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Ohhh Mak. Most welcome. Bahut hi achcha response mil raha hai. Per view nahin a raha hai. Horror story padhne wale log kam hai. Per kam se kam true readers hai. I am happy. Aapka mere third per swagat hai.Kaafi achhi jaa rahi kahani.. keep it up.
बहुत बढ़िया अपडेट, खास तौर से कोमल और बलबीर के रिश्ते एक नयी ऊंचाई छू रहे हैं, कोमल की छेड़छाड़, बलबीर का सीधापन, रोमांस में कई बार कंट्रास्ट कॉम्प्लिमेंट्री लगता है और यहाँ भी यही है दोनों एक दूसरे के पूरक,Update 21/B
डॉ रुस्तम को आते आते बहोत देर हो गई. कोमल और बलबीर दोनों ही डॉ रुस्तम का एयरपोर्ट पर ही इंतजार कर रहे. कुछ शाम के 5 बजे कोमल के मोबाइल पर डॉ रुस्तम का फ़ोन आया.
कोमल : हेलो डॉ साहब आप कब पहोचोगे???
डॉ : फ्लाइट लैंड हो चुकी है. बस जल्दी ही. तुम इंट्रेस्ट पर आ जाओ. मै तुम्हे वही मिलूंगा.
कोमल और बलबीर दोनों एंट्रेंस तक पहुंचे. बस कुछ ही देर मे डॉ रुस्तम दिखाई दिये. उनके साथ पटनायक भी था. आते ही दोनों ने कोमल और बलवीर से हाथ मिलाया. पर डॉ रुस्तम बलबीर को देखते ही रहे गए.
डॉ रुस्तम : (स्माइल) वाह बलबीर मेने तो तुम्हे पहचाना ही नहीं. काफ़ी हैंडसम लग रहे हो.
डॉ रुस्तम ने सारा अरेंजमेंट पहले से ही करवा रखा था. उनको लेने के लिए एक मिनी बस पहले से ही खड़ी थी. वो चारो उस बस मे आराम से बैठ गए. और उनका एक नया ही सफर शुरू हो गया.
कोमल : डॉ साहब हम सिर्फ 4 ही. आप की बाकि टीम???
डॉ : मेरी टीम पहले ही पहोच चुकी है. वो पहले से ही सारा अरेंजमेंट कर के रखेंगे.
इस बार कोमल को इनफार्मेशन पटनायक देता है. सायद डॉ रुस्तम ने उसे पहले से कहे रखा हो.
पटनायक : हम जिस लोकेशन पर काम करने वाले है. वो इलाहबाद से कुछ 20 km दूर है. एक हिलोरी गांव मे आज से 5 साल पहले एक हादसा हुआ. जिसमे 35 बच्चे मर गए.
कोमल : क्या हुआ था???
पटनायक : स्कूल की छत गिर गई थी. मामला गंभीर था. स्कूल बंद हो गई. मगर एक साल बाद उस स्कूल को दोबारा से शुरू किया. सरकार ने बच्चों के माँ बाप को मुआवजा दिया. और स्कूल की नई छत भी डलवाई. फिर भी वो स्कूल कभी चालू नहीं हो पाई
कोमल : क्यों???
इस बार बिच मे डॉ रुस्तम आए.
डॉ : क्यों की वहां अजीबो गरीब घटना होने लगी.
ये सब मुजे उस स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया. वहां दिन मे ही पैरानॉर्मल एक्टिविटीज होने लगी. कभी स्कूल का फैन अचानक से गिर जाता. तो कभी चालू क्लास का डोर विंडो अचानक से धड धड बंद हो जाते. बच्चों का ही नहीं बड़ो का तक टॉयलेट जाना मुश्किल हो गया. स्टाफ रूम मे टीचर परेशान हो गए. उनके साथ भी कई घटनाए हो गई. लोगो ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना छोड़ दिया.
कोमल : ओहह तो मामला बहोत गंभीर है.
पटनायक : सिर्फ इतना ही नहीं. उस स्कूल के दोबारा बंद होने के बाद कुल 12 लोगो ने सुसाइड भी अटेंम किया.
कोमल ये सुनकर सॉक थी???
कोमल : तो क्या उन 12 को किसी एंटीटी ने मारा होगा???
डॉ : (स्माइल) वाह रे पटनायक कोमल तो अपनी भाषा बोलने लगी.
कोमल भी मुस्कुरा देती है. बलबीर उनकी बस बाते सुन रहा था.
डॉ : उन 12 का एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं था. और तक़रीबन 7 से 8 लोग तो बहोत सुखी जीवन जी रहे थे. पर ये कैसे हुआ. ये तो वही जाकर पता चलेगा. हमें रुकने के लिए जगह भी बढ़िया मिल गई है.
कोमल : कहा??? होटल मे??
डॉ : नहीं एक आश्रम है.
कोमल : पर आश्रम मे क्यों???
डॉ : क्यों की वहां कोई होटल नहीं है. हा अगर इमरजेंसी में तुम्हे कही जाना पड़े तो ये बस तुम्हे ड्राप कर देगी.
कोमल को थोड़ी राहत हुई. क्यों की अगले दिन उसके 2 केस थे. साथ ही एक कंपनी के साथ मीटिंग भी थी. किसी प्रॉपर्टी पेपर्स की लीगल एडवाइस के लिए. वो लोग पहले सीधा उस लोकेशन पर ही पहोचे. स्कूल एक भूतिया खंडर जैसी ही लग रही थी. वो दो मंज़िला स्कूल थी. बहार स्कूल के भूतपूर्व प्रिंसिपल भी खड़े थे.
होरी लाल श्रीवास्तव : आई ये डॉ साहब.
कोमल उन सब को ध्यान से देख रही थी. डॉ रुस्तम और होरी लाल बाते कर रहे थे. पटनायक कोमल के पास आया.
पटनायक : हम अभी सिर्फ काम देखने आए है.
आज रात हमारी पहेली रिसर्च होंगी. पर ध्यान रहे. अंदर कोई भी इनविटेशन देने वाले वर्ड्स नहीं बोलना. जैसे चलो. कोई मेरे साथ चलेगा. और हा कोई बात या कुछ सुनाई दे तो उसपर कोई रिएशन मत देना. हमने कैमरा और एकम्युलेट सेट किये हुए है.
कोमल ने पहले बलबीर को देखा और फिर पटनायक की तरफ देख कर हा मे गर्दन हिलाई. डॉ रुस्तम ने पीछे मुड़कर कोमल पटनायक बलबीर सभी को देखा. और हाथो से अंदर चलने का हिशारा किया. अंदर जाते गेट से ही कोमल और बलवीर हार चीज देख रहे थे. सेटअप तैयार था. गेट से ही कैमरे लगे हुए थे. स्कूल के अंदर का माहोल कुछ अलग ही था. बहार हवा चल रही थी. गरम लू.
और स्कूल के अंदर एकदम ठंडक थी. एकदम चिल्ड मौसम. जब की लकड़ी की विंडो और डोर भी टूटे हुए थे. कइयों के तो थे ही नहीं. मगर फिर भी विंडो और डोर से कोई हवा ही नहीं आ रही थी. हेरत की बात ये थी की अंदर का वातावरण इतना ज्यादा ठंडा था की कोमल तो अपने बाजुओं को मसलने लगी.
कोई बदबू वगेरा कुछ भी नहीं. फिर भी अजीब सी घुटन हो रही थी. कोमल और बलबीर दोनों ने चारो तरफ देखा. कई चीजों को तो कोमल दुखते ही समझ गई की ये इक्विपमेंट्स किस काम आते हैं. पर बलबीर के लिए समाजना मुश्किल था. वहां सेंसरस कैमरा बहोत कुछ था. कई अचीवमेंट्स तो आर्मी भी इस्तेमाल करती थी. जैसे कोई स्पीड नापने वाला तो कोई फिकवंशी नापने वाला इक्विपमेंट.
ऐसी चीजों जो इंसान नरी आँखों से ना देख पाए पर वो अब उन इक्विपमेंट्स के जरिए कैमरा मे कैद हो जाए. उन सब ने मिलकर पूरा स्कूल देखा. पहले निचे वाली मंज़िल.
डॉ : ये वो क्लास रूम हे.
सभी समझ गए की ये वही क्लास रूम हे जहा छत गिरने से बच्चे दब के मर गए थे. कोमल आगे बढ़ी और उस रूम मे टहलते हुए सब कुछ देखने लगी. एक खंडर जैसा क्लास रूम जो सालो से बंद पड़ा हुआ था. देखने मे तो कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था. पर बार बार कोमल को ऐसा महसूस हुआ की उसके पीछे कोई है.
सभी उस क्लास रूम से बहार निकल गए. उसके बाद उपरी मंज़िल पर भी गए. लेजिन ऊपरी मंज़िल पर कुछ भी ऐसा किसी को महसूस नहीं हुआ. जब की सारे सुसाइड अटेम्प्ट वही ऊपर से ही हुए थे. सारी टीम डॉ रुस्तम के पीछे पीछे बहार आ गई.
डॉ : किसो को कुछ महसूस हुआ????
पटनायक : ना कुछ नहीं.
डॉ ने बलबीर की तरफ देखा. उसने ना मे सर हिलाया. फिर उसने कोमल की तरफ देखा.
कोमल : मुजे ऐसा तो कुछ नहीं लगा. पर उस क्लास रूम मे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई पीछे खड़ा है
डॉ रुस्तम ने जेब से एक रेडियो सेट निकला.
डॉ : डॉ टू नवीन रिपोर्ट ओवर.
रेडियो सेट पर रिप्लाई मिला.
नवीन : ओके रोजर.
डॉ : क्या कुछ नोटे हुआ क्या???
नवीन : अभी तक कुछ भी नहीं. नो एनी फ्रीक्वेंसी.
डॉ ने कोमल और बाकि सभी को बस की तरफ चलने का हिशारा किया. सारे बस मे बैठ गए. वो बस ही उनके आराम करने के लिए बेस्ट थी. इस बार और भी कुछ डॉ रुस्तम के टीम मेम्बर्स थे. डॉ रुस्तम, पटनायक, कोमल बलबीर के आलावा और 7 लोग. वो सारे male ही थे.
डॉ : हम तक़रीबन एक एक घंटा स्कूल मे अकेले बिताने वाले है. और फील करना चाहते है की क्या फील होता है.
पटनायक : पर जो वालंटियर हो उसी को.
कोमल : क्या मुजे मौका मिलेगा.
डॉ : तुम ये कर सकती हो पर इस बार रहने दो. वैसे भी तुम हमारे साथ 1st टाइम आई हो.
पटनायक : 11 बजे से स्टार्ट करेंगे. 3 बजे तक.
डॉ : 11 बजे नवीन को भेज देंगे. फिर उसे कैमरा भी संभालना है.
पटनायक : 12 बजे मै चले जाता हु.
डॉ : एक बजे सतीश तुम.
सतीश : ओके.
कोमल तुरंत बोल पड़ी.
कोमल : तो फिर मै भी जाउंगी.
डॉ : ये तुम्हारा 1st टाइम है. प्लीज तुम देखो. एक्सपीरियंस लो.
कोमल : मेने लाइफ टाइम खुद खुदके ही एक्सपीरियंस की है. मै उसके बाद जाउंगी.
डॉ पटनायक का मुँह देखने लगा.
पटनायक : 12 सुसाइड एटम हो चुके है वहां. और इसे अभी इस रिसर्च का कोई आईडिया नहीं है.
कोमल : एक बार मौका तो दो. कई दिन मै खुद भूतों के बिच काट चुकी हु.
सभी हस पड़े. पर कोमल के वॉलिंटियर होने से बलवीर को डर लगने लगा.
डॉ : (स्माइल) पता नहीं पर मुजे कोमल पर भरोसा हो रहा है. वो आसानी से कर लेगी.
बलबीर : फिर मै भी करूँगा.
डॉ : नहीं तुम नहीं. या तो तुम या कोमल. अब आपस मे डिसाइड कर लो तुम.
कोमल ने बलबीर का हाथ पकड़ा.
कोमल : (धीमी आवाज) प्लीज बलबीर... तुम नहीं प्लीज.
बलबीर मान गया. कोमल ने घूम कर डॉ रुस्तत्म की तरफ देखा. और हा मे हिशारा किया.
डॉ : एक से दो कोमल जाएगी. और दो बजे मै जाऊंगा. Thats it.
सभी एक दूसरे को देखने लगे. डॉ ने सब से कोमल और बलबीर का इंट्रोडक्शन करवाया.
डॉ : आप लोग यही बस मे ही कुछ देर आराम कर लो. फिर हम अपना काम शुरू करेंगे.
डॉ रुस्तम बस से उतर गए. कुछ तो शीट पर ही लम्बे हो गए. कोमल बलबीर की गोद मे अपना सर रख कर लेट गई. कोमल को हलकी सी ज़बकी भी आई. उसकी नींद रात 9 बजे खुली. बलबीर भी बैठे बैठे ही सो गया था.
कोमल : बलबीर बलबीर उठो.
उन दोनों ने एक गलती ये की की पूरा दिन रेस्ट नहीं किया. अब उन्हें रात जगनी थी. बलबीर उठा. बस मे सिर्फ वो दोनों ही थे. वो दोनों बहार आए. डॉ रुस्तम और उनकी टीम के सब के पास टोर्च लाइट थी. उनके पास नाईटविजन एक्यूमैंट्स भी थे. टोर्च लिए डॉ रुस्तम कोमल और बलबीर के पास आए.
डॉ : ये लो टोर्च हमारे पास सिर्फ एक ही एक्स्ट्रा है.
कोमल ने टोर्च ले ली.
डॉ : आओ मेरे पास वहां.
कोमल और बलबीर स्कूल की दीवार से सटे एक वान के पास गए. वो एक मोबाइल वान थी. जिसमे छोटी छोटी कुछ स्क्रीन और कुछ रिसीवर लगे हुए थे. ये सारा डॉ रुस्तम की टीम का सेटअप था.
डॉ : हमारे पास टाइम है. अभी कुछ डेढ़ घंटा है हमारे पास.
डॉ ने कोमल की तरफ देखा.
डॉ : कोमल तुम पटनायक के साथ यही मोबाइल मे बैठो.
डॉ रुस्तम वहां से थोडा साइड मे खड़े बाते करने लगे. कोमल पटनायक के साथ बैठ गई. पटनायक सभी स्क्रीन और बाकि जानकारिया देने लगा. नेवीगेशन, फ्रीक्वेंसी वगेरा वगेरा. और तब टाइम हो गया.
डॉ : दोस्तों यहाँ क्लोज हो जाओ सारे.
टेक्निकल काम कर रहे लोगो के सिवा सारे डॉ रुस्तम के पास चले गए.
डॉ : दोस्तों टाइम हो गया है. कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए. पहले पटनायक जाएगा. ये सभी जो अंदर जाने वाले है. वो खास ध्यान दे.
ऊपर कोई भी बुरे ख्याल आता है. डर लगता है. तो सीधा बहार आ जाए. और हमारी नजर के सामने वहां उस विंडो पर ही खड़े खड़े वक्त बिताना है. जैसे ही आप को रेडिओ सेट पर वापस लौटने का मैसेज मिले तुरंत वापस आ जाए. ऊपर कुछ दिखे तो कोई बात नहीं करेगा. कोई जवाब नहीं देगा.
डॉ रुस्तम की स्पीच ही डरवानी थी. ऊपर क्या होगा. कोमल यही सोच रही थी.
Itsसॉरी सरदर्द की वजह से लिखा नहीं
ये भी एक अनोखा अनुभव होगा कोमल का एनटीटी से बात करके या उसके विचार हां उसको क्या महसूस हो रहा है ye बहुत दिलचस्प होगा ….Thankyou so much. अभी काम ख़तम नहीं हुआ. उन बच्चों की आत्माओ से समर्क बाकि है
आप का जितना धन्यवाद करू कम है कोमलजी. आप का रिव्यू एक अलग ही ऊर्जा का एहसास देता है. जब आप सराहना करती हो तो लिखने का जोश बढ़ जाता है. बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी.बहुत बढ़िया अपडेट, खास तौर से कोमल और बलबीर के रिश्ते एक नयी ऊंचाई छू रहे हैं, कोमल की छेड़छाड़, बलबीर का सीधापन, रोमांस में कई बार कंट्रास्ट कॉम्प्लिमेंट्री लगता है और यहाँ भी यही है दोनों एक दूसरे के पूरक,
एयरपोर्ट और हवाई यात्रा के दृश्य में आपने दोनों के व्यक्तित्व, रोमांस और कोमल के बिन्दास कैरेकटर को बहुत अच्छे से उजागर किया, एकदम कौमार्य में जो नायिका धड्ड़ले से पहल करती थी एकदम उसी तरह से,
डाक्टर रुस्तम की खोजी प्रवृति, सत्य जानने की उत्सुकता और उसके लिए वैज्ञानिक उपकरणो का इस्तेमाल एक उन्हें अलग श्रेणी में खड़ा करता है। वह उन्हें दाई माँ से भी अलग करता है, जिनका तंत्र मंत्र का ज्ञान, हिम्मत लेकिन सबसे बढ़कर दुलार, अच्छाई के साथ खुद को खतरे में डालकर खड़े होने की हिम्मत इस कहानी के सबसे महत्वपूर्ण चरित्रों में बनाता है।
और हर पोस्ट जहाँ खत्म होती है हम सब दम साधे अगली पोस्ट का इन्तजार करते हैं।
आज बाकि के किस्से का अपडेट आ जाएगा. थैंक्स पंडितजी
आप का स्वागत है. मै आप के likes की नोटिफिकेशन पर नजर जमाए हुए थी. और आप के रिव्यू का इंतजार कर रही थी. Thankyou so much. आप को कहानी अच्छी ही लगी होगी उम्मीद है. रिव्यू भी देते रहनाबहुत ही सुंदर लिखा है आपने
आप का जितना धन्यवाद करू कम है कोमलजी. आप का रिव्यू एक अलग ही ऊर्जा का एहसास देता है. जब आप सराहना करती हो तो लिखने का जोश बढ़ जाता है. बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी.