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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

manu@84

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Bhai manu pyare bohot hi kamuk update tha👌 Gajab ka vivran ki hai aapne is update me chudai ka😁
Great update 👌👌👌👌👌🤯👌
बहुत बहुत शुक्रिया मित्र
 

manu@84

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Nice update
Thanks you dear
 

manu@84

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कुसुम मैडम के बारे मे चाय विक्रेता ने जो कुछ कहा वह गलत नही था । प्रोफेसर साहब ने स्वयं अपनी आंखो से देखा कि उनकी धर्म पत्नी अपने घर के छत पर कैसी वस्त्र धारण किए हुए कार्य कर रही थी ।
उनका वस्त्र इतना पारदर्शी कि मैडम के गिरवर भी दिखाई पड़ रहे थे और गिरवर की चोटी भी ।
ऐसा खुला अंग प्रदर्शन सरेआम भला कौन करता है भई !

प्रोफेसर साहब उस नादान बालक की तरह है जिसे उसके मनपसंद खिलौने देकर खुश किया जा सकता है । कुसुम मैडम अच्छी तरह जानती है कि उसका हसबैंड किस कैरेक्टर का है । वह प्रोफेसर को यदा कदा खुश किए देती है और प्रोफेसर साहब खुशी से गदगद हो जाते है ।

बहुत बढ़िया अपडेट मानु भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
स्त्रियों के अपने घर की छत पर किस तरह वस्त्र पेह्हने चाइये, अब इसका फैसला चाय के ठेले वाले करेंगे 😁। एक मर्द जब सिर्फ लुंगी के छत पर टेहलता तो लोग उसे dude कहते है, किंतु स्त्रियो को nude... वस्त्रो के ऊपर दोहरी मानसिकता मेरे हिसाब से ठीक नहीं।

हर बार की तरह बड़े भाई आपके प्यारे से मंतव्य के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...!
 

manu@84

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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
चाय वाले की बातो पर अरुण को गुस्सा आ गया लेकिन साला खुद अपनी बीवी को दूसरो के साथ सेक्स करवाने के लिए तैयार हैं चाय वाले ने जो कहा वो सच ही कहा था प्रोफेसर ने भी ये देखा था
कुसुम दीमापुर में मजे कर रही है साथ ही अरुण को जला रही है अगर गुस्सा हो गया था थोड़ी बहुत डोज दी और अरुण खुश
बहुत बहुत आभार मित्र... आपका मंतव्य बहुत ही अच्छा लगा...! इसी तरह साथ जुड़े रहिये।

धन्यवाद
 

manu@84

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Profesar sahab aakhir chahte kya h
प्रोफेसर साहब कुछ कर ही तो नही पा रहे हैं 😁 उनकी बीबी छुटेलि कैटेगरी में शामिल होना चाहती है। 😁

आप ने कहानी पर विचार लिखे. तहे दिल से आपको शुक्रिया... इसी तरह साथ देती रहे।

धन्यवाद
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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और इसी के साथ यह अद्भुत और रोमांचक आउट डोर सेक्स समाप्त हुआ, घर से दूर, बाहर खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में किया सम्भोग हम दोनों के लिए ही एक यादगार अनुभव है और रहेगा ! मुझे उसकी यह बेकरारी और बिंदास स्वागत भूले नहीं भूलता।

सब कुछ खुशहाली से हुआ था, पति पत्नी की काम वासना का मिलन खुले आसमान में जोरो में हुआ था। कुसुम की खुशी उस रात मुझे बिस्तर में भी दिखाई दे रही थी, उसका जिंदगी में बहुत पैसा कमाने का सपना पूरा होना भी चालू हो चुका था, और घर के आसपास के लोग कुसुम को बड़ा अफसर समझते थे ,क्योकि वो सबको बड़ा ही रौब झाड़ कर बात करती थी , खासकर के आसपास के नवजवान लड़के , कुसुम का मस्ताना और मादक शरीर को देखकर सबको उसे अपना बनाने की हसरत पैदा हो जाती और उन्हें कुसुम के घर के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देती।

ये बात मुझे पता चली अगले दिन मैं जब सुबह 10-11 बजे ऐसे ही कुसुम के क्वाटर (सरकारी आवास) के सामने टहलता हुआ चाय पीने चला गया ,ऐसे भी घर में काम तो कुछ खास नही था, और मैं घर में कुर्सियां तोड़ता हुआ बोर हो रहा था।

क्वाटर के सामने वाले ही चाय ठेले की टपरी में पहुचा वहां वो टपरी वाला मुझे नही पहचानता था….।

“एक चाय पिलाओ ,और एक सिगरेट” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,

“साहब बैठिए ना “

उसने एक कुर्सी आगे की ,वहाँ अधिकतर सभी सरकारी कुवाटरों में रहने वाले कर्मचारी चाय पीने आते थे , पास में ही एक दो कॉलेज भी था, जिसके अधिकतर लड़को के लिए वो अड्डा हुआ करता था, इसलिए वहां थोड़ी भीड़ भी थी, चाय वाला भी मेरी ही उम्र का रहा होगा शायद मुझसे कुछ कम ही रहा होगा और उसकी कमाई शायद मुझ 'प्राइवेट कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर से भी ज्यादा' थी।

वहां का माहौल देखकर मुझे मेरे कॉलेज के दिन याद आ गए,कॉलेज गोइंग लड़को की वहां भीड़ लगी थी ,जो लगभग हमेशा लगी रहती थी , इसलिए उसे पुलिस और नगर निगम के लोगो को भी पैसे खिलाने पड़ते थे,

“यार मेरे लिए तू लेमन टी बना ,अच्छी मसाला वाली “

“जैसा आप कहे सर “

मैं चाय और सिगरेट पीता हुआ फिर से उन्ही कालेज के दिनो में पहुच गया , कि अचानक से मेरी नजर रोड के उस पार अपने क्वाटर की छत पर ट्रांसपेरेंट मैक्सी पहनी हुई गीले कपड़ो को डोरी पर सूखने के लिए डालती हुयी अपनी बीवी कुसुम पर पड़ी,

कुसुम शायद नहा कर आई थी उस ने अंदर ब्रा नही पहने हुयी थी जिससे उसके मैक्सी में निप्पल की बड़ी बड़ी चुचुक दूर से ही नजर में आ रही थी और गीले कपड़ो को फटकार लगाते हुए इस तरह डोरी पर डाल रही थी कि उसके बड़े बड़े उरोज उछल कूद कर रहे थे।

मैं कुसुम को बड़ी ही प्यारी नजरो से निहार रहा था की वो चायवाला बोल पड़ा ,

“अरे सर इसने तो तबाही ही मचा दी है यहां रहकर.... जो लौण्डे कभी चाय सिगरेट् के नाम सुनकर भी मुह बनाते थे साले सजधज कर सुट्टा मारने आते है , इसने तो यहाँ बवाल ही मचाया हुआ है ,साली रांड कही की “

मेरा दिमाग फिर गया ,इस मादरचोद की इतनी औकात की ये मेरे सामने मेरी ही बीवी को ….लेकिन उसे थोड़ी ना पता होगा की ये मेरी बीवी है नही तो ये हिमाकत वो नही करता..

“तमीज से बात करो ,एक औरत है वो …”मेरे चहरे पर गुस्से के भाव साफ दिखे जिसे देखकर वो डर ही गया …

“अरे साहब आप तो गुस्सा हो गए मेरा वो मतलब नही था ,असल में मैं एक छोटे से जगह से आया हुआ हु और यहां इतने सालो से मैं ये काम कर रहा हु पहली बार ये हुआ है की कोई शादी शुदा औरत को ऐसे कपड़ो में देखता हु, और जब ये अपनी नौकरी पर जाती है तो इसकी ब्लाउस में एक एक चूचे बाहर निकलते हुए साफ साफ दिखाई देते है। अब आप ही बताओ ना साहब ,सभी लड़के उसे घूरते रहते है , कोई कही इसके चूचे पर कुछ कॉमेंट करता है, तो कोई कही इसकी स्कूटर की स्टेपनी जितनी बड़ी बड़ी गांड पर , सब कुछ तो इसके कपड़ो से दिखता है ,


और साहब मेरी तपरी पर भी लड़को की भीड़ देख कर.. रोज रोज आ जाती है कभी नॉन खटाई बिस्किट लेने, कभी चिप्स लेने, इतना पैसा कमाती है फिर भी पांच पांच रु की सौदा के लिए 10-15 मिनिट तक यहाँ खड़ी होकर खिच खिच करती हैं। भले घर की औरतो को क्या ये सब सोभा देता है और साथ में ये और आसपास के क्वाटर में रहने वाली औरतो/लड़कियों को भी बिगाड़ रही है , रोज ऑफिस जाती किसी जवान लड़के के साथ और वापस आती है आप जैसी उम्र के आदमी के साथ। ना जाने कितने खसम पाल रखे है। इस औरत ने तो साला सरकारी क्वाटर को रंडी खाना बना के रखा है “

उस चाय वाले की इतनी छोटी सोच ने मेरा दिमाग ही घुमा दिया ,मैं वहां से उठा और उसका कांच का गिलास जोरो से फोड़ दिया,उसके पसीने छूटने लगे, शायद वो ये भी समझ रहा था की मैं 'एक सरकारी अधिकारी' हु,,और उसका ये टपरी सरकारी महकमे के कृपा से ही चल रहा है ,मैं अगर चाहू तो एक कंप्लेन से ही उसका ये टपरी उखाड़वा सकता हू।


“साहब गलती हो गयी ,दो जूते मार लो पर माफ कर दो ऐसे गुस्सा मत हो साहब “
“गुस्सा मैं तुझपर नही तेरी सोच पर हु,इसीलिए हमारी औरते अपनी मर्जी से कही जा नही सकती ,कुछ पहन नही सकती ,वो तो अच्छा काम करना चाहती है पर तुम जैसी सोच के लोगो के कारण बेचारियों को हर जगह बस ताने मिलते है और साथ में छेड़छाड़ का शिकार होती है ,वो जो भी पहने मुझे ये बता जो यहाँ तेरी तपरी पर उसे देखने आते है वो गलत हुए या जो पहनती है वो ….????

साले देखना ही बन्द कर दो ना तुम्हे देखना भी घूर कर है और साथ ही दोष भी तुम लड़कियों पर ही लगाते हो ...आज के बाद तेरे मुह से ऐसे शब्द सुना तो तू और तेरा टपरी दोनो उठवा दूंगा “

मेरे इस कदम से वहां लोगो की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी ,मैंने आगे कहा,इस बार मेरी आवाज थोड़ी धीरे और समझाने वाला लहजा था ,

“देखो लड़की या औरत को देखना गुनाह नही है ,ये तो स्वाभाविक है,लेकिन ऐसी धारणा बहुत गलत है...हमे अपने को देखना चाहिये की हम क्या करते है...हा यार उसकी फिगर सेक्सी है (मेरे चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,वो भी मुझे अजीब नजरो से देखने लगा ) लेकिन इसका मतलब ये नही की वो रंडी है ,और हा हो सकता ही की वो लड़को को उत्तेजित कर देती हो ,और उन्हें टीस करती हो पर यार अपनी भाषा सुधारो और कम से कम लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना सीखो ,क्योकि तुम्हारी भी बेटी, माँ ,बीवी,बहन होगी ... ।

जब तुम ही लड़कियों का सम्मान नही करोगे तो तुम दुसरो से कैसे आशा कर सकते हो की वो सम्मान करे ,,और इसी सोच के कारण तुम अपनी बहनों को भी अच्छा काम करने से रोकते होंगे क्योकि तुम्हे लगता है की दूसरे उन्हें इन्ही नामो से बुलाएंगे जबकि तुम्हे भी पता है की वो गलत नही है,,तो पहले खुद को सुधार लो फिर दुसरो से उम्मीद करना ,चल अब एक और चाय बना और एक सिगरेट दे “

मैं हल्के से मुस्कुरा दिया ,किसी का धंधा खराब करना मेरा मकसद बिल्कुल भी नही था ,मेरे चहरे पर मुस्कान देख कर वो भी थोड़ा सा रिलेक्स हुआ और डरते हुए मुझे एक चाय दी….

“तेरा नाम क्या है “ मै उससे पूछा

“साहब भुवन “

“हम्म अच्छा है ,डरने की जरूरत नही है ,और यार बात तो तेरी सही है ऐसी सेक्सी लड़की बवाल तो मचा ही देगी “

वो हल्के से हँसा पर अभी भी थोड़ा सा डर रहा था ...

**********

मैं फिर से चाय पीता हुआ छत पर अपने गीले बाल सुखाती हुई अपनी प्यारी बीवी कुसुम को निहारने लगा………………।

दिमापुर शहर छोटा था,लेकिन कुसुम के चर्चे बड़े हो गये थे , कुसुम के यहाँ इस नये सेक्सी अवतार के बारे में वैसा अगर सोचा जाये तो चाय वाला ज्यादा गलत नहीं था ।क्योकि जैसे एक डोरी से कटी हुई पतग आसमान मे भटक भटक के धरती पर जा गिरती है ! ठीक उसी तरह पति से अलग रहकर दूसरे शहर में नौकरी करने वाली एक अकेली/छुटेली औरत शुरुआत मे तो वो लोगो की बहुत सहानुबूती बटोरती है परन्तु वक़्त के साथ साथ लोगो की सहानुबूती घृणा मे बदल जाती है ! वो ही लोग उसे उसके पीठ पीछे उसे रंडी और वेश्या बोलते है!!..

ऐसी औरतें शादी करके सबसे पहले पति को इस बात के लिए राज़ी करती हैं कि मैं भी गृहस्थी में आपके साथ हाथ बटाउंगी और मैं भी कोई काम-काज करूंगी...
ताकि उन्हें घर से बाहर निकलने का मौका मिले और वो अपने आशिकों से मिल-जुल सकें..!!

कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि
धन की भूखी लालची लड़कियां जहां काम करती हैं, वही अपने से बड़े कर्मचारी या अधिकारी पर ही डोरे डालने लगती हैं... जबकि वो अच्छी तरह जानती है कि वो भी शादीशुदा व्यक्ति हैं फिर भी...लगी रहती हैं उसको रिझाने में..

वो भी सिर्फ इसलिए ताकि तरक्की/प्रमोशन हो जाएं... मेरे पैसे बच जाएं और वो ही सारे मेरे शौक और ब्रांडेड कपड़े, मेकअप और घूमने फिरने का खर्च पूरे करें...!!

अपने फायदे के लिए किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाने पर इन्हें कोई अफसोस नहीं होता है....!!

बाकी गृहणियों की तरह इनकी सोच नही होती है क्योंकि इनको मर्यादा में रहना गंवार पन लगता है...!! संस्कारी गृहणियों को ये गुलाम समझती हैं..!!

लिव इन रिलेशनशिप में रखैल बनकर रह लेंगी मगर इज्जत से ससुराल में नही रह पाएंगी क्योंकि... ससुराल में मर्यादा से रहना पड़ता है और बड़े-बुजुर्गों की रोक-टोक एवं हिदायतें सुननी पड़ती हैं..!!

आखिरकार इस समय मैं भी तो कुसुम को ताड़ने और सेक्सी माल (रांड) कहने वालो के साथ ही खड़ा था....और मुझे भी इसमें कोई भी इंटरेस्ट नही था की कोई क्या कहता है ,मेरे लिए तो यही अच्छा था की मैं किसी के नजर में ना आउ,...। और फिर मै वहा से चुप चाप, उस चाय वाले से छिप कर अपने क्वाटर के गेट के अंदर दाखिल हो गया।

**********

तभी मेरा फोन बजा ,

“हलो “

“हलो अरुण भईया मैं कार्तिक बोल रहा हु “
कार्तिक की आवाज तो मैं पहचान गया था, पर उसका ये नम्बर मेरे पास नही था,

“कैसे हो “ कार्तिक..???

ठीक नहीं हू भईया, आपका काम हो गया हो तो, आज शाम की बस पकड़ कर वापस आ जाओ। वो मुझसे दुखी होते हुए बोला।

तुम टेंशन ना लो, मै कल ही वहा आकर तुझसे और डॉली से मिलता हू.... मैने उसे सात्वाना देते हुए कहा।

ठीक भैया बाय...

बाय..!

जब मै घर के अंदर पहुँचा तो देखा कुसुम बन सवर कर, कही जाने के लिए तैयार खड़ी थी।

मैडम कहाँ जाने का प्लान आज... मैने मुस्कुरा कर पूछा...???

और कहाँ जाऊंगी... सिवाय ऑफिस के..! उसने जबाब दिया।

आज तो इतवार है... आज भी ऑफिस क्यों.. ????

अरे बस दो तीन घंटे का काम है, सालाना ऑडिट रिपोर्ट बनानी है... कुछ खास स्टाफ् को बुलाया है। इतना कह वो मेरे गाल पर एक प्यारी सी चुम्मी देते हुए चली गई।

कुसुम का जबाब सुन मुझे समझ आ गया.. औरत पढ़ लिख कर अगर घर से बाहर काम या नौकरी करेगी, तो हिस्से में एक इतवार भी आयेगा.. जो घर के काम में नही आता....!

कुसुम के जाते ही मैने तुरंत दरवाजा बंद किया.... अब कुसुम का मोबाइल का एक्सेज तो मेरे पास नही था ,और जासूसी तो मुझे करनी ही थी ,मैंने पूरे घर में 5 जगह कैमरे लगा दिए …ऐसे घर में 4 ही कमरे थे ,2 बेडरूम एक हाल और एक किचन...और एक कैमरा मैंने घर के इंट्री में लगा दिया था, सभी को मैं अपने मोबाइल या लेपटॉप से कंट्रोल कर सकता था, मैं अपने पर थोड़ा इतरा कर वँहा से निकल गया…।

रास्ते में ही मैंने कुसुम को फोन कर दिया।

जान मुझे अभी वापस से जाना पड़ रहा है, मम्मी का फोन आया था। वहा पर क्या हुआ है ज्यादा मैं अभी नही कह सकता ,”

“क्या..?? ठीक है ,लेकिन आप तो मेरी जासूसी करने वाले थे क्या हुआ,और मुझे ऐसे खुली छोड़कर जा रहे हो,इस बीच कुछ हो गया तो “

उसकी शरारती आवाज मेरे कानो में पड़ी ,कितनी कमीनी हो गई थी ये ..

“खबरदार ..ऐसे भी तुम कुछ भी करो मुझे उसका पता चल जाएगा ..”मैंने अपनी होशियारी दिखाई ।

“ओहो मिस्टर अरुण कुमार उर्फ प्रोफेसर साहब देखते है ..ऐसे अभी मैने अपने सीनियर शर्मा को तुम्हारे आने के बारे में बताया था और वो तुमसे मिलने के बहाने आज रात का डिनर हमारे घर पर आकर साथ ही करने वाले थे। अब आप नही होंगे तो वो मेरे साथ ही डिनर कर लेंगे, और रात को घर में …”

मेरा खून खोल गया …

मुझे चुप देखकर वो हल्के से हँसी ..

“जली ना.... जली ना....जान ..”वो हँस पड़ी ।

“चुपकर" उस शर्मा के साथ कुछ की तो देखना मैं क्या करता हु “

“अच्छा मैंने क्या किया है आपको कैसे पता चलेगा ..”

“मैं पता कर लूंगा ..”

“देखते है,..बेस्ट ऑफ लक ,और एक चीज जो कभी मत भूलना ..”

वो थोड़ी देर तक शांत रही

“आई लव यू जान ..”उसने पूरी शिद्दत से कहा ,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,मेरी बीवी है तो लाजवाब .....!

“लव यू मेरी जान,..अपना ख्याल रखना कही मुझे जलाने की चक्कर में खुद को मत फंसा लेना “

वो हँस पड़ी

“अगर फंसी तो इतना भरोसा है की आप मुझे निकाल लोगे ,आपके ही दम पर खतरा उठा रही हु ,अब तो आपको भरपूर जलाऊंगी और खुद भी मजे लुंगी ,आप बैठ कर अपना मसलते रहना ..”वो जोरो से हँसी मेरे चहरे पर भी एक मुस्कान आ गई

“तू बहुत ही बदमाश हो गई है ..”

“आपने ही तो बनाया है ..”

“चलो जाना है लव यू ख्याल रखना ..”

“लव यू मेरी जान आप भी अपना ख्याल रखना और ज्यादा जलना मत..”एक हँसी के साथ हम दोनो थोड़ा इमोशनल हो गए और फोन कट गया… ।

......✍️जारी है
Shandar update or jandar likhai ✍️
Rehdi wale ke sath nok jhok or uske baad ek lamba bhasan dono ko padh ke maza aaya😁. Poora update padh ke lagta hai ki kusum kuch to gul khilayegi.🤔 dekhte hai arun use pakad pata hai ya nahi. :D
Awesome update again 👌👌👌👌👌:perfect:
 
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manu@84

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Shandar update or jandar likhai ✍️
Rehdi wale ke sath nok jhok or uske baad ek lamba bhasan dono ko padh ke maza aaya😁. Poora update padh ke lagta hai ki kusum kuch to gul khilayegi.🤔 dekhte hai arun use pakad pata hai ya nahi. :D
Awesome update again 👌👌👌👌👌:perfect:
Thanks you so much dear friend
 

manu@84

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Sahi Jaa Rahe
Ho

Lagta Hai Ab Kuch
Masaledar Hone WaLLa Hai 🔥👌
बहुत बहुत शुक्रिया मित्र, वैसे अब कहानी जल्द ही अपने सही मुकाम पर जाने वाली है। इसी तरह साथ बने रहिये। धन्यवाद
 

manu@84

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अध्याय - 24 --- " आख़िर क्यों ""


“लव यू मेरी जान आप भी अपना ख्याल रखना और ज्यादा जलना मत..”एक हँसी के साथ हम दोनो थोड़ा इमोशनल हो गए और फोन कट गया… ।

अपने घर पहुँच कर मैंने फोन उठा के कुसुम को डायल किया लेकिन मेरे दिल में अजीब सी कसक उठी की अभी मेरी जान क्या कर रही होगी,अगर मैंने उसे ये बता दिया की उसकी रिकॉर्डिंग चालू है तो कुसुम कैमरे बंद कर देगी, मैंने उसे कुछ न बताने और चुपके से उसके लाइव विडिओ को देखने का प्लान बना लिया...।

रात को वो अकेली ही थी, शायद शर्मा के साथ dinner वाली बात उसने मुझे जलाने के लिए बताई थी। सफर की थकान से मै भी बेचिंत होकर कुसुम को बिस्तर पर सोता देख मै भी सो गया। सुबह जब मै सो कर उठा तो मैं आदत के मुताबिक तैयार हुआ लेकिन लेपटॉप को देखकर उसे खोल कर विडियो रिकाडिंग चालू कर दी,मैं बस चेक कर रहा था लेकिन जल्बाजी में उसे बंद करना भूल गया और नास्ता करने चला गया, मुझे क्या पता था की ये छोटी सी गलती मेरे जीवन का नया अध्याय लिखने वाली है।

वापस जब कमरे में आया और वीडियो में देखा तो सोकर उठने के बाद कुसुम नहाने चली गयी जब वो गिले बालो के साथ बाथरूम में से निकली जैसे कोई ओश की बूंद ताजा हरी घास पर अटखेलिया कर रहा हो,मेरे सामने कुसुम के रूम का पूरा नजारा था पर मैं अपने जान के चहरे को देखकर दीवाना हो रहा था, उसकी लाली ताजा सेब की तरह, टबेल में लिपटी हुई बलखाती कमर उन्नत वक्ष जो तोलिये मे लिपटे हुए भी अपने शबाब की झलक दिखा रहे थे।

उसने अंग अंग को आईने में निहारा और बड़ी शरमाते हुए अपने कपडे उठा लिए मुझे लगा था की वो अपना तोलिया गिरा देगी लेकिन उसकी शर्म ने मेरी जान की इज्जत मेरी नजरो में और बढ़ा दी,वो अकेले में भी अपने नग्नता से शर्मा रही थी, वही नग्नता जिसका भोग मै महीनों से करता आ रहा था,उसने बड़े सलीके से अपनी साड़ी पहन ली और पुरे मनोयोग से सजने लगी,उसने गहरा सिन्दूर अपने माथे में लगाया और चूडियो को हाथो में डाल कर चूम लिया ये देख मेरे दिल में ऐसा प्यार जगा की अभी फोन कर उसे चूम लू।


जब वो सजके तैयार हो गयी तो उठकर बिस्तर के पास आई और मेरी और उसकी फोटो को उठा कर चूम लिया मेरा दिल तो भर आया की कोई किसी को इतना प्यार कैसे कर सकता है,वो कमरे से बहार किचिन मे चली गयी और मैं अपनी ही सोच में डूब गया,की मैं कितना खुश किस्मत हु,लगभग 1 घंटे तक कमरा खाली रहा।

लेकिन अचानक किसी के हसने की आवाज आई मैं विडिओ फॉरवर्ड करके देख रहा था लेकिन कुछ परछाई सी कमरे में हुई जैसे कोई हाल में चल रहा हो,मैंने विडिओ फिर से देखा मुझे आवाजे भी सुनाई दी, जैसे कुसुम हँस हस कर वीडियो काल पर चलते हुए बातें कर रही है...मेरा माथा खनका,मैंने कुछ बुरा नहीं सोचा था न ही सोचना चाहता था,पर ये अजीब था,क्योंकि मेरी बीवी कुसुम किसी गैर मर्द से वीडियो काल पर ऐसे हँस हस कर बातें कर रही थी।

लगभग 1 घंटे के सन्नाटा के बाद, कुसुम रूम में आई आते ही उसने मेरे फोटो को ऐसे ही चूमा जैसे जाने के पहले,उसके चहरे में संतोष के भाव थे तब......वो फिर से बाथरूम चली गयी और घर में ताला लगाकर शायद ऑफिस चली गई,.....।

इस विडियो ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया दिल कुछ गलत सोचने से भी इंकार कर रहा था पर दिमाग ने एक अंतर्द्वंद की स्तिथि पैदा कर दी थी, कुसुम का प्यार महसूस कर और देखकर मैं सोच भी नही पा रहा था की वो मुझे कभी धोखा भी देगी,मैंने आँखों देखि साँच पर ही विश्वाश करने की ठान ली,और भगवान से दुआ की की मेरा दिमाग गलत हो,..........।

और इधर मेरा दोस्त कार्तिक मुझ पर जल्दी ही ‘कुछ’ करने का दबाव बनाने लगा और मैं भी अब कुछ करने को बैचैन हो रहा था क्यूँकि उसकी बीवी डॉली वाकयी बहुत ही हसीन और सेक्सी थी इसमें कोई शक नहीं था और ऊपर से भोली-भाली और निहायत शर्मीली भी ! अगले दिन से मैने अपने मित्र कार्तिक के घर शाम के समय उसकी पत्नी डॉली को कार driving सिखाना शुरु कर दिया।

कुछ बातें मैं संक्षेप में बता देता हूँ, उनके पास एक पुरानी वेगन आर कार थी जिसमे डॉली को मैंने ले जाना शुरू किया, उसका ध्यान सही में ड्राइविंग में था और मेरा उसमें, मुझे उसको छूने पकड़ने के बहुत मौके मिलते थे, शुरू में उसे अज़ीब लगा उसने कार्तिक को भी इस बारे में मेरी शिकायत कि पर उसने नज़रअंदाज़ भी किया और उसे कहा भी कि ‘अरुण ऐसा ही है और फिर तुम अपना मतलब देखो कार सीखने का और थोड़ी बिंदास बनो !’ और फिर उसे ड्राइविंग में मज़ा भी आ रहा था और धीरे धीरे डॉली को मेरा हंसी मज़ाक, मेरा बिंदास व्यवहार पसंद भी आने लगा।

किसी छिनार के साथ बैठने से भी ज्यादा मज़ा डॉली के साथ चिपक कर बैठने उसे छूने और उसके साथ शरारतें करने में आ रहा था मुझे, पर यह सब कार्तिक नहीं देख पा रहा था क्यूंकि वेब कैम तो घर में लगे हुए थे।

आखिर कार्तिक के दवाब के आगे झुकते हुए मैंने एक दिन सच में डॉली के वक्ष-उभार दबा ही दिए ! हुआ यूँ कि उससे सीट-बेल्ट नहीं लग रही थी, वो परेशान होकर बोली- न जाने क्यूँ नहीं लग रही? सीट-बेल्ट छोटी है शायद !

मैंने शरारत से उसके बूब्स दबाते हुए कहा- सीट-बेल्ट छोटी नहीं है मैडम, तुम्हारे ये चूचे बहुत बड़े बड़े हैं, एकदम मस्त और टाइट।

वो हक्की-बक्की रह गई और ‘धत्त !!! ये क्या कर रहे हो?’ कहते हुए मेरा हाथ हटा दिया।

मैंने कहा- इसमें गलत क्या कहा मैंने? ये तो नारी की सुंदरता के ‘उभार’ हैं !

वो बोली- मुझे ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती !

मैं चुप हो गया और फिर उस दिन कुछ नहीं बोला और अगले दिन से डॉली के पास जाना बंद कर दिया। यह बात कार्तिक को बता भी दी वो बोला कि इंतज़ार करो, डॉली खुद ही मुझे बुलाएगी।

इस से मुझे थोड़ी आस बँधी कि शायद मुझे कल कोई डॉली का मैसेज या काल से इशारा मिल जाएगा. मगर कयि दिनो के इंतज़ार के बाद भी ना उम्मीदी और हताशा ही हाथ आई. आख़िरकार एक साप्ताह बाद मैने हार मान ली, शायद इस विषय पर हम दोनों दोस्त आपस में अब ज्यादा बातचीत नही कर सकते थे.

कार्तिक से उम्र में बड़ा और अधिक समझदार होने के कारण मैने भी बढ़ावा देने की बजाए चुप रहने में ही भलाई समझी, और कार्तिक ने भी शायद कोई इशारा ना देकर उसने मुझे उसकी पत्नी से दूर रहने का संकेत दिया था. खैर कुछ भी हो अब वो विषय बंद हो चुका था. अंत में जब मैने एक साप्ताह गुजर जाने के बाद उसके इशारे की उम्मीद छोड़ी तो मेरा मन कुछ शांत पड़ गया था. मैं अपने सपनो, अपनी रंग बिरंगी काल्पनिक दुनिया में लौट गया जहाँ कार्तिक की बीवी डॉली की मौजूदगी अब बहुत कम हो गयी थी और मैं अब सिर्फ़ अपनी बीवी कुसुम को ही छिपे केमरो में देख कर अपनी सपनो की ख़याली दुनिया में मुट्ठ मारता. और यह थोड़ा अच्छा भी था क्योंकि 'मैं कम से कम खुद को किसी मन पसंद स्त्री के द्वारा ठुकराया हुआ महसूस तो नही करता था'.

मेरी यह चुप्पी मेरी असली ज़िंदगी में भी दिखाई देने लगी थी. मेरी लाडो रिंकी का ध्यान भी इस ओर गया और कुछ दिनो बाद जब हम खाना खा रहे थे तो उसने पूछा " पापा तुम ठीक तो हो?"

"मैं ठीक हूँ" मेने जवाब दिया "बस यह हल्का सा सरदर्द कयि दिनो से परेशान कर रहा है"

उस रात जब मैं अपने बेड में लेटा हुआ था तो वो मेरे कमरे में आई. उसके एक हाथ में पानी का गिलास था और दूसरे हाथ में कुछ देसी दवाई थी जिसका नुस्ख़ा मेरे पूज्य पिताजी ने इज़ाद किया था.

"यह लो, इससे तुम्हे राहत मिलेगी. मेरे सरदर्द में मुझे हमेशा इससे आराम आता है" दोनो चीज़ें मुझे पकड़ाते हुए वो बोली.

"मेरे सरदर्द" उसका क्या मतलब था मैं नही जानता था. या तो उसे मेरे जैसा सिरदर्द था जिसका मतलब उसे भी मेरे वाली ही बीमारी (मनपसंद पुरुष से ठुकराई हुई लड़की) थी. या वो साधारण सरदर्द की बात कर रही थी और वो बस मेरी बेटी होने के नाते मेरी मदद कर रही थी.

उस रात सपना देखते हुए मेरे जिस्म से असीम वीर्य निकला जब मैं अपनी बेटी को सपने में चोदते हुए उस गहराई तक पहुँच गया. अपनी बेटी के साथ चुदाई के सपने देखना ठीक था मगर उसे असलियत में करना मेरे लिए ठीक नही था.

अगली सुबह मैं देर तक सोता रहा. वो मेरे रूम में आई और मेरे पास बैठ गयी.

"कुछ फरक पड़ा?' उसने पूछा.

मैं उसके जिस्म से निकलने वाली गर्मी को महसूस कर रहा था. वो मेरे इतने नज़दीक बैठी थी कि मेरा दिल करता था कि हाथ आगे बढ़ा कर बस उसे छू लूँ. "नही अभी भी पहले जैसा ही है" मेने उसे जवाब दिया

उसने हाथ बढ़ा कर मेरे माथे को छुआ और बोली "शुक्र है तुम्हे बुखार नही है, इसलिए चिंता मत करो जल्दी ठीक हो जाओगे"

उसका हाथ नाज़ुक और गरम महसूस हो रहा था. हाथ की कोमलता का एहसास बिल्कुल नया था. ना जाने कितने समय बाद हम दोनो किसी शारीरिक संपर्क में आए थे. और हमारे बीते दिनों की घटनाओ के बाद मेरी बेटी का स्पर्श बहुत सुखद था.

आज सुबह के नाश्ते समय एक अजीब सी शांति थी, कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। मै चोरी छुपे रिंकी की छाती पर नज़र फिरा कर टॉप के अंदर तक झांक लेना चाहता था।

वहीं रिंकी भी जानती थी कि पापा क्या देख रहे हैं। आज वो ज्यादा तन कर बैठी थी।
पापा देख रहे हैं इसलिए वो शेप खराब नही होने देना चाहती।

नाश्ता कर मै उठा और रोजाना की तरह अपने कॉलेज का बैग लेकर ड्यूटी पर जाने से पहले रिंकी से बाय बाय किया लेकिन आज उसके नजदीक जाते समय बाय करते वक़्त मैने रिंकी के गाल पर हाथ भी फिरा दिया।

उसी दोपहर जब मै कॉलेज में लेक्चर दे रहा था मेरे पिताजी का फोन आया वो और मम्मी किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ 'गमी' में जा रहे थे और अगले दिन सुबह तक वापिस आने वाले थे। ये मौका मेरे लिए "आज नही तो कभी नही" वाला था।


जारी है.... ✍️
 
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