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Incest किस्मत का फेर (Completed with Gifs)

Lodon Ka Raja

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सोमवार की सुबह उठते ही आँचल ने निश्चय कर लिया , वो आज रिया से पूछकर ही रहेगी कि वो लड़का कौन था ।
उसको किसी भी तरह एक बार उस अजनबी से मिलना था , उसको देखना था । आँचल उसको एक बार फिर से अपने नज़दीक महसूस करना चाहती थी पर इस बार आँखें खोल के । वो उसको छूना चाहती थी , उससे बातें करना चाहती थी । ज्यादा नहीं तो कम से कम एक बार , शायद ऐसा करने से उसका उन सपनों से पीछा छूट जाये ।

दोपहर को लंच टाइम में आँचल , रिया को कैंटीन में एक कोने की सीट में ले गयी ।

“ कौन था वो ? ”

" कौन ? किसकी बात कर रही है तू ? "

"अरे वही जो उस रात पार्टी में लड़का …….जिसे तू पकड़ लायी थी मेरे पास ।”

" क्या.....? " रिया सन्न रह गयी । “पागल हो गयी है क्या ? होश में तो है तू ? नहीं , तू उसको नहीं जानना चाहती ।”

“हाँ , मैं बिलकुल उसको जानना चाहती हूँ “ आँचल थोड़ा शरमाते हुए बोली ।

रिया आँचल की बात से अभी भी सदमे में थी । उसके मुंह से जोर से निकला ,
“ तू ना पक्की छिनाल हो गयी है । "

आसपास की लड़कियां मुड़कर उन दोनों को देखने लगीं ।

आँचल का चेहरा गुस्से से तमतमा गया ।

आँचल का गुस्से से भरा चेहरा देखकर रिया को हंसी आ गयी । वो आँचल की तरफ झुककर धीरे से बोली ,
" बहुत बड़ा था क्या उसका ?"

उसकी बात पर आँचल भी मुस्कुराने लगी " हाँ , मोटा भी था । मुझे मिला दो ना उससे । मुझे वो फिर से चाहिए। "

" मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तू उससे दोबारा मिलना चाह रही है " रिया सर झटकते हुए बड़बड़ायी ।

“अरे तू क्यों टेंशन ले रही है , मैं उसके साथ अपनी जिंदगी थोड़ी शुरू करने वाली हूँ “ आँचल मुस्कुरायी ।

“ हाँ बच्चू , मैं अच्छी तरह से समझ रही हूँ कि तेरे को वो दुबारा क्यों चाहिए , उसने तेरे अंदर कुछ ज्यादा ही माल गिरा दिया है , है ना ? “ रिया थोड़ा कड़वे स्वर में आँचल की चूत की तरफ इशारा करते हुए बोली । आँचल की जिद से वो irritate हो गयी थी ।

“ हम्म .. .. मुंह में गिराया “ आँचल अपने खुले मुंह की तरफ इशारा करते हुए खी खी करके हंस पड़ी ।
“ लेकिन अबकी बार देखना , मैं उसका पूरा मुंह भर दूंगी , अपने रस से । "

“छी छी ! तू कितनी गन्दी बातें करने लगी है “ रिया गन्दा सा मुंह बनाकर बोली , फिर जोर से हंस पड़ी । उसने पहले कभी आँचल को ऐसी बातें कहते नहीं सुना था । कम बोलने वाली , अपने में मगन रहने वाली आँचल आज उससे बहकी बहकी सी बातें कर रही थी ।
" ये सब उसी लड़के का असर है तुझ पर । "

 

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“ हाँ हाँ , मुझे मालूम है । लेकिन मैं तुझे बता नहीं सकती कि उसके बारे में सोचने से ही मैं कितना उत्तेजित हो जाती हूँ ” आँचल ने अपना राज खोल ही दिया । “ जबसे मैं पार्टी से घर गयी हूँ , बस उसी के सपने देख रही हूँ दिन रात। ”

“और अब तुझे इस सपने को पूरा करने के लिए मेरी मदद चाहिए , है ना ?”

“हाँ “ आँचल मुस्कुरायी ।

“ ठीक है …मैं मदद कर दूंगी तेरी , लेकिन मैं भी मज़ा लूँगी उससे , क्या ख्याल है बोल ? " रिया थोड़ा नखरे दिखाते हुए बोली ।

“ तू लेना मज़े .....कौन मना कर रहा है ....उसके तो दोनों हाथों में लड्डू होंगे , वो तो खुश हो जायेगा । "आँचल हंस पड़ी ।

“ ठीक है यार । अगर तू अब उसके पीछे इतना ही पागल हो रही है तो मैं पता करुँगी उससे कि वो तुझसे मिलने को राजी है भी या नहीं ।”

“ मैं कुछ नहीं जानती बस ये तेरी जिम्मेदारी है कि तू उसको राजी कर मुलाकात के लिए , इसी में तेरी भलाई है समझी " आँचल रिया को बनावटी धमकी देती हुई बोली ।

“अच्छा तो तू उसको फिर से अपने ऊपर चढ़ने देगी ।…..हैं ?... उस दिन तो बड़ा कह रही थी कि मैं उसको नहीं जानना चाहती , वो मेरे को ना जान पाए । तब तो बड़ी बड़ी बातें कर रही थी। मैं अभी किसी रिलेशनशिप में इन्वॉल्व नहीं होना चाहती हूँ । मैं कोई कमिटमेंट का झंझट नहीं रखना चाहती हूँ । जान पहचान का लड़का नहीं होना चाहिए । अब क्या हुआ उन बातों का । इतनी जल्दी पलट गयी अपनी बात से "
रिया ने हाथ नचाते हुए ताना मारा ।आँचल की ज़िद तोड़ने को , उसी की बातें याद दिलाकर आखिरी तीर चलाया ।


“ इससे पहले तो कभी मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ । मुझे कभी किसी ने ऐसा बेचैन नहीं किया ।कोई ऐसे मेरे सपनों में कभी नहीं आया ।किसी ने मेरे दिल के तारों को पहले कभी ऐसे नहीं छुआ । कुछ तो स्पेशल बांड है मेरा उससे । मुझे लगता है मेरे सपनों का शहजादा कहीं ये ही तो नहीं । जिस लड़के का इंतज़ार मुझे वर्षों से था कहीं वो ये ही तो नहीं । क्या पता मेरी किस्मत ही मुझे उसके पास ले जा रही है । “


रिया ने मन ही मन सोचा कि आँचल ने सपनों के जो महल बना लिए हैं वो कहीं टूट न जाएँ । एक अज्ञात आशंका ने उसको घेर लिया कहीं उसकी प्यारी दोस्त का दिल फिर से न टूट जाये । वो भावुक लड़की ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकेगी ।

फिर वो एकदम से सीरियस होकर आँचल को समझाने लगी ,
“ देख आँचल , तू मुझे गलत मत समझ । मैं तेरे और उस तेरे लवर के बीच नहीं आ रही हूँ । मैं तेरा बुरा क्यों चाहूंगी । लेकिन मुझे लगता है ये ठीक नहीं है । उस दिन हमने decide किया था कि रात गयी बात गयी । अब इस मामले को फिर से खोलना ठीक नहीं है । मेरे ख्याल से तू ये जिद छोड़ दे , कुछ दिनों में तू उसे भूल जाएगी । फिर सब पहले जैसे ही चलने लगेगा । ये बात तो तू भी मानेगी कि दुनिया की समझ तुझसे ज्यादा मुझे है , मैं तो तेज तर्रार लड़की हूँ । तू बहुत प्यारी लड़की है , एकदम भावुक । सबको अपना जैसा समझने लगती है । पर सब ऐसे नहीं होते । मुझे बड़ा डर है कि कहीं तेरा दिल फिर से ना टूट जाये । बड़ी मुश्किल से तो अभी संभली है तू , अपने ब्रेकअप के बाद से । मैं अपनी प्यारी दोस्त को फिर से गम के सागर में डूबते नहीं देख सकती । मुझे कुछ अंदर से महसूस हो रहा है कि तू ये ठीक नहीं कर रही है । कहीं कुछ तेरे साथ बुरा ना हो जाये । “

 

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“ मुझे नहीं मालूम , मुझे क्या हो गया है । मैं बस एक बार उससे मिलना चाहती हूँ । उसको अपनी आँखों से अपने सामने देखना चाहती हूँ । वैसे भी मैं उसके साथ ऐसा कुछ नया तो नहीं करुँगी जो उसके साथ पहले से ही ना कर चुकी हूँ “ आँचल ने कंधे उचकाते हुए कहा ।

“ ये सब बहाने बाज़ी है , तुझे बस उसका मोटा लंड फिर से अपनी चूत में चाहिए और कुछ नहीं ।अगर मरना ही तेरी किस्मत है तो मर मेरी बला से । “ अपनी बातों का उस पर कुछ असर ना होता देख रिया को अब गुस्सा आ गया था ।

“ नाराज़ क्यों होती है यार , मैं वास्तव में सिर्फ ये जानना चाहती हूँ कि वो कौन लड़का था । क्या पता वो शकल सूरत में मुझे पसंद ही ना आये , ऐसा भी तो हो सकता है । जरुरी थोड़े ही है कि वो मुझे अच्छा ही लगे । ”

दोनों सहेलियों में ऐसे ही बहस होते रही । रिया बात टालने के मूड में थी , उसका मन ही नहीं कर रहा था कि वो उस लड़के को ढूंढे और आँचल से मिलाये । वो तो सिर्फ एक मस्ती भरा खेल समझकर पार्टी से निकलते ही उस वाक़ये को भूल गयी थी । पर आँचल दिल लगा बैठी थी और अब उसके पीछे ही पड़ गयी थी ।

लंच खत्म होने से पहले आँचल ने एक बार फिर ज़ोर डाला ।
“ कम ऑन रिया , मैं तुमको अगले रविवार को पार्टी दूंगी , प्रॉमिस । मिला दो न उससे , प्लीज । “ खुशामद भरे स्वर में आँचल बोली ।

“हम्म ..… पार्टी के नाम पर तो मेरे मुंह में पानी आ गया । लेकिन मुझे अभी भी लगता है कि ये सही नहीं है । तुमको उस लड़के को अजनबी ही रहने देना चाहिए ” रिया कुछ देर सोचने के बाद बोली ।

“ मैं जानती हूँ रिया कि तुम मेरा भला ही चाहोगी । मैंने उस रात कहा था कि मैं उस लड़के को नहीं जानना चाहती , उससे अनजान ही बने रहना चाहती हूँ । पर मैं क्या करूँ मेरा जीना हराम हो गया है । उठते बैठते सोते हर वक़्त वो ही मेरी आँखों के सामने घूमते रहता है , रात में भी सोने नहीं देता है । जितना उसको भुलाने कि कोशिश करती हूँ उतना ज्यादा वो और याद आता है । एक बार उससे मिल लूँ , उसको देख लूँ , उससे बातें कर लूँ , तो फिर क्या पता मेरे ये सपने मेरा पीछा छोड़ दें । तुम प्लीज सोचना जरूर इस बारे में । तुम्हारे पास आज का पूरा दिन है । मैं कल फिर तुमको पकड़ूँगी और उम्मीद करती हूँ कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी । “

“ ठीक है बाबा , तू जीती मैं हारी । अब तूने जब मिलने की रट पकड़ ही ली है तो मैं पूरी कोशिश करुँगी । लेकिन मुझे उससे पहले बात तो करनी पड़ेगी ना । " आख़िरकार रिया ने आँचल की जिद के आगे हथियार डाल ही दिये ।

“ कल लंच टाइम में मिलते हैं ।” रिया ने अपना बैग उठाया और चली गयी ।

अगले दिन आँचल ने एक सफ़ेद शर्ट और उसके अंदर एक पतले फैब्रिक की बिना पैड वाली वाली ब्रा पहनी


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जिसमें शर्ट के बाहर से ही उसके निप्पल का शेप साफ़ दिख रहा था और एक नीले रंग की टाइट जीन्स पहनी जिसमें उसके बड़े नितम्ब कसे हुए बहुत ही मस्त लग रहे थे ।

लंच टाइम में रिया आँचल को पार्किंग में ले गयी ।
“ मैंने उस लड़के को यहीं बुलाया है । "

दोनों सहेलियां वहीँ खड़े खड़े उस अजनबी का इंतज़ार करने लगीं ।
आँचल थोड़ी चिंतित लग रही थी और उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ झलक रही थी ।

“ तू बड़ी tense लग रही है । देख , उससे नहीं मिलना है तो अभी भी बता दे । " आँचल के चेहरे को देखती हुई रिया बोली ।
" वो यहाँ अब किसी भी समय आ जायेगा , ना कहना है तो पहले ही बोल दे । "

तभी उसे समीर आते हुए दिख गया ।
“ राजकुमारी जी , लो आ गया आपका शहजादा ” रिया आदाब बजाते हुए बोली ।

“ कहाँ " आँचल ने समीर को देखा और फिर वो इधर उधर देखने लगी पर उसको कोई और लड़का नहीं दिखा ।

“अरे तुझे वो लम्बा चौड़ा लड़का आँख नहीं दिख रहा क्या ? जो हमारी तरफ आ रहा है ।" आँचल के भाई की तरफ ऊँगली से इशारा करते हुए रिया ने कहा और हंसने लगी ।


आँचल को काटो तो खून नहीं ।
 
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वो बिलकुल सन्न रह गयी । उसने समीर को देखा फिर रिया की ओर देखकर बोली " ये लड़का ? मजाक तो नहीं कर रही तू मेरे साथ ? "
आँचल को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि रिया ने ये क्या कह दिया ।
उसके मन में खलबली सी मच गयी । घबराहट और सदमे से उसकी साँस गले में ही अटक गयी ।

रिया को आँचल और समीर के आपसी रिश्ते का पता ही नहीं था । उसने सोचा आँचल को समीर पसंद नहीं आया ।
“देख आँचल , अब तो वो आ ही गया है । अब तू इस मुलाकात को टाल नहीं सकती । तुझे उससे बात करनी ही पड़ेगी , चाहे तुझे वो पसंद नहीं भी आ रहा है तब भी , समझी । " मुस्कुराते हुए रिया बोली ।

" हे ईश्वर ! " आँचल अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये सच नहीं हो सकता , मेरा अपना सगा भाई !!! इतना बड़ा मज़ाक मेरे साथ नहीं हो सकता । “

तभी समीर उन दोनों के सामने आ खड़ा हुआ ।

समीर ने आँचल को देखा फिर रिया को देखकर मुस्कुराया “ hi रिया , वो लड़की कहाँ है जिससे तुम मुझे मिलाना चाहती हो ।“

“hi समीर ये मेरी फ्रेंड आँचल है और आँचल यहीं है वो लड़का जो उस रात पार्टी में तुम्हारे साथ था “ फिर आँख मारते हुए बोली ,
" जिससे मिलने को तू इतना उतावली हुई जा रही थी । "

किस्मत के इतने बड़े मज़ाक से हैरान दोनों भाई बहन के मुंह से कोई बोल ही नहीं फूटा । दोनों बुत बने खड़े रह कर एक दूसरे को ताकते ही रह गए । बिलकुल सन्न !!!

फिर आँचल ने अपनी नज़रें झुका लीं । कुछ पलों तक यूँ ही सर झुकाये खड़ी रही । उसे मालूम था कि समीर अवाक् सा उसे ही देखे जा रहा है । यह पल बहुत ही पीड़ादायक थे , अब हकीकत सामने थी । अजनबी , अजनबी नहीं रह गया था । वो उसका अपना छोटा भाई समीर था , जिससे उसने पार्टी की उस रात बेशरम बनकर जबरदस्त सेक्स किया था ।

धीरे से उसने अपनी आंसुओं से भरी आँखें उठाकर समीर की आँखों में देखा । समीर की नंगी पीठ पर फिरती उसकी अंगुलियां , दर्द और उत्तेजना में उस पीठ पर गढ़ते उसके नाखून और कामतृप्ति के समय निकलती सिसकारियां , ये सब दृश्य उसकी आँखों में घूमने लगे । आँचल ने अपनी नज़रें फेर लीं और गहरी सांसे लेने लगी । फिर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आंसू उसके गालों पर बहने लगे ।
कुछ पलों बाद उसने अपना मन कड़ा किया और आगे बढ़ कर अपने भाई के गले जा लगी ।



 

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लेकिन समीर के गले लगकर उसे कुछ और ही अहसास होने लगा , उसको पसीना सा आने लगा और उसकी सांसे भारी हो चलीं । उसने महसूस किया कि उसका बदन काँप रहा था । समीर के बदन से अपना बदन छूते ही उसको फिर उत्तेजना आने लगी । उसने गहरी साँस लेकर उस पहचानी सी पसीने की गंध को अपने अंदर भरा , अब वो पहेली सुलझ चुकी थी । कुछ पलों के लिए वो भूल ही गयी कि वो अपने प्रेमी के नहीं बल्कि अपने भाई के गले लगी है । समीर के मजबूत जिस्म से लिपटकर आँचल फिर से उन मादक पलों में खो गयी । जिस जिस्म से नज़दीकी पाने के लिए वो उतावली हो रही थी , वो उसके पास अब मौजूद था। यही वो शख्स था जो रातों में उसके सपनों में आकर उसकी पैंटी गीली कर जाता था। आँचल तड़प उठी । अजनबी से दुबारा मिलने का उसका सपना पूरा तो हुआ लेकिन ...............

अपने भाई की तेज चलती सांसों को उसने महसूस किया और उसकी आँखों में झाँका ।लेकिन वहां उसको दर्द और क्रोध की मिली जुली भावनाएं दिखी , समीर अपने को किस्मत द्वारा छला गया महसूस कर रहा था । आँचल से उन आँखों में देखा न गया और उसने अपनी नज़रें नीचे झुका लीं। समीर की उन भावनाओं ने आँचल को फिर से होश में ला दिया । उन आँखों में उस अजनबी की तरह प्यार नहीं बल्कि छले जाने का दर्द और क्रोध था ।


आँचल को अपने घुटने कमज़ोर और टाँगें कांपती सी महसूस हुई । उसे लगा वो अब गिर पड़ेगी । उसने अपना माथा समीर के सीने में टिका लिया । अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही उसने अपनी उत्तेजना को काबू में करने की भरपूर कोशिश की । आँचल के निप्पल उस पतली सफ़ेद शर्ट में उत्तेजना से तने हुए दिख रहे थे ।


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जिन्हें छिपाने का अब कोई रास्ता नहीं था ।

तभी आँचल की नज़र रिया की छाया पर पड़ी , वो भूल ही गयी थी कि उसके और समीर के अलावा कोई तीसरा भी वहां है । आँचल ने अपने को समीर से अलग किया । अब वहां पर खड़ा रहना उसके बर्दाश्त से बाहर था । समीर के नज़दीक जाते ही उसे कुछ हो जा रहा था । किस्मत के इस फेर से हैरान परेशान आँचल ने अपने आंसू पोछे , फिर मुड़ी और तेज तेज क़दमों से वहां से चली गयी ।

“ अरे ! ये कहाँ चली गयी ? ये हो क्या रहा है ? साली ने मेरा दिमाग चाट दिया तुमसे मिलवाने के लिए और जब मैंने मिलवा दिया तो ये ऐसा नाटक क्यों कर रही है ? " हैरानी से रिया ने समीर को पूछा ।

“ वो मेरी …मेरी ….” समीर में अपनी बात को पूरा करने की हिम्मत नहीं थी । वो रिया से नहीं कह पाया कि आँचल उसकी बहन है , वो कहता भी कैसे …….उसने शर्मिंदगी से अपनी दोनों हथेलियों से अपना चेहरा ढक लिया और आँखें बंद किये खड़ा रहा ।

“वो तुम्हारी क्या ? क्या है ? ” दोनों भाई बहन के व्यवहार से हैरान रिया को ये माज़रा कुछ समझ नहीं आ रहा था ।लेकिन अब उसकी उत्सुकता बढ़ रही थी ।

पर समीर जवाब देना नहीं चाहता था और दे भी नहीं सकता था । उसने एक नज़र उस तरफ दौड़ायी जिस तरफ आँचल गयी थी , फिर मुड़ा और वो भी चला गया ।
 
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रिया अकेले बेवकूफ की तरह से खड़ी रह गयी । कुछ पल सोचने के बाद अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं , और मुझे बता नहीं रहे । कुछ तो गड़बड़ है । अब मुझे ही पता लगाना पड़ेगा ।"
फिर वो भी पार्किंग से चली गयी ।
शाम को समीर जानबूझकर काफी देर बाद घर आया । उसने देखा आँचल डाइनिंग रूम या किचन में नहीं थी जैसा की
वो अक्सर इस समय होती थी । वो दिन भर सोच रहा था कि घर जाकर अपनी बहन का सामना कैसे करेगा लेकिन जब
उसने पाया कि आँचल आज , अन्य दिनों की तरह , डिनर के लिए उसका इंतज़ार नहीं कर रही है तो उसने राहत की
सांस ली । समीर ने किचन में झांककर देखा तो पाया कि आँचल ने उसके लिए खाना पकाकर रख दिया था । उसने चुपचाप
खाना गरम किया और खाने लगा ।

डिनर के बाद उसने थोड़ी देर वहीँ सोफे पर बैठकर TV देखा फिर वो बाथरूम की तरफ चल दिया । आँचल के बेडरूम के
दरवाज़े से गुजरते वक़्त उसे हलकी हलकी सुबकने की आवाज़ें सुनाई दीं । अपने कानों में आँचल के सुबकने की आवाज़
पड़ने से उसका दिल बैठ गया । जो कुछ भी हुआ उसके लिए उसका मन अपने को ही दोषी ठहराने लगा । वो सोचने लगा
अगर वो पार्टी की उस रात रिया के प्रस्ताव को ठुकरा देता तो वो घटना होती ही नहीं । उसका दिल अपनी सुबकती हुई
लाड़ली बहन के पास दिलासा देने के लिए जाने को मचलने लगा ।



दूसरी तरफ ये बात भी थी कि समीर को भी वो अजनबी लड़की अच्छी लगी थी । उस लड़की ने बिना नखरे दिखाये
समीर के साथ खुलकर सेक्स किया था और ये बात समीर को बहुत पसंद आयी थी । वो खुद भी उस लड़की से दुबारा
मिलने को उत्सुक था । इसीलिए जब रिया ने उससे मुलाकात के लिए पूछा तो उसने तुरंत हामी भर दी थी ।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था । मन में सुहाने सपने लिए दोनों भाई बहन अपने अपने अजनबी से
मिलना चाहते थे ।लेकिन जब मुलाकात हुई तो वो उसकी अपनी ही लाड़ली बहन निकली जिससे सेक्स सम्बन्ध
बनाने की वो कल्पना भी नहीं कर सकता था ।

वैसे तो दोनों ही भाई बहन आपस में बिलकुल ही खुले हुए थे । अक्सर ही आँचल घर में टीशर्ट और शॉर्ट्स में
अपनी खुली टांगों में घूमती रहती थी ।


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जब समीर उसके साथ आकर रहने लगा था तब भी आँचल ने अपने तौर तरीकों में
कोई बदलाव नहीं किया था । क्योंकि दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कोई बुरे विचार या वासना की भावना नहीं थी ।
लेकिन एक बार उन दोनों भाई बहन के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।
 
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“ आँचल ” उसने दरवाज़े के बाहर से अपनी बहन को आवाज़ दी ।

" जाओ यहाँ से " आँचल सुबकते सुबकते ही बोली ।

" आँचल , प्लीज मुझे अंदर आने दो । मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ । “

" समीर , तुम मुझसे दूर रहो । मुझे अकेला छोड़ दो । प्लीज ! ”

समीर उसका दुःख और बढ़ाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने ज्यादा जोर नहीं दिया और चुपचाप
अपने बेडरूम में आ गया । बेड में लेटे हुए उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी प्यारी बहन को खो दिया है ।
उसे लगा कि, उन दोनों के बीच जो लाड़ भरा रिश्ता भाई बहन का था और जो उसके लिए बहुत मायने रखता था
क्योंकि वो अपनी बहन से बहुत प्यार करता था और उम्र में थोड़ा छोटा होने के बावजूद एक protective भाई की तरह
उसकी केयर करता था , वो रिश्ता अब हमेशा के लिए खत्म हो चुका है ।



उन दोनों ही भाई बहन के लिए वो रात बहुत लम्बी गुजरी l दोनों ही अपनी अपनी मानसिक पीड़ा को भोगते हुए
बिस्तर में इधर से उधर करवटें बदलते रहे । आखिर थककर नींद ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया ।

दूसरे दिन कॉलेज में आँचल का मन नहीं लगा । उसके मन में वही सब ख्याल आते रहे । पार्किंग में समीर के सीने से
लगने पर हुई उत्तेजना के दृश्य उसकी आँखों के सामने घूमते रहे । जिस अजनबी को वो इतना चाहने लगी थी
वो अब अजनबी नहीं उसका भाई समीर था । फिर भी उसकी चाहत कम नहीं हो रही थी ।
 

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उसने अपने दिल को समझाना चाहा कि ये सिर्फ छिछोरापन है , समीर उसका भाई है और वो उसकी 1 साल
बड़ी बहन । आखिर दुनिया में कौन बहन अपने भाई की तरफ इस तरह आकर्षित होती है कि उससे सेक्स सम्बन्ध
बनाने की इच्छा हो ? जो भी हुआ वो किस्मत की एक गलती थी और अगर अब भी मैं समीर की तरफ आकर्षित हो
रही हूँ तो ये बहुत ही गलत बात है , जो संसार के नियम बंधनों के हिसाब से पाप है ।

उसे अपने ऊपर ही क्रोध आने लगा । लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी वो अपने दिल पर काबू न पा सकी ।उसके मन में
समीर को पाने की इच्छा बढ़ती ही गयी । जब भी वो अपनी आँखे बंद करती उसको समीर ही दिखाई देता । उसने अपनी
पूरी कोशिश की , कि वो अपने भाई के बारे में इस तरह से न सोचे । उसने अपना ध्यान समीर से हटाकर , अपने
पुराने बॉयफ्रेंड के साथ बिताये पलों को याद करने का प्रयास किया । लेकिन इन सब कोशिशों से कोई फायदा नहीं हुआ ।
उसको बार बार उस अँधेरे कमरे में अपने ऊपर समीर के बदन की परछाई दिखाई दे रही थी ।



शाम को आँचल डाइनिंग रूम में सोफे पर आँखें बंद किये लेटी थी । उसके मन में समीर के ही ख्याल आ रहे थे । उसे लगा
समीर उसके ऊपर लेटा हुआ है और उससे धीमे धीमे प्यार कर रहा है । अपने आप ही उसका एक हाथ clitoris पर
चला गया और दूसरे हाथ से वो अपनी एक चूची को हलके से सहलाने लगी ।


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फिर कुछ पलों बाद उसने समीर के मुंह से
निकलती सिसकारी सुनी और अपनी चूत में सफ़ेद गाड़े वीर्य की धार महसूस की ।

पिछले कुछ दिनों से आँचल के मन में अजनबी से मिलने की बहुत तड़प थी । उस रात की उत्तेजना उसके मन
से कभी निकल ही नहीं पायी । उसको लगता था उसके बदन में कुछ आग सी लग गयी है ।अपनी चूत के फूले होंठ उसको
कुछ ज्यादा ही sensitive महसूस हो रहे थे और चूत में हर समय एक गीलापन महसूस होता था ।

अपने अंदर उठती इन भावनाओं की वजह से दिन भर वो बहुत रोयी थी । ये ऐसी इच्छाएं थी जो पूरी नहीं की
जा सकती थीं और अपने भाई के लिए तड़प , उसे तो समाज स्वीकार ही नहीं करता था । उसने कभी नहीं सोचा था
कि सिर्फ एक रात के सम्बन्ध से हालत यहाँ तक पहुँच जायेंगे और उसके मन में अपने भाई को पाने की चाहत
इस कदर बढ़ जायेगी कि वो समाज के बनाये नियमों को तोड़ने पर आमादा हो जाएगी ।
 
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अब वो अजनबी से अनजान नहीं थी । ये बात बिलकुल साफ़ हो चुकी थी कि वो कौन था जो उसके उत्तेजक सपनो
में आता था और उसको भरपूर कामतृप्त करके ही जाता था । जिसके चौड़े सीने से लगकर वो अपने आप को
फिर से छोटी बच्ची की तरह सुरक्षित महसूस करती थी । अब उस अजनबी का चेहरा धुंधला सा नहीं था ,
वो चेहरा था उसके हैंडसम भाई समीर का ।

ऐसे हालात में एक ही छत के नीचे अपने भाई के साथ रहना अब उसके लिए नामुमकिन सा था । समीर के उसके ही
साथ रहने से आँचल को अपनी भावनाओं पर काबू पाना संभव नहीं लग रहा था । उसे लग रहा था कि अगर समीर यहीं रहा
तो वो उसके लिए तड़पती ही रहेगी । उसने सोचा कि वो अपने प्यारे भाई से कह देगी कि वो अपने लिए कोई और कमरा ढूंढ ले
और यहाँ से चला जाये । मगर समीर को जाने के लिए कहने के ख्याल के बारे में सोचने से ही उसे इतनी पीड़ा पहुंची
कि उसने इस ख्याल को ही मन से निकाल दिया ।

उसने ये भी सोचा कि वो अन्य दूसरे लड़कों से दोस्ती बढ़ाएगी , कोई नया बॉयफ्रेंड बनायेगी । ताकि इन बातों को
भूल सके । लेकिन ये ख्याल भी ज्यादा देर नहीं टिका क्योंकि अब वो सिर्फ और सिर्फ समीर को ही चाहती थी । कोई भी
दूसरा लड़का समीर के लिए उसकी चाहत के सामने बौना ही साबित होता । आँचल के लिए अब छोटा भाई समीर ही
उसका “ बॉयफ्रेंड “ था । लेकिन समीर के लिए ?
 
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