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Romance काला इश्क़! (Completed)

Rockstar_Rocky

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update 67

अपने ही माँ-बाप के द्वारा दुत्कारे जाने से मैं बहुत उदास था, पर इसमें उनका कोई दोष नहीं था, दोष था तो उस रितिका का!

खेर दोपहर का समय था पर खाने का जरा भी मन नहीं था| मन तो अनु का भी नहीं था पर वो जानती थी की खाना खा के मुझे दवाई लेनी है, पहले ही मैं सुबह घर से भूखे पेट निकला जा चूका था| उन्होंने जबरदस्ती खाना परोसा और प्लेट मेरे सामने रख दी| मैंने ना में गर्दन हिला कर मना किया पर वो नहीं मानी, अपने हाथों से एक कौर मेरे होठों के सामने ले आईं| मेरा मन नहीं हुआ की मैं उनका दिल तोड़ूँ, इसलिए मैंने मुंह खोला और उन्होंने मुझे वो कौर खिला दिया| खाना खा कर मैं बालकनी में फिर अपनी जगह बैठ गया| मेरा सर चौखट से लगा था और घुटने मेरे सीने से दबे थे| अनु बिना कुछ बोले मेरे साथ बैठ गई और अपना सर मेरे दाएँ कंधे पर रख दिया| हम दोनों ऐसे ही चुपचाप बैठे रहे, मुझे लगा कहीं अनु खुद को इस सब के लिए दोषी न मानने लगे इसलिए मैंने बात शुरू की; "भगवान का शुक्र है की आप हो मुझे संभालने के लिए वरना पता नहीं मेरा क्या होता!" पर अनु खामोश रही अब उन्हें बुलवाने के लिए मुझे कुछ तो करना ही था|

"मैं तो बस तुझसे ही बना हूँ

तेरे बिन मैं बेवजह हूँ

मेरा मुझे कुछ भी नही, सब तेरा

सब तेरा, सब तेरा, सब तेरा" मैंने गाने के बोल गुनगुनाये तो अनु एक दम से मेरी तरफ देखने लगी और उनके होठों पर मुस्कराहट तैरने लगी जो मुझे पसंद थी|

"मैं तो तेरे रंग में रंग चुका हूँ

बस तेरा बन चुका हूँ

मेरा मुझमे कुछ नही, सब तेरा" अब तो ये सुन कर अनु जोश में आ गई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा किया और अपने फ़ोन पर यही गाना लगा दिया| अनु मेरे सीने से लग कर खड़ी हुई और हम धीरे-धीरे झूमने लगे और गाने के बोल गुनगुनाने लगे| अब दोनों का मूड ठीक हो चूका था तो हमें जाने की प्लानिंग करनी थी| सामान अनु ने पहले से ही पैक कर दिया था, बस अब मेरी एक बाइक बची थी| जिसे बेचने का मन मेरा कतई नहीं था क्योंकि वो मैंने अपने पैसों से खरीदी थी, अनु मेरी परेशानी अच्छे से जानती थी इसलिए वो बोली; "तुम्हें ये बेचने की कोई जर्रूरत नहीं है|" इतना कह कर उन्होंने फटाफट एक फ़ोन घुमाया; "अक्कू! सुन बेटा मुझे लखनऊ से एक बुलेट भेजनी है बैंगलोर तो जरा पता कर के बताना कैसे भेजेंगे!" उस लड़के ने कुछ कहा होगा की अनु बोली; "ओये! तेरे लिए नहीं है, मेरे फ्रेंड की है| हाँ वही वाला!" ऐसे कहते हुए वो हँसने लगी| कॉल खत्म हुआ तो मैंने पुछा; "वही वाला? और कितने फ्रेंड हैं आपके?"

"पिछले कुछ दिनों से तुम मेल भेज रहे थे ना तो वो पूछ रहा था की वो मेल वाला फ्रेंड|" ये सुन कर मैं भी मुस्कुरा दिया| फिर मैंने उनसे उनका बैंक अकाउंट नंबर माँगा तो वो भड़क गईं; "मुझे पैसे दोगे?"

"अरे बाबा! अब यहाँ से जा रहा हूँ तो बैंक आकउंट यहाँ रख कर क्या फायदा? कौन बार-बार यहाँ आएगा, इसलिए अभी मैं आपके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर रहा हूँ और बाद में वहाँ अकाउंट खुलने के बाद आप वापस मेरे अकाउंट में डाल देना||" ये सुनने के बाद वो समझीं और डिटेल्स दीं, पर जब अमाउंट ट्रांसफर हुआ और उन्होंने 4 लाख रुपये देखे तो वो आँखें फाड़े मुझे देखने लगी| "इस तरह आँख मूँद कर कभी किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए!" अनु ने कहा|

"किसी पर नहीं करता, पर आप पर करता हूँ!" इतना कह कर मैं मुस्कुरा दिया|

"थैंक यू इतना विश्वास करने के लिए!" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा| हमारे पास मुश्किल से दो दिन ही रह गए थे, मैंने अरुण-सिद्धार्थ को मिलने बुलाया, हम चारों हॉल में बैठे थे और अनु ने सब के लिए चाय बना दी थी| अनु मेरे साथ बैठी थी और अरुण और सिद्धार्थ मेरे सामने बैठे थे| पता नहीं क्यों पर वो दोनों कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहे थे; "यार तुम दोनों को एक खुश खबरि देना चाहता हूँ!" मैंने कहा| इतना सुनते ही उनकी बाछें खिल गई| "बता यार, तेरे मुँह से खुशखबरी सुनने को कान तरस गए थे|" अरुण ने कहा|

"यार अनु को एक प्रोजेक्ट मिला जिसके सिलसिले में हम New York जा रहे हैं और उसके बाद वापसी में मैं अनु को ही बैंगलोर में ज्वाइन करूँगा|" मेरी बात अनु को अधूरी लगी तो उन्होंने उसमें अपनी बात जोड़ दी;

"Not as an employee but as a business partner!!!" ये सुन कर अरुण और सिद्धार्थ दोनों खुश हुए पर ये वो खबर नहीं थी जो वो सुनना चाहते थे|

"अरे wow!" अरुण ने कहा और सिद्धार्थ ने मुझसे हाथ मिलाया और इस बार उसकी पकड़ थोड़ी कठोर थी और वो मुझे आँखों से कुछ इशारा भी कर रहा था जिसे मैं समझ नहीं पाया था| "अब तो पार्टी बनती है!" अरुण बोला पर पार्टी सुनते ही अनु का चेहरा थोड़ा फीका पड़ गया क्योंकि मैं बाहर कुछ भी नहीं खा सकता था|

"Guys, डॉक्टर ने मुझे बाहर से खाने को मना किया है!" मैंने सफाई देते हुए कहा|

"अरे तो क्या हुआ? हम घर पर ही कुछ बना लेते हैं! चल गाजर का हलवा बनाते हैं!" सिद्धार्थ ने पूरे जोश में आते हुए कहा| इतना कह कर हम तीनों उठ खड़े हुए पर अनु बोल पड़ी;

"अरे तो तुम लोग बैठो मैं बनाती हूँ|"

"अरे mam आप क्यों तकलीफ करते हो, हम तीनों हैं ना!" अरुण बोला|

"ये क्या mam-मम लगा रखा है? You're not my employees anymore! Call me Anu!" अब ये सुन कर दोनों मेरी तरफ देखने लगे| तभी अनु दुबारा बोली; "मानु भी तो मुझे अनु कहता है फिर तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?"

"Mam वो क्या है न हम इसकी तरह बद्तमीज नहीं हैं!" सिद्धार्थ ने मेरी टाँग खींचते हुए कहा|

"ओह! भाई साहब मुझे भी इन्होने ही बोला था की नाम से बुलाया करो!" मैंने अपनी सफाई दी|

"Guys, ये बात तो सच है की इससे ज्यादा तमीजदार लड़का मैंने नहीं देखा| Chivalry तो इनके रग-रग में बसी है|"

"Mam वो..." अरुण कुछ कहने को हुआ तो अनु ने उसकी बात काट दी;

"Come on guys!" उनका इतना कहना था की दोनों मान ही गए और एक साथ बोले; "ओके अनु जी!"

"अनु जी नहीं सिर्फ अनु!" अनु ने कहा तो दोनों ने मुस्कुरा कर हाँ में सर हिलाया| उसके बाद हम तीनों ने किचन में मिलकर गाजर का हलवा बनाया और बनाते-बनाते हमारी बहुत सी बातें हुई, बहुत से राज खोले गए और हँसी मजाक खूब चला|

20 तरीक को हम सुबह एयरपोर्ट के लिए निकले, दिल का एक टुकड़ा अचानक से रो पड़ा और आँखें नम हो गईं| हम टैक्सी में बैठे थे और मेरी नजरें खिड़की से चिपकी हुईं थी, हर वो दूकान, हर वो मोहल्ला, हर वो सड़क जहाँ मैंने घूमते हुए इतने साल निकाले आज वो सब मैं पीछे छोड़ कर जा रहा था| कॉलेज से ले कर अब तक करीब 7 साल बिताने के बाद जैसे दिल का एक हिस्सा यहीं रह जाना चाहता था| इस शहर ने मेरी जिंदगी का हर एक पहलु देखा था फिर चाहे वो कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट की आवारागर्दी हो या मोहब्बत में चोट खाये आशिक़ के आँसू! मेरे ये आँसू अनु से छुप नहीं पाए और उन्होंने मेरी ठुड्डी पकड़ के अपनी तरफ घुमाई और आँखों के इशारे से पुछा की क्या हुआ? तो मैंने उन्हें अपने मन के ख्याल सुना दिए| ये सुन कर वो मुस्कुरा दी और मेरे माथे को चूमते हुए बोलीं; "तुम शहर छोड़ कर नहीं बल्कि इस यादें अपने सीने में बसाये ले जा रहे हो|" मैंने हाँ में सर हिलाया और उनकी बात accept की!


इमोशनल होते हुए हम एयरपोर्ट पहुँचे, ये मेरी लाइफ की पहली हवाई यात्रा थी जो अनु करवा रही थी| कहने को तो ये ढाई घंटे की यात्रा थी पर मेरे लिए ये यादगार यात्रा थी| अपने फ़ोन से मैं जितनी पिक्चर ले सकता था वो लीं, अनु को मुझे ऐसा करता देख एक अजीब सा सुख मिल रहा था और वो बैठी बस मुस्कुराती हुई मुझे देख रही थी| मैं उनके पास आया और उनके साथ बहुत सी selfie खींची| रितिका और मेरी साड़ी selfie तो मैं डिलीट कर चूका था और फ़ोन खाली था, तो सोचा की उसे एक अच्छे दोस्त के साथ फोटो खींच कर भर दूँ| खेर जब बोर्डिंग शुरू हुई तो हमारी seats एक साथ नहीं बल्कि दूर-दूर थीं क्योंकि मेरी टिकट लास्ट में बुक हुई थी| पर अनु बहुत होशियार थी, उनकी बगल वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी तो उसने उससे कहा; "excuse me, मेरे हस्बैंड और मेरी seats दूर-दूर मिली हैं तो आप प्लीज वहाँ बैठ जाओगे?" उस लड़की ने मुस्कुराते हुए हाँ भरी और मेरे पास आई और मेरे कंधे को छूते हुए कहा; "आपकी वाइफ बुला रही हैं!" मैं हैरानी से उसे देखने लगा की ये क्या बोल रही है, फिर मैंने पलट कर देखा तो अनु हँस रही थी| मैं समझ गया और उठ कर उनके पास चल दिया| "यार आपको चैन नहीं है ना?" मैंने हँसते हुए कहा| मैं उनके बगल वाली सीट पर बैठने लगा तो उन्होंने मुझे अपनी खिड़की वाली सीट दे दी| हवाई जहाज में पहलीबार बैठना वो भी खिड़की वाली सीट पर! Take off से पहले सीट बेल्ट की announcement हुई और फ़ोन switch off करने की पर आज मैं अपने जीवन में पहली बार अपना फ़ोन 'airplane' mode में डालने को मरा जा रहा था| जब मैंने ये बात अनु को बताई तो वो भी मेरा बचपना सुन हँस पड़ी| Take off और Land करते हुए मेरी थोड़ी फटी थी पर अनु ने मेरे बाएँ हाथ पर अपने हाथ रखे हुए थे तो डर कम लगा| हम बैंगलोर पहुँचे और बाहर निकलते ही मैंने उस जमीन को अपनी उँगलियों से iछू लिया| "जब पहलीबार लखनऊ आया था कॉलेज पढ़ने तब भी मैंने ये किया था और आप देखो कितना प्यार दिया उस शहर ने और आज यहाँ नई जिंदगी शुरू करने आया हूँ तो गर्व महसूस हो रहा है|" मैंने कहा तो अनु ने मेरी पीठ थपथपाई! अनु ने अक्कू को फ़ोन किया तो उसने हमें बाहर बुलाया, बाहर पहुँच कर देखा तो मुझे विश्वास नहीं हुआ, वहाँ अक्कू मेरी बाइक के साथ खड़ा था| मैंने हालाँकि अक्कू को तो नहीं पहचाना पर अपनी बाइक को पहचान गया था| "तुम्हारा welcome gift!" अनु ने कहा तो मेरे चेहरे पर खुशियाँ अपने रंग बिखेरने लगी| "बेटा ये तीन बैग ले कर तू घर निकल हम तुझे वहीँ मिलेंगे|" अनु ने अक्कू को कहा और उसने तुरंत ऑटो कर लिया| मैंने दाहिने हाथ को चूमा और फिर उसी हाथ से बाइक को छुआ और फिर उस पर सवार हो कर बड़े स्टाइल से किक मारी, वो भड़भड़ करते हुए स्टार्ट हुई और ये आवाज नए शहर में सुन मेरे मन में रोमांच भर उठा| अनु पीछे से आ कर मेरे से सट कर बैठ गई| "सच्ची आज एक आरसे बाद तुम्हारे साथ बाइक पर बैठने का मौका मिला है|" अनु खुश होती हुई बोली और मुझे पीछे से थाम लिया| अनु मुझे रास्ता बताती रही और मैं बाइके ख़ुशी-ख़ुशी चलाता रहा, रास्ते में पड़ने वाली हर जगह के बारे में मुझे जानकारी दी| अंततः हम घर पहुँचे, नीचे बाइक खड़ी कर के हम ऊपर पहुँचे तो अनु ने घंटी बजाई दरवाजा एक मलयाली लड़की ने खोला जो वहाँ काम करती थी| उसके हाथ में पूजा की थाली थी और मेरे चेहरे पर हैरानी! "वो दीदी ने बोला की आप आ रे कर के!"

"यार मेरा ग्रह प्रवेश हो रहा है क्या?" मैंने कहा और फिर हम तीनों ठहाका मार के हँसने लगे| खेर अंदर जाने के बाद अनु ने मेरा उस लड़की से इंट्रो करवाया, उसका नाम 'रंजीथा' था| (नाम लिखने में कोई गलती नहीं हुई है, असली नाम यही था रंजीथा|) पर ये घर 1 BHK था और मुझे रंजीथा के सामने उनके कमरे में जाने में झिझक हो रही थी| इतने में अक्कू समान ले कर आ गया, मैंने फ़ौरन उसके हाथ से सूटकेस लिया| अब अक्कू और रंजीथा के सामने मैं कैसे सामान अंदर रखूँ?

मैं हॉल में ही बैठ गया और इधर अनु ने रंजीथा को खाना बनाने के बारे में instruction शुरू कर दिया| अक्कू उर्फ़ आकाश एक ट्रेनी था और उसी की तरह एक और लड़का था जिसका नाम रवि था| दोनों MBA स्टूडेंट्स थे और अनु के पास training ले रहे थे| "तो ऑफिस चलें?" मैंने पुछा तो अनु अक्कू को देखने लगी और फिर ना में सर हिला दिया| "आज ही तो आये हैं और तुम्हें आज से ही काम स्टार्ट करना है? चलो पहले थोड़ा घूम लो, ऑफिस कल से ज्वाइन कर लेना| मैंने भी सोचा की ठीक ही तो है आज का दिन शहर ही घुमते हैं| इसलिए वो पूरा दिन हम शहर घुमते रहे और जब रात को वापस आये तो मुझे अनु के कमरे में मेरा सामान मिला| "मैं हॉल में ही सो जाता हूँ!" मैंने कहा तो अनु भड़क गई; "क्या हॉल मैं सो जाता हूँ? ये डबल बीएड पर मैं अकेले सोऊँ?"

"यार अच्छा नहीं लगता की हम दोनों एक घर में एक ही रूम में सोएं! आपके employees और रंजीथा क्या सोचेगी?"

"मानु ये लखनऊ नहीं है, यहाँ लोग Live-in रिलेशनशिप में रहते हैं और तुम हो के बेड शेयर करने से डर रहे हो? हम सिर्फ एक बेड शेयर कर रहे हैं ना और तो कुछ नहीं? So grow up!"

लेटते ही अनु को नींद आ गई पर मेरे लिए जगह नई थी तो थोड़ी बेचैनी थी! मैं चुप-चाप उठा और बालकनी में खड़ा हो गया और उस सोते हुए शहर को देखने लगा| मुझे वो शहर भी लखनऊ जैसा ही लगा बीएस दिन के समय ये लखनऊ से अलग था वर्ण रात में तो ये अब भी वैसे ही लग रहा था| मैं हाथ बाँधे खड़ा चाँद को निहारता रहा और जब लगने लगा की अब नींद आ रही है तो सोने चला गया| अगले दिन सबसे पहले उठा और चाय बनाने की सोची पर कीतचने में क्या कहाँ रखा है उसमें थोड़ा समय लगा| आखिर चाय बन गई और मैं अनु के लिए चाय ले कर पहुँचा तो वो करवट ले कर लेटी हुई थी| मैंने उनके साइड टेबल पर चाय रखी और एक आवाज दी और उन्होंने आँख खोल दी| सामने चाय देख वो उठ बैठीं; "अरे मुझे बोला होता?"

"जल्दी उठ गया था तो सोचा चाय बना लूँ!" मैंने कहा और उनके सामने बैठ कर चाय की चुस्की लेने लगा| फिर हम रेडी हुए और ऑफिस के लिए निकले, अभी मैं बाइक पार्क ही कर रहा था की अनु ने अक्कू को कॉल कर दिया| मैंने ये नहीं देखा और जब मैं आया तो हम एक बुलिडिंग में दाखिल हुए, मुझे लगा की इतनी बड़ी बिल्डिंग में ऑफिस होना ही बड़ी बात है पर जब हम ऊपर पहुँचे तो ये एक शेयर्ड ऑफिस निकला| दरवाजे पर अक्कू और रवि दोनों प्लेट ले कर खड़े थे, दरवाजे पर वेलकम का स्टीकर था और मैं ये देख कर खुश था| रवि चूँकि ब्राह्मण था तो वो मंत्र पढ़ते हुए उसने तिलक किया और फिर आरती ले कर हम अंदर घुसे| सामने ही एक छोटा सा मंदिर था मैंने वहाँ प्रणाम किया और प्रार्थना की कि भगवान हमें काम में तरक्की देना| अनु का ऑफिस कुल मिला कर बीएस दो कमरों का ही था, एक बड़ा हॉल जिसमें दो डेस्क थे जिनपर प्रिंटर और दोनों लड़कों के लैपटॉप थे| दूसरा था एक छोटा केबिन जिसमें एक बॉस चेयर, बॉस टेबल और उसके सामने दो चेयर्स अनु ने मुझे अपनी चेयर पर बैठने को कहा पर मैं नहीं माना; "ये आपकी जगह है!" मैंने कहा पर तभी अक्कू ने Partnership Deed अनु के हाथ में दी| अनु ने वो दीड टेबल पर रखी और मुझे कहा; "ये लो partnership deed इस पर साइन करो और पूरे हक़ से यहाँ बैठो|

"पर इसकी क्या जर्रूरत है?" मैंने कहा|

"अरे कमाल करते हो? बिना इस पर साइन किये हम अकाउंट कैसे खोलेंगे? और अभी तो और भी जर्रूरी डाक्यूमेंट्स हैं जिन पर तुम्हें साइन करना है!" उनकी बात सही थी इसलिए मैंने बिना पड़े ही साइन कर दिया| "पढ़ तो लो?" अनु ने कहा|

"आपने पढ़ लिया था न? तो बस!" मैंने कहा| पर अब अनु फिर से कहने लगी की मैं उसकी सीट पर बैठूँ; "नहीं...ये आपकी जगह है धीरे-धीरे जब मैं इस ऑफिस में अपनी जगह बना लूँगा तब बैठूंगा, पर फिलहाल तो मुझे बाकियों से मिलवाओ!" इतना कह कर मैंने बात टाल दी और फिर अनु ने मुस्कुराते हुए आस-पड़ोस वाले Bosses से इंट्रो कराया ये कह के की मैं उनका Business Partner हूँ! सबसे मिलकर हम वापस आये, रवि और अक्कू अपने डेस्क पर बैठे काम कर रहे थे| "अच्छा आकाश आप मुझे clients की lists दे दो!" मैंने कहा तो उसने जवाब में "ओके सर" कहा| उस समय मेरी छाती गर्व से फूल गई| जिस इंसान ने इतने साल से सबको सर कहा हो अचानक से उसे कोई सर कहे तो उसे कितना गर्व होता है ये मुझे उस दिन पता चला| मैं तो काम में लग गया पर अनु ने शॉपिंग शुरू कर दी| लंच टाइम मैंने सबके लिए बाहर से खाना मंगाया और मेरा खाना तो मैं साथ ही लाया था| आकाश और रवि ने पुछा तो मैंने उन्हें बता दिया की मेरी तबियत ठीक नहीं है और डॉक्टर ने मुझे बाहर के खाने से परहेज करने को कहा है| शाम होते ही अनु मुझे मॉल ले गई और वहाँ उसने मुझे बिज़नेस सूट दिलवाया, अब चूँकि मुझे New York जाना था तो presentable तो लग्न था| फिर वहीँ एक saloon में मुझे एक अच्छा सा haircut और beard स्टाइल करवाया और अब मैं वाक़ई में हैंडसम लग रहा था| "हाय! मानु सच्ची बड़े सेक्सी लग रहे हो!" अनु ने कहा और इधर मेरे गाल शर्म से लाल हो गए| जब मैंने खुद को आईने में देखा तो पाया की कहाँ उस दिन जब मैंने खुद को आईने में देख कर अफ़सोस किया था और कहाँ आज जब मैं वाक़ई में इतना हैंडसम दिख रहा हूँ|


खेर दूसरे दिन हमारी New York की फ्लाइट थी और उत्साह से भरे हम दोनों वहाँ पहुँचे और होटल में check-in किया| वो पूरी रात हमने presentation और बाकी की सारी तैयारी में लगा दी| हमारी प्रेजेंटेशन से पहले एक सेमीनार था जहाँ उनहोनेकुछ guidelines दी थीं, मुझे उसके हिसाब से थोड़े changes करने पड़े और हम तैयार थे| कॉन्फ्रेंस रूम में दो Americans बैठे थे जिन्हें हमें प्रेजेंटेशन देनी थी| स्टार्ट अनु ने किया और जैसे ही data present करने की बारी आई तो उन्होंने मुझे पॉइंटर दे दिया| मैंने बड़े ही आराम से उन्हें सारा कुछ समझाया और उसके बाद उन्होंने हमें बाहर बैठने को कहा| हम दोनों ही बाहर बेसब्री से इंतजार कर रहे थे की तभी उन्होंने हमें अंदर बुलाया और कॉन्ट्रैक्ट ऑफर किया| ये सुनते ही अनु ख़ुशी से उछल पड़ी और मेरे गले लग गई और मेरे दाएं गाल को अपनी लिपस्टिक से लाल कर दिया|, ये देख वो अंग्रेज भी हँसने लगे और हम दोनों भी हँसने लगे| "Thank you sir for giving us this opportunity and I promise we’ll deliver what we promised!” मैंने ये कहते हुए उनसे हाथ मिलाया और फिर हम दोनों हँसी-ख़ुशी बाहर आये| बाहर आते ही ऋतू ने फिर से मुझे अपनी बाहों में कस लिया| आज दिवाली थी तो वहाँ से निकल कर हम सीधा होटल आये और वहाँ नहा-धो कर हम ने कपडे बदले| मैंने कुरता-पजामा और अनु ने साडी पहनी और हम सीधा मंदिर पहुँचे| ये पहलीबार था की मैं दिवाली पर अपने परिवार के साथ नहीं था और जब हम मंदिर पहुँचे तो वहाँ सब लोगों को उनके परिवार के साथ देख आखिर मेरी आँखें छलक ही आईं| अनु ने मेरे आँसू पोछे पर उनका भी वही हाल था जो मेरा था| मैंने उनकी आँखें पोछीं और फिर हमने भगवान के दर्शन किये और अपने लिए तथा अपने परिवारों के लिए भी प्रार्थना की| पूजा के बाद मैंने संकेत को फ़ोन किया और उससे हाल-चाल लेने लगा तो उसने जो बताया वो सुन कर मैं हैरान हो गया| मेरे घर में बाकायदा पूजा हो रही थी और खुशियाँ मनाई जा रही थी, किसी को भी मेरे ना होने का गम नहीं था! दिल दुखा की मैं यहाँ सब को इतना miss कर रहा हूँ और वहाँ किसी को कोई दुःख भी नहीं, पर फिर ये सोचा की मेरी कमी शायद रितिका की शादी ने पूरी कर दी होगी| शादी की सारी तैयारियाँ संकेत करवा रहा था जिससे पिताजी और ताऊ जी को थोड़ी सहूलत थी| उन्होंने उसे ये भी बता दिया था की मुझे घर से निकाल दिया गया है क्योंकि मैंने भतीजी की शादी की जगह विदेश जाना ज्यादा जर्रूरी समझा जिस पर संकेत ने मुझे डाँटा| पर मैं उसे सच नहीं बता सकता था इसलिए जो वो कह रहा था वो सब सुनता रहा| फ़ोन पर बात करने के बाद मैं उदास खड़ा था की तभी अनु ने पीछे से आ कर मेरा दाहिना हाथ थाम लिया| "क्या हुआ? घर पर सब ठीक है ना?" अनु ने पुछा तो मैंने झूठी मुस्कान के साथ कहा; "हाँ...सब ठीक है! चलो चल कर कुछ खाते हैं!" अब चूँकि वहाँ घर का खान नहीं मिल सकता था तो बाहर खाने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था| पर मेरी तबियत में पहले से काफी सुधार था इसलिए मैंने ये रिस्क ले लिया| खाना मैं कम मिर्च और तेल वाला ही खा रहा था ताकि कुछ कम्प्लीकेशन ना बढे| खा-पी कर हम होटल लौटे और लेट गए, अनु जानती थी की मेरा मन उदास है और कहीं मैं इस दुःख को फिर से अपने सीने से ना चिपका लूँ इसलिए आज लेटते समय उन्होंने मेरी कमर पर हाथ रख दिया| उनका ऐसा करना मेरे लिए बहुत अजीब था क्योंकि मेरे शरीर के सारे रोएं खड़े हो गए थे| पर मैं चुप-चाप पड़ा रहा, कुछ देर लगी सोने में और आखिर नींद आ ही गई| कुछ देर बाद उन्होंने धीरे से हाथ सरका लिया और दूसरी तरफ मुँह कर के सो गईं| अगली सुबह हम दोनों देर से उठे और उठने के बाद भी नींद पूरी नहीं हुई शायद जेट लेग हो गया था| वो पूरा दिन हमने ऊँघते हुए बिताया और कंपनी के साथ बैठ कर कुछ स्टडी किया| शाम हुई तो आज मन 'cheating' करने को कर रहा था| सर्दी का आगाज हो चूका था तो कुछ तो चाहिए था! "आज बियर पीएं?" मैंने एक्ससिटेड होते हुए पुछा तो अनु चिढ गई; "बिलकुल नहीं! जरा सा ठीक हुए नहीं की बियर पीनी है!" मैंने आगे कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा दिया, उनका इस कदर हक़ जताना मुझे अच्छा लगता था| हम आखिर होटल आ गए तो खाना खा कर जल्दी सो गए| सुबह मैं जल्दी उठ गया और मैंने रवि को कॉल किया और उससे कुछ अपडेट लेने लगा| फिर अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैंने कुछ पुरानी कम्पनियाँ जिनके साथ 'कुमार' काम करते थे उन्हें मैंने मेल भेज दिए| चूँकि इन कंपनियों का data मैं ही देखता था तो मेरे लिए ये काम आसान था| 8 बजे अनु भी उठ गई और मुझे ऐसे काम करते देख कर मेरे पास आईं और मेरे हाथ से लैपटॉप छीन लिया| "थोड़ा आराम भी कर लो!" इतना कहते हुए वो लैपटॉप अपने साथ ले गईं| मैंने शाम को घूमने का प्लान बना लिया, और मीटिंग के बाद हम घूमने निकल पड़े| हमारे पास दिन बहुत थे इसलिए हमें कोई जल्दी नहीं थी|

दिन निकलते गए और मेरी दोस्ती एक गोरी से हो गई, पर अनु को वो फूटी आँख नहीं भाति थी! जब भी मैं उससे बात करता तो अनु मेरे पास आ कर बैठ जाती| मुझे अनु को इस तरह सताने में बड़ा मजा आता था और मैं जानबूझ कर उससे लम्बी-लम्बी बातें किया करता था| उसकी रूचि थी इंडिया घूमने की और मैं उसे अलग-अलग जगह के बारे में बताया करता था| अनु को शायद ये डर था की कहीं मैं उस गोरी जिसका नाम लिज़ा था उससे प्यार तो नहीं करता? एक दिन की बात है हम दोनों कॉफ़ी पी रहे थे की अनु भी आ कर बैठ गईं| लिज़ा को किसी ने बुलाया तो वो excuse me बोल कर चली गई| उसके जाते ही अनु ने मेरे कान पकड़ लिए; "इससे शादी कर के यहीं सेटल होने का इरादा है क्या?" ये सुन कर मैं हँस पड़ा|

"वो मैरिड है!" मैंने हँसते हुए कहा और तब अनु को समझ आया की इतने दिन से मैं उन्हें सताये जा रहा था| वो भी हँसने लगी और फिर एकदम से खामोश हो गई; "क्या हुआ?" मैंने पुछा|

"तुम्हारी दोस्ती खोने का डर सताने लगा|" अनु ने उदास होते हुए कहा|

"Are you mad? ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं भला आपको छोड़ दूँ? मेलि प्याली-प्याली दोस्त को!" मैंने अनु की ठुड्डी पकड़ते हुए कहा| ये सुन कर अनु फिर से मुस्कुराने लगी| उस दिन शाम को लिज़ा और उसका पति भी हमारे साथ घूमने आये और फिर मौका आया पीने का| अब अनु उनके सामने मुझे कैसे मना करती पर फिर मैंने ही मना किया| इस बार अनु ने खुद कहा; "just one beer!" हमने बस एक-एक बियर पी और फिर होटल लौट आये| दि


न गुजरते गए और आखिर हम वापस बैंगलोर आ ही गए और अनु ने आते ही रवि और आकाश को इस प्रोजेक्ट पर लगा दिया| पर वो अकेले इसे संभाल नहीं सकते थे इसलिए मैंने उनके साथ बैठना शुरू कर दिया, अनु की involvement कम थी क्योंकि ये advanced accounting थी और Indian Accounting Standards की जगह GAAP के हिसाब से काम करना था जिसके बारे में मैंने उन कुछ दिनों में सीखा था, बाकी का सब मैंने केस-स्टडी से सीखना शुरू कर दिया| मैंने जो पुरानी कंपनियों को मेल किया था उसमें से 1-2 ने रिवर्ट किया था तो मैंने वो काम अनु को दे दिया| वो बहुत हैरान थी की मैंने उन्हें क्यों approach किया| कुमार ने तो काम बंद कर दिया अब अगर हमें उनके client मिल जाते हैं तो अच्छा ही है! वो तो मेरी repo थी की उन लोगों ने 1-1 क्वार्टर की returns का काम हमें दे दिया था| कुल मिला कर काम अच्छा चल पड़ा था, सिर्फ पुराने क्लाइंट्स से ही हमने अच्छा प्रॉफिट कमा लेना था| USA वाली का काम थोड़ा मुश्किल था पर पैसा बहुत अच्छा था| हालाँकि उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट बहुत थोड़े टाइम का दिया था पर मुझे पूरी उम्मीद थी की वो कॉन्ट्रैक्ट आगे extend जर्रूर करेंगे|

मुश्किल से हफ्ता बीता होगा की अनु का जन्मदिन आ गया था|
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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A lot of things have gone well in today's update such as Manu's health is improving, Both Manu and Anu now live in Bangalore, first project from New York is also found and the closeness between Manu and Anu is increasing.
Leaving city and moving to another city causes little trouble but Manu can forget Ritu because of this. I think Anu loves Manu. Now it is right or wrong it will be known only later. But I still remember Ritu a lot. :girlcry:
As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story. Thank You...:heart::heart::heart:
 
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kamdev99008

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जिस दौलत की धोंस घरवालों की थी, जिस दौलत के लिए रीतिका ने बेवफ़ाई की.........उसकी ओर एक सार्थक कदम मानु ने बढ़ा ही दिया.... जिस सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए मानु और अनु के घरवालों ने उन्हें घर से बेदखल कर दिया.... वो भी पाकर दिखाना है उन्हें....और उसी सम्मान और स्वाभिमान को घरवालों की गलतियों का आईना बनाना है..........
बदला कमजोर लेते हैं..... खुद को इतना मजबूत बना लो कि आपको भुला देने वाले आपके दर्शन को चलकर आयें.....

बहुत शानदार शुरुआत.............. "नीड़ का निर्माण फिर".......ये आपकी ही नहीं मेरी भी पसंदीदा कविता है... स्वर्गीय डॉ॰ हरवंश राय श्रीवास्तव 'बच्चन' जी की लिखी
 
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Rahul

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wonderfull update bhaiya ji
 

Rahul

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waiting new update :dost:
 

Rockstar_Rocky

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Chalo foreign tour safal raha. Kaam badhiya chal nikla hai.
Ab sab sahi hota dikh raha hai.
Dekhte hai kya hota hai.

;thankyou:

A lot of things have gone well in today's update such as Manu's health is improving, Both Manu and Anu now live in Bangalore, first project from New York is also found and the closeness between Manu and Anu is increasing.
Leaving city and moving to another city causes little trouble but Manu can forget Ritu because of this. I think Anu loves Manu. Now it is right or wrong it will be known only later. But I still remember Ritu a lot. :girlcry:
As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story. Thank You...:heart::heart::heart:

:thank_you:

जिस दौलत की धोंस घरवालों की थी, जिस दौलत के लिए रीतिका ने बेवफ़ाई की.........उसकी ओर एक सार्थक कदम मानु ने बढ़ा ही दिया.... जिस सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए मानु और अनु के घरवालों ने उन्हें घर से बेदखल कर दिया.... वो भी पाकर दिखाना है उन्हें....और उसी सम्मान और स्वाभिमान को घरवालों की गलतियों का आईना बनाना है..........
बदला कमजोर लेते हैं..... खुद को इतना मजबूत बना लो कि आपको भुला देने वाले आपके दर्शन को चलकर आयें.....

बहुत शानदार शुरुआत.............. "नीड़ का निर्माण फिर".......ये आपकी ही नहीं मेरी भी पसंदीदा कविता है... स्वर्गीय डॉ॰ हरवंश राय श्रीवास्तव 'बच्चन' जी की लिखी

:thank_you:

wonderfull update bhaiya ji

waiting new update :dost:

:thank_you:

IT sector ki growth sahi Jodi h kahani me, thode time me hi ab manu millionare ban kar gaon wapsi karega.

Some more projects then arun n Sid can also join him. Old friends.

:thankyou:

Missing Assassin bro's remarks!
 

Rockstar_Rocky

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:sorry: दोस्तों शायद आज अपडेट ना आ पाए....समय नहीं मिला लिखने का|
 
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