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Romance कायाकल्प [Completed]

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Raanjhanaa

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“आपने मुझसे मिलने के पहले तक, सबसे वाइल्ड, मतलब, सबसे पागलपन वाला काम क्या किया है?”

“मैं...ने..? कुछ नहीं – मैं बहुत अच्छी बच्ची हूँ!” संध्या ने दूसरी घूँट भरते हुए कहा।

“फिर भी... बच्ची ने कुछ तो किया होगा?”

“ऊम्म्म... हाँ, एक बार मैंने और मेरी सहेलियों ने मिल कर पास के रामदीन चाचा की बकरियां छुपा दी थीं। उन्होंने पूरे दिन भर बकरियां ढूँढी.. लेकिन उनको मिलती कैसे? हमने उनको कहा की दस रूपये दो, हम ढूंढ कर ले आएँगी! उनको समझ तो आ गया की हमारी शैतानी है, लेकिन उन्होंने शर्त मान ली। फिर हमने ढूँढने का नाटक करने के बाद देर शाम को बकरियां वापस की और उनसे दस रूपया भी लिया।“

“रामदीन चाचा आये थे शादी में?”

“हाँ – गाँव के सब लोग ही आये थे! सभी आपको देखना चाहते थे।“ उसकी दूसरी ड्रिंक आधी ख़तम भी हो गई।

“जानू, आराम से पियो! चढ़ जायेगी!”

“लेकिन मुझको तो नहीं चढ़ी...! और ये ‘लांग टी आइलैंड’ बहुत मजेदार है! अरे, अभी तक आपने पहला भी ख़तम नहीं किया?”

“हा हा!” मुझे समझ आ गया की संध्या को चढ़ गई है, “आपको कोई जोक आता है?”

“जोक – हाँ! आप सुनेंगे?” मैंने हामी भरी।

“एक बार संता शादी की दावत में गया, लेकिन सामने रखे सलाद की टेबल को देख कर वापस आ गया। और बंता से बोला, “ओये बंता... अभी मत जा! अभी तो सब्जियां ही कट रही हैं!”

“हा हा! एक और?”

“हाँ –एक बार संता कहता है, “यार बंता, मेरी बीवी मुझको नौकर समझने लगी है... बोल क्या करूँ? बंता कहता है, अरे मौके का फायदा उठा... दो-चार घर और पकड़ ले और अपना धंधा जमा ले!”

“आपको सब ऐसे ही जोक्स आते हैं?”

“हाँ! मुझको संता-बंता के बहुत से जोक आते हैं! बहुत मजाकिया होते हैं!”

“संता-बंता नहीं... कोई और जोक सुनाइये!”

“अच्छा..... कोई और? उम्म्म्म...... हाँ याद आया.... एक बार एक पत्नी अपने पति को कहती है, “चलो एक खेल खेलते हैं, मैं छुपती हूँ और आप मुझे ढूंढ़ना। अगर आपने ढून्ढ लिया तो मैं आपके साथ शॉपिंग करने चलूंगी।“ पति कहता है, “अगर नहीं ढूंढ पाया तो?” पत्नी कहती है, “ऐसा मत कहो जानू, बस दरवाज़े के पीछे ही छुपूंगी।"

“अब आप भी तो कुछ सुनाइए... सारे मैं ही सुना दूँ?”

“अच्छा! आपने कभी कोई एडल्ट जोक सुना है?”

“एडल्ट जोक? वो क्या होता है?”

“अभी समझ आ जायेगा... यह सुनो....

"“दिल्ली के एक मोहल्ले में एक बच्चा अपने घर में हमेशा नंगा घूमा करता था। घर में कोई भी आता, तो बच्चा नंगा ही मिलता और उसकी मां को ताने सुनना पड़ते। उसकी इस आदत से परेशान होकर मां ने एक उपाय सोचा और अपने बच्चे से कहा, “बेटा, जब भी कोई घर में आए, तो मैं कहूँगी, ‘दिल्ली बंद’ और तुम तुरंत निक्कर पहनकर बाहर आ जाना।"

बच्चा समझ गया। एक दिन उस बच्चे की मौसी उसके घर आई, तो मां ने आवाज लगाई, “बेटा, दिल्ली बंद।" बच्चा निक्कर पहनकर बाहर आ जाता है और कहता है, “मौसी, आप यहां किसलिए आये हो?” मौसी कहती है, “बेटा, मैं दिल्ली देखने आई हूं।"

बच्चा कहता है, “ये लो! वो तो अभी-अभी मम्मी ने बंद करवा दी!” और कहते हुए उसने अपना निक्कर उतार दिया। मौसी हंसते हुए कहती है, “बेटा, मैं यह वाली दिल्ली नहीं, बड़ी वाली दिल्ली देखने आई हूं।"

बच्चा तुरंत कहता है, “कोई बात नहीं मौसी, मैं अभी पापा को बुलाता हूं!””

“ये भी क्या जोक है? धत्त! .....और मुझे मालूम है, वो बच्चा आप ही हैं... आपका ही निक्कर हमेशा उतरा रहता है!”

“हा हा हा!! एक और जोक सुनो - शादी के बाद सुहागरात के लिए पति और उसकी पत्नी अपने कमरे में गये। पत्नी बेड पर बैठ गई और पति “कैडबरी चॉकलेट” अपने लंड पर लगाने लगा। पत्नी ये देखकर बोली, “क्या कर रहे हो जी?” पति कहता है, “अरे! वो कहते हैं न? शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा हो जाये।“

संध्या खिलखिला का हँस पड़ी - दो गिलास भर के कॉकटेल गटकने के बाद संध्या अब पूरी तरह से रिलैक्स्ड और आरामदायक हो गई थी। मैंने देखा की उसकी मुस्कराहट बढती ही जा रही थी और अब वह खुल कर बातें कर रही थी। मैंने अंदाज़ा लगाया की एक और पेग, और बस! लड़की ढह जायेगी!

मैंने एक बार फिर से पांसा फेंका, “अच्छा, और क्या-क्या वाइल्ड काम किया है?”

“और क्या? ऐसे कुछ तो याद नहीं आ रहा!”

“कुछ सेक्सुअल? मेरे से पहले!”

“मेरे साथ जो भी सेक्सुअल है सब आपने ही किया है!” इतनी स्पष्ट स्वीकारोक्ति!

“लेकिन...” मैं तुरंत चौकन्ना हो गया, “... जब पड़ोस की भाभियों ने मर्दों के लिंग और उसके काम के बारे में बताया तो मैं बहुत घबरा गई। उनके बताने के एक दिन बाद मैंने.. उंगली डालने का ट्राई किया था...”

“उंगली? कहाँ?” मुझे अच्छी तरह से मालूम था की कहाँ, लेकिन फिर भी चुटकी लेने से बाज़ नहीं आया।

“जाइए हटिये! आप मुझे सताते हैं!”

“अरे! बिलकुल नहीं! क्यों सताऊँगा? बोलो न, कहाँ?”

“यहाँ... नीचे!” संध्या ने दबी हुई आवाज़ में कहा।

“पीछे?” मैंने फिर छेड़ा!

“हटो – मुझे नहीं कहना कुछ भी!” संध्या रूठ गई।

“अरे मेरी जान .. ठीक है, अब नहीं छेडूंगा.. बोल भी दो!”

“मेरी...” एक पल को हिचकिचाई, “... वेजाइना में! यही नाम बताया था न आपने? आधा इंच भी नहीं जा पाई, और दर्द हुआ! मैंने डर के मारे वहीँ छोड़ दिया!”

“अच्छा बेटा! मेरे पीठ पीछे यह सब करती थी? वेजाइना के साथ एक और नाम बताया था – याद है?”

“हा हा! नहीं नहीं... मैं तो बस यह देख रही थी की... की मेरी वेजाइना कितनी चौड़ी है, और कितनी फ़ैल सकती है! बस! सच्ची! बस और कुछ नहीं!”

“हा हा हा!”

“एक्सैक्ट्ली मेरी पहली उंगली जितनी ही तो चौड़ी है! और ये देखिये,” उसने उत्साह से अपनी तर्जनी दिखाते हुए कहा, “ये उंगली ही कितनी पतली है! और इतने में ही दर्द हो गया! उस दिन आपका पहली बार देखा तो मेरी सांस ही अटक गई की यह कैसे अन्दर जाएगा!”

“देखो – उस दिन आपकी यह पतली सी उंगली ही ठीक से नहीं जा पा रही थी, और आज देखिये, मेरा ल्ल्लंड भी आराम से चला जाता है!”

“कोई आराम वाराम से नहीं जाता, आपका...!” बोलते बोलते संध्या रुक गई, और फिर, “.. मेरी जगह पर होते तो आपको मालूम पड़ता सारा आराम!”

“अच्छा, आपने मुझसे तो सब पूछ लिया – अब आप बताइए – आपने क्या किया?”

“जानेमन, मेरे पास तो ऐसे कारनामों की एक लम्बी फेहरिस्त है! बताने लग गया तो कई दिन निकल जायेंगे!”

“अच्छा जी! ह्म्म्म.. वैसे मुझे याद है, आपने बताया था की आपकी कई सारी गर्लफ्रेंड थीं। उनके साथ क्या क्या किया? सच बताइयेगा – मैं बुरा नहीं मानूंगी।“

"नहीं... सच ही बताऊँगा। आपसे झूठ बोलने वाला काम मैं कभी नहीं करूंगा। मैं आपसे यह वायदा करता हूँ की मैंने आपसे पहले कभी भी किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया। सेक्स का मतलब अगर लिंग और योनि से है तो! लेकिन मैंने उनके साथ बहुत सारे अन्तरंग क्षण बिताये हैं। हमारे रिसेप्शन में आपको वो ‘हिमानी’ याद है? जिसने गुलाबी-हरे रंग की ड्रेस पहनी हुई थी... वो जिसके थोड़े बड़े-बड़े स्तन थे?”

“न...ही..!”

“अरे जिसने आपको चूमा था।“

“मुझे तो दो लोगो ने चूमा था – हाँ याद आया! अच्छा! वो आपकी गर्लफ्रेंड थी?”

“हाँ – उसका नाम हिमानी है। आपसे सच कहूँगा, मुझे किसी भी स्त्री में स्तन बहुत प्यारे लगते हैं। इसलिए जब मेरी हिमानी के साथ घनिष्ठता बढ़ी तो मैं उसके स्तनों को अक्सर ही चूमता, चूसता था। एक दिन बात काफी आगे बढ़ गई। मैंने उसके स्तनों के बीच में अपने लिंग को फंसा कर मैथुन किया – बड़ा आनंद भी आया! लेकिन सच कहता हूँ की इसके आगे कभी नहीं गया।”

“चलिए... मान लिया की आप सच कह रहे हैं! वैसे भी, आपके जीवन में मेरे आने से पहले जो हुआ, उससे मुझे क्या सरोकार होगा? लेकिन...”

“लेकिन?”

“लेकिन मेरे स्तन तो बहुत छोटे हैं।“

“छोटे नहीं हैं जानू – आप भी तो अभी छोटी हैं! धीरे-धीरे यह भी बढ़ेंगे! लेकिन, सच कहूँ तो अभी जैसे हैं, मुझे वैसे ही पसंद हैं ये दोनों!” कह कर मैंने आँख मार दी।

यहाँ लिखने में आसानी हो, इसलिए मैं बेहिसाब लिखा जा रहा हूँ। लेकिन सच तो यह है की संध्या की जुबान यह सब बातें करते हुए बुरी तरह लड़खड़ा रही थी और उसकी आँखें भी ढलकी जा रही थीं। मैंने हम दोनों के लिए दो और गिलास लांग आइलैंड आइस्ड टी मंगाई, लेकिन ड्रिंक आते आते संध्या को पूरी तरह से चढ़ गई। अतः, मुझे ही दोनों ड्रिंक्स ख़तम करनी पड़ी। मेरे अन्दर चार, और संध्या के अंदर दो गिलास मदिरा आ गई थी – मुझे भी कोई ख़ास स्टैमिना तो था नहीं, और आखिरी दोनो ड्रिंक्स मुझे जल्दी जल्दी ख़तम करनी पड़ी। इसलिए मुझे भी नशा आ गया। मैंने बैरा को एक प्लेट कबाब का आर्डर दिया, जिससे अगर भूख लगे तो खाया जा सके और एक और बैरा की मदद से संध्या को कमरे में ले आया।

संध्या नशे के कारण सो गई थी – लेकिन उसके माथे और सीने पर पसीने की बूंदे साफ़ दिख रही थीं। कमरे के वातानुकूलन से संध्या को ठण्ड लग सकती थी, इसलिए मैंने बिना उसको अधिक हिलाए डुलाये उसके सारे कपड़े उतार दिए। मुझे भी गर्मी सी लग रही थी (जैसा की मुझे हर बार मदिरा पीने से होता है) इसलिए मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, और संध्या के बगल बैठ कर, तौलिये से उसके शरीर से पसीना पोछने लगा।

वो कहते हैं न की नशे में स्वयं पर वश नहीं रहता। जब मैं संध्या को पोंछ रहा था, तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। मैंने बिना सोचे समझे ‘कम-इन’ बोल दिया। और परिचारक को एक पूर्णतया नग्न युगल को देखने का आनंद प्राप्त हो गया। जब तक मुझे हम दोनों की नग्नावस्था का भान होता तब तक इतनी देर हो चली थी की कुछ करने का कोई लाभ न होता। खैर, उसके जाने के बाद मुझे एक विचार कौंधा की क्यों न संध्या की ऐसी हालत में कुछ तस्वीरें उतार ली जाएँ! मैंने झटपट अपना डी-एस-एल-आर उठाया और संध्या की नग्नता की कलात्मक और अन्तरंग कई तस्वीरें ले डाली। उसके बाद मैं सो गया।
Pata nahi kaha par ye kahani padi thi par bahut hi sakun de diya tha ab app ye stories kab khatam kar rahe hai dekhana hoga
ek resust hai app yaadi samay mile to koi new story jarroor kya par suru kare
 
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Lovely Anand

Love is life
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Pata nahi kaha par ye kahani padi thi par bahut hi sakun de diya tha ab app ye stories kab khatam kar rahe hai dekhana hoga
ek resust hai app yaadi samay mile to koi new story jarroor kya par suru kare
Hi read my story Chhaya in this forum only. It is brand new and with classic hindi....
 
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