तेरहवाँ भाग
बहुत ही उत्कृष्ट लेखनी महोदय,
कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ती जा रही है और भी ज्यादा दिलचस्प और नए मोड़ लेती जा रही है। विश्वास के कहने के मुताबिक परवीन और राशिद चांदनी को ढूंढने बार में आते हैं। विश्वास ने चांदनी की पहचान बताई। होटल में चांदनी ने देव को पहचान लिया। चांदनी पुरानी व्यूरो की एजेंट है जिसने भ्रष्टाचार के चलते व्यूरो छोड़ दिया और वैश्यावृत्ति में आ गई।।
मजबूरी और लाचारी ऐसी चीज़ है जो इंसान से क्या कुछ न करवा दे। चांदनी शरद कपूर की नाजायज औलाद है। शायद ये वही चांदनी है जिसका जिक्र पहले भाग में हुआ है। सबा भी व्यूरो की एजेंट थी लेकिन कबीर से बदला लेने की धुन में वो रंडी बन गई। कबीर ने उसके बाप को मारा। काजल को हथियार बनाकर कबीर को पकड़ना चाहती थी सबा और चांदनी। कबीर भारत आ चुका है चांदनी के मुताबिक।