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Bhai Mai bhi aapne sehmat hu.कहां से ऐसी - ऐसी फिलॉसफी बातें लेकर आते हो आप मानु भाई ! औरतों के केश के बारे मे जो कुछ आपने कुसुम के माध्यम से कहा , कभी हमने इस तरह से सोचा ही नही । इस विषय पर टिप्पणी करना मेरे वश का नही ।
लेकिन अगर कहानी की बात करें तो हमारी कुसुम मैडम जानकारी के मामले मे , ज्ञानवर्धक उपदेश देने के मामले मे अपने हसबैंड अरूण साहब से जरा भी कम नही है ।
अगर अरूण सर प्रोफेसर है तो कुसुम मैडम अवश्य उस कालेज की प्रिंसिपल होगी , बल्कि चांसलर भी होगी ।
इस अपडेट मे आपने बहुत कुछ घुमा - फिरा कर लिखा है । बहुत ही कठीन कठीन शब्दावली का प्रयोग किया है । जो चीज सहज और आसान भाषा मे कही जानी चाहिए थी , उसके लिए ऐसे शब्द और वाक्य का इस्तेमाल किया है जो अमूमन रीडर्स समझ ही नही सकते । मेरा मानना है कहानी वह हो जो अधिकतर रीडर्स सहजता से समझ सके । आसान लिपि और हमारे ही परिवेश की संवाद हो।
सासू मां ने अपने दामाद को क्या कहा , क्या रिएक्शन दिया , क्या इशारे किए और दामाद जी ने प्रत्युत्तर मे क्या जबाव दिया - अधिकांश रीडर्स के सिर के ऊपर से चला गया होगा । रीडर्स समझ ही न सके होंगे कि कौन किसको सेड्यूश कर रहा है या फिर कोई सेड्यूश हो भी रहा है कि नही ।
अपडेट निस्संदेह अव्वल स्तर का था लेकिन बात वही कि यह उपलब्धि किस काम की जब आपके रीडर्स उस उपलब्धि का ठीक से आकलन न कर सके ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट मानु भाई।
Kahani me vahi sabd istemal hone chahiye jo sabko ache se Samaja aaye. Hum logo KA to theek hai kyu ki mere bhi padhai Hindi sahitya se hui hai is liye mujhe to koi diktat nahi. Per jo log English medium se hai unke to uper se jayega
