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Horror कामातुर चुड़ैल! (Completed)

Darkk Soul

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#अपडेट १८

अब तक आपने पढ़ा -



उस मार्ग से आगे जाते ही युविका के सामने एक नदी आई जिसमे मगरमच्छ भरे हुए थे। जिसे देख युविका ने तुरंत ही अपने बाणों से सबको भेद कर पर जाने के लायक रास्ता बना लिया। और जैसे ही युविका ने नदी के दूसरे किनारे पर पैर रखा, उसे एक जोरदार अट्टहास सुनाई दिया ......

अब आगे -

वो अट्टहास सुनते ही युविका ने बिना डरे हुए आगे बढ़ना जारी रखा, तभी उसे सामने आ एक विचित्र जीव आता दिखा जिसका ऊपर आधा धड़ मनुष्य का था और नीचे का घोड़े के जैसा, वो अपने हाथों में एक तलवार पकड़े हुए अट्टहास करते हुए, बड़ी तेजी से युविका की ओर बढ़ रहा था। उसे देखते ही युविका कुछ मंत्रों का उच्चारण करने लगी और तभी उसके हाथ में एक तलवार आ गई जिससे बिजलियां निकल रही थी। युविका भी तेजी से दौड़ते हुए उस जीव की ओर भागी और उछलते हुए उसके मस्तक के बीचों बीच अपनी तलवार से प्रहार किया। उस जीव ने भी अपनी तलवार को आगे कर युविका के बार को रोकने की कोशिश की, मगर युविका की तलवार ने न सिर्फ उसकी तलवार, बल्कि उसके मस्तक के भी २ टुकड़े कर दिए।


ऐसा करते ही वो जीव एक चमक के साथ गायब हो गया। और जंगल से एक व्यक्ति निकला जो अघोरी के जैसे दिखता था।


"अदभुत बालिके, तुमने यहां तक पहुंच कर मेरे सारे तिलिस्म तोड़ दिए।" उस अघोरी ने कहा। "कौन हो तुम, और क्या चाहती हो इस बियाबान में आ कर, देखने में तो तुम किसी राज्य की राजकुमारी लगती हो।"


"जी सही पहचाना आपने, युविका ने कहा, "मैं महेंद्रगढ़ के महराज सुरेंद्र की पुत्री युविका हूं, और आपके आशीर्वाद की आकांक्षा ले कर आई हूं।"


"अच्छा तुम ही वो हो, भैरवी के तप का फल। पर अब मेरा आशिर्वाद क्यों चाहिए? अघोरी वैसे भी किसी को कोई आशीर्वाद नही देता।"


"गुरुजी, आशीर्वाद न सही कम से कम अपनी शिष्या बना लीजिए।"


"पर एक राजकुमारी को भला एक अघोरी की शिष्या क्यों बनना है, एक अघोरी की शक्तियां जिन चीजों को पाने के लिए होती है वो राजकुमारी जी आके पास पहले से ही है, धन, राज्य और क्या ही चाहिए होता है है किसी को अघोरी की शक्तियां प्राप्त करके?"


"प्रेम गुरुवर, प्रेम पाना चाहती हूं आपकी शक्तियों द्वारा।"


बटुकनाथ ये सुन कर मुस्कुरा देता है।


"खैर, अभी आश्रम में चलो, शाम हो रही है, हम सुबह बात करेंगे। चलो और कुछ खा लो, मुझे पता होता की राजकुमारी जी आने वाली हैं तो कुछ अच्छा बनवाता पर अभी तो कुछ कच्चे पक्के से ही काम चलाना होगा।"


अगली सुबह बटुकनाथ युविका को ले कर अपने साधना कक्ष में बैठ कर बात करने लगे।



"तो पुत्री, तुम्हे लगता है कि तुम काली शक्तियों की सिद्ध करके प्रेम को पा सकती हो?" बटुकनाथ ने युविका से पूछा।


"कम से कम जिससे प्रेम करती हूं उसे अपने बस में करके तो खुद को प्रेम करवा सकती हूं।" युविका ने जवाब दिया।


"मतलब तुम उसके शरीर से प्रेम करती हो बस, उसके दिल, उसकी आत्मा से तुम्हे कोई प्रेम नही है। बस शरीर ही पाना है तुमको?"


"नही, मैं तो उसे हर तरीके से प्रेम करती हूं।"


"तो उसको वश में करके तो तुम सिर्फ उसके शरीर को ही प्राप्त कर पाओगी, उसका हृदय और आत्मा तो तुम्हारे बस में नही ही आयेगी न।" बटुकनाथ ने कहा। "इसीलिए पुत्री ये हठ छोड़ो और जाओ जिस उद्देश्य के लिए तुम्हारे मां पिताजी और भैंरवी ने तप करके तुमको प्राप्त किया था, उसे पूरा करो, और विश्वास रखो, अगर जो तुम्हारा प्रेम सच्चा है तो वो तुम तक स्वयं आएगा, ऐसे हथकंडों से तुम उससे और दूर ही होती जाओगी।"


ये कह कर बटुकनाथ ने युविका को वहां से जानेका इशारा किया।


युविका निराशा से भरी हुई आश्रम से वापस चली गई।


जब युविका जंगल से बाहर निकली तभी उसे एक और अघोरी मिला जो लगभग बटुकनाथ की ही उम्र का था, और वो युविका को देखते ही उसे नाम से पुकारता है।


"राजकुमारी युविका, आपको हर जगह से निराशा ही हाथ लगी न?"



युविका चौंकते हुए, "कौन हैं आप, और मुझे कैसे जानते हैं?"


अघोरी, "में भी एक अघोरी हूं, लेकिन बटुकनाथ के जैसा जालसाज नही हूं, वो तो अघोरी के नाम पर एक जादूगर है बस, असली काली शक्तियों के बारे में वो सही से जनता तक नही है राजकुमारी, वो भला तुम्हारी कैसे मदद करता। आपको जो चाहिए वो शक्तियां मैं तुम्हे दिलवा सकता हूं।"


युविका, "लेकिन आप हैं कौन? और मैं कैसे भला आप पर भरोसा करूं?"


अघोरी, "मेरा नाम संपूर्णानंद हैं, और मैं बटुकनाथ का गुरुभाई हूं। हम दोनो ने एक ही गुरु से शिक्षा ली थी। मुझे आपके विषय में सारी बातें ज्ञात हैं, आप किसी से प्रेम करती हैं और उसे ही पाना है आपको।"


युविका, "हां, लेकिन वो शायद संभव नहीं है। गुरु जी ने कहा है की ऐसे मैं बस उसका शरीर पा सकती हूं, दिल और आत्मा मेरी नही होगी कभी।"


अघोरी, "और ये आपको बटुकनाथ ने कहा, उसे जब पता ही नही की असली काली शक्तियों होती क्या हैं, तो भला उसे ये कैसे पता होगा कि उनसे क्या प्राप्त किया जा सकता है।"


"तो क्या ये संभव है कि मुझे कुमार का प्रेम मिल जायेगा?" युविका चहकते हुए कहती है।


अघोरी, "संभव तो है राजकुमारी, लेकिन वैसी शक्तियां प्राप्त करने के लिए आपको मूल्य चुकाना पड़ेगा?"


युविका, "हम राजकुमारी हैं, बोलिए कितना मूल्य देना पड़ेगा मुझे?"


"हहाहा, अघोरी ने हस्ते हुए कहा, "राजकुमारी आप खुद एक साधक हैं, और इस साधना में क्या मूल्य लगता है वो भी ज्ञात नही आपको?"


"फिर क्या मूल्य लगेगा?"


"वो तो आपको वही शक्तियां बताएंगी, पर उसके पहले आपको अपने इस शरीर से भी मूल्य देना पड़ेगा, स्वीकार हो तभी आगे बढ़िएगा राजकुमारी।"



"मैं अपनी जान भी दे दूंगी अपना लक्ष्य पाने के लिए।"



"राजकुमारी मूल्य जान नही शरीर का भोग है। आपकी शक्तियां और उनको पाने के लिए जो भी सह साधक होगा उनको करना होगा आपको, बोलो मंजूर है, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं, वरना भूल जाओ अपने लक्ष्य को।".........


हम्म, बात कुछ - कुछ समझ में आ रहा है की युविका को क्या - क्या करना पड़ा होगा...

देखते हैं लेखक महोदय ने अगले अपडेट में युविका से क्या कुछ नहीं करवाया होगा और इस दूसरे अघोरी का क्या सीन है? 🤔


(बेचारी मेरी युविका को कितना निष्ठुर लेखक मिला है... पता नहीं किस - किससे सील तुड़वाएगा.) :verysad:😭
 

Sanju@

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#अपडेट १८

अब तक आपने पढ़ा -



उस मार्ग से आगे जाते ही युविका के सामने एक नदी आई जिसमे मगरमच्छ भरे हुए थे। जिसे देख युविका ने तुरंत ही अपने बाणों से सबको भेद कर पर जाने के लायक रास्ता बना लिया। और जैसे ही युविका ने नदी के दूसरे किनारे पर पैर रखा, उसे एक जोरदार अट्टहास सुनाई दिया ......

अब आगे -

वो अट्टहास सुनते ही युविका ने बिना डरे हुए आगे बढ़ना जारी रखा, तभी उसे सामने आ एक विचित्र जीव आता दिखा जिसका ऊपर आधा धड़ मनुष्य का था और नीचे का घोड़े के जैसा, वो अपने हाथों में एक तलवार पकड़े हुए अट्टहास करते हुए, बड़ी तेजी से युविका की ओर बढ़ रहा था। उसे देखते ही युविका कुछ मंत्रों का उच्चारण करने लगी और तभी उसके हाथ में एक तलवार आ गई जिससे बिजलियां निकल रही थी। युविका भी तेजी से दौड़ते हुए उस जीव की ओर भागी और उछलते हुए उसके मस्तक के बीचों बीच अपनी तलवार से प्रहार किया। उस जीव ने भी अपनी तलवार को आगे कर युविका के बार को रोकने की कोशिश की, मगर युविका की तलवार ने न सिर्फ उसकी तलवार, बल्कि उसके मस्तक के भी २ टुकड़े कर दिए।


ऐसा करते ही वो जीव एक चमक के साथ गायब हो गया। और जंगल से एक व्यक्ति निकला जो अघोरी के जैसे दिखता था।


"अदभुत बालिके, तुमने यहां तक पहुंच कर मेरे सारे तिलिस्म तोड़ दिए।" उस अघोरी ने कहा। "कौन हो तुम, और क्या चाहती हो इस बियाबान में आ कर, देखने में तो तुम किसी राज्य की राजकुमारी लगती हो।"


"जी सही पहचाना आपने, युविका ने कहा, "मैं महेंद्रगढ़ के महराज सुरेंद्र की पुत्री युविका हूं, और आपके आशीर्वाद की आकांक्षा ले कर आई हूं।"


"अच्छा तुम ही वो हो, भैरवी के तप का फल। पर अब मेरा आशिर्वाद क्यों चाहिए? अघोरी वैसे भी किसी को कोई आशीर्वाद नही देता।"


"गुरुजी, आशीर्वाद न सही कम से कम अपनी शिष्या बना लीजिए।"


"पर एक राजकुमारी को भला एक अघोरी की शिष्या क्यों बनना है, एक अघोरी की शक्तियां जिन चीजों को पाने के लिए होती है वो राजकुमारी जी आके पास पहले से ही है, धन, राज्य और क्या ही चाहिए होता है है किसी को अघोरी की शक्तियां प्राप्त करके?"


"प्रेम गुरुवर, प्रेम पाना चाहती हूं आपकी शक्तियों द्वारा।"


बटुकनाथ ये सुन कर मुस्कुरा देता है।


"खैर, अभी आश्रम में चलो, शाम हो रही है, हम सुबह बात करेंगे। चलो और कुछ खा लो, मुझे पता होता की राजकुमारी जी आने वाली हैं तो कुछ अच्छा बनवाता पर अभी तो कुछ कच्चे पक्के से ही काम चलाना होगा।"


अगली सुबह बटुकनाथ युविका को ले कर अपने साधना कक्ष में बैठ कर बात करने लगे।



"तो पुत्री, तुम्हे लगता है कि तुम काली शक्तियों की सिद्ध करके प्रेम को पा सकती हो?" बटुकनाथ ने युविका से पूछा।


"कम से कम जिससे प्रेम करती हूं उसे अपने बस में करके तो खुद को प्रेम करवा सकती हूं।" युविका ने जवाब दिया।


"मतलब तुम उसके शरीर से प्रेम करती हो बस, उसके दिल, उसकी आत्मा से तुम्हे कोई प्रेम नही है। बस शरीर ही पाना है तुमको?"


"नही, मैं तो उसे हर तरीके से प्रेम करती हूं।"


"तो उसको वश में करके तो तुम सिर्फ उसके शरीर को ही प्राप्त कर पाओगी, उसका हृदय और आत्मा तो तुम्हारे बस में नही ही आयेगी न।" बटुकनाथ ने कहा। "इसीलिए पुत्री ये हठ छोड़ो और जाओ जिस उद्देश्य के लिए तुम्हारे मां पिताजी और भैंरवी ने तप करके तुमको प्राप्त किया था, उसे पूरा करो, और विश्वास रखो, अगर जो तुम्हारा प्रेम सच्चा है तो वो तुम तक स्वयं आएगा, ऐसे हथकंडों से तुम उससे और दूर ही होती जाओगी।"


ये कह कर बटुकनाथ ने युविका को वहां से जानेका इशारा किया।


युविका निराशा से भरी हुई आश्रम से वापस चली गई।


जब युविका जंगल से बाहर निकली तभी उसे एक और अघोरी मिला जो लगभग बटुकनाथ की ही उम्र का था, और वो युविका को देखते ही उसे नाम से पुकारता है।


"राजकुमारी युविका, आपको हर जगह से निराशा ही हाथ लगी न?"



युविका चौंकते हुए, "कौन हैं आप, और मुझे कैसे जानते हैं?"


अघोरी, "में भी एक अघोरी हूं, लेकिन बटुकनाथ के जैसा जालसाज नही हूं, वो तो अघोरी के नाम पर एक जादूगर है बस, असली काली शक्तियों के बारे में वो सही से जनता तक नही है राजकुमारी, वो भला तुम्हारी कैसे मदद करता। आपको जो चाहिए वो शक्तियां मैं तुम्हे दिलवा सकता हूं।"


युविका, "लेकिन आप हैं कौन? और मैं कैसे भला आप पर भरोसा करूं?"


अघोरी, "मेरा नाम संपूर्णानंद हैं, और मैं बटुकनाथ का गुरुभाई हूं। हम दोनो ने एक ही गुरु से शिक्षा ली थी। मुझे आपके विषय में सारी बातें ज्ञात हैं, आप किसी से प्रेम करती हैं और उसे ही पाना है आपको।"


युविका, "हां, लेकिन वो शायद संभव नहीं है। गुरु जी ने कहा है की ऐसे मैं बस उसका शरीर पा सकती हूं, दिल और आत्मा मेरी नही होगी कभी।"


अघोरी, "और ये आपको बटुकनाथ ने कहा, उसे जब पता ही नही की असली काली शक्तियों होती क्या हैं, तो भला उसे ये कैसे पता होगा कि उनसे क्या प्राप्त किया जा सकता है।"


"तो क्या ये संभव है कि मुझे कुमार का प्रेम मिल जायेगा?" युविका चहकते हुए कहती है।


अघोरी, "संभव तो है राजकुमारी, लेकिन वैसी शक्तियां प्राप्त करने के लिए आपको मूल्य चुकाना पड़ेगा?"


युविका, "हम राजकुमारी हैं, बोलिए कितना मूल्य देना पड़ेगा मुझे?"


"हहाहा, अघोरी ने हस्ते हुए कहा, "राजकुमारी आप खुद एक साधक हैं, और इस साधना में क्या मूल्य लगता है वो भी ज्ञात नही आपको?"


"फिर क्या मूल्य लगेगा?"


"वो तो आपको वही शक्तियां बताएंगी, पर उसके पहले आपको अपने इस शरीर से भी मूल्य देना पड़ेगा, स्वीकार हो तभी आगे बढ़िएगा राजकुमारी।"



"मैं अपनी जान भी दे दूंगी अपना लक्ष्य पाने के लिए।"



"राजकुमारी मूल्य जान नही शरीर का भोग है। आपकी शक्तियां और उनको पाने के लिए जो भी सह साधक होगा उनको करना होगा आपको, बोलो मंजूर है, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं, वरना भूल जाओ अपने लक्ष्य को।".........
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
युविका ने अघोरी के सारे तिलस्मी तोड़ कर गुरु बटूकनाथ के पास पहुंच गई है गुरु ने उसे एक दम सच कहा है और युविका के भी समझ में आ गया है कि वह केवल शरीर को प्यार कर सकती है लेकिन आत्मा से वह उसको प्यार नही करेगा लेकिन दूसरे अघोरी संपूर्णानंद ने उसको अपनी बातो से उसे राजी कर लिया है अघोरी ने युविका को अपने जाल में फंसाकर शायद अपना कोई काम पूरा करना चाहता है देखते हैं आगे क्या होता है
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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#अपडेट १९

अब तक आपने पढ़ा

"राजकुमारी मूल्य जान नही शरीर का भोग है। आपकी शक्तियां और उनको पाने के लिए जो भी सह साधक होगा उनको किस करना होगा आपको, बोलो मंजूर है, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं, वरना भूल जाओ अपने लक्ष्य को।".........

अब आगे -

युविका, "स्वीकार है, मैं अपने प्रेम को पाने के लिए कुछ भी कर जाऊंगी।"


अघोरी, खुश होते हुए, " फिर चलो मेरे साथ, कल अमावस्या है, अच्छा दिन है साधना शुरू करने के लिए।"


और दोनो घने जंगलों में अंदर चले जाते हैं।


अंदर अघोरी एक गुफा में अपना डेरा बना कर रहता था, उसने उसी गुफा में युविका के रहने का भी इंतजाम कर दिया।


अगली शाम अघोरी ने युविका से उससे उसके राजसी वस्त्रों का त्याग करके हिरण की खाल से बने कपड़े पहनने को कहा, और स्नान के बाद उन दोनो ने साधना की शुरुवात की।


सबसे पहले अघोरी ने एक हवन कुंड में अग्नि को प्रज्वलित करके उसके पास एक मानव खोपड़ी को रख कर उस पर सिंदूर का छिड़काव किया और युविका से कहा, "ये कपाल ही हमारा साधन बनेगा us शक्तियों के आवाहन का, लेकिन चूंकि ये साधना मुख्य रूप से तुम्हे ही करनी है, तो जब भी वो शक्तियां आएंगी, वो बस तुम्हे ही दिखाई और सुनाई देंगी, इसीलिए उनकी बात पर अमल करना, और जैसा भी वो भोग मांगें बिना झिझक कर चढ़ा देना। लेकिन उसके पहले हमें उन्हें कई तरह की बलि दे कर उनको बुलाना होगा, और इस काम में कई दिन भी लग सकते है।"


"कोई बात नही, बस उनको साधना ही मेरा लक्ष्य है।"


"तो फिर शुरू करें."


और इसी के साथ अघोरी ने मंत्रोच्चार शुरू करते हुए सबसे पहले उस कपाल पर एक नींबू काट कर चढ़ाया और अग्नि में कई तरह की वस्तुएं युविका को देकर होम करवाता रहा। ये कुछ घंटे चलने के बाद अघोरी ने एक चूहे को पकड़ कर युविका के द्वारा उस कपाल पर बलि चढ़वाई।


"आज अभी की क्रिया संपन्न हुई राजकुमारी, अब इसके बाद कुछ विश्राम करके कल के लिए कुछ बड़ा बलि का पशु ढूंढना होगा, और रात को एक विशेष क्रिया करेंगे जो हमें हर रात करनी पड़ेगी, जब तक शक्तियां आ नही जाती तब तक। याद रखो,भयंकर काली शक्तियों के अहवहन के लिए नीच कर्म का होना जरूरी है। ये बलि से बस उनको आकर्षित किया जा सकता है, लेकिन उनको साधने के लिए नीच कर्म करना जरूरी है। चलो पहले विश्राम करो, और फिर एक पशु को ढूंढना है, बाकी बातें बाद में बताऊंगा।"



थोड़ी देर आराम करने के बाद, दोनो जंगल में जा कर एक खरगोश को पकड़ लाते हैं, और एक पिंजरे में बंद कर देते हैं, साथ ही साथ कुछ कंदमूल, और एक हिरण का शिकार भी करके लाए थे दोनो, ताकि कुछ खाने को भी बनाया जाय।


युविका ने भोजन बना दिया था और तब तक अंधेरा भी हो चुका था।


भोजन करने के लिए दोनो बैठे तो अघोरी ने एक कमंडल लाकर रखा और उसमे से मदिरा को 2 पात्रों में डाल कर एक युविका को दे दिया, और कहा, "राजकुमारी, नीच कर्म की शुरुवात करिए, ये मदिरा पान करने से आप के मन में नीच विचार आयेंगे और आप उनको करने में हिचकिचाएंगी भी नही।"


ये सुन कर युविका उस पात्र को उठा कर एक ही सांस में खाली कर देती है, और इसे देख अघोरी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान क्षण भर के लिए आ जाती है। थोड़ी देर के बाद युविका मदहोश हो जाती है, और अपने शरीर के वस्त्र उतार देती है।


अघोरी के सामने एक भरी पूरी युवती पूरी तरह से नग्न रूप में खड़ी थी, जिसे देख अघोरी का लंड भी खड़ा हो गया। उसने युविका को अपनी ओर खींचा और उसे अपनी गोद में बैठा लिया। वो हल्के हल्के युविका के बदन को सहलाने लगा और युविका के कान में कहा, "राजकुमारी, अब आपको अपने शरीर का भोग चढ़ाना पड़ेगा, और अब हम दोनो इस क्रिया को शुरू करेंगे। क्या आप तैयार हैं?"


युविका, कुछ झिझकते हुए, "हां, पर करना क्या है, वो बताइए।"


ये सुनकर, अघोरी ने उसके उरेजों को अपने हाथ में पूरी तरह से पकड़ते हुए कहा, "बताना नही करना है, जो मैं कर रहा हूं वो करने दो, बाकी काम अपने आप ही जायेगा।" और वो उसके कंधों पर अपनी जीभ से चाटने लगता है।


युविका को एकदम से चोरी छिपे देखे हुए सारे दृश्य याद आ जाते हैं। और उसके बदन में एक झनझनाहट होती है, पूरा शरीर गरम होने लगता है।


अघोरी की जीभ और उसके हाथ युविका के शरीर पर जादू कर रहे थे, और युविका पूरी तरह से काम वासना में डूबे जा रही थी। उसे अपने बदन में चीटियां रेंगती महसूस होने लगी, खास कर योनि में, जो धीरे धीरे पानियायना शुरू कर रही थी। मस्ती में युविका के मुंह से सिसकारियां फूटने लगी, और उसके हाथ अपने आप अघोरी के हाथों के ऊपर आ गए और खुद के ही स्तनों को दबाने लगे। ये देख अघोरी ने युविका को अपनी ओर घुमा लिया और दोनों स्तनों को जोर से भींच दिया।


युविका के मुंह से आहें निकलने लगी, तभी अघोरी ने झुकते हुए उसके एक स्तन के चूचक को अपने मुंह पर भर लेता है, और एक हाथ से उसके नितम्बों को मसलने लगता है। युविका इससे और उत्तेजित हो जाती है, और इतने में ही उसका पहला स्खलन हो जाता है, और वो कुछ निढाल सी हो जाती है। ये देख अघोरी आराम आराम से उसके स्तनों को मसलने लगता है और युविका के होंठ से अपने होठ मिला देता है। कुछ देर ऐसे ही निढाल रहने के बार युविका के शरीर में दुबारा से उत्तेजना बढ़ने लगती है और वो भी अघोरी के होंठों को चूसने लगती है, उसके हाथ अघोरी की पीठ पर चलने लगते हैं।


ये देख अघोरी युविका को उठा देता है, और खुद भी निर्वस्त्र हो जाता है। उसका लिंग पूरी तरह से स्तंभित हो चुका था, और युविका उसे ही देखने लगती है। अब तक के देखे हुए पुरुषों के लिंगों में सबसे बड़ा लिंग था वो, जिसे देख वो थोड़ा घबराई, लेकिन अघोरी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया और उसका इशारा समझ युविका भी अपने हाथ में उस लिंग के पकड़ लेती है। तब तक अघोरी फिर से उसके स्तनों पर अपना मुंह लगा देता है, और एक हाथ से युविका की योनि को छेड़ने लगता है। युविका भी मदहोशी में अपना हाथ अघोरी के लिंग पर आगे पीछे करने लगती है।


तभी अघोरी नीचे बैठ कर युविका के एक पैर के अपने एक कंधे पर रख देता है और युविका की योनि पर अपना मुंह लगा देता है। इस हरकत से युविका के पूरे शरीर में एक कपकपी सी आ जाती है और वो थोड़ा लड़खड़ा जाती है, लेकिन अघोरी उसे सम्हाल लेता है, और अपनी जीभ से उसके योनि को कुरेदने लगता है, और धीरे से युविका को नीचे लिटा देता है।


युविका की योनि से फिर से पानी रिसने लगता है, तो अघोरी उठ कर अपना लिंग युविका की योनि से लगता है और एक धक्का लगाता है, चिकनी योनि में लिंग थोड़ा सा ही जाता है और युविका की एक जोर की चीख निकल जाती है। अघोरी तुरंत उसके मुंह पर अपना मुंह रख कर उसको चीख की आवाज को कम करता और धीरे धीरे उसके स्तनों को सहलाने लगता है, थोड़ी देर में युविका शांत होती है तो अघोरी फिर से एक धक्का लगाता है, और फिर से एक चीख निकल जाती है युविका की। कुछ देर बाद अघोरी हल्के हल्के धक्के युविका की योनि में लगाने लगता है, और युविका का दर्द अब उत्तेजना से कम होने लगा और युविका मजे से सिसकियां लेते हुए अघोरी का साथ देने लगी। ये देख अघोरी ने धक्के तेज किए और युविका को पलट कर अपने ऊपर ले लिया और युविका भी उतेजना से भरी हुई उसके लिंग पर उछलने लगी, दोनो की कामुक आहें पूरी गुफा में गूंजने लगी, और एक बहुत ही मादक माहौल बन गया उस गुफा में।


कुछ समय के बाद युविका फिर से स्खलित हो गई, और अघोरी ने अपने लिंग को युविका की योनि से बाहर निकल कर उसे हिलाते हुए युविका के वक्षों पर अपना वीर्य गिरा दिया।


"इस वीर्य को अपने शरीर पर लगा लो राजकुमारी, वीर्य का सेवन और वीर्य को अपने शरीर पर लगाने से काली शक्तियां और खुश होती हैं।"


ये सुन कर युविका न सिर्फ उस वीर्य को अपने स्तनों पर मल लेती है, वो अघोरी का लिंग पकड़ कर फिर से हिलाने लगती है। अघोरी भी ये देख मुस्कुरा देता है, और दोनो फिर से आलिंगनबद्ध हो जाते हैं।


अब ये रोज का नियम बन गया था, आधी रात के बाद साधना करना, दिन में आराम और शिकार, और सुबह शाम संभोग। चूहे से शुरू हुआ बलि का सिलसिला बड़े जानवरों से अब जंगली भैंसे तक पहुंच चुका था। और संभोग का नशा ऐसा सवार हुआ था युविका पर कि कई बार वो साधना होते होते ही रति क्रिया करने लगती थी।


आज जब जंगली भैंसे की बलि दी गई, उसके बाद युविका को कपाल के ऊपर कुछ परछाई दिखने लगी और उसके कानो में आवाज आई....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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😯😂
"किस" ज़माने की बात है भाई?

Nice update....

:roll3: bhondu baba ki entry ho gayi he matlab, bas fark ye he ke ye apna ullu sidha karne ja raha he

Nice update

Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai,

Is sampurnanand ne mulya bataya he wo apna ullu sidha karna chahta he.............sadhna ke dauran yuvika ko bhogna ke plan bana raha he ye aghori.......

Agli update thoda jaldi post karna bhai

Bahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....

Very Nice

Nice update....

बहुत ही अच्छा अपडेट था। युविका एक तरफा प्यार में इतना नीचे गिर गई!!




छोटी सी भूल है सुधार लीजिएगा। गुरुवर आएगा।

Behtreen update

Shandaar update

Nice update, batuk nath ke samjane par bhi nhi mani, ab har kisi ki hawas ka bhog banegi

बढ़िया अपडेट...

पर भाई, "भैरवी जी" को बताना की "चीन" कभी भी अच्छा साथी नहीं हो सकता. :nope:

हम्म, बात कुछ - कुछ समझ में आ रहा है की युविका को क्या - क्या करना पड़ा होगा...

देखते हैं लेखक महोदय ने अगले अपडेट में युविका से क्या कुछ नहीं करवाया होगा और इस दूसरे अघोरी का क्या सीन है? 🤔

(बेचारी मेरी युविका को कितना निष्ठुर लेखक मिला है... पता नहीं किस - किससे सील तुड़वाएगा.) :verysad:😭


बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
युविका ने अघोरी के सारे तिलस्मी तोड़ कर गुरु बटूकनाथ के पास पहुंच गई है गुरु ने उसे एक दम सच कहा है और युविका के भी समझ में आ गया है कि वह केवल शरीर को प्यार कर सकती है लेकिन आत्मा से वह उसको प्यार नही करेगा लेकिन दूसरे अघोरी संपूर्णानंद ने उसको अपनी बातो से उसे राजी कर लिया है अघोरी ने युविका को अपने जाल में फंसाकर शायद अपना कोई काम पूरा करना चाहता है देखते हैं आगे क्या होता है
अपडेट पोस्टेड 🙏🏽
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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हम्म, बात कुछ - कुछ समझ में आ रहा है की युविका को क्या - क्या करना पड़ा होगा...

देखते हैं लेखक महोदय ने अगले अपडेट में युविका से क्या कुछ नहीं करवाया होगा और इस दूसरे अघोरी का क्या सीन है? 🤔

(बेचारी मेरी युविका को कितना निष्ठुर लेखक मिला है... पता नहीं किस - किससे सील तुड़वाएगा.) :verysad:😭
एक ही होगा भाई, दो चार लोग मिल कर ये काम नही करते 😂😂
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
युविका ने अघोरी के सारे तिलस्मी तोड़ कर गुरु बटूकनाथ के पास पहुंच गई है गुरु ने उसे एक दम सच कहा है और युविका के भी समझ में आ गया है कि वह केवल शरीर को प्यार कर सकती है लेकिन आत्मा से वह उसको प्यार नही करेगा लेकिन दूसरे अघोरी संपूर्णानंद ने उसको अपनी बातो से उसे राजी कर लिया है अघोरी ने युविका को अपने जाल में फंसाकर शायद अपना कोई काम पूरा करना चाहता है देखते हैं आगे क्या होता है
कोई ऐसा काम नही है, पर क्या है वो भी अगले अपडेट में आ जायेगा।
 
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Reactions: Sanju@

mrDevi

There are some Secret of the past.
926
2,076
124
#अपडेट १९

अब तक आपने पढ़ा

"राजकुमारी मूल्य जान नही शरीर का भोग है। आपकी शक्तियां और उनको पाने के लिए जो भी सह साधक होगा उनको किस करना होगा आपको, बोलो मंजूर है, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं, वरना भूल जाओ अपने लक्ष्य को।".........

अब आगे -

युविका, "स्वीकार है, मैं अपने प्रेम को पाने के लिए कुछ भी कर जाऊंगी।"


अघोरी, खुश होते हुए, " फिर चलो मेरे साथ, कल अमावस्या है, अच्छा दिन है साधना शुरू करने के लिए।"


और दोनो घने जंगलों में अंदर चले जाते हैं।


अंदर अघोरी एक गुफा में अपना डेरा बना कर रहता था, उसने उसी गुफा में युविका के रहने का भी इंतजाम कर दिया।


अगली शाम अघोरी ने युविका से उससे उसके राजसी वस्त्रों का त्याग करके हिरण की खाल से बने कपड़े पहनने को कहा, और स्नान के बाद उन दोनो ने साधना की शुरुवात की।


सबसे पहले अघोरी ने एक हवन कुंड में अग्नि को प्रज्वलित करके उसके पास एक मानव खोपड़ी को रख कर उस पर सिंदूर का छिड़काव किया और युविका से कहा, "ये कपाल ही हमारा साधन बनेगा us शक्तियों के आवाहन का, लेकिन चूंकि ये साधना मुख्य रूप से तुम्हे ही करनी है, तो जब भी वो शक्तियां आएंगी, वो बस तुम्हे ही दिखाई और सुनाई देंगी, इसीलिए उनकी बात पर अमल करना, और जैसा भी वो भोग मांगें बिना झिझक कर चढ़ा देना। लेकिन उसके पहले हमें उन्हें कई तरह की बलि दे कर उनको बुलाना होगा, और इस काम में कई दिन भी लग सकते है।"


"कोई बात नही, बस उनको साधना ही मेरा लक्ष्य है।"


"तो फिर शुरू करें."


और इसी के साथ अघोरी ने मंत्रोच्चार शुरू करते हुए सबसे पहले उस कपाल पर एक नींबू काट कर चढ़ाया और अग्नि में कई तरह की वस्तुएं युविका को देकर होम करवाता रहा। ये कुछ घंटे चलने के बाद अघोरी ने एक चूहे को पकड़ कर युविका के द्वारा उस कपाल पर बलि चढ़वाई।


"आज अभी की क्रिया संपन्न हुई राजकुमारी, अब इसके बाद कुछ विश्राम करके कल के लिए कुछ बड़ा बलि का पशु ढूंढना होगा, और रात को एक विशेष क्रिया करेंगे जो हमें हर रात करनी पड़ेगी, जब तक शक्तियां आ नही जाती तब तक। याद रखो,भयंकर काली शक्तियों के अहवहन के लिए नीच कर्म का होना जरूरी है। ये बलि से बस उनको आकर्षित किया जा सकता है, लेकिन उनको साधने के लिए नीच कर्म करना जरूरी है। चलो पहले विश्राम करो, और फिर एक पशु को ढूंढना है, बाकी बातें बाद में बताऊंगा।"



थोड़ी देर आराम करने के बाद, दोनो जंगल में जा कर एक खरगोश को पकड़ लाते हैं, और एक पिंजरे में बंद कर देते हैं, साथ ही साथ कुछ कंदमूल, और एक हिरण का शिकार भी करके लाए थे दोनो, ताकि कुछ खाने को भी बनाया जाय।


युविका ने भोजन बना दिया था और तब तक अंधेरा भी हो चुका था।


भोजन करने के लिए दोनो बैठे तो अघोरी ने एक कमंडल लाकर रखा और उसमे से मदिरा को 2 पात्रों में डाल कर एक युविका को दे दिया, और कहा, "राजकुमारी, नीच कर्म की शुरुवात करिए, ये मदिरा पान करने से आप के मन में नीच विचार आयेंगे और आप उनको करने में हिचकिचाएंगी भी नही।"


ये सुन कर युविका उस पात्र को उठा कर एक ही सांस में खाली कर देती है, और इसे देख अघोरी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान क्षण भर के लिए आ जाती है। थोड़ी देर के बाद युविका मदहोश हो जाती है, और अपने शरीर के वस्त्र उतार देती है।


अघोरी के सामने एक भरी पूरी युवती पूरी तरह से नग्न रूप में खड़ी थी, जिसे देख अघोरी का लंड भी खड़ा हो गया। उसने युविका को अपनी ओर खींचा और उसे अपनी गोद में बैठा लिया। वो हल्के हल्के युविका के बदन को सहलाने लगा और युविका के कान में कहा, "राजकुमारी, अब आपको अपने शरीर का भोग चढ़ाना पड़ेगा, और अब हम दोनो इस क्रिया को शुरू करेंगे। क्या आप तैयार हैं?"


युविका, कुछ झिझकते हुए, "हां, पर करना क्या है, वो बताइए।"


ये सुनकर, अघोरी ने उसके उरेजों को अपने हाथ में पूरी तरह से पकड़ते हुए कहा, "बताना नही करना है, जो मैं कर रहा हूं वो करने दो, बाकी काम अपने आप ही जायेगा।" और वो उसके कंधों पर अपनी जीभ से चाटने लगता है।


युविका को एकदम से चोरी छिपे देखे हुए सारे दृश्य याद आ जाते हैं। और उसके बदन में एक झनझनाहट होती है, पूरा शरीर गरम होने लगता है।


अघोरी की जीभ और उसके हाथ युविका के शरीर पर जादू कर रहे थे, और युविका पूरी तरह से काम वासना में डूबे जा रही थी। उसे अपने बदन में चीटियां रेंगती महसूस होने लगी, खास कर योनि में, जो धीरे धीरे पानियायना शुरू कर रही थी। मस्ती में युविका के मुंह से सिसकारियां फूटने लगी, और उसके हाथ अपने आप अघोरी के हाथों के ऊपर आ गए और खुद के ही स्तनों को दबाने लगे। ये देख अघोरी ने युविका को अपनी ओर घुमा लिया और दोनों स्तनों को जोर से भींच दिया।


युविका के मुंह से आहें निकलने लगी, तभी अघोरी ने झुकते हुए उसके एक स्तन के चूचक को अपने मुंह पर भर लेता है, और एक हाथ से उसके नितम्बों को मसलने लगता है। युविका इससे और उत्तेजित हो जाती है, और इतने में ही उसका पहला स्खलन हो जाता है, और वो कुछ निढाल सी हो जाती है। ये देख अघोरी आराम आराम से उसके स्तनों को मसलने लगता है और युविका के होंठ से अपने होठ मिला देता है। कुछ देर ऐसे ही निढाल रहने के बार युविका के शरीर में दुबारा से उत्तेजना बढ़ने लगती है और वो भी अघोरी के होंठों को चूसने लगती है, उसके हाथ अघोरी की पीठ पर चलने लगते हैं।


ये देख अघोरी युविका को उठा देता है, और खुद भी निर्वस्त्र हो जाता है। उसका लिंग पूरी तरह से स्तंभित हो चुका था, और युविका उसे ही देखने लगती है। अब तक के देखे हुए पुरुषों के लिंगों में सबसे बड़ा लिंग था वो, जिसे देख वो थोड़ा घबराई, लेकिन अघोरी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया और उसका इशारा समझ युविका भी अपने हाथ में उस लिंग के पकड़ लेती है। तब तक अघोरी फिर से उसके स्तनों पर अपना मुंह लगा देता है, और एक हाथ से युविका की योनि को छेड़ने लगता है। युविका भी मदहोशी में अपना हाथ अघोरी के लिंग पर आगे पीछे करने लगती है।


तभी अघोरी नीचे बैठ कर युविका के एक पैर के अपने एक कंधे पर रख देता है और युविका की योनि पर अपना मुंह लगा देता है। इस हरकत से युविका के पूरे शरीर में एक कपकपी सी आ जाती है और वो थोड़ा लड़खड़ा जाती है, लेकिन अघोरी उसे सम्हाल लेता है, और अपनी जीभ से उसके योनि को कुरेदने लगता है, और धीरे से युविका को नीचे लिटा देता है।


युविका की योनि से फिर से पानी रिसने लगता है, तो अघोरी उठ कर अपना लिंग युविका की योनि से लगता है और एक धक्का लगाता है, चिकनी योनि में लिंग थोड़ा सा ही जाता है और युविका की एक जोर की चीख निकल जाती है। अघोरी तुरंत उसके मुंह पर अपना मुंह रख कर उसको चीख की आवाज को कम करता और धीरे धीरे उसके स्तनों को सहलाने लगता है, थोड़ी देर में युविका शांत होती है तो अघोरी फिर से एक धक्का लगाता है, और फिर से एक चीख निकल जाती है युविका की। कुछ देर बाद अघोरी हल्के हल्के धक्के युविका की योनि में लगाने लगता है, और युविका का दर्द अब उत्तेजना से कम होने लगा और युविका मजे से सिसकियां लेते हुए अघोरी का साथ देने लगी। ये देख अघोरी ने धक्के तेज किए और युविका को पलट कर अपने ऊपर ले लिया और युविका भी उतेजना से भरी हुई उसके लिंग पर उछलने लगी, दोनो की कामुक आहें पूरी गुफा में गूंजने लगी, और एक बहुत ही मादक माहौल बन गया उस गुफा में।


कुछ समय के बाद युविका फिर से स्खलित हो गई, और अघोरी ने अपने लिंग को युविका की योनि से बाहर निकल कर उसे हिलाते हुए युविका के वक्षों पर अपना वीर्य गिरा दिया।


"इस वीर्य को अपने शरीर पर लगा लो राजकुमारी, वीर्य का सेवन और वीर्य को अपने शरीर पर लगाने से काली शक्तियां और खुश होती हैं।"


ये सुन कर युविका न सिर्फ उस वीर्य को अपने स्तनों पर मल लेती है, वो अघोरी का लिंग पकड़ कर फिर से हिलाने लगती है। अघोरी भी ये देख मुस्कुरा देता है, और दोनो फिर से आलिंगनबद्ध हो जाते हैं।


अब ये रोज का नियम बन गया था, आधी रात के बाद साधना करना, दिन में आराम और शिकार, और सुबह शाम संभोग। चूहे से शुरू हुआ बलि का सिलसिला बड़े जानवरों से अब जंगली भैंसे तक पहुंच चुका था। और संभोग का नशा ऐसा सवार हुआ था युविका पर कि कई बार वो साधना होते होते ही रति क्रिया करने लगती थी।



आज जब जंगली भैंसे की बलि दी गई, उसके बाद युविका को कपाल के ऊपर कुछ परछाई दिखने लगी और उसके कानो में आवाज आई....
Super update Riky007 bhai
 
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युविका एक रियासत की राजकुमारी थी । वो राजा की एकमात्र संतान थी । अगर वो चाहती तो क्षणभर मे कुमार को बंदी बनवा देती । उसे अपने हुस्न के जलवे दिखाकर उत्तेजित करती और अपनी मंशा पुरी कर लेती ।
या फिर नैना के हत्या का भय दिखाकर उसके साथ विवाह भी कर सकती थी ।
वह कोई साधारण औरत नही थी । वह अपने पावर का प्रयोग कर बहुत कुछ कर सकती थी ।
लेकिन उसने कुमार को पाने के लिए बहुत ही गलत रास्ते का चुनाव किया । एक बदसूरत और कपटी अघोरी से अपनी इज्ज़त का सौदा कर बैठी ।
उसे बहुत लोगों ने समझाया । प्रेम का अर्थ समझाया । लेकिन अफसोस , उसपर कोई भी असर नही हुआ ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट रिकी भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
 
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