Update 23
रात बस से कोमल बलबीर के साथ बैठी हुई थी. बलबीर बोल रहा था. और कोमल सुन रही थी. लेकिन कोमल बहोत कुछ सोच कर थक गई. कोमल ने बलबीर के कंधे पर अपना सर रख दिया. वो बलबीर की आवाज तो सुन रही थी. मगर बलबीर क्या बोल रहा है. ये उसे पता ही नहीं चला. थकान की वजह से उसे नींद आ गई.
कोमल एक बच्ची के जैसे सो गई. उसे ये पता ही नहीं चला की वो कब कैसे आश्रम मे आई. और कैसे बिस्तर पर लेटी. दरसल बस मे जगाने से कोमल नहीं उठी तो उसे बलवीर अपनी गोद मे उठाकर आश्रम मे ले आया. कोमल का फोन डिस हो गया था. उसे भी चार्जिंग मे लगाया. उसका ही नहीं सब के फ़ोन डिस हो गए थे.
सुबह 8 बजे कोमल को खुद बलबीर ने उठाया. कोमल उठ ही नहीं पा रही थी. उसके गलो को हलकी हलकी थपकी मरते हुए. कोमल की नींद खुली और वो एकदम झटके से उठ कर बैठ गई.
कोमल : (हड़बड़ट) कितने बजे है???
बलबीर : 8 बज रहे है. फ़िक्र मत करो. मेने टाइम पे ही उठाया है. ये लो तुम्हारा फ़ोन.
कोमल ने देखा की वो निचे फर्श पर ही बिस्तर पर लेटी हुई थी. रूम एकदम साफ सुत्रा पर खाली ही था. पास पिने के पानी का मटका भी था. बलबीर की आंखे लाल हो रखी थी. देखने से ही पता चल रहा था की वो सोया नहीं था. कोमल ने तो 03:30 से 8 बजे तक की नींद ले ली. पर बलबीर 24 घंटे से ज्यादा वक्त से सोया ही नहीं था.
कोमल : तुम सोए नहीं. तुम्हारी आंखे लाल हो रखी है.
बलबीर : वो छोडो एयरपोर्ट तक तुम्हे बस छोड़ने जाने वाली है. तुम जल्दी तैयार हो जाओ. लेडिस बाथरूम उस तरफ है.
कोमल जल्दी से उठी और नहाना धोना नितक्रिया सब करने लगी. बलबीर कोमल चूक ना जाए इस लिए वो खुद नहीं सोया. ताकि कोमल को सही वक्त पर जगा सके. सब कुछ कर के वो रेडी हो गई. भूख भी लग रही थी. कोमल को खुशबु आ रही थी. कोमल ने देखा आश्रम मे ही डॉ रुस्तम की टीम का लंगर लगा हुआ है.
सब मैनेजमेंट किसी कैंप जैसा था. कोमल वहां गई तो पुरिया छन रही थी. उसे वहां डॉ रुस्तम भी दिखे. जो खुद काम कर रहे थे. उन्होंने भी देखा. कोमल वहां आ चुकी है.
डॉ : (स्माइल) कोमल आओ आओ. नाश्ता करो.
डॉ रुस्तम ने खुद एक डिश कोमल को बनाकर दीं. और उसके साथ बैठ गए. कोमल भूखी थी. वो फटाफट खाने भी लगी. वो दोनों ओपन मे ही चेयर पर बैठे हुए थे.
कोमल : (खाते हुए) आप भी कीजिये ना.
डॉ रुस्तम ने भी एक डिश ले ली. और खाते हुए ही दोनों आपस मे बाते करने लगे.
कोमल : मुजे समझ नहीं आया की वहां पर हमें सब अपनी लाइफ के दुख महसूस होते है. उसके बाद सुसाइड करने का ख्याल आता है. ऐसा क्यों??
डॉ : क्योंकि मौत मौत को खींचती है.
कोमल : यह तो दी मां ने भी बताया था. पर ऐसा क्यों मुझे कुछ समझ नहीं आया.
डॉ : जिसे हम एनटीटी कहते हैं वह एक आत्मा ही होती है. अब आत्मा कहीं जा नहीं सकती. उसे अपने साथ रहने वाला कोई चाहिए. इसलिए वह कोशिश करती है कि जिंदा इंसान.....
कोमल : हम्म्म्म समझ गई. तो क्या जो लोग ऐसे सुसाइड करके मर गए जो. क्या उन बच्चों के एनटीटी के साथ में रहेंगे???
डॉ : पता नहीं. पर ज़्यादातर तो आत्मा एक दूसरे के साथ रहे नहीं पति.
कोमल को सुन ने मे दिलचस्पी आ रही थी. दोनों ने ही नास्ता कर लिया.
डॉ : बस तैयार है तुम्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए. तुम जल्दी आ जाओ.
कोमल जब वापस रूम में गई. देखा बालवीर सो रहा था. कोमल को बलबीर पर प्यार आने लगा. वो उसके लिए जानबुचकर नहीं सोया. ताकि कोमल सही वक्त पर जा सके. बेचारा बालवीर जैसे ही सुस्ताने गया वह सो ही गया. पर वह अपना काम कर चुका था. कोमल ने अपना सब सामान लिया. और बस मे आ गई.
डॉ रूस्तंबी बस में ही थे. वह कोमल को एयरपोर्ट तक छोड़ने आ रहे थे. बस एयरपोर्ट के लिए चल पड़ी. रास्ते पर दोनों ने खूब चर्चा विमष किया.
डॉ : क्या बालवीर अभी जाग रहा था.
कोमल समझ गई. बालवीर उसके लिए जाग रहा था. वह डॉक्टर साहब को भी पता है.
कोमल : (स्माइल) नहीं. मुजे जागते ही सो गया. बेचारा मुझे फोन देते ही सो गया.
डॉ : क्या तुम्हारा फोन फुल चार्ज है???
कोमल : हां शायद बालवीर नहीं चार्ज किया होगा.
डॉ : उसे मैं नहीं कहा था. तुम्हारा फोन पूरी तरीके से डिश हो गया था??
कोमल : पर यहां दीपक रास्ते में मैंने उसे फुल चार्ज किया था इतनी जल्दी कैसे डिश हो गया???
डॉ : तुम्हारा ही नहीं सबका फोन भी सो चुका था. यहां तक कि हमारे कैमरास की बैटरीस भी.
कोमल : कारण???
डॉ : तुम्हें शायद सुनने में अजीब लगेगा पर.
कोई भी पैरानॉर्मल एक्टिविटी होते वक्त. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की बैटरीज जल्दी डिश हो जाती है. क्यों की आत्माए या सुपरनैचुरल एनर्जी मैग्नेटिक होती है. यह अर्थ का टच नहीं झेल पाती. यह ऊपर और में ही होती है. यार से जुड़ी किसी चीज में. इसलिए इन्हें इलेक्ट्रॉन पावर्स सूखने में मदद मिलती है. यह जानबूझकर ऐसा करते हैं. चेन्नई से एनर्जी मिलती है.
कोमल को एक नया ज्ञान मिला था.
कोमल : क्या उन सुसाइड अटेम्प्ट किया लोगों का उन बच्चों की एनटीटी से कोई वास्ता हो सकता है???
डॉ : शायद हां शायद नहीं. मैंने पहले ही बताया ना. मौत मौत को खींचती है.
कोमल : पर अपने वस्तु कहा था. जमीन की ऊर्जा. औरत की एनर्जी.
डॉ : इस बारे में हम बाद में बात करेंगे. एयरपोर्ट आ चुका है. तुम जल्दी जाओ बेबी बहुत टाइम है.
कोमल वहां से टाइम पर अपनी फ्लाइट मे बैठ गई. और अहमदाबाद पहोच गई. लंच ब्रेक के बाद उसके दो केस थे. लेकिन मोटी फीस देने वाली पार्टी आई ही नहीं. उसके पास एक छोटा सा कैसे बचा था. जिसके फीस डील बहुत कम थी. कोमल को गुस्सा आ रहा था. क्योंकि उसे अगली डेट मिली थी. दूसरा केश एक बूढ़े का था. जिसकी सरकारी पेंशन बंद हो चुकी थी. जिसे चालू करवाना था. वो बूढा फॉर डिविजन सरकारी कर्मचारी था.
जिसकी पेंशन भी बहुत कम थी. मुकेश जीत गया और उसकी पेंशन चालू हो गई. फेस कुछ 5000 तय हुई थी. प्रकाश जीतने के बाद वह बूढ़ा रिक्वेस्ट करने लगा. ऑफिस बाद में दे देगा. फिलहाल उसके पास पैसे नहीं है. कोमल अपना पैसा कभी नहीं छोड़ती थी. इस मामले में बहुत कमीनी थी. कोमल ने गुस्से में तुरंत उसकी गर्दन पकड़ ली.
कोमल : (गुस्सा) साले बुड्ढे. एक तो तेरा कैसे लिया. और तू पैसे देने में नाटक कर रहा है.
वो बूढा घबरा गया. और हाथ जोड़ने लगा. कोमल को याद आया कैसे उस से एक पाप हुआ. जिसे याद कर के उसे सुसाइड करने का मन होने लगा. कोमल अफसोस करने लगी.
कोमल : क्या हो गया चाचा पैसा क्यों नहीं है.
बुद्ध ने बताया उसकी बहू उसे मरते पीटीती है. उसे खाना भी नहीं देती. कोमल सारा मामला समझ गई. कोमल ने उस बूढ़े को खाने का पूछा. वो भूखा भी था. और जाने के लिए पैसे भी कम थे.
कोमल : फिक्र मत कर चाचा. तेरी बहू को भी हम देख लेंगे. ले 500 रूपए. खाना भी खा लेना. इससे हो जाएगा ना.
कोमल जैसी बेरहेम ने पहेली बार किसी पर दया दिखाई. और दान पुण्य भी किया. शायद उसने पहली बार दुआ कमाई थी. शाम 5:00 की उसकी एक और मीटिंग थी. कोमल एक कंपनी की डील के लिए वहां चली गई. उसने कंपनी को लीगल एडवाइस दी. अब जो पेमेंट मिला. कोमल की सोच से ज्यादा थी. कोमल ने सोचा था शायद उसे 25,000 तक मिलेगा. लेकिन उसे 2,00,000 दिए गए.
क्योंकि कंपनी का काम लंबे वक्त तक रुका हुआ था. और कोमल की एडवाइस से लग रहा था कि उनका काम अच्छे से होगा. साथ में कोमल ने कुछ और भी फ्री एडवाइस दी थी. उन्हें कोमल पॉजिटिव लगी. कमल का मूड खुश हो गया. उसने 5000 गावाए तो 2 लाख कमाए. शाम हो चुकी थी. कोमल को इलाहाबाद के लिए कोई फ्लाइट नहीं मिली. वह अपने घर चली गई. उसने डॉक्टर रुस्तम को कॉल लगाया. और बताएं कि वह नहीं आ सकती.
डॉ : हम दो दिन रिसर्च करेंगे. देख लो कल शाम तक तुम शायद आप आ पाओ तो.
कोमल मान गई. वह अपने फ्लैट में थी. उसने खाना खाया और सो गई. सोते वक्त उसे वह ख्याल जरूर आया. जिस गरीब परिवार की जमीन उसके कारण गई थी. कोमल उनके लिए कुछ करना चाहती थी. उस रात कोमल घोड़े बेच कर सोइ. सुबह उठी और पॉजिटिविटी के साथ सब काम किया. नहाना धोना दिया बत्ती करना प्रार्थना करना. और कोर्ट मे. कोमल के पास केस नहीं था.
पर काम बहोत थे. जिनसे पैसे आ सके. वो दूसरे वकीलों को तक एडवाइस देती थी. कोमल के पास केश कम होते. पर मोटी रकम देने वाले होते. वो सस्ते केश तब ही लेती जब वो उसके टाइम मे फिट बैठ रहे होते. टाइम जैसे एक केश लड़ लिया. तो दूसरा सस्ता केश भी एटैच टाइम में हो. कोमल दोपहर 3:00 बजे फ्री हुई.
वो अपने घर जा रही थी. पर उसे वो बूढ़े दम्पति बार बार याद आ रहे थे. कोमल ने अहमदाबाद के बहार की तरफ जाने वाले रास्ते पर कार दौड़ाड़ी. उसे ज्यादा दूर नहीं जाना था. क्यों की वो जगह अहमदाबाद से टच ही थी. कोमल कुछ 20 मिनट मे ही वो जगह पहोच गई. कोमल ने जिस जमीन को बिकवाया था. वहां मॉल बन गया था.
कोमल को बहोत अफ़सोस हुआ. वो खेती की जमीन थी. दए बाए नजर दोडाइ पर वो दम्पति कहा मिलते. वो रोड की जमीन थी. रोड पर एक गैरेज था. कोमल वहां गई. क्यों की वो गैरेज पहले भी था. कोमल उस गैरेज पर गई और उस बूढ़े बूढी के बारे मे पूछा. उस गैरेज वाले ने बताया की वो मॉल के पीछे वाले गांव मे ही रहते है.
वो बूढा इसी मॉल मे सिक्योरिटी का काम करता है. कोमल ने उस बूढ़े का नाम भी पूछा. उसका नाम किशोर भाई था. कोमल ने मॉल मे जाकर उस बूढ़े के बारे मे पता किया तो पता चला की वो नाईट सिफ्ट करता है. कोमल तुरंत ही अपनी कार लेकर उस गांव मे चली गई.
पूछ ताछ करने पर उसे किशोर भाई का घर मिल गया. उसका घर तो पक्का था. पर छत टीन शेड वाली. मतलब लोहे के पतरे. वो लोग कोमल को देखते ही पहचान गई. कोमल को डर था की उसे देख कर वो भड़क जाएंगे. गालिया देंगे. हो सकता है की अटैक भी कर दे. पर उस बुढ़िया ने उसे देखते ही पहचान लिया.
बुढ़िया : (स्माइल) अरे बेन आवो आवो.
कोमल गुजरती जानती थी. उसे विश्वास नहीं हो रहा था. उस बुढ़िया ने उसे बहोत प्रेम से बैठाया. चाय पानी भी पिलाया. किशोर भाई किसी के ट्रैक्टर पर काम करने गए थे. कोमल हैरान थी की किशोर भाई दो तीन गुनाह ज्यादा काम करते है. तभि किशोर भाई भी आ गए. किशोर भाई भी कोमल से खूब आदर सत्कार से पेश आए.
कोमल ने खुद ही बताया की उसी ने उनकी जमीन बिकवाई. पर उन दम्पति ने तो सब किश्मत का खेल बताया. कोमल को ये भी पता चला की उनका एक बेटा और बेटी थी. दोनों की शादी कर दीं. पर बेटा बीमारी के कारण मर गया. बेटे की एक बेटी थी. वो जो फिलहाल 12 क्लास साइंस मे पढ़ रही थी. सरकारी खर्चे पर.
वो पढ़ने मे होशियार थी. वो डॉक्टर बन ना चाहती थी. वो जमीन इसी लिए नहीं बेच रहा था. की वक्त आने पर पोती की पढ़ाई के लिए पैसों की जरूरत हुई तब वो जमीन बिक्री करेंगे. मगर कोमल ने बहोत सस्ते दाम पर वो जमीन बिकवा दीं थी. कोमल ने उन्हें 10,000 रुपये दिए. वादा किया की उनकी पोती की पूरी पढ़ाई का खर्च वो उठाएगी. साथ मे उसके मकान की छत भी वो डलवाएगी.
कोमल वहां से चली गई. कार चलाते उसे बहोत ख़ुशी हो रही थी. रास्ते मे एक सरकारी स्कूल दिखी. जिसमे से बच्चे बहार आ रहे थे. शायद स्कूल की छुट्टी हुई थी. कोमल ने भी वही गाड़ी रोक दी. और गेट पर चली गई. वही गुब्बारे वाला भी खड़ा था. कोमल ने उसे गुब्बारे वाले को पैसे दिए. और बोला कि सभी बच्चों को एक-एक गुब्बारा देते जाए. इस गुब्बारे वाले ने भी यही किया. वह भी बहुत गरीब था.
उसके सारे गुब्बारे बिक गए. वह भी खुश हो गया. और उसने खुशी से कोमल को एक गुब्बारे का पैकेट दे दिया. कोमल ने बोला. वो इन गब्बर का क्या करेगी. गुब्बारे वालों ने कहा किसी और बच्चों को दे देना. यह कर्म था. कमल के कर्म बैक होकर उसे मिल रहे थे.
उसे एक बड़ी दिल तो मिल गई. 2 लाख रुप जैसी बड़ी रकम भी मिली. कोमल अपने फ्लैट में वापस आई. उसने फ्लाइट बुक करी. उसकी शाम 06:00 बजे की फ्लाइट थी. कोमल ने मैसेज डॉ रुस्तम और बालवीर को भी कर दिया. और कोमल फ्रेश होकर एयरपोर्ट के लिए निकल गई. कोमल ने फ्लाइट मे बैठने से पहले डॉ रुस्तम को call किया.
डॉ : हेलो कोमल. तुम आ रही होना??
कोमल : हां मैं आ रही हूं. बालवीर कैसा है??
डॉ : वह ठीक है.
कोमल : कल कुछ हुआ??? मतलब मै नहीं थी. आप उन बच्चों की एंटीटी से कनेक्शन जोड़ने की कोशिश में थे जो...
डॉ : कुछ भी नहीं हुआ. वह बातें नहीं करना चाहते शायद. हमारे दो कैमरास भी ब्लास्ट हो गए. आज लास्ट कोशिश करेंगे. नहीं हुआ तो फिर दाई माँ को बुलाने की कोशिश करेंगे.
कोमल : मैं 8:00 बजे तक पहुंच जाउंगी.
डॉ : ठीक है. तुम्हें पिकअप करने के लिए बस वहीं पर मिलेगी.
कोमल : ओके फिर वहीं मिलते हैं.
कोमल ने फोन कट कर दिया. और फ्लाइट के लिए निकल गई. वह सही टाइम पर इलाहाबाद पहुंच गई. इलाहबाद पहोचते ही कोमल एयरपोर्ट से बहार निकली. उसे वही बस दिख भी गई. बस के साथ एक ड्राइवर और बालवीर भी खड़ा था. बालवीर कोमल कोई कॉल करने की कोशिश कर रहा था. उसने भी कोमल को देख लिया और हाथ हिलाया. कोमल स्माइल करती हुई उसकी तरफ चली गई.
करीब पहोचते दोनों की नजरें मिली. और दोनों के फेस पर खुशियों भरी स्माइल. वो बस मे बैठ गए और बस चल पड़ी. बलबीर उसे समझाने लगा. बहोत खर्चा हो रहा है. अब नहीं आएँगे. कोमल उसे समझाती है की कमाएंगे तभि तो खर्चा होगा. कोई बात नहीं.
कोमल : कल वहां क्या हुआ???
बलबीर : वहां जो छत गिरी थी. डॉ साहब गए. कैमरा वगेरा लगा हुआ था. मै तो निचे था. पर उन्होंने वो कान मे सुन ने वाला( हेडफोन) दिये थे. उस से डॉ साहब को देखा भी. और सुना भी. डॉ साहब वहां अकेले बैठ गए.
डॉ : क्या यहाँ पर मेरे सिवा कोई है??? अगर है तो हिशारा दे.
कुछ भी नहीं हुआ.
डॉ : क्या यहाँ पर बच्चों तुम हो. हो तो मुझसे बात करने की कोसिस करो. कोई हिशारा दो. वो टूटी हुई खिड़की को हिलाओ. मुजे पता चल जाएगा.
पर कुछ नहीं हुआ. डॉ साहब फिर भी बात करने की कोसिस कर रहे थे.
डॉ : देखो मै तुमसे बात करना चाहता हु. प्लीज कोई तो हिशारा दो.
तभि अचानक वहां जो एक बड़ी लाइट लगाई थी. वो एकदम से फुट गई. डॉ साहब तुरंत खड़े हो गए. उसके बाद जैसे वो खड़े हुए उनके सामने वाला कैमरा फूटा. डॉ साहब फिर भी खड़े रहे. फिर वो नवीन ने उनके फोन पे फोन( रेडियो सेट) किया. नवीन उन्हें बताने लगा की फ्रीक्वेंसी मिल रही है. स्पीड भी मिल रही है. वह कुछ कहना चाहते हैं.
डॉ : पूछो वह क्या कहना चाहते हैं???
नवीन : वह यहां से जाने को बोल रहे हैं. वह एक नई कई सारे है.
मेने भी देखा. छोटी सी टीवी पर गुलाबी नीला गुलाबी नीला होने लगा. तभी अचानक एक और कैमरा फूट गया. और डॉक्टर सब नीचे आ गए.
कोमल : किसी को कोई नुकसान तो नहीं हुआ?? किसी को कोई चोट???
बालवीर : नहीं वैसा तो कुछ नहीं हुआ.
बाते करते हुए वो दोनों उसी स्कूल वाली लोकेशन पर ही पहोच गए. पर वहां तो पैकअप की तैयारी हो रही थी. कोमल ने डॉ रुस्तम को देखा. और तुरंत उनके पास पहोच गई.
कोमल : डॉक्टर साहब मे आ गई. पर यहाँ क्या हो रहा है.
डॉ रुस्तम थोडा लम्बी शांस लेते मुश्कुराए.
डॉ : सायद वो हमसे बात नहीं करना चाहते. कल मे दाई माँ को call कर दूंगा. वो सब संभल लेगी. यहाँ विधि ही करनी पड़ेगी.
कोमल : प्लीज मै ट्राय करू???
डॉ : तुम पागल हो. तुम इस फिल्ड को जानती नहीं. अभी कल ही आई हो. तुम जानती हो कल मेरे साथ क्या हुआ????
कोमल : हा सर.. बलबीर ने मुजे बताया. पर मुजे एक कोसिस करने दो प्लीज.
डॉ : नहीं. कल हम मुंबई वापस जाएंगे. तुम भी वापस जाओ. प्लीज. तुम्हे कुछ हुआ तो दाई माँ मुजे माफ नहीं करेंगी. बड़ी मिन्नतो से मेने उनसे तुम्हे अपने साथ काम करवाने को राजी किया. वो बिलकुल नहीं चाहती थी.
कोमल : मै यहाँ आई. कोई तो ऊपर वाले की मर्जी होंगी. अब मेरे लिए इतना कुछ किया तो एक मौका दो. और पैदा होते कौन सिख जाता है.
Shetan जी, कहानी की पटकथा और प्रवाह तो बढ़िया जा रहा है। और आप बीच बीच में कुछ नई जानकारियां भी दे रहे हो। कोमल और बलवीर के प्रेम प्रसंग, एक दूसरे के लिए समझ और समर्पण बहुत ही उत्कृष्ट है। कोमल के मन में चल रहे अंतर्द्वंद भी अच्छी पद्धति से आपने उकेर दिया। "कर भला तो हो भला" लोकोक्ति चरितार्थ हो गई इस अपडेट में।
परंतु एक खेद का विषय यह रहा की इस अपडेट में कुछ स्थानों पर वर्तनीदोष देखने को मिला, कहीं बलवीर का बालवीर हो गया, तो कहीं डा रुस्तम कोमल को बेबी बोल गए। और आत्माओं को चेन्नई से एनर्जी भी मिल गई
। जानता हूं की आप सरदर्द के दौरान लिख रही होंगी इसीलिए इतनी त्रुटियां हुईं होगी। ज्यादा बड़ी बात नहीं पर जैसा मैंने पहले भी कहा की जिस मानक पर आपको मैं रखता हूं और जिस स्तर के लेखन (और वर्तनी) की आपसे अपेक्षा होती है, ये छोटी छोटी बातें पाठकों के पठन अनुभवों को प्रभावित करती हैं।
समीक्षा बड़ी हो गई, और अक्सर हो जाती है जब कोई नकारात्मक बातें लिखनी हों। मानवी प्रवृत्ति होती है समीक्षा करना। इसे ऐसे मान लीजिए की जब तक घर में खाना बढ़िया बनता रहता है तब तक कोई कुछ नहीं कहता, पर एक बार नमक/मिर्च कम या ज्यादा हो जाए तो पक्का ये बात कही जाएगी।
बस यही छोटा सा सुझाव है की पाठकों के दबाव में आकर जल्दी अपडेट देने के प्रयास में प्रूफ रीडिंग करना/करवाना ना भूलें। इससे आपकी कहानी का स्तर कुछ कम लगने लगता है। हमारा तो काम ही है आपसे अनुरोध करना जल्दी से जल्दी अपडेट देने का। हर खेलप्रेमी चाहता है की उसका प्रिय बल्लेबाज हर गेंद पर छक्का मारे, पर बल्लेबाज अपना समय ले कर स्वयं के निर्णय पर अक्रामक या सुरक्षात्मक खेल खेलता है।
कुछ बुरा लगा हो तो क्षमाप्रार्थी हूं
।
आपका तुच्छ प्रशंसक।