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Incest कन्याधन

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अपडेट १३
(बलदेव के घर)
बलदेव कुछ देर बाद दोपहर को छत पर गया. वो व्हिस्की का स्टॉक देख रहा था तभी. उसकी नज़र सोई हुए जयश्री पर गयी. आज उसे मौका मिला था अपनी जवान बेटी की जवानी देखने का. वो धीरे से उसके किंग साइज पलंग के पास गया. उसने देखा उसकी प्यारी बेटी नींद में इतनी खूबसूरत दिख रही थी की उसका मन हुआ की वो उसे वही चुम ले. पर अब वो उसके बेटी का जवानी का खजाना देखने को ललायत था. उसने धीरे से उसकी चद्दर को हवा में उठाया. तभी बलदेव के मुँह देखने लायक हुआ था. उसको विश्वास नहीं हो रह था की ऐसी भी जवानी होती है. उस ने तोह सिर्फ टीवी या मूवीज में ही इतनी जबरदस्त अनछुई फ्रेश जवानी देखि थी. बीवी के मोटापे से थका हरा आदमी जब ऐसी कमसिन जवानी का दीदार करे तोह उसको तोह स्वर्ग का आनंद अभी मिले! जयश्री सिर्फ बलदेव के शर्ट पे सोयी हुए थी. एक साइड से लेती हुई थी शांत. और उसका शर्ट काफी निचे खिसका हुआ था. बलदेव ने देखा उसकी छोटी और सख्त पहाड़ी के बिच की वो सुन्दर घाटी का दर्शन किया. वो थोड़ा टेढ़ा सो गयी थी तोह उसके जंघा के ऊपर का शर्ट का हिस्सा ऊपर चला गया था. और अब उसकी पूरी नंगी टांगे बलदेव के आँखों को सामने थी. उसका आधा पिछवाड़ा दिखने लगा था. जयश्री की स्किन किसी मछली की तरह चमक रही थी. अब सगी बेटी की जवानी को अपनी ही आँखों से पि रहा था बलदेव. उसका मन हुआ की अभी वो उसकी शर्ट खोल कर उसके पुरे बदन का दीदार करे पर वो सब्र रखना चाहता था. खिड़की से आते हवा के झोंके से उसकी एक छोटी लट गलो पे ही घूम रही थी. उसने कभी सोचा नहीं था की उसकी बेटी इतनी खूबसूरत है. उसका मन हुआ की उसको गलो पे किस करे पर वो रुक गया और चुपचाप चद्दर को धीरे से उसके ऊपर रख कर बहार छत पर चला गया. अब उसको दारू से ज्यादा अपनी जवान बेटी के जवानी का नशा करने की सोच रहा था. उसने सतीश को फोन लगाया.

बलदेव- सुनो दामादजी एक काम करना आते आते तुम एक बार में जा कर दा''रु एक स्टॉक लेके आना. और एक स्टेशनरी किराना के दुकारन का एड्रेस भी दे रहा हूँ. वहा से पूरा १ महीने का सिगरेट का स्टॉक ले आना. में तुमको लिस्ट भेजता हूँ. और हाँ साथ में चकना भी ले आना खूब. और हं मैं तुम्हे एक एड्रेस भेजता हूँ जाके पता करना की मैंने जो जिम के सामान का आर्डर दिया है वो कब तक आएगा.

अब श्याम के ५:३० बज गए थे. सूरज डूबने की रह पर था. पुरे फार्म पे एक मंद सी लाली छाई हुए थी. जयश्री भी उठ चुकी थी जब वो उठी तब उसकी नजर अपने खेत की फसल पर गयी. उसको इतनी शांति और खेतो की लेहलाते फसलों का मिजाज बोहोत भा गया. उसे लग रहा था जैसे जोई रानी अपने छोटे महल में हो. पर वो काफी संभल कर इधर उधर जा रही थी. बलदेव ने सुभाष को कहा की वो दोनों बाप-बेटी के लिए चाय बनाये. बलदेव वैसे चाय नहीं पिता था पर अब जयश्री के लिए कुछ आदत बदलने को तैयार था. बलदेव चाय लेकर ऊपर गया.

बलदेव- उठ गयी मेरी राजकुमारी बिटिया, कैसी लगी नींद.

उसकी आवाज सुन ते ही जयश्री फिर से चद्दर के अंदर घुस गयी और घबरा गयी.

बलदेव- ओह मेरी रानी बिटिया अब कितने टाइम तुम चद्दर के अंदर रहोगी. और मुझ से क्या शर्माना! और वैसे भी तुमने कपडे पहने हुए है उठो और गरमा गरम चाय पि लो ठंडी हो जाएगी.

जयश्री- पापा , क्या प्लीज आप मुझे चाय यहाँ बेड पे ला के देंगे?

उसको लगा की चाय अगर यहाँ मिलती है तोह शायद वो चद्दर के अंदर बैठकर ही चाय पीयेगी.

बलदेव- लो जी, ये क्या बात हुए, अपने पापा ने अपने लिए निचे से यहाँ ऊपर चाय ले आये उसका धन्यवाद् तोह दूर उल्टा पापा से सेवा करवा रही है, बिलकुल नहीं बिटिया, ये गलत है. बेटी आज कल तोह कभी मौका मिलता नहीं हमे अपनी प्यारी बिटिया के साथ खाना खाने का या फिर चाय नाश्ता एक साथ करने का तोह अब ये हक़ भी तुम हम से छीन रही हो! आजाओ यहाँ मै चाय बनाके रखता हूँ आओ और चाय खुद उठा के पि लो!

अब जयश्री भी मजबूर थी. वैसे उसे बलदेव की एक बात पर बहुत उदास हुई. उसे लगा की उसके पिता उसके माँ के गुजरने के बाद किनते अकेले महसूस कर रहे है. पहल जब जयश्री की माँ जिन्दा थी और जब जयश्री की शादी नहीं हुई थी तोह सब एक साथ खाना खाते थे. अब वो दिन सोच कर उसकी आँखों में आंसू आ गए.

जयश्री थोड़ा अचरज से चद्दर के बहार आई. वो साबित करना चाहती थी की वो अपने पिता का ध्यान रख सकती है.

जयश्री- पापा, आप ऐसा मत बोलिये. मै हु न आपको कभी अकेला महसूस न होने दूंगी. लाइये मै बनाती हु चाय. आप प्लीज वहा बैठिये.

उसने अपन हेअर बैंड लिया और अपने जुल्फे को बैंड में रख दिया. जयश्रीसे और भी स्टाइलिश दिखने लगी. तब तक बलदेव ने फिर से जयश्री की जितनी टांगे खुली थी उसके दर्शन कर लिए. जयश्री ने अभी एक बता गौर की की उसके पिताजी उसकी बदन पे गौर कर रहे थे. पर अब वो पीछे नहीं हैट सकती थी. वो चाय देने बाप के पास गयी पर अब. अब जब वो चाय देने को झुक गयी तोह फिर से कमाल दिख गया. बलदेव ने फिर से दो सख्त चुचे देख ली और अब उसके पैंट में तम्बू होने लगा. वो अपना पैंट ठीक कर के ठीक बैठने लगा. जयश्री भी ये सब होता देख रही थी. उसके पता चला की बलदेव के नज़र उसके सीने पर है तोह उसने एक हाथ से कमीज को सेट करने की कोशिश की.

बलदेव- यही चाय पिए? चलो न बहार छज्जे पे बड़े से छत के उस सोफे पे जेक चाय पीते है !

जयश्री ये बात सुन कर ही घबरा गयी.

जयश्री- पर मै बहार इस हालत में!
बलदेव- कोनसी हलाकत, तुम क्या बात कर रही हो! आज कल तोह लोग हाफ चड्डी और आधे टॉप पहन कर खुले आम सड़को पे घूम रही है और तुम भी ये सब में कहा पड़ गयी. कभी कभी मै सोचता हूँ की रुद्रप्रताप का नसीब बोहोत अच्छा है. उसको कम से कम एक मॉडर्न लड़की का साथ तोह मिला. और देखा हम यहाँ एक फुल लम्बा शर्ट पहनने को भी दिक्कत हो रही है. और वैसी भी इस खेत वाले फार्महाउस में आस पास कोई माकन है नै. सब तरफ खेत है कोई क्या ही देख लेगा छत पे वो भी अपने ही घर के छत पे है हम किसी और घर के खेत पर नहीं!

अब तीर सही निशाने पे लगा था. पर जयश्री सोच रही थी की आखिर वो उसका बाप है. और बाप के सामन येह सब पाप होता है ऐसा समाज कहता है. पर वो ये भी समझती थी की उसके पापा को वो हर वो आनंद देगी जो एक बेटी दे सकती है.

जयश्री- ठीक है पापा, आपको लगता है न मै मॉडर्न ही राहु, चलो फिर बाहर.

दोनों एक साथ चाय की चुस्की लेते हुई बहार आये. जयश्री को एक अजीब आनंद आ रहा था. इतने खुले आसमान में बिना अंडरगार्मेंट्स के वो घर के छत पर सिर्फ एक पतले शर्ट पर बैठी थी. दोनों चाय पि रहे थे एक साथ. तभी

जयश्री- पापा अपने उनको, सामान लेन को बोलै है न!
बलदेव- हाँ क्यों क्या बात है...
जयश्री- पापा मेरा फ़ोन अंदर ही रह गया क्या आप उनको फ़ोन लगा सकते है! मुझे बात करनी है...

बलदेव ने फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड पर डाला... सतीश ने उठाया ..

सतीश- हं ससुर जी बोलिये क्या बात है! सब ला रहा हूँ साड़ी वाड़ी छोड़ कर

सत्यानास कर दिया दामाद जी ने. सोच रहा था बलदेव.

जयश्री- क्या? तुम क्या बात कर रहे हो! साडिया क्यों नहीं जी! सुनो तुम सब कपडे ले कर आओ... और हं वो मेरा मेकअप किट और वह सेफ लाकर में मेरा वेलवेट का बड़ा बॉक्स है वो भी साथ में लेके आना समझे और हाथ हिलाते मत आना. मेरे जूते भी ले आना सभी.

बलदेव को लगा उसकी चोरी पकड़ी गयी. उसने सतीश को सिर्फ मॉडर्न ड्रेस लेन को कहा था . उधर जयश्री भी सोच में पड़ गयी की क्या सतीश को उसके पापा ने आदेश दिया था की साडिया मत लेके आना! क्या पापा उसे मॉडर्न ड्रेस में ही देखना चाहते है आज कल! बोहोत सरे सवाल थे जो वो बाद में सोचना चाहती थी.

जयश्री- पापा एक बात कहु?
बलदेव- हाँ हं बोलो न
जयश्री- सुभाष ये क्या बनाता है, ऐसी चाय तोह हमारे ऑफिस का चपरासी भी न पिए. ऐसी घटिया चाय नाश्ता पानी कैसे कर रहे है आप. ऐसे तोह आप दुबले पतले हो जाओगे.

बलदेव ने सिगरट जला कर सोचने लगा. तभी जयश्री ने उसके मुँह से सिगरेट छीन ली.

बलदेव- यह क्या अब एक ही तोह सहारा है मेरा, दा"रू और सिगरेट और वो भी तुम मुझ से छीनना चाहती हो.

जयश्री को बुरा लगा.

जयश्री- यह आप के लिए ठीक नहीं है आप ऐस खुद को क्यों सजा दे रहे है... अब माँ भी नहीं है आपको समझाने के लिए .अब मै आपको माँ की जगह तोह नहीं ले सकती.

यह कह कर जयश्री अब बलदेव एक बिलकुल बगल में करीब आ गयी और बलदेव का चेहरा दोनों हाथ के अंजुली में लेके

जयश्री- पापा मुझे माफ़ कर दो, आप जिस हालत से जा रहे है उसको मै समझ नहीं पायी
बलदेव- छोड़ो न जयश्री इसमें तुम्हारी क्या गलती है, तुमने तोह अपनी खुशियों का रास्ता ढूंढ लिया था पर फिर भी मेरे लिए उस शान शौकत की आराम की शहरी जिंदगी छोड़ कर मेरे लिए यहाँ आयी हो. अब बताओ जिस के पास इतना प्यार करनेवाली प्यारी बेटी हो उसकी हालात कैसे हो सकती है. मै तोह खुशनसीब हूँ.

जयश्री- बस पापा अब बोहतो हो गया. अब आप का ध्यान मै रखूंगी... आप फ़िक्र न करो पापा... आज से जो चाहिए मै आप को दूंगी पापा .. मुझे माफ़ कर दो पापा मै आपको हमेशा ड्रिंक्स और स्मोक के लिए रोकती हूँ पर मुझे आपकी ख़ुशी से बढ़ कर कुछ नहीं है.. आप जैसा जीना चाहते है जिए मै आपका साथ दूंगी पापा.. पर आप खुश रहिये प्लीज ... पर हाँ मै चाहती हूँ की आप लिमिट में ही ड्रिं"क्स और सिगरेट ले.. बस एक बिनती है..

बलदेव अपनी बेटी की सिर्फ खूबसूरती पे ही फ़िदा नहीं था पर उसका मन एक दम निडर और बोल्ड था ...
जयश्री- पापा सतीश को फ़ोन लगाओ न ...
बलदेव- अब क्या , अभी तोह बात हुई थी न उसके साथ..
जयश्री- पापा प्लीज लगाओ ..

बलदेव ने फ़ोन लगाया.

सतीश- जी ससुर जी बोलिये. पर इस बार भी उसको उसकी पत्नी की आवाज सुनाई दी.

जयश्री- सुनो, वो आते वक़्त जो समीर के दुकान है वहां से मस्त फ्रेश मटन ले आना!

जयश्री को पता था की मटन सुनते ही उसका बाप तोह दौड़ पड़ेगा. बलदेव ने अपने हाथ से जयश्री के गाल तक ले गया और हाथ से चुम्मी की तरह लेके खुद के होंठो तक ले आया और हवा में किस करते हुए खुश हुआ...

जयश्री- और सुनो, तुम तोह खाते नहीं हो कुछ, तोह ठीक से सुनो ... ध्यान से मै जो बोल रही हूँ ...
उसको पूछो मटन ताज़ा है के नहीं, एक दम ताज़ा होना चाहिए वो भी धो कर मस्त.. और हाँ १ किलो मटन ले आना... उसको बोलो की बड़े पीसेस में दे और थोड़ा चर्बी वाला देने को बोलो ... सुनो बोनवाले लाना.. पापा को बोहोत पसंद है. कुछ पीसेस बोनलेस भी लाना.

सतीश अपनी पत्नी की बाटे सुनकर भोचक्का हो गया.

सतीश- जी मैडम जी और कुछ ...

जयश्री- कुछ नहीं.. पर ध्यान रखना मटन एकदम फ्रेश चाहिए समझे.. वर्ना मै तुमको दौड़ाउंगी समझे (धमकी की सुरताल में बोल रही थी और फ़ोन रख देती है)

बलदेव अपनी बेटी की यही धांसू ऐडा पे फ़िदा था.
जयश्री- मिस्टर बलदेव जी आज आप अपनी बेटी का जलवा देख ही लीजिये. अगर आज के खानमें खुद की उंगलिया नहीं चभाई तोह आपकी बेटी का नाम भी जयश्री नहीं ...
बलदेव- वाह मेरी राजकुमारी , मेरी सोनी प्यारी बेटी वाह
बलदेव ने फिर से उसे गले लगाया. इस बार जयश्री अंदर से कुछ भी नहीं डाला था और सिर्फ एक पतला शर्ट था जो न के बारे बार था ... बलदेव को ऐसा लग रहा था की वो अपनी नंगी बेटी को ही बहो में ले रहा है. इस बार जयश्री का मंगलसूत्र शर्ट के बहार था तोह वो बलदेव को सीने पर चुभ रहा था. पर उसके साथ साथ अपनी बेटी के सख्त बॉल भी उसके सीने पर दबे थे. जयश्री भी अपने पापा को खुश देख कर खुश थी. बलदेव ने मीठी छोड़ दी और जयश्री को प्यार से कपोल पर चुम्मा लिया. जयश्री भी रही थी की बाप-बेटी का यह गलबहियां कोई देख न ले. पर उसे ये भी पता था की बलदेव किसी भी मुसीबत से निपट सकते है.

जयश्री- मै जाती हूँ निचे.. वो मटन ले कर आएंगे मै मटन बनाने के लिए बर्तन और निचे जाकर खेत वाले गेट के बगीचे के पास चूल्हा बनाती हु...

जयश्री जैसे ही जाने लगी तोह बलदेव से रहा न गया, तोह जयश्री जाने के लिए जैसे कड़ी हुई बलदेव ने उसका दायां हाथ झट से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया और जयश्री ने थोड़ा पीछे मूड कर देखा तोह सँभालने के लिए पांव अटक गया और उसका वजन बलदेव की तरफ गिर गया और अचानक से उसके होंठ १ सेकंड के लिए बलदेव के होंठो छू गए और बलदेव ने उसे सँभालने के लिए उसकी कमर को थाम लिया. उसकी सख्त पर पतली सी मांसल कमर को पकड़ लिया था. अब दोनों एक दूसरे को देखने लगे अब दोनों के होठो में २ इंच का फैसला होगा... तभी वही से जा रहे एक मजदूर का रेडियो पर एक गाना चल पड़ा.. (रंग भरे बदल से, तेरे नैनो के काजल से, मैंने इसे दिल पे लिख दिया तेरा नाम..) जयश्री को अपने बाप के मुँह से सिगरेट का भी स्मेल आ रहा था... जो उनके एक दूसरे के प्रति प्यार में ४ चाँद लगा रहा था... अब जयश्री भी ठिकाने आ गयी...

जयश्री ने धीरे से अपने शर्ट को थोड़ा सा ऊपर कर के अपनी छाती ढकने का असफल प्रयास किया और शर्मा गयी...

जयश्री- छोड़िये न ...
बलदेव- हं ...
जयश्री- छोड़िये न... कोई देख लेगा...

बलदेव को लगा अभी के अभी जयश्री को मुख चुम्बन दे दे पर उसने ऐसा नहीं किया , दोनों छत पर थे ...
बलदेव ने उसे छोड़ दिया और जयश्री हस्ते हुई अंदर भाग गयी...

बलदेव- और सुनो, तुम चूल्हा का इंतजाम मत करना ... सतीश को बोल दूंगा चुला खेत के कोने में बनाने को तुम सिर्फ मटन पे ध्यान देना ....

रात के ८ बज गए. जयश्री फ्रेश हो कर तैयार हुई थी. तभी सतीश की कार की आवाज सुनाई दी. साथ में और एक गाडी आई थी... सतीश आ चूका था. उस ने सब सामान जयश्री के नीचेवाले कमरे में रख दिया. जयश्री ने जब उसके कपडे देखे तोह उसकी जान में जान आ गयी. ये देख कर...
बलदेव- (सतीश से पूछा) और कोई आया है क्या?
सतीश- जी ससुर जी वो, फ़िटबालेन्स कंपनी से आये है आप ने आर्डर दी थी न जिम के सामान की वो सामान को फिटिंग करा के १ घंटे में आपकी जिम रेडी कर देंगे. मैंने उनसे कहा की कल सुबह भी काम कर देंगे तोह भी चल जायेगा पर कंपनी वाले ने बोलै की कस्टमर को जल्द से जल्दी सामान देना उनका काम है. इसलिए वो अभी चले ए..

बलदेव- क्या बात है दामाद जी , बोहोत शातिर हो गए हो... चलो इस ख़ुशी में हम आज साथ खाना खाते है... तुम बोल दो सुभाष को की वो तुम्हरे लिए खाना बनाये और घर चले जाये अब एक दो दिन के लिए उसे छुट्टी दे दो.. तुम हो ही यहाँ... और सुनो तुम्हरा सामान अब सुभाष के रूम में के पीछे के कोने में लगा दो तुम वही रहोगे.. और हं ऊपर छत पर जाना नहीं है मेरे इजाजत के बिना.. ओके!
और एक बात वह खेत के घुसनेवाले गेट पे यहाँ घर के उस खुले कोने में एक चूल्हा बना देना और अंदर के बड़े बर्तन और सब होते मोठे बर्तन डिब्बे लगा दो मसाले के.. और है वही पे आम के पेड़ के निचे अपना खटिया लगा दो और आगे टेबल वगेरा लगा दो... खाना खाने..

सतीश उदास हो गया क्यों की अब उसे नोकरो के रूम में रहना था...

सतीश- जी ससुर जी में सुभाष को बोल देता हूँ की वो अभी निकले घर उसके और २-३ दिन न ए ... छुट्टी ले ले. में अपना खाना खुद बना लूंगा और हं कपडे धोनेवाली को भी कल सुभे आने को बता दूंगा. और मै चूल्हा लगवा दूंगा पर ससुर जी वो २ बिगा जमीं का क्या हुआ?

बलदेव- हं हाँ कल मै सब बात करूँगा तुम आ जाना अपना खाना खाने आज में कॉल करूँगा.. सतीश चला गया अपना सामान लगाने.


अब जयश्री घर के निचे के उसके कमरे में कपडे बदल कर आई. बलदेव भी ऊपर गया फ्रेश होने को फ्रेश होकर एक बनियान और लुंगी पहन कर वापस आया तोह देखा जयश्री ने कपडे बदल कर आयी थी. बलदेव ही कुर्सी पे आंख लगाए पड़ा था की जयश्री ने आके बलदेव के आंख अपने हाथो से दबाई और बैंड कर दी...

जयश्री- बताइये में आपको क्या सरप्राइज देनेवाली हूँ!
बलदेव- और क्या सरप्राइज होगा मेरी रानी लाडो ...
जयशेरी- देखो मै जब तक नहीं बोलूंगी आप आंख मत खोलना...

बलदेव वैसा ही करता है...

जयश्री- अब खोलो आंख पापा

जब वो आंख खोलता है तोह पता है की सामने जयश्री की कलाई है और उस पर वो ही चुडिया पहनी ही है जो बलदेव ने दी थी.

जयश्री- अब खुश पापा!
बलदेव- बोहोत खुश मेरी रानी बिटिया.. (कह कर उसके हाथ और कलाई को चूमने लगे)
फिर बलदेव ने देखा उसने अब फीके लाल रंग की साडी पेहेन राखी थी और अब वो चूल्हे के पास बैठक की तरह बैठ गई और मटन का सब सामन वामन तैयारी कर मटन करी बनाने में व्यस्त हो गयी . उसने कुछ मटन अलग रखा और उसको स्टार्टर बनाने के लिए रखा.

बलदेव अब उसको पीछे से देख कर बलदेव होश खो बैठा. उसकी पतली कमर और उसक मेक उप उसके पैंट में हलचल करने लगे. फिर अपने पतले सुन्दर होठो से चूल्हे में छौक लगा रही थी...

बलदेव ने सतीश को बुलाया.

सतीश- ससुर जी वो जिम का सब सामान फिट हुआ. उन्होंने कहा की आप कल से फिटनेस चालू कर सकते हो.

बलदेव- दामाद जी जरा नए वाले स्टॉक से 'बीसी' वाला व्हिस्की ले आना और मेरे लिए लार्ज पेग बनाना
तभी बलदेव को रुद्रप्रताप का फ़ोन आता है.. उसका नाम फ़ोन पर देखते ही उसके होश उड़ जाते है.. पिहकले २-३ दिन से बलदेव ने एक भी बार रुद्रप्रात्प को खुद से फ़ोन नहीं किया जब की बलदेव काम से काम दिन में एक बार तोह फ़ोन जरूर करता है उसने फ़ोन उठाया.

रुद्रप्रताप- क्या बात है भाईलोग.. कहा हो... कैसे हो... क्या बात है साहेब... बेटी मिलते ही तुम कोण और मै कोण? तोह क्या बात है बताओ यार... बाप-बेटी के इश्क़ की गाड़ी कहा तक आगे बढ़ी.. कुछ अता न पता है तुम्हारा.. क्या चल रहा है क्या नहीं कोई खबर बात भी तोह नहीं दी

बलदेव- नहीं रूद्र ऐसा कुछ नहीं ... यही खेत में बैठ है.. यार थैंक्स तुम न होते तोह आज ये दिन न अत. .. पता है तुम्हरी राय मेरे बोहोत काम आयी.. मैंने उसे कंगन गिफ्ट किये थे.. बोहोत खुश है यार.. आज जयश्री आयी है पता है आज कितने दिनों बाद उसके हाथ का मटन खाने को मिलेगा..
रुद्रप्रताप- क्या बात है यार, वाह , हमे नहीं बुलाया! अकेले अकेले...
बलदेव- तोह क्या हुआ , तुमने भी तोह हमारा माल चखा न अकेले अकेले में..
दोनों हंसने लगे...

तब तक सतीश एक लार्ज पेग बना चूका था और जैसे ही बलदेव ने सिगरेट मुँह में रखा सतीश ने तुरंत उसकी सिगरेट जला दी


बलदेव- अच्छ चल मै तुझे बाद में बात करता हूँ
रुद्रप्रताप- अच्छा सुन तुमने निचे भी कभी शेव या क्लीनिंग की है?
बलदेव- नहीं तोह ऐसा क्यों बोल रहे हो?
रुद्रप्रताप- जयश्री को साद सफाई बोहतो पसंद है. सुनो मेरी बात कम से कम निचे कुछ कैची चलाओ और बाल कम कर दो

तब जयश्री ने मटन बना लिया था. सामने मटन स्टार्टर देख कर बलदेव के मुँह में पानी आ गया और उस मटन करि की खुशबु आई है , बलदेव सातवे आसमान पर था...

जयश्री- किस का फ़ोन था! आवाज से तोह बॉस अंकल का लग रहा था.. क्या बोले वो?
बलदेव- कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ

सतीश भी अपना थाली ले कर साथ खाने खाने आया.. जयश्री बलदेव को खाना परोसते रही थी.. की अचानक से बलदेव ने उसकी तरफ देखा क्यों की सतीश नजदीक वाले सोफे पे बैठ रहा था सतीश समझ गया की वो जगह उसकी नहीं. सतीश फिर सामने दूर के एक कुर्सी पर बैठ गया. और खाना चालू किया तभी जयश्री ने सतीश की तरफ देख रही थी.. वो सतीश के पास आई और सतीश को एक जोरदार थप्पड़ गाल पर जड़ गया..

जयश्री- तुम्हे शर्म नहीं आती , जिस ससुर जी ने तुम्हे मौका दिया, तुम्हे एक इज्जत की जिंदगी दी तुम्हारे अन्नदाता बने.. और तोह तुम उनके पहले अपना भोजन स्टार्ट करोगे!

सतीश- (गाल को सहलाता) माफ़ करना ,

वो रुक गया

जयश्री- लीजिये मिस्टर बलदेव जी आपकी फेवरिट रेसिपी , अब मार लो तांव

ऐसा कह कर जयश्री झुक कर नजदीक से मटन करि परोसने लगी तभी बलदेव ने अपना सिगरेट का धुआँ जयश्री के मुँह पर फेकता है. जयश्री को ये बोहतो अजीब भी लगा और उनसे इम्प्रेस भी हुए. तभी खाना परोसते परोसते जयश्री एक बार झुकी तोह उसके साड़ी का पल्लू उसके बाप के सामने ही गिर गया और फिर दिखे ब्लाउज के अंदर के घने तंग बॉल. को देखने लगा... तब जयश्री की पीठ सतीश की तरफ थी उसे पता नहीं चल रहा था उस साइड क्या हो रहा है... जैसे ही जयश्री का पल्लू गिरा बलदेव ने उसका पल्लू पकड़ लिया और खींचने लगा.. जयश्री डर गयी आज उसके पिता उसके पति के सामने ही उसक दामन खींच रहे थे. जयश्रीने उसे आँखों से ही बिनती की.. फिर उन्होंने छोड़ दिया... जयश्री हसने लगी..

अब बलदेव खाना चालू करनेवाला था तभी..

जयश्री- न न न न न न ...अभी नहीं पापा, ये लो आपके लिए स्पेशल मटन सूप
बलदेव- अह्ह्ह्ह वह मेरी राजकुमारी वह क्या बात है ....

सतीश को अपनी ही पत्नी की अपने ही ससुर के प्रति लगाव देख कर हैरानी हुई.

बलदेव (जयश्री से) - बेटा तुम भी खाऊ न!
जयश्री- नहीं नै , पापा मै तोह खा लुंगी पर पहले पापा का पेट थोड़ा भर जाये फिर बाद में

ऐसा कह कर जयश्री ने मटन स्टार्टर का एक पीस उठाकर बलदेव को खिला दिया. बलदेव मनो किसी आसमान पर था...

बलदेव- उम्म्म्म अहह...

आज वो कितने दिनों बाद ऐसा स्वाद चखा था..

उसने जयश्री की उंगलिया चटनी शुरू की पर सामने सतीश भी था तोह वो शर्माने लगी.
अब रात हो चुकी थी, सब कीड़े गुर्रा रहे थे..

जयश्री (सतीश को)- सुनो खाना खाने के बाद यह सब अंदर रख देना. सब साफ़ सफाई कर लेना. कल बर्तन वाली आंटी को सब बर्तन धोने दे देना. ठीक है!

सतीश- जी मालकिन.

अब जयश्री भी बलदेव के गाल पर एक किश करने गयी और बलदेव ने जयश्री को खींच लिया और अपनी गोदी में बिठा लिया. अब जयश्री बोहतो शर्मा गयी क्यों की यहाँ अब उसका पति सतीश भी था.

जयश्री- (धीमी आवाज में) पापा...यह क्या कर रहे है आप.. आपका दामाद यही है..
बलदेव- क्या कर रह हूँ , क्या एक बेटी अपने बाप के गोद में नहीं बैठ सकती?


बलदेव जयश्री को कमर को सदी के अंदर से सेहला रहा था. जयश्री हसने लगी थोड़ी सी.

जयश्री- (बलदेव के तकले पर हाथ घूमते हुई) पापा .. मुझे काम करने की आदत है , कुछ सोचो न जॉब का प्लीज

बलदेव- मेरी रानी बिटिया सुनो, एक बात कहु?
जयश्री- रुद्रप्रताप ने तुम्हरी बोहतो तारीफ की थी मेरे पास. उन्होंने तुम्हे नौकरी पे नहीं रखा तोह क्या हुआ. मेरे पास तुम्हरे लिए एक जॉब है करोगी?

जयश्री ख़ुशी के मरे फूले नहीं समाई.

जयश्री- कोनसी जॉब? कोण देगा? कहा पे करनी है जॉब?
बलदेव-(मुस्कुराते हुए) सेक्रेटरी वाली जॉब
जयश्री- हं पर किसकी सेक्रेटरी कहा की सेक्रेटरी , क्या आप मुझे फिर से बॉस अंकल के पास भेजोगे
बलदेव- नहीं
जयश्री- फिर ?
बलदेव- मेरी सेक्रेटरी बनो मेरा धंदा तुम सम्भालो और आगे भी यह तुम्हरा ही होगा...

जयश्री सोचने लगी की ऑफर तोह अच्छ है.. पर अब सबके सामने यह कारनामे करने होंगे.. उसने सोचा की जो पिता अपनी बेटी को इतना फ्रेंडली रख सकता है उसके साथ कितना मज़ा आएगा काम करने में.
और वो सोचते सोचते लज्जा गयी और वह से भाग गयी.

बलदेव- आरी क्या हुआ , मेरी लड़ो, मंजूर है? बोलो मेरी सेक्रेटरी बनोगी?
बलदेव को जवाब नहीं मिला. और वो फिर से सुट्टा मारते मारते आसमान को देखते हुए अपनी बेटी के खयालो में खो गया...
Jabardast shandar update...
 

md ata

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Bhai kya mast kahani hai mann karta hai ki padta hi rahun
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अपडेट १२
जयश्री नहाने गयी पर पापा का ख़याला दिल से नहीं जा रहा था और अब नहाना ख़त्म होते ही उसे पता चला की उसके सारे कपडे उधर ही है ससुराल में सतीश के घर अब उसके दिल में अचानक से सैलाब उठा. अब क्या करे? अब वो कैसे घूमेगी यहाँ? जिम के कपडे भीग गए थे. और अब तोह उसके पास एक ब्रा या पैंटी भी नहीं थी. वो नहाकर ड्राई हो कर टॉवल लपेट कर ही बाहर आयी. पर वहां छत वाले हॉल में कोई न था इसलिए वो बिंदास लग रही थी. फिर भी उस ने यहाँ वह देखा की कही बलदेव आस पास तोह नहीं? फिर उसने हॉल के साउथ वाले कोने की खिड़की से आवाज सुनी तोह समझ गयी की बलदेव निचे फार्महाउस गार्डन में सतीश से बात कर रहा है. उसने खिड़की से बलदेव को आवाज लगाई. बलदेव ऊपर के हॉल में आया और जैसे ही दरवाजा खोलता है तोह जयश्री उसे टॉवल लपेट कर बाथरूम में भागते हुए दिखाई दी. २-३ सेकंड के लिए सही पर बलदेव ने जयश्री की देसी चमकनेवाली आर्म्स और निचे की टांगो का दर्शन कर ही लिया. उसकी देसी चमकीली टांगो से पता चला की वो १००% वैक्सिंग करती है. और बलदेव ने अनुमान भी लगाया की जयश्री उस जगह भी हाइजीन के मामले में काफी सजग है. उसके भीगे हुए स्मूथ स्ट्रैट शाइनी काले बाल जो ज्यादा लम्बे भी नहीं थे और छोटे भी नहीं थे तक़रीबन कंधे के निचे. वो अब समझ गया क्या हुआ है. जयश्री ने अंदर जाकर बाथरूम दरवाजा आगे किया और बात करने लगी...

जयश्री- पापा!
बलदेव- हं बोलो
जयश्री- आप ग़ुस्सा मत होना हं प्लीज
बलदेव- क्या हुआ बोलो
जयश्री- वो में कपडे उधर ही भूल आयी
बलदेव- धत.. तेरे की ...

बलदेव का दिल अंदर से गार्डन गार्डन हो गया.

बलदेव- बेटा, एक काम करो! तुम्हे सर्दी लग जाएगी. बहार आओ और कुछ पहन लो तब तक. मै कुछ इंतजाम करता हूँ. तुम भी न कमाल हो राजकुमारी जी . अपना मायका है तोह कुछ तोह कपडे रखने चाहिए न यहाँ.
जयश्री- वो सब तोह ठीक है पर ... पर अब क्या पहनू?
बलदेव- एक काम करो बहार आओ और मेरे वार्डरॉब में यहाँ कुछ मेरे कपडे है उस में से एक कोई देख लो और पेहेन लो तब तक

जयश्री को अब बड़ी घालमेल शुरू हई, अपने पापा के कपडे वो कैसे पहनेगी! बलदेव की लाटरी निकल आयी थी.

जयश्री- ठीक है पापा, मै पेहेन लुंगी!
बलदेव- हं जो मै निकल कर देता हूँ मेरा वार्डरोब का कपडा
जयश्री- पापा.. आप भी न! आप जाओ मैं ले लुंगी...
बलदेव- (हँसता हुआ) ठीक है

बलदेव चला गया. जयश्री टॉवल में बहार आई उसने पर्दो को लगा दिया और बलदेव के वार्डरॉब में देखने लगी. बलदेव को सफ़ेद कपड़ो का ही ज्यादा शौख था. जयश्री ने बलदेव की एक शर्ट निकाली और उसकी पैंट निकलनेवाली थी पर कोई फायदा न था उसकी पैंट का साइज तोह हिसाब के बहार था. अब सांढ़ के कपडे एक तितली को कैसे फिट होंगे! उसने शर्ट पहना और आईने में देख के शर्मा गयी. शर्ट इतना बड़ा था की उसकी बाँहों का टॉप उसके हाथ की एड़ी तक आ रहा था. ऊपर का बटन लगा कर भी जयश्री की छाती और क्लीवेज काफी दिख रहा था. और वो शर्ट उसके घुटनो तक आ रही थी. अब वो शर्मा गयी. वो अपने पापा का शर्ट पेहेन कर यहाँ कैसे रहेगी और कब तक. वो बेड पर लेट गयी और उसको उसके पापा का पूरा शर्ट उसके नंगे बदन को चुम रहा था. उसको इतनि ख़ुशी हुई की उसके पापा के गैरमौजूदगी में भी उसके पापा उसके तनबदन का ख्याल रखते है. उसको भूख भी लगी थी. सतीश ने उसका सुभे से पूरा मूड ऑफ कर दिया था. उसने फिर से बलदेव को आवाज लगाई ऊपर की खिड़की से. बलदेव आया पर उसने देखा छत का दरवाजा अंदर से जयश्री ने बंद किया है.

बलदेव- बेटा, दरवाजा क्यों बंद किया खोलो, मेरा भी सामान यही है. तुम निचे अपनी रूम में क्यों नहीं जाती!
जयश्री- (अंदर दरवाजे से ही बोल रही थी) पापा नहीं, मुझे निचे नहीं जाना, वहा कुछ नहीं है. यहाँ आलीशान है और यहाँ हवा भी आती है अच्छे से, पेड़ की छाव में पूरा छत है यहाँ. मैं यही रुकूंगी.
बलदेव- पर बेटी वो मेरा कमरा है, तुमको पता है ऊपर छत्त पर ही मेरा सब काम काज चलता है, छज्जे पे मेहमान वगेरा सब आते है.
जयश्री- पापा प्लीज कुछ एडजस्ट करो न!
बलदेव- ठीक है पर मुझे अंदर तोह आने दो मैं मेरा सामान इस्तेमाल करूंगा और छत्त का सज्जा भी

जयश्री ने दरवाजे की कुण्डी खोलते हुए कहा की

जयश्री- पापा अंदर मत आना अभी, जब मैं कहूँगी तभी अंदर आना.
बलदेव- ओके बेटा!
जयश्री- अब आ जाओ

बलदेव ने दरवाजा जैसे ही धकेला अंदर जयश्री उसके बेड पर चद्दर के अंदर चद्दर ओढ़े हुए पड़ी थी. उसने उसकी शर्ट पहनी हुई थी यह बात अब बलदेव को पता चल गया था.

जयश्री- पापा!
बलदेव- हाँ बेटी बोलो!
जयश्री- पापा बोहोत भूक लगी है सुभे से वो डाइट वाला खाना भी नहीं खाने दिया उस तुम्हारे बन्दर दामाद ने..
बलदेव- बस ये बात है? मैं २ मिनट में सुभाष को भेज देता हूँ खाना बनाकर तुम्हे देने के लिए

जयश्री अब सख्ते में आ गयी क्यों की वो सिर्फ शर्ट पेहेन कर थी और अब वो उस हालत में नौकर के सामने नहीं जा सकती थी.

जयश्री- पापा आप भी न! समझते नहीं कुछ
बलदेव- क्या हुआ!

जयश्री उसकी तरफ देखते हुए अब ऐटिटूड से बोली

जयश्री- पापा सुभाष मुझे खाना कैसे देगा. मैं बहार नहीं जा सकती और वो अंदर नहीं आ सकता आप मेरी हालत तोह देखो!

बलदेव को यह बात पता थी.

बलदेव- फ़िक्र मत करो मेरी शहजादी, मैं खाना लेकर आउगा तुम्हरे लिए! अब खुश.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू सो मच आप मेरा कितना ध्यान रखते है ,लव यू पापा ....

बलदेव ने सामान लिया और जाते जाते बाथरूम में एक नजर डाली उसकी एक भी ब्रा या पैंटी नहीं दिखी. इसका मतलब है की जयश्री अब सिर्फ उसका शर्ट पहन कर बैठी थी.

बलदेव- तुमने कुछ पहना नहीं
जयश्री- शी.. पापा आप को क्या करना है...आप सामान लो अपना और जाओ न प्लीज
बलदेव- मैं तोह बस ऐसे ही पूछ रहा था.. वो में सतीश को कपडे लेन को बोल देता हूँ. अब तुम कुछ दिन यही रहो!
जयश्री- जी, मैं सोचती हूँ

बलदेव चला गया. सतीश को पता नहीं था की अंदर बाप-बेटी की क्या खिचड़ी पक रही है, पर उसे अनुमान तोह हो गया था अब कुछ इंटरेस्टिंग होनेवाला है.

बलदेव- दामाद जी सुनो
सतीश- जी
बलदेव- वो जयश्री के कपडे यहाँ नहीं है तोह तुम ले के आओ

सतीश के पैरो की जमीं हिल गयी. वो सोचने लगा की अब तक उसके ससुर ऊपर जा कर क्या कर रहे थे. जयश्रीअभी भी जिम वाले कपड़ो में है या कुछ और. अगर वो जिम वाले कपड़ो में नहीं है अभी तोह बलदेव अभी ऊपर गया था तोह उन दोनों ने कैसे बात की होगी. अब उसका सर चकरा रहा था.

सतीश- ससुर जी फिर जयश्री तब तक क्या पहनेगी ,और मुझे काफी लेट होगा आने के लिए अब श्याम की ही आ पाउँगा जरुरी काम भी है .मैं अब सीधा ७ बजे के बाद ही आऊंगा. कैसे होगा सब.

बलदेव- तुम फ़िक्र न करो समझे, जितना बताया गया है उतना ही काम करो समझे.. तूम भूल गए है मैंने क्या कहा.. मैंने तुमको क्या बताया था...

सतीश- (थोड़ा डर गया) जी सॉरी, की मैं जब यहाँ आऊंगा तोह नौ...

बलदेव ने बिच में ही बात काटते हुए कहा....

बलदेव- हं याद रखना... अब भूल गए तोह तुम नहीं जानते की आगे क्या हो सकता है... समझे...

सतीश निचे मुंडी किये सुन रहा था.

बलदेव- अब जाओ, यहाँ क्यों खड़े हो... और सुनो अकल लगाओ जरा... कैसे कपडे ले आने है उसके... साड़ी, पंजाबी ड्रेस और चूड़ीदार पजामा वगेरा एक्का दुक्का ले आओ.. बाकि सब मॉडर्न कपडे लाना समझे... और आराम से आना कोई हड़बड़ी नहीं है.. तुम्हरा सब काम निपटा के श्याम को आजा वो.. और सुनो तुम्हरी भी सब सामान लेके आओ.... और हाँ मेरा भी कुछ सामान नया लाना है वो मैं तुम्हे श्याम को फ़ोन कर के बता दूंगा... मैं कुछ पैसे डालता हूँ तुम्हरे अकाउंट में...

सतीश ने हं में सर हिलाया

कुछ देर बाद बलदेव ऊपर छत पे जयश्री के लिए खाना लेकर गया जयश्री ने दरवाजे की कुण्डी खोली और ज़हट से चद्दर के अंदर जा के लेट गयी

बलदेव अंदर आ कर खाना टेबल पर रखा ..
बलदेव- खालो रानी जी.. और हं अंदर से कुण्डी मत लगाना सिर्फ दरवाजा आगे करना मेरे काम होता है कभी कुछ लेना होता है तोह तुम आराम करना मैं अपना सामान जैसे चाहे वैसे ले लूंगा... फ़िक्र मत करो अब यहाँ ऊपर कोई भी नहीं आएगा मेरी इजाजत के बिना...

जयश्री ने मुस्कुरा दिया. बलदेव फिर वह से कप्बोर्ड में सिगरट का नया पैकेट उठा के चला गया. जयश्री ने खाना खाया. उसने जैसे तैसे वो खाना खाया. उसको खाने में बिलकुल भी स्वाद नहीं लगा. उसको अपने पापा पर इतनी दया आयी की तक़रीबन उसके आँखों में अनु आ गए. ऐसा बकवास खाना उसके पापा को खाना पड़ता है यह सोच कर वो उदास हो गयी. उसने दरवाजे की कुण्डी बंद नहीं की क्यों की बलदेव का कभी भी काम पड़ सकता है. खाना खाने के बाद वो ही बेड पर सो गयी.
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