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Incest कन्याधन

DeewanaHuaPagal

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Mazedaar update bhai please story main pics or gif bhi add karo
Thanks dost for appreciation of the story.
Sorry yar pr muze pata nahi kaise pcs add karte hai. Konse add karne hote hai. Kya valid hai kya nahi, kuch pata nahi.
Es digital platform ka kaccha khiladi hun.
 

DeewanaHuaPagal

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अपडेट ९

(सतीश के घर)
दोपहर को जयश्री बाजार से वापस आई थी. उसने खाना बनाया और फिर मोबाइल देखते देखते सो गईं.

(बलदेव के जंगलवाले फार्महाउस पे)
बलदेव नाहा कर खाना खा कर छतवाले हॉल में सोने जा रहा था. उसने शहर के मशहूर ज्वेलरी शॉप में फ़ोन लगाया कर दुकान की सबसे बेशकीमती सोने एनरिचेड डिज़ाइन के कंगन का सैंपल फोटोज व्हाट्सप्प करने को कहा. दुकानदार ने उसे १० मिनिट में सब डिज़ाइन के फोटोज दी दिए. उसमे से एक डिज़ाइन बलदेव ने सेलेक्ट किया और दुकानदार को बता दिया.

दुकानदार- सर ये बोहोत मेहेंगा है आप ...
बलदेव- तुमको पता है मै कोण बोल रहा हूँ!
दुकानदार- जी नहीं
बलदेव- में चकाचक गेराज का मालिक हु बलदेव
दुकानदार- ओह्ह सॉरी सर माफ़ कीजिये. गलती हो गईं . आप जो बोलोगे वो पैक हो जायेगा. वैसे आपकी डिज़ाइन की चॉइस लाजवाब है सर.

बलदेव खुश होता है.

दुकानदार- वैसे सर आपके पत्नी की कलाई की साइज क्या है बताएँगे?

अब बलदेव सख्ते में आ गया. उसको न ही इस बारे में कुछ पता न ही उसने कभी उसने ऐसी बातो में ध्यान दिया था.

बलदेव- अ... सुनो वहा मेरा एक नौकर आएगा उसको में नाप बोल दूंगा आप अलग अलग साइज के रेडी रखना. और हाँ पेमेंट भी वो ही देख लेगा.
दुकानदार- जी कोई बात नहीं सर, आप जैसा कहे. सर टैक्स ब्याक्स मिलके तक़रीबन २ लाख २० हजार तक पड़ेगा सर. कर दू बुक?
बलदेव- जी
दुकानदार- सर बिल किस के नाम पे बना दूँ सर?
बलदेव- मेरे नाम पे. (बलदेव ने अपना नाम बता दिया) और हं मेरी एक रिक्वेस्ट है.
दुकानदार- जी सर हुकुम कीजिये
बलदेव- वो कंगन पे कुछ मार्क या अपना नाम डाल सकते है?
दुकानदार- जी सर, हो जायेगा बताये क्या डालना है.
बलदेव- जी क्या आप उसमे कही अंग्रेजी का 'बी' लेटर डाल सकते है?
दुकानदार- वह सर क्या बात है सर, आपकी बीवी खुश नसीब है. उसको वो लेटर आपकी याद दिलाती रहेगी. निश्चिन्त रहिये मै करवा लूंगा वो काम.
दुकानदार- सर बस आपके २ मिनट चाहिए अब तोह आप हमारे परमानेंट ग्राहक बनेंगे न सर, आपके इस खरेदी पर हमारा ऑफर चल रहा है सर, एक लकी ड्रा है सर, गोवा ट्रिप का पैकेज गिफ्ट है सर. अगर लाटरी लग गईं तो आप 5 महीने के अंदर कभी भी गोवा जा सकते है एक हफ्ते का टूर अर्रंगे करा देगा हमारा ब्रांड. तो उसके लिए भी नाम दाल दूँ आपका.
बलदेव- जी हाँ वो सब तुम देख लो, मुझे पता नहीं उसका कुछ.
दुकानदार- बोहोत बढ़िया सर, हो जायेगा. आप आपके नौकर को भेज दीजिये. खरीददारी होने के बाद आपको मैसेज भी आएगा. बोहोत बोहोत धन्यवाद् सर आपका दिन शुभ रहे.
फ़ोन कटता है.

(शहर के बाजार में कही)
सतीश वापस शहर लौटा अपने दोस्तो से मिला. उसने दोस्तो को जानबूझ कर बता दिया की जयश्री ने जॉब छोड़ दी है. ताकि अब आगे वो बदनामी से बच पाए. इतने में बलदेव का फ़ोन आता है.

बलदेव- दामाद जी एक काम है.
सतीश- हेलो हं ससुर जी ...
बलदेव- सुनो, घर जाओ और जयश्री का एकाद कंगन साथ में लो और सगुणा ज्वेल्लरी में जाओ और मैंने एक आर्डर दिया है वो लेके आओ और जयश्री को गिफ्ट करो अभी के अभी. और सुनो गिफ्ट पे मेरा नाम डेकोरेट करना पर पूरा नहीं. सिर्फ 'फ्रॉम बी , तुम्हारे पापा' ऐसे. मै तूमको पैसे भेज रहा हूँ ३ लाख. ठीक है. और गिफ्ट दिए बगैर कही नहीं जाना. पहले ये काम करो. और कुछ हो तोह फ़ोन करना.

सतीश ने फ़ोन रख दिया. उसका दिमाग सुन्न हो गया. उसको अपनी औकात समझ आयी. आज एक बाप अपनी एकलौती बेटी को महंगे से महंगे गिफ्ट दे रहा है पर वो अपनी पत्नी को एक गिफ्ट नहीं दे सकता. पर वो खुश था की उसकी आज़ादी मिली.

वो तुरंत ज्वेलरी शॉप गया और तो देखा उसके ससुर जी ने उसकी पत्नी के लिए बोहोत ही खूबसूरत कंगन बुक किये थे, बोहोत शानदार कंगन लिए थे. वो दुकानदार सतीश को नौकर समझ रहा था.
दुकानदार- अरे सुनो, तुम कंगन का साइज लाये हो?
सतीश- जी हाँ ये लो.

दुकानदार- वैसे कपडे तोह अच्छे दिए है मालिक ने तुम्हे. काफी दिलदार लगता है मालिक तुम्हारा.
सतीश- (चिढ गया) तुम अपना काम करो सेठ.

उसको अजीब लगा की अब आगे से ऐसा अपमान उसको सुन्ना पड़ेगा पर वो खुश था की वो रुद्रप्रताप के चंगुल से छूट गया और अब एक जायदाद का मालिक भी. दुकानदार ने उसी साइज का आइटम निकल कर सुनार के पास भिजवा दिए.

दुकानदार- तुम बैठो, १५ मं में आपको कंगन मिल जायेंगे. तब तक चाय पानी ले लो.

कुछ देर बाद दुकानदार ने पूछा इसको पैक करू.

सतीश ने मना किया और डिब्बा ले कर खुद एक जनरल शॉप में चला गया. वह उसने गिफ्ट पैक करवाया और अंदर उसका बनाया हुआ एक लव साइन का एक ग्रीटिंग कार्ड भी डाला उस पर लिखा था -
'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, विथ लव फ्रॉम पापा'

उसने गाड़ी का गियर डाल और घर गया.

(सतीश के घर)
जयश्री सोयी हुए थी. उसे आज अपने सहेलियों के पास जाना था श्याम को. उसने जयश्री के ड्रेसिंग टेबल पे सामने वो गिफ्ट रख दिया. उसको मूवी जाना था तो जल्दी वैसे ही चला गया. और बाद में खाना खाके उसे रुद्रप्रताप के बताये होटल पे भी जाना था रात को. कुछ देर बाद जयश्री उठी और नहाकर चेंज करने कमरे में गईं. सामने ड्रेसिंग टेबल पे गिफ्ट देख कर वो हैरान हो गईं. ये गिफ्ट किसने दिया था पता नहीं. अब उसको पता है की यहाँ इस वक़्त सिर्फ सतीश ही आ सकता है. उसको यह सोच कर अजीब लगा के सतीश गिफ्ट देके चला गया. वो बोहोत खुश हो गईं. वो आज सबको दिखाना चाहती थी की उसके पति ने उसके लिए पहेली बार कुछ लाया है. तो उसने तय किया की वो गिफ्ट अब किटी पार्टी में ही खोलेगी.
 

Motaland2468

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(सतीश के घर)
दोपहर को जयश्री बाजार से वापस आई थी. उसने खाना बनाया और फिर मोबाइल देखते देखते सो गईं.

(बलदेव के जंगलवाले फार्महाउस पे)
बलदेव नाहा कर खाना खा कर छतवाले हॉल में सोने जा रहा था. उसने शहर के मशहूर ज्वेलरी शॉप में फ़ोन लगाया कर दुकान की सबसे बेशकीमती सोने एनरिचेड डिज़ाइन के कंगन का सैंपल फोटोज व्हाट्सप्प करने को कहा. दुकानदार ने उसे १० मिनिट में सब डिज़ाइन के फोटोज दी दिए. उसमे से एक डिज़ाइन बलदेव ने सेलेक्ट किया और दुकानदार को बता दिया.

दुकानदार- सर ये बोहोत मेहेंगा है आप ...
बलदेव- तुमको पता है मै कोण बोल रहा हूँ!
दुकानदार- जी नहीं
बलदेव- में चकाचक गेराज का मालिक हु बलदेव
दुकानदार- ओह्ह सॉरी सर माफ़ कीजिये. गलती हो गईं . आप जो बोलोगे वो पैक हो जायेगा. वैसे आपकी डिज़ाइन की चॉइस लाजवाब है सर.

बलदेव खुश होता है.

दुकानदार- वैसे सर आपके पत्नी की कलाई की साइज क्या है बताएँगे?

अब बलदेव सख्ते में आ गया. उसको न ही इस बारे में कुछ पता न ही उसने कभी उसने ऐसी बातो में ध्यान दिया था.

बलदेव- अ... सुनो वहा मेरा एक नौकर आएगा उसको में नाप बोल दूंगा आप अलग अलग साइज के रेडी रखना. और हाँ पेमेंट भी वो ही देख लेगा.
दुकानदार- जी कोई बात नहीं सर, आप जैसा कहे. सर टैक्स ब्याक्स मिलके तक़रीबन २ लाख २० हजार तक पड़ेगा सर. कर दू बुक?
बलदेव- जी
दुकानदार- सर बिल किस के नाम पे बना दूँ सर?
बलदेव- मेरे नाम पे. (बलदेव ने अपना नाम बता दिया) और हं मेरी एक रिक्वेस्ट है.
दुकानदार- जी सर हुकुम कीजिये
बलदेव- वो कंगन पे कुछ मार्क या अपना नाम डाल सकते है?
दुकानदार- जी सर, हो जायेगा बताये क्या डालना है.
बलदेव- जी क्या आप उसमे कही अंग्रेजी का 'बी' लेटर डाल सकते है?
दुकानदार- वह सर क्या बात है सर, आपकी बीवी खुश नसीब है. उसको वो लेटर आपकी याद दिलाती रहेगी. निश्चिन्त रहिये मै करवा लूंगा वो काम.
दुकानदार- सर बस आपके २ मिनट चाहिए अब तोह आप हमारे परमानेंट ग्राहक बनेंगे न सर, आपके इस खरेदी पर हमारा ऑफर चल रहा है सर, एक लकी ड्रा है सर, गोवा ट्रिप का पैकेज गिफ्ट है सर. अगर लाटरी लग गईं तो आप 5 महीने के अंदर कभी भी गोवा जा सकते है एक हफ्ते का टूर अर्रंगे करा देगा हमारा ब्रांड. तो उसके लिए भी नाम दाल दूँ आपका.
बलदेव- जी हाँ वो सब तुम देख लो, मुझे पता नहीं उसका कुछ.
दुकानदार- बोहोत बढ़िया सर, हो जायेगा. आप आपके नौकर को भेज दीजिये. खरीददारी होने के बाद आपको मैसेज भी आएगा. बोहोत बोहोत धन्यवाद् सर आपका दिन शुभ रहे.
फ़ोन कटता है.

(शहर के बाजार में कही)
सतीश वापस शहर लौटा अपने दोस्तो से मिला. उसने दोस्तो को जानबूझ कर बता दिया की जयश्री ने जॉब छोड़ दी है. ताकि अब आगे वो बदनामी से बच पाए. इतने में बलदेव का फ़ोन आता है.

बलदेव- दामाद जी एक काम है.
सतीश- हेलो हं ससुर जी ...
बलदेव- सुनो, घर जाओ और जयश्री का एकाद कंगन साथ में लो और सगुणा ज्वेल्लरी में जाओ और मैंने एक आर्डर दिया है वो लेके आओ और जयश्री को गिफ्ट करो अभी के अभी. और सुनो गिफ्ट पे मेरा नाम डेकोरेट करना पर पूरा नहीं. सिर्फ 'फ्रॉम बी , तुम्हारे पापा' ऐसे. मै तूमको पैसे भेज रहा हूँ ३ लाख. ठीक है. और गिफ्ट दिए बगैर कही नहीं जाना. पहले ये काम करो. और कुछ हो तोह फ़ोन करना.

सतीश ने फ़ोन रख दिया. उसका दिमाग सुन्न हो गया. उसको अपनी औकात समझ आयी. आज एक बाप अपनी एकलौती बेटी को महंगे से महंगे गिफ्ट दे रहा है पर वो अपनी पत्नी को एक गिफ्ट नहीं दे सकता. पर वो खुश था की उसकी आज़ादी मिली.

वो तुरंत ज्वेलरी शॉप गया और तो देखा उसके ससुर जी ने उसकी पत्नी के लिए बोहोत ही खूबसूरत कंगन बुक किये थे, बोहोत शानदार कंगन लिए थे. वो दुकानदार सतीश को नौकर समझ रहा था.
दुकानदार- अरे सुनो, तुम कंगन का साइज लाये हो?
सतीश- जी हाँ ये लो.

दुकानदार- वैसे कपडे तोह अच्छे दिए है मालिक ने तुम्हे. काफी दिलदार लगता है मालिक तुम्हारा.
सतीश- (चिढ गया) तुम अपना काम करो सेठ.

उसको अजीब लगा की अब आगे से ऐसा अपमान उसको सुन्ना पड़ेगा पर वो खुश था की वो रुद्रप्रताप के चंगुल से छूट गया और अब एक जायदाद का मालिक भी. दुकानदार ने उसी साइज का आइटम निकल कर सुनार के पास भिजवा दिए.

दुकानदार- तुम बैठो, १५ मं में आपको कंगन मिल जायेंगे. तब तक चाय पानी ले लो.

कुछ देर बाद दुकानदार ने पूछा इसको पैक करू.

सतीश ने मना किया और डिब्बा ले कर खुद एक जनरल शॉप में चला गया. वह उसने गिफ्ट पैक करवाया और अंदर उसका बनाया हुआ एक लव साइन का एक ग्रीटिंग कार्ड भी डाला उस पर लिखा था -
'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, विथ लव फ्रॉम पापा'

उसने गाड़ी का गियर डाल और घर गया.

(सतीश के घर)
जयश्री सोयी हुए थी. उसे आज अपने सहेलियों के पास जाना था श्याम को. उसने जयश्री के ड्रेसिंग टेबल पे सामने वो गिफ्ट रख दिया. उसको मूवी जाना था तो जल्दी वैसे ही चला गया. और बाद में खाना खाके उसे रुद्रप्रताप के बताये होटल पे भी जाना था रात को. कुछ देर बाद जयश्री उठी और नहाकर चेंज करने कमरे में गईं. सामने ड्रेसिंग टेबल पे गिफ्ट देख कर वो हैरान हो गईं. ये गिफ्ट किसने दिया था पता नहीं. अब उसको पता है की यहाँ इस वक़्त सिर्फ सतीश ही आ सकता है. उसको यह सोच कर अजीब लगा के सतीश गिफ्ट देके चला गया. वो बोहोत खुश हो गईं. वो आज सबको दिखाना चाहती थी की उसके पति ने उसके लिए पहेली बार कुछ लाया है. तो उसने तय किया की वो गिफ्ट अब किटी पार्टी में ही खोलेगी.
Mast update bhai story sahi speed main aage bad rahi hai
 
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Try and fail. But never give up trying
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(सतीश के घर)
दोपहर को जयश्री बाजार से वापस आई थी. उसने खाना बनाया और फिर मोबाइल देखते देखते सो गईं.

(बलदेव के जंगलवाले फार्महाउस पे)
बलदेव नाहा कर खाना खा कर छतवाले हॉल में सोने जा रहा था. उसने शहर के मशहूर ज्वेलरी शॉप में फ़ोन लगाया कर दुकान की सबसे बेशकीमती सोने एनरिचेड डिज़ाइन के कंगन का सैंपल फोटोज व्हाट्सप्प करने को कहा. दुकानदार ने उसे १० मिनिट में सब डिज़ाइन के फोटोज दी दिए. उसमे से एक डिज़ाइन बलदेव ने सेलेक्ट किया और दुकानदार को बता दिया.

दुकानदार- सर ये बोहोत मेहेंगा है आप ...
बलदेव- तुमको पता है मै कोण बोल रहा हूँ!
दुकानदार- जी नहीं
बलदेव- में चकाचक गेराज का मालिक हु बलदेव
दुकानदार- ओह्ह सॉरी सर माफ़ कीजिये. गलती हो गईं . आप जो बोलोगे वो पैक हो जायेगा. वैसे आपकी डिज़ाइन की चॉइस लाजवाब है सर.

बलदेव खुश होता है.

दुकानदार- वैसे सर आपके पत्नी की कलाई की साइज क्या है बताएँगे?

अब बलदेव सख्ते में आ गया. उसको न ही इस बारे में कुछ पता न ही उसने कभी उसने ऐसी बातो में ध्यान दिया था.

बलदेव- अ... सुनो वहा मेरा एक नौकर आएगा उसको में नाप बोल दूंगा आप अलग अलग साइज के रेडी रखना. और हाँ पेमेंट भी वो ही देख लेगा.
दुकानदार- जी कोई बात नहीं सर, आप जैसा कहे. सर टैक्स ब्याक्स मिलके तक़रीबन २ लाख २० हजार तक पड़ेगा सर. कर दू बुक?
बलदेव- जी
दुकानदार- सर बिल किस के नाम पे बना दूँ सर?
बलदेव- मेरे नाम पे. (बलदेव ने अपना नाम बता दिया) और हं मेरी एक रिक्वेस्ट है.
दुकानदार- जी सर हुकुम कीजिये
बलदेव- वो कंगन पे कुछ मार्क या अपना नाम डाल सकते है?
दुकानदार- जी सर, हो जायेगा बताये क्या डालना है.
बलदेव- जी क्या आप उसमे कही अंग्रेजी का 'बी' लेटर डाल सकते है?
दुकानदार- वह सर क्या बात है सर, आपकी बीवी खुश नसीब है. उसको वो लेटर आपकी याद दिलाती रहेगी. निश्चिन्त रहिये मै करवा लूंगा वो काम.
दुकानदार- सर बस आपके २ मिनट चाहिए अब तोह आप हमारे परमानेंट ग्राहक बनेंगे न सर, आपके इस खरेदी पर हमारा ऑफर चल रहा है सर, एक लकी ड्रा है सर, गोवा ट्रिप का पैकेज गिफ्ट है सर. अगर लाटरी लग गईं तो आप 5 महीने के अंदर कभी भी गोवा जा सकते है एक हफ्ते का टूर अर्रंगे करा देगा हमारा ब्रांड. तो उसके लिए भी नाम दाल दूँ आपका.
बलदेव- जी हाँ वो सब तुम देख लो, मुझे पता नहीं उसका कुछ.
दुकानदार- बोहोत बढ़िया सर, हो जायेगा. आप आपके नौकर को भेज दीजिये. खरीददारी होने के बाद आपको मैसेज भी आएगा. बोहोत बोहोत धन्यवाद् सर आपका दिन शुभ रहे.
फ़ोन कटता है.

(शहर के बाजार में कही)
सतीश वापस शहर लौटा अपने दोस्तो से मिला. उसने दोस्तो को जानबूझ कर बता दिया की जयश्री ने जॉब छोड़ दी है. ताकि अब आगे वो बदनामी से बच पाए. इतने में बलदेव का फ़ोन आता है.

बलदेव- दामाद जी एक काम है.
सतीश- हेलो हं ससुर जी ...
बलदेव- सुनो, घर जाओ और जयश्री का एकाद कंगन साथ में लो और सगुणा ज्वेल्लरी में जाओ और मैंने एक आर्डर दिया है वो लेके आओ और जयश्री को गिफ्ट करो अभी के अभी. और सुनो गिफ्ट पे मेरा नाम डेकोरेट करना पर पूरा नहीं. सिर्फ 'फ्रॉम बी , तुम्हारे पापा' ऐसे. मै तूमको पैसे भेज रहा हूँ ३ लाख. ठीक है. और गिफ्ट दिए बगैर कही नहीं जाना. पहले ये काम करो. और कुछ हो तोह फ़ोन करना.

सतीश ने फ़ोन रख दिया. उसका दिमाग सुन्न हो गया. उसको अपनी औकात समझ आयी. आज एक बाप अपनी एकलौती बेटी को महंगे से महंगे गिफ्ट दे रहा है पर वो अपनी पत्नी को एक गिफ्ट नहीं दे सकता. पर वो खुश था की उसकी आज़ादी मिली.

वो तुरंत ज्वेलरी शॉप गया और तो देखा उसके ससुर जी ने उसकी पत्नी के लिए बोहोत ही खूबसूरत कंगन बुक किये थे, बोहोत शानदार कंगन लिए थे. वो दुकानदार सतीश को नौकर समझ रहा था.
दुकानदार- अरे सुनो, तुम कंगन का साइज लाये हो?
सतीश- जी हाँ ये लो.

दुकानदार- वैसे कपडे तोह अच्छे दिए है मालिक ने तुम्हे. काफी दिलदार लगता है मालिक तुम्हारा.
सतीश- (चिढ गया) तुम अपना काम करो सेठ.

उसको अजीब लगा की अब आगे से ऐसा अपमान उसको सुन्ना पड़ेगा पर वो खुश था की वो रुद्रप्रताप के चंगुल से छूट गया और अब एक जायदाद का मालिक भी. दुकानदार ने उसी साइज का आइटम निकल कर सुनार के पास भिजवा दिए.

दुकानदार- तुम बैठो, १५ मं में आपको कंगन मिल जायेंगे. तब तक चाय पानी ले लो.

कुछ देर बाद दुकानदार ने पूछा इसको पैक करू.

सतीश ने मना किया और डिब्बा ले कर खुद एक जनरल शॉप में चला गया. वह उसने गिफ्ट पैक करवाया और अंदर उसका बनाया हुआ एक लव साइन का एक ग्रीटिंग कार्ड भी डाला उस पर लिखा था -
'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, विथ लव फ्रॉम पापा'

उसने गाड़ी का गियर डाल और घर गया.

(सतीश के घर)
जयश्री सोयी हुए थी. उसे आज अपने सहेलियों के पास जाना था श्याम को. उसने जयश्री के ड्रेसिंग टेबल पे सामने वो गिफ्ट रख दिया. उसको मूवी जाना था तो जल्दी वैसे ही चला गया. और बाद में खाना खाके उसे रुद्रप्रताप के बताये होटल पे भी जाना था रात को. कुछ देर बाद जयश्री उठी और नहाकर चेंज करने कमरे में गईं. सामने ड्रेसिंग टेबल पे गिफ्ट देख कर वो हैरान हो गईं. ये गिफ्ट किसने दिया था पता नहीं. अब उसको पता है की यहाँ इस वक़्त सिर्फ सतीश ही आ सकता है. उसको यह सोच कर अजीब लगा के सतीश गिफ्ट देके चला गया. वो बोहोत खुश हो गईं. वो आज सबको दिखाना चाहती थी की उसके पति ने उसके लिए पहेली बार कुछ लाया है. तो उसने तय किया की वो गिफ्ट अब किटी पार्टी में ही खोलेगी.
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दोपहर को जयश्री बाजार से वापस आई थी. उसने खाना बनाया और फिर मोबाइल देखते देखते सो गईं.

(बलदेव के जंगलवाले फार्महाउस पे)
बलदेव नाहा कर खाना खा कर छतवाले हॉल में सोने जा रहा था. उसने शहर के मशहूर ज्वेलरी शॉप में फ़ोन लगाया कर दुकान की सबसे बेशकीमती सोने एनरिचेड डिज़ाइन के कंगन का सैंपल फोटोज व्हाट्सप्प करने को कहा. दुकानदार ने उसे १० मिनिट में सब डिज़ाइन के फोटोज दी दिए. उसमे से एक डिज़ाइन बलदेव ने सेलेक्ट किया और दुकानदार को बता दिया.

दुकानदार- सर ये बोहोत मेहेंगा है आप ...
बलदेव- तुमको पता है मै कोण बोल रहा हूँ!
दुकानदार- जी नहीं
बलदेव- में चकाचक गेराज का मालिक हु बलदेव
दुकानदार- ओह्ह सॉरी सर माफ़ कीजिये. गलती हो गईं . आप जो बोलोगे वो पैक हो जायेगा. वैसे आपकी डिज़ाइन की चॉइस लाजवाब है सर.

बलदेव खुश होता है.

दुकानदार- वैसे सर आपके पत्नी की कलाई की साइज क्या है बताएँगे?

अब बलदेव सख्ते में आ गया. उसको न ही इस बारे में कुछ पता न ही उसने कभी उसने ऐसी बातो में ध्यान दिया था.

बलदेव- अ... सुनो वहा मेरा एक नौकर आएगा उसको में नाप बोल दूंगा आप अलग अलग साइज के रेडी रखना. और हाँ पेमेंट भी वो ही देख लेगा.
दुकानदार- जी कोई बात नहीं सर, आप जैसा कहे. सर टैक्स ब्याक्स मिलके तक़रीबन २ लाख २० हजार तक पड़ेगा सर. कर दू बुक?
बलदेव- जी
दुकानदार- सर बिल किस के नाम पे बना दूँ सर?
बलदेव- मेरे नाम पे. (बलदेव ने अपना नाम बता दिया) और हं मेरी एक रिक्वेस्ट है.
दुकानदार- जी सर हुकुम कीजिये
बलदेव- वो कंगन पे कुछ मार्क या अपना नाम डाल सकते है?
दुकानदार- जी सर, हो जायेगा बताये क्या डालना है.
बलदेव- जी क्या आप उसमे कही अंग्रेजी का 'बी' लेटर डाल सकते है?
दुकानदार- वह सर क्या बात है सर, आपकी बीवी खुश नसीब है. उसको वो लेटर आपकी याद दिलाती रहेगी. निश्चिन्त रहिये मै करवा लूंगा वो काम.
दुकानदार- सर बस आपके २ मिनट चाहिए अब तोह आप हमारे परमानेंट ग्राहक बनेंगे न सर, आपके इस खरेदी पर हमारा ऑफर चल रहा है सर, एक लकी ड्रा है सर, गोवा ट्रिप का पैकेज गिफ्ट है सर. अगर लाटरी लग गईं तो आप 5 महीने के अंदर कभी भी गोवा जा सकते है एक हफ्ते का टूर अर्रंगे करा देगा हमारा ब्रांड. तो उसके लिए भी नाम दाल दूँ आपका.
बलदेव- जी हाँ वो सब तुम देख लो, मुझे पता नहीं उसका कुछ.
दुकानदार- बोहोत बढ़िया सर, हो जायेगा. आप आपके नौकर को भेज दीजिये. खरीददारी होने के बाद आपको मैसेज भी आएगा. बोहोत बोहोत धन्यवाद् सर आपका दिन शुभ रहे.
फ़ोन कटता है.

(शहर के बाजार में कही)
सतीश वापस शहर लौटा अपने दोस्तो से मिला. उसने दोस्तो को जानबूझ कर बता दिया की जयश्री ने जॉब छोड़ दी है. ताकि अब आगे वो बदनामी से बच पाए. इतने में बलदेव का फ़ोन आता है.

बलदेव- दामाद जी एक काम है.
सतीश- हेलो हं ससुर जी ...
बलदेव- सुनो, घर जाओ और जयश्री का एकाद कंगन साथ में लो और सगुणा ज्वेल्लरी में जाओ और मैंने एक आर्डर दिया है वो लेके आओ और जयश्री को गिफ्ट करो अभी के अभी. और सुनो गिफ्ट पे मेरा नाम डेकोरेट करना पर पूरा नहीं. सिर्फ 'फ्रॉम बी , तुम्हारे पापा' ऐसे. मै तूमको पैसे भेज रहा हूँ ३ लाख. ठीक है. और गिफ्ट दिए बगैर कही नहीं जाना. पहले ये काम करो. और कुछ हो तोह फ़ोन करना.

सतीश ने फ़ोन रख दिया. उसका दिमाग सुन्न हो गया. उसको अपनी औकात समझ आयी. आज एक बाप अपनी एकलौती बेटी को महंगे से महंगे गिफ्ट दे रहा है पर वो अपनी पत्नी को एक गिफ्ट नहीं दे सकता. पर वो खुश था की उसकी आज़ादी मिली.

वो तुरंत ज्वेलरी शॉप गया और तो देखा उसके ससुर जी ने उसकी पत्नी के लिए बोहोत ही खूबसूरत कंगन बुक किये थे, बोहोत शानदार कंगन लिए थे. वो दुकानदार सतीश को नौकर समझ रहा था.
दुकानदार- अरे सुनो, तुम कंगन का साइज लाये हो?
सतीश- जी हाँ ये लो.

दुकानदार- वैसे कपडे तोह अच्छे दिए है मालिक ने तुम्हे. काफी दिलदार लगता है मालिक तुम्हारा.
सतीश- (चिढ गया) तुम अपना काम करो सेठ.

उसको अजीब लगा की अब आगे से ऐसा अपमान उसको सुन्ना पड़ेगा पर वो खुश था की वो रुद्रप्रताप के चंगुल से छूट गया और अब एक जायदाद का मालिक भी. दुकानदार ने उसी साइज का आइटम निकल कर सुनार के पास भिजवा दिए.

दुकानदार- तुम बैठो, १५ मं में आपको कंगन मिल जायेंगे. तब तक चाय पानी ले लो.

कुछ देर बाद दुकानदार ने पूछा इसको पैक करू.

सतीश ने मना किया और डिब्बा ले कर खुद एक जनरल शॉप में चला गया. वह उसने गिफ्ट पैक करवाया और अंदर उसका बनाया हुआ एक लव साइन का एक ग्रीटिंग कार्ड भी डाला उस पर लिखा था -
'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, विथ लव फ्रॉम पापा'

उसने गाड़ी का गियर डाल और घर गया.

(सतीश के घर)
जयश्री सोयी हुए थी. उसे आज अपने सहेलियों के पास जाना था श्याम को. उसने जयश्री के ड्रेसिंग टेबल पे सामने वो गिफ्ट रख दिया. उसको मूवी जाना था तो जल्दी वैसे ही चला गया. और बाद में खाना खाके उसे रुद्रप्रताप के बताये होटल पे भी जाना था रात को. कुछ देर बाद जयश्री उठी और नहाकर चेंज करने कमरे में गईं. सामने ड्रेसिंग टेबल पे गिफ्ट देख कर वो हैरान हो गईं. ये गिफ्ट किसने दिया था पता नहीं. अब उसको पता है की यहाँ इस वक़्त सिर्फ सतीश ही आ सकता है. उसको यह सोच कर अजीब लगा के सतीश गिफ्ट देके चला गया. वो बोहोत खुश हो गईं. वो आज सबको दिखाना चाहती थी की उसके पति ने उसके लिए पहेली बार कुछ लाया है. तो उसने तय किया की वो गिफ्ट अब किटी पार्टी में ही खोलेगी.
Baap apni beti ko apne lund ka gulam bulam aur damad ko beti ka gulam banane ka kaam kar rha hai maja aayega....
 
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sunoanuj

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Bahut hee badhiya kahani hai… par damad ke andar bhi kuch change lao usko lalloo se hero banao …

Kahaani me or bhi maza aayega….
 
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kamdev99008

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अपडेट ८

(सतीश के घर)
सतीश सुभे आराम से उठा ऐसा उसने सर रविवार को ही फील किया था. आज न ही कोई फ़ोन न ही कोई काम क्यों की रुद्रप्रताप ने उसका काम किसी और को सौंप दिया था. आज उसने प्लान बनाया था की रात में खूब मज़े करेगा, मूवी देखने जायेगा और हो सके तोह कोई लड़की बाजार में मिली तोह उस के एकाद घंटा गुजरे गा. उसको ससुराल भी जाना था. उसका ससुराल सतीश के घर से २० किमी दूर था और वह से जंगल के तरफ के खेतवाला फार्महाउस १० किमी पे था. तोह वो तैयार होने लगा. उसने अपनी खटारा कार निकाली और चल पड़ा. वो खुश था की आज उसके ससुर कुछ बहुत जरुरी बात बतानेवाले होंगे जो उसके फायदे की हो. जाते जाते बिच में दो-तीन अच्छे ढाबे थे वही उसने खाना खा लिया और जंगलेवाले खेत पे पोहोंच गया.

(बलदेव के जंगलवाले खेत के फार्महाउस पे)
बलदेव तब फसल कटाई के काम का खुद सबको समझा के कर करवा ले रहा था. उसे आज तक कोई मैनेजर या उसके लिए उसके छोटे काम देखनेवाले की जरुरत ही नहीं पड़ीं.
बलदेव- अरे दामाद जी आओ.. में आता हूँ तब तक तुम ऊपर फार्महाउस के छत वाले गार्डन पे रुको..
सतीश- जी ससुर जी
सतीश को सासुर जी के ठाँठ बांठ तोह पता थे इसलिए तोह उसने जायदाद की डिमांड की थी. वो चला गया. नौकर ने उसको चाय लाके दी तोह उसने मन कर दिया क्यों की वो अभी खाना खाके आया था. फार्महाउस वाले चाट पर भी बलदेव ने वैसा ही गार्डन बना दिया था जैसा गाओं के खेत वाले फार्महाउस पे था. छतपर बोहोत बड़ी छांव थी इमली के पेड़ की जो बोहोत बड़ा था. चारो तरफ घनी झाडी थी. बलदेव भी अब ऊपर फार्महाउस बंगलो पे आया था.

बलदेव- अरे दामाद जी चाय वे कुछ लिए नहीं तुम... अरे सुभाष (नौकर) दामाद जी को चायवाय पूछे के नहीं!
सतीश- जी नहीं में ठीक हूँ

बलदेव अपना पसीने से भीगा हुआ शर्ट और बनियान निकलते हुए बात करने लगा. निचे सिर्फ पजामा पहना था. सतीश भी देख रह था. बलदेव उसकी पूछताछ करते करते वही छत के किनारे अपने कपडे सूखने को रख रहा था. ऊपर से वो खुला था. उसका कसरती और बलदण्ड शरीर देख कर तोह सतीश सकपका गया. बलदेव का शरीर सतीश से ३ गुना बड़ा होगा. उसके सामने सतीश खुद को किसी लुक्खे खम्बे जैसा लग रहा था. बलदेव की चौड़ा सीना देखा उसने. और उसके सीना बालो से भरा हुआ था. सीने पे आधे बाल सफ़ेद ही थे. उसके पेट पे हलकी सी चर्बी थी पर काफी फिट था. उसका मरदाना मिजाज देख कर सतीश को खुद की शर्म आने लगी. और ऐसा नहीं के बलदेव सिर्फ शरीर से ऐसा था उसका दिमाग भी बोहोत फ़ास्ट था. वो एक साथ १० दिमाग दौड़ा सकता था ये उसकी काबिलियत थी.

बलदेव- आज का क्या प्लान है? सुना है आज तुम्हारी छुट्टी है.
सतीश- जी
बलदेव- चलो बढ़िया है, हमारी बिटिया को भी ले आता यहाँ
सतीश- नहीं वो सुभे ही चली गयी थी बाजार में कुछ लेने के लिए.

बलदेव अब गंभीर होते हुए बैठते हुए बोन लगा.

बलदेव- देखो सतीश मैंने तुम्हरे ऑफर के बारे में कुछ सोचा है पर उसके लिए तुमको मेरा काम करना पड़ेगा
बलदेव- वैसे तुमको कितनी जायदाद चाहिए?
सतीश- जी ऐसा कुछ सोचा नहीं बस आपकी बेटी को संभालना मुश्किल है ससुर जी और मुझे भी तोह मेरी खुद की जिंदगी बनानी है

नौकर बलदेव से- मालिक, आपके लिए क्या बनाऊ खाने में
बलदेव- अ , एक सुखवाला मटन तंदूरी और हाँ बाजरा के रोटी के साथ मटन का पतला वाला सब्जी बस
बलदेव- तुम क्या लोगे दामाद जी , तुम्हारे लिए क्या बनवाना है?
सतीश- जी नहीं ससुर जी, में खाना खाके आया हु
बलदेव मिश्किल हँसते हुए- क्या तुम लोग भी घांस फुस कहते हो दामाद जी इसीलिए तुम ऐसे हो लुक्खे
बलदेव- इसीलिए भी तुम दोनों की जमती नहीं होगी जयश्री को चिकन बोहोत पसंद है और तुमको दही चावल, किसी शेरनी की तरह चिकेन खाती है जयश्री मेरी तुम बकरी की तरह घांसफूस
बलदेव- चलो छोरो मै ये बता रहा था की तुमको जायदाद देने के बारे में सोचा पर उसके लिए तुमको मेरे कुछ काम करने होंगे तभी यह संभव है
सतीश- हं जी बोलिये न
बलदेव- देखो में जयश्री का डाइवोर्स तोह तुमसे नहीं करवा रहा किसी भी हालत में तुमको जो करना है कर लो

बलदेव काफी गंभीर होते हुए और कठोर भाषा में बात करने लगा उसने सिगरेट जलाई.

बलदेव- क्यों की बात अब मेरी इज्जत पे आयी है और मई इसका किसी को फायदा उठाने नहीं दूंगा, जयश्री की वजह से जितनी भी तुमको और मुझे बदनामी सहने पड़ी होगी उसका हिसाब मै खुद जयश्री से लूंगा तुम उसको कुछ भी बोलोगे नहीं और न ही अब से तुम उसे हाथ भी लगाओगे. अब वो जो भी करेगी तुम उसको इग्नोर करोगे और बस मुझे बताते रहोगे जिंदगीभर , बात समझ आयी

सतीश- पर आप भूल गए है की मेरी बीवी भी तुम्हारे जैसी आझाद खयालो वाली है उसके बारे में कुछ सोचा है. वो पक्का यहाँ नहीं तोह वह मुँह मारेगी और फिर बात और बिगड़ जाएगी आपको पता है वो बोहोत उसकी आदत

बलदेव- नहीं मारेगी मुँह ये मेरी गारंटी है. तुम बस अपना काम से काम रखो. बताओ कितनी जायदाद चाहिए तुम्हे इसके बदले?
सतीश- में बस में चाहता हूँ की मेरा एक बंगलो हो और थोड़ी खेती हो बस एक अच्छी गाडी हो

बलदेव सोच विचार कर के

बलदेव- चलो एक काम करते है, बंगलो तो तुम्हारे पास है भले वो छोटा है पर है तोह सही, चलो यहाँ के खेत का एक चक्कर लगा लो और इस खेत से २ बीघा जमींन तुम्हरे नाम कर दूंगा
सतीश- और गाडी
बलदेव- मेरी बात पूरी होने दो सतीश (थोड़ा ग़ुस्से में बोल दिया)

सतीश दब गया. बलदेव ने नौकर को बुलाया

बलदेव नौकर से - अरे सुनो मेरा मोबाइल ले आओ वह टेबल पे रखा होगा

नौकर ले आया ...

बलदेव- बद्री से नंबर मिलाके के मुझे दो

बलदेव- हाँ बद्री कैसे हो दोस्त, अरे सुनो एक काम था, वो मेरी जो नयी वाली एसयूवी है न हौराती कंपनी की उसका ओनरशिप ट्रांसफर करना है

सतीश यह बात सुनते ही पेट में लड्डू फूटने लगे, मनो वो सातवे आसमान पर खुश था

बद्री- जी बलदेव जी कर दूंगा किसके नाम पे करानी है
बलदेव- अरे वो दामाद जी को नयी गाड़ी लेनी थी तोह मैंने कहा क्या करूँगा इतने गाड़ियों का तोह सोचा की दामाद जी को दे दूँ
बद्री- वह बलदेव जी आपके दामाद ने तोह सही किस्मत पायी है १८ लाख की कार हाथोहाथ मिल गयी है बताओ
बलदेव- अरे फिर है किसका दामाद
बद्री- झे बात तोह सही है जी... जी आप फ़िक्र न करो में कर दूंगा काम. मै उसको फ़ोन कर के कागज़ात मंगवा लूंगा

बलदेव फ़ोन रखते हुए स्माइल करने लगा

बलदेव- जाओ दामाद जी अब खुश! अपने कागज़ाद देदो

सतीश- ससुर जी आपका जवाब नहीं .. . आज से आप ही मेरे मालिक है ससुर जी वाह क्या बात है आपकी.. मुझे वो गाडी बोहोत पसंद है आपकी

बलदेव- अरे तुम फ़िक्र मत करो बस मेरी बात मानो जिंदगी भर ऐश करोगे
सतीश- अब तोह में आपका एक अल्फ़ाज़ भी जमीं पर गिरने नहीं दूंगा ससुर जी

बलदेव सोच के हंसने लगा और सोच रहा था कितना बड़ा च्यु_ है मेरा दामाद अभी जायदाद मिली भी नहीं तोह इतना खुश है.

सतीश- पर ससुर जी आप बोल रहे थे मुझे आपका कुछ काम करना होगा! क्या है वो काम

बलदेव- तोह गौर से सुनो, में एक बार ही बोलता हूँ. आज से तुम जयश्री को कभी नहीं डाटोगे. आज से उसे घूमने ले जाओगे जब वो चाहे जहा चाहे. अगर वो तुमको डाटे भी तोह तुम उसको उल्टा जवाब नहीं दोगे. आज से तुम उसको सब कपडा लत्ता लेकर दोगे जाओ वो चाहती है. सबसे जरुरी बात अब आगे से तुमको उसके लिए कभी गहने नहीं खरीदो गे. जो भी गहने है वो में खुद उसे दूंगा. मेरे दिए हुए गहने वो तुम से लेगी. और है गहने देते वक़्त तुम उसे बताओगे की वो गहने उसके पापा याने बलदेव जी ने दिए है. आज से में उसके लिए में जो भी करूँगा तुम उस में मेरा साथ दोगे. अगर उसको में कुछ दूंगा तोह हो सकता है की वो सीधा सीधा न ले क्यों की वो मेरा ख्याल रखती है और मुझे परेशानी में नहीं देख सकती तोह में उसे जो भी दूंगा तुम उसको देते जाना पर उसका क्रेडिट मुझे देना खुद नहीं लेना है. आज से तुम्हरे खाने पिने की जिम्मेदारी मेरी. तुम को जो चाहे वो मांग लेना. में जब कहु तुम उसे यहाँ ले आओगे उसके मायके में अपने गाओ के घर या यहाँ पे. में जितने दिन यहाँ पे उसे रखूँगा तो तुम उसका इंकार नहीं करोगे. जब तक जयश्री यहाँ रहना चाहे तब तक वो अपने मायके रहेगी. तुम्हारे लिए वहा तब तक कामवाली का इंतजाम में करूँगा. अब में उसे अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाने जा रहा हूँ ताकि वो बोर न हो और मेरे धंदे में भी वो हाथ बटा सके. क्यों की कल को जाके ये सब उसका होनेवाला है तोह में चाहता हूँ की अब वो यहाँ के पुरे बिज़नेस और खेत को संभाले. में या जयश्री और रुद्रपताप तीनो में से कोई भी तुम्हे फ़ोन करे तुमको तुरंत फ़ोन उठाना है. एक भी मिस कॉल हुआ तोह अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए. और हं सबसे जरुरी बात आज से जब भी तुम जयश्री के साथ रहोगे तुम को उसके सामने बस मेरी ही तारीफ करनी होगी. तुम बाकि कुछ बकवास नहीं करोगे. अगर तुम यहाँ हमारे साथ कुछ दिन के लिए रहते हो तोह में तुमको दामाद के तौर पर नहीं रखूँगा. दरसल तुम एक स्टैण्डर्ड नौकर बन कर रहोगे. हाला की नोकरो में तुम्हारा रुतबा अलग होगा पर अगर यहाँ रहना है तोह नौकर बन कर ही रहना होगा. रही तुम्हारे रात के ऐयाशी की बात तोह में रूद्रप्रताप से बोल कर तुम्हरे लिए किसी होटल्स में औरतो का इंतजाम करता रहूँगा. बात पूरी दिमाग में डाल लो एक ही बार.

अब सतीश के पसीने छूटने लगे. वो बलदेव को मुँह फाड़ के देख और सुन रहा था. सतीश आश्चर्य से पूछता है. पर वो न भी नहीं बोल सकता क्यों की उसको पता है की उसे जायदाद मिलने के चांस बोहोत है. तोह अभी वो ये सब नकार कर जिंदगीभर के लिए नल्ला रह जायेगा.

सतीश- जी ससुर जी समझ गया पर आप और जयश्री ... मेरा मतलब जयश्री यहाँ रहेगी ... मतलब आप बताएँगे की आप क्या चाहते हो एक्साक्ट्ली

बलदेव ने आजुबाजु देखते हुए जाँच लिया की नौकर आस पास तोह नहीं है!

बलदेव स्माइल देते हुए- कैसे बददिमाग हो! सुनो में चाहता हूँ की अब तुम जयश्री को भूल जाओ.
अब जयश्री मेरी होगी. सिर्फ मेरी.

सतीश के पैरो टेल जमीं खिसक गयी. वो इतना भी नादाँ नहीं था की बलदेव जो बोल रहा है वो न समझे.

सतीश- माफ़ करिये ससुर जी बस एक बार बता दीजिये आप क्या कहना चाहते है

बलदेव- तुम मुझे अब पूरी तरह से जयश्री लौटाओगे. मैंने बेटी कन्यादान में दी थी अब तुमको मुझे वो दान वापिस करना है. समझे. वो बस नाम के लिए तुम्हारी रहेगी पर अब वो मेरी बन कर रहेगी में जानता हूँ तुम क्या सोच रहे हो पर अब मेरे पास कोई और चारा नहीं है. तो बोलो है मंजूर?

सतीश अब बोहोत सवलो के घेरे में था उसे यकीं नहीं हो रहा था की उसे जायदाद के चक्कर में उसकी ही लंका लगनेवाली है. वो सोच में दुब गया. वो जान गया की अब जयश्री के सब कर्ताधर्ता बलदेव ही बनेंगे. पर उसके पास भी कोई चारा न था. वो फिर से उस रुद्रप्रताप की गुलामी की जिंदगी में नहीं जाना चाहता था.

सतीश- जी मुझे मंजूर है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी शुक्रिया. पर ऐसे मंजूरी नहीं.

बलदेव ने मोबाइल का कैमरा ऑन किया और उसे शर्त मंजूरर होने की रिकॉर्डिंग करने लगा.

सतीश दर गया पर उसके पास अब कोई चारा न था

सतीश कैमरा पर बोलने लगा - जी मुझे मेरे ससुर जी की जो भी शर्ते है मुझे मंजूर है. में मेरी पत्नी जयश्री याने उनकी कन्या जयश्री को मेरे ससुर बलदेव जी को वापिस सौंप रहा हूँ. अब मेरा जयश्री पे कोई अधिकार नहीं है. अब से इसी वक़्त से जयश्री पे मेरे ससुर बलदेव जी का पूरा अधिकार रहेगा.

बलदेव अब कैमरा बंद कर देता है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया. आज मेरी तरफ से तुमको एक गिफ्ट.

बलदेव ने रुद्रप्रताप को कॉल किया और सतीश के लिए आज उसके पहचान के होटल में रात को औरत का इंतजाम करने को कहा.

रुद्रप्रताप- बलदेव जी यह के दामाद जी को सर पे क्यों बिठा रहे हो?
बलदेव- सुनो सतीश यही है. मई जैसा कहता हूँ वैसा करो. उस औरत के पैसे मई दूंगा अब ठीक!
रुद्रप्रताप- अरे बलदेव कैसी बात कर रहा है यार. पसिआ तोह में दूंगा उसका तू दोस्त है .तू उसकी फ़िक्र मत कर. पे क्या हुआ कुछ व के वह. तुमने उसको जायदाद दे दी?

बलदेव- में तुमसे बाद में बात करता हूँ दोस्त. अभी रखता हूँ.

बलदेव ने नौकर को बुलाया.

बलदेव नौकर से- सुनो वो किशन फ़ोन लगाओ घर पे वो अपनी नीलीवाली एसयूवी है न उसकी चाभी दामाद जी को देने को बोलो .
बलदेव- चलिए दामाद जी जाईये अपनी गाड़ी ले लीजिये और है ड्राइविंग लाइसेंस है न!
सतीश- जी ससुर जी
बलदेव- बोहोत अच्छे, जाओ और तुम्हारी जो खटारा है उसका क्या करोगे?
सतीश- जी वो में.. उसको कुछ सूज नहीं रहा था...
बलदेव- कोई बात नहीं, अपनी खटारा वह अपने घर पे छोड़ दो मई उसको गेराज में लगा देता हूँ या फिर रुद्रप्रात के यह ट्रांसपोर्ट को लगा देता हूँ, और हं उसका भी पैसा तुम्हे ही मिलेगा, चिंता न करो

सतीश ख़ुशी के मारे उठकर अपने ससुर जी बलदेव के पेर छूता है

बलदेव- जुग जुग जीते रहो

और सतीश वहा से निकल लेता है.
सौदा तो बढ़िया हुआ सतीश का रण्डी बीवी अब सिर्फ अपने बाप को रखैल बन कर रह गई वो‌ भी चोरी छिपे
गाड़ी, बंगला जमीन भी और ससुर की ओर से नौकरी भी, अपनी ही बीवी का केयरटेकर बनने की सेलरी
 
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sunoanuj

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DeewanaHuaPagal

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अपडेट १०
(सहेली के घर पार्टी में)
जयश्री सज धज कर पार्टी में गयी. खूब हसी मजाक में पार्टी चल रही थी. खाना खाने से पहल जयश्री ने सबको बताया की उसको आज एक गिफ्ट मिला है. जयश्री को पहले शो-ऑफ करने की आदत नहीं थी पर जब से वो जॉब करने लगी उसके अंदर यह स्वाभाव आने लगा. अपनी चीज़े दिखाना, अपने को कॉम्पिटिशन में आगे रखना सीखा था. सभी सहेलियों ने बॉक्स को गौर से देखा. कुछ सहेली ने कहा की जरूर कुछ बोहोत कीमती और ढांसू सरप्राइज होगा अंदर. जयश्री ने व्रपार हटाया बॉक्स ओपन किया और अंदर एक वेलवेट कवर का बॉक्स था. अब औरते जल्द समझ सकती है बॉक्स से ही की अंदर १००% ज्वेलरी है. जयश्री और सहेली ख़ुशी से कूदने लगी और जैसे ही बॉक्स खोला वो ग्रीटिंग कार्ड जो सतीश ने डाला था वो दिख गया. जयश्री ने ग्रीटिंग को हाथ में रखते उस बॉक्स का ढक्कन खोला तोह वो उसे देख कर ख़ुशी के मारे तितली की तरग उड़ने लगी. अंदर सोने के के ए१ डिज़ाइन के कंगन देख कर मनो सभी सहेलिया मन्त्रमुघ्ध हो गयी.

१ सहेली- वाव, मिस्टर कितना प्यार करते है ओह माय गॉड क्या खूबसूरत कंगन दिए है जयश्री तुम्हे वाव

अब जयश्री का ध्यान ग्रीटिंग कार्ड पर गया और उसके चेहरे पे अजीब सवाल चालू हुए
वो पढ़ ही रही जो ग्रीटिंग्स पे लिखा था -

'टू माय डिअर डॉटर जयश्री, लव फ्रॉम पापा'

ये अनुभव जयश्री के लिए नया था उसके मन में १००० सवाल चल रहे थे तब तक उसकी सहेलिया हाथ में कंगन ले ले कर उसको सराह रही थी तभी बाजूवाली सहेली ने जयश्री के हाथ का कार्ड छीन लिया

सहेली २- दिखाओ तोह मिस्टर ने क्या लिखा है!

सहेली ने पढ़ा.

सहेली २- ये क्या यह तोहफा तुम्हारे पापा ने दी है, ये तुम्हारे मिस्टर का नहीं है ... वाव यार तुम्हारे पापा तोह एकदम तूफ़ान निकले!

तब सब सहेली वो कार्ड छीन कर उसपे का मैसेज पढ़ने लगी और सब ने जयश्री की तारीफ करने लगी
सहेली एक साथ जयश्री के पापा की तारीफ करने लगी

सहेली ३- वाह यार क्या बात है जयश्री की आज भी उसके पापा उसको गिफ्ट देते है, कमाल की किस्मत पाए है यार तुमने तो! एक हम है न तोह हमारे बाप कभी हमको गिफ्ट दिए न ही हमारे पति अब कोई गिफ्ट देते है (सब हसने लगी)

जयश्री सोच में पड़ गयी.

जयश्री- वो क्या है न पिछले महीने पापा का बर्थडे था न तो मैंने उनको गिफ्ट दिया था तोह मैंने उनसे कहा था की मुझे रीटर्न गिफ्ट भी चाहिए तोह शायद पापा का ये रीटर्न गिफ्ट हो!
(जयश्री अब झूठ भी बोलने लगी थी)

सहेली ४- वाव यार कितने खूबसूरत कंगन है यार, कितनी सजीली डिज़ाइन है और नाजुक डिज़ाइन है. हाय काश ये कंगन मेरे होते, ये लो पापा की पारी पहनो अपने कंगन

तभी दूसरी सहेली ने वो कंगन देखने को लिए

सहेली ५- यह क्या. इस पे तोह कुछ मार्क है. यह कोई दुकान का मार्क है या कुछ और. किसी इंग्लिश लेटर जैसा लग रहा है. पता नहीं

जयश्री ने हड़बड़ी में वो कंगन उनसे लिए और वो देखने लगी उसको शक भी हुआ की वो इंग्लिश का लेटर 'बी' है पर कुछ बोली नहीं

जयश्री- अरे छोड़ो न

और वो कंगन पहनने लगी

सहेली १- पहने ले पेहेन ले पापा की लाड़ली

सब हसने लगी , और जयश्री भी हसने लगी

तभी जयश्री के मोबाइल पे मैसेज की घंटी बजी
उसने मैसेज खोला तोह वो चौक गयी. बलदेव का मैसेज. वो घर के एक कोने में जा कर मैसेज देखने लगी.

मैसेज- 'जयश्री, बेटी कैसा लगा सरप्राइज! मेरी तरफ से मेरी प्यारी बिटिया रानी को गिफ्ट. तुमको प्यार करनेवाले तुम्हारे पापा'

जयश्री कभी इतना कन्फ्यूज्ड नहीं होती पर आज थी उसको कुछ समझ न आ रहा था.

सहेली ४- ए जयश्री तू वह क्या कर रही है कोने में यहाँ आ न. नए कंगन क्या मिल गए तुम तोह हमसे दूर चली गयी. क्या हुआ क्या है मोबाइल में. ओह समझ गयी अपने पापा को थैंकयू का मेसैज कर रही हो क्या? बेटी को रहा नहीं जा रहा अपने पापा को थैंक्स बोलने के लिए. अरे बाद में कर लेना थैंक्स. ये पापा लोग कही भागे थोड़ी जा रहे है. आजा यह केक खा ले जल्दी.

जयश्री उसकी तरफ स्माइल करते हुए हंसने लगी. वो बोहोत खुश थी क्यों की आज उस पार्टी में सब उसकी तारीफ कर रहे थे. वो कंगन जयश्री की खूबसूरती में ४ चाँद न सही पर २ चाँद तोह जरूर लगा रहे थे. उसके कंगन और उसके पापा के प्यार की चर्चा थी. पर वो थोड़ी सी चुप थी.
सब ने खाना खाया और पार्टी खत्म हुई .

(सतीश के घर)
पार्टी ख़त्म होने के बाद वो सीधा घर गयी. सतीश अभी तक नहीं लौटा था. रात के ९ बजे थे. बंगलो सब तरफ से लॉक कर दिया. और जा के हॉल के सोफे पर धड़ाम से बैठ गयी और उसके दिमाग में आज की पार्टी के किस्से ही चल रहे थे. उसने लेते लेते ही अपना एक हाथ ऊपर उठाया और बाये हाथ के कंगन को देखने लगी. फिर दूसरा हाथ उठाया और दोनों कंगन देखने लगी. वो कंगन बाकि कांचवाले कंगन से खनकते थे और उस में से मधुर किन-किन की आवाज आने लगी. जयश्री वैसे शर्माती कम है वो अपने पिता की तरह बेख़ौफ़ थी पर आज वो कंगन देख शर्मा गयी. वो उठी और उसने वो कंगन निकल दिए और वार्डरॉब में एक बक्से में संभल के रखे. वो फ्रेश हो कर नाईट सूट पहनकर सोच रही थी की ऊपर छत पर हवा में जाये. वो ऊपर छत पर चली गयी. कॉलोनी के सब सो रहे थे. बंगलो के एक तरफ खेत था. आसमान साफ़ था. और सुनसान कॉलोनी. उसने अपना मोबाइल लिया और सामने उसके पापा का मैसेज अभी भी टॉप पे दिखाई दिया था. उसने पापा को रिप्लाई करने की सोची छत के कोने में वह एक छोटा चबूतरा बनाया था कपडे वगेरा रखने के लिए .वो वह बैठ गयी. उसने कॉल करने की सोची पर वो उसने सोचा की पहले रिप्लाई करे.

जयश्री - हेलो पापा, आप हो वहां
वह से कोई रिप्लाई न आया. हाला की बलदेव आज जंगल वाले खेत के फार्महाउस वाले छज्जे वाले हॉल में ही टीवी देखते बैठा था. उसको जयश्री का मैसेज का नोटिफिकेशन भी देखा था पर उसने थोड़ी देर रुकने की सोची. बलदेव भले ही गाओं का रहेनेवाला था पर उसको अपने फायदे की सोच और लोगो को परखने का दिमाग बोहोत सॉलिड था.
जयश्री स्क्रीन पे आंखे गड़ाए बैठी थी की बलदेव उसे रिप्लाई करेगा. ५ मिनट हुए वो बेचैन होने लगी. बेचैनी में वो अपने होठ एक साइड से अपने दातों से हलके से दबाने लगी. मनो कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के पत्र का इंतजार कर रही हो. तभी मोबाइल स्क्रीन पे मैसेज आया.

बलदेव- जयश्री कैसी हो बिटिया! मेरा मैसेज देखा?
जयश्री- हाँ पापा
बलदेव- तोह कैसा लगा मेरा सरप्राइज मेरी रानी बिटिया को

जयश्री ने एक बात गौर की की बलदेव पहल कभी उसे रानी कह कर नहीं बुलाता था. पहल सिर्फ बीटाया या बेटी या जयश्री कह कर बुलाता था अब ये बदलाव उसे काफी सवाल खड़ा कर रहा था पर जयश्री भी उनसे बोहोत प्यार करती थी. खास कर उसकी माँ के गुजर जाने के बाद वो उनका काफी ख्याल रखती थी. पर पिछले १ दो महीने में उस से गलती हुई थी. जब से वो रुद्रप्रताप से मिली थी तब से उसका बलदेव के प्रति ध्यान काम हुआ था ये बात का उसे अफ़सोस भी होने लगा.

जयश्री- पापा पहले आप बताओ आप ने खाना खाया के नहीं? आप ठीक तोह है? आप खाना अगर ठीक से नहीं खा रहे तोह मुझे आना पड़ेगा आप को खाना खिलने के लिए.
बलदेव- अरे मैं तोह बस जैसे तैसे जी रहा हूँ जयश्री. जब तक तुम्हारी माँ थी वो तब भी उसने उतना ख्याल न रखा जितना रखना चाहिए था. मै चुप था उस वक़्त. पर अब खली सा लग रहा है बेटी. खैर मै तोह ठीक हूँ मेरी लाड़ली. तू बता कैसी है. आज १५ दिन हुए हम नहीं मिले. देख अभी अभी बकवास खाना खाया सुभाष के हाथ का चिकन मसाला. कुछ स्वाद नहीं बेटी. मटन तोह बस तुम ही बना सकती हो लाजवाब वाह क्या खुशबु क्या स्वाद आता है तुम्हारे हाथ का बनाया हुआ मटन. उफ़... मैंने आज तक तुम्हारे हाथ का मटन जैसा कही स्वाद नहीं देखा. अब तो जब भी मटन को देखता हूँ तुम्हारी याद आती है. बोहोत दिन हुए तुम्हारे हाथ का बनाया मटन खाये. अब मै कही बहार जाता हूँ न बेटी, तोह मटन खाता ही नहीं. मुझे मटन तुमने बनाया हुआ ही पसंद है. बाकि सब बकवास.

जयश्री को पहल से पता था की बलदेव सिर्फ उसके हाथ का बनाया मटन ही खता है.

जयश्री - ओह पापा मुझे माफ़ कर दो ,अब आउंगी न मै आप को भरपेट मटन खिलाऊंगी. पापा पता है मैंने मटन की एक और रेसिपी सीखी है, आप बताना खा कर कैसी थी.
बलदेव- वाह बिटिया वाह, बेटी हो तोह तेरी जैसी वार्ना न हो , कितना ख्याल करती हो मेरा. इतना प्यार करती हो.
जयश्री- पापा प्यार तोह आप मुझ से जितना करते है उतना तोह शायद कोई पिता अपनी बेटी सा न करता हो, मैंने देखा आज आप ने क्या किया.
बलदेव- ओह मै तोह भूल गया. कैसा था मेरा गिफ्ट बताओ.

जयश्री शरमाई.

बलदेव- बोलो कैसा लगा मेरा गिफ्ट.
जयश्री- पापा (थोड़ा उदास होते हुए) आपको पता है! सतीश ने मुझे जिंदगी में मुझे कभी एक बार भी गिफ्ट नहीं दिया. गहने में तोह मंगल सूत्र छोड़ कर एक भी गेहेना नहीं दिया. पापा आपने जो आज गिफ्ट दिया न वो मेरी जिंदगी का सबसे बेहतर तोहफा है
बलदेव- अ अ अभी नहीं, बहेतर तोहफा तोह आगे है मेरी रानी बिटिया
जयश्री- नहीं पापा मुझे बोलने दीजिये, आज का गिफ्ट कोई आम गिफ्ट नहीं पापा, मुझे अफ़सोस हो रहा है की आप मुझे इतना प्यार करते है और मै आपके लिए कुछ नहीं कर सकती, यहाँ इस नल्ले के साथ ..

अपनी जिसभ काटती हुई रुक जाती है...

बलदेव- मै समझता हूँ बेटी तुम क्या कहना चाहती हो, सतीश सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं है, वो मेरी ही गलती है सब.
जयश्री- नहीं पापा , आप खुद को क्यों कोस रहे हो .आप ने वही किया जो एक बाप अपनी लाड़ली बेटी के लिए करता है. अब ये मेरी किस्मत है पापा. पर आप डरना मत मै इस से भी लड़ूंगी पापा.
बलदेव- अरे पगली, मै और डर! हां हां हां तुम जानती नहीं हो अपने पापा को पूरी तरह से (अपने मुछो पर तांवमरते हुए बोला)
जयश्री- जी नहीं मिस्टर बलदेव जी ,मै आपको खूब जानती हु. (जयश्री इस बार अपने पापा पर इतराते हुए उनका नाम ले ली है). पापा पता है वो कॉलेज में एक टपोरी मुझे छेड़ता था . मुझे आज भी वो दिन याद है. आपने उसे कैसे सबक सिखाया था. (हँसने लगी) बाद में तोह वो टपोरी मुझ से राखी बंधवाने की गुहार कर रहा था.
बलदेव- नहीं तोह क्या, घोंचू कही का मेरी लाड़ली को मुझ से छीन ना चाहता था वो टपोरी, मेरी बेटी सिर्फ मेरी है

जयश्री को अब बलदेव पे बोहोत गर्व होने लगा. उसे लगने लगा की उसके पापा उसको दुनिया के किसी भी मुसीबत से बाहर ला सकते है तभी अचानक से उसे अपनी कांड की याद आती है

जयश्री- पापा...
बलदेव- हं बोलो बिटिया
जयश्री- अगर मुझे से कोई गलती हुई तोह आप अब मुझे माफ़ कर सकते हो?

बलदेव समझ गया की जयश्री का इशारा कहा है.

बलदेव- क्या हुआ बेटी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो
जयश्री- कुछ नहीं पापा आप बस बताओ न!
बलदेव- देखो यह तो गलती पे निर्भर करता है न! गलती की सजा तोह होनी चाहिए. पर बेटा इंसानी हालत, मजबूरिया को ध्यान में रख कर सोचा जा सकता है. तुम तो मेरी लाड़ली बिटिया हो तोह हो सकता है की मै तुम्हे माफ़ कर दूँ.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू थैंक यू पापा, आय लव यू.

जयश्री ने फिर से जीभ काटते हुए सोच में पड़ गयी.

बलदेव- क्या कहा तुमने अभी?
जयश्री- नहीं पापा कुछ नहीं बस कह रही थी की थैंक यू .

बलदेव समाज गया.

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.
जयश्री- पापा एक बात बोलूं?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- वो कंगन पे एक मार्क है वो क्या है? दुकानदार का मार्क तोह नहीं लगता वो!

बलदेव- हम्म.. . अब मैंने गिफ्ट दिया है तोह तुम पता करो क्या है और क्या नहीं मै क्यों बताऊँ?
बताओ! गिफ्ट भी मै दूँ और सरप्राइज भी मै ही बताऊँ! कमाल है आज कल की लड़किया इतनी भी मेहनत करना नहीं जानती
जयश्री- नहीं नहीं... पापा मै बोहोत मेंहनत कर सकती हु. आप शायद नहीं जानते चाहे तोह आप बॉस अंकल से पूछ लीजिये. और पापा मेंहनत क्या होती है मैंने आप से ही तोह सीखा है जिंदगी में. पर किस्मत देखो पापा निठल्ला साथी मिला मुझे, पापा माफ़ करना पर निठल्ला है आपका दामाद एकदम

बलदेव खुश था की उसकी बेटी भी उसके जैसी मुँहफट है बोलने में बेख़ौफ़.

बलदेव- वो तोह मै जनता हु मेरी लाडो, तुम फिक्र मत करो. मै उसे लाइन पे लाऊंगा .तुम बस खुश रेहान मेरी रानी बिटिया

जयश्री- पापा मै कुछ कहु? आप बुरा तोह नहीं मानोगे?
बलदेव- हाँ बोलो न
जयश्री- आपने आपकी ड्रिंकिंग कम की या नहीं, और सुट्टा भी बोहोत पिने लगे हो. मैंने देखा पिछले बार जब आई थी तोह पूरा छत का कोना और डस्ट बिन सिगरेट के फ़िल्टर से भरा हुआ था. जब से माँ गयी है आपकी आदते बिगड़ गयी है. जब माँ थी तोह कण्ट्रोल था आप पर. अब तोह आप हवा के तरह हो गए हो आज़ाद है न!
बलदेव- अरे बेटी, दारू सिगरेट तोह मर्दानगी की निशानी है जिंदगी का मज़ा नहीं उठाया तोह क्या ही किया तुमने. एक दिन तुमको भी ये बात समझ आएगी. वो न कल ही मैंने टीवी पे एक फिल्म का गाना सुना उसके बोल थे 'अपना हर पल ऐसे जिओ जैसे के आखरी हो'

जयश्री बलदेव की चलाखी समझ गयी.

जयश्री- पता है पता है मिस्टर बलदेव मै सब समझती हूँ आपको आप बातो के महारथी है

बलदेवव को जयश्री का यह बदलाव बोहोत भा गया. आज तक उस ने कभी अपने पापा को नाम से नहीं बुलाया जिंदगी में. अब एक ही कॉल में उसने दो बार उनका नाम लिया. बलदेव खुश था.

बलदेव- अ हं ... तुम नहीं समझी मेरी लाडो हम सिर्फ बातो के नहीं 'काम' के भी महारथी है. तुम नहीं जानती.

बलदेव ने जानबुज़ कर 'काम' शब्द पे जोर दे कर कहा. जयश्री को भी मज़ा आ रहा था.

जयश्री- अच्छा, तोह कभी जान लुंगी आपके 'काम' की महारथ (कर हसने लगी)

बलदेव- अच्छा एक बात कहु
जयश्री- जी पापा बोलिये
बलदेव- तूने वो कंगन अभी पेहेन रखे है?

जयश्री अब सख्ते में आ गयी. वो अब सोच में पड़ गयी की क्या जवाब दे.

जयश्री- वो क्या है न पापा मै अभी अभी आयी थी न! तो फ्रेश होने के लिए वो कंगन मैंने सेफ रख दिए है. आपने दिया है न तोह संभल के रखे है. मै नहीं चाहती वो ख़राब हो या उसका मोल कम हो. पापा आप नाराज़ हो क्या! क्यों की अभी वो मैंने पहने नहीं इसलिए

बलदेव थोड़ी देर चुप रहा वो कुछ न बोला
जयश्री- पापा प्लीज बोलिये न

बलदेव फिर भी कुछ न बोला. पूरा सन्नाटा था रात का .जयश्री अकेले अपने बंगलो के छत पर अंधेरे में अपने बाप से बात कर रही थी. उसको डर भी नहीं था की कोई उसकी बाते चुप के से सुन लेगा.

जयश्री- पापा प्लीज, आय एम् सॉरी पापा प्लीज कुछ बोलो न!

२ पल के लिए उसे लगा की उसने अपने पापा को नाराज़ कर दिया और उसे लगा की वो कितनी बेवकूफ है. जिसने गहने दिए उसको थैंक्स बोलने तक वो गहने भी नहीं पेहेन सकती.

जयश्री- पापा प्लीज...
बलदेव- अरी मेरी बिटिया रानी ऐस कुछ नहीं वो बस ...
जयश्री- पापा मुझे पता है आपको बुरा लगा. आपने मेरे लिए इतना कीमती तोहफा लाया और मुझे उसकी कदर नहीं, रुको पापा १ मिनट

वो फटाक से उठी और वो जीने से निचे गयी. फोन चालू ही था. उसने तुरंत वो वार्डरोब निकाला और डिब्बा खोल कर वो कंगन पहने लगी

जयश्री कंगन पेहेनते हुए

जयश्री- पापा बस एक मिनट

उसने कंगन पहने और फिर से छत पर आ गयी और वही बैठ गयी आराम से और बात करने लगी

जसिहरी- पापा अब बोलिये मैंने क्या पहना है?
बलदेव- क्या पहना है बेटी?
जयश्री- वही जो अपने मुझे गिफ्ट दिया है.

बलदेव जानबूजकर

बलदेव- पर मुझे कैसे पता की तुमने कंगन पहने है. तुम झूठ बोल रही हो.
जयश्री- नहीं पापा , सच में पहनी है
बलदेव- नहीं तुम झूठ बोल रही हो

हाला की बलदेव को पता चल गया था की जयश्री ने कंगन पहने है अभी.

जयश्री- पापा.. पहने है
बलदेव- मै कैसे मान लू?
जयश्री- रुको

जयश्री ने फ़ोन चालू रखा और अपने मोबाइल से एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई की फोटो ली और बलदेव को भेज दी

जयश्री- पापा देखा?
बलदेव- क्या?
जयश्री- ओह पापा आप भी न अपना मोबाइल चेक करो कुछ भेजा है, सिर्फ बात न करो

बलदेव ने मैसेज देखा. जयश्री ने फोटो भेजी थी. उसकी कलाई पे वही उसने दिए हुए कंगन
उसको विश्वास नहीं हुआ की एक दिन उसके दिए हुए कंगन उसकी बेटी इतनी शान से पहनेगी.

बलदेव- ओह मेरी गुड़िया रानी, कितनी प्यारी दिख रही है कंगन तुम्हारे कलाई पर
जयश्री- जी पापा आपने दिए हुए है प्यारे क्यों नहीं लगेंगे

जयश्री- पापा आप मेरा एक काम करो न! आपने रूद्र अंकल से बात की कुछ
बलदेव- नहीं वो बिजी था तोह नहीं कर पाया
जयश्री- पापा मै ऐसे घर में नहीं बैठ सकती मुझे आदत नहीं है. मुझे कुछ कर दिखना है.
बलदेव- नहीं बेटी कितना काम करोगी, अब तुम सिर्फ ऐश करोगी, समझी मेरी लाडो
जयश्री- ठीक है पर किसी भी इंसांन का वजूद उसके काम से ही होता है पापा प्लीज आप बात करो न
बलदेव- सुनो जयश्री तुम रूद्र के साथ काम मत करो

जयश्री को पहेली बार शक हुआ की कही बलदेव को उसके अफेयर के बारे में पता तोह नहीं चल होगा! अगर चला होता तोह वो मुझ से नाराज़ होते और गिफ्ट देने की बात ही दूर थी फिर.

बलदेव- सुनो ,तुमको काम करना है, ठीक है मै कुछ सोचता हूँ और सतीश को बोल दूंगा क्या कर सकती हो तुम , ठीक है!

जयश्री- थैंक यू पापा
जयश्री- पापा और एक बात करूँ, वैसे भी काम कर के बाद में भी बोहोत समय बाकि बचता है. बोर हो जाती हूँ मै. मै चाहती हूँ की मै ज़ुम्बा ज्वाइन कर लूँ प्लीज और जिम ज्वाइन कर लूँ या दोनों
बलदेव- अरे बेटा उसकी क्या ही जरुरत है , तू खा पि ऐश कर बस
जयश्री- पापा प्लीज मै फिट रहना चाहती हूँ
बलदेव- ओके बेटी, अब तुमसे तोह मै जित नहीं सकता, सुनो मै सतीश को बोल दूंगा की वो तुम्हरा सुभे श्याम का क्लास लगाए और हाँ मै भी सोच रहा हूँ की
बलदेव- देहाती कसरत बोहोत कर ली अब थोड़ा मॉडर्न कसरत कर लू
जयश्री- अरे वाह मिस्टर बलदेव जी, क्या बात है. वैसे आपको कोई जरुरत ही न है फिट रहने की आप से फिट इस पुरे इलाके में कोई न है पापा! आपके देहाती अखाड़े के पैतरे तोह पुरे बिरादरी में फैले है पापा

बलदेव अपनी बेटी के मुँह से अपनी फिटनेस की तारीफ सुन कर खुश हुआ.

बलदेव- वो तोह बस ऐसे ही बेटी, सुनो मै सोच रहा था की यहाँ भी एक जिम बना लू! क्या केहेती हो
और घर पर भी एक जिम बना लूँ
जयश्री- वाव पापा, आप कमाल हो. क्या धांसू आईडिया है आपकी
बलदेव- हाँ जरुरी सामान मंगवा लेता हूँ
बलदेव- सुनो कल से ही तुम ज्वाइन करो जिम वह की कुछ दिन मै सतीश को बोल दूंगा कल वो तुम्हे सुभे लेके जाये जिम को
जयश्री- वाह क्या बात है , थैंक्स पापा
बलदेव- अच्छा तोह फ़ोन रखु
जयश्री- नाय पापा अभी नाय
बलदेव- अरे सो जाओ आनेवाले दिनों में तुम्हे बोहोत मेंहनत करनी है
जयश्री -हाँ पापा आप मुझ पे भरोसा रखे
बलदेव- शाब्बास मेरी शेरनी. एक बात कहु
बलदेव- मुझे गुड नाईट किश दोगी?
जयश्री- क्या? आप यह क्या कह रहे है
बलदेव- हं अब अपनी प्यारी बेटी से गिफ्ट के बदले इतना भी नहीं मिल सकता मुझे .अपने बाप को ऐसी ही छोड़ दोगी हवा में
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा पर बस ऐसे ही सोच रही थी. इस से पहल तोह कभी अपने ऐसा कुछ माँगा नहीं
बलदेव- अब तुम भी मॉडर्न हो गयी हो तोह मुझे भी तोह थोड़ा मॉडर्न बनना पड़ेगा न!
जयश्री- अच्छा जी!

अब जयश्री के पास कोई जवाब न था. उसने उ कर के अपने होटो से किस फेका और

जयश्री- गुड नाईट. चलो आप भी एक गुड नाईट किस दो
बलदेव- नहीं मै क्यों दूँ, वाह रे मेरी शेरनी, मतलब गिफ्ट भी हम ही दे और गुड नाईट किस्सी भी हम ही दे यह बात कुछ हजम न हुई
जयश्री- पापा .. ये बात ठीक नहीं. मैंने दी न किस्सी तोह आपको भी देनी पड़ेगी
बलदेव- देखा बेटी हम मर्दो का किस्सी देने का तरीका अलग होता है और मै तुम्हरा बाप हूँ तोह मै तय करूँगा की कैसे देना है समझी मेरी राजकुमारी!
जयश्री- (मुँह बनाते हुए) ठीक है मिस्टर. बलदेव जी आप की ये किस्सी उधर रही हम पर.

दोनों हसने लगे और बलदेव ने फ़ोन काट दिया. अब जयश्री के दिलो दिमाग पे बलदेव पूरी तहर से हावी था. उस रात के सन्नाटे में उसे ध्यान भी नहीं रहा की क्या कोई उसकी बाते सुन भी सकता है. वो अब चबूतरे पे और छज्जे की दिवार पे सर रख कर खुले आसमान को देखने लगी. आज बोहोत दिन बाद वो खुश थी. आज उसका दिन बोहोत आनंदी गया था. और इसी के चलते उसने अपना मोबाइल निकाला और फोटो एल्बम में गयी और न जाने कैसे उसकी उंगलिया उन्ही फोटो पर टिकने लगी जिस में बलदेव है. फोटो देखते देखते उसकी नज़र उन फोट ऊपर भी गयी जो हल ही में बलदेव के जन्मदिन पर सतीश ने खींची थी. वो थोड़ी सि हस भी रही थी. उसने वो फोटो देखि जहा वो उसको केक खिला रही थी और दोनों हंस रहे थे, उसने देकः की बलदेव का एक हाथ उसके पीछे से आकर उसकी कमर को पकड़ लिया था. वो हाथ जहा था वह टॉप कवर नहीं करता था. टॉप शार्ट था काफी. उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसने देखा की उसके पापा कितने स्ट्रांग आदमी है. वो तोह उसके सामने कोई चुइमुई सी लग रही थी पर एकदम हड्डी हड्डी भी नहीं. बोहोत शेप में भी थी वो. उसको अब एक अजीब सिहरन पैदा हुई थी. उसने देखा उसकी ऊंचाई तोह उसके पापा के सीने तक भी नहीं थी क्यों की बलदेव बोहोत ऊँचा आदमी था. अब वो बलदेव पे मोहित हो चुकी थी. और अब वो एक एक कर के फोटो देखने लगी. उसे वो बलदेव के जन्मदिन की वो फोट अच्छी लगी बोहोत जिसमे बलदेव उसे एक साइड से कमर में हाथ दाल के चिपक के कड़ी थी. उसको अचानक से एक आईडिया आयी. उसने उस फोटो को क्लिक किया और अपने मोबिल एक वॉलपेपर सेट किया. वो खुश हुई थी. और अपने पापा के खयालो में फोटो देखते देखते वही उसकी आंख लग गयी और वो सो गयी.
सतीश रात में १ बजे आया. वो अपनी चाबी से अंदर आया. वो हैरान था की घर में कोई नहीं. उसने जयश्री को हर जगह ढूंढा. पर वो कही नहीं दिखाई दी. थी बाकि उसकी चप्पल सामान पर्स वही था. तोह वो समझ गया की जयश्री कहा होगी. दोनों बाप-बेटी को छत पर रहना पसंद था. वो सीधा छत पर गया. और देखा जयश्री आराम से सो रही थी एक तरफ अपना सर छज्जे की दिवार पर रख कर. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे दिए थे. वो बोहोत खूबसूरत दिख रही थी आज. और वो ऐसे ही निहारता रहा तोह अचानक से जयश्री का मैसेज पे एक अलर्ट आया और वो अब उसकी मोबाइल स्क्रीन देख कर हक्काबक्का रह जाता है. जहा पहले जयश्री के स्क्रीन के वॉलपेपर पे सतीश जयश्री की जोड़ी का फोटो था अब वहां उसकी और उसके पिता बलदेव की जोड़ी से फोटो की वॉलपेपर लगी हुई थी. अब सतीश समझ गया की जयश्री पर उसके पिता के प्यार का नशा चढ़ रहा था.
 
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