- 33,514
- 150,207
- 304
Ek arsa ho gaya hum is thread ki or nahi aaye, or ab shayad kabhi aaye bhi na khair intzaar rahega ek khubsurat kahani ka...
Mast story haiupdate 26
ऋतू को देखते ही ये बोल अपने आप मेरे मुँह से निकलने लगे;
"एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे
खिलता गुलाब, जैसे
शायर का ख्वाब, जैसे
उजली किरन, जैसे
बन में हिरन, जैसे
चाँदनी रात, जैसे
नरमी बात, जैसे
मन्दिर में हो एक जलता दिया, हो!"
मेरी बगल में ही राखी खड़ी थी और ये गाना सुनते ही मुझे कोहनी मारते हुए बोली; "क्या बात है मानु जी?!!" अब मुझे कैसे भी बात को संभालना था तो मैंने बात बनाते हुए कहा; "सच में यार ये हूर-परी कौन है?"
"पता नहीं! चलो न चल के इंट्रो लेते हैं इसका|" राखी ने खुश होते हुए कहा|
"ना यार! कहीं बॉस की कोई रिश्तेदार निकली तो सर क्लास लगा देंगे दोनों की|" अभी हम दोनों ये बात कर ही रहे थे की ऋतू के ठीक पीछे से अनु मैडम और सर आ गए| और उन्हें देख कर हम दोनों अपने-अपने डेस्क पर चले गए| मैडम ने बॉस से ऋतू का इंट्रो कराया और बताय की प्रोजेक्ट के लिए ऋतू ने 'as a trainee' ज्वाइन किया है| फिर मैडम ने मुझे और राखी को बुलाया और ऋतू से इंट्रो कराया; "ऋतू ये दोनों आपके टीम मेट्स हैं, राखी और मानु|" ऋतू ने राखी से हाथ मिलाया और मुझे हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा| ये देख कर राखी के चेहरे से हँसी छुप नहीं पाई और उसे हँसता देख मैडम ने उससे पूछा भी की वो क्यों हँस रही है पर वो बात को टाल गई| "और मानु ये हैं रितिका, फर्स्ट ईयर कॉलेज स्टूडेंट हैं|" अब मैंने भी अपनी हँसी किसी तरह छुपाई और बस "नमस्ते" कहा| ये देख कर ऋतू के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ गई| "अरे हाँ..आपकी डायरी इन्हीं ने लौटाई थी|" मैडम ने मुझे डायरी वाली बात याद दिलाई| "ओह्ह! Really!!! Thank You रितिका जी!!" मैंने मुस्कुरा कर ऋतू को थैंक यू कहा|
मेरा ऋतू को रितिका कहने से उसे थोड़ा अटपटा सा लगा जो उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था|
खेर मैडम ने ऋतू को ब्रीफ करने के लिए हम दोनों तीनों को अपने केबिन में बुलाया और ऋतू को राखी के साथ प्लानिंग और एनालिसिस में लगा दिया और मेरा काम इनकी प्लानिंग और एनालिसिस के हिसाब से PPTs और Excel Sheet तैयार करना था| अभी चूँकि मुझे पहले बॉस का काम करना था तो मैं उसी काम में लगा था| पर मेरी नजरें काम में कम और ऋतू पर ज्यादा थी| ऋतू को वादा करने से पहले मैं कभी-कभी चाय-सुट्टा पीता था, उसी वक़्त राखी भी आ जाया करती थी पर वो सिर्फ चाय ही पीती थी| आज भी वही हुआ, राखी खुद भी आईं और साथ में ऋतू को भी ले आई|
राखी: अरे मुझे क्यों नहीं बोला की आप चाय पीने जा रहे हो?
मैं: आप लोग बिजी थे! (मैंने ऋतू की तरफ देखते हुए कहा और मुझे अपनी तरफ देखता हुआ पा कर ऋतू का सर शर्म से झुक गया|)
राखी: अच्छा?? (मेरे ऋतू को देखते हुए राखी ने जान कर अच्छा शब्द बहुत खींच कर बोला| जिसे सुन ऋतू की हँसी छूट गई|)
मैं: और बाताओ क्या-क्या सीखा रहे हो आप रितिका जी को? (मैंने इस बार राखी की तरफ देखते हुए कहा|)
राखी: घंटा! मैडम तो बोल गई की प्लानिंग करो एनालिसिस करो पर साला करना कैसे है ये कौन बताएगा? (राखी के मुँह से 'घंटा' शब्द सुन ऋतू हैरान हो गई|)
मैं: तो 2 घंटे से दोनों कर क्या रहे थे?
राखी: कुछ नहीं.... कुछ इधर-उधर की बातें| आपकी बातें!!! (राखी ने मुझे छेड़ते हुए कहा|)
मैं: मेरी बातें?
राखी: और क्या? जब मैं पहलीबार ज्वाइन हुई तब मुझसे तो आपने कभी बात नहीं की? और रितिका को देखते ही गाना निकल गया मुँह से?
ये सुन कर मैं जानबूझ कर शर्मा गया और ऋतू हैरानी से आँखें बड़ी करके मुझे देखने लगी|
ऋतू: कौन सा गाना गए रहे थे सर?
राखी: एक लड़की को देखा तो....
मैं कुछ नहीं बोला और एक घूँट में सारी चाय पी कर वापस ऊपर आ गया, और मुझे जाता हुआ देख राखी ठहाके मार के हँसने लगी| आज ऋतू के मुझे 'सर' कहने पर मुझे एक अजीब सी ख़ुशी हुई और वो भी शायद समझ गई थी| लंच के बाद मैं दोनों के साथ रिसर्च, प्लानिंग और एनालिसिस में उनके साथ लग गया| मैंने दोनों को पुराना डाटा दिखाया और उसकी मदद से रेश्यो निकालना बता कर मैं अपने डेस्क पर वापस आ गया| कुछ देर बाद अनु मैडम भी आईं और वो भी मेरे इस बदले हुए बर्ताव से थोड़ा हैरान थीं| उन्होंने मुझे दोनों की मदद करते हुए देख लिया था इसलिए मेरी सराहना करने से वो नहीं चूँकि; "अरे भैया तुम दोनों से ज्यादा होशियार है मानु! कुछ सीखो इनसे, अपना काम तो करते ही हैं साथ-साथ दूसरों की मदद भी करते हैं|" ये बात मैडम ने शुक्ल जी को सुनाते हुए कही|
शाम को जब जाने का नंबर आया तो मैं सोचने लगा की कैसे ऋतू को घर छोड़ूँ? अब मैं सामने से जा कर तो पूछ नहीं सकता था इसलिए मुझे कुछ न कुछ तो सोचना ही था! तभी मैडम ने उसे खुद ही लिफ्ट ऑफर कर दी और मैं बस ऋतू और मैडम को जाता हुआ देखता रहा| राखी पीछे से आई और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली; "आज लिफ्ट मिलेगी?" मैंने बस मुस्कुरा कर हाँ कहा और फिर ऋतू की जगह राखी को अपने पीछे बिठा कर उसके घर छोड़ा| मेरे घर पहुँचने के घंटे भर बाद ऋतू का वीडियो कॉल आया, वो बाथरूम में बैठे हुए खुसफुसाई;
ऋतू: I Love You जानू! uuuuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmmmmmmaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh !!!!!
मैं: क्या बात है बहुत खुश है आज?
ऋतू: जानू! बर्थडे के बाद आज का दिन मेरे लिए सबसे जबरदस्त था! कल के दिन के लिए सब्र नहीं कर सकती मैं|
मैं: अच्छा जी? जब मुझसे नाराज हुई थी और हमने पहली बार 'प्यार' किया था वो दिन जबरदस्त नहीं था? (मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा|)
ऋतू: वो दिन तो मेरे जीवन का वो स्वर्णिम दिन था जिसका ब्यान मैं कभी कर ही नहीं सकती| उस दिन तो हमने एक दूसरे को समर्पित कर दिया था| हमारा अटूट रिश्ता उसी दिन तो पूरा हुआ था|
मैं: वैसे आज मुझे तुम्हारे 'सर' कहने पर बड़ी अजीब सी फीलिंग हुई! पेट में तितलियाँ उड़ने लगी थी!
ऋतू: आपका नाम ले कर आपको पुकारने का मन नहीं हुआ, इसलिए मैंने आपको 'सर' कहा| एक बात तो बताइये, आपने सच में मुझे देख कर गाना गाय था?
मैं: हाँ, तू लग ही इतनी प्यारी रही थी की गाना अपने आप मेरे मुँह से निकल गया|
ये सुन कर ऋतू मुस्कुराने लगी| फिर इसी तरह हँसी-मजाक करते-करते खाने का समय हो गया और खाना मुझे ही बनाना था पर बुरा ऋतू को लग रहा था| "हमारी शादी जल्दी हुई होती तो मैं आपके लिए खाना बनाती|" ऋतू ने नाराज होते हुए कहा| "जान! शादी के बाद जितना चाहे खाना बना लेना पर तब तक थोड़ा-बहुत एडजस्ट तो करना पड़ता है|" मैंने ऋतू को मनाते हुए कहा|
"वैसे कितना रोमांटिक होगा जब आप और मैं एक साथ एक ही ऑफिस जायेंगे?! स्टाफ के सारे लोग हमें देख कर जल-भून जायेंगे!" ऋतू की बात सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई|
"लोगों को जलाने में बहुत मजा आता हैं तुम्हें?" मैंने पूछा|
"अब आपके जैसा प्यार करने वाला हो तो जलाने में मजा तो आएगा ही|" ऋतू ये कहते हुए हँसने लगी| तभी बहार से मोहिनी की आवाज आई; "अरे अब क्या बाथरूम में बैठ कर एकाउंट्स के सवाल हल कर रही है?! जल्दी बहार आ, खाना लग गया है|" ऋतू ने हड़बड़ा कर कॉल काटा और मुझे बहुत जोर से हँसी आ गई| बाद में उसका मैसेज आया; "बहुत मजा आता है ना आपको मेरे इस तरह छुप-छुप कर आपसे बात करने में?!" मैंने भी जवाब में हाँ लिखा और फ़ोन रख कर खाना बनाने लगा| खाना खा कर बड़ी मीठी नींद सोया और सुबह जल्दी से तैयार हो गया, सोचा की आज ऋतू को मैं ही ऑफिस ड्राप कर दूँ पर फिर याद आया की किसी ने देख लिया तो? तभी दिमाग में प्लान आया की मैं ऋतू को बस स्टैंड पर छोड़ दूँगा वहाँ से वो पैदल आ जाएगी| पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, ऋतू को मैडम ही लेने आ रही थी| मैं अपना मन मार के ऑफिस पहुँचा, पर वहां कोई नहीं था तो मैं नीचे चाय पीने लगा, तभी वहां राखी आ गई और वो भी मेरे साथ चाय पीने लगी|
अनु मैडम और ऋतू एक साथ गाडी से निकले और हमारे पास ही आ कर खड़े हो गए और चाय पीने लगे| चाय पी कर हम सब एक साथ ऊपर आये और सीधा मैडम के केबिन में बैठ गए| कल के काम पर डिस्कशन के बाद मैडम ने तीनों को अलग-अलग बिठा दिया और राखी को प्लानिंग और ऋतू को एनालिसिस का काम दे दिया| मैं बैठा कुछ PPTs स्टडी कर रहा था, मैडम भी मेरे पास आ गईं और कल जो कुछ थोड़ा बहुत काम हुआ था उसके ग्राफ्स बनाने में मदद करने लगी| मैडम को पमरे साथ बैठा देख ऋतू को अंदर से जलन होने लगी थी, वो बहाने से बार-बार आ रही थी और मैडम से कुछ न कुछ पूछ रही थी| हालाँकि ऋतू बहुत कोशिश कर रही थी की उसकी जलन मुझ पर जाहिर ना हो पर मैं उसकी जलन महसूस कर पा रहा था| आखरी बार जब ऋतू मैडम से कुछ पूछने आई तो मैडम उठ खड़ी हुई; "मानु आप ये PPTs का आर्डर ठीक करो मैं जरा रितिका को एक बार सारा काम समझा दूँ वरना बेचारी सारा टाइम इधर-उधर भटकती रहेगी|”
ऋतू को आधा घंटा समझाने के बाद मैडम ने मुझे उसकी हेल्प करने को कहा और खुद बाहर चली गईं| अब मैंने ऋतू के साथ बैठ कर उसे कुछ फाइल्स वगैरह के बारे में बताया, क्योंकि उसे कंप्यूटर उसे थोड़ा-बहुत ही आता था जो भी उसने अभी तक कॉलेज में सीखा था| आज मैंने उसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के बारे में बताय और टाइप करने के लिए कुछ शॉर्टकट बताये| ये सब ऋतू ने अब्दी ध्यान से सुना और अपने राइटिंग पैड में लिख लिया| जब मैं उठ के जाने लगा तो ऋतू ने मेरा हाथ चुपके से पकड़ लिया और मुझे खींच कर बिठा दिया| वो खुसफुसाती हुई बोली; "कहाँ जा रहे हो आप? बैठो ना थोड़ी देर और!" मैं भी बैठ गया पर हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, बस एक दूसरे को देख रहे थे| ऋतू ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया था और उसके हाथों की तपिश मुझे मेरे ठन्डे हाथों पर होने लगी थी| उसके होंठ थर-थरा रहे थे और मेरा मन भी उन्हें चूमने को व्याकुल था! आज अगर ऑफिस नहीं होता तो हम दोनों मेरे घर पर एक दूसरे के पहलु में होते!
"यहाँ कोई एकांत जगह नहीं है जहाँ आप और मैं थोड़ा टाइम....." ऋतू इतना कहते हुए रुक गई| मुझे उसका उतावलापन देख कर हँसी आ रही थी; "जान! ये ऑफिस है मेरा! यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता, किसी ने देख लिया ना तो ???"
ये सुन कर ऋतू का दिल टूट गया, "अच्छा चाय पियोगी?" ये सुन कर ऋतू की आँखों में चमक आ गई| हम दोनों उठ के नीचे आये और मैंने ऋतू को मेरी वाली स्पेशल चाय पिलाई| हम अभी चाय पी ही रहे थे की राखी आ गई; "अच्छा जी! मेरे से चोरी-छुपे चाय पी जा रही है?" उसने हम दोनों को छेड़ते हुए कहा|
"मैंने सोचा की आज रितिका जो को मानु वाली स्पेशल चाय पिलाई जाए|" मैंने बात बनाते हुए कहा|
"वो तो बिना सिगेरट के पूरी नहीं होती!" ये कहते हुए राखी ने चाय के साथ एक सिगरेट ली और काश ले कर मेरी तरफ बढ़ा दी| ये देख कर ऋतू हैरान हो गई, उसे लगा शायद मैंने उससे किया वादा तोड़ दिया है|
"सॉरी! मैंने छोड़ दी|" मेरा जवाब सुन कर राखी हैरान हो गई?
"हैं??? आप ही ने तो इलाइची वाली चाय के साथ ये कॉम्बो बनाया था और अब खुद ही नहीं पी रहे?" राखी की बात सुन कर ऋतू दुबारा हैरान हो गई|
"पर अब छोड़ दी| अब जीने की आदत हो गई है|" ये मैंने ऋतू को देखते हुए कहा| इस बार तो राख ने मेरी चोरी पकड़ ही ली; "अच्छा जी!!! रितिका जी को खुश करने को कह रहे हो!" ये सुन कर हम तीनों ठहाका लगा कर हँसने लगे| बस इसी तरह हँसी-मजाक में वो दिन निकला और मैडम ने ही राखी और ऋतू को घर छोड़ा और मैं अकेला घर वापस आ गया|
प्रिय मित्र,bahut achi story likhi hai bhaiya apne ritika ki bewafai,annu ka sacha pyar,neha ke liye baap ka tadapta dil,maa ki mamta neha ke liye
bich mai rona bhi aa gya tha mujhe aise hi pyari story likhte rahiye.
Ek aur jabarjast kahani
Main aap ki fan hu
Aap ki agli kahani kab tak aygi
Intjaar rahega
आपकी कहानी काला इश्क पढ़ी बहुत ही बढिया लगी , मेने ये कहानी सेक्स बाबा . com पर पढ़ी पर इस फॉर्म का बहुत बहुत शुक्रिया की हम कहानी के बारे में अपने व्यू भेज सकते हें और लेखक को मेसेज कर सकते हें , बाकि फोरम पर तो बड़ा मुश्किल होता हे , आपकी कहानी एक अनोखा बंधन भी पढ़ी हे और वो भी बेहद पसंद आई हे , और कोई आपकी कहानी हो तो पता नही पर लेखक की लेखन शेली से पता चल जाता हे हलांकि सेक्स बाबा पर लेखक का नाम भुत कम मिल पाता हे पर आपका और इस फोरम का बहुत २ धन्यवाद
काला इश्क में रितिका से नफरत जायज हे पर अंत में उसका भी व्यू और होता तो ज्यादा बेहतर रहता इतनी खुबसुरत मुहब्बत को एकदम से नफरत में बदलना थोडा कम अच्छा लगा