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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

manu@84

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है अरुण को उसका जैसा ही दोस्त मिल गया कार्तिक भी अपनी बीवी को दूसरे से सेक्स करतें देखना चाहता है प्रोफेसर साहब की किस्मत ने भी साथ दे हो दिया और उनको डॉली के साथ समय बिताने का मौका दे हो दिया है
कुसुम अपनी वासना की आग में जल रही थी जो अरुण के आते ही रास्ते में खुले आसमान के नीचे शुरू हो गए हैं कार के अंदर जो रोमांचकारी खेल चल रहा था वह बहुत ही उत्तेजना पूर्ण और शानदार था
Awesome update
Waah Professor Sahab

Ke

Maje Hain

🔥👌
यार कहाँ कहाँ से इतनी कामुक स्थितियाँ सोच लेते हो। अद्भुत!
xforum की बेहतरीन कहानियों में एक। 👌👌

Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 

manu@84

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है अरुण को उसका जैसा ही दोस्त मिल गया कार्तिक भी अपनी बीवी को दूसरे से सेक्स करतें देखना चाहता है प्रोफेसर साहब की किस्मत ने भी साथ दे हो दिया और उनको डॉली के साथ समय बिताने का मौका दे हो दिया है
कुसुम अपनी वासना की आग में जल रही थी जो अरुण के आते ही रास्ते में खुले आसमान के नीचे शुरू हो गए हैं कार के अंदर जो रोमांचकारी खेल चल रहा था वह बहुत ही उत्तेजना पूर्ण और शानदार था
हसबैंड वाइफ को अपनी सेक्सुअल लाइफ मे जान फूंकने के लिए कुछ स्पाइसी जरूर करना चाहिए । थोड़ा-बहुत एक्सपेरिमेंट भी अवश्य करना चाहिए लेकिन मर्यादा के अंदर ।
अरूण और कुसुम ने आउटडोर सेक्स का लुत्फ उठाया और इसमे कुछ भी बुराई नही है । ऐसी सेक्सी , कामुक और कोऑपरेटिव वाइफ को धोखा देकर अरूण सर फिर भी बाहर मुंह मार रहे है यह हैरान करने वाली बात है ।
खैर , अधिकतर मर्दों का ख्याल है कि घर की मुर्गी दाल बराबर होती है । अधिक से अधिक औरतों का मान मर्दन करना उनके लिए मर्दानगी और शान की बात होती है ।

कुसुम का यह अवतार दर्शा रहा है कि वह सेक्स को कितना इम्पोरटेंस देती है ! वगैर हसबैंड के वह कैसे खुद को काबू करती होगी ?

अरूण साहब के लिए पहले भी कहा कि वह औरतों के मामले मे किस्मत के धनी है । इस बार उनके एक फ्रैंड कार्तिक साहब ने अपनी ही पत्नी को चांदी के प्लेट मे रखकर , सोने का वर्क लगाकर , हीरे की लौंग जड़कर उसके सामने पेश कर दिया ।
देखते है इस बार अरूण सर ' डाॅली ' के साथ कितनी दूर तक सफर कर पाते है !

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मानु भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट अपडेट।

Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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अध्याय - 23 --- " Hide & Seek ""

वो अपने कदम बेहद ही फूंक फूंक कर रखने वाली थी ,मुझे उसके दिमाग पर भरोसा था लेकिन ये खेल कही ऐसे मुकाम में ना पहुच जाय की हमारे रिश्ते में दरार आ जाए ,ये एक चिंता शायद हम दोनो को ही थी..........!!!!!

कुसुम की बात से मै अपना सर पकड़े हुए बैठा था की मेरे मोबाइल पर एक काल आया वो काल कार्तिक का था, मैंने अपने सर को झटका ये साली फिर से एक नई मुसीबत आ गई ..

“हैलो कार्तिक “

“क्या बड़े भाई हमारे काम पर ध्यान नही दे रहे हो यार, अब तो "कुसुम भाभी" भी साथ नही रहती हैं, “

“बस क्या... कार्तिक तेरे ही काम के बारे में सोच रहा था,”

“सोचो मत करो अब समय आ गया है बड़े भाई, कि तुम आज मेरे घर आकर डॉली से मिल ही लो, अगर कोई परेशानी हो तो कहो मैं डॉली के साथ तुम्हारे घर आ जाऊ …”

कार्तिक की बात सुनकर मैंने एक गहरी सांस ली ,

“नही कार्तिक मेरे घर में पापा मम्मी, और बेटी रहती हैं ..”

“इसलिए तो अपने घर को चुना है ,लेकिन तुम्हे भी इसमें इमोशनल नही होना है ,और इसे पर्सनल में मत ले लेना वरना काम हमारा ही बिगड़ जाएगा ,”

“ offcourse कार्तिक लेकिन इस सबसे पहले मुझे तुम्हारी भी मदद की जरूरत होगी, मुझे कुछ सी सी टीवी कैमरा और अन्य छुपे हुए कैमरे और जासूसी कैमरे चाहिए। जिनका खर्चा मै नही कर सकता यार “

कार्तिक की हल्की सी हँसी सुनाई दी ..

“ बड़े भाई मै समझ गया ये सी सी टीवी कैमरा और अन्य छुपे हुए कैमरे और जासूसी कैमरे तुम्हे कहाँ लगाने है " जो चाहिए, जैसा चाहो, वैसा मिलेगा ,जरूरत हो तो और बताना …” बस तुम तो आज अपने छोटे भाई के लिए आकर एक बार डॉली से मिल ही लो।

“ठीक है कार्तिक मैं आज शाम ही तेरे घर आकर मिलता हु “

****

कार्तिक एक हार्डवेयर इंजिनियर जो सिक्युरिटी सिस्टम प्रोवाइड करने वाली कम्पनी में टेक्नीकल हेड है, इसका काम सी सी टीवी कैमरा लगाना और अन्य छुपे हुए कैमरे और जासूसी कैमरे लगाने का था।

कार्तिक उम्र में मुझसे छोटा है, कॉलेज के पास की पान की तपरी पर हमारी मुलाकात हुयी थी। हम शुरवाती बातों से दोस्त बन गये थे, और एक दूसरे से काफी खुल गये थे
सेक्स चैट के दौरान कार्तिक मेरे सेक्स अनुभव और मेरी बिंदास सेक्स कल्पनाओं का कायल हो गया, इसे मैंने कुसुम की टैटू आर्टिस्ट के सामने 'जिस्म की नुमाइश' करने वाली घटना और अपनी साली 'प्रीति' की डिलीवरी बॉय के सामने नंगी होकर 'जिस्म की नुमाइश' करने वाली घटना भी बताई थी।

उसे सुन कर तो यह बन्दा पागल ही हो गया और फिर जब उसने मुझसे बातें की तो उसकी भी एक रोमांचक और उत्तेजक फेंटेसी मेरे सामने आई, जो मेरी भी है और अब नए ज़माने के बहुत से मर्दों और शादीशुदा जोड़ों की भी है, कि खुद की पत्नी को किसी दूसरे मर्द के साथ प्रेमालाप करते, नग्नावस्था में देखने की, यहाँ तक कि सम्भोगरत देखने की कामना रखना और उत्तेजित होना !

और अब हर बार जब भी वो मुझसे बात करता अपनी बीवी ‘डॉली’ के बारे में करने लगता, उसके सौंदर्य, उसके जिस्म के नाज़ुक और कामुक अंगों के बारे में ! मुझ से पूछता कि उसे कैसे निर्वस्त्र करना चाहिए, कहाँ चूमना और चाटना चाहिए, दबाना चाहिए, और चूंकि यह सेक्स चैट ही होती है और मैं बहुत लोगों के साथ करता भी रहा हूँ, इसलिए उसे विस्तार से बताया करता और इससे वो बहुत उत्तेजित हो जाता था।

अब वो मुझसे यह तक कहने लगा कि तुम यानि मै, उसकी बीवी को कैसे उत्तेजित करूँगा, आलिंगन करूँगा, चूमूँगा-चूसूँगा वगैरा वैगरा, और यह मामला कब गम्भीर हो गया हमें पता ही नहीं चला। और आखिर हम एक ही शहर से थे तो वो मिलने की जिद करने लगा, और मुझे भी उसने डॉली के बारे में इतना कुछ सेक्सी सेक्सी बताया था कि डॉली से मिलने उसे देखने के लिए मेरे मन में भी लड्डू फूटने लगे थे, और फिर 'मेरी बीवी कुसुम' में उसकी कोई रुचि नहीं थी इसलिए यह पत्नियों की 'अदला बदली' वाला मामला भी नहीं था।

उनकी शादी को दो साल हुए थे और अभी कोई बच्चा नहीं था और न वो गर्भवती थी, उसने मुझे पहले ही बता दिया था कि वो मुझे उससे ननिहाल पक्ष के दूर के एक रिश्तेदार की हैसियत से मिलवायेगा।

इसलिए मैंने एक ना एक दिन मिलने का निश्चय कर ही लिया था।

****

मुझे अपने कॉलेज भी जाना था ,मैं अपने कॉलेज पहुचा और मुझे कुसुम की बातें याद आ गई ,मैंने अपना मोबाइल निकाला और देखने लगा, लेकिन उसके कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट ओपन नही हो रहे थे, उसने सभी के पासवर्ड बदल लिये थे। अब मै कुसुम पर नजर कैसे रखुंगा ??? वो मेरी गैर जानकारी में क्या क्या गुल खिला रही होगी ये सोच सोच कर मेरा दिल बैठा जा रहा था। मुझे बस एक आईडिया ही सूझ रहा था कि उसके सरकारी क्वाटर में किसी तरह छिपे हुए जासूसी कैमरे, बिना उसकी जानकारी के लगा दिये जाये। जिससे घर के अंदर होने वाली हर गतिविधि पर मै नजर रख सकूँ। यही कैमरो की जुगाड़ करने की मै सोच रहा था ।

और फिर जो आज कार्तिक का काल आया, तो मै सीधा कॉलेज से छुट्टी के बाद मैं उसके घर पहुँचा, घण्टी बजाई, अंदर से एक पुरुष आवाज आई- डॉली, जाओ तुम देखो कौन है !


अब मेरा दिल धड़कने लगा, क्यूँकि शायद डॉली ही गेट खोलने आ रही थी, मैंने अपने आपको संयत किया।

गेट खुलते ही मेरे सामने लेगिंग और कुरता पहने और खुले बालों में एक युवती खड़ी थी, उसे महिला कहना गलत होगा, यहाँ तक कि वो शादीशुदा भी नहीं लग रही थी, उसका चेहरा देखते ही मुझे वो एक टीवी सीरियल ‘उतरन’ में आने वाली अभिनेत्री ‘तपस्या’ जैसी लगी, हूबहू तो नहीं पर काफी कुछ उससे मिलती जुलती सी थी वो !

मैंने उसे हेल्लो बोला और कहा- तुम? डॉली?

बोली- हाँ और आप??

मैं कुछ बोलता उसके पहले ही पीछे से कार्तिक आ गया- ये अरुण भैया ! डॉली तुम्हें बताया था इनके बारे में, इनके और मेरे दादाजी आपस में भाई थे ! और ये इसी शहर में हैं लेकिन परिचय अभी हुआ !

डॉली बोली- हाँ, तुमने बताया था !

और कार्तिक ने क्या बताया होगा इसका मुझे खूब आइडिया था, क्यूँकि उसने मुझे एक जिंदादिल, आधुनिक और सेक्सी मूड वाले व्यक्ति के रूप में परिचित कराया होगा, और यह भी कि हम whatsp पर वयस्क और अश्लील सामग्री शेयर करते रहते हैं, और यह इसलिए भी जरूरी था कि जो वो मुझसे करवाना चाहता था उसके लिए ऐसी भूमिका बनाना जरूरी था।

डॉली ने मुस्कराहट से अभिवादन किया और हाथ जोड़ के नमस्ते करने का उपक्रम किया, लेकिन मैंने उसे तुरंत उसे रोका और कहा- प्लीज़ प्लीज़ डॉली ! ऐसा करके मुझे बड़ा मत बनाओ यार ! प्लीज़ शेक हैण्ड !

और यह कहते हुए मिलाने के लिए हाथ बढ़ा दिया, वो बुरी तरह से शरमा गई और अचकचा सी गई, लेकिन शायद मुझे बुरा न लगे इसलिए उसने भी हाथ बढ़ा दिया।

अब मेरा हाथ उसके हाथ में था, मैंने भी सभ्यता दिखाते हुए हाथ मिलाया और फिर कार्तिक से भी ! और कहा- तुम लोगों से मिल कर बहुत अच्छा लगा, तुम दोनों की जोड़ी कमाल की है !

और कार्तिक के हाथ को दबाते हुए और शरारत से उसे आँख मारते हुए मैंने कहा- तेरी तो लॉटरी लग गई साले ! बहुत खूबसूरत वाइफ मिली है तुझे !

डॉली मुस्कुरा दी।

कार्तिक मेरी इस एंट्री से संतुष्ट नज़र आ रहा था, मैं जिस काम से आया था उसी हिसाब से अपने आप को दर्शा रहा था और घर का मुआयना करते हुए मैंने फिर एक बार डॉली की तारीफ की- यार घर तो बहुत सलीके से जमाया हुआ है, लगता है तुझे नौकरी के साथ साथ होम सर्विस भी करनी पड़ती होगी !

यह सुनते ही डॉली तुनक कर बोली- ‘ये’ और घर के काम? रहने दो, सब मुझे ही करना पड़ता है ! इन्हें तो इनके ऑफिस से ही फुर्सत नहीं है, और तो और घर आकर भी लेपटॉप ले के बैठ जाते हैं ऑफिस का काम करने !

मैंने फिर शरारत से कहा- डॉली देख लिया करो, लेपटॉप पे यह काम कर रहा है या कोई पोर्न देख रहा है !

वो हंसते हुए बोली- हाँ, बिल्कुल ! मेरे आते ही लैपटॉप बंद जो कर लेते हैं।

मैंने कार्तिक के एक धौल जमाते हुए कहा- साले, इतनी सुंदर और सेक्सी बीवी मिली है, इसमें ध्यान लगाया कर, वो लैपटॉप वाली उसमें से बाहर निकल कर नहीं आएँगी और यह तो लाइव तेरे सामने है।

मैंने जानबूझ कर डॉली के लिए सेक्सी शब्द बोला था और मैंने नोटिस किया कि उसे शर्म तो आई पर सुनने में अच्छा भी लगा। कुल मिला कर मैंने कुछ समय में उन दोनों के साथ ख़ास तौर से डॉली के साथ एक दोस्ताना, बे-तकल्लुफ़ और कुछ हद तक सेक्सुअल बातों वाला माहौल बना लिया था।

लेकिन वो मुझे एक निश्छल, खुश मिजाज़, लेकिन बहुत ही ज्यादा शर्मीली और अपने में सिमटी सिमटी सी लड़की लगी। मैं चिंता में पड़ गया कि इसके साथ कैसे वो सब करूँगा और क्या इस सीधी-सादी और भोली लड़की के साथ यह सब करना उचित होगा, क्यूँकि मेरी बेबाक और सेक्सी बातों पर भी वो शरमा रही थी।

जबकि कार्तिक जानबूझ कर मुझे उसके साथ अकेला छोड़ कर बाज़ार से नाश्ता लेने चला गया था, तब हमने खूब बातें की इस बारे में, लेकिन मुझे अब कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। और यह बात मैंने कार्तिक को भी बताई, डॉली के वहाँ से जाने के बाद क्यूँकि नाश्ते के बाद डॉली ब्यूटीपार्लर चली गई थी और तब हम दोनों अकेले थे।

मैंने उसे साफ़ कह दिया कि डॉली के साथ ऐसा करना गलत होगा, वो मासूम है, वो खुद नहीं चाहती होगी यह सब करना ! और करवाना !

कार्तिक बोला- अरुण, तुम प्लीज़ मुझे गलत मत समझो, मैं भी डॉली से बहुत प्यार करता हूँ और कुछ सोच समझ कर तुम्हें बुलाया है।

और फिर वो एकाएक उठा, मेन-गेट बंद किया और फिर अपना लैपटॉप लेकर आया और बोला- पहले तुम इसे देखो, फिर फैसला करना ! ओके !

और जब लेपटॉप में उसने काफी सारे वीडियो में से एक वीडियो प्ले किया, तो मेरी आँखें खुली कि खुली रह गई।

लेपटॉप स्क्रीन पर जो दृश्य उभरा वो शायद उनके बेडरूम का था, जिसमें डॉली और कार्तिक प्रेमालाप करते हुए दिख रहे थे, डॉली ने सिल्क का बिना बाहों का गाउन पहन रखा था और कार्तिक पायज़ामे और टीशर्ट में था।

कार्तिक, डॉली को आलिंगन में लेकर चूमने का प्रयास कर रहा था, उसके चेहरे गर्दन, खुले हुए कंधे सब जगह ! और कुछ देर बाद उसने डॉली के गाउन के अंदर हाथ डाल कर उसे उतारने का प्रयास किया, लेकिन डॉली उसे रोकती रही और जहाँ जहाँ से गाउन हट भी जाता था, वो अपने बदन के उस अनावृत हिस्से को फिर छुपा लेती !

वो नग्न होने में शरमा रही थी लेकिन कार्तिक बहुत उत्तेजित हो चुका था, प्रकृति ने पुरुष को ताकतवर बनाया है इसलिए कार्तिक ने बलपूर्वक उसका पूरा गाउन उसके जिस्म से अलग कर ही दिया !

अब उसके जिस्म पर पेंटी और ब्रा ही थी लेकिन उसने तुरंत ही पास पड़ी चादर से अपने बदन को ढक लिया और कार्तिक ने उस चादर के अंदर से ही उसकी पेंटी और ब्रा निकाल फेंकी, लेकिन डॉली ने और अच्छे से अपने बदन पर चादर लपेट ली।

कार्तिक ने चादर हटाने की कोशिश की लेकिन डॉली विरोध करती रही और उसे लाइट बंद करने को बोलती रही।

पुरुष के साथ एक कमज़ोरी है कि वो बहुत ही जल्दी उत्तेजित हो जाता है, जो अभी कार्तिक के साथ भी हो रहा था, उसने तुरंत अपने सभी कपड़े उतार कर अपने आपको पूर्ण नग्न कर लिया, इसमें कोई शक नहीं था कि कार्तिक का शारीरिक गठन और उसका लिंग जबर्दस्त है लेकिन उधर उस डॉली ने अपनी आँखें ही बंद कर ली, बेचारे कार्तिक ने अपना लंड उसके होंठों पर रखना चाहा कि वो चुम्बन ले या शायद मुँह में ले ले लेकिन डॉली ने चादर से अपना चेहरा ढक कर उसकी कोशिश नाकाम कर दी।

और आखिर कार्तिक को उठ कर लाइट ऑफ करनी ही पड़ी, फिर सब कुछ धुंधला सा हो गया।

फिर कार्तिक ने लैपटॉप बंद किया और मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोला- देखा तुमने? यह समस्या है हमारे साथ ! क्या अब तुम मेरी सहायता करोगे?

मैं सोच में पड़ गया और एक गहरी सांस लेते हुए बोला- यह सिर्फ तुम्हारे अकेले की नहीं, तुम दोनों की समस्या है। डॉली के साथ भी गलत हो रहा है और वो स्वाभाविक यौन-सुख से वंचित है, और मैं ये सब करूँगा तुम दोनों के लिए, लेकिन तुम्हें मेरे डॉली के साथ किये किसी भी यौन प्रयास पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए !

वो तपाक से बोला- नहीं, बिल्कुल नहीं !

मैंने कहा- सोच लो ! मैंने इस वीडियो में जो महसूस किया है, उस हिसाब से मुझे उसके साथ पूरी छूट चाहिए।

“मिलेगी, तुम्हें सब कुछ करने की आज़ादी होगी ! लेकिन मेरी भी एक शर्त है।” कार्तिक बोला।

“वो क्या?”

“मैं वो सब लाइव देखना भी चाहूँगा ! क्यूँकि अरुण, मैं तुम्हें पहले ही बता दूँ कि बेडरूम में मैंने सी सी टीवी कैमरे लगा रखे हैं, मैं तुम दोनों को सब करते हुए देखूँगा भी, जो मेरी फेंटसी तो है ही, साथ ही साथ तुम्हारे सेक्स करने के तरीके भी मुझे सीखने हैं ! तुम 'सेक्स गुरु' जो हो मेरे !”

उसकी इस आखिरी बात पर मुझे हंसी आ गई !

“ओके !”

अब मुझे उसके नज़दीक आने का और उसके साथ अकेले रहने का कोई वाज़िब कारण सोचना होगा जिसमें डॉली का ज्यादा इंटरेस्ट हो और जो स्वाभाविक भी लगे !

हम लैपटॉप देखने में ऐसे बिजी हुए कि समय का ध्यान ही नहीं रहा, फिर ध्यान आया कि डॉली को काफी ज्यादा समय हो गया था गए हुए, कार्तिक को चिंता भी हुई, उसने उसे फोन लगाया तो दूसरी तरफ से वो बहुत परेशानी में बोल रही थी कि उसे ऑटो रिक्शा नहीं मिला और जो मिला वो भी खटारा !

खैर, कोई 15 मिनट बाद वो घर पहुँची और बुरी तरह से झुंझला रही थी।

मैंने कहा- डॉली, तुम अपनी कार लेकर क्यूँ नहीं गई? और मैंने घर में कार खड़ी भी देखी है ! वो किसलिए है?

यह सुनते ही वो और बिफर गई और कार्तिक की तरफ गुस्सा करते हुए बोली- यह अपने इन भाई से पूछो जनाब, क्या इनके पास टाइम है मुझे कार सिखाने के लिए?

अब कार्तिक बगलें झाँकने लगा। मैंने कहा- ड्राइविंग स्कूल से क्यूँ नहीं सीखी?

तो वो बोली- सीख चुकी हूँ उनसे मैं ! लेकिन अब कोई प्रेक्टिस तो करवाये मुझे !


अब कार्तिक बोला- यार, इस प्राइवेट जॉब में सच में टाइम ही नहीं मिलता मुझे ! मैं भी क्या करूँ?

एकाएक मेरी आँखों में चमक आ गई, मैंने कहा- डोंट वरी, यदि तुम चाहो तो मैं प्रेक्टिस करा सकता हूँ तुम्हें !

“सच !??!” वो चहक कर बोली।

कार्तिक के चेहरे पर भी चमक आ गई और वो सारा माज़रा समझ गया, लेकिन अनजान बनता हुआ बोला- आप क्यूँ परेशान होते हैं?

कार्तिक की बात का जवाब मैंने नहीं बल्कि डॉली ने ही दिया- खुद तो सिखाते नहीं, अरुण जी सिखाना चाहते हैं तो भी तुम्हें परेशानी है? क्यों?

वो हड़बड़ा कर बोला- मुझे नहीं, मैं तो इनकी परेशानी के लिए बोल रहा हूँ !

अब मैंने जवाब दिया- और मुझे कोई परेशानी नहीं ! अब तुम बस अपने आप को शाम के 5 बजे के आसपास फ्री रखना, उस दौरान मैं फ्री रहता हूँ 8 बजे तक ! यह कैसा रहेगा?

वो बोली- हाँ, ठीक है !

इसके बाद डॉली हम दोनों को बैठा छोड़ किचिन में चली गई, और मै और कार्तिक बातचीत करने लगे।

मैंने पिछले दिनों अपनी बीवी कुसुम और साली प्रीति से सम्बन्धित दो रोमांचक घटनाएँ कहानी के रूप में सेक्स चैटिंग में उसे भेजी थी, जिसमें एक टैटू आर्टिस्ट द्वारा मेरी बीवी को पूर्णतया नग्न करके बदन पर टैटू बनवाना और गुप्तांगो का सम्पूर्ण मुआयना, और साली के एक डिलीवरी बॉय के सामने 'नग्न जिस्म की नुमाइश' की घटना का जिक्र था। जिसे बार बार दोहराता हुआ याद कर कार्तिक मेरी तारीफ करते नही थक रहा था।

इसलिए अब मैने कार्तिक को अपनी और कुसुम के बीच फोन पर हुयी बातचीत बताई... और उससे कुछ छिपे हुए जासूसी कैमरो की फार्माईश् की।

मेरी बात को सुनते ही कार्तिक ने यह सवाल उठाया कि अरुण भईया जब आपकी बीवी अपने ऑफिस के कलिग और दोस्तों के साथ इतने मजे ले सकती है तो आपके साथ भी कुछ तो करती होगी, उसके बारे में भी तो बताओ।

कार्तिक मेरे दोस्त तेरी सोच एकदम वाजिब है, मेरे साथ तो वो गज़ब ढाती है और उसकी मांग पर मैंने बीवी के साथ अपने उन्मुक्त यौन संबंधों की एक एक घटना को याद किया और कुछ प्रेमालाप और सहवास के क्षण तो इतने रोमांचक हैं कि जिन्हें सोचते ही मैं अभी भी उत्तेजित हो जाता हूँ।

फिर मैने उसे हमारी शादी के लगभग 15 दिनों के बाद की घटना बताई और इस दौरान हम दोनों 24 घंटो लगभग साथ ही रहे क्योंकि मेरा कोई टूरिंग जॉब नहीं है मेरे माता पिता मेरी 36 की उम्र में दूसरी शादी होने वाली मन्नत पूरी हो जाने की खुशी में तीर्थ यात्रा पर गये थे और मेरी कमसिन जवानी से भरी हुई सौतेली बेटी रिंकी, अपनी नानी के घर गयी हुई थी तो हमें भरपूर एकांत भी मिला हुआ था।

कई बार कुसुम दिन में मेरे कॉलेज में भी फोन कर लेती थी और सेक्सी बहाने बनाती थी जैसे नहाने गई थी सारे कपड़े उतार कर सर्फ़ में डाल दिए पूरे शरीर पर साबुन लगा है और जाने कैसे नल में पानी ही नहीं आ रहा है, ऊ ओह्ह्ह आ आउच और ठण्ड से काम्पने जैसी उत्तेजक आवाजें निकालती, मुझे आना ही पड़ता, और वास्तव में जब में घर आता तो वो मुझे उसी हालत में मिलती बस सिर्फ एक बात झूठ निकलती वो यह कि नल बिल्कुल ठीक होता था और वो दरवाजे के पीछे साबुन समेत नंग धडंग छुपी मिलती और झपट कर पीछे से मुझे पकड़ लेती, यह भी नहीं देखती कि मेरे जॉब के नए कपड़े खराब हो जायेंगे। और फिर वासना का जो खेल चलता तो मैं कॉलेज जाने में लेट हो जाता और कपड़े बदल कर जाना पड़ता शरमाते हुए।


मेरी बातों को सुन कार्तिक बड़ी जोर से हँसने लगा... ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म और बोला
अरुण भईया तुम्हारे कहने का मतलब है कि ऐसी सेक्स के मामले में इतनी हाहाकारी बीवी के साथ रहने वाले पति को अगर 2-3 महीनों तक अलग रहना पड़े तो यह तकलीफदेह तो होना ही था।

आप फिक्र न करो और मेरे पास कुछ सी सी टीवी कैमरा और अन्य छुपे हुए कैमरे और जासूसी कैमरे है, इन्हे मै आपके मोबाइल एप में इंस्टाल कर देता हूँ, आप तो उन्हें दिमापुर में भाभी के घर में लगा दे और सीधा प्रसारण अपने मोबाइल फोन पर देखे।

कहे अनुसार कार्तिक ने कैमरो को मोबाइल में इंस्टाल कर दिया और ये कह कर कि बड़े भईया तुम जल्द से जल्द कुसुम भाभी वाला काम निबटा कर मेरे काम पर ध्यान दो।

वीकेंड होने की वजह से मैंने अपने आने जाने की सूचना घर पर और कुसुम को देकर उसी शाम बस से दिमापुर के लिए निकल गया।

*****

90-100 km का सफर करते हुए लगभग दो घंटे के बाद आखिरकार मै दिमापुर आ ही गया, मेरी बस रात नौ बजे पहुँचने वाली थी, मैंने कुसुम से कहा था कि मैं ऑटो लेकर घर आ जाऊँगा पर उसकी जिद थी कि वो खुद ही लेने आएगी।

मेरी बीवी की यह जिद मुझे भी अजीब लग रही थी, साथ ही साथ चिंता भी हो रही थी पर वो नहीं मानी। मैंने काफ़ी मना किया पर फिर लगा कि उसका इतना मन है तो आने देता हूँ।

बस सही समय पर आ गई थी, मुझमें भी उससे मिलने का, उसे इतने लम्बे समय बाद देखने का उतावलापन था। मैं अटैची बैग लेकर बाहर ऑटो स्टैंड और पार्किंग में आया पर मुझे मेरी बीवी कहीं नहीं दिखी।

मैंने सोचा कि चलो अच्छा है कि कुसुम नहीं आई। फिर मैं बस अड्डे से बाहर गया पर बाहर भी वो नज़र नहीं आई तो मैंने उसे फोन लगाया।

तो वो चहकते हुए बोली- हाँ मैं आगे हूँ, लाल रंग की अल्टो कार के सामने सीधे चले आओ !

मैं तेज़ कदमों से उस ओर बढ़ चला, दूर मुझे एक अल्टो लाल रंग की कार दिखाई दे गई पर वो नहीं दिखी।

अब मुझे थोड़ा अजीब लगा, मैं सोचे बैठा था कि वो मेरे पीछे से दौड़ कर मेरे पास आएगी और लिपट जायेगी, पर वो दुर दुर तक दिखाई ही नहीं दे रही थी।

मैं अनमने मन से भारी बैग को उठाये उस अल्टो कार के पास पहुँचा तभी अचानक से कार का दूसरा दरवाज़ा खुला, एक शानदार खुशबू का झोंका आया, साथ ही मेरी बीवी का हाथ एक बेहद खूबसूरत गुलाब के फूल के साथ बाहर आया, साथ ही उसकी खनकती हुई चूड़ियों के साथ दिलकश आवाज आई- वेलकम माई डार्लिंग !

जब मैंने अन्दर झाँक कर देखा तो हक्का बक्का रह गया, वो ड्राइविंग सीट पर सिर्फ बिना बाहों वाली और बहुत ही डीप गले की नाइटी पहने ही बैठी हुई थी। मैंने घबरा क़र अन्दर बैठते हुए फ़ौरन दरवाज़ा बंद क़र लिया, मुझे लगा कि आसपास के लोगों को झलक मिल गई तो क्या सोचेंगे। और अन्दर आते ही उसने अपनी अनावृत बाहों में मुझे जकड़ लिया, और मै इतने लम्बे समय बाद उसके जिस्म से लिपटते ही रास्ते की सारी थकान, चिंता सब भूल गया, मेरे हाथ भी उसके बदन को कसने लगे और फिर उसकी तरफ से चुंबनों की जो बारिश शुरू हुई तो मैं अभिभूत हो गया, अब मैं भी उसके माथे, गाल, नाक, ठोड़ी रसीले होठों को चूमते हुए उसका सर ऊपर उठाते हुए उसकी सुराहीदार गर्दन को भी चूमता हुआ उसके उन्नत वक्षस्थल पर आ पहुँचा और वक्ष का जितना भी हिस्सा बाहर निकल रहा था, उसे भी चूमा या कहो कि चाट ही डाला।

तभी पास से कोई अन्य कार गुजरी तो उसकी आवाज से हमारा ध्यान बंटा और मौजूदा स्थिति का अहसास भी हुआ। मैंने अपने आप को संभाला पर वो अभी भी वासना के आवेश में दिख रही थी।

मैंने उसे पुचकारते, सहलाते, समझाते हुए कहा- जानू, ये कार तुम्हे कब और कैसे मिल गयी, और तुमने गाड़ी चलाना कब सीखा...????

वो प्यार से मेरी नाक पकड़ते हुए बोली अरे मेरे भोले बलम, मै सरकारी क्लर्क हू, बस एक बिल्डर की टेंडर की फाइल पास करा दी.... और कार मिल गयी। मेरा अपने ऑफिस के सभी जूनियर और सीनियर से व्यव्यहार ही ऐसा है कि जिस फाइल को पास करने की बोलू वो सभी हँस हँस कर कर देते है। ... और आज मेरे प्रोफेसर साहब आने वाले थे तो मैने सोचा मेरी नई गाड़ी ले जाकर उन्हें सरप्रिज कर दू।

मुझे कुसुम की बातें आश्चर्य चकित कर रही थी, लेकिन उस पर प्यार भी बहुत आ रहा था मैने उससे कहा अभी घर पहुँच क़र मै तुम्हे रात भर पलंग तोड़ प्यार दूंगा !

पर वो गाड़ी में ही मुझसे लिपटे ही जा रही थी।

तब मैंने उसे कहा- जानू मेरा तो अभी सामान भी सड़क पर ही पड़ा है, उसे तो डिक्की में रखने दो।

तब जाकर वो मुझसे अलग हुई, मैंने जल्दी से सामान डिक्की में रखा, तब तक वो ड्राइविंग सीट खाली क़रके वो पास वाली सीट पर अन्दर से ही पहुँच गई।

मैंने आकर स्टीयरिंग सम्भाला और बस अड्डे से निकल पड़े और वो अपने आप को रोक नहीं सकी और फिर मेरी बाहों में झूल गई उसने एक हाथ मेरी शर्ट के अन्दर घुसा दिया और मेरी छाती के बालों में उंगलियाँ फिराने लगी और दूसरे हाथ से अपनी नाइटी को खुद की जांघों से भी ऊपर सरका लिया, दोनों टाँगें नग्न क़र ली और उसमें से एक टांग मेरी टाँग के ऊपर पसरा दी। ऐसा करने से नाइटी इतनी ज्यादा ऊँची हो गई की उसकी पैंटी तक दिखाई देने लग गई। अब मैं भी और बेचैन हो गया मैंने एक हाथ से स्टीयरिंग संभालते हुए दूसरा हाथ उसकी नंगी जांघों पर रख दिया और कार की गति थोड़ी कम क़र दी ताकि कार काबू में रहे क्योंकि मैं अब अपने ही काबू से बाहर होता जा रहा था।

उस बदमाश ने अपने घुटने से पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड पर रगड़ देना शुरू कर दिया। उसकी इस हरकत से मेरे लण्ड में भी उत्तेजना की चिंगारी सुलग उठी, वो आकार में बढ़ने लगा, सख्त होने लगा, अभी तक वो एक तरफ़ को दुबका पड़ा था। कड़क होते ही उसने ऊपर की दिशा में भी होना शुरू कर दिया और जब लिंग उत्तेजित हो जाता है तो वो दिमाग को भी अपने काबू में कर लेता है।

मैंने हाथ बढ़ाया तो था उसकी जांघ को हटाने के लिए लेकिन लण्ड की तरफ से इशारा हुआ उसे सहलाने का और मैं आहिस्ता-आहिस्ता दबाते हुए जांघ को सहलाने लगा।

ऐसा करने से उसकी आग और भी बढ़ गई और उसने दूसरा पैर भी मेरे उपर इस तरह से रख दिया कि क़ार का गियर हेंडल उसकी जांघो के बीचों बीच आ गया।

तो अब मेरे हाथ भी गियर संभालते संभालते उसकी पैंटी तक जा पहुँचे। वो उत्तेजना के मारे और पसर गई मैंने भी अब आहिस्ता से अपना हाथ उसकी पैंटी में सरका दिया और जैसे ही मैंने उसकी घनी, काली, घुंघराले और मुलायम बालों वाली चूत को स्पर्श किया, उसके मुख से गहरी सिसकारियाँ निकलने लगी। अब मेरे लिए सड़क पर ध्यान लगाना मुश्किल हो रहा था, उसकी चूत सहलाते सहलाते अचानक स्पीड ब्रेकर की वजह से गियर बदलने की वजह से मुझे उसकी चूत में से हाथ बाहर हटाना पड़ा तो वो उत्तेजना में इतनी पागल हो गई कि अपने कूल्हे ऊँचे उठा कर अपनी चूत को गियर के हत्थे में घुसा दिया और रगड़ने लगी।

अब मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी, वो अपने वक्ष भी अपने ही हाथों से मसल रही थी, उसकी नाइटी भी अस्त-व्यस्त हो चली थी, एक कंधे से ढलक गई थी और नीचे से भी पेट की नाभि तक साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं खुद उत्तेजित हो गया था मेरे लण्ड का अब पैंट में समाना मुश्किल हो गया था, मुझसे बैठा भी नहीं जा रहा था इसलिए मैंने ज़िप खोल कर अंडरवियर में से लण्ड बाहर निकाल लिया।


अब हमारी हालत ऐसी हो गई थी कि घर तक पहुँचना भी मुश्किल लग रहा था। मेरी बीवी वासना की आग में तप रही थी और उसकी ऐसी उत्तेजना और अस्त-व्यस्त अर्धनग्नावस्था में अश्लीलता से पसरा हुआ उसका शरीर मुझ से भी देखा नहीं जा रहा था।

रात के दस बज चुके थे, सड़क पर इक्का-दुक्का वाहन ही नज़र आ रहा था, उसी समय मन में एक विचार कौंधा कि थोड़ा आगे जाते ही सुनसान बाय-पास है जो एक सरकारी बिल्डिंग की तरफ जाता है और जो रात को बंद रहती है इसलिए रात को वहाँ कोई नहीं जाता।

उस तरफ चलते हैं, वहाँ कोई भी नहीं होगा दूर दूर तक ! और वो जगह एकदम उपयुक्त है वासना की आग मिटाने के लिए !

यही सोच कार मैंने कार को उस दिशा में ही घुमा दिया और वहाँ से मुख्य सड़क छोड़ कर उस बाय-पास वाली सड़क में भी आगे जाकर थोड़ा सा कच्चे में चल कर एक ऊँचाई वाली खुली जगह में जाकर मैंने अपनी कार रोक दी।

वहाँ किनारे पर ऊँची ऊँची झाड़ियाँ थी जिससे किसी के देखे जाने का भी डर नहीं था और आने का रास्ता भी वही था जिससे हम आये थे, और फिर मैं अपनी बीवी के साथ था, किसी कालगर्ल के साथ नहीं और उसके पास खुद का आईडी प्रूफ भी था उसका ड्राइविंग लाइसेंस !

वहाँ जाकर जब मैंने अपनी कार रोकी तब जाकर बीवी उठ कर बैठी और खिड़की से बाहर झाँक कर बोली- यह कहाँ आ गये?

मैंने कहा- जानू, मैं इस हालत और कार नहीं चला सकता, घर अभी दूर है ! और इन सब की कसूरवार तुम हो जो इतनी उत्तेजक और सेक्सी ड्रेस पहन कर आ गई ! और तुम्हे यह खूब सूझी, तुमने गज़ब का सरप्राइज़ दिया यार ! कुछ भी कहो, मज़ा आ गया !

यह कहते हुए मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और अब हम एकांत में थे, गाड़ी भी रुकी हुई थी, जिसके मैंने हैंडब्रेक और गियर भी लगा दिया था ताकि ऊंचाई पर भी सुरक्षित रहे।

बीवी से इतने दिनों का अलगाव अब उत्तेजना के साथ बाहर आ रहा था। मेरे हाथ उसकी नाइटी में अन्दर पहुँच गए और उसके बदन पर फिसलने लगे। वो भी जब मेरे आलिंगन में आई तो उसके गर्म बदन से मेरा तना हुआ लण्ड छू गया और लण्ड में सरसराहट सी दौड़ गई। उसने अपने हाथ में मेरा लण्ड पकड़ लिया तो मेरी सिसकारी निकल गई और लण्ड झटके मारने लगा।

मैंने तुरंत होश से काम लिया और अपने लण्ड को उसके हाथ से छुड़ाया, अगर मैं ऐसा नहीं करता तो मेरा वीर्य स्खलित होने को ही था।

मैं अब उसको अपने से अलग किया- जानू, क्या कर रही हो? इतने दिनों से यह ताव खा रहा है ! रुको, वरना अभी पानी छूट जाएगा।

वो भी इस बात को समझ गई क्योंकि नई नई शादी के बाद मेरे साथ कई बार ऐसा हो चुका था और मुझे शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।

पर अब मैंने बहुत से तरीके अपना कर अपनी स्तम्भन शक्ति को काफी बढ़ा लिया है पर आज बात कुछ और थी, आज बीसो दिनों बाद मेरा अपनी गर्म बीवी से सामना हुआ था और वो भी वो इतने बोल्ड अंदाज़ में आई थी कि मैं अपने ऊपर काबू खो रहा था। इसलिए मैं उससे अलग होकर बाहर आया और पानी की बोतल अपने तन्नाते हुए लण्ड पर उड़ेल ली, फ़िर मूत कर उसे शांत किया और वापिस पैंट में डाल कर चेन चढ़ा ली क्योंकि आज मुझे लम्बे समय तक इसे रोकना था। जब जब भी मेरी बीवी इतनी गर्म हो जाती है तो हम बहुत ही उत्तेजक और गन्दी गन्दी काम क्रीड़ाएँ करते हैं, और आज भी यहाँ वही माहौल बन रहा था।


मैं वापिस उसके पास आया, उसे बाँहों में समेट लिया, लेकिन इस बार मेरे हाथ उसके कपड़ों के अन्दर थे और बदन को सहला रहे थे, मसल रहे थे। वो भी कसमसा रही थी।

अब मैंने उसकी नाइटी उसके बदन से उतार कर अलग कर दी, अब उसके गदराये जिस्म पर सिर्फ दो अंतर्वस्त्र ही बचे थे उन्हें भी मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उसके शरीर से अलग कर दिया और उसे पूर्ण नग्नावस्था में ला दिया।

अब वो बोली- पीछे की सीट पर चलें?

मैं मुस्कुराया, मुझे शरारत सूझ रही थी, मैंने कहा- नहीं ! पहले बाहर चलो, मैं तुम्हें खुले आसमान में चाँदनी रात में नग्न देखना चाहता हूँ।

वो बोली- छोड़ो, यह क्या बचपना है !

मैंने कहा- प्लीज़ एक बार मेरी खातिर !

“ओ के !” वो बोली और अपने भारी भारी कूल्हे मटकाती हुई बाहर निकल आई।

चाँदनी रात में नहाया हुआ उसका मादक और निर्वस्त्र शरीर क़यामत ढा रहा था, खुले में जाकर उसने एक मादक अंगडाई लेकर अपने बदन को सीधा किया। बाहर बहुत ही शीतल और तेज़ हवा चल रही थी।

उसने दोनों बाहों को फैला कर अपनी कांख में ठंडी हवा ली फिर वो नग्नावस्था में ही बाहर इधर उधर दौड़ने लगी। उसे बाहर मज़ा आ रहा था !

फिर उसने वो हरकत की कि आपको पढ़ कर अजीब लगेगी, मुझे भी हंसी आ गई जब उसने भागते भागते ही पेशाब भी कर डाला और बच्चो की तरह हवा में धार को लहराने लगी।

मेरे इस वाक्या को पढ़ने वाले मेरे शादीशुदा मित्र या वो लोग जो अपनी प्रेमिका से बहुत दिन अलग रह चुके होंगे, वे इस बात को समझ रहे होंगे कि प्रेमी स्त्री-पुरुष जब लम्बे समय बाद मिलते हैं तो उनकी क्या हालत हो जाती है, उनके लिए सारी दुनिया सिर्फ उन दोनों में ही सिमट जाती है, समय, स्थान और अवस्था का उन्हें कोई होश नहीं रहता।

ऐसा ही कुछ मेरी पत्नी के साथ भी हो रहा था, वो मेरी कोई भी बात टालने के मूड में नहीं थी और मेरे ज़रा से आग्रह पर ही ना सिर्फ पूर्ण निर्वस्त्र हो गई बल्कि कार से बाहर खुले में भी भाग गई।

यहाँ मैं बता दूँ कि मुझे सेक्स को लेकर उन्मुक्त और अजीबोगरीब कल्पनाएँ करने का शौक है और आज एकाएक विचार आया कि खुले आसमान के नीचे प्रकृति के बीच किसी सुन्दर नारी को उसकी प्राकृतिक अवस्था में यानि पूर्णतया नग्न देखना कितना उत्तेजक होगा।

आज यही दृश्य मेरे सामने था, बाहर निकल कर मैदान में दौड़ते हुए अब उसे भी अहसास हो गया था कि दूर दूर तक कोई देखने सुनने वाला नहीं था, तो वो और मस्ती में आ गई थी।

खुले में ही मूत्र धारा छोड़ने का उसका अंदाज़ इसी बात का सबूत था कि वो अब पूरी मस्ती में थी क्योंकि वो अब अश्लील और उत्तेजक इशारे करके मुझे भी बाहर बुला रही थी, कभी दोनों हाथों से अपने वक्ष पकड़ कर मेरी तरफ हिला रही थी तो कभी पीछे घूम कर नीचे झुक कर अपने बड़े बड़े तरबूज जैसे चूतड़ मटका रही थी।

अब भला मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं भी भाग कर उस समय उसके पीछे पहुँचा जब वो अपने कूल्हे उठाए झुकी हुई थी, उसे पता ही नहीं चला कि मैं कब उसके पीछे आ गया। मैंने पास जाकर उसके दोनों कसे-उभरे-फैले हुए कूल्हों पर जोरदार चपत लगाई, वो आउच करके पलटी और वो संभलती उससे पहले ही मैंने उसके मादक, नग्न जिस्म को अपनी बाहों में समेट लिया, गोद में उठा कर मैदान के किनारे पर बैचनुमा एक चट्टान पर ले गया और बैठ कर उसे अपनी गोदी में उलट कर इस तरह से लेटा लिया कि उसके कूल्हे मेरी गोदी में कुछ इस तरह से आ गए जैसे कोई दो तबले अपनी गोदी में लेकर बैठा हो।

'आदरणीय संजू भैया' मेरी इस बात से सहमत होंगे कि स्त्री के कूल्हे नारी-सौन्दर्य का महत्त्व पूर्ण हिस्सा होते हैं और उत्तेजक शारीरिक नाप में इसका बड़ा योगदान होता है, मर्द इन्हें प्यार करने, चूमने के साथ साथ इस पर निर्दयता भी करते हैं जैसे दबाना, हिलाना, मसलना और चपत लगाना !

यही सब कुछ मैं भी कर रहा था और वो मजे ले रही थी, जैसे ही में चपत लगाता, वो चिहुंक कर चिल्लाती ! पर मैं जानता था कि यह मजे की चिल्लाहट है, तो मैं फिर और जोर से लगाता।

पर उसके इस तरह लेटने से उसकी चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के करीब आ गई, उसकी गुच्छेदार झांटे और चूत का गीलापन में अब अपने लण्ड पर महसूस कर रह रहा था। मैं सोचा करता था कि लण्ड में दिमाग नहीं होता पर अभी जाने मेरे लण्ड को चूत की खुशबू आ गई या क्या हुआ, वो अपने विकराल रूप में आने लगा, ऊपर उठने लगा और पैंट के अन्दर से ही उसने चूत को अहसास करा दिया कि चूत रानी, फ़िक्र मत कर तेरा लण्ड राजा आ रहा है और अब मैं इस अरुण के रोके भी ना रुकुँगा, ना शांत होऊँगा, चाहे जितना भी पानी डाले !

मैं भी लण्ड के ऐसे तेवर देख कर डर गया कि अब तो चुदाई करनी ही पड़ेगी वर्ना बिना किये ही झड़ गया तो बीबी बहुत मारेगी !

और इतने दिनों बाद जो मिले हैं, उसका सब मज़ा खराब हो जाएगा।

मैंने उसे उठाया और कहा- जानू चलो, कार में चलते हैं ! मुझसे अब रहा नहीं जा रहा !

तो वो शरारत से बोली- तो करो ना ! मैंने कब मना किया? तुम्हें तो तबला बजाने से ही फुर्सत नहीं है, एक बार तो जंगल में से निपट कर निकल लो, फिर घर जाकर चाहे पूरी रात ही तबला बजाना ! वैसे भी मेरे चूतड़ों में इन दिनों बहुत दर्द रहता है। पर अभी तो मेरी चूत की सोचो, गीली हो कर कब से टपक रही है, सारा पानी टपक जाएगा तो क्या सूखी चुदाई करोगे?

मैं उसकी बातें सुन कर हंस पड़ा, बिंदास कामुक बातें करती हुई वो बहुत ही अच्छी लगती है, मैंने फ़िर कहा- चलो कार की पिछली सीट पर चलते हैं।

वो बोली- नहीं यहाँ खुले में ही करेंगे, कार में तुम्हें तो मज़ा आयेगा पर मेरी तो जान ही निकल जायेगी और मैं कुछ नहीं कर पाऊँगी, फंस के रह जाऊंगी, कार में जगह कम होती है ना।

मैंने उसे कहा- यहाँ कैसे करेंगे? नीचे मिटटी है, गन्दगी है, और तुम एकदम नंगी हो और तुम्हें ही नीचे आना है ! सोचो ज़रा !

वो कूल्हे मटकाती हुई उठी और बोली- सब सोच लिया !

और कार के पास गई, डिक्की खोली, कार का तिरपाल का कवर डिक्की में से निकाला, आज वो काम आने वाला था क्योंकि वो नंगी-पुंगी उस तिरपाल को उठाये हुए और अपनी चूत के दीदार कराती हुई चली आ रही थी।

इसलिए जब वो नज़दीक आई तो मैंने शरारत से उसकी चूत सहलाते हुए कहा- यानि चुदाई का सारा इंतजाम है?

वो बोली- और क्या ! हमें ही सब सोचना पड़ता है, तुम्हें क्या, जब चाहो इसे तैयार कर लेते हो !

यह कहते हुए उसने भी मेरे लण्ड पर एक धौल जमा दी और कहा- इसे निकालो जल्दी ! अब रहा नहीं जा रहा है।

और फिर उसने तिरपाल को इस तरह से बिछाया कि उसके सर के नीचे एक तकिया जैसा बन गया और वो उस पर बहुत ही कामुक, उत्तेजक और अश्लील अवस्था बना कर पसर गई।

मैं क्या लिखूँ ! उसकी इस अवस्था को शब्दों में बयान करना मेरे लिए मुश्किल है, मैं सोच रहा था कि उसके नंगे बदन से और खेलूँगा, सताऊँगा लेकिन मेरे लण्ड ने मेरा साथ नहीं दिया, वो उत्तेजना के मारे उछालें मारने लगा।

फिर मैंने आव देखा ना ताव ! सिर्फ नीचे के कपड़े हटा कर अपने लण्ड को उसकी एकदम गीली चूत में समां दिया। वो भी अपनी चूत में लण्ड लेने को व्याकुल थी क्योंकि उसने लण्ड डालते समय अपने दोनों पैर पूरे फैला लिए थे इसलिए लण्ड चूत के अन्दर तक जा धंसा और उसकी आनंदमिश्रित और गगन भेदी उत्तेजक चीख से आसमान गूँज गया, आसपास पेड़ों पर सो चुके बेचारे पक्षी भी फड़फड़ा कर उड़ गए और उड़ते ही रहे क्योंकि चुदाई ने अपनी गति पकड़ ली थी और अब उसकी चीखों में मेरी भी चीखें शामिल हो गई थी।

इस घटना को लिखते लिखते मैं खुद इतना उत्तेजित हो गया हूँ कि बस बता नहीं सकता !

वो बिंदास पैर पटक पटक कर कूल्हे उछाल-उछाल कर सेक्स में मेरा साथ दे रही थी।

तूफ़ान थमने के बाद भी हम करीब आधे घंटे तक वहीं पड़े रहे।

और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा !

मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।


जारी है....!
Bhai manu pyare bohot hi kamuk update tha👌 Gajab ka vivran ki hai aapne is update me chudai ka😁
Great update 👌👌👌👌👌🤯👌
 

Ek number

Well-Known Member
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और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा ! मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।

सब कुछ खुशहाली से हुआ था, पति पत्नी की काम वासना का मिलन खुले आसमान में जोरो में हुआ था। कुसुम की खुशी उस रात मुझे बिस्तर में भी दिखाई दे रही थी, उसका जिंदगी में बहुत पैसा कमाने का सपना पूरा होना भी चालू हो चुका था, और घर के आसपास के लोग कुसुम को बड़ा अफसर समझते थे ,क्योकि वो सबको बड़ा ही रौब झाड़ कर बात करती थी , खासकर के आसपास के नवजवान लड़के , कुसुम का मस्ताना और मादक शरीर को देखकर सबको उसे अपना बनाने की हसरत पैदा हो जाती और उन्हें कुसुम के घर के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देती।

ये बात मुझे पता चली अगले दिन मैं जब सुबह 10-11 बजे ऐसे ही कुसुम के क्वाटर (सरकारी आवास) के सामने टहलता हुआ चाय पीने चला गया ,ऐसे भी घर में काम तो कुछ खास नही था, और मैं घर में कुर्सियां तोड़ता हुआ बोर हो रहा था।

क्वाटर के सामने वाले ही चाय ठेले की टपरी में पहुचा वहां वो टपरी वाला मुझे नही पहचानता था….।

“एक चाय पिलाओ ,और एक सिगरेट” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,

“साहब बैठिए ना “

उसने एक कुर्सी आगे की ,वहाँ अधिकतर सभी सरकारी कुवाटरों में रहने वाले कर्मचारी चाय पीने आते थे , पास में ही एक दो कॉलेज भी था, जिसके अधिकतर लड़को के लिए वो अड्डा हुआ करता था, इसलिए वहां थोड़ी भीड़ भी थी, चाय वाला भी मेरी ही उम्र का रहा होगा शायद मुझसे कुछ कम ही रहा होगा और उसकी कमाई शायद मुझ 'प्राइवेट कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर से भी ज्यादा' थी।

वहां का माहौल देखकर मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आ गए,कॉलेज गोइंग लड़को की वहां भीड़ लगी थी ,जो लगभग हमेशा लगी रहती थी , इसलिए उसे पुलिस और नगर निगम के लोगो को भी पैसे खिलाने पड़ते थे,

“यार मेरे लिए तू लेमन टी बना ,अच्छी मसाला वाली “

“जैसा आप कहे सर “

मैं चाय और सिगरेट पीता हुआ फिर से उन्ही कालेज के दिनो में पहुच गया , कि अचानक से मेरी नजर रोड के उस पार अपने क्वाटर की छत पर ट्रांसपेरेंट मैक्सी पहनी हुई गीले कपड़ो को डोरी पर सूखने के लिए डालती हुयी अपनी बीवी कुसुम पर पड़ी,

कुसुम शायद नहा कर आई थी उस ने अंदर ब्रा नही पहने हुयी थी जिससे उसके मैक्सी में निप्पल की बड़ी बड़ी चुचुक दूर से ही नजर में आ रही थी और गीले कपड़ो को फटकार लगाते हुए इस तरह डोरी पर डाल रही थी कि उसके बड़े बड़े उरोज उछल कूद कर रहे थे।

मैं कुसुम को बड़ी ही प्यारी नजरो से निहार रहा था की वो चायवाला बोल पड़ा ,

“अरे सर इसने तो तबाही ही मचा दी है यहां रहकर.... जो लौण्डे कभी चाय सिगरेट् के नाम सुनकर भी मुह बनाते थे साले सजधज कर सुट्टा मारने आते है , इसने तो यहाँ बवाल ही मचाया हुआ है ,साली रांड कही की “

मेरा दिमाग फिर गया ,इस मादरचोद की इतनी औकात की ये मेरे सामने मेरी ही बीवी को ….लेकिन उसे थोड़ी ना पता होगा की ये मेरी बीवी है नही तो ये हिमाकत वो नही करता..

“तमीज से बात करो ,एक औरत है वो …”मेरे चहरे पर गुस्से के भाव साफ दिखे जिसे देखकर वो डर ही गया …

“अरे साहब आप तो गुस्सा हो गए मेरा वो मतलब नही था ,असल में मैं एक छोटे से जगह से आया हुआ हु और यहां इतने सालो से मैं ये काम कर रहा हु पहली बार ये हुआ है की कोई शादी शुदा औरत को ऐसे कपड़ो में देखता हु, और जब ये अपनी नौकरी पर जाती है तो इसकी ब्लाउस में एक एक चूचे बाहर निकलते हुए साफ साफ दिखाई देते है। अब आप ही बताओ ना साहब ,सभी लड़के उसे घूरते रहते है , कोई कही इसके चूचे पर कुछ कॉमेंट करता है, तो कोई कही इसकी स्कूटर की स्टेपनी जितनी बड़ी बड़ी गांड पर , सब कुछ तो इसके कपड़ो से दिखता है ,


और साहब मेरी तपरी पर भी लड़को की भीड़ देख कर.. रोज रोज आ जाती है कभी नॉन खटाई बिस्किट लेने, कभी चिप्स लेने, इतना पैसा कमाती है फिर भी पांच पांच रु की सौदा के लिए 10-15 मिनिट तक यहाँ खड़ी होकर खिच खिच करती हैं। भले घर की औरतो को क्या ये सब सोभा देता है और साथ में ये और आसपास के क्वाटर में रहने वाली औरतो/लड़कियों को भी बिगाड़ रही है , रोज ऑफिस जाती किसी जवान लड़के के साथ और वापस आती है आप जैसी उम्र के आदमी के साथ। ना जाने कितने खसम पाल रखे है। इस औरत ने तो साला सरकारी क्वाटर को रंडी खाना बना के रखा है “

उस चाय वाले की इतनी छोटी सोच ने मेरा दिमाग ही घुमा दिया ,मैं वहां से उठा और उसका कांच का गिलास जोरो से फोड़ दिया,उसके पसीने छूटने लगे, शायद वो ये भी समझ रहा था की मैं 'एक सरकारी अधिकारी' हु,,और उसका ये टपरी सरकारी महकमे के कृपा से ही चल रहा है ,मैं अगर चाहू तो एक कंप्लेन से ही उसका ये टपरी उखाड़वा सकता हू।


“साहब गलती हो गयी ,दो जूते मार लो पर माफ कर दो ऐसे गुस्सा मत हो साहब “
“गुस्सा मैं तुझपर नही तेरी सोच पर हु,इसीलिए हमारी औरते अपनी मर्जी से कही जा नही सकती ,कुछ पहन नही सकती ,वो तो अच्छा काम करना चाहती है पर तुम जैसी सोच के लोगो के कारण बेचारियों को हर जगह बस ताने मिलते है और साथ में छेड़छाड़ का शिकार होती है ,वो जो भी पहने मुझे ये बता जो यहाँ तेरी तपरी पर उसे देखने आते है वो गलत हुए या जो पहनती है वो ….????

साले देखना ही बन्द कर दो ना तुम्हे देखना भी घूर कर है और साथ ही दोष भी तुम लड़कियों पर ही लगाते हो ...आज के बाद तेरे मुह से ऐसे शब्द सुना तो तू और तेरा टपरी दोनो उठवा दूंगा “

मेरे इस कदम से वहां लोगो की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी ,मैंने आगे कहा,इस बार मेरी आवाज थोड़ी धीरे और समझाने वाला लहजा था ,

“देखो लड़की या औरत को देखना गुनाह नही है ,ये तो स्वाभाविक है,लेकिन ऐसी धारणा बहुत गलत है...हमे अपने को देखना चाहिये की हम क्या करते है...हा यार उसकी फिगर सेक्सी है (मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो भी मुझे अजीब नजरो से देखने लगा ) लेकिन इसका मतलब ये नही की वो रंडी है ,और हा हो सकता ही की वो लड़को को उत्तेजित कर देती हो ,और उन्हें टीस करती हो पर यार अपनी भाषा सुधारो और कम से कम लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना सीखो ,क्योकि तुम्हारी भी बेटी, माँ ,बीवी,बहन होगी ... ।

जब तुम ही लड़कियों का सम्मान नही करोगे तो तुम दुसरो से कैसे आशा कर सकते हो की वो सम्मान करे ,,और इसी सोच के कारण तुम अपनी बहनों को भी अच्छा काम करने से रोकते होंगे क्योकि तुम्हे लगता है की दूसरे उन्हें इन्ही नामो से बुलाएंगे जबकि तुम्हे भी पता है की वो गलत नही है,,तो पहले खुद को सुधार लो फिर दुसरो से उम्मीद करना ,चल अब एक और चाय बना और एक सिगरेट दे “

मैं हल्के से मुस्कुरा दिया ,किसी का धंधा खराब करना मेरा मकसद बिल्कुल भी नही था ,मेरे चहरे पर मुस्कान देख कर वो भी थोड़ा सा रिलेक्स हुआ और डरते हुए मुझे एक चाय दी….

“तेरा नाम क्या है “ मै उससे पूछा

“साहब भुवन “

“हम्म अच्छा है ,डरने की जरूरत नही है ,और यार बात तो तेरी सही है ऐसी सेक्सी लड़की बवाल तो मचा ही देगी “

वो हल्के से हँसा पर अभी भी थोड़ा सा डर रहा था ...

**********

मैं फिर से चाय पीता हुआ छत पर अपने गीले बाल सुखाती हुई अपनी प्यारी बीवी कुसुम को निहारने लगा………………।

दिमापुर शहर छोटा था,लेकिन कुसुम के चर्चे बड़े हो गये थे , कुसुम के यहाँ इस नये सेक्सी अवतार के बारे में वैसा अगर सोचा जाये तो चाय वाला ज्यादा गलत नहीं था ।क्योकि जैसे एक डोरी से कटी हुई पतग आसमान मे भटक भटक के धरती पर जा गिरती है ! ठीक उसी तरह पति से अलग रहकर दूसरे शहर में नौकरी करने वाली एक अकेली/छुटेली औरत शुरुआत मे तो वो लोगो की बहुत सहानुबूती बटोरती है परन्तु वक़्त के साथ साथ लोगो की सहानुबूती घृणा मे बदल जाती है ! वो ही लोग उसे उसके पीठ पीछे उसे रंडी और वेश्या बोलते है!!..

ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी...
ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!!

कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि
धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में..

वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!!

अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!!

बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!!

लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्योंकि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!!

आखिरकार इस समय मैं भी तो कुसुम को ताड़ने और सेक्सी माल (रांड) कहने वालो के साथ ही खड़ा था....और मुझे भी इसमें कोई भी इंटरेस्ट नही था की कोई क्या कहता है ,मेरे लिए तो यही अच्छा था की मैं किसी के नजर में ना आउ,...। और फिर मै वहा से चुप चाप, उस चाय वाले से छिप कर अपने क्वाटर के गेट के अंदर दाखिल हो गया।

**********

तभी मेरा फोन बजा ,

“हलो “

“हलो अरुण भईया मैं कार्तिक बोल रहा हु “
कार्तिक की आवाज तो मैं पहचान गया था, पर उसका ये नम्बर मेरे पास नही था,

“कैसे हो “ कार्तिक..???

ठीक नहीं हू भईया, आपका काम हो गया हो तो, आज शाम की बस पकड़ कर वापस आ जाओ। वो मुझसे दुखी होते हुए बोला।

तुम टेंशन ना लो, मै कल ही वहा आकर तुझसे और डॉली से मिलता हू.... मैने उसे सात्वाना देते हुए कहा।

ठीक भैया बाय...

बाय..!

जब मै घर के अंदर पहुँचा तो देखा कुसुम बन सवर कर, कही जाने के लिए तैयार खड़ी थी।

मैडम कहाँ जाने का प्लान आज... मैने मुस्कुरा कर पूछा...???

और कहाँ जाऊंगी... सिवाय ऑफिस के..! उसने जबाब दिया।

आज तो इतवार है... आज भी ऑफिस क्यों.. ????

अरे बस दो तीन घंटे का काम है, सालाना ऑडिट रिपोर्ट बनानी है... कुछ खास स्टाफ् को बुलाया है। इतना कह वो मेरे गाल पर एक प्यारी सी चुम्मी देते हुए चली गई।

कुसुम का जबाब सुन मुझे समझ आ गया.. औरत पढ़ लिख कर अगर घर से बाहर काम या नौकरी करेगी, तो हिस्से में एक इतवार भी आयेगा.. जो घर के काम में नही आता....!

कुसुम के जाते ही मैने तुरंत दरवाजा बंद किया.... अब कुसुम का मोबाइल का एक्सेज तो मेरे पास नही था ,और जासूसी तो मुझे करनी ही थी ,मैंने पूरे घर में 5 जगह कैमरे लगा दिए …ऐसे घर में 4 ही कमरे थे ,2 बेडरूम एक हाल और एक किचन...और एक कैमरा मैंने घर के इंट्री में लगा दिया था, सभी को मैं अपने मोबाइल या लेपटॉप से कंट्रोल कर सकता था, मैं अपने पर थोड़ा इतरा कर वँहा से निकल गया…।

रास्ते में ही मैंने कुसुम को फोन कर दिया।

जान मुझे अभी वापस से जाना पड़ रहा है, मम्मी का फोन आया था। वहा पर क्या हुआ है ज्यादा मैं अभी नही कह सकता ,”

“क्या..?? ठीक है ,लेकिन आप तो मेरी जासूसी करने वाले थे क्या हुआ,और मुझे ऐसे खुली छोड़कर जा रहे हो,इस बीच कुछ हो गया तो “

उसकी शरारती आवाज मेरे कानो में पड़ी ,कितनी कमीनी हो गई थी ये ..

“खबरदार ..ऐसे भी तुम कुछ भी करो मुझे उसका पता चल जाएगा ..”मैंने अपनी होशियारी दिखाई ।

“ओहो मिस्टर अरुण कुमार उर्फ प्रोफेसर साहब देखते है ..ऐसे अभी मैने अपने सीनियर शर्मा को तुम्हारे आने के बारे में बताया था और वो तुमसे मिलने के बहाने आज रात का डिनर हमारे घर पर आकर साथ ही करने वाले थे। अब आप नही होंगे तो वो मेरे साथ ही डिनर कर लेंगे, और रात को घर में …”

मेरा खून खोल गया …

मुझे चुप देखकर वो हल्के से हँसी ..

“जली ना.... जली ना....जान ..”वो हँस पड़ी ।

“चुपकर" उस शर्मा के साथ कुछ की तो देखना मैं क्या करता हु “

“अच्छा मैंने क्या किया है आपको कैसे पता चलेगा ..”

“मैं पता कर लूंगा ..”

“देखते है,..बेस्ट ऑफ लक ,और एक चीज जो कभी मत भूलना ..”

वो थोड़ी देर तक शांत रही

“आई लव यू जान ..”उसने पूरी शिद्दत से कहा ,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,मेरी बीवी है तो लाजवाब .....!

“लव यू मेरी जान,..अपना ख्याल रखना कही मुझे जलाने की चक्कर में खुद को मत फंसा लेना “

वो हँस पड़ी

“अगर फंसी तो इतना भरोसा है की आप मुझे निकाल लोगे ,आपके ही दम पर खतरा उठा रही हु ,अब तो आपको भरपूर जलाऊंगी और खुद भी मजे लुंगी ,आप बैठ कर अपना मसलते रहना ..”वो जोरो से हँसी मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान आ गई

“तू बहुत ही बदमाश हो गई है ..”

“आपने ही तो बनाया है ..”

“चलो जाना है लव यू ख्याल रखना ..”

“लव यू मेरी जान आप भी अपना ख्याल रखना और ज्यादा जलना मत..”एक हँसी के साथ हम दोनो थोड़ा इमोशनल हो गए और फोन कट गया… ।

......✍️जारी है
Nice update
 
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कुसुम मैडम के बारे मे चाय विक्रेता ने जो कुछ कहा वह गलत नही था । प्रोफेसर साहब ने स्वयं अपनी आंखो से देखा कि उनकी धर्म पत्नी अपने घर के छत पर कैसी वस्त्र धारण किए हुए कार्य कर रही थी ।
उनका वस्त्र इतना पारदर्शी कि मैडम के गिरवर भी दिखाई पड़ रहे थे और गिरवर की चोटी भी ।
ऐसा खुला अंग प्रदर्शन सरेआम भला कौन करता है भई !

प्रोफेसर साहब उस नादान बालक की तरह है जिसे उसके मनपसंद खिलौने देकर खुश किया जा सकता है । कुसुम मैडम अच्छी तरह जानती है कि उसका हसबैंड किस कैरेक्टर का है । वह प्रोफेसर को यदा कदा खुश किए देती है और प्रोफेसर साहब खुशी से गदगद हो जाते है ।

बहुत बढ़िया अपडेट मानु भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 

Sanju@

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और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा ! मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।

सब कुछ खुशहाली से हुआ था, पति पत्नी की काम वासना का मिलन खुले आसमान में जोरो में हुआ था। कुसुम की खुशी उस रात मुझे बिस्तर में भी दिखाई दे रही थी, उसका जिंदगी में बहुत पैसा कमाने का सपना पूरा होना भी चालू हो चुका था, और घर के आसपास के लोग कुसुम को बड़ा अफसर समझते थे ,क्योकि वो सबको बड़ा ही रौब झाड़ कर बात करती थी , खासकर के आसपास के नवजवान लड़के , कुसुम का मस्ताना और मादक शरीर को देखकर सबको उसे अपना बनाने की हसरत पैदा हो जाती और उन्हें कुसुम के घर के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देती।

ये बात मुझे पता चली अगले दिन मैं जब सुबह 10-11 बजे ऐसे ही कुसुम के क्वाटर (सरकारी आवास) के सामने टहलता हुआ चाय पीने चला गया ,ऐसे भी घर में काम तो कुछ खास नही था, और मैं घर में कुर्सियां तोड़ता हुआ बोर हो रहा था।

क्वाटर के सामने वाले ही चाय ठेले की टपरी में पहुचा वहां वो टपरी वाला मुझे नही पहचानता था….।

“एक चाय पिलाओ ,और एक सिगरेट” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,

“साहब बैठिए ना “

उसने एक कुर्सी आगे की ,वहाँ अधिकतर सभी सरकारी कुवाटरों में रहने वाले कर्मचारी चाय पीने आते थे , पास में ही एक दो कॉलेज भी था, जिसके अधिकतर लड़को के लिए वो अड्डा हुआ करता था, इसलिए वहां थोड़ी भीड़ भी थी, चाय वाला भी मेरी ही उम्र का रहा होगा शायद मुझसे कुछ कम ही रहा होगा और उसकी कमाई शायद मुझ 'प्राइवेट कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर से भी ज्यादा' थी।

वहां का माहौल देखकर मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आ गए,कॉलेज गोइंग लड़को की वहां भीड़ लगी थी ,जो लगभग हमेशा लगी रहती थी , इसलिए उसे पुलिस और नगर निगम के लोगो को भी पैसे खिलाने पड़ते थे,

“यार मेरे लिए तू लेमन टी बना ,अच्छी मसाला वाली “

“जैसा आप कहे सर “

मैं चाय और सिगरेट पीता हुआ फिर से उन्ही कालेज के दिनो में पहुच गया , कि अचानक से मेरी नजर रोड के उस पार अपने क्वाटर की छत पर ट्रांसपेरेंट मैक्सी पहनी हुई गीले कपड़ो को डोरी पर सूखने के लिए डालती हुयी अपनी बीवी कुसुम पर पड़ी,

कुसुम शायद नहा कर आई थी उस ने अंदर ब्रा नही पहने हुयी थी जिससे उसके मैक्सी में निप्पल की बड़ी बड़ी चुचुक दूर से ही नजर में आ रही थी और गीले कपड़ो को फटकार लगाते हुए इस तरह डोरी पर डाल रही थी कि उसके बड़े बड़े उरोज उछल कूद कर रहे थे।

मैं कुसुम को बड़ी ही प्यारी नजरो से निहार रहा था की वो चायवाला बोल पड़ा ,

“अरे सर इसने तो तबाही ही मचा दी है यहां रहकर.... जो लौण्डे कभी चाय सिगरेट् के नाम सुनकर भी मुह बनाते थे साले सजधज कर सुट्टा मारने आते है , इसने तो यहाँ बवाल ही मचाया हुआ है ,साली रांड कही की “

मेरा दिमाग फिर गया ,इस मादरचोद की इतनी औकात की ये मेरे सामने मेरी ही बीवी को ….लेकिन उसे थोड़ी ना पता होगा की ये मेरी बीवी है नही तो ये हिमाकत वो नही करता..

“तमीज से बात करो ,एक औरत है वो …”मेरे चहरे पर गुस्से के भाव साफ दिखे जिसे देखकर वो डर ही गया …

“अरे साहब आप तो गुस्सा हो गए मेरा वो मतलब नही था ,असल में मैं एक छोटे से जगह से आया हुआ हु और यहां इतने सालो से मैं ये काम कर रहा हु पहली बार ये हुआ है की कोई शादी शुदा औरत को ऐसे कपड़ो में देखता हु, और जब ये अपनी नौकरी पर जाती है तो इसकी ब्लाउस में एक एक चूचे बाहर निकलते हुए साफ साफ दिखाई देते है। अब आप ही बताओ ना साहब ,सभी लड़के उसे घूरते रहते है , कोई कही इसके चूचे पर कुछ कॉमेंट करता है, तो कोई कही इसकी स्कूटर की स्टेपनी जितनी बड़ी बड़ी गांड पर , सब कुछ तो इसके कपड़ो से दिखता है ,


और साहब मेरी तपरी पर भी लड़को की भीड़ देख कर.. रोज रोज आ जाती है कभी नॉन खटाई बिस्किट लेने, कभी चिप्स लेने, इतना पैसा कमाती है फिर भी पांच पांच रु की सौदा के लिए 10-15 मिनिट तक यहाँ खड़ी होकर खिच खिच करती हैं। भले घर की औरतो को क्या ये सब सोभा देता है और साथ में ये और आसपास के क्वाटर में रहने वाली औरतो/लड़कियों को भी बिगाड़ रही है , रोज ऑफिस जाती किसी जवान लड़के के साथ और वापस आती है आप जैसी उम्र के आदमी के साथ। ना जाने कितने खसम पाल रखे है। इस औरत ने तो साला सरकारी क्वाटर को रंडी खाना बना के रखा है “

उस चाय वाले की इतनी छोटी सोच ने मेरा दिमाग ही घुमा दिया ,मैं वहां से उठा और उसका कांच का गिलास जोरो से फोड़ दिया,उसके पसीने छूटने लगे, शायद वो ये भी समझ रहा था की मैं 'एक सरकारी अधिकारी' हु,,और उसका ये टपरी सरकारी महकमे के कृपा से ही चल रहा है ,मैं अगर चाहू तो एक कंप्लेन से ही उसका ये टपरी उखाड़वा सकता हू।


“साहब गलती हो गयी ,दो जूते मार लो पर माफ कर दो ऐसे गुस्सा मत हो साहब “
“गुस्सा मैं तुझपर नही तेरी सोच पर हु,इसीलिए हमारी औरते अपनी मर्जी से कही जा नही सकती ,कुछ पहन नही सकती ,वो तो अच्छा काम करना चाहती है पर तुम जैसी सोच के लोगो के कारण बेचारियों को हर जगह बस ताने मिलते है और साथ में छेड़छाड़ का शिकार होती है ,वो जो भी पहने मुझे ये बता जो यहाँ तेरी तपरी पर उसे देखने आते है वो गलत हुए या जो पहनती है वो ….????

साले देखना ही बन्द कर दो ना तुम्हे देखना भी घूर कर है और साथ ही दोष भी तुम लड़कियों पर ही लगाते हो ...आज के बाद तेरे मुह से ऐसे शब्द सुना तो तू और तेरा टपरी दोनो उठवा दूंगा “

मेरे इस कदम से वहां लोगो की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी ,मैंने आगे कहा,इस बार मेरी आवाज थोड़ी धीरे और समझाने वाला लहजा था ,

“देखो लड़की या औरत को देखना गुनाह नही है ,ये तो स्वाभाविक है,लेकिन ऐसी धारणा बहुत गलत है...हमे अपने को देखना चाहिये की हम क्या करते है...हा यार उसकी फिगर सेक्सी है (मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो भी मुझे अजीब नजरो से देखने लगा ) लेकिन इसका मतलब ये नही की वो रंडी है ,और हा हो सकता ही की वो लड़को को उत्तेजित कर देती हो ,और उन्हें टीस करती हो पर यार अपनी भाषा सुधारो और कम से कम लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना सीखो ,क्योकि तुम्हारी भी बेटी, माँ ,बीवी,बहन होगी ... ।

जब तुम ही लड़कियों का सम्मान नही करोगे तो तुम दुसरो से कैसे आशा कर सकते हो की वो सम्मान करे ,,और इसी सोच के कारण तुम अपनी बहनों को भी अच्छा काम करने से रोकते होंगे क्योकि तुम्हे लगता है की दूसरे उन्हें इन्ही नामो से बुलाएंगे जबकि तुम्हे भी पता है की वो गलत नही है,,तो पहले खुद को सुधार लो फिर दुसरो से उम्मीद करना ,चल अब एक और चाय बना और एक सिगरेट दे “

मैं हल्के से मुस्कुरा दिया ,किसी का धंधा खराब करना मेरा मकसद बिल्कुल भी नही था ,मेरे चहरे पर मुस्कान देख कर वो भी थोड़ा सा रिलेक्स हुआ और डरते हुए मुझे एक चाय दी….

“तेरा नाम क्या है “ मै उससे पूछा

“साहब भुवन “

“हम्म अच्छा है ,डरने की जरूरत नही है ,और यार बात तो तेरी सही है ऐसी सेक्सी लड़की बवाल तो मचा ही देगी “

वो हल्के से हँसा पर अभी भी थोड़ा सा डर रहा था ...

**********

मैं फिर से चाय पीता हुआ छत पर अपने गीले बाल सुखाती हुई अपनी प्यारी बीवी कुसुम को निहारने लगा………………।

दिमापुर शहर छोटा था,लेकिन कुसुम के चर्चे बड़े हो गये थे , कुसुम के यहाँ इस नये सेक्सी अवतार के बारे में वैसा अगर सोचा जाये तो चाय वाला ज्यादा गलत नहीं था ।क्योकि जैसे एक डोरी से कटी हुई पतग आसमान मे भटक भटक के धरती पर जा गिरती है ! ठीक उसी तरह पति से अलग रहकर दूसरे शहर में नौकरी करने वाली एक अकेली/छुटेली औरत शुरुआत मे तो वो लोगो की बहुत सहानुबूती बटोरती है परन्तु वक़्त के साथ साथ लोगो की सहानुबूती घृणा मे बदल जाती है ! वो ही लोग उसे उसके पीठ पीछे उसे रंडी और वेश्या बोलते है!!..

ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी...
ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!!

कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि
धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में..

वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!!

अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!!

बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!!

लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्योंकि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!!

आखिरकार इस समय मैं भी तो कुसुम को ताड़ने और सेक्सी माल (रांड) कहने वालो के साथ ही खड़ा था....और मुझे भी इसमें कोई भी इंटरेस्ट नही था की कोई क्या कहता है ,मेरे लिए तो यही अच्छा था की मैं किसी के नजर में ना आउ,...। और फिर मै वहा से चुप चाप, उस चाय वाले से छिप कर अपने क्वाटर के गेट के अंदर दाखिल हो गया।

**********

तभी मेरा फोन बजा ,

“हलो “

“हलो अरुण भईया मैं कार्तिक बोल रहा हु “
कार्तिक की आवाज तो मैं पहचान गया था, पर उसका ये नम्बर मेरे पास नही था,

“कैसे हो “ कार्तिक..???

ठीक नहीं हू भईया, आपका काम हो गया हो तो, आज शाम की बस पकड़ कर वापस आ जाओ। वो मुझसे दुखी होते हुए बोला।

तुम टेंशन ना लो, मै कल ही वहा आकर तुझसे और डॉली से मिलता हू.... मैने उसे सात्वाना देते हुए कहा।

ठीक भैया बाय...

बाय..!

जब मै घर के अंदर पहुँचा तो देखा कुसुम बन सवर कर, कही जाने के लिए तैयार खड़ी थी।

मैडम कहाँ जाने का प्लान आज... मैने मुस्कुरा कर पूछा...???

और कहाँ जाऊंगी... सिवाय ऑफिस के..! उसने जबाब दिया।

आज तो इतवार है... आज भी ऑफिस क्यों.. ????

अरे बस दो तीन घंटे का काम है, सालाना ऑडिट रिपोर्ट बनानी है... कुछ खास स्टाफ् को बुलाया है। इतना कह वो मेरे गाल पर एक प्यारी सी चुम्मी देते हुए चली गई।

कुसुम का जबाब सुन मुझे समझ आ गया.. औरत पढ़ लिख कर अगर घर से बाहर काम या नौकरी करेगी, तो हिस्से में एक इतवार भी आयेगा.. जो घर के काम में नही आता....!

कुसुम के जाते ही मैने तुरंत दरवाजा बंद किया.... अब कुसुम का मोबाइल का एक्सेज तो मेरे पास नही था ,और जासूसी तो मुझे करनी ही थी ,मैंने पूरे घर में 5 जगह कैमरे लगा दिए …ऐसे घर में 4 ही कमरे थे ,2 बेडरूम एक हाल और एक किचन...और एक कैमरा मैंने घर के इंट्री में लगा दिया था, सभी को मैं अपने मोबाइल या लेपटॉप से कंट्रोल कर सकता था, मैं अपने पर थोड़ा इतरा कर वँहा से निकल गया…।

रास्ते में ही मैंने कुसुम को फोन कर दिया।

जान मुझे अभी वापस से जाना पड़ रहा है, मम्मी का फोन आया था। वहा पर क्या हुआ है ज्यादा मैं अभी नही कह सकता ,”

“क्या..?? ठीक है ,लेकिन आप तो मेरी जासूसी करने वाले थे क्या हुआ,और मुझे ऐसे खुली छोड़कर जा रहे हो,इस बीच कुछ हो गया तो “

उसकी शरारती आवाज मेरे कानो में पड़ी ,कितनी कमीनी हो गई थी ये ..

“खबरदार ..ऐसे भी तुम कुछ भी करो मुझे उसका पता चल जाएगा ..”मैंने अपनी होशियारी दिखाई ।

“ओहो मिस्टर अरुण कुमार उर्फ प्रोफेसर साहब देखते है ..ऐसे अभी मैने अपने सीनियर शर्मा को तुम्हारे आने के बारे में बताया था और वो तुमसे मिलने के बहाने आज रात का डिनर हमारे घर पर आकर साथ ही करने वाले थे। अब आप नही होंगे तो वो मेरे साथ ही डिनर कर लेंगे, और रात को घर में …”

मेरा खून खोल गया …

मुझे चुप देखकर वो हल्के से हँसी ..

“जली ना.... जली ना....जान ..”वो हँस पड़ी ।

“चुपकर" उस शर्मा के साथ कुछ की तो देखना मैं क्या करता हु “

“अच्छा मैंने क्या किया है आपको कैसे पता चलेगा ..”

“मैं पता कर लूंगा ..”

“देखते है,..बेस्ट ऑफ लक ,और एक चीज जो कभी मत भूलना ..”

वो थोड़ी देर तक शांत रही

“आई लव यू जान ..”उसने पूरी शिद्दत से कहा ,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,मेरी बीवी है तो लाजवाब .....!

“लव यू मेरी जान,..अपना ख्याल रखना कही मुझे जलाने की चक्कर में खुद को मत फंसा लेना “

वो हँस पड़ी

“अगर फंसी तो इतना भरोसा है की आप मुझे निकाल लोगे ,आपके ही दम पर खतरा उठा रही हु ,अब तो आपको भरपूर जलाऊंगी और खुद भी मजे लुंगी ,आप बैठ कर अपना मसलते रहना ..”वो जोरो से हँसी मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान आ गई

“तू बहुत ही बदमाश हो गई है ..”

“आपने ही तो बनाया है ..”

“चलो जाना है लव यू ख्याल रखना ..”

“लव यू मेरी जान आप भी अपना ख्याल रखना और ज्यादा जलना मत..”एक हँसी के साथ हम दोनो थोड़ा इमोशनल हो गए और फोन कट गया… ।

......✍️जारी है
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
चाय वाले की बातो पर अरुण को गुस्सा आ गया लेकिन साला खुद अपनी बीवी को दूसरो के साथ सेक्स करवाने के लिए तैयार हैं चाय वाले ने जो कहा वो सच ही कहा था प्रोफेसर ने भी ये देखा था
कुसुम दीमापुर में मजे कर रही है साथ ही अरुण को जला रही है अगर गुस्सा हो गया था थोड़ी बहुत डोज दी और अरुण खुश
 

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और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा ! मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।

सब कुछ खुशहाली से हुआ था, पति पत्नी की काम वासना का मिलन खुले आसमान में जोरो में हुआ था। कुसुम की खुशी उस रात मुझे बिस्तर में भी दिखाई दे रही थी, उसका जिंदगी में बहुत पैसा कमाने का सपना पूरा होना भी चालू हो चुका था, और घर के आसपास के लोग कुसुम को बड़ा अफसर समझते थे ,क्योकि वो सबको बड़ा ही रौब झाड़ कर बात करती थी , खासकर के आसपास के नवजवान लड़के , कुसुम का मस्ताना और मादक शरीर को देखकर सबको उसे अपना बनाने की हसरत पैदा हो जाती और उन्हें कुसुम के घर के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देती।

ये बात मुझे पता चली अगले दिन मैं जब सुबह 10-11 बजे ऐसे ही कुसुम के क्वाटर (सरकारी आवास) के सामने टहलता हुआ चाय पीने चला गया ,ऐसे भी घर में काम तो कुछ खास नही था, और मैं घर में कुर्सियां तोड़ता हुआ बोर हो रहा था।

क्वाटर के सामने वाले ही चाय ठेले की टपरी में पहुचा वहां वो टपरी वाला मुझे नही पहचानता था….।

“एक चाय पिलाओ ,और एक सिगरेट” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,

“साहब बैठिए ना “

उसने एक कुर्सी आगे की ,वहाँ अधिकतर सभी सरकारी कुवाटरों में रहने वाले कर्मचारी चाय पीने आते थे , पास में ही एक दो कॉलेज भी था, जिसके अधिकतर लड़को के लिए वो अड्डा हुआ करता था, इसलिए वहां थोड़ी भीड़ भी थी, चाय वाला भी मेरी ही उम्र का रहा होगा शायद मुझसे कुछ कम ही रहा होगा और उसकी कमाई शायद मुझ 'प्राइवेट कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर से भी ज्यादा' थी।

वहां का माहौल देखकर मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आ गए,कॉलेज गोइंग लड़को की वहां भीड़ लगी थी ,जो लगभग हमेशा लगी रहती थी , इसलिए उसे पुलिस और नगर निगम के लोगो को भी पैसे खिलाने पड़ते थे,

“यार मेरे लिए तू लेमन टी बना ,अच्छी मसाला वाली “

“जैसा आप कहे सर “

मैं चाय और सिगरेट पीता हुआ फिर से उन्ही कालेज के दिनो में पहुच गया , कि अचानक से मेरी नजर रोड के उस पार अपने क्वाटर की छत पर ट्रांसपेरेंट मैक्सी पहनी हुई गीले कपड़ो को डोरी पर सूखने के लिए डालती हुयी अपनी बीवी कुसुम पर पड़ी,

कुसुम शायद नहा कर आई थी उस ने अंदर ब्रा नही पहने हुयी थी जिससे उसके मैक्सी में निप्पल की बड़ी बड़ी चुचुक दूर से ही नजर में आ रही थी और गीले कपड़ो को फटकार लगाते हुए इस तरह डोरी पर डाल रही थी कि उसके बड़े बड़े उरोज उछल कूद कर रहे थे।

मैं कुसुम को बड़ी ही प्यारी नजरो से निहार रहा था की वो चायवाला बोल पड़ा ,

“अरे सर इसने तो तबाही ही मचा दी है यहां रहकर.... जो लौण्डे कभी चाय सिगरेट् के नाम सुनकर भी मुह बनाते थे साले सजधज कर सुट्टा मारने आते है , इसने तो यहाँ बवाल ही मचाया हुआ है ,साली रांड कही की “

मेरा दिमाग फिर गया ,इस मादरचोद की इतनी औकात की ये मेरे सामने मेरी ही बीवी को ….लेकिन उसे थोड़ी ना पता होगा की ये मेरी बीवी है नही तो ये हिमाकत वो नही करता..

“तमीज से बात करो ,एक औरत है वो …”मेरे चहरे पर गुस्से के भाव साफ दिखे जिसे देखकर वो डर ही गया …

“अरे साहब आप तो गुस्सा हो गए मेरा वो मतलब नही था ,असल में मैं एक छोटे से जगह से आया हुआ हु और यहां इतने सालो से मैं ये काम कर रहा हु पहली बार ये हुआ है की कोई शादी शुदा औरत को ऐसे कपड़ो में देखता हु, और जब ये अपनी नौकरी पर जाती है तो इसकी ब्लाउस में एक एक चूचे बाहर निकलते हुए साफ साफ दिखाई देते है। अब आप ही बताओ ना साहब ,सभी लड़के उसे घूरते रहते है , कोई कही इसके चूचे पर कुछ कॉमेंट करता है, तो कोई कही इसकी स्कूटर की स्टेपनी जितनी बड़ी बड़ी गांड पर , सब कुछ तो इसके कपड़ो से दिखता है ,


और साहब मेरी तपरी पर भी लड़को की भीड़ देख कर.. रोज रोज आ जाती है कभी नॉन खटाई बिस्किट लेने, कभी चिप्स लेने, इतना पैसा कमाती है फिर भी पांच पांच रु की सौदा के लिए 10-15 मिनिट तक यहाँ खड़ी होकर खिच खिच करती हैं। भले घर की औरतो को क्या ये सब सोभा देता है और साथ में ये और आसपास के क्वाटर में रहने वाली औरतो/लड़कियों को भी बिगाड़ रही है , रोज ऑफिस जाती किसी जवान लड़के के साथ और वापस आती है आप जैसी उम्र के आदमी के साथ। ना जाने कितने खसम पाल रखे है। इस औरत ने तो साला सरकारी क्वाटर को रंडी खाना बना के रखा है “

उस चाय वाले की इतनी छोटी सोच ने मेरा दिमाग ही घुमा दिया ,मैं वहां से उठा और उसका कांच का गिलास जोरो से फोड़ दिया,उसके पसीने छूटने लगे, शायद वो ये भी समझ रहा था की मैं 'एक सरकारी अधिकारी' हु,,और उसका ये टपरी सरकारी महकमे के कृपा से ही चल रहा है ,मैं अगर चाहू तो एक कंप्लेन से ही उसका ये टपरी उखाड़वा सकता हू।


“साहब गलती हो गयी ,दो जूते मार लो पर माफ कर दो ऐसे गुस्सा मत हो साहब “
“गुस्सा मैं तुझपर नही तेरी सोच पर हु,इसीलिए हमारी औरते अपनी मर्जी से कही जा नही सकती ,कुछ पहन नही सकती ,वो तो अच्छा काम करना चाहती है पर तुम जैसी सोच के लोगो के कारण बेचारियों को हर जगह बस ताने मिलते है और साथ में छेड़छाड़ का शिकार होती है ,वो जो भी पहने मुझे ये बता जो यहाँ तेरी तपरी पर उसे देखने आते है वो गलत हुए या जो पहनती है वो ….????

साले देखना ही बन्द कर दो ना तुम्हे देखना भी घूर कर है और साथ ही दोष भी तुम लड़कियों पर ही लगाते हो ...आज के बाद तेरे मुह से ऐसे शब्द सुना तो तू और तेरा टपरी दोनो उठवा दूंगा “

मेरे इस कदम से वहां लोगो की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी ,मैंने आगे कहा,इस बार मेरी आवाज थोड़ी धीरे और समझाने वाला लहजा था ,

“देखो लड़की या औरत को देखना गुनाह नही है ,ये तो स्वाभाविक है,लेकिन ऐसी धारणा बहुत गलत है...हमे अपने को देखना चाहिये की हम क्या करते है...हा यार उसकी फिगर सेक्सी है (मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो भी मुझे अजीब नजरो से देखने लगा ) लेकिन इसका मतलब ये नही की वो रंडी है ,और हा हो सकता ही की वो लड़को को उत्तेजित कर देती हो ,और उन्हें टीस करती हो पर यार अपनी भाषा सुधारो और कम से कम लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना सीखो ,क्योकि तुम्हारी भी बेटी, माँ ,बीवी,बहन होगी ... ।

जब तुम ही लड़कियों का सम्मान नही करोगे तो तुम दुसरो से कैसे आशा कर सकते हो की वो सम्मान करे ,,और इसी सोच के कारण तुम अपनी बहनों को भी अच्छा काम करने से रोकते होंगे क्योकि तुम्हे लगता है की दूसरे उन्हें इन्ही नामो से बुलाएंगे जबकि तुम्हे भी पता है की वो गलत नही है,,तो पहले खुद को सुधार लो फिर दुसरो से उम्मीद करना ,चल अब एक और चाय बना और एक सिगरेट दे “

मैं हल्के से मुस्कुरा दिया ,किसी का धंधा खराब करना मेरा मकसद बिल्कुल भी नही था ,मेरे चहरे पर मुस्कान देख कर वो भी थोड़ा सा रिलेक्स हुआ और डरते हुए मुझे एक चाय दी….

“तेरा नाम क्या है “ मै उससे पूछा

“साहब भुवन “

“हम्म अच्छा है ,डरने की जरूरत नही है ,और यार बात तो तेरी सही है ऐसी सेक्सी लड़की बवाल तो मचा ही देगी “

वो हल्के से हँसा पर अभी भी थोड़ा सा डर रहा था ...

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मैं फिर से चाय पीता हुआ छत पर अपने गीले बाल सुखाती हुई अपनी प्यारी बीवी कुसुम को निहारने लगा………………।

दिमापुर शहर छोटा था,लेकिन कुसुम के चर्चे बड़े हो गये थे , कुसुम के यहाँ इस नये सेक्सी अवतार के बारे में वैसा अगर सोचा जाये तो चाय वाला ज्यादा गलत नहीं था ।क्योकि जैसे एक डोरी से कटी हुई पतग आसमान मे भटक भटक के धरती पर जा गिरती है ! ठीक उसी तरह पति से अलग रहकर दूसरे शहर में नौकरी करने वाली एक अकेली/छुटेली औरत शुरुआत मे तो वो लोगो की बहुत सहानुबूती बटोरती है परन्तु वक़्त के साथ साथ लोगो की सहानुबूती घृणा मे बदल जाती है ! वो ही लोग उसे उसके पीठ पीछे उसे रंडी और वेश्या बोलते है!!..

ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी...
ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!!

कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि
धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में..

वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!!

अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!!

बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!!

लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्योंकि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!!

आखिरकार इस समय मैं भी तो कुसुम को ताड़ने और सेक्सी माल (रांड) कहने वालो के साथ ही खड़ा था....और मुझे भी इसमें कोई भी इंटरेस्ट नही था की कोई क्या कहता है ,मेरे लिए तो यही अच्छा था की मैं किसी के नजर में ना आउ,...। और फिर मै वहा से चुप चाप, उस चाय वाले से छिप कर अपने क्वाटर के गेट के अंदर दाखिल हो गया।

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तभी मेरा फोन बजा ,

“हलो “

“हलो अरुण भईया मैं कार्तिक बोल रहा हु “
कार्तिक की आवाज तो मैं पहचान गया था, पर उसका ये नम्बर मेरे पास नही था,

“कैसे हो “ कार्तिक..???

ठीक नहीं हू भईया, आपका काम हो गया हो तो, आज शाम की बस पकड़ कर वापस आ जाओ। वो मुझसे दुखी होते हुए बोला।

तुम टेंशन ना लो, मै कल ही वहा आकर तुझसे और डॉली से मिलता हू.... मैने उसे सात्वाना देते हुए कहा।

ठीक भैया बाय...

बाय..!

जब मै घर के अंदर पहुँचा तो देखा कुसुम बन सवर कर, कही जाने के लिए तैयार खड़ी थी।

मैडम कहाँ जाने का प्लान आज... मैने मुस्कुरा कर पूछा...???

और कहाँ जाऊंगी... सिवाय ऑफिस के..! उसने जबाब दिया।

आज तो इतवार है... आज भी ऑफिस क्यों.. ????

अरे बस दो तीन घंटे का काम है, सालाना ऑडिट रिपोर्ट बनानी है... कुछ खास स्टाफ् को बुलाया है। इतना कह वो मेरे गाल पर एक प्यारी सी चुम्मी देते हुए चली गई।

कुसुम का जबाब सुन मुझे समझ आ गया.. औरत पढ़ लिख कर अगर घर से बाहर काम या नौकरी करेगी, तो हिस्से में एक इतवार भी आयेगा.. जो घर के काम में नही आता....!

कुसुम के जाते ही मैने तुरंत दरवाजा बंद किया.... अब कुसुम का मोबाइल का एक्सेज तो मेरे पास नही था ,और जासूसी तो मुझे करनी ही थी ,मैंने पूरे घर में 5 जगह कैमरे लगा दिए …ऐसे घर में 4 ही कमरे थे ,2 बेडरूम एक हाल और एक किचन...और एक कैमरा मैंने घर के इंट्री में लगा दिया था, सभी को मैं अपने मोबाइल या लेपटॉप से कंट्रोल कर सकता था, मैं अपने पर थोड़ा इतरा कर वँहा से निकल गया…।

रास्ते में ही मैंने कुसुम को फोन कर दिया।

जान मुझे अभी वापस से जाना पड़ रहा है, मम्मी का फोन आया था। वहा पर क्या हुआ है ज्यादा मैं अभी नही कह सकता ,”

“क्या..?? ठीक है ,लेकिन आप तो मेरी जासूसी करने वाले थे क्या हुआ,और मुझे ऐसे खुली छोड़कर जा रहे हो,इस बीच कुछ हो गया तो “

उसकी शरारती आवाज मेरे कानो में पड़ी ,कितनी कमीनी हो गई थी ये ..

“खबरदार ..ऐसे भी तुम कुछ भी करो मुझे उसका पता चल जाएगा ..”मैंने अपनी होशियारी दिखाई ।

“ओहो मिस्टर अरुण कुमार उर्फ प्रोफेसर साहब देखते है ..ऐसे अभी मैने अपने सीनियर शर्मा को तुम्हारे आने के बारे में बताया था और वो तुमसे मिलने के बहाने आज रात का डिनर हमारे घर पर आकर साथ ही करने वाले थे। अब आप नही होंगे तो वो मेरे साथ ही डिनर कर लेंगे, और रात को घर में …”

मेरा खून खोल गया …

मुझे चुप देखकर वो हल्के से हँसी ..

“जली ना.... जली ना....जान ..”वो हँस पड़ी ।

“चुपकर" उस शर्मा के साथ कुछ की तो देखना मैं क्या करता हु “

“अच्छा मैंने क्या किया है आपको कैसे पता चलेगा ..”

“मैं पता कर लूंगा ..”

“देखते है,..बेस्ट ऑफ लक ,और एक चीज जो कभी मत भूलना ..”

वो थोड़ी देर तक शांत रही

“आई लव यू जान ..”उसने पूरी शिद्दत से कहा ,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,मेरी बीवी है तो लाजवाब .....!

“लव यू मेरी जान,..अपना ख्याल रखना कही मुझे जलाने की चक्कर में खुद को मत फंसा लेना “

वो हँस पड़ी

“अगर फंसी तो इतना भरोसा है की आप मुझे निकाल लोगे ,आपके ही दम पर खतरा उठा रही हु ,अब तो आपको भरपूर जलाऊंगी और खुद भी मजे लुंगी ,आप बैठ कर अपना मसलते रहना ..”वो जोरो से हँसी मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान आ गई

“तू बहुत ही बदमाश हो गई है ..”

“आपने ही तो बनाया है ..”

“चलो जाना है लव यू ख्याल रखना ..”

“लव यू मेरी जान आप भी अपना ख्याल रखना और ज्यादा जलना मत..”एक हँसी के साथ हम दोनो थोड़ा इमोशनल हो गए और फोन कट गया… ।

......✍️जारी है
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
चाय वाले की बातो पर अरुण को गुस्सा आ गया लेकिन साला खुद अपनी बीवी को दूसरो के साथ सेक्स करवाने के लिए तैयार हैं चाय वाले ने जो कहा वो सच ही कहा था प्रोफेसर ने भी ये देखा था
कुसुम दीमापुर में मजे कर रही है साथ ही अरुण को जला रही है अगर गुस्सा हो गया था थोड़ी बहुत डोज दी और अरुण खुश
 

manu@84

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Manu bhai bahut hi aacha update diya aapne
बहुत बहुत शुक्रिया मित्र... आपने मतव्य पढ़ बहुत खुशी हुई.... इसी तरह अपने विचार लिखते रहिये।

धन्यवाद
 
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