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UPDATE-68
देवश : फिलहाल तो वक्त नहीं सब ठीक हो जाए फिर (देवश ने मामुन को ये नहीं बताया की उसे नौकरी से निकाल दिया गया है क्या पता मामुन अफ़सोस जताए वैसे भी उसे अपने पर्सनल चीज़ें शेयर करने का कोई शओक नहीं था)
मामुन देवश से गले मिलकर मुस्कान देकर निकल गया…देवश ने उसे स्टेशन तक चोद दिया…मामुन के जाने के बाद…देवश वापिस घर लौटा…और अपने कमरे में आकर सुस्टते हुए लाइट गया इतने में…खिड़की से झाँक रहे ऊस शॅक्स ने अपना नंबर मिलाया जो दूरबीन को एक हाथ में लिए बारीक़ी से फोन के उठने के इंतजार में था
“हाँ भाई वॉ घर पे है अबतक तो कोई नहीं आया उसके वहाँ ठीक है भाई”…..खलनायक के आदमी ने अपनी दूरबीन को रखा और फिर झधियो से निकलकर चला गया…इधर देवश अनजाने मुसीबत से बेख़बर बस सो रहा था…इतने में दरवाजे पे दस्तक हुई
देवश की एकदम से नींद टूटी…ना घर पे कोई था कंचन तो गयी हुई है शीतल की शादी में दूसरे गाँव…रोज़ को घर मालूम नहीं..शायद दिव्या ही होगी…सोचकर देवश उठ खड़ा हुआ…हूँ तेज कदमों से दरवाजे की तरफ आने लगा…और दरवाजे के दूसरी तरफ गुंडे हाथों में हॉकी का डंडा और गुण लिए बस दरवाजे के खुलने की प्रतीक्षा में थे
दरवाजा एकदम से खुला..वो लोग सतर्क हो गये.दरवाजा अभी खुलता उससे पहले ही दरवाजे पे सटा ऊस गुंडे के पेंट से गोली निकल गयी…गुंडा वही पेंट पकड़ा गिर पड़ा..उसके मरते ही चारों गुंडे सावधान हो गये और वो भी कोई हरकत कर पाते किसी ने खैच के दरवाजे पे एक लात अंदर से दे मारी..दरवाजों सहित हूँ गुंडे हड़बड़ाकर सीडियो से नीचे गिरते चले गये
सामने काला साया खड़ा था..ऊस्की मुस्कान ऊन लोगों को बताने के लिए काफी थी की उनकी प्रतीक्षा में हूँ खुद पलखे बिछाए बैठा हुआ था…”साले तेरी मां की”…अभी दूसरा गुंडा उठके गोलीचलता…उसके गर्दन पे काला साया के फुर्रत चाकू का निशाना धस्ता चला गया..काला साय कूदके ऊन गुंडों पे हावी हुआ….ऊँका शक यकीन में तब्दील हो सा गया की कहीं ये देवश ही तो नहीं हूँ लोग बस ऊसपे टूट परे…चाहे हूँ बचे या नॅब अच्छे…अब ऊँका शिकार एक ही था
देवश ने फुरती से हॉकी के डंडे से ऊँपे वार करना शुरू कर दिया..और जब वो लोग अपने हत्यार निकल पाते…काला साया ऊँपे गोली दंग देता…पांचों के पाँच गुंडे वही मारें गये…काला साया ने फौरन अपने मुखहोते को उतारके इधर उधर देखा..और फौरन रोज़ को फोन किया…मोहल्ले की आस पास घर नहीं था…इस वजह से देवश को दोपहर के वीरान में लर्र्ने का मौका मिल गया..वो एक पल चारों ओर निगाह डालते हुए लाशों को अंदर ले आया…तब्टलाक़ रोज़ भी आ गयी और ऊसने देवश की ओर देखा
देवश : मुझे आए थे मारने…यक़ीनन अब मैं खलनायक का नेक्स्ट टारगेट हूँ
रोज़ : बाप रे अच्छा हुआ तुम सतर्क थे..मैंने तो तुम्हें शायद आज खो ही दिया था (रोज़ ने देवश के गले लगते हुए कहा)
देवश : जल्दी से इन लाशों को ठिकाने लगाना है…अगर कोई आ गया तो प्राब्लम हो जाएगी पुलिस को पता नहीं चलना चाहिए
रोज़ : ठीक है (रोज़ और देवश ने मिलकर ऊन लाशों को बारे ही अच्छे से जीप में डाल दिया…और फिर देवश खुद लाश को खलनाया के एड एक पास ले जाकर फैक आया)
निशानेबाज़ को फोन आया “दमनीत इतना घंटा लगता है एक इंस्पेक्टर की लाश यहां लाने को”…..निशानेबाज़ ने जो फिर सुना अपने गुंडों से दंग रही गया…जल्द ही हूँ घटना स्थल पे पहुंचा और अपने गुंडों की लाश देखी हर किसी के ऊपर स्प्रे से लिखा था काला साया..जिसे पढ़कर निशानेबाज़ का खून खौल उठा
खलनायक : वाहह एक इंस्पेक्टर को मर नहीं पाए तुम लोग हुहह जबसे मैं इंडिया आया हूँ तबसे ना हार नाकामयाबी ही झेल रहा हूँ…पहले तो रोज़ फिर हूँ इंस्पेक्टर और भी ये काला साया…ऐसा क्यों लगता है? जैसे ये तीनों एक दूसरे के कड़ी हो
निशानेबाज़ शर्म से सर झुकाए था…ऊसने खलनायक से पूछा की हूँ चाहे तो खुद देवश को खत्म कर दे..उसे एक मौका चाहिए…लेकिन खलनायक को सूझने लगा की नहीं एक बार पहले ही तो उसे चान्स दिया था..अब देना बेवकूफी है…हार मानके निशानेबाज़ चुप हो गया…खलनायक ने फिर से काला साया की तस्वीर को देखा और फिर कुछ कुछ सोचने लगा…तब्टलाक़ काला लंड भी अपने शिकार को पकड़ने के लिए तैयार हो चुका था
खलनायक : एक तुम ही मेरी उम्मीद हो काला लंड क्या तुमसे मैं होप रख सकता हूँ (काला लंड कुछ नहीं बोला सिर्फ़ चुप रहा)
खलनायक : हम मतलब तुम मुझे निराश नहीं करने वाले तुम्हारी ये दहेकत्ि आँखें ये क़ास्सी मुट्ठी साफ बता रही है की तुम काला साया का खून देखने के लिए बरक़रार हो..एनीवेस उसके ठिकाने का पता लगाओ साथ में निशानेबाज़ को भी ले जाओ आज मुझे किसी भी हाल में काला साया मुर्दा चाहिए…वैसे भी ज़िंदा तो उसे काला लंड छोढ़ेगा नहीं क्यों है ना? (खलनायक ने मुस्कुराकर काला लंड की तरफ देखा..जो गुस्से से बस हामी भर रहा था)
खलनायक के आदेश पे ही…निशानेबाज़ और काला लंड अपने गुंडों को लेकर निकल गये…तब्टलाक़ टीवी पे कमिशनर की इंटरव्यू को सुन खलनायक कुर्सी पे बैठ गया…उधर रोज़ और देवश भी टीवी न्यूज को देख रहे थे
“कहा जा रहा है आज कमिशनर की बैठक में ऊन्होने हमें सूचित किया है की वो अब इस शहर में और खून ख़राबा नहीं होने देंगे केवल 10 किलोमीटर दूर कलकत्ता से इतर जैसे छोटे शहर में आज उगरवादी और मुज़रिमो का दायरा बन सा गया है…खलनायक जैसे बारे इंटरनॅशनल अपराधी इस छोटे से शहर में हाहाकार मचा रहे है…कमिशनर ने बताया की आज हूँ ये निश्चय कर रहे है की खलनायक और उससे जुड़े सभी अपराधी मारें जाएँगे…ये फैसला ऊन्होने यक़ीनन आक्च के लिए लिया हो पर कहीं ना कहीं पब्लिक के दबाव और सरकार को जवाब देन एक लिए ही ऐसा निर्णय लिया गया है…अभी हाल ही में एक इंस्पेक्टर को बर्कष्ट कर दिया गया कारण ऊँका मुज़रिमो से जुड़े होने का अंदेशा था…कमिशनर अब चुप बैठने वाले नहीं”…….चुपचाप रोज़ मुस्कुराकर देवश की तरफ देख रही थी
देवश : ये कमिशनर बहुत बरबोला है सबकुछ पब्लिक ने करवाया है
रोज़ : वैसे ये क्या? मर पाएगा खलनायक को एनकाउंटर तो कर नहीं सकता
देवश : हम अपने लिए शायद खलनायक के हाथों खुद की क़ब्र खुद्वा रहा है..
रोज़ : हुम्हें कुछ करना च्चाईए देवश ये बात तरफ रही है…खलनायक बहुत खतरनाक है आज ऊसने अपने गुंडों को भेजा कल भी निशानेबाज़ का तुमपे हमला होना…कहीं हूँ ये तो नहीं जान गये की तुम ही काला साया
देवश : नहीं रोज़ ऐसा नहीं है…खैर अगर ऐसा होता भी है तो मैं तैयार हूँ मैं उसे खुद इस देश से मिथौँगा…चाहे कुछ भी क्यों ना हो? चलो देर करना ठीक नहीं गश्त लगाना शुरू कर देना चाहिए आज मैं कहलनयक के आदमियों का सफ़ाया हर हाल में करूँगा
रोज़ : शायद वो भी ढूँढ रहे हो
देवश बस मुस्कराया और ऊसने अपने लिबास को पहनते हुए बाइक स्टार्ट कर ली…रोज़ भी बाइक स्टार्ट करके निकल गये….उधर खलनायक कमिशनर के न्यूज को सुन गुस्से से तमतमा उठा….एक के बाद एक दुश्मन बढ़ते जा रहे है…और ऊँपे लगाम कसने की दूर खलनायक ऊँका कुछ कर भी नहीं पा रहा सोचते ही खलनायक का गुस्सा दुगुना हो उठा
हूँ बस मुस्कुराकर कमिशनर के बने तेलएवेरसिओं स्क्रीन पी आ रहे तस्वीर को घूर्र रहा था..और दूसरी तरफ काला साय की मौत का लुत्फ़ उठाने की कोशिश में न्ता….
“पक्की खबर है”…….खबरी ने निशानेबाज़ को बताया…निशानेबाज़ एक बार वन में बैठे सिगार फहूंकते काला लंड की तरफ देखने लगा….”हम गाड़ी स्टार्ट कर और बताए पाते पर ले चल”…….जल्द ही गुंडे ने गाड़ी स्टार्ट की निशानेबाज़ भी सवार होकर निकल गया पीछे खबरी की लाश पड़ी हुई थी
काला लंड और निशानेबाज़ को पता लग चुका था की खलनायक आखिरी बार कहाँ देखा गया है…लेकिन खबरी ने जो बताया था हूँ सीधे दिव्या के घर का पता था…जिसे आखिरी बार उसके खबरी ने ऊधर ही देखा..जल्द ही गाड़ी सन्नते भारी रात में रुक गयी..और ऊस सड़क के चारों ओर घूर्रते हुए गुंडे बाहर निकल आए..सिगार को भुजाते हुए काला लंड और निशानेबाज़ मौत बनकर देवश केन आए वाले घर की ओर ही आ रहे थे
उधर घर के अंदर देवश की तस्वीर लिए दिव्या अनके मुंडें सो रही थी….इस बात से बेख़बर की एक अनचाहा ख़ौफफनाक मुसीबत दरवाजे पे दस्तक देने वाला हैबिके को तेज रफ्तार से रोज़ और काला साया दोनों दौड़ा रहे थे…काला साया की निगाहों में ना जाने एक अज़ीब सी बेचैनी थी ना ही अपने लिए पर किसी और के लिए…ऊसने फौरन बाइक बीच में रोक दी जब रोज़ ने उसे आवाज़ दी…रोज़ के बाइक के रुकते ही…काला साया भी बाइक को रोकके रोज़ की तरफ गंभीरता से देखने लगा..रोज़ एक लाश के तरफ जा रही थी
बाइक को रोकके…काला साया भी पीछे पीछे रोज़ के आया..तो पाया सड़क के बीचो बीच एक अधमरी लाश पड़ी हुई है…ये कोई और नहीं खलनायक का ही खबरी था जिसे मौत के घाट उतारके निशानेबाज़ और काला लंड निकल गये थे…
रोज़ : ओह में..य गोद इसकी साँसें थोड़ी बहुत मज़ूद है
काला साया : अरे ये तो खलनायक का खबरी लगता है आई आंखें खोल्लो तू..एमेम त..हीक हो
गाल को थपथपाते ही…साँस खींचते हुए बड़ी ही मुश्किल से गोली की जगह को पकड़े खबरी ने अधखुली आंखें खोली तो सामने काला साया को देखा…
काला साया : क्या हुआ तुम्हें? किसने किया ये सब?
खबरी : आ..हे से..हायद भ..अगवांन की लात..पे… हे… एमेम..मैंन आ… उघ (खबरी ने ऐत्ते हुए काला साया के गेरेबेअं को अपने खून भरे हाथों से पकड़ा काला साया ने उसके हथेली पे हाथ रखकर उसे आराम से बताने को कहा)
खबरी : एम्म..मैंन्न आहह सस्स डब्ल्यू..आस के..हलननेकक के गुंडे को आपक.ए ग..हरर का पा..था दी..या हूँ आहह वो लोग आपकी त..आलशह में..आइन आहह निकल्ली हे
काला साया : क्या? किस तरफ गये है वो कौन से घर का पता दे दिया तुमने?? जवाब दो सी’मॉनणन (काला साया के दिल की बेचैनी और बड़ी और ऊसने सख्त इसे खबरी को झिंजोध दिया रोज़ ने मना किया)
खबरी : में..आंफ का..र्ना शायद ज़्..इंदगी में..आइन ईकक पुना का काम कर पौउू आपकी मदद कर सकुउ वॉ लोग कॉलेज स्ट्रीट की तरफ (अभी कुछ और कह पता खबरी ने दम तोड़ दिया उसका हाथ ज़मीन पे गिर पड़ा)
काला साया एकदम से हताश उठ खड़ा हुआ…रोज़ ने उसके कंधे को झिंजोधा “के..या हुआ?”…….काला साया ने रोज़ की तरफ हड़बड़ाकर देखा और फिर एकदम से चिल्लाया “न्नहिी दिव्या घर पे है शितत्त सी’आंटी”…….रोज़ इससे पहले कुछ समझ पति एक बार लाश बने खबरी को देख वो फिर बाइक पे सवार होकर काला साया के साथ निकल आ गयी
काला साया पूरी रफ्तार से बाइक को नये खरीदे दादी वाले घर की ओर मूंड़ चुका था…वहां तो दिव्या है वो किस हाल में न्होगी..ये सब सोच सोचकर ही काला साया का बदन काँप राह था…जल्द ही वो लोग बांग्ला पहुंचे…वहां पहले से खड़ी खलनायक के जीप को देख…दोनों सटरक होकर दौड़ परे
काला साय ने फुरती से अपने लॉन में छलाँग लगते हुए टूटी खिड़की से आर पार हो गया…”द्डिवव्या दिवव्याअ”……काला साया दौड़ते हुए सीडियो पे चढ़के ऊपर वाले कमरे की ओर भागा..रोज़ जैसे अंदर आई ऊसने हैरानी से काला साय को दिव्या का नाम पुकारते सुना फिर चारों ओर के टूटे चीज़ों को बिखरा पड़ा देख गंभीरता लाया
काला साया अभी कमरे की तरफ पहुंचा ही त…उसके चेहरे पे एक पीपे का वार हुआ और काला साया हड़बड़ाकर दो तीन सीडी से नीचे आ गिरा…रोज़ ने उसे उसी पल उठाया…इतने में सामने से आते काला लंड जिसके गेरफ्त में दिव्या थी और उसके साथ दो गुंडे को देखकर दोनों भौक्ला उठे…दिव्या चिल्ला रही थी
काला साया ने उठके फौरन अपनी नानचाकू निकाली और उसके सामने वाले गुंडे पे एक ही वार कर डाला…गर्दन को पकड़े वो गुंडा देह गया…काला लंड सीधे दिव्या को चोद काला साया से जा टकराया….तब्टलाक़ पीछे से गोली के हमले से बचते हुए रोज़ सोफे के पीछे जा छुपी…और ऊसने भी अपने हत्यारों को निकालके वार करना शुरू किया…”दिवव्याअ इधर आओ”…रोज़ उसके पास जाना चाहती थी पर गोलियों के वजाहो से सोफे से उठ खड़ी नहीं हो पाई
देवश : फिलहाल तो वक्त नहीं सब ठीक हो जाए फिर (देवश ने मामुन को ये नहीं बताया की उसे नौकरी से निकाल दिया गया है क्या पता मामुन अफ़सोस जताए वैसे भी उसे अपने पर्सनल चीज़ें शेयर करने का कोई शओक नहीं था)
मामुन देवश से गले मिलकर मुस्कान देकर निकल गया…देवश ने उसे स्टेशन तक चोद दिया…मामुन के जाने के बाद…देवश वापिस घर लौटा…और अपने कमरे में आकर सुस्टते हुए लाइट गया इतने में…खिड़की से झाँक रहे ऊस शॅक्स ने अपना नंबर मिलाया जो दूरबीन को एक हाथ में लिए बारीक़ी से फोन के उठने के इंतजार में था
“हाँ भाई वॉ घर पे है अबतक तो कोई नहीं आया उसके वहाँ ठीक है भाई”…..खलनायक के आदमी ने अपनी दूरबीन को रखा और फिर झधियो से निकलकर चला गया…इधर देवश अनजाने मुसीबत से बेख़बर बस सो रहा था…इतने में दरवाजे पे दस्तक हुई
देवश की एकदम से नींद टूटी…ना घर पे कोई था कंचन तो गयी हुई है शीतल की शादी में दूसरे गाँव…रोज़ को घर मालूम नहीं..शायद दिव्या ही होगी…सोचकर देवश उठ खड़ा हुआ…हूँ तेज कदमों से दरवाजे की तरफ आने लगा…और दरवाजे के दूसरी तरफ गुंडे हाथों में हॉकी का डंडा और गुण लिए बस दरवाजे के खुलने की प्रतीक्षा में थे
दरवाजा एकदम से खुला..वो लोग सतर्क हो गये.दरवाजा अभी खुलता उससे पहले ही दरवाजे पे सटा ऊस गुंडे के पेंट से गोली निकल गयी…गुंडा वही पेंट पकड़ा गिर पड़ा..उसके मरते ही चारों गुंडे सावधान हो गये और वो भी कोई हरकत कर पाते किसी ने खैच के दरवाजे पे एक लात अंदर से दे मारी..दरवाजों सहित हूँ गुंडे हड़बड़ाकर सीडियो से नीचे गिरते चले गये
सामने काला साया खड़ा था..ऊस्की मुस्कान ऊन लोगों को बताने के लिए काफी थी की उनकी प्रतीक्षा में हूँ खुद पलखे बिछाए बैठा हुआ था…”साले तेरी मां की”…अभी दूसरा गुंडा उठके गोलीचलता…उसके गर्दन पे काला साया के फुर्रत चाकू का निशाना धस्ता चला गया..काला साय कूदके ऊन गुंडों पे हावी हुआ….ऊँका शक यकीन में तब्दील हो सा गया की कहीं ये देवश ही तो नहीं हूँ लोग बस ऊसपे टूट परे…चाहे हूँ बचे या नॅब अच्छे…अब ऊँका शिकार एक ही था
देवश ने फुरती से हॉकी के डंडे से ऊँपे वार करना शुरू कर दिया..और जब वो लोग अपने हत्यार निकल पाते…काला साया ऊँपे गोली दंग देता…पांचों के पाँच गुंडे वही मारें गये…काला साया ने फौरन अपने मुखहोते को उतारके इधर उधर देखा..और फौरन रोज़ को फोन किया…मोहल्ले की आस पास घर नहीं था…इस वजह से देवश को दोपहर के वीरान में लर्र्ने का मौका मिल गया..वो एक पल चारों ओर निगाह डालते हुए लाशों को अंदर ले आया…तब्टलाक़ रोज़ भी आ गयी और ऊसने देवश की ओर देखा
देवश : मुझे आए थे मारने…यक़ीनन अब मैं खलनायक का नेक्स्ट टारगेट हूँ
रोज़ : बाप रे अच्छा हुआ तुम सतर्क थे..मैंने तो तुम्हें शायद आज खो ही दिया था (रोज़ ने देवश के गले लगते हुए कहा)
देवश : जल्दी से इन लाशों को ठिकाने लगाना है…अगर कोई आ गया तो प्राब्लम हो जाएगी पुलिस को पता नहीं चलना चाहिए
रोज़ : ठीक है (रोज़ और देवश ने मिलकर ऊन लाशों को बारे ही अच्छे से जीप में डाल दिया…और फिर देवश खुद लाश को खलनाया के एड एक पास ले जाकर फैक आया)
निशानेबाज़ को फोन आया “दमनीत इतना घंटा लगता है एक इंस्पेक्टर की लाश यहां लाने को”…..निशानेबाज़ ने जो फिर सुना अपने गुंडों से दंग रही गया…जल्द ही हूँ घटना स्थल पे पहुंचा और अपने गुंडों की लाश देखी हर किसी के ऊपर स्प्रे से लिखा था काला साया..जिसे पढ़कर निशानेबाज़ का खून खौल उठा
खलनायक : वाहह एक इंस्पेक्टर को मर नहीं पाए तुम लोग हुहह जबसे मैं इंडिया आया हूँ तबसे ना हार नाकामयाबी ही झेल रहा हूँ…पहले तो रोज़ फिर हूँ इंस्पेक्टर और भी ये काला साया…ऐसा क्यों लगता है? जैसे ये तीनों एक दूसरे के कड़ी हो
निशानेबाज़ शर्म से सर झुकाए था…ऊसने खलनायक से पूछा की हूँ चाहे तो खुद देवश को खत्म कर दे..उसे एक मौका चाहिए…लेकिन खलनायक को सूझने लगा की नहीं एक बार पहले ही तो उसे चान्स दिया था..अब देना बेवकूफी है…हार मानके निशानेबाज़ चुप हो गया…खलनायक ने फिर से काला साया की तस्वीर को देखा और फिर कुछ कुछ सोचने लगा…तब्टलाक़ काला लंड भी अपने शिकार को पकड़ने के लिए तैयार हो चुका था
खलनायक : एक तुम ही मेरी उम्मीद हो काला लंड क्या तुमसे मैं होप रख सकता हूँ (काला लंड कुछ नहीं बोला सिर्फ़ चुप रहा)
खलनायक : हम मतलब तुम मुझे निराश नहीं करने वाले तुम्हारी ये दहेकत्ि आँखें ये क़ास्सी मुट्ठी साफ बता रही है की तुम काला साया का खून देखने के लिए बरक़रार हो..एनीवेस उसके ठिकाने का पता लगाओ साथ में निशानेबाज़ को भी ले जाओ आज मुझे किसी भी हाल में काला साया मुर्दा चाहिए…वैसे भी ज़िंदा तो उसे काला लंड छोढ़ेगा नहीं क्यों है ना? (खलनायक ने मुस्कुराकर काला लंड की तरफ देखा..जो गुस्से से बस हामी भर रहा था)
खलनायक के आदेश पे ही…निशानेबाज़ और काला लंड अपने गुंडों को लेकर निकल गये…तब्टलाक़ टीवी पे कमिशनर की इंटरव्यू को सुन खलनायक कुर्सी पे बैठ गया…उधर रोज़ और देवश भी टीवी न्यूज को देख रहे थे
“कहा जा रहा है आज कमिशनर की बैठक में ऊन्होने हमें सूचित किया है की वो अब इस शहर में और खून ख़राबा नहीं होने देंगे केवल 10 किलोमीटर दूर कलकत्ता से इतर जैसे छोटे शहर में आज उगरवादी और मुज़रिमो का दायरा बन सा गया है…खलनायक जैसे बारे इंटरनॅशनल अपराधी इस छोटे से शहर में हाहाकार मचा रहे है…कमिशनर ने बताया की आज हूँ ये निश्चय कर रहे है की खलनायक और उससे जुड़े सभी अपराधी मारें जाएँगे…ये फैसला ऊन्होने यक़ीनन आक्च के लिए लिया हो पर कहीं ना कहीं पब्लिक के दबाव और सरकार को जवाब देन एक लिए ही ऐसा निर्णय लिया गया है…अभी हाल ही में एक इंस्पेक्टर को बर्कष्ट कर दिया गया कारण ऊँका मुज़रिमो से जुड़े होने का अंदेशा था…कमिशनर अब चुप बैठने वाले नहीं”…….चुपचाप रोज़ मुस्कुराकर देवश की तरफ देख रही थी
देवश : ये कमिशनर बहुत बरबोला है सबकुछ पब्लिक ने करवाया है
रोज़ : वैसे ये क्या? मर पाएगा खलनायक को एनकाउंटर तो कर नहीं सकता
देवश : हम अपने लिए शायद खलनायक के हाथों खुद की क़ब्र खुद्वा रहा है..
रोज़ : हुम्हें कुछ करना च्चाईए देवश ये बात तरफ रही है…खलनायक बहुत खतरनाक है आज ऊसने अपने गुंडों को भेजा कल भी निशानेबाज़ का तुमपे हमला होना…कहीं हूँ ये तो नहीं जान गये की तुम ही काला साया
देवश : नहीं रोज़ ऐसा नहीं है…खैर अगर ऐसा होता भी है तो मैं तैयार हूँ मैं उसे खुद इस देश से मिथौँगा…चाहे कुछ भी क्यों ना हो? चलो देर करना ठीक नहीं गश्त लगाना शुरू कर देना चाहिए आज मैं कहलनयक के आदमियों का सफ़ाया हर हाल में करूँगा
रोज़ : शायद वो भी ढूँढ रहे हो
देवश बस मुस्कराया और ऊसने अपने लिबास को पहनते हुए बाइक स्टार्ट कर ली…रोज़ भी बाइक स्टार्ट करके निकल गये….उधर खलनायक कमिशनर के न्यूज को सुन गुस्से से तमतमा उठा….एक के बाद एक दुश्मन बढ़ते जा रहे है…और ऊँपे लगाम कसने की दूर खलनायक ऊँका कुछ कर भी नहीं पा रहा सोचते ही खलनायक का गुस्सा दुगुना हो उठा
हूँ बस मुस्कुराकर कमिशनर के बने तेलएवेरसिओं स्क्रीन पी आ रहे तस्वीर को घूर्र रहा था..और दूसरी तरफ काला साय की मौत का लुत्फ़ उठाने की कोशिश में न्ता….
“पक्की खबर है”…….खबरी ने निशानेबाज़ को बताया…निशानेबाज़ एक बार वन में बैठे सिगार फहूंकते काला लंड की तरफ देखने लगा….”हम गाड़ी स्टार्ट कर और बताए पाते पर ले चल”…….जल्द ही गुंडे ने गाड़ी स्टार्ट की निशानेबाज़ भी सवार होकर निकल गया पीछे खबरी की लाश पड़ी हुई थी
काला लंड और निशानेबाज़ को पता लग चुका था की खलनायक आखिरी बार कहाँ देखा गया है…लेकिन खबरी ने जो बताया था हूँ सीधे दिव्या के घर का पता था…जिसे आखिरी बार उसके खबरी ने ऊधर ही देखा..जल्द ही गाड़ी सन्नते भारी रात में रुक गयी..और ऊस सड़क के चारों ओर घूर्रते हुए गुंडे बाहर निकल आए..सिगार को भुजाते हुए काला लंड और निशानेबाज़ मौत बनकर देवश केन आए वाले घर की ओर ही आ रहे थे
उधर घर के अंदर देवश की तस्वीर लिए दिव्या अनके मुंडें सो रही थी….इस बात से बेख़बर की एक अनचाहा ख़ौफफनाक मुसीबत दरवाजे पे दस्तक देने वाला हैबिके को तेज रफ्तार से रोज़ और काला साया दोनों दौड़ा रहे थे…काला साया की निगाहों में ना जाने एक अज़ीब सी बेचैनी थी ना ही अपने लिए पर किसी और के लिए…ऊसने फौरन बाइक बीच में रोक दी जब रोज़ ने उसे आवाज़ दी…रोज़ के बाइक के रुकते ही…काला साया भी बाइक को रोकके रोज़ की तरफ गंभीरता से देखने लगा..रोज़ एक लाश के तरफ जा रही थी
बाइक को रोकके…काला साया भी पीछे पीछे रोज़ के आया..तो पाया सड़क के बीचो बीच एक अधमरी लाश पड़ी हुई है…ये कोई और नहीं खलनायक का ही खबरी था जिसे मौत के घाट उतारके निशानेबाज़ और काला लंड निकल गये थे…
रोज़ : ओह में..य गोद इसकी साँसें थोड़ी बहुत मज़ूद है
काला साया : अरे ये तो खलनायक का खबरी लगता है आई आंखें खोल्लो तू..एमेम त..हीक हो
गाल को थपथपाते ही…साँस खींचते हुए बड़ी ही मुश्किल से गोली की जगह को पकड़े खबरी ने अधखुली आंखें खोली तो सामने काला साया को देखा…
काला साया : क्या हुआ तुम्हें? किसने किया ये सब?
खबरी : आ..हे से..हायद भ..अगवांन की लात..पे… हे… एमेम..मैंन आ… उघ (खबरी ने ऐत्ते हुए काला साया के गेरेबेअं को अपने खून भरे हाथों से पकड़ा काला साया ने उसके हथेली पे हाथ रखकर उसे आराम से बताने को कहा)
खबरी : एम्म..मैंन्न आहह सस्स डब्ल्यू..आस के..हलननेकक के गुंडे को आपक.ए ग..हरर का पा..था दी..या हूँ आहह वो लोग आपकी त..आलशह में..आइन आहह निकल्ली हे
काला साया : क्या? किस तरफ गये है वो कौन से घर का पता दे दिया तुमने?? जवाब दो सी’मॉनणन (काला साया के दिल की बेचैनी और बड़ी और ऊसने सख्त इसे खबरी को झिंजोध दिया रोज़ ने मना किया)
खबरी : में..आंफ का..र्ना शायद ज़्..इंदगी में..आइन ईकक पुना का काम कर पौउू आपकी मदद कर सकुउ वॉ लोग कॉलेज स्ट्रीट की तरफ (अभी कुछ और कह पता खबरी ने दम तोड़ दिया उसका हाथ ज़मीन पे गिर पड़ा)
काला साया एकदम से हताश उठ खड़ा हुआ…रोज़ ने उसके कंधे को झिंजोधा “के..या हुआ?”…….काला साया ने रोज़ की तरफ हड़बड़ाकर देखा और फिर एकदम से चिल्लाया “न्नहिी दिव्या घर पे है शितत्त सी’आंटी”…….रोज़ इससे पहले कुछ समझ पति एक बार लाश बने खबरी को देख वो फिर बाइक पे सवार होकर काला साया के साथ निकल आ गयी
काला साया पूरी रफ्तार से बाइक को नये खरीदे दादी वाले घर की ओर मूंड़ चुका था…वहां तो दिव्या है वो किस हाल में न्होगी..ये सब सोच सोचकर ही काला साया का बदन काँप राह था…जल्द ही वो लोग बांग्ला पहुंचे…वहां पहले से खड़ी खलनायक के जीप को देख…दोनों सटरक होकर दौड़ परे
काला साय ने फुरती से अपने लॉन में छलाँग लगते हुए टूटी खिड़की से आर पार हो गया…”द्डिवव्या दिवव्याअ”……काला साया दौड़ते हुए सीडियो पे चढ़के ऊपर वाले कमरे की ओर भागा..रोज़ जैसे अंदर आई ऊसने हैरानी से काला साय को दिव्या का नाम पुकारते सुना फिर चारों ओर के टूटे चीज़ों को बिखरा पड़ा देख गंभीरता लाया
काला साया अभी कमरे की तरफ पहुंचा ही त…उसके चेहरे पे एक पीपे का वार हुआ और काला साया हड़बड़ाकर दो तीन सीडी से नीचे आ गिरा…रोज़ ने उसे उसी पल उठाया…इतने में सामने से आते काला लंड जिसके गेरफ्त में दिव्या थी और उसके साथ दो गुंडे को देखकर दोनों भौक्ला उठे…दिव्या चिल्ला रही थी
काला साया ने उठके फौरन अपनी नानचाकू निकाली और उसके सामने वाले गुंडे पे एक ही वार कर डाला…गर्दन को पकड़े वो गुंडा देह गया…काला लंड सीधे दिव्या को चोद काला साया से जा टकराया….तब्टलाक़ पीछे से गोली के हमले से बचते हुए रोज़ सोफे के पीछे जा छुपी…और ऊसने भी अपने हत्यारों को निकालके वार करना शुरू किया…”दिवव्याअ इधर आओ”…रोज़ उसके पास जाना चाहती थी पर गोलियों के वजाहो से सोफे से उठ खड़ी नहीं हो पाई