अपडेट १४
(बलदेव के फार्महाउस में घर पे)
रोज की तरह सुबहे बलदेव जल्दी ही ५ बजे उठा बाहर घना अँधेरा था. कोयल और चिड़िया चहका रही थी. दक्षिणी कोने की गोठे से मुर्गी और भैसे की आवाजे आ रही थी. उसके छत के हॉल से नार्थ-वेस्ट की तरफ निचले ग्राउंड फ्लोर पे ही नया जिम लगाया था. कमरे के सभी खिड़किया ब्लैकफिल्मड कांच से लगे थे जहा अंदर से बाहर का सब दीखता था पर बहार से अंदर का कुछ न दीखता था. इसलिए कोई भी आसानी से जिम कर सके. हांलाके खिड़कियों पे कर्टेंस थे पर वो हटे हुई थे. जिम में एक जबरदस्त म्यूजिक सिस्टम भी लगाया था. ७.१ बास की साथ. बलदेव जिम के कमरे की तरफ के उसी सीढ़ी से जाते हुए नौकरों का कमरा लगता था तोह बलदेव ने सीढ़ी से ही सतीश के कमरे में आवाज लगाई थी. पर कोई जवाब न आया. कैसे जागेगा सतीश वो कल रात को टीवी पर फिल्मे जो देखता बैठा था! बलदेव ने जैसे ही जिम में है वो सामने जो देखा उसदेख कर हक्का बक्का रह जाता है. जयश्री वहां ज़ुबाँ की स्टेप्स ट्राय कर रही थी. उसने ग्रे कलर का लिफ्ट सीमलेस बोड़ीसुईट एक्स्ट्रा सपोर्ट की अन्डरबस्ट की साथ वाला सूट था वो पहना था जो उसके बदन पर बोहोत बोहोत फिट हुआ था. जयश्री की छाती की बॉल्स पूरी तरह से कैद थे और ऊपर से पुश किये हुई थी तो उसके दोनों गोले की क्लीवेज बोहोत गहरी दिख रही थी. जयश्री पूरी तरह से बदन से पसीने तोह उसका क्लीवेज मनो किसी खाई की तरह दिख रहा था और सूट की बाहर उसके बॉल्स का कुछ अंश पहाड़ी दिख रहे थे. सामने से उसकी टांगे लगभग दिख पूरी दिख रही थी. और पीछे से भी आधे हिप्स ही ढके थे. बलदेव ने अपनी बेटी की जवानी को जिम फिट में देख कर उसको एक अजीब किस्म की ख़ुशी हो रही थी. कहते है की जब बेटी जवान हो जाती है तब एक बाप की परेशानिया और चिंताए बढ़ जाती है पर यहाँ तोह मामला बिलकुल उल्टा था. जैसे जैसे जयश्री जवान और फिट हो रही थी वैसे वैसे बलदेव की नजर और ठरक और भी गन्दी हो रही थी. जयश्री को लगा की नौकर का तोह अंदर आने का कोई चांस नहीं है और उसको लगा की बलदेव शायद ऐसे जिम में इंटरेस्ट कभी नहीं लेंगे और वो बिंदास जिम कर रही थी. बलदेव की अचानक से आते ही उसको पता चला की कोई आ रहा है जयश्री भागी और जल्दी से जिम किट का टॉवल ले कर अपने बदन को सामने से ढक दिया और एक पिलर की पीछे चिप रही थी. पर बेचारी को कहा पता ईस्ट वाले कोने का आयीना उसकी पिछवाड़े की मूरत सब दिखा रहा था. ऐसा नहीं की बलदेव ने जयश्री को पहले कसरत करते नहीं देखा पर उस वक़्त वो ज्यादा तोह शर्ट पंत या सलवार सूट पे ही कसरत करते देखा. यह बदलाव उसको बाहर की दुनिया ने दिया है ये उसे पता चला. सतीश ने उसे अच्छे खासे सूट लेक दिए थे और हो सकता है इस बदलाव में रुद्रप्रता का भी हाथ हो. बलदेव इतना खुश था की उसकी बेटी उसके नक़्शे कदम पर चल रही है. फिटनेस की बारे में वो और भी सजग हुई है. बलदेव का जन्म से ही फिटनेस पे बोहोत ध्यान रहा था पर उसने कभी जयश्री को पहले से कभी फिटनेस को लेके कभी जोर जबरदस्ती भी नहीं की थी. पर अब जयश्री को खुद-ब-खुद इतना सजग देख कर वो खुश हो गया.
बलदेव- क्या बात है बेटा... वाह क्या जिम है .. तुमने तोह आते ही शुरू कर दिया... और तुम इतनी जल्दी उठी हो.. वाह.. लड़किया तोह शादी की बाद आराम से उठती है
जयश्री- पापा, आप नॉक नहीं कर सकते थे! एक बार ...
बलदेव- क्या हुा बेटी, एक मै ही तोह हूँ .. और कोण आएगा. अब मेरा जिम में मै ही नॉक कर के आऊं
जयश्री- ऐसी बात नहीं पापा वो जिम के कपड़ो में हूँ
बलदेव- हं.. तोह लोग जिम में जिम के कपड़ों में ही होते है न! या सुहागरात वाले कपड़ो में होते है
बलदेव का निशाना सही लगा. जयश्री ग़ुस्से में भी हसने लगी..
जयश्री- पापा.... आप भी न ! पापा आप है न.. कोई दूसरा टाइमिंग चुन लीजिये प्लीज
बलदेव- अरे ये गजब है बे.. मेरीच बिल्ली और मेरेकोच म्याऊ ... जिम बनाये हम और शान करे आप .. ये बात कुछ हजम नहीं हुई मेरी राजकुमारी...
जयश्री- शहर में भी ऐसा ही होता है. लड़किया और औरतों का जिम का टाइम अलग होता है और आदमियों का अलग...
बलदेव- ऐसा कुछ नहीं , मुझे पता है फोरेंन में ऐसे भी जिम होते है जब आदमी औरत सब एक साथ जिम करते है... मुझे लगा की तुम मॉडर्न हो पर लगता है मुझे ही तुमको मॉडर्न होना सिखाना पड़ेगा..
जयश्री सोच में पड़ गयी.
जयश्री- पापा प्लीज.. आज की दिन आप कही और कसरत कर लो न. बस आज के लिए
जयश्री ने सोचा की कल से कोई अच्छा वाला जिम सूट पहनेगी जिस में सब ढक जाये.. बलदेव ही समझ गया की जयश्री इतनी जल्दी कहनेवाली नहीं है और यह स्वाभाविक ही है. बरसो की रूढ़िवाद की बाद अपने ही पिता की सामने उस तरह से आना है तोह थोड़ा बोहोत वक़्त लगेगा ही. पर अपनी ही बेटी की टाइट जवानी देख कर अब उसे रहा नहीं जा रहा था. उसने तय किया की जल्दी ही उसे कुछ ऐसा करना होगा की जयश्री की झिजक निकल जाये.
बलदेव- ठीक है ठीक है ... तुम क्या यद् रखोगी मै तोः अपना देसी कसरत से ही अच्छा हूँ तुम्हारे इस जिम की मुझे कोई आवश्यकता नहीं तुम्हारे. आरी मेरी रानी बिटिया हमारे देहाती पैतरे और कसरती सामान में मुदगल, समतोला, भुल्लाव, गदा की सामने ये तुम्हारे छुछुंदर जिम का सामान तोह फीके है फीके..
जयश्री- अच्छा तोह हम भी देखते है की ऐसा क्या है देसी कसरती कवायत में...
बलदेव ने अपने बहु दंड थपेट कर जयश्री को आवाहन किया खेल के लिए...
बलदेव- तोह आओ कभी अखाड़े में... न एक पैतरे में तुमको चाँद दिख दूँ तोह हमारा नाम भी बलदेव नहीं ...
जयश्री ने ऐसा नहीं की कभी बलदेव को कभी कुश्ती करते नहीं देखा पर इस बार उसको अजीब से कसक हुई थी देसी खेल से... उसने आंखे बंद की तोह उसे वो बात याद आयी जो कल उपरवाले हॉल में बलदेव ने उसे गले लगाया था और उसका मुँह बलदेव की पुष्ट चौड़े सीने पे था उसके सीने की वो सफ़ेद घने बाल और सीनेका गंध जैसे अभी भी उसके नाक की नसों में धसा हुआ था. उसके टैंगो में कुछ हलचल होनेलगी ये उसे भी पता चला.
जयश्री- ऐसी बात है तोह हम भी पीछे नहीं हटेंगे पापा, तुमको भी मॉडर्न ज़माने की पैतरे सीखा देंगे समझे...
बलदेव- चलो देखते है... लगी शर्त...
जयश्री- लगी.. पर किस पर शर्त लगी..
बलदेव- तुम जो मानगो वो देंगे हम ... मेरी राजकुमारी (अपने मुचो पे तंव मरते हुए बोलै)
जयश्री- देख लो पापा बाद में मुकरना नहीं..
बलदेव- आरी हमारी जबान ही हमारी शान है पगली तू क्या समझी ..
जयश्री- पापा आप एक काम करेंगे जाते जाते उनसे कहिये गए की मेरा डाइट नुट्रिशन प्लान का सब ड्रिंक्स और खाना तैयार रखे
बलदेव- हं मै बोल दूंगा...
उसने नौकर की रूम की खिड़की में जाकर खिड़की से एक बदली पानी सतीश की बेड पर डाल दिया
बलदेव- उठे रे, बिटिया का जिम होने की बाद उसके डाइट वायट और वो क्या है सब रेडी चाहिए आलसी तुम्बे समझा..
सतीश- जी पापा ...
बलदेव- क्या कहाँ?
सतीश जीभ दबाते हुए- जी मेरा मतलब ससुर जी , मै रेडी कर दूंगा..
बलदेव- सुन अब नहाना मात, भीग गया है वैसे भी, तुरंत सब तैयारी कर और हं रोज रोज नहीं बोलूंगा जब भी जरुरत होगी रेडी रहना समझा...
बलदेव साउथ ईस्ट से खेत में लगे अखाड़े पर गया जो उसके फार्महाउस से बस चंद कदम पर था. आज उसने कुछ वक़्त की लिए अपनी बेटी की सुंदरता देख कर मन प्रसन्न हुआ था.
(बलदेव के शक्ति नगर वाले हाईवे वाला बड़ा गेराज पे)
बलदेव आज इक्विपमेंट की स्टैण्डर्ड का टेस्टिंग करना चाहता था. उसने अनिल जो मैनेजर था उसे बुलाया और मीटिंग ली. बलदेव का वह केबिन भी आलीशान था. बिज़नेस लोकल था पर शान पूरी थी बलदेव की. बड़े बड़े लोकल पुराने गाड़ी ट्रांसपोर्टर का एक ही ठिकाना था वो है बलदेव के गेराज का. दो गेराज में एक गेराज था वो शक्ति नगर के फाटे पे था और दूसरा जामवंत नगर के फाटे पे था. दोनों गाओं में कनेक्टिविटी खेतीवाले मोटर्स और साधन थे.
बलदेव- अनिल, वो जो परसो दिवाकर से बात हुए थी वो का हुआ? टेक्निशन को ट्रेनिंग अच्छी मिलनी चाहिए.
अनिल (मैनेजर) - जी साहब आप निश्चिन्त रहे..
बलदेव- पुराणी गाड़ियों कितनी ट्रैक पे है सभी मोल्ड्स और क्राफ्ट्स माँगा लो जामवंत नगर से.
अनिल- जी साहब
बलदेव पुराणी गाड़ी के मार्र्मत वाले सेक्शन में चला गया एक बार जायजा लेने, सब का निरिक्षण हुआ तब तक़रीबन ११ बजे होंगे वो फिर से लौटा अपने ऑफिस केबिन में. ऑफिस केबिन के एक तरफ वाशरूम था और दूसरी तरफ नए लोकल प्रोडक्ट्स के मॉडल्स रखे थे और सीध में रास्ता था वो वर्कशॉप में जाता था. वो लौटा तो उसने केबिन का दरवाजा खोला तोह वो हक्का बक्का रह गया.
जयश्री- गुड मॉर्निंग बॉस..
बलदेव कुछ समाज पाने से पहले ही जयश्री बोल पड़ी
जयश्री- एक्चुअली आज फर्स्ट डे जोइनिंग में ही थोड़ा लेट हुआ बॉस. उम्मीद है आप पहेली बार एक्सक्यूज़ करोगे. नयी सेक्रेटरी को थोड़ा रूटीन पहचान होने में टाइम लगेगा.
बलदेव पे तोह मानो जैसे ख़ुशी का पहाड़ टूट पड़ा, उसने कल रात को जयश्री से जवाब माँगा था तोह आज जयश्री ने सीधा बलदेव को जवाब देने से बेहतर कुछ कर के दिखाना बेहतर समझा.
बलदेव- बेटी तुम... (बलदेव कुछ और बोलता)
जयश्री- आप मुझे मिस.जयश्री बुलाएँगे या मिसेस सतीश , दोनों में से एक
बलदेव- पर बेटा .. तुम यहाँ क्यों आयी , मतलब अचानक.
बलदेव इतना खुश था की उसने सीधा जयश्री को आगोश में लेकर कस के गले लगाया. जयश्री ने मनो जादू कर दिया हो. उसके पुरफूमे और सॉफ्ट स्पर्श से ही बलदेव के पैरो के बिच हलचल हुई. दोनों खुश थे. अब बलदेव ने देखा की जयश्री स्माइल कर रही थी उसके चेहरे की रौनक दो गुनी हुई थी.. काफी दिन बाद वो फील्ड पे काम पे आई थी. उसे बोहोत मज़ा आने लगा.
जयश्री- बॉस आज के मेरे काम मै बताउंगी... आज आपका इक्विपमेंट चेक लिस्ट है .. अनिल जी से ऑडिट का रिपोर्ट आप देखना है.. और हं सबसे आखरी और जरुरी बात .. मेरे पास मजदूर और तकनीशियन को मोटीवेट करना का एक प्लान है वो मई तुम्हे प्रेजेंट करना चाहती हूँ.. और हं आप अब से कुछ नहीं करोगे.. आप यहाँ कुर्सी पे बैठोगे शान से...
बलदेव पे मानो आज कुदरत मेहरबान हुई थी. उसने जो सोचा समझा था जयश्री उस से आगे निकल गयी थी. जब जयश्री बाहर डेस्क पे गयी और पुराणी सब फाइल खंगालनी लगी तोह उसने देखा की जयश्री सिर्फ घर पर ही खूबसूरत नहीं दिखती बल्कि वो जब काम पे होती है तोह उसकी चेहरे की चमक उसे और हॉट बनती है. उसे अब कोई शक नहीं था की रूद्रप्रताप ने उसे काम पे रखने का सही सुझाव सतीश को दिया था. बलदेव जैसे अपनी बेटी में खो चूका था वो बैठे बैठे बाहर की जयश्री को देख रहा था. आज उसने प्लेन ब्लू फुल नेक फुल स्लीव्स वाली काफी तंग सा शार्ट टॉप पहना था जिस में उसके उभर एकदम खड़े पहाड़ जैसे लग रहे थे और जैसे कोई बड़े टेनिस बॉल्स को दबाके अंदर डाला हो. और उसकी पतली कमर जो भरे मांस वाली भी थी वो खुली थी. और निचे टाइट जीन्स डाला था. जहा उसके पिछवाड़े एक बढ़िया शेप में ऊपर उभर कर ए थे क्यों की जीन्स थाईज पर कसी हुई थी. बलदेव ने एक बात गौर की इतने मॉडर्न होते हुए भी उसने अपने पापा की फेवरिट बात का ध्यान रखा. उसने वो कंगन पहने थे जो बलदेव ने उसे गिफ्ट किये थे. और कानो पे बड़े बड़े रिंग पहने थे जो उसके चलने के साथ और हिलने के साथ थोड़े से झूल भी रहे थे. और उसकी नक् की रिंग तोह बलदेव की कमजोरी थी. ओवरआल देखा जाये तोह बलदेव के लिए जयश्री से देसी हॉट कोई लड़की पुरे टाउन में नहीं थी.
बलदेव को एक बात सूझी. उसने अपने चेयर पे बैठ बैठे ज़ूम कर के बहार डेस्क पे बैठे जयश्री का फोटो लिया और और रुद्रप्रताप को वो फोटो मैसेज किया.
रुद्रप्रताप का तुरंत फ़ोन आया -
रुद्रप्रताप- हा .. हा .. हा... हा.. बरखुरदार... नयी सेक्रेटरी मुबारख
बलदेव- यार रूद्र तेरे शुक्रिया कैसे अदा करू यार ...तूने क्या कमाल का हिरा तराशा है यार क्या बात है.. वाओ
रुद्रप्रात्प: सुन रे.. बॉस ये हिरा तराशा जरूर मैंने है पर हिरा तेरे ही खदान का है.. तेरे से ही उसकी रौशनी है बाबा.. मुझे तोह इस बात की ख़ुशी है की हिरा वापस अपने मालिक के पास गया है.. अरे बॉस मै तोह कुछ भी लकी नहीं हूँ रे बाबा.. दुनिया में बोहोत कम लोग होते है बॉस जिनको सेक्रेटरी के रूप में खुद की बेटी मिलती है, पता है सेक्रेटरी जैसे पोजीशन में बॉस और सेक्रेटरी की पूरी अंडरस्टैंडिंग नैचुरली एस्टब्लिश होती है .. तुम दोनों तोह सगे बाप-बेटी हो ..तोह क्या अब.. अच्छा बता तू उसे सैलरी देगा या उस से सैलरी लेगा ... (रुद्रप्रात्प कुत्सित हंस रहा था)
बलदेव हंसने लगा.. और बोला..
बलदेव- यार मै क्या ही सैलरी दूँ यार... पता है मैंने आज तक कभी ऐसा महसूस नहीं किया यार ... मैंने आज तक दुनिया में इतनी प्यारी खूबसूरत और हॉट लड़की कभी नहीं देखि होगी ..
बलदेव- अब तुमको कैसे समझाऊ यार..
रुद्रप्रताप- अबे बोल तोह सही.. मैंने इतना बड़ा नगीना छोड़ दिया भाई तेरे लिए तोह बोल भी नहीं सकता...
बलदेव- यार सच कहु तोह...
रुद्रप्रात्प- क्या?
बलदेव- सच कहु तोह. यार मुझे बस प्यार हो गया है यार ...
रुद्रप्रताप- किस से? (अब रुद्रप्रताप बलदेव की टांग खिचाई कर रहा था)
बलदेव- अब सब सीधा बोलूं?
रुद्रप्रताप- ओह्ह समझ गया.. अब बरखुरदार को इस उम्र में प्यार भी हुआ है वाह ... और वो भी किस से ... वाह ... बोलो भाई एक बार किस से प्यार हुआ है...
बलदेव- माय डार्लिंग जयश्री से..
रुद्रप्रताप- लट्टू साहब अभी तोह बस ये ट्रेलर है आगे आगे देखो होता है क्या.. अच्छा सुन एक पते की बात बोलता हूँ... वो जब काम में खोयी हुई रहती है उसको पता नहीं रहता उसकी छाती की खाई कोई देख रहा है या नहीं. .. तू तोह आंख सेक लेगा पर बाकि सब भी आंख सेक लेंगे . .देख ले अब तू कैसा हैंडल करना है और कैसा नहीं..
बलदेव- ओके यार थैंक्स बताने के लिए.. मई देख लूंगा और सुन मिलने आज यार हवेली पे कभी अपने गाओं की ..
रुद्रप्रात्प- नहीं मैंने सोचा तुम लोगो को क्यों डिस्टर्ब करू?
बलदेव- चुप रे.. चुपचाप आजा
रुद्रप्रताप- ठीक है भाई. हैप्पी बॉस लाइफ (हस्ता हुआ फ़ोन काट दिया)
बलदेव भी अब होश से बहार आया और अकेला ऑडिट करने चला गया.. जयश्री पुराणी फाइल्स का जायजा ले रही थी.. आज मनो पुरे गेराज में उत्साह आया था.. सब लोग जयश्री को सराह रहे थे.. कुछ लोग तोह बलदेव को नसीब वाला बोल रहे थे..
बलदेव ने सोचा था की वो कही ढाबे पे रुक कर खाना खायेगा पर जयश्री ने उसके लिए टिफ़िन में कद्दू की सब्जी और निम्बू का अचार लाया था जो बलदेव का फेवरिट था. बलदेव के आते ही जयश्री ने उसको खान परोसा. खाना परोसते हुए देखा की जयश्री झुकी हुई थी और नजदीक से वो दोनों टाइट पहाड़ निचे मुँह करे खड़े थे उसकी छाती पे. उसका मन हुआ की अभी बॉल्स को मसल दे पर वो रुक गया. पर एक बात बलदेव को अभी भी चुभ रही थी. वो है सतीश का दिया हुआ छोटासा मंगलसूत्र. वो जयश्री को बताना चाहता था की वो मंगलसूत्र न पहने पर बोल न पाया.
खाना खाने के बाद वो मीटिंग करने लगे तोह
जयश्री- बॉस मैंने एक बात नोटिस की है की धरवाल क्लाइंट से आनेवाले ट्रक के रुब्बर मोल्ड्स के काफी रिप्लेसमेंट है.
बलदेव- अनिल तुमने देखा इस चीज़ को..
अनिल- नहीं बॉस पर अब देख लूंगा
बलदेव- हं देख लो और मुझे बताना क्या गड़बड़ है..
मीटिंग ख़त्म हुई और सब लोग चले गए अभी ३ बजे थे सब खाना खाकर आराम से अपना काम चालू रखे थे.. यहाँ भी बलदेव ने कोई एक नहीं लगवाया था... जयश्री ने सारी बाते नोटिस की.. और वो बताने के लिए अंदर बलदेव के केबिन में गयी. जयश्री जैसे ही अंदर जाके ऑडिट रिपोर्ट पे साइन लेने लगी बलदेव ने तुरंत उसे अपनी गोद में खींच लिया तोह जयश्री कसमसा कर बैठ गयी उसको अचानक से हुआ यह हमला देख के अचम्भित हुई.. जयश्री अब बलदेव की तरफ मुँह कर के उसकी गोद में बैठी थी. उसकी परफ्यूम की महक बलदेव को दीवाना कर रही थी. बलदेव ने जिंदगी में कभी परफ्यूम नहीं लगाया था. कभी कभी तोह वो नहाता भी नहीं था. अब ये उसकी बुरी आदत थी या अच्छी पता नहीं.
जयश्री आश्चर्य से.
जयश्री- पापा .. यह आप क्या कर रहे है...
बलदेव- हं... पापा?
जयश्री समझ गयी और आंखे बंद कर के एक बार ऊपर देख कर बोली की
जयश्री- बॉस आप ये क्या कर रहे है...
बलदेव- अपनी प्यारी बेटी को गोद में बिठाया है क्या दिक्कत है
जयश्री- सोच लो बॉस ... आपको गेराज के ऑफिस के लिए सेक्रेटरी चाहिए या बेटी..
बलदेव- क्यों? दोनों क्यों नहीं चलेगी?
जयश्री- क्यों की सेक्रेटरी को सैलरी देनी पड़ती है और बेटी को कुछ और देना पड़ता है
बलदेव अब पूरा उफान पे था. अब उसने जयश्री की पेट और कमर पे हाथ घूमना चालू किया. उसके वो पतली कमर उसको पागल कर रही थी. जयश्री ने देखा की उसके पापा उसको यहाँ वह हाथ लगा रहे है..
जयश्री- पापा मै सेक्रेटरी हूँ पर यह मत भूलो की मै आपकी बेटी भी हूँ..
बलदेव- तोह तुम बताओ की यहाँ जो मेरे गोद में बैठी है वो कोण है? एक सेक्रेटरी या एक बेटी
जयश्री- ओह .. बॉस.. मेरा मतलब है पापा .. वैसे तोह बॉस अपनी सेक्रेटरी को जबरदस्ती बिठा सकता है पर वो खुद बैठना नहीं चाहेगी पर अगर बेटी हो तोह उसका हक़ है अपने पापा की गोद में बैठना जहा किसी और को जगह नहीं मिल सकती...
बलदेव- तोह क्या तय हुआ है आप का मिस जयश्री, या मेरी लाड़ली बेटी?
जयश्री भी अब बलदेव के सूट के बटन से खेलते हुई... सोच में पद गयी. तब तक बलदेव जयश्री की कमर का पूरा जायजा ले चूका था.. जयश्री को अजीब भी लग रहा था..
जयश्री- बॉस मुझे लगता है जब तक में यहाँ गेराज में या ऑफिस में या खेत में आपके साथ हूँ तब मुझे लगता है की..
बलदेव- क्या लगता है?
जयश्री- मुझे यह लगता है की यहाँ में एक सेक्रेटरी हूँ बस
बलदेव- पर मुझे तुम यहाँ बेटी के रूप में चाहिए...
जयश्री- नहीं पापा प्लीज, घर पर बेटी.. यहाँ आपकी सेक्रेटरी.. (वो अपने बाप की सेक्रेटरी बन कर रहना चाहती थी की बलदेव से दुरी बनी रहे)
बलदेव-तोह तुम मुझ से सैलरी लोगी?
जयश्री- नहीं बॉस, आप मेरे पापा भी हो न यह तोह फैक्ट है और बाप से कोई सैलरी नहीं लेता.
बलदेव- तोह यहाँ भी मेरी बेटी बन के रहो फिर
जयश्री- नहीं बॉस प्लीज
बलदेव- अब दुविधा में था. ठीक है सोच कर बताना. अच्छा तुम वो बोल रही थी की तुम्हरे पास कुछ आईडीया है और यहाँ के स्टाफ को मोटिवेशन करने के लिए एक प्लान है?
जयश्री- हं पर वो कल बताउंगी.. अच्छा बॉस मै घर जाऊँ?
बलदेव- रुको न श्याम तक.. नहीं नहीं बॉस आपको नहीं पता मुझे मेरे पापा का भी ख्याल रखना पड़ता है बाद में..
बलदेव- अच्छा अपने पाप से कब मिलवा रही हो?
जयश्री- जब आप बोलो तब..
बलदेव चाहे तोह उस पर जबरदस्ती कर सकता था पर वो अपनी बेटी को पाना चाहता था और हासिल करना चाहता था. तभी जूनियर मैनेजर कैलाश ने केबिन में एंट्री मारी.. बलदेव के होश तोह नहीं उड़े पर जयश्री के होश उड़ गए. दरसल गेराज के किसी आदमी या कामगार को बलदेव के केबिन में घुसना है तोह नॉक काने की जरुरत नहीं यह बात सबको पता है.. बलदेव हमेशा काम को एहमियत देता था.. पर आज का सिचुएशन अलग था... जयश्री घबरा कर उठ गयी पर उठते हुई जयश्री का मांगसूत्र बलदेव एक सूट के बटन में अटक गया और कैलाश सब देखने के तुरंत बाद में पीछे मूड लिया.
कैलाश- सॉरी सर, सॉरी मैडम.. माफ़ करिये... मै ऑडिट डाक्यूमेंट्स पे साइन करने आया था.
जयश्री- आप को समझ नहीं आता की नॉक कर के आया करे..
कैलाश शांत बैठा था.. जयश्री ने तब तक मंगलसूत्र को बटन छुड़ाया.
जयश्री- दो इधर वो फाइल मई साइन ले लुंगी और तुमको फाइल दे दूंगी, तुम जा सकते हो..
थोड़ी देर बाद एक जगह का मुआयना करने के लिए जयश्री गेराज के एक पार्टीशन में चली गयी वह उसने दो लोगो की बात सुनायी दे रही थी.. उस में से उसे एक आवाज जनि पहचानी लग रही थी. उसमे से एक कैलाश था.
कैलाश- आज बॉस अलग ही रंग में है यार
अनिल- क्या हुआ? क्या किया
कैलाश- मतलब मै जब गया तब सेक्रेटरी को गोद में उठाया हुआ था. और मैंने देखा की बॉस की सेक्रेटरी बिलकुल हूबहू उनके जैसी ही दिखती है यह कैसे संभव है गुरु! हूबहू वैसी ही शक्ल सूरत मैच करती है.
अनिल - अब्बे धीरे बोल, मरवाएगा क्या! वो लड़की सिर्फ सेक्रेटरी नहीं है, वो बॉस की एकलौती बेटी जयश्री मैडम है. आइंदा से ठीक से बात करना.
कैलाश- ओह्ह सॉरी बॉस, मुझे तब कुछ सूज नहीं रहा था. सॉरी. मै उनसे भी माफ़ी मांग लूंगा..
जयश्री अब थोड़ी नाराज थी और अपना पर्स ले के ऑटोरिक्शा में बैठ कर चली गयी. बलदेव देर से आनेवाला था.