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Fantasy कमीना चाहे नगीना

Nevil singh

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वक्त की मार ..

तभी उधर से गुजरते हुए काका लँडेत की नजर उन दोनों पे पड़ी। और वो दबे पांव उनकी योजना सुनने लगा। और जैसे ही इन दोनो अखण्ड चूतियों की योजना की भनक पता लगी उसकी आँखे क्रोध की ज्वाला में जलने लगी। बाजू फड़कने लगी।

उसका विशाल अजगरी मूसल लण्ड मारे क्रोध के फुफ्कारे मारने लगा।

और तभी उसने देखा की दोनों कपटी विपु और बंसी लंगुरा गांजे के अत्यधिक नशे में एक दूसरे की गांड सहलाने लगे थे और केशु मेरी है का गाना गा रहे थे, बीच बीच में एक दूजे की गांड में ऊँगली भी कर देते थे। यह देख काका लँडेट को इन दोनों से घृणा हो गयी और वो सीधा अजयनाथ जी की हवेली की और निकल पड़ा।

अजयनाथ जी की हवेली पहुँच कर दरबान से पता लगा की सेठजी तो गुडगाँव गए है बंसी लंगुरा के खेत जब्त करने । तभी दरबान ने काका लँडेट को बोला आप आंगन में जा के विश्रांम करो। सेठ अजयनाथ जी थोड़ी देर में आते होंगे।

आंगन में पहुंचने पर काका को अत्यंत सुरीली मादक ध्वनि में कोई गीत गुनगुनाता हुआ सुनाई दिया।

गीत के बोल ....टिप टिप बरसा पानी….पानी ने आग लगाई।

थोड़ा आगे बढ़ने पर काका लँडेट कांप उठा और सामने देखा कि ..........

सामने आंगन में कुएं के समीप वही शहद की बोतल भरपूर जवानी से लदी हुई केशु अपने उन्नत उरोजों पर एक पतला झीना सा कपड़ा लपेटे नहा रही थी। पतली कमर उभरे हुए विशाल नितम्ब गीत के बोल पर धीमे धीमे थिरक रहे थे। काका लँडेट को जैसे काठ मार गया और वही जमीन पे उकड़ू हो के बैठ गया। उसकी जबान को ताला लग गया था और वो फ़टी आँखों से ये अद्धभुत नजारा निहारने लगा था।

भूल गया कि वो किसलये यहाँ आया था।

कुएं के ठंडे पानी से गीले वो उन्नत उरोज आपस में ही उभर और सिमट रहे थे। कंदिली जाँघे आपस में रगड़ खा रही थी।

ये सब देख काका जी लँडेट का जिस्म वासना की अग्नि में धु धु करके जलने लगा। उसकी सांसे भारी हो गयी और समय थम सा गया इतना अलौकिक दृश्य देख के।

तभी आंगन के दरवाजे पे ......



क्रमशः
Katl karti landet babu ka nayi update
 

Nevil singh

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तभी आंगन के दरवाजे पे बैठी कोयल के कूकने की आवाज़ से सारा वातावरण संगीतमय हो गया, केशु नामक सुंदरी का उन्मुक्त यौवन, छलकते हुए यौवन कलश,नागिन की तरह लहराते लम्बे काले बाल, उन बादामी भरपूर नितम्बो को ढंक पाने में असमर्थ थे, इन रेशमी सुखद पलो के एहसास में काका लंडैत मंत्रमुग्ध होकर बूत सा बन गया था, केशु की यौवन से भरी जवानी से उठ रही संदल सी खुशबु पुरे वातावरण में फैल गई थी।

केशु कब अपने बाल बांधकर रसोई में चली गई इसका काका को पता ही नहीं चला, वो तो बस एकटक उस कुँए, बाल्टी और लोटे को देखे जा रहा था, तभी एक तेज़ हवा के झोंके से रस्सी पर सुख रही केशु के अंगिया (ब्रा का एक प्रकार) उड़कर काका के मुंह पर आ गिरी और काका होश में आया।

अंगिया से उठती भीनी-भीनी सुगंध काका की सांसो में समाती चली गयी और काका के अंतर्मन में उतरती चली गई

तभी हवेली के दरवाजे पर अजयनाथ जी की जीप आकर रुकी। जैसे ही अजयनाथ जी की गाड़ी हवेली के पोर्च में आकर रुकी, दरबान भागता हुआ आया और सेठ जी की गाड़ी का दरवाजा खोला, सेठ अजयनाथ जी 35 वर्षीय एक गठीले बदन के स्वामी थे, रोबदार मछें , हाथ में सोने की मुठ वाली छड़ी, दोनों हाथों में सोने की अँगूठिया और शेर जैसी चाल चलते हुए वो हवेली के भीतर दाखिल हुए ।

दरबान - सेठजी वो काका लंडैत आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

सेठ अजयनाथ- ह्म्म्म्म… बुलाओ काका को और बैठक में सम्मानपूर्वक बैठाओ ।

दरबान- “जो हुकुम मालिक …” और वो दौड़ता हुआ आँगन में काका को ढूंढने चला गया और चिल्लाया - “अरे काका कित मर
गया रे, चल सेठजी बुला रहे हैं…”

उधर काका अभी तक केशु की सन्दली खुशबु के आनदं में मस्त था, जो की उसकी अंगिया में से आ रही थी,
दरबान की आवाज सुन कर काका हड़बड़ा उठा और जल्दी से केशु की अंगिया अपने गमझे में लपेटकर कमर में बांध ली , और दरबान के साथ बैठक की ओर चल पड़ा।

बैठक में-
सेठ अजयनाथ- ह्म्म्म्म… कहो कैसे आना हुआ काका, सब खैरियत तो है न ?
काका- राम राम मालिक । आपकी अनकुंपा से सब ठीक है, बस आपको कुछ बताना था हुज़ूर, मगर डरते हैं कही आप
क्रोधित हो जायेंगे।

सेठ अजयनाथ- बिना डरे बोलो काका, तुम हमरे पुराने मित्र हो ।

काका- मालिक हमरे दिल्ली सूबे के आबो-हवा कुछ पापी खराब करने पर तुले हैं, और हवेली की इज्जत पे
अपने गन्दी नजर रखे हैं।

इतना सनु ते ही सेठ अजयनाथ जी की आँखों में खून उतर आया और पूरी हवेली में उनकी शेर जैसी दहाड़ गूंज उठी-
“क्या बोला रहा है काका?

किसकी इतनी ज़ुर्रत जो हवेली की तरफ देखे भी ? किस दुष्ट पापी का धरती पर समय पूरा हो गया हैं ??? और उनकी दोनाली से दो शोले निकले धाय धाय

काका का डर के मारे बुरा हाल हो गया वो थरथर काँप रहा था। जो काका अभी तक केशु की सन्दली खुशबू के
आनंद में मस्त था, अब वो ही डर के मारे काँप रहा था। उसके ह्रदय में केशु की जगह मौत के डर ने ले ली।


“धाय धाय ......…”
जो जहां था वहीं रुक गया, समय जैसा थम सा गया, रसोई में सब्जी काटती हुई हुश्न की मलिका केशु रानी की डर
के मारे चाकु से ऊँगली कट गई और खून की चंद बुँदे संगेमरमर की दूधिया फर्श पर टपक पड़ी और उसके कंठ से एक महीन मगर दर्दभरी आवाज़ निकली उफ्फफ़फ़................


क्रमश :
Adbhut sunderi ke liye Shahid hone waali update
 

Nevil singh

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अब आगे:-

और फिर धीरे धीरे काका ने सेठ अज्जुनाथ जी को सारी बात दी। सेठ जी का खून खोल उठा, “आूँखों से क्रोध की ज्वाला निकलने लगी, नथुने फूलने फर पिचकने लगे , कमरे का तापमान बढ़ गया, काका हाथ जोड़े उनके अगले आदेश का इंनतजार कर रहा था।

सेठजी शून्य में देखते हुए धीरे से बोले- “काका अभी नजफगढ़ जाओ और हमारे पुराने साथी ठाकुर महेंद्रप्रताप महालन्डधारी को कहना की हमने याद किया है और जल्द आकर मिले । इस धरती पर ये पापी धूर्त बस चन्द दिनों के मेहमान हैं अब। आज ही हम बंसी लंगुरा के खेत जब्त करके आये, और वो पाखंडी उस पापी विपु मज़दूर से गाण्ड घिसवा रहा है और हमारे खिलाफ योजना बना रहा है। इस विपु के लिंग के के टुकड़े-टुकड़े करके और इनके आंड की भुजी बनाकर हमने इन दोनों को ही न खिलवा दी तो हम सब गांव वालों की मूंछे कटवा देंगे…”

और ध्यान से सुनो- “हमारे अस्तबल से हमारे सबसे तेज घोड़े जीतू तूफानी को लेकर जाना…”

काका- “जो हुकुम मालिक, मैं अभी निकलता हूँ …” और काका अपनी जान बचाकर बैठक से निकल आया।

काका रसोई घर के सामने से गुजरता हुआ उसकी नजर फर्श पर बैठी केशु पर पड़ी, जो अपनी उंगली से निकलते हुए खून को देखकर भीगी बिल्ली सी बैठी थी, उसकी झील जैसी आूँखों से टप-टप मोती टपक रहे थे, यह देखकर काका लंडैत जैसे पत्थर दिल इंसान के दिल में हूँक सी उठी और वो तड़प उठा।

चोट लगने की बेध्यानी में केशु के सीने से आँचल भी बिखरा भी पड़ा था और उसका सुंदर वक्षस्थल अपनी उड़ान भरने को जैसे तैयार था। उन उन्नत स्तनों के बीच एक पतली लकीर सी गहरी घाटी और बायें स्तन पर एक उन्मुक्त तिल देखकर काका की सांसें थम सी गई, घबराहट में केशु के ललाट से बहता हुआ पसीना मोती जैसा लग रहा था, उस मादक पसीने की कुछ मोती रूपी बुँदे ढुलक कर उस वक्षस्थल की गहरी घाटी में सरक जा रही थीं। वो अबला अपनी अंगुली थामे धीरे-धीरे अपने शहद जैसे होंठों से फूँक मार रही थी।

उधर काका लंडैत के जाने के बाद सेठ अजयानंद कुछ पल इन दोनों पापी दुष्टो के बारे में सोचते रहे। थोड़ा विचार करने के बाद उनके मुखमंडल पर एक अजीब सी मुस्कान फैल गई। और अगले ही पल उन्होंने अपने जांबाज दोस्त सवाई माधोपुर के जमीदार इन्दर सिंह मनमौजी, पटना के डान असीम आनंददया और मुरादाबाद के मशहूर ओरल बाबा शशांक छटपटिया को फोन करके दिल्ली आने की दावत दी। अब सेठजी निश्चिन्त हो गए तो उन्हें प्यास महसूस हुई और पानी के लिए उन्होंने केशु को आवाज दी।

“केशु ओ केशु”
“केशु ओ केशु”
“केशु ओ केशु”

लेकिन हवेली के सन्नाटे में उनकी आवाज गूँज के वावपस आ गई, सेठजी को आशंका हुई कि कहीं कुछ अनर्थ तो नहीं हो गया? वो सब कमरों में केशु को ढूंढने लगे।



***** *****आपकी जानकारी के लिए यहाँ कुछ बता देता हूँ (फ्लेशबैक)
सेठ अजयानंद जी- सेठ अजयनंद जी की धर्म पत्नी अपने बच्चों के पास जो की हॉवर्ड स्कूल (कैंब्रिज इंग्लैंड) में पढ़ते थे, के पास गई हुई थी, सेठजी ने कैंब्रिज से 50 KM दूर केम नदी (उतरी लंदन) के किनारे एक विशाल होटल खोल रखा था, जो अब सेठानी जी की देखरेख में था। हर 3 या 4 महीने में सेठजी एक चक्कर लगा लिया करते थे, उन्हें अपने देश से बहुत प्यार था, खेती-बाड़ी में उनका बहुत मन लगता था। वैसे तो सेठजी थोड़े से रंगीन मिज़ाज़ थे, लेकिन कभी भी अपनी मर्यादा पार नहीं करते थे। बस कालेज के दिनों में की गई रंगीनिया उन्हें आज भी गुदगुदा देती थी, कभी-कभी शहर से बाहर जाकर अपने अजीज मित्रो के साथ शिकार कर लिया करते थे, जयपुर उनका पसन्दीदा शिकारगाह हैं ।



क्रमश :
Rangeen mijaj ka pardarshan kar gayi nayi update
 
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Nevil singh

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बस कालेज के दिनों में की गई रंगीनिया उन्हें आज भी गुदगुदा देती थी, कभी-कभी शहर से बाहर जाकर अपने अजीज मित्रो के साथ शिकार कर लिया करते थे, जयपुर उनका पसन्दीदा शिकारगाह हैं....................


अब आगे -----


केशु रानी- केशु सेठजी की हवेली में पिछले दो साल से रह रही थी और अब हवेली के सदस्य की तरह थी। कुंभ मेले में हुई एक दुर्घटना में वो अपने परिवार से बिछुड़ गई थी और अपनी याददाश्त खो चुकी थी, वही उस मेंले में उन्मुक्त विचरण कर रहे एक पापी और दुष्ट मुक्की बुढेला की काली नजर घाट पर बैठी अबला केशु पर पड़ी और वो उसे अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाकर अपने डेरे ले जाने की ताक में था। वो जबरदस्ती उसे खींचकर अपने साथ ले जाने की कोशिश कर ही रहा था, की तभी घाट पर नहा रहे सेठ अजयानंद की नजर उन दोनों पर पड़ी, पलक झपकते ही वो मामला समझ गए, और उन्होंने झपटकर उस मुक्की की गर्दन दबोच ली, दो-तीन झन्नाटेदार रहपट मुक्की के कान के नीचे रसीद कर दिए , और उसके द्वारा की जा रही जोर जबरदस्ती के बारे में पूछा ।

मुक्की की तो आँखों के आगे चाँद तारे नजर आ रहे थे, वो कुछ जवाब दिए बना वहां से सरपट भाग लिया और दूर जाकर सेठजी को धमकी देने लगा।

सेठजी ने बड़ी कोशिश की केशु से पूछताछ करने की लईकिन वो मासूम अल्हड सी कुछ न बता पाई। अंततः वो उसे अपने घर ले आये और उसका इलाज लक्ष्मीनगर के प्रसिद्ध वालिया नर्सिंग होम के डाक्टर अमोल पालेकर से करवाया। डाक्टर अमोल ने जांच पड़ताल के पश्चात बताया की घबराने की कोनो जरूरत न है, वो ठीक हो सकती है लेकिन जब उसे कोई सुखद या दुखद मानसिक आघात लगेगा।

सेठजी ने बहुत बहुत विचार विमर्श करके केशु को हवेली की रसोई का कार्यभार सँभालने के लिए रख लिया, और अपने बाग के पिछवाड़े में बने कमरो में एक कमरा केशु के रहने के लिए दे दिया ताकि वो सुरक्षित रहे, और आगे से मुक्की जैसे कमीने लोगों के गंदे साये से भी सुरक्षित रहे, और अखबार में केशु के परिवार के लिए विज्ञापन भी दे दिया कि जिसको को भी पता लगे वो वो तुरंत सेठ जी सम्पर्क करे। सेठजी आज तक कभी भी केशु को भरपूर नजरों से नहीं देखा था। ऐसे महान और भले हैं अपने सेठ अज्जू जी ।

“केशु ओ केशु”

लेकिन हवेली के सन्नाटे में उनकी आवाज गूँजकर वापस आ गई। सेठजी को आशंका हुई कि कहीं कुछ अनर्थ तो नहीं हो गया? वो एक एक करके सभी कमरो में केशु को ढूंढने लगे।

केशु अपनी उंगली से निकलते रक्त को देखकर इतनी डर गई थी की सेठजी की आवाज सुनकर भी उसके गले से आवाज नहीं निकल पा रही थी।

तभी सेठजी ने रसोई में प्रवेश किया और केशु को जमीन पर बैठा देखा, तो वो थोड़ा और आगे बढ़े, जमीन पर रक्त की बुँदे देखकर आश्चर्य से केशु की तरफ देखने लगे।

“उफ्......... कितना मासूम चेहरा, झुकी हुई पलकें, उस सुंदर मृगनयनी के कजरारे नैनों में झिलमिल करते आूँस रूपी मोती तैर रहे थे। डर के मारे उसके मुख से बोल नहीं निकल पा रहे थे…”

सेठ अजयनंद जी के हृदय में एक हूँक सी उठी, नीचे बैठकर, उन्होंने अपनी रोबीली आवाज में पूछा - “क्या हुआ केशु, ये सब कैसे हुआ? मुझे बताओ किसने इतनी ज़ुर्रत की, हम अभी उसको हवेली से बाहर उठाकर फेंक देंगे…”

केशु की तो घिग्घी सी बंध गई थी, एक तो अपनी उंगली से निकलते रक्त का डर और ऊपर से सेठजी की शेर जैसी गर्जना सुनकर वो अपनी सुध बुध खो बैठी, और वही जमींन पर बेहोश हो गई।

सेठ अज्जू जी घबरा उठे और जोर से गरजे- “हरिया, शेरा, धनिया, किधर मर गए सब के सब, जल्दी आओ…”

तभी धनिया भागती हुई आई- “जी मालिक …” वो पीछे आंगन में कपड़े धो रही थी।

सेठजी गरजते हुए- “हरिया और शेरा किधर मर गए हैं?”

धनिया - मालिक वो आपने ही तो कल रात दोनों को शहर भेजा था, दारू की पेटिया लाने को नव वर्ष की पार्टी के लिए ।

सेठजी- अरे हाँ हम तो भूल ही गए थे, देखो इस केशु को क्या हुआ? इसे उठाने में हमारी मदद करो और अंदर ले चलो।

धनिया - जी मालिक ।

सेठजी- छोड़ो तुम एक काम करो, गर्म पानी लाओ और हाँ डा॰ अमोल को फोन करके बुला लो।

धनिया - जी मालिक ।

फिर सेठजी ने केशु की तरफ देखा और उसे उठाने के लिए जैसे ही एक हाथ उसके सर के पीछे और दूसरा हाथ केशु की बलखाती कमर के नीचे लगाया, नंगी कमर से हाथ के छूते ही सेठजी के पुरे शरीर में अत्यंत तीव्र विद्युत प्रवाह कौंध गया । एक पल के लिए उनकी सांसें थम सी गई, जबड़े भींच गए, और एक गहरी सांस लेते हुए उन्होंने केशु को अपनी बलिष्ठ भुजाओ में उठा लिया ।


केशु की सुराहीदार गर्दन और दोनों मांसल भुजाये विपरीत दिशाओ में झूल रही थी, न चाहते हुए भी सेठजी की नजर केशु के गौर वर्ण उन्नत वक्षस्थल एवं उसकी उफनती गहरी घाटी पर पड़ी, बायें वक्ष के ऊपर नन्हें से मनोहारी काले तिल को देखकर उनका हृदय आंदोलित हो उठा। वो केशु को उठाकर दीवानेखास की तरफ बढ़े, और केशु को वहां पड़े दीवान पर धीरे से झूँक कर लिटाने लगे

सेठ जी महसूस किया बाजुओ में केशु के नरम-नरम विशाल सुडौल नितम्बो की मादकता, उनके चेहरे पर केशु की गर्म सुगंधित सांसें और उनके नथुनों में उतरती केशु के शरीर से उठी वो संदली महक उनके दिलो दिगमग में उतरती में चली गई।


समय जैसे थम गया, दिल कि धड़कनो ने जैसे धड़कना ही छोड़ दिया , धमनियों में रक्त का प्रवाह जैसे रुक सा गया, पुरे शरीर को काठ मार गया। चरम शून्य की अवस्था। तभी दूर अंधरे में बिजली कौंधी और एक आवाज धीमे धीमे जैसे किसी गहरे कुंए से आ रही हो।

क्रमश.............................
Kasam udaan chhalle ki sahi jaa rahi hai yeh update
 
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Nevil singh

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Kab aaoge babu nava update leke
Akele akele deewankhane me bhanvra ghum raha hai
Billi ko hi dudh ki rakhwaali ka dhekedaar bana diya
 
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Ajju Landwalia

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Mere jaan se pyare bhaiyo aapke pyar aur sahyog ke liye HardDick Pyar aur Aabhar

Update kal post karne ki koshish karunga
 

Rockstar_Rocky

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Update kal post karne ki koshish karunga

:lol1:
 
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