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भाग 6: रिया की एंट्री

कैरी ने अपनी बाइक की रफ्तार तेज कर दी थी और वह काल वन की ओर तेजी से बढ़ रहा था। उसका मन दोस्तों की फिक्र से भरा हुआ था। अचानक, बाइक के सामने कोई उछलकर आ गया। वह एक लंबी, ताकतवर कद-काठी वाली लड़की थी, जिसके चेहरे पर गंभीरता और आत्मविश्वास झलक रहा था।

कैरी ने अचानक ब्रेक लगाई और बाइक रुक गई। यह देख लोमल घबरा गई और जल्दी से एक पेड़ के पीछे छिप गई। "अरे बाप रे भूत, हे भगवान इस बार बचले फिर कभी ऐसी जगह नहीं आऊंगी ?" उसके मुंह से डरी हुई आवाज में निकला।

कैरी ने बाइक से उतरते हुए उस लड़की की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "रिया! तुम, तुम बहुत लेट पहुंची हो।"

रिया, जो एक मशहूर घोस्ट हंटर थी, उसे कैरी ने ही खास इस मिशन के लिए बुलाया था। रिया का अनुभव और साहस उसे बाकी लोगों से अलग बनाते थे। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, जो किसी भी डर को चुनौती दे सकती थी।

रिया ने गंभीरता से कैरी की ओर देखा और बोली, "काल वन और शापित हवेली का रहस्य खोलना आसान नहीं है, लेकिन हम तैयार हैं। अगर तुम्हारे दोस्तों ने वहाँ कदम रखा है, तो हमें हर हाल में उन्हें बचाना होगा।"

कैरी ने सिर हिलाते हुए सहमति दी, "चलो, वक्त बर्बाद किए बिना निकलते हैं। मेरे दोस्तों की सुरक्षा हमारे हाथों में है।"

लोमल रानी को लगा कि ये भूत नहीं हैं कैरी की दोस्त हैं तो वो कांपते हुए वापिस कैरी के पास आ गई, फुदक कर कैरी के पीछे उससे चिपक कर बैठ गई। रिया सबसे पीछे बैठ गई।

रिया के बैठने के बाद कैरी ने तुरंत बाइक स्टार्ट की और तीनों ने जंगल की ओर बढ़ने का फैसला किया। रास्ता सुनसान था और अंधेरा था, हवा में अजीब सी ठंडक थी जो एक खौफनाक एहसास जगा रही थी।

जंगल अब कुछ ही दूरी पर था, तभी बाइक अचानक बंद हो गई। कैरी ने कई बार कोशिश की, लेकिन बाइक चालू नहीं हुई। अब उनके पास पैदल ही आगे बढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

कैरी ने थोड़ा परेशान होकर कहा, "लगता है अब पैदल ही चलना होगा। हम बहुत करीब हैं, वापस लौटना ठीक नहीं।"

रिया ने उसकी बात से सहमति जताई, "कोई बात नहीं, शायद ये जंगल की चुनौती है। हमें पैदल ही सामना करना होगा।"

लोमल थोड़ी घबराई हुई बोली, "मुझे तो ये सब ठीक नहीं लग रहा। लेकिन अब वापिस भी तो नहीं जा सकती, चलो, अब आगे बढ़ते हैं। जो होगा देखा जाएगा।

तीनों अब पैदल ही घने पेड़ों के बीच आगे बढ़ने लगे। हर कदम के साथ जंगल का सन्नाटा और डरावना होता जा रहा था। पेड़ों की शाखाओं की सरसराहट, पत्तों की हल्की आवाजें, और हवा में रहस्यमयी खामोशी का अहसास उनकी हिम्मत को कड़ी परीक्षा में डाल रहा था।

अभी वे जंगल के प्रवेश द्वार के पास ही पहुंचे थे कि अचानक वही बाबा उनके सामने आ गया, जो मितल परिवार को भी रोकने की कोशिश कर चुका था। बाबा का चेहरा बेहद गंभीर था, और उसकी आँखों में एक गहरी चेतावनी की झलक थी।

बाबा ने उन्हें घूरते हुए कहा, "रुको! आगे मत जाओ। यह रास्ता तुम्हारे लिए नहीं है। काल वन और उस श्रापित हवेली में केवल मौत है। वहाँ जाने वाला कोई भी सुरक्षित वापस नहीं आता।"

कैरी ने बाबा की चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, "बाबा, हमें किसी भी हाल में आगे जाना है। हमारे दोस्त वहाँ फंसे हैं। हम उन्हें छोड़ नहीं सकते।"

बाबा ने गंभीरता से कैरी की ओर देखा, फिर रिया और लोमल पर भी एक नज़र डाली।

"अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, तो तुम्हारे साथ भी वही होगा जो दूसरों के साथ हुआ। लेकिन अगर तुम्हारा इरादा इतना ही मजबूत है, तो मेरी एक बात याद रखना—उस हवेली में जो दिखाई दे, उस पर कभी भी यकीन मत करना। वहाँ का हर एक कोना छल और धोखे से भरा हुआ है।"

रिया ने बाबा की बात को गौर से सुना और फिर कैरी की ओर देखा। "हम समझ गए हैं, बाबा। हम सावधानी बरतेंगे। लेकिन हमें अपने दोस्तों की सुरक्षा के लिए वहाँ जाना ही होगा।"

बाबा ने एक लंबी सांस लेते हुए सिर हिलाया और फिर धीरे-धीरे अंधेरे में विलीन हो गया, जैसे वह कभी वहाँ था ही नहीं। कैरी, लोमल, और रिया ने एक-दूसरे की ओर देखा और बिना एक शब्द कहे, आगे बढ़ गए।
 

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बाबा ने गायब होने से पहले रिया को अपने पास बुलाया और उसे कुछ बताया।

भाग 7 : वन और हवेली में प्रवेश

जैसे ही कैरी, रिया, और लोमल ने काल वन में प्रवेश किया, हवा एकदम ठंडी हो गई। चारों ओर घने, ऊंचे पेड़ और उनके पीछे छिपा काला आकाश कुछ भयावह का संकेत दे रहा था। पत्तों की सरसराहट और जानवरों की हल्की आवाजें एक अजीब खामोशी में तब्दील हो गई थीं। कदम दर कदम, वे हवेली की ओर बढ़ते रहे, हर चीज़ और डरावनी लगने लगी थी।

रास्ते में, तीनों को ऐसा लगा जैसे उन्हें किसी की नज़रें देख रही हों। कैरी ने महसूस किया कि उनके चारों ओर कुछ अजीब सी परछाइयाँ थीं, जो कभी पास लगतीं, तो कभी अचानक गायब हो जातीं।

रिया, जो एक अनुभवी घोस्ट हंटर थी, को चारों ओर से नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो रही थी। उसने कैरी और लोमल को सतर्क रहने को कहा, क्योंकि यह सिर्फ जंगल नहीं था, बल्कि यहाँ की हर चीज़ जैसे उन्हें किसी बड़े खतरे की ओर खींच रही थी।

लोमल ने डरते हुए कहा, "यह जगह अजीब है, मुझे यहाँ से वापस जाना चाहिए था।"

कैरी ने उसे समझाते हुए कहा, "लोमल, तुम चिंता मत करो हमे कुछ नहीं होगा और हम यहाँ मेरे दोस्तों के लिए आए हैं और उनको लेके ही वापसी जाएंगे इसके लिए हमें सावधानी से चलना होगा।"

अचानक, एक उल्लू की भयावह आवाज से जंगल की खामोशी टूट गई। तीनों ने एक पल के लिए रुककर चारों ओर देखा, लेकिन कुछ समझ नहीं आया कि यह आवाज कहाँ से आई। फिर उन्होंने अपने कदमों की रफ्तार बढ़ाई, ताकि जितनी जल्दी हो सके हवेली तक पहुँच सकें।

जब वे हवेली के करीब पहुँचे, तो सामने एक विशालकाय, पुरानी हवेली दिखाई दी, जो समय के साथ जर्जर और खौफनाक हो चुकी थी। इसके खंडहर जैसे हालात और टूटे हुए दरवाजों ने इसे एक भयानक रूप दे दिया था। हवेली के चारों ओर अजीब सी गंध फैली हुई थी, मानो वहाँ सदियों से कोई मौजूद हो, लेकिन दिखाई न दे।

जैसे ही तीनों हवेली के मुख्य द्वार के पास पहुँचे, लोमल ने काँपती आवाज में कहा, "क्या हमें सच में अंदर जाना चाहिए? यह जगह तो सच में श्रापित लग रही है।"

रिया ने उसे समझाया, "अगर हम सच में अपने दोस्तों को बचाना चाहते हैं, तो हमें अंदर जाना ही होगा। हम तैयार हैं, और हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।"

कैरी ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे को छुआ, उसकी उंगलियों में एक ठंडी सिहरन दौड़ गई। उसने दरवाजे को जोर से धक्का दिया, और अचानक दरवाजा एक अजीब आवाज के साथ खुल गया। वे तीनों सावधानी से अंदर घुसे, और दरवाजा उनके पीछे खुद ब खुद बंद हो गया।

हवेली के अंदर घुप अंधेरा था, लेकिन हवा में एक अजीब सी गंध फैली हुई थी, जैसे सड़ी हुई लकड़ी और पुराने कपड़ों की मिली-जुली दुर्गंध। चारों ओर घनी धुंध थी, जो किसी चीज़ का संकेत दे रही थी। रिया ने अपनी टॉर्च निकाली और चारों ओर देखा। हवेली के अंदर की दीवारों पर अजीबो-गरीब चित्र और शिलालेख बने हुए थे।

जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि दीवारों पर बनी तस्वीरें और शिलालेख उन्हें देख रहे हैं। लोमल ने महसूस किया कि उसके पीछे कोई परछाई चल रही है। उसने डरते हुए कैरी का हाथ पकड़ लिया, " हमारे पीछे कोई है!"

कैरी ने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन उसकी खुद की भी हालत खराब थी। रिया ने एक पल के लिए दीवारों पर बने शिलालेखों को देखा और बोली, "ये संकेत किसी प्रकार के जादू या श्राप से जुड़े हैं। ऐसा लगता है जैसे यहाँ आने वाले को चेतावनी दी गई है कि वह यहाँ से वापस नहीं जा पाएगा।"

तभी हवेली के गलियारों से एक धीमी-धीमी सिसकी सुनाई दी। सभी ने एक-दूसरे की ओर देखा, और फिर रिया ने अपनी टॉर्च उस दिशा में घुमाई, जहाँ से आवाज आ रही थी।

जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्होंने देखा कि एक कमरे में हल्की रोशनी है। उन्होंने हिम्मत करके दरवाजे को खोला, और अंदर जाने का साहस किया। कमरे में एक पुराना झूला था, जो बिना हवा के हिल रहा था। कैरी ने सोचा कि शायद ये किसी चाल या भ्रम का हिस्सा है, लेकिन तभी उन्होंने देखा कि कमरे के कोने में किसी की परछाई दिखाई दी।

रिया ने तुरंत अपनी टॉर्च उस पर डाली, लेकिन परछाई गायब हो गई। लोमल ने डरते हुए कहा, "हमें यहाँ से वापस जाना चाहिए। मुझे लगता है कि यह हवेली हमारे लिए नहीं है।"

लेकिन रिया ने दृढ़ता से कहा, "नहीं, अगर हम डरकर भागे, तो यह हवेली हमें और भी भटकाएगी। हमें शांत दिमाग से इस स्थिति का सामना करना होगा।"

कमरे के एक कोने में एक पुरानी किताब रखी थी, जिसके पन्नों पर धूल जमी हुई थी। रिया ने उस किताब को उठाया और उसे पढ़ने की कोशिश की। किताब में कुछ अजीब संकेत और शब्द लिखे हुए थे, जो शायद किसी प्राचीन भाषा में थे। किताब को पढ़ते-पढ़ते रिया ने एक पृष्ठ पर लिखा एक शब्द देखा—"मृत्यु का द्वार"।

उन्होंने महसूस किया कि यह हवेली एक श्रापित जाल है, जो यहाँ आने वाले को बाहर नहीं जाने देती। इसी दौरान, उन्हें अपने दोस्तों की आवाजें सुनाई दीं। वे आवाजें हवेली के दूसरे हिस्से से आ रही थीं। सभी ने बिना समय गँवाए उस दिशा में चलना शुरू किया।

जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्होंने महसूस किया कि किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें घेर रखा है। हर कदम पर अजीब-अजीब आवाजें, खौफनाक आहटें और अदृश्य ताकतें उन्हें पीछे खींचने की कोशिश कर रही थीं। रिया ने अपनी हिम्मत बनाए रखी और उन शक्तियों का सामना करते हुए, उन्हें रास्ता दिखाने लगी।

आखिरकार, वे हवेली के एक बड़े कक्ष में पहुंचे, जहाँ एक पुराना पियानो रखा हुआ था। उस पर धूल की मोटी परत जमी थी, लेकिन अचानक पियानो के कुछ कीज़ अपने आप दबने लगे और एक भयावह धुन गूंजने लगी। इससे लोमल की हालत और भी खराब हो गई, लेकिन रिया ने उसे संभाला।

कैरी ने अपने दोस्तों की तलाश में कक्ष के चारों ओर देखा, लेकिन वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। सब कुछ एक रहस्य के जाल की तरह लगने लगा।


कैरी, रिया, और लोमल अब हवेली के भीतर खो से गए थे। जगह-जगह पर उनके दोस्तों की हल्की-हल्की परछाइयाँ दिखतीं, जो अगले ही पल गायब हो जातीं। उन्हें एहसास हुआ कि हवेली के भीतर कोई अदृश्य शक्ति उनकी हर हरकत पर नज़र रखे हुए थी।

हर दरवाजा, हर कोना, हर दीवार उन पर हँसती हुई सी लगती थी, मानो वह हवेली जीवित हो और अपने आगंतुकों के साथ खेल खेल रही हो। अब उनके पास बस एक ही रास्ता था—उन रहस्यों का सामना करना, और अपने दोस्तों को ढूंढना।
 
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भाग 8 : हवेली का श्रापित इतिहास

आज से लगभग दो शताब्दी पहले, मित्तल परिवार का नाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। परंतु उनकी प्रतिष्ठा का आधार उनके किए गए पुण्य नहीं, बल्कि उनके बुरे कर्म थे। इस परिवार के पूर्वजों में से एक प्रमुख व्यक्ति था ठाकुर धर्मदास मित्तल। वह एक शक्तिशाली व्यक्ति था, लेकिन उसकी ताकत का स्तंभ उसकी निर्मम प्रवृत्ति और जादू-टोने के प्रति उसका अटूट विश्वास था। उस समय लोग उसे भगवान का भक्त मानते थे, लेकिन वास्तव में वह तंत्र-मंत्र और काले जादू के माध्यम से अपनी शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करता था।

ठाकुर धर्मदास ने हवेली में कई गुप्त कक्ष बनाए थे, जहाँ उसने गाँव के गरीब लोगों को बंदी बनाकर रखा था। जो भी व्यक्ति उसके आदेशों का पालन करने से इंकार करता, या उसके रास्ते में आता, उसे हवेली में लाया जाता और अमानवीय यातनाएँ दी जातीं। हवेली के अंधेरे कोनों में लोगों की चीखें गूंजती थीं, जो आज भी वहाँ भटकने वाली आत्माओं के रूप में मौजूद हैं। ठाकुर धर्मदास का मानना था कि बलिदान के माध्यम से वह अधिक शक्तिशाली बन सकता है।

हर पूर्णिमा की रात को, ठाकुर धर्मदास हवेली के एक गुप्त कक्ष में अपने अनुयायियों के साथ एक भयंकर तांत्रिक अनुष्ठान करता। इस अनुष्ठान के दौरान, गाँव के गरीब लोगों को बलि दी जाती थी, ताकि उनके प्राणों से ठाकुर अपनी तांत्रिक शक्तियों को बढ़ा सके। इस अनुष्ठान में लोगों को अंधेरे में बांधकर, उनकी आँखों पर पट्टी बांध दी जाती थी, और उनकी हर चीख को हवेली की दीवारें सोख लेती थीं।


ठाकुर धर्मदास की पत्नी, इंद्रा मित्तल, भी एक क्रूर महिला थी। वह अपने पति के काले जादू में सहयोग करती थी और उसकी शक्तियों को बढ़ाने के लिए अमानवीय कृत्य करने में संकोच नहीं करती थी। कहा जाता है कि इंद्रा के पास भी तंत्र-मंत्र की गहरी समझ थी, और वह इस कला में अपने पति के बराबर ही कुशल थी।

इंद्रा का मानना था कि यदि वे हवेली में जितनी अधिक निर्दोष आत्माओं को बंदी बनाएंगे, उतनी ही अधिक शक्ति उनकी आने वाली पीढ़ियों को प्राप्त होगी। इसलिए, इंद्रा गाँव की लड़कियों को हवेली में बंद करवा देती थी। उन्हें तरह-तरह की यातनाएँ दी जातीं और फिर उन्हें मारा जाता।

मित्तल परिवार ने अपनी हवेली के चारों ओर एक अजीब सा घेरा बना रखा था, जिसे "मृत्यु का चक्र" कहा जाता था। इस घेरे के भीतर आने वाले किसी भी व्यक्ति की आत्मा हवेली में कैद हो जाती थी, और वह कभी भी यहाँ से बाहर नहीं जा पाता। कहा जाता है कि ठाकुर धर्मदास ने अपनी तांत्रिक शक्तियों के माध्यम से इस घेरे का निर्माण किया था, ताकि जो लोग उसकी हवेली में आ जाएँ, वे उसकी कैद में सदा के लिए बंध जाएँ।

हवेली के नीचे कई भूमिगत कक्ष थे, जहाँ मित्तल परिवार के पूर्वज अपने अनुष्ठान किया करते थे। इन कक्षों में जंजीरों से बंधी आत्माएँ आज भी भटकती हैं। एक विशेष कक्ष था, जिसे "मृत्यु कक्ष" कहा जाता था। यहाँ हर पूर्णिमा की रात को ठाकुर और इंद्रा बलिदान देते थे, और उसकी गूंज हवेली की दीवारों में समा जाती थी। जो लोग मर जाते, उनकी आत्माओं को बंदी बना लिया जाता ताकि उनकी शक्ति मित्तल परिवार के पास सदा के लिए बनी रहे।

परंतु ठाकुर धर्मदास और इंद्रा के अत्याचार ज्यादा समय तक नहीं चल सके। एक दिन, गाँव के लोगों ने उनके काले कर्मों का सामना करने का निश्चय किया। उन्होंने मिलकर ठाकुर धर्मदास और इंद्रा का सामना किया और उन्हें हवेली के भीतर ही बंद कर दिया। गाँव के संतों और तांत्रिकों ने मिलकर एक श्राप दिया कि मित्तल परिवार की हवेली में किए गए अत्याचारों का बदला हवेली की दीवारों में मौजूद आत्माएँ ही लेंगी। हवेली को श्रापित घोषित कर दिया गया और ठाकुर धर्मदास और इंद्रा को उसी हवेली में कैद कर दिया गया।

उस रात हवेली में जो तूफान आया, उसने हवेली को तबाह कर दिया। कहा जाता है कि ठाकुर धर्मदास और इंद्रा उसी हवेली में जल कर राख हो गए, और उनकी आत्माएँ हवेली में बंध गईं। अब हवेली में सिर्फ उन आत्माओं का वास था, जो मित्तल परिवार के अत्याचारों का शिकार बनी थीं।



वर्तमान में मित्तल परिवार का आगमन

समय के साथ मित्तल परिवार की आने वाली पीढ़ियाँ अपने पूर्वजों के काले इतिहास को भूल गईं, लेकिन हवेली पर पड़ा श्राप अभी भी सक्रिय था। अब जब वर्तमान मित्तल परिवार ने इस हवेली में कदम रखा, तो जैसे वहाँ मौजूद भटकती आत्माओं को उनकी पहचान मिल गई। हवेली की आत्माएँ जाग उठीं, और उन्हें अब अपना बदला लेने का सही मौका मिल गया था।

जंगल में पिकनिक मनाते हुए मित्तल परिवार को अजीब घटनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। परंतु जैसे ही उन्होंने हवेली में प्रवेश किया, उनके चारों ओर अजीब सी घटनाएँ घटने लगीं। हवेली में एक खौफनाक सन्नाटा था, जो उनके हर कदम पर उनके पीछे चलता जा रहा था।

मित्तल परिवार को एहसास नहीं था कि जिस हवेली में वे जा रहे थे, वह अब एक श्रापित स्थल बन चुकी थी, जहाँ उनके पूर्वजों ने निर्दोष लोगों पर अत्याचार किए थे। हवेली की आत्माएँ मित्तल परिवार के हर सदस्य को अब एक-एक करके अपने श्राप का शिकार बनाने के लिए तैयार थीं।

हवेली में प्रवेश करने के बाद, मित्तल परिवार के बेटे राहुल को एक अजीब सा आकर्षण महसूस हुआ। वह अपने माता-पिता से थोड़ा दूर हो गया और हवेली के एक अंधेरे कमरे में चला गया। अचानक, उस कमरे का दरवाजा बंद हो गया और एक सिहरन भरी आवाज गूंजने लगी। राहुल ने चारों ओर देखा, लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दिया। फिर एक तेज़ हवा का झोंका आया और राहुल की आँखों के सामने एक परछाई उभरी। वह परछाई किसी और की नहीं, बल्कि उसी व्यक्ति की थी जिसे उसके पूर्वजों ने बेरहमी से मारा था।

परछाई ने राहुल को अपनी चपेट में ले लिया और उसकी चीखें हवेली में गूंजने लगीं। बाकी परिवार वालों ने उसकी चीखें सुनीं, लेकिन जब वे उस कमरे में पहुँचे, तो वह खाली था। राहुल की आत्मा हवेली में बंध गई थी, और वह अब उन आत्माओं का हिस्सा बन चुका था, जो हवेली में बदले की आग में जल रही थीं।

हवेली में राहुल के गायब होने के बाद, मित्तल परिवार की बेटी नीलम को भी अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं। उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसे अपने पास बुला रहा हो। उसने अपने माता-पिता से कुछ नहीं कहा और उन आवाजों का पीछा करते हुए हवेली के पिछले हिस्से में चली गई। वहाँ पर उसे एक बड़ा सा आईना दिखाई दिया, जिसमें उसके चेहरे पर अजीब से निशान उभरने लगे। आईने के भीतर से एक खौफनाक चेहरा उसकी ओर बढ़ने लगा और उसे अपनी तरफ खींच लिया।

नीलम की चीखें हवेली में गूंज उठीं, लेकिन उसके माता-पिता जब वहाँ पहुँचे, तो उसे वहाँ नहीं पाया। हवेली में एक बार फिर से सन्नाटा छा गया।
 
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मित्तल परिवार के माता-पिता अब हवेली में अपने बच्चों को खो चुके थे और उनके मन में खौफ बढ़ता जा रहा था। उनका हर कदम अब एक डरावने भंवर में बदल चुका था। हर दरवाजे पर अजीब-सी खरोंचों के निशान, दीवारों पर खून से बने निशान, और हवा में गूंजती असहनीय चीखें उनकी मानसिकता को तोड़ने लगीं।

उन्होंने एक आखिरी बार कोशिश की, शायद अपने बच्चों को किसी तरह से खोज सकें। अचानक, हवेली के सबसे अंधेरे कोने में से एक ठंडी हवा का झोंका आया और उनके चारों ओर अंधेरा छा गया। वे वहीं ठिठक गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हवेली की आत्माएँ जाग चुकी थीं और अपने इस श्रापित परिवार के हर सदस्य को उसके पूर्वजों के पापों का शिकार बनाने पर उतारू थीं।

मित्तल परिवार के पूर्वज ठाकुर धर्मदास ने इस हवेली के अंदर जिस प्रकार निर्दोष ग्रामीणों पर अत्याचार किए, उसका नतीजा इस पूरी पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा था। ठाकुर धर्मदास और उसकी पत्नी इंद्रा ने हवेली को एक काली जादू की गुफा में बदल दिया था, जहाँ लोगों को यातनाएँ दी जाती थीं और उनकी आत्माओं को हमेशा के लिए बंधक बना लिया जाता था।

इस श्रापित परिवार के अंतिम दो बचे सदस्य अब एक अनोखी बेचैनी के साथ हवेली के गलियारों में भटक रहे थे। दोनों ने उन छिपे हुए कमरों को खोलने की कोशिश की, जहाँ उन्होंने अपने बच्चों के चीखने की आवाजें सुनी थीं। जैसे ही वे आगे बढ़ते गए, उनके सामने एक दरवाजा खुला और उस दरवाजे के पीछे उनके सामने ठाकुर धर्मदास और इंद्रा की छायाएँ उभर आईं। उन छायाओं के चेहरे पर एक अजीब सा क्रूरता का भाव था, जो दर्शाता था कि वे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए केवल मौत और यातनाएँ छोड़कर गए थे।

जैसे ही मित्तल परिवार के माता-पिता इन भयानक छायाओं को देख रहे थे, उनकी पुरखों की आत्माएँ उन्हें अपनी ओर खींचने लगीं। उनकी आत्माओं ने उन्हें दिखाया कि कैसे ठाकुर धर्मदास ने इस हवेली के भीतर जुल्म किए और निर्दोष लोगों की आत्माओं को अपने तांत्रिक अनुष्ठानों में बंदी बना लिया।

अब हवेली में मौजूद हर आत्मा अपने-अपने बदले के लिए तैयार थी। जैसे ही मित्तल परिवार के माता-पिता एक कमरे से दूसरे कमरे में भटकते गए, हर कोने से एक नई आत्मा सामने आती गई। हवेली की दीवारों से खून टपकने लगा, चीखें और जोर से गूंजने लगीं, और फर्श पर बड़े-बड़े लाल निशान उभरने लगे। आत्माएँ अब उन्हें अपने घेरे में ले चुकी थीं।

हवेली के हॉल में मित्तल परिवार के माता-पिता के चारों ओर आत्माएँ इकट्ठा हो गईं। उन्होंने अपने पूर्वजों के किए हुए हर पाप का एक-एक हिसाब लिया। हर आत्मा के चेहरे पर दर्द और प्रतिशोध का भाव था। वे चीख-चीख कर कह रही थीं कि अब कोई नहीं बचेगा।

वह आखिरी दृश्य ऐसा था कि मित्तल परिवार के माता-पिता की चीखें हवेली की हर दीवार में गूंजने लगीं। उनकी रूहें भी अब हवेली में कैद हो गईं।

अब यह हवेली पूरी तरह से श्रापित हो चुकी थी, और मित्तल परिवार की आत्माएँ भी उन आत्माओं में शामिल हो गईं जिन्हें उनके पूर्वजों ने कैद किया था।
 

sunoanuj

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बहुत ही अद्भुत लिख रहे हो आप ! शापित हवेली तो सच में बहुत ही खतरनाक होती जा रही है !

देखते कैरी की कोशिशें क्या रंग लाती हैं !!
 

Ajju Landwalia

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मित्तल परिवार के माता-पिता अब हवेली में अपने बच्चों को खो चुके थे और उनके मन में खौफ बढ़ता जा रहा था। उनका हर कदम अब एक डरावने भंवर में बदल चुका था। हर दरवाजे पर अजीब-सी खरोंचों के निशान, दीवारों पर खून से बने निशान, और हवा में गूंजती असहनीय चीखें उनकी मानसिकता को तोड़ने लगीं।

उन्होंने एक आखिरी बार कोशिश की, शायद अपने बच्चों को किसी तरह से खोज सकें। अचानक, हवेली के सबसे अंधेरे कोने में से एक ठंडी हवा का झोंका आया और उनके चारों ओर अंधेरा छा गया। वे वहीं ठिठक गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हवेली की आत्माएँ जाग चुकी थीं और अपने इस श्रापित परिवार के हर सदस्य को उसके पूर्वजों के पापों का शिकार बनाने पर उतारू थीं।

मित्तल परिवार के पूर्वज ठाकुर धर्मदास ने इस हवेली के अंदर जिस प्रकार निर्दोष ग्रामीणों पर अत्याचार किए, उसका नतीजा इस पूरी पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा था। ठाकुर धर्मदास और उसकी पत्नी इंद्रा ने हवेली को एक काली जादू की गुफा में बदल दिया था, जहाँ लोगों को यातनाएँ दी जाती थीं और उनकी आत्माओं को हमेशा के लिए बंधक बना लिया जाता था।

इस श्रापित परिवार के अंतिम दो बचे सदस्य अब एक अनोखी बेचैनी के साथ हवेली के गलियारों में भटक रहे थे। दोनों ने उन छिपे हुए कमरों को खोलने की कोशिश की, जहाँ उन्होंने अपने बच्चों के चीखने की आवाजें सुनी थीं। जैसे ही वे आगे बढ़ते गए, उनके सामने एक दरवाजा खुला और उस दरवाजे के पीछे उनके सामने ठाकुर धर्मदास और इंद्रा की छायाएँ उभर आईं। उन छायाओं के चेहरे पर एक अजीब सा क्रूरता का भाव था, जो दर्शाता था कि वे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए केवल मौत और यातनाएँ छोड़कर गए थे।

जैसे ही मित्तल परिवार के माता-पिता इन भयानक छायाओं को देख रहे थे, उनकी पुरखों की आत्माएँ उन्हें अपनी ओर खींचने लगीं। उनकी आत्माओं ने उन्हें दिखाया कि कैसे ठाकुर धर्मदास ने इस हवेली के भीतर जुल्म किए और निर्दोष लोगों की आत्माओं को अपने तांत्रिक अनुष्ठानों में बंदी बना लिया।

अब हवेली में मौजूद हर आत्मा अपने-अपने बदले के लिए तैयार थी। जैसे ही मित्तल परिवार के माता-पिता एक कमरे से दूसरे कमरे में भटकते गए, हर कोने से एक नई आत्मा सामने आती गई। हवेली की दीवारों से खून टपकने लगा, चीखें और जोर से गूंजने लगीं, और फर्श पर बड़े-बड़े लाल निशान उभरने लगे। आत्माएँ अब उन्हें अपने घेरे में ले चुकी थीं।

हवेली के हॉल में मित्तल परिवार के माता-पिता के चारों ओर आत्माएँ इकट्ठा हो गईं। उन्होंने अपने पूर्वजों के किए हुए हर पाप का एक-एक हिसाब लिया। हर आत्मा के चेहरे पर दर्द और प्रतिशोध का भाव था। वे चीख-चीख कर कह रही थीं कि अब कोई नहीं बचेगा।

वह आखिरी दृश्य ऐसा था कि मित्तल परिवार के माता-पिता की चीखें हवेली की हर दीवार में गूंजने लगीं। उनकी रूहें भी अब हवेली में कैद हो गईं।

अब यह हवेली पूरी तरह से श्रापित हो चुकी थी, और मित्तल परिवार की आत्माएँ भी उन आत्माओं में शामिल हो गईं जिन्हें उनके पूर्वजों ने कैद किया था।

Sabse pehle to ek shandar kahani shuru karne ke liye Hardik Shubhkamnaye Carry0 Bhai,

Kaafi dino baad koi Horror story padhne ko mili............

Bahut hi jandar tarike se kahani likh rahe ho Bhai

Keep rocking Bro
 
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बहुत ही अद्भुत लिख रहे हो आप ! शापित हवेली तो सच में बहुत ही खतरनाक होती जा रही है !

देखते कैरी की कोशिशें क्या रंग लाती हैं !!
धन्यवाद भाई आपका
 
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Carry0

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Sabse pehle to ek shandar kahani shuru karne ke liye Hardik Shubhkamnaye Carry0 Bhai,

Kaafi dino baad koi Horror story padhne ko mili............

Bahut hi jandar tarike se kahani likh rahe ho Bhai

Keep rocking Bro
Dhanyawad Bhai,
Itna bada writer to nhi hun main, par aapne Taareef ki hai to lagta hai kuch achaa likha diya hai mene😁
 
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Reactions: Ajju Landwalia
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