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अपडेट १२
जयश्री नहाने गयी पर पापा का ख़याला दिल से नहीं जा रहा था और अब नहाना ख़त्म होते ही उसे पता चला की उसके सारे कपडे उधर ही है ससुराल में सतीश के घर अब उसके दिल में अचानक से सैलाब उठा. अब क्या करे? अब वो कैसे घूमेगी यहाँ? जिम के कपडे भीग गए थे. और अब तोह उसके पास एक ब्रा या पैंटी भी नहीं थी. वो नहाकर ड्राई हो कर टॉवल लपेट कर ही बाहर आयी. पर वहां छत वाले हॉल में कोई न था इसलिए वो बिंदास लग रही थी. फिर भी उस ने यहाँ वह देखा की कही बलदेव आस पास तोह नहीं? फिर उसने हॉल के साउथ वाले कोने की खिड़की से आवाज सुनी तोह समझ गयी की बलदेव निचे फार्महाउस गार्डन में सतीश से बात कर रहा है. उसने खिड़की से बलदेव को आवाज लगाई. बलदेव ऊपर के हॉल में आया और जैसे ही दरवाजा खोलता है तोह जयश्री उसे टॉवल लपेट कर बाथरूम में भागते हुए दिखाई दी. २-३ सेकंड के लिए सही पर बलदेव ने जयश्री की देसी चमकनेवाली आर्म्स और निचे की टांगो का दर्शन कर ही लिया. उसकी देसी चमकीली टांगो से पता चला की वो १००% वैक्सिंग करती है. और बलदेव ने अनुमान भी लगाया की जयश्री उस जगह भी हाइजीन के मामले में काफी सजग है. उसके भीगे हुए स्मूथ स्ट्रैट शाइनी काले बाल जो ज्यादा लम्बे भी नहीं थे और छोटे भी नहीं थे तक़रीबन कंधे के निचे. वो अब समझ गया क्या हुआ है. जयश्री ने अंदर जाकर बाथरूम दरवाजा आगे किया और बात करने लगी...
जयश्री- पापा!
बलदेव- हं बोलो
जयश्री- आप ग़ुस्सा मत होना हं प्लीज
बलदेव- क्या हुआ बोलो
जयश्री- वो में कपडे उधर ही भूल आयी
बलदेव- धत.. तेरे की ...
बलदेव का दिल अंदर से गार्डन गार्डन हो गया.
बलदेव- बेटा, एक काम करो! तुम्हे सर्दी लग जाएगी. बहार आओ और कुछ पहन लो तब तक. मै कुछ इंतजाम करता हूँ. तुम भी न कमाल हो राजकुमारी जी . अपना मायका है तोह कुछ तोह कपडे रखने चाहिए न यहाँ.
जयश्री- वो सब तोह ठीक है पर ... पर अब क्या पहनू?
बलदेव- एक काम करो बहार आओ और मेरे वार्डरॉब में यहाँ कुछ मेरे कपडे है उस में से एक कोई देख लो और पेहेन लो तब तक
जयश्री को अब बड़ी घालमेल शुरू हई, अपने पापा के कपडे वो कैसे पहनेगी! बलदेव की लाटरी निकल आयी थी.
जयश्री- ठीक है पापा, मै पेहेन लुंगी!
बलदेव- हं जो मै निकल कर देता हूँ मेरा वार्डरोब का कपडा
जयश्री- पापा.. आप भी न! आप जाओ मैं ले लुंगी...
बलदेव- (हँसता हुआ) ठीक है
बलदेव चला गया. जयश्री टॉवल में बहार आई उसने पर्दो को लगा दिया और बलदेव के वार्डरॉब में देखने लगी. बलदेव को सफ़ेद कपड़ो का ही ज्यादा शौख था. जयश्री ने बलदेव की एक शर्ट निकाली और उसकी पैंट निकलनेवाली थी पर कोई फायदा न था उसकी पैंट का साइज तोह हिसाब के बहार था. अब सांढ़ के कपडे एक तितली को कैसे फिट होंगे! उसने शर्ट पहना और आईने में देख के शर्मा गयी. शर्ट इतना बड़ा था की उसकी बाँहों का टॉप उसके हाथ की एड़ी तक आ रहा था. ऊपर का बटन लगा कर भी जयश्री की छाती और क्लीवेज काफी दिख रहा था. और वो शर्ट उसके घुटनो तक आ रही थी. अब वो शर्मा गयी. वो अपने पापा का शर्ट पेहेन कर यहाँ कैसे रहेगी और कब तक. वो बेड पर लेट गयी और उसको उसके पापा का पूरा शर्ट उसके नंगे बदन को चुम रहा था. उसको इतनि ख़ुशी हुई की उसके पापा के गैरमौजूदगी में भी उसके पापा उसके तनबदन का ख्याल रखते है. उसको भूख भी लगी थी. सतीश ने उसका सुभे से पूरा मूड ऑफ कर दिया था. उसने फिर से बलदेव को आवाज लगाई ऊपर की खिड़की से. बलदेव आया पर उसने देखा छत का दरवाजा अंदर से जयश्री ने बंद किया है.
बलदेव- बेटा, दरवाजा क्यों बंद किया खोलो, मेरा भी सामान यही है. तुम निचे अपनी रूम में क्यों नहीं जाती!
जयश्री- (अंदर दरवाजे से ही बोल रही थी) पापा नहीं, मुझे निचे नहीं जाना, वहा कुछ नहीं है. यहाँ आलीशान है और यहाँ हवा भी आती है अच्छे से, पेड़ की छाव में पूरा छत है यहाँ. मैं यही रुकूंगी.
बलदेव- पर बेटी वो मेरा कमरा है, तुमको पता है ऊपर छत्त पर ही मेरा सब काम काज चलता है, छज्जे पे मेहमान वगेरा सब आते है.
जयश्री- पापा प्लीज कुछ एडजस्ट करो न!
बलदेव- ठीक है पर मुझे अंदर तोह आने दो मैं मेरा सामान इस्तेमाल करूंगा और छत्त का सज्जा भी
जयश्री ने दरवाजे की कुण्डी खोलते हुए कहा की
जयश्री- पापा अंदर मत आना अभी, जब मैं कहूँगी तभी अंदर आना.
बलदेव- ओके बेटा!
जयश्री- अब आ जाओ
बलदेव ने दरवाजा जैसे ही धकेला अंदर जयश्री उसके बेड पर चद्दर के अंदर चद्दर ओढ़े हुए पड़ी थी. उसने उसकी शर्ट पहनी हुई थी यह बात अब बलदेव को पता चल गया था.
जयश्री- पापा!
बलदेव- हाँ बेटी बोलो!
जयश्री- पापा बोहोत भूक लगी है सुभे से वो डाइट वाला खाना भी नहीं खाने दिया उस तुम्हारे बन्दर दामाद ने..
बलदेव- बस ये बात है? मैं २ मिनट में सुभाष को भेज देता हूँ खाना बनाकर तुम्हे देने के लिए
जयश्री अब सख्ते में आ गयी क्यों की वो सिर्फ शर्ट पेहेन कर थी और अब वो उस हालत में नौकर के सामने नहीं जा सकती थी.
जयश्री- पापा आप भी न! समझते नहीं कुछ
बलदेव- क्या हुआ!
जयश्री उसकी तरफ देखते हुए अब ऐटिटूड से बोली
जयश्री- पापा सुभाष मुझे खाना कैसे देगा. मैं बहार नहीं जा सकती और वो अंदर नहीं आ सकता आप मेरी हालत तोह देखो!
बलदेव को यह बात पता थी.
बलदेव- फ़िक्र मत करो मेरी शहजादी, मैं खाना लेकर आउगा तुम्हरे लिए! अब खुश.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू सो मच आप मेरा कितना ध्यान रखते है ,लव यू पापा ....
बलदेव ने सामान लिया और जाते जाते बाथरूम में एक नजर डाली उसकी एक भी ब्रा या पैंटी नहीं दिखी. इसका मतलब है की जयश्री अब सिर्फ उसका शर्ट पहन कर बैठी थी.
बलदेव- तुमने कुछ पहना नहीं
जयश्री- शी.. पापा आप को क्या करना है...आप सामान लो अपना और जाओ न प्लीज
बलदेव- मैं तोह बस ऐसे ही पूछ रहा था.. वो में सतीश को कपडे लेन को बोल देता हूँ. अब तुम कुछ दिन यही रहो!
जयश्री- जी, मैं सोचती हूँ
बलदेव चला गया. सतीश को पता नहीं था की अंदर बाप-बेटी की क्या खिचड़ी पक रही है, पर उसे अनुमान तोह हो गया था अब कुछ इंटरेस्टिंग होनेवाला है.
बलदेव- दामाद जी सुनो
सतीश- जी
बलदेव- वो जयश्री के कपडे यहाँ नहीं है तोह तुम ले के आओ
सतीश के पैरो की जमीं हिल गयी. वो सोचने लगा की अब तक उसके ससुर ऊपर जा कर क्या कर रहे थे. जयश्रीअभी भी जिम वाले कपड़ो में है या कुछ और. अगर वो जिम वाले कपड़ो में नहीं है अभी तोह बलदेव अभी ऊपर गया था तोह उन दोनों ने कैसे बात की होगी. अब उसका सर चकरा रहा था.
सतीश- ससुर जी फिर जयश्री तब तक क्या पहनेगी ,और मुझे काफी लेट होगा आने के लिए अब श्याम की ही आ पाउँगा जरुरी काम भी है .मैं अब सीधा ७ बजे के बाद ही आऊंगा. कैसे होगा सब.
बलदेव- तुम फ़िक्र न करो समझे, जितना बताया गया है उतना ही काम करो समझे.. तूम भूल गए है मैंने क्या कहा.. मैंने तुमको क्या बताया था...
सतीश- (थोड़ा डर गया) जी सॉरी, की मैं जब यहाँ आऊंगा तोह नौ...
बलदेव ने बिच में ही बात काटते हुए कहा....
बलदेव- हं याद रखना... अब भूल गए तोह तुम नहीं जानते की आगे क्या हो सकता है... समझे...
सतीश निचे मुंडी किये सुन रहा था.
बलदेव- अब जाओ, यहाँ क्यों खड़े हो... और सुनो अकल लगाओ जरा... कैसे कपडे ले आने है उसके... साड़ी, पंजाबी ड्रेस और चूड़ीदार पजामा वगेरा एक्का दुक्का ले आओ.. बाकि सब मॉडर्न कपडे लाना समझे... और आराम से आना कोई हड़बड़ी नहीं है.. तुम्हरा सब काम निपटा के श्याम को आजा वो.. और सुनो तुम्हरी भी सब सामान लेके आओ.... और हाँ मेरा भी कुछ सामान नया लाना है वो मैं तुम्हे श्याम को फ़ोन कर के बता दूंगा... मैं कुछ पैसे डालता हूँ तुम्हरे अकाउंट में...
सतीश ने हं में सर हिलाया
कुछ देर बाद बलदेव ऊपर छत पे जयश्री के लिए खाना लेकर गया जयश्री ने दरवाजे की कुण्डी खोली और ज़हट से चद्दर के अंदर जा के लेट गयी
बलदेव अंदर आ कर खाना टेबल पर रखा ..
बलदेव- खालो रानी जी.. और हं अंदर से कुण्डी मत लगाना सिर्फ दरवाजा आगे करना मेरे काम होता है कभी कुछ लेना होता है तोह तुम आराम करना मैं अपना सामान जैसे चाहे वैसे ले लूंगा... फ़िक्र मत करो अब यहाँ ऊपर कोई भी नहीं आएगा मेरी इजाजत के बिना...
जयश्री ने मुस्कुरा दिया. बलदेव फिर वह से कप्बोर्ड में सिगरट का नया पैकेट उठा के चला गया. जयश्री ने खाना खाया. उसने जैसे तैसे वो खाना खाया. उसको खाने में बिलकुल भी स्वाद नहीं लगा. उसको अपने पापा पर इतनी दया आयी की तक़रीबन उसके आँखों में अनु आ गए. ऐसा बकवास खाना उसके पापा को खाना पड़ता है यह सोच कर वो उदास हो गयी. उसने दरवाजे की कुण्डी बंद नहीं की क्यों की बलदेव का कभी भी काम पड़ सकता है. खाना खाने के बाद वो ही बेड पर सो गयी.
जयश्री नहाने गयी पर पापा का ख़याला दिल से नहीं जा रहा था और अब नहाना ख़त्म होते ही उसे पता चला की उसके सारे कपडे उधर ही है ससुराल में सतीश के घर अब उसके दिल में अचानक से सैलाब उठा. अब क्या करे? अब वो कैसे घूमेगी यहाँ? जिम के कपडे भीग गए थे. और अब तोह उसके पास एक ब्रा या पैंटी भी नहीं थी. वो नहाकर ड्राई हो कर टॉवल लपेट कर ही बाहर आयी. पर वहां छत वाले हॉल में कोई न था इसलिए वो बिंदास लग रही थी. फिर भी उस ने यहाँ वह देखा की कही बलदेव आस पास तोह नहीं? फिर उसने हॉल के साउथ वाले कोने की खिड़की से आवाज सुनी तोह समझ गयी की बलदेव निचे फार्महाउस गार्डन में सतीश से बात कर रहा है. उसने खिड़की से बलदेव को आवाज लगाई. बलदेव ऊपर के हॉल में आया और जैसे ही दरवाजा खोलता है तोह जयश्री उसे टॉवल लपेट कर बाथरूम में भागते हुए दिखाई दी. २-३ सेकंड के लिए सही पर बलदेव ने जयश्री की देसी चमकनेवाली आर्म्स और निचे की टांगो का दर्शन कर ही लिया. उसकी देसी चमकीली टांगो से पता चला की वो १००% वैक्सिंग करती है. और बलदेव ने अनुमान भी लगाया की जयश्री उस जगह भी हाइजीन के मामले में काफी सजग है. उसके भीगे हुए स्मूथ स्ट्रैट शाइनी काले बाल जो ज्यादा लम्बे भी नहीं थे और छोटे भी नहीं थे तक़रीबन कंधे के निचे. वो अब समझ गया क्या हुआ है. जयश्री ने अंदर जाकर बाथरूम दरवाजा आगे किया और बात करने लगी...
जयश्री- पापा!
बलदेव- हं बोलो
जयश्री- आप ग़ुस्सा मत होना हं प्लीज
बलदेव- क्या हुआ बोलो
जयश्री- वो में कपडे उधर ही भूल आयी
बलदेव- धत.. तेरे की ...
बलदेव का दिल अंदर से गार्डन गार्डन हो गया.
बलदेव- बेटा, एक काम करो! तुम्हे सर्दी लग जाएगी. बहार आओ और कुछ पहन लो तब तक. मै कुछ इंतजाम करता हूँ. तुम भी न कमाल हो राजकुमारी जी . अपना मायका है तोह कुछ तोह कपडे रखने चाहिए न यहाँ.
जयश्री- वो सब तोह ठीक है पर ... पर अब क्या पहनू?
बलदेव- एक काम करो बहार आओ और मेरे वार्डरॉब में यहाँ कुछ मेरे कपडे है उस में से एक कोई देख लो और पेहेन लो तब तक
जयश्री को अब बड़ी घालमेल शुरू हई, अपने पापा के कपडे वो कैसे पहनेगी! बलदेव की लाटरी निकल आयी थी.
जयश्री- ठीक है पापा, मै पेहेन लुंगी!
बलदेव- हं जो मै निकल कर देता हूँ मेरा वार्डरोब का कपडा
जयश्री- पापा.. आप भी न! आप जाओ मैं ले लुंगी...
बलदेव- (हँसता हुआ) ठीक है
बलदेव चला गया. जयश्री टॉवल में बहार आई उसने पर्दो को लगा दिया और बलदेव के वार्डरॉब में देखने लगी. बलदेव को सफ़ेद कपड़ो का ही ज्यादा शौख था. जयश्री ने बलदेव की एक शर्ट निकाली और उसकी पैंट निकलनेवाली थी पर कोई फायदा न था उसकी पैंट का साइज तोह हिसाब के बहार था. अब सांढ़ के कपडे एक तितली को कैसे फिट होंगे! उसने शर्ट पहना और आईने में देख के शर्मा गयी. शर्ट इतना बड़ा था की उसकी बाँहों का टॉप उसके हाथ की एड़ी तक आ रहा था. ऊपर का बटन लगा कर भी जयश्री की छाती और क्लीवेज काफी दिख रहा था. और वो शर्ट उसके घुटनो तक आ रही थी. अब वो शर्मा गयी. वो अपने पापा का शर्ट पेहेन कर यहाँ कैसे रहेगी और कब तक. वो बेड पर लेट गयी और उसको उसके पापा का पूरा शर्ट उसके नंगे बदन को चुम रहा था. उसको इतनि ख़ुशी हुई की उसके पापा के गैरमौजूदगी में भी उसके पापा उसके तनबदन का ख्याल रखते है. उसको भूख भी लगी थी. सतीश ने उसका सुभे से पूरा मूड ऑफ कर दिया था. उसने फिर से बलदेव को आवाज लगाई ऊपर की खिड़की से. बलदेव आया पर उसने देखा छत का दरवाजा अंदर से जयश्री ने बंद किया है.
बलदेव- बेटा, दरवाजा क्यों बंद किया खोलो, मेरा भी सामान यही है. तुम निचे अपनी रूम में क्यों नहीं जाती!
जयश्री- (अंदर दरवाजे से ही बोल रही थी) पापा नहीं, मुझे निचे नहीं जाना, वहा कुछ नहीं है. यहाँ आलीशान है और यहाँ हवा भी आती है अच्छे से, पेड़ की छाव में पूरा छत है यहाँ. मैं यही रुकूंगी.
बलदेव- पर बेटी वो मेरा कमरा है, तुमको पता है ऊपर छत्त पर ही मेरा सब काम काज चलता है, छज्जे पे मेहमान वगेरा सब आते है.
जयश्री- पापा प्लीज कुछ एडजस्ट करो न!
बलदेव- ठीक है पर मुझे अंदर तोह आने दो मैं मेरा सामान इस्तेमाल करूंगा और छत्त का सज्जा भी
जयश्री ने दरवाजे की कुण्डी खोलते हुए कहा की
जयश्री- पापा अंदर मत आना अभी, जब मैं कहूँगी तभी अंदर आना.
बलदेव- ओके बेटा!
जयश्री- अब आ जाओ
बलदेव ने दरवाजा जैसे ही धकेला अंदर जयश्री उसके बेड पर चद्दर के अंदर चद्दर ओढ़े हुए पड़ी थी. उसने उसकी शर्ट पहनी हुई थी यह बात अब बलदेव को पता चल गया था.
जयश्री- पापा!
बलदेव- हाँ बेटी बोलो!
जयश्री- पापा बोहोत भूक लगी है सुभे से वो डाइट वाला खाना भी नहीं खाने दिया उस तुम्हारे बन्दर दामाद ने..
बलदेव- बस ये बात है? मैं २ मिनट में सुभाष को भेज देता हूँ खाना बनाकर तुम्हे देने के लिए
जयश्री अब सख्ते में आ गयी क्यों की वो सिर्फ शर्ट पेहेन कर थी और अब वो उस हालत में नौकर के सामने नहीं जा सकती थी.
जयश्री- पापा आप भी न! समझते नहीं कुछ
बलदेव- क्या हुआ!
जयश्री उसकी तरफ देखते हुए अब ऐटिटूड से बोली
जयश्री- पापा सुभाष मुझे खाना कैसे देगा. मैं बहार नहीं जा सकती और वो अंदर नहीं आ सकता आप मेरी हालत तोह देखो!
बलदेव को यह बात पता थी.
बलदेव- फ़िक्र मत करो मेरी शहजादी, मैं खाना लेकर आउगा तुम्हरे लिए! अब खुश.
जयश्री- ओह पापा थैंक यू सो मच आप मेरा कितना ध्यान रखते है ,लव यू पापा ....
बलदेव ने सामान लिया और जाते जाते बाथरूम में एक नजर डाली उसकी एक भी ब्रा या पैंटी नहीं दिखी. इसका मतलब है की जयश्री अब सिर्फ उसका शर्ट पहन कर बैठी थी.
बलदेव- तुमने कुछ पहना नहीं
जयश्री- शी.. पापा आप को क्या करना है...आप सामान लो अपना और जाओ न प्लीज
बलदेव- मैं तोह बस ऐसे ही पूछ रहा था.. वो में सतीश को कपडे लेन को बोल देता हूँ. अब तुम कुछ दिन यही रहो!
जयश्री- जी, मैं सोचती हूँ
बलदेव चला गया. सतीश को पता नहीं था की अंदर बाप-बेटी की क्या खिचड़ी पक रही है, पर उसे अनुमान तोह हो गया था अब कुछ इंटरेस्टिंग होनेवाला है.
बलदेव- दामाद जी सुनो
सतीश- जी
बलदेव- वो जयश्री के कपडे यहाँ नहीं है तोह तुम ले के आओ
सतीश के पैरो की जमीं हिल गयी. वो सोचने लगा की अब तक उसके ससुर ऊपर जा कर क्या कर रहे थे. जयश्रीअभी भी जिम वाले कपड़ो में है या कुछ और. अगर वो जिम वाले कपड़ो में नहीं है अभी तोह बलदेव अभी ऊपर गया था तोह उन दोनों ने कैसे बात की होगी. अब उसका सर चकरा रहा था.
सतीश- ससुर जी फिर जयश्री तब तक क्या पहनेगी ,और मुझे काफी लेट होगा आने के लिए अब श्याम की ही आ पाउँगा जरुरी काम भी है .मैं अब सीधा ७ बजे के बाद ही आऊंगा. कैसे होगा सब.
बलदेव- तुम फ़िक्र न करो समझे, जितना बताया गया है उतना ही काम करो समझे.. तूम भूल गए है मैंने क्या कहा.. मैंने तुमको क्या बताया था...
सतीश- (थोड़ा डर गया) जी सॉरी, की मैं जब यहाँ आऊंगा तोह नौ...
बलदेव ने बिच में ही बात काटते हुए कहा....
बलदेव- हं याद रखना... अब भूल गए तोह तुम नहीं जानते की आगे क्या हो सकता है... समझे...
सतीश निचे मुंडी किये सुन रहा था.
बलदेव- अब जाओ, यहाँ क्यों खड़े हो... और सुनो अकल लगाओ जरा... कैसे कपडे ले आने है उसके... साड़ी, पंजाबी ड्रेस और चूड़ीदार पजामा वगेरा एक्का दुक्का ले आओ.. बाकि सब मॉडर्न कपडे लाना समझे... और आराम से आना कोई हड़बड़ी नहीं है.. तुम्हरा सब काम निपटा के श्याम को आजा वो.. और सुनो तुम्हरी भी सब सामान लेके आओ.... और हाँ मेरा भी कुछ सामान नया लाना है वो मैं तुम्हे श्याम को फ़ोन कर के बता दूंगा... मैं कुछ पैसे डालता हूँ तुम्हरे अकाउंट में...
सतीश ने हं में सर हिलाया
कुछ देर बाद बलदेव ऊपर छत पे जयश्री के लिए खाना लेकर गया जयश्री ने दरवाजे की कुण्डी खोली और ज़हट से चद्दर के अंदर जा के लेट गयी
बलदेव अंदर आ कर खाना टेबल पर रखा ..
बलदेव- खालो रानी जी.. और हं अंदर से कुण्डी मत लगाना सिर्फ दरवाजा आगे करना मेरे काम होता है कभी कुछ लेना होता है तोह तुम आराम करना मैं अपना सामान जैसे चाहे वैसे ले लूंगा... फ़िक्र मत करो अब यहाँ ऊपर कोई भी नहीं आएगा मेरी इजाजत के बिना...
जयश्री ने मुस्कुरा दिया. बलदेव फिर वह से कप्बोर्ड में सिगरट का नया पैकेट उठा के चला गया. जयश्री ने खाना खाया. उसने जैसे तैसे वो खाना खाया. उसको खाने में बिलकुल भी स्वाद नहीं लगा. उसको अपने पापा पर इतनी दया आयी की तक़रीबन उसके आँखों में अनु आ गए. ऐसा बकवास खाना उसके पापा को खाना पड़ता है यह सोच कर वो उदास हो गयी. उसने दरवाजे की कुण्डी बंद नहीं की क्यों की बलदेव का कभी भी काम पड़ सकता है. खाना खाने के बाद वो ही बेड पर सो गयी.