• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance काला इश्क़! (Completed)

Chunmun

Active Member
1,368
5,427
143
Fabulous update.
To yaha gau mai sab ko apni galti ka ahsaas ho gya.
Maa ka tabiyat kuch jyada hi kharab ho gai. Qki wo maa thi use apni galti ka ahsaas jab hua ki wo apne santan k sath kya kr baithi hai to use fir chain kaha.
Ritika k liye aisa nahi socha tha.
Uska to sab ek hi bar mai khatm ho gya.
Sahi kaha usne ek sache aashik ki badduaa lag gai. Lekin maun ne use kabhi badduaa kaha diya.
Manu ne bhi such kaha hai wo bhi kabhi Ritika ko maaf nahi kr sakta hai. Wo jis halat se jigar hai upper wala dusman ko bhi waisi halat se do char na karaye.
Ab ye mashum si bachi kaha se aa gai yaar.
Ab iska kya hoga. Kya ye apne maa k gunaho ki saja bhugategi ya ise wo khushiya milegi jo is masum ko milna chahiye.
Bahut bure halat mai fasaya hai manu ko.
Wo kya karega ab.
Maa bhi thodi thik ho jaldi to Anu ka charch chalaya jai.
Anu bhi gau aane ko bekarar hai.
Dekhte hai ab aage kya hota hai.
Sab se bura to us pita ko lag raha hoga jis ne apne ek laute bete ko dhakke mar kr ghar se bahar kr diya tha or darvaja band kr diya tha.
Unhe kitni guilty feel ho raha hoga.
Khair sare gile shikwe dur ho gye.
Ab to next update ka intjar rahega.
 

gOlDy

Active Member
1,263
6,739
159
Hmmm manu ki beti, nice twist par ye bhi kaafi nahi h use maaf karne k liye, anyways you are writer. Nice update. Waiting for next.
 

Mohan575

New Member
72
264
68
update 70 (1)

ख़ुशी-ख़ुशी मैं बस से उतरा और अपने बचपन के हसीन दिन याद करता हुआ घर की ओर चल पड़ा| साड़ी पुरानी सुखद यादें ताज़ा हो चुकीं थीं और घरवालों से मिलने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी| घर पहुँचा और दरवाजा खटखटाया तो ताऊ जी ने दरवाजा खोला| मुझे देखते ही उनकी आँखिन नम हो गईं, मैंने झुक कर उनके पाँव छुए और उन्होंने तुरंत मुझे अपने गले लगा लिया| रोती हुई आवाज में वो बस इतने बोले; "तेरी माँ...." इतना सुनते ही मेरे मन की ख़ुशी गायब हो गई और डर सताने लगा की कहीं उन्हें कुछ हो तो नहीं गया| मैं तुरंत माँ के कमरे की तरफ दौड़ा वहाँ जा के देखा तो माँ लेटी हुई थी और पिताजी उनकी बगल मैं बैठे थे| जैसे ही माँ की नजर मुझ पर पड़ी उन्होंने मुझे गले लगाने को तुरंत अपने हाथ खोल दिए, मैंने अपना बैग बाहर ही छो कर अंदर आया और माँ के गले लग गया| माँ का शरीर कमजोर हो गया था पर अब भी उनके कलेजे में वो तपिश थी जो पहले हुआ करती थी| माँ ने रोना शुरू कर दिया और मैं भी खुद को रोने से ना रोक पाया| पिताजी जो अभी तक सर झुका कर बैठे थे मुझे देखते ही उठ खड़े हुए और शर्म से उनका सर झुक गया, पीछे ताई जी, ताऊ जी और भाभी भी चुप-चाप आ कर खड़े हो गए| सभी की आंखें भीगी हुई थीं पर मेरा ध्यान अभी सिर्फ और सिर्फ मेरी माँ पर था| माँ ने रोती हुई आवाज में कहा; "मुझे माफ़ कर दे बेटा!" पर मैं उन के मुँह से कुछ नहीं सुनना चाहता था क्योंकि वो बहुत बीमार थीं इसलिए मैं ने उनको आगे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया| "बस माँ... सब भूल जाओ!" मैंने कहा और जब मैं उनके पास से उठा तो मैंने सब को अपने पीछे खड़ा पाया| सबसे पहले ताई जी आगे आईं और मैंने उनके पाँव छुए और उन्होंने मुझे अपने गले लगा लिया| "बेटा....माफ़ कर दे....!" ताई जी ने रोते-रोते कहा| "छोडो ताई जी!" मैंने बस इतना ही कहा| उसके बाद भाभी भी मेरे गले लग गईं और मुझे उनके पाँव छूने का मौका ही नहीं दिया| "मानु भैया! मुझसे भी नराज हो!" भाभी ने रोते-रोते कहा| मैंने धीरे से कहा; "भाभी आपने तो कुछ किया ही नहीं?" फिर नजर पिताजी पर पड़ी जो सर झुकाये खड़े थे, मैं उनके पास पहुंचा और उनके पाँव छूने को झुका तो उन्होंने सीधा मुझे अपने गले लगा लिया और फूट-फूट के रोने लगे| "बेटा...मेरे पास अलफ़ाज़ नहीं कुछ कहने को....मैंने अपने ही बेटे को धक्के मार कर घर से निकाला, उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया! मुझे तो मर जाना चाहिए!" पिताजी रोते हुए बोले| "बस पिताजी...आपको पूरा हक़ है!" मैंने कहा और खुद को रोने से रोका| जब मैं वापस पलटा तो ताऊ जी बोले; "बेटा तू क्या गया घर से, इस घर की किस्मत ने हम से मुँह मोड़ लिया! तेरे साथ जो हमने किया उसी के कारन हम लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा! 8 जुलाई को कुछ हमलावर लोग उसके ससुराल में घुस आये और इसके सास-ससुर और पति को जान से मर दिया| वो तो शुक्र है की उसने खुद को घर के गुसल खाने में छुपा लिया था वर्ण वो लोग इसे भी मार देते! पूरा का पूरा खानदान खत्म हो गया! पुलिस का चक्कर हुआ और चार महीने तक हमें इसी घर में कैद रखा गया ताकि कहीं हम लोगों पर भी हमला ना हो जाए| इन चार महीनों में सारा खेती-बाड़ी का काम खराब हो गया, फिर तेरी माँ ने अन्न-जल त्याग दिया और कहने लगी जब तक मेरा बेटा नहीं आ जाता तब तक मैं कुछ नहीं खाऊँगी! तब मैंने तुझे फ़ोन किया! और तुम लोग जानते हो, मैंने बस इतना कहा की बेटा घर आजा और इसने एक शब्द नहीं कहा और सीधा घर आगया! इसके मन में हम में से किसी के लिए दिल में कोई मलाल नहीं और हमने ऐसे फ़रमाबरदार लड़के के साथ जो सलूक किया ये सब उसकी का फल है!" ताऊ जी बोले|

"ताऊ जी जो हुआ सो हुआ! आप सब मेरा परिवार हो और अगर आपने मुझे घर से निकाला भी तो क्या हुआ? आपको पूरा हक़ था!" मैंने अपने आँसू पोछते हुए कहा| तभी पीछे छुपी हुई रितिका सामने आई, आँखें आंसुओं से लाल, काली साडी पहने हुए और आ कर सीधा मेरे गले लग गई| मेरे जिस्म को ऐसा लगा जैसे की किसी काले साये ने मुझे दबोच लिया हो, मैंने तुरंत उससे खुद से अलग कर दिया| सब ने मेरा ये बर्ताव देखा और ताई जी बोलीं; "माफ़ कर दे इसे बेटा! इस बेचारी ने बहुत कुछ सहा है!"

"कभी नहीं ताई जी! इसे तो मरते दम तक माफ़ नहीं करूँगा! इसके कारन मुझे मेरे ही घर से मेरे ही परिवार ने निकाल दिया और ये खड़ी चुप-चाप सब देखती रही| आपको याद है न इसके बचपन के दिन, जब आप सब इसे डाँटा और झिड़का करते थे? तब मैं इसे बचाता था और उस दिन इसके मुँह से एक शब्द नहीं फूटा!" ये सुन कर सब का सर झुक गया, मेरे दिल में आग तो इस बात की लगी थी की इस लड़की ने मुझे अपने प्यार के जाल में फंसा कर मेरा इस्तेमालक किया पर वो मैं कह नहीं सकता था| इसलिए मैंने बात को नया मोड़ दिया था| अब मैं अपने परिवार को और दुखी नहीं देखना चाहता था और ऊपर से मुझे माँ की भी चिंता थी; "ताऊ जी मैं जा कर डॉक्टर को ले आता हूँ|" इतना कहते हुए मैं बाहर निकला और कुछ दूरी पर पहुँच कर मैंने अनु को फ़ोन मिलाया और उसे सारी बात बताई| माँ की हालत खराब सुन वो आने की जिद्द करने लगी पर मैंने उसे समझाया की ये समय ठीक नहीं है| एक बार उनकी तबियत ठीक हो जाए मैं उन्हें सब कुछ बता दूँगा और तब अनु को माँ से मिलवाऊँगा|

"ऋतू के साथ ....." आगे अनु कुछ कह पाती उससे पहले मैंने उसकी बात बीच में काट दी; "ऋतू नहीं रितिका! दुबारा ये नाम कभी अपनी जुबान पर मत लाना! मैं ये नहीं कहूंगा की जो हुआ वो अच्छा हुआ पर मुझे उससे घंटा कोई फर्क नहीं पड़ा! जब उसकी बला से मैं जीऊँ या मरुँ तो मेरी बला से वो जिये या मरे!" मैंने गुस्से से कहा|

"ok ...ok ... calm down! इस वक़्त तुम्हें घर को संभालना है, कहीं इतना गुस्सा कर के खुद बीमार न पड़ जाना|" अनु ने कहा| कॉल काट कार मैं कुछ दूर आया हूँगा की मुझे संकेत मिल गया| उसने अपनी बाइक रोकी और उतर कर मेरे गले लग कर रोने लगा| "भाई....." इसके आगे वो कुछ नहीं बोला| "देख मैं आ गया हूँ तो सब कुछ ठीक हो जायेगा| वैसे ये बता की घडी कैसी लगी?" मैंने बात बदलते हुए कहा| उसने तुरंत मुझे अपना हाथ दिखाया जिसमें उसने घडी पहनी हुई थी| "अब लग रहा है न तू हीरो!" मैंने हँसते हुए कहा| उसने पुछा की मैं कहाँ जा रहा हूँ तो मैंने उसे बताया की डॉक्टर को लेने तो वो बोला की मेरी बाइक ले जा| उसकी बाइक ले कर मैं फ़ौरन डॉक्टर के पहुँचा और उन्हें माँ का हाल बताया, जो-जो जर्रूरी था वो सब ले कर हम घर आये| डॉक्टर ने माँ को देखा और दवाइयां लिखीं, IV चढ़ाया और फिर मैं उसे छोड़ कर आ गया| शाम होने को आई थी और अभी तक किसी ने कुछ नहीं खाया था| तभी मुझे याद आया की चन्दर तो यहाँ है ही नहीं? "ताऊ जी चन्दर भैया कहा हैं?" मैंने पुछा तो उन्होंने कहा; "बेटा 4 महीने पुलिस का सख्त पहरा था और वो किसी को भी बाहर जाने नहीं देती थी, अब तू तो जानता ही है की चन्दर को नशे की लत है| उससे ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था और उसकी हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही थी| तब तेरी भाभी ने बताया की जाने से पहले तूने कहा था की उसे नशा मुक्ति केंद्र ले जाय जाए| इसलिए हम ने उसे वहाँ भर्ती कराया है और ईश्वर की कृपा से अब उसमें बहुत सुधार है|"

ये जान कर ख़ुशी हुई की अब चन्दर सुधर जाएगा| पकोड़े बन कर आये और मैंने माँ को अपने हाथ से खिलाये, नवंबर का पहला हफ्ता था तो सर्द हवाएँ चल रहीं थीं| सब माँ-पिताजी के कमरे में ही बैठे थे सिवाय रितिका के! "तो बेटा तू इतने दिन था कहा पर?" माँ ने पुछा|

"माँ पहले तो मैं बैंगलोर गया था जहाँ मैंने एक दोस्त की कंपनी में काम शुरू किया| उसने मुझे अपनी कंपनी में पार्टनर बनाया, मैंने इतने साल जो भी कमाया था वो मैंने उसके बिज़नेस में लगा दिया, फिर उसी के साथ मैं अमेरिका गया और वहाँ नया काम सीखा और हम वापस बैंगलोर आ गए| नया काम मिला और हम दोनों ने मिल कर काम बहुत फैलाया बाकी आप सब का आशीर्वाद है की बिज़नेस अच्छा चल रहा है|" मैंने कहा पर मैंने जानबूझ कर उन्हें अनु के बारे में कुछ नहीं बताया|

"अरे फिर तो तूने अमरीका में गाय-गोरु, सूअर, मछली, सांप, केकड़े और पता नहीं क्या क्या खाया होगा?" ताई जी ने नाक सिकोड़ते हुए कहा|

"नहीं ताई जी... मैं उन दिनों बीमार था और बाहर का खाना नहीं खा सकता था|वहाँ जा कर मैंने सलाद या फिर एक भारतीय रेस्टुरेंट था जहाँ मैं दाल-रोटी ही खाता था|" मैंने हँसते हुए कहा, क्योंकि मेरे परिवार को अब भी लगता था की बाहर सब यही खाते हैं!

"तुझे हुआ क्या था उन दिनों? तू एक दम से सूख गया था! वो तो हम लोग शादी-ब्याह के काम में लगे थे इस करके पूछना भूल गए!" पिताजी ने पुछा|

"कुछ नहीं पिताजी....जब सपने टूटते हैं तो इंसान थोड़ा टूट ही जाता है!: ये शब्द अपने आप ही निकल पड़े जिसे रितिका ने सब के बर्तन उठाते हुए सुना और फिर चली गई|

"क्या मतलब?" ताऊ जी ने पुछा|

"जी वो...मेरी जॉब छूट गई थी! मैं मन ही मन घर लेने की तयारी कर रहा था ...तो..." मैंने बात को जैसे-तैसे संभाला|

'पर बेटा ऐसा था तो तूने हमें क्यों कुछ नहीं बताया? पिताजी बोले|

"क्या बताता पिताजी? वो हालत आप सब से देखि नहीं जाती..... बिलकुल चन्दर भैया जैसी हालत थी मेरी..... मौत के कगार पर पहुँच गया था मैं! अगर मेरा दोस्त नहीं होता और मुझे नहीं संभालता तो मैं मर ही जाता!| मैंने उन्हें सच बता दिया पर अनु का नाम अब भी नहीं बताया था| इधर सब के सब हैरानी से मुझे देख रहे थे|

"तू शराब पीटा है?" ताऊ जी ने कहा|

"ताऊ जी इतने साल शहर में रहा, कभी-कभी जब टेंशन ज्यादा होती तो पी लेता था पर कण्ट्रोल में पीता था, पर उन दिनों काबू से बाहर हो गई!" मैंने शर्म से सर झुकाते हुए कहा|

"तो तू अब भी पीता है?" माँ ने पुछा|

"माँ मैं जिस माहौल में काम करता हूँ उसमें कभी-कभी कोई ख़ुशी मनानी होती है तो थोड़ा बहुत होता है|" मैंने कहा|

"देख बेटा हम सब के लिए तू ही एक सहारा है और तू ऐसा कुछ ना कर की...." आगे बोलने से पहले माँ की आँखें गीली हो गईं|

"माँ मैं वादा करता हूँ की मैं ऐसा कभी कुछ नहीं करूँगा!"

"अब तेरा बिज़नेस भी चल पड़ा है, तो शादी कर ले!" पिताजी बोले|

"बिलकुल पिताजी....पर पहले माँ तो ठीक हो जाए!" मैंने उत्साह में आते हुए कहा|

"तूने इतना कह दिया, मेरी आधी तबियत ठीक हो गई!" माँ ने कहा और सारे लोग हँस पड़े| रात का खाना मैंने माँ को अपने हाथ से खिलाया तो माँ बोली; "देख कितनी नसीब वाली हूँ मैं, पहले मैं तुझे खिलाती थी और आज तू मुझे खिला रहा है!" मैं ये सुन कर मुस्कुरा दिया| उन्हें अच्छे से खाना खिला कर मैंने भी उनके सामने बैठ कर खाना खाया और फिर उन्हें दवाई दी| माँ के सोने तक मैं उनके पाँव दबाता रहा और फिर अपने कमरे में आ कर पलंग पर सर झुका कर बैठ गया| मैं सोच रहा था की माँ जल्दी से तंदुरुस्त हो जाएँ तो मैं उन्हें अनु से मिलवाऊँ! पर एक ही दिक्कत है, रितिका! अभी उसका नाम लिया ही था की एक काला साया मेरे कमरे की चौखट पर खड़ा हो गया|

"आपकी बद्दुआ लग गई मुझे! कहते हैं की सेक सच्चे आशिक़ को कभी दुःख नहीं देना चाहिए और मैंने उसका दिल तोडा था, तो मुझे सजा तो मिलनी ही थी!" रितिका मेरे नजदीक आई| उसने एक शाल ओढ़ रखी थी; "मैंने कभी राहुल को आपके और मेरे प्यार के बारे में कुछ नहीं बताया| कभी हिम्मत नहीं हुई उसे कुछ कहने की, वो सच्चा प्यार करता था मुझसे पर मैं उसे भी 'छलने' लगी! ऋतू ने अपनी शाल हटाई और उसकी गोद में एक नन्ही सी जान थी, उसने उसे मेरी तरफ बढ़ाया और बोली; "ये आपके प्यार की निशानी! इसे आपको सौंपने आई हूँ....! नेहा....वही नाम जो आप देना चाहते थे!" मैं एक टक उस दो महीने की बच्ची को देखने लगा, आँखें बंद किये हुए वो सो रही थी| पर सर्द हवा से उसकी नींद टूटने लगी थी, मैंने उसे तुरंत अपनी गोद में ले लिया और अपने सीने से लगा लिया| जिगर में जल रही नफरत की आग पर आज पानी बरसने लगा था!

I was right
Tufaan aa geya

Ab kuch doubt hai

Mantri aur Rahul ko kisne mara
Ye Ritika ka bhi kaam ho skta hai
Taki sari Property usko mil jaye
Ye sun ne mai bahut ajib lagta hai ki ghar mai gunde aayeo complete family ko maar diya bas ritika ko nahi mara

Next doubt
Ritika Dhokebaaz hai to kya sach mai Neha Manu ki beti hai ya fir Rahul ki beti

Manu se shaadi karne ki sazish lag rahi hai Neha ko Manu ki aulad bolna


Very badly waiting for next update
 
Last edited:

Rahul

Kingkong
60,514
70,680
354
jo bhi ho bhai par is story me bhi bechara rahul hi mara hamko ye baat bilkul achchi nahi lagi hai:bawl:
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,794
37,627
219
ये आपके प्यार की निशानी! इसे आपको सौंपने आई हूँ....! नेहा....वही नाम जो आप देना चाहते थे!" मैं एक टक उस दो महीने की बच्ची को देखने लगा

भाई timeline बिलकुल match होगी..... update 70 (2) की प्रतीक्षा करें!

अभी कुछ नहीं कहूँगा ....सिवाय इसके....

अपडेट जल्दी से दे दो..............अभी :bat:

:banghead: :banghead: :banghead:
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,794
37,627
219
I was right
Tufaan aa geya

Ab kuch doubt hai

Mantri aur Rahul ko kisne mara
Ye Ritika ka bhi kaam ho skta hai
Taki sari Property usko mil jaye

Ye sun ne mai bahut ajib lagta hai ki ghar mai gunde aayeo complete family ko maar diya bas ritika ko nahi mara

Next doubt
Ritika Dhokebaaz hai to kya sach mai Neha Manu ki beti hai ya fir Rahul ki beti

Manu se shaadi karne ki sazish lag rahi hai Neha ko Manu ki aulad bolna



Very badly waiting for next update
aapke dono points wajandaar hain................. jo daulat aur aisho aaraam ke liye apne sage chacha ka istemal kar sakti hai.... jaanleva had tak......... wo apne pati aur sasur ke sath bhi kuchh bhi kar sakti hai............... lekin is bar koi aur naya bakra hoga uske sath
 
Top