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Aap ne sayad 3rd time change ki hai???Vo to humne bhi ki thi... Notice hi nahi Kiya aapne...
Aap ne sayad 3rd time change ki hai???Vo to humne bhi ki thi... Notice hi nahi Kiya aapne...
Kaise kaise din aagaye shetaan bhi ram ram karne lage.Pandito ko moti rakam jo deni padti hai. Ram ram Pandit ji
Aap ne bhi to ki isi liye maine bhi ki haiUnhone apni DP change kar li
इस अपडेट में कोमल के कोमल पक्ष का अच्छा नज़ारा मिला, पहले उस गरीब बुड्ढे की पेंशन के मामले में, फिर एक अपराध बोध और बाद में गुब्बारे और जो इस कहानी की एक खास विशेषता है, चूल से चूल मिलाना, एक बात से जोड़ के दूसरी बात शुरू कर देना और यही गुब्बारे उन्होंने कोमल के दोनों पक्ष को जोड़ाUpdate 23ब
डॉ : ना, नहीं नो. अब आगे कोई बात नहीं.
कोमल वकील थी. इतनी आसानी से मान जाती क्या.
कोमल : डॉ साहब आपने ही मुजे इस काम के लिए राज़ी किया. ये कहेके ना की ये लोगो की भलाई के लिए है.
एक पल वो कोमल को देखते रहे.
डॉ : मुजे तुम मे गौरव तिवारी नजर आ रहे है. ठीक है जाओ. पर याद रहे. हम किसी भी एनटीटी से कोई डील नहीं करते. कोई वादा कोई कसम प्रॉमिस मत करना. वरना प्रॉब्लम होंगी.
कोमल : हा ठीक है. पर ये गौरव तिवारी कौन है???
डॉ : वो मै बाद मे बताऊंगा. अभी तुम जाने की तैयारी करो.
डॉ रुस्तम ने घूम कर सब को वापिस सेटअप लगाने को कहते है. बलबीर भी कोमल के पास ही था.
कोमल : बलबीर मेरे पर्स मे एक गुब्बारो का पैकेट है. उसके प्लीज सारे गुब्बारो मे हवा भर दो. हो सके तो कुछ और भी लोगो को ले लो. ताकि जल्दी काम हो जाए.
बलबीर तुरंत बस मे गया. और अपने काम मे लग गया. ड्राइवर और दो लोग उसके साथ जूटे. मगर गुब्बारो मे मुँह से हवा भरना भी मामूली काम नहीं है. इसके लिए शरीर मे तंदुरस्त फेफड़े चाहिये. सब की हालत ख़राब हुई. मगर बलवीर एक गांव का तंदुरस्त नवजावान था.
हालत तो उसकी भी ख़राब हुई. पर वो जानता था की ये सब वो कोमल के लिए कर रहा है. वही कोमल को भी डॉ रुस्तम की टीम तैयार करने लगी. उसपर माइक्रोफोन माइक्रो कैमरा. सेंसर डिवाइस बहोत कुछ लगाया गया. कोमल जाने के लिए तैयार हो गई.
डॉ : क्या कोमल तुम तैयार हो???
कोमल ने हा मे सर हिलाया. डर उसे भी लग रहा था. उसकी दिल की धड़कने भी तेज़ थी. पर कोमल रोमांचित भी हो रही थी. उसे अंदर से फील हो रहा था की कुछ अच्छा भी होने वाला है.
डॉ : याद रखना किसी भी एनटीटी से नो डील. कुछ भी प्रॉमिस मत कर देना. वरना लेने के देने पड़ जाएंगे. तभि बस से दोनों हाथो मे गुब्बारे लिए बलबीर आने लगा.
बलबीर : कोमल....
उसके पीछे ड्राइवर और एक और बंदा भी था. गुब्बारे इतने ज्यादा थे की एक इंसान नहीं ला सकता था. डॉ रुस्तम गुब्बारो को देख कर हैरान रहे गए. पर फेस स्माइल भी करने लगा.
डॉ : (स्माइल) गुब्बारे.
कोमल : बलबीर जल्दी इन सारे गुब्बारो को वही उसी क्लास रूम मे पहोंचा दो.
बलबीर कोमल के किसी भी काम को रुकने नहीं देता. बाकि लोग जाने से डर रहे थे. पर बलबीर ने सारे गुब्बारे 3 चक्कर लगाकर क्लास रूम मे पहोचवा दिए. वो कोमल के पास वापस आया. स्पीड की वजह से वो पसीना पसीना भी हो गया था. थोडा हाफ भी रहा था.
बलबीर : (स्माइल) हो गया.
कोमल : (स्माइल) थैंक्यू बलबीर.
बलबीर के लिए तो वो थैंक्यू i love you ही था. डॉ रुस्तम फिर कोमल को हिदायत देने लगे.
डॉ : याद रहे कोमल. नो डील. सिर्फ कोसिस करो. वो कॉन्टेक्ट करें तो ठीक. वरना तुम वापस आ जाना.
कोमल ने हा मे सर हिलाया.
डॉ : अब जाओ. Best of luck.
कोमल स्कूल के अंदर जाने लगी. डॉ रुस्तम बलबीर को वही वान मे ले जाते है. वो जानते थे की कोमल बलबीर की बात जल्दी मानेगी. इस लिए उसे पास मे रखना जरुरी था.
डॉ : पटनायक बलबीर को हेडफोन दे दो
डॉ रुस्तम और बलबीर दोनों हैडफोन पहन कर स्क्रीन के सामने बैठ गए. उस बार वो कोमल की आवाज भी सुन सकते थे. जिस क्लास रूम मे बच्चे दब कर मारे थे. कोमल उस रूम मे पहोच गई. बलबीर को डर भी लग रहा था. वही कोमल जब रूम मे पहोची same ठंडा चिल्ड माहोल. हवा बिलकुल नहीं चल रही थी. सब कुछ शांत था.
कोमल रूम मे हार तरफ देखने लगी. हैलोजन लाइट से पूरा रूम देखा जा सकता था. गुब्बारे पुरे रूम मे बिखरे हुए थे. एक भी गुब्बारे की मूवमेंट नहीं थी. कोमल ने खडे होकर एक लम्बी शांस ली. फिर दोनों हाथ पीछे करके रूम मे ही चलने लगी. जैसे वो कोई क्लास टीचर हो.
कोमल : कैसे हो बच्चों... मै तुमसे मिलने आई हु. कौन कौन मुझसे बात करेगा...
डॉ रुस्तम स्क्रीन पर कोमल की एक्टिविटी देख कर हैरान रहे गया. डॉ रुस्तम ने सिर्फ एक गुब्बारे को थोडासा हिलते देखा. जो कोमल ने नहीं देखा. पर स्क्रीन पर एक हलकी सी पिंक लाइन जरूर उभरी थी. कोमल ने एक गुब्बारा उठाया और उसे बाकि सारे गुब्बारो को दूर कर के बिच मे रख दिया. वहां सिर्फ एक चेयर भी थी. कोमल उसपर जाकर बैठ गई.
कोमल : अगर कोई मुझसे बात करना चाहता है तो प्लीज इसे राइट तरफ ले जाए.
स्क्रीन पर भी डॉ रुस्तम और बाकि पूरी टीम एक्साइड थी. ये देखने के लिए. कुछ होता है या नहीं. मगर गुब्बारा पहले तो हल्का सा राइट तरफ झूका. फिर एक राउंड राइट तरफ लुढ़क गया. हल्का सा डर कोमल को भी लगा. मगर वो स्माइल करती है.
कोमल : वेरी..... गुड. वेरी गुड. अब मुजे बताओ तुम कितने बच्चे हो यहाँ??? मै काउंटिंग करूंगी. जो भी राइट आंसर आए. आप लोग गुब्बारे को लेफ्ट तरफ कर देना.
कोमल गिनती करने लगी.
कोमल : 1,2,3....
जब कोमल गिनती कर रही थी. तब सब हैरान और एक्साइड थे. डर सभी को लग रहा था. बलबीर कोमल के लिए कुछ ज्यादा ही डर रहा था. वही कोमल की गिनती बहोत स्लो भी थी.
कोमल 30..... 31..... नहीं 31 भी नहीं है??? तो फिर क्या 32 अममम 33.... या फिर......34.
जब कोमल ने 34 बोला वो गुब्बारा एकदम स्लो लेफ्ट तरफ लुढ़क गया. कोमल की भी डर से फटने लगी. वहां नवीन का डॉ रुस्तम को रेडियो सेट पर कॉल आता है.
नवीन : नवीन तो डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.
डॉ : या डॉक्टर ओके ओवर.
नवीन : सर बहोत कुछ हो रहा है ओवर.
डॉ : वाह... क्या क्या???? ओवर.
नवीन : वेव्स, वॉइस, बच्चों की बाते करने की भी आवाज आ रही है.
उन बच्चों के शोर की आवाज डिवाइस में कैप्चर होने लगी. जैसे एक क्लास के सारे बच्चे आपस मे बात कर रहे हो. नवीन ने नोट किया की बच्चे आपस मे बात कर रहे है. आंटी बहोत अच्छी है. देखो हमारे लिए आंटी गुब्बारे लेके आई. नवीन ने ये बात जब डॉ रुस्तम को बताई तो डॉ रुस्तम के भी कान खड़े हो गए. ऊपर से उन्होंने कोमल के सवाल पर बच्चों की तरफ से जवाब आया की वो 34 है.
ये देख कर उनके होश ही उड़ गए. ये सब बलबीर भी देख सुन रहा था. बलबीर का डर भी धीरे धीरे ज्यादा बढ़ने लगा. डॉ रुस्तम कोमल को रेडियो सेट पर कॉल करता है.
डॉ : डॉक्टर तो कोमल रिपोर्ट ओवर.
कोमल : हा बोलिये डॉ साहब????
डॉ : बच्चों की आवाज कैप्चर हो रही है. वह तुम्हें रिप्लाई दे रहे हैं. वह तुम्हें पसंद कर रहे हैं. तुमने सवाल करो. उनका जवाब हमें मिल रहा है.
कोमल की हिम्मत बढ़ गई. वो स्माइल करती है.
कोमल : तो बच्चों यहां क्या हुआ था??? तुम यहां पर क्यों हो???
बच्चों की कैप्चर वॉइस : सब कुछ पंडित जी ने किया सब कुछ पंडित जी ने किया. वह बहुत गुस्से वाले हैं. वह किसी को नहीं छोड़ते.
डॉ ने ये बात कोमल को बताई.
कोमल : बच्चों पंडित जी कहां है???
कैप्चर वॉइस : वो वह स्कूल के नीचे है. पीछे की तरफ. वह हमें नहीं जाने देंगे.
कोमल : बच्चों मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं.
डॉ रुस्तम तुरंत भड़क गए.
डॉ : (गुस्सा) पागल लड़की. तुम्हें बोला था कोई दिल नहीं करनी है.
कोमल तो चुप हो गई. उसे एहसास हो गया की उस से गलती हो गई. पर बच्चों ने जो रिप्लाई दिया. वो दिल दहलाने वाला था.
कैप्चर वॉइस : आप हमें अच्छी लगती हो आंटी. आप मत जाओ. आप भी हमारे साथ आ जाओ. आप स्कूल की छत से कूद जाओ. आप हमारे साथ आ जाओगी.
वह बच्चे कोमल को सुसाइड अटेम्प्ट करने के लिए बोल रहे थे. यह सुनकर नवीन की भी हालत खराब हो गई और डॉक्टर रुस्तम की भी. यह सारी बातें बालवीर ने भी सुन ली. बालवीर की आंखों से तुरंत आंसू आने लगे.
कोमल : बच्चों अभी पंडित जी कहां है???
कैप्चर वॉइस : वह यहीं खड़े हैं. वह तुम्हें देख रहा है.
तभि नवीन के डिवाइस में एक बूढ़े की आवाज कैप्चर होती है
मेरी हस्तियों का विसर्जन करो. मुझे एक जगह दो. नहीं तो ऐसा ही लोग मरते रहेंगे. यह स्कूल का दान मैंने दिया था. मेरे नाम से भंडारा करने का वादा किया था. पुष्पा खंडी ने भंडारा नहीं किया. वह पैसे लेकर भाग गया.
नवीन ने ये बात डॉ रुस्तम को बताई. डॉ रुस्तम मामला समझ गए. वो कोमल को वापिस आने को कहते है.
डॉ : डॉक्टर तो कोमल रिपोर्ट ओवर.
कोमल : हां बोलिए डॉक्टर साहब.
डॉ : कोमल वापस आ जाओ ओवर.
कोमल : ओके.
कोमल खड़ी हुई और जाने लगी.
कोमल : तो ठीक है बच्चों अब मैं जा रही हूं.
नवीन के डिवाइस में फिर आवाज कैप्चर हुई
कैप्चर वॉइस : नहीं आंटी आप मत जाओ. आप हमारे साथ रहो. हमारे साथ आ जाओ. हम आपको लेने आएंगे.
ये बात बहोत कडराने वाली थी. कोमल स्कूल के बहार आ गई. डॉ उस्ताद में तुरंत ही बैकअप करने का ऑर्डर दे दिया. और वह लोग वापस आश्रम में आ गए
Thankyou very very much कोमलजी. आप का इतना कहना मेरे लिए बहोत बड़ी बात है. आप बारीक़ से बारीक़ पॉइंट्स को भी इस तरह उजागर करती हो की लोगो को भी एहसास हो जाता है की पढ़ते वक्त उन्होंने क्या मिस किया. आप का मुजे सपोर्ट करना. मुजे और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. Lot of thanksइस अपडेट में कोमल के कोमल पक्ष का अच्छा नज़ारा मिला, पहले उस गरीब बुड्ढे की पेंशन के मामले में, फिर एक अपराध बोध और बाद में गुब्बारे और जो इस कहानी की एक खास विशेषता है, चूल से चूल मिलाना, एक बात से जोड़ के दूसरी बात शुरू कर देना और यही गुब्बारे उन्होंने कोमल के दोनों पक्ष को जोड़ा
कोमल पहलू से स्थितियों को समझने की शक्ति ने, गुब्बारे, गुब्बारों से बच्चे और फिर बच्चो से पंडित जी, जिन्होंने एक तरह से हल भी बता दिया, अस्थियों का विसर्जन कराइये और भंडारा कराइये,
और यह एक तीसरा तरीका था, डाक्टर रुस्तम ने कुछ यंत्रों के सहारे जानने की कोशिश की और दायी माँ के पास तो तंत्र मंत्र का अगाध भंडार है और अनुभव का खजाना भी लेकिन कोमल ने मन के द्वार खोल कर अतीत से बात की और एक सीधा संवाद स्थापित कर लिया,
भूत, अतीत, एक मुट्ठी से रेत की तरह झरते काल का हर पल अभी से अतीत में, भूत में बदल जाता है, और समय की खायीं को लांघ कर सिर्फ एक पॉजिटिव सोच, विश्वास के जरिये पहुंचना तभी हो सकता है जब मन झील की तरह पारदर्शी हो,
और कोमल जो यह चरित्र लेखिका ने गढ़ा है उसके अनेक आयाम हमारे सामने रखे, वह बहुत कुछ शायद उनके व्यक्तित्व को भी दर्शाता है। कमेंट में थोड़ी देरी हुयी लेकिन अब आपकी इस कहानी को तीन बार मैं पढ़ती हूँ कुछ लिखने के पहले, एक बार पढ़ने के लिए दूसरी बार उसके अंतर्बिन्दुओं को समझने के लिए और अंत में तीसरी बार कमेंट लिखने के लिए
लिखना चालू है पंडितजी.Aap ne bhi to ki isi liye maine bhi ki hai
Achi baat hai sarkaar, likhoge to padh lenge. Warna intzaar ke siwa kar bhi kya sakte haiलिखना चालू है पंडितजी.
Dekh lo hum To bas aise hi haiThankyou very very much कोमलजी. आप का इतना कहना मेरे लिए बहोत बड़ी बात है. आप बारीक़ से बारीक़ पॉइंट्स को भी इस तरह उजागर करती हो की लोगो को भी एहसास हो जाता है की पढ़ते वक्त उन्होंने क्या मिस किया. आप का मुजे सपोर्ट करना. मुजे और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. Lot of thanks