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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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बहुत बहुत शुक्रिया वादा तो नही लेकिन कोशिश पूरी कर रहा हूँ, update जल्दी और बड़ा लिखने की ✍️
Nahi to dekh Lena. Laal kile ke saamne dharna ready. :loser2:
 

manu@84

Well-Known Member
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अब मुझे अपना मन बहुत हलका महसूस हो रहा था. "बेवफाई के इलजाम" से आजाद जो हो गया था मैं.

"" स्त्रियाँ किसी से प्यार करती हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उन्हें क्या बताते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या कहती है, शर्म और आँसू यह निर्धारित करने के लिए एक वैध प्रमाण नहीं हैं कि क्या वह एक अच्छी महिला है, क्योंकि एक महिला इसे एक बॉस की तरह नकली कर सकती है। वे ऐसा करने में सक्षम हैं। जब आप उसे धोखा देते हैं और वह आपसे नफरत नहीं करती है, तो वह उस महिला से नफरत करती है जिसके साथ आपने धोखा दिया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाएं अस्वीकृति, शर्मिंदगी और अपमान का सामना नहीं करना चाहती हैं, चाहे वे हमेशा कुछ भी चाहती हैं, जब तक कोई उन्हें बचा ले और दोष नहीं लेता....""

इस पश्चाताप की अग्नि में अकेला मै नही जला था, एक शक्स और था जो मेरी तरह इस वक्त पश्चाताप करते हुए खुद को कोस रही है... जी हाँ वो थी मेरी सास.....!

"क्या अब मैं ऐसी निर्लज्ज स्त्री बन गयी हूँ, सास तो दामाद की माँ समान होती है, जिसके दामाद को पता है कि उसकी सास अपने जिस्म की अधूरी प्यास की वजह से परेशान है. अरे! जिस उमर में उस मा को अपने पुत्र (मेरे साले) की शादी, उसके भविश्य के बारे में सोचना चाहिए वह बेशरम तो अपनी ही चूत के मर्दन-रूपी विचारो में मग्न रहती है" सास कुढते हुए सोच रही थी, हलाकी फोन पर बातों के ज़रिए वह अब भी दामाद के अनुमान को असत्य साबित कर सकती थी परंतु उससे कोई लाभ नही होता उनके मन में भी ग्लानि का अंकुर फुट चुका था और उसकी वर्द्धि बड़ी तीव्रता से हो रही थी.

अपने दामाद को इस तरह अपनी भावनाओ को बता कर उन्होंने ठीक नही किया था, उनसे ना तो उगलते बन रहा था ना ही निगलते. पल प्रतिपल वह उसी ख़याल में डूबती जा रही थी, चाहकर भी उस विचार से अपना पिछा नही छुड़ा पा रही थी. उनके नज़रिए से इस तरह अपनी चोरी पकड़े जाने के भय से एक पल के लिए सास काँप सी गयी थी........!!!!

दूसरी ओर अपने नित्य कर्म से मुक्त होकर जब मै वापस आया, सब कुछ सामान्य हो गया था और तब तक कुसुम ने अपनी पैकिंग कर ली थी, आधे घंटे बाद मै उसे बस स्टैंड पर दिमापुर वाली बस में बैठा कर अपने कॉलेज (नौकरी) निकल गया...!!

अब ऐसे ही दिन निकलने लगे, मुझे कुसुम की id पासवर्ड पता थी जिससे मै उसके हर रोज मैसेज पढ़ता ज्यादतर चार लोगो के मेसेज थे , शर्मा, राज, दिनेश और उसके ऑफिस का नया कलिग रिजवान ..मैं सोच में पड़ गया की ये अब कुसुम को हो क्या गया है सभी को लाइन में ला रही है........ शर्मा के साथ कुछ हँसी मजाक तक ही सीमित थी ,वही राज ने कई बार उसे कहा की तुम आजकल ज्यादा बात क्यो नही करती जवाब में कुसुम ने उसे कहा था की अब से करूंगी फिक्र मत करो…! !! !!


रिजवान कही साथ जाने की जिद में था , कुसुम ने उसे भी आश्वासन दे रखा था , लेकिन मेरे दिल के किसी कोने से ये आवाज भी आ रही थी की कुसुम इन सबके साथ कुछ नही करने वाली,उसका उद्देश्य बस मुझे जलाना था .... .. .... ! !!


मेरा इंटरेस्ट था कुसुम का पुराना प्रेमी दिनेश ,आखिर दिनेश के साथ वो कैसे विहेब करेगी , दिनेश को मेसेज में उसने बस हमेशा यही लिखा था की जल्द ही किसी दिन मिलते है , दिनेश कभी कभी खुशी और थोड़े गुस्से में मैसेज भेजता था और कुसुम भी उसे बड़े से प्यार से मनाती, और जल्द ही किसी दिन मिलने और साथ थोड़ा वक्त बिताने की बात कहती थी …......और अब तक अपनी बीवी के इन फ्लिर्टिंग मैसेजिंग में मुझे कुछ भी बुरा, जलन, अजीब या गलत नहीं लगा था।


मेरी बेटी रिंकी भी वापस आ चुकी थी, इस दरम्यान हमारें बीच बातचीत अब ठहरने लगी थी। मेरे कमरें में अब वो पांव दाब कर आती थी। मैं वहां रहता तो आहिस्ते कोई किताब उठा मद्धम रोशनी में पढ़ने लगती थी। फिर आकर बगल में लेट जाती थी। रुई के मानिंद वो अपने बदन को बिस्तर पर रखती थी कि मुझे कोई खलल न हो। पर इसके पहले ऐसा नही था, वो बगल में फिर लेटती फिर मुझे कोंचने लगती थी। शायद वो मुझे वापस बोलते हुए देखना चाहती थी।


एक रोज वो गुनगुनाते हुए कमरें में दाखिल हुयी और बेड पर आकर पसर गयी। उस रोज तबियत मेरी भी अच्छी थी पर जाने क्या हुआ कि जब उसने मुझे छूने की कोशिश की तो मैं बिफ़र पड़ा और ऐसे बिफरा जिस की उम्मीद मुझे खुद न थी। मैने कहा तुम्हारें जैसी कमसिन कम उम्र की लड़कियों को रोज मै कॉलेज में पढ़ाता हू और मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ, और ऐसे प्यार को भी। आगे से मेरे कमरे में मत आना। मुझे तुम्हारी किन्हीं बातों से नही, अब बस तुमसे दिक्कत होती है। पास आती हो तो किसी अनहोनी होने का डर लगता है, हमारे बाप बेटी के रिश्ते को अपवित्र करने की कोशिश मत करो ।


जवाब में वो कुछ न बोली बस मेरे ओर देखती रही। आंख में शायद पानी भी भरा था। पर मैं देख न पाया। मेरा क्रोध पश्चाताप नही हुआ था लेकिन ऐसा कुछ मैं बोल सकता हूँ इसका मुझे भान न था।


वो उठकर चलने को हुई। मैंने इशारा किया .... तुम्हारा नोट बुक छूट रहा। उसने हाथ डाला और उसमें एक पेपर निकालकर बढ़ाया और चली गई।


मैंने सिगरेट जलाई और पेपर पढ़ने लगा। थोड़ी खुशी हुई पर आज जो हुआ था उसके गम में वो खुशी जाती रही।


फिर मैं छत पर आकर खड़ा हो गया। सिगरेट जलती रही और मैं रास्ते को देखता रहा। देखते देखते फिल्टर भी जल गया और मेरा फेफड़ा भी सुलगने लगा अब बस आत्मा भी जलने वाली थी कि अचानक ख्याल आया वो इतनी गलत भी तो नही है। फेफड़ा वापस से हरा होने लगा।


वो अगले आठ-दस दिनों तक मेरे कमरे में नही आई। गए तीन-चार महीनों में ऐसा कभी नही हुआ था। पर दसवें दिन वो मेरे कमरे में आई। पांव दबाए और बगल में किताब दबाएं। उसने आकर कमरें की खिड़की आहिस्ते से खोली किताब पढ़ने की नाटक कि फिर फोन चलाया। उससे भी ऊब गई तो पुराने अखबार निकाल पढ़ने लगी।

फिर मेरी पसन्दीदा कहानियों को उठाकर पढ़ने लगी। उसमें जिन पंक्तियां को मैंने अंडरलाइन किया था। उसे बोलकर पढ़ती थी। वो किसी को सुनाना चाहती थी। खुद को... कमरें को या शायद मुझे। ऐसा बदस्तूर कई रोज तक चलता रहा। उसने इन आदतों में एक नई चीज जोड़ ली। अब वो मेरे सिगरेट के डब्बे में से सिगरेट निकालकर फूंकने लगती थी। उसने कभी सिगरेट नही पी थी। ये देख मुझे हंसी आती थी पर मैं निर्विकार भाव से पड़ा रहता था। कभी सोफे पर कभी बिस्तर पर।

एक दुपहर वो आई तो गुनगुनाते हुए मगर कमरें से पहले पैर दबा लिए शायद कमरें के अंदर कुछ सुनना चाहती थी। फिर कुछ देर में दाखिल हुई और वहीं उटपटांग हरकतें शुरू कर दी। जब उसने सिगरेट का पहला दम भरा तो मुझे हंसी आ गई।

जाने क्यों वो बिफ़र पड़ी। जाने क्या कहती रही इसी रौ में उसने कहा कि पापा आपने सिर्फ दिखावा किया कभी मुझसे प्यार नही किया। मैं मुस्कुराने लगा। वो मुरझा गई और वहीं जलकर राख हो गई। मैं भी वहीं भस्म हो गया। मैं उदासी का देवता था, मेरा हंसना मुस्कुराना मना था।

मैं जबाब में रिंकी से कुछ कह पाता कि कुसुम का काल मेरे मोबाइल में आ गया.. “हैलो मेरी जान “

मोबाइल से बाहर निकलते हुए अपनी मम्मी के प्यार भरे शब्दों को सुनकर वो हल्के से मेरी ओर देख कर गुर्रायी और कमरे से बाहर चली गई।

“जूली की शादी रात वाली बात याद है ना ..” कुसुम ने सीधे ही कहा

“हाँ क्यो ..”

“कुछ नही बस आज से जलना शुरू कर दो ..”

“मतलब “

“मतलब.....मेरे सारे मेसेज तो पढ़ ही लिए होंगे..” मैं बुरी तरह से चौक गया आखिर इसे कैसे पता ..?? “क्या बोल रही हो ..”

वो खिलखिलाई “जान मैं एक प्रोफेसर की बीवी हु,आपके जबाब देने के अंदाज से ही थोड़ा शक सा हो गया। तो आज की तारीख तक आपको मेसेज पढा दिया,लेकिन माफ करना अब से कोई मेसेज और काल आप तक नही पहुचेगा “

वो बेहद ही शरारत से हँसी ,
“अरे जान तुम तो ..”

“हो गया आपका बहुत ,अब देखती हु मेरे जान की हालत क्या होगी ,जलने का इतना शौक था ना, तो जलो अब, और करो मेरी जासूसी... मुझसे कोई उम्मीद मत रखना की मैं कुछ बतलाने वाली हु …” उसने हंसते हुए काल काट दिया,

मैं सर खुजाते रह गया,आखिर ये करने क्या वाली है ,क्या ये सच में किसी के साथ अफेयर करने वाली है...मुझे तो नही लगता की कुसुम कुछ ऐसा करेगी लेकिन फिर भी एक शख्स के ऊपर थोड़ा डाउट जरूर था वो था "दिनेश" …

कुसुम जल्द ही किसी दिन उससे मिलने वाली थी ,मेरा दिमाग बार बार वही जा रहा था की आखिर वो दोनों क्या प्लान कर रहे होंगे,मैंने एक रिस्क तो ले लिया था अब इस पाप की सजा भी तो मुझे ही भुगतनी थी, कुसुम एक मेच्योर लड़की थी लेकिन दिनेश के सामने भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती थी ,वही उसे ये भी पता था की मैं अगर गुस्से में आ जाऊ तो क्या करूंगा लेकिन फिर भी उसने मुझे जलाने की सोची , वो अपने कदम बेहद ही फूंक फूंक कर रखने वाली थी ,मुझे उसके दिमाग पर भरोसा था लेकिन ये खेल कही ऐसे मुकाम में ना पहुच जाय की हमारे रिश्ते में दरार आ जाए ,ये एक चिंता शायद हम दोनो को ही थी..........!!!!!!!


जारी है....... ✍️
 

manu@84

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Great update 👍 and awesome 👌 writing ✍️.
Arun ne Priti ke baare me Bata kar apne pair per kulhadi maar li.
Per Kusum ne use easily maar kar diya ye Samaj na aaya?.
Gajab ka update 👌👌👌👌👌👌👌👌🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
Nice update🙏
Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 
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manu@84

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Nice👏 update🙏
Nice update
Professor saheb fir se naya jhatka de diya aapne…😅
Nice update bro but to small
OhhOo

BaCh GaYe Proffesr
Adha SaCh Bta Ke 😜
Kusum ne kuch soch kar Arun ko maaf kiya hai, Baad me victim card ke tarah istemal karegi😉😉
कुसुम मैडम और अरूण सर जैसे दोनो हसबैंड वाइफ के लिए ही शायद यह लाइन प्रचलित रहा होगा - " राम मिलाई जोड़ी , एक अंधा एक कोढ़ी "

कहां अरूण सर ने सोच रखा था कि उसे काफी झटके लगेंगे ! कुसुम द्वारा उसकी भारी बेइज्जती होने वाली है ! शायद कुसुम उसे चप्पल या झाड़ू लेकर पिटाई भी कर दे ! शायद कुसुम हमेशा के लिए घर छोड़कर चली जाए ! शायद कुसुम उसके इज्ज़त का जनाजा न सिर्फ पुरे परिवार मे बल्कि पुरे देश मे निकाल दे ! पर कुसुम ने ऐसा कुछ भी नही किया । कुसुम को अपने हसबैंड के इस बेवफाई से जरा भी एतराज नही हुआ । एतराज तो क्या बल्कि वो काफी खुश नजर आई । कुसुम को यह एहसास हुआ कि उसकी बर्षों की अधूरी तमन्ना पुरी हो गई । दोनो बहन का एक ही पति परमेश्वर ।

अब मै क्या कहूं , समझ ही नही आ रहा है । औरतों को जब विधाता पुरी तरह समझ नही सका फिर हमारी क्या औकात है !

शायद बहुत जल्द सुमन - प्रीति - अरूण का FFM थ्री सम खेल देखने को मिले !
वैसे अरूण साहब ने सच तो कहा लेकिन पुरा सच नही कहा । और कुसुम देवी का अप्रत्याशित रवैया भी खामख्वाह नही लगता ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मानु भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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अब मुझे अपना मन बहुत हलका महसूस हो रहा था. "बेवफाई के इलजाम" से आजाद जो हो गया था मैं.

"" स्त्रियाँ किसी से प्यार करती हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उन्हें क्या बताते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या कहती है, शर्म और आँसू यह निर्धारित करने के लिए एक वैध प्रमाण नहीं हैं कि क्या वह एक अच्छी महिला है, क्योंकि एक महिला इसे एक बॉस की तरह नकली कर सकती है। वे ऐसा करने में सक्षम हैं। जब आप उसे धोखा देते हैं और वह आपसे नफरत नहीं करती है, तो वह उस महिला से नफरत करती है जिसके साथ आपने धोखा दिया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाएं अस्वीकृति, शर्मिंदगी और अपमान का सामना नहीं करना चाहती हैं, चाहे वे हमेशा कुछ भी चाहती हैं, जब तक कोई उन्हें बचा ले और दोष नहीं लेता....""

इस पश्चाताप की अग्नि में अकेला मै नही जला था, एक शक्स और था जो मेरी तरह इस वक्त पश्चाताप करते हुए खुद को कोस रही है... जी हाँ वो थी मेरी सास.....!

"क्या अब मैं ऐसी निर्लज्ज स्त्री बन गयी हूँ, सास तो दामाद की माँ समान होती है, जिसके दामाद को पता है कि उसकी सास अपने जिस्म की अधूरी प्यास की वजह से परेशान है. अरे! जिस उमर में उस मा को अपने पुत्र (मेरे साले) की शादी, उसके भविश्य के बारे में सोचना चाहिए वह बेशरम तो अपनी ही चूत के मर्दन-रूपी विचारो में मग्न रहती है" सास कुढते हुए सोच रही थी, हलाकी फोन पर बातों के ज़रिए वह अब भी दामाद के अनुमान को असत्य साबित कर सकती थी परंतु उससे कोई लाभ नही होता उनके मन में भी ग्लानि का अंकुर फुट चुका था और उसकी वर्द्धि बड़ी तीव्रता से हो रही थी.

अपने दामाद को इस तरह अपनी भावनाओ को बता कर उन्होंने ठीक नही किया था, उनसे ना तो उगलते बन रहा था ना ही निगलते. पल प्रतिपल वह उसी ख़याल में डूबती जा रही थी, चाहकर भी उस विचार से अपना पिछा नही छुड़ा पा रही थी. उनके नज़रिए से इस तरह अपनी चोरी पकड़े जाने के भय से एक पल के लिए सास काँप सी गयी थी........!!!!

दूसरी ओर अपने नित्य कर्म से मुक्त होकर जब मै वापस आया, सब कुछ सामान्य हो गया था और तब तक कुसुम ने अपनी पैकिंग कर ली थी, आधे घंटे बाद मै उसे बस स्टैंड पर दिमापुर वाली बस में बैठा कर अपने कॉलेज (नौकरी) निकल गया...!!

अब ऐसे ही दिन निकलने लगे, मुझे कुसुम की id पासवर्ड पता थी जिससे मै उसके हर रोज मैसेज पढ़ता ज्यादतर चार लोगो के मेसेज थे , शर्मा, राज, दिनेश और उसके ऑफिस का नया कलिग रिजवान ..मैं सोच में पड़ गया की ये अब कुसुम को हो क्या गया है सभी को लाइन में ला रही है........ शर्मा के साथ कुछ हँसी मजाक तक ही सीमित थी ,वही राज ने कई बार उसे कहा की तुम आजकल ज्यादा बात क्यो नही करती जवाब में कुसुम ने उसे कहा था की अब से करूंगी फिक्र मत करो…! !! !!


रिजवान कही साथ जाने की जिद में था , कुसुम ने उसे भी आश्वासन दे रखा था , लेकिन मेरे दिल के किसी कोने से ये आवाज भी आ रही थी की कुसुम इन सबके साथ कुछ नही करने वाली,उसका उद्देश्य बस मुझे जलाना था .... .. .... ! !!


मेरा इंटरेस्ट था कुसुम का पुराना प्रेमी दिनेश ,आखिर दिनेश के साथ वो कैसे विहेब करेगी , दिनेश को मेसेज में उसने बस हमेशा यही लिखा था की जल्द ही किसी दिन मिलते है , दिनेश कभी कभी खुशी और थोड़े गुस्से में मैसेज भेजता था और कुसुम भी उसे बड़े से प्यार से मनाती, और जल्द ही किसी दिन मिलने और साथ थोड़ा वक्त बिताने की बात कहती थी …......और अब तक अपनी बीवी के इन फ्लिर्टिंग मैसेजिंग में मुझे कुछ भी बुरा, जलन, अजीब या गलत नहीं लगा था।


मेरी बेटी रिंकी भी वापस आ चुकी थी, इस दरम्यान हमारें बीच बातचीत अब ठहरने लगी थी। मेरे कमरें में अब वो पांव दाब कर आती थी। मैं वहां रहता तो आहिस्ते कोई किताब उठा मद्धम रोशनी में पढ़ने लगती थी। फिर आकर बगल में लेट जाती थी। रुई के मानिंद वो अपने बदन को बिस्तर पर रखती थी कि मुझे कोई खलल न हो। पर इसके पहले ऐसा नही था, वो बगल में फिर लेटती फिर मुझे कोंचने लगती थी। शायद वो मुझे वापस बोलते हुए देखना चाहती थी।


एक रोज वो गुनगुनाते हुए कमरें में दाखिल हुयी और बेड पर आकर पसर गयी। उस रोज तबियत मेरी भी अच्छी थी पर जाने क्या हुआ कि जब उसने मुझे छूने की कोशिश की तो मैं बिफ़र पड़ा और ऐसे बिफरा जिस की उम्मीद मुझे खुद न थी। मैने कहा तुम्हारें जैसी कमसिन कम उम्र की लड़कियों को रोज मै कॉलेज में पढ़ाता हू और मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ, और ऐसे प्यार को भी। आगे से मेरे कमरे में मत आना। मुझे तुम्हारी किन्हीं बातों से नही, अब बस तुमसे दिक्कत होती है। पास आती हो तो किसी अनहोनी होने का डर लगता है, हमारे बाप बेटी के रिश्ते को अपवित्र करने की कोशिश मत करो ।


जवाब में वो कुछ न बोली बस मेरे ओर देखती रही। आंख में शायद पानी भी भरा था। पर मैं देख न पाया। मेरा क्रोध पश्चाताप नही हुआ था लेकिन ऐसा कुछ मैं बोल सकता हूँ इसका मुझे भान न था।


वो उठकर चलने को हुई। मैंने इशारा किया .... तुम्हारा नोट बुक छूट रहा। उसने हाथ डाला और उसमें एक पेपर निकालकर बढ़ाया और चली गई।


मैंने सिगरेट जलाई और पेपर पढ़ने लगा। थोड़ी खुशी हुई पर आज जो हुआ था उसके गम में वो खुशी जाती रही।


फिर मैं छत पर आकर खड़ा हो गया। सिगरेट जलती रही और मैं रास्ते को देखता रहा। देखते देखते फिल्टर भी जल गया और मेरा फेफड़ा भी सुलगने लगा अब बस आत्मा भी जलने वाली थी कि अचानक ख्याल आया वो इतनी गलत भी तो नही है। फेफड़ा वापस से हरा होने लगा।


वो अगले आठ-दस दिनों तक मेरे कमरे में नही आई। गए तीन-चार महीनों में ऐसा कभी नही हुआ था। पर दसवें दिन वो मेरे कमरे में आई। पांव दबाए और बगल में किताब दबाएं। उसने आकर कमरें की खिड़की आहिस्ते से खोली किताब पढ़ने की नाटक कि फिर फोन चलाया। उससे भी ऊब गई तो पुराने अखबार निकाल पढ़ने लगी।

फिर मेरी पसन्दीदा कहानियों को उठाकर पढ़ने लगी। उसमें जिन पंक्तियां को मैंने अंडरलाइन किया था। उसे बोलकर पढ़ती थी। वो किसी को सुनाना चाहती थी। खुद को... कमरें को या शायद मुझे। ऐसा बदस्तूर कई रोज तक चलता रहा। उसने इन आदतों में एक नई चीज जोड़ ली। अब वो मेरे सिगरेट के डब्बे में से सिगरेट निकालकर फूंकने लगती थी। उसने कभी सिगरेट नही पी थी। ये देख मुझे हंसी आती थी पर मैं निर्विकार भाव से पड़ा रहता था। कभी सोफे पर कभी बिस्तर पर।

एक दुपहर वो आई तो गुनगुनाते हुए मगर कमरें से पहले पैर दबा लिए शायद कमरें के अंदर कुछ सुनना चाहती थी। फिर कुछ देर में दाखिल हुई और वहीं उटपटांग हरकतें शुरू कर दी। जब उसने सिगरेट का पहला दम भरा तो मुझे हंसी आ गई।

जाने क्यों वो बिफ़र पड़ी। जाने क्या कहती रही इसी रौ में उसने कहा कि पापा आपने सिर्फ दिखावा किया कभी मुझसे प्यार नही किया। मैं मुस्कुराने लगा। वो मुरझा गई और वहीं जलकर राख हो गई। मैं भी वहीं भस्म हो गया। मैं उदासी का देवता था, मेरा हंसना मुस्कुराना मना था।

मैं जबाब में रिंकी से कुछ कह पाता कि कुसुम का काल मेरे मोबाइल में आ गया.. “हैलो मेरी जान “

मोबाइल से बाहर निकलते हुए अपनी मम्मी के प्यार भरे शब्दों को सुनकर वो हल्के से मेरी ओर देख कर गुर्रायी और कमरे से बाहर चली गई।

“जूली की शादी रात वाली बात याद है ना ..” कुसुम ने सीधे ही कहा

“हाँ क्यो ..”

“कुछ नही बस आज से जलना शुरू कर दो ..”

“मतलब “

“मतलब.....मेरे सारे मेसेज तो पढ़ ही लिए होंगे..” मैं बुरी तरह से चौक गया आखिर इसे कैसे पता ..?? “क्या बोल रही हो ..”

वो खिलखिलाई “जान मैं एक प्रोफेसर की बीवी हु,आपके जबाब देने के अंदाज से ही थोड़ा शक सा हो गया। तो आज की तारीख तक आपको मेसेज पढा दिया,लेकिन माफ करना अब से कोई मेसेज और काल आप तक नही पहुचेगा “

वो बेहद ही शरारत से हँसी ,
“अरे जान तुम तो ..”

“हो गया आपका बहुत ,अब देखती हु मेरे जान की हालत क्या होगी ,जलने का इतना शौक था ना, तो जलो अब, और करो मेरी जासूसी... मुझसे कोई उम्मीद मत रखना की मैं कुछ बतलाने वाली हु …” उसने हंसते हुए काल काट दिया,

मैं सर खुजाते रह गया,आखिर ये करने क्या वाली है ,क्या ये सच में किसी के साथ अफेयर करने वाली है...मुझे तो नही लगता की कुसुम कुछ ऐसा करेगी लेकिन फिर भी एक शख्स के ऊपर थोड़ा डाउट जरूर था वो था "दिनेश" …

कुसुम जल्द ही किसी दिन उससे मिलने वाली थी ,मेरा दिमाग बार बार वही जा रहा था की आखिर वो दोनों क्या प्लान कर रहे होंगे,मैंने एक रिस्क तो ले लिया था अब इस पाप की सजा भी तो मुझे ही भुगतनी थी, कुसुम एक मेच्योर लड़की थी लेकिन दिनेश के सामने भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती थी ,वही उसे ये भी पता था की मैं अगर गुस्से में आ जाऊ तो क्या करूंगा लेकिन फिर भी उसने मुझे जलाने की सोची , वो अपने कदम बेहद ही फूंक फूंक कर रखने वाली थी ,मुझे उसके दिमाग पर भरोसा था लेकिन ये खेल कही ऐसे मुकाम में ना पहुच जाय की हमारे रिश्ते में दरार आ जाए ,ये एक चिंता शायद हम दोनो को ही थी..........!!!!!!!


जारी है....... ✍️
Great update 👍 and superb 👌 writing ✍️ professor ke lag l. Gaye bhai. Usko badi chull thi apni lugai ko dusre se chudte hue dekhne ki.
Kusum pakda uski gand mar degi.
Per story me Maja na aayega fir.
Awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯
 

Raj_sharma

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Happy valentine 💝 day to all
 

Kuresa Begam

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अब मुझे अपना मन बहुत हलका महसूस हो रहा था. "बेवफाई के इलजाम" से आजाद जो हो गया था मैं.

"" स्त्रियाँ किसी से प्यार करती हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उन्हें क्या बताते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या कहती है, शर्म और आँसू यह निर्धारित करने के लिए एक वैध प्रमाण नहीं हैं कि क्या वह एक अच्छी महिला है, क्योंकि एक महिला इसे एक बॉस की तरह नकली कर सकती है। वे ऐसा करने में सक्षम हैं। जब आप उसे धोखा देते हैं और वह आपसे नफरत नहीं करती है, तो वह उस महिला से नफरत करती है जिसके साथ आपने धोखा दिया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाएं अस्वीकृति, शर्मिंदगी और अपमान का सामना नहीं करना चाहती हैं, चाहे वे हमेशा कुछ भी चाहती हैं, जब तक कोई उन्हें बचा ले और दोष नहीं लेता....""

इस पश्चाताप की अग्नि में अकेला मै नही जला था, एक शक्स और था जो मेरी तरह इस वक्त पश्चाताप करते हुए खुद को कोस रही है... जी हाँ वो थी मेरी सास.....!

"क्या अब मैं ऐसी निर्लज्ज स्त्री बन गयी हूँ, सास तो दामाद की माँ समान होती है, जिसके दामाद को पता है कि उसकी सास अपने जिस्म की अधूरी प्यास की वजह से परेशान है. अरे! जिस उमर में उस मा को अपने पुत्र (मेरे साले) की शादी, उसके भविश्य के बारे में सोचना चाहिए वह बेशरम तो अपनी ही चूत के मर्दन-रूपी विचारो में मग्न रहती है" सास कुढते हुए सोच रही थी, हलाकी फोन पर बातों के ज़रिए वह अब भी दामाद के अनुमान को असत्य साबित कर सकती थी परंतु उससे कोई लाभ नही होता उनके मन में भी ग्लानि का अंकुर फुट चुका था और उसकी वर्द्धि बड़ी तीव्रता से हो रही थी.

अपने दामाद को इस तरह अपनी भावनाओ को बता कर उन्होंने ठीक नही किया था, उनसे ना तो उगलते बन रहा था ना ही निगलते. पल प्रतिपल वह उसी ख़याल में डूबती जा रही थी, चाहकर भी उस विचार से अपना पिछा नही छुड़ा पा रही थी. उनके नज़रिए से इस तरह अपनी चोरी पकड़े जाने के भय से एक पल के लिए सास काँप सी गयी थी........!!!!

दूसरी ओर अपने नित्य कर्म से मुक्त होकर जब मै वापस आया, सब कुछ सामान्य हो गया था और तब तक कुसुम ने अपनी पैकिंग कर ली थी, आधे घंटे बाद मै उसे बस स्टैंड पर दिमापुर वाली बस में बैठा कर अपने कॉलेज (नौकरी) निकल गया...!!

अब ऐसे ही दिन निकलने लगे, मुझे कुसुम की id पासवर्ड पता थी जिससे मै उसके हर रोज मैसेज पढ़ता ज्यादतर चार लोगो के मेसेज थे , शर्मा, राज, दिनेश और उसके ऑफिस का नया कलिग रिजवान ..मैं सोच में पड़ गया की ये अब कुसुम को हो क्या गया है सभी को लाइन में ला रही है........ शर्मा के साथ कुछ हँसी मजाक तक ही सीमित थी ,वही राज ने कई बार उसे कहा की तुम आजकल ज्यादा बात क्यो नही करती जवाब में कुसुम ने उसे कहा था की अब से करूंगी फिक्र मत करो…! !! !!


रिजवान कही साथ जाने की जिद में था , कुसुम ने उसे भी आश्वासन दे रखा था , लेकिन मेरे दिल के किसी कोने से ये आवाज भी आ रही थी की कुसुम इन सबके साथ कुछ नही करने वाली,उसका उद्देश्य बस मुझे जलाना था .... .. .... ! !!


मेरा इंटरेस्ट था कुसुम का पुराना प्रेमी दिनेश ,आखिर दिनेश के साथ वो कैसे विहेब करेगी , दिनेश को मेसेज में उसने बस हमेशा यही लिखा था की जल्द ही किसी दिन मिलते है , दिनेश कभी कभी खुशी और थोड़े गुस्से में मैसेज भेजता था और कुसुम भी उसे बड़े से प्यार से मनाती, और जल्द ही किसी दिन मिलने और साथ थोड़ा वक्त बिताने की बात कहती थी …......और अब तक अपनी बीवी के इन फ्लिर्टिंग मैसेजिंग में मुझे कुछ भी बुरा, जलन, अजीब या गलत नहीं लगा था।


मेरी बेटी रिंकी भी वापस आ चुकी थी, इस दरम्यान हमारें बीच बातचीत अब ठहरने लगी थी। मेरे कमरें में अब वो पांव दाब कर आती थी। मैं वहां रहता तो आहिस्ते कोई किताब उठा मद्धम रोशनी में पढ़ने लगती थी। फिर आकर बगल में लेट जाती थी। रुई के मानिंद वो अपने बदन को बिस्तर पर रखती थी कि मुझे कोई खलल न हो। पर इसके पहले ऐसा नही था, वो बगल में फिर लेटती फिर मुझे कोंचने लगती थी। शायद वो मुझे वापस बोलते हुए देखना चाहती थी।


एक रोज वो गुनगुनाते हुए कमरें में दाखिल हुयी और बेड पर आकर पसर गयी। उस रोज तबियत मेरी भी अच्छी थी पर जाने क्या हुआ कि जब उसने मुझे छूने की कोशिश की तो मैं बिफ़र पड़ा और ऐसे बिफरा जिस की उम्मीद मुझे खुद न थी। मैने कहा तुम्हारें जैसी कमसिन कम उम्र की लड़कियों को रोज मै कॉलेज में पढ़ाता हू और मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ, और ऐसे प्यार को भी। आगे से मेरे कमरे में मत आना। मुझे तुम्हारी किन्हीं बातों से नही, अब बस तुमसे दिक्कत होती है। पास आती हो तो किसी अनहोनी होने का डर लगता है, हमारे बाप बेटी के रिश्ते को अपवित्र करने की कोशिश मत करो ।


जवाब में वो कुछ न बोली बस मेरे ओर देखती रही। आंख में शायद पानी भी भरा था। पर मैं देख न पाया। मेरा क्रोध पश्चाताप नही हुआ था लेकिन ऐसा कुछ मैं बोल सकता हूँ इसका मुझे भान न था।


वो उठकर चलने को हुई। मैंने इशारा किया .... तुम्हारा नोट बुक छूट रहा। उसने हाथ डाला और उसमें एक पेपर निकालकर बढ़ाया और चली गई।


मैंने सिगरेट जलाई और पेपर पढ़ने लगा। थोड़ी खुशी हुई पर आज जो हुआ था उसके गम में वो खुशी जाती रही।


फिर मैं छत पर आकर खड़ा हो गया। सिगरेट जलती रही और मैं रास्ते को देखता रहा। देखते देखते फिल्टर भी जल गया और मेरा फेफड़ा भी सुलगने लगा अब बस आत्मा भी जलने वाली थी कि अचानक ख्याल आया वो इतनी गलत भी तो नही है। फेफड़ा वापस से हरा होने लगा।


वो अगले आठ-दस दिनों तक मेरे कमरे में नही आई। गए तीन-चार महीनों में ऐसा कभी नही हुआ था। पर दसवें दिन वो मेरे कमरे में आई। पांव दबाए और बगल में किताब दबाएं। उसने आकर कमरें की खिड़की आहिस्ते से खोली किताब पढ़ने की नाटक कि फिर फोन चलाया। उससे भी ऊब गई तो पुराने अखबार निकाल पढ़ने लगी।

फिर मेरी पसन्दीदा कहानियों को उठाकर पढ़ने लगी। उसमें जिन पंक्तियां को मैंने अंडरलाइन किया था। उसे बोलकर पढ़ती थी। वो किसी को सुनाना चाहती थी। खुद को... कमरें को या शायद मुझे। ऐसा बदस्तूर कई रोज तक चलता रहा। उसने इन आदतों में एक नई चीज जोड़ ली। अब वो मेरे सिगरेट के डब्बे में से सिगरेट निकालकर फूंकने लगती थी। उसने कभी सिगरेट नही पी थी। ये देख मुझे हंसी आती थी पर मैं निर्विकार भाव से पड़ा रहता था। कभी सोफे पर कभी बिस्तर पर।

एक दुपहर वो आई तो गुनगुनाते हुए मगर कमरें से पहले पैर दबा लिए शायद कमरें के अंदर कुछ सुनना चाहती थी। फिर कुछ देर में दाखिल हुई और वहीं उटपटांग हरकतें शुरू कर दी। जब उसने सिगरेट का पहला दम भरा तो मुझे हंसी आ गई।

जाने क्यों वो बिफ़र पड़ी। जाने क्या कहती रही इसी रौ में उसने कहा कि पापा आपने सिर्फ दिखावा किया कभी मुझसे प्यार नही किया। मैं मुस्कुराने लगा। वो मुरझा गई और वहीं जलकर राख हो गई। मैं भी वहीं भस्म हो गया। मैं उदासी का देवता था, मेरा हंसना मुस्कुराना मना था।

मैं जबाब में रिंकी से कुछ कह पाता कि कुसुम का काल मेरे मोबाइल में आ गया.. “हैलो मेरी जान “

मोबाइल से बाहर निकलते हुए अपनी मम्मी के प्यार भरे शब्दों को सुनकर वो हल्के से मेरी ओर देख कर गुर्रायी और कमरे से बाहर चली गई।

“जूली की शादी रात वाली बात याद है ना ..” कुसुम ने सीधे ही कहा

“हाँ क्यो ..”

“कुछ नही बस आज से जलना शुरू कर दो ..”

“मतलब “

“मतलब.....मेरे सारे मेसेज तो पढ़ ही लिए होंगे..” मैं बुरी तरह से चौक गया आखिर इसे कैसे पता ..?? “क्या बोल रही हो ..”

वो खिलखिलाई “जान मैं एक प्रोफेसर की बीवी हु,आपके जबाब देने के अंदाज से ही थोड़ा शक सा हो गया। तो आज की तारीख तक आपको मेसेज पढा दिया,लेकिन माफ करना अब से कोई मेसेज और काल आप तक नही पहुचेगा “

वो बेहद ही शरारत से हँसी ,
“अरे जान तुम तो ..”

“हो गया आपका बहुत ,अब देखती हु मेरे जान की हालत क्या होगी ,जलने का इतना शौक था ना, तो जलो अब, और करो मेरी जासूसी... मुझसे कोई उम्मीद मत रखना की मैं कुछ बतलाने वाली हु …” उसने हंसते हुए काल काट दिया,

मैं सर खुजाते रह गया,आखिर ये करने क्या वाली है ,क्या ये सच में किसी के साथ अफेयर करने वाली है...मुझे तो नही लगता की कुसुम कुछ ऐसा करेगी लेकिन फिर भी एक शख्स के ऊपर थोड़ा डाउट जरूर था वो था "दिनेश" …

कुसुम जल्द ही किसी दिन उससे मिलने वाली थी ,मेरा दिमाग बार बार वही जा रहा था की आखिर वो दोनों क्या प्लान कर रहे होंगे,मैंने एक रिस्क तो ले लिया था अब इस पाप की सजा भी तो मुझे ही भुगतनी थी, कुसुम एक मेच्योर लड़की थी लेकिन दिनेश के सामने भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती थी ,वही उसे ये भी पता था की मैं अगर गुस्से में आ जाऊ तो क्या करूंगा लेकिन फिर भी उसने मुझे जलाने की सोची , वो अपने कदम बेहद ही फूंक फूंक कर रखने वाली थी ,मुझे उसके दिमाग पर भरोसा था लेकिन ये खेल कही ऐसे मुकाम में ना पहुच जाय की हमारे रिश्ते में दरार आ जाए ,ये एक चिंता शायद हम दोनो को ही थी..........!!!!!!!


जारी है....... ✍️
Nice update🙏
 

devil29

Davil
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Maine aapki poori story padhi hai lekin Aaj se nahi padhunga
Kiyuki itna short update wo bhi ek week me isi liye mai Aaj se nahi padhunga kiyuki ab maja bhi nahi aata
 
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