप्रताप उसे काम के बहाने हमेशा जयश्री से दूर रखता था. अब ये आलम है के ३ महीने से जयश्री ने सतीश को हाथ तक नहीं लगाने दिया. अब जयश्री बाहरी दुनिया में खो गई थी. आज अपने ही बिस्तर पर अपनी ही पत्नी को उसके बॉस के साथ एक ही चद्दर में देख रहा था. शुक्र है की जयश्री गौण पहने हुई थी. रुद्रप्रताप बनियान पे था. बिस्तर के पास वाले डस्टबिन में एक कंडोम दिखाई दिया. कल जब कॉल किया था तो जयश्री अपने बॉस साथ पार्टी में ही थी. सतीश ये भी जनता था की जयश्री को उसका उदासीन स्वाभाव पसंद नहीं. वो प्रयास करने की कोशिश भी नहीं करता था. पुरे डेढ़ साल की शादी में उनका प्रेम सम्बन्ध ५-६ बार ही रहे होंगे. कई बार सतीश ने जयश्री से बात करने की कोशिश भी की पर उसे समझा न सका. बात साफ थी अब जयश्री सतीश को भुला चुकी थी. सतीश ने अपना मोबाइल निकला और बिना आवाज किये उसने उन दोनों की पलंग पर सोते हुई फोटो खींची. सतीश बैडरूम के बाहर आ गया. पानी पि लिया और पानी का गिलास बजाय जिस से जयश्री की नींद टूटी और

जयश्री- कौन है वहा
सतीश- में हु
जयश्री बाहर आते हुए बोली
जयश्री- तुम कब आये?
सतीश- अभी आया हु
जयश्री- तुमने बताया नहीं तुम आनेवाले हो

सतीश चुप था. इतना होने के बावजूद जयश्री नहीं डरी और अंदर जाकर रुद्रप्रताप को भी उठाया. दोनों अब हॉल में आ गये.

जयश्री- सुनो! एक काम करो. जरा हमारे लिए २ कप चाय बनाओ.

सतीश चुपचाप चाय बनाने लगा और चाय कर बाहर आया.

रुद्रप्रताप- और फिर कैसे रही कल रात की दौलत एजेन्सी के साथ मीटिंग
सतीश- जी बॉस काफी अच्छी रही उनको १५ ट्रको की जरुरत है ऐसा मुझे लगता है
रुद्रप्रताप- रेंट का बात में तुमको बताता हु
सतीश- जी
जयश्री- सुनिए न बॉस आपने कहा था की इस महीने गोवा ट्रिप पे जायेंगे
रुद्रप्रताप- है बस ये दौलत एजेंसी का काम निपटा लू फिर तुरंत जायेंगे

जयश्री खुश होक चाय पिने लगती है

जयश्री- सुनो वो बॉस का टॉवल ला दो हम नहाएंगे और हाँ पानी गरम करो. और हाँ हमारा नहाना होने तक तुम अपने बैडरूम बेडशीट पिलो वगेरा धोने को डाल दो

सतीश अंदर गया तो बेडशीट कुचली हुई थी. उसने सब कपडे धोने के लिए मशीन में डाल दिए. अब दूसरे बाथरूम से चूमने की आवाजे आने लगी. सतीश को अजीब लगा पर क्या करता बेचारा जबूर जो था

जयश्री और रुद्रप्रताप नहाधोकर बाहर आये
रुद्रप्रताप- जयश्री में निकलता हु तुम जाना ११ बाजे ऑफिस. और हं सतीश वो आज रात को विश्वास राव् के फैक्ट्री में जाना है और उनके बाकि गाड़ियों का ही रिपोर्ट लेना है
सतीश ने मन मसूस लिया क्योंकि उसका आज प्लान दीन भर जयश्री के साथ बिताने का था पर रुद्रप्रताप ने सब गुड़गोबर कर दिया

रुद्रप्रताप चला गया और अब जयश्री अकेले तैयार होने लागि तो सतीश ने उसके पास आया और
सतीश- सुनो मुझे कुछ कहना है, तुम ये बंद कर दो बॉस कितने बुरे है तुमको नहीं पता है
जयश्री- वो तुम और बॉस देख लो आपस में क्या है तुम्हारा मनमुटाव , मुझे मेरी जिंदगी जीने दो, तुम भाड़ में जाओ

जयश्री का आवाज सुनकर सतीश भी डर गया और बहार चला गया.
Jayshri wants to enjoy luxury life with her boss.
 
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अपडेट ३

सतीश बाहार चला गया। अब वो उक्ता गया था। आज उसे आराम भी करना था मगर अब श्याम को क्लाइंट के पास भी जाना है सोच कर ग़ुस्सा हुआ। हाला को रुद्रप्रताप उसका इमीडियेट बॉस नहीं था पर सतीश के काम पे पूरी नज़र रखता था। ऊपर से पत्नी के साथ साथ इज्जत भी खो रहा था। वो किसी भी हल में उसके बॉस को रोकना चाहता था पर अब उस कोई बस की बात नहीं रही ये वो जानता था। अब सतीश को किसी भी हालत में रुद्रप्रताप को बर्ताव से छुटकारा चाहिए था। वो सोच में पड़ गया। तभी उसे एक आशा की किरण दिखाई दी। उसके ससुर श्री बलदेव उसके माथे पे प्रसन्नता आ गयी। वो जानता था की अगर कोई रुद्रप्रताप को कोई रोक सकता है तो वो बस उसके ससुर ही।

वैसे बलदेव सतीश से अच्छा बर्ताव करता था क्यों की सतीश उनको बोहोत बड़ा आदमी मानता था। सतीश ने कभी भी उसके ससुर के साथ ऐसी वैसी बात नहीं की शायद वो उनके पर्सनालिटी से डरता भी था। वैसे बलदेव और रुद्रप्रताप दोनों पावरफुल लोग थे। बिज़नेस और गांव के बड़े खानदान के चलते उनके राजनेता और आसपास के सभी ठेकेदारों से उठना बैठना था।

सतीश ने बलदेव को फ़ोन लगाया पर फिर उसके दिमाग में एक कुरपति आईडिया ने जन्म लिया। उसने फ़ोन काटा। सतीश सोचने लगा की अगर वो जयश्री और रुद्रप्रताप के अफेयर के बारे में बोल भी देता है तो क्या उस से साब प्रॉब्लम ख़त्म होगी? बलदेव अगर रुद्रपताप से बात कर के अफेयर तोड़ भी देते है तोह जयश्री और कही मुँह मारेगी जहा बलदेव का कोई बस न चलेगा और ऊपर से किसी अनजान आदमी से टांका भिड़ा तोह और नई बदनामी झेलनी पड़ेगी । अब उसको उन दोनों का अफेयर तोड़ने के साथ साथ जयश्री की ख़ुशी भी देखनी पड़ेगी वार्ना सब प्लान फ़ैल हो जायेगा। पर अगर वो अफेयर तोड़ भी देता है तोह उसका फायदा उसको क्या?

सतीश अब नौकरी से ऊब चूका था। वो बस अब आराम फरमाना चाहता था। आलसी तो पहले से था ही। उसके दिमाग में एक बहोत भसड़ चल रही थी और उसी में उस ने कुछ ऐसा करने की ठान ली की उसकी जिंदगी टर्न मारे एक ही झटके में सेटल हो जाये। उसने अपने ससुर को फ़ोन लगाया।


सतीश- हेलो ससुर जी ...

बलदेव- बोलो दामाद जी, सुनो फिलहला थोड़ा बिजी हु तूम बाद में कॉल कर सकते हो बहोत जरुरी तोह नहीं है?

सतीश- जी हाँ कोई बात नहीं में बाद में कल करूंगा

बलदेव- ठीक ...


सतीश घर जाता है तो देखता है की जयश्री फिर से सो चुकी है। शायद रात में रुद्रप्रताप ने म्हणत करवाई हो। फिर वो भी खाना खा कर बैडरूम में आया और सोती हुए पत्नी को देखने लगा। उसकी सुन्दरता देख कर सतीश भी सोचने लगा की कही उसने जयश्री के साथ जल्दबाज़ी नहीं की? वो उसको समझना चाहता था की सब फिर से ठीक हो सकता है पर अब जयश्री हाथ से बहार जा चुकी थी ये भी उसको पता है।

बैडरूम में सिगरेट की स्मेल अभी भी आ रही थी जो रातभर रुद्रप्रताप ने पी होगी। जयश्री का जिस्म देखकर उसे मन हुआ। उसने अपनी ३ इंच की नुन्नी बहार निकली और जयश्री की तरफ देखते हुए हिलने लगा। बीएड पर हिलने की आवाज सुन कर जयश्री की नींद टूट गयी।



जयश्री- यो क्या कर रहे हो

सतीश- सुनो न जानू आय ऍम सॉरी मुझे तुम्हारे बॉस के बारे में ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।

जयश्री- चलो इतनी अकल है तुम में। समाज नहीं आता तुमको आज तुम्हारी नौकरी उन की ही दें है अगर वो न होते तो तुम दर दर भटकते, तुमको अत जाता तो कुछ है नहीं चले है मुँह ऊपर उठके उनको कोसने !

सतीश- रानी कुछ करो न बस एक बार हो जाये...

जयश्री- अरे नहीं तुम जाओ मुझे मत सताओ अब मुझे आराम करने दो श्याम को किटी पार्टी में जाना है, छोड़ो

सतीश- बस एक बार जानू मई तुम्हारा पति हूँ और मुझे हक़ है न!



जयश्री ग़ुस्से से देखते हुई

जयश्री- हक़ ! जितनी देर घर में रहते हो टीवी मोबाइल गेम से फुर्सत मिलती है तुम्हे? आधा समय तो गाओं के बहार ही होते हो। अगर पत्नी को खुश करने की औकात नहीं है और चले ए हक़ जताने। चलो फुटो यहाँ से।



सतीश भी अड़ गया

सतीश- आरी कैसी बात कर रही हो हमने पिछले ५ महीने से कुछ नहीं किया कम से कम मुझे ऊपर चढ़ के इसको एक बार घिसने तोह दो

जयश्री हँसते हुए - क्या! तुम घिसने के सिवाय और कर भी क्या सकते हो अंदर तो जाती नहीं तुम्हारी नुन्नी। ऊपर ही घिसती है। परसो रूपनगर की मेरी मौसी पूछ रही थी की डेढ़ साल हुआ शादी को अब तक कुछ नहीं हुआ! तुम्हे पता है क्या होता है यह सुनकर। तुम जैसे पिद्दी नहीं जानते छोड़ो

सतीश- बस एक बार , एक बार हिला दो यार

ऐसा कहते हुए उसने जयश्री का हाथ पकड़ा और अपने मूंगफल्ली के छिलके जितनी नुन्नी की तरफ खींच दिया.

जयश्री- (चिढ़ते हुए) छोड़ो मुझे ! तुम खुद हिलाओ बेशरम । अब अगर परेशां किया न तो में तुम्हारा इस नुन्नी का भन्दा फोड़ कर दूंगी समझे निकम्मे। शुक्र मनाओ की मैंने अब तक किसी को नहीं बताया। अगर में ये मेरे पापा को बता दूँ तोह २ मिनट के अंदर तुम्हारी छुट्टी कर देंगे समझे नल्ला कहीं का



सतीश अब चुप हो गया और पैंट के अंदर अपनी नुन्नी सरका कर चुपचाप सो गया।



श्याम को जयश्री ने सतीश को चाय बनाने को बोला और चाय पी कर ऑफिस चाली गयी। वो वहा से किटी पार्टी में जाने वाली थी।



सतीश भी रेस्टोरेंट में गया और सोचने लगा। इतने में बलदेव का फ़ोन आता है। वो सोच रहा था की वो अपने ससुर से क्या कहेगा ?

की वो कमजोर और निकम्मा है और उनकी बेटी को वो खुश नहीं कर सकता! नहीं नहीं पर अब उसने दोपहर को खुद उनको फ़ोन किया था तो बात तो करनी पड़ेगी । सतीश फ़ोन उठता है



सतीश- हेलो

बलदेव- है दामाद जी कैसे हो कहा हो

सतीश- अरे ससुर जी में ठीक हूँ आप कैसे है

बलदेव- क्या हुआ क्यों फ़ोन किया था , सब ठीक तोह है? जयश्री कहा है? तुमने उसको कुछ तकलीफ तोह नहीं दी ?

सतीश- नहीं नहीं ससुर जी ऐसी कोई बात नहीं है (संकोच में बोला)

बलदेव- ह... बोलो क्या काम था

सतीश- ससुर जी क्या में आप से मिल सकता हूँ आज या कल

बलदेव- ले ये भी कोई पूछने की बात है, आजाओ। आज भी आ सकते हो लेट नाईट

सतीश- जी में एक क्लिनेट का काम निपटा के आ जाऊंगा

बलदेव- ठीक है (फ़ोन रख दिया)



सतीश ने अपनी पुराणी खटारा सूज़ाकि मिनी कार निकली और चल पड़। सतीश का ससुराल २० किमी पे ही था । उसने क्लाइंट से बात कर के देर रात ससुराल पोहोंच गया।
Kya pak raha hai Satish ke dimaag me.
 
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अपडेट ५

(बलदेव के गाओं में)
दूसरे दिन सतीश निकल गया पर बलदेव के दिमाग में दिन भर वही बात घूम रही थी. श्याम को वो गेराज से घर लौटा और सत्ता मरते चाट के झूले पे फिर से फोटोज देखने लगा अब वो सभी फोटोज देखने लगा. उनके रिश्तेदार के फंक्शन्स के और कई जगह के समारोह के फोटोज जिस में जयश्री भी है. अब जितनी देर वो जयश्री के फोटो देखता गया उतना ही उसका मन अधीर होने लगा. उसको अपने आप पर आश्चर्य हुआ की आज तक उसने कभी जयश्री की तरफ गौर नहीं किया. उसकी पत्नी के साथ इतना विशेष जीवन नहीं रहा. काफी धार्मिक होने के कारन वो अपने आप में ही लिप्त थी. ३ साल पहल उसकी बीवी यानि जयश्री की माँ का देहांत हुआ तब से बलदेव संध की जिंदगी जी रहा था. बलदेव ने जयश्री को अपने पत्नी के साथ फर्क करना चाहा. जयश्री उसकी माँ से १० गुना खूबसूरत थी. जयश्री दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की न सही पर वो बहुत आकर्षण चेहरा की मालकिन थी और उसके नाजुक कोमल कद काठी के बदन को उसकी खूबसूरती चार चाँद लगा देती थी. बलदेव ने जो भी देखा वो उसकी पत्नी और मोटी भैस जैसी शरीर की मालकिन थी उसकी बीवी. आधी उम्र काटने के बाद उन दोनों में कुछ भी विशष बाकि न था. जब अपनी स्वर्गवासी पत्नी के सामने उसने जयश्री को रखा तोह पाया की उसकी बेटी ज्यादा जवान भी नहीं थी और ज्यादा कमसीन भी नहीं. वो एक लड़की टाइप की थी जिसे अब तक ठीक से किसी ने नहीं लाभ उठाया. उसको जयश्री अभी भी कोरी और करारी लगने लगी. वैसे अगर किसी को भी पूछा जाये तोह कोई नहीं कह सकता था की जयश्री की शादी हुई होगी. उम्र कट गयी पर बलदेव को पता न चला की उसकी बेटी कब कली से फूल बन गयी. पर दिखती तो अभी भी कली जैसी ही. अपने शरीर की ताकत और ढांचा देख कर कभी कभी उसे खुद आश्चर्य होता की क्या जयश्री सच में उसकी बेटी है क्यों की बलदेव बोहोत ताकतवर सांढ़ जैसा और जयश्री किसी तितली जैसी सुन्दर मोहक और हलकी थी. हलाकि जयश्री का अंग कोई हड्डी हड्डी नहीं था. पर कोमल लगती थी. बलदेव का शरीर जयश्री से कम से कम ३ गुना बड़ा दीखता था. आज फोटो में जयश्री पे गौर करने बाद उसे प्रतीति हुआ की वो तोह उसकी ही प्रतिमा है. जयश्री का नाक नक्श हूबहू बलदेव से मिलता था. देखते ही कोई भी बोलदे की ये उसी की बेटी है. पर उसकी कुछ सुंदरता का विशेषन अपनी माँ से ही मिला है. फोटो देखते उसका मन हुआ की वो जयश्री को कॉल करे. उसने जयश्री को फ़ोन लगाया पर सामने से कोई जवाब नहीं आया. उसने फिर से फ़ोन लगाया पर इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया. अब वो सोच में पड़ गया. अभी तोह बस ९ बजे थे और जयश्री इतनी जल्दी सोती नहीं ये उसको पता है. उसने कुछ सोचा और फिर सतीश को फ़ोन लगाया. सतीश ने फ़ोन उठाया.

बलदेव- सतीश सुनो क्या क्र रहे हो?
सतीश- ससुर जी में यहाँ खामगाव में आया था एक ठेकेदार से मिलने काम के सिलसिले में. क्या हुआ कुछ काम था क्या?
बलदेव- नहीं बॉस, जयश्री को फ़ोन किया था पर वो फ़ोन नहीं उठा रही है. तुमको पता है वो कहाँ है? घर पर है क्या?
सतीश- ससुर जी आज भी उनका गाओं में बहार एक कैंप फायर है उनके ऑफिस वालो का तोह वही गयी होगी. आज रात वही टेंट में जंगल में नदी किनारे गुजरने वाले थे.
बलदेव- ठीक है रखता हूँ

बोल कर बलदेव ने फ़ोन जोर से काटा. सतीश सोचने लगा की ससुर जी रुद्रप्रताप की क्लास लेने के बजाय जयश्री से क्यों बात कर रहे है? कुछ समझ नहीं आया उसे और वो काम में लग गया.

इधर बलदेव सोच में पड़ गया अब उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी. इतने दिन जयश्री और सतीश के निजी जिंदगी में दखल न देने का खामयाजा अब वो भुगत रहा था. आज उसकी सगी बेटी कही भी किसी की साथ घूम रही है और उसको कोई रोक टोक नहीं है. जब वो सोचने लगा की ऑफिस की लोगों की साथ पार्टी करना कोई बाड़ी बात नहीं पर उस रुद्रप्रताप ने बड़ी मछली फ़साने से पहले उसके बारे में एक बार भी सोचा नहीं. उसने जो मछली फंसी है कोई और नहीं उसकी सगी बेटी है. रुद्रप्रताप का ऐसा बर्ताव उसे कतई मंजूर न था. वो जनता था की जयश्री पे लगाम लगाना सतीश के बस की बात थी ही नहीं ये वो जनता था पर वो कैसे इस सब की तरफ अनजान बना रहा और काण्ड हो गया. उसने सोचते सोचते २ कश मार की नहाने चला गया आज वो दिन भर गेराज में था.

(सतीश की तरफ)
सतीश अब और नहीं रुकना चाहता था. सतीश चाहता था की बलदेव का खून खुले और वो रुद्रप्रताप का कुछ बंदोबस्त करे. वो चाहता था की वो जिस गुलामी से गुजर रहा था उसकी तकलीफ कम हो पर अब वो आगे की सोच रहा था वो अब बीएस कुछ भी कर की इस म्याटर को ख़त्म करना चाहता था और इस में वो खुद का फायदा भी देखने लगा. उसको पता था की जयश्री अब हाथ नहीं आनेवाली तो वो सोच रहा था की वो अपने जिंदगी की लिए कुछ उपाय करे. वो अब थोड़ा परेशां हो गया था. दो दिन से बलदेव से कोई जवाब न आया तोह उसने बलदेव से फ़ोन मिलाया.

सतीश- ससुर जी नमस्कार
बलदेव उस वक़्त खेत के मजदूरों को पौधों से गन्दगी साफ़ कराने का काम क्र रहा था.
बलदेव- हाँ बोल सतीश...

दामाद जी की जगह नाम से याने सतीश ऐसे बुलाने से वो जान लिया की बलदेव भी उस पर नाराज था क्यों की सतीश ने उसे यह बात लेट बता कर गलती की थी.

सतीश- ससुर जी मई जानना चाहता था कुछ हुआ क्या? आपने बात की रुद्रप्रताप से कुछ?
बलदेव- नहीं
सतीश- नहीं! पर ससुर जी अब दिन बा दिन कांड बढ़ता जा रहा है कुछ करो वरना...
बलदेव- वरना क्या ?
सतीश- देखो ससुर जी आप मेरी मदत करो प्लीज, या तो आप मौज़े जयश्री से डाइवोर्स दिला दे या फिर रुद्रप्रताप को समझा दो या फिर तीसरा रास्ता है मेरे पास
बलदेव- क्या?
सतीश- आप मुझे इस मामले में अपने आंख और कान बंद रखने के लिए आपकी थोड़ी जायदाद दे दो


बलदेव भी अब अपने उफान पर था

बलदेव- नहीं दूंगा तोह क्या कर लोगे
सतीश- ससुर जी आप नाराज़ मत होईए पर आप मेरी भी बात समझो आप की भी बाहर बदनामी हो रही है...
बलदेव- मई तुमसे बाद में बात करता हूँ

बलदेव ने ग़ुस्से में फ़ोन काट दिया और घर जा कर दोपहर में सो गया. नींद होने के बाद अब उसका दिमाग चलने लगा. श्याम के ६ बजे थे. उसने सीधा रुद्रप्रताप को कॉल किया ...

रुद्रप्रताप- क्या बात है बलदेव कैसे याद किया हमे! क्या हाल है!
बलदेव- सुन रूद्र मुझे तुज़से मिलना है अभी के अभी

बलदेव रूद्रप्रताप को रूद्र कह कर ही बुलाता था क्यों की रुद्राप्रताप उम्र में भी बलदेव से छोटा था.
रुद्रप्रताप डर गया. क्यों की वो जनता था की कुछ गड़बड़ है. क्यों की अभी तक इस तरह से अचानक मिलने का कोई वाकिया नहीं हुआ था. उसने सोचा की शायद कोई बिज़नेस इमरजेंसी आयी होगी तोह मिलना चाहता है.

रुद्रप्रताप- बोल बलदेव क्या बात है! यही बता दो न!
बलदेव- नहीं रूद्र, यहाँ नहीं
रुद्रप्रताप- फिर कहा
बलदेव- सुन आज रात को ९ बजे खेड़ा नाका के ढाबे पे आ जाना

आज बलदेव ने तय किया था की इस बात का हिसाब आज सेटल कर देगा. बलदेव चाट वाले हॉल में गया और अपनी शराब वाली अलमारी का एक सेक्रेट लॉक खोला और एक ड्रावर से उसने सबसे जबरदस्त काम माननेवाली चीज़ निकली. अंदर से उसने कोबो७०७ रिवाल्वर निकाली जो वो सिर्फ कभी कभी साथ रखता था. गाओं के प्रतिष्ठित व्यक्ति होने के साथ साथ कभी कभी मजदूर नोकरो से खतरा न हो इसलिए रखता था जो उसके पास परमिट था.

उसने आज बड़ीवाली जीन्स डाली ऊपर से बड़ा सफ़ेद शर्ट डाल के जीन्स के अंदर साइड में रिवाल्वर लगा के मुछो पे ताव मारता हुआ अपनी टयोंठा एसयूवी निकाली और सीधा ढाबे पे रुख किया.
super update. Baldev apne asli rup me aa gaya hai.
 
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