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UPDATE-58
देवश : तुम ने सारी बातें दिल से कहीं है पर मेरी बहन कुँवारी है लेकिन काकी मां ने मुझे बताया की शीतल भी बहुत ज्यादा जवान खून है समझ रहे हो ना अगर उसे तुम खुश रख पाओगे तो मैं इस रिश्ते को हाँ कहूँगा ये हम मर्दों की बीच की बात है तुम्हें ध्यान से समझना होगा इसमें कोई बुराई नहीं ना ही मेरी बहन कोई ठरकी है पर फिर भी औरत का असली गहना उसका मर्द होता है और उसका सुख
रामलाल कुछ दायरटक सोचता है मुझे लगा मैंने कुछ ज्यादा कह डाला क्या? लेकिन ऊसने मुस्कुराकर बोला उसे ये रिश्ता मंजूर है पर वो शीतल को मनाए कैसे?…..मैंने मुस्कुराकर उसे बहुत ही राज़ की बात कहीं की उसे कैसे बहलाना है और कैसे प्यार करना है? वो खुद पे खुद ऊसपे नीचावर हो जाएगी रामलाल बहुत ही हैरान हुआ की वो कैसे घर में शादी करने जा रहा है लेकिन आक्साइड तो बंदा था ही जो औरत से दूर रहे वो आक्साइड तो होगा ही फिर ऊसने तरक़ीब को समझा और मुझसे विदा लेकर चला गया
मैं बहुत खुश था अब जल्द ही रामलाल शीतल को पता लेगा और उससे शादी भी कर लेगा….रामलाल भी यही चाहता था उसे भी कोई शर्म नहीं हुई…फिर मैं जीप पे सवार हुआ तभी विरेसलेशस से सूचना मिली थाने आने को
मैंने फौरन जीप थाने की ओर रुख की…देखता हूँ की काफी भीढ़ है…और एक औरत की लाश के ओसफेद कफ़न से धक्का हुआ है जो ऊपर से पाओ तक शायद नंगी ढकी हुई है (ये वही लाश थी जो खलनायक ने अपने काल लंड के संतुष्टि के लिए किडनॅप की थी और उसे परोसा था बेरहें साइको के सामने)…मैं उसके करीब गया एक तरफ कुछ औरतों के झूंड रो रहे थे शायद वो ऊस्की मां थी…जो कलेजा पीँत रही थी…हवलदार ने सूचित किया की ऊस्की बेटी की लाश को यहां खलनायक के गुंडों ने चोद दिया और ऊस लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और उसे बेरेहमी से मर डाला है और जानभुजके थाने पे ऊस्की लास हचोढ़ दी
मैं उसके करीब जाकर उसका जैसे काप्रा हटाया तो मेरी आँखें शर्म से बंद गयी…जल्दी से काप्रा धक्का उसका शरीर नंगा था प्रेससवाले ऊस्की तस्वीर खींचें जा रहे थे…”आप लोगों की वजहह से मेरी बेट्तिी को मर डाला ऊन हरामज़दाओ आख़िर कैसे पुलिसवाले हो आप लोग जिसने मेरी फूल जैसी बची को बच्चा ना पाया ऊन कामीनो को पकड़ ना सके “……ऊस्की मां रो रोके मुझे और मेरे अफ़सर्स को गालिया दी जा रही थी मैं बहुत खुद को बेबस महसूस कर रहा था
हवलदार ने बताया की लड़की को कल रात अगवा किया गया था खलनायक के गुंडों ने जब वो ट्यूशन से आ रही थी और फिर सुबह ही ऊस्क इलाश दिन दहाड़े के थाने के पास फ़ेक दी मुआना किया तो दिल शहर गया लड़की के चुत से खून बंद ही नहीं हुआ और उसके बदन पे इर्द गिर्द बेरेहमी से खरॉच दाँत काटने के चोटों के निशान है उसके चेहरे को इतनी बुरी तरीके से किसी चीज़ पे पटका है की पहचान करना भी थोड़ा मुश्किल था…पता नहीं किस जालिम ने इतनी बेदर्दी से ऐसी मासूम को अपने होश का शिकार बनाया मेरा तो खून खौल उठा थानेक एब ईछो बीच खलनायक ने ऊस लड़की को नंगा करके ऊस्की लाश फैक दी…इसका एक ही परिणाम है की वो मेरी मर्दानगी को ललकार रहा है….मेरा गुस्सा सातनवे आसमान पे चढ़ गया
सबके जुबान पे था काश काला साया होता ना जाने वो कहाँ गायब हो गया? वो लड़की जो खुद को इस शहर की बचाव कहती है वो रोज़ कहाँ है? सबके जुबान पे रोज़ और खुद के नाम को सुन सच में आज मेरी मर्दानगी को जैसे ललकार मिला था मैं शर्म के मार्िएन लाश को जल्द से जल्द मॉर्ग के लिए रवाना कर डाला…और वहां मैं खड़ा नहीं रही पाया थाने के अंदर घुस गया
थाने में बैठा बैठा बस चुपचाप डेस्क टेबल के बॉल को घुमा रहा था…इतने में बाहर का शोर्र सुनाई दिया….पुलिस के नाम की हाय्ी हाय्ी हो रही थी…प्रेस वालो किसी तरह हवलदार रोकें जा रहे थे इतना बड़ा घटना घाट गया इतनी शरामणाक हत्या हुई थी एक मासूम लड़की की…पब्लिक के साथ साथ न्यूज वालो का भी गुस्सा उबाल रहा था हर कोई जवाबा चाहता था आख़िर क्यों नहीं पुलिस काला साया की तरह काम करती..
मेरा पारा चढ़ गया….अगर कॉन्स्टेबल नहीं रोकता तो मैं बाहर निकल जाता…लेकिन हालत काबू से बाहर नहीं थे सारे आम पुलिस पे कीचड़ उछाला जा रहा था…पुलिस की बेज़्ज़ती हो रही थी…कुछ पुलिस अफसरों ने लाठी चार्ज करने तक को कह डाला पर मैंने मना किया क्योंकि कहीं ना कहीं कुसूरवार तो हम थे ही…जो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसरों ने काला साया को मर गिराया था मतलब ऊन्हें लगता था वो भी आज सर झुकाए अफ़सोस कर रहे थे उनके झुके चेहरों को देख मेरे अंदर की ज्वाला कमिशनर और ऊस खलनायक पे निकल रही थी
किसी तरह बाहर आया धारणा शाम तक चल रही था…सबने मुझसे पूछताछ स्टार्ट कर दी…”दीखिई बात सुनिईए मेरी बाट्ट सुनिईए”……..मैंने गारज़ते हुए कहा सब चुप हो गये….”मानता हूँ हमने बहुत बड़ी ग़लतिया की पर इस गलती को सुधारने का मुझे मौका चाहिए आप लोग जैसा सोच रहे है वैसा नहीं है”………मैंने अभी कहा ही था की एक आदमी ने चिल्लाके कहा की उनकी बेटी के सात हहुआ वो क्या अच्छा था? जबसे काला साया गायब हुआ है तबसे वारदातें बढ़ी जा रही है फिर से हाय्ी हाय की बोल श्रुऊ हो गयी…”शुतत्त उप”……इस बार मैं भड़क उठा
देवश : आप लोगों को मैं समझाए जा रहा हूँ पर आप लोग कुछ समझने के लिए राजी ही नहीं है…आज एक खून हुआ कलकत्ता जाए दिल्ली जाए हिन्दुस्तान के हर कोने में जाए क्या क्राइम रुकता है नहीं ना क्राइम आप हम जैसे लोगों से पनपता है…हम पुलिस वाले तो सिर्फ़ उसे रोकने की कोशिश करते है पर हमारे हाथ बँधे है अपने ही हथकड़ियों से जी हाँ हम कोई भी एक्शन लेंगे ऊपर से हुंपे दबाव आता है बड़ी बड़ी पहुंच होती है भ्रष्ट पॉलिटिशियन्स का पहरा होता है तो क्या हम लोग जानभुज्के मुर्ज़िमो को सजा नहीं देना चाहते ज़रा सोचिए
काला साया आज हमारी ही बदौलत इस दुनिया में नहीं है…ये बात सुनते ही सब शॉक्ड हो गये सब खामोश थे जैसे क़ब्रुस्तन में सन्नाटा छा जाता है….”काला साया जरूर आता अगर ऊस्की साँसें चलती तो…काला साया को मर दिया गया है…महानन्दा नदी में अपनी बचाव और एनकाउंटर से बचने के लिए ऊसने खूड़खुशी कर ली”……….ये सुनते ही सब भड़क उठे
देवश : आप चाहते है ना की हमने गलती की तो ज़रा सोचिए हम तो छोटे मुलाज़िम है असली सरकार तो वहां ऊपर बैठी है क्यों नहीं उससे सवाल करते क्यों नहीं जवाब माँगते लेकिन मैं वचन देता हूओ खलनायक और उसके बढ़ते अपराध को मैं रोकुंगा चाहे इसमें मेरी जान क्यों ना चली जाए? आपको जो सवाल पूछना है वो सारे जवाब मैं दे चुका यक़ीनन मैं आपकी बेटी को वापिस नहीं ला पाऊँगा मुझमें वो ताक़त नहीं लेकिन कसम देता हूँ की मैं इंसाफ जरूर करूँगा
प्रेस रिपोर्टर्स मेरी बातों को ध्यान से सुन रहे थे मेरे आंखों से निकलते आँसुयो को पढ़ रहे थे…मेरी चेहरे पे फ्लॅशलाइट्स हो रही थी…न्यूज चॅनेल में मेरा इंटरव्यू यक़ीनन कमिशनर देखकर हक्का बक्का हो गया था..ऊस्की तो जैसे गान्ड फटने लगी थी…और धीरे धीरे उसे हर जगहों से कॉल आने लगा…काला साया जो पब्लिक का देवता था उसका एनकाउंटर किसने कराया? कोँमिसिओनेर ने क्यों आर्डर दिया?…खलनायक भी इस इंटरव्यू को सुनकर बस तहाका लगाकर हंस रहा था..
जल्द ही लोग धीरे धीरे गुस्से की आग में जाने लगे उनके पास सवाल तो थे गुस्सा भी पुलिसवालो पे लेकिन उनके हर सवाल का जवाब उपरी लोगों के पास था…ऊन लोगों ने तायी किया की अब वो कलकत्ता पुलिस हेक़ुआर्तेर जाकर ये जवाब माँगेंगे….मैं केबिन में बैठा हवलदार और सब मुस्करा रहे थे और ऊन्होने मुझे पानी दिया शांत होने को कहा…मेरी हालत ठीक नहीं थी मैं फौरन जीप पे सवार होकर घर के लिए रवाना हो गया
“फ्फूककक थींम फुक्कक तेमम्म अल्ल्ल बस्टर्द्ड़स”….रोज़ इधर से उधर तहेलते हुए लंगड़ाके मेरी ओर देख रही थी मैं एकदम गुमसूँ चुपचाप मुँह पे हाथ रखकर गहरी सोच में डूबा हुआ था
रोज़ : क्या सोच रहे हो? काश मैं ऊन बॅस्टर्ड्स को सबक सीखा पति काश मेरी ये कमज़ोर हाथों में कुछ और दम होता
देवश : गलती तुम्हारी नहीं है रोज़ तुम इंजूर्ड थी वरना ये वारदात कभी नहीं होती
रोज़ : ऊन हरामजादो ने अपना रेज निकालने के लिए एक लड़की पे अपना गुस्सा निकाला हमारा…ऊस काले नक़ाबपोश को मैं ज़िंदा नहीं छोढ़ूंगी
देवश : तुम कुछ नहीं करने वाली कुछ भी नहीं
रोज़ : वॉट अरे यू आउट ऑफ और माइंड? इतना कुछ हो गया और तूमम्म?
देवश : बिलकुल वो लोग बहुत ताकतवर है हमें ऊओनेहीं हराना होगा हम पिचें आयी हटेंगे पर कभी कभी जंग में कूदना आसान नहीं होता..
रोज़ : तो तुम कहना क्या चाहते हो? हम ऊन्हें कैसे रोकेंगे?
देवश : मेरे आर्डर आने तक तुम कही नहीं जाओगिइइइ
रोज़ : देवस्शह प्लीज़ ऐसा मत करो
देवश : ई साइड नो मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता और रही बात लोगों की ई विल गुड ताकि केर ऑफ तात्ट प्लीज़ इस बार मान जाओ
रोज़ : फिनने मैं जा रही हो
देवश : रोस्सी रोस्सईए (रोज़ बाइक पे सवार होकर निकल गयी यक़ीनन वो अब क्राइम-फाइटिंग तो नहीं करेगी लेकिन उसके दिल में मेरी बात कही चुभ गयी थी)
मैं अपने चेहरे पे हाथ रखकर वही बैठ गया…जब दूसरी ओर निगाह पड़ी…तो शीशे में बंद काला साया के कपड़े और उसका मास्क मेरे सामने था….मेरे आंखों में अंगार सी छा गयी आज खुद को अकेला महसूस कर रहा था…एक तो रोज़ बिना कुछ कहें निकल चुकी थी और इधर मैं कशमकश में कहीं खोया हुआ था सबकी बातें दिमाग में जैसे गूंज रही थी अगर काला साया होता? अगर वो होता? तो क्या वो रोक सकता?
देवश : तुम ने सारी बातें दिल से कहीं है पर मेरी बहन कुँवारी है लेकिन काकी मां ने मुझे बताया की शीतल भी बहुत ज्यादा जवान खून है समझ रहे हो ना अगर उसे तुम खुश रख पाओगे तो मैं इस रिश्ते को हाँ कहूँगा ये हम मर्दों की बीच की बात है तुम्हें ध्यान से समझना होगा इसमें कोई बुराई नहीं ना ही मेरी बहन कोई ठरकी है पर फिर भी औरत का असली गहना उसका मर्द होता है और उसका सुख
रामलाल कुछ दायरटक सोचता है मुझे लगा मैंने कुछ ज्यादा कह डाला क्या? लेकिन ऊसने मुस्कुराकर बोला उसे ये रिश्ता मंजूर है पर वो शीतल को मनाए कैसे?…..मैंने मुस्कुराकर उसे बहुत ही राज़ की बात कहीं की उसे कैसे बहलाना है और कैसे प्यार करना है? वो खुद पे खुद ऊसपे नीचावर हो जाएगी रामलाल बहुत ही हैरान हुआ की वो कैसे घर में शादी करने जा रहा है लेकिन आक्साइड तो बंदा था ही जो औरत से दूर रहे वो आक्साइड तो होगा ही फिर ऊसने तरक़ीब को समझा और मुझसे विदा लेकर चला गया
मैं बहुत खुश था अब जल्द ही रामलाल शीतल को पता लेगा और उससे शादी भी कर लेगा….रामलाल भी यही चाहता था उसे भी कोई शर्म नहीं हुई…फिर मैं जीप पे सवार हुआ तभी विरेसलेशस से सूचना मिली थाने आने को
मैंने फौरन जीप थाने की ओर रुख की…देखता हूँ की काफी भीढ़ है…और एक औरत की लाश के ओसफेद कफ़न से धक्का हुआ है जो ऊपर से पाओ तक शायद नंगी ढकी हुई है (ये वही लाश थी जो खलनायक ने अपने काल लंड के संतुष्टि के लिए किडनॅप की थी और उसे परोसा था बेरहें साइको के सामने)…मैं उसके करीब गया एक तरफ कुछ औरतों के झूंड रो रहे थे शायद वो ऊस्की मां थी…जो कलेजा पीँत रही थी…हवलदार ने सूचित किया की ऊस्की बेटी की लाश को यहां खलनायक के गुंडों ने चोद दिया और ऊस लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और उसे बेरेहमी से मर डाला है और जानभुजके थाने पे ऊस्की लास हचोढ़ दी
मैं उसके करीब जाकर उसका जैसे काप्रा हटाया तो मेरी आँखें शर्म से बंद गयी…जल्दी से काप्रा धक्का उसका शरीर नंगा था प्रेससवाले ऊस्की तस्वीर खींचें जा रहे थे…”आप लोगों की वजहह से मेरी बेट्तिी को मर डाला ऊन हरामज़दाओ आख़िर कैसे पुलिसवाले हो आप लोग जिसने मेरी फूल जैसी बची को बच्चा ना पाया ऊन कामीनो को पकड़ ना सके “……ऊस्की मां रो रोके मुझे और मेरे अफ़सर्स को गालिया दी जा रही थी मैं बहुत खुद को बेबस महसूस कर रहा था
हवलदार ने बताया की लड़की को कल रात अगवा किया गया था खलनायक के गुंडों ने जब वो ट्यूशन से आ रही थी और फिर सुबह ही ऊस्क इलाश दिन दहाड़े के थाने के पास फ़ेक दी मुआना किया तो दिल शहर गया लड़की के चुत से खून बंद ही नहीं हुआ और उसके बदन पे इर्द गिर्द बेरेहमी से खरॉच दाँत काटने के चोटों के निशान है उसके चेहरे को इतनी बुरी तरीके से किसी चीज़ पे पटका है की पहचान करना भी थोड़ा मुश्किल था…पता नहीं किस जालिम ने इतनी बेदर्दी से ऐसी मासूम को अपने होश का शिकार बनाया मेरा तो खून खौल उठा थानेक एब ईछो बीच खलनायक ने ऊस लड़की को नंगा करके ऊस्की लाश फैक दी…इसका एक ही परिणाम है की वो मेरी मर्दानगी को ललकार रहा है….मेरा गुस्सा सातनवे आसमान पे चढ़ गया
सबके जुबान पे था काश काला साया होता ना जाने वो कहाँ गायब हो गया? वो लड़की जो खुद को इस शहर की बचाव कहती है वो रोज़ कहाँ है? सबके जुबान पे रोज़ और खुद के नाम को सुन सच में आज मेरी मर्दानगी को जैसे ललकार मिला था मैं शर्म के मार्िएन लाश को जल्द से जल्द मॉर्ग के लिए रवाना कर डाला…और वहां मैं खड़ा नहीं रही पाया थाने के अंदर घुस गया
थाने में बैठा बैठा बस चुपचाप डेस्क टेबल के बॉल को घुमा रहा था…इतने में बाहर का शोर्र सुनाई दिया….पुलिस के नाम की हाय्ी हाय्ी हो रही थी…प्रेस वालो किसी तरह हवलदार रोकें जा रहे थे इतना बड़ा घटना घाट गया इतनी शरामणाक हत्या हुई थी एक मासूम लड़की की…पब्लिक के साथ साथ न्यूज वालो का भी गुस्सा उबाल रहा था हर कोई जवाबा चाहता था आख़िर क्यों नहीं पुलिस काला साया की तरह काम करती..
मेरा पारा चढ़ गया….अगर कॉन्स्टेबल नहीं रोकता तो मैं बाहर निकल जाता…लेकिन हालत काबू से बाहर नहीं थे सारे आम पुलिस पे कीचड़ उछाला जा रहा था…पुलिस की बेज़्ज़ती हो रही थी…कुछ पुलिस अफसरों ने लाठी चार्ज करने तक को कह डाला पर मैंने मना किया क्योंकि कहीं ना कहीं कुसूरवार तो हम थे ही…जो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसरों ने काला साया को मर गिराया था मतलब ऊन्हें लगता था वो भी आज सर झुकाए अफ़सोस कर रहे थे उनके झुके चेहरों को देख मेरे अंदर की ज्वाला कमिशनर और ऊस खलनायक पे निकल रही थी
किसी तरह बाहर आया धारणा शाम तक चल रही था…सबने मुझसे पूछताछ स्टार्ट कर दी…”दीखिई बात सुनिईए मेरी बाट्ट सुनिईए”……..मैंने गारज़ते हुए कहा सब चुप हो गये….”मानता हूँ हमने बहुत बड़ी ग़लतिया की पर इस गलती को सुधारने का मुझे मौका चाहिए आप लोग जैसा सोच रहे है वैसा नहीं है”………मैंने अभी कहा ही था की एक आदमी ने चिल्लाके कहा की उनकी बेटी के सात हहुआ वो क्या अच्छा था? जबसे काला साया गायब हुआ है तबसे वारदातें बढ़ी जा रही है फिर से हाय्ी हाय की बोल श्रुऊ हो गयी…”शुतत्त उप”……इस बार मैं भड़क उठा
देवश : आप लोगों को मैं समझाए जा रहा हूँ पर आप लोग कुछ समझने के लिए राजी ही नहीं है…आज एक खून हुआ कलकत्ता जाए दिल्ली जाए हिन्दुस्तान के हर कोने में जाए क्या क्राइम रुकता है नहीं ना क्राइम आप हम जैसे लोगों से पनपता है…हम पुलिस वाले तो सिर्फ़ उसे रोकने की कोशिश करते है पर हमारे हाथ बँधे है अपने ही हथकड़ियों से जी हाँ हम कोई भी एक्शन लेंगे ऊपर से हुंपे दबाव आता है बड़ी बड़ी पहुंच होती है भ्रष्ट पॉलिटिशियन्स का पहरा होता है तो क्या हम लोग जानभुज्के मुर्ज़िमो को सजा नहीं देना चाहते ज़रा सोचिए
काला साया आज हमारी ही बदौलत इस दुनिया में नहीं है…ये बात सुनते ही सब शॉक्ड हो गये सब खामोश थे जैसे क़ब्रुस्तन में सन्नाटा छा जाता है….”काला साया जरूर आता अगर ऊस्की साँसें चलती तो…काला साया को मर दिया गया है…महानन्दा नदी में अपनी बचाव और एनकाउंटर से बचने के लिए ऊसने खूड़खुशी कर ली”……….ये सुनते ही सब भड़क उठे
देवश : आप चाहते है ना की हमने गलती की तो ज़रा सोचिए हम तो छोटे मुलाज़िम है असली सरकार तो वहां ऊपर बैठी है क्यों नहीं उससे सवाल करते क्यों नहीं जवाब माँगते लेकिन मैं वचन देता हूओ खलनायक और उसके बढ़ते अपराध को मैं रोकुंगा चाहे इसमें मेरी जान क्यों ना चली जाए? आपको जो सवाल पूछना है वो सारे जवाब मैं दे चुका यक़ीनन मैं आपकी बेटी को वापिस नहीं ला पाऊँगा मुझमें वो ताक़त नहीं लेकिन कसम देता हूँ की मैं इंसाफ जरूर करूँगा
प्रेस रिपोर्टर्स मेरी बातों को ध्यान से सुन रहे थे मेरे आंखों से निकलते आँसुयो को पढ़ रहे थे…मेरी चेहरे पे फ्लॅशलाइट्स हो रही थी…न्यूज चॅनेल में मेरा इंटरव्यू यक़ीनन कमिशनर देखकर हक्का बक्का हो गया था..ऊस्की तो जैसे गान्ड फटने लगी थी…और धीरे धीरे उसे हर जगहों से कॉल आने लगा…काला साया जो पब्लिक का देवता था उसका एनकाउंटर किसने कराया? कोँमिसिओनेर ने क्यों आर्डर दिया?…खलनायक भी इस इंटरव्यू को सुनकर बस तहाका लगाकर हंस रहा था..
जल्द ही लोग धीरे धीरे गुस्से की आग में जाने लगे उनके पास सवाल तो थे गुस्सा भी पुलिसवालो पे लेकिन उनके हर सवाल का जवाब उपरी लोगों के पास था…ऊन लोगों ने तायी किया की अब वो कलकत्ता पुलिस हेक़ुआर्तेर जाकर ये जवाब माँगेंगे….मैं केबिन में बैठा हवलदार और सब मुस्करा रहे थे और ऊन्होने मुझे पानी दिया शांत होने को कहा…मेरी हालत ठीक नहीं थी मैं फौरन जीप पे सवार होकर घर के लिए रवाना हो गया
“फ्फूककक थींम फुक्कक तेमम्म अल्ल्ल बस्टर्द्ड़स”….रोज़ इधर से उधर तहेलते हुए लंगड़ाके मेरी ओर देख रही थी मैं एकदम गुमसूँ चुपचाप मुँह पे हाथ रखकर गहरी सोच में डूबा हुआ था
रोज़ : क्या सोच रहे हो? काश मैं ऊन बॅस्टर्ड्स को सबक सीखा पति काश मेरी ये कमज़ोर हाथों में कुछ और दम होता
देवश : गलती तुम्हारी नहीं है रोज़ तुम इंजूर्ड थी वरना ये वारदात कभी नहीं होती
रोज़ : ऊन हरामजादो ने अपना रेज निकालने के लिए एक लड़की पे अपना गुस्सा निकाला हमारा…ऊस काले नक़ाबपोश को मैं ज़िंदा नहीं छोढ़ूंगी
देवश : तुम कुछ नहीं करने वाली कुछ भी नहीं
रोज़ : वॉट अरे यू आउट ऑफ और माइंड? इतना कुछ हो गया और तूमम्म?
देवश : बिलकुल वो लोग बहुत ताकतवर है हमें ऊओनेहीं हराना होगा हम पिचें आयी हटेंगे पर कभी कभी जंग में कूदना आसान नहीं होता..
रोज़ : तो तुम कहना क्या चाहते हो? हम ऊन्हें कैसे रोकेंगे?
देवश : मेरे आर्डर आने तक तुम कही नहीं जाओगिइइइ
रोज़ : देवस्शह प्लीज़ ऐसा मत करो
देवश : ई साइड नो मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता और रही बात लोगों की ई विल गुड ताकि केर ऑफ तात्ट प्लीज़ इस बार मान जाओ
रोज़ : फिनने मैं जा रही हो
देवश : रोस्सी रोस्सईए (रोज़ बाइक पे सवार होकर निकल गयी यक़ीनन वो अब क्राइम-फाइटिंग तो नहीं करेगी लेकिन उसके दिल में मेरी बात कही चुभ गयी थी)
मैं अपने चेहरे पे हाथ रखकर वही बैठ गया…जब दूसरी ओर निगाह पड़ी…तो शीशे में बंद काला साया के कपड़े और उसका मास्क मेरे सामने था….मेरे आंखों में अंगार सी छा गयी आज खुद को अकेला महसूस कर रहा था…एक तो रोज़ बिना कुछ कहें निकल चुकी थी और इधर मैं कशमकश में कहीं खोया हुआ था सबकी बातें दिमाग में जैसे गूंज रही थी अगर काला साया होता? अगर वो होता? तो क्या वो रोक सकता?