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Carry0

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Dono hi updates ek se badhkar ek he Carry0 Bro,

Charo teams ne bahut hi samajhdari aur himmat se kaam kiya.............

Jaisa ki ab charo teams kamyab ho chuki he..............

Ab shuru hoga final chapter...........thakur aur anya buri aatmao ka khatma.........

Keep rocking Bro
Ager Adult STORY Hoti to abhi Bahut log aa jate.
Sukriya Bhai, aap ek hi Jo mera hosla badha raha hai, main ye apke liye hi likh raha hu
Sukriya 🙏
 
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Carry0

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अपडेट 14

हवेली में जाना और तंत्र साधना वाले कमरे को खोलना

सभी टीमें सुरंगों के डरावने और खतरनाक सफर से गुजरने के बाद सराय में वापस आ गईं। हर कोई थका हुआ था, लेकिन उनकी आंखों में जीत की चमक साफ नजर आ रही थी। उनके हाथों में थीं चार शक्तिशाली वस्तुएं—धर्म का चक्र, अभय का दीपक, सत्य की शिला, और क्षमा की माला।

सराय में आते ही सराय का मालिक बोला,
"हवेली के अंदर तंत्र साधना का एक विशेष कमरा है। वह कमरा इस पूरी श्रापित हवेली का केंद्र है। उसी कमरे में इंद्रा और ठाकुर ने अपनी शक्तियों को अमर बनाने के लिए तांत्रिक प्रयोग किया था।"

अमित के पिता ने चिंतित होकर पूछा,
"अगर यह रूम इतना खास है, तो क्या हम वहां तक पहुंच पाएंगे?"

तभी लोमल बोली,
"हम यहां तक आ चुके हैं, तो हमें अब पीछे नहीं हटना है। हमारे पास ये चार वस्तुएं हैं, जो उस रूम का दरवाजा खोलने की कुंजी हैं।" में सही बोल रही हूं ना मुखिया जी
मुखिया ने कहा हां बेटी तुम सही कह रही हो।

सराय के मालिक ने समझाया,
मेरे पिता ने मुझे बताया था कि
"उस कमरे का दरवाजा खुला नहीं है। यह चारों वस्तुएं एक विशेष क्रम में दरवाजे पर रखनी होंगी, तभी कमरा खुलेगा। लेकिन यह आसान नहीं होगा। वह रूम अपने आप को बचाने के लिए हम पर हमला करेगा।"

सभी लोग हवेली के अंदर पहले ही जा चुके थे। दीवारों पर लगी धुंधली तस्वीरें, झूलते हुए झाड़-फानूस, और फर्श पर गिरा खून का निशान अब भी ताजा लग रहा था। हवेली के हर कोने से डरावनी आवाजें आ रही थीं।

सराय का मालिक एक बड़े, भारी दरवाजे के पास सबको लेकर आया। यह वही दरवाजा था, जो तंत्र साधना के कमरे का प्रवेश द्वार था।
दरवाजे पर जटिल नक्काशी थी, जिसमें चार प्रतीक उकेरे गए थे।


सराय के मालिक ने कहा,
"धर्म का चक्र, अभय का दीपक, सत्य की शिला और क्षमा की माला को सही क्रम में दरवाजे के प्रतीकों पर लगाना होगा। लेकिन हमें सावधान रहना होगा, क्योंकि जैसे ही हम शुरुआत करेंगे, हवेली की काली शक्तियां हम पर हमला कर सकती हैं।"

1. धर्म का चक्र – इसे दरवाजे के दाहिने ऊपरी कोने पर रखना होगा।


2. अभय का दीपक – इसे दरवाजे के बाईं ओर निचले कोने पर रखना होगा।


3. सत्य की शिला – इसे दरवाजे के केंद्र में रखना होगा।


4. क्षमा की माला – इसे दरवाजे के दाहिने निचले कोने पर चढ़ाना होगा।

जैसे ही धर्म का चक्र अपनी जगह पर रखा गया, हवेली की दीवारें हिलने लगीं। अचानक से काली परछाइयां दरवाजे से निकलकर सभी को घेरने लगीं। यह इंद्रा और ठाकुर की काली शक्तियां थीं।

तभी रिया ने ताबीज को हवा में उठाकर मंत्र पढ़ा। ताबीज से निकली रोशनी ने काली परछाइयों को थोड़ा पीछे हटाया, लेकिन वे पूरी तरह गायब नहीं हुईं।

अभय का दीपक रखने की बारी आई। जैसे ही दीपक अपनी जगह पर रखा गया, एक अजीब-सी चीख हवेली के अंदर गूंज उठी। इंद्रा की डरावनी हंसी सुनाई दी,
"तुम सब बर्बाद हो जाओगे।"

सत्य की शिला रखने के लिए जब अमित के माता-पिता आगे बढ़े, तो अचानक जमीन हिलने लगी। ऐसा लगा जैसे पूरी हवेली टूटने वाली हो। लोमल ने अपनी हिम्मत जुटाई और आगे बढ़कर क्षमा की माला को उठाया।

तभी ठाकुर की आत्मा प्रकट हुई। उसने लोमल को डराने की कोशिश की, लेकिन लोमल ने ताबीज को हवा में लहराया। ताबीज की रोशनी ने ठाकुर की आत्मा को कमजोर कर दिया।

जैसे ही चारों वस्तुएं अपनी-अपनी जगह पर पूरी हो गईं, दरवाजे पर तेज रोशनी फैल गई। दरवाजा धीरे-धीरे खुलने लगा। अंदर का दृश्य बेहद डरावना और रहस्यमय था। कमरे के बीचों-बीच एक तंत्र मंडल बना हुआ था, और उसके चारों ओर जली हुई हड्डियों और राख का ढेर था।

अब तंत्र साधना के कमरे में अंतिम लड़ाई का समय आ गया था। सभी के दिलों में डर और जोश का मिश्रण था।
 

Carry0

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सभी जैसे ही तंत्र साधना के कमरे में दाखिल हुए, दरवाजा अपने आप ज़ोरदार आवाज़ के साथ बंद हो गया। कमरे में मौजूद बुरी आत्माएं जाग चुकी थीं। उन आत्माओं का गुस्सा और शक्ति हर कोने में गूंज रही थी।

हवा में चीखें गूंज उठीं, और कमरे की रोशनी काली धुंध में बदलने लगी। एक ठंडी लहर ने सभी को घेर लिया। तभी अचानक, दीवारों से काली परछाइयां निकलकर सब पर टूट पड़ीं।


बुरी आत्माओं ने सबसे पहले कैरी को उठाकर दीवार पर दे मारा।
"आह!" कैरी चीखते हुए गिरा, लेकिन तुरंत संभलने की कोशिश की।

अमित के माता-पिता को दोनों ओर से घसीटकर दीवार से पटका गया। सराय के मालिक को कमरे के बीचों-बीच फेंक दिया गया, जहां राख और हड्डियों का ढेर था।

सिम्मी के माता-पिता और मुखिया को एक के बाद एक हवा में उठाकर घुमाया गया, और दीवारों पर पटका गया। चीखें और दर्द का माहौल हर जगह फैल गया।

ये इसलिए हुआ क्योंकि सबके ताबीज गलती से जमीन पर गिर गए थे। अब उनकी सुरक्षा खत्म हो चुकी थी। बुरी आत्माएं और ताकतवर हो गईं और लोगों पर हमले तेज कर दिए।

सबको ये अहसास हुआ कि गलती से ताबीज गिर गया है तो सबने उठाने की कोशिश की
लेकिन आत्माओं ने किसी को भी ताबीज तक पहुंचने नहीं दिया। हर बार जब कोई उठने की कोशिश करता, उसे हवा में फेंक दिया जाता।

जब हर कोई दर्द से कराह रहा था, केवल रिया थी, जिसे बुरी आत्माएं छू भी नहीं पा रही थीं।
एक आत्मा ने रिया की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन तुरंत पीछे हट गई।


रिया कमरे के बीचों-बीच खड़ी थी, जहां से तंत्र साधना की सबसे गहरी ऊर्जा निकल रही थी। उसके चारों ओर बुरी आत्माएं मंडरा रही थीं, लेकिन कोई उसे छूने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

तभी कमरे की दीवार पर गुड़िया की आत्मा आई, गुड़िया सब अच्छी आत्माओं को अपने साथ लेकर आई थी।
गुड़िया ने सब अच्छी आत्माओं से कहा
"यह दीदी पवित्र है। यह हमारे श्राप को मिटा सकती है। लेकिन हमें इनकी मदद करनी होगी, हमे इन बुरी आत्माओं से लड़ना होगा।"

गुड़िया की बात सुनकर सब अच्छी आत्माओं ने लड़ाई शुरू करदी, अब आत्माओं से आत्माओं की लड़ाई शुरू हो गई, मौका पाकर सब लोगों ने अपने ताबीज वापिस ले लिए।

रिया ने अपना अनुष्ठान शुरू कर दिया।
 

Carry0

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Update 15 अंतिम युद्ध

रिया के मंत्रों की गूंज से तंत्र साधना के कमरे में एक अद्भुत बदलाव शुरू हुआ। बुरी आत्माओं का कहर अब भी जारी था, लेकिन रिया ने अपने साहस और ज्ञान का उपयोग करते हुए मंत्रों का पाठ तेज़ कर दिया।

कमरे के चारों कोनों से सुनहरी रोशनी फूटने लगी। अच्छी आत्माएं, जो अब तक बंधी हुई थीं, अपनी पूरी शक्ति से मुक्त होने लगीं। वे बुरी आत्माओं से टकराईं, और कमरे में एक भयंकर युद्ध छिड़ गया।


अच्छी आत्माओं की रोशनी और बुरी आत्माओं की काली छाया आपस में टकराते हुए पूरा कमरा हिला रही थीं।
हर बार जब बुरी आत्माएं हमला करतीं, अच्छी आत्माएं उन्हें अपने प्रकाश से कमजोर कर देतीं।

कमरे में बेहोश पड़े कैरी, अमित, और बाकी लोग जागने की स्थिति में नहीं थे। उनकी हालत नाजुक थी।
लेकिन रिया ने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपनी आंखें बंद कर ताबीज को ऊपर उठाया और आखिरी मंत्र पढ़ा।

रिया के मंत्रों की ताकत से अचानक पूरी हवेली कांप उठी। दीवारों पर उभरे डरावने चेहरे एक-एक करके गायब होने लगे।
तभी एक जोरदार चीख के साथ, बुरी आत्माओं का श्राप टूट गया। हवेली का अंधेरा धीरे-धीरे खत्म होने लगा।

"तुमने कर दिखाया," एक मधुर आवाज ने रिया के कानों में कहा।
यह अच्छी आत्माओं का समूह था, जो अब पूरी तरह से आजाद हो चुका था।

श्राप टूटते ही, हवेली में फंसी हर आत्मा को शांति मिल गई। वे एक-एक करके रिया के सामने झुकते हुए हवेली से बाहर निकलने लगीं।

जाते-जाते, अच्छी आत्माओं ने रिया को धन्यवाद दिया और एक बड़ा रहस्य बताया।

"यहां कुछ लोग अब भी जिंदा हैं। उन्हें हमनें अपनी शक्ति से सुरक्षित रखा है।"
उन्होंने हवेली के एक गुप्त कमरे की ओर इशारा किया।

रिया ने हिम्मत जुटाकर कमरे का दरवाजा खोला। अंदर एक अजीब-सी शांति थी। वहां कैरी के दोस्त और अन्य लोग मौजूद थे, जो डर और भूख से कमजोर हो चुके थे, लेकिन जिंदा थे।
कैरी के दोस्तों ने रिया को देखा और खुशी से रोने लगे।

"तुमने हमें बचा लिया!" तुम्हारा शुक्रिया, उन्होंने कांपती आवाज में कहा।

रिया ने बाकी बेहोश पड़े लोगों को जगाने की कोशिश की। धीरे-धीरे सभी उठने लगे।
कैरी ने अपनी आंखें खोलीं और रिया को देखकर मुस्कुराया।
"तुमने हमारी जान बचाई। धन्यवाद।"

सराय का मालिक और मुखिया ने रिया को आशीर्वाद दिया।
"तुमने न केवल हमें, बल्कि इस गांव को भी श्राप से मुक्त कर दिया।"
 

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गंगा जल से हवेली का शुद्धिकरण

हवेली के श्राप टूटने की खबर गांव तक पहुंच चुकी थी। बाहर खड़े सभी गांव वाले, जो अब तक डर के साए में जी रहे थे, गंगा जल लेकर हवेली के अंदर आ गए।
उनके हाथों में जलते हुए दीये और गंगा जल के कलश थे। उन्होंने पूरे कमरे और हवेली के हर कोने को गंगा जल से शुद्ध करना शुरू कर दिया।

जैसे ही गंगा जल की बूंदें हवेली की दीवारों और फर्श पर गिरीं, वहां की बची-खुची नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म होने लगी। बुरी शक्तियां जो किसी कोने में छिपी रह गई थीं, वे भी गंगा जल की पवित्रता के आगे टिक नहीं पाईं।

गंगा जल से शुद्धिकरण के बाद हवेली में एक अद्भुत शांति छा गई। हवेली का रंग जो अब तक धुंधला और डरावना था, धीरे-धीरे उज्ज्वल होने लगा।
तभी, बाहर से सूरज की पहली किरण हवेली के मुख्य द्वार पर पड़ी। वह प्रकाश जैसे इस पूरे घटनाक्रम का अंत और नई शुरुआत का प्रतीक था।

गांव के मुखिया ने सभी को संबोधित करते हुए कहा,
"यह हवेली अब श्राप मुक्त हो चुकी है। हमारे पूर्वजों और आत्माओं को शांति मिल गई है। यह सब भगवान की कृपा और हमारे गांव की एकता का परिणाम है।" और इसमें सबसे बड़ा योगदान इन शहरी लोगों का है, अगर ये शहरी लोग यहां नहीं आते तो ये सम्भव नहीं होता।

गांव वाले, जो अपने साथ डर और दुःख लेकर आए थे, अब सुकून और राहत के साथ अपने-अपने घरों की ओर लौटने लगे।
सराय का मालिक, मुखिया, रिया, कैरी, और बाकी लोग भी बाहर आए।

"यह रात हम सबके जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा थी," कैरी ने कहा।
"लेकिन इसने हमें एकजुट कर दिया और यह सिखाया कि सच्चाई और साहस के आगे कोई भी अंधकार टिक नहीं सकता।"

हवेली, जो अब तक डर और श्राप का प्रतीक थी, अब एक शांत और खाली इमारत थी।
वहां की आत्माएं आजाद हो चुकी थीं, और हवेली ने अपनी काली छाया से छुटकारा पा लिया था।

सूरज की रोशनी में सभी लोग अपने घरों की ओर चले गए, अपने जीवन को एक नई शुरुआत देने के लिए।

गांव के लोग इस घटना को पीढ़ियों तक याद रखेंगे, इसे एक कहानी के रूप में सुनाएंगे, और यह याद करेंगे कि कैसे साहस और सच्चाई ने उनके गांव को अंधकार और काली शक्तियों से मुक्ति दिलाई।
 

Carry0

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बाबा का हवेली से संबंध

उस बाबा का हवेली से एक पुराना और गहरा कनेक्शन था, जो हवेली के अंधेरे इतिहास के रहस्यों में छिपा था। असल में वह बाबा एक समय में मितल परिवार का ही हिस्सा था—ठाकुर धर्मदास का सबसे छोटा भाई, जिसका असली नाम ब्रजमोहन था। बचपन से ही उसकी मानसिकता परिवार के बाकी सदस्यों से अलग थी। उसे तंत्र-मंत्र और साधना से कोई लगाव नहीं था वह अपने जीवन में शांति और परोपकार चाहता था, लेकिन मितल परिवार के अन्य सदस्य केवल सत्ता, धन, और शक्ति के पीछे पड़े थे।



जब वह किशोरावस्था में पहुंचा, तो उसे पहली बार अपने परिवार के काले कारनामों का पता चला। उसने देखा कि कैसे उसके भाई और भाभी निर्दोष लोगों को अपनी हवेली में कैद कर लेते थे, उन पर अमानवीय अत्याचार करते थे, और उनकी पीड़ा से अपने अंधविश्वासी तंत्र-मंत्र को बल देने का प्रयास करते थे। उसके लिए यह सब सहन करना मुश्किल था, लेकिन वह अपने ही परिवार के सामने असहाय महसूस करता था।



एक दिन, जब उसने देखा कि एक छोटी बच्ची, जो उसकी उम्र की थी, उसे हवेली में लाकर कैद किया गया है, तो उसका गुस्सा फूट पड़ा। उसने अपने भाई धर्मदास का विरोध करने का साहस किया और उससे सवाल पूछे, "तुम ये सब क्यों कर रहे हो? ये मासूम लोग तुम्हारा क्या बिगाड़ रहे हैं?" लेकिन धर्मदास ने हँसते हुए कहा, "शक्ति और डर ही असली ताकत हैं, और हमें अपने तंत्र-मंत्र को पूजित रखना है। ये लोग हमारी शक्ति बढ़ाते हैं।"



ब्रजमोहन को यह बात असहनीय लगी। उसने निर्णय लिया कि वह अपने भाई और उसके अमानवीय कर्मों का अंत करेगा। एक रात उसने चुपके से हवेली के बंद कमरों में से कुछ कैदियों को आजाद करने का प्रयास किया। लेकिन दुर्भाग्य से, उसे उसके भाई ने पकड़ लिया। धर्मदास ने इस विद्रोह को माफ नहीं किया और अपने छोटे भाई को सबके सामने शर्मिंदा करने के लिए उस पर भी भयंकर तांत्रिक साधनाएँ कीं।



धर्मदास ने ब्रजमोहन को हवेली से निकाल दिया और उसे श्राप दिया कि वह जंगल में भटकता रहेगा और कभी शांति नहीं पा सकेगा। यह श्राप इतना शक्तिशाली था कि ब्रजमोहन को किसी तरह की सांसारिक संपत्ति या संबंध से दूर कर दिया गया। वह अनगिनत रातों तक जंगल में भटकता रहा, और धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति बदलने लगी।



वह धीरे-धीरे एक बाबा बन गया, और उसने तंत्र विद्या का उपयोग अपने परिवार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए किया। उसने प्रतिज्ञा ली कि वह मितल परिवार के अत्याचारों का अंत करेगा। उसके मन में केवल एक ही उद्देश्य था—धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं को उनके पापों के लिए दंड दिलाना और उन आत्माओं को मुक्ति दिलाना जो इस हवेली में कैद हो चुकी थीं।



जंगल में बाबा ने गहरे तप और साधना की, ताकि वह उन आत्माओं को हवेली में कैद रख सके और अपने परिवार के अत्याचारों को रोके। उसके साथ-साथ, वह धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं का सामना करने की तैयारी करता रहा। लेकिन वह स्वयं इतनी शक्ति नहीं जुटा पाया कि उन दोनों की आत्माओं का अंत कर सके। वह केवल इस सीमा तक पहुँच सका कि वह हवेली के बाहर आने वाली नई आत्माओं को रोक सके और जो लोग हवेली में प्रवेश करने वाले होते, उन्हें चेतावनी दे सके।



बाबा को हवेली में फंसे आत्माओं का दर्द महसूस होता था। वह उनके साथ एक अदृश्य रिश्ता साझा करता था, जो उसकी अपनी यातना का हिस्सा था। वह जानता था कि उन आत्माओं की मुक्ति तभी संभव थी जब धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं का अंत हो। इसी कारण वह हर उस व्यक्ति को चेतावनी देता था जो काल वन के पास आता था। लेकिन लोग उसकी बात को नजरअंदाज कर देते थे और हवेली में चले जाते थे, जहां वे भी उन्हीं आत्माओं में परिवर्तित हो जाते थे।



वर्षों तक यह सिलसिला चलता रहा। बाबा ने अपनी पूरी शक्ति और साधना इस प्रतीक्षा में लगाई कि कोई दिन ऐसा आएगा, जब कोई उसे सुनेगा और उसकी मदद करेगा। उसे एक दिन कैरी, लोमल, और रिया के हवेली में जाने की जानकारी मिली। जब वह उन्हें रोकने के लिए उनके सामने आया, तो वह जानता था कि ये लोग अलग हैं—रिया के पास तंत्र विद्या का ज्ञान था, और कैरी और लोमल में भी साहस की कमी नहीं थी।



इस बार बाबा ने न केवल उन्हें चेतावनी दी, बल्कि यह भी बताया कि कैसे वह धर्मदास और इंद्रा के पापों का अंत कर सकते हैं। उसने रिया को अपने साथ ले जाकर कुछ खास मंत्रों और विधियों के बारे में बताया, जो कि उन आत्माओं को पकड़ने और उनकी शक्ति को समाप्त करने के लिए थे। रिया को समझ में आ गया कि बाबा का दुःख और संघर्ष केवल प्रतिशोध का नहीं, बल्कि आत्माओं की मुक्ति का था।



जब रिया, कैरी, और लोमल ने धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं को हरा दिया, तब बाबा के दिल का एक बोझ भी हल्का हो गया। उसने रिया से कहा, “मेरी साधना पूरी हो गई। अब मुझे भी मुक्त कर दो।" रिया ने बाबा का आशीर्वाद लिया, और अपने मंत्रों से बाबा की आत्मा को भी मुक्त कर दिया।



ब्रजमोहन की आत्मा ने एक शांति की सांस ली और हवेली में कैद आत्माओं के साथ वह भी मुक्त हो गया। यह उस बाबा का अंत था, जिसने वर्षों तक हवेली के अंधेरे में अपने परिवार के पापों का भार उठाए रखा।



बाबा की आत्मा ने अंत में रिया, कैरी और लोमल को आशीर्वाद दिया और कहा, "तुम लोगों ने केवल इस हवेली को ही नहीं, बल्कि मेरी आत्मा को भी मुक्त किया है। अब इस जंगल में कोई दर्द, कोई चीख, और कोई आत्मा कैद नहीं रहेगी।"

और इस तरह, बाबा की आत्मा हमेशा के लिए इस संसार से विदा हो गई, जैसे कि उसकी आत्मा को भी उस अंधकार और यातना से मुक्ति मिल गई, जिसने उसे सदियों तक बांध रखा था।

ये कहानी यहीं समाप्त होती है। हवेली में लोगों के साथ मित्तल परिवारों ने कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी लोगो पर जुल्म किए वो सब इसके अगले भाग में देखेंगे। ये भाग यहीं समाप्त होता है।
 

Aranyak08

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भाग 5 "भयपुर"

अमित, रोहन, नीलम और सिम्मी के माता-पिता, साथ में कैरी और लोमल रानी, सभी अब तक "भयपुर" नाम के गाँव में पहुँच चुके थे। यह गाँव काल वन के पास स्थित था और इसकी खामोशी और रहस्यमयी माहौल से ही इसकी खौफनाक कहानी झलकती थी। गाँव के हर कोने में पुरानी, टूटी-फूटी झोपड़ियाँ थीं, जिनमें से कुछ को देखकर लगता था कि जैसे वे सदियों से वीरान पड़ी हों।

शाम ढल चुकी थी, और अब अंधेरा चारों ओर छा गया था। मितल परिवार के सभी सदस्य और कैरी ने सोच लिया कि रात होने के कारण वे भयपुर में ही ठहरेंगे, और सुबह होते ही काल वन में जाकर अपने बच्चों की तलाश शुरू करेंगे।

गाँव वालों ने उन्हें ठहरने के लिए एक पुराना सा सराय दिखाया। यह सराय देखने में किसी भूतिया खंडहर जैसा ही था, लेकिन रात बिताने के लिए उनके पास और कोई विकल्प नहीं था।

गाँव वालों ने उन सभी को चेतावनी भी दी, "इस गाँव में रात के वक्त बाहर न निकलें। काल वन से कई अजीबोगरीब चीजें निकलती हैं। और हवेली के आसपास तो भूलकर भी मत जाना।"

लेकिन चिंता और मजबूरी के कारण किसी ने उन चेतावनियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सभी एक ही सोच में डूबे थे—अपने बच्चों की सुरक्षा और उन्हें सही-सलामत वापस लाने की।

रात गहराती जा रही थी और भयपुर में हर ओर अजीब सी सन्नाटा और खौफनाक शांति का माहौल था।


भयपुर में रात का विश्राम

अमित, रोहन, नीलम और सिम्मी के माता-पिता अब तक काल वन के पास स्थित गाँव "भयपुर" में पहुँच चुके थे। यह गाँव अपने अजीब और डरावने माहौल के लिए जाना जाता था। चारों ओर पुरानी, खामोश झोपड़ियाँ थीं, जिनके पीछे की कहानियाँ किसी को भी कंपा सकती थीं।

जंगल के नज़दीक होने की वजह से शाम होते ही यहाँ का माहौल और भी खौफनाक हो गया था। गाँव वालों ने उन्हें ठहरने के लिए एक पुरानी, सुनसान सराय दिखाई। यह सराय भी किसी खंडहर से कम नहीं लग रही थी, लेकिन रात बिताने के लिए उनके पास यही एकमात्र विकल्प था।

गाँव के कुछ बुजुर्गों ने उन्हें चेतावनी दी, "रात के वक्त बाहर मत निकलना। इस गाँव में जंगल से कई अजीबोगरीब आवाजें आती हैं। और उस हवेली की तरफ तो भूलकर भी मत जाना। वो जगह अभिशप्त है।"

हालांकि, अपने बच्चों की चिंता और फिक्र के कारण माता-पिता ने उन चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया। उनके दिल और दिमाग में बस एक ही सवाल था—क्या उनके बच्चे सुरक्षित होंगे?

रात गहराने लगी, और भयपुर में खामोशी ने डरावना रूप ले लिया। हर तरफ सन्नाटा था, मानो रात भी उन अजनबी मेहमानों के लिए एक नई चुनौती लेकर आई हो।
Update 5 Tak padha ...bahut badiya shuruaat he bhai...
 
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Update 5 Tak padha ...bahut badiya shuruaat he bhai...
Dhanyawad Bhai, Jyda badi kahani nhi hai
 
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Ajju Landwalia

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बाबा का हवेली से संबंध

उस बाबा का हवेली से एक पुराना और गहरा कनेक्शन था, जो हवेली के अंधेरे इतिहास के रहस्यों में छिपा था। असल में वह बाबा एक समय में मितल परिवार का ही हिस्सा था—ठाकुर धर्मदास का सबसे छोटा भाई, जिसका असली नाम ब्रजमोहन था। बचपन से ही उसकी मानसिकता परिवार के बाकी सदस्यों से अलग थी। उसे तंत्र-मंत्र और साधना से कोई लगाव नहीं था वह अपने जीवन में शांति और परोपकार चाहता था, लेकिन मितल परिवार के अन्य सदस्य केवल सत्ता, धन, और शक्ति के पीछे पड़े थे।



जब वह किशोरावस्था में पहुंचा, तो उसे पहली बार अपने परिवार के काले कारनामों का पता चला। उसने देखा कि कैसे उसके भाई और भाभी निर्दोष लोगों को अपनी हवेली में कैद कर लेते थे, उन पर अमानवीय अत्याचार करते थे, और उनकी पीड़ा से अपने अंधविश्वासी तंत्र-मंत्र को बल देने का प्रयास करते थे। उसके लिए यह सब सहन करना मुश्किल था, लेकिन वह अपने ही परिवार के सामने असहाय महसूस करता था।



एक दिन, जब उसने देखा कि एक छोटी बच्ची, जो उसकी उम्र की थी, उसे हवेली में लाकर कैद किया गया है, तो उसका गुस्सा फूट पड़ा। उसने अपने भाई धर्मदास का विरोध करने का साहस किया और उससे सवाल पूछे, "तुम ये सब क्यों कर रहे हो? ये मासूम लोग तुम्हारा क्या बिगाड़ रहे हैं?" लेकिन धर्मदास ने हँसते हुए कहा, "शक्ति और डर ही असली ताकत हैं, और हमें अपने तंत्र-मंत्र को पूजित रखना है। ये लोग हमारी शक्ति बढ़ाते हैं।"



ब्रजमोहन को यह बात असहनीय लगी। उसने निर्णय लिया कि वह अपने भाई और उसके अमानवीय कर्मों का अंत करेगा। एक रात उसने चुपके से हवेली के बंद कमरों में से कुछ कैदियों को आजाद करने का प्रयास किया। लेकिन दुर्भाग्य से, उसे उसके भाई ने पकड़ लिया। धर्मदास ने इस विद्रोह को माफ नहीं किया और अपने छोटे भाई को सबके सामने शर्मिंदा करने के लिए उस पर भी भयंकर तांत्रिक साधनाएँ कीं।



धर्मदास ने ब्रजमोहन को हवेली से निकाल दिया और उसे श्राप दिया कि वह जंगल में भटकता रहेगा और कभी शांति नहीं पा सकेगा। यह श्राप इतना शक्तिशाली था कि ब्रजमोहन को किसी तरह की सांसारिक संपत्ति या संबंध से दूर कर दिया गया। वह अनगिनत रातों तक जंगल में भटकता रहा, और धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति बदलने लगी।



वह धीरे-धीरे एक बाबा बन गया, और उसने तंत्र विद्या का उपयोग अपने परिवार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए किया। उसने प्रतिज्ञा ली कि वह मितल परिवार के अत्याचारों का अंत करेगा। उसके मन में केवल एक ही उद्देश्य था—धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं को उनके पापों के लिए दंड दिलाना और उन आत्माओं को मुक्ति दिलाना जो इस हवेली में कैद हो चुकी थीं।



जंगल में बाबा ने गहरे तप और साधना की, ताकि वह उन आत्माओं को हवेली में कैद रख सके और अपने परिवार के अत्याचारों को रोके। उसके साथ-साथ, वह धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं का सामना करने की तैयारी करता रहा। लेकिन वह स्वयं इतनी शक्ति नहीं जुटा पाया कि उन दोनों की आत्माओं का अंत कर सके। वह केवल इस सीमा तक पहुँच सका कि वह हवेली के बाहर आने वाली नई आत्माओं को रोक सके और जो लोग हवेली में प्रवेश करने वाले होते, उन्हें चेतावनी दे सके।



बाबा को हवेली में फंसे आत्माओं का दर्द महसूस होता था। वह उनके साथ एक अदृश्य रिश्ता साझा करता था, जो उसकी अपनी यातना का हिस्सा था। वह जानता था कि उन आत्माओं की मुक्ति तभी संभव थी जब धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं का अंत हो। इसी कारण वह हर उस व्यक्ति को चेतावनी देता था जो काल वन के पास आता था। लेकिन लोग उसकी बात को नजरअंदाज कर देते थे और हवेली में चले जाते थे, जहां वे भी उन्हीं आत्माओं में परिवर्तित हो जाते थे।



वर्षों तक यह सिलसिला चलता रहा। बाबा ने अपनी पूरी शक्ति और साधना इस प्रतीक्षा में लगाई कि कोई दिन ऐसा आएगा, जब कोई उसे सुनेगा और उसकी मदद करेगा। उसे एक दिन कैरी, लोमल, और रिया के हवेली में जाने की जानकारी मिली। जब वह उन्हें रोकने के लिए उनके सामने आया, तो वह जानता था कि ये लोग अलग हैं—रिया के पास तंत्र विद्या का ज्ञान था, और कैरी और लोमल में भी साहस की कमी नहीं थी।



इस बार बाबा ने न केवल उन्हें चेतावनी दी, बल्कि यह भी बताया कि कैसे वह धर्मदास और इंद्रा के पापों का अंत कर सकते हैं। उसने रिया को अपने साथ ले जाकर कुछ खास मंत्रों और विधियों के बारे में बताया, जो कि उन आत्माओं को पकड़ने और उनकी शक्ति को समाप्त करने के लिए थे। रिया को समझ में आ गया कि बाबा का दुःख और संघर्ष केवल प्रतिशोध का नहीं, बल्कि आत्माओं की मुक्ति का था।



जब रिया, कैरी, और लोमल ने धर्मदास और इंद्रा की आत्माओं को हरा दिया, तब बाबा के दिल का एक बोझ भी हल्का हो गया। उसने रिया से कहा, “मेरी साधना पूरी हो गई। अब मुझे भी मुक्त कर दो।" रिया ने बाबा का आशीर्वाद लिया, और अपने मंत्रों से बाबा की आत्मा को भी मुक्त कर दिया।



ब्रजमोहन की आत्मा ने एक शांति की सांस ली और हवेली में कैद आत्माओं के साथ वह भी मुक्त हो गया। यह उस बाबा का अंत था, जिसने वर्षों तक हवेली के अंधेरे में अपने परिवार के पापों का भार उठाए रखा।



बाबा की आत्मा ने अंत में रिया, कैरी और लोमल को आशीर्वाद दिया और कहा, "तुम लोगों ने केवल इस हवेली को ही नहीं, बल्कि मेरी आत्मा को भी मुक्त किया है। अब इस जंगल में कोई दर्द, कोई चीख, और कोई आत्मा कैद नहीं रहेगी।"

और इस तरह, बाबा की आत्मा हमेशा के लिए इस संसार से विदा हो गई, जैसे कि उसकी आत्मा को भी उस अंधकार और यातना से मुक्ति मिल गई, जिसने उसे सदियों तक बांध रखा था।

ये कहानी यहीं समाप्त होती है। हवेली में लोगों के साथ मित्तल परिवारों ने कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी लोगो पर जुल्म किए वो सब इसके अगले भाग में देखेंगे। ये भाग यहीं समाप्त होता है।

Wah Carry0 Bhai Wah,

Jitni bhi tarif ki jaye utni kam he aapki is adhbhud kahani ke liye............

Ek gazab ke writer ho aap, umeed he hald hi aisi hi shandar kahaniya padhne ko milegi............

Keep rocking Bro
 
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sunoanuj

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एक बहुत ही शानदार कहानी है! और मित्र आपने इसे लिखा भी बहुत ही शानदार अंदाज़ में है!

एकदम अद्भुत बहुत ही उम्दा लिखा कहानी थी जो पूर्णता को भी प्राप्त हुई !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻💐💐💐💐
 
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