{UPDATE-03}
अचानक कंचन का ठंड बहुत ज्यादा बिगड़ने लगा और वो खाषने लगी उसे बेहद तिठुरती ठंड लगने लगी…कंचन का बुरा हाल देखकर काला साया ने उसे पास ही के एक टूटे खतिए पे लाइत्न्े को कहा….कंचन को ऊसने विश्वास दिया की वो रात भर पहरा देगा और जैसे ही बारिश थामेगी वो लोग वहां से निकल जाएँगे….थोड़े देर में कंचन काँपने लगी उसका पूरा बदन ठंडा पड़ने लगा…काला साया इसे देखकर समझ चुका था की शायद कंचन को जबरदस्त ठंड लगी है और ऐसे मौसम में बीमार होना मतलब साक्षात मौत…काला साया जनता था उसके पास कंचन को बचाने का एक ही उपाय है बेरेहाल वो संकोच करते हुए हिम्मत जुटाकर अपने जीन्स की ज़िप और बेल्ट उतारने लगा…फिर ऊसने धीरे से कंचन को हिलाया पर कंचन ने कोई जवाब नहीं दिया…वो ठंड में बेशुड बस तिठुर रही थी उसके दाँत कटकता रहे थे….काला साया ने अब ज्यादा देर नहीं की ऊसने धीरे से कंचन के ब्लाउज और पेटीकोट को किसी तरह खोल डाला
और कुछ ही देर में कामवाली कंचन उनके सामने एकदम नंगी थी उसके मोटी चुचियां उसके कड़े निपल्स को देखकर काला साया बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके ऊपर धीरे से सवार हो गया दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे से चिपके बिलकुल नंगे थे…धीरे से कंचन की पेटीकोट का नारा खोल के काला साया ने टांगों तक उसे खींच दी अब मांसल मोटी जांघें और झाँतें डर चुत काला साया के सामने थी…ऊसने फिर ब्लाउज से बाहर निकले ऊन तरबूज जैसे साइज के छातियो को काश क़ास्सके दबाना शुरू कर दिया और वैसे ही उसके शरीर के ऊपर चढ़के ऊपर नीचे होने लगा उसका सख्त लंड चुत पे रगड़ खाने लगा
“आहह आहह”…..कस्मती कंचन की बेशुड आहें मंडी आँखें देखकर काला साया समझ चुका था की उसे भी शायद सेक्स चढ़ रहा है हूँ धीरे धीरे नीचे होने लगा और फिर ऊसने अपने घुटनों को मोधके खतिए के किनारे बैठकर दो उंगली कंचन की चुत में डाल दिया..अंगुल करने से ही कंचन को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब उंगली की रफ्तार तेज हुई तो कंचन खुद ही आहें भरने लगी
काला साया समझ चुका था अब कंचन को मजा आने लगा है ऊसने फौरन अपनी जीभ कंचन के चुत पे लगा दी..ऊस्की ऐसी हालत थी की हूँ बिना झातेंदार कंचन की मांसल जांघों की बीच की चुत को चाँतें बिना रही नहीं पा रहा था ऊसने उसके पसीने भरे बदबूदार चुत में मुँह डाल ही दिया और फिर बारे ही चाव से उसके चुत के फहाँको में मुँह डाले उसके छेद को जुबान से टटोलता रहा इस मुख मैथुन के असर जल्द ही कंचन पे हुआ और हूँ बहुत ज़ोर से साँस छोढ़ने लगी वो कसमसाने लगी..उसका तिठुरता बदन थाम गया और वो अब लंबी लंबी आहें भरने लगी
इधर काला साया ने भी चुत में उंगली करते हुए उसके दाने और चुत में जबान लगाए रखी कंचना अब आंखें मुंडें सर इधर उधर मारने लगी “आहह उफ़फ्फ़ सस्स औरर्र ज़ोर से हाीइ अल्ल्लह”……हूँ कसमसाए जा रही थी अब बहुत ही तेज तेज काला साया ऊस्की चुत में जुबान डालने लगा अब धीरे धीरे चुत से सफेद रस बाहर आने लगा जिसका नमकीन स्वादड चक्कर काला साया भधकने लगा…ऊसने फौरन बिना डायरी किए फिर कंचन से लिपट गया और ऊस्की फहुली रेशम झाँतें डर बालों के गुकचे में लंड फहीराते हुए चुत के मुआने में रखकर थोड़ा पुश किया…इस बार लंड अंदर धीरे धीरे सरकने लगा….साली का पति उसे खूब चोदता है ये बात काला साया अच्छे से भाप चुका था…लेकिन लंड की मोटाई दुगुनी थी इसलिए चुत का द्वार के चीरने से कंचन भी बीच बीच सेकेंड में चीखने लगी….लेकिन अब रुकना किसके हाथ में था
अपना चेहरा कंचन के मुँह के ऊपर रखकर हूँ नीचे जोरदार धक्के मारने लगा…अपने आप ही कंचन की चुत का द्वार हाथ गया और ऊसने लंड को समा लिया अब धक्के बहुत तेज तेज चल रहे थे ठप्प ठप्प करते हुए दोनों के जाँघ एक दूसरे से लग्के आवाज़ कर रहे थे अंडकोष चुत के मुआने पे तालियो की तरह बज रहे थे..इतने में काला साया ने फिर ऊन दोनों छातियो को खूब ज़ोर ज़ोर से छूसा और उसका रसपान करने लगा इतनी मस्त कामुक औरत अपनी जिंदगी में शायद काला साया ने कभी चोदा नहीं था..अब खुद पे खुद कंचन ने अपने टाँगें चौड़ी कर लिट ही और हवा में आधा टाँग था…और मुट्ठी काससे अपनी पूरी मर्दानगी ताक़त से काला साया ऊस्की चुत मारने लगा दिन भर के घशट की थकान कामवाली की चुत में खत्म होने जा रही थी
काला साया ने बिना डायरी किए और तेज धक्के लगा डालें इस बार कंचन होश में आ चुकी थी दोनों पसीने से तरबतर होने लगे आग की लपटें घर को और गरम करने लगी…लग ही नहीं रहा था की अभी दोनों कपकपटि ठंड में तिठुर रहे थे जबकि बाहर बारिश तेज हो चुका था और भारी तूफान चल रहा था….इतने में काला साया थकने लगा और ऊसने फच्छ फछ की आवाज़ को संक एक बार लंड को चुत से बाहर खींचा…जैसे आत्म कार्ड मशीन से बाहर निकलता है ठीक ऊटने ही माखन की तरह लंड चुत से बाहर निकल आया और फिर फहूट फहूट के प्री-कम की लहरें बहने लगी इधर कंचन की चुत भी पूरी गीली हो चुकी थी उसके रस हूँ कब दो बार झड़ गयी पता ना चला ऊस्की चीखें इस बात की गवाह थी
कंचन अब भी हाँफ रही थी मानो जैसे उसका सेक्स अभी खत्म नहीं हुआ था…ऊसने क़ास्सके काला साया को पकड़ लिये और उसके चेहरे के इर्द गिर्द चूमने लगी…”आहह से आहह एम्म”….काला साया ने क़ास्सके कंचन के होंठ चुस्सा डालें कंचन के हाथ काला साया के पीठ पे जैसे साँप की तरह रैंग रहे थे…काला साया बारे ही फुर्सत से उसके गले कान और गाल पर चुम्मा लेता गया फिर उसके बालों पे हाथ फहरट एहुए उसे उल्टा लेटने लगा…कंचन का जैसा नशा टूट गया मानो वैसे ही ऊस्की आँखें अधखुली दिखी कंचन को जाने में डायरी तो नहीं लगी की काला साया ने उसके साथ क्या किया? पर अब करने को और बच्चा ही क्या था? पहले काला साया रुका पर ऊसने मुस्कुराकर ऊस्की थोड़ी तारीफ कर दी और बिना ऊस्की इजाज़त लिए उसके गान्ड में लंड घिसता हुआ ऊस्की काली गान्ड के छेद में लंड घुसाने लगा…खटिया को दोनों ओर कंचन ने पकड़ लिया…लेकिन ठीक ऊटने ही मिनट में काला साया अपनी थूक से लंड को गीला करके गान्ड की दरार में लंड डाल चुका था…लंड धीरे धीरे जाने लगा…”आहह आहह आहिस्स्ट्टी से आहह आहिस्ते काररो साहिब आहह”….कंचन पेंट के बाल लेटी आंखों में दर्द के भाव दिखाते हुए ज़ोर से बोली ऊस्क इयवाज़ घूँट गयी और फिर खतिए को दोनों ओर से पकड़कर काला साया उसके ऊपर चढ़के लंड को अंदर बाहर करने लगा…कंचन ने दाँतों पे दाँत रख दिया…काफी जोरदार चुदाई चल रही थी…ठप्प ठप्प आवाज़ फिर हसुरू हो गयी…बारिश सामान्या हो गया था इसलिए दोनों की चीखें पूरे वातावरण में न्गूँज़ रही थी…काला साया काफी जोरदार तरीके से कंचन की गान्ड मारने लगा कंचन का एक तंग अपने तंग के ऊपर रखकर उल्टा उसे खूब ज़ोर से चोदने लगा
कंचन काफी देर तक खतिए के ऊपर पीसती रही ऊस्की छातिया खतिए के बीच में दब गयी थी दोनों पसीने पसीने होने लगे…”आहह सहीब्बब बहुत दर्रद्द हो रहा है आराम से मारो आहह मुझे तक़लीफ़ हो रही हे आहह”…..काला साया मौका चोदना नहीं चाहता था ऊसने धीरे से कंचन को कुल्हा से उचकाया और उसके चेहरे को नीचे कर दिया अब हूँ पूरी कुतिया के भट्टी मुद्रा में थी…और पीछे किसी सांड़ की तरह काला साया ऊस्की गान्ड मारता रहा…उसके छेद से कभी बाहर कभी अंदर कभी बाहर कभी अंदर लंड आ रहा ताज आ रहा था…इन देसी औरतों में झेलने की ताक़त बहुत होती है…काला साया काफी ज्यादा पागल होने लगा और काफी बेदर्दी से ऊस्की गान्ड मारता रहा..उसके तुरंत बाद जब उसे लगा की हूँ अब बस निकल जाएगा तो ऊसने लंड बाहर खींच लिया कंचन के मुख पे रख दिया कंचन ने पहले मना किया पर काला साया के मज़बूती से चेहरे पे पकड़े होने से ऊसने एक दो बार मुँह में लेकर चोद दिया…पर काला साया मना नहीं ऊसने उसके मुँह में लंड घुसा दिया कंचन को मज़बूरन चूसना ही पड़ा…पहले तो उसे अच्छा नहीं लगा पर धीरे धीरे उसके चाँदी को पीछे खिसकाके उसके सुपाडे का स्वाद लेने में कंचन की छूते के बार फिर पानी चोद गयी हूँ वैसे ही बैठी खड़े काला साया के लंड को चुस्ती रही और फिर कुछ ही देर में काला साया ने उसके चेहरे को पकड़कर लंड का पानी उसके पूरे चेहरे पे चोद दिया
काला साया कसमसाते हुए काँपते हुए पष्ट पार गया…और वही नंगी कंचन के साथ बगल में बैठ गाया उसका रस अब भी लंड से उगल रहा था…एकटक कंचन ख़स्ते हुए काला साया का बदन और फिर उसके लंड को देखने लगी..पसीना पसीना हो गया था काला साया लेकिन कंचन थोड़ी मायूस भी थी
काला साया – मुझे मांफ करना कंचन मैंने तुम्हारे साथ सेक्स किया असल में हालत ही कुछ ऐसे थे अगर मैं ऐसा नहीं करता तो लेकिन तुमविश्वास रखो तुम्हें जब मदद चाहिए होंगी तब तुम याद करना मैं हाज़िर हो जाऊंगा
कंचन – बुरा तो लग रहा है एक शादी शुदा औरत हूँ साहिब कभी पराए मर्द के साथ ऐसा कुछ नहीं करा…पर आपके साथ जो हुआ मैं उसे भूल जाऊंगी आप भी भूल जाओ साहेब आपको मेरी वजह से
काला साया – क्या बात करती हो कंचन? तुममें हूँ नमकीन स्वाद है जो क्सिी और में नहीं