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Assassin भाई आपका तहे दिल से शुक्रिया जो आपने मेरी GIF पोस्ट करने की समस्या का निवारण किया| आज की अपडेट का सारा श्रेय आपको जाता है, यदि आप मुझे ठीक से गाइड न करते तो ये अपडेट नामुमकिन थी! बहुत-बहुत धन्यवाद!
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नीचे आ कर मैंने सबसे पहले ऋतू के लिए दूध बनाया, ये पहलीबार था की उसने ऐसा व्रत रखा हो और मुझ उसके स्वास्थ्य की बहुत चिंता थी| ऋतू ने बहुत मना किया की इसकी कोई जर्रूरत नहीं पर मैंने फिर भी उसे जबरदस्ती दूध पिला दिया| "आप भी पियो न, व्रत तो आपने भी रखा था ना?" ऋतू ने कहा| "जान! मैं अभी अगर दूध पी लूँगा तो खाना नहीं खाऊँगा, इसलिए मेरी चिंता मत कर| अब ये बता की खाना क्या खाओगी?" मैंने खाना आर्डर करने के इरादे से कहा पर ऋतू एक दम से उठ कड़ी हुई; "कोई आर्डर-वॉर्डर करने की जर्रूरत नहीं है, मैं बनाऊँगी खाना!" ऋतू ने लाजवाब खाना बनाया और फिर हमेशा की तरह हमने एक दूसरे को अपने हाथों से खिलाया| अब बारी थी सोने की और ऋतू को सुबह से देख कर ही मेरा मन मचल रहा था| कुछ यही हाल ऋतू का भी था जो कब से मेरी बाहों में सिमट जाना चाहती थी|
ऋतू अपनी साडी उतारने लगी, उसका ध्यान मेरी तरफ नहीं था पर मेरी आँखें तो उसके बदन से चिपकी हुई थीं| ऋतू ने साडी उतारी और उसे फोल्ड करने लगी, पेटीकोट और ब्लाउज में आज वो खर ढा रही थी| मुझसे रुका न गया तो मैं उठा और जा कर उसके पीछे उससे सट कर खड़ा हो गया| मेरे जिस्म का एहसास पाते ही ऋतू सिंहर गई और उसके हाथ साडी फोल्ड करते हुए रूक गए| मैंने अपन दोनों हाथों से ऋतू की कमर को थामा और उसकी गर्दन को चूमा और फिर जैसे मुझे कुछ याद आया और मैं ऋतू को छोड़ कर किचन में गया| इधर ऋतू हैरान-परेशान से खड़ी अपने सवालों का जवाब ढूँढने लगी, की आखिर क्यों मैं उसे ऐसे छोड़ कर किचन में चला गया| मैं जब किचन से लौटा तो मेरे हाथ में एक पानी का गिलास था और ऋतू की आँखों में सवाल| "आज दवाई नहीं ली ना?" मैंने ऋतू को उसकी प्रेगनेंसी वाली दवाई की याद दिलाई और उसने फटाफट अपने बैग से दवाई निकाली और पानी के साथ खा ली| अब और कोई भी काम नहीं बचा था, ऋतू ने साडी आधी ही फोल्ड की थी और जब वो उसे दुबारा फोल्ड करने को झुकी तो मैंने उसका हाथ पकड़ के झटके से अपनी तरफ खींचा| ऋतू सीधा मेरे सीने से आ लगी और अपन असर मेरे सीने में छुपा लिया| अब तो मेरे लिए सब्र कर पाना मुश्किल था, मैंने ऋतू को गोद में उठाया और उसे पलंग पर लिटा दिया| ऋतू ने भी फटाफट अपना ब्लाउज खोलना शुरू किया और इधर मैंने उसके पेटीकोट का नाडा खोल दिया| ब्लाउज ऋतू ने निकाला तो उसका पेटीकोट मैंने निकाल कर कुर्सी पर रख दिया| अब ऋतू सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और मैं अभी भी पूरे कपड़ों में था, मैंने एक-एक कर सारे कपडे निकाल कर कुर्सी पर रखे| ऋतू उठ के बैठी और अपनी ब्रा का हुक खोल उसे निकाल दिया, अभी मैं ये कपडे कुर्सी पर रख ही रहा था की ऋतू ने मेरे कच्छे के ऊपर से मेरे लंड को चूम लिया और अपनी दोनों हाथों की उँगलियों को मेरे कच्छे की इलास्टिक में फँसा कर नीचे सरका दिया| आगे का काम मैंने खुद ही किया और कच्छा निकाल कर कुर्सी पर रख दिया|
"क्या बात है जानू! आज तो सारे कपडे आप कुर्सी पर रख रहे हो?"
"कल मेरी जान को उठा के ना रखने पड़े इसलिए कुर्सी पर रख रहा हूँ|" ये कहते हुए मैं ऋतू की बगल में लेट गया| ऋतू ने एकदम से मेरी तरफ करवट ली और मेरे होठों को Kiss करने लगी| "आज पार्लर के बाहर आप बहुत naughty हो गये थे?" ऋतू ने मेरे ऊपर वाले होंठ को चूमते हुए कहा| "पहले तुम naughty हो जाए करती थी अब मैं हो जाता हूँ!" मैंने जवाब दिया और ऋतू को अपनी बुर मेरे मुँह पर रख कर बैठने को कहा| ऋतू बैठी तो सही पर उसका मुँह मेरे लंड की तरफ था और इससे पहले की मैं उसकी बुर को अपनी जीभ से छु पाता वो आगे को झुक गई और तब मुझे एहसास हुआ की ऋतू ने अब भी पैंटी पहनी हुई थी| हम दोनों इतना बेसब्र हो गए थे की ऋतू की पैंटी उतारने के बारे में भूल गए थे| मेरा मन आज उसकी बुर का स्वाद चखने का था, ऐसा लग रहा था जैसे एक अरसा हुआ उसकी बुर का स्वाद चखे! मैंने ऋतू को सीधा बैठने को कहा, तो वो अपनी बुर मेरे मुँह पर टिका कर बैठ गई|
फिर मैंने उसे अपनी पैंटी को उसके बुर के छेद के ऊपर से हटाने को कहा ताकि मैं उसे अच्छे से चाट सकूँ| ऋतू ने अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी पैंटी को इस कदर साइड किया की मुझे ऋतू के बुर के द्वार साफ़ नजर आये| मैंने अपनी जीब निकाल कर ऋतू की बुर को चाटना शुरू किया, "ससससस...आह...सस्म्ममं मममम मममम" की आवाज मेरे कमरे में गूँजने लगी| मस्ती आकर ऋतू ने अपनी बुर को मेरे मुँह पर आगे-पीछे रगड़ना शुरू कर दिया| उसके ऐसा करने से मेरे होठों और उसकी बुर की पंखड़ियों में घर्षण पैदा होता और ऋतू सिस्याने लगती! अगले पांच मिनट तक ऋतू अपनी बुर को इसी तरह अपनी बुर को मेरे मुँह पर घिसती रही पर अब भी एक अड़चन थी|
ऋतू अब भी अपनी पैंटी पकड़ के बैठी थी जिससे उसे वो स्पीड हासिल नहीं हो रही थी जो वो चाहती थी, ऋतू उठी और गुस्से से अपनी पैंटी निकाल फेंकी और दुबारा मेरे मुँह पर बैठ गई| इस बार आसन दूसरा ग्रहण किया, इस बार वो मेरी तरफ मुँह कर के बैठी, उसका दायाँ हाथ मेरे मस्तक पर था और बाएं हाथ को उसने मेरे पेट पर रख कर सहारा लिया ताकि वो गिर ना जाए|
मैंने अपनी जीभ निकल के ऋतू की बुर के अंदर प्रवेश कराई की ऋतू की सिसकारी निकल पड़ी और उसने अपनी कमर को पहले की तरह आगे-पीछे चलाना शुरू कर दिया| ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ मेरे लंड का काम कर रही है और ऋतू की बुर छोड़ रही है| ऋतू की नजर मेरे चेहरे पर टिकी थी और वो ये देख रही थी की मुझे इसमें कितना मज़ा आ रहा है| दस मिनट तक ऋतू बिना रुके लय बद्ध तरीके से अपनी कमर को मेरे होठों पर आगे-पीछे करती रही और मैं उसकी बुर को किसी आइस-क्रीम की तरह चाटता रहा| "ससाह...ममः...मममममम...अअअअअअअअ ...!!!" कर के ऋतू ने पानी छोड़ा जो बहता हुआ मेरे मुँह में भर गया|
ऋतू मेरे ऊपर से लुढ़क कर लेट गई, इधर मेरा लंड पूरी तैयारी में खड़ा था और इंतजार कर रहा था की उसका नंबर कब आएगा? ऋतू कुछ तक गई थी इसलिए वो अपनी साँसों को काबू कर रही थी पर उसकी नजर मेरे लंड पर थी| मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसे हिला कर उसे उसके दर्द का एहसास दिलाया| थोड़ा प्यार तो उस बिचारे को भी चाहिए था.....
ऋतू को भी मेरे लंड पर तरस आ गया, या ये कहे की उसके मुँह में पानी आ गया| वो उठ के बैठी मेरे लंड को अपने मुट्ठी में पकड़ के उसका अच्छे से दीदार करने लगी| उसके हाथ लगते ही प्री-कम की एक बूँद लंड के छेद से बाहर आई, ऋतू ने लंड की चमड़ी पकड़ के उसे एक बार ऊपर-नीचे किया तो उस प्री-कम की बूँद ने पूरे लंड को गीला कर दिया|
ऋतू ने अपने गर्म-गर्म साँस का भभका मेरे लंड पर मारा तो उसमें खून का प्रवाह तेज हो गया| ऋतू ने आधा लंड अपने मुँह भरा और अपने मुँह को मेरे लंड पर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया| धीरे-धीरे ऋतू मेरे लंड को जितना हो सके उतना अपने मुँह में और अंदर लेती जा रही थी| फिर कुछ पलों के लिए ऋतू ने जोश में आ कर मेरा पूरा लंड अपने गले तक उतार लिया और कुछ सेकण्ड्स के लिए रूक गई| जब उसे लगा की उसकी सांस रूक रही है तो उसने पूरा लंड अपने मुँह से निकाला| मेरा पूरा लंड उसके थूक से सन गया था और चमकने लगा था| पर उसका मन अभी भरा नहीं था, ऋतू ने अपने हाथ से चमड़ी को आगे-पीछे किया और फिर अपनी जीभ से पूरे लंड को जड़ से ले कर छोर तक चाटने लगी| अगले पल उसने वो किया जिसकी उम्मीद मैंने कभी नहीं की थी, उसने झुक कर मेरे टट्टों (अंडकोष) को अपने मुँह में भर के चूसा! मैं आँखें फाड़े उसे देखने लगा और ऋतू बस मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी| ऋतू ने फिर से मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और अपने मुँह को फिर से ऊपर-नीचे करते हुए लंड चूसने लगी| आज तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और लग रहा था की मैं छूट जाऊँगा इसलिए मैंने ऋतू को रोका और लिटा दिया, उसकी टांगों को चौड़ा कर मैं बीच में आ गया| लंड को उसकी बुर पर सेट किया और एक झटका मार के अंदर ठेल दिया| चूँकि मेरा लंड पहले से ही ऋतू के थूक और लार से भीगा हुआ था इसलिए मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी| एक धक्का और आधे से ज्यादा लंड अंदर पहुँच गया!
ऋतू की बुर अंदर से बहुत गीली हो चुकी थी और वो मेरा पूरा लंड खाना चाहती थी| इसलिए अगले धक्के से पूरा लंड अंदर चला गया "आह! ममममम ममममममममम ...ससस..!!!" अंदर की गर्माहट पा कर लंड प्रफुल्लित हो उठा और मैंने अब अपने लंड को जड़ तक अंदर पेलना शुरू कर दिया| जब लंड अंदर पूरा पहुँचता तो ऋतू की बुर अंदर से टाइट हो जाती और लंड बाहर निकालते ही उसकी बुर अंदर से ढीली हो जाती| अगले पाँच मिनट तक मैं इसी तरह ऋतू की बुर चुदाई करता रहा| ऋतू की आँखों में मुझे कभी न खत्म होने वाली प्यास नजर आ रही थी इसलिए मैं उस पर झुका और उसके होठों को Kiss किया, मैंने वापस खड़ा होना चाहा पर ऋतू ने अपने अपनी एक बाँह को मेरे गले में डाल दिया और मुझे अपने ऊपर ही झुकाये रखा|
मैं उसके ऊपर झुके हुए ही अपनी कमर को चलाता रहा और ऋतू की बुर से पूछ-पूछ की आवाज आती रही| "स्सम्म्म हहहह ...मामामा..आह!" कहते हुए ऋतू उन्माद से भरने लगी! उसकी बुर में घर्षण बढ़ चूका था और वो किसी भी वक़्त छूट सकती थी पर मुझे अभी और समय चाहिए था, इतने दिनों से जो प्यासा था! मैं रूका और ऋतू को पलट के उसे घुटनों के बल आगे को झुका दिया| ऋतू के घुटने मुड़ के उसकी छाती से दबे हुए थे, मैंने पीछे से ऋतू के कूल्हों को पकड़ के उसके बुर के सुराख को उजागर किया और अपना लंड अंदर पेल दिया!
हमला इतना तीव्र था की ऋतू दर्द से तड़प उठी; "अअअअअअअहहहहहहहह !!!" चिल्लाते हुए उसने बिस्तर की चादर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया| मेरा पूरा लंड ऋतू की बुर में उतर चूका था इसलिए मैंने बिना रुके धक्के मारने शुरू कर दिए| हर धक्के से ऋतू का जिस्म कांपने लगा था और आनंद और दर्द के मिले जुले एहसास ने उसे छूटने के कगार पर पहुँचा दिया| मैं भी स्खलित होने के बहुत नजदीक था इसलिए मेरे धक्कों की गति और बढ़ गई थी! अगले कुछ पलों में पहले मैं और फिर ऋतू एक साथ स्खलित हुए और एक दूसरे से अलग हो कर पस्त हो गए| सांसें दुरुस्त हुई तो मैंने ऋतू को देखा, उसके चेहरे पर संतुष्टि की ख़ुशी दिखी| "कभी-कभी जान निकाल देते हो आप!" ऋतू ने प्यार भरी शिक़ायत की तो जवाब मैंने अपने दोनों कान पकडे और उसे सॉरी कहा| "पर मज़ा भी तभी आता है!" ऋतू ने शर्माते हुए कहा| मैंने उठ के ऋतू को अपने ऊपर खींच लिया और उसके गालों को चूमा और हम दोनों ऐसे ही सो गए|
Always welcomeAssassin भाई आपका तहे दिल से शुक्रिया जो आपने मेरी GIF पोस्ट करने की समस्या का निवारण किया| आज की अपडेट का सारा श्रेय आपको जाता है, यदि आप मुझे ठीक से गाइड न करते तो ये अपडेट नामुमकिन थी! बहुत-बहुत धन्यवाद!
थ्रेड में आपका स्वागत है|Bhai bhut accha laga aj ka update
rocky bhai ab aya hu laptop par.............
ab apko sahi par objection hai to meri ideology samajh lo...............
duniya me kisi ko analyze karne ke 2 mapdand hain......
1- achchha ya bura .......... ye jyadatar log istemal karte hain aur pasand bhi karte hain
2- sahi ya galat ..................... ye kuchh log hi pasand karte hain....aur prayog karnewale aur bhi kam hain...
achchha ya bura wo hota hai.........jise log maante hain
sahi ya galat wo hota hai............ jise hum jaante hain....
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apke pichhle update me mujhe sabse sahi ye laga ki akhirkar manu ne wo kadam utha hi liya aur itni intensity se ki.....ritu ko bhi apni galti ka abhash ho gaya........lekin mujhe bhi maanu aur anya pathko ki tarah lagta hai ki ritu sahi raste par nahi ayegi....balki wo hi karegi jo use achchha lagta hai....
ab mohini maanu ki naukri lagwa rahi hai........ dekhte hain ritu kab tak mohini ko bardast karegi.... kyonki ab mohini se najdikiyan bhi badh sakti hain naukri ke silsile me................ ya fir wohi kamya madam jaisa ho jayega.......... ab 2 saal bad shadi karni hai to kamana bhi padega aur logo se relations bhi banakar rakhne padeinge....... ritu agar maanu ki personal life tak hi seemit rahegi to sabkuchh sahi chal sakta hai.... lekin agar wo manu ki social aur professional life me involve hogi ya interfere karegi to jab tak sab sahi hai...achchha lagega.... lekin jis din kuchh bhi galat ho gaya.....bura lagne ki bhi mohlat nahi milegi dono ko.... isliye abhi chahe ritu ko kitna bhi bura feel ho...lekin use galti karne ka mauka na de manu
is update me jabardast karwachauth manai dono ne jise kehte hain palangtod
ummeed karta hu ki ap sahi aur achchhe ka fark mere nazariye se samajh gaye hongeman'na ya na man'na apki marji par hai
chhote bhai........ mujhe na bura laga, nahi me serious hoon............. bas jo man me aya....socha apse bhi share kar luसर जी,
मैं आपको सही-गलता या अच्छा-बुरा कतई जज नहीं कर रहा, मैंने लोगों को जज करना छोड़ दिया है| मैं तो केवल आपके "अपडेट बहुत सही लगा..." के कमेंट पर दुखी हुआ था| पर आपने तो बता ही दिया था की आप फ़ोन पर अपडेट पढ़ रहे थे और डिटेल फीडबैक आपका अब आया| खेर भूल-चूक माफ़ कीजियेगा, मैं आपकी बहुत रेस्पेक्ट करता हूँ और अगर मेरी किसी बात का आपको बुरा लगा हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ!