और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा ! मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।
सब कुछ खुशहाली से हुआ था, पति पत्नी की काम वासना का मिलन खुले आसमान में जोरो में हुआ था। कुसुम की खुशी उस रात मुझे बिस्तर में भी दिखाई दे रही थी, उसका जिंदगी में बहुत पैसा कमाने का सपना पूरा होना भी चालू हो चुका था, और घर के आसपास के लोग कुसुम को बड़ा अफसर समझते थे ,क्योकि वो सबको बड़ा ही रौब झाड़ कर बात करती थी , खासकर के आसपास के नवजवान लड़के , कुसुम का मस्ताना और मादक शरीर को देखकर सबको उसे अपना बनाने की हसरत पैदा हो जाती और उन्हें कुसुम के घर के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देती।
ये बात मुझे पता चली अगले दिन मैं जब सुबह 10-11 बजे ऐसे ही कुसुम के क्वाटर (सरकारी आवास) के सामने टहलता हुआ चाय पीने चला गया ,ऐसे भी घर में काम तो कुछ खास नही था, और मैं घर में कुर्सियां तोड़ता हुआ बोर हो रहा था।
क्वाटर के सामने वाले ही चाय ठेले की टपरी में पहुचा वहां वो टपरी वाला मुझे नही पहचानता था….।
“एक चाय पिलाओ ,और एक सिगरेट” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,
“साहब बैठिए ना “
उसने एक कुर्सी आगे की ,वहाँ अधिकतर सभी सरकारी कुवाटरों में रहने वाले कर्मचारी चाय पीने आते थे , पास में ही एक दो कॉलेज भी था, जिसके अधिकतर लड़को के लिए वो अड्डा हुआ करता था, इसलिए वहां थोड़ी भीड़ भी थी, चाय वाला भी मेरी ही उम्र का रहा होगा शायद मुझसे कुछ कम ही रहा होगा और उसकी कमाई शायद मुझ 'प्राइवेट कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर से भी ज्यादा' थी।
वहां का माहौल देखकर मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आ गए,कॉलेज गोइंग लड़को की वहां भीड़ लगी थी ,जो लगभग हमेशा लगी रहती थी , इसलिए उसे पुलिस और नगर निगम के लोगो को भी पैसे खिलाने पड़ते थे,
“यार मेरे लिए तू लेमन टी बना ,अच्छी मसाला वाली “
“जैसा आप कहे सर “
मैं चाय और सिगरेट पीता हुआ फिर से उन्ही कालेज के दिनो में पहुच गया , कि अचानक से मेरी नजर रोड के उस पार अपने क्वाटर की छत पर ट्रांसपेरेंट मैक्सी पहनी हुई गीले कपड़ो को डोरी पर सूखने के लिए डालती हुयी अपनी बीवी कुसुम पर पड़ी,
कुसुम शायद नहा कर आई थी उस ने अंदर ब्रा नही पहने हुयी थी जिससे उसके मैक्सी में निप्पल की बड़ी बड़ी चुचुक दूर से ही नजर में आ रही थी और गीले कपड़ो को फटकार लगाते हुए इस तरह डोरी पर डाल रही थी कि उसके बड़े बड़े उरोज उछल कूद कर रहे थे।
मैं कुसुम को बड़ी ही प्यारी नजरो से निहार रहा था की वो चायवाला बोल पड़ा ,
“अरे सर इसने तो तबाही ही मचा दी है यहां रहकर.... जो लौण्डे कभी चाय सिगरेट् के नाम सुनकर भी मुह बनाते थे साले सजधज कर सुट्टा मारने आते है , इसने तो यहाँ बवाल ही मचाया हुआ है ,साली रांड कही की “
मेरा दिमाग फिर गया ,इस मादरचोद की इतनी औकात की ये मेरे सामने मेरी ही बीवी को ….लेकिन उसे थोड़ी ना पता होगा की ये मेरी बीवी है नही तो ये हिमाकत वो नही करता..
“तमीज से बात करो ,एक औरत है वो …”मेरे चहरे पर गुस्से के भाव साफ दिखे जिसे देखकर वो डर ही गया …
“अरे साहब आप तो गुस्सा हो गए मेरा वो मतलब नही था ,असल में मैं एक छोटे से जगह से आया हुआ हु और यहां इतने सालो से मैं ये काम कर रहा हु पहली बार ये हुआ है की कोई शादी शुदा औरत को ऐसे कपड़ो में देखता हु, और जब ये अपनी नौकरी पर जाती है तो इसकी ब्लाउस में एक एक चूचे बाहर निकलते हुए साफ साफ दिखाई देते है। अब आप ही बताओ ना साहब ,सभी लड़के उसे घूरते रहते है , कोई कही इसके चूचे पर कुछ कॉमेंट करता है, तो कोई कही इसकी स्कूटर की स्टेपनी जितनी बड़ी बड़ी गांड पर , सब कुछ तो इसके कपड़ो से दिखता है ,
और साहब मेरी तपरी पर भी लड़को की भीड़ देख कर.. रोज रोज आ जाती है कभी नॉन खटाई बिस्किट लेने, कभी चिप्स लेने, इतना पैसा कमाती है फिर भी पांच पांच रु की सौदा के लिए 10-15 मिनिट तक यहाँ खड़ी होकर खिच खिच करती हैं। भले घर की औरतो को क्या ये सब सोभा देता है और साथ में ये और आसपास के क्वाटर में रहने वाली औरतो/लड़कियों को भी बिगाड़ रही है , रोज ऑफिस जाती किसी जवान लड़के के साथ और वापस आती है आप जैसी उम्र के आदमी के साथ। ना जाने कितने खसम पाल रखे है। इस औरत ने तो साला सरकारी क्वाटर को रंडी खाना बना के रखा है “
उस चाय वाले की इतनी छोटी सोच ने मेरा दिमाग ही घुमा दिया ,मैं वहां से उठा और उसका कांच का गिलास जोरो से फोड़ दिया,उसके पसीने छूटने लगे, शायद वो ये भी समझ रहा था की मैं 'एक सरकारी अधिकारी' हु,,और उसका ये टपरी सरकारी महकमे के कृपा से ही चल रहा है ,मैं अगर चाहू तो एक कंप्लेन से ही उसका ये टपरी उखाड़वा सकता हू।
“साहब गलती हो गयी ,दो जूते मार लो पर माफ कर दो ऐसे गुस्सा मत हो साहब “
“गुस्सा मैं तुझपर नही तेरी सोच पर हु,इसीलिए हमारी औरते अपनी मर्जी से कही जा नही सकती ,कुछ पहन नही सकती ,वो तो अच्छा काम करना चाहती है पर तुम जैसी सोच के लोगो के कारण बेचारियों को हर जगह बस ताने मिलते है और साथ में छेड़छाड़ का शिकार होती है ,वो जो भी पहने मुझे ये बता जो यहाँ तेरी तपरी पर उसे देखने आते है वो गलत हुए या जो पहनती है वो ….????
साले देखना ही बन्द कर दो ना तुम्हे देखना भी घूर कर है और साथ ही दोष भी तुम लड़कियों पर ही लगाते हो ...आज के बाद तेरे मुह से ऐसे शब्द सुना तो तू और तेरा टपरी दोनो उठवा दूंगा “
मेरे इस कदम से वहां लोगो की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी ,मैंने आगे कहा,इस बार मेरी आवाज थोड़ी धीरे और समझाने वाला लहजा था ,
“देखो लड़की या औरत को देखना गुनाह नही है ,ये तो स्वाभाविक है,लेकिन ऐसी धारणा बहुत गलत है...हमे अपने को देखना चाहिये की हम क्या करते है...हा यार उसकी फिगर सेक्सी है (मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो भी मुझे अजीब नजरो से देखने लगा ) लेकिन इसका मतलब ये नही की वो रंडी है ,और हा हो सकता ही की वो लड़को को उत्तेजित कर देती हो ,और उन्हें टीस करती हो पर यार अपनी भाषा सुधारो और कम से कम लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना सीखो ,क्योकि तुम्हारी भी बेटी, माँ ,बीवी,बहन होगी ... ।
जब तुम ही लड़कियों का सम्मान नही करोगे तो तुम दुसरो से कैसे आशा कर सकते हो की वो सम्मान करे ,,और इसी सोच के कारण तुम अपनी बहनों को भी अच्छा काम करने से रोकते होंगे क्योकि तुम्हे लगता है की दूसरे उन्हें इन्ही नामो से बुलाएंगे जबकि तुम्हे भी पता है की वो गलत नही है,,तो पहले खुद को सुधार लो फिर दुसरो से उम्मीद करना ,चल अब एक और चाय बना और एक सिगरेट दे “
मैं हल्के से मुस्कुरा दिया ,किसी का धंधा खराब करना मेरा मकसद बिल्कुल भी नही था ,मेरे चहरे पर मुस्कान देख कर वो भी थोड़ा सा रिलेक्स हुआ और डरते हुए मुझे एक चाय दी….
“तेरा नाम क्या है “ मै उससे पूछा
“साहब भुवन “
“हम्म अच्छा है ,डरने की जरूरत नही है ,और यार बात तो तेरी सही है ऐसी सेक्सी लड़की बवाल तो मचा ही देगी “
वो हल्के से हँसा पर अभी भी थोड़ा सा डर रहा था ...
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मैं फिर से चाय पीता हुआ छत पर अपने गीले बाल सुखाती हुई अपनी प्यारी बीवी कुसुम को निहारने लगा………………।
दिमापुर शहर छोटा था,लेकिन कुसुम के चर्चे बड़े हो गये थे , कुसुम के यहाँ इस नये सेक्सी अवतार के बारे में वैसा अगर सोचा जाये तो चाय वाला ज्यादा गलत नहीं था ।क्योकि जैसे एक डोरी से कटी हुई पतग आसमान मे भटक भटक के धरती पर जा गिरती है ! ठीक उसी तरह पति से अलग रहकर दूसरे शहर में नौकरी करने वाली एक अकेली/छुटेली औरत शुरुआत मे तो वो लोगो की बहुत सहानुबूती बटोरती है परन्तु वक़्त के साथ साथ लोगो की सहानुबूती घृणा मे बदल जाती है ! वो ही लोग उसे उसके पीठ पीछे उसे रंडी और वेश्या बोलते है!!..
ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी...
ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!!
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि
धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में..
वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!!
अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!!
बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!!
लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्योंकि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!!
आखिरकार इस समय मैं भी तो कुसुम को ताड़ने और सेक्सी माल (रांड) कहने वालो के साथ ही खड़ा था....और मुझे भी इसमें कोई भी इंटरेस्ट नही था की कोई क्या कहता है ,मेरे लिए तो यही अच्छा था की मैं किसी के नजर में ना आउ,...। और फिर मै वहा से चुप चाप, उस चाय वाले से छिप कर अपने क्वाटर के गेट के अंदर दाखिल हो गया।
**********
तभी मेरा फोन बजा ,
“हलो “
“हलो अरुण भईया मैं कार्तिक बोल रहा हु “
कार्तिक की आवाज तो मैं पहचान गया था, पर उसका ये नम्बर मेरे पास नही था,
“कैसे हो “ कार्तिक..???
ठीक नहीं हू भईया, आपका काम हो गया हो तो, आज शाम की बस पकड़ कर वापस आ जाओ। वो मुझसे दुखी होते हुए बोला।
तुम टेंशन ना लो, मै कल ही वहा आकर तुझसे और डॉली से मिलता हू.... मैने उसे सात्वाना देते हुए कहा।
ठीक भैया बाय...
बाय..!
जब मै घर के अंदर पहुँचा तो देखा कुसुम बन सवर कर, कही जाने के लिए तैयार खड़ी थी।
मैडम कहाँ जाने का प्लान आज... मैने मुस्कुरा कर पूछा...???
और कहाँ जाऊंगी... सिवाय ऑफिस के..! उसने जबाब दिया।
आज तो इतवार है... आज भी ऑफिस क्यों.. ????
अरे बस दो तीन घंटे का काम है, सालाना ऑडिट रिपोर्ट बनानी है... कुछ खास स्टाफ् को बुलाया है। इतना कह वो मेरे गाल पर एक प्यारी सी चुम्मी देते हुए चली गई।
कुसुम का जबाब सुन मुझे समझ आ गया.. औरत पढ़ लिख कर अगर घर से बाहर काम या नौकरी करेगी, तो हिस्से में एक इतवार भी आयेगा.. जो घर के काम में नही आता....!
कुसुम के जाते ही मैने तुरंत दरवाजा बंद किया.... अब कुसुम का मोबाइल का एक्सेज तो मेरे पास नही था ,और जासूसी तो मुझे करनी ही थी ,मैंने पूरे घर में 5 जगह कैमरे लगा दिए …ऐसे घर में 4 ही कमरे थे ,2 बेडरूम एक हाल और एक किचन...और एक कैमरा मैंने घर के इंट्री में लगा दिया था, सभी को मैं अपने मोबाइल या लेपटॉप से कंट्रोल कर सकता था, मैं अपने पर थोड़ा इतरा कर वँहा से निकल गया…।
रास्ते में ही मैंने कुसुम को फोन कर दिया।
जान मुझे अभी वापस से जाना पड़ रहा है, मम्मी का फोन आया था। वहा पर क्या हुआ है ज्यादा मैं अभी नही कह सकता ,”
“क्या..?? ठीक है ,लेकिन आप तो मेरी जासूसी करने वाले थे क्या हुआ,और मुझे ऐसे खुली छोड़कर जा रहे हो,इस बीच कुछ हो गया तो “
उसकी शरारती आवाज मेरे कानो में पड़ी ,कितनी कमीनी हो गई थी ये ..
“खबरदार ..ऐसे भी तुम कुछ भी करो मुझे उसका पता चल जाएगा ..”मैंने अपनी होशियारी दिखाई ।
“ओहो मिस्टर अरुण कुमार उर्फ प्रोफेसर साहब देखते है ..ऐसे अभी मैने अपने सीनियर शर्मा को तुम्हारे आने के बारे में बताया था और वो तुमसे मिलने के बहाने आज रात का डिनर हमारे घर पर आकर साथ ही करने वाले थे। अब आप नही होंगे तो वो मेरे साथ ही डिनर कर लेंगे, और रात को घर में …”
मेरा खून खोल गया …
मुझे चुप देखकर वो हल्के से हँसी ..
“जली ना.... जली ना....जान ..”वो हँस पड़ी ।
“चुपकर" उस शर्मा के साथ कुछ की तो देखना मैं क्या करता हु “
“अच्छा मैंने क्या किया है आपको कैसे पता चलेगा ..”
“मैं पता कर लूंगा ..”
“देखते है,..बेस्ट ऑफ लक ,और एक चीज जो कभी मत भूलना ..”
वो थोड़ी देर तक शांत रही
“आई लव यू जान ..”उसने पूरी शिद्दत से कहा ,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,मेरी बीवी है तो लाजवाब .....!
“लव यू मेरी जान,..अपना ख्याल रखना कही मुझे जलाने की चक्कर में खुद को मत फंसा लेना “
वो हँस पड़ी
“अगर फंसी तो इतना भरोसा है की आप मुझे निकाल लोगे ,आपके ही दम पर खतरा उठा रही हु ,अब तो आपको भरपूर जलाऊंगी और खुद भी मजे लुंगी ,आप बैठ कर अपना मसलते रहना ..”वो जोरो से हँसी मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान आ गई
“तू बहुत ही बदमाश हो गई है ..”
“आपने ही तो बनाया है ..”
“चलो जाना है लव यू ख्याल रखना ..”
“लव यू मेरी जान आप भी अपना ख्याल रखना और ज्यादा जलना मत..”एक हँसी के साथ हम दोनो थोड़ा इमोशनल हो गए और फोन कट गया… ।
......

जारी है