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Update 18A
शाम बीत गई. डॉ रुतम, बलबीर और कोमल मे काफ़ी बातचीत भी हुई. तीनो ने साथ मिलकर डिनर किया. पर रात होते ही सोने की बारी आई. अब कोमल डॉ रुस्तम के सामने ये कैसे शो करें की बलबीर और कोमल दोनों बिना शादी के पति पत्नी की तरह रहे रहे है. कोमल बात को घूमने की भी कोसिस करती है.
कोमल : बलबीर तुम घर जाओगे तो पहोच कर फ़ोन करना. ओके???
बलबीर कभी डॉ रुस्तम को देखता है. तो कभी कोमल को. उसके हाव भाव से ही पता चल गया की कुछ गड़बड़ है. बलबीर भी ये नहीं समझ पाया की कोमल बोलना क्या चाहती है. पर डॉ रुस्तम जरूर समझ गया. और उसे हसीं आ गई. कोमल का चहेरा उतर गया. क्यों की वो भी समझ गई की डॉ रुस्तम समझ गए.
डॉ : (स्माइल) देखो. मुजे किसी की पर्सनल लाइफ से कोई लेने देना नहीं. आप लोग जैसे चाहे वैसे रहिये.
कोमल को थोड़ी राहत हुई.
कोमल : हम दोनों लिविंग मे रहे रहे है.
बलबीर : ये लिविंग क्या??? मतलब???
बलबीर ज्यादा पढ़ा नहीं था. इस लिए उसे ऐसे शब्दो का ज्ञान नहीं था. पर कोमल को बलबीर ने जो रायता फैला दिया था. उसपर कोमल बलबीर से थोडा गुस्सा भी थी.
कोमल : किसी बुद्धू के साथ रहते है. उसे लिविंग कहते है.
बलवीर : पर तुम कहा बुद्धू हो. तुम तो समजदार हो.
कोमल का मज़ाक कोमल पर ही आ गया. डॉ रुस्तम जोरो से हस पड़ा. कोमल सोफे पर बैठे सर निचे किये हसने लगी. उसे शर्म भी आ रही थी. और हसीं भी. बलबीर ने कोई जानबुचकर पंच नहीं मरा था. ये उसका भोलापन ही था. डॉ रुस्तम भी सामने के सोफे ओर बैठ गया.
डॉ : (स्माइल) मान गए बलबीर साहब. मान गए तुम्हे.
बलबीर को अब भी समझ नहीं आया की हुआ क्या.
डॉ : वैसे मे अअअअअ... किसी की प्रसनल लाइफ के बारे मे कभी नहीं बोलता. पर बलबीर साहब को देख कर आप से कुछ कहना चाहता हु.
कोमल भी डॉ रुस्तम की तरफ देखने लगी. डॉ रुस्तम वैसे तो कहे रहे थे. पर लहजा पूछने वाला था. जैसे बोलने की परमिशन मांग रहे हो. वो बात डॉ रुस्तम कोमल की आँखों मे आंखे डालकर कहते है.
डॉ : बलबीर साहब जैसे भोले और सीधे इंसान को अपना ना बहोत ही पुण्य का काम है. अगर सच्चा प्यार है तो जीवन खुशियों से भर जाएगा. पर अगर बिच रास्ते पर ऐसे रिश्ते को यदि छोड़ दिया गया तो बहोत बड़ा पाप होगा.
बलबीर तो बस खड़ा बात समझने की कोसिस मे था. उसे बात समझ भी आ गई. मगर कोमल अच्छे से समझ गई की डॉ रुस्तम क्या कहना चाहते है. कोमल ने प्यार से भावुक होकर बलबीर की तरफ देखती है.
कोमल : (भावुक) कुछ भी हो जाए डॉ साहब. मै बलबीर से कभी अब दूर तो नहीं रहे सकती. ये मेरे साथ तब खड़ा रहा जब मेरे पति ने मेरा साथ छोड़ दिया.
बलबीर भी भावुक होकर मुस्कुरा दिया.
डॉ : (स्माइल) चलो अच्छी बात है. मै यही सोफे पर ही सो जाऊंगा.
रात हो गई. बलबीर और कोमल दोनों अपने रूम मे ही सो गए. उस दिन कोई हरकत कुछ गलत नहीं हुआ. पर रात 1130 पर हरकते शुरू हो गई. एकदम से टीवी ऑन हो गई. वॉल्यूम नहीं था. पर एकदम से सामने रखी टीवी के उजाले से डॉ रुस्तम जाग गया. बलबीर और कोमल को नींद आ चुकी थी. इस लिए उन्हें पता नहीं चला की ड्राइंग रूम क्या हो रहा है. डॉ रुस्तम समझ गए की मामला क्या है.
वो वापिस लेट गए. वॉल्यूम अपने आप धीरे धीरे बढ़ने लगा. पर डॉ रुस्तम वैसे ही लेटे रहे. जैसे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो. लेकिन टीवी की आवाज के कारण बलबीर और कोमल दोनों की नींद खुल गई. और वो दोनों ड्राइंग रूम मे आए. वो दोनों सॉक थे. टीवी तेज आवाज मे चालू है. और डॉ रुस्तम मस्ती से लेते हुए है.
डॉ : (सोए सोए ही) चुप चाप उसे जो करना है करने दो. तुम जाकर आराम से लेट जाओ.
कोमल भी समझ गई की मामला क्या है. वो बलबीर का हाथ पकड़ कर अंदर लेजाने लगी.
कोमल : चलो बलबीर.
वो दोनों रूम मे तो आ गए. पर नींद अब कहा आने वाली थी. तभी लैंडलाइन फोन पर रिंग बजने लगी. अब हर चीज को तो पैरानार्मल एक्टिविटी से तो नहीं जोड़ा जा सकता. डॉ रुस्तम ने फोन नहीं उठाया. मगर फ़ोन लगातार बजता रहा. कोमल ने सोचा सायद वो फोन उसके लिए किसी ने किया हो. कोमल से बरदास नहीं हुआ.
और वो बेड से खड़े होकर ड्राइंग रूम मे आ गई. डॉ रुस्तम ने भी उसे देखा. पर वो कुछ बोले नहीं. कोमल कभी डॉ रुस्तम को देखती है. तो कभी अपने लैंड लाइन फोन को. कोमल झटके से उस फोन को उठा लेती है. पर कुछ बोली नहीं. बस रिसीवर कान पे लगाकर सुन ने लगी. पर वो हैरान हो गई. उसे उस दिन जो पलकेश के साथ जो फोन पर बात हुई थी. वही सुन ने को मिली
((( पलकेश : हेलो कोमल. क्या तुम ठीक हो???
कोमल : (सॉक) हा मै ठीक हु.
पसकेश : पर मै ठीक नहीं हु. पर मै ठीक नहीं हु(अन नॉनवॉइस) क्या तुम यहाँ आ सकती हो??? क्या तुम यहाँ आ सकती हो(अन नॉन वॉइस)???
कोमल : क्या हो गया तुम्हे. तुम ठीक तो हो.
पलकेश : (रोते हुए) नहीं मै ठीक नहीं हु. नहीं मै ठीक नहीं हु(अन नॉन वॉइस). तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ. तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ(अन नॉन वॉइस). वो तुमसे बात करना चाहता है. वो तुमसे बात करना चाहता है(अन नॉन वॉइस). ))))
ये बाते पलकेश से तब हुई थी. जब तालाख के बाद पलकेश ने अचानक call कर दिया था. और कोमल बलबीर को लेकर मुंबई गई थी. वही दोहरी आवाज. साथ मे वैसे ही इको होते किसी अन नॉन की आवाज. मतलब डबल आवाज. कोमल हैरान होकर डॉ रुस्तम को देखने लगी.
डॉ : हैरान मत होना. वो तुम्हे कोई ना कोई पास्ट दिखाकर तुम्हारे अंदर डर पैदा करेगा. अगर तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता तो वो कुछ भी नहीं कर सकता. ये असर 4 बजे तक चलेगा.
बलबीर भी वही आ गया. और तीनो ने मिलकर 4 बजे तक सोफे पर बैठके रात कटी. डॉ रुस्तम और बलबीर अपने जीवन के कई एक्सपीरियंस आपस मे सेर करते रहे. पर कोमल को तो बलबीर के कंधे पर सर रखे नींद आ गई. ये कोमल को भी नहीं पता चली. 4 बजते ही बलबीर भी वैसे बैठे सो गया. तो बलबीर कोमल के बैडरूम मे जाकर सो गया. सुबह के 9 बजे उनकी नींद किसी के डोर नॉक होने से खुली. बलबीर भी उठ गया और कोमल भी.
डोर जोरो से ठोका जा रहा था. इतनी जोर से की कोमल और बलबीर दोनों की नींद खुलने की बजाए उड़ ही गई. वो दोनों एकदम से उठकर डोर की तरफ देखने लगे.
दाई माँ : अरे खोलो दरवाजा. निपुते अब तक सोय रहे है.
दोनों की गांड फट गई. डॉ रुस्तम की भी नींद खुल गई. और वो भी आ गया.
कोमल : (रोने जैसा मुँह) बलबीर अब क्या करें. माँ तो आ गई.
डॉ रुस्तम आगे बढ़ा और उसने डोर खोल ही दिया. दाई माँ अंदर आई और अपने दोनों बैग डॉ रुस्तम के हाथ मे पकड़ा दिये.
दाई माँ : जे ले. तू ज्याए पकड़.
कोमल तुरंत दाई माँ के पास पहोच गई.
कोमल : माँ....
पर दाई माँ ने उसे एक झन्नाटेदार झापड़ मारा.
दाई माँ : (गुस्सा) किस हक़ ते जे तेरे झोर रेह रो है.
(किस हक़ से ये तेरे साथ रहे रहा है.)
कोमल को बचपन मे भी किसी ने नहीं मारा. उसके पापा बेटी पर हाथ कभी नहीं उठाते थे. नहीं उसकी माँ को उठाने देते. लेकिन पहेली बार थप्पड़ से कोमल पूरी हिल गई. दाई माँ फिर बलबीर के पास गई. वो बलबीर को भी थप्पड़ मार ने ही वाली थी. उस से पहले ही कोमल और बलबीर दोनों ही दाई माँ के पाऊ पकड़ लेते है. कोमल की आँखों के अंशू देख कर दाई माँ का दिल पिघल गया.
बलबीर को तो दाई माँ वो छोटा था. तब से जानती थी. वो जानती थी की बलबीर कभी गलत नहीं कर सकता. दाई माँ बलबीर के चहेरे को देख कर भी बात समझने की कोसिस करती है. दाई माँ थोडा लम्बी शांसे लेते दोनों को देखती रही.
दाई माँ : (लम्बी शांसे) छोडो...
कोमल : (रोते हुए ) माँ प्लीज हमें समझने की कोसिस करो.
दाई माँ थोडा चिल्ला कर बोली.
दाई माँ : अरे छोड़ अब.
कोमल ने डर के तुरंत छोड़ दिया. बलबीर भी तुरंत पीछे हट गया. दाई माँ पास मे ही सोफे पर जाकर बैठ गई. बुढ़ापे का असर साफ दिख रहा था. थोड़ी हालत दुरुस्त होते ही कोमल की तरफ देखती है. पर इस बार आँखों मे गुस्सा नहीं था.
दाई माँ : जे गाम को सुधो सादो छोरा है. तू जाके साथ क्यों एसो कर रही है??
(ये गाउ का सीधा सादा लड़का है. तू इसके साथ क्यों ऐसा कर रही है???)
कोमल कभी बलबीर को देखती है. तो कभी दाई माँ को.
कोमल : (हिचक) माँ मे मे बलबीर से प्यार करती हु.
दाई माँ को पलकेश के बारे मे पता था. तलाख और मौत दोनों के बारे मे.
दाई माँ : फिर ज्याते ब्याह कई ना कर रई तू???
(फिर इस से शादी क्यों नहीं कर रही तू???)
कोमल कुछ बोल ही नहीं पाई. पर दाई माँ ने भी वही बात बोली जो रात रुस्तम ने कही थी. तरीका बोलने का चाहे अलग हो पर कहने का मतलब वही था. बलबीर खुद आगे आया और घुटनो के बल दाई माँ के कदमो मे बैठ गया.
बलबीर : माई मुजे कोमल पर भरोसा है. आप मेरी फ़िक्र मत करो.
दाई माँ ने एक नार्मल थप्पड़ बलबीर के गाल पर मार दिया.
दाई माँ : चल बाबाड़ चोदे......(देहाती ब्रज गली )
इस बार कोमल हसीं रोक नहीं पाई. और अपने मुँह पर हाथ रख कर हस दी. दाई माँ ने कोमल को प्यार से देखा तो कोमल तुरंत दाई माँ के पास आ गई. एक माँ कब पिघलेगी ये उसके बच्चों को पता होता है. कोमल दाई माँ के बगल मे सोफे पर बैठ गई. वो दाई माँ को तुरंत बाहो मे भरकर उसके कंधे पर अपना सर टिका देती है.
कोमल : (भावुक) माँ...
दाई माँ ने कन्धा झटक कर कोमल को दूर करने की कोसिस की. पर कोमल जानती थी की ये झूठा विरोध है.
दाई माँ : चल हठ बावरी.
कोमल ने अपनी बाहो के घेरे को बिलकुल ढीला नहीं छोड़ा. उल्टा और ज्यादा कस लिया. कोमल मुस्कुराते अपनी आंखे बंद कर लेती है. उसके फेस पर एक अलग शुकुन को साफ महसूस किया जा सकता था. दाई माँ भी पिघल गई और कोमल के गल को अपने हाथ से सहलाने लगी.
दाई माँ : तोए जोर ते तो ना लगी लाली???
(तुझे जोर से तो नहीं लगी बेटी???)
कोमल ने कोई रियेक्ट नहीं किया. जब की उसे किसी ने पहेली बार थप्पड़ मारा था.
कोमल : कुछ नहीं हुआ माँ.
दाई माँ : चल हट फिर. पहले वो काम कर दऊ. जाके(जिसके) लिए मै आई हु.
कोमल हटी. और दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. वो दाई माँ के दोनों बड़े थैले को ले आया. दाई माँ अपना प्रोग्राम शुरू करने वाली थी.