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इतना कहकर कंचन अपने गीले सारी से खिकध को झधते हुए बाइक में काला साया के साथ सवार हो जाती है….बाइक काफी तेजी से कक़ची सड़क और बगल के खेत जंगलों से होते हुए चलने लगता है….अचानक काला साया की बाइक फिसल जाती है और उसे बीच में ही बाइक रोकनी पढ़ती है “अफ हो लगता है ये सड़क बंद हो चुकी है यहां दलदल का भी खतरा हो सकता है”…काला साया की बात सुनकर कंचन घबरा जाती है की अब वो घर कैसे जाएगी? उसके बच्चों की दवाई खत्म हो गयी थी…कंचन ने जब काला साया को अपना कारण बताया तो वो भी सोच में डूब गया की करे तो करे क्या? एक तो ये ना थमने वाली बारिश ऊपर से बढ़ता तूफान…”देखो कंचन ये मौसम शायद सुबह 4 बजे तक चल सकता है तब्टलाक़ तुम्हें कही आज तो तहेरना ही पड़ेगा वरना ऐसी हालत में अपने बस्ती जाओगी कैसे?”…..कंचन भी कही हड़त्ाक मायूस होकर काला साए की बात पे हामी भरने लगी
“ये लो तुम अपने घर पे फोन कर दो”……काला साया ने तुरंत मोबाइल कंचन को पकड़ाया…कंचन ने अपने घर पे फोन करा और मालूम किया की उसके बच्चे कैसे है? ऊसने अपने एक सहेली को फोन करके अपना हाल बताया ऊस्क इपदोस वाली थी ऊसने कंचन को समझाया की वो कहीं तहेर जाए आज की रात कहीं कांट ले…कंचन को भी यही ठीक लगा वक्त के हाथों वो मज़बूर हो गयी लेकिन उसे काला साया पर पूरा भरोसा था काला साया ने इससे पहले भी उसे एक बार बचाया था उसके पति के ज़ुल्मो से और तबसे वो काला साया को अपना गार्डियन मानती थी…
काला साया अपने चेहरे पे मुकोता लिए शहर का गश्त लगता था…और बढ़ते वारदटो को रोकता था…लेकिन आज वो भी इस मुसलाधार बारिश में फ़ासस चुका था…अचानक उसे दूर की वो वीरान बस्ती दिखी…काला साया को एक सुझाव मिला..”कंचन आज रात हमको यही काटनी पड़ेगी तुम परेशान मत हो मैं तुम्हारे साथ हूँ”….इतना कहकर काला साया बाइक को घस्सीटते हुए ऊस वीरान बस्ती के पास आया…”हम दूर दूर तक कोई नहीं और ऐसी बरसाती रात में होगा भी कौन? चलो जल्दी से अंदर चलते है”……काला साया की बात सुनकर एकपल के लिए कंचन सहम उठी उसे वही आत्माओं वाली बात पे डर था पर वो जानती थी काला साया जब साथ है तो उसे वो कुछ होने तो नहीं देगा
वो बिना कुछ कहें काला साया के साथ ऊस सबसे उचे वाले झोपरे में घुस गयी…बरसात काफी तेज हो गयी और बरसात का पानी काफी ज्यादा तेज हो गया….एक झोपड़ी में बाइक घुसाके काला साया कंचन के संग उक्चे वाले झोंपड़े में घुस गया….अंदर आते ही लोहे का एक दरवाजा जो बेहद पुराना था उससे काला साया ने झोपड़ी को बंद कर डाला…कंचन ठंड से कनपने लगी
काला साया ने लाइटर जलाया और उससे इकहट्टा करी बड़ी मुश्किल से सुखी घससो पे आग लगाई अब पूरे कमरे चकाचोँद रोशनी थी एक छेद से बाहर के बिजली की रोशनी बीच बीच में पार जाती…इस बार कंचन ने बड़ी ही गौर से काला साया को देखा जो अपने चेहरे को हार्वक़्त एक मुकोते से धक्कें रहता है और उसके पूरे चेहरे पे कालिक जैसा कुछ लगा है बस उसके गुलाबी होंठ दिख सकते थे बाकी उसके बदन पे एक लंबा सा ब्लैक कोट और एक क़ास्सी जीन्स जिसकी चाँदी वाले काँटे बने लोहे का बेल्ट चमक रहा है…काला साया कहरा होकर पास से एक बंदूक निकलकर पास रखता है और फिर एक लंबा 8इंच का चाकू
कंचन थोड़ी सहम उठी फिर ऊसने बारे ही गौर से ऊस बंदूक की ओर देखा इतने में काला साया ने कंचन की चुप्पी तोड़ी “अरे तुम तो पूरी भीग गयी हो लो मेरा कोट ढक लो इतना कहकर काला साया अपने बदन से कोट उतार देता है उसके बदन पे सिर्फ़ एक काली बनियान होती है…”आपको ठंड लग जाएँगी”…कंचन ने अपने बाल झधते हुए कहा…”मेरे अंदर इतने बदले की आग है की मुझे हरपल गरम महसूस होता है”…..कंचन मुस्कुराकर उसके हौसले की तारीफ करती है
कंचन इस बार अपने गीले सारी और आधे गीले ब्लाउज और पेटीकोट को पल्लू से साफ करने लगती है….अचानक काला साया की निगाह उसके छातियो के काटव पे पार्टी है ऊस्की गोल गहरी नाभी के नीचे से निकले पेंट पर कितने स्ट्रेच मार्क्स थे जो शाया उसके बच्चा पैदा होनेके बाद उसे परे होंगे….कंचन मुस्कराए काला साया का कोट पहन लेती है….काला साया का लंड अकड़ने लगता है जिसे कंचन देख लेती है वो इस बात को भाँपके मन ही मन मुस्कराने लगती है वो जानती है काला साया कभी भी अपने ज्यादती जिंदगी के बार्िएन में नहीं बताता
काला साया बार बार कंचन के मोटे पिछवाड़े को पेटीकोट के बाहर से ही देख सकता है की वो कितनी बड़ी है वो बीच बीच में अपने लंड को दबा देता है जीन्स के ऊपर से पर उसका उभर खंभक्त कम हो ही नहीं रहा….अचानक बदल बड़ी ज़ोर से गारज़ता है कंचन फिर धीरे धीरे काला साया से बात करने लगती है की वो उसे तो कम से कम अपन चेहरा दिखा सकता है वो कौन है?…काला साया मुस्कुराकर मना कर देता है की वो ये बात सबसे छुपाके रखता है..उसके दिल में लगी जो आग है वो इस शहर जुड़ी हुई है…और वो सिर्फ़ काला साया एक परिवार से बदला लेने के लिए बना है….ये सब सुनकर कंचन बारे ही दिलचस्पी से ऊस्की बात सुनती है अचानक…कंचन ठंड से बहुत ज्यादा तिठुरने लगती है..काला साया ये बात जानके उसे आग के पास बैठने बोलता है..कंचन धीरे धीरे आग के पास बैठ जाती है
काला साया – थोड़ी गरमहत मिलेगी तुम्हें अब ठीक लग रहा है
कंचन – बहुत ज्यादा ठंडा लग रहा है ऊन खंभक्तो की वजह से पूरे सारी पे कीचड़ लग गया आज अगर आप ना आते साहेब तो
काला साया – अब तुम्हें डरने की जरूरत नहीं कंचन वो लोग अब कोई नुकसान पहुंचने के लायक नहीं रहेंगे और तुम फिक्र मत करो मैं हूँ ना
काला साया धीरे धीरे कंचन से बात करने लगा अपने मन को समझाने लगा जो निगाहें ऊस्की कंचन के बदन पे गाड़ी सी हुई थी….”तुम इतनी खूबसूरत हो फिर भी तुम्हारा नामर्द पति तुम्हें कैसे चोद रखा है”….मेरी बात सुनकर उसके गाल गुलाबी हो गये “खैर जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी खूबसूरती की तारीफ की और वो भी आपके मुँह से साहेब”…..कंचन बेहद खुश हुई वो अपने घर और अपनी शादी के बार्िएन में बताने लगी..लेकिन काला साया तो बार बार उसके भारी चुचियों को देखने लगा…कंचन इसको भाँपने लगी वो घबरा भी रही थी पर ओस्से पता था की काला साया उसके साथ कोई गलत काम नहीं करेगा
कंचन – साहेब अब आप शादी कर ही लो
काला साया – मुझ जैसे खतरनाक आदमी से कौन शादी करेगी जो हरपल ख़तरो से खेलता है हाहाहा
कंचन – आप जैसा मर्द अगर मेरा पति होता मैं सबसे खुशनसीब होती
काला साया – अच्छा ग वैसे कंचन तुमेहीं ग्रहस्ति से बाहर भी दोस्ती करनी चाहिए ताकि तुम्हारा मन बहले तुम भी किसी से तालुक़ात रखकर जिंदगी के मजे लो
कंचन – हम जैसी गरीब औरत से कौन प्यार करेगा सहाएब जो पति के जुल्म की मारी है…सिवाय दुख दर्द तक़लीफ़ के मिलता ही क्या है? एक आप ही हो जो हमें समझते हो और मेरे बच्चे
काला साया – फिर भी तुम इतनी जवान हो तुम्हें सोचना चाहिए
कंचन – क्या करे हमारा मोहल्ले में किसी को पता चला तो गुनाह की बात करने लगेंगे और शायद मेरी बदनामी हो जाए