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सुबह की शुरुआत बड़ी मीठी हुई, पहले तो अनु ने मेरी गर्दन को प्यार से काटा और उसके कुछ देर बाद नेहा ने मेरे गाल पर Kissi की! मैं कुनमुनाता हुआ उठा और नेहा को अपने सामने देख कर बैठ गया| अनु ने नेहा को मेरी गोद में दिया और खुद नीचे चली गई| मैं नेहा को गोद में ले कर खेल रहा था की नीचे हल्ला मच गया| मैं फ़ौरन नीचे आया तो देखा सारे ख़ुशी से एक दूसरे को बधाइयाँ दे रहे हैं| "बेटा तो चाचा बनने वाला है!" ये सुनते ही मैं चौंक गया और फिर भाभी की तरफ देखा जो शरमाई हुई ताई जी के पीछे छुपी हुई थीं| इस उम्र में भाभी का conceive करना एक चमत्कार था, मेरा मन ये सोच कर खुश हुआ की चलो भाभी अभी तक जिन खुशियों से महरूम थीं वो उन्हें मिल ही गईं| मैंने भाभी को दिल से मुबारकबाद दी और फिर चन्दर भैया को भी गले लग कर मुबारकबाद दी| आज पूरा घर खुशियों से झूम रहा था और कहीं इसकी नजर किसी को न लग जाए इसलिए ताऊ जी ने जोश-जोश में पूजा का आयोजन रख दिया| अनु ने फ़ौरन हलवा बनाना शुरू कर दिया और भाभी भी उसी के साथ खड़ी हो गईं| रसोई में चूँकि बस वो दोनों ही थे तो मुझे भाभी से बात करने का मौका मिल गया| जैसे ही मैं रसोई पहुँचा भाभी ने मुझे गले लगा लिया और रुंधे गले से बोलीं; "मानु ये सब तुम्हारी वजह से हुआ, वरना मैं तो गलत रास्ते पर भटक जाती! तुम अगर मुझे इन्हें (चन्दर भैया को) पहले नशा मुक्ति केंद्र ले जाने को कहा और वहीँ मैंने डॉक्टर से इनका बाकी चेक-अप भी करवाया| अगर उस दिन तुम मुझे हिम्मत ना देते और गलत रास्ते पर नहीं जाने देते तो आज ये सब नहीं होता!"
"भाभी इस ख़ुशी के मौके पर रोते नहीं हैं! पहले चलो डॉक्टर के ताकि आपका चेकअप हो जाए!| मैंने कहा| "भाभी ये तो गलत बात है! मुझे तो गले लग कर इतना प्यार नहीं करती जितना इन्हें करती हो!" अनु ने प्यार भरे लहजे में शिकायत की|
"बदमाश! सबसे पहले तू ही गले लगी थी मेरे!" ये कहते हुए भाभी ने उसे गले लगा लिया| सबने हलवा खाया और मैंने डॉक्टर के जाने की बात राखी तो ताऊ जी ने कहा की मैं, अनु, चन्दर भैया और भाभी को अपने साथ बजार ले जाऊँ| पर तभी अनु के मौसा जी आ गए, मैंने उनके पाँव छुए और समझ गया की वो अनु को लेने आये हैं| अनु ऊपर चली गई और उसके पीछे-पीछे मैं भी चला गया| इधर नीचे सब ने उन्हें खुशखबरी दी और मुँह मीठा करवाया, उधर ऊपर आते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और अनु को पीछे से जकड़ लिया| मेरे हाथ अनु की कमर पर सामने की तरफ लॉक हो चुके थे; "दो दिन से ज्यादा नहीं वेट करूँगा!" मैंने कहा|
"I'll try!!!" अनु शर्माते हुए बोली| इतने में भाभी ने नीचे से मुझे आवाज दी| मैं थोड़ा गुस्से में नीचे उतरा और भाभी मेरे चेहरे पर गुस्सा देख हँस पड़ी| 5 मिनट बाद अनु भी नीचे आई, उसका एक छोटा सा बैग मैं पहले ही नीचे ले कर आ गया था| सारा परिवार अनु को छोड़ने बाहर आया, अनु ने भी सब के पाँव छुए और फिर गाडी में बैठ गई| मैंने तुरंत उसे मैसेज कर के एक बार फिर याद दिलाया; "बस दो दिन!" और इसके जवाब में अनु ने मुझे एक Kiss वाली emoji भेजी! अनु के जाने के कुछ देर बाद मैं तैयार हुआ और फिर भाभी, मैं और चन्दर भैया गाडी से निकले| ये आज दोनों की पहली राइड थी, हम हँसते-खेलते हुए बजार पहुंचे और डॉक्टर ने भाभी का चेकअप किया और कुछ टेस्ट वगैरह भी किये| भाभी की प्रेगनेंसी की बात कन्फर्म हुई और डॉक्टर ने कुछ मल्टीविटामिन्स लिख दिए, मैंने घर के लिए मिठाई खरीदी और हम तीनों घर लौटे| ताऊ जी ने छाती ठोक कर पूरे गाँव में मिठाई बाटी| इधर अनु के जाने से मैं अकेला हो गया था तो मैंने अपना मन नेहा के साथ लगा लिया| मैं उसे गोद में ले कर अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था| कुछ देर बाद मैंने अनु को skype पर कॉल किया और मेरी गोद में नेहा को बैठे देख वो खुश हो गई| मैंने फिर से अपनी बात दोहराई और उसे दो दिन याद दिलाये और वो हँसने लगी| "बाबा अभी तो आई हूँ..... और आप अभी से बेकरार हो रहे हो?!" आगे कुछ बात हो पाती उससे पहले ही मम्मी जी आ गईं और फिर उनसे बात शुरू हो गई| खेर कॉल के बाद मैं काम करने लगा, दिन तो जैसे-तैसे बीत गया पर रात लम्बी थी! पर मेरी बेटी का प्यार था जो मैं आराम से सो गया| बड़ी मुश्किल से मैंने दो दिन बिताये और फिर आया तीसरा दिन| मैंने सुबह ही अनु को फ़ोन कर के पुछा तो वो बोली की वो आज नहीं आ रही, क्योंकि कल ही पूजा खत्म हुई है और कम से कम आज उसे घर रहना है| दरअसल डैडी जी ने एक मन्नत मांगी थी की अनु की शादी अच्छे से निपट जाए तो वो मंदिर दर्शन के लिए जायेंगे| पर यहाँ मैं बेसब्र हो गया था; "मैंने कहा था ना की मैं तीसरे दिन आजाऊँगा! सामान पैक करो, मैं, माँ, ताई जी और भाभी आ रहे हैं!" इतना कह कर मैंने फ़ोन काटा और मैं नीचे आ गया| जब मैंने माँ से आज जाने की बात कही तो सबसे मुझे डाँट सुनने को मिली! एक बस भाभी थी जो मेरे दिल की हालत समझती थी पर घरवालों के आगे वो कुछ बोल नहीं पाती थी| हालाँकि घर वालों की डाँट जायज थी पर मेरा अनु के लिए बेसब्र होना भी मुझे जायज लग रहा था|
पर नेहा से अपने पापा की उदासी नहीं देखि गई, उसने अपने हाथ-पैर चलाने शुरू किये जैसे मुझे अपने पास बुला रही हो, मैंने नेहा को गोद में उठाया और छत पर आ गया| "मेरा छोटा बच्चा! एक आप हो जो पापा की उदासी समझते हो!" मैंने तुतलाते हुए नेहा से कहा तो वो मुस्कुराने लगी| कुछ देर बाद भाभी आ गईं वो जानती थी की मैं उदास हूँ तो मेरा दिल बहलाने के लिए वो बात करने लगीं; "मानु देखो कुछ दिन रुक जाओ, उसे भी तो अपने माँ-पिताजी से मिलने दो!"
"मैं जानता हूँ की आप आप सही कह रहे हो भाभी, पर कम से कम आप तो मेरी बेसब्री समझो! साल भर से उसके साथ रहने की आदत हो गई है| उस पर पिछले 3 महीने भी मैं उससे अलग रहा, अब शादी हुई तो भी उसे घर जाना पड़ा! अब कैसे ..... नई-नई शादी हुई....दूल्हे का थोड़ा तो ध्यान रखना चाहिए ना? फिर एक बड़ी जोरदार खुशखबरी भी उसे देनी है!!" ये कहते हुए मैंने भाभी को वो खुशखबरी सुनाई और वो फ़ौरन नीचे आईं और सब को वो बात बताई| भाभी ने बड़े तरीके से मेरी खुशखबरी को मेरी बेसब्री के ऊपर रख ऐसे जताया जैसे ये खबर सुनाने को मैं मरा जा रहा हूँ| आखिर नीचे से बुलावा आया और पिताजी बोले; "देख मैं या भाईसाहब तो जाने वाले नहीं, क्योंकि हमें अच्छा नहीं लगता की हम इतनी जल्दी बहु को लेने जाएँ!" अभी पिताजी की बात पूरी भी नहीं हुई की मैं बीच में ही बोल पड़ा; "पिताजी मैं माँ, भाभी और ताई जी को ले जाता हूँ! इसी बहाने वो सब भी घूम आएंगे!"
"कुछ ज्यादा ही समझदार हो गया तू? पर जाते हुए मिठाई ले जाइओ और अपनी भाभी की खुशखबरी भी दे दिओ!" पिताजी बोले और जाने की इजाजत दी| अब मुझे माँ और ताई जी को मनाना था जो इतना मुश्किल नहीं था! आखिर हम सारे निकले, भाभी आगे बैठीं और उनकी गोद में नेहा बैठी थी| आज पहलीबार मेरी बेटी गाडी में बैठी थी और इसकी ख़ुशी अनु से मिलने की ख़ुशी के साथ जुड़ गई!
मैंने गाडी एक दूकान पर मिठाई लेने के लिए रोकी और उसी बीच अनु को फ़ोन किया; "अपनी दुल्हनिया को लेने उसके दूल्हे राजा आ रहे हैं और साथ ही आपकी चहेती (नेहा) को भी ला रहे हैं!" ये सुन कर अनु हँस पड़ी और उसने ये बात फ़ौरन मम्मी जी को बता दी| मिठाई की दूकान के बाद गाडी सीधा अनु के दरवाजे पर रुकी, जहाँ अनु पहले से ही खड़ी थी| उसे देखते ही भाभी बोलीं; "आग दोनों तरफ लगी है!" पहले भाभी गाडी से उतरीं और उनके गोद में नेहा को देख अनु फ़ौरन उनके पास पहुँची| पहले उनसे गले मिली और फिर नेहा को गोद में उठा लिया| फिर निकली माँ और ताई जी और उन्हें देख वो एकदम हैरान हो गई और दौड़ कर उनके पाँव छुए पर मुझे एक Hi तक नहीं बोला बल्कि नेहा और सब को ले कर अंदर चली गई| मैं बेचारा लास्ट में अंदर आया, सब के सब बैठक में बैठ गए और तब मैंने मम्मी-डैडी जी का मुँह मीठा करवाया| डैडी जी को (अनु के) मौसा जी ने पहले ही सब बता दिया था, मम्मी-डैडी ने भाभी को आशीर्वाद दिया और उन्होंने मंदिर में भाभी के लिए अर्चना कराई थी उसका प्रसाद भी दिया|
"समधी जी माफ़ करना हमने इस तरह बिना बताये आने की गलती की पर ये जो है ना हमारा लड़का वो थोड़ा सा पागल है!" माँ ने जैसे-तैसे बात शुरू करते हुए कहा|
"अरे समधन जी ये आप क्या कह रहीं हैं?! आप सब का हमेशा स्वागत है! वैसे हम अच्छे से जानते हैं हमारे जमाई को, पागल नहीं अनु से बहुत प्यार करता है!" डैडी जी बोले पर मुझे थोड़ा बहाना तो करना था;
"वो डैडी जी....काम....काम बहुत पेंडिंग है!" मैंने बहाना मारा|
"हाँ बीटा जी! हम जानते हैं कितना काम पेंडिंग है?" मम्मी जी हँसते हुए बोलीं| अब मेरी पोल-पट्टी तो खुल ही चुकी थी तो मैंने सोचा की चलो सब के साथ ख़ुशी साजा कर लूँ|
"दरअसल डैडी जी मैं और अनु जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे उसी के जरिये मैंने New York में बात की थी और हमें एक और कंपनी में मिलने के लिए बुलाया गया है| पर उसके पहले हमें अपनी कुछ Highlights Pitch करनी हैं! अगर हमारा प्रपोजल उन्हें पसंद आ गया तो हमें जल्दी ही New York जाना होगा|" मैंने कहा और ये खबर सुन कर मम्मी-डैडी बहुत खुश हुए पर ठीक उसी समय पर भाभी ने अपना काम किया;
"इसी बहाने इन दोनों का वो....वो क्या होता? शादी के बाद मियाँ-बीवी कहाँ जाते हैं?" भाभी बोलीं और मैं अपने उत्साह में बोल गया;
"Honeymoon!!!" ये सुन कर सारे हँसने लगे, इधर मैं और अनु शर्म से लाल हो गए! फिर भाभी ने वहाँ सब के सामने मेरी और अनु की बड़ी खिचाई की, आखिर खाना-पीना कर के हम सब निकले| आगे की तरफ अनु बैठी और उसकी गोद में नेहा थी और पीछे माँ, ताई जी और भाभी बैठे थे| कुछ दूर आने पर मैंने अनु से शिकायत करते हुए अंग्रेजी में कहा; "You greeted everyone but didn’t even said ‘Hi’ to me, this ain’t fair!”
“Sorry!” अनु ने शर्माते हुए कहा|
"ये क्या दोनों अंग्रेजी में गिट-पिट कर रहे हो?" भाभी बोलीं तो मैंने अनु की शिकायत सबसे कर दी!
"मैं कह रहा था की जब हम आये तो इन्होने सब का प्यार से स्वागत किया और मुझे एक छोटा सा Hi तक नहीं कहा!" ये सुनते ही ताई जी अनु की हिमायत करते हुए बोलीं;
"तेरे लिए बेचारी दरवाजे पर खाड़ी इंतजार कर रही थी ना?" और बाकी की रही-सही कसर माँ ने निकाल दी; "हमारी बहु शर्मीली है, तेरी तरह बेशर्म नहीं! दो दिन भी उसके बिना नहीं रह पाया!" मैं अपना इतना सा मुँह ले कर चुप हो गया और उधर भाभी और अनु का हँस-हँस कर बुरा हाल हो गया|
खेर हम घर पहुँचे और अनु को देख कर सब खुश हुए लेकिन मुझे एक बार फिर सब की डाँट खानी पड़ी! पर कम से कम अनु घर वापस आ गई थी और मैं इसी से खुश था| रात को खाने के बाद अनु का प्यार मुझ पर बरसने लगा, पर तभी नीचे से नेहा के रोने की आवाज आई| मैं फ़ौरन नीचे पहुँचा; "तेरे बिना ये सोने वाली नहीं, इसे सुला कर मेरे पास वापस दे दे!" भाभी बोलीं| मैं उनका मतलब समझ गया था, वो चाहती थीं की अनु और मुझे अकेला टाइम मिले पर वो क्या जाने की हम दोनों नेहा से कितना प्यार करते हैं| मैंने बस ना में सर हिलाया, और नेहा को पुचकारते हुए ऊपर ले आया| नेहा को रोता देख अनु ने उसे गोद में लेने को हाथ खोले पर नेहा उसकी गोद में नहीं गई| "अच्छा बेटा! मेरे पास नहीं आओगे, ठीक है मैं आपसे बात नहीं करुँगी!" ये कहते हुए अनु रूठ गई| "Hawwwww!!! देखो मम्मा गुच्छा हो गए!" मैंने तुतलाते हुए नेहा से कहा और वो एकदम से चुप हो गई| फिर मैं उसे अनु के पास ले गया और नेहा ने अपने हाथ एकदम से खोल दिए| अनु एकदम से पिघल गई और उसने नेहा को गोद में ले लिया और उसे प्यार करने लगी| अनु ने नेहा को बीच में लिटाया और हम दोनों उसके दोनों तरफ लेट गए| अनु ने अपना दायाँ हाथ मेरी कमर पर रखा और मैं अपने बाएँ हाथ से अनु के गाल को सहलाने लगा| "आपको पता है मैंने आपको कितना miss किया!" मैंने कहा|
"Miss तो मैंने किया आपको! आपके पास तो कम से कम नेहा थी मेरा तो वहाँ हाल ही बुरा था!" अनु बोली| फिर वो एक दम से उठी और मेरे होठों पर Kiss दे कर लेट गई| नेहा अब भी जाग रही थी तो उसे सुलाने को मैंने एक कहानी सुनाई| कहानी सुनते-सुनते माँ-बेटी सो गए और कुछ देर बाद मैं भी सो गया| अगले 3 दिन हम दोनों ने ऑफिस का काम किया, बेचारी अनु को घर का काम भी देखना पड़ता और मेरे साथ बैठ कर काम भी करना पड़ता| मैं अपनी तरफ से कोशिश कर रहा था की मैं अनु को ज्यादा तंग ना करूँ पर बिना उसके इनपुट के काम होना मुश्किल था| माँ ने भी कई बार अनु को कहा की वो काम करे और घर का काम भाभी कर लेंगी पर अनु नहीं मानी| खेर Pitch रेडी हुई और मैंने वो भेज दी और अब हम दोनों बेसब्री से जवाब आने का इंतजार करने लगे|