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Adultery काला साया – रात का सूपर हीरो(Completed)

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Chutiyadr

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{UPDATE-01}
ऊन दीनों बंगाल में सावन का तगड़ा मौसम शुरू हुआ था….फाटक के नज़दीक हॉएँ से इस छोटे शहर इतर में बाढ़ का प्रकोप तरफ गया था…और रोज़ मुसलसल बारिश चल रही थी….फसल गाँव के घर सब तूफान से या फिर बाढ़ में तबाह हो जाते…कुछ लोग इस तूफान से बचने के लिए टाउन में चलते आते और फिर सब सामान्या हो जाने के बाद वापिस अपने गाँव लौट आते…ऊन दीनों बाँध टूटने का अलर्ट हो गया था…और इस वजह से गाँव सब खाली करवा दिए गये थे…लेकिन शहर से बाज़ार का रास्ता सुनसान जंगल और वीरान छोढ़े गये बस्तियो से होकर गुजरता था इस शहर में रात गये औरत बूढ़ी वृढ को भी बदमाश लोग उठाकर रेप करके ऊन्हें जंगलों में मरने के लिए फैक देते थे….कोई भी औरत अकेले ज्यादा सुरक्षित नहीं होती थी…औरत पे हो रहे यौन सोशण का मामला बढ़ता जा रहा था….पर पुलिस ऊन बदमाशो का कुछ पता नहीं लगा पाई थी

आधी रात का वक्त हो चुका था और ऊस सुनसान कीचड़ बारे रास्ते पे वो औरत फिसल फिसल के तेजी से चल रही थी 30 साल की उमर कसा हुआ बदन छाती पेंट और गान्ड बाहर निकले हुए थे….अपनी मैली गीली सारी को अपने चेहरे के लगे पसीने से पोंछते पोंछते वो बाज़ार से शहर के रास्ते की ओर जा रही थी उसे डर भी लग रहा हां की इतनी सुनसान सड़क पे वो अकेले चल रही रास्ता भी काफी फिसलन भरा ऐसे में कोई साँप और उससे भी कई ज़्ीडा वीरान बस्ती के भूतों की मुसीबत गाँव में ये बात फैली हुई थी की वीरान इन बस्तियो में आत्मा वास करती है ऐसे में ऊस देहाती औरत कंचन का डरना लाज़मी था…कंचन शादी शुदा औरत थी और वो घरो में काम किया करती थी…उसे शहर से अपने बच्चों के लिए कुछ दवाइयाँ लानी थी पति शराबी उससे तो कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए वो खुद पे ये ज़िंमेरदारी उठाकर अकेले हिम्मत करके शहर चली गयी लेकिन मुसलसल बारिश में वो ऐसी फँसी की रात काफी गहरी हो गयी और सड़क और भी खराब और सुनसान अपने मन में अल्लाह अल्लाह का नाम लेकर वो आगे बार रही थी इतने में उसे दो बाइक सवार आते दिखे

वो सहेमी डरी बस आंखें झुकाए आगे बढ़ती रही लेकिन वो लोग उसके करीब आने लगे…वो दौड़ भी नहीं सकती थी…फिसलने का डर था….और ऊपर से ऊन बदमाशो के हँसी को सुनकर उसे पक्का लग चुका था की आज तो वो गयी काम से आज उसका भी बाकी औरतों की तरह गान्ड और चुत में लंड डाल डालकर ये लोग उसका बलात्कार करेंगे और अपना पानी छोढ़ने के बाद उसे भी लावारिस लाश बनकर चोद देंगे अचानक एक बाइक सवार उसके करीब आकर बाइक उसके सामने रोक देता है

कंचन – आर…रही क्या बदत्तमीज़ी है छोढ़ूओ जाननने दम तुम मुझहहे जानते नहीं आहह छोड्धूओ
बाइक सवार – ज्यादा चिल्लाई तो मुँह में लंड डाल दूँगा क्या रे? हाथ पकड़ रे इसका साली को वही ऊस खेत के भीतर ले जाकर चोदते है
कंचन – आह भगवान के लिए चोद दो मेरे दो छोटे छोटे बच्चे है…अल्लाह से डर
बाइक सवार – चुप साली (इतना कहकर वो लोग कंचन को ज़ब्रन हाथ पाओ से पकड़कर रास्ते से नीचे के ढलान में ले जाने लगे)

कंचन को तो लगने लगा जैसे आज उसे इन शैतानो के हाथ से कोई नहीं बच्चा पाएगा….अभी वो लोग ढलान से नीचे उतरे ही थे…की कंचन एक को धक्का मारा और फिसलते हुए दो बार गिर पड़ी फिर वो पूरी ताक़त से अपने मोटापे का फायदा उठाकर एक बदमाश के सीने पे लात जमा देती है वो वही गिर परता है..कंचन पूरी ताक़त लगाकर उठके जैसे ही सड़क पे दौड़ने वाली होती है उसका गुंडे फिर रास्ता चैक लेते है इस बार उसे वही सड़क पे गिराके ऊसपे सवार होने लगते है…


लेकिन तभी एक जोरदार रोशनी ऊन लोगों के चेहरे पे पार्टी है….बाइक सवार हड़बड़ाकर उठ खड़े हो जाते है…”अययएए कौन है आबे? किसने हेडलाइट ऑन किया”…..सब बाइक सवार भौक्लाए ऊस हेडलाइट के सामने खड़े अक्स को घूर्रने लगते है….वो अक्स धीरे धीरे काली परछाई बनकर उनके सामने खड़ा हो जाते है वो लोग बारे गौर से उसका चेहरा पहचानने की कोशिश करते है लेकिन उसके चेहरे पे एक कृष जैसा मास्क होता है और पूरे चेहरे पे काला रंग लगा होता है…सिर्फ़ उसके होंठ और उसके गुस्से भारी निगाहों को ही वो लोग देख सकते है

एक बदमाश चाकू फहत से निकल लेता है..एक उसे हिदायत देता है शायद उसके पास हत्यार हो “क्या रे? कौन है आबे तू?”….वो साया कोई जवाब नहीं देता बस ऊस्की एक भारी आवाज़ बादल के गारज़ते ही निकलती है “काला साया”……वो लोग एकदम से चुप्पी सांधके सहम उठते है ये काला साया वही था जिसने एक करप्ट ऑफिसर को इतना मारा की ऊस्की दोनों टाँगें ही तोड़ दी थी…बदमाश लोग सावधान हो गये और फिर कंचन को वही छोढ़के उसके करीब आने लगे

ऊन लोगों ने अभी उसे घैरना ही चाहा था..की इतने में उसके बाए कमर से निकलती एक फुर्रत से हत्यार उनके जिस्मो को छू गया दो बदमाश वही चट्टक चटक की आवाज़क ए साथ चीखके गिर परे….काला साया के हाथ में एक नानचाकू था….ऊसने फौरन दूसरे गुंडे ए गले में उसे लपटा और उसके ठुड्डी पे एक लात मारा वो सीधे पीछे के जंगली धंस में जा गिरा…दूसरा बदमाश तीनों के अचानक पीटने के बाद सामने आया ऊसने चाकू ऊसपे चलना चाहा पर ऊस साए से आर पार जैसे चाकू होता उसका बचाव इतना तेज था ऊसने क़ास्सके ऊस गुंडे का हाथ पकड़ा और उसके हाथ ही को तोड़ डाला…और फिर उसके चेहरे पे इतने घुसों की बौछार की वो और उठ ना पाया

चारों के चारों बाइक सवार बुरी तरीके से मर खाए परे हुए थे…लेकिन काला साया ने एक एक करके ऊन सभी के गर्दन को मोड़ माड़ोध के तोड़ डाला अब वहां सिर्फ़ लाशें थी और बदल की खौफनाक गारज़ान….काला साया फौरन कंचन के करीब आया जो सुबकते हुए रो रही थी जब ऊसने अपनी नज़र ऊपर उठाई तो वो सहेंटे हुए मुस्करा उठी “काला साया आप बाबू आपने हमारी जान बच्चा ली अल्लाह का शुक्र है की आप जैसा फरिश्ता उन्होंने भेज दिया”…..काला साया मुस्कुराकर कंचन को उठाने लगता है

बारिश तेज हो जाती है…काला साया पास में परे एक दवाई की शीशी जो कंचन के हाथ से चुत गयी थी ऊस पॉलयथीन को कंचन को देता है…”चलो बारिश तेज हो चुकी है तुम्हें तुम्हारे घर तक चोद दम”…..कंचन ऊन लाशों को देखकर खौफ से भर जाती है

कंचन – बाबू ये लोग मर गये क्या?
काला साया – हाँ मैंने इन हरामजादो को मर दिया
कंचन – बहुत ठीक किया अपने बाबू थूकती हूँ इनपे इन नमर्दो पे जिन्होंने हम औरतों का जीना हराम कर रखा था (कंचन ने पास जाकर उनके चेहरों पे थूक डाला देखकर साफ था जैसे वो ना तो काला साया से डर रही थी और ना ही उसे डर था की काला साया ने ऊँका खून कर डाला)
काला साया – इनकी लाशें यही चोद दो पुलिस शिनाख्त करके इन्हें ले जाएगी तुम बस यही कहना की मैंने तुम्हारी जान बचाई वैसे तुम इन लफडो में नहीं परोगी
कंचन – आप फिक्र ना करो साहेब मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी और मैं जानती हूँ जबसे आप इस शहर में आए हो तबसे हमारा खौफ कितना कम हुआ है
काला साया – अच्छा चलो वरना यहां पानी भर जाएगा ये तूफानी बारिश नहीं रुकेगी मैं तुम्हें शहर तक चोद देता हूँ
भाई ये क्या लिख रहे हो, शहर तक चोद देता हूं , छोड़ देता हूं चोद देता हूं लिख रहे हो ,वो भी देव नागरी में लिखते हुए :lol1:
Ise thoda sudhar lo baki story ki shuruaat to achhi hai
 

AK 24

Supreme
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भाई ये क्या लिख रहे हो, शहर तक चोद देता हूं , छोड़ देता हूं चोद देता हूं लिख रहे हो ,वो भी देव नागरी में लिखते हुए :lol1:
Ise thoda sudhar lo baki story ki shuruaat to achhi hai
:bawl:Mereko hindi kam aata isliye hindi try kara. Otherwise me English writer but waha audience nhi hai. By the way, bro suru me dikkat huyi thi baad me mene sudhar li thi. :alright3:
 

u.sir.name

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(UPDATE-45)


डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी

लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ

डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी

लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ…

डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं…ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी…पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था…यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया….बाद में उसका बाप शराबी बन गया…मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी….ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था

और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे…घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था…और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी…सदमें घिरर सी गयी…और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था…कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी…इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला

पुलिस उसके पीछे लग गयी…और वो कलकत्ता भाग गयी…वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था…और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था…पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी

मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था…हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी…लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा

देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी

लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है

देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया…अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ

लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी

देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)

लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा

देवश : चोरी करके

लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा “ये लो पैसे”….उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे…”इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं”….मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई “बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो”….चुपचाप वो बस गुमसूँ रही

“ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?”…….मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा

“जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो”……..ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ “कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा”…….इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी

अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था…जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था…हूबहू मेरे मुखहोते जैसा…और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था “काली साया”………मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था

उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..


वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए…काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी…मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ…अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा

इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी…ताकि इससे शक कम हो….लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया

लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे…शातिरो की रानी थी…ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक…और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ…तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी….हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये…खैर ऐसे दो दिन बीत गये

उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था…लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?…इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता

दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी…मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था…और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया…”क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को”…….ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया…उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी

देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग

दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी…मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा…क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?…जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई

मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की…दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी…और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया…मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी…जंपर भी उतार फ़ैक्हा….और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया

उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे….लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा….और फिर लगाने लगा धक्के…दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया

कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया…एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा…बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में…

त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला…”हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग”….फोन रिसीवर उठाते के साथ

“हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ”…..खबरी की आवाज़ थी
(UPDATE-46)



डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी

लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ

डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी

लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ…

डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं…ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी…पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था…यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया….बाद में उसका बाप शराबी बन गया…मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी….ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था

और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे…घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था…और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी…सदमें घिरर सी गयी…और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था…कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी…इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला

पुलिस उसके पीछे लग गयी…और वो कलकत्ता भाग गयी…वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था…और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था…पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी

मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था…हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी…लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा

देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी

लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है

देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया…अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ

लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी

देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)

लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा

देवश : चोरी करके

लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा “ये लो पैसे”….उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे…”इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं”….मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई “बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो”….चुपचाप वो बस गुमसूँ रही

“ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?”…….मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा

“जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो”……..ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ “कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा”…….इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी

अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था…जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था…हूबहू मेरे मुखहोते जैसा…और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था “काली साया”………मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था

उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..


वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए…काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी…मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ…अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा

इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी…ताकि इससे शक कम हो….लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया

लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे…शातिरो की रानी थी…ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक…और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ…तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी….हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये…खैर ऐसे दो दिन बीत गये

उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था…लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?…इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता

दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी…मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था…और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया…”क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को”…….ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया…उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी

देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग

दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी…मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा…क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?…जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई

मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की…दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी…और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया…मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी…जंपर भी उतार फ़ैक्हा….और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया

उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे….लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा….और फिर लगाने लगा धक्के…दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया

कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया…एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा…बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में…

त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला…”हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग”….फोन रिसीवर उठाते के साथ

“हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ”…..खबरी की आवाज़ थी
Bhai 45 and 46 Update dono same hai...46 update ko sahi karo....
 
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Rajizexy

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The Immortal

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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 
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