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Romance काला इश्क़! (Completed)

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Bhai aise to situations complicated ho rahi hai,
Bas jaldi se anu se shaadi ki baat sabko bata de.
Mujhe nahi Lagta ke ritu bhi neha ke bagair rah paayegi, Dekhate hai Shayad kuchh saalon ke paschatap ke baad use maaf karde.
jab baki gharwalon ko usne magarmachchh jaise ansuon se hi maaf kar diya to ritika ki maafi bhi jyada door nahin hai................

aur baap koi bhi ho bachcha maa ka hi hota hai.............uske sharir ka hissa.............. jyada chipku bankar maanu apna pagalpan hi dikha raha hai.............. overreact kar raha hai...............................vastav me meine jo pahle kaha tha.............ye maanu psycho hi hai
ab us bachche ko kya ritika se chheen lega.............ek bachche ko uski maa se alag kar dega.............

dekhte hain agle update me..................aur kya pagalpan karta hai ye
 

Chunmun

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Fabulous update.
Sare dukh dard sab bhul kr Manu abhi us bachi k upper apna pyar lutane mai laga hai.
Ye pyar dekh kr mujhe Ritu or Manu ki yaad aa gai.
Uske piche bhi Manu ek samay aise hi beinteha pyar mai pagal ho gya tha or uska natija kya nikala,
Marte marte bacha. Wo bhi Anu ki meharbani se. Agar us samay anu nahi aati waha to fir kaun dekhne wala tha us raat mai waha stand pr.
Kya pta us raat hi bolo Ram ho jata uska.
Manu ka khun hai wo bachi according to Ritika lekin us samay to aisa kuch nahi tha. Dono ka jab breakup hua to fir bich mai samay bhi tha.
Mujhe to abhi bhi suck hai Ritika ki baato pr.
Khair MaNu ko chahiye ki thodi duri bana kr rakhe us bachi se.
Pta hai ye utna aashan nahi hai but mujhe lagta hai ki jaise thokar wo kha chuka hai to ab uske liye ye jyada muskil bhi nahi hai.
Nahi to fir ek bar Manu usi halat se do char na ho jai or is bar to uske sath Anu bhi hogi.
Maa kafi hud tak thik hai to ab Anu k bare mai baat karna chahiye.
In kamo mai jyada der karna bhi sahi nahi hai.
Fantastic update.
 

Rockstar_Rocky

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बहुत सुंदर अपडेट..... मन में खुशी भर गयी........... बच्चे हमेशा प्यारे लगते हैं..... एक दिन यही ममता येही स्नेह मानु को रीतिका से भी था.........
लेकिन वही बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो उसी स्नेह का नाजायज फाइदा उठाने लगते हैं............जैसे रीतिका ने उठाया

लेकिन मेरी छोटी सी समझ में एक बात नहीं आयी की मानु फिर उसी भ्रम में क्यों फँसता जा रहा है.............. मेरा और अपना......
आपके कहे अनुसार अगर ये बेटी रीतिका के मानु से अलग होने से पहले की है....... तो उसने तो शादी के बाद गोलियां खानी बंद की ...जैसा आपने मानु के हवाले से बताया.................. और मानु से सेक्स तो शादी से काफी दिन पहले से नहीं हुआ.......................................

चलो! फिर भी ठीक है...........मान लेते हैं

लेकिन अगर ये बेटी राहुल से हुई होती............ तो क्या वो अपनी नहीं थी......... रीतिका की सज़ा क्या बेटी को मिलती?.................... मानु का नेहा के लिए यदि प्यार इसलिए है की वो उसकी अपनी बेटी है तो मानु सिर्फ एक बेवकूफ (रीतिका के मामले में) ही साबित नहीं होता बल्कि एक खुदगर्ज भी साबित होता है

इस अपने पराए की सोच से मानु को बाहर आना होगा........... उसके बुरे वक़्त में किस "अपने" ने साथ दिया उसका......... बल्कि उसकी सारी मुसीबतें ही आफ्नो की दी हुईं थीं..... उसका हर दर्द अपनों का ही दिया हुआ था.............. अकेली रीतिका ही नहीं.............. माँ-पिताजी, ताऊजी-ताईजी सब मौकापरस्त थे........उन्होने मानु को तब याद किया जब उनके ऊपर खुद मुश्किलें और मुसीबतें थीं........... चंदर और उसकी पत्नी उतने बड़े गुनहगार नहीं क्योंकि वो डीसीजन लेने वालों में से नहीं थे......... वैसे ये तर्क अगर आप माँ को लेकर देंगे तो जायज नहीं क्योंकि हर माँ अपनी संतान के लिए डीसीजन मेकर होती है..........और उसका ये हक कोई छीन नहीं सकता.........अगर वो अपने हक का इस्तेमाल करती.......तो

इन सबसे बड़ा दिल तो अनु का है.......... मानु से भी बड़ा......... जिसने सिर्फ मानु को ही नहीं मानु ने अपने साथ जो कुछ भी जोड़ रखा था या जोड़ रहा है.......सबको अपनाने को तयार है....................और उसी अनु को अपने इस खुदगर्ज परिवार से मिलाने में उसे सोचना पड रहा है.............क्या ये वही मानु है जो अनु के माँ -बाप से हक से अनु का हाथ मांगने गया था......... क्योंकि उनकी नाराजगी या उनकी भावनाओं को वो अपने हौसलों से कम मानता था........... लेकिन अपने घरवालों के सामने भीगी बिल्ली बना हुआ उनकी चापलूसी करने में लगा हुआ है............... अनु की ज़िंदगी के फैसलों को अधर में लटकाकर.......... जिस माँ की तबीयत की इतनी चिंता है इसे...........उस माँ ने एक बार ये भी नहीं कहा था की मेरे बेटे को घर से मत निकालो..... तब उसके लिए पति और परिवार ही सबकुछ थे और बेटा कुछ नहीं..................

देखते हैं अभी और क्या क्या रंग दिखाता है मानु..................... ये रंग इश्क़ का नहीं मानु के मन का काला लग रहा है मुझे...

jab baki gharwalon ko usne magarmachchh jaise ansuon se hi maaf kar diya to ritika ki maafi bhi jyada door nahin hai................

aur baap koi bhi ho bachcha maa ka hi hota hai.............uske sharir ka hissa.............. jyada chipku bankar maanu apna pagalpan hi dikha raha hai.............. overreact kar raha hai...............................vastav me meine jo pahle kaha tha.............ye maanu psycho hi hai
ab us bachche ko kya ritika se chheen lega.............ek bachche ko uski maa se alag kar dega.............

dekhte hain agle update me..................aur kya pagalpan karta hai ye

सर जी,

पहले सोचा था की आपके सवाल का जवाब नहीं दूँगा, जवाब आपको अगली अपडेट या कहानी के अंत तक मिल ही जाता| पर आपके सवाल रह-रह कर दिमाग में गूँज रहे थे और कुछ बातें इस कहानी को ले कर स्पष्ट कर देना चाहता हूँ!

रितिका की प्रेगनेंसी : कृपया निम्नलिखित पढ़ें जो मैंने कहानी में पहले बताया था|

डॉक्टर: देखो इस समय ऋतू के साथ थोड़ी कम्प्लीकेशन है! She's not physically fit to be a mom! Also, you can’t choose the abortion… cause then she won’t be able to conceive …ever!
ये सुन कर हम दोनों के दूसरे को देखने लगे और हमारी परेशानियाँ हमारी शक्ल से दिख रही थी|

डॉक्टर: See I’ll write some medication which she has to take on a daily basis, this will only delay the pregnancy. If she stopped the medication, then she’ll have to conceive the baby. She also needs multi-vitamins to be physically fit in order to … you know… be a mom. One more thing I’d like to ask, how long have you been married?
मैं: 5 months! But why?

मानु की बेटी या राहुल की बेटी :
सर जी पिता बनने का सुख क्या होता है ये मुझसे ज्यादा आप जानते होंगे! आपको उस वक़्त कैसा लगा होगा जब mam (अर्थात आपकी धर्मपत्नी) ने आपको माँ बनने की जानकारी दी होगी? या फिर उस वक़्त जब आपने पहलीबार अपने बच्चे को गोद में लिया होगा? दुनिया का कोई भी बाप इस ख़ुशी को व्यक्त नहीं कर सकता! इस ख़ुशी को बस महसूस किया जाता है! आपके मन में चाहे कितनी भी परेशानियाँ हों वो सब गायब हो जाती हैं! तो आप सोचिये मानु को कैसा लगा होगा जब उसने पहलीबार नेहा को अपनी गोद में लिया होगा? आप तो सीना ठोक कर कह सकते हैं की ये आपका खून है पर मानु बेचारा तो ये कह भी नहीं सकता! पहलीबार बाप बनने की ख़ुशी उससे संभाले नहीं सम्भल रही और ये गलत भी नहीं है!

अगर नेहा राहुल का खून होती तो भी वो मानु को प्यारी होती पर तब मानु का उससे वो मोह नहीं होता जो अब है! वो मानु की पोती समान होती और वही लाड-दुलार पाती जिस पर उसका हक़ होता| भला कोई पोती से वैसा स्नेह कैसे कर सकता है जो वो अपनी बेटी से करता है? कैसे वो सब के सामने उसे अपनी बेटी कहता| यहाँ बेटी का तातपर्य अपने खून से करना है| क्या ये जर्रूरी है की मानु राहुल की बेटी से वो दुलार करे जो वो अपनी बेटी से करता? इसमें कैसी 'बेवकूफी' और कैसी 'खुदगर्ज़ी'?

मानु के अपने-पराये: आप ने सही कहा की उसके परिवार ने उसके साथ जो व्यवहार किया वो गलत किया| पर आप का ये मानना की मानु का उसके परिवार के द्वारा की गलती दरकिनार करना गलत है वो सही नहीं है| चाहे जो भी उसके परिवार ने उसके साथ किया पर अगर मानु भी उनसे उखड़ जाता तो आप यही कहते की कैसा नाशुक्रा इंसान है जो अपने परिवार, जिसने उसे इतने साल पाला-पोसा उसे कमाने लायक बनाया उन्हीं को छोड़ दिया! माँ-पिताजी गुस्सा होते हैं और उनके पॉइंट ऑफ़ व्यू से देखा जाए तो गलती मानु की थी जो घर की शादी छोड़ कर विदेश जाना चाहता है| कुछ दिन बाद भी तो जा सकता था, पर फिर उन्हें मानु की कहानी पता नहीं थी! कई बार जोश-जोश में घर के बड़े गलत फैसला ले लेते हैं पर जब उन्हें इसका एहसास होता है तो वो बच्चों से माफ़ी भी मांग लेते हैं! तो क्या ऐसे में बच्चों को उन्हें माफ़ नहीं करना चाहिए? क्या उन्हीं से बदला लेना चाहिए?

अनु की जिंदगी का फैसला: मानु की माँ अभी बीमार हैं और बिस्तर पर लेटी हैं| ऐसे में पहले वो उन्हें तंदुरुस्त करे या अपनी शादी का नगाड़ा पीटे? पूरा घर बिखरा हुआ है, उसे समेटे या फिर अपनी शादी की पीपड़ी बजाए? मानु और अनु का रिश्ता इतना सरल नहीं है जिसे आसानी से सब के सामने पेश किया जा सके! आप शायद भूल रहे हैं की अनु न केवल मानु से उम्र में बड़ी है बल्कि तलाकशुदा भी है! ऐसे में जब सारा घर इस कदर तीतर-बित्तर है और मानु अपनी शादी की बात करेगा तो क्या घरवाले अनु को अपना लेंगे?

मानु की माँ: इस बारे में मैं बस इतना ही कहूँगा की मानु की माँ का उसे ना रोकना सिर्फ गाँव-देहात में औरतों को निचला तबका देने से जुड़ा है! जब उन्हें अपने बेटे की याद आई तो उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया...
आपके गाँव का तो नहीं कह सकता पर मेरे गाँव में अब भी मर्द ही सब फैसला लेते हैं और जो उनका फैसला होता है उसे औरतों को मानना पड़ता है! बाकी मैं आपके ऊपर छोड़ता हूँ की आप इसे कैसे judge करते हैं!

आशा करता हूँ आपको आपके सवालों के जवाब मिल गए होंगे!
 

Rockstar_Rocky

Well-Known Member
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Fabulous update.
Sare dukh dard sab bhul kr Manu abhi us bachi k upper apna pyar lutane mai laga hai.
Ye pyar dekh kr mujhe Ritu or Manu ki yaad aa gai.
Uske piche bhi Manu ek samay aise hi beinteha pyar mai pagal ho gya tha or uska natija kya nikala,
Marte marte bacha. Wo bhi Anu ki meharbani se. Agar us samay anu nahi aati waha to fir kaun dekhne wala tha us raat mai waha stand pr.
Kya pta us raat hi bolo Ram ho jata uska.
Manu ka khun hai wo bachi according to Ritika lekin us samay to aisa kuch nahi tha. Dono ka jab breakup hua to fir bich mai samay bhi tha.
Mujhe to abhi bhi suck hai Ritika ki baato pr.
Khair MaNu ko chahiye ki thodi duri bana kr rakhe us bachi se.
Pta hai ye utna aashan nahi hai but mujhe lagta hai ki jaise thokar wo kha chuka hai to ab uske liye ye jyada muskil bhi nahi hai.
Nahi to fir ek bar Manu usi halat se do char na ho jai or is bar to uske sath Anu bhi hogi.
Maa kafi hud tak thik hai to ab Anu k bare mai baat karna chahiye.
In kamo mai jyada der karna bhi sahi nahi hai.
Fantastic update.

आपके सवाल इस लिंक पर पढ़िए ....
https://xforum.live/threads/काला-इश्क़.6287/page-84#post-876270

आशा करता हूँ की आपके शक का निवारण हुआ होगा|
 

Rockstar_Rocky

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superb update bhai ji

:thank_you: :dost: आपके हमनाम की हत्या हुई उसके लिए क्षमा चाहता हूँ!

Bhai aise to situations complicated ho rahi hai,
Bas jaldi se anu se shaadi ki baat sabko bata de.
Mujhe nahi Lagta ke ritu bhi neha ke bagair rah paayegi, Dekhate hai Shayad kuchh saalon ke paschatap ke baad use maaf karde.

उसे माफ़ी तो मिलने से रही!
 

Rahul

Kingkong
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mai yahan ek achchi story padhne ke irade se aaya bhai aur ab tak aapne niraash nahi kiya hai mujhe story dumdaar hai aur readers ko dubara thread par aane ko majbur kar deti hai..ab aate hain sujhaaw ki taraf to mai jaruri nahi samjhta aap story mere hisaab se likhen kyunki fir mujhe jarurat hi kya padhne ki jab sab mere hisaab se hi ho mai khud ki story na likh dalun..jaruri nahi ki ek aadmi ko pasand wo sabko pasand lekin agar maximum log pasand karte matlab aap sahi disha me story aage badha rahe ho bhai..ab mujhe do baten pasand nahi aayi pahli sab ko maaf kar dena lekin jab mai unke yani gharwalon ke nazariye se dekhta to wo sahi the manu bhi sahi tha jo bhi ho takleef me Sahara dete hain badla nahi lete..dusra point hai ritika aur manu ko beti wo bhi story me aa gayi ab agar manu ritika se neha ko le leta hai to ritika ka kya hoga uska sahara kaun hoga ya to uski shadi kisi se ho jaye jaise sanket se :) Abhi itna kahunga aap likho apne hisaab se hum sath hain har haal me:dost: mai kewal wonderfull likhkar bhag leta hun ab itna bada comment kiya to aap andaja laga sakte story dil se pasand hai mujhe:jump:
 
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Assassin

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सीने में जितनी भी जलन थी, अगन थी वो सब ठंडी हो रही थी! आँख बंद किये मैं उस आनंद के सागर में डूब गया..... मेरे सीने की तपन पा कर वो बची भी जैसे मुझ में अपने पापा को ढूँढ रही थी| मैंने उसे अपने सीने से अलग किया और उसके मस्तक को चूमा| अपने दाहिने हाथ से उसके गाल को सहलाया! आँखें जैसे प्यासी हो चली थीं और उसके मासूम चहरे से हटती ही नहीं थी| आज मैं खुद को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझ रहा था! मेरा जीवन जैसे पूरा हो चूका था! आज तक सीने में बीएस एक आशिक़ का दिल धड़कता था पर आज से एक बाप का दिल धड़कने लगा था| मैंने एक बार फिर से उसके माथे को चूमा, दिवार का सहारा ले कर मैं बैठा और अपने ऊपर चादर दाल ली और वो चादर मैंने मेरी बेटी के इर्द-गिर्द लपेटी| कुछ इस तरह से की उसे गर्माहट मिले पर सांस भी पूरा आये| नेहा की छोटी सी प्यारी सी नाक... उसके छोटे-छोटे होंठ.... गुलाब जामुन से गुलाबी गाल... तेजोमई मस्तक.... उसके छोटे-छोटे हाथ .... मैं मंत्र मुग्ध सा उसे देखता ही रहा| धौंकनी सी चलती उसकी सांसें जैसे मेरा नाम ले रही थी.... उसके छोटे-छोटे पाँव जिनमें एक छोटी सी जुराब थी| वो पूरी रात मैं बस नेहा को निहारता रहा और एक पल के लिए भी अपनी आँखें नहीं झपकाईं! सुबह कब हुई पता नहीं, कौन आया और कौन गया मुझे जैसे कोई फर्क ही नहीं पद रहा था| आँखें बस उसी पर टिकी थीं और मैं उम्मीद करने लगा था की वो अभी अपने छोटे से मुँह से 'पापा' कहेगी! सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसने मुझे देखा और मुझे ऐसा लगा जैसे की वो मुस्कुराई हो| मैंने उसके माथे को चूमा और उसने अपने नन्हे-नन्हे हाथ ऊपर उठा दिए| मैंने जब उन्हें पकड़ा तो उसने एक दम से मेरी ऊँगली पकड़ ली| "मेरा बच्चा उठ गया?" मैंने उसकी मोतियों जैसी आँखों में देखते हुए कहा| "मैं आपका पापा हूँ!" मैंने कहा और उसके गाल को हुमा और वो मुस्कुराने लगी| मैं उठा क्योंकि मन ने कहा की उसे दूध चाहिए होगा और नीचे आया| मेरी गोद में नेहा को देख ताई जी बोलीं; "मिल लिए?" तभी रितिका सामने आई और उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी| ये मुस्कान इसलिए थी की मैं आज अपनी बेटी को पा कर बहुत खुश था| "जानता था तू नेहा की वजह से रितिका को माफ़ कर देगा!" ताऊ जी बोले| "माँ-बाप के किये की सजा बच्चों को कभी नहीं देते और फिर ये तो मेरी बेटी है, मैं भला इससे गुस्सा कैसे हो सकता हूँ|" मैंने नेहा का कमाता चूमते हुए कहा| उस पल एक बाप बोल रहा था और उसे कुछ फर्क नहीं पद रहा था की कोई क्या सोचेगा| अगर उस समय कोई मुझसे सच पूछता तो भी मैं सब सच बोल देते! मेरे मुँह से 'मेरी बेटी' सुन कर रितिका फिर से मुस्कुरा दी, वो सोच रही थी की मैंने उसे माफ़ कर दिया है| पर मेरा दिल उसके लिए अब पत्थर का बन चूका था! उसने मेरे हाथ से नेहा को लिया और युपर उसे दूध पिलाने चली गई| मैं इधर अपनी माँ के पास आया और उनका हाल-चाल पुछा| चाय पी और मेरा दिल फिर से नेहा के लिए बेकरार हो गया मैं उसे ढ़ुडंछ्ता हुआ ऊपर पहुँचा| रितिका ने उसे दूध पिलाना बंद किया था और वो अपने ब्लाउज का हुक बंद कर रही थी| मैं वहाँ रुका नहीं और छत पर चला गया| वो मेरे पीछे-पीछे नेहा को गोद में ले कर आई और फिर मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोली; "आपकी लाड़ली!" मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं और मुस्कुराते हुए नेहा को अपनी जो में उठा लिया| मैं नेहा की पीठ सहलाते हुए छत पर घूमने लगा| फिर अचानक से मुझे याद आया की अनु को कॉल कर के खुशखबरी दे दूँ| मैंने तुरंत उसे कॉल मिलाया और कहा की जल्दी से वीडियो कॉल पर आओ| मैं छत पर पैरापिट वॉल से पीठ लगा कर नीचे बैठा| मेरी दोनों टांगें जुडी थीं और नेहा उसी का सहारा ले कर बैठी थी, इतने में अनु का वीडियो कॉल आ गया; "आपको पता है आज है ना, मैं हैं ना, आपको है ना एक प्याली-प्याली, गोलू-गोलू princess से मिलवाना है!" मैंने तुतलाते हुए कहा| मेरी ऐसी भाषा सुन कर अनु हँसने लगी और बोली; "अच्छा जी? मुझे भी मिलवाओ ना!" मैंने फ़ोन साइड में रखा और नेहा को अपने सीने से लगा कर बिठाया और फिर फ़ोन दुबारा उठाया| नेहा को देखते ही अनु बोल पड़ी; "ये प्यालि-पयाली छोटी सी गुड़िया कौन है?" नेहा भी फ़ोन देख कर मुस्कुराने लगी| "मेरी बेटी नेहा!" मैंने गर्व से कहा| ये सुन कर अनु को एक झटका लगा पर उसने ये बात जाहिर नहीं की और मुस्कुराते हुए कहा; "छो छवींट!" मैंने नेहा के सर को चूमा और तभी अनु ने पुछा; "माँ कैसी हैं अब?"

"कल IV चढ़ाया था और दवाइयाँ दी हैं| कल सब कह रहे थे की शादी कर ले, तो मैंने कहा की माँ की तबियत ठीक हो जाये फिर| वैसे मैंने सब को तुम्हारे बारे में थोड़ा-थोड़ा बता दिया है|"

"क्या-क्या बताया?" अनु ने उत्सुकता से पुछा|

"यही की तुम ने मुझे मरने से बचाया और फिर मुझे अपने बिज़नेस में भी पार्टनर बनाया, बस तुम्हारा नाम नहीं बताया!" मैंने कहा|

"हाय! कितना wait करना होगा!" अनु ने साँस छोड़ते हुए कहा|

"यार जैसे ही माँ ठीक हो जाएंगी मैं उन्हें सब कुछ बता दूँगा| तब तक मैं तुम्हारा परिचय मेरी बेटी से करा देता हूँ| बेटा (नेहा) ये देखो ...मैं है ना... इनसे है ना... शादी करने वाला हूँ! फिर ये है ना आपकी मम्मी होंगी!" मैंने तुतलाते हुए कहा| पर मेरी ये बात शायद अनु को ठीक नहीं लगी|

"तुम बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ?" अनु बोली| उसी आवाज में गंभीरता थी इसलिए मैंने पूरा ध्यान नेहा से हटा कर अनु पर लगाया और हाँ में सर हिलाया| "Are you sure!" अनु ने डरते हुए कहा| ये डर जायज था क्योंकि अगर किसी बाप से पूछा जाए की ये उसका बच्चा है तो गुस्सा आना लाज़मी है|

"हाँ ये मेरा ही खून है! तुम तो जानती ही हो की रितिका के कॉलेज के दिनों में हम बहुत नजदीक आ गए थे और रितिका की लापरवाही की वजह से उसके पीरियड्स मिस हो गए! तब मैं उसे डॉक्टर के ले गया था और उन्होंने कहा था की वो physically healthy नहीं है इसलिए उस टाइम कुछ भी नहीं हो सकता था| उन्होंने उसे कुछ दवाइयां दी थीं ताकि वो अपनी pregnancy को delay करती रहे! शादी के बाद रितिका ने वो गोलियाँ खानी बंद कर दी होंगी!" मैंने कहा| अनु को विश्वास हो गया की ये मेरा ही बच्चा है पर अब मेरे दिल में एक सवाल पैदा हो चूका था; "अगर तुम बुरा ना मनो तो मैं एक सवाल पूछूँ?" मैंने कहा पर अनु जान गई थी की मैं क्या पूछने वाला हूँ और वो तपाक से बोली; "हाँ... मैं इस प्यारी सी गुड़िया को अपनाऊँगी और अपनी बेटी की तरह ही प्यार करूंगी!" इस जवाब को सुन मेरे पास अब कोई सवाल नहीं था और मुझे मेरा परिवार पूरा होता दिख रहा था| "thank you!" मैंने नम आँखों से कहा|

"Thank you किस बात का? अगर तुम मेरी जगह होते तो मना कर देते?" अनु ने मुझे थोड़ा डाँटते हुए कहा| मैंने अपने कान पकड़े और दबे होठों से सॉरी कहा| "नेहा देख रहे हो अपने पापा को? पहले गलती करते हैं और फिर सॉरी कहते हैं? चलो नेहा को मेरी तरफ से एक बड़ी वाली Kissi दो!" अनु ने हुक्म सुनाते हुए कहा| मैंने तुरंत नेहा के दाएँ गाल को चूम लिया, नेहा एक दम से मुस्कुरा दी| उसकी मुस्कराहट देख कर हम दोनों का दिल एक दम से ठहर गया| "अब तो मुझे और भी जल्दी आना है ताकि मैं मेरी बेटी को खुद Kissi कर सकूँ!" अनु ने हँसते हुए कहा| तभी नीचे से मुझे पिताजी की आवाज आई और मैं bye बोल कर नेहा को गोद में लिए नीचे आ गया| नाश्ता तैयार था तो रितिका ने नेहा को गोद में लेने को हाथ आगे बढाए, पर मैंने उसे कुछ नहीं कहा और नेहा को गोद में ले कर माँ के कमरे में आ गया| मेरा और माँ का नाश्ता ले कर पिताजी कमरे में ही आ गए| "अच्छा बीटा अब तो नेहा को यहाँ लिटा दे और नाश्ता कर ले|" पिताजी बोले पर मेरे पास उनकी बात का तर्क मौजूद था| "आज माँ मुझे खिलाएँगी!" मैंने कहा तो माँ ने बड़े प्यार से मुझे परांठा खिलाना शुरू किया और मैंने नेहा के साथ खेलना जारी रखा| नाष्ते के बाद मैंने माँ को दवाई दी और फिर उन्हीं के बगल में बैठ गया, क्या मनोरम दृश्य था! एक साथ तीन पीढ़ी, माँ के बगल में उनका बेटा और बेटे की गोद में उसकी बेटी!


कुछ देर बाद रितिका आई और चेहरे पर मुस्कान लिए बोली; "नेहा को नहलाना है!" अब मुझे मजबूरन नेहा को रितिका की गोद में देना पड़ा पर मेरा दिल बेचैन हो गया था| नेहा से एक पल की भी जुदाई बर्दाश्त नहीं थी मुझे! माँ सो चुकी थी इसलिए मैं एक दम से उठा और ताऊ जी से कहा की मैं बजार जा रहा हूँ तू उन्होंने एक काम बता दिया| मैं पहले संकेत के घर पहुँचा और उससे चाभी माँगी और बजार पहुँचा| वहां मैंने माँ के लिए फल लिए और अपनी बेटी के लिए कुछ समान खरीदने लगा| गूगल से जो भी जानकारी ले पाया था वो सब खरीद लिया, दिआपेरस, बेबी पाउडर, बेबी आयल, बेबी वाइप्स, एक सॉफ्ट टॉवल, एक छोटा सा बाथ टब और बहुत ढूंढने के बाद हीलियम गैस वाले गुब्बारे! सब समान बाइक के पीछे बाँध कर मैं घर पहुँचा| समान मुझसे उठाया भी नहीं जा रहा था इसलिए माने भाभी को आवाज दी और वो ये सब देख कर हँस पड़ी| सारा समान ले कर हम अंदर आये, फल आदि तो भाभी ने रसोई में रख दिए और बाकी का समान ले कर मैं माँ वाले कमरे में आ गया| ये सारा समान देख सब हँस रहे थे की मैं क्यों इतना सामान ले आया| नेहा आंगन में चारपाई पर लेटी थी, मैंने सब समान छोड़ कर पहले गुब्बारे उसके नन्हे हाथों और पैरों से बाँध दिए| वो हवा में उड़ रहे थे और नेहा अपने हाथ-पैर हिला रही थी, ऐसा लगता था मानो ख़ुशी से हँसना छह रही हो! सारा घर ये देख कर खुश था और हँस रहा था| मैंने फ़ौरन एक वीडियो बनाई और अनु को भेज दी! उसने जवाब में; "Awwwwwwwwwwww" लिख कर भेजा, फिर अगले मैसेज में बोली; "मुझे भी आना है अभी!" उसका उतावलापन जायज था पर मैं मजबूर था क्योंकि घर वालों को अभी इतना बड़ा झटका नहीं देना चाहत था| माँ अकेली कमरे में थीं तो मैंने उन्हें उठा कर बिठाया और उन्हें भी कमरे के भीतर से ही ये नजारा दिखाया| उन्होंने तुरंत कहा; "जल्दी से बच्ची को टिका लगा, कहीं नजर ना लग जाए!" ताई जी ने फ़ौरन नेहा को टीका लगा दिया| पूरा घर नेहा की किलकारियों से भर चूका था और आज बरसों बाद जैसे खुशियाँ घर लौट आई हों! दोपहर खाने के बाद मैं नेहा को अपने सीने से सटाये था और माँ की बगल में लेटा था| कुछ देर बाद नेहा उठ गई क्योंकि उसने सुसु किया था| मैंने पहले बेबी वाइप्स से उसे साफ़ किया, पॉउडर लगाया और फिर उसे डायपर पहनाया| फिर रितिका का कमरे से दूसरे कपडे निकाल कर पहनाया, रितिका हाथ बाँधे मुझे ऐसा करते हुए बस देखती रही और मुस्कुराती रही, पर मेरा ध्यान सिर्फ नेहा पर था| जब नेहा को भूख लगी तो मजबूररन मुझे उसे रितिका के हवाले करना पड़ा, पर मेरा मन जानता है की उस टाइम मुझे कितना बुरा लग रहा था| तभी अनु का फ़ोन आया और उसने मुझे किसी से बात करने को कहा| मैं अपना फ़ोन ले कर आंगन में बैठ गया और पार्टी से बात कर रहा था, सारी बात अंग्रेजी में हो रही थी और मुझे ये नहीं पता था की घर के सारे लोग मुझे ही देख रहे हैं| जब मेरी बात खत्म हुई तब मैंने देखा की सब मुझे ही देख रहे हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं|

रात को रितिका ने दूध पिला कर नेहा को मुझे दे दिया, मैंने नेहा को फिर से अपनी छाती से चिपकाया और लेट गया| अपने ऊपर मैंने एक चादर डाल ली ताकि नेहा को सर्दी ना लगे| नींद तो आने से रही और ऐसा ही हाल अनु का भी था| उसने मुझे एक miss call मारी और मैंने तुरंत कॉल बैक किया और उससे बात करने लगा| जब से हमारी शादी की तारिख तय हुई थी हम दोनों रात को एक दूसरे के पहलु में ही सोते थे और अब तो ऐसी हालत थी की उसे मेरे बिना और मुझे उसके बिना नींद ही नहीं आती थी| देर रात तक हम बस ऐसे ही खुसर-फुसर करते हुए बातें करते रहे| अनु तकिये को अपने से दबा कर सो गई और मैंने अपनी बेटी नेहा को खुद से चिपका लिया और उसके प्यारे एहसास ने मुझे सुला दिया| सुबह 6 बजे ताई जी ने मेरे सर पर हाथ फेरा तब मैं उठा और उनके पाँव छुए! फिर सब के साथ चाय पी और नहाने का समय हुआ तो रितिका फिर से नेहा को लेने आ गई पर मैंने उसकी तरफ देखे बिना ही "नहीं" कहा और राजसी में पानी गर्म करने रख दिया| नेहा अब तक उठ गई और अब उसे शायद मेरी आदत हो गई थी इसलिए उसकी किलकारियाँ शुरू हो गईं| पानी गर्म करके मैंने उसे नेहा के लिए लाये हुए टब में डाला और फिर उसमें ठंडा पानी डाला और जब वो हल्का गुनगुना हो गया तब मैंने नेहा को उसमें बिठाया| पानी बिलकियल कोसा था इसलिए उसे ठंड नहीं लगी पर पानी का एहसास पाते ही उसने हिलना शुरू कर दिया| ताऊ जी, ताई जी, पिताजी, भाभी और रितिका सब देखने लगे की मैं कैसे नेहा को नहलाता हूँ| मैंने धीरे-धीरे पानी से उसे नहलाया और साबुन लगा कर अच्छे से साफ़ किया| फिर उसे तौलिये से धीर-धीरे साफ किया, अच्छे से तेल की मालिश की और फिर उसे कपड़े पहनाये| मैंने ये भी नहीं ध्यान दिया की सब घरवाले मुझे ही देख रहे हैं और मुस्कुरा रहे हैं| अच्छे से तेल-पाउडर लगा कर नेहा एक सुन्दर गुड़िया की तरह तैयार थी! मैंने खुद उसके कान के पीछे टीका लगाया और उसके माथे को चूमा फिर उसे अपने सीने से लगा कर मैं पलटा तो देखा सब मुझे देख रहे हैं; "चाचा जी, मानु की बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी! उसे कुछ नहीं करना पड़ेगा, सब काम तो मानु कर ही लेता है|" भाभी बोलीं और सब हँस पड़े, जो नहीं हँसा था वो थी रितिका क्योंकि उसे अब एहसास हुआ था की उसने किसे खो दिया! उस दिन से नेहा मुझसे एक पल को भी जुड़ा नहीं होती थी, दिन में बस उसे मुझसे दूर तब ही जाना पड़ता जब उसे भूख लगती और पेट भरने के बाद वो सीधा मेरे पास आती| हफ्ता बीत गया और मेरा नेहा के लिए प्यार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा था| हम दोनों बाप-बेटी एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते!


सोमवार को ताऊ जी ने कहा की आज चन्दर भैया को लाने जाना है तो मैं और वो साथ निकले| जब चन्दर से मिले तो वो काफी कमजोर होगया था और मुझे देखते ही वो मेरे गले लग गया| आज बरसों बाद मुझे उसके दिल में भाई वाला प्यार नजर आया, मैं बाहर आया और टैक्सी की और हम तीनों साथ घर लौटे| ताऊ जी आगे थे और मैं चन्दर के साथ उसका समान ले कर चल रहा था| जैसे ही मैं अंदर घुसा मैंने देखा की रितिका नेहा को डाँट रही है और उसे मारने के लिए उसने हाथ उठाया है, ये देखते ही मेरे जिस्म में आग लग गई और मैं जोर से चिल्लाया; "रितिका! तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को मारने की!" मैंने उसे धक्का दिया और नेहा को अपने सीने से लगा लिया और उसके सर को चूमने लगा और इधर से उधर तेजी से चलने लगा ताकि वो रोना बंद कर दे| "ताई जी आप भी कुछ नहीं बोल रहे इसे?" मैंने ताई जी से शिकायत की!

"बेटा ये दूध पीने के बाद भी नहीं चुप हो रही थी, इसलिए रितिका को गुस्सा आ गया!" ताई जी बोलीं|

"इतनी छोटी बच्ची को कोई मारता है?" मैंने गुस्से से रितिका को झाड़ते हुए कहा, रितिका डरी सहमी सी अपने कमरे में चली गई और मैं नेहा की पीठ सहलाता हुआ आंगन में एक कोने से दूसरे कोने घूमता रहा| पर उसका रोना बंद नहीं हो रहा था, मुझे पता नहीं क्या सूझी मैंने गुनगुनाना शुरू कर दिया;

"कौन मेरा, मेरा क्या तु लागे
क्यूँ तु बांधे, मन के मन से धागे
बस चले ना क्यूँ मेरा तेरे आगे
कौन मेरा, मेरा क्या तु लागे
क्यूँ तु बांधे, मन के मन से धागे


ढूंढ ही लोगे मुझे तुम हर जगह
अब तो मुझको खबर है
हो गया हूँ तेरा
जब से मैं हवा में हूँ तेरा असर है
तेरे पास हूँ एहसास में, मैं याद में तेरी
तेरा ठिकाना बन गया अब सांस में मेरी


कौन मेरा, मेरा क्या तु लागे
क्यूँ तु बांधे, मन के मन से धागे
बस चले ना क्यूँ मेरा तेरे आगे
कौन मेरा, मेरा क्या तु लागे
क्यूँ तु बांधे, मन के मन से धागे|"

इस गाने के एक-एक बोल को मैं महसूस कर पा रहा था, ऐसा लगा जैसे मैं अपने मन की बात को उस छोटी सी बच्ची से पूछ रहा हूँ! कुछ देर बाद नेहा मुझसे लिपट कर सो गई| एक बार फिर सब मुझे ही देख रहे थे; "बेटा तेरे जैसा प्यार करने वाला नहीं देखा!" ताऊ जी बोले|

"इतना प्यार तो मैंने तुझे नहीं किया!" पिताजी बोले|

"चाचा जी, सच में मानु नेहा से सबसे ज्यादा प्यार करता है|" भाभी बोली|

"भाभी सिर्फ प्यार नहीं बल्कि जान बस्ती है मेरी इसमें और आप में से कोई इसे कुछ नहीं कहेगा|" माने सब को प्यारसे चेतावनी दी| ये मेरी पैतृक वृत्‍ति (Paternal Instincts) थी जो अब सबके सामने आ रही थी| खेर चन्दर भैया का बड़ा स्वागत हुआ क्योंकि वो सच में एक जंग जीत कर आये थे| जब नेहा को भूख लगी तो मैंने भाभी से कहा की वो नेहा को रितिका के पास ले जाएँ; "तुम ही ले जाओ! जाके अपनी लाड़ली को भी मना लो तब से रोये जा रहे है!" उनका मतलब रितिका से था; "मेरी सिर्फ एक लाड़ली है और वो है मेरी बेटी नेहा!" इतना कहता हुआ मैं ऊपर आ आया और देखा रितिका फ्रेश पर उकड़ूँ हो कर बैठी है, उसका चेहरा उसके घटनों के बीच था और मुझे उसकी सिसकने की आवाज आ रही थी| मैंने उसके कमरे के दरवाजे पर खटखटाया तो उसने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखें लाल थीं और वो जैसे मुझे कस कर गले लगाना चाहती थी| पर मेरा व्यवहार अभी भी उसके लिए नरम नहीं हुआ था, अब भी वही सख्ती थी जो मुझे उससे दूर खड़ा किये हुए थी| रितिका ने अपने आँसू पोछे और नेहा को प्यार से अपनी गोद में लिया और मैं छत पर चल दिया| बड़ी बेसब्री से मैं एक कोने से दूसरे कोने के चक्कर लगा रहा था और इंतजार कर रहा था की कब नेहा मेरे पास वापस आये| कुछ देर बाद रितिका नेहा को ले कर आई और मुस्कुराते हुए मुझे गोद में वापस दिया, वो पलट के जाने को हुई पर फिर कुछ सोचते हुए रुक गई| "आपने मुझे माफ़ कर दिया ना?" रितिका ने मेरी तरफ घूमते हुए पुछा| पर मैंने उसकी किसी बात का जवाब नहीं दिया और नीचे जाने लगा| रितिका ने एकदम से मेरी बाजू पकड़ी, "प्लीज जवाब तो दे दो?" उसने मिन्नत करते हुए कहा|

"किस बात की माफ़ी चाहिए तुझे? मेरा दिल तोड़ने की? या फिर नेहा पर हाथ उठाने की?" मैंने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा|

"दोनों की!" रितिका ने सर झुकाते हुए कहा|

"नहीं!" इतना कह कर मैं नीचे आ गया|
Maa ka pyaar, Chacha ka apnapan, dost ki yaari, Premika ka junoon aur ab ek baar ka pyaar :applause: :bow: :adore:
Hats off to you sarkar :hi:
 
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