• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Horror किस्से अनहोनियों के

Shetan

Well-Known Member
15,074
40,366
259
Ab ki baar 50,000 par liks 👍👍👍💯
Wow......
 

Shetan

Well-Known Member
15,074
40,366
259
Shetan ji aap bohot badiya writer ho is xf pe Kam hi bache hai good writer to Jo bache hai unki kadar to karni padti hai.agar ache writer hi nahi rahenge to achi kahani padne ko nahi milegi so I love best writers 🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️
बिलकुल बहोत बड़े बड़े राइटर्स ने लिखना छोड़ दिया है.
 

Shetan

Well-Known Member
15,074
40,366
259
Mai kabi kisi writer ko kuch bi ghal nahi bolta kahani achi lagi to pado warna chor do.kisi ko bura matt bolo
सही हे
 

Tiger 786

Well-Known Member
6,232
22,620
173
सही हे
Next update ka intezar hai
 

Shetan

Well-Known Member
15,074
40,366
259

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,148
56,348
259
A

Update 18A

शाम बीत गई. डॉ रुतम, बलबीर और कोमल मे काफ़ी बातचीत भी हुई. तीनो ने साथ मिलकर डिनर किया. पर रात होते ही सोने की बारी आई. अब कोमल डॉ रुस्तम के सामने ये कैसे शो करें की बलबीर और कोमल दोनों बिना शादी के पति पत्नी की तरह रहे रहे है. कोमल बात को घूमने की भी कोसिस करती है.


कोमल : बलबीर तुम घर जाओगे तो पहोच कर फ़ोन करना. ओके???


बलबीर कभी डॉ रुस्तम को देखता है. तो कभी कोमल को. उसके हाव भाव से ही पता चल गया की कुछ गड़बड़ है. बलबीर भी ये नहीं समझ पाया की कोमल बोलना क्या चाहती है. पर डॉ रुस्तम जरूर समझ गया. और उसे हसीं आ गई. कोमल का चहेरा उतर गया. क्यों की वो भी समझ गई की डॉ रुस्तम समझ गए.


डॉ : (स्माइल) देखो. मुजे किसी की पर्सनल लाइफ से कोई लेने देना नहीं. आप लोग जैसे चाहे वैसे रहिये.


कोमल को थोड़ी राहत हुई.


कोमल : हम दोनों लिविंग मे रहे रहे है.


बलबीर : ये लिविंग क्या??? मतलब???


बलबीर ज्यादा पढ़ा नहीं था. इस लिए उसे ऐसे शब्दो का ज्ञान नहीं था. पर कोमल को बलबीर ने जो रायता फैला दिया था. उसपर कोमल बलबीर से थोडा गुस्सा भी थी.


कोमल : किसी बुद्धू के साथ रहते है. उसे लिविंग कहते है.


बलवीर : पर तुम कहा बुद्धू हो. तुम तो समजदार हो.


कोमल का मज़ाक कोमल पर ही आ गया. डॉ रुस्तम जोरो से हस पड़ा. कोमल सोफे पर बैठे सर निचे किये हसने लगी. उसे शर्म भी आ रही थी. और हसीं भी. बलबीर ने कोई जानबुचकर पंच नहीं मरा था. ये उसका भोलापन ही था. डॉ रुस्तम भी सामने के सोफे ओर बैठ गया.


डॉ : (स्माइल) मान गए बलबीर साहब. मान गए तुम्हे.


बलबीर को अब भी समझ नहीं आया की हुआ क्या.


डॉ : वैसे मे अअअअअ... किसी की प्रसनल लाइफ के बारे मे कभी नहीं बोलता. पर बलबीर साहब को देख कर आप से कुछ कहना चाहता हु.


कोमल भी डॉ रुस्तम की तरफ देखने लगी. डॉ रुस्तम वैसे तो कहे रहे थे. पर लहजा पूछने वाला था. जैसे बोलने की परमिशन मांग रहे हो. वो बात डॉ रुस्तम कोमल की आँखों मे आंखे डालकर कहते है.


डॉ : बलबीर साहब जैसे भोले और सीधे इंसान को अपना ना बहोत ही पुण्य का काम है. अगर सच्चा प्यार है तो जीवन खुशियों से भर जाएगा. पर अगर बिच रास्ते पर ऐसे रिश्ते को यदि छोड़ दिया गया तो बहोत बड़ा पाप होगा.


बलबीर तो बस खड़ा बात समझने की कोसिस मे था. उसे बात समझ भी आ गई. मगर कोमल अच्छे से समझ गई की डॉ रुस्तम क्या कहना चाहते है. कोमल ने प्यार से भावुक होकर बलबीर की तरफ देखती है.


कोमल : (भावुक) कुछ भी हो जाए डॉ साहब. मै बलबीर से कभी अब दूर तो नहीं रहे सकती. ये मेरे साथ तब खड़ा रहा जब मेरे पति ने मेरा साथ छोड़ दिया.


बलबीर भी भावुक होकर मुस्कुरा दिया.


डॉ : (स्माइल) चलो अच्छी बात है. मै यही सोफे पर ही सो जाऊंगा.


रात हो गई. बलबीर और कोमल दोनों अपने रूम मे ही सो गए. उस दिन कोई हरकत कुछ गलत नहीं हुआ. पर रात 1130 पर हरकते शुरू हो गई. एकदम से टीवी ऑन हो गई. वॉल्यूम नहीं था. पर एकदम से सामने रखी टीवी के उजाले से डॉ रुस्तम जाग गया. बलबीर और कोमल को नींद आ चुकी थी. इस लिए उन्हें पता नहीं चला की ड्राइंग रूम क्या हो रहा है. डॉ रुस्तम समझ गए की मामला क्या है.

वो वापिस लेट गए. वॉल्यूम अपने आप धीरे धीरे बढ़ने लगा. पर डॉ रुस्तम वैसे ही लेटे रहे. जैसे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो. लेकिन टीवी की आवाज के कारण बलबीर और कोमल दोनों की नींद खुल गई. और वो दोनों ड्राइंग रूम मे आए. वो दोनों सॉक थे. टीवी तेज आवाज मे चालू है. और डॉ रुस्तम मस्ती से लेते हुए है.


डॉ : (सोए सोए ही) चुप चाप उसे जो करना है करने दो. तुम जाकर आराम से लेट जाओ.


कोमल भी समझ गई की मामला क्या है. वो बलबीर का हाथ पकड़ कर अंदर लेजाने लगी.


कोमल : चलो बलबीर.


वो दोनों रूम मे तो आ गए. पर नींद अब कहा आने वाली थी. तभी लैंडलाइन फोन पर रिंग बजने लगी. अब हर चीज को तो पैरानार्मल एक्टिविटी से तो नहीं जोड़ा जा सकता. डॉ रुस्तम ने फोन नहीं उठाया. मगर फ़ोन लगातार बजता रहा. कोमल ने सोचा सायद वो फोन उसके लिए किसी ने किया हो. कोमल से बरदास नहीं हुआ.

और वो बेड से खड़े होकर ड्राइंग रूम मे आ गई. डॉ रुस्तम ने भी उसे देखा. पर वो कुछ बोले नहीं. कोमल कभी डॉ रुस्तम को देखती है. तो कभी अपने लैंड लाइन फोन को. कोमल झटके से उस फोन को उठा लेती है. पर कुछ बोली नहीं. बस रिसीवर कान पे लगाकर सुन ने लगी. पर वो हैरान हो गई. उसे उस दिन जो पलकेश के साथ जो फोन पर बात हुई थी. वही सुन ने को मिली


((( पलकेश : हेलो कोमल. क्या तुम ठीक हो???
कोमल : (सॉक) हा मै ठीक हु.


पसकेश : पर मै ठीक नहीं हु. पर मै ठीक नहीं हु(अन नॉनवॉइस) क्या तुम यहाँ आ सकती हो??? क्या तुम यहाँ आ सकती हो(अन नॉन वॉइस)???


कोमल : क्या हो गया तुम्हे. तुम ठीक तो हो.


पलकेश : (रोते हुए) नहीं मै ठीक नहीं हु. नहीं मै ठीक नहीं हु(अन नॉन वॉइस). तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ. तुम प्लीज जल्दी यहाँ आ जाओ(अन नॉन वॉइस). वो तुमसे बात करना चाहता है. वो तुमसे बात करना चाहता है(अन नॉन वॉइस). ))))


ये बाते पलकेश से तब हुई थी. जब तालाख के बाद पलकेश ने अचानक call कर दिया था. और कोमल बलबीर को लेकर मुंबई गई थी. वही दोहरी आवाज. साथ मे वैसे ही इको होते किसी अन नॉन की आवाज. मतलब डबल आवाज. कोमल हैरान होकर डॉ रुस्तम को देखने लगी.


डॉ : हैरान मत होना. वो तुम्हे कोई ना कोई पास्ट दिखाकर तुम्हारे अंदर डर पैदा करेगा. अगर तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता तो वो कुछ भी नहीं कर सकता. ये असर 4 बजे तक चलेगा.


बलबीर भी वही आ गया. और तीनो ने मिलकर 4 बजे तक सोफे पर बैठके रात कटी. डॉ रुस्तम और बलबीर अपने जीवन के कई एक्सपीरियंस आपस मे सेर करते रहे. पर कोमल को तो बलबीर के कंधे पर सर रखे नींद आ गई. ये कोमल को भी नहीं पता चली. 4 बजते ही बलबीर भी वैसे बैठे सो गया. तो बलबीर कोमल के बैडरूम मे जाकर सो गया. सुबह के 9 बजे उनकी नींद किसी के डोर नॉक होने से खुली. बलबीर भी उठ गया और कोमल भी.

डोर जोरो से ठोका जा रहा था. इतनी जोर से की कोमल और बलबीर दोनों की नींद खुलने की बजाए उड़ ही गई. वो दोनों एकदम से उठकर डोर की तरफ देखने लगे.


दाई माँ : अरे खोलो दरवाजा. निपुते अब तक सोय रहे है.


दोनों की गांड फट गई. डॉ रुस्तम की भी नींद खुल गई. और वो भी आ गया.


कोमल : (रोने जैसा मुँह) बलबीर अब क्या करें. माँ तो आ गई.


डॉ रुस्तम आगे बढ़ा और उसने डोर खोल ही दिया. दाई माँ अंदर आई और अपने दोनों बैग डॉ रुस्तम के हाथ मे पकड़ा दिये.


दाई माँ : जे ले. तू ज्याए पकड़.


कोमल तुरंत दाई माँ के पास पहोच गई.


कोमल : माँ....


पर दाई माँ ने उसे एक झन्नाटेदार झापड़ मारा.


दाई माँ : (गुस्सा) किस हक़ ते जे तेरे झोर रेह रो है.
(किस हक़ से ये तेरे साथ रहे रहा है.)


कोमल को बचपन मे भी किसी ने नहीं मारा. उसके पापा बेटी पर हाथ कभी नहीं उठाते थे. नहीं उसकी माँ को उठाने देते. लेकिन पहेली बार थप्पड़ से कोमल पूरी हिल गई. दाई माँ फिर बलबीर के पास गई. वो बलबीर को भी थप्पड़ मार ने ही वाली थी. उस से पहले ही कोमल और बलबीर दोनों ही दाई माँ के पाऊ पकड़ लेते है. कोमल की आँखों के अंशू देख कर दाई माँ का दिल पिघल गया.

बलबीर को तो दाई माँ वो छोटा था. तब से जानती थी. वो जानती थी की बलबीर कभी गलत नहीं कर सकता. दाई माँ बलबीर के चहेरे को देख कर भी बात समझने की कोसिस करती है. दाई माँ थोडा लम्बी शांसे लेते दोनों को देखती रही.


दाई माँ : (लम्बी शांसे) छोडो...


कोमल : (रोते हुए ) माँ प्लीज हमें समझने की कोसिस करो.


दाई माँ थोडा चिल्ला कर बोली.


दाई माँ : अरे छोड़ अब.


कोमल ने डर के तुरंत छोड़ दिया. बलबीर भी तुरंत पीछे हट गया. दाई माँ पास मे ही सोफे पर जाकर बैठ गई. बुढ़ापे का असर साफ दिख रहा था. थोड़ी हालत दुरुस्त होते ही कोमल की तरफ देखती है. पर इस बार आँखों मे गुस्सा नहीं था.


दाई माँ : जे गाम को सुधो सादो छोरा है. तू जाके साथ क्यों एसो कर रही है??
(ये गाउ का सीधा सादा लड़का है. तू इसके साथ क्यों ऐसा कर रही है???)


कोमल कभी बलबीर को देखती है. तो कभी दाई माँ को.


कोमल : (हिचक) माँ मे मे बलबीर से प्यार करती हु.


दाई माँ को पलकेश के बारे मे पता था. तलाख और मौत दोनों के बारे मे.


दाई माँ : फिर ज्याते ब्याह कई ना कर रई तू???
(फिर इस से शादी क्यों नहीं कर रही तू???)


कोमल कुछ बोल ही नहीं पाई. पर दाई माँ ने भी वही बात बोली जो रात रुस्तम ने कही थी. तरीका बोलने का चाहे अलग हो पर कहने का मतलब वही था. बलबीर खुद आगे आया और घुटनो के बल दाई माँ के कदमो मे बैठ गया.


बलबीर : माई मुजे कोमल पर भरोसा है. आप मेरी फ़िक्र मत करो.


दाई माँ ने एक नार्मल थप्पड़ बलबीर के गाल पर मार दिया.


दाई माँ : चल बाबाड़ चोदे......(देहाती ब्रज गली )


इस बार कोमल हसीं रोक नहीं पाई. और अपने मुँह पर हाथ रख कर हस दी. दाई माँ ने कोमल को प्यार से देखा तो कोमल तुरंत दाई माँ के पास आ गई. एक माँ कब पिघलेगी ये उसके बच्चों को पता होता है. कोमल दाई माँ के बगल मे सोफे पर बैठ गई. वो दाई माँ को तुरंत बाहो मे भरकर उसके कंधे पर अपना सर टिका देती है.


कोमल : (भावुक) माँ...


दाई माँ ने कन्धा झटक कर कोमल को दूर करने की कोसिस की. पर कोमल जानती थी की ये झूठा विरोध है.


दाई माँ : चल हठ बावरी.


कोमल ने अपनी बाहो के घेरे को बिलकुल ढीला नहीं छोड़ा. उल्टा और ज्यादा कस लिया. कोमल मुस्कुराते अपनी आंखे बंद कर लेती है. उसके फेस पर एक अलग शुकुन को साफ महसूस किया जा सकता था. दाई माँ भी पिघल गई और कोमल के गल को अपने हाथ से सहलाने लगी.


दाई माँ : तोए जोर ते तो ना लगी लाली???
(तुझे जोर से तो नहीं लगी बेटी???)


कोमल ने कोई रियेक्ट नहीं किया. जब की उसे किसी ने पहेली बार थप्पड़ मारा था.


कोमल : कुछ नहीं हुआ माँ.


दाई माँ : चल हट फिर. पहले वो काम कर दऊ. जाके(जिसके) लिए मै आई हु.


कोमल हटी. और दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. वो दाई माँ के दोनों बड़े थैले को ले आया. दाई माँ अपना प्रोग्राम शुरू करने वाली थी.

Awesome update👌🏻👌🏻 and superb writing ✍️ komal and balbeer both are in safe hand now 👍 daai maa aagai hai dr rustam bhi hai, to ab un dono ko jaan ka khatra bhi nahi hai .
Shandaar update again. 👌🏻👌🏻
👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥💥💥💥💥💥💥💥
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,148
56,348
259
A

Update 18B


दाई माँ फर्श पर बैठ गई. और अपने थैले से सामान निकालने लगी. कोमल सब देख रही थी. कुछ सामान तो उसे ख्याल था. जो उसने डॉ रुस्तम के हवन क्रिया मे देखा था. दाई माँ ने जो सामग्री निकली उसमे बहोत सी चीजे ऐसी थी. जो मृतक जीवो की थी.

किसी पशु का नाख़ून, दाँत, हड्डी. खोपड़ी. बहोत कुछ. दाई माँ ने एक खिलौना भी निकला. वो एक गुड्डा था. ऐसे और भी दाई माँ के झोले मे थे. दाई माँ ने कोमल की तरफ देखा.


दाई माँ : लाली तेरे घर मे कोउ बड़ो सो शिसा हते का???
(बेटी तेरे घर मे बड़ा सा शिसा है क्या???)


कोमल : हा हा है ना. पर वो मेरा ड्रेसिंग टेबल है.


डॉ रुस्तम : वो तो कुर्बान करना पड़ेगा.


कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. वो समझ गया और बेडरूम से उस ड्रेसिंग टेबल को ही ले आया.


कोमल सभी करवाही बड़े ध्यान से देख रही थी. दाई माँ ने एक काला कपड़ा लिया और उस से ड्रेसिंग टेबल का मिरर ढक दिया. उसके एग्जिट सामने उस गुड्डे को रखा. कोमल डॉ रुस्तम के पास खड़ी थी. वो रहे नहीं पाई और डॉ रुस्तम से पूछ ही लेती है.


कोमल : माँ की प्रोसेस तुमसे अलग क्यों है.


डॉ : जो प्रोसेस मेने की वो शत्विक विधया थी. दाई माँ तामशिक प्रोसेस कर रही है.


कोमल : फिर दोनों मे फर्क क्या है????


डॉ : किसी भी भगवान की दो तरीको से सिद्ध हासिल की जा सकती है. एक तामसिक और एक सात्विक. सात्विक प्रवृत्ति में सब कुछ शुद्ध से होता है. जबकि तामसिक प्रवृत्ति में मालीनता का तक उपयोग होता है. तामसिक प्रवृत्ति में बाली भी देनी पड़ती है.


कोमल ने आगे कुछ पूछा नहीं. पर डॉ रुस्तम उसे खास चीज बताते है.


डॉ : दाई माँ ने 9 देवियो को सिद्ध कर रखा है. साथ ही कुछ सुपरनैचुरल पावर्स को भी सिद्ध कर रखा है. वो बहोत पावरफुल है.


कोमल हैरान रहे गई. ये सब सुन के. दाई माँ ने सारा सामान जमा दिया था. फर्श पर गोल और त्रिकोण आकृति बनाई थी. जिसपर कुम कुम वाला रंग लगा हुआ था. एक कटार भी रखी हुई थी. जिसे लेकर दाई माँ मंतर पढ़ रही थी. कई फल और भी कई ऐसे बीज भी थे.

जिसे कोमल नहीं जानती थी. दाई माँ ने अपने हाथ की ऊँगली को थोडा काटा. और खून निकल कर उस नीबू पर चढ़ाया. कोमल जो देख रही थी. उसकी जानकारी डॉ रुतम साथ साथ कोमल को बता रहे थे.


डॉ रुस्तम : ये जो कुम कुम वाले 9 नीबू है. ये 9 देवियो के स्थान है. साथ वो जो गुड्डा है वो एक जरिया है. जिस से वो जिन्न से बात की जा सकती है.


कोमल : फिर उस शीशे पर काला कपड़ा क्यों है???


वो जिन्न गुड्डे के जरिये आएगा. पर बात उस शीशे के जरिये से ही करेगा. उसे देखना अपसगुन है. पर वक्त आने पर तुम्हे देख कर बहोत कुछ समझ आ जाएगा. कोमल का ध्यान एक पत्थर पर गया. जिसे सिलबट्टा कहते है. जो चटनी कूटने के या मसाले कूटने के लिए काम आता है. दाई माँ मंतर पढ़ते पढ़ते रुक गई. और घूम कर डॉ रुस्तम की तरफ देखती है.


दाई माँ : नाय आ रहो बो.
(नहीं आ रहा वो)


रुस्तम : एक बार और कोसिस करो. नहीं तो इंतजार करते है. वो खुद आएगा तब कोसिस करेंगे.


दाई माँ एक बार और कोसिस करती है. कोमल,बलबीर डॉ रुस्तम तीनो देख रहे थे. काफ़ी वक्त हो गया. पर एनटीटी नहीं आई. दाई माँ बूढी थी. इस लिए उनका मुँह दर्द करने लगा. वो रुक गई. और पाऊ फॉल्ट कर के बैठ गई. डॉ रुस्तम सोफे पर बैठे तो कोमल और बलबीर भी दूसरे सोफे पर बैठ गए. दाई माँ तो फर्श पर ही बैठी थी.

कोमल दाई माँ को देख रही थी. और दाई माँ कोमल को. दाई माँ की नजर कोमल की थोड़ी से निचे गर्दन पर पड़े दाग पर गया. दाई माँ के चहेरे पर हलकी सी सिकन आ गई.


दाई माँ : इतउ आ री लाली.
(इधर आ बेटी)


कोमल तुरंत दाई माँ के करीब हुई. दाई माँ ने कोमल की थोड़ी को पकड़ कर हलके से गर्दन ऊपर उठाई. कुछ अजीब सा लाल दाग था. खींचने से कोमल को जलन भी हुई.


कोमल : बहोत दवाई करवाई माँ. पर ये जगह जगह हो जा रहा है.


कोमल को पता नहीं था की वो क्या है. पर दाई माँ को पता था. उन्हें गुस्सा आने लगा. वो जैसे गुस्सा अपने अंदर समेट रही हो.


दाई माँ : जा बैठ जा. सब ठीक हे जाएगो. (सब ठीक हो जाएगा)


कोमल जाकर बैठ गई. दाई माँ फिर घूमी और दूसरी बार अपना खून उन नीबूओ पर डाल के जोश मे मंत्रो का जाप करने लगी. कोमल से वो बेचैनी बरदास नहीं हुई. और वो खड़ी होकर डॉ रुस्तम के पास जाकर खड़ी हो गई. बलबीर उठने गया तो कोमल ने उसे बैठे रहने का हिशारा किया. कोमल बड़ी ही धीमी आवाज से पूछती है.


कोमल : अचानक माँ को गुस्सा क्यों आ रहा है??


डॉ : क्या तुम जानती हो तुम्हारे शरीर पर जो दाग है. वो क्या है??


कोमल : क्या???


डॉ : वो उस जिन्न का पेशाब है. वो तुम्हारे शरीर पर अपना...


डॉ रुस्तम बोल कर रुक गए. कोमल भी समझ गई की वो जिन्न अपने पेशाब कोमल के शरीर पर गिरता था. ये समाज़ते ही कोमल को भी गुस्सा आने लगा.


डॉ : दाई माँ ने उन 9 देवियो को अपना खून दिया. मतलब वो खुद की बली खुद को उन देवियो को अर्पण कर रही है.


कोमल वकील भी बेहद ख़तरनाक थी. उसे उन मर्दो पर बहोत गुस्सा आता था. जो औरत की बिना मर्जी के उन्हें छूते है. कोमल ने पति द्वारा पीड़ित महिलाओ के लिए भी कई केस लड़े थे. कइयों को तो सजा भी दिलवा दी थी. पर खुद को कोई पीड़ित करने लगे और कोमल को गुस्सा ना आए ऐसा मुश्किल है. दाई माँ रुक कर अपनी झंग पर अपना हाथ पटकती है.


दाई माँ : (गुस्सा) सारो आय ना रो. छोडूंगी नई ज्याए.


इन सब मे दोपहर का एक बज गया था. गुस्सा कोमल को भी आ रहा था. वो सोचने लगी की दाई माँ उसके लिए क्या कुछ नहीं कर रही. और वो बस ऐसे ही बैठी सिर्फ दाई माँ के भरोसे बैठी रहे. ऐसे ही दो कोसिस और हो गई. पर वो एंटी.टी आ ही नहीं रही थी. कोमल खड़ी हो गई.


कोमल : मुजे मालूम है की वो कैसे आएगा. तुम शुरू रखो. बेडरूम मे कोई नहीं आना.


कोमल अपने बेडरूम मे चली गई. वहा से बलबीर को बेड रूम के डोर के सामने का नजारा दिखाई दे रहा था. बलबीर ने देखा की कोमल जाते ही अपनी टीशर्ट पजामा ब्रा पैंटी सब कुछ उतर कर बेड पर नंगी लेट गई. बेड पर जाते ही उसे कोमल नहीं दिखाई देती है. क्यों की जिस ड्रेसिंग टेबल से बेडरूम का बेड दीखता था.

ड्रेसिंग टेबल ना होने के कारण वो कोमल को नहीं देख सकता था. बलबीर को कोमल के लिए एक अजीब सा डर लगने लगा. दाई माँ ने मंत्रो के उच्चारण को जोरो से शरू कर दिया. दोपहर के 2 बजते कोमल के फेल्ट का माहोल कुछ और ही हो गया. वहां कुछ अजीब हुआ. बलबीर ने देखा की एकदम जोर से कोमल के बैडरूम वाला डोर बड़ी जोरो से अपने आप बंद हुआ. और बड़ी जोरो की आवाज आई. भट्ट कर के. दाई माँ ने नव देवियो को सिर्फ खून ही नहीं पुष्प, फल, सुपारी पान बहोत कुछ अर्पण किया था.

उन्हें मालूम था की असर शुरू हो चूका है. जो गुड्डा रखा था. वो एकदम से आगे को झूकते गिर गया. गिरते ही उसे बड़े से मिरर का सहारा मिला. गुड्डा मिरर के सहारे टेढ़ा खड़ा था. गुड्डा रबर और प्लास्टिक का था. उसका वजन 5 ग्राम भी नहीं होगा. पर गुड्डे का सर मिरर से टकराते टंग सी आवाज आई. जैसे गुड्डा कोई भरी लोहे का हो.

मिरर और गुड्डे के बिच बस काला कपड़ा ही था. जैसे डोर बंद हुआ और भाग कर गया. डॉ रुस्तम भी उसके पीछे गया. अंदर कोमल जल्दी से खड़ी हुई और अपने कपडे पहेन ने लगी. अंदर अलमारी के दोनों दरवाजे अपने आप जोरो से खुलने बंद होने लगी.

फट फट की आवाजे जोरो से आने लगी. कोमल को भी डर लगने लगा. वही बहार से बलबीर और डॉ रुस्तम बार बार दरवाजा पिट रहे थे.


बलबीर : (घबराहट हड़ बड़ाहट) कोमल कोमल...


कोमल भी कपडे पहनते डोर तक पहोची.


कोमल : (जोर से आवाज) मे ठीक हु. डोर खुल नहीं रहा है.


डॉ : लगता है डोर ही तोडना पड़ेगा.


बलबीर : तुम पीछे हटो दरवाजा तोडना पड़ेगा.


कोमल पीछे हटी. बलबीर जोरो से डोर से कन्धा टकराने लगा. कोई कुण्डी नहीं लगे होने के बावजूद भी डोर खुल नही रहा था. उधर दाई माँ ने मंतर पढ़कर उस गुड्डे की पिठ की तरफ फेके. जैसे गुड्डे की पिठ पर जोर से मारे हो. वहां एकदम से वो डोर खुल गया. बलबीर सीधा अंदर की तरफ गिरने लगा. पर कोमल ने उसे थाम लिया. वो भी गिरते गिरते बची. वो तीनो बेडरूम से बहार दाई माँ के पास आ गए.

अब जो नजारा उन सब के सामने आने वाला था. वो एकदम डरावना था. दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा.


दाई माँ : डाक्टर तू हवन तैयार कर.



डॉ रुस्तम भी अपना बैग ले आया. उसमे से सामान निकालने लगा. जगह कम थी. इस लिए सोफे को वहां से पीछे खिसकाना पड़ा. डॉ रुस्तम ने हवन की सामग्री सब अच्छे से सेट किया. उसने हवन मे अग्नि भी दी. पर सब को एहसास हो रहा था की मिरर मे काले कपडे के पीछे कोई हे. एक आकृति सी उभर कर आने लगी थी. वो कपड़ा ट्रांसफार्मेट था. कपडे के पीछे कोई खुले बालो वाला भयानक अक्स नजर आने लगा. पर हड़ तो तब हो गई जब उनहे उस सक्स की हसने की आवाज आने लगी.
Superb update marvelous writing shetan.👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻 ye wala to palkesh wale se bhi khatarnaak hai👍
Hawan resy hai dekhte hai aage kya hota hai. 💥💥💥💥💥💥💥
💥💥💥💥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 
Top