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दूसरी तरफ समीर के लिए ये सब बहुत मुश्किल था । वो आँचल को बहुत प्यार करता था और उसका पूरा ख्याल
रखता था । आँचल की बात वो टालता नहीं था । लेकिन अपनी बहन के लिए शारीरिक आकर्षण जैसी कोई भावना उसके
मन में नहीं थी । कभी आँचल के माथे पर प्यार भरा किस कर लिया तो कर लिया वरना समीर , समझदार भाई
की तरह उससे एक शारीरिक दूरी बनाये रखता था । उसने कभी भी अपनी बहन की छाती , उसके नितम्बों और अक्सर
खुली रहने वाली लम्बी चिकनी टांगों की तरफ गलत नज़रों से नहीं देखा था ।
वो तो लाड़ली बहन की तरह उससे प्यार
करता था । उसका मन अपनी बहन के लिए शीशे की तरह साफ़ था और ये बात आँचल को अच्छी तरह से मालूम थी ।
लेकिन इससे आँचल की पीड़ा और भी बढ़ गयी क्योंकि वो जानती थी कि उसकी तड़प इकतरफा थी और ये भी कि समीर के
मन में उसके लिए ऐसी कोई तड़प नहीं है ।
वो शाम लम्बी खिंचती चली गयी । समय के साथ आँचल की उलझन बढ़ती जा रही थी । उसको लग रहा था
कि वो एक चक्रव्यूह में फंस चुकी है और बाहर निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा था ।
“आँचल ! आँचल !”
“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।
“मैं कितनी देर से तुम्हें आवाज़ दे रहा हूँ । तुम्हें हो क्या गया है , होश में आओ आँचल ।“
“ सॉरी समीर ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ आँचल ने आँखें मलते हुए कहा ।
समीर ने उसके चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि आँचल किन ख़यालों में डूबी हुई थी । उन्हीं बातों को सोचते हुए
आँचल की सोफे पर ही आँख लग गयी होगी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।
“ देखो आँचल , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को
भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"
“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “
“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "
रखता था । आँचल की बात वो टालता नहीं था । लेकिन अपनी बहन के लिए शारीरिक आकर्षण जैसी कोई भावना उसके
मन में नहीं थी । कभी आँचल के माथे पर प्यार भरा किस कर लिया तो कर लिया वरना समीर , समझदार भाई
की तरह उससे एक शारीरिक दूरी बनाये रखता था । उसने कभी भी अपनी बहन की छाती , उसके नितम्बों और अक्सर
खुली रहने वाली लम्बी चिकनी टांगों की तरफ गलत नज़रों से नहीं देखा था ।
वो तो लाड़ली बहन की तरह उससे प्यार
करता था । उसका मन अपनी बहन के लिए शीशे की तरह साफ़ था और ये बात आँचल को अच्छी तरह से मालूम थी ।
लेकिन इससे आँचल की पीड़ा और भी बढ़ गयी क्योंकि वो जानती थी कि उसकी तड़प इकतरफा थी और ये भी कि समीर के
मन में उसके लिए ऐसी कोई तड़प नहीं है ।
वो शाम लम्बी खिंचती चली गयी । समय के साथ आँचल की उलझन बढ़ती जा रही थी । उसको लग रहा था
कि वो एक चक्रव्यूह में फंस चुकी है और बाहर निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा था ।
“आँचल ! आँचल !”
“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।
“मैं कितनी देर से तुम्हें आवाज़ दे रहा हूँ । तुम्हें हो क्या गया है , होश में आओ आँचल ।“
“ सॉरी समीर ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ आँचल ने आँखें मलते हुए कहा ।
समीर ने उसके चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि आँचल किन ख़यालों में डूबी हुई थी । उन्हीं बातों को सोचते हुए
आँचल की सोफे पर ही आँख लग गयी होगी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।
“ देखो आँचल , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को
भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"
“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “
“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "
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