• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance काला इश्क़! (Completed)

Rahul

Kingkong
60,514
70,680
354
huum wonderfull update bhaiya ji..is update me jo bhi hua ab tak sab sahi hua hai mai ek baar fir kahta hun ye perfect Jodi hai aun aur manu ki aur kuch bhi galat nahi isme..ab baat karte hain ritika ki to ho sakta hai ki usne jo bhi kiya uske piche uski majburi rahi ho lekin ab jo halaat hai wo anu ke taraf hain aur manu ko koi haq nahi banta ki wo anu ka dil tode kyunki ye zindgi jo wo aaj ji raha hai wo anu ki di hui hai :)
 

Kratos

Anger can be a weapon if you can control it use it
1,291
4,230
159
बहुत खूब............ सब कुछ बढ़िया हो रहा है............ अनु के माँ-बाप भी खुश हैं इस शादी से और उन्होने दोनों को अपना भी लिया ........
लेकिन अब ये क्या हुआ घर पर........... मुझे लगता है किसी की मृत्यु हो गयी........लेकिन किसकी ये घर पहुँचकर पता चलेगा..........
वैसे एक और बहुत बड़ी संभावना है.................... रीतिका..... रीतिका के राज राहुल को आज नहीं तो कल पता लाग्ने ही हैं.......तो शायद इसी कहानी को लेकर कुछ मैटर हुआ है........... लेकिन रीतिका मरनी नहीं चाहिए.......... क्योंकि अगर वो मर गयी............ तो अपनी गलतियों, अपनी मक्कारियों की सजा कैसे भुगतेगी

देखते हैं........
लेकिन अपडेट जल्दी देना............ आज ही दे दो........... plz :)
मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मानु और अनु की शादी में कुुुछ रुकावट आने वाली है।
क्योंकि गांंव में शायद कोई काण्ड होगा या हो गया हैै।
 

Chunmun

Active Member
1,368
5,427
143
Yaar kya update diya hai.
Dil garden garden ho gya.
Update ki jitni tarif karu kam hai.
Wowsum update.
Anu or manu k bich pyar to kafi pahle se tha lekin tab samay kuch or tha halat kuch or the.
Ab sab sahi hai to dono ne ek dusre k pyar ko accept kr liya.
Anu k maa papa bhi raji ho gye is riste se ye sab se achha hua.
Ab manu ko tau ne gau bulaya hai to pta nahi dil mai thodi se bechaini hai.
Pta nhi q bulaye hai.
Un logo ko manu ki yaad aa gai ki ek beta bhi hai ya koi dusri problem ya fir ritu k or se koi pareshani.
Ab ye to kal k update padh kr hi pta chalega lekin itna achha update tha ki dil nahi bhara.
Fabulous update.
Keep rocking.
 

Mohan575

New Member
72
264
68
Lagta hai koi neya bumb phutne wala hai

Tufaan se pahle ki shaanti lag Rahi hai ye

अब तक आपने पढ़ा:

सुबह जल्दी ही आँख खुल गई, फ्रेश होने के बाद उन्होंने मुझे कहा की ऊपर मंदिर चलते हैं| मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का स्त्रोत्र था जिसमें सारे लोग नहा रहे थे, हमने हाथ-मुंह धोया और भगवान के दर्शन करने लगे| दर्शन के बाद अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहाँ एक पत्थर पर बैठने को कहा| "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!" अनु ने बहुत गंभीर होते हुए कहा| एक पल के लिए मैं भी सोच में पड़ गया की उन्हें आखिर बात क्या करनी है?

update 69

"मानु मैं तुमसे प्यार करती हूँ....सच्चा प्यार!" अनु ने गंभीर होते हुए कहा|

"आप ये क्या कह रहे हो?" मैंने चौंक कर खड़े होते हुए कहा|

"जब हम कुमार के ऑफिस में प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तभी मुझे तुमसे प्यार हो गया था! पर मैं उस समय कुमार की पत्नी थी, इसलिए कुछ नहीं बोली! बड़ी हिम्मत लगी और फिर तुम्हारे सहारे के कारन मैं आजाद हुई| फिर घरवालों ने मुझे अकेला छोड़ दिया ओर ऐसे में मैं तुम्हारे लिए बोझ नहीं बनना चाहती थी| इसलिए तुम से दूर बैंगलोर आ गई और सोचा की जिंदगी दुबारा शुरू करूँगी पर तुम्हारी यादें साथ नहीं छोड़ती थीं| बहुत कोशिश की तुम्हें भुलाने की और भूल भी गई, इसलिए मैंने अपना नंबर बदल लिया था क्योंकि मेरा मन जानता था की तुम मुझे कभी नहीं अपनाओगे| देखा जाए वो सही भी था क्योंकि उस टाइम तुम रितिका के थे, अगर मैं तुमसे अपने प्यार का इजहार भी करती तो तुम मना कर देते और तब मैं टूट जाती| बड़े मुश्किल से डरते हुए मैं दुबारा लखनऊ आई, क्योंकि जानती थी की तुम्हारे सामने मैं खुद को संभाल नहीं पाऊँगी पर एक बार और अपने मम्मी-डैडी से रिश्ते सुधारने की बात थी, लेकिन उन्होंने तो मुझसे बात तक नहीं की और घर से बाहर निकाल दिया| फिर उस रात जब मैंने तुम्हें उस बस स्टैंड पर देखा तो मैं बता नहीं सकती मुझ पर क्या बीती| दूर से देख कर ही मन कह रहा था की ये तुम नहीं हो सकते, तुम्हारी ऐसी हालत नहीं हो सकती! वो रात मैंने रोते-रोते गुजारी ....फिर ये तुम्हारी बिमारी और वो सब.... मैंने बहुत सम्भलने की कोशिश की पर ये दिल अब नहीं सम्भलता!" अनु ने रोते-रोते कहा|

"आप मेरे बारे में सब नहीं जानते, अगर जानते तो प्यार नहीं नफरत करते!" मैंने उनका कन्धा पकड़ कर उन्हें झिंझोड़ते हुए कहा|

"क्या नहीं पता मुझे?" अनु ने अपना रोना रोकते हुए पुछा?

"मेरे और रितिका के रिश्ते के बारे में|" मैंने उनके कन्धों को छोड़ दिया|

"तुम उससे प्यार करते थे और उसने तुमसे धोखा किया, बस!" अनु ने कहा|

"बात इतनी आसान नहीं है!..... हम दोनों असल जिंदगी में चाचा-भतीजी थे!" इतना कहते हुए मैंने उन्हें सारी कहानी सुना दी, उसकं ुझे धोखा देने से ले कर उसकी शादी तक सब बात!

"तो इसमें तुम्हारी क्या गलती थी? आई वो थी तुम्हारे पास, तुम तो अपने रिश्ते की मर्यादा जानते थे ना? तभी तो उसे मना कर रहे थे, और रिश्ते क्या होते हैं? इंसान उन्हें बनाता है ना? हमारा ये दोस्ती का रिश्ता भी हमने बनाया ना? अगर तुमने उससे अपने प्यार का इजहार किया होता तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता! फर्क पड़ता है तो सिर्फ इस बात से की अभी तुम क्या चाहते हो? क्या तुम उससे अब भी प्यार करते हो? क्या तुम्हारे दिल में उसके लिए अब भी प्यार है?" अनु ने मुझे झिंझोड़ते हुए पुछा| में अनु की बातों में खो गया था, क्योंकि जिस सरलता से वो इस सब को ले रहे थीं वो मेरे गले नहीं उतर रही थी! पर उनका मुझे झिंझोड़ना जारी था और वो जवाब की उम्मीद कर रहीं थीं|

"नहीं....मैं उससे सिर्फ नफरत करता हूँ! उसकी वजह से मुझे मेरे ही परिवार से अलग होना पड़ा!" मैंने कहा|

"तो फिर क्या प्रॉब्लम है? इतने दिनों में एक छत के नीचे रहते हुए तुम्हें कभी नहीं लगा की तुम्हारे दिल में मेरे लिए थोड़ा सा भी प्यार है?" अनु ने पुछा|

"हुआ था...कई बार हुआ पर...मुझ में अब दुबारा टूटने की ताक़त नहीं है|" मैंने अनु की आँखों में देखते हुए कहा| ये मेरा सवाल था की क्या होगा अगर उन्होंने भी मेरे साथ वही किया जो रितिका ने किया|

"मैं तुम्हें कभी टूटने नहीं दूँगी! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!" अनु ने पूरे आत्मविश्वास से कहा| उस पल मेरा दिमाग सुन्न हो चूका था, बस एक दिल था जो प्यार चाहता था और उसे अनु का प्यार सच्चा लग रहा था| पर खुद को फिर से टूटते हुए देखने का डर भी था जो मुझे रोक रहा था|

"मैं तुम्हारा डर समझ सकती हूँ, पर हाथ की सभी उँगलियाँ एक सी नहीं होतीं| अगर एक लड़की ने तुम्हें धोखा दिया तो जर्रूरी तो नहीं की मैं भी तुम्हें धोका दूँ? उसके लिए तुम बाहर जाने का रास्ता थे, पर मेरे लिए तुम मेरी पूरी जिंदगी हो!" मेरा दिल अनु की बातें सुन कर उसकी ओर बहने लगा था, पर जुबान खामोश थी!

"हाँ अगर तुम्हें मेरी उम्र से कोई प्रॉब्लम है तो बात अलग है!" अनु ने माहौल को हल्का करते हुए कहा| पर मुझे उनकी उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता था, बस दिल टूटने का डर था!

"I love you!!!" मैंने एकदम से उनकी आँखों में देखते हुए कहा|

"I love you too!!!!" अनु ने एकदम से जवाब दिया और मेरे गले लग गई| हम 10 मिनट तक बस ऐसे ही गले लगे रहे, कोई बात-चीत नहीं हुई बस दो बेक़रार दिल थे जो एक दूसरे में करार ढूँढ रहे थे| "तो शादी कब करनी है?" अनु बोली और मैंने उन्हें अपने आलिंगन से आजाद किया|

"पहले इस पहाड़ से तो नीचे उतरें!" माने मुस्कुराते हुए कहा| हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर अपने टेंट की तरफ आ रहे थे की तभी अनु बोली; "मैं बड़ी खुशनसीब हूँ, यहाँ आई थी एक दोस्त के साथ और जा रही हूँ हमसफ़र के साथ!"

"खुशनसीब तो मैं हूँ जो मुझे तुम्हारे जैसा साथी मिला, जो मेरे सारे दुःख बाँट रहा है!" मैंने कहा|

"मैं तुम्हें इतना प्यार दूँगी की तुम सारे दुःख भूल जाओगे!" अनु ने मुस्कुराते हुए आत्मविश्वास से कहा|

'जो तू मेरा हमदर्द है.....सुहाना हर दर्द है!" मैंने कहा और अनु के सर को चूम लिया|

हमने बैग उठाया और नीचे उतर चले| इस वक़्त हम दोनों ही एक अजीब से जोश से भरे हुए थे, वो प्यार जो हम दोनों के दिलों में धधकरहा था ये उसी की ऊर्जा थी| रास्ते भर हमने जगह-जगह पर फोटोज क्लिक करी| दोपहर होते-होते हम कसोल वापस पहुँचे और सबसे पहले मैंने नूडल पैक करवाए| हाय क्या नूडल्स थे! ऐसे नूडल माने आजतक नहीं खाये थे! मैंने एक पौवा रम ली और 'माल' भी लिया! रूम पर आ कर पहले हम दोनों बारी-बारी नहाये और फिर नूडल खाने लगे, मैंने एक-एक पेग भी ना कर रेडी किया| अब रम में होती है थोड़ी बदबू जो अनु को पसंद नहीं आई| "eeew .....तुम तो हमेशा अच्छी वाली पीते हो तो आज रम क्यों?" अनु ने नाक सिकोड़ते हुए कहा| "इंसान को कभी अपनी जड़ नहीं भूलनी चाहिए! रम से ही मैंने शुरुआत की थी और पहाड़ों पर रम पीने का मजा ही अलग होता है|" मैंने कहा और नाक सिकोड़ कर ही सही पर अनु ने पूरा पेग एक सांस में खींच लिया| जैसे ही रम गले से नीचे उत्तरी उनका पूरा जिस्म गर्म हो गया| "Wow ये तो सच में बहुत गर्म है! अब समझ में आया पहाड़ों पर इसे पीने का मतलब!" अनु ने गिलास मेरे आगे सरकाते हुए कहा| "सिर्फ पहाड़ों पर ही नहीं, सर्दी में भी ये 'रम बाण्ड इलाज' है!" मैंने कहा और हम दोनों हंसने लगे| नूडल के साथ आज रम का एक अलग ही सुररोर था और जब खाना खत्म हुआ तो मैंने अपनी 'लैब' खोल दी जिसे देख कर अनु हैरान हो गई! "अब ये क्या कर रहे हो?" अनु ने पुछा|

"इसे कहते हैं 'माल'!" ये कहते हुए मैंने सिगरेट का तम्बाकू एक पेपर निकाला और मलाना क्रीम निकाली, दिखने में वो काली-काली, चिप-चिपि सी होती है| "ये क्या है?" अनु ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा|

"ये है यहाँ की फेमस मलाना क्रीम!" पर अनु को समझ नहीं आया की वो क्या होती है| "हशीश!" मैंने कहा तो अनु एक दम से अपने दोनों गालों को हाथ से ढकते हुए मुझे देखने लगी! "Hawwww .... ये तो ड्रग्स है? तुम ड्रग्स लेते हो?" अनु ने चौंकते हुए कहा| उनका इतना लाउड रिएक्शन का कारन था रम का असर जो अब धीरे-धीरे उन पर चढ़ रहा था|

"ड्रग्स तो अंग्रेजी नशे की चीजें होती हैं, ये तो नेचुरल है! ये हमें प्रकृति देती है!" मैंने अपनी प्यारी हशीश का बचाव करते हुए कहा जिसे सुन अनु हँस पड़ी| मैंने हशीश की एक छोटी गोली को माचिस की तीली पर रख कर गर्म किया और फिर उसे सिगरेट के तम्बाकू में दाल कर मिलाया और बड़ी सावधानी से वापस सिगरेट में भर दिया| सिगरेट मुँह पर लगा कर मैंने पहला कश लिया और पीठ दिवार से टिका कर बैठ गया| आँखें अपने आप बंद हो गईं क्योंकि जिस्म को आज कई महीनों बाद असली माल चखने को मिला था| "इसकी आदत तो नहीं पड़ती?" आने ने थोड़ा चिंता जताते हुए पुछा|

"इतने महीनों में तुमने कभी देखा मुझे इसे पीते हुए? नशा जब तक कण्ट्रोल में रहे ठीक होता है, जब उसके लिए आपकी आत्मा आपको परेशान करने लगे तब वो हद्द से बाहर हो जाता है|" मैंने प्रवचन देते हुए कहा, पिछले साल यही तो सीखा था मैंने!

"मैं भी एक puff लूँ?" अनु ने पुछा तो मैंने उन्हें सिगरेट दे दी| उन्होंने एक छोटा सा ड्रैग लिया और खांसने लगी और मुझे सिगरेट वापस दे दी| मैंने उनकी पीठ सहलाई ताकि उनकी खांसी काबू में आये| उनकी खांसी काबू में आई और मैंने एक और ड्रैग लिया और फिर से आँख मूँद कर पीठ दिवार से लगा कर बैठ गया| तभी अचानक से अनु ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और एक बड़ा ड्रैग लिया, इस बार उन्हें खांसी नहीं आई, दस मिनट बाद वो बोलीं; "कुछ भी तो नहीं हुआ? मुझे लगा की चढ़ेगी पर ये तो कुछ भी नहीं कर रही!" अनु ने चिढ़ते हुए कहा|

"ये दारु नहीं है, इसका असर धीरे-धीरे होगा, दिमाग सुन्न हो जाएगा| मैंने कहा| पर उस पर रम की गर्मी चढ़ गई तो अनु ने अपने कपडे उतारे, अब वो सिर्फ एक पतली सी टी-शर्ट और काप्री पहने मेरे बगल में लेती थीं और फोटोज अपलोड करने लगी| इधर उनकी फोटोज अपलोड हुई और इधर मेरे फ़ोन में नोटिफिकेशन की घंटियाँ बजने लगी| मैंने फ़ोन उठाया ही था की अनु ने फिर से मेरे हाथ से सिगरेट ली और एक बड़ा ड्रैग लिया, उनका ऐसा करने से मैं हँस पड़ा और वो भी हँस दीं| मैंने अपना फ़ोन खोल के देखा तो 30 फेसबुक की नोटिफिकेशन थी! मैं हैरान था की की इतनी नोटिफिकेशन कैसे! मैंने जब खोला तो देखा की अनु ने हम दोनों की एक फोटो डाली थी और caption में लिखा था; 'He said YESSSSSSS! I Love You!!!' अनु के जितने भी दोस्त थे उन सब ने फोटो पर Heart react किया था और congratulations की झड़ी लगा दी थी! तभी आकाश का कमेंट भी आया है; "Congratulations sir and mam!" मैं मुस्कुराते हुए अनु को देखने लगा जो मेरी तरफ ही देख रही थी| चेहरे पर वही मुस्कुराहट लिए और रम और हशीश के नशे में चूर उनका चेहरा दमक रहा था| "चलो अब सो जाओ!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और लास्ट ड्रैग ले कर मैं दूसरी तरफ करवट ले कर लेट गया| अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे से चिपक कर लेट गई| आज पता नहीं क्यों पर मेरे जिस्म में एक झुरझुरी सी पैदा हुई और मेरा मन बहकने लगा| बरसों से सोइ हुई प्यास भड़कने लगी, दिल की धड़कनें तेज होने लगीं और मन मेरे और अनु के बीच बंधी दोस्ती की मर्यादा तोड़ने को करने लगा| मेरे शरीर का अंग जिसे मैं इतने महीनों से सिर्फ सु-सु करने के लिए इस्तेमाल करता था आज वो अकड़ने लगा था, पर कुछ तो था जो मुझे रोके हुए था| मैंने अनु की तरफ देखा तो उसकी आँख लग चुकी थी, मैंने खुद को धीरे से उसकी गिरफ्त से निकाला और कमरे से बाहर आ कर बालकनी में बैठ गया| सांझ हो रही थी और मेरा मन ढलते सूरज को देखने का था, सो मैं बाहर कुर्सी लगा कर बैठ गया| जिस अंग में जान आई थी वो वापस से शांत हो गया था, दिमाग ने ध्यान बहारों पर लगा दिया| कुछ असर सिगरेट का भी था सो मैं चुप-चाप वो नजारा एन्जॉय करने लगा| साढ़े सात बजे अनु उठी और मुझे ढूंढती हुई बाहर आई, पीछे से मुझे अपनी बाहों में भर कर बोली; "यहाँ अकेले क्या कर रहे हो?"

"कुछ नहीं बस ढलती हुई सांझ को देख रहा था|" ये सुन कर अनु मेरी गोद में बैठ गई और अपना सर मेरे सीने से लगा दिया| उसके जिस्म की गर्माहट से फिर से जिस्म में झूझुरी छूटने लगी और मन फिर बावरा होने लगा, दिल की धड़कनें तेज थीं जो अनु साफ़ सुन पा रही थी| शायद वो मेरी स्थिति समझ पा रही थी इसलिए वो उठी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर ले आई| दरवाजा बंद किया और मेरी तरफ बड़ी अदा से देखा| उनकी ये अदा आज मैं पहली बार देख रहा था और अब तो दिल बगावत कर बैठा था, उसे अब बस वो प्यार चाहिए था जिसके लिए वो इतने दिनों से प्यासा था| अनु धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पास आई और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और कुछ पलों के लिए हमारी आँखें बस एक दूसरे को देखती रहीं| इन्ही कुछ पलों में मेरे दिमाग ने जिस्म पर काबू पा लिया, अनु ने आगे बढ़ कर मुझे Kiss करना चाहा पर मैंने उनके होठों पर ऊँगली रख दी; "अभी नहीं!" मैंने कहा और अनु को कस कर गले लगा लिया| अनु ने एक शब्द नहीं कहा और मेरी बात का मान रखा| हम वापस बिस्तर पर बैठ गए; "तुम्हारा मन था ना?" अनु ने पुछा|

"था.... पर ऐसे नहीं!!!" मैंने कहा|

"तो कैसे?" अनु ने पुछा|

"शादी के बाद! तब तक हम ये दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे! प्यार भी होगा पर एक हद्द तक!"

"अब पता चला क्यों मैं तुमसे इतना प्यार करती हूँ?!" अनु ने फिर से अपनी बाहों में जकड़ लिया, पर इस बार मेरा जिस्म में नियंत्रण में था|

मेरा खुद को और उनको रोकने का कारन था, समर्पण! हम दोनों एक दूसरे को आत्मिक समर्पण कर चुके थे पर जिस्मानी समर्पण के लिए अनु पूरी तरह से तैयार नहीं थी| इतने महीनों में मैंने जो जाना था वो ये की अनु की सेक्स के प्रति उतनी रूचि नहीं जितनी की होनी चाहिए थी| मैं नहीं चाहता था की वो ये सिर्फ मेरी ख़ुशी के लिए करें और वही गलती फिर दोहराई जाए जो मैंने रितिका के लिए की थी!

अगले दिन हम तैयार हो कर तोश जाने के लिए निकले, यहाँ की चढ़ाई खीरगंगा के मुकाबले थकावट भरी नहीं थी| यहाँ पर बहुत से घर थे और रास्ता इन्हीं के बीच से ऊपर तक जाता था| ऊपर पहुँच कर हमने वादियाँ का नजारा देखा, अनु को इतना जोश आया की वो जोर से चिल्लाने लगी; " I Love You Maanu!" मैं खड़ा हुआ उसे ऐसा देख कर मुस्कुरा रहा था| हमने बहुत साड़ी फोटोज खईंची और वापस कसोल आ गए| शाम की बस थी जो हमें दिल्ली छोड़ती, बस में एक प्रेमी जोड़ा था जिसे देख कर अनु के मन में प्यार उबलने लगा| उसने मेरी बाँह अपने दोनों हाथों में पकड़ ली, जैसे की कोई प्रेमी जोड़ा पकड़ता है| मैंने फ़ोन निकाला और हमारी कल वाली फोटो पर आये कमैंट्स पढ़ने शुरू किये| ऐसा लग रहा था जैसे सारा बैंगलोर जान गया हो, "तैयार हो जाओ, बैंगलोर पहुँचते ही सब टूट पड़ेंगे!" अनु ने कहा| तभी मेरा फ़ोन बजने लगा; "ओ भोसड़ीवाले! हमें बताया भी नहीं तू ने और शादी कर ली?" सिद्धार्थ बोला, ये सुनते ही मेरी हँसी छूट गई| "यार अभी की नहीं है!" मैंने हँसते हुए कहा|

"मुझे तो पहले से ही पता था की तुम दोनों का कुछ चल रहा है!" अरुण बोला, दरअसल सिद्धार्थ का फ़ोन स्पीकर पर था|

"उस दिन जब तूने कहा था न की तू एक खुशखबरी बाँटना चाहता है मुझे तभी लगा था की तूम दोनों शादी की बात कहने वाले हो|" सिद्धार्थ बोला|

"तब तक हम इतने करीब नहीं आये थे ना!" अनु ने बोला, क्योंकि मेरे फ़ोन में हेडफोन्स लगे थे और एक ear पीस अनु के पास था और एक मेरे पास|

"भाभी जी! कब कर रहे हो शादी!" अरुण बोला, ये सुन कर हम दोनों ही हँस पड़े और उधर वो दोनों भी हँस पड़े|

"मैं तो अभी तैयार हूँ पर मानु मान ही नहीं रहा!" अनु ने बात साडी मेरे सर मढ़ते हुए कहा|

"यार अभी हम कसोल में हैं, पहले घर पहुँचते हैं फिर जरा workout करते हैं| चिंता मत करो 'वर दान' तुम ही करोगे!" मैंने कहा, इस बात पर हम चारों हँस पड़े|

इसी तरह हँसते हुए हम अगले दिन दिल्ली पहुँचे और वहाँ से फ्लाइट ली जिसने हमें बैंगलोर छोड़ा| घर पहुँचे तो अनु के जितने भी जानकार थे या दोस्त थे वो सब आ गए और हमें बधाइयाँ दी और सब की जुबान पर एक ही सवाल था की शादी कब कर रहे हो| अभी तक तो हमने नहीं सोचा था की शादी कब करनी है तो उन्हें क्या बताते, हम दोनों ही इस सवाल पर एक दूसरे की शक्ल देख रहे होते और हँस के बात टाल देते| वैसे शादी के नाम से दोनों ही के पेट में तितलियाँ उड़ रहीं थी! पर अनु कुछ सोच रही थी, कुछ था जो वो चाहती थी पर मुझे बता नहीं रही थी| एक दिन की बात है, मैं ऑफिस से जल्दी आया तो देखा अनु बालकनी में चाय का कप पकडे गुम-शूम बैठी है| मैंने चुपके से आ कर उसके सर को चूमा और उसकी बगल में बैठ गया| "क्या हो रहा है?" मैंने पुछा तो अनु ने भीगी आँखों से मेरी तरफ देखा, मैं एक दम से घबरा गया और तुरंत उसके सामने बैठ गया और उसके आँसूँ पोछे! "सुबह से मम्मी-डैडी को दस बार कॉल कर चुकी हूँ पर वो हरबार मेरा फ़ोन काट देते हैं!" अनु ने फिर से रोते-रोते कहा| मैं सब समझ गया, वो चाहती थी की हमारी शादी में उसके मम्मी-डैडी भी शामिल हों और ना केवल शामिल हों बल्कि वो हमें आशीर्वाद भी दें| अब मेरे परिवार ने तो मुझसे मुँह मोड़ लिया था तो उन्हें बता कर भी क्या फर्क पड़ना था! "मम्मी-डैडी घर पर ही हैं ना?" मैंने अनु का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए पुछा| तो जवाब में अनु ने हाँ में सर हिलाया, मैंने तुरंत फ़ोन निकाला और कल की फ्लाइट की टिकट्स बुक कर दी| "Pack your bags we're going to your parent's!" मैंने उनकी आँखों में देखते हुए कहा|

"पर वो नहीं मानेंगे! खामाखां बेइज्जत कर देंगे!" अनु ने रोते हुए कहा|

"वो हमसे बड़े हैं, थोड़ा गरिया भी दिए तो क्या? मेरे घरवालों की तरह जान से तो नहीं मार देंगे ना?!" मैंने कहा|

"तुम्हारे लिए जान देनी पड़ी तो दे दूँगी...." अनु इसके आगे कुछ बोलती उससे पहले मैं बोल पड़ा; "वाह! मेरे लिए मरने के लिए तैयार हो और मैं तुम्हारे लिए चार गालियाँ नहीं खा सकता?" मैंने कहा और अनु का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और अपने सीने से लगा लिया| अगले दीं हम सीधा अनु के मम्मी-डैडी के घर पहुँचे, मैंने डोरबेल बजाई और दरवाजा अनु की मम्मी ने खोला| उन्होंने पहले मुझे देखा पर मुझे पहचान नहीं पाईं, पर जब उनकी नजर अनु पर पड़ी तो उनके चेहरे पर गुस्सा लौट आया| वो कुछ बोल पातीं उससे पहले ही पीछे से अनु के डैडी आ गए और उन्होंने सीधा अनु को ही देखा और चिल्लाते हुए बोले; "क्यों आई है यहाँ?"

"सर प्लीज... मेरी एक बार बात सुन लीजिये उसके बाद आप जो कहेंगे हम वो करेंगे...आप कहेंगे तो हम अभी चले जाएंगे! बस एक बार इत्मीनान से हमारी बात सुन लीजिये....!" मैंने उनके आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| उनके मन में अपनी बेटी के लिए प्यार अब भी था इसलिए उन्होंने हाँ में गर्दन हिला कर हमें अंदर आने दिया, वो हॉल में सोफे पर बैठ गए और उनकी बगल में अनु की मम्मी खड़ी थीं| मैं अब भी हाथ जोड़े खड़ा था और अनु मेरे पीछे सर झुकाये खड़ी थी|

"सर आपकी बेटी उस रिश्ते से खुश नहीं थी, वो एक ऐसे रिश्ते में भला कैसे रह सकती थी जहाँ उसका ख्याल रखने वाला, उसको प्यार करने वाला कोई नहीं था? ऐसा नहीं है की इसने रिश्ता निभाने की कोई कोशिश नहीं की, पूरी शिद्दत से इसने उस आदमी से रिश्ता निभाना चाहा पर अगर कोई साफ़ कह दे की वो किसी और से प्यार करता है और जिंदगी भर उसे ही प्यार करेगा तो ऐसे में अनु क्या करती? आपने शायद मुझे नहीं पहचाना, मेरा नाम मानु है! कुमार ने मुझे ही बलि का बकरा बनाया था ताकि वो अनु से छुटकारा पा सके| वो आदमी कतई अनु के काबिल नहीं था! बचपन से ले कर जवानी तक अनु ने वही किया जो आपने कहा! फिर चाहे वो सब्जेक्ट choose करना हो या कॉलेज सेलेक्ट करना हो, सिर्फ और सिर्फ इसलिए की वो आपको खुश देखना चाहती है| शादी भी सिर्फ और सिर्फ इसलिए की ताकि आप दोनों को ख़ुशी मिले तो क्या उसे हक़ नहीं की वो अपनी जिंदगी थोड़ी सी अपनी ख़ुशी से जी सके?! डाइवोर्स के बाद वो आप पर बोझ न बने इसलिए उसने जॉब की, डाइवोर्स के बाद उसे जो पैसा मिला उससे खुद बिज़नेस शुरू किया और फिर आपके पास लौटी आपका आशीर्वाद लेने और आपको prove करने के लिए की उसने जिंदगी में तर्रक्की पाई है! पर शायद आप तब भी अनु से खफा थे! उस दिन अनु को मैं बहुत बुरी हालत में मिला...." आगे मैं कुछ और बोलता उससे पहले अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया, वो नहीं चाहती थी की मैं उन्हें रितिका के बारे में सब कहूं| इसलिए मैंने अपनी बात को थोड़ा छोटा कर दिया; "मैं लघभग मरने की हालत में था, जब अनु ने मुझे संभाला और मुझे जिंदगी का मतलब समझाया, मुझे याद दिलाया की जिंदगी कितनी जर्रूरी होती है| मुझे मेरे पाँव पर खड़ा करवाया और अपने साथ बिज़नेस में as a partner ले कर आई| पिछले साल दिसंबर से ले कर अब तक हमने बहुत तरक्की की है, दो कमरे के ऑफिस को आज हमने पूरे फ्लोर पर फैला दिया है| अब जब हम अपनी जिंदगी का एक जर्रूरी कदम लेना चाहते हैं तो हमें आपके प्यार और आशीर्वाद की जर्रूरत है! हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं! आप प्लीज हमें अपना आशीर्वाद दीजिये और हमें अपना लीजिये| आपके अलावा हमारा अब कोई नहीं है और बिना माँ-बाप के आशीर्वाद के हम शादी नहीं कर सकते! बस इसीलिए हम आपके पास आये हैं!" मैंने घुटनों पर बैठते हुए कहा| मेरी बातें उन पर असर कर गईं और उनकी आँखों से अश्रुओं की धारा बह निकली| उन्होंने गले लगाने को अपनी बाहें खोली और अनु भागी-भागी गई और उनके गले लग गई| मैं उठ कर खड़ा हुआ और ये मिलन देख कर मेरी भी आँखें नम हो चली थीं, क्योंकि मैं अपने माँ-बाप को miss कर रहा था| अनु से गले मिलने के बाद अनु के डैडी ने मुझे भी गले लगने को बुलाया| मैं ने पहले उनके पाँव छुए और फिर उनके गले लग गया, आज बरसों बाद मुझे वही गर्मी का एहसास मिला जो मुझे मेरे पिताजी से गले लगने के बाद मिलता था| उनसे गले लगने के बाद अनु की मम्मी ने भी मुझे गले लगने को बुलाया| मैंने पहले उनके पाँव छुए और फिर उन्होंने मेरे माथे पर चूमा और फिर अपने गले से लगा लिया| उनसे गले लग कर मुझे माँ की फिर याद आ गई|

अनु के मम्मी-डैडी ने हमें अपना लिया था, और अनु बहुत खुश थी! उन्होंने मुझे बिठा कर मुझसे मेरे परिवार के बारे में पुछा और मैंने उन्हें सब बता दिया| फिर मम्मी जी ने एक सवाल पुछा जो उनकी तसल्ली के लिए जर्रूरी था;

मम्मी जी: बेटा बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ?

मैं: जी जर्रूर

मम्मी जी: बेटा तुम्हारी उम्र कितनी है?

मैं: जी 28

मम्मी जी: अनु 34 की है और फिर डिवोर्सी भी है| तुम्हें इससे कोई परेशानी तो नहीं? बुरा मत मानना बेटा पर तुम या तुम्हारे परिवार वाले इसके लिए राजी होंगे?

मैं: Mam मेरे घरवालों ने मुझे घर से निकाल दिया, क्योंकि मैंने अपनी भतीजी की शादी में हिस्सा लेने की बजाय अपना career चुना! इसलिए उनका शादी में आने का सवाल ही पैदा नहीं होता! रही मेरी बात तो Mam, I assure you की मुझे अनु के डिवोर्सी होने से या उम्र में ज्यादा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता! मैंने उनसे प्यार उनकी उम्र या उनका marital status देख कर नहीं किया|

डैडी जी: वो सब तो ठीक है बेटा पर ये तुमने sir-mam क्या लगा रखा है? तुम यहाँ कोई इंटरव्यू देने थोड़े ही आये हो?

अनु: डैडी इंटरव्यू ही तो देने आये हैं, मेरे हस्बैंड की जॉब का इंटरव्यू!

ये सुन कर सब हँसने लगे|

डैडी जी: बेटा जब हम अनु के मम्मी-डैडी हैं तो तुम्हारे भी हुए ना?

अनु: डैडी ये ऐसे ही हैं! मुझे भी पहले ये mam ही कह कर बुलाते थे, वो तो मैंने कहा तब जा कर मेरा नाम लेना शुरू किया|

मम्मी जी: बेटा Chivalry होना अच्छी बात है पर अपनों में नहीं!

मैं: जी मम्मी जी!

डैडी जी: शाबाश!

वो पूरा दिन मैं उन्हीं के पास बैठा और हमारी बहुत सी बातें हुई जिससे उन्हें ये पता चल गया की मैं कैसा लड़का हूँ| रात को खाने के बाद सोने की बारी आई; वहाँ बस दो ही कमरे थे एक मम्मी-डैडी का और एक अनु का| अनु तो अपने ही कमरे में सोने वाली थी, मैंने सोचा मैं हॉल में ही सो जाता हूँ| पर तभी मम्मी जी आ गईं;

मम्मी जी: बेटा तुम यहाँ नहीं सोओगे!

अनु: तो क्या मेरे कमरे में? (अनु ने मजे लेने की सोची!)

मम्मी जी: वो शादी के बाद अभी मानु तेरे डैडी के साथ सोयेगा और मैं तेरे साथ! (मम्मी जी ने अनु के साथ थोड़ा मजाक में बात की और ये देख मैं मुस्कुराने लगा|)

अनु: डैडी रात में खरांटें मारते हैं!

मैं: मेरी चिंता मत करो, मैं और डैडी जी तो रात भर बातें करेंगे!

तभी डैडी जी भी आ गए|

डैडी जी: कौन बोला मैं खर्राटें मारता हूँ?

मैंने एक दम से अनु की तरफ ऊँगली कर दी|

डैडी जी: अच्छा? और जो तू 10 साल की उम्र तक रात को डर के मारे बेड गीला कर देती थी वो?

ये सुन कर मैं, मम्मी जी और डैडी जी हँस पड़े और अनु शर्म से लाल हो गई!

मैं: डैडी जी ये आपने सही बात बताई, बहुत टांग खींची है मेरी अब मेरी बारी है! आज रात तो सारे राज जानूँगा मैं तुम्हारे! (मैंने हँसते हुए कहा|)

अनु: प्लीज डैडी कुछ मत बताना वरना ये साड़ी उम्र मुझे चिढ़ाते रहेंगे!

मैं: नहीं प्लीज डैडी मुझे सब बताना, ये मेरी बहुत खिंचाई करती है|

डैडी जी: मैं तो बता कर रहूँगा!

तो इस तरह मजाक-मस्ती में वो रात गुजरी, अगली सुबह ही हम सब उनके पंडित के पास चल दिए और उन्होंने मेरी जन्म तिथि से मेरी कुंडली बनाई और शादी की तारिख 23 फरवरी निकाली| अब तारिख सुन कर हम दोनों का मुँह फीका हो गया, मम्मी जी ने अनु के गाल पकड़ते हुए कहा; "बड़ी जल्दी है तुझे शादी करने की!" उनकी बात सुन हम सब हँस दिए|


अब मम्मी-डैडी को बैंगलोर में हमारा घर देखना था और उन्हें ये नहीं पता था की हम 1BHK में रह रहे हैं वरना वो बहुत गुस्सा करते! हम ने सोचा की पहले एक 2 BHK लेते हैं और फिर उन्हें वहाँ बुला आकर घर दिखाएँगे| तो तय ये हुआ की इस साल दिवाली वो हमारे साथ बैंगलोर में ही मनाएंगे| हम हँसी-ख़ुशी वापस आये और अनु ने House Hunting का काम पकड़ लिया और मुझे पहले के पेंडिंग काम करने पड़े| अनु घर शॉर्टलिस्ट करती और रोज शाम को मुझे अपने साथ देखने के लिए ले जाती| ऐसे करते-करते 20 दिन हो गए और हमें finally पाने सपनो का घर मिल गया| हमने मिल कर उसे सजाया, ये वो खरोंदा था जहाँ हमारी नई जिंदगी शुरू होने वाली थी! दिवाली में 10 दिन रह गए थे और मम्मी-डैडी आ गए थे| उन्हें पिक करने मैं ही गया था और नए घर में आ कर वो बहुत खुश थे| अनु ने उन्हें हमारे पुराने घर के बारे में सब सच बता दिया था और उन्होंने हमें कुछ नहीं कहा| वो जानते थे की बच्चे बड़े हो गए हैं और समझदार भी! अगले दिन हम दोनों मम्मी-डैडी को ऑफिस ले गए और अपना ऑफिस दिखाया, डैडी जी हमारे लिए एक गणपति जी की मूर्ति लाये थे जो उन्होंने ऑफिस के मंदिर में खुद रखी| फिर दिवाली की पूजा हुई और उन्होंने अपने हाथ से सारे स्टाफ को बोनस दिया| घर पर पूजा भी पूरे विधि-विधान से हुई और उन्होंने हमें ढेर सारा आशीर्वाद दिया| कुछ दिन बैंगलोर घूमने के बाद वो वापस लखनऊ चले गया| उनके जाने के अगले दिन मेरे फ़ोन पर कॉल आया, मैंने बिना देखे ही कॉल उठा लिया और फिर एक भारी-भरकम आवाज मेरे कान में पड़ी; "बेटा....घर आजा...." ये आवाज मेरे ताऊ जी की थी और उनकी आवाज से दर्द साफ़ झलक रहा था.... उनके आगे कुछ कहने से पहले ही मेरी जुबान ने हाँ कह दिया| मैंने तुरंत अपना बैग उठाया और उसमें कपडे ठूसने लगा, अनु ने मुझे ऐसा करते देखा तो वो घबरा गई; "क्या हुआ?" उसने पुछा| पर मेरे कहने से पहले ही उसे मेरी आँखों में आँसू नजर आ गए; "ताऊ जी का फ़ोन था...मुझे कुछ दिन के लिए गाँव जाना होगा!" मैंने खुद को संभालते हुए कहा| "मैं भी चलती हूँ!" अनु ने घबराते हुए कहा| "नहीं....अभी नहीं! पहले मुझे जाने दो, फिर मैं तुम्हें कॉल करूँगा तब आना|" मैंने कहा और अनु एकदम से मेरे सीने से लग गई, उसे डर लग रहा था की मैं कहीं उसे छोड़ कर तो नहीं जा रहा? "Baby ... डरो मत.... मैं वापस आऊँगा! I Promise!!!" मैंने अनु के आँसूँ पोछते हुए कहा| अनु को यक़ीन हो गया और वो मुझे छोड़ने के लिए एयरपोर्ट तक आई और आँखों में आँसू लिए बोली; "मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी!" मैंने अपने दोनों हाथों से उनके चेहरे को थामा और माथे को चूमा; "जल्दी आऊँगा!" ये कहते हुए मैं एयरपोर्ट के अंदर घुसा और फ्लाइट में बैठ कर लखनऊ पहुंचा और वहाँ से बस पकड़ कर घर की ओर चल दिया| जहाँ पिछली बार मेरी आँखों में आँसू थे क्योंकी मेरे अपनों ने ही मुझे घर से निकाल दिया था वहाँ आज एक अजीब सी ख़ुशी थी की मेरे परिवार ने मुझे फिर वापस बुलाया|

Mera idea bilkul sahi tha

Shaanti khatam
Ab jindagi mai tufaan ane wala hai
 
Last edited:

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,794
37,627
219
huum wonderfull update bhaiya ji..is update me jo bhi hua ab tak sab sahi hua hai mai ek baar fir kahta hun ye perfect Jodi hai aun aur manu ki aur kuch bhi galat nahi isme..ab baat karte hain ritika ki to ho sakta hai ki usne jo bhi kiya uske piche uski majburi rahi ho lekin ab jo halaat hai wo anu ke taraf hain aur manu ko koi haq nahi banta ki wo anu ka dil tode kyunki ye zindgi jo wo aaj ji raha hai wo anu ki di hui hai :)
रीतिका की अगर कोई मजबूरी थी.... और वो सच में प्यार करती थी मानु से ..... तो अपनी जान दे देती...... मानु को मौत के दरवाजे तक न ले जाती..... इसे कोई दलील नहीं झुठला सकती...... की वो मजबूर नहीं मौकापरस्त थी
मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मानु और अनु की शादी में कुुुछ रुकावट आने वाली है।
क्योंकि गांंव में शायद कोई काण्ड होगा या हो गया हैै।
मुझे भी ऐसा ही लग रहा है
I think ki mantri ke bete ne ritika ko chhod dia hai
हो सकता है
Yaar kya update diya hai.
Dil garden garden ho gya.
Update ki jitni tarif karu kam hai.
Wowsum update.
Anu or manu k bich pyar to kafi pahle se tha lekin tab samay kuch or tha halat kuch or the.
Ab sab sahi hai to dono ne ek dusre k pyar ko accept kr liya.
Anu k maa papa bhi raji ho gye is riste se ye sab se achha hua.
Ab manu ko tau ne gau bulaya hai to pta nahi dil mai thodi se bechaini hai.
Pta nhi q bulaye hai.
Un logo ko manu ki yaad aa gai ki ek beta bhi hai ya koi dusri problem ya fir ritu k or se koi pareshani.
Ab ye to kal k update padh kr hi pta chalega lekin itna achha update tha ki dil nahi bhara.
Fabulous update.
Keep rocking.
उन लोगों को मानु की याद आ गई ऐसा मुझे तो नहीं लगता............... सिर्फ किसी मुश्किल, मुसीबत, परेशानी के लिए ही याद किया है.... ये बात और है मानु की मुश्किलों, मुसीबतों और परेशानी में सबने साथ छोड़ दिया.....

अगले अपडेट का बेसबरी से इंतज़ार है
 

Assassin

Staff member
Moderator
4,493
3,988
159
अब तक आपने पढ़ा:

सुबह जल्दी ही आँख खुल गई, फ्रेश होने के बाद उन्होंने मुझे कहा की ऊपर मंदिर चलते हैं| मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का स्त्रोत्र था जिसमें सारे लोग नहा रहे थे, हमने हाथ-मुंह धोया और भगवान के दर्शन करने लगे| दर्शन के बाद अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहाँ एक पत्थर पर बैठने को कहा| "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!" अनु ने बहुत गंभीर होते हुए कहा| एक पल के लिए मैं भी सोच में पड़ गया की उन्हें आखिर बात क्या करनी है?

update 69

"मानु मैं तुमसे प्यार करती हूँ....सच्चा प्यार!" अनु ने गंभीर होते हुए कहा|

"आप ये क्या कह रहे हो?" मैंने चौंक कर खड़े होते हुए कहा|

"जब हम कुमार के ऑफिस में प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तभी मुझे तुमसे प्यार हो गया था! पर मैं उस समय कुमार की पत्नी थी, इसलिए कुछ नहीं बोली! बड़ी हिम्मत लगी और फिर तुम्हारे सहारे के कारन मैं आजाद हुई| फिर घरवालों ने मुझे अकेला छोड़ दिया ओर ऐसे में मैं तुम्हारे लिए बोझ नहीं बनना चाहती थी| इसलिए तुम से दूर बैंगलोर आ गई और सोचा की जिंदगी दुबारा शुरू करूँगी पर तुम्हारी यादें साथ नहीं छोड़ती थीं| बहुत कोशिश की तुम्हें भुलाने की और भूल भी गई, इसलिए मैंने अपना नंबर बदल लिया था क्योंकि मेरा मन जानता था की तुम मुझे कभी नहीं अपनाओगे| देखा जाए वो सही भी था क्योंकि उस टाइम तुम रितिका के थे, अगर मैं तुमसे अपने प्यार का इजहार भी करती तो तुम मना कर देते और तब मैं टूट जाती| बड़े मुश्किल से डरते हुए मैं दुबारा लखनऊ आई, क्योंकि जानती थी की तुम्हारे सामने मैं खुद को संभाल नहीं पाऊँगी पर एक बार और अपने मम्मी-डैडी से रिश्ते सुधारने की बात थी, लेकिन उन्होंने तो मुझसे बात तक नहीं की और घर से बाहर निकाल दिया| फिर उस रात जब मैंने तुम्हें उस बस स्टैंड पर देखा तो मैं बता नहीं सकती मुझ पर क्या बीती| दूर से देख कर ही मन कह रहा था की ये तुम नहीं हो सकते, तुम्हारी ऐसी हालत नहीं हो सकती! वो रात मैंने रोते-रोते गुजारी ....फिर ये तुम्हारी बिमारी और वो सब.... मैंने बहुत सम्भलने की कोशिश की पर ये दिल अब नहीं सम्भलता!" अनु ने रोते-रोते कहा|

"आप मेरे बारे में सब नहीं जानते, अगर जानते तो प्यार नहीं नफरत करते!" मैंने उनका कन्धा पकड़ कर उन्हें झिंझोड़ते हुए कहा|

"क्या नहीं पता मुझे?" अनु ने अपना रोना रोकते हुए पुछा?

"मेरे और रितिका के रिश्ते के बारे में|" मैंने उनके कन्धों को छोड़ दिया|

"तुम उससे प्यार करते थे और उसने तुमसे धोखा किया, बस!" अनु ने कहा|

"बात इतनी आसान नहीं है!..... हम दोनों असल जिंदगी में चाचा-भतीजी थे!" इतना कहते हुए मैंने उन्हें सारी कहानी सुना दी, उसकं ुझे धोखा देने से ले कर उसकी शादी तक सब बात!

"तो इसमें तुम्हारी क्या गलती थी? आई वो थी तुम्हारे पास, तुम तो अपने रिश्ते की मर्यादा जानते थे ना? तभी तो उसे मना कर रहे थे, और रिश्ते क्या होते हैं? इंसान उन्हें बनाता है ना? हमारा ये दोस्ती का रिश्ता भी हमने बनाया ना? अगर तुमने उससे अपने प्यार का इजहार किया होता तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता! फर्क पड़ता है तो सिर्फ इस बात से की अभी तुम क्या चाहते हो? क्या तुम उससे अब भी प्यार करते हो? क्या तुम्हारे दिल में उसके लिए अब भी प्यार है?" अनु ने मुझे झिंझोड़ते हुए पुछा| में अनु की बातों में खो गया था, क्योंकि जिस सरलता से वो इस सब को ले रहे थीं वो मेरे गले नहीं उतर रही थी! पर उनका मुझे झिंझोड़ना जारी था और वो जवाब की उम्मीद कर रहीं थीं|

"नहीं....मैं उससे सिर्फ नफरत करता हूँ! उसकी वजह से मुझे मेरे ही परिवार से अलग होना पड़ा!" मैंने कहा|

"तो फिर क्या प्रॉब्लम है? इतने दिनों में एक छत के नीचे रहते हुए तुम्हें कभी नहीं लगा की तुम्हारे दिल में मेरे लिए थोड़ा सा भी प्यार है?" अनु ने पुछा|

"हुआ था...कई बार हुआ पर...मुझ में अब दुबारा टूटने की ताक़त नहीं है|" मैंने अनु की आँखों में देखते हुए कहा| ये मेरा सवाल था की क्या होगा अगर उन्होंने भी मेरे साथ वही किया जो रितिका ने किया|

"मैं तुम्हें कभी टूटने नहीं दूँगी! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!" अनु ने पूरे आत्मविश्वास से कहा| उस पल मेरा दिमाग सुन्न हो चूका था, बस एक दिल था जो प्यार चाहता था और उसे अनु का प्यार सच्चा लग रहा था| पर खुद को फिर से टूटते हुए देखने का डर भी था जो मुझे रोक रहा था|

"मैं तुम्हारा डर समझ सकती हूँ, पर हाथ की सभी उँगलियाँ एक सी नहीं होतीं| अगर एक लड़की ने तुम्हें धोखा दिया तो जर्रूरी तो नहीं की मैं भी तुम्हें धोका दूँ? उसके लिए तुम बाहर जाने का रास्ता थे, पर मेरे लिए तुम मेरी पूरी जिंदगी हो!" मेरा दिल अनु की बातें सुन कर उसकी ओर बहने लगा था, पर जुबान खामोश थी!

"हाँ अगर तुम्हें मेरी उम्र से कोई प्रॉब्लम है तो बात अलग है!" अनु ने माहौल को हल्का करते हुए कहा| पर मुझे उनकी उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता था, बस दिल टूटने का डर था!

"I love you!!!" मैंने एकदम से उनकी आँखों में देखते हुए कहा|

"I love you too!!!!" अनु ने एकदम से जवाब दिया और मेरे गले लग गई| हम 10 मिनट तक बस ऐसे ही गले लगे रहे, कोई बात-चीत नहीं हुई बस दो बेक़रार दिल थे जो एक दूसरे में करार ढूँढ रहे थे| "तो शादी कब करनी है?" अनु बोली और मैंने उन्हें अपने आलिंगन से आजाद किया|

"पहले इस पहाड़ से तो नीचे उतरें!" माने मुस्कुराते हुए कहा| हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर अपने टेंट की तरफ आ रहे थे की तभी अनु बोली; "मैं बड़ी खुशनसीब हूँ, यहाँ आई थी एक दोस्त के साथ और जा रही हूँ हमसफ़र के साथ!"

"खुशनसीब तो मैं हूँ जो मुझे तुम्हारे जैसा साथी मिला, जो मेरे सारे दुःख बाँट रहा है!" मैंने कहा|

"मैं तुम्हें इतना प्यार दूँगी की तुम सारे दुःख भूल जाओगे!" अनु ने मुस्कुराते हुए आत्मविश्वास से कहा|

'जो तू मेरा हमदर्द है.....सुहाना हर दर्द है!" मैंने कहा और अनु के सर को चूम लिया|

हमने बैग उठाया और नीचे उतर चले| इस वक़्त हम दोनों ही एक अजीब से जोश से भरे हुए थे, वो प्यार जो हम दोनों के दिलों में धधकरहा था ये उसी की ऊर्जा थी| रास्ते भर हमने जगह-जगह पर फोटोज क्लिक करी| दोपहर होते-होते हम कसोल वापस पहुँचे और सबसे पहले मैंने नूडल पैक करवाए| हाय क्या नूडल्स थे! ऐसे नूडल माने आजतक नहीं खाये थे! मैंने एक पौवा रम ली और 'माल' भी लिया! रूम पर आ कर पहले हम दोनों बारी-बारी नहाये और फिर नूडल खाने लगे, मैंने एक-एक पेग भी ना कर रेडी किया| अब रम में होती है थोड़ी बदबू जो अनु को पसंद नहीं आई| "eeew .....तुम तो हमेशा अच्छी वाली पीते हो तो आज रम क्यों?" अनु ने नाक सिकोड़ते हुए कहा| "इंसान को कभी अपनी जड़ नहीं भूलनी चाहिए! रम से ही मैंने शुरुआत की थी और पहाड़ों पर रम पीने का मजा ही अलग होता है|" मैंने कहा और नाक सिकोड़ कर ही सही पर अनु ने पूरा पेग एक सांस में खींच लिया| जैसे ही रम गले से नीचे उत्तरी उनका पूरा जिस्म गर्म हो गया| "Wow ये तो सच में बहुत गर्म है! अब समझ में आया पहाड़ों पर इसे पीने का मतलब!" अनु ने गिलास मेरे आगे सरकाते हुए कहा| "सिर्फ पहाड़ों पर ही नहीं, सर्दी में भी ये 'रम बाण्ड इलाज' है!" मैंने कहा और हम दोनों हंसने लगे| नूडल के साथ आज रम का एक अलग ही सुररोर था और जब खाना खत्म हुआ तो मैंने अपनी 'लैब' खोल दी जिसे देख कर अनु हैरान हो गई! "अब ये क्या कर रहे हो?" अनु ने पुछा|

"इसे कहते हैं 'माल'!" ये कहते हुए मैंने सिगरेट का तम्बाकू एक पेपर निकाला और मलाना क्रीम निकाली, दिखने में वो काली-काली, चिप-चिपि सी होती है| "ये क्या है?" अनु ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा|

"ये है यहाँ की फेमस मलाना क्रीम!" पर अनु को समझ नहीं आया की वो क्या होती है| "हशीश!" मैंने कहा तो अनु एक दम से अपने दोनों गालों को हाथ से ढकते हुए मुझे देखने लगी! "Hawwww .... ये तो ड्रग्स है? तुम ड्रग्स लेते हो?" अनु ने चौंकते हुए कहा| उनका इतना लाउड रिएक्शन का कारन था रम का असर जो अब धीरे-धीरे उन पर चढ़ रहा था|

"ड्रग्स तो अंग्रेजी नशे की चीजें होती हैं, ये तो नेचुरल है! ये हमें प्रकृति देती है!" मैंने अपनी प्यारी हशीश का बचाव करते हुए कहा जिसे सुन अनु हँस पड़ी| मैंने हशीश की एक छोटी गोली को माचिस की तीली पर रख कर गर्म किया और फिर उसे सिगरेट के तम्बाकू में दाल कर मिलाया और बड़ी सावधानी से वापस सिगरेट में भर दिया| सिगरेट मुँह पर लगा कर मैंने पहला कश लिया और पीठ दिवार से टिका कर बैठ गया| आँखें अपने आप बंद हो गईं क्योंकि जिस्म को आज कई महीनों बाद असली माल चखने को मिला था| "इसकी आदत तो नहीं पड़ती?" आने ने थोड़ा चिंता जताते हुए पुछा|

"इतने महीनों में तुमने कभी देखा मुझे इसे पीते हुए? नशा जब तक कण्ट्रोल में रहे ठीक होता है, जब उसके लिए आपकी आत्मा आपको परेशान करने लगे तब वो हद्द से बाहर हो जाता है|" मैंने प्रवचन देते हुए कहा, पिछले साल यही तो सीखा था मैंने!

"मैं भी एक puff लूँ?" अनु ने पुछा तो मैंने उन्हें सिगरेट दे दी| उन्होंने एक छोटा सा ड्रैग लिया और खांसने लगी और मुझे सिगरेट वापस दे दी| मैंने उनकी पीठ सहलाई ताकि उनकी खांसी काबू में आये| उनकी खांसी काबू में आई और मैंने एक और ड्रैग लिया और फिर से आँख मूँद कर पीठ दिवार से लगा कर बैठ गया| तभी अचानक से अनु ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और एक बड़ा ड्रैग लिया, इस बार उन्हें खांसी नहीं आई, दस मिनट बाद वो बोलीं; "कुछ भी तो नहीं हुआ? मुझे लगा की चढ़ेगी पर ये तो कुछ भी नहीं कर रही!" अनु ने चिढ़ते हुए कहा|

"ये दारु नहीं है, इसका असर धीरे-धीरे होगा, दिमाग सुन्न हो जाएगा| मैंने कहा| पर उस पर रम की गर्मी चढ़ गई तो अनु ने अपने कपडे उतारे, अब वो सिर्फ एक पतली सी टी-शर्ट और काप्री पहने मेरे बगल में लेती थीं और फोटोज अपलोड करने लगी| इधर उनकी फोटोज अपलोड हुई और इधर मेरे फ़ोन में नोटिफिकेशन की घंटियाँ बजने लगी| मैंने फ़ोन उठाया ही था की अनु ने फिर से मेरे हाथ से सिगरेट ली और एक बड़ा ड्रैग लिया, उनका ऐसा करने से मैं हँस पड़ा और वो भी हँस दीं| मैंने अपना फ़ोन खोल के देखा तो 30 फेसबुक की नोटिफिकेशन थी! मैं हैरान था की की इतनी नोटिफिकेशन कैसे! मैंने जब खोला तो देखा की अनु ने हम दोनों की एक फोटो डाली थी और caption में लिखा था; 'He said YESSSSSSS! I Love You!!!' अनु के जितने भी दोस्त थे उन सब ने फोटो पर Heart react किया था और congratulations की झड़ी लगा दी थी! तभी आकाश का कमेंट भी आया है; "Congratulations sir and mam!" मैं मुस्कुराते हुए अनु को देखने लगा जो मेरी तरफ ही देख रही थी| चेहरे पर वही मुस्कुराहट लिए और रम और हशीश के नशे में चूर उनका चेहरा दमक रहा था| "चलो अब सो जाओ!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और लास्ट ड्रैग ले कर मैं दूसरी तरफ करवट ले कर लेट गया| अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे से चिपक कर लेट गई| आज पता नहीं क्यों पर मेरे जिस्म में एक झुरझुरी सी पैदा हुई और मेरा मन बहकने लगा| बरसों से सोइ हुई प्यास भड़कने लगी, दिल की धड़कनें तेज होने लगीं और मन मेरे और अनु के बीच बंधी दोस्ती की मर्यादा तोड़ने को करने लगा| मेरे शरीर का अंग जिसे मैं इतने महीनों से सिर्फ सु-सु करने के लिए इस्तेमाल करता था आज वो अकड़ने लगा था, पर कुछ तो था जो मुझे रोके हुए था| मैंने अनु की तरफ देखा तो उसकी आँख लग चुकी थी, मैंने खुद को धीरे से उसकी गिरफ्त से निकाला और कमरे से बाहर आ कर बालकनी में बैठ गया| सांझ हो रही थी और मेरा मन ढलते सूरज को देखने का था, सो मैं बाहर कुर्सी लगा कर बैठ गया| जिस अंग में जान आई थी वो वापस से शांत हो गया था, दिमाग ने ध्यान बहारों पर लगा दिया| कुछ असर सिगरेट का भी था सो मैं चुप-चाप वो नजारा एन्जॉय करने लगा| साढ़े सात बजे अनु उठी और मुझे ढूंढती हुई बाहर आई, पीछे से मुझे अपनी बाहों में भर कर बोली; "यहाँ अकेले क्या कर रहे हो?"

"कुछ नहीं बस ढलती हुई सांझ को देख रहा था|" ये सुन कर अनु मेरी गोद में बैठ गई और अपना सर मेरे सीने से लगा दिया| उसके जिस्म की गर्माहट से फिर से जिस्म में झूझुरी छूटने लगी और मन फिर बावरा होने लगा, दिल की धड़कनें तेज थीं जो अनु साफ़ सुन पा रही थी| शायद वो मेरी स्थिति समझ पा रही थी इसलिए वो उठी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर ले आई| दरवाजा बंद किया और मेरी तरफ बड़ी अदा से देखा| उनकी ये अदा आज मैं पहली बार देख रहा था और अब तो दिल बगावत कर बैठा था, उसे अब बस वो प्यार चाहिए था जिसके लिए वो इतने दिनों से प्यासा था| अनु धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पास आई और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और कुछ पलों के लिए हमारी आँखें बस एक दूसरे को देखती रहीं| इन्ही कुछ पलों में मेरे दिमाग ने जिस्म पर काबू पा लिया, अनु ने आगे बढ़ कर मुझे Kiss करना चाहा पर मैंने उनके होठों पर ऊँगली रख दी; "अभी नहीं!" मैंने कहा और अनु को कस कर गले लगा लिया| अनु ने एक शब्द नहीं कहा और मेरी बात का मान रखा| हम वापस बिस्तर पर बैठ गए; "तुम्हारा मन था ना?" अनु ने पुछा|

"था.... पर ऐसे नहीं!!!" मैंने कहा|

"तो कैसे?" अनु ने पुछा|

"शादी के बाद! तब तक हम ये दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे! प्यार भी होगा पर एक हद्द तक!"

"अब पता चला क्यों मैं तुमसे इतना प्यार करती हूँ?!" अनु ने फिर से अपनी बाहों में जकड़ लिया, पर इस बार मेरा जिस्म में नियंत्रण में था|

मेरा खुद को और उनको रोकने का कारन था, समर्पण! हम दोनों एक दूसरे को आत्मिक समर्पण कर चुके थे पर जिस्मानी समर्पण के लिए अनु पूरी तरह से तैयार नहीं थी| इतने महीनों में मैंने जो जाना था वो ये की अनु की सेक्स के प्रति उतनी रूचि नहीं जितनी की होनी चाहिए थी| मैं नहीं चाहता था की वो ये सिर्फ मेरी ख़ुशी के लिए करें और वही गलती फिर दोहराई जाए जो मैंने रितिका के लिए की थी!

अगले दिन हम तैयार हो कर तोश जाने के लिए निकले, यहाँ की चढ़ाई खीरगंगा के मुकाबले थकावट भरी नहीं थी| यहाँ पर बहुत से घर थे और रास्ता इन्हीं के बीच से ऊपर तक जाता था| ऊपर पहुँच कर हमने वादियाँ का नजारा देखा, अनु को इतना जोश आया की वो जोर से चिल्लाने लगी; " I Love You Maanu!" मैं खड़ा हुआ उसे ऐसा देख कर मुस्कुरा रहा था| हमने बहुत साड़ी फोटोज खईंची और वापस कसोल आ गए| शाम की बस थी जो हमें दिल्ली छोड़ती, बस में एक प्रेमी जोड़ा था जिसे देख कर अनु के मन में प्यार उबलने लगा| उसने मेरी बाँह अपने दोनों हाथों में पकड़ ली, जैसे की कोई प्रेमी जोड़ा पकड़ता है| मैंने फ़ोन निकाला और हमारी कल वाली फोटो पर आये कमैंट्स पढ़ने शुरू किये| ऐसा लग रहा था जैसे सारा बैंगलोर जान गया हो, "तैयार हो जाओ, बैंगलोर पहुँचते ही सब टूट पड़ेंगे!" अनु ने कहा| तभी मेरा फ़ोन बजने लगा; "ओ भोसड़ीवाले! हमें बताया भी नहीं तू ने और शादी कर ली?" सिद्धार्थ बोला, ये सुनते ही मेरी हँसी छूट गई| "यार अभी की नहीं है!" मैंने हँसते हुए कहा|

"मुझे तो पहले से ही पता था की तुम दोनों का कुछ चल रहा है!" अरुण बोला, दरअसल सिद्धार्थ का फ़ोन स्पीकर पर था|

"उस दिन जब तूने कहा था न की तू एक खुशखबरी बाँटना चाहता है मुझे तभी लगा था की तूम दोनों शादी की बात कहने वाले हो|" सिद्धार्थ बोला|

"तब तक हम इतने करीब नहीं आये थे ना!" अनु ने बोला, क्योंकि मेरे फ़ोन में हेडफोन्स लगे थे और एक ear पीस अनु के पास था और एक मेरे पास|

"भाभी जी! कब कर रहे हो शादी!" अरुण बोला, ये सुन कर हम दोनों ही हँस पड़े और उधर वो दोनों भी हँस पड़े|

"मैं तो अभी तैयार हूँ पर मानु मान ही नहीं रहा!" अनु ने बात साडी मेरे सर मढ़ते हुए कहा|

"यार अभी हम कसोल में हैं, पहले घर पहुँचते हैं फिर जरा workout करते हैं| चिंता मत करो 'वर दान' तुम ही करोगे!" मैंने कहा, इस बात पर हम चारों हँस पड़े|

इसी तरह हँसते हुए हम अगले दिन दिल्ली पहुँचे और वहाँ से फ्लाइट ली जिसने हमें बैंगलोर छोड़ा| घर पहुँचे तो अनु के जितने भी जानकार थे या दोस्त थे वो सब आ गए और हमें बधाइयाँ दी और सब की जुबान पर एक ही सवाल था की शादी कब कर रहे हो| अभी तक तो हमने नहीं सोचा था की शादी कब करनी है तो उन्हें क्या बताते, हम दोनों ही इस सवाल पर एक दूसरे की शक्ल देख रहे होते और हँस के बात टाल देते| वैसे शादी के नाम से दोनों ही के पेट में तितलियाँ उड़ रहीं थी! पर अनु कुछ सोच रही थी, कुछ था जो वो चाहती थी पर मुझे बता नहीं रही थी| एक दिन की बात है, मैं ऑफिस से जल्दी आया तो देखा अनु बालकनी में चाय का कप पकडे गुम-शूम बैठी है| मैंने चुपके से आ कर उसके सर को चूमा और उसकी बगल में बैठ गया| "क्या हो रहा है?" मैंने पुछा तो अनु ने भीगी आँखों से मेरी तरफ देखा, मैं एक दम से घबरा गया और तुरंत उसके सामने बैठ गया और उसके आँसूँ पोछे! "सुबह से मम्मी-डैडी को दस बार कॉल कर चुकी हूँ पर वो हरबार मेरा फ़ोन काट देते हैं!" अनु ने फिर से रोते-रोते कहा| मैं सब समझ गया, वो चाहती थी की हमारी शादी में उसके मम्मी-डैडी भी शामिल हों और ना केवल शामिल हों बल्कि वो हमें आशीर्वाद भी दें| अब मेरे परिवार ने तो मुझसे मुँह मोड़ लिया था तो उन्हें बता कर भी क्या फर्क पड़ना था! "मम्मी-डैडी घर पर ही हैं ना?" मैंने अनु का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए पुछा| तो जवाब में अनु ने हाँ में सर हिलाया, मैंने तुरंत फ़ोन निकाला और कल की फ्लाइट की टिकट्स बुक कर दी| "Pack your bags we're going to your parent's!" मैंने उनकी आँखों में देखते हुए कहा|

"पर वो नहीं मानेंगे! खामाखां बेइज्जत कर देंगे!" अनु ने रोते हुए कहा|

"वो हमसे बड़े हैं, थोड़ा गरिया भी दिए तो क्या? मेरे घरवालों की तरह जान से तो नहीं मार देंगे ना?!" मैंने कहा|

"तुम्हारे लिए जान देनी पड़ी तो दे दूँगी...." अनु इसके आगे कुछ बोलती उससे पहले मैं बोल पड़ा; "वाह! मेरे लिए मरने के लिए तैयार हो और मैं तुम्हारे लिए चार गालियाँ नहीं खा सकता?" मैंने कहा और अनु का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और अपने सीने से लगा लिया| अगले दीं हम सीधा अनु के मम्मी-डैडी के घर पहुँचे, मैंने डोरबेल बजाई और दरवाजा अनु की मम्मी ने खोला| उन्होंने पहले मुझे देखा पर मुझे पहचान नहीं पाईं, पर जब उनकी नजर अनु पर पड़ी तो उनके चेहरे पर गुस्सा लौट आया| वो कुछ बोल पातीं उससे पहले ही पीछे से अनु के डैडी आ गए और उन्होंने सीधा अनु को ही देखा और चिल्लाते हुए बोले; "क्यों आई है यहाँ?"

"सर प्लीज... मेरी एक बार बात सुन लीजिये उसके बाद आप जो कहेंगे हम वो करेंगे...आप कहेंगे तो हम अभी चले जाएंगे! बस एक बार इत्मीनान से हमारी बात सुन लीजिये....!" मैंने उनके आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| उनके मन में अपनी बेटी के लिए प्यार अब भी था इसलिए उन्होंने हाँ में गर्दन हिला कर हमें अंदर आने दिया, वो हॉल में सोफे पर बैठ गए और उनकी बगल में अनु की मम्मी खड़ी थीं| मैं अब भी हाथ जोड़े खड़ा था और अनु मेरे पीछे सर झुकाये खड़ी थी|

"सर आपकी बेटी उस रिश्ते से खुश नहीं थी, वो एक ऐसे रिश्ते में भला कैसे रह सकती थी जहाँ उसका ख्याल रखने वाला, उसको प्यार करने वाला कोई नहीं था? ऐसा नहीं है की इसने रिश्ता निभाने की कोई कोशिश नहीं की, पूरी शिद्दत से इसने उस आदमी से रिश्ता निभाना चाहा पर अगर कोई साफ़ कह दे की वो किसी और से प्यार करता है और जिंदगी भर उसे ही प्यार करेगा तो ऐसे में अनु क्या करती? आपने शायद मुझे नहीं पहचाना, मेरा नाम मानु है! कुमार ने मुझे ही बलि का बकरा बनाया था ताकि वो अनु से छुटकारा पा सके| वो आदमी कतई अनु के काबिल नहीं था! बचपन से ले कर जवानी तक अनु ने वही किया जो आपने कहा! फिर चाहे वो सब्जेक्ट choose करना हो या कॉलेज सेलेक्ट करना हो, सिर्फ और सिर्फ इसलिए की वो आपको खुश देखना चाहती है| शादी भी सिर्फ और सिर्फ इसलिए की ताकि आप दोनों को ख़ुशी मिले तो क्या उसे हक़ नहीं की वो अपनी जिंदगी थोड़ी सी अपनी ख़ुशी से जी सके?! डाइवोर्स के बाद वो आप पर बोझ न बने इसलिए उसने जॉब की, डाइवोर्स के बाद उसे जो पैसा मिला उससे खुद बिज़नेस शुरू किया और फिर आपके पास लौटी आपका आशीर्वाद लेने और आपको prove करने के लिए की उसने जिंदगी में तर्रक्की पाई है! पर शायद आप तब भी अनु से खफा थे! उस दिन अनु को मैं बहुत बुरी हालत में मिला...." आगे मैं कुछ और बोलता उससे पहले अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया, वो नहीं चाहती थी की मैं उन्हें रितिका के बारे में सब कहूं| इसलिए मैंने अपनी बात को थोड़ा छोटा कर दिया; "मैं लघभग मरने की हालत में था, जब अनु ने मुझे संभाला और मुझे जिंदगी का मतलब समझाया, मुझे याद दिलाया की जिंदगी कितनी जर्रूरी होती है| मुझे मेरे पाँव पर खड़ा करवाया और अपने साथ बिज़नेस में as a partner ले कर आई| पिछले साल दिसंबर से ले कर अब तक हमने बहुत तरक्की की है, दो कमरे के ऑफिस को आज हमने पूरे फ्लोर पर फैला दिया है| अब जब हम अपनी जिंदगी का एक जर्रूरी कदम लेना चाहते हैं तो हमें आपके प्यार और आशीर्वाद की जर्रूरत है! हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं! आप प्लीज हमें अपना आशीर्वाद दीजिये और हमें अपना लीजिये| आपके अलावा हमारा अब कोई नहीं है और बिना माँ-बाप के आशीर्वाद के हम शादी नहीं कर सकते! बस इसीलिए हम आपके पास आये हैं!" मैंने घुटनों पर बैठते हुए कहा| मेरी बातें उन पर असर कर गईं और उनकी आँखों से अश्रुओं की धारा बह निकली| उन्होंने गले लगाने को अपनी बाहें खोली और अनु भागी-भागी गई और उनके गले लग गई| मैं उठ कर खड़ा हुआ और ये मिलन देख कर मेरी भी आँखें नम हो चली थीं, क्योंकि मैं अपने माँ-बाप को miss कर रहा था| अनु से गले मिलने के बाद अनु के डैडी ने मुझे भी गले लगने को बुलाया| मैं ने पहले उनके पाँव छुए और फिर उनके गले लग गया, आज बरसों बाद मुझे वही गर्मी का एहसास मिला जो मुझे मेरे पिताजी से गले लगने के बाद मिलता था| उनसे गले लगने के बाद अनु की मम्मी ने भी मुझे गले लगने को बुलाया| मैंने पहले उनके पाँव छुए और फिर उन्होंने मेरे माथे पर चूमा और फिर अपने गले से लगा लिया| उनसे गले लग कर मुझे माँ की फिर याद आ गई|

अनु के मम्मी-डैडी ने हमें अपना लिया था, और अनु बहुत खुश थी! उन्होंने मुझे बिठा कर मुझसे मेरे परिवार के बारे में पुछा और मैंने उन्हें सब बता दिया| फिर मम्मी जी ने एक सवाल पुछा जो उनकी तसल्ली के लिए जर्रूरी था;

मम्मी जी: बेटा बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ?

मैं: जी जर्रूर

मम्मी जी: बेटा तुम्हारी उम्र कितनी है?

मैं: जी 28

मम्मी जी: अनु 34 की है और फिर डिवोर्सी भी है| तुम्हें इससे कोई परेशानी तो नहीं? बुरा मत मानना बेटा पर तुम या तुम्हारे परिवार वाले इसके लिए राजी होंगे?

मैं: Mam मेरे घरवालों ने मुझे घर से निकाल दिया, क्योंकि मैंने अपनी भतीजी की शादी में हिस्सा लेने की बजाय अपना career चुना! इसलिए उनका शादी में आने का सवाल ही पैदा नहीं होता! रही मेरी बात तो Mam, I assure you की मुझे अनु के डिवोर्सी होने से या उम्र में ज्यादा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता! मैंने उनसे प्यार उनकी उम्र या उनका marital status देख कर नहीं किया|

डैडी जी: वो सब तो ठीक है बेटा पर ये तुमने sir-mam क्या लगा रखा है? तुम यहाँ कोई इंटरव्यू देने थोड़े ही आये हो?

अनु: डैडी इंटरव्यू ही तो देने आये हैं, मेरे हस्बैंड की जॉब का इंटरव्यू!

ये सुन कर सब हँसने लगे|

डैडी जी: बेटा जब हम अनु के मम्मी-डैडी हैं तो तुम्हारे भी हुए ना?

अनु: डैडी ये ऐसे ही हैं! मुझे भी पहले ये mam ही कह कर बुलाते थे, वो तो मैंने कहा तब जा कर मेरा नाम लेना शुरू किया|

मम्मी जी: बेटा Chivalry होना अच्छी बात है पर अपनों में नहीं!

मैं: जी मम्मी जी!

डैडी जी: शाबाश!

वो पूरा दिन मैं उन्हीं के पास बैठा और हमारी बहुत सी बातें हुई जिससे उन्हें ये पता चल गया की मैं कैसा लड़का हूँ| रात को खाने के बाद सोने की बारी आई; वहाँ बस दो ही कमरे थे एक मम्मी-डैडी का और एक अनु का| अनु तो अपने ही कमरे में सोने वाली थी, मैंने सोचा मैं हॉल में ही सो जाता हूँ| पर तभी मम्मी जी आ गईं;

मम्मी जी: बेटा तुम यहाँ नहीं सोओगे!

अनु: तो क्या मेरे कमरे में? (अनु ने मजे लेने की सोची!)

मम्मी जी: वो शादी के बाद अभी मानु तेरे डैडी के साथ सोयेगा और मैं तेरे साथ! (मम्मी जी ने अनु के साथ थोड़ा मजाक में बात की और ये देख मैं मुस्कुराने लगा|)

अनु: डैडी रात में खरांटें मारते हैं!

मैं: मेरी चिंता मत करो, मैं और डैडी जी तो रात भर बातें करेंगे!

तभी डैडी जी भी आ गए|

डैडी जी: कौन बोला मैं खर्राटें मारता हूँ?

मैंने एक दम से अनु की तरफ ऊँगली कर दी|

डैडी जी: अच्छा? और जो तू 10 साल की उम्र तक रात को डर के मारे बेड गीला कर देती थी वो?

ये सुन कर मैं, मम्मी जी और डैडी जी हँस पड़े और अनु शर्म से लाल हो गई!

मैं: डैडी जी ये आपने सही बात बताई, बहुत टांग खींची है मेरी अब मेरी बारी है! आज रात तो सारे राज जानूँगा मैं तुम्हारे! (मैंने हँसते हुए कहा|)

अनु: प्लीज डैडी कुछ मत बताना वरना ये साड़ी उम्र मुझे चिढ़ाते रहेंगे!

मैं: नहीं प्लीज डैडी मुझे सब बताना, ये मेरी बहुत खिंचाई करती है|

डैडी जी: मैं तो बता कर रहूँगा!

तो इस तरह मजाक-मस्ती में वो रात गुजरी, अगली सुबह ही हम सब उनके पंडित के पास चल दिए और उन्होंने मेरी जन्म तिथि से मेरी कुंडली बनाई और शादी की तारिख 23 फरवरी निकाली| अब तारिख सुन कर हम दोनों का मुँह फीका हो गया, मम्मी जी ने अनु के गाल पकड़ते हुए कहा; "बड़ी जल्दी है तुझे शादी करने की!" उनकी बात सुन हम सब हँस दिए|


अब मम्मी-डैडी को बैंगलोर में हमारा घर देखना था और उन्हें ये नहीं पता था की हम 1BHK में रह रहे हैं वरना वो बहुत गुस्सा करते! हम ने सोचा की पहले एक 2 BHK लेते हैं और फिर उन्हें वहाँ बुला आकर घर दिखाएँगे| तो तय ये हुआ की इस साल दिवाली वो हमारे साथ बैंगलोर में ही मनाएंगे| हम हँसी-ख़ुशी वापस आये और अनु ने House Hunting का काम पकड़ लिया और मुझे पहले के पेंडिंग काम करने पड़े| अनु घर शॉर्टलिस्ट करती और रोज शाम को मुझे अपने साथ देखने के लिए ले जाती| ऐसे करते-करते 20 दिन हो गए और हमें finally पाने सपनो का घर मिल गया| हमने मिल कर उसे सजाया, ये वो खरोंदा था जहाँ हमारी नई जिंदगी शुरू होने वाली थी! दिवाली में 10 दिन रह गए थे और मम्मी-डैडी आ गए थे| उन्हें पिक करने मैं ही गया था और नए घर में आ कर वो बहुत खुश थे| अनु ने उन्हें हमारे पुराने घर के बारे में सब सच बता दिया था और उन्होंने हमें कुछ नहीं कहा| वो जानते थे की बच्चे बड़े हो गए हैं और समझदार भी! अगले दिन हम दोनों मम्मी-डैडी को ऑफिस ले गए और अपना ऑफिस दिखाया, डैडी जी हमारे लिए एक गणपति जी की मूर्ति लाये थे जो उन्होंने ऑफिस के मंदिर में खुद रखी| फिर दिवाली की पूजा हुई और उन्होंने अपने हाथ से सारे स्टाफ को बोनस दिया| घर पर पूजा भी पूरे विधि-विधान से हुई और उन्होंने हमें ढेर सारा आशीर्वाद दिया| कुछ दिन बैंगलोर घूमने के बाद वो वापस लखनऊ चले गया| उनके जाने के अगले दिन मेरे फ़ोन पर कॉल आया, मैंने बिना देखे ही कॉल उठा लिया और फिर एक भारी-भरकम आवाज मेरे कान में पड़ी; "बेटा....घर आजा...." ये आवाज मेरे ताऊ जी की थी और उनकी आवाज से दर्द साफ़ झलक रहा था.... उनके आगे कुछ कहने से पहले ही मेरी जुबान ने हाँ कह दिया| मैंने तुरंत अपना बैग उठाया और उसमें कपडे ठूसने लगा, अनु ने मुझे ऐसा करते देखा तो वो घबरा गई; "क्या हुआ?" उसने पुछा| पर मेरे कहने से पहले ही उसे मेरी आँखों में आँसू नजर आ गए; "ताऊ जी का फ़ोन था...मुझे कुछ दिन के लिए गाँव जाना होगा!" मैंने खुद को संभालते हुए कहा| "मैं भी चलती हूँ!" अनु ने घबराते हुए कहा| "नहीं....अभी नहीं! पहले मुझे जाने दो, फिर मैं तुम्हें कॉल करूँगा तब आना|" मैंने कहा और अनु एकदम से मेरे सीने से लग गई, उसे डर लग रहा था की मैं कहीं उसे छोड़ कर तो नहीं जा रहा? "Baby ... डरो मत.... मैं वापस आऊँगा! I Promise!!!" मैंने अनु के आँसूँ पोछते हुए कहा| अनु को यक़ीन हो गया और वो मुझे छोड़ने के लिए एयरपोर्ट तक आई और आँखों में आँसू लिए बोली; "मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी!" मैंने अपने दोनों हाथों से उनके चेहरे को थामा और माथे को चूमा; "जल्दी आऊँगा!" ये कहते हुए मैं एयरपोर्ट के अंदर घुसा और फ्लाइट में बैठ कर लखनऊ पहुंचा और वहाँ से बस पकड़ कर घर की ओर चल दिया| जहाँ पिछली बार मेरी आँखों में आँसू थे क्योंकी मेरे अपनों ने ही मुझे घर से निकाल दिया था वहाँ आज एक अजीब सी ख़ुशी थी की मेरे परिवार ने मुझे फिर वापस बुलाया|
Simply marvelous update :bow:
Izhaar aur uske baad ye ghar walo se milna itne jaldi hoga ye kabhi nahi socha tha maine :D
But anyway, sab badhiya he yaha bhi, bass kuchh kami reh gayi he Maanu ke maa baba aur Tau ji aur taya ji ki, jo shayad ab kuchh aas lagaye ho.
Keep updating
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
34,602
151,176
304
Today Anu finally expresses her love to Manu and Manu also tells Anu the truth. A new relationship is formed between Manu and Anu and both agree to this relationship. Marriage is a moment of happiness, and happiness is doubled when you are with family in this moment. Anu's family has accepted this relationship. Manu has gone back to the village, now let's see what happens there.
As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story. Thank You...:heart::heart::heart:
 
Top