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फिर समीर ने आँचल को उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया ।
उसके पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया।
आँचल को समीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और
समीर का लंड उसकी चूत को स्पर्श कर रहा था ।
फिर समीर ने अपने होंठ आँचल के होठों पर रख दिये।
दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और
एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे ।
उनके हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
तभी आँचल ने साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,
" भाई अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो ।
मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो ।
मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
समीर ने आँचल की आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो आँचल तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ ।
सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी ।
जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"
फिर उसने अपने लंड को आँचल की चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
आँचल ने दोनों हाथों से समीर के नितम्बों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी।
समीर का पूरा लंड आँचल की पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।
"अहह ........ समीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए आँचल बोली ।
समीर के मोटे लंड से आँचल को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था
लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था ।
आँचल के चेहरे के भाव देखकर समीर ने उससे पूछा " आँचल तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? "
उसके पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया।
आँचल को समीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और
समीर का लंड उसकी चूत को स्पर्श कर रहा था ।
फिर समीर ने अपने होंठ आँचल के होठों पर रख दिये।
दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और
एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे ।
उनके हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
तभी आँचल ने साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,
" भाई अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो ।
मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो ।
मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
समीर ने आँचल की आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो आँचल तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ ।
सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी ।
जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"
फिर उसने अपने लंड को आँचल की चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
आँचल ने दोनों हाथों से समीर के नितम्बों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी।
समीर का पूरा लंड आँचल की पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।
"अहह ........ समीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए आँचल बोली ।
समीर के मोटे लंड से आँचल को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था
लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था ।
आँचल के चेहरे के भाव देखकर समीर ने उससे पूछा " आँचल तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? "
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