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Carry0

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भाग 9: अमित, रोहन, नीलम और सिम्मी के परिवार की रात

गांव के उस डरावने सराय में जहां वे सब रुकने के लिए मजबूर हुए थे, रात का सन्नाटा गहरा चुका था। सराय के आसपास केवल झींगुरों की आवाज और हल्की-हल्की हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। अमित, रोहन, नीलम और सिम्मी के माता-पिता दिन भर की थकावट के बाद अपने-अपने कमरे में सो चुके थे। सराय के पुराने कमरे, टूटे खिड़कियों और दीवारों पर लगे पुराने चित्रों के साथ, एक अजीब सी दहशत पैदा कर रहे थे।

नीलम की मां, सुजाता देवी, आधी रात को अचानक उठ गईं। उन्हें लगा कि कोई उनके सिरहाने खड़ा है। जैसे ही उन्होंने आंखें खोलीं, उन्हें कुछ नहीं दिखा, बस एक ठंडी हवा का झोंका उनके चेहरे पर महसूस हुआ। उन्होंने सोचा शायद यह उनका वहम था और फिर से सोने की कोशिश की।

लेकिन तभी, एक कमरे से हल्की सी रोने की आवाज सुनाई दी। वह आवाज मानो किसी छोटे बच्चे की थी जो दर्द में चीख रहा हो। सुजाता देवी ने चौंक कर अपने पति को जगाया। "सुनो, ये आवाज़ सुन रहे हो?" उन्होंने धीमे स्वर में पूछा। उनके पति ने करवट बदलते हुए कहा, "यह सब तुम्हारा वहम है। गांव है, यहां तो इस तरह की आवाजें सामान्य हैं।"

अमित के माता-पिता भी गहरी नींद में थे। लेकिन तभी अचानक उनके कमरे में दरवाजा धीमे-धीमे खुलने लगा। ऐसा लगा जैसे कोई उसे धीरे-धीरे अंदर से धक्का दे रहा हो। अमित की मां, मधु, ने आंखें खोलीं और देखा कि दरवाजा खुला हुआ था। "यह दरवाजा हमने बंद किया था, है न?" उन्होंने घबराते हुए अपने पति से पूछा।

उनके पति, अरुण, ने उठकर दरवाजा बंद किया और बोले, "हवा से खुल गया होगा। चिंता मत करो।" लेकिन जैसे ही उन्होंने दरवाजे को पकड़ा, किसी ने जोर से उसे खींच लिया। दरवाजा उनके हाथ से छूट गया और फिर से खुल गया। अरुण ने डरते हुए पीछे देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था।

रोहन की मां, कमला देवी, को एक अजीब सपना आया। उन्होंने देखा कि वे एक पुराने महल के बीच में खड़ी हैं और उनके चारों ओर खून से सने चेहरों वाले लोग उन्हें घूर रहे हैं। उनकी आंखें लाल थीं, और वे धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ रहे थे। वह चिल्लाईं, "मुझे छोड़ दो! मैं कुछ नहीं जानती!"

अचानक उनकी आंख खुल गई, और उन्होंने देखा कि कमरे के कोने में सचमुच एक परछाई खड़ी थी। "ये सपना नहीं हो सकता," उन्होंने खुद से कहा। जैसे ही उन्होंने हिम्मत करके उस परछाई की ओर देखा, वह गायब हो गई।


सिम्मी के माता-पिता को अचानक दरवाजे पर किसी के खटखटाने की आवाज सुनाई दी। उनके पिता ने दरवाजा खोला, लेकिन बाहर कोई नहीं था। जैसे ही वे दरवाजा बंद करने लगे, उन्हें ऐसा लगा जैसे किसी ने उनके कंधे पर हाथ रखा हो। उन्होंने पलट कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था।

"यह जगह ठीक नहीं लग रही," सिम्मी के पिता ने कहा।


डर और बेचैनी के कारण सभी परिवार के सदस्य धीरे-धीरे अपने-अपने कमरों से बाहर आ गए। सभी के चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी। अमित की मां ने कहा, "कुछ तो गड़बड़ है। यह आवाजें, यह परछाइयां, यह सब हमारा वहम नहीं हो सकता।"

रोहन के पिता ने सुझाव दिया, "हमें यहां से तुरंत निकल जाना चाहिए। इस सराय में कोई नकारात्मक ऊर्जा है।"

लेकिन तभी, चारों ओर से तेज़ चीखने की आवाजें आने लगीं। ऐसा लगा जैसे दर्जनों लोग दर्द और गुस्से में एक साथ चिल्ला रहे हों। उनकी चीखें सीधा दिल को चीरती हुई महसूस हो रही थीं। हर किसी का चेहरा सफेद पड़ गया।

सभी लोग मुख्य हॉल में एकत्रित हो गए। तभी खिड़की पर अचानक एक अजीब चेहरा दिखाई दिया—पीला, डरावना और जली हुई त्वचा वाला। उसकी आंखें चमक रही थीं। सिम्मी की मां जोर से चीख पड़ीं। रोहन के पिता ने पास पड़ी एक लाठी उठाई और खिड़की की ओर बढ़े। लेकिन जैसे ही उन्होंने खिड़की खोली, चेहरा गायब हो गया।

उसी समय, सराय का मालिक वहां आया और बोला, "मैंने आप लोगों को पहले ही चेतावनी दी थी। यह गांव और यह जगह आपके रहने के लिए सही नहीं है। यह आत्माओं का इलाका है। आप लोग यहां से जितनी जल्दी हो सके निकल जाएं।"

अमित के पिता ने पूछा, "लेकिन यह सब हो क्यों रहा है? हमें इन आत्माओं से क्या खतरा है?"

सराय का मालिक गंभीर स्वर में बोला, "यह सब काल वन और हवेली से जुड़ा हुआ है। आप लोगों के बच्चों ने उस जगह पर कदम रखा है, और अब वे आत्माएं उनके साथ आप पर भी गुस्सा निकाल रही हैं।"
 
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Carry0

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रात के अंधेरे ने जैसे डर का घेरा और भी मजबूत कर दिया था। सभी परिवार एक ही कमरे में थे, लेकिन नींद किसी की आंखों से कोसों दूर थी। सभी चुपचाप बैठे थे, अपने भीतर की दहशत से लड़ने की कोशिश कर रहे थे।

तभी, कमरे की दीवारों पर परछाइयां उभरने लगीं। पहले एक, फिर दो, और फिर अनगिनत। ये परछाइयां मानो कमरे के चारों ओर नाच रही थीं। कोई बोलता, "बचाओ!" तो कोई चिल्लाता, "हमें माफ कर दो!"

रोहन की मां घबराते हुए बोलीं, "ये आवाजें और ये परछाइयां... ये असली हैं! हमें यहां से तुरंत भागना होगा!"

लेकिन भागने का सवाल ही नहीं था। दरवाजा खुद से बंद हो चुका था और कुंडी इतनी जोर से हिल रही थी जैसे कोई उसे खोलने की कोशिश कर रहा हो।

तभी कमरे में एक तेज़ किलकारी गूंजी। यह एक छोटे बच्चे की हंसी थी। लेकिन उस हंसी में मासूमियत की बजाय एक क्रूरता छुपी हुई थी। नीलम के पिता ने कहा, "यह आवाज कहां से आ रही है?"

कमरे के कोने में रखी एक पुरानी लकड़ी की अलमारी अचानक जोर-जोर से हिलने लगी। सबका ध्यान अलमारी की ओर था। अमित के पिता ने डरते-डरते अलमारी का दरवाजा खोला।

अंदर कोई नहीं था, लेकिन वहां रखे पुराने कपड़े खून से सने हुए थे। उनके बीच एक पुरानी ताबीज पड़ी हुई थी, जिस पर अजीबोगरीब अक्षरों में कुछ लिखा था। नीलम की मां ने ताबीज उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उनके हाथ ने ताबीज को छुआ, वे जोर से चीख पड़ीं। उनका हाथ लाल हो चुका था, जैसे किसी ने उसे जला दिया हो।

चारों ओर से वही किलकारी और दर्द भरी आवाजें गूंजने लगीं। दीवारें थरथराने लगीं और अचानक छत से एक छाया प्रकट हुई। यह छाया एक बूढ़े आदमी की थी, जिसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरा झुलसा हुआ था।

उसने जोर से चिल्लाकर कहा, "तुम लोग यहां से जाओ! यह तुम्हारी जगह नहीं है! लेकिन जाने से पहले उन बच्चों को बचाओ, वरना......"

सभी लोग सहम गए। यह सुनकर उनकी चिंता और भी बढ़ गई।

अभी वे इस डरावने दृश्य से उबर भी नहीं पाए थे कि अचानक दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी। दस्तक इतनी तेज़ थी कि ऐसा लगा जैसे दरवाजा टूट जाएगा। सभी चुपचाप सहमे खड़े रहे।

अमित के पिता ने हिम्मत करके दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा खुद से खुल गया। बाहर कोई नहीं था।

दीवारों से निकलते खौफनाक चेहरे
अचानक दीवारों से चेहरे निकलने लगे। ये चेहरे किसी इंसान के नहीं थे। उनकी आंखें काली, मुंह से खून टपकता हुआ और उनकी खामोशी, चीखों से ज्यादा खौफनाक थी। सभी दीवारों की ओर पीठ करके खड़े हो गए।

रोहन की मां कांपती आवाज में बोलीं, "हमें माफ कर दो! हमने कुछ गलत नहीं किया!"

लेकिन तभी अचानक..…......
 

Ajju Landwalia

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रात के अंधेरे ने जैसे डर का घेरा और भी मजबूत कर दिया था। सभी परिवार एक ही कमरे में थे, लेकिन नींद किसी की आंखों से कोसों दूर थी। सभी चुपचाप बैठे थे, अपने भीतर की दहशत से लड़ने की कोशिश कर रहे थे।

तभी, कमरे की दीवारों पर परछाइयां उभरने लगीं। पहले एक, फिर दो, और फिर अनगिनत। ये परछाइयां मानो कमरे के चारों ओर नाच रही थीं। कोई बोलता, "बचाओ!" तो कोई चिल्लाता, "हमें माफ कर दो!"

रोहन की मां घबराते हुए बोलीं, "ये आवाजें और ये परछाइयां... ये असली हैं! हमें यहां से तुरंत भागना होगा!"

लेकिन भागने का सवाल ही नहीं था। दरवाजा खुद से बंद हो चुका था और कुंडी इतनी जोर से हिल रही थी जैसे कोई उसे खोलने की कोशिश कर रहा हो।

तभी कमरे में एक तेज़ किलकारी गूंजी। यह एक छोटे बच्चे की हंसी थी। लेकिन उस हंसी में मासूमियत की बजाय एक क्रूरता छुपी हुई थी। नीलम के पिता ने कहा, "यह आवाज कहां से आ रही है?"

कमरे के कोने में रखी एक पुरानी लकड़ी की अलमारी अचानक जोर-जोर से हिलने लगी। सबका ध्यान अलमारी की ओर था। अमित के पिता ने डरते-डरते अलमारी का दरवाजा खोला।

अंदर कोई नहीं था, लेकिन वहां रखे पुराने कपड़े खून से सने हुए थे। उनके बीच एक पुरानी ताबीज पड़ी हुई थी, जिस पर अजीबोगरीब अक्षरों में कुछ लिखा था। नीलम की मां ने ताबीज उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उनके हाथ ने ताबीज को छुआ, वे जोर से चीख पड़ीं। उनका हाथ लाल हो चुका था, जैसे किसी ने उसे जला दिया हो।

चारों ओर से वही किलकारी और दर्द भरी आवाजें गूंजने लगीं। दीवारें थरथराने लगीं और अचानक छत से एक छाया प्रकट हुई। यह छाया एक बूढ़े आदमी की थी, जिसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरा झुलसा हुआ था।

उसने जोर से चिल्लाकर कहा, "तुम लोग यहां से जाओ! यह तुम्हारी जगह नहीं है! लेकिन जाने से पहले उन बच्चों को बचाओ, वरना......"

सभी लोग सहम गए। यह सुनकर उनकी चिंता और भी बढ़ गई।

अभी वे इस डरावने दृश्य से उबर भी नहीं पाए थे कि अचानक दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी। दस्तक इतनी तेज़ थी कि ऐसा लगा जैसे दरवाजा टूट जाएगा। सभी चुपचाप सहमे खड़े रहे।

अमित के पिता ने हिम्मत करके दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा खुद से खुल गया। बाहर कोई नहीं था।

दीवारों से निकलते खौफनाक चेहरे
अचानक दीवारों से चेहरे निकलने लगे। ये चेहरे किसी इंसान के नहीं थे। उनकी आंखें काली, मुंह से खून टपकता हुआ और उनकी खामोशी, चीखों से ज्यादा खौफनाक थी। सभी दीवारों की ओर पीठ करके खड़े हो गए।

रोहन की मां कांपती आवाज में बोलीं, "हमें माफ कर दो! हमने कुछ गलत नहीं किया!"

लेकिन तभी अचानक..…......

Superb updates Carry0 Bhai,

Bahut shandar tarike se likh rahe ho

Keep rocking Bro
 
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sunoanuj

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एक दम अद्भुत लिख रहे हो मित्र । ऐसा लग रहा जैसे सब कुछ सामने चल रहा है ! एक दम रामसे ब्रदर की फ़िल्मों के जैसा !
मज़ा आ गया आपके लेखन की तारीफ़ जितनी भी हो कम है !

💐💐💐💐
 

Carry0

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Superb updates Carry0 Bhai,

Bahut shandar tarike se likh rahe ho

Keep rocking Bro
Thank you Dear ❤️
 
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Carry0

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एक दम अद्भुत लिख रहे हो मित्र । ऐसा लग रहा जैसे सब कुछ सामने चल रहा है ! एक दम रामसे ब्रदर की फ़िल्मों के जैसा !
मज़ा आ गया आपके लेखन की तारीफ़ जितनी भी हो कम है !

💐💐💐💐
धन्यवाद भाई, मुझे नहीं पता है कि में इतना अच्छा लिख लेता हूं, पर आपने कहा है तो सही ही होगा।
 
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Carry0

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भाग 10 : बच्चों का दिखना और गांव वालों की तैयारी

जैसे ही दीवारों से खौफनाक चेहरे गायब हुए, अचानक कमरे के बीच में धुंध छा गई। उस धुंध के बीच से रोहन का चेहरा धीरे-धीरे प्रकट हुआ। वह घुटनों के बल बैठा हुआ था, उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी, और वह बुरी तरह कांप रहा था।

उसकी मां ने कंपकंपाती आवाज में कहा, "रोहन... बेटा! तुम ठीक हो? ये... ये कैसे हुआ?"

रोहन ने आंसुओं के बीच चीखते हुए कहा, "मां! मुझे बचा लो! ये लोग मुझे ले जाएंगे... मुझे यहां से ले जाओ!"

रोहन की मां दौड़कर उसकी ओर बढ़ीं, लेकिन जैसे ही उन्होंने उसे छूने की कोशिश की, उनका हाथ उसके शरीर के आर-पार निकल गया।

नीलम की मां डरते हुए बोलीं, "बेटा, ये सब क्या हो रहा है? तुझे किसने पकड़ा है? हमें कुछ बता!"

रोहन ने थरथराते हुए जवाब दिया, "मां, ये हवेली... यहां के भूत... वे हमें खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने अमित, सिम्मी और नीलम को .... और अब मैं... मैं भी उनकी पकड़ में हूं। मां, प्लीज मुझे बचा लो!"

तभी कमरे की रोशनी पूरी तरह गायब हो गई। हर तरफ अंधेरा छा गया। रोहन की चीखें तेज़ होने लगीं। वह अपने सिर को दोनों हाथों से पकड़कर दर्द से चिल्लाया, "मुझे छोड़ दो! मुझे मत मारो! मां... बचाओ!"

उसकी मां जमीन पर गिर पड़ीं, उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उन्होंने चीखते हुए कहा, "रोहन, मैं तुझे बचाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं! बता, मैं क्या करूं?"

अचानक से चुप्पी और एक खौफनाक आवाज
रोहन की चीखें अचानक बंद हो गईं। एक गहरी, भयावह आवाज गूंजी, "उसे बचाने का समय खत्म हो चुका है। अब यह हमारा है। यह हवेली की सजा है, जिन्होंने भी यहां कदम रखा वो........ जोर जोर से हँसने आवाज़ आने लगी"

उसके बाद, रोहन का चेहरा धीरे-धीरे धुंध में गायब हो गया। उसकी मां ने हाथ बढ़ाकर उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह खाली हवा में झूल गया।

सभी लोग डर और सदमे में जमे हुए थे। नीलम की मां ने रोते हुए कहा, "हमें यहां से तुरंत भागना होगा। यह जगह हमें भी खत्म कर देगी।"

लेकिन दरवाजा अब भी बंद था। अमित के पिता ने कुंडी को जोर से खींचा, लेकिन यह टस से मस नहीं हुई।

तभी, खिड़की के शीशे पर अमित का चेहरा नजर आया। वह शीशे के पार खड़ा हुआ था और उसके चेहरे पर खून के धब्बे थे। उसने हल्की आवाज में कहा, "मुझे बचाओ... मुझे यहां से निकालो!"

शीशे के पास जाते ही उसका चेहरा गायब हो गया। कमरे में सभी लोग दहशत में चुप हो गए। यह रात और भी लंबी लगने वाली थी।

रोहन की मां ने जोर से कहा, "हमें इन बच्चों को बचाना ही होगा। चाहे जो भी हो, हम उन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते।"

नीलम के पिता ने सहमति में सिर हिलाया और बोले, "हम लड़ेंगे। चाहे जो हो जाए।"

जैसे ही रात गहराई, सराय के अंदर मौजूद हर कोई डर और घबराहट से कांप रहा था। रोहन, अमित, सिम्मी और नीलम के माता-पिता एक-दूसरे को ढांढ़स बंधाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन डर उनके चेहरों से साफ झलक रहा था। चारों ओर खौफनाक सन्नाटा पसरा था, जिसे बीच-बीच में दीवारों से आती कराहती आवाजें तोड़ देती थीं।

सराय का मालिक, जो खुद भी कांप रहा था, धीरे-धीरे अपने कदमों से बाहर की ओर बढ़ा। उसने पलटकर उन लोगों से कहा, "तुम लोग यहीं रहो। मैं गांव से मदद लेकर आता हूं। ये हवेली और यह श्राप हमारे गांव की सबसे बड़ी मुसीबत है। शायद गांववाले कुछ कर सकें।"

यह कहते हुए वह अपनी लालटेन उठाकर घने अंधेरे में गायब हो गया।

सराय का मालिक गांव पहुंचा और बुजुर्गों को सबकुछ बताया। जैसे ही गांववालों ने , हवेली और अजीब घटनाओं के बारे में सुना, हर कोई चौकन्ना हो गया। गांव के मुखिया ने सबको इकट्ठा किया और कहा, "यह वही रात है, जिसका हमें अंदेशा था। ये श्राप आज फिर जाग चुका है। हमें उन बेगुनाहों की मदद करनी होगी।"

गांववालों ने तुरंत अपने पुराने हथियार और मशालें निकालीं। कुछ ने ताबीज और मंत्रों की पोटलियां उठाईं, जो उन्हें पीढ़ियों से इस श्रापित हवेली के खिलाफ बचाने के लिए दी गई थीं।

घंटेभर बाद, गांववालों का एक जत्था मशालें लिए सराय की ओर बढ़ रहा था। उनके चेहरे पर डर था, लेकिन साथ ही उन बेगुनाहों को बचाने का संकल्प भी। रास्ते में बुजुर्गों ने उन्हें बार-बार चेतावनी दी, "हवेली के श्राप को हराना आसान नहीं। हमें एकजुट रहना होगा और अपने डर पर काबू पाना होगा।"

जैसे ही वे सराय पहुंचे, अंदर मौजूद लोगों की जान में जान आई। सराय के मालिक ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलते ही मशालों की रोशनी से पूरा कमरा जगमगाने लगा।

नीलम की मां ने घबराकर कहा, "कौन हैं ये लोग?"

सराय के मालिक ने शांतिपूर्ण स्वर में कहा, "डरो मत। ये हमारे गांव के लोग हैं। ये तुम्हारी मदद करने आए हैं।"

गांव के मुखिया ने कदम आगे बढ़ाते हुए कहा, "इस श्राप से लड़ने के लिए हमें तुम्हारा साथ चाहिए। लेकिन ध्यान रखना, हवेली में प्रवेश करना खतरे से खाली नहीं।"

गांववालों ने रात को वहीं रुकने का फैसला किया। उन्होंने मशालें पूरे सराय में लगा दीं, ताकि कोई अंधेरा न रहे। कुछ गांववाले सराय के बाहर पहरा देने लगे।

मुखिया ने परिवारों से कहा, "यह जगह हवेली के करीब है। यह श्राप यहां तक भी फैल सकता है। रातभर जागते रहना और अगर कोई अजीब हरकत दिखे, तो हमें तुरंत बताना।"

रोहन की मां ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "क्या हमारा रोहन और बाकी बच्चे बच सकते हैं?"

मुखिया ने गंभीरता से कहा, "यह सब उस श्रापित हवेली में छुपे रहस्य पर निर्भर करता है। हमें पहले वहां जाना होगा। लेकिन सावधान रहना, हवेली में कदम रखना आसान नहीं।"

जैसे ही रात बढ़ी, सराय में अजीबोगरीब घटनाएं शुरू हो गईं। दीवारों से फिर कराहने की आवाजें आने लगीं। फर्श पर चलते हुए पदचाप सुनाई देने लगीं। रोहन की मां डर के
से कांपते हुए बोलीं, "वो फिर से आ रहे हैं!"

गांव के मुखिया ने तुरंत मंत्रों वाली पोटली निकाली और उसे हवा में घुमाते हुए जोर से मंत्र पढ़ा। इससे आवाजें कुछ देर के लिए थम गईं, लेकिन डर का माहौल और भी गहरा हो गया।

बाहर पहरा दे रहे एक गांववाले ने अचानक चीखते हुए कहा, "वो... वो देखो!"

सबने खिड़की से बाहर झांककर देखा। हवेली की ओर से आती तेज रोशनी अंधेरे जंगल में फैल रही थी। रोशनी के बीच धुंधले साये नजर आ रहे थे, जो हवेली के चारों ओर मंडरा रहे थे।

मुखिया ने कहा, "यह हवेली का बुलावा है। अब समय आ गया है। हमें वहां जाना होगा।"

मुखिया ने कहा, "कल सुबह होते ही हम हवेली में प्रवेश करेंगे। तब तक, हमें यहां सेफ रहना होगा। सब शांत रहो और प्रार्थना करो।"

रोहन की मां ने कांपते हुए कहा, "अगर वो रात में फिर आ गए तो?"

मुखिया ने गंभीरता से जवाब दिया, "तब हमें अपनी जान बचाने के लिए लड़ना होगा। लेकिन याद रखना, डर ही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है।"

यह रात अब और भी लंबी और खौफनाक लगने वाली थी। सराय के लोग और गांववाले मशालों की रोशनी के बीच एक अनिश्चित सुबह का इंतजार कर रहे थे।
 

Carry0

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अपडेट 11
सुरंग, और बच्ची की आत्मा

कैरी, लोमल, और रिया तीनों हवेली के खंडहरों में कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ रहे थे। हर कदम के साथ डर और सन्नाटा घना होता जा रहा था। हवेली की दीवारों से टपकता पानी, छतों से झूलते मकड़ी के जाले और चारों ओर फैला धुंधलापन माहौल को और भयानक बना रहा था।

जैसे ही कैरी ने एक और कदम बढ़ाया, उसके पैरों के नीचे की जमीन अचानक से चरमराई और वह चीखते हुए नीचे गिरने लगा।
"रिया! लोमल! मुझे बचाओ!"
रिया और लोमल ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन कैरी तेजी से गहरे अंधेरे में गिर गया।

कैरी सीधे जमीन पर गिरने वाला था, जहां लोहे की नुकीली सरियों का जाल बिछा था। तभी अचानक, एक ठंडी हवा का झोंका उसके चारों ओर लहराया और उसे गिरने से पहले ही रोक लिया।

उसने अपनी आंखें खोलीं तो देखा कि एक छोटी बच्ची की आत्मा उसे हवा में थामे हुए थी। बच्ची के बाल उलझे हुए थे, चेहरे पर उदासी और दर्द साफ झलक रहा था। उसने धीमी और कातर आवाज में कहा,
"आपको मैने बचा लिया है अंकल"
कैरी, जो अब तक सदमे में था, कांपती आवाज में बोला,
"तुम... कौन हो?"
बच्ची ने अपनी बड़ी-बड़ी डरावनी आंखों से उसे देखा और बोली,
"मेरा नाम गुड़िया है।



गुड़िया की कहानी
गांव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसकी पत्नी रुबिया अपनी सुंदरता और सरलता के लिए पूरे गांव में जानी जाती थी। रामू, मित्तल हवेली के ठाकुर के यहां काम करता था। एक दिन, ठाकुर ने रामू को काम के सिलसिले में देर तक रोका। जब रामू रातभर घर नहीं लौटा, तो रुबिया उसे ढूंढ़ने हवेली पहुंची।

जैसे ही रुबिया ने हवेली का दरवाजा खटखटाया, ठाकुर की नजर उस पर पड़ी। उसकी सुंदरता देखकर ठाकुर का मन ललचा गया। वह रुबिया को पाने के लिए बहाने खोजने लगा। अगले दिन उसने रामू को बुलाकर कहा,
"इंद्रा को घर के काम के लिए एक नौकरानी की जरूरत है। अपनी पत्नी को साथ लाओ। तुम्हें ज्यादा पैसे दूंगा।"

गरीब रामू लालच में आ गया। उसने रुबिया से कहा, और अगले दिन से रुबिया ठाकुर के हवेली में काम करने लगी।


रुबिया ने हवेली में काम करना शुरू किया। ठाकुर ने उसे बहलाने और अपने जाल में फंसाने की हर कोशिश की। लेकिन रुबिया हमेशा उसकी हरकतों से बचने की कोशिश करती।

कुछ महीनों बाद, रुबिया गर्भवती हो गई। यह बच्चा रामू का था, लेकिन हवेली के लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। जब गुड़िया का जन्म हुआ, तो रुबिया ने उसे अपने साथ ही रखने का फैसला किया। ठाकुर ने उस बच्ची को देखकर रुबिया से कहा,
"यह बच्ची मेरे हवेली में नहीं रह सकती। इसे गांव भेज दो।"
लेकिन रुबिया ने साफ मना कर दिया।

ठाकुर को यह अपमान सहन नहीं हुआ। उसने रुबिया और रामू को अपने कब्जे में ले लिया।

ठाकुर ने रामू और रुबिया को हवेली के तहखाने में कैद कर दिया, और बच्ची को अपने पास रख लिया। बहुत साल गुजर गए, ठाकुर रोज रुबिया रामू को पीटता था, गुड़िया, जो अभी छोटी थी, अपनी मां को बचाने की कोशिश करती, लेकिन उसे भी प्रताड़ित किया जाने लगा।


एक दिन ठाकुर अपनी एक नौकरानी को निर्वस्त्र करके बुरी तरह से पीट रहा था, नौकरानी का कसूर सिर्फ इतना था कि उससे ठाकुर के दोस्त के साथ सोने के लिए मना कर दिया था।
ठाकुर उस नौकरानी को बहुत यातनाएं दे रहा था कि गुड़िया ने देख लिया और जोर से बोली जोड़ दो उसे, ठाकुर को गुस्सा आया, उसने गुड़िया को थपड़ मार मार के अधमरा कर दिया, फिर उसे उस तहखाने में गिरा दिया जहां लोहे के सरिये बिछे हुए थे। छोटी गुड़िया का नन्हा शरीर हवेली लोहे के सरियों पर गिरा और उसकी जान चली गई।


गुड़िया ने कैरी को अपनी कहानी बताते हुए कहा,
"यह हवेली मेरे खून से रंगी हुई है। ठाकुर और इंद्रा की आत्माओं ने इसे श्रापित कर दिया है। अब यह तुम्हारा काम है कि इसे खत्म करो।"


कैरी, गुड़िया की कहानी सुनकर, गुस्से और दुख से भर गया। उसने कहा,
"मैं तुम्हारी मदद करूंगा। यह हवेली अब और किसी की जान नहीं लेगी।"

गुड़िया ने कैरी को सुरंग का रास्ता दिखाया, जो सीधे तहखाने तक जाता था। उसने कहा,
"यहां से जाओ। तुम्हारे दोस्तों के परिवार खतरे में हैं। जल्दी करो।"

कैरी ने हिम्मत जुटाई और सुरंग के भीतर आगे बढ़ा।
 

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कैरी का सराय में पहुंचना

कैरी, सुरंग में गुड़िया की आत्मा का मार्गदर्शन लेकर, अंधेरे और सन्नाटे के बीच चलता रहा। सुरंग की दीवारों पर गहरे घावों जैसे निशान और अजीब खरोंचें थीं। सुरंग से आती गीली मिट्टी की महक और हर कुछ कदम पर गिरती पानी की बूंदें माहौल को और भयानक बना रही थीं।

सुरंग उसे सीधा सराय के नीचे के एक गुप्त कमरे तक ले गई। वहां कैरी को अजीब-अजीब आकृतियां और खून से लथपथ दीवारें दिखीं। यह जगह एक समय में शायद किसी अनैतिक अनुष्ठान का अड्डा रही होगी।

गुप्त कमरे में पहुंचने के बाद कैरी ने देखा कि वहां से सराय की मुख्य इमारत तक जाने का एक संकरा रास्ता था। उसने सावधानी से कदम बढ़ाया और सराय के अंदर दाखिल हुआ।

वह सराय के उस हिस्से में पहुंचा, जहां सभी लोग एक कमरे में सो रहे थे। लेकिन वहां का माहौल पूरी तरह बदल चुका था। चारों ओर हल्की-हल्की चीखें सुनाई दे रही थीं, जो किसी के दिल को दहला सकती थीं।

कैरी ने देखा कि सराय के मुख्य कक्ष में रोहन की मां फर्श पर घुटनों के बल बैठी हुई थीं और बड़बड़ा रही थीं,
"हमें छोड़ दो। हमने कुछ नहीं किया!"

कमरे के अंदर सब डरे हुए थे और एक दूसरे को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे थे।

कैरी ने कमरे में प्रवेश किया और तेज आवाज में कहा,
"सब शांत हो जाइए! मैं जानता हूं कि यहां क्या हो रहा है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।"

कैरी को देखकर सभी के चेहरों पर राहत का भाव आया। लोमल और रिया भी पीछे से कमरे में दाखिल हो गए। लोमल ने तुरंत रोहन की मां को सहारा दिया और उन्हें उठाया।

रिया ने सराय के मालिक से कहा,
"बाकी गांव वाले कहां हैं? क्या वे मदद करेंगे?"

सराय का मालिक बोला,
"वे रास्ते में हैं। लेकिन मुझे डर है कि तब तक यह आत्माएं हमें नुकसान पहुंचा सकती हैं।"

जैसे ही रात और गहराई, सराय में अजीब घटनाएं शुरू हो गईं। दीवारों पर खून से भरी दरारें उभरने लगीं, और हवा में भयानक चीखें गूंजने लगीं। अचानक, कमरे के बीचों-बीच एक भूतिया आकृति प्रकट हुई। यह वही छोटी बच्ची की आत्मा थी जिसने कैरी को बचाया था।

गुड़िया ने धीमी, दर्दभरी आवाज में कहा,
"तुम सबको यहां से भागना होगा। ठाकुर और इंद्रा की आत्माएं तुम्हारे पीछे हैं। तुम्हें उनकी सच्चाई जाननी होगी।"

कैरी ने पूछा,
"सच्चाई क्या है? जल्दी बताओ!"

गुड़िया ने इशारा किया कि वे सब सराय के तहखाने में चलें। वहां उसने उन अनुष्ठानों और अत्याचारों की कहानी सुनाई, जो ठाकुर और इंद्रा ने गांव वालों और उनके पूर्वजों पर किए थे।

तभी सराय के दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक हुई। सराय का मालिक दौड़कर दरवाजा खोलने गया। बचे हुए गांव वाले मशालें लेकर अंदर आए और बोले,
"हम तैयार हैं। हमें बताओ कि क्या करना है।"

रिया ने तुरंत सबको संगठित किया। उसने कहा,
"यहां की आत्माओं को शांति दिलाने के लिए हमें इनका श्राप तोड़ना होगा।

गांव वालों ने सराय में एक घेरा बनाया, और रिया ने अपने पास मौजूद ताबीजों को सबके बीच बांटा।

कैरी ने कहा,
"अब वक्त आ गया है कि हम इस हवेली और सराय के श्राप को हमेशा के लिए खत्म कर दें।"

गुड़िया ने सभी को तहखाने के पास इकट्ठा होने का इशारा किया। हवेली और सराय के अंधेरे रहस्यों को उजागर करने के लिए सब एकजुट हो गए।

लेकिन क्या वे ठाकुर और इंद्रा की आत्माओं को मात दे पाएंगे?
 

Ajju Landwalia

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अपडेट 11
सुरंग, और बच्ची की आत्मा

कैरी, लोमल, और रिया तीनों हवेली के खंडहरों में कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ रहे थे। हर कदम के साथ डर और सन्नाटा घना होता जा रहा था। हवेली की दीवारों से टपकता पानी, छतों से झूलते मकड़ी के जाले और चारों ओर फैला धुंधलापन माहौल को और भयानक बना रहा था।

जैसे ही कैरी ने एक और कदम बढ़ाया, उसके पैरों के नीचे की जमीन अचानक से चरमराई और वह चीखते हुए नीचे गिरने लगा।
"रिया! लोमल! मुझे बचाओ!"
रिया और लोमल ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन कैरी तेजी से गहरे अंधेरे में गिर गया।

कैरी सीधे जमीन पर गिरने वाला था, जहां लोहे की नुकीली सरियों का जाल बिछा था। तभी अचानक, एक ठंडी हवा का झोंका उसके चारों ओर लहराया और उसे गिरने से पहले ही रोक लिया।

उसने अपनी आंखें खोलीं तो देखा कि एक छोटी बच्ची की आत्मा उसे हवा में थामे हुए थी। बच्ची के बाल उलझे हुए थे, चेहरे पर उदासी और दर्द साफ झलक रहा था। उसने धीमी और कातर आवाज में कहा,
"आपको मैने बचा लिया है अंकल"
कैरी, जो अब तक सदमे में था, कांपती आवाज में बोला,
"तुम... कौन हो?"
बच्ची ने अपनी बड़ी-बड़ी डरावनी आंखों से उसे देखा और बोली,
"मेरा नाम गुड़िया है।


गुड़िया की कहानी
गांव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसकी पत्नी रुबिया अपनी सुंदरता और सरलता के लिए पूरे गांव में जानी जाती थी। रामू, मित्तल हवेली के ठाकुर के यहां काम करता था। एक दिन, ठाकुर ने रामू को काम के सिलसिले में देर तक रोका। जब रामू रातभर घर नहीं लौटा, तो रुबिया उसे ढूंढ़ने हवेली पहुंची।

जैसे ही रुबिया ने हवेली का दरवाजा खटखटाया, ठाकुर की नजर उस पर पड़ी। उसकी सुंदरता देखकर ठाकुर का मन ललचा गया। वह रुबिया को पाने के लिए बहाने खोजने लगा। अगले दिन उसने रामू को बुलाकर कहा,
"इंद्रा को घर के काम के लिए एक नौकरानी की जरूरत है। अपनी पत्नी को साथ लाओ। तुम्हें ज्यादा पैसे दूंगा।"

गरीब रामू लालच में आ गया। उसने रुबिया से कहा, और अगले दिन से रुबिया ठाकुर के हवेली में काम करने लगी।


रुबिया ने हवेली में काम करना शुरू किया। ठाकुर ने उसे बहलाने और अपने जाल में फंसाने की हर कोशिश की। लेकिन रुबिया हमेशा उसकी हरकतों से बचने की कोशिश करती।

कुछ महीनों बाद, रुबिया गर्भवती हो गई। यह बच्चा रामू का था, लेकिन हवेली के लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। जब गुड़िया का जन्म हुआ, तो रुबिया ने उसे अपने साथ ही रखने का फैसला किया। ठाकुर ने उस बच्ची को देखकर रुबिया से कहा,
"यह बच्ची मेरे हवेली में नहीं रह सकती। इसे गांव भेज दो।"
लेकिन रुबिया ने साफ मना कर दिया।

ठाकुर को यह अपमान सहन नहीं हुआ। उसने रुबिया और रामू को अपने कब्जे में ले लिया।

ठाकुर ने रामू और रुबिया को हवेली के तहखाने में कैद कर दिया, और बच्ची को अपने पास रख लिया। बहुत साल गुजर गए, ठाकुर रोज रुबिया रामू को पीटता था, गुड़िया, जो अभी छोटी थी, अपनी मां को बचाने की कोशिश करती, लेकिन उसे भी प्रताड़ित किया जाने लगा।

एक दिन ठाकुर अपनी एक नौकरानी को निर्वस्त्र करके बुरी तरह से पीट रहा था, नौकरानी का कसूर सिर्फ इतना था कि उससे ठाकुर के दोस्त के साथ सोने के लिए मना कर दिया था।
ठाकुर उस नौकरानी को बहुत यातनाएं दे रहा था कि गुड़िया ने देख लिया और जोर से बोली जोड़ दो उसे, ठाकुर को गुस्सा आया, उसने गुड़िया को थपड़ मार मार के अधमरा कर दिया, फिर उसे उस तहखाने में गिरा दिया जहां लोहे के सरिये बिछे हुए थे। छोटी गुड़िया का नन्हा शरीर हवेली लोहे के सरियों पर गिरा और उसकी जान चली गई।

गुड़िया ने कैरी को अपनी कहानी बताते हुए कहा,
"यह हवेली मेरे खून से रंगी हुई है। ठाकुर और इंद्रा की आत्माओं ने इसे श्रापित कर दिया है। अब यह तुम्हारा काम है कि इसे खत्म करो।"


कैरी, गुड़िया की कहानी सुनकर, गुस्से और दुख से भर गया। उसने कहा,
"मैं तुम्हारी मदद करूंगा। यह हवेली अब और किसी की जान नहीं लेगी।"

गुड़िया ने कैरी को सुरंग का रास्ता दिखाया, जो सीधे तहखाने तक जाता था। उसने कहा,
"यहां से जाओ। तुम्हारे दोस्तों के परिवार खतरे में हैं। जल्दी करो।"

कैरी ने हिम्मत जुटाई और सुरंग के भीतर आगे बढ़ा।

Dono hi updates ek se badhkar ek he Carry0 Bro,

Ab dekhna he ki carry kaise gudiya ki madad se apne dosto ke parivar ko is shapit haveli se bachata he

Keep posting Bro
 
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