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Well-Known Member
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सर जी,
पहले सोचा था की आपके सवाल का जवाब नहीं दूँगा, जवाब आपको अगली अपडेट या कहानी के अंत तक मिल ही जाता| पर आपके सवाल रह-रह कर दिमाग में गूँज रहे थे और कुछ बातें इस कहानी को ले कर स्पष्ट कर देना चाहता हूँ!
रितिका की प्रेगनेंसी : कृपया निम्नलिखित पढ़ें जो मैंने कहानी में पहले बताया था|
मानु की बेटी या राहुल की बेटी :
सर जी पिता बनने का सुख क्या होता है ये मुझसे ज्यादा आप जानते होंगे! आपको उस वक़्त कैसा लगा होगा जब mam (अर्थात आपकी धर्मपत्नी) ने आपको माँ बनने की जानकारी दी होगी? या फिर उस वक़्त जब आपने पहलीबार अपने बच्चे को गोद में लिया होगा? दुनिया का कोई भी बाप इस ख़ुशी को व्यक्त नहीं कर सकता! इस ख़ुशी को बस महसूस किया जाता है! आपके मन में चाहे कितनी भी परेशानियाँ हों वो सब गायब हो जाती हैं! तो आप सोचिये मानु को कैसा लगा होगा जब उसने पहलीबार नेहा को अपनी गोद में लिया होगा? आप तो सीना ठोक कर कह सकते हैं की ये आपका खून है पर मानु बेचारा तो ये कह भी नहीं सकता! पहलीबार बाप बनने की ख़ुशी उससे संभाले नहीं सम्भल रही और ये गलत भी नहीं है!
अगर नेहा राहुल का खून होती तो भी वो मानु को प्यारी होती पर तब मानु का उससे वो मोह नहीं होता जो अब है! वो मानु की पोती समान होती और वही लाड-दुलार पाती जिस पर उसका हक़ होता| भला कोई पोती से वैसा स्नेह कैसे कर सकता है जो वो अपनी बेटी से करता है? कैसे वो सब के सामने उसे अपनी बेटी कहता| यहाँ बेटी का तातपर्य अपने खून से करना है| क्या ये जर्रूरी है की मानु राहुल की बेटी से वो दुलार करे जो वो अपनी बेटी से करता? इसमें कैसी 'बेवकूफी' और कैसी 'खुदगर्ज़ी'?
मानु के अपने-पराये: आप ने सही कहा की उसके परिवार ने उसके साथ जो व्यवहार किया वो गलत किया| पर आप का ये मानना की मानु का उसके परिवार के द्वारा की गलती दरकिनार करना गलत है वो सही नहीं है| चाहे जो भी उसके परिवार ने उसके साथ किया पर अगर मानु भी उनसे उखड़ जाता तो आप यही कहते की कैसा नाशुक्रा इंसान है जो अपने परिवार, जिसने उसे इतने साल पाला-पोसा उसे कमाने लायक बनाया उन्हीं को छोड़ दिया! माँ-पिताजी गुस्सा होते हैं और उनके पॉइंट ऑफ़ व्यू से देखा जाए तो गलती मानु की थी जो घर की शादी छोड़ कर विदेश जाना चाहता है| कुछ दिन बाद भी तो जा सकता था, पर फिर उन्हें मानु की कहानी पता नहीं थी! कई बार जोश-जोश में घर के बड़े गलत फैसला ले लेते हैं पर जब उन्हें इसका एहसास होता है तो वो बच्चों से माफ़ी भी मांग लेते हैं! तो क्या ऐसे में बच्चों को उन्हें माफ़ नहीं करना चाहिए? क्या उन्हीं से बदला लेना चाहिए?
अनु की जिंदगी का फैसला: मानु की माँ अभी बीमार हैं और बिस्तर पर लेटी हैं| ऐसे में पहले वो उन्हें तंदुरुस्त करे या अपनी शादी का नगाड़ा पीटे? पूरा घर बिखरा हुआ है, उसे समेटे या फिर अपनी शादी की पीपड़ी बजाए? मानु और अनु का रिश्ता इतना सरल नहीं है जिसे आसानी से सब के सामने पेश किया जा सके! आप शायद भूल रहे हैं की अनु न केवल मानु से उम्र में बड़ी है बल्कि तलाकशुदा भी है! ऐसे में जब सारा घर इस कदर तीतर-बित्तर है और मानु अपनी शादी की बात करेगा तो क्या घरवाले अनु को अपना लेंगे?
मानु की माँ: इस बारे में मैं बस इतना ही कहूँगा की मानु की माँ का उसे ना रोकना सिर्फ गाँव-देहात में औरतों को निचला तबका देने से जुड़ा है! जब उन्हें अपने बेटे की याद आई तो उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया...
आपके गाँव का तो नहीं कह सकता पर मेरे गाँव में अब भी मर्द ही सब फैसला लेते हैं और जो उनका फैसला होता है उसे औरतों को मानना पड़ता है! बाकी मैं आपके ऊपर छोड़ता हूँ की आप इसे कैसे judge करते हैं!
आशा करता हूँ आपको आपके सवालों के जवाब मिल गए होंगे!
aapki baat kuch had tak theek hai Rocky bhai .. but Maanu atleast ye to bata hi sakta tha ki wo apni business partner se hi pyaar karta hai aur uske saath shaadi bhi karega .. aur kuch dino baad wo sabhi ghar walo se use milwayega bhi .. umar aur divorce wali baat ko chupa sakta hai .. filhaal ke liye .. anyway ye aapki story hai .. aur aapne abhi tak jaisi bhi likhi hai, ye sabhi ko bahut pasand bhi aayi hai .. ye kuch hamare personal views hai jo humne apne experience aur views ke basis par diye .. sabki conditions alag hoti hai .. to sab ko ek tarazu mein nahi tolna chahiye ..
loved your story .. waiting for updates ...