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Horror किस्से अनहोनियों के

Shetan

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Raj_sharma

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Pandito ko moti rakam jo deni padti hai. Ram ram Pandit ji
Kaise kaise din aagaye shetaan bhi ram ram karne lage. :haha:
Anyway Ram Ram🙏🏼
 

Raj_sharma

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Unhone apni DP change kar li
Aap ne bhi to ki isi liye maine bhi ki hai😀
 

komaalrani

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Update 23ब



डॉ : ना, नहीं नो. अब आगे कोई बात नहीं.


कोमल वकील थी. इतनी आसानी से मान जाती क्या.


कोमल : डॉ साहब आपने ही मुजे इस काम के लिए राज़ी किया. ये कहेके ना की ये लोगो की भलाई के लिए है.


एक पल वो कोमल को देखते रहे.


डॉ : मुजे तुम मे गौरव तिवारी नजर आ रहे है. ठीक है जाओ. पर याद रहे. हम किसी भी एनटीटी से कोई डील नहीं करते. कोई वादा कोई कसम प्रॉमिस मत करना. वरना प्रॉब्लम होंगी.


कोमल : हा ठीक है. पर ये गौरव तिवारी कौन है???


डॉ : वो मै बाद मे बताऊंगा. अभी तुम जाने की तैयारी करो.


डॉ रुस्तम ने घूम कर सब को वापिस सेटअप लगाने को कहते है. बलबीर भी कोमल के पास ही था.


कोमल : बलबीर मेरे पर्स मे एक गुब्बारो का पैकेट है. उसके प्लीज सारे गुब्बारो मे हवा भर दो. हो सके तो कुछ और भी लोगो को ले लो. ताकि जल्दी काम हो जाए.


बलबीर तुरंत बस मे गया. और अपने काम मे लग गया. ड्राइवर और दो लोग उसके साथ जूटे. मगर गुब्बारो मे मुँह से हवा भरना भी मामूली काम नहीं है. इसके लिए शरीर मे तंदुरस्त फेफड़े चाहिये. सब की हालत ख़राब हुई. मगर बलवीर एक गांव का तंदुरस्त नवजावान था.

हालत तो उसकी भी ख़राब हुई. पर वो जानता था की ये सब वो कोमल के लिए कर रहा है. वही कोमल को भी डॉ रुस्तम की टीम तैयार करने लगी. उसपर माइक्रोफोन माइक्रो कैमरा. सेंसर डिवाइस बहोत कुछ लगाया गया. कोमल जाने के लिए तैयार हो गई.


डॉ : क्या कोमल तुम तैयार हो???


कोमल ने हा मे सर हिलाया. डर उसे भी लग रहा था. उसकी दिल की धड़कने भी तेज़ थी. पर कोमल रोमांचित भी हो रही थी. उसे अंदर से फील हो रहा था की कुछ अच्छा भी होने वाला है.


डॉ : याद रखना किसी भी एनटीटी से नो डील. कुछ भी प्रॉमिस मत कर देना. वरना लेने के देने पड़ जाएंगे. तभि बस से दोनों हाथो मे गुब्बारे लिए बलबीर आने लगा.


बलबीर : कोमल....


उसके पीछे ड्राइवर और एक और बंदा भी था. गुब्बारे इतने ज्यादा थे की एक इंसान नहीं ला सकता था. डॉ रुस्तम गुब्बारो को देख कर हैरान रहे गए. पर फेस स्माइल भी करने लगा.


डॉ : (स्माइल) गुब्बारे.


कोमल : बलबीर जल्दी इन सारे गुब्बारो को वही उसी क्लास रूम मे पहोंचा दो.


बलबीर कोमल के किसी भी काम को रुकने नहीं देता. बाकि लोग जाने से डर रहे थे. पर बलबीर ने सारे गुब्बारे 3 चक्कर लगाकर क्लास रूम मे पहोचवा दिए. वो कोमल के पास वापस आया. स्पीड की वजह से वो पसीना पसीना भी हो गया था. थोडा हाफ भी रहा था.


बलबीर : (स्माइल) हो गया.


कोमल : (स्माइल) थैंक्यू बलबीर.


बलबीर के लिए तो वो थैंक्यू i love you ही था. डॉ रुस्तम फिर कोमल को हिदायत देने लगे.


डॉ : याद रहे कोमल. नो डील. सिर्फ कोसिस करो. वो कॉन्टेक्ट करें तो ठीक. वरना तुम वापस आ जाना.


कोमल ने हा मे सर हिलाया.


डॉ : अब जाओ. Best of luck.


कोमल स्कूल के अंदर जाने लगी. डॉ रुस्तम बलबीर को वही वान मे ले जाते है. वो जानते थे की कोमल बलबीर की बात जल्दी मानेगी. इस लिए उसे पास मे रखना जरुरी था.


डॉ : पटनायक बलबीर को हेडफोन दे दो


डॉ रुस्तम और बलबीर दोनों हैडफोन पहन कर स्क्रीन के सामने बैठ गए. उस बार वो कोमल की आवाज भी सुन सकते थे. जिस क्लास रूम मे बच्चे दब कर मारे थे. कोमल उस रूम मे पहोच गई. बलबीर को डर भी लग रहा था. वही कोमल जब रूम मे पहोची same ठंडा चिल्ड माहोल. हवा बिलकुल नहीं चल रही थी. सब कुछ शांत था.

कोमल रूम मे हार तरफ देखने लगी. हैलोजन लाइट से पूरा रूम देखा जा सकता था. गुब्बारे पुरे रूम मे बिखरे हुए थे. एक भी गुब्बारे की मूवमेंट नहीं थी. कोमल ने खडे होकर एक लम्बी शांस ली. फिर दोनों हाथ पीछे करके रूम मे ही चलने लगी. जैसे वो कोई क्लास टीचर हो.


कोमल : कैसे हो बच्चों... मै तुमसे मिलने आई हु. कौन कौन मुझसे बात करेगा...


डॉ रुस्तम स्क्रीन पर कोमल की एक्टिविटी देख कर हैरान रहे गया. डॉ रुस्तम ने सिर्फ एक गुब्बारे को थोडासा हिलते देखा. जो कोमल ने नहीं देखा. पर स्क्रीन पर एक हलकी सी पिंक लाइन जरूर उभरी थी. कोमल ने एक गुब्बारा उठाया और उसे बाकि सारे गुब्बारो को दूर कर के बिच मे रख दिया. वहां सिर्फ एक चेयर भी थी. कोमल उसपर जाकर बैठ गई.


कोमल : अगर कोई मुझसे बात करना चाहता है तो प्लीज इसे राइट तरफ ले जाए.


स्क्रीन पर भी डॉ रुस्तम और बाकि पूरी टीम एक्साइड थी. ये देखने के लिए. कुछ होता है या नहीं. मगर गुब्बारा पहले तो हल्का सा राइट तरफ झूका. फिर एक राउंड राइट तरफ लुढ़क गया. हल्का सा डर कोमल को भी लगा. मगर वो स्माइल करती है.


कोमल : वेरी..... गुड. वेरी गुड. अब मुजे बताओ तुम कितने बच्चे हो यहाँ??? मै काउंटिंग करूंगी. जो भी राइट आंसर आए. आप लोग गुब्बारे को लेफ्ट तरफ कर देना.


कोमल गिनती करने लगी.


कोमल : 1,2,3....


जब कोमल गिनती कर रही थी. तब सब हैरान और एक्साइड थे. डर सभी को लग रहा था. बलबीर कोमल के लिए कुछ ज्यादा ही डर रहा था. वही कोमल की गिनती बहोत स्लो भी थी.


कोमल 30..... 31..... नहीं 31 भी नहीं है??? तो फिर क्या 32 अममम 33.... या फिर......34.


जब कोमल ने 34 बोला वो गुब्बारा एकदम स्लो लेफ्ट तरफ लुढ़क गया. कोमल की भी डर से फटने लगी. वहां नवीन का डॉ रुस्तम को रेडियो सेट पर कॉल आता है.


नवीन : नवीन तो डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.


डॉ : या डॉक्टर ओके ओवर.


नवीन : सर बहोत कुछ हो रहा है ओवर.


डॉ : वाह... क्या क्या???? ओवर.


नवीन : वेव्स, वॉइस, बच्चों की बाते करने की भी आवाज आ रही है.


उन बच्चों के शोर की आवाज डिवाइस में कैप्चर होने लगी. जैसे एक क्लास के सारे बच्चे आपस मे बात कर रहे हो. नवीन ने नोट किया की बच्चे आपस मे बात कर रहे है. आंटी बहोत अच्छी है. देखो हमारे लिए आंटी गुब्बारे लेके आई. नवीन ने ये बात जब डॉ रुस्तम को बताई तो डॉ रुस्तम के भी कान खड़े हो गए. ऊपर से उन्होंने कोमल के सवाल पर बच्चों की तरफ से जवाब आया की वो 34 है.

ये देख कर उनके होश ही उड़ गए. ये सब बलबीर भी देख सुन रहा था. बलबीर का डर भी धीरे धीरे ज्यादा बढ़ने लगा. डॉ रुस्तम कोमल को रेडियो सेट पर कॉल करता है.


डॉ : डॉक्टर तो कोमल रिपोर्ट ओवर.


कोमल : हा बोलिये डॉ साहब????


डॉ : बच्चों की आवाज कैप्चर हो रही है. वह तुम्हें रिप्लाई दे रहे हैं. वह तुम्हें पसंद कर रहे हैं. तुमने सवाल करो. उनका जवाब हमें मिल रहा है.


कोमल की हिम्मत बढ़ गई. वो स्माइल करती है.


कोमल : तो बच्चों यहां क्या हुआ था??? तुम यहां पर क्यों हो???



बच्चों की कैप्चर वॉइस : सब कुछ पंडित जी ने किया सब कुछ पंडित जी ने किया. वह बहुत गुस्से वाले हैं. वह किसी को नहीं छोड़ते.


डॉ ने ये बात कोमल को बताई.


कोमल : बच्चों पंडित जी कहां है???



कैप्चर वॉइस : वो वह स्कूल के नीचे है. पीछे की तरफ. वह हमें नहीं जाने देंगे.


कोमल : बच्चों मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं.


डॉ रुस्तम तुरंत भड़क गए.


डॉ : (गुस्सा) पागल लड़की. तुम्हें बोला था कोई दिल नहीं करनी है.


कोमल तो चुप हो गई. उसे एहसास हो गया की उस से गलती हो गई. पर बच्चों ने जो रिप्लाई दिया. वो दिल दहलाने वाला था.



कैप्चर वॉइस : आप हमें अच्छी लगती हो आंटी. आप मत जाओ. आप भी हमारे साथ आ जाओ. आप स्कूल की छत से कूद जाओ. आप हमारे साथ आ जाओगी.


वह बच्चे कोमल को सुसाइड अटेम्प्ट करने के लिए बोल रहे थे. यह सुनकर नवीन की भी हालत खराब हो गई और डॉक्टर रुस्तम की भी. यह सारी बातें बालवीर ने भी सुन ली. बालवीर की आंखों से तुरंत आंसू आने लगे.


कोमल : बच्चों अभी पंडित जी कहां है???



कैप्चर वॉइस : वह यहीं खड़े हैं. वह तुम्हें देख रहा है.


तभि नवीन के डिवाइस में एक बूढ़े की आवाज कैप्चर होती है



मेरी हस्तियों का विसर्जन करो. मुझे एक जगह दो. नहीं तो ऐसा ही लोग मरते रहेंगे. यह स्कूल का दान मैंने दिया था. मेरे नाम से भंडारा करने का वादा किया था. पुष्पा खंडी ने भंडारा नहीं किया. वह पैसे लेकर भाग गया.


नवीन ने ये बात डॉ रुस्तम को बताई. डॉ रुस्तम मामला समझ गए. वो कोमल को वापिस आने को कहते है.


डॉ : डॉक्टर तो कोमल रिपोर्ट ओवर.


कोमल : हां बोलिए डॉक्टर साहब.


डॉ : कोमल वापस आ जाओ ओवर.


कोमल : ओके.


कोमल खड़ी हुई और जाने लगी.


कोमल : तो ठीक है बच्चों अब मैं जा रही हूं.



नवीन के डिवाइस में फिर आवाज कैप्चर हुई


कैप्चर वॉइस : नहीं आंटी आप मत जाओ. आप हमारे साथ रहो. हमारे साथ आ जाओ. हम आपको लेने आएंगे.


ये बात बहोत कडराने वाली थी. कोमल स्कूल के बहार आ गई. डॉ उस्ताद में तुरंत ही बैकअप करने का ऑर्डर दे दिया. और वह लोग वापस आश्रम में आ गए
इस अपडेट में कोमल के कोमल पक्ष का अच्छा नज़ारा मिला, पहले उस गरीब बुड्ढे की पेंशन के मामले में, फिर एक अपराध बोध और बाद में गुब्बारे और जो इस कहानी की एक खास विशेषता है, चूल से चूल मिलाना, एक बात से जोड़ के दूसरी बात शुरू कर देना और यही गुब्बारे उन्होंने कोमल के दोनों पक्ष को जोड़ा

कोमल पहलू से स्थितियों को समझने की शक्ति ने, गुब्बारे, गुब्बारों से बच्चे और फिर बच्चो से पंडित जी, जिन्होंने एक तरह से हल भी बता दिया, अस्थियों का विसर्जन कराइये और भंडारा कराइये,

और यह एक तीसरा तरीका था, डाक्टर रुस्तम ने कुछ यंत्रों के सहारे जानने की कोशिश की और दायी माँ के पास तो तंत्र मंत्र का अगाध भंडार है और अनुभव का खजाना भी लेकिन कोमल ने मन के द्वार खोल कर अतीत से बात की और एक सीधा संवाद स्थापित कर लिया,

भूत, अतीत, एक मुट्ठी से रेत की तरह झरते काल का हर पल अभी से अतीत में, भूत में बदल जाता है, और समय की खायीं को लांघ कर सिर्फ एक पॉजिटिव सोच, विश्वास के जरिये पहुंचना तभी हो सकता है जब मन झील की तरह पारदर्शी हो,

और कोमल जो यह चरित्र लेखिका ने गढ़ा है उसके अनेक आयाम हमारे सामने रखे, वह बहुत कुछ शायद उनके व्यक्तित्व को भी दर्शाता है। कमेंट में थोड़ी देरी हुयी लेकिन अब आपकी इस कहानी को तीन बार मैं पढ़ती हूँ कुछ लिखने के पहले, एक बार पढ़ने के लिए दूसरी बार उसके अंतर्बिन्दुओं को समझने के लिए और अंत में तीसरी बार कमेंट लिखने के लिए
 

Shetan

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इस अपडेट में कोमल के कोमल पक्ष का अच्छा नज़ारा मिला, पहले उस गरीब बुड्ढे की पेंशन के मामले में, फिर एक अपराध बोध और बाद में गुब्बारे और जो इस कहानी की एक खास विशेषता है, चूल से चूल मिलाना, एक बात से जोड़ के दूसरी बात शुरू कर देना और यही गुब्बारे उन्होंने कोमल के दोनों पक्ष को जोड़ा

कोमल पहलू से स्थितियों को समझने की शक्ति ने, गुब्बारे, गुब्बारों से बच्चे और फिर बच्चो से पंडित जी, जिन्होंने एक तरह से हल भी बता दिया, अस्थियों का विसर्जन कराइये और भंडारा कराइये,

और यह एक तीसरा तरीका था, डाक्टर रुस्तम ने कुछ यंत्रों के सहारे जानने की कोशिश की और दायी माँ के पास तो तंत्र मंत्र का अगाध भंडार है और अनुभव का खजाना भी लेकिन कोमल ने मन के द्वार खोल कर अतीत से बात की और एक सीधा संवाद स्थापित कर लिया,

भूत, अतीत, एक मुट्ठी से रेत की तरह झरते काल का हर पल अभी से अतीत में, भूत में बदल जाता है, और समय की खायीं को लांघ कर सिर्फ एक पॉजिटिव सोच, विश्वास के जरिये पहुंचना तभी हो सकता है जब मन झील की तरह पारदर्शी हो,

और कोमल जो यह चरित्र लेखिका ने गढ़ा है उसके अनेक आयाम हमारे सामने रखे, वह बहुत कुछ शायद उनके व्यक्तित्व को भी दर्शाता है। कमेंट में थोड़ी देरी हुयी लेकिन अब आपकी इस कहानी को तीन बार मैं पढ़ती हूँ कुछ लिखने के पहले, एक बार पढ़ने के लिए दूसरी बार उसके अंतर्बिन्दुओं को समझने के लिए और अंत में तीसरी बार कमेंट लिखने के लिए
Thankyou very very much कोमलजी. आप का इतना कहना मेरे लिए बहोत बड़ी बात है. आप बारीक़ से बारीक़ पॉइंट्स को भी इस तरह उजागर करती हो की लोगो को भी एहसास हो जाता है की पढ़ते वक्त उन्होंने क्या मिस किया. आप का मुजे सपोर्ट करना. मुजे और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. Lot of thanks
 

Shetan

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Aap ne bhi to ki isi liye maine bhi ki hai😀
लिखना चालू है पंडितजी.
 

Raj_sharma

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लिखना चालू है पंडितजी.
Achi baat hai sarkaar, likhoge to padh lenge. Warna intzaar ke siwa kar bhi kya sakte hai :dost:
 

Raj_sharma

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Thankyou very very much कोमलजी. आप का इतना कहना मेरे लिए बहोत बड़ी बात है. आप बारीक़ से बारीक़ पॉइंट्स को भी इस तरह उजागर करती हो की लोगो को भी एहसास हो जाता है की पढ़ते वक्त उन्होंने क्या मिस किया. आप का मुजे सपोर्ट करना. मुजे और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. Lot of thanks
:beee:Dekh lo hum To bas aise hi hai
 
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Shetan

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Update 24


जब कोमल आश्रम पहोची और लेट ते ही वो गहेरी नींद मे चली गई. उसकी नींद भी खुली तो लोगो की आवाज से. उसके कमरे के बहार कुछ 5,6 लोगो के हसीं मज़ाक की आवाज से उसकी नींद खुली. उठते ही कोमल ने घड़ी देखी. 11:30 बज रहे थे. कोमल खड़ी हुई और नहाने धोने चली गई. उसे बलबीर नहीं दिखा.

पर जब वो फ्रेश होकर आई. एक कुल्लड़ मे चाय लेकर बलबीर आ गया. ये देख कर कोमल के फेस पर स्माइल आ गई.


बलबीर : अरे जल्दी लो. गर्म है. फिर ठंडी हो गई तो वो और नहीं बनाएँगे.


कोमल समझ गई की बलबीर जुगाड़ लगाकर कोमल के लिए चाय लेकर आया था. इसी लिए कोमल को बलबीर पर ज्यादा ही प्यार आ रहा था. कोमल चाय पिने लगी. वो दोनों निचे फर्श पर ही बैठ गए. बलबीर कुछ बोलना चाहता है. ये कोमल को पता चल गया. मगर वो किसी चीज के लिए रोकेगा ये भी महसूस हो चूका था.

अब कोमल बस उसे बोलने नहीं देना चाहती थी. वो इंतजार मे थी की बलबीर कुछ बोलने की कोसिस करें.


बलबीर : वैसे मै......


कोमल : तुमने अपने लिए चाय नहीं ली???


बलबीर जो बोलना चाहता था वो नहीं बोल पाया.


बलबीर : नहीं. सिर्फ तुम्हारे लिए. मेने तो सुबह ही पी ली थी.


कुछ देर इंतजार.


बलबीर : मै.....


कोमल : मुजे भूख लगी है. नास्ता????


बलबीर : टाइम देखो. अभी नास्ता मिलेगा. सीधा खाना ही खा लेना. बन चूका होगा.


कुछ देर इंतजार.


बलबीर : वो मै.....


कोमल : डॉक्टर साहब कहा है.


बलबीर एकदम भड़क गया. और तुरत खड़ा भी हो गया.


बलबीर : मेरे सर पर. जाओ बहार है जाओ.


बलबीर गुस्से मे बहार चला गया. और कोमल उसे गुस्सा दिलाकर हस रही थी. कुछ देर बाद कोमल भी बहार आई. बहार पीपल की छाव मे डॉ रुस्तम, पटनायक, सरपंच, बलबीर और 2 डॉ रुस्तम के टीम मेंबर बैठे हुए थे. डॉ रुस्तम ने कोमल को देखा.


डॉ : (स्माइल) अरे आओ कोमल.


एक टीम मेंबर ने एक प्लास्टिक चेयर कोमल को भी दीं.


कोमल : क्या हुआ डॉक्टर साहब. अब मामला कहा तक पहोंचा???


डॉ रुस्तम थोडा मुश्कुराए.


डॉ : (स्माइल) तुम सो रही थी ना. वरना मामला क्या है तुम्हे भी पता चल जाता.


कोमल : क्यों कुछ और भी हुआ क्या???


अब मामला क्या था. वो डॉ रुस्तम ने पूरा बताया.


डॉ : ये तो तुम्हारे जरिये कल ही पता चल गया था की कोई पंडितजी है. जिनकी अस्थिया स्कूल के पीछे ही कही दफ़न है.


कोमल : हा सायद आप ही ने मुजे रिप्लाई किया था.


डॉ : तो सुबह ही हमने पूजा रखी. और पंडितजी को बुलाया.


कोमल : वो आ गए???


डॉ : वो कोई प्रेत नहीं थे. जो परेशान करते. वो सिर्फ एक आत्मा है. दरसल वो खुद ही बात करना चाहते थे. ताकि इन मौत को रोका जा सके.


कोमल : क्या??? मतलब एक आत्मा ही चाहती है की लोग ना मरे.



डॉ : बिलकुल. अब असल कहानी सुनो.

1997 मे पंडीजी ने अपनी जमीन पर एक आश्रम बनवाया. साथ में एक मंदिर भी बनवाया. पर मंदिर कहां है यह पता नहीं. शायद हमसे पूछने में गड़बड़ी हुई है. पंडित जी हमेशा यज्ञ करते रहते हैं. यज्ञ के साथ-साथ वो भंडारा भी करते थे. उस समय यहा गरीबी भी बहुत थी. ऐसा लगता है पंडित जी ने जीवन भर पुण्य ही कमाया है.


कोमल : मगर फिर भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली.


डॉ : वो इस लिए क्यों की जो वो चाहते थे. वो हुआ ही नहीं. गांव वालों ने सोचा पंडितजी सायद उनका भला कर सकते है. इस लिए सारे मिलकर पंडितजी के पास गए. लोगो ने उनसे बिनती की के आप मंदिर बनवा रहे हो तो एक स्कूल भी बनवा दो. तब जाकर पंडितजी ने स्कूल के लिए अपनी एक जमीन का बड़ा टुकड़ा दान कर दिया.

उस वक्त मंदिर सायद बन रहा था. पंडितजी चाहते थे की स्कूल और मंदिर दोनों का कार्य सफल होगा तो वो एक और भंडारा करेंगे. मगर रात ही उनका देहांत हो गया. गांव वाले मानते थे की उनकी हत्या हुई. लेकिन पंडितजी कहते है की उनका समय पूरा हो चूका था.


कोमल : साला लोगो को बस बहाना चाहिये. खुद ही स्टोरी बना देते है. लेकिन एक बात समझ नहीं आई. जब उनका समय पूरा हो चूका था तो उनकी आत्मा यहाँ क्यों है.


डॉ : मै एक सात्विक पुजारी हु. इस लिए थोडा जानता हु. ऊपर जाना ना जाना ये आत्मा की मर्जी होती है. या ये अपने आप को ऊपर वाले को सोपना चाहते है या नहीं. अमूमन सब ऊपर ही जाना चाहते है. बस कोई ही आत्मा ऐसी होती है जो ऊपर वक्त के बाद भी नहीं जाती.

वो और मुद्दा है. तुम मेंइन बात सुनो. वो तो मर गए. लेकिन उस से पहले स्कूल और मंदिर के लिए उस वक्त के मुखिया को दान का पैसा दे चुके थे. उनकी ख्वाइश थी की दोनों कार्य को देख कर ही ऊपर जाए.

मगर मंदिर कहा बना ये किसी को पता नहीं. स्कूल भी बनाया तो गलत वास्तु से. नतीजा दो मंज़िला स्कूल में नुस्क रहे गया. ऊपर पानी की टंकी से चु चाते पानी से छत का एक हिस्सा कमजोर पड़ गया.

स्कूल की छत गिरी और 34 बच्चे दब के मर गए. अब ज्यादा नहीं पता लग सका. क्यों की आत्मा को ज्यादा देर रोका नहीं जा सकता.


कोमल : तो क्या दिन मे ही सारा सेटअप किया.


डॉ : नहीं. सब सात्विक. पर यहाँ एक अफवाह और है.


कोमल : वो क्या???


डॉ : सुबह सुबह गांव के मुखिया ने बताया की कोई दिन दयाल है. उसकी बेटी कुछ 19, 20 साल की है. उसके अंदर कोई माता आती है. और वो सब लोगो की मदद भी करती है. कोगो के सवालों के जवाब देती है. बहोत कुछ अच्छा ही करती है. मै मुखिया को लेकर उनके वहां ही पहोच गया. मुजे सक था. मेने पूजा की.

मगर मामला कुछ और ही निकला. उसमे कोई देवी नहीं खुद पंडितजी ही आते थे. लोग उन्हें भगवान समाझते थे. और वो निकले अपने पंडितजी.


कोमल : साला लोग अंध श्रद्धांलू भी बहोत है. पर क्या ऐसे कोई भगवान इंसान के शरीर में आते है???


डॉ : बहोत ही काम. ज़्यादातर कुल देवी और कुल देवता ही आते है. मगर 0.01%. मगर लोगो के पुरखो का आना होता है. जिसे लोग देवी देवता मान लेते है. क्यों की पास्ट फ्यूचर बताने से लोग एक्साइट हो जाते है. लोगो के काम निकल जाते है तो लोग उन्हें भगवान समझने लगते है. अरे भगवान को बुलाना इतना आसान है क्या...


कोमल : उफ्फ्फ... साला कौन फ्लोड कौन सही क्या पता.


डॉ : बात सही कहे रहे हो. इस लिए तो हमारी गवर्नमेंट हमें सपोर्ट नहीं करती. जब की इंग्लिश कंट्रीज तो स्पेशल बजट देती है. पैरानॉइड इन्वेस्टिगेशन को.


कोमल : वाओ....तो क्या बताया पंडितजी ने.


डॉ : मुखिया ने बताया की आप के बारे में जिसे माता आती है. उसने ही बताया. और नंबर भी दिया. वरना वो कहा मुजे जानता था.


कोमल : ये हैरान करने वाली बात है. मतलब की आप कोई और स्टेट मे रहे रहे हो. यहाँ से कोई तालुक नहीं. मगर किसी ने आप को बुलाया. बिना लिंक के.


डॉ : बिलकुल सब सुपरनैचुरल पावर है. पंडितजी ने इतनी ही जानकारी दीं. जो मै बता चूका हु. अब हम रुकने वाले है. क्या तुम रुकोगी???


कोमल : रुकना तो चाहती हु. पर काम है. इस लिए जाना पड़ेगा. कुछ केस की डेट है. मै आज बलबीर को लेकर निकल जाउंगी. कुछ होगा तो call कर देना. मै आ जाउंगी.


डॉ : वैसे कुछ होगा तो call कर दूंगा.


कोमल : वैसे ये पंडितजी का नाम क्या था.


डॉ : राम खिलावान उपाध्याय.


कोमल ने शाम की फ्लाइट पकड़ी और बलबीर को लेकर एयरपोर्ट पहोच गई. एयरपोर्ट पर चेक इन के बाद फ्लाइट के लिए दोनों ही वेट कर रहे थे. कोमल कॉफ़ी लेने के लिए गई. तब वहां पर एक मोटी महिला बलबीर के पास से गुजरी. वो 50 के आस पास की उम्र दराज महिला थी.
उस महिला ने बलबीर के पाऊ पर गलती से पाऊ रख दिया.

बलबीर : ससस अह्ह्ह....


शुक्र था की बलबीर ने जूते पहने हुए थे. उसे बस हलका सा दर्द हुआ बस. पर बलबीर ने फिर भी उस महिला को ही सँभालने की कोसिस की. कही वो बेलेंस बिगड़ने से गिर ना जाए.


महिला : ओह्ह सॉरी.... I am so sorry....


बलबीर : अरे कोई बात नहीं.


वो महिला खुश भी हुई और हैरान भी रहे गई. क्यों की कोई और होता तो कुछ ना कुछ जरूर बोलता. मगर बलबीर ने तो उल्टा फिर भी हेल्प ही की. शुक्र था की कोमल वहां नहीं थी. ऐसे मौके पर तो वो फाड़ के खा जाती. एयरपोर्ट के कैमरा के फुटेज का इस्तेमाल कर के मान हानि का दावा ठोक देती. मगर बलवीर ने बड़ा दिल दिखाया.


महिला : Can I sit here???


बलबीर को बस हाथ के हिसारे से पता चला की वो बैठना चाहती है.


बलबीर : हा हा बैठिये.


वो महिला उसके पास ही बैठ गई. वो मोटापे की वजह से थकान महसूस कर रही थी.


महिला : you are a good human being.


अब कोमल ने तो बलबीर के मजे लेने के लिए पट्टी पड़ा रखी थी. रायता फेल गया. बलबीर ने दूर स्टाल कैफ़े पर खड़ी कोमल की तरफ हिशारा किया.


बलबीर : वो वो मेरी गर्लफ्रेंड है.


वो महिला समझ गई की बलबीर भोला है. और उसे इंग्लिश नहीं आती. वो मुश्कुराई.


महिला : (स्माइल) तो गर्लफ्रेंड को कहा घुमा लाए???


बलबीर : नहीं नहीं. मेने टिकिट नहीं ली. उसी ने ली है.


महिला सोच में पड़ गई. सवाल से जवाब मेल नहीं खाया.


महिला : तो फिर क्या हुआ????


बलबीर : वो गर्लफ्रेंड के साथ बॉयफ्रेंड की टिकिट फ्री होती है ना.


महिला को हसीं आ गई.


महिला : तुम्हे ऐसा किसने कहा???


अब बलबीर की तो इस लिए फट रही थी. कही दूसरी टिकिट के पैसे ना देने पड़े.


महिला : (स्माइल) वो मज़ाक कर रही है तुमसे. मामू बनाया तुमको. चलो मै चलती हु.


महिला तो चली गई. अब बलवीर का दिमाग़ घूम गया. कोमल ने आती वक्त किस किस से बलबीर को क्या क्या बुलवाया था. एयर होस्टेस सिक्योरिटी ऑफिसर. बलवीर ने स्टॉल कैफे की तरफ देखा. मगर कोमल नहीं थी. वो मन में सोचने लगा. कोई बात नहीं.

आएगी तो यही. पर जब कोमल आई. बलबीर सारा गुस्सा ही भूल गया. क्यों की कोमल चेंज कर के आई थी. और उसी ड्रेस में आई जो बहोत छोटा था. जिसमे कोमल को देख कर बलबीर बाहेक गया था. 2 दिन हो गए थे. दोनों ने आपस मे प्यार नहीं किया था.

कोमल ने इसी लिए बलबीर को उकसाने की तैयारी शुरू कर दीं थी. वो दोनों फ्लाइट से अहमदाबाद पहोच गए. रात जी भर कर प्यार भी हुआ. दिन बदला. घर का माहोल बहोत बढ़िया. कोमल को उठते ही बलबीर ने सब कुछ प्रोवाइड करा दिया. चाय नाश्ता सब बलवीर ने रेडी कर दिया था. कोमल बहोत खुश भी हुई.

वो नहाना धोना नाश्ता सब कर के एक मीटिंग के लिए गई. कुछ एडवोकेट्स के साथ मीटिंग थी. जिसमे वो एडवोकेट्स को लीगल एडवाइस देनी थी. कार बलबीर ही ड्राइव कर रहा था. लेकिन कोमल को महसूस हुआ बलबीर ठीक से ड्राइव नहीं कर रहा है.

वो बाते करते बार बार कोमल की तरफ देखने लगता. और 2 बार कार किसी ना किसी से ठुकते हुए बची. कोमल ने बलबीर को डाट भी दिया. जो की कभी नहीं करती थी.


कोमल : बलबीर क्या कर रहे हो.. प्लीज आगे ध्यान दो और ठीक से चलाओ.


बलबीर चुप हो गया. उसे बुरा इस लिए नहीं लगा की कोमल ने डाट दिया. उसे बुरा इस लिए लगा की उसने कोमल को नाराज कर दिया. पर कमल ककी मीटिंग बहोत शानदार रही है. मीटिंग के दौरान सभी एडवोकेट्स कोमल से बहोत प्रभावित हुए. कोमल ने किसी एडवाइस का तो 2000 तो किसी एडवाइस का 5000 तक चार्ज किया.

कोमल ने तक़रीबन 22000 से 25000 रूपय कमाए. उसके बाद खुद के केस की भी डेट थी. परफॉर्मेंस काफी शानदार रहा. और कोमल को कुछ में तो नतीजे भी उसकी तरफ मिल गए. पेमेंट वहां से भी आई. कोमल बहुत कॉस्टली एडवोकेट थी. उसे तक़रीबन 55000 की अमाउंट मिली. कोमल घर जाना चाहती थी.

क्योंकि वह थक गई थी. लेकिन जिस कंपनी के साथ लीगल एडवाइस की डील हुई थी. उस कंपनी ने कोमल को call किया. कोमल जानती थी की एक ही एडवाइस देने से उसके 10,15 हजार खड़े हो जाएंगे.

कोमल पेसो को आने से कभी ना नहीं बोलती थी. नतीजा वो बलबीर को लेकर वहां पहोच गई. कंपनी का MD कोई Mr पटेल था. मीटिंग के दौरान उसने बताया की वो अपनी प्रोडक्ट का प्रोडक्शन 4 छोटी कंपनी से करवाता है. लेकिन एक कंपनी के वर्क कोरोना स्ट्राइक कर दी. जिसकी वजह से उसके प्रोडक्शन में कमी आएगी.

और मार्केट में उसके माल की खपत हो सकती है. कोमल ने सारी बाते बड़ी ध्यान से सुना. न्यूज आर्टिकल्स पढ़े. और बड़ी स्टाइल में उसे अखबार की कटिंग को फेकते हुए बोली.


कोमल : मार्केट में अपने शहर का स्टॉक रेट क्या है???


Mr patel ने रेट बताया.


कोमल : आप अपना स्टेटमेंट जारी करिए. उस कंपनी को वार्निंग दीजिए. उन वर्कर्स की मांग को मान ले. वरना आप उश कंपनी के साथ हुई सारी डील तोड़ देंगे. शाम तक आप अपने स्टॉक रेट को देख कर हैरान हो जाओगे.


Mr patel हैरान रहे गया कोमल की बात सुनकर. वो तुरंत ही call कर के प्रेस कॉन्फ्रेंस को बुलाता है. कोमल उसकी ऑफिस में बैठकर चिप्स खाते हुए टीवी पर खेल देख कर मुस्कुरा रही थी. दोपहर 2 बजे की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने मार्केट में हल्ला मचा दिया.

Mr patel वापस अपनी ऑफिस में आए. और दोनों ही शेयर मार्केट के उतार चढाव को देखने लगे. कोमल का अंदाजा बिलकुल गलत नहीं था. शाम को मार्केट बंद होने से पहले Mr patel की कंपनी ने जबरदस्त उछाल मारा. Mr Patel तो पागल ही हो गए.

उनकी कंपनी को पब्लिसिटी और सिंपैथी दोनों ही मिली. Mr patel ने बिलकुल देरी नहीं की. और तुरंत ही 1 लाख का चैक काट दिया. कोमल भी अड़ गई की उसे पुरे 2 लाख मिलने चाहिये. क्यों की सुबह और बड़ा उछाल देखने को मिलेगा. साथ ही एक फ्री एडवाइस और दीं. उसकी प्रोडक्शन करने वाली कंपनी वर्कर्स के डिमांड मान लेगी. आपका प्रोडक्शन बढ़ जाएगा.

आपको एक से दो कंपनी और अपने साथ जोड़ना होगा. Mr patel ने तुरंत दूसरा 2 लाख का चैक काट दिया. कोमल खुश होकर बहार आई. बलबीर बेचारा बहार केतली पर चाय पी रहा था. कोमल को देखते ही वो तुरंत कोमल के पास पहोच गया. कोमल खुश थी.

अपने दोनों हाथो की माला बलबीर के गले में पहनाते उसकी बाहो में चली गई. देखने वाले हैरान थे की एक ड्राइवर पर इतनी पावरफुल फीमेल कैसे प्यार बरसा रही है.


कोमल : (स्माइल) आज तो भगवान थप्पड़ फाड़ कर दे रहे हैं. चलो मम्मी के घर. बच्चों से मिलकर आते हैं.


वह दोनों कोमल की मम्मी के घर जाने के लिए निकल गए. लेकिन अच्छे के साथ बुरा भी हो रहा था. कर ड्राइव करते बालवीर से एक्सीडेंट हो गया. किसी को बचाने के चक्कर में बालवीर ने कर को विच डिवाइडर पर चढ़ा दिया. दोनों में से किसी को नुकसान तो नहीं हुआ. मगर कर का बड़ा नुकसान हुआ.

बालवीर कोमल को लेकर झट से नीचे उतर गया. फ्यूल टैंक फट गया था. कर में आग पकड़ ली. वह दोनों हैरान रह गए. उन्हें कोई चोट नहीं थी. थोड़ी बहुत पुलिस कार्रवाई हुई. और वह दोनों घर आ गए. बालवीर बहुत परेशान था. उसने कोमल की कर बर्बाद कर दी

लेकिन कोमल फिर भी रिलैक्स थी. उसने बालवीर को कुछ भी नहीं बोला. बालवीर हैरान था. उसे अफसोस हो रहा था. उसने कमल का नुकसान जो कर दिया था. पर कोमल भी एक वकील थी. कोमल इंश्योरेंस कंपनी पर क्लेम करने में बिल्कुल देरी नहीं की.


बलबीर : सॉरी मुझसे तुम्हारा बहोत बड़ा नुकशान हो गया.


कोमल : उसके फ़िक्र मत करो. पैसा तो और कमा लेंगे. लेकिन आज तुम्हें हो क्या गया. तुम्हारी ड्राइविंग तो एकदम परफेक्ट है. आज गलती कैसे हो रही थी. क्या कोई प्रॉब्लम तो नहीं तुम्हें???


बलबीर : नहीं पता नहीं मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है.


कोमल कोई बात नहीं.


बलबीर : गाड़ी कितने की थी???


कोमल : ससससस ऑफ़ फो.. ये बोलो की अब नइ कार हम कितने की ख़रीदे. और यह तुम अफसोस करना बंद करो. तुम रोते हुए कार्टून लगते हो.


बोल कर कोमल किचन में चली गई. उसने जल्दी ही डिनर तैयार कर लिया. दोनों ही जब डिनर कर रहे थे. तब कोमल के मोबाइल पर डॉ रुस्तम का call आया.


कोमल : हेलो.


डॉ : हा कोमल तुम ठीक हो ना???


कोमल : हा मे तो ठीक हु. क्यों क्या कोई प्रॉब्लम हुई क्या???


डॉ : नहीं प्रॉब्लम तो.... वैसे तुम्हारा आजका दिन कैसा गया.


डॉ रुस्तम ना प्रॉब्लम बता रहे थे. ना कुछ क्लियर बता रहे थे. ये कोमल को भी अटपटा लगा.


कोमल : बात क्या है डॉ साहब सच बताइये.
 
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Shetan

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Update 24B


डॉ रुस्तम ने जो बताया वो होश उडाने वाला था.


डॉ : कोमल छत गिरने से जो 34 बच्चे मरे थे. उनमे से एक की आत्मा वहां नहीं है.


कोमल : (सॉक) तो वो कहा गई???


डॉ : वो तुम ले आई बेवकूफ. मेने पहले ही कहा था की उनसे डील मत करो.


कोमल : पर ऐसा कैसे हो सकता है. मेरे घर तो ऐसा कुछ फील नहीं हो रहा.


डॉ : क्यों की मेने बलबीर को जो किले दीं थी. वो किसी को भी घर मे अंदर आने नहीं देगी. वो बहार ही है.


कोमल ये सुन कर हैरान हो गई.


डॉ : अब बताओ आज का दिन कैसा रहा????


कोमल : मेरा दिन तो...... अच्छा ही रहा. मेरा बहोत प्रॉफिट भी हुआ. दिन में ही 3 लाख के ऊपर इनकम हुई.


डॉ : क्यों की वो बच्चा तुम्हे पसंद करता है. तभि वो तुम्हारा फायदा करवा रहा है. मगर वो तुम्हे अपने साथ लेजाना चाहता है. इस लिए वो तुम्हे किसी ना किसी तरह मरने की भी कोसिस करेगा. ताकि तुम्हारी सोल भी उनके साथ हो जाए.


ये सुनकर कोमल का दिमाग़ चकरा गया. क्यों की उसके और बलबीर के साथ कई एक्सीडेंट हुए. कई होते होते बचें.


कोमल : हा मेरे साथ एक्सीडेंट के भी केश हुए है. मै और बलबीर मरते मरते बचें है.


डॉ : कोमल वो सारे लोग जो स्कूल के अंदर सुसाइड अटेम्प्ट कर चुके है. उसे पंडितजी ने नहीं बल्की बच्चों ने ही करवाए है. पंडितजी तो उन्हें बचाना चाहते थे.


कोमल के लिए ये भी सॉक देने वाली खबर थी.


कोमल : (घबराहट) डोंट वरी. मै मै मै मॉर्निग मे ही आ रही हु.


डॉ : बलबीर को भी अपने साथ लेकर आना.


फोन कट हो गया. कोमल की तो नींद ही उड़ गई. कोमल ने सारी बाते बलबीर को बताई. कोमल ने फ्लाइट की टिकिट भी बुक कर दीं. पर वाया दिल्ली होने के कारण टिकिट महंगी भी पड़ी. सुबह होते ही दोनों टाइम पर निकल गए.


कोमल ने बलबीर को पूरी बात बता ही दीं थी. पर इस बार बलबीर का मज़ाक करने का मूड होने लगा.

बोर्डिंग पास लेने के बाद दोनों फ्लाइट का वेट कर रहे थे. कोमल बड़ बड़ा रही थी.


कोमल : साला इतनी महंगी टिकिट. इतने में तो इंसान साला लंदन पहोच जाए. लूट ते है साले.


बलबीर : मे जाके बोलू तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.


कोमल : दिमाग़ मत ख़राब करो. चुप चाप बैठो. आए बड़े. उस दिन तो फट रही थी.


बलबीर : तो एक कम करें. तुम जाकर बोलो वो मेरे पति है. कही सस्ता कर दे.


कोमल भड़क गई.


कोमल : अच्छा... मै तो बोल दूंगी. और ये भी बोल दूंगी की हनीमून पर जा रहे है. तुम बोल पाओगे??? हम्म्म्म बोलो. थोड़ासा चिपकती हु तो तुम्हे शर्म आने लगती है.


बलबीर चुप चाप मुँह घुमाकर हस रहा था. और कोमल बोले ही जा रही थी. कोमल थक गई तो चुप हो गई. इसी का तो बलबीर वेट कर रहा था.


बलबीर : अच्छा वो ड्रेस तो लाई होना.


सुन ने के बाद पर समझने से पहले कोमल घूम गई. और फुकरते ते चहेरे से कुछ बोलने ही वाली थी. वॉर्निंग देने के लिए एक ऊँगली भी उठा दीं. पर बहोत जल्दी समझ आ गया की बलबीर ने बोला क्या है. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो शर्मा के दूसरी तरफ देखने लगी.


बलबीर : (स्माइल) हम्म्म्म बोलो??? अरे ली या नहीं???


कोमल सर निचे किये बहोत धीमे से बोली.


कोमल : (शर्माना) नई ले लेंगे???


बलबीर : हम्म??? क्या कहा???


कोमल जैसे ताकत लगाकर बोल रही हो. पर आवाज तो बस थोड़ी ही निकली. बोलते हुए आंखे भी बंद हो गई. और स्माइल और ज्यादा डार्क हो गई.


कोमल : (स्माइल शर्माना) अरे...... नई ले लेंगे.... अब चुप रहो.


दोनों ही चुप हो गए. कोमल तो नजरें बार बार घुमाकर कही और देखने की कोसिस करती. पर उसे पता था. बलबीर उसे ही देख रहा है. वो शर्मा कर हस पड़ी और सीधा बलबीर की बाहो मे. पर तब तक फ्लाइट का अनाउंसमेन्ट हो गया. कोमल और बलबीर 11:30 तक इलाहबाद पहोच गए. ठीक वैसे ही वही मिनिबस के जरिये वो उस आश्रम तक भी पहोच गए. बस से उतारते ही कोमल डॉ रुस्तम से बहार ही मिली.


डॉ : अच्छा है तुम जल्दी पहोच गई.


कोमल : सर और कुछ पता चला???


डॉ : हम शाम को एक बार फिर पंडितजी से बात करने की कोसिस करने वाले है. तब तक तुम थोडा आराम करो.


कोमल : सर आपने बताया की पंडितजी ने मंदिर बना लिया था. पर वो मंदिर कहा है ये पता नहीं चला.


डॉ : यही तो माइन बात है. मंदिर का पता चलना बहोत जरुरी है. कही कोई कड़ी आपस मे जुडी हुई है.


कोमल : और पंडितजी ने स्कूल के लिए जमीन दान की थी. ना की स्कूल बना के दिया.


डॉ : सिर्फ जमीन ही नहीं दान दीं स्कूल बनवाने के लिए पैसा भी दान दिया है. खेर शाम को ही पता चलेगा.


डॉ रुस्तम जाने लगे. पर कोमल के सवाल ख़तम नहीं हुए.


कोमल : सर सर सर... आप बता रहे थे की वो सारे सुसाइड एटम पंडितजी ने नहीं बच्चों ने ही करवाए है???


डॉ : कोमल प्लीज... शाम को कुछ ना कुछ पता चल ही जाएगा कोमल. तुम प्लीज थोड़ी देर रेस्ट कर लो. हो सकता शाम को पता चल जाए.


डॉ का दिमाग़ इस लिए ख़राब हो रहा था. क्यों की कोई तो था जो फ्लोड कर रहा था. वो अपने रूम मे चले गए. लेकिन कोमल तो खुद एक वकील थी. मुजरिम कौन होगा उसे पकड़ने की चूल उसमे ज्यादा मचने लगी. कोमल को भी शाम का इंतजार था.
 
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