अपडेट #५
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अगले दिन जैसे ही वो नाश्ते की टेबल पर पहुंचता है तो उसे देव और सुषमा की बातें सुनाई पड़ती हैं जो किचन से आ रही होती हैं।
देव: अनिल ने बोला की उसने लड़की देखी है, दोनो की जोड़ी अच्छी है, उसने लड़की के घर का भी सब पता कर लिया है और कल हम मिलने चल रहे हैं उनसे, अब इस घर में शहनाई बजने में देर नहीं करनी चाहिए.....
अब आगे :-
सुषमा: आप बिलकुल सही कह रहे हैं, मैं सम्राट को तैयार होने बोल देती हूं, सब लोग चलते हैं वहां।
देव: हां ये सही है।
इतना सुन कर सम्राट की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता और वो आरती को मैसेज कर देता है कि मां पापा तुम्हारे घर आ रहे हैं, अपने रिश्ते की बात करने।
तभी सुषमा जी रसोई से बाहर आती हैं और सम्राट को देखते ही
सुषमा: अरे सम्राट बेटा, जल्दी से तैयार हो जाओ, हम किसी खास जगह जाना है, और जरा ढंग के कपड़े पहनना।
सम्राट (अनजान बनते हुए): कहां मां?
सुषमा (मुस्कुराते हुए): चलो तो, सब पता चल जायेगा।
थोड़ी देर में तीनो तैयार हो कर कार से निकल जाते हैं।
इधर आरती भी सम्राट का मैसेज पढ़ कर खूब खुश हो जाती है और अच्छे से तैयार हो कर अपनी बालकनी में खड़े हो कर सबका इंतजार करने लगती है।
देव जी खुद ही कार चला रहे थे, और जैसे जैसे आरती का घर नजदीक आ रहा था, वैसे वैसे सम्राट की खुशी बढ़ती ही जा रही थी। मगर कार आरती की गली में न मुड़ कर सीधे ही चली जाती है, और सम्राट के मुंह से निकल जाता है: अरे पापा, आप गलत जा रहे हैं शायद?
देव जी (सम्राट को घूरते हुए): अनिल ने तुझे भी पता बताया था क्या??
सम्राट (घबराते हुए): न.. नही, वो दरअसल मुझे लगा हम फैक्ट्री जा रहे हैं।
इधर आरती भी कार को सीधे जाते देख मायूस हो जाती है, और सम्राट को फोन लगाने लगती है।
उधर सम्राट को भी कुछ समझ नही आता और वो आरती का फोन काट देता है। कुछ समय बाद गाड़ी एक घर के सामने रुकती है, और वहां एक सज्जन जो देव जी के उम्र के ही थे, सबका स्वागत करते हैं।
देव जी: नमस्कार वशिष्ठ जी, ये है मेरी पत्नी सुषमा। और ये सम्राट है।
सब एक दूसरे का अभिवादन करते है और घर के अंदर जाते हैं।
वशिष्ठ जी एक बैंक में उच्च पद पर थे, उनकी पत्नी अनिता, और एक ही बेटी, नुपुर थी। छोटा सा परिवार था इनका। नूपुर अपने नाम की तरह ही खुशमिजाज और हरफनमौला थी। वो सम्राट से कोई २ साल की बड़ी थी, और अभी ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में आई थी।
सभी औपचारिकताओं के बाद सुषमा ने सम्राट को एक तरफ आने का इशारा किया, दोनो मां बेटे बाहर की ओर जा कर बात करते हैं।
सुषमा: तो कैसी लगी नूपुर?
सम्राट: अच्छी लगी मां, लेकिन वो मुझसे बड़ी है तो कैसे??
सुषमा: तुझे बड़ी है तो क्या हुआ? है तो लायक न अपने घर की बहू बनने के?
सम्राट: तो क्या आप लोग ने तय कर लिया है?
सुषमा: हां हम दोनो का तो पक्का है, पर तेरी रजामंदी जरूरी है।
सम्राट: मां, एक बात है, वो मैं किसी और को पसंद करता हूं, और वो भी मुझे पसंद करती है। लेकिन जो आप और पापा कहेंगे, मैं वही करूंगा।
सुषमा आंखे बड़ी करके सम्राट को देखती है। और पूछती है: तू कहना क्या चाहता है??
सम्राट: यही मां, की में किसी और को पसंद करता हूं।
सुषमा (सम्राट का कान पकड़ते हुए): तेरी शादी कौन कर रहा है अभी बेवकूफ? और कौन है वो लड़की?
सम्राट (झेंपते हुए): फिर? हम यहां क्यों?
सुषमा: अपने भाई से पहले तुझे शादी करनी है, वो भी अभी इतनी सी उम्र में ही? रुक अभी तेरे पापा को बताती हूं।
सम्राट: अरे मां कान छोड़ो, में तो शादी से बचने के लिए ऐसा बोला, और आप लोग ने भी तो कुछ बताया नही, और मुझसे क्यों पूछ रहे हो आप? भैया से पूछो।
सुषमा: राजा ने तुझे ही कहा था ना की पहले तू हां करेगा, तभी वो लड़की देखेगा।
सम्राट: ओह मां मैं तो भूल ही गया था। और प्लीज अब तो कान छोड़ो मेरा।
सुषमा उसका काम छोड़ कर फिर पूछती है: हां अब बता नूपुर कैसी लगी, और वो लड़की कौन है?
सम्राट: नूपुर भाभी मुझे अच्छी लगी मां, और वो कोई नही है मैने बस शादी से बचने के लिए झूठ बोला था।
सुषमा: अभी समय नही है, लेकिन तू बचेगा नही, तुझे बताना ही पड़ेगा, समझा?
सम्राट: अच्छा अभी अंदर चलो मां, वरना पापा गुस्सा करेंगे।
दोनो अंदर जाते हैं, और सुषमा अपनी तरफ से हां बोल देती है, राजा को भी वहीं से खबर कर दी जाती है, तो वो भी २ दिन में आने की बात कहता है। सभी २ दिन बाद फिर से मिलने का फैसला करते हैं।
सम्राट अंदर से बहुत खुश होता है जब उसे पता चलता है कि नूपुर उसकी भाभी बनने वाली है, और उसका और आरती का सीक्रेट अभी सीक्रेट ही है। वो मौका लगते है आरती को फोन लगता है, पर उसका फोन स्विच ऑफ आता है।
वहां से निकल कर सम्राट अपनी बाइक उठा कर सीधे आरती के घर की ओर जाता है, वो साथ साथ आरती का फोन भी लगता है जो लगातार स्विच ऑफ आ रहा होता है। वो फिर शिवानी को फोन लगा कर आरती से बात कराने को कहता है, क्योंकि शिवानी और आरती का घर आस पास ही था। शिवानी कुछ देर बाद सम्राट को बताती है की आरती घर पर नही है, और किसी को बताई भी नही जा कि वो जहां जा रही है।
सम्राट कुछ सोचता है और फिर अपनी बाइक ले कर घाट पर जाता है, क्योंकि उसे पता होता है कि आरती चाहे खुश हो या दुखी, वो घाट पर अपना समय जरूर बिताती है। और जैसा सम्राट ने सोचा था, आरती वहीं घाट पर उसे मिलती है। आरती ने रो रो कर अपनी आंखे सूजा ली थी। सम्राट उसके पास बैठ जाता है।
आरती: अब क्यों आए हो यहां, जाओ जिससे शादी हो रही है उसके पास बैठो।
सम्राट: अरे मेरी बिल्लो, मुझे बहुत बड़ी गलत फहमी हो गई थी, और एक बात सुनो, चाहे जो भी हो जाय, शादी तो मैं बस तुमसे ही करूंगा, या फिर जान ही दे दूंगा।
ये सुनते ही आरती सम्राट के मुंह पर अपना हाथ रख देती है: मरे तुम्हारे दुश्मन, और आगे से ऐसी बात करना भी नही, वरना तुमसे पहले मेरी जान जायेगी।
ये सुनते ही सम्राट आरती को कस कर गले से लगा लेता है।
कुछ देर बाद आरती उसको धक्का दे कर कहती है: हटो दूर मुझसे, प्यार का नाटक मुझसे और शादी किसी और से कर रहे हो?
सम्राट (आरती का हाथ पकड़ते हुए): अरे मेरी मां, मुझे गलतफहमी हो गई थी, पहले तो भैया की शादी होगी ना? उनके लिए ही मां पापा लड़की देखने गए थे।
आरती (मुस्कुराते हुए): मतलब वो तुम्हारी बात नहीं कर रहे थे?
सम्राट: नही यार, वो अनिल अंकल का नाम बीच में आया तो मैं हमारे बारे में सोचने लगा था।
ये सुन कर आरती सम्राट के गले लग जाती है।
कुछ देर दोनो वहां रुक कर वापस घर लौट जाते हैं।
२ दिन बाद राजा घर आता है, और अगले दिन नूपुर से मिलता है। दोनों एक दूसरे को पसंद कर लेते हैं। और शादी की तारीख भी २० दिन बाद की ही निकल जाती है, दोनो परिवार सहमत हो जाते हैं और आनन फानन में शादी की तैयारी होने लगती है।
शादी का दिन भी पलक झपकते ही आ जाता है और राजा और नूपुर की शादी खूब धूम धाम से होती है, सभी खूब एंजॉय करते हैं।
शादी के ३ दिन बाद ही राजा को उसके बेस से फोन आता है, और उसे वापस ड्यूटी पर आने को कहा जाता है, जहां उसे किसी जरूरी मिशन पर जाने को कहा जाता है। देव जी ये सुन कर बहुत नाराज होते है, और राजा को रिजाइन करने को कहते हैं। नूपुर उनको समझती है कि अभी उसे जाने दे क्योंकि राजा के लिए अभी उसका कर्तव्य ज्यादा जरूरी है। राजा भी कहता है कि अभी जाने दीजिए, मिशन पूरा होते ही वो रिजाइन दे कर वापस आ जायेगा।
नूपुर भारी मन से राजा को विदा करती है। उसकी नम आंखें देख सभी उदास हो जाते हैं। सम्राट जिसे नूपुर अपनी बड़ी बहन की तरह लगने लगी थी, वो हर समय उसके आगे पीछे घूम कर उसका मन बहलाने की कोशिश करता रहता था, जिससे नूपुर का भी मन लगा रहता था।
इसी तरह दिन बीत रहे थे। नूपुर के कारण सम्राट अपने दोस्तों को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था, हां आरती के साथ वो किसी न किसी तरह से समय निकाल मिल ही लेता था वो। एक दिन ऐसे ही सारे दोस्त आपस में मिले तो तो फिर से महेंद्रगढ़ जाने की बात छिड़ी, और २ दिन बाद का प्रोग्राम बन गया क्योंकि अमावस्या उसी दिन पड़ रही थी।
सम्राट नूपुर को ये प्रोग्राम बताता है तो वो सम्राट के लिए खुश होती है। पर सम्राट उसे भी चलने कहता है, जिसे वो मना कर देती है, पर सम्राट सा कहती है कि उसे कोई हॉरर मूवी दिखाने, सम्राट उसके लिए अगले रात का कहता है।
अगली रात को सम्राट अपने कमरे में मूवी लगता है और नूपुर के साथ बैठ कर देखने लगता है, देव जी और सुमित्रा सोने चले जाते हैं। ये एक हॉलीवुड मूवी थी, दोनो मूवी देखने में मगन हो जाते हैं, तभी उसमे एक हॉट सीन आ जाता है, जिसे देख कर दोनों ही कुछ गरम हो जाते हैं, और एक दूसरे की ओर देखते हैं। नूपुर एकदम से आगे बढ़ कर सम्राट के होंटो से अपने होंठ मिला देती है.....